Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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NOPIRACOPGARHIEPISABPRASHAIRASPASHBHOPARASPIRSSHRSSPRINEMASHAREPRISPRINGPHARMA
सरीरए केवइयं कालं संचिट्ठइ ?, गोयमा ! जावइयं से कालं भवधारणिजे सरीरए अव्यावन्ने भवइ एवतियं कालं संचिट्टइ, अहे णं समए समए वोकसिजमाणे २ चरमकालसमयसि वोच्छिन्ने भवइ ।६२। जीवे गं मंते! गम्भगए समाणे नेरइएमु उववजेजा?, गोयमा ! अत्यगइए उववजेजा अत्येगइए नो उववजेजा, से केणटेणं०१, गोयमा ! से णं सन्नी पंचिंदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पजत्सए वीरियलबीए वेउब्बियलबीए पराणीयं आगयं सोचा निसम्म पएसे निभइ त्ता वेउब्वियसमुग्याएणं समोहणइ ना चाउरंगिणिं सेन्नं विउव्वइ त्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएणं सदि संगाम संगामेइ, से णं जीवे अत्यकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए अत्यकंखिए रज्जकंखिए भोगकंखिए कामकंखिए अत्यपिवासिए रजपिवासिए भोगपिवासिए कामपिचासिए तचित्ते तम्मणे तडेसे तदमसिए तत्तिब्वझवसाणे तदट्टोवउत्ते तदप्पियकरणे तम्भावणाभाविए एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज नेरइएम उववजइ, से तेणतुणं० गोयमा! जाव अत्येगइए उपपनेजा अत्येगइए नो उववजेजा, जीवे णं भंते! गम्भगए समाणे देवलोगेसु उववजेजा, गोयमा! अत्येगइए उववजेजा अत्येगइए नो उववजेजा, से केणतुणं?, गोयमा! सेणं सन्नी पचिदिए सब्बाहिं पजत्तीहिं पज्जत्तए तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आयरियं धम्मियं सुक्यणं सोचा निसम्म तओ भवाइ संवेगजायसढे तिब्वधम्माणुरागरते, सेणं जीवे धम्मकामए पुण्णकामए सम्गकामए मोक्खकामए धम्मकंखिए पुष्णकंखिए सम्म०मोक्खकं० धम्मपिचासिए पुण्ण सम्ग० मोक्खपियासिए तच्चित्ते तम्मणे तसे तदापसिए तत्तिव्यावसाणे तदट्ठोषउत्ते तदप्पियकरणे तम्मावणाभाविए एयसि णं अंतरंसि कालं करेज देवलोएस उव०, से तेणद्वेणं गोयमा !०, जीये णं भंते ! गम्भगए समाणे उत्ताणए वा पासिलए वा अंचखुज्जए वा अच्छेज वा चिद्वेज वा निसीएज वा तुपट्टेज वा माऊए सुयमाणीए सुवइ जागरमाणीए जागरइ सुहियाए मुहिए भवइ दुहियाए दुहिए भवहहंता गोयमा! जीवे णं गम्भगए समाणे जाव दुहियाए दुहिए भवइ, अहे णं पसवणकालसमयंसि सीसेणं वा पाएहि वा आगच्छद सममागच्छइ तिरियमागच्छद विणिहायमागच्छइ, वण्णवज्झाणि य से कम्माई बढाई पुबाई निहत्ताई कडाई पट्टवियाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाई उदिवाई नो उवसंताई भवंति तओ भवइ दुरूवे दुग्यो दुग्गंधे दूरसे दुफासे अणिढे अकते अप्पिए असुभे अमणुले अमणामे हीणस्सरे दीणसरे अणिद्गुस्सरे अर्कतस्सरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे अमणुनस्सरे अमणामस्सरे अणाएजवयणे पकायाए यावि भवइ, वनवज्झाणि य से कम्माई नो बदाई पसत्यं नेयाचं जाव आदेजवयणे पञ्चायाए यावि भवइ, सेवं भंते ! सेवं भंतेति । ६३ । २०१उ०७॥रायगिहे समोसरणं जाव एवं पयासी-एगंतवाले णं भंते! मणूसे किं नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्ख०मणु देवाउयं पकरेति ?, नेस्याउयं किच्चा नेरइएसु उव०तिरियाउयं कि० तिरिएमु उव० मणुस्साउयं० मणुस्से ० उप० देवाउ कि० देवलोएसु उववजह?, गोयमा ! एगंतचाले णं मणुस्से नेरइयाउयपि पकरेइ तिरिमणु० देवाउयंपि पकरेइ, नेरहयाउयपि किचा नेहएमु उप०तिरि०मणु देवाउयं किचा तिरि०मणु देवलोएसु उववजह । ६४। एगतपटिए णं भंते ! मणुस्से कि नेर, पकरेइ जाव देवाउयं किच्चा देवलोएसु उवव०?, गोयमा! एगंतपडिए णं मणुस्से आउयं सिय पकरेइ सिय नो पकरेइ. जइ पकरेइ नो नेरइया० पकरेइ नो तिरि० नो मणु० देवाउयं पकरेइ, नो नेरइयाउयं किया नेर उप० णो तिरि० णो मणुस्स० देवाउयं किया देवेसु उव०, से केणठेणं जाव देवा०किचा देवेसु उपयजा', गोयमा! एगंतपंडियस्स णं मणुस्सस्स केवलमेव दो गईओ पं० २०. अंतकिरिया चेव कप्पोवपत्तिया चेष, से तेणठेणं गोयमा! जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उबवज्जइ?, बालपंडिए णं भंते! मणुस्से कि नेहयाउय पकरेइ जाच देवाउयं किया देवेसु उववजह?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ जाव देवाउयं किचा देवेसु उववजह से केणडेणं जाव देवाउयं किया देवेसु उववजह?, गोयमा! बालपंडिएणं मणुस्से तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स या अंतिए एगमपि आयरियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म देसं उवरमइ देसं नो उवरमइ देसं पचक्खाइ देसं णो पचक्खाइ, से तेणठेणं देसोवरमदेसपचक्खाणेणं नो नेरइयाउयं पकरेइ जाव देवाउयं किया देवेसु उपवजा, से तेणठेणं जाय देवेसु उक्यज्जइ । ६५। पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा क्लयंसि या नूमंसि या गहणंसि वा गहणचिदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गसि वा वर्णसि वा वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मिएत्तिकाउं| अन्नयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाइ, ततो गं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए पं०१, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे काउंसि वा जाव कूडपासं उदाइ तावं च णं से पुरिसे सिय तिकि० सिय चउ० सिय पंच०, से केणतुणं सिय ति० सिय च० सिय पं०, गोयमा ! जे भविए उदवणयाए णो बंधणयाए णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए तिहिं किरियाहिं पुढे, जे भविए उदयणयाएऽवि बंधणयाएऽवि णो मारणयाए तावं च णं पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे, जे भविए उदवणयाएऽवि बंधणयाएऽवि मारणयाएऽवि तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए जाव पंचहिं पुढे, से तेणतुणं जाच पंचकिरिए। ६६ । पुरिसे गं भंते ! कच्छसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय २ अगणिकायं निस्सरह तावं च णं से भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए', गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकि० सिय पंच०, से | केणट्टेणं० ?, गोयमा! जे भविए उस्सवणयाए ते तिहि, उस्सवणयाएऽवि निस्सिरणयाएविनों दहणयाए चउहिं०, जे भविए उस्सवणयाएऽपि निस्सिरणयाएऽपि दहणयाएऽपि तावं चणं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पट्टे, से तेण० गोयमा !०।६७। पुरिसे णं भंते ! काउंसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मियेत्तिकाउं अनयरस्स मियस्स वहाए उसु निसीरइ ततो णं भंते! से पुरिसे कइकिरिए.?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय पाउकिरिए सिय पंचकिरिए, से केणद्वेणं०?, गोयमा ! जे भविए निस्सिरणयाए नो विद्धंसणयाएऽवि नो मारणयाए तिहि, जे भपिए निस्सिरणपाएऽवि चिद्धसणयाएऽवि नो मारणयाए चउद्दि, जे भविए निस्सिरणयाएऽवि विद्धसणयाएऽवि मारणयाएऽपि ताव चणं से पुरिसे जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, से तेणट्टेणं गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए । ६८ा पुरिसे ण भंते! कच्छंसि वा जाव अनयरस्स मियस्स वहाए आययकमाययं उसु आयामेत्ता चिहिना, अभयरे पुरिसे मग्गओ आगम्म सयपाणिणा वासे असिणा सीसं छिंदेजा से य उसुं ताए पेय पुयायामणयाए त विधेजा से णं भंते ! पुरिसे किं मियवेरेणं पुढे पुरिसवेरेणं पुढे ?, गोयमा! जे मियं मारेइ से मियवेरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे, से केणट्टेणं भंते! एवं बुञ्चइ जाव से पुरिसवेरेणं पुढे ?, से नूर्ण गोयमा! कजमाणे कडे संधिजमाणे संधिए निव्वत्तिजमाणे (४२)। १६८ श्रीभगवत्यंग-सत१
मुनि दीपरनसागर

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