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नय और निक्षेप ८३ पाश्चात्य तर्क में अनुमान के भेद :
पाश्चात्य तर्क शास्त्र में अनुमान के दो भेद माने गए हैं१. आगमनात्मक (Inductive-Inference) २. निगमनात्मक (Deductive-Inference)
१. आगमनात्मक अनुमान में, विशेष नियमों के आधार पर, सामान्य नियम की स्थापना करते हैं। कुछ से सबकी ओर जाते हैं। जैसे कि राम, श्याम, सीता एवं राधा आदि मनुष्यों को मरणशील देखकर, सामान्य नियम बनाते हैं, कि सभी मनुष्य मरणशील हैं।
२. निगमनात्मक अनुमान में, सामान्य नियम से विशेष नियम की ओर जाते हैं। सबसे कुछ की ओर जाते हैं। जैसे कि सभी मनुष्य मरणशील हैं। सभी शिक्षक मनुष्य हैं। अतः सभी शिक्षक मरण-शील हैं। एक दूसरा उदाहरण भी देखिए
सभी मनुष्य मरणशील हैं, श्याम मनुष्य है, अतः श्याम मरण शील है।
पाश्चात्य तर्क-शास्त्र में, अरस्तू (Aristotle) ने, जोसेफ (Joseph) ने और कांट (Kant) ने पर्याप्त लिखा है। इनके मत प्रामाणिक माने जाते रहे हैं। इनके अतिरिक्त मिल (Mill) ने तथा वेल्टन (Welton) आदि ने भी अपने ग्रन्थों में तर्क (Logic) पर काफी प्रकाश डाला है। पाश्चात्य तर्क-शास्त्र में, मिल और कांट ने बहुत कुछ नया दिया है। दोनों के नाम विशेष रूप में उल्लेख योग्य हैं।
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