Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 67
________________ २४ तंदुलवेयालियपइण्मयं गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुग-बोहिय" उक्कोसायंतपउमगंभीरवियडनाभी उज्जुय-समसहिय-सुजाय-जच्च-तणु -कसिणनिद्ध-आएनलडह-सुकुमाल-मउय-रमणिज्जरोमराई झस-विहगसुजाय-पीणकुच्छी झसोयरा पम्हवियडनाभा. संगयपासा सन्नयपासा सुंदरपासा सुजायपासा .मियमाइय-पीण-रइयपासा अकरंडुयकणगरुयग- निम्मल-सुजाय-निरुवहयदेहधारी पसत्थ-बत्तीसलक्खणधरा कणगसिला-यलुज्जलपसत्थसमतल-उवचिय-वित्थिन्नपिहुलवच्छा सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवरफलिहवट्टियभुया 'भुयगोसरविउलभोगआयाणफलिह-उच्छूढदोहबाहू जुगसन्निभपीण-रइय-पीवरपउट्ठसंठिय-उवचिय-घण - थिर-सुबद्ध - सुवट्ट-सुसिलिट्ठ लट्ठपव्वसंधी रत्ततलोवचिय-मउय-मंसल-सुजाय-लक्खणपसत्यअच्छिद्दजालपाणी पोवर-वट्टिय-सुजाय-कोमलवरंगुलिया तंब-तलिण-सुइरुइरनिद्धनक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा सोत्थियपाणिलेहा ससि-रवि-संख-चक्क-सोत्यियविभत्त-सुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराह-सीह-सदूल-उसभ-नागवरविउल-पडिपुन्न-उन्नय-मउदक्खंधा' चउरंगुलसुपमाण-कंबुवरसरिसगीवा अवट्ठिय-सुविभत्त-चित्तमंसू मंसलसंठिय-पसत्य-सद्लविउलहणुया . ओयवियसिलप्पवाल-बिंबफलसन्निभाटा' पंडुरससिसगलविमल-निम्मलसंख-गोखोरकुंद-दगरय-मुगालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलता सुनिदंता सुजायदंता एगदंतसेढी विव अणेगदंता हुयवहनिद्धत-धोय-तत्ततवणि-जरत्ततल-तालु १. °यअक्कोसायं० सं० पु० । यविक्कोसा वृ० ।। २. °यगेस° पु० ॥ ३.४. सत्थिय° पु० ॥ ५. मउंद° सं० ॥ ६. °धरओट्ठा पंडर० सं०॥ ७. .°सुद्धदं सं० ॥ ८. °दंता से° वृपा० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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