Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 51
________________ मालयपण्णयं ? इस से केणट्ठेणं भंते ! एवं वुञ्चइ - जीवस्स णं गब्भगयस्स -समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा ? गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे जं आहारमाहारेइ तं चिणाइ सोइंदियत्ताए 'चक्खुइदियत्ताए घाणिदियत्ताए जिब्भिदिवत्ताए फासिदिवत्ताए अदि-अट्टिमिंज केस-मंधुरोम - नहत्ताए, से एएणं अद्वेगं गोयमा ! एवं वुच्चइ - जीवस्स णं गन्भयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा ||२०|| [गब्भगयस्स जीवस्स आहारविही] जीवे णं भंते ! गभगए समाणे पहू मुहेणं कावलियं आहार आहारित्तए' ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्टे । से केणट्ठेणं भंते ! एवं बुच्चई - जीवे णं गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारितए ? गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे सव्वओ आहारेइ, सव्वओ परिणामेइ, सव्वंओ ऊससइ, सव्वओ नीससइ; अभिक्खणं आहारेs, अभिक्खणं परिणामेइ, अभिक्खणं ऊससइ, अभिक्खणं नीससइ, आहच्च आहारेइ, आहच्च परिणामेइ, आहच्च ऊससइ, आहच्च नीससइ; से माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी माउजोवपडिबद्धा 'पुत्तजीवंफुडा तम्हा आहारिइ तम्हा परिणामेइ, अवरा वि य णं पुत्तजीवपडिबद्धा माजीवडा हा चिणा तम्हा उवचिणाइ, "से एएणं अट्ठेणं गोयमा । एवं वुच्चइita i गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारेत्तए ||२१| १. क्खुरिदि सं० ॥ २. °ए ? नो इणट्ठे समट्ठे गो० ! से सं० ६० ॥ ३. इणमट्ठे स० पु० ० ॥ ४. पुत्तजीवफुडा सं० हं० ।। ५. सेतेणऽट्ठेणं जाव नो पभू भगवत्यां पाठः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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