Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 47
________________ तंदुलवेयालियपइण्णयं (गब्भुष्पत्तिजोग्गाए थीजोणीए सरूवं) आउसो!-इत्थीए नाभिहेढा सिरादुगं पुप्फनालियागारं । तस्स य हेट्ठा जोणी अहोमुहा संठिया कोसा' ॥९॥ तस्स य हिट्ठा चूयस्स मंजरी तारिसा उ मंसस्स । ते रिउकाले फुडिया सोणियलवया विमुंचंति ॥ १० ॥ कोसायारं जोणी संपत्ता सुक्कमीसिया जइया । तइया जीवुववाए जोग्गा भणिया जिणिदेहिं ॥ ११॥ बारस चेव मुहुत्ता उरि विद्धस गच्छई सा उ। जीवाणं परिसंखा लक्खपुहत्तं च उक्कोसा ।। १२॥ (थीजोणीए पुरिसबीअस्स य पमिलाणकालो) पणपण्णाय परेणं . जोणी पमिलायए महिलियाणं । पणसत्तरीय परओ पाएण पुमं भवेबीओ॥ १३ ॥ वाससयाउयमेयं, परेण जा होइ पुव्वकोडीओ।। तस्सद्ध अमिलाया, सव्वाउयवीसभागो उ ।। १४ ।। (पिउसंखा उक्कोसो गब्भवासकालो य) रत्तुक्कडा य इत्थी, लक्खपुहत्तं च बारस मुहुत्ता। पिउसंख सयपुहत्तं, बारस वासा उ गब्भस्स ॥ १५ ॥ १. खड्गविधानकाकारेत्यर्थः ॥ २. जोणि संपत्ता सुक्कमिस्सिया सं० ।। ३. पुहुत्तं जे०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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