Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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दुःस्थित साधुकी दुःखशय्या और सुस्थित साधुकी
सुखशय्याका निरूपण ११४-१३१ चार प्रकारके पुरुषजात विषयक चौदह चतुर्भङ्गीका
निरूपण १३२-१५७ कन्थकके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण १५८-१७६ अप्रतिष्ठान आदि नरकोंका आयाम और विष्कष्भसे
साम्य का निरूपण १७७-१७९ ऊर्ध्व-अधस्तीर्यग्लोकके द्विशरीरि जीवोंका निरूपण १८०-१८३ हीसत्व-आदि चार प्रकारके पुरुषजातका निरूपण १८४-१८५ चार प्रकारके अभिग्रहका निरूपण
१८६-१८९ चार प्रकार के शरीरका निरूपण
१९०-१९३ चार प्रकारके अस्तिकायसे उत्पद्यमान बादरकायसे
लोकस्पृष्टत्वका निरूपण १९४-१९७ चतुर्विध अस्तिकायादिकोका प्रदेशाग्रतुल्यत्व आदिका
निरूपण १९८-१९९ पृथिवीकाय आदि चारोंका सूक्ष्मशरीरके अदृश्यत्व का
निरूपण २००-२०३ जीव और पुद्गलके गतिधर्मका निरूपण
२०४-२०५ दृष्टान्त के भेदों का कथन
२०६-२५८ अधोलोक-अध्यलोकमें रहे हुवे अन्धकार और उद्
घोत के कारणों का निरूपण २५९-२६१ चौथे स्थानका चौथा उद्देशाःपसर्पकोका निरूपण
२६२-२६५ नारकोंके आहारका निरूपण
२६६ तिर्यक-मनुष्य-और देवों के आहारका निरूपण २६७-२६९ आशीविष-सौ के स्वरूपका निरूपण
२७०-२७२ व्याधिके भेदों का निरूपण
२७३-२७७ चिकित्सकके स्वरूपका निरूपण
२७८-२८८ व्रण आदि दृष्टान्त से पुरुषजातका निरूपण २८९-२९९ क्रियावादी वगैरह तीथिकों के स्वरूपका निरूपण ३००-३०३ मेघके दृष्टान्त द्वारा पुरुषजातका निरूपण ३०४-३१८
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श्री स्थानांगसूत्र :०३