Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

Previous | Next

Page 73
________________ ३० तंदुलवेयालियपइण्णयं (वाससयाउयमणुयस्स वाससयविभागा आहारपमाणाइ य) आउसो ! से जहानामए केइ पुरिसे व्हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगल-पायच्छित्ते सिरंसिण्हाए कंठमालकडे आविद्धमणि-सुवण्णे अहयसुमहग्यवत्थपरिहिए चंदणोक्किण्णगायसरीरे सरससुरहिगंधगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावन्नग-विलेवणे कप्पियहारऽद्धहार-तिसरय-पालंबपलंबमाणकडिसुत्तयसुकयसोहे पिणद्धगेविज्जे अंगुलेज्जगललियंगयललियकयाभरणे नाणामणि-कणग-रयणकडग-तुडियथंभियभुए अहियरूवसस्सिरीए कुंडलुजोवियाणणे मउडदित्तसिरए 'हारुच्छयसुकय-रइयवच्छे पालंबपलंबमाण-सुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दियापिंगलंगुलिए नाणामणिकणग-रयणविमलमहरिह -निउणोविय-मिसिमिसित-विरइय- सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-ल?आविद्धवीरवलए। किं बहुणा ? कप्परुक्खए चेव अलंकिय-विभूसिए सुइपए भवित्ता . अम्मा-पियरो अभिवादएज्जा । तए णं तं पुरिसं अम्मा-पियरो एवं वएजा-जीव पुत्ता ! वाससयं ति । तं पिआई तस्स नो बहुयं भवइ कम्हा ? ॥७६।। ७६॥ वाससयं जीवंतो वीसं जुमाइं जीवइ, वीसं जुगाइं जीवंतो दो : अयणसयाई जीवइ, दो अयणसयाई जीवंतो छ उउसयाई जीवइ, छ उउसयाई जीवंतो बारस माससयाई जीवइ, बारस माससयाइं जीवंत्तो चउवीसं . पक्खसयाई जीवह, चउवीसं पक्खसयाई जीवंतो, छत्तीसं राइंदिअसहस्साई जीवइ, छत्तीसं राइंदियसहस्साई जीवंतो दस असीयाई मुहत्तसयसहस्साइं जीवइ दस असीयाइं मुहुत्तसयसहस्साई जीवंतो चत्तारि ऊसासकोडिसए सत्त य कोडीओ अडयालीसं च सयसहस्साइं चत्तालीसं च ऊसाससहस्साइं जीवइ, चत्तारि य ऊसासकोडिसए जाव चत्तालीसं च ऊसाससहस्साइं जीवंतो अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुंजइ ॥७७।। १. हारोत्थय सं० ॥ २. रिउस सं० ॥ ३.४, आसीयाई सं०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114