Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ निव्वत्तिए निसिरिजमाणे निसिद्वेति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं! कज्जमाणे कडे जाव निसिद्वेत्ति बत्तव्वं सिया, से तेणट्टेणं गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवेरेणं पुढे जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे, अंतो छण्डं मासाणं मर काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, बाहिं छण्डं मासाणं मरइ काइयाए जाव पारियावणियाए चउहिं किरियाहिं पुढे । ६९ । पुरिसे णं भंते! पुरिसं सत्तीए समभिर्धसेजा सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदेज्जा तए णं मंते! सेपुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए (सममिधंसेइ) सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणि० जाब पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, आसन्नवहरण य अणवकखवत्तिएण पुरिसवेरेणं पुढे । ७० । दो मंते! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं संगामं संगामेन्ति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहमेयं मंते ! एवं ?, गोयमा ! सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइज्जइ, से केणट्टेणं जाब पराइज्बइ ?, गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई णो बढाई णो पुट्ठाई जाव नो अभिसमभागयाई नो उदिबाई उवसंताई भवंति से णं पराइणइ, जस्स णं बीरियवज्झाई कम्माई बढाई जाव उदिन्नाई नो उवसंताइं भवंति से णं पुरिसे पराइज्जइ, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइज्जइ । ७१ । जीवा णं भंते! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! सवीरियावि अवीरियावि, से केणट्टेणं १०, गोयमा ! जीवा दुबिहा पं० तं० संसारसमावनगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्य णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमान्नगा ते दुबिहा पं० तं० सेलेसि पडिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिबन्नगा ते णं लद्विवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवन्नगा ते लडिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से णणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जीवा दुविहा पं० तं० सवीरियावि अवीरियावि, नेरइया णं भंते! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेरइया लद्विवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से केणट्टेणं० १, गोयमा ! जेसिं णं नेरइयाणं अस्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरकमे ते णं नेरइया लद्विवीरिएणवि सवीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसिं णं नेरइयाणं नत्थि उड्डाणे जाव परकमे ते णं नेरइया लद्विवीरिएणं सीरिया करणवीरए अबीरिया से वेट्टे०, जहा नेरइया एवं जाब पंचिदियतिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धवज्जा भाणियच्या, वाणमंतरजोइसत्रेमाणिया जहा नेरइया, सेवं भंते! सेवं भंते!त्ति । ७२ ॥ श० १३०८ ॥ कहनं मंते! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छन्ति ?, गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसावाएणं अदिन्नमेहुणपरिकोहमाणमायालोभपेज्जदो सकलह अच्भक्खाणपेमुन्नरतिअरतिपरपरिवायमायामोसमिच्छादंसणसाडेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति, कहन्नं भंते! जीवा लहुयत्तं हव्यमागच्छंति ?, गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादंसणसाडवेरमणेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छन्ति एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति एवं दीहीकरेंति इस्सीकरेंति एवं अणुपरियहंति बीइवयंति, पसत्था चत्तारि अप्पसत्था चत्तारि । ७३ । सत्तमे णं भंते! ओवासंतरे किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए, सत्तमे णं भंते! तणुवाए किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा! नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयल हुए, एवं सत्तमे घणवाए सत्तमे घणोदही सत्तमा पुढवी, उपासंतराई सब्वाई जहा सत्तमे ओवासंतरे, जहा तणुबाए एवं 'ओवास वाय घणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा (१७-१८) ॥ नेरइया णं भंते! किं गुरुया जाव अगुरुलहुया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुलहुयावि, से केणट्टेणं० ?, गोयमा ! | वेउब्वियतेयाई पडूच नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुया नो अगुरुलहुया, जीवं च कम्मणं च पडुच नो गुरुया नो लहुया नो गुरुयलहुया अगुरुयलहुया. से तेणट्टेणं०, जाय वैमाणिया, नवरं गाणत्तं जाणियव्वं सरीरेहिं, धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए चउत्थपएणं. पोग्गलत्थिकाए णं भंते! किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! णो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुएऽवि अगुरुयलहुएऽवि से केणट्टेणं० १. गोयमा ! गुरुयलहुयदव्वाई पडूच नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए, अगुरुयलहुयदव्वाई पडुच नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए, समया कम्माणि य चउत्थपदेणं, कण्हलेसा णं भंते! किं गुरुया जाव अगुरुयलया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुयलहुयाषि से केणट्टेणं० १, गोयमा ! दव्वलेसं पडुच ततियपदेणं भावलेस पहुंच चउत्थपदेणं, एवं जाव सुकलेसा, दिडीदंसणनाणअन्नाणसण्णा चउत्थपदेणं णेयच्वाओ, हेडिडा चत्तारि सरीरा णेयव्या ततियपदेणं कम्मयं चउत्ययपएणं, मणजोगो वइजोगो चउत्थएणं पदेणं कायजोगो ततिएणं पदेणं, सागारोवओगो अणागारोवओगो चउत्थपदेणं, सव्वदव्वा सव्वपएसा सव्वपज्जवा जहा पोम्गलत्थिकाओ, तीतद्धा अणागयद्धा सव्वदा चउत्थएणं पदेणं । ७४ । से नूणं भंते! लाघवियं अप्पिला अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं णिग्गंथाणं पसत्थं ?, हंता गोयमा ! लाघवियं जाव पसत्थं, से नृणं भंते! अकोहत्तं अमाणत्तं अमायत्तं अलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्यं ?, हंता गोयमा! अकोहत्तं अमाणत्तं जाव पसत्थं, से नूणं भंते! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंधे अंतकरे भवति अंतिमसारीरिए वा बहुमोहेऽवि य णं पुच्चि विहरित्ता अह पच्छा संबुड़े कालं करेति तओ पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेइ ?, हंता गोयमा ! कंखापदोसे खीणे जाव अंतं करेति । ७५ । अण्णउत्थिया णं भंते! एवमाइक्ति एवं भाषॆति एवं पण्णवेति एवं पति एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाई पकरेति, नं०इहभवियाउयं च परमवियाउयं च, जंसमयं इहभवियाउयं पकरेति तंसमयं परभवियाउयं पकरेति जंसमयं परभवियाउयं पकरेति तंसमयं इहभवियाउयं पकरेति, इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाउयं पकरेइ परभवियाउयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाई पकरेति, तं० इहभवियाउयं च परभवियाउयं च से कहमेयं भंते! एवं ?, खलु गोंयमा! जण्णं से अण्णउत्थिया एवमातिक्खति जाव परभवियाउयं च, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एक्माहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं आउयं पकरेति, तं० इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, जंसमयं इहभवियाउयं पकरेति णो तंसमयं परभवियाउयं पकरेति जंसमयं परभवियाउयं पकरेइ णो तंसमयं इहभवियाउयं पकरेइ, इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउयं पकरेति, एवं १६९ श्रीभगवत्यं - १ मुनि दीपरत्नसागर

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