Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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SCAISPRABHASHASPICNISPENSPEARSHESAASHIONSHISMSPAINASPIRMISPENISHESARSYCANSPIRMEPRABPORPOMBU
भंते:त्ति भगवं गोयमे समणं० जाब एवं वयासी-कतिविहा ण भंते ! लोयट्टिती पं०१, गोयमा ! अवषिहा लोयहिती पं० त०-आगासपइदिए बाए वायपइद्विए उदही उदहीपइट्टिया पुढवी पुढवीपइद्विया तसा यावरा पाणा अजीवा जीवपइट्ठिया जीवा कम्मपइडिया अजीवा जीवसंगहीया जीचा कम्मसंगहीया, से केणगुणं भंते! एवं बुच्चइ अट्ठविहा जाव जीवा कम्मसंगहीया?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे यस्थिमाडोबह पस्थिमाडोवित्ता उप्पिंसितं बंधइ त्ता मझेणं गंठि बंधइ त्ता उवगिडं गंठिं मुयइ त्ता उवरिई देसं चामेइ त्ता उपसिलु देसं आउयायस्स पूरेदत्ता उपिसि तं बंधइ त्ता मज्झिल गंठिं मुयइ, से नूर्ण गोयमा ! से आउयाए तस्स याउयायस्स उप्पि उपरितले चिट्ठइ ?. हंता चिट्ठाइ, से तेणटेणं जाव जीवा कम्मसंगहिया, से जहा वा केइ पुरिसे वस्थिमाडोबेइ ला कडीए बंधइत्ता अस्थाहमता(पा० पा)रमपोरुसियंसि उदगंसि ओगाहेजा, से नूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उप्पिं उप| रितले चिट्ठ?.हंता चिट्ठाइ, एवं वा अट्टविहा लोयट्टिई पं० जाव जीवा कम्मसंगहिया । ५५। अस्थि णं भंते! जीचा य पोग्गला य अन्नमजबद्धा अन्नमनपुट्ठा अन्नमनमोगाढा अनमनमिणेहपडियदा अन्नमन्त्रसमभरघडत्ताए है चिट्ठति ?, हंता अस्थि, से केणतुणं भंते! जाव चिट्ठति ?, गोयमा ! से जहानामए-हरदे सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे बोलट्ठमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चिट्ठइ, अहे णं केइ परिसे तंसि हरदसि एग महं नावं सयासर्व सयछि
ओगाहेजा, से नूर्ण गोयमा ! सा णावा तेहिं आसवदारोहिं आपूरमाणी २ पुण्णा पुण्णप्पमाणा वीलङ्कमाणा बोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठइ .हंता चिट्ठइ, से तेणटेणं गोयमा ! अन्थि णं जीवा य जाव चिट्ठति । ५६। अस्थि णं, भंते! सया समियं सुहमे सिणेहकाये पवढइ?, हंता अस्थि, से भंते ! किं उड्ढे पवडाइ अहे पक्डइ तिरिए पवडाइ?, गोयमा ! उद्वेऽवि पक्डइ अहेऽवि पक्डइ तिरिएऽवि पवडइ. जहा से चादरे आउयाए अन्नमन्नसमाउने चिरंपि| दीहकालं चिट्ठइ तहा णं सेऽवि ?, नो इणढे समढे, सेणं खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ । सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति । ५७॥ श०१3०६॥नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववजमाणे किं देमेणं देसं उववजाइ देसेणं सव्वं उववजह सब्येणं देसं उववजह सब्वेणं सव्वं उववज्जइ', गोयमा ! नो देसेणं देसं उववज्जइ नो देसेणं सव्वं उबवज्जइ नो सब्वेणं देसं उववज्जइ सब्वेणं सव्वं उक्वजइ, जहा नेरइए एवं जाव वेमाणिए। ५८ । नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे कि देसेणं देसं आहारेइ देसेणं सव्वं आहारेइ सवेणं देसं आहारेइ सवेणं सव्यं आहारेइ ?, गोयमा ! नो देसेणं देसं आहारेइ नो देसेणं सव्यं आहारेड सब्वेण वा देसं आहारेइ सव्वेण वा सवं आहारेइ एवं जाव वेमाणिए, नेरइए। णं भंते ! नेरइएहिंतो उबमाणे किं देसेणं देस उवचट्टइ ? जहा उवचजमाणे तहेव उवट्टमाणेऽवि दंडगो भाणियग्यो, नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उववट्टमाणे किं देसेणं देसं आहारेइ तहेव जाव सम्वेण या सवं आहारेइ ?. सब्वेण सव्वं आएवं जाव वेमाणिए, नेरइ० भंते ! नेर० उबबने कि देसेणं देसं उवकन्ने एसोऽवि तहेब जाव सव्येणं सव्वं उववन्ने, जहा उववजमाणे उनवट्ठमाणे य चत्तारि दंडगा तहा उववन्नेणं उच्चट्टणेणऽवि चत्तारि दंडगा भाणियब्वा सवेणं सव्वं उववन्ने सव्वेण वा देसं आहारेइ सव्वेण वा सव्वं आहारेइ, एएणं अभिलावेणं उववन्नेऽवि उब्वट्टणेऽपि नेयवं, नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववजमाणे किं अबेणं अद्ध उबवजइ अघणं सव्वं उववज्जइ सब्वेणं अदं उवबज्जइ सब्वेणं सव्वं उववजइ , जहा पढमिलेणं अट्ट दंडगा तहा अद्धेणऽवि अट्ठ दंडगा भाणियच्या, नवरं जहिं देसेणं देसं उववज्जइ तहिं अदेणं अद्धं उपवजा इति भाणियब्बं एयं णाणनं. एते मव्वेऽवि सोलम दंडगा भाणियब्वा 1५९। जीचे णं भंते! किं विम्गहगतिसमावन्नए अविग्गहगतिसमावन्नए?, गोयमा सिय विग्गहगइसमावन्नए सिय अविग्गहगतिसमावन्नगे, एवं जाव वेमाणिए, जीवा णं भंते! किं विग्गहगइसमावन्नया अविम्गहगइममाचन्नगा?, गोयमा! विग्गहगइसमावन्नगावि अविग्गहराइसमावन्नगावि, नेरच्या णं भंते! किं विम्गहगतिसमावन्नया अविग्गहगतिसमापन्नगा ?, गोयमा! सब्वेऽवि ताव होज्जा अविग्गहगतिसमावन्नगा अहवा अविम्गहगतिसमावन्नगा य विग्गहमतिसमावन्ने य अहवा अविग्गहमतिसमावन्नगा य विग्गहगइसमावन्नगा य, एवं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । ६० । देवे णं भंते ! महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे महामुक्ये महाणभावे अविउकंनियं (चयं पा) चयमाणे किंचिवि कालं हिरिवत्तियं दुगुंछावनियं परिसहवत्तिय आहारं नो आहारेइ, अहे णं आहारेइ, आहारिजमाणे आहारिए परिणामिजमाणे परिणामिए पहीणे य आउए भवइ जत्थ अवज्जइ तमाउयं पडिसंवेएइ, तं०-तिरिक्वजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा ?.हंता गोयमा! देवे णं महिड्ढीए जाच मणुस्साउयं वा । ६१। जीवे णं भंते ! गभं वकमाणे किं सइंदिए बकमइ अणिदिए वकमइ?, गोयमा ! सिय सइंदिए बक्कमह सिय अणिदिए वकमाइ, से केणद्वेणं० १. गोयमा ! दबिदियाई पहुच अणिदिए बक्कमाइ भाबिंदियाइं पहुंच सइंदिए वकमइ, से तेणतुणं०, जीवे णं भंते ! गम्भं यक्कममाणे कि ससरीरी वकमइ असरीरी वकमह?. गोयमा सिय मसरीरी वसिय असरीरी वकमइ, से केणट्टेणं ०?, गोयमा ! ओरालियवेउब्वियआहारयाई पहुच असरीरी २० तेयाकम्माई पडुच ससरीरी वक से तेणद्वेणं गोयमा !०, जीवे णं भंते ! गम्भं यक्रममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेड ?, गोयमा! माउओयं पिउसुकं तं तदुभयसंसिर्ल्ड कलुस किविसं तप्पटमयाए आहारमाहारेइ, जीवे णं भंते ! गभगए समाणे किमाहारमाहारेइ ?, गोयमा जं से माया नाणाविहाओ रसविगईओ आहारमाहारेर तदेकदेसेणं ओयमाहारेत. जीवस्स णं भंते ! गम्भगयस्स समाणस्स अस्थि उचारेइ वा पासवणेइ वा खेलेइ वा सिंघाणेइ या वंतेइ वा पित्तेइ वा ?. णो इणढे समढे, से केणतुणं?, गोयमा! जीवे णं गभगए समाणे जमाहारेइ तं चिणाइतं सोईदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए अहिअद्विमिजकेसमंसुरोमनहत्ताए०, से तेणद्वेणं०, जीवेणं भंते ! गम्भगए समाणे पभू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए?, गोयमा ! णो इणढे समढे, से केणट्टेणं?, गोयमा ! जीवेणं गभगए ममाणे सब्बओ आहारेइ सम्बो परिणामेइ सवओ उस्ससइ सम्बओ निस्ससइ अभिक्खणं आहारेइ अभिक्खणं परिणामेइ अभिक्वणं उस्ससइ अभिक्खणं निस्ससइ आहच आहारेइ आहच परिणामे आहच उस्ससह आदच नीससह, माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी, माउजीवपडिचद्धा पुत्तजीचं फुडा तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अबरावि य णं पुत्तजीवपडिचदा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ सम्हा उपचिणाइ से तेणद्वेणं जाव नो पभू मुहेणं कावलियं
आहारं आहारितए, कइणं भंते ! माइअंगा पं०१, गोयमा ! तओ माइयंगा पं० २०-मसे सोणिए मत्थुलुंगे, कइ णं भंते! पिइयंगा पं०?, गोयमा ! तओ पिइयंगा पं० तं०-अट्टि अडिमिंजा केसमंसुरोमनहे, अम्मापिडए णं भंते! 81१६७ श्रीभगवत्यंग - -
मुनि दीपरत्नसागर
CERAMINAIRLINOMANRAOISARK43318633984435RAREKARSINHARISHANGARIKAANJIRONORERNA

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