Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti
________________ परिशिष्ट -प्रन्थगतगाथानुक्रमणिका] [245 231 HNNY KcWRG للہ اس و 15 و و م ه له لم له سه لرم لم 00000 242 27 له m m 50 चउसट्ठी असुराणं चत्तारि दुवालस अट्ठ जं निस्सिए उवहणइ जस्सिणी पुप्फचूला य जाणमाणे परिसग्रो जायतेयं समारब्भ जियरागमग्गिसेणं जे प्रमाणुस्सए भोए जे कहाहिगरणाई जे नायगं च रटुस्स जे य पाहम्मिए लोए जे यावि तसे पाणे णग्गोह सत्तिवण्णे णाभी य जियसत्तू य तत्तो हवइ सयाली तहेवाणंतनाणीणं तिदुग पाडल जंबू तिण्णेव गाउयाई तिलए य लोहजंधे तिविठे य दुविठे य तीसा य पण्णवीसा दस चोद्दस अट्ठारसेव दावद्दवे उदगणाए दिण्णे य वराहे पुण दीव-दिसा-उदहीणं दुविठू य तिविठू य धिइ-मई य संवेग नंदी य नन्दिमित्त नवमो य महापउमो नेयाउयस्स मगस्स पउमा सिवासुई तह पउमुत्तरे महाहरी पउमे य महापउमे पच्चक्खाणे विउस्सग्गे पढमा होई सुभद्दा पढमेत्थ उसभसेणे 201 पढमेत्थ उसभसेणे 194 पढमेत्थ वइरनाभे 86 पढमेत्थ विमलवाहण 231 पयावई य बंभे पाणिणा संपिहित्ताणं 85 पुणो पुणो पणिधिए 238 बंभी य फग्गु सामा 87 बत्तीसं धणुयाई 86 बत्तीसट्टा वीसा 86 बहुजणस्स नेयारं 87 बारस एक्कारसमे 85 बोधव्वा देवई य 230 भद्दा तह सुभद्दा य 226 भरहे य दीहदंते 39 भरहो सगरो मघवं 86 मत्तंगया य भिंगा 230 मंदर जसे अरिठे 230 मंदर मेरु मणोरम 241 मरुदेवी विजया सेणा 236 महाप उमे सूरदेवे 201 महुरा य कणगवत्थू 194 मिगसिर अद्दा पुस्से 59 मित्तदामे सुदामे य 231 मियवाहणे सुभूमे य 201 मियवई उमा चेव 240 वदामि जुत्तिसेणं 93 वयछक्कं कायछक्कं 240 विमले उत्तरे अरहा 232 विसनन्दी य सुबन्धू 86 विस्सभूई पव्वयए 231 संगाणं च परिण्णाया 232 संभूय सुभद्द सुदंसणे 240 संवरे अणियट्टी य 93 सच्छत्ता सपडागा 233 सढे नियडीपण्णाणे 227 सतभिसय भरणि अद्दा 226 239 له له له 233 238 236 م لله لله لله و Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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