Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: ZZZ Unknown
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उक्कस्सेणं एगिंद्रियाणं वणस्सतिकालो, येइंदियतेइंदियच उरिंदियाणं संखेजं कालं पंचेंद्रियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं । पढमसमयएगिंदियाणं केवतियं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहणं दो खुड्डागभबग्गहणाई समऊणाई, उक्को० घणस्सतिकालो, अपढमएगिंदिय० अंतरं जहण्णेणं खु डागं भवग्गणं समयाहियं उक्को० दो सागरोवमसहस्साइं संखेजषासमन्भहियाई, सेसाणं सव्वेर्सि पदमसमयिकाणं अंतरं जह० दो खुड्डाई भवरगहणाई समकणारं को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जपणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समग्राहियं उशो० वणस्सतिकालो || पढमसमक्ष्याणं सव्वेसि सम्यस्थोवा पहमसमयपचंदिया पढम० चउरिंदिया विसेसाहिया पढम० तेइंदिया विसेसाहिया प० बेइंदिया विसेसाहिया प० एमिंदिया विसेसाहिया ॥ एवं अपदमसमयिकावि णवरि अपढमसमयएगिंदिया अनंतगुणा । दोण्हं अप्पवहू, सवत्थोवा पदमसमयए गिंदिया अपढमसमयएगिंदिया अनंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पदमसमयिगा अष्टम० असंखेज्जगुणा । एतेसि णं भंते! पदमसमयएगिंदियाणं अपढमसमयए गिंदियाणं जाव अपदमसमयपंचिंदियाण य कयरे २१, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंद्रिया पदमसमयचरिंदिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया एवं हेडामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया अपढमसमयपंचेंद्रिया असंखेज्जगुणा अपढमसमयचरिंदिया विसेसाहिया जाय
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