Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 36
________________ अन्य आगम ग्रन्थ २७ [२५] अरहा जिणे केवली, सत्त हत्थुस्सेहे समचउरसं ठाणसंठिए वज्जरिसहनाराय संघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकगहणी कवोयपरिणामे सउणिपोसपिट्ठेतरोरूपरिणए पउमुप्पलगंधसरिसनिस्साससुरभिवयणे छवी, निरायंकउत्तम-पसत्य-अइसेयनिरुवमपले, जल्ल-मल्ल- कंलक-सेय-रय दोसवज्जियसरीसनिरुवलेवे छायाउज्जोइयंग मंगे 1 ( औपपातिक सूत्र - मधु०, पृ० १६) [२६] छव्विहे संघयणे पण्णत्ते तंजहा -- वइरोसभ-णाराय-संघयणे, उसभणाराय- संघयणे, णारायसंघयणे, अद्धणारायसंघयणे, खीलिया - संघयणे, छेवट्टसंघयणे । (स्थानांग-मधु०, पृ० ५४१-३०) [२७] छब्बिहे संठाणे पण्णत्ते, तंजहा - समचउरंसे, जग्गोहपरिमंडले, साई, खुज्जे, वामणे, हुंडे । ( स्थानांग - मधु०, पृष्ठ ५४१-३१) [२८] तत्थ कोउसयएहि बहुविहेहि कल्लाणग-पवर - मज्जणा - वसाणे पम्हल-सुकुमाल - गंध-कासाइय- लूहियंगे सरस-सुरहि-गोसीस चंदणा पुलित्त गत्ते अहय सुमहग्घ-दूस रयण-सुसंवुए सुइमाला-वण्णग-विलेवणे आविद्ध-मणि-: सुवणे कप्पिय-हार-द्धहार-तिसरय- पालंब - पलंबमाण- कडिसुत्त-सुकय-सोभे पिणद्ध- गेविज्ज-अंगुलिज्जग-ललियंगयललिय-कया-भरणे वर- कडग-तुडिय-थं भय-भूए अहिय-रूव सस्सिरीए मुद्दिया - पिंगलं-गुलिए कुंडल-उज्जोविया -- णणे मउडदित्त - सिरए हारोत्थय सुकय- रइय-वच्छे पालंब - पलंबमाण-पड-सुकय- उत्तरिज्जे णाणा-मणि-कणग-रयण- विमल-महरिह- णिउणो-वियमिसिमिसंत- विरइय-सुसिलिट्ठ - विसिदृ-लट्ठ-संठिय-पंसत्थ- आविद्ध- वीर-वलए । कि बहुणा ! कप्परूक्खए चेव अलंकिय- विभूसिए णरवई ( औपपातिक - घासी०, पृ० ३९४-९९ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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