Book Title: Agam 28 Prakirnak 05 Tandul Vaicharik Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 25
________________ तंदुलपेयालियपइण्णयं [४] जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किमाहारं आहारेइ ?, गोयमा ! जं से माया नाणाविहाओ रसविगईओ तित्त-कडुय-कसायंबिल-महुराई. दव्वाइं आहारेइ तओ एगदेसेणं ओयमाहारेइ । (तंदुलवैचारिक, सूत्र-२२) [५] कइ णं भंते ! माउअंगा पण्णत्ता ? गोयमा! तओ माउअंगा पण्णत्ता, तं जहा–मसे १ सोणिए २ मत्थुलुंगे ३ । कइ णं भंते ! पिउअंगा पण्णत्ता ? गोयमा! तओ पिउअंगा पण्णत्ता, तं जहा-अट्ठि १ अट्ठिमिजा २ केस-मंसु-रोम-नहा ३। (तंदुलवैचारिक, सूत्र-६५) [६] जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे नरएसु उववजिन्ना ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेन्ना अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा । से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवे णं गब्भगए समाणे नरएसु अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए. नो उववज्जेजा ? गोयमा ! जे णं जीवे गब्भगए समाणे सन्नी पंचिदिए. सव्वाहि पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वेउव्विअलदीए वेउव्वियलद्धिपत्ते पराणी आगयं सोच्चा निसम्म पएसे निच्छुहइ, २ त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ, २ ता चाउरंगिणि सेन्नं सन्नाहेइ, सन्नाहित्ता पराणीएण सद्धिं संगाम संगामेइ, से णं जीवे अत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, अत्थकंखिए रज्जकंखिए भोगकंखिए. कामकंखिए, अत्थपिवासिए रज्जपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए. तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते. तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयंसिं च णं अंतरंसि कालं करेज्जा नेरइएसु उववज्जेज्जा, से एएणं अटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवे ] गब्भगए समाणे नेरइएसु अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो. उववज्जेज्जा। (तंदुलवैचारिक, सूत्र-२६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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