Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 31
________________ २२ तंदुलवेयालियपइण्णय [१९] सत्तमी य पवंचा उ जं नरो दसमस्सिओ। निळूभइ चिकणं खेलं खासई य खणे खणे ७॥ (तंदुलवैचारिक, गाथा-५२) [२०] संकुइयवलीचम्मो संपत्तो अमि दसं। नारीणं च अणिट्ठो उ जराए परिणामिओ ८॥ (तंदुलवैचारिक, गाथा-५३) [२१] नवमी मुम्मुही नामं जं नरो दसमस्सिओ। जराघरे विणस्संते जीवो वसइ अकामओ ९॥ __ (तंदुलवैचारिक, गाथा-५४) [२२] हीण-भिन्नसरो दीणो विवरीओ विचित्तओ। दुब्बलो दुक्खिओ सुयइ संपत्तो दसमि दसं १० ॥ - (तंदुलवैचारिक, गाथा-५५) [२३] पुण्णाई खलु आउसो ! किच्चाई करणिज्जाइं पीइकराई वनकराई धणकराई कित्तिकराई। नो य खलु आउसो ! एवं चितेयव्वं-एसिति खलु बहवे समया आवलिया खणा आणापाणु थोवा लवा मुहत्ता दिवसा अहोरत्ता पक्खा मासा रिऊ अयणा संवच्छरा जुगा वाससया वाससहस्सा वाससयसहस्सा, वासकोडीओ..." (तंदुलवैचारिक, सूत्र-६४) [२४] ते णं मणुया अणतिवरसोम-चारुरूवा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा सुजायसव्वंगसुंदरंगा रत्तुप्पल-पउमकर-चरणकोमलंगुलितला नग-णगरमगर-सागरचक्कंकधरंकलक्खणंकियतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अणुपुब्बिसुजाय-पीवरंगुलिया उन्नय-तणु-तंब-निद्धनहा संठिय-सुसिलिट्ठ-गूढगोप्फा एणी-कुरुविंदावत्तवट्टाणुपुग्विजंघा सामुग्गनिमग्गगूढजाणू गयससणसुजायसन्निभोरू वरवारणमत्ततुल्लविक्कम-विलासियगई सुजायवरतुरयगुज्झदेसा आइन्नहउ ब्व निरुवलेवा पमुइयवरतुरग-सीहअइरेगवट्टियकडी साहयसोणंद-मुसलदप्पण-निगरियवरकणगच्छरुसरिस-वरवइरवलियमज्झा गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुण-बोहिय' उक्कोसायंतपउमगंभीर-वियडनाभी उज्जुय-समसहिय-सुजाय-जच्च-तणु -कसिणनिद्ध-आएज्जलहह-सुकुमाल-मउय-रमणिज्जरोमराई झस-विहगसुजाय-पीणकुच्छी झसोयरा पम्हवियडनाभा संगयपासा सन्नयपासा सुंदरपासा · सुजायपासा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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