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अध्यात्म-प्रवचन
निर्युक्ति व्याख्या ग्रन्थ :
आगमों पर सर्वप्रथम व्याख्या ग्रन्थ, आचार्य भद्रबाहु कृत नियुक्ति हैं। दशवैकालिक मूल सूत्र पर भी नियुक्ति उपलब्ध है, उसमें श्रावक की एकादश प्रतिमाओं का एक गाथा सूत्र में वर्णन किया है
१. दंसण पडिमा
३. सामाइय पडिमा
५. अबंभ पडिमा
७. आरम्भ पडिमा
९. उद्दिट्ठ भत्त परिण्णाय पडिमा
५.
७. सचित्त आहार वर्जन प्रतिमा
९. भृत्य प्रेष्य आरम्भ वर्जन प्रतिमा
११. श्रमणभूत प्रतिमा
आचार्य समन्तभद्रकृत श्रावकाचार :
२. वय पडिमा
४. पोसह पडिमा
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आचार्य हेमचन्द्र सूरिकृत योग-शास्त्र :
योग-शास्त्र, आचार्य हेमचन्द्र सूरि की अमर कृति कही जा सकती है। यह ग्रन्थ द्वादश प्रकाशों में अर्थात् द्वादश अध्यायों में विभक्त है। योग के आधार पर इसमें श्रमण धर्म और श्रावक धर्म का भी वर्णन किया । श्रावक के सम्यक्त्वमूलक द्वादश व्रतों का और उनके अतिचारों का वर्णन किया है। श्रावक की एकादश प्रतिमाओं का वर्णन मूल में तो नहीं, टीका में है
१. दर्शन प्रतिमा
३. सामायिक प्रतिमा
कायोत्सर्ग प्रतिमा
६. सचित्त पडिमा
८.
पेस पडिमा
१०.
समण भूय पडिमा
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२. व्रत प्रतिमा
४. पोषध प्रतिमा
६. अब्रह्म वर्जन प्रतिमा
८. स्वयं आरम्भ वर्जन प्रतिमा
१०. उद्दिष्ट भक्त वर्जन प्रतिमा
रत्न-करण्ड श्रावकाचार, आचार्य समन्तभद्र की एक लघु अमर कृति है। इसके सप्तम परिच्छेद में श्रावक की एकादश प्रतिमाओं का वर्णन किया है
१. दर्शन प्रतिमा
३. सामायिक प्रतिमा
५. सचित्त त्याग प्रतिमा
७. ब्रह्मचर्य प्रतिमा
९. परिग्रह त्याग प्रतिमा ११. उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा
२. व्रत प्रतिमा
४.
६.
८.
१०.
पोषध प्रतिमा
रात्रि भोजन त्याग प्रतिमा
आरम्भ त्याग प्रतिमा
अनुमति त्याग प्रतिमा
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