Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01  Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 10
________________ उ० 36 ४० ४० m m ००० m m m ४३ ४५ ४८ પર २४ पन्द्रहवें ज्ञानद्वारा नि३पारा २५ सोलहवें योगद्वार छा थन २६ सत्रहवें उपयोगद्वारा नि३पारा २७ अठाहरखें आहारद्वार हा नि३पा २८ उन्नीसवें उत्पातद्वार छा नि३पारा जीसवें स्थितिद्वार हा नि३पारा उ० छठवीसवें समुद्रधातद्वार ठा नि३पा ३१ आवीसवें व्यवनद्वार छा नि३पारा 3२ तेवीसवें गत्यागतिद्वार छा नि३पारा 33 आघ्र पृथ्वीष्ठाय छवों भेटों ठा नि३पारा उ४ आटर पृथ्वीष्ठाथिष्ठों हे अवगाह आहिद्वारों छा नि३पाया उप अप्ठाठि छावों हे शरीराद्विारो ठा नि३पाए। उ६ प्रत्येष्ठ वनस्पतिष्ठाय छवों शरीराद्विारो ठा नि३पा उ७ साधारा वनस्पतिष्ठाय छवों ठेठा नि३पारा 3८ यसष्ठाय आदिवों हे शरीराद्धिारोष्ठा नि३पारा 3८ औघारित्रस छवों छा नि३पारा ४० त्रीन्द्रिय छवं यतुरिन्द्रिय छवों छा नि३पाय ४१ पय्येन्द्रिय छवों हा नि३पारा ४२ सम्भूर्छिभ जयराठि तिर्थ पय्येन्द्रिय छवों छा नि३पाया ४३ सम्भूछिभ स्थलयर पय्येन्द्रिय छवों छा नि३पारा ४४ स्थलयर यतुष्पघाहि पथ्येन्द्रिय तिर्यज्योनिष्ठों उा नि३पा ४५ गर्भव्युत्छान्तिष्ठ पय्येन्द्रिय तिर्यज्योनिठवों छा नि३पारा रा ४६ गर्भव्युत्छान्तिठस्थलयरवों छा नि३पा ४७ गर्भव्युत्छान्तिष्ठ जेयर छवों छा नि३पारा ४८ गर्भव्युत्छान्तिठ भनुष्यों हा नि३पाया ४८ हेवोंठा नि३पारा ५० स्थावरभाव और त्रसभाव ही लवस्थिति छवं डालभान ठा नि३पारा प ६० ૬૫ T ७१ (૭પ ७५ ८६ ८१ ८४ ८६ ૧૦૩ १०८ જીવાભિગમસૂત્ર

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