Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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२०
तंदुलक्यालियपइण्णय [११] दोण्हं पि रत्त-सुक्काणं तुल्लभावे नपुंसगो। इत्थीओयसमाओगे बिंबं तत्थ पजायइ ।।
। (तंदुलवैचारिक, गाथा-३६) [१२] आउसो ! एवं जायस्स जंतुस्स कमेण दस दसाओ एवमाहिज्जति । तं जहाबाला १ किड्डा २ मंदा ३ बला ४ य पन्ना ५ य हायणि ६ पवंचा ७ । पन्भारा ८ मुम्मुही ९ सायणी य १० दसमा १० य कालदसा ॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-४५) [१३] जायमित्तस्स जंतुस्स जा सा पढमिया दसा। न तत्थ सुक्ख दुक्खं वा छुहं जाणंति बालया १॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-४६) [१४] बीयं च दसं पत्तो नाणाकीडाहिं कीडई। न य से कामभोगेसु तिव्वा उप्पज्जए मई २ ।।
. (तंदुलवैचारिक, गाथा-४७). [१५] तइयं च दसं पत्तो पंच कामगुणे नरो। समत्थो भुंजिउं भोगे जइ से अत्थि घरे धुवा ३॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-४८) [१६] चउत्थी उ बला नाम जं नरो दसमस्सिओ। समत्थो बलं दरिसेउं जइ सो भवे निरुवद्दवो ४॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-४९) [१७] पंचमी उ दसं पत्तो आणुपुव्वीइ जो नरो। समत्थो अत्थं विचितेउं कुडुंबं चाभिगच्छई ५ ॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-५०) [१८] छट्ठी उ हायणी नाम जं नरो दसमस्सिओ। विरज्जइ काम-भोगेसु, इंदिएसु य हायई ६॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-५१)
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