Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 23
________________ तंदुलवेयालियपइण्णय [१] इमो खलु जीवो अम्मा-पिउसंजोगे माऊओयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसंट्ठ कलुसं किब्बिसं तप्पढमयाए आहारं आहारिता गब्भत्ताए .वक्कमइ । (तंदुलवैचारिक, सूत्र-१७) [२] जीवस्स णं भंते ! गब्भगयस्स समाणस्स अत्थि उच्चारे इ वा पासवणे इवा खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा सुक्के इ वा सोणिए इ -वा? नो इण? सम? । से केण→णं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा ? गोयमा ! जीवे णं गन्भगए समाणे जं आहारमाहारेइ तं चिणाइ सोइंदियत्ताए चक्खुईदियत्ताए "पाणिदियत्ताए जिभिदियत्ताए फासिदियत्ताए अद्वि-अट्ठिमिंज-केस-मंसुरोम-नहत्ताए, से एएणं अटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवस्स णं गब्भगयस्स समागस्स नत्यि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा । (तंदुलवैचारिक, सूत्र-२०) '[३] जीवे णं भंते ! गन्भगए समाणे पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहा'रित्तए ? गोयमा ! नो इणट्टे समढें । से केण→णं भंते ! एवं वुच्चइजीवे णं गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए ? गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे सव्वओ आहारेइ, सव्वओ परिणामेइ, सव्वओ ऊससइ, सवओ नीससइ, अभिक्खणं आहारेइ, अभिक्खणं परिणामेइ, अभिक्खणं ऊससइ, अभिक्खणं नीससइ) आहच्च आहारेइ, आहच्च परिणामेइ, आहच्च ऊससइ, आहच्च नीससइ; से माउजी वरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी माउजोवपडिबद्धा पुत्तजीवंफुडा तम्हा आहा. रेइ तम्हा परिणामेइ, अवरा वि य णं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ, से एएणं अद्रेणं गोयमा । एवं वुच्चइजीवे णं गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारेत्तए । (तंदुलवैचारिक, सूत्र-२१) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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