Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 24
________________ ८ प्रज्ञापनासूत्रे 9 देशानां पक्षाणाम् यावत् निःश्वसन्ति वा महाशुक्रदेवाः खलु भदन्त ! कियत्फालस्य आनन्ति वा यावत् - निश्वसन्ति वा, गौतम ! जघन्येन चतुर्दशानां पक्षाणाम् उत्कृष्टेन सप्तदशानां पक्षाणाम् यावत्- निःश्वसन्ति वा, सहस्रारदेवाः खलु भदन्त ! कियत्कालस्य आनन्ति वा यावत् निःश्वसन्ति वा? गौतम ! जघन्येन सप्तदशानां चक्षाणाम् उत्कृष्टेन अष्टादशानी पक्षाणां यावत् निःश्वसन्ति वा, आनतदेवाः खलु भदन्त ! कियत्कालस्य यावत् निःश्वसन्ति वा ? गौतम ! जघन्येन अष्टादशानां पक्षाणाम्, उत्कृष्टेन एकोनविंशतेः पक्षाणां यावत्निःश्वसन्ति वा प्राणतदेवाः खलु भदन्त ! कियत्कालस्य यावत् निःश्वसन्ति वा? गौतम ! देव कितने काल में यावत् श्वास लेते हैं ? (गोयमा ! जहणेणं दसहं पक्खाणं उक्कोसेणं चउदसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति) हे गौतम ! जघन्य दश पक्षों में, उत्कृष्ट चौदह पक्षों में यावत् निःश्वास लेते हैं ( महासुक्कदेवाणं भंते ! केवहकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ?) हे भगवन् ! महाशुक्र कल्प के देव कितने काल में यावत् निश्वास लेते हैं ? (गोवमा ! जहण्णेणं चउदसण्हं पक्खाणं उक्को सेणं सत्तर सण्हं पक्खाणं जाव नीससंति) हे गौतम ! जघन्य चौदह पक्ष में, उत्कृष्ट सत्तरह पक्षों में यावत् निश्वास लेते हैं (सहस्सारगदेवाणं भंते ! hasकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ?) हे भगवन् ! सहस्रारकल्प के देव कितने काल में उच्छ्वास यावत् निश्वास लेते हैं ? ( गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरसहं पक्खाणं उक्कोंसेणं अट्ठारसण्डं पक्खाणं जाव नीससंति) हे गौतम ! जघन्य सत्तरह पक्षों में, उत्कृष्ट अठारह पक्षों में यावत् निश्वास लेते हैं (आणय देवाणं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ) हे भगवन् ! आनत कल्प के देव कितने काल में यावत् निश्वास लेते हैं ? (गोवमा ! जहण्णेणं अट्ठारसहं पक्खाणं, उक्कोसेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव निससंति वा ? ) हे (महाक देवाणं भंते! केवइय कालरस आणमंति वा जाव नीससंति ?) हे भगवन् ! भड्डाशु ना देव डेटा अमां यावत् निश्वास से छे ? (गोयमा ! जवणेणं चउदसह पक्खाणं, उक्कोसेर्ण सत्तरसहं पक्खाणं जाव नीससंति) हे गौतम! धन्य यौ પક્ષેામાં, ઉત્કૃષ્ટ સત્તર પક્ષમાં યાવત્ નિશ્વાસ લે છે ( सहस्सारग देवाणं भंते! केवइयकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ) ड़े लग - वन् ! सहुसार मुदना देव डेंटला आणभां च्छूवास यावत् निश्वास से छे ? (गोयमा ! जहणे सत्तरसह पक्खाणं उक्कोसेणं अट्ठारसह पक्खाणं जाव नीससंति) हे गौतम ! જઘન્ય સત્તર પક્ષેામાં, ઉત્કૃષ્ટ અઢાર પક્ષેામાં યાવત્ નિશ્વાસ લે છે ( आणयदेवाणं भंते! केवइयकालस्स आणमंति जाव नीससंति वा ? ) हे भगवन् ! मानत मुहपना देव डेटा अणभां यावत् निश्वास से छे (गोयमा ! जहणणं अट्ठारसह पक्खाणं, उक्कोसेणं एगूणवीसाए पक्खाणं, जाव नीससंति वा ) हे गौतम! धन्य मदार પક્ષામાં, ઉત્કૃષ્ટ ઓગણીસ પક્ષામાં યાવત્ નિશ્વાસ લે છે श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3

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