Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 38
________________ अन्य आगम ग्रन्थ [२९] असंखिज्जाणं समयाणं समुदयसमिति-समागमेणं सा एगा आवलि अत्तिवुच्चइ, संखेज्जाओ आवलियाओ ऊसासो, संखिजाओ आवलियाओ नीसासो। [३०] हटुस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसास-नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥ [३१] सत्त पाणुणि से थोवे सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए । (अनुयोगद्वार-घासी०, पृ० २४८) [३२] तिणि सहस्सा सत्त य सयाई तेहुत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणिओ, सव्वेहि अणंतनाणीहिं । (अनुयोगद्वार-घासी०, पृ० २४८) [३३] एएणं मुहुत्त-पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं । पण्णरस अहोरत्ता पक्खा, दो पक्खा मासा ।। (अनुयोगद्वार-घासी०, II-२४८) [३४] जं पि य इमं सरीरं इठें, कंतं, पियं मणुण्णं मणाम, पेज्ज, थेज्ज, वेसासियं संमयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा, मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा, मा णं वाइयपित्तियसंनिवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु ..." ( औपपातिकसूत्र-मधु०, पृ० १३८ ). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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