________________
तंदुलवैचारिकप्रकोणक . के अध्यवसाय वाला. उन्हीं में तत्पर, उन्हीं के लिए क्रिया करने वाला, उन्हीं भावनाओं से भावित, समय के इसी अन्तराल में काल (मृत्यु) को प्राप्त हो जाय (तो) नरक में उत्पन्न होता है । इसलिए हे गौतम ! इस प्रकार कहा जाता है-गर्भ में विद्यमान कोई जीव नरक में उत्पन्न होता है और कोई जीव उत्पन्न नहीं होता है ।
(गर्भस्थ जीव की देवलोकों में उत्पत्ति) (२७) हे भगवन् ! गर्भ में स्थित जीव क्या देवलोको में उत्पन्न होता है ?
हे गौतम! कोई जीव (देवलोक में) उत्पन्न होता है कोई उत्पन्न नहीं होता है। हे भगवन् । ऐसा. किस कारण से कहते हैं कि कोई (जीक) उत्पन्न होता है (और) कोई (जीव) उत्पन्न नहीं होता है? हे गौतम! गर्भ में स्थित संज्ञी पंचेन्द्रिय एवं सब पर्याप्तियों से युक्त जीव वैक्रियलब्धि, वीर्यलब्धि, अवधिज्ञान-लब्धि के द्वारा तथा-- रूप श्रमण या ब्राह्मण के पास में एक भी आर्य एवं धार्मिक सुवचन सुनकर, धारण करके शीघ्र ही संवेग से उत्पन्न तीव्र धर्मानुराग से अनुरक्त होता है । वह धर्म का कामी, पुण्य का कामी, स्वर्ग का कामी, मोक्ष का कामी, धर्म का आकांक्षी, पुण्य का आकांक्षी, स्वर्ग का आकांक्षी, मोक्ष का आकांक्षी, धर्म का पिपासु, पुण्य का पिपासु, स्वर्ग का पिपासु व मोक्ष का पिपासु, उसी में चित्तवाला, उसी के अनुसार मन वाला, उसी के अनुसार लेश्या वाला, उसी के अनुसार अध्यवसाय वाला, उसी में प्रयत्नशील, उसी में तत्पर, उसी के प्रति समर्पित होकर क्रिया करने वाला, उसी भावना से भावित अगर उसी समय में मृत्यु को प्राप्त हो जाय तो देवलोक में उत्पन्न होता है। इसलिए हे गौतम! इस प्रकार कहा जाता है कि कोई (जीव देवलोक में) उत्पन्न होता है, कोई जीव उत्पन्न नहीं होता है।
(गर्भस्थ जीव का माता के समान स्वभाव) (२८) हे भगवन् ! क्या गर्भ में स्थित जीव सीधा लेटता है या पार्श्वशायी
होता है, या वक्राकार होकर लेटता है या खड़ा होता है या बैठता है, सोता है, जागता है अथवा माता के सोने पर सोता है या माता के जागने पर जागता है, माता के सुखी होने पर सुखी होता है एवं दुःखी होने पर दुःखी होता है ?
हे गौतम ! गर्भ में स्थित जीव सीधा लेटता है यावत् दुःखी होने पर दुःखी होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org