Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ ४५ ४७ ४८ ५० ५१ ५६ ५८ करण्डकके दृष्टान्तसे आचार्यादिकोका निरूपण ३१८-३२० वृक्षके दृष्टान्तसे आचार्यके स्वरूपका निरूपण ३२२-३२५ मत्स्यादिके दृष्टान्त से पुरुषजातका निरूपण ३२६-३३७ क्षुद्रप्राणियोका निरूपण ३३८-३४० पक्षीके दृष्टान्तसे भिक्षुकका निरूपण ३४१ पुरुषजातका निरूपण ३४२-३४८ चार प्रकारके दिव्यादि संवासका निरूपण ३४९-३५२ अमुरादि चार प्रकारके अपध्वंसका निरूपण ३५३-३६३ मत्रज्याके स्वरूपका निरूपण ३६४-३७५ संज्ञाके स्वरूपका निरूपण ३७६-३७८ कामके स्वरूपका निरूपण ३७९-३८० उदकके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण ३८१-३९२ कुम्भके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण ३९३-४०५ उपसर्गके स्वरूपका निरूपण ४०६-४१३ कर्म विशेषका निरूपण ४१४-११८ चार प्रकारके संघके स्वरूपका निरूपण ४१९-४२१ चार प्रकारकी बुद्धिके स्वरूपका निरूपण ४२२-४३२ जीवके स्वरूपका निरूपण ४३३-४३५ जीवके अन्तर्गत पुरुषविशेषका निरूपण ४३६-४४१ दीन्द्रिय जीवोंको असमारममाण और समारभमाण के संयमासंयमका निरूपण ४४२-४४४ नैरयिक जीवोंकी क्रियाका निरूपण ४४५-४४६ क्रियावान् जीयका विद्यमान गुणोका नाश और अपि द्यमान गुणोंका प्रकट होनेका कथन ४४७-४५२ धर्मद्वारका निरूपण नारकत्वादिके साधनभूत कर्म द्वारका निरूपण ४५४-४५८ वाद्यादिके भेदोंका निरूपण ४५९-४६७ सनत्कुमारादिकोंके विमानों के स्वरूपका निरूपण ४६८-४७१ जलगभंका निरूपण ४७२-४७४ मानुषीके गर्भका निरूपण ४७५-४७८ चार प्रकारके काव्योंके स्वरूपका निरूपण ४७९-४८० ६२ ४५३ श्री. स्थानांग सूत्र :03

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