Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ २२ २६ २७ ३२ दुःस्थित साधुकी दुःखशय्या और सुस्थित साधुकी सुखशय्याका निरूपण ११४-१३१ चार प्रकारके पुरुषजात विषयक चौदह चतुर्भङ्गीका निरूपण १३२-१५७ कन्थकके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण १५८-१७६ अप्रतिष्ठान आदि नरकोंका आयाम और विष्कष्भसे साम्य का निरूपण १७७-१७९ ऊर्ध्व-अधस्तीर्यग्लोकके द्विशरीरि जीवोंका निरूपण १८०-१८३ हीसत्व-आदि चार प्रकारके पुरुषजातका निरूपण १८४-१८५ चार प्रकारके अभिग्रहका निरूपण १८६-१८९ चार प्रकार के शरीरका निरूपण १९०-१९३ चार प्रकारके अस्तिकायसे उत्पद्यमान बादरकायसे लोकस्पृष्टत्वका निरूपण १९४-१९७ चतुर्विध अस्तिकायादिकोका प्रदेशाग्रतुल्यत्व आदिका निरूपण १९८-१९९ पृथिवीकाय आदि चारोंका सूक्ष्मशरीरके अदृश्यत्व का निरूपण २००-२०३ जीव और पुद्गलके गतिधर्मका निरूपण २०४-२०५ दृष्टान्त के भेदों का कथन २०६-२५८ अधोलोक-अध्यलोकमें रहे हुवे अन्धकार और उद् घोत के कारणों का निरूपण २५९-२६१ चौथे स्थानका चौथा उद्देशाःपसर्पकोका निरूपण २६२-२६५ नारकोंके आहारका निरूपण २६६ तिर्यक-मनुष्य-और देवों के आहारका निरूपण २६७-२६९ आशीविष-सौ के स्वरूपका निरूपण २७०-२७२ व्याधिके भेदों का निरूपण २७३-२७७ चिकित्सकके स्वरूपका निरूपण २७८-२८८ व्रण आदि दृष्टान्त से पुरुषजातका निरूपण २८९-२९९ क्रियावादी वगैरह तीथिकों के स्वरूपका निरूपण ३००-३०३ मेघके दृष्टान्त द्वारा पुरुषजातका निरूपण ३०४-३१८ ३४ श्री स्थानांगसूत्र :०३

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