Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 99
________________ ___ तंदुलवेयालियपइण्णयं कालो विव निरणुकंपाओ, वरुणो विव पासहत्थाओ, सलिलमिव निन्नगामिणीओ, किविणो विव उत्ताणहत्थाओ, नरओ विव उत्तासणिन्जाओ. खरो विव दुस्सीलाओ, दुटुस्सो विव दुद्दमाओ, बालो इव मुहुत्तहिययाओ, अंधकारमिव दुप्पवेसाओ, विसवल्ली विव अणल्लिाणज्जाओ ५०, दुगाहा इव वावी अणवगाहाओ, ठाणभट्ठो विव इस्सरो अप्पसंसणिजाओ, किंपागफलमिव मुहमहुराओ, रित्तमुट्ठी विव बाललोभणिज्जाओ, मंसपेसोगहणमिव सोवद्दवाओ. जलियचुडली विव अमुच्चमाणडहगसीलाओ, अरिष्टुमिव दुल्लंघणिन्जाओ, कूडकरिसावणो विव कालविसंवायणसीलाओ, चंडसीलो विव दुक्खरक्खियाओ, अइविसायाओ ६० दुगुंछियाओ 'दुरुवचाराओ अगंभीराओ अविस्ससणिजाओ अणवत्थियाओ दुक्खरक्खियाओ दुक्खपालियाओ अरतिकराओ कक्कसाओ दढवेराओ ७० रूव-सोहग्गमउम्मत्ताओ भुयगगइकुडिलहिययाओ कंतारगइट्ठाणभूयाओ कुल-सयण-मित्तभेयणकारियाओ परदोसपगासियाओ कयग्घाओ बलमोहियाओ एगंतहरणकोलाओ चंचलाओ 'जाइयभंडोवगारो विव मुहरागविरागाओ ८० ॥१५५|| .. अवि याइं लाओ 'अंतरं भंगसयं, अरज्जुओ पासो, अदारुया अडवी, अणालस्सनिलओ, अइक्खा वेयरणी, अनामिओ वाही, अवियोगो विप्पलावो, अरुको उपसग्गो, रइवंतो चित्तविन्भमो, सव्वंगओ दाहो ९०, 'अणब्भपसूया वनासणी, असलिलप्पवाहो° समुद्दरओ ९२ ।। १५६ ।। १. दुरूव० सं० । दुरुव-चराओ सा० ॥ २. °गतिट्ठाणभूतातो सं० ॥ ३. कइग्घाओ सं० ॥ ४. °तहिरन्नको° सं० ॥ ५. जोइभंडोवरागो विव वृ० । जोइभंडो विव उवरागाओ वृपा० । जच्चभंडोवरागो विवि सापा० ॥ ६. अंतरंगभंग° सं० वृपा० ॥ ७. अतिक्खवे° सं० । अइक्खवे° वृ०॥ ८. °त्तब्भमो वृ०॥ ९. अणब्भया व वृ०। अणब्भया असणी इति अप्पसूया वज्जाऽसणी इति अप्पसूया वज्जा सुणी इति च पाठभेदत्रयं वृत्तौ ।। १०. 'लप्पलावो सं० वृपा० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114