________________ त्रर्यात्रिशत्स्थानक समवाय] | 97 18. सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता रायणिएण सद्धि आहरेमाणे तत्थ सेहे खद्धं-खद्धं डाय-डायं ऊसढं-ऊसढं रसितं-रसितं मणुण्णं-मणुण्णं मणाम-मणामं निद्धं-निद्धं लुक्खं-लुक्खं आहरेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स / 19. सेहे रायणियस्स वाहरमाणस्स अपडिसुणेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। 20. सेहे रायणियस्त खद्धं-खद्धं वत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स / 21. सेहे रायणियस्स 'क' ति वइत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। 22. सेहे रायणियं 'तुम' ति वत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। 23. सेहे रायणियं तज्जाएण-तज्जाएण पडिभणित्ता भवइ, आसायणा सेहस्स / 24. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स 'इति एवं' ति वत्ता न भवति, आसायणा सेहस्स। 25. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स 'नो सुमरसी' ति वत्ता त भवति, आसायणा सेहस्स। 26. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं अच्छिदित्ता भवति, प्रासायणा सेहस्स / 27. सेहे रायणियस्स कहं कमाणस्स परिसं भेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। 28. सेहे रायणियस्स कहं कमाणस्स तीसे परिसाए अणुट्ठिताए अभिन्नाए अवुच्छिन्नाए अव्वोगडाए दोच्चं पि तमेव कहं कहिता भवति, आसायणा सेहस्स / 29. सेहे रायणियस्स सेज्जा-संथारगं पाएणं संघट्टित्ता, हत्थेणं अणणुण्णवित्ता गच्छति, आसायणा सेहस्स। 30. सेहे रायणियस्स सेज्जा-संथारए चिट्टित्ता वा निसीइत्ता वा तुट्टित्ता वा भवइ, आसायणा सेहस्स। 31. सेहे रायणियस्स उच्चासणे चिट्ठित्ता वा निसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवति, आसायणा सेहस्स। 32. सेहे रायणियस्स समासणे चिट्टित्ता वा निसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवति, आसायणा सेहस्स। 33. सेहे रायणियस्स आलवमाणस्स तत्थगए चेव पडिसुणित्ता भवइ प्रासायणा सेहस्स / सम्यग्दर्शनादि धर्म की विराधनारूप अाशातनाएं तेतीस कही गई हैं। जैसे१. शैक्ष (नवदीक्षित या अल्प दीक्षा-पर्यायवाला) साधु रात्निक (अधिक दीक्षा पर्याय ___वाले) साधु के प्रति निकट होकर गमन करे / यह शैक्ष की पहली प्राशातना है। 2. शैक्ष साधु रात्निक साधु से आगे गमन करे। यह शैक्ष की दूसरी आशातना है / 3. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से चले / यह शैक्ष की तीसरी आशातना है। 4. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे खड़ा हो, यह शैक्ष की चौथी पाशातना है। 5. शैक्ष साधु रानिक साधु के साथ बराबरी से खड़ा हो। यह शैक्ष की पाँचवीं पाशातना है। 6. शैक्ष साधु रात्निक साधु के प्रतिनिकट खड़ा हो। यह शैक्ष की छठी पाशातना है। 7. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे बैठे। यह शैक्ष को सातवीं पाशातना है। 8. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से बैठे। यह शैक्ष की आठवीं पाशातना है। 9. शैक्ष साधु रात्निक साधु के अति समीप बैठे / यह शैक्ष की नवीं पाशातना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org