Book Title: Agam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
२४०
प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्रम् - २ - ३०/-// ५७३
पदं - ३० - पश्यत्ता
वृ. तदेवमुक्तमेकोनत्रिंशत्तमं पदं, सम्प्रति त्रिंशत्तममारभ्यते, अस्य चायमभिम्बन्धःइहानन्तरपदे ज्ञानपरिणामविशेष उपयोगोऽभिहितः, इहापि ज्ञानपरिणामविशेषे उपयोगे पश्यत्ता चिन्त्यते इति, तत्र चेदमादिसूत्रम्
मू. (५७३) कतिविहा णं भंते! पासणया पन्नत्ता ?, गो० ! दुविहा पासणया पं० तं०- सागारपासणया अनागारपासण्या,
सागारपासणया णं भंते! कइविहा पं० ?, गो० ! छव्विहा पन्नत्ता, तं०-सुयनाणपा० ओहिनाणपा० मणपज्जवनाणपा० केवलनाणपा० सुयअन्नाणसागारपा० विभंगनाणसागारपासणया, अनागारपासणया णं भंते! कइविधा० ?, गो० ! तिविहा पं० तं० - चक्खुदंसण अनागारपा० ओहिदंसणअना० केवलदंसणअना०, एवं जीवाणंपि,
नेरइयाणं भंते! कतिविधा पासणया पन्नत्ता ?, गो० ! दुविहा पं०, तं०- सागारपासणया० अनागा०, नेरइयाणं भंते! सागारपा० कइविहा पं० ?, गो० ! चउव्विहा पं०, तं०-सुयणाणपा० ओहिनाणपा० सुअअन्नाणपा० विभंगनाण०, नेरइयाणं भंते ! अनागारपा० कतिविहा पं० ?, गो० ! दुविहा, तं०-चक्खुदंसण० ओहिदं०, एवं जाव थणियकुमारा ।
पुढविकाइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पं० गो ?, गो० ! एगा सागारपा०, पुढविकाइयाणं भंते! सागारपासणया कतिविहा पं० ?, गो० ! एगा सुयअन्नाणसागारपा० पं०, एवं जाव वणफइकाइयाणं ।
बेइंदियाणं भंते! कतिविहा पासणया पं० ?, गो० ! एगा सागारपासणा पं०, बेइंदियाणं भंते! सागारपा० कइविहा पं० ?, गो० ! दु० पं० तं० सुयनाणसागारपा० सुयअन्नाणसागारपा०, एवं तेइंदियाणवि, चउरिदियाणं पुच्छा, गो० ! दु० पं०, तं०- सागारपा० अनागारपा०, सागारपासणया जहा बेइंदियाणं, चउरिंदियाणं भंते! अनागारपा० कइविहा पं० ?, गो० ! एगा चक्खुदंसण० अनागारपा० पं०, मणूसाणं जहा जीवाणं, सेसा जहा नेरइया जाव वेमाणियाणं जीवा णं भंते! किं सागारपस्सी अनागारपस्सी ?, गो० ! जीवा सागारपस्स अनागारपस्सी गो० ! जीवा सागारपरसीवि अनागारपस्सीवि, से केणद्वेगं भंते! एवं वु० जीवा सागार० अनागार० ?, गो० ! जे णं जीवा सुतनाणी ओहिनाणी मनपज्जव० केवल० सुअअन्नाणी विभंगनाणी ते णं जीवा सागारपस्सी, जेणं जीवा चक्खुदंसणी ओहिदंसणी केवलदंसणी ते गं जीवा अनागारपस्सी, से एतेणट्टेणं गोयमा ! एवं वु० - जीवा सागारपस्सीवि अनगा०, नेरइया णं भंते! किं सागारपस्सी अनागा०, गो० ! एवं चेव, नवरं सागारपासणयाए मणपजवनाणी केवलनाणी न वुच्छति, अनागारपासणयाए केवलदंसणं नत्थि, एवं जाव धणियकुमारा ।
पुढविकाइयाणं पुच्छा, गो० ! पुढविकाइया सागारपस्सी नो अनागारपस्सी, से केणट्टेणं भंते! एवं बु० - गो० ! पुढविकाइयाणं एगा सुयअन्नाणसागारपासणैया पं०, से ते० गो० !, एवं जाव वणस्सतिकाइयाणं, बेइंदियाणं पुच्छा, गो० ! सागारपस्सी नो अना०, से केणट्टेणं भंते एवं वुच्छति ?, गो० ! बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पं० तं०- सुयनाणसागारपासुअअन्नाणसागारपा०, से एएणट्टेणं गो० ! एवं वु०, एवं तेइंदियाणवि,
चउरिंदियाणं पुच्छा, गो० ! चउरिंदिया सागारपस्सी, जे णं चउरिदिया चक्खुदंसणी ते
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International
Page Navigation
1 ... 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664