Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: ZZZ Unknown
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RASAKARAOKAAR
अथ सप्तमी प्रतिपत्तिः । तदेवमुक्ता सप्तविधप्रतिपत्तिरधुना क्रमप्राप्तामष्टविधप्रतिपत्तिमाहतत्थ जे ते एकमाइंसु-अद्दविहा संसारसमावण्णगा जीवा ते एकमाहंसु-पढमसमयनेरतिया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया पढमसमयमगुस्सा अपढमसमयमगुस्सा पदमसमयदेषा अपढमसमयदेवा ॥ पढ़मसमयनेरइयस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता?, गोयमा! पढमसमयनेरझ्यस्स जह० एकं समयं उक्को० एक समयं । अपढमसमयनेरइयस्स जह. दसवाससहस्साई समऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई समऊणाई। पढमसमयतिरिक्त्रजोणियस्स जह० एवं समयं उदो० एक समयं, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहरू खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को तिन्नि पलिओवमाइं समजणाई, एवं मणुस्साणवि जहा तिरिक्खजोणियाणं, देवाणं जहा परतियाणं ठिती ॥ गेरइयदेघाणं जचेव ठितीसचेव संचिट्ठणा दुविहाणवि । पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पढ० कालओ केवचिरं होति?, गोयमा ! जह. एकं समयं उक्को एक समय, अपढमतिरिक्खजोणियस्स जहा खुड्डागंभयग्रहणं समऊणं उक्कस्सेणं वणस्सतिकालो। पढमसमयमणुस्साणं जह० उ० एक समयं,
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