Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ सम्पादकीय 'नायाधम्मकहाओ' धर्मकथानुयोग का प्रमुख ग्रन्थ है। इसमें कथा के माध्यम से अध्यात्म के महत्त्वपूर्ण रहस्यों का अनावरण हुआ है। इसके सम्पादन में अनुवाद, टिप्पण और परिशिष्ट की समायोजना की गई है। प्रत्येक अध्ययन के प्रारम्भ में आमुख है और इसकी समाप्ति छह परिशिष्टों के साथ हुई है। सहयोगानुभूति हमारी इस व्यवस्था के प्रमुख गणाधिपति श्री तुलसी रहे हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन कर्म के अनेक अंग हैं-पाठ का अनुसंधान, भाषान्तर, समीक्षात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवृत्तियों में गुरुदेव का हमें सक्रिय योग, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। यही हमारा इस गुरुतर कार्य में प्रवृत्त होने का शक्तिवीज है। इसके अनुवाद का कार्य साध्वी कनकश्री को सौंपा गया था। उन्होंने पूर्ण निष्ठा और श्रम के साथ अनुवाद का कार्य सम्पन्न लगा व पर्याप्त परिशोधन किया गया। परिशोधन कार्य में साध्वी श्रुतयशा, साध्वी मुदितयशा, साध्वी शुभ्रयशा व साध्वी विश्रुतविभा ने काफी श्रम किया। मुनि हीरालाल जी व मुनि धनंजयकुमार जी की संलग्नता भी उपयोगी रही। आचार्य महाप्रज्ञ १७ जून, २००३ उधना Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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