Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विहान 35 बीजी श्री जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनो री पोर्ट. मूल्य रु. ०-१२-०. 1151 X X X X X X X X XX Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat Je to do to sto sto do to to t t t t t t t t t * PPP www.umaragyanbhandar.com Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ रतनसावानुसार आजु joz-Z हेसवार || 30 || ॥ श्री पंचपरमेष्ठिभ्यो नमः ॥ होगु जयनि संवत १९६१ ] जन शासनमा अहिंसा परमो 5 धनांवरी श्री मुंबईमां भरायेली बीजी श्री जैन ( श्वेतांबर ) कॉन्फरन्सनो री पोर्ट.. कॉन्फरन्स ( रीसेप्शन कमीटीना रिपोर्ट सहित ) प्रसिद्ध करनार श्री जैन ( श्वेतांबर) कॉन्फरन्स ऑफीस - मुंबई. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat शराफ बजार, ( इंदुप्रकाश प्रेस, मुंबई . ) मूल्य रु.०- १२-० [ सने १९०४ www.umaragyanbhandar.com Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुस्तक मळवानां ठेकाणां मुंबई-श्री जैन ( श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स ऑफीस, शराफ बजार. भावनगर-श्री जैन धर्म प्रसारक सभा. लाहोर-बाबु जसवंतरायजी जैनी, श्री आत्मानंद जैन सभा. अमदावाद-मास्तर हीराचंद ककलभाई, मांडवीनी पोट. वडोदरा-मी. मगननाल चुनीलाल वैद्य, नरसीजीनी पोळ, उदेपुर --शंट मगनलालजी पुंजावत. एवला-शा. दामोदर बापुसा. मुरत-मी. चुनीलाल छगनलाल, देसाईनी पोळ. अजमेर-राय बहादुर शेठ शोभागमलजी ढट्टा. बनारस-श्रीमद् यशोविजयजी जैन पाठशाळा. अंबाला-लाला गंगाराम बनारसीदास. कलकत्ता–बाबु राय कुमारसिंगजी बद्रीदासजी. दीली-मो. उमरावसिंगजी टांक. मलवारा स्ट्रीट सीकंद्राबाद-(जी. बुलंद शहेर ) मी. जवाहीरलाल जैनी, जेपुर-मी. गुलाबचंदजी ढहा एम्. ए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वधारो. आ रोपोर्टमांनी पांच खातांनी तथा श्री कॉन्फरंस नीभावफंडनी पुरवणीओ ( क ) अने ( ख ) छपाई गया पछीथी ते आ रीपोर्ट प्रगट थतां सुधीमां सदर्हु खातांओमां नीचे प्रमाणे वधु रकमो मुल आवी छे: नाम. शेठ सोमचंद वारसी. अंजार. २० २० २० २१ ५०० " नथमलजी गुलेच्छा. ग्वालियर. ० शोमचंद केवळचंद तळेगाम. १५ मीठाचंद लधाचंद भीखमचंद वस्ताचंद पाटण. 99 गणेशमल सोभागमल. मुंबई. बाई कीली, शा. हरगोवन पुनमचंदनी दीकरी. राधनपुर. ० "" "" "" पुरवणी ( क ). गाम - उत्तकोद्धार -- जीर्णोद्धार - निराश्रित - जीवदया -- केळवणी - कुले. २० १०१ ५०० १५ ७५ २५ १२५ २५० ० १५०० * 55 ܙ अंबा हा. शेठ प्रेमचंद वख्ताजी. पाटण. २५ ५० O " नाम. शेठ पानाचंद उत्तमचंद कोटावाळा. मीठाचंद लघाचंद. १५ वलसाड. २० २० ४० ३ कोठारी रुगनाथ डुंगरशी वलसाड, ४० ३ शेठ धनजीभाई नाथाभाई. सुरत. भगवानदास फकीरभाई. २ पुरवणी ( ख ). "3 २५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५० १५०० Q ० १५ २५ ५० ५०१ २० ४१ ३ २ गाम. पाटण. ० १५ २५ ५० ० २० ४० ३ २ ० ५० О ५०१ २१ १०१ ४० २०१ १५ १०. ३ २ रकम रु. १००१. १०१ " www.umaragyanbhandar.com Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना. श्री मुंबई शहरमां मळेली बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स अने तेने अंगे नीमवामा आवेली रीसेप्शन कमीटीनो रीपोर्ट प्रगट थवामां जोके केटलांएक अकस्मातीक कारणोने लीधे ढील थई छे, तोपण आ रीपोर्ट प्रगट करतां अमने घणोज आनंद थाय छे. केटलाएक गृहस्थो तरफथी आ रीपोर्ट हिंदी भाषामा प्रगट करवानी सुचना थयेली, अने ते सुचना प्रमाणे करवाथी आ रीपोर्ट आपणा उत्तर-हिंदवासी जैनोने विशेष उपयोगी थात, पण रीपोर्टमांनां घणां खरां भाषणो गुजराती भाषामां होवाथी, अने वळी रीपोर्ट छपावीने प्रगट करवामां ढील थयेली होवाथी गुजराती भाषणोनुं हिंदी भाषामां भाषांतर करवामां घणो वखत नीकळी जवानो संभव रहेतो होवाथी, तेमज बीजी कॉन्फरन्सनी बेठक नजीक आवती होवाना कारणने लीधे गुजराती भाषामांज आ रीपोर्ट प्रगट करवानु उचित धारवामां आवे छे; जोके हिंदी वांचनाराओनी सवडने खातर गुजरातीने बदले बाळबोध अक्षरोथी छापवानुं खास ध्यान राखवामां आव्युं छे. पोर्ट तपासीने ता. २१-८-१९०४ ना रोज एकठी थयेली रीसेप्शन कमीटी प्रगट करवा माटे वखते, रीसेप्शन कमीटीनो तथा बीजी कॉन्फरन्सनो रीपोर्ट तपासीने नीमवामां आवेली छपाववा विगेरेनी गोठवण करवामाटे नीचे जणावेला गृहस्थोनी एक कमीटी. कमीटी नीमवामां आवी हती: शेठ माणेकलाल घहेलाभाई. मी. अमरचंद पी. परमार. ,, प्रेमचंद वीरपाळ. ,, मोहनलाल चुनीलाल दलाल बी. ए. आ प्रमाणे नीमायेली कमीटीए, रीसेप्शन कमीटीनो तेना चीफ सेक्रेटरी स्वर्गस्थ शेठ फकीरचंद प्रेमचंदे तैयार करेलो रीपोर्ट, तथा मी. मोहनलाल चुनीलाल दलाले तैयार करेलो बीजी कॉन्फरन्सनो रीपोर्ट तपासी छपाववा विगैरेनी गोठवण करी छे. कॉन्फरन्सनो रीपोर्ट तैयार करवामां केटलेक ठेकाणे " जैन " पत्रना अधिपती मी. भगुभाई फतेहचंद कारभारी तरफथी बहार पडेला "अहेवाले कॉन्फरन्स" नी तथा "मुंबई समाचार" ना कॉन्फरन्सनी बेठको ना रीपोर्टोनी मदद लेवामां आवी छे, अने तेने माटे आ कमीटी आ प्रसंगे तेना प्रगट कर्ताओनो उपकार माने छे. बीजी कॉन्फरन्सने लगभग एक वर्ष थवा आव्यु छे, अने तेथी रीपोर्ट प्रगट थवामां जे ढील थई छे तेम थवानां शुं कारणो हशे, ते प्रश्न सहज उभो थाय छे. रीपोर्ट प्रगट थवामां मोडुं बीजी कॉन्फरन्स अने तेनी रीसेप्शन कमीटीनो रीपोर्ट छपाववा- पहेलेथीज कारण नक्की हतुं, पण श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना एक जनरल सेक्रेटरी अने बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंदना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) अकाळ मृत्युथी, आखी कॉन्फरन्सनी हीलचालने एक जबर फटको लाग्यो; अने तेमना जेवा एक वीररत्नना एकाएक गुम थवाथी स्वाभाविक रीते जे गुंचवाडा उत्पन्न थया तेम रीपोर्टना संबंधमां पण बन्यु, अने तेथी रीपोर्टनी बाबत थोडोएक वखत तो खोरंबे पडी. त्यारबाद रीपोर्ट छपाववानी बाबत फरीथी हाथ उपर लेवामां आवी, अने ते प्रमाणे आ कमीटीने मळेली सत्तानी रईए आ रीपोर्ट अमारा भाविक जैन बंधुओ समक्ष मुकवा अमे समर्थ थया छीए; अने आशा राखीए छीए के अमारा जैन बंधुओ आवा अणधारेला संजोगोने लीधे थयेली ढील माटे दरगुजर करशे. बीजी जैन श्वेतांबर कान्फरन्सना आधारभूत अने तेने एक गंजावर फत्तेह बनावनार . आपणा लोकप्रिय वीररत्न, बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन शठ फकारच कमीटीना चीफ सेक्रेटरी अने श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना रेसीडंट मृत्य अने तेथी जनरल सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी.ना अकाळ मत्युथी एकला आपपने पडेली मुंबई शहेरने तो नहीं, पण समग्र हिंदुस्तानना श्री संघने न पुराय तेवी गंभीर खोट. - गंभीर खोट गई छ. बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सने जे फतेह मळी हती ते फक्त तेमनी शांत अने आनंदी प्रकृति, क्षमा गुण अने अथाग महेनतनेज आभारी हती; अने पोते अतिशय व्यवसायी होवा छतां पण पोताना धंधानी तथा शारीरिक सुखनी लेशमात्र पण दरकार कर्या विना रात्रदिन महीनाओना महीनाओ सुधी महेनत करीने बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सने फतेहमंदीथी पार उतारी हती. बीजी कॉन्फरन्स प्रसंगे श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना तेमने एक जनरल सेक्रेटरी नीमवामां आव्या हता, पण थोडाज वखतमां एटले ता. १७ फेब्रुआरी सने १९०३ ने दिने थएला तेमना अकाळ मृत्युथी आखा हिंदुस्तानमा सर्वत्र दिलगीरी पथराई गई, अने समग्र जैन संघ शोक सागरमा डुबी गयो; अने तेमना स्वर्गवासथी थयेल शोकमाटे ठेरठेर ठरावो पसार करीने हिंदुस्ताननी सर्व जैन वस्तीए पोतानी दीलगीरी जाहेर करी. तेमना आ अकाळ मृत्युथी श्री जैन कॉन्फरन्सनी हीलचालने तेनी नानी वयमांज एक भारे नुकसान गयु, अने तेना एक जनरल सेक्रेटरी तरीके तेमणे करवा धारेलां अनेक शुभ कार्यो ते तेमना मनमांज रह्यां; पण भावि प्रबळ छे अने मनष्यमात्रनी एज दशा छ, एटले फक्त " एमना आत्माने शांति मळो " एवी श्री वीतराग प्रभ प्रत्ये प्रार्थना करवा सिवाय आपणा हाथमां काईपण विशेष नथी. कॉन्फरन्सनी मुंबई शहेरनी बेठकोमां खास करीने ध्यान खेंचवा जोग बाबत, ते . वखतनी संख्याबंध स्त्रीओनी हाजरी हती. साधारण रीते जोतां आपणे स्त्रीओनी हाजरी जैनो स्त्रीकेळवणीनी बाबतमा पछात कहेवाईए, जोके आपणी जोडे वसती अने हमेशा तम अन्य कोमो करतां आपणामां स्त्रीकेळवणीनुं प्रमाण कंईक ठीक छे; तोथवानी जरूर. पण विचार करतां ते घणुंज जुज कही शकाय अने ते बाबतमां आपणे खास ध्यान आपवानी जरुर छे. आपणां शास्त्रो उपरथी आपणे जोईए छीए के. असलना क्सतमां आपणी स्त्रीओ घणीज केळवायली रहेती हती; अने जो बराबर रीते विचार करीए तो आपणा धर्मसंस्कार यथायोग्य रीते पाळवा माटे आपणी स्त्रीओमा हाल जे केळवणी छे तेथी घणीज संगीन अने सारा प्रकारनी केळवगीनी जरुर छे. मुंबईनी कॉन्फरन्स वखतनी स्वीओ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नी हाजरी एक रीते वीज अर्थसुचक छे एम मानीएतो कांई खोटुं कहेवाशे नहीं; अने जो ते प्रमाणे दिनपरदिन आपणी स्त्रीओ विशेष संख्यामां आपणी कॉन्फरन्समां भाग लेतां शीखे, तो आपणामां स्त्री केळवणीनो विशेष प्रचार थतो जाय छे एम सहज समजी शकाय, अने आपणी अभ्युदयनो दिवस नजीक आवतो लेखी शकाय. वळी कॉन्फरन्सना केटलाएक हेतुओ तो एवा छे के जे पुरुषो करतां जो स्त्रीओ धारे तो वधु सहेलाईथी पार पाडी शके, अने तेथी जो सीओ आपणी आ हीलचालमां भाग ले तो विशेष लाभदायक थई पडवानो संभव छे. आ संबंधमां अमारी पवित्र बहेनोने हवे पछीनी कॉन्फरन्सनी बेठकोमा हाजरी आपी कॉन्फरसनी हीलचालमा पुर्ण रीते भाग लेवा नम्र विनंति छे. आ रीपोर्टमां रीसेप्शन कमीटीना रीपोर्ट उपरांत तेना अंगे कार्यनी बहेंचणी सारं नीमवामां आवेली जुदी जुदी सात कमीटीओना रीपोर्ट पण दाखल करवामां आव्या छ; आ सब कमीटीओना रीपोर्ट दाखल करवानी रीपोर्ट कमीटीनी मतलब ए छे के, कोईपण स्थळे कॉन्फरन्स मेळववा सारं केवा धोरणे काम करवानी जरूर छे ते सहेलाईथी समजी शकाय, तेमज अत्रेनी कमीटीओए केवी रीते पोतानुं कार्य संपुर्ण रीते पार पाड्यु हतुं ते पण जाई शकाय. वळी आ रीपोर्टमां जुदां जुदां स्थळोएथी कॉन्फरन्सना डेलीगेटो तरीके आवला गृहस्थोनां गामवार नामो, तेमज जुदां जुदां खातांओमां नाणां भरनार गृहस्थोनां नामो पण आप. वामां आव्यां छे. टुंकमां आ रिपोर्ट एवी रीते तैयार करवामां आव्यो छे के, कॉन्फरन्सनी बेठकोना हेवाल अने रीसेप्शन कमीटीना रिपोर्ट उपरांत जुदां जुदा स्थळोना कॉन्फरन्स प्रत्ये दीलसोजी धरावनारा गृहस्थोनां नामो अने कॉन्फरन्स मेळववा माटे जोईती सामग्री तथा कार्य करवानी पद्धति विगेरेनो तेमा समावेश करवामां आव्यो छे अने तेथी रीपोर्ट कमीटी उमेद राखेछे के अन्य स्थळना जैनबंधुओने ते उपयोगी थई पडशे. छेवटमां आ रीपोर्टमां नजरदोषथी कदाचित कोई भूल रही गई होय तो, ते सधारीने वांचवा वांचकवर्गने विनंती छे. आ रीपोर्ट चीफ सेक्रेटरी स्वर्गस्थ शेठ फकीरचंद प्रेमचंदना हाथे प्रगट थवानो हतो, अने जो तेम थयु होत तो आ कॉन्फरन्स अंगे जुदी जुदी कमीटीना सेक्रेटरीओए तथा बीजा गृहस्थोए मजकुर शेठ फकीरचंदने फंड भराववामां अने बीजां कार्योमा जे किंमती मदद करी हती, ते माटे तेओ लंबाणथी उपकार मान्या वगर रहेत नहीं, अने आq उपकार माननारु लखाण तेओए करेलु हतुं ते अमारा जाणवामां छे; पण ते हाथ न आव्याथी तेमांनी मतलब उपर ध्यान राखी अने जे जे गृहस्थोए कॉन्फरन्सने फतेहमंदीथी पार उतारवामां खरा तन मन अने. धन्थी रात्रदिन प्रयास करी मदद करी हती, तेमनो आ तके शेठ फफीरचंदनी वती उपकार मानीने आ प्रस्तावना समाप्त करीए छीए. ला. श्री संघना सेवको, माणेकलाल घहेलाभाई झवेरी, अमरचंद पी. परमार, श्री जैन कॉन्फरन्स ऑफीस, मुंबई. प्रेमचंद वीरपाळ, ता. १६-११-१९०४. मोहनलाल चुनालाल दलाल, बी. ए. रीपोर्ट कमीटी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..: ... अनुक्रमणिका. " ५-८ 'प्रस्तावना. अनुक्रमणिका भाग पहेलो. ‘रीसेप्शन कमीटी. पृष्ट. ९-११७. रीसेप्शन कमीटीनो रीपोर्ट -. .... .... .... .... .... " ६-३६ रीसेप्शन कमीटीनुं लीस्ट. .... ... .... पुरवणी (अ) " ३७-४३ रीसेप्शन कमीटी फंड. ... .... .... " (आ) " ४४-५२ इं. है. एंड वो, कमीटीनो रीपोर्ट. .... .... " (1) " ५३.८८ (ई) " ८९-९२ कॉरस्पोन्डन्स (उ ) " ९३-१०२ फंड (ऊ) "१०२-१०५ भोजन (ए) "१०५-१०८ मंडप " (ऐ ) , १०८-११२ हिसाब " (ओ) , ११२-११७ उतारा १२-१४ " १६-२३ भाग बीजो. कॉन्फरन्सनी बेठको. पृष्ट. १-१९८. रीसेप्शन कमीटीना प्रमुखनुं भाषण. .... .... प्रमुख साहेबनी चुंटणी. .... .... .... .... .... ... प्रमुख साहेबनुं भाषण. .... . ..... .... .... .... ठराव १. मी. गुलाबचंदजी ढहाने धन्यवाद ठराव २. ना. शहेनशाहने धन्यवाद उराव ३. जीर्ण पुस्तकोद्धार बाबत. .... शेठ कुंवरजी आणंदजी नुं भाषण पृष्ट. ३०-३३ मी. फतेहचंद कपूरचंद लालन " " ३३-३५ पंडित ताताराम वकील मगनलाल हरीचंद " " ३५-३७ मी. मोतीलाल काळचंद " ३७.३९ २७ २८ २९-३९ , ४ ३९ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठराव ४. केळवणी वावत. .... .... .... .... .. पृष्ट. ४-८८ मा. गुलावचंदजी ढहा - भाषण पृष्ट. ४२-४३ "मोतीलाल कशळचंद शाह ४४-५९ " फतेहाचंद कपरचंद लालन " लखमशी हीरजी मैशरी " " बुध्धमल केवळचंद ६३.७१ लाला मुनशीराम लाला गोपीनाथ " " ७१-७३ शाह प्रेमचंद गुलाबचंद " नारणजी अमरशो ७६-८० मी. जगजीवन मुळजी ८०-८४ " दामोदर बापुशा ८५-८७ झवेरी पानाचंद काळीदास " " ८७.८८ ठराव ५. निराश्रितने आश्रय बाबत. .... .... .... .... " ८९-९२ शेठ. अमरचंद घेलाभाई नुं भाषण पृ. ९० मी. टोकरशी नेणशी. शट. सुजानमलजी सुलतानमलजी " " ९१ " प्रेमचंद रायचंद टराव ६. जीवदया बाबत .... .... .... .... .... .... " ९३-११४ मी. चीमनलाल लल्लुभाई नुं भाषण पृ. ९४-९९ डॉ. त्रीभोवनदास मोतीचंद ९९-१०५ ,, लाला हरखचंदजी १०५-१०६ " हरखचंद अमुलख १०६-११० वैद्य मगनलाल लालचंद लाला ताराचंदजी ११० शेट कुंवरजी आणंदजी बीनी कॉन्फरन्स वखते एकहुं थयेलं फंड .... .... ... ... ...., १११-११३ ठराव ७. कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवा बाबत. .... ...., ११४-१३१ मी. ढहा गुलाबचंदजी नुं भाषण पृ. ११५-११६ मी. फतहचंद,कपूरचंद लालन शेट कुंवरजी आनंदजी " " ११७ मी. मोहनलाल पुंजाभाई ११७-११८ , हीराचंद शेशकरण " , ११८ डॉ. जमनादास प्रेमचंद ११८-१२२ मी. सांकचंद नारणजी शाह " १२२-१३० ठराव ८. जैन डीरेकटरी बाबत. ...., १९३२-१३८ मी. भगुभाई फतेहचंद नुं भाषण पृ. १३३-१३५ .., माणकचंद कोचर " १३६ शेट सुजानमलजी मी. साकरचंद माणेकचंद , , १३७-१३० " ११० " १११ ____ ११६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उराव ९. हानिकारक रिवाजो बाबत. .... .... .... पृष्ट.१४१-१६९ मी. अमरचंद पी. परमार नुं भाषण पृ. १४२-- १५२ प्रो. नथुभाई मंछाचंद १५२-५५ वकील छोटालाल काळीदास १५५-१५६ लाला छुन्नामलजी गुलेच्छा १५७-१५९ वैद्य तलकचंद ताराचंद १५९-१६१ मी. दामोदर बापुशा " , १६२-१६६ लाला सुभोमलजी मी. मगनलाल गोविंदजी " १६६-१६९ ठराव १०. फंडनी व्यवस्था बाबत. .... .... .... , १७० ठराव ११. जीर्णमंदारोद्धार बाबत. ०राव १. जाणमदाराद्धारबाबत. .... .... .... .... ११७१.-१७९ शेठ. लालभाई : दलपतभाई नुं भाषण पृ. १७२-१७१ मी. दोलतचंद पुरशोत्तमनुं , , १७३-१७५ शेठ. मोहनलालभाई मगनभाई , , १७५--१७७ मी. बालचंद हीराचंद १७७--१७८ शेठ, वेणीचंद सुरचंद " १७८-१७९ ठराव १२. धार्मिक खातां तथा शुभ खातांओना हिसाब बावत. , १८० १८५ शेठ अनोपचंद मलुकचंद नुं भाषण, पृ. १८१-१८३ लाला मीठुमलजी , , १८३ वकील हरजीवनदास दोपचंद , , १८३-१८५ उराव १३. पालीताणा बाबत शेठ.आणंदजी कल्याणजीने धन्यवाद ...., १८६ ठराव १४. प्रतिनिधीओने धन्यवाद. .... .... .... .... " १८७ वैद्य बापुभाई हीराभाईनें भाषण , , पृ. १८७ ठराव १५. रीसेप्शन कमीटीनो आभार मानवा बाबत. .... .... , १८८ ठराव १६. डेलीगेटोतरफथी रीसेप्शन कमीटीनो आभार मानवा बाबत , १८९ मो. दोलतचंद पुरुशोत्तमनु भाषण ... पृ० १८९ ठराव १७. शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई.नो उपकार मानवा बाबत ,, १९०-१९१ ____ मी. दामोदर बापुसानुं भाषण ... .. , १९०-१९१ ठराव १८. मंडप बांधनार इजनेरनो उपकार मानवा बाबत .... , १९२ ठराव १९. वॉलंटियरोनो उपकार मानवा बाबत .... .... .... , १९३ मी. अमरचंद पी. परमारनुं भाषण पृ. १९३ प्रमुख साहेबर्नु छेवटचें भाषण. १९३-१९५ टराव २०. प्रमुख साहेबनो उपकार मानवा बाबत .... .... , १९६ ठराव २१. देशी महाराजाओनो उपकार , , .... .... टराव २२. सवंत्सरीना तहेवारनी रजा मळवा बाबत .... .... , १९८ : Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८) भाग त्रीजो १--६८ "धी विक्टोरिया मॅमोरीयल स्कुल फोर धी ब्लाईन्ड"ने मदद पृष्ठ २ की लेडी नार्थकोट हींदु आर्फनेज"ने मदद .... .... ... ...., २-३ जीवदया उपर भाषणो .... .... ... .... .... ..." ४-१६ मी. लाभशंकर लक्ष्मीदास नुं भाषण पृ. ., बहेरामजी लीमजी पांडे , ,७-८ . , रेवाशंकर जगजीवन झवेरी , , -१३ चांमडाने बदले लुगडानां पुंठा वापरवा बाबत .... ... .... " १३ पांच खातानू फंड .... .... .... पुरवणी (क), १४-३१ श्री कॉन्फरन्सनीभाव फंड .... .... .... .... , (ख) , ३२-३३ डेलीगेटोनू लीस्ट .... .... " (ग) , ३४-६८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥श्री पंचपरमेष्ठिभ्यो नमः॥ ज्ञान 5फ हे. सनमा नथान पअहिंसा प्रथम भाग सन १९०३ मां मुंबईमां भरायली बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी “रिसेप्शन कमीटी" नो रीपोर्ट तथा हिसाब- सरवायं. श्री मुंबई स्थाने सप्टेम्बर मासनी तारीख १९, २०, २१ तथा २२ मीए भरायेली श्री जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरंसनी बीजी बेठकनी रिसेप्शन ( स्वागत ) कमीटीना रीपोर्टनी शरूआत करता पहेलां रजपुतानामां जोधपुरपासे आवेला श्री फलोदी तीर्थस्थाने कॉन्फरंसनी प्रथम शरुआत केवा संजोगो वच्चे थई अने तेने केटले दरजे फतेह मळी, ए संबंधे टुंक हकीकत अत्रे रजु करवा उचित धारं छं. हिंदुस्तानना सर्वे प्रांतोना जैन संघना प्रतिनिधी रूप एक महामंडळ मारफते समस्त कॉन्फरन्सनी प्रथ- जैन कोमनी धार्मिक तथा व्यवहारिक सुधारणा अने उन्नति करवाना म बेठकसंबंधे टुंक उद्देशथी श्री फलोदी तीर्थोन्नति समाना जनरल सेक्रेटरी आपणा हकीकत. जैन बंधु जेपुर निवासी मी. गुलाबचंदजी ढढा. एम. ए. ना स्तुतिपात्र प्रयासथी संवत १९५८ ना भादरवा (गुजराती) वदी ८ गुरुवार तारीख २५ मी सय्टेम्बर १९०२ ना रोज रजपुतानामां आवेला श्री फलोदी गाममां जैन कॉन्फरन्सनी प्रथम सभा मळी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) आ कॉन्फरन्स मेळववा माटे ते गाममां एक सुशोभित सामीयानुं उभं करवामां आव्यु हतुं. डेलीगेटोनी आगतास्वागता अजमेरवाळा शेठ हीराचंदजी सचेतीना प्रमुखपणा नीचे ठरावेली रीसेप्शन कमीटीए घणी सारी रीते करी हती. ___ सभानुं काम बपोरना ११ वागे शरू करवामां आव्युं हतुं. प्रारंभमां आमंत्रण संबंधी कह्या पछी रीसेप्शन कमी-ना प्रमुख साहेब तरफथी मी. गुलाबचंदजी ढहाए ते सभामा पधारेला गृहस्थोनो उपकार मान्यो हतो अने प्रसंगने अनुसरी एक घणुंज असरकारक भाषण कर्य हतं अने ते भाषण दरमीआन दरवर्षे कॉन्फरन्स मेळववानी आवश्यकता तेमणे स्पष्टपणे सिद्ध करी हती. आ भाषण समाप्त थया बाद आ कॉन्फरन्समां जुदां जुदां १८ स्थळोमांथी पधारेला सदगृहस्थोनी परस्पर ओळखाण कराववामां आवी हती. पछी कॉन्फरन्सना काम तरफ संपूर्ण दिलसोजी तथा मळतापणुं वतावनारा तथा कॉन्फरन्सना कामने दरेक रीते विजय मळो, एवी प्रार्थना करनारा जुदां जुदां २५ गामोतरफथी आवेला तारो तथा पत्रो रजु करवामां आव्या हता. __ आ पत्रो रजु थया वाद श्री भावनगर निवासी शेठ कुंवरजी आणंदजीनी दरखास्तने जोधपूर निवासी पटवा कानमलजीए टेको आपवाथी जोधपर निवासी मुताजी बख्तावरमलजीने कॉन्फरन्सना प्रमुख तरीके चुंटी कहाडवामां आव्या हता. सभासदोना हर्षनाद बच्चे प्रमुख साहेबे पोतानुं स्थान लीधा पछी तेओ साहेबे कॉन्फरन्स भरवानी आवश्यकता तथा तेना कर्तव्य बाबत एक लंबाण भाषण आप्युं हतुं. त्यार पछी आ प्रथम कॉन्फरन्समां शुं शुं विषयो लेवा तेनो निर्णय करवा मि. गुलाबचंदजी ढहानी दरखास्त अने मुंबईवाळा शेट दीपचंद माणेकचंदना टेकाथी २५ गृहस्थोनी सबजेक्ट्स कमीटी नीमवामां आवी हती; अने त्यार वाद रातना आठ वागे मळवानो निश्चय करी कॉन्फरन्सनुं ते वखतनुं काम समाप्त करवामां आव्यु हतुं. __मुख्य सभा बरखास्त थया पछी तेज स्थानके सबजेक्ट्स कमीटीनी सभा मळी हती अने आ प्रथम कॉन्फरन्समां चर्चवाना विषयोनो निर्णय करी सांजे पांच वागे ते सबजेक्ट्स कमीटीनी सभा बरखास्त करवामां आवी हती. तेज दिवसे रात्रे आठ वागे सघळा गृहस्थो मंडपमां पधार्या हता अने प्रमुख साहेबे पोतानी बेठक लीधा बाद सभानु काम शरू करवामां आव्युं हतुं. आ कॉन्फरन्सनी पहेली बेठकमां नीचे जणावेला त्रण ठरावो थया हता. ठराव १ लो-प्रारंभमां बिकानेरना शेठ पुनमचंदजी शावणमुखाए दरखास्त करी के "आ सभानुं नाम श्री जैन कॉन्फरन्स राखवू". आ दरखास्तने अमदावादना शा. मणीलाल छगनलाले टेको आप्यो अने ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. ठराव २ जो-जेपरना शेठ सुजानमलजी ललवाणीए दरखास्त करी के "कॉन्फरन्स वर्षमा एकवार अनकुळ पडते स्थळे मेळववी." आ दरखास्तने अमदावादना शेठ जैसींगभाई कालीदासे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. ठराव ३ जो-अमदावादना शा. मोतीलाल कशळचंदे दरखास्त करी के “ आपणी जैन कोम केळवणीना संबंधमां बहु पठात छे तेथी ते ते बाबत आगळ वधी शके तेटला माटे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११ ) जैन वर्गना आगेवान गृहस्थोए योग्य प्रयास करवो जोइए." आ दरखास्तने अमदावादना शेठ दलसुखभाई लल्लुभाईए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. त्यार बाद सभा बीजा दिवस उपर मुलतवी राखवामां आवी हती. बीजे दिवसे एटले ता. २५ मी डीसेंबर १९०२ ना रोज सभानुं काम ११ वागे `शरु करवामां आव्युं हतुं. प्रमुख साहेब पोताने स्थाने बीराज्यापछी ठरावोनुं काम हाथ लेवामां आव्युं हतुं. आ बीजे दिवसे आठ ठरावो प्रसार करवामां आव्या हता जे नीचे प्रमाणे हता. ठराव ४ थो - भावनगरना शा. कुंवरजी आनंदजीए एक असरकारक भाषण साथै दरखास्त करी के " संसारिक केळवणी साथे बाल्यावस्थामांथीज धार्मिक केळवणी आपवानी आवश्यकता छे, माटे तेने लगता योग्य प्रयत्नो करवा जोइए. " आ दरखास्तने अमदावादना शा. अमृतलाल रतनचंदे टेको आप्या बाद ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. ठराव ५ मो - मी० साकरचंद माणेकचंद घडी आलीए दरखास्त करी के "बीन वारसी बाळकोने तथा निराश्रीत श्रावकोने आश्रय आपवामाटे योग्य गोठवण थवानी आवश्यकता छे. " ते दरखास्तने मि. गुलाबचंदजी ढड्ढाए एक असरकारक भाषण करी टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. ठराव ६ ट्ठो - महुवा - काठीआवाडना प्रोफेसर नथुचंद मंछाचंदे दरखास्त करी के ““कयां कयां तीर्थो, अने कयां कयां जैन मंदिरो, क्यां क्यां जीर्ण स्थितीमां छे तेनुं लीस्ट तयार कराव अने पछी तेना जीर्णोद्धारने लगतो. प्रयत्न थवो जोइए. आ दरखास्त सोजतना हाकेम मंगळचंदजी भंडारीए टेको आप्यो हतो. 39 ऊपली दरखास्तमां शेठ पुनमचंदजी शावणसुखाए सुधारो सुचव्यो के " जीर्णोद्धार - योग्य रीति अनुसार थवो जोइए. " ते ऊपरथी तेटला सुधारा साथे मुळ दरखास्त पसार करवामां आवी हती. ठराव ७ मो - मुंबईना शेठ दीपचंद माणेकचंदे दरखास्त करी के "श्री फलोदी तीर्थना संबंधना देहेरासर विगेरेमां बहु गेरसंभाळ अने आसातना थती जोवाथी आ कॉन्फरन्स पोतानी दिलगीरी जाहेर करे छे अने आशा राखे छे के आ तीर्थनो हिसाब श्री फलोदी तीर्थोनति सभा मेडताना जैन गृहस्थो पासेधी सत्वर मेळवी बहार पाडशे अने तेनी सीलीक• मांधी रंग रिपेरनुं काम ताकीदे थाय तेवां पगलां भरशे." आ दरखास्तने शेठ कुंवरजी आनंदजीए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. ठराव ८ मो- अमदावादना शा. गोकळभाई अमथाशाए दरखास्त करी के "ज्यां ज्यां आपणां पुस्तकोना भंडारो होय त्यांनी दरेक पुस्तकनी टीप, पुस्तकनी स्थिति साधे, आ कॉन्फरन्स तरफथी तैयार करावी छपावी बहार पाडवी. " आ दरखास्तने शेठ कुंवरजी आणंदजीए एक असरकारक भाषण करी स्पष्ट करी हती. तेने माणसाना शा. हाथीभाई मूळचंदे टेको आपतां ते दरखास्त सर्वानुमते पसार घई हती. ठराव ९ मो - मुंबईना मि. अमरचंद पी. परमारे हिंदी भाषामां एक असरकारक - अने लंबा भाषण साधे दरखास्त करी के " जैन कोममां चालता हानिकारक संसारिक रिवाजो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) दूर करवा माटे बनतो प्रयत्न करवो जोइए." आ दरखास्तने जोधपुरखाळा मि. मनोहरमलजी ढवाए टेको आप्यो हतो अने ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. ठराव १० मो-शेठ दीपचंद माणेकचंदे दरखास्त करी के "आ कॉन्फरन्सने लगतु तमाम कामकाज करवाने माटे जनरल सेक्रेटरी तरीके अमदावादना शेठ लालभाई दलपतभाई तथा जेपुरना मि० गुलाबचंदजी ढट्टानी नीमणुंक करवी तथा नीचे प्रमाणे १२ गामना जुदा जुदा गृहस्थोने प्रांतिक सेक्रेटरीओ नीमवा. अमदावाद-शा. मोतीलाल कशळचंद.। जयपूर-शेठ सुजानमलजी ललवाणी. अजमेर-शेठ हीराचंदजी सचेती. पुना-शेठ नानचंद भगवान. इंदोर-शेठ लखमीचंदजी छीपाणी. भावनगर-शा. कुंवरजी आणंदजी. उदेपुर-शेठ मगनलालजी पुंजावत. मुंबई-शेठ फकीरचंद प्रेमचंद. कलकत्ता-झवेरी मोतीचंद लाभचंद. झवेरी माणेकलाल लाभाई. शेठ जेठाभाई जेचंद. लाहोर–बाबु जसवंतरायजी जेनी. ग्वालियर-शेठ नथमलजी गुलेच्छा. ___ उपर कहेला बे जनरल सेक्रेटरीओने प्रांतीक सेक्रेटरीओमां फेरफार करवानो तथा नवा नीमवानो अखतीआर आपको अने प्रांतीक सेक्रेटरीओने पोतपोताना सर्कलमां योग्य गृहस्थोनी कमीटीओ नीमवानो अखतीयार आपवो." आ दरखास्तने शेठ गणेशमलजीए तथा सादराना वकील छोटालाल ललुभाईए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. ठराव ११ मो-शेठ कुंवरजी आणंदजीए दरखास्त करी के “ आवती कॉन्फरन्स श्री पालीताणे अनुकुळ वखते भरवी." आ दरखास्तने शा. मोतीलाल कशळचंद तथा अमदावादना मी० भगुभाई फत्तेहचंद कारभारीए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. आटलुं कार्य करी श्री पार्श्वनाथ भगवाननी जय बोलावी कॉन्फरन्सनुं काम समाप्त थयु. पहेली जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सना उपर रजु करेला ११ मा ठरावनी बीजी कॉन्फरन्स रुए बीजी कॉन्फरन्स श्री पालीताणे भरवानी हती पण आ पवित्र क्यां भरवी. __ तीर्थनी थयेली आसातनानी खटपटने लीवे श्री जैन संघने आ स्थळ फेरववानी आवश्यकता जणाई अने तेथी तेनी बेठकनुं स्थळ नक्की करवा माटे पुनः विचार करवो पडयो हतो. देशना जुदा जुदा भागना आगेवान जैन गृहस्थोनी साथे विचार करवानुं बनी आवे ते माटे कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी मी. गुलाबचंदजी ढहा के जेओ रात दिवस कॉन्फरन्सना श्रेय माटे प्रयास करे छे तेमणे अमदावाद मुकामे तारीख २५ मी जुन सने १९०३ ना रोज भेगा मळवा माटे प्रांतिक सेक्रेटरीओने तथा बीजा आगेवान गृहस्थाने पत्रो लख्या हता. आ पत्रोमां बीजा केटलाक सबालो साथे कॉन्फरन्स क्यां भरवी, ए सवाल मुख्य हतो. ____ आ बाबतनी जुदे जुदे स्थळे चर्चा चालवा मांडी हती. केटलाएक भोयणी, अमदावाद विगैरे स्थळे कॉन्फरन्स भरवान कहता हता त्यारे केटलाएक तरफथी जुदा जुदा देशनी जैन क्रोमनी बहोळी वस्ती, धनाढ्यपणुं, सगवडता, अने महाराजजी श्रीमद् मोहनलाल जी महारा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३ ) जनी हाजरी विगेरे जुदां जुदां कारणो सर श्री मुंबईने माटे वहुज हिमायत करवामां आवती हती. ____ आ बाबतनो निर्णय करवा माटे तारीख १५ मी जून सने १९०३ ने दीवसे सोमवारे सवारे मुनी महाराज श्रीमद् मोहनलालजी महाराजना व्याख्यान वखते साडासात वागे जैन कॉन्फरन्स क्यां भरवी ते विषयउपर विचार करवा एक सभा लालबागमां बोलाववामां आवी हती. आ सभामां आगेवान गृहस्थो पुरती संख्यामां हाजर थई शकेला नहीं होवाना सबबी आ कामने तारीख १८ मी उपर मलतवी राखी सभा बरखास्त करवामां आवी हती. आ पछी आ सभामां पधारेला कॉन्फरन्सना हितचिंतकोए ता. १८ मी पहेलांज जुदा जुदा आगेवान गृहस्थोने मळी आ बाबत विचार कर्यो अने तेमां बीजी कॉन्फरन्स मुंबईमां भरवी एवो घणाएकनो मजबुत अभिप्राय थतां ता. १८ मीने गुरुवारे उपर ठराव्या मुजब बोलाववा धारेली सभा मुलतवी राखवामां आवी हती. बीजी कॉन्फरन्सनी बेठक मुंबईमा करवानी वात जैन मंडळोमां प्रसरतां ते तरफ लोक लागणीथी ते कार्य करवानी उत्सुकता अने खंत प्रतिदिन वधवा लागी अने आ बाबत ज्यां त्यां जोसमेर चर्चावा लागतां ता. २१ मी जूनने रवीवारने दिवसे रातना साडासात वागे “धी जैन एसोसीएशन ऑफ इन्डीआ"ए पोताना होलमां आ बीजी कॉन्फरन्स क्यां भरवी तेनो विचार करवा एक सभा बोलावी. आ सभामां जैन आगेवान गृहस्थोए पुरती संख्यामां हाजरी आपी हती अने १॥ कलाक सुधी आ बाबत उपर लंबाण विचार चलाव्या बाद बनी शके त्यांसुधी बीजी कॉन्फरन्सनी बेठक मुंबईमां मेळववानुं ठराववामां आव्यु तथा अमदावाद खाते अत्रेना आगेवान गृहस्थोए अवश्य जवु एम पण सुचववामां आव्युं हतुं. अने जे गृहस्थो आ मीटींगमां हाजर थई शक्या नहोता तेमने आ ठरावनी खबर आपवानुं पण ठराववामां आव्युं हतुं. ___ता. १५ मी अने ता. २१ मीनी मीटींगोथी केटलाक आगेवान गृहस्थोने अमदावाद वीजी कान्फरन्स- जवाना काममां उत्साह मळ्यो अने तेथी ता. २५ मी जुनने दीवसे मी. ना स्थळ विशे नि- ढहाने आपेली कबुलात प्रमाणे अत्रेथी रावसाहेब हीराचंद मोतीचंद, र्णय करवा अमदा- शेठ गुलाबचंद धरमचंद, शेठ हेमचंद अमरचंद, शेठ मोहनलाल पुंजा. वाद खाते मळेली भाई, शेठ माणेकलाल घेलाभाई तथा हुँ एम छ जण श्री अमदावाद सभा. जवा माटे विदाय थया. ___ता. २६ मीने सवारे अमे बधा अमदावाद पहोंच्या. स्टेशन उपर आपणा मानवंता शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आइ. ई. पोताना पुत्र मि. भोगीलाल अने बीजा गृहस्थो साथे अमने लेवा माटे पधार्या हता. जेम कोई पोतानो खरेखरो स्नेही अथवा मोटो गृहस्थ पोताने त्यां आवतो होय अने तेने माटे जुदी जुदी जातनी तैयारीओ करी होय तेम आ आपणा मानवंता शेठ अमारे सारु घोडागाडीओ वगेरे साथे लाव्या हता. जे प्रमाणे अमे मुंबईथी छ जण गया हता तेवीज रीते भरूचथी पण शेठ अनोपचंद मलुकचंद पधार्या हता. अमे सर्वे शेठ वीरचंदभाईनी हाजर राखेली गाडीओमां बेसी तेओ साहेबनी साथे तेमने मुकामे गया. मि. गुलाबचंदजी ढहा जेपुरथी आवती टेनमा आवनार होवाथी तेमनो सत्कार करवा अर्थे स्टेशनउपर शेठ लालभाई दलपतभाई तथा बीजा पचासेक गृहस्थो आव्या हता. ट्रेन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४ ) प्लॅटफॉर्म उपर आवतां मि. ढहाने हर्षनादथी वधावी लई तमने फुलोना हार पहेराव्या बाद तेओने साथे लई स्टेशन उपर आवेलुं तमाम मंडळ शेठ वीरचंद दीपचंदने त्यां आव्युं अने बपोरे विचार करवा अर्थे मळवानो ठराव करी सौ पोत पोताने स्थानके गया. मुंबई तेमज वीजा गामना गृहस्थोने तेज दिवसे पाछा जवान होवाथी शेठ लालभाई दलपतभाई तथा शेठ वीरचंद दीपचंदनी सहीथी सऍलर काढी वीजी कॉन्फरन्स क्यां भरवी ते विगेरे बाबतनो विचार करवा तेज दिवसे एटले ता. २६ मीए बपोरना बे वागतां मीटींग बोलाववामां आवी. आ मीटींगविषे आगवान शेठीयाओने सयुलरद्वारा तथा बीजा गृहस्थोने माणस मारफत खबर करवामां आवी हती. मि. गुलाबचंदजी ढहासाथे स्टेशनी पधारेला गृहस्थोने पण मीटींगमां हाजर रहेवानी विनंति करवामां आवी हती. शेठ कुंवरजी आणंदजी पण तेज दिवसे भावनगरी आ मीटींगमां भाग लेवा पधार्या हता. उपर मुजब बोलावेली सभानुं काम सभास्थान चिकार भराई जतां बरावर ३॥ वागे शरू करवामां आव्युं हतुं. आ मीटींगमां मुंबई तरफथी रावसाहेब हिराचंद मोतीचंद, झवेरी गुलाबचंद धरमचंद, शेठ हेमचंद अमरचंद, शेठ मोहनलाल पुंजाभाई, शेठ माणेकलाल घेलाभाई तथा हुं, भरूचथी शेठ अनोपचंद मलुकचंद, भावनगरथी शेठ कुंवरजी आणंदर्जा. जेपूरथी मि. गुलाबचंदजी ढढा एम. ए., अजमेरथी शेठ धनराजजी कासटीआ अने राधनपुरथी शेठ फूलचंद कमळशी विगैरे बहारगामना गृहस्थोसाथे अमदावादना शेठ मनसुखभाई भगुभाई, शेठ लालभाई दलपतभाई, शेठ जेसींगभाई हठीसींग, शेठ मणीभाई जेसींगभाई, शेठ चिमनलाल नगीनदास, शेठ वीरचंद दीपचंद, रा. सा. वाडीलाल ताराचंद, वकीलो मि. सांकळचंद रतनचंद, मि. हरीलाल मंछाराम, मि. छोटालाल कालीदास, मि. केशवलाल प्रेमचंद. मि. चिमनलाल पुरुषोत्तमदास, मि. पोपटलाल अमथाशा, मि. मोहनलाल गोकळदास, शा. मोतीलाल कशळचंद, शा. मगनलाल दलपतराम, शा. वेणीचंद सुरचंद, शा. हरखचंद रायचंद, शा. हीराचंद कक्कल, शा. गोकळदास अमथाशा तथा मि. भगुभाई फत्तेहचंद कारभारी विगेरे २०० गृहस्थो हाजर थया हता. ___सभानु प्रमुखस्थान शेठ जेसींगभाई हठीसींगने आपवामां आव्युं हतुं. शरूआतमां मि. गुलाबचंदजी ढहाए अमदावादना गृहस्थोनो तेमने आपेला आवकार माटे उपकार मान्यो हतो अने प्रथम कॉन्फरन्सनी गया वर्षनी मीटींगविपे अन कॉन्फरन्सना उद्देशविषे लंबाणी विवेचन करी आवती कॉन्फरन्स क्यां मेळववी ते माटे हाजर थयेला गृहस्थोना अभिप्राय माग्या हता. __ आ संबंधमां शेठ चिमनलाल नीनदासे दरखास्त करी के “ आवती कॉन्फरन्स मुंबईमां मेलवबी. " आ दरखास्तने भरूचवाळा शेठ अनोपचंद मलुकचंदे टेको आप्यो हतो. उपरनी दरखास्त संबंधी में सभासदोनो अभिप्राय माग्यो त्यारे मि. मोतीलाल कशळचंद शाहे कोई तीर्थ स्थळे कॉन्फरन्स भरवा सुचना करी हती. पण आ दरखास्त ऊपर पुष्कळ वादविवाद थया पछी कॉन्फरन्स मुंबईमां मेळववानुं नक्की करवामां आव्यु हतुं. बीजी दरखास्त आ कॉन्फरन्सना प्रमुख कोने नीमवा ते विपेनी हती. अने ते संबंधी शेठ लालभाई दलपतभाईए दरखास्त करी के “ कलकत्ता निवासी राय बद्रीदासजी काळकादा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सजी बहादुरने बीजी कॉन्फरन्सवें प्रमुखपद स्विकारवा अरज करवी. " अने तेने अजमेरवाळा शेठ धनराजजी कासटीआए टेको आपतां आ दरखास्त सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. त्रीजी दरखास्त श्री भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आणंदजीए करी के बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी बेठकना दिवसो सुद बीज त्रीजना सुमारे ठराववा अने तेने शेठ साराभाई मगनभाई हठीसींगे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती.. ____ आ पछी मि. मोतीलाल कसळचंद शाहे डेलीगेटोनी फी लेवा सबंधी ठराववा विषे तथा कॉन्फरन्समां कया कया विषयो चर्चवा ते संबंधी प्रश्न करतां ते उपर केटलीक वातचीत थया पछी ते सवालोविषे निर्णय करवान काम मुंबईनी रीसेप्शन कमीटीन होवाथी प्रमुख साहेबनो उपकार मानी सभानु काम पुरुं थयेलं जाहेर करवामां आव्युं हतुं. शेठ मगनलाल दलपतरामे बहारगामथी पधारेला गृहस्थोनो उपकार मान्यो हतो अने सांजरे साडापांच वाग्याने सुमारे सभा विसर्जन थई हती. __ आ वखते लोकोना चहेरा उपर अपूर्व आनंद देखातो हतो. मीटींगमां पधारेला गृहस्थोने शेठ वीरचंद दीपचंद तरफथी पानसोपारी, तथा हारकलगीओ आपवामां आव्यां हतां. आ तमाम काम चाल्युं त्यारे आपणा लोकप्रिय शेठ वीरचंद दीपचंदने अपूर्व लाभ थयो होय एवो हर्ष तेमना चहेरा उपर प्रसरेलो देखातो हतो. तेज दिवसे रात्रे मेलमां रवाना थई अमे सर्वे मुंबई आव्या अने कॉन्फरन्सनी बीजी बेठक मुंबई खाते मेळववा माटे शुं व्यवस्था करवी तेनो विचार करवा अर्थे ता. २९ मी जुनने दिवसे “धी जैन एसोसीएशन ऑफ इंडिआ"ना होलमां श्री जैन संघनी एक मीटींग बोलावी तेमां एवो ठराव थयो के श्रीसंघपतिने श्रीसंघ भेगो करवा माटे एक आमंत्रण पत्रिका काढवा विनंती करवी. ते उपरथी संघपति शेठ रतनचंद खीमचंद मोतीचंद तरफथी ता. २ जी जुलाईने दीवसे संघ एकठो करवामाटे आमंत्रणपत्रिका काढवामां आवी हती जेने मान आपीने ता. २ जी जुलाईने रोज सवारना आठ वागे मांडवीपर आवेली श्री कच्छी वीशा ओशवाळ ज्ञातीनी महाजन वाडीमां श्रीमन् मोहन मुनिजीना व्याख्यान वखते एक गंजावर संघ एकठो थयो हतो. तेमां सुमारे १५०० पुरुष तथा ५०० स्त्रीयो मळी आशरे बे हजार श्रावक श्राविकाओ हाजर थयां हतां. शरुआतमां मी. माणेकलाल घेलाभाईए संघ एकठो करवानो हेतु वांची संभळाव्यो अने तेम करतां तेओए जणाव्यु के " गुजरात, कच्छ, काठीआवाड, मारवाड, दक्षिण विगेरे स्थळोना वनेला अत्रेना सकळ संघने विनंती करीने आजे बोलाववामां आव्यो छे तेनुं कारण ए छे के जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स एटले भारतवर्षना सकळ संघने मान आपवा तथा तेमनी योग्य पहरोणागत करवा तेमज तेने लगतुं कामकाज करवामाटे अत्रेना गृहस्थोनी एक कमीटी नीमवी. जैन भाईओनी जे गंजावर संख्या जोवामां आवेळे तेथी आपणुं काम फत्तेह भरेली रीते पार पडशे एम मने संपूर्ण आशा छे अने तेथी आजनी सभा पोताना प्रमुख नीमीने काम आगळ चलावे एवी मारी नम्र विनंती छे. " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) प्रमुख माटेनी दरखास्त मुकतां में जणाव्युं के “ आजे संघपति शेठ रतनचंद खीमचंद मोतीचंद अत्रे हाजर छ माटे तेमनेज प्रमुखपद आपq जोईए." आ दरखास्तने मी. अमरचंद पी. परमारे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. शेठ जेठाभाई नरसी केशवजीए प्रथम दरखास्त मुकतां जणाव्यु के “ मुंबईमां वसता देश देशावरना श्वेतांबर जेनोना सर्वे तड तथा न्यातोना गृहस्थो जाहेर संघमां आजे ता. २ जुलाई सने १९०३ ने दिवसे एकठा थई सर्वानुमते ठराव करेछे के आ वर्षे बीजी जैन (श्वेताम्बर ) कॉन्फरन्स मुंबाईमां आवता भादरवा वदी ( गुजराती ) १३ शनी १४ रवि तथा अमास सोमवार ( सप्टेम्बर मासनी तारीख १९, २० तथा २१ मी) ना दिवसोए भरवी अने तेनी तमाम प्रकारनी व्यवस्था करवाने जुदा जुदा साथना आगेवान गृहस्थोनी (तेमां वधारो करवानी सत्ता साथेनी) एक रीसेप्शन (स्वागत ) कमीटी नीमवी अने तेमां आशरे अढीसोथी त्रणसो गृहस्थोनी नीमणुक करीने तेमनां नामो पाछळथी जाहेर करवां." आ दरखास्तने राव बहादुर माणेकचंद कपुरचंदे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थयेली जाहेर करवामां आवी हती. मजकुर रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख नीमवानी बीजी दरखास्त मुकतां में जणाव्यु के " आपणी कोमना जणीता आगेवान गृहस्थ शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. जेओ आपणा जैन बंधुओनी उन्नति माटे तन मन अने धनथी महेनत करेछे अने तेमनी वृद्धावस्था छतां, आपणी जैन कोमना उदय माटे श्रम उठावया सदा तैयार रहे छे, जेओ पोते जेन कॉन्फरन्स भरवानी वर्षोथी हिमायत करता आन्या छे तथा ए उत्तम कार्य प्रत्ये दिलसोजी धरावेछे तेओ साहेबने रिसेप्शन कमीटीनुं प्रमुखपद आप, यथार्थ होवाथी तेमने प्रमुखपद आपबानी दरखास्त मुकुर्छ." आ दरखास्तने शेठ हंसराज लालजीए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थयेली जाहेर करवामां आवी हती. शेठ जेठाभाई दामजी मेघजीए त्रीजी दरखास्त करी के "रिसेप्शन कमीटीना उपप्रमुखो तरीके शेठ प्रेमचंद रायचंद, राव बहादुर शेठ माणेकचंद कपुरचंद, शेठ जेठाभाई नरसी केशवजी, रावसाहेब शेठ वसनजी त्रीकमजी, शेठ देवराज टोकरसी, शेठ त्रीभोवनदास भाणजी, शेठ लल्लुभाई धरमचंद, शेठ पनाजी भीमाजी, शेठ मोतीचंद देवचंद, शेठ नगीनदास झवेरचंद अने शेठ गणेशमलजी सोभागमलजीनी नीमणुक करवी अने जरूर जणातां तेमां वधारो करवानी रिसेप्शन कमीटीने सत्ता आपवी" आ दरखास्तने मी. खीमजी हीरजी कायाणीए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. आ सभामां जो के उपर जणावेला सदगहस्थोने उपप्रमुख तरीके पसंद करवामां आव्या हता, तोपण कामकाजनी व्यवस्था माटे पाछळथी ते लीस्टमां सुधारो वधारो करवामां आव्यो हतो. ते सुधारा प्रमाणे जे उपप्रमुख साहेबो कॉन्फरन्समां बीराज्या हता तेमनां नामनु लीस्ट पुरवणी अ मां जोडवामां आव्युं छे. शेठ जेठाभाई दामजी मेघजीए, चोथी दरखास्त करतां जणाव्युं जे “ रावसाहेब हीराचंद मोर्ताचंदने रीसेप्शन कमीटीना खजानी तरीके नीमवा " ते दरखास्तने मी. खीमजी हीरजीए टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) पांचमी दरखास्त रजु करतां शेठ कल्याणंचद सोभागचंदे जणाव्यु जे रीसेपशन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी तरीके शेठ फकीरचंद प्रेमचंद रायचंदनी नीमणुक करवी. ए दरखाम्तने शेठ कस्तुरचंद झवेरचंदे टेको आप्याथी सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. मी. अमरचंद पी. परमारे कॉन्फरन्सना संबंधमां विवेचन करतां जणाव्यु के "देशोदेशना अत्रेना रहेवावाळा तमाम साधना जैन बंधुओनी एवी लागणी छेके, बीजी जैन कॉन्फरन्स मुंबाईमां भरवी अने आ कॉन्फरन्समां भाग लेवा माटे मुंबाई पधारनारा गृहस्थोनी आगता स्वागता करवा माटे जे स्वागत कमीटी मुकरर करवामां आवीछे तेनी मतलब ए छे जे, जे प्रतिनिधीओ मुंबाईमां आवशे तेमनी आगतास्वागता ए कमीटी करशे. वळी मंडप, भोजन, उतारा, दवा विगेरे केटलीक व्यवस्था ए कमीटीने करवी पडशे. गई साल मारवाडमां श्री फलोदी मुकामे त्यांनी तीर्थोन्नत्ति सभा तथा जेपुरना माजीस्ट्रेट मी. गुलाबचंदजी ढढा एम. ए. ना प्रयासथी पहेली कॉन्फरन्स मली हती. जेमां मुंबाई, अमदावाद, कलकत्ता, पंजाब विगेरे तरफना प्रतिनिधीओ हाजर थया हता, ते वखते एवो ठराव करवामां आव्यो हतो के बीजी जैन कॉन्फरन्स श्री पालीताणा खाते भरवी. ज्यां कारतक सुदी १५ नी जात्राए घणा जैनो आवे छे अने ते वखते आवी सभा भरावाथी स्वधर्मीभाईओ तेनो मोटी संख्यामां लाभ लई शकशे. परंतु श्रीपालीताणा दरबारसाथे हालमां केटलीक बाबतो संबंधी झगडो चालतो होवाथी त्यां कॉन्फरन्स भरवानो विचार मांडी वाळवामां आव्यो छे अने अमदावाद खाते आगेवान जैनोनी मळेली सभामां मुंबईमां बीजी कॉन्फरन्स भरवानो ठराव करवामां आव्यो छे. ने हालना समयमां हिंदy मध्य बिंदु मुंबई छे ज्यां गुजरात, कच्छ, काठीआवाड रजपुतस्थान, (मारवाड, मेवाड विगेरे) माळवा, पंजाब, कलकत्ता, दक्षिण विगेरे सर्वे भागोना जैन भाईओ वसे छे. वळी आ प्रतापी जगोए हालमां मुनी महाराज श्रीमद मोहनलालजी महाराज पण बीराजे छे जेमना प्रतापी दरेक कार्यमां यश मळवानी संपुर्ण आशा राखी शकाय छे. स्वामी वात्सल्य करवो ऐ जैन भाईओगें मुख्य कर्तव्य छे अर्थात् खाली जमवू जमाडवू नहीं परंतु स्वामी भाईओने एकत्र करीने तेमनी सेवा वैयावच करवी, विचार अदलबदल करवा, एक बीजानां दुःख दूर करवां तथा कूडा रिवाजो दूर करवा प्रयत्न करवो विगेरे माटे स्वामीवात्सल्य करवा शास्त्रनुं फरमान छे अने कॉन्फरन्सनो पण ते हेतु छे. आथी जणाशेके कॉन्फरन्स कई नवी बाबत नथी. कार्तकी पुनमे, चैत्री पुनमे, फागण विगेरेमां जुदे जुदे तीर्थे दरसाल जात्राना मेळा भराय छे ते कॉन्फरन्स जेवाज छे. पाटणमां ज्यारे श्रीमद् मोहनलालजी महाराज बीराजता हता त्यारे जीर्ण जैन पुस्तकोनो उध्धार करवानी तजवीज थई हती. पण पछवाडेथी ते हीलचाल पडी भागी छे तो ते चालु राखवी जोइए. अत्रे निराश्रित फंडो थयां हतां ते संबंधी पण गोठवण थवी जोईए. वळी शास्त्र विरुद्ध जे रोवा कुटवा विगेरे हानिकारक रीवाजो छे, ते पण दूर करवा तजर्वाज करवी जोइए. जैन शासननी उन्नतिना अनेक प्रकारनां कार्य तथा सुधारा माटे खाली वातो करी उठी जवानुं नथी परंतु काई सिद्ध करी बताव, जोइए छे. अलबत, शरूआतमां धीमे धीमे काम थाय छे परंतु एक बीजा साथे मळी अनुभव लईने काम करीशुं तो ते सहेलुं पडशे अने ते मतलब कॉन्फरन्सथी पार पडशे. बहारगामी आ कॉन्फरन्समां पंदरसो उपर प्रतिनिधिओ आववानो संभव छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८ ) आखा हिंदमां जैन भाईओनी केटली वस्ती छे, केवा केवा प्रकारना जैनो छे. तेओनी स्थिति केवी छे, विगेरे नजरे जोवानी तथा तेमनी आगता स्वागता करवानी महान तक आपणने मळशे. कॉन्फरन्स माटे भादरवा वद तेरश चउदश तथा अमावास्याना जे दिवसो मुकरर करवामां आव्या छे, ते घणा अनुकुळ छे एटले शनी, रवि तथा सोमवती अमासना फुरसदना दिवसो छे. ___ पांच छ दिवस स्वामीभाईओनी भक्ति करवाने घणा जैन भाईओ उत्साह राखे छे तेथी जमणोने लगती सगवडता थई जशे. घणा भाईओनो तो एवो विचार छे के आवा दूर देशना जैन भाईओनां पगलां पोताने घेर थाय ए मोटा भाग्यनी वातछे. वळी रीसेप्शन कमीटीने अंगे स्वामीभाईओनी आगतास्वागता माटे मंडप कमीटी, उतारा कमीटी, भोजन कमीटी. पत्रव्यवहार कमीटी, खबर अंतर पुरी पाडनारी तंदुरस्तीने लगती कमीटी,बोलंटीयर कमाटी, हिसाव कमीटी अने फंड कमीटी विगेरे नीमवानी छे. आ प्रसंगे मि. अमरचंद पी. परमारे तेज दिवशना "मुंबई समाचार" ना अंकमां थयेली पोतानी "जैन कॉन्फरन्स"नी व्यवस्थानी योजना वांची संभळावी हती अने जुदी जुदी कमीटीओ विगेरे नीमवामां ते योजनानो संपूर्ण रीत उपयोग करवामां आव्यो हतो. आ कमीटीओमां सर्वे साथ तथा तडनी न्यातोना आगेबानोनी समावेश थवो जोईए. कॉन्फरन्सना खरच माटे फंड कमीटी वगवाळा गृहस्थोनी नीमवी जोईर कारणके पांचथी छ हजार रुपीयाना खर्चनो अडसट्टो फंडथी एकठो करवानो छे. आ कॉन्फरन्स वखते जुदी जुदी सभा, मंडळो तथा विद्यार्थीओनी साह्यता पण आपणे लेवी पडशे. आपणी "धी जैन एसोसीएशन ओफ ईडीया" उपरांत मुंबईमां मांगरोळ जैन सभा. जैनमित्रसमाज, शुभेच्छक मित्रमंडळ तथा केटलांक बीजां जैन मंडळो छे तेओने आ काममां सामले राखबा जोईए. तमेज शाळाओमां शिखता विद्यार्थीओने बोलंटीयरो करवामाटे कोशिश करवी जोईए. आ महान गंभीर कार्य उठाववा आजे मुंबई तैयार थयु छ, तमां मुंबईना जैनोए एवो विचार नहि राखवो के अमुक साथवाळाए अथवा अमुक न्यात अने अमुक गच्छवाळाए आ काम करवानुं माथे लीधुं छे, माटे तेओ संभाळी लेशे. आ काम अमुक न्यात, गच्छ. अथवा तडनुं नथी परंतु धार्मिक छे अने तेमां दरेक भाईए सामेल थर्बु जोइए अने दुनिआ तथा सरकारने देखाडी आपबुं जोइए के जैन भाईओ ऐक्यताथी आवां महान् कार्यो फत्तेहमंदी साथै पूर्ण करवाने शक्तिवान छे. हिंदमां जैन कोमनी वस्ती पंदर लाखनी छे अने तेना प्रतिनिर्धाओ आवी कॉन्फरन्समां एकठा थई जे काम करे ते केटलुं महत्वनुं तथा उन्नतिर्नु छ ते दरेक भाईए विचारवं जोईए. केटलेक ठेकाणे जैन भाईओ धंधा अने रोटी वगरना थई गया छे, केटलेक ठकाणे मंदीरो जीर्ण थई गयां छे, केटलेक ठेकाणे साधओ स्वच्छंदीपणे वर्ते छे, ते सघळानो सुधारो आवी रीते कॉन्फरन्स भरायाथी थशे अने ते कॉन्फरन्सनी व्यवस्था माटे जे रिसेप्शन कमीटी नीमाई छे तेने वनी शकती सर्व प्रकारनी साह्यता आपर्वा ए दरेक जैनबंधुनी फरज छे." त्यार पछी मि. केशवलाल मोहनलाल झवेरीए सुचना करी के " कॉन्फरन्सनुं नाम 'जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स'ने बदले 'जैन कॉन्फरन्स' राखवामां आवे तो विशेष सारं थाय." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९ ) मि. माणेकलाल घेलाभाईए ते विषेनो खुलासो करतां जणाव्यु के “ आ बाबत महवत्नी छे. आगळ जतां टंटो नहीं उठे अने संप जळवाय ते हेतुथी 'श्वेतांवर ' शब्द सामेल राखवामां आव्योछे. आपणे जीर्णोद्धार विगरे कामो करवानां छे, वळी आपणो हेतु संप जाळववानो अने ज्यां आगळ तेनी खामी होय त्यां आगळ ते प्रदिपी करवानो होवाथी भविध्यमां काई पण कलेश पेदा थाय नहिं तेवी रीते वर्तवानुं छे अने आपणे सर्वथी प्राचीन छीए तोपण पहेलेथीज सरळताथी काम लेवु ठीक छे." रावसाहेब हिराचंद मोतीचंदे जणाव्यु के " आ बाबत अमदाबाद खातेनी सभामा केटलोएक विचार करीने मुकरर करवामां आवी छे, माटे तेमां फेरफार करवानी जरूर नथी." मि. अमरचंद पी. परमारे जणाव्यु के " फलोदीमा जे पहेली कॉन्फरन्स मळी हती तेने 'जैन कॉन्फरन्स' एवं नाम आपवामां आव्युं हतुं माटे ते बदलीने बीजुं राखी शकाय नहि. " लंबाण विचार करी छेवटे ठराववामां आव्यू के 'श्वेतांबर' शब्द कौंसमां लखवो. तेथी आ ठरावप्रमाणे “जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स" नाम राखवामां आव्यु. आ ठराव थया पछी में विवेचन करतां जणाव्युं “के स्वागत कमीटीना चीफसेक्रेटरी तरीके मारी नीमणुक करी ते माटे संघनो उपकार मानुं छं परंतु मारे जणावq जोईए के आ काम एटलं मोटुं छे के तेमां दरेक भाईनी मददनी जरुरीयात छे, जेमनी मददथी मारे एकलाने माथे बोजो पडे नहीं अने श्री सघंनी शोभा वधे. जे जे भाईओ तरफथी जे जे सुचनाओ आवशे ते उपर हुं खास ध्यान आपीश. रीसेप्शन कमीटीनां नामो नकी थयेथी ते छपावीने सभासदोने खबर आपवामां आवशे, जेथी आवता रविवारे एकठा थई काम आगळ चलावी शकीए. माटे दरेक साथ, न्यात तथा तडना आगेवान गहस्थोए स्वागत कमीटी माटे नामो लखी मोकलवा महेरबानी करवी." रावसाहेब हीराचंद मोतीचंदे विवेचन करतां जणाव्यु के "कॉन्फरन्स शब्द अंग्रेजी छे तेथी कोईए कांई व्हीवान नथी. कॉन्फरन्स एटले संघ समजवो अने संघे भेगा थई सारां कामो करवानां छे. कोईए वळी एम नहि समजवू के आ सभामां जईशुं तो पैसा भरवा पडशे, एवु कांई छेज नहि. आगळ आपणा जैनो पैसा खरची जे मोटा मोटां कामो करी गया छे ते कामो अत्यारे पण हयात छे. आपणे हाल जे कांई पैसा खरचीए छीए तेनुं कांई संगीन काम जोवामां आवतुं नथी. भंडारोनी हाल केवी व्यवस्था थाय छे तथा तेमां शुं शुं अडचणो छे त तपासवानुं छे. कॉन्फरन्सनी बाबतमां कोईए मतभेद राखवानो नथी. न्यात साथ के तडनी गमे तेवी तकरार होय, तेवी बाबतोमां गमे तेवो मतभेद चालतो होय परंतु ते बधा एक बाजुउपर मुकी आ धर्मना काममा सघळाए सामेल थ, जोईए छे. धर्ममां मतभेद छेज नहि अने तेवो मतभेद पडवानुं कारण नथी. ज्यांसुधी कई पण काम हस्तीमां नथी लाव्या त्यांसुधी सर्वे वथा छे. छापामां खाली नोंध थवाथी मलकाई जवानुं नथी, माटे संगीन कामो हस्तीमां लाववा माटे आ कॉन्फरन्स मारफते दरेक भाईए प्रयत्न करवो जोईए." छेवटे श्रीमद् मोहनलालजी महाराजे कॉन्फरन्स संबंधी उपदेश आपतां जणाव्यु के आवा महोटा एकठा थयेला संघे महामभा माटे जे परिश', उठाव्यो छे ते फळीभुत करवा माटे यत्न करवामां पाछा पडवू जोई. .. मोट क्षेत्र छे अने त्यां ईच्छे तो घणां काम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०) थई शके तेम छे. वळी अत्रे कदाग्रह नथी तथा न्यात जातना टंटा नथी अने वधामा जे उछरंग जोवामां आवे छे तेथी रुडां कामो थवानो संभव छे. कल्याणक भूमिओ तथा तीर्थोना उधार करवानी घणी जरूर छे. तमे मुंबईमां सुशरो करोछो परंतु दूर देशोमां सुधारो करबो जोइए छे, कारणके पोताना घरमांतो सर्व कोई सुधारो करे छे. केटलेक स्थळे जैन भाईओ कष्ट भोगवे छे, तेवा स्वधर्मीओने सहाय करवी घटे छे अने महान सभानुं काम फत्तेहमंदीथी पार पाडवा माटे दरेक जैने दृढ विचार राखयो जोइए छे." बाद श्री जीन सासननी जय बोली संघ विसर्जन थयो हतो. आ प्रसंगथी जैन भाईओमां बहुज जागृति अने उत्साह नजरे पड्यां हतां. ज्यां जोइए कॉन्फरन्स संबंध त्यां जैन कॉन्फरन्सनी वातो उत्साह भर चालती हती. जुदी जुदी जैन लोकोनो उत्साह. सभाओमां पण कॉन्फरन्स मेळववाना लाभो अने तेमां लेवा योग्य विषयो, जैन कॉन्फरन्स संबंधी ढूंक विवेचन अने सुचना, डेलीगेटोनी फरज विगेरे गंभीरता वाळा अने जैन कॉन्सफन्स जेवा महा मंडळ मारफते पार पाडी शकाय तेवा सवालो चर्चावा लाग्या, अने ए बधान सामटुं परिणाम ए आव्यु के, नहिं धारी शकाय तेवी अने तेटली झडपथी कॉन्फरन्सनुं काम आगळ वध्यु अने जे ढूंक अरसामां वधी तैयारीओ करवानी हती ते सबळी निर्विघ्नपणे पार पडी. रसेप्शन कमीटीना मुख्य अधिकारीओनी नीमणुक थया पछी तरतज जुदी जुदी .. सबकमीटीओ नीमत्रा माटे रीसेप्शन कमीटीनी पहेली मीटींग ता. ५ रोसेप्शन कमीटीनी प्रथम सभा. मा " मी जुलाई रविवारना रोज मांडवी उपरनी श्री कच्छी वीशा ओशवाळ " ज्ञातिनी महाजन वाडीमां वपोरना एक कलाके बोलाववामां आवी हती जे वखते जुदा जुदा जैन साथना आगेवान गृहस्थो मोटी संख्यामां हाजर थया हता शरुआतमां सबकमीटीओ नीमवानुं काम हाथ धरवामां आव्युं हतुं अने नीचे मुजब कमीटीओ नीमवामां आवी हतो. कमीटीनां नाम. प्रमुखनुं नाम. सेक्रेटरीनुं नाम. १ इन्टेलीजन्स, हेल्थ अने । वोलन्टीअर कमीटी. - शेठ अंबालाल वापुभाई. मी. अमरचंद पी परमार. २ उतारा कमोटी. झवेरी कल्याणचंद शोभागचंद. मी. अमृतलाल केवलदास. ३ कॉरस्पोन्डन्स (पत्रव्यवहार)। काटी. मी.लखमसी हिरजी बी.ए.एल.एल.बी.मी. मोहनलाल पुंजाभाई. ४ फंड कमीटी. (प्रमुख नीमवामां आव्या न होता) शेठ त्रिभोवनदास भाणजी. ५ भोजन कमीटी. शेठ बालचंद कनीराम. मी. मोहनलाल हेमचंद. ६ मंडप कमीटी. सो मी. छोटालाल प्रेमजी. ७ हिसाब कमीटी. शेठ टोकी शामजी. मी. मुळचंद हीरजी. रावबहादुर माणेकचंद कपूरचंद. मी. देवकरण मूळजी. जनरल सुपरवाईझर तरीके शेठ माणेकफरन्स शभाईने नीमवामां आव्या हता. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) उपरनी दरेक कमीटीमां प्रमुख अने सेक्रेटरी उपरांत केटलाक मेम्बरोनी गोठवण करवामां आवी हती जेओनां नामनुं लीस्ट पुरवणी ईमां दाखल करवामां आव्युछे. आ मीटींगमां कॉन्फरन्स भरवाना खर्चनुं फंड चालु करतां तेमां तेज वखते सखी दिलना गहस्थो तरफथी एक सारी रकम भरी देवामां आवी हती. पाछळथी फंड धीमे धीमे वृद्धि पाम्युं हतुं, आ फंडमां जे जे गृहस्थोए नाणां भर्या हतां तेनी संपूर्ण टीप पुरवणी आमां आपीछे. स्वामी वत्सल्यतानो अपूर्व लाभ समजनारा केटलाएक उदार अंतःकरणना सद्गृहस्थो तरफथी बहार गामथी आवनारा प्रतिनिधीओने भोजन विगेरे आपवानी तथा बीजी रीते भक्ति करवानी नीचे जणावेला दिवसो माटे मागणी करवामां आवी हती. भक्ति करवानी मागणी करवानुं प्रथम मान मेळवनार शेठ. देवकरण मुळजी हता. तेमणे भादरवा वदी १३ ने दिवसे बहारगामथी पधारनारा सघळा प्रतिनिधीओने पोताने त्यां जमाडवा माटे श्री संघने विनंती करी हती. तेजप्रमाणे भादरवा वदी .)) ना रोज शेठ अमरचंद तलकचंदे सहवारना तथा सांजना जमण माटे जैन क्लबने मागणी करी हती, अने रावसाहेब हीराचंद मोतीचंदे आसो सुदी १ ने दिवसे बन्ने वखत पोताने त्यां जमाडवानी रजा मेळववानी मागणी करी हती. उपरनी मागणीओ स्विकारवानुं काम विचार करवा उपर मुलतवी राखवामां आव्यु हतुं. त्यार पछी बहार गामथी पधारनारा डेलीगेटोनी (प्रतिनिधीओनी) शारीरिक संभाळ राखवा माटे डाक्टरो नगीनदास माणेकलाल, मगनलाल उमीयाशंकर भट्ट. एल. एम. एन्ड. एस., अमृतलाल जे. महेता. एल. एम. एन्ड. एस., मयाचंद मगनलाल वडोदरावाळा तथा वैद्य मगनलाल लालचंद तरफथी मफत सारवार करवानी मागणी करनारा पत्रो आव्या हता, तेमनी मागणी उपकार साथे स्विकारवामां आवी हती. रसेप्शन कमीटीनी बीजी मीटींग तारीख १५ मी जुलाईने बुधवारे रात्रे ७॥ वागतां रीसेप्शन कटी. शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. ना प्रमुखपणा हेठळ श्री गोडीजी महाटीनी बीजी सभा. राजना देहेरासरनी पाछळ बोलाववामां आवी हती, जे वखते कॉन्फरन्सने अंगे थनारा खर्चने पहोंची वळवा माटे शुं रस्तो लेवो ते विषे विचार चलाववामां आव्यो हतो. ___ शरुआतमां मी. अमरचंद पी. परमारे जणाव्युं के “ भाई हरखचंद रायचंद तरफथी एक नवीन स्कीम तैयार करवामां आवी छे अने तेमां तेओर्नु कहे, एम छे के आपणे टीकीटो कहाडवी, तेमां स्टेजनी टीकीटना रु. ५०, त्यार पछीनी सीटना रु. २५, अने छेवटनी सीटना रु. १० राखवा. आ मुंबई शहरेमां एवी घणी टीकीटो खपी जशे अने थोडी महेनत आपणे जोईती रकम एकठी करी शकीशुं" उपर जणाव्या प्रमाणे आ असल दरखास्त भाई हरखचंद रायचंदनी हती पण तेओ बहारगाम गयेला होवाथी मी. अमरचंद पी. परमारे रजु करी पोताना तरफथी टेको आप्यो हतो. आ दरखास्तना संबंधमां सौए पोतपोतानो विचार खुथीथी जणाववो एवं में जाहेर कर्य. झवेरी माणेकलाल घेलाभाईए जणाव्यु के "आ दरखास्त व्यवहारु नथी माटे ते नामंजुर करी प्रथमथी जे प्रमाणे टीप शरु करवामां आवीछे ते चालु राखवी. आवी रु. ५०, रु. २५, अने रु. १०, नी टीकीटो धारेली संख्यामां खपशे नहिं अने स्टेज उपर आपणे योग्य विद्वानो अने अमुक शहेरोना आगेवान गहस्थोने बेसाडवा मागीए छीए माटे ते नभी शकशे नहीं. वळी आपणे आ धार्मिक काम करवा नीकळ्या छीए तेमां पैसा आपे तनेज मात्र मान आपी आगळ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२ ) बेसाडया ए नाटकनी रीति दाखल करवा जेवुं थशे. नेशनल काँग्रेस जेवुं महामंडळ पण आयी रीतनी टीकीटोथी पैसा भेगा करतुं नथी. तेमज बीजी कॉन्फरन्सो पण जोईतुं नाणुं मेळवा फंड करेछे, पण मोटी किंमतनी टीकीटो कहाडती नथी, तो आपणे चालु रिवाजने दुर करवानो बिचार न करतां जे रीते फंड भरावानुं शरु कर्युछे तेज रीते भरावानुं काम जारी राखनुं. " उपरनी झवेरी माणेकलाल घेला भाईनी दरखास्तने झवेरी कल्याणचंद सोभागचंदे अनुमोदन आप्युं हतुं तेमज मि. लखमसी हिरजी महेसरी बी. ए. एल. एल. बी. ए. पण शेठ माणेकलालना मतने मळता थईने चालु रीते फंड वधारवानी सुचना करी हती. त्यार बाद आज विषय उपर मि. प्रेमचंद वीरपाळे कघुं के " जो के रु. ५०, २५, ने १० नी टीकीटो काढी फंड भेगुं करवानी मि. परमारनी दरखास्तनी हुं विरुद्ध छु अने फंड माटे आपणी जुनी रीतप्रमाणे टीप करवी एवो मारो अभिप्राय छे, तोपण प्रेक्षकोनी टीकीटोनी फी तो अवश्य राखी जोईए अने मि. माणेकलाल पोतानी दरखास्तमां तेप्रमाणे सुधारो करे तो हुं मना मत मळतो छं. " शेठ माणेकलाल घेलाभाईए प्रेक्षकोनी फी लेवानो सुधारो कबूल राख्यो हतो तथा तेमना सुधाराने राव बहादूर माणेकचंद कपुरचंद तथा शेठ चंदाजी खुशाल तरफ थी विशेष अनुमोदन मळतां ते दरखास्त सर्वानुमते पसार थयेली जाहेर करवामां आवी हती. छैवटे प्रमुख साहेबे जाहेर कर्यु के सभाना मोटा भागनो विचार टीप करी फंड करवानो छे, तेथी ते फंडमां रकमो भराववा माटे एक कमीटी नीमवानी खास जरूरीयात छे अने तेम करी प्रथम शरू थयेली टीपने आगळ चलाववी. आ काम एकत्रपणे करवानुं छे तो सौ भाईओए उत्साहपूर्वक आ काममां भाग लेवो अने तेमने दरेक जातनी जोगवाई करी आपी कॉन्फरन्सनी फतेह धाय ते माटे महेनत करवी जोईए. " कॉन्फरन्समां पधारनारा जुदा जुदा देशना डेलीगेटोनी भोजननी रीतभातथी माहितगार थबा अने तेप्रमाणे व्यवस्था करवा भोजन कमीटीने प्रमुख साहेबे भलामण करी हती, अने छेवटे प्रमुख साहेबनो उपकार मानी रातना १० वागतां सभा बरखास्त थयेली जाहेर करवामां आवी हती. सभा बरखास्त कर्या पछी गृहस्थोना विखराई जवा पहेला फंडनी टीप रजु करवामां आवी हती. आ वखते पण सारी रकम भराई हती. ता. ३-८-१९०३ ने रोज आमंत्रण पत्रो काढवामां आव्यां हतां अने तेमां जणाव्या प्रमाणे कॉन्फरन्सनुं काम करवा नीमायेली जुदी जुरी सबकमीटीओना रीपोर्ट सांभळबा रीसेप्शन कमीटीनी त्रीजी मीटींग ता. ५-८ १९०३ ने रोज शेठ वीरचंद दीपचंदना प्रमुखपणा हेठळ मळी हती जेमां मेम्बरो सारी संख्यानां हाजर थया हता. १ आ कॉन्फरन्सनी ऑफीसने माटे मकाननी घणीज अगवड पडती हती पण ते बाबत गोडीजी महाराजना देरासरना ट्रस्टीओने विनंती करतां तेओए गोडीजी महाराजना देरासरना उपाश्रयनो मुकाम कॉन्फरन्सनी ऑफीस माटे वगर भाडे वापरचा आप्यो छे तेथी तेओ साहेबोनो उपकार मानत्रामां आवे छे. रीसेप्शन कमीटीनी त्रीजी सभा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३ ) २ कॉन्फरन्सचें कामकाज करवा हालमा ७ क्लार्को तथा ४ सिपाईओ राखवामां आव्या छे जेनो मासिक खर्च रु. १५७ थाय छे. ३ कॉन्फरन्समां डेलीगेटोने आमंत्रण करवाना काममां मदद मळे तेने सारु सात प्रश्नो छपावी तैयार करी जुदे जुदे स्थळे मोकलवामां आव्या छे, जेमांना केटलाएकना जवाब पण फरी वळ्या छे. ४ मंडप केवडो बांधवो तेनुं अनुमान करवामां मदद मळे तेने माटे वीझीटरोनी टीकीटो जेनी कीमत रु. ३, अने रु. २ राखवामां आवी छे ते वेचवानुं काम शरु कर्य छे, अने ते टीकीटो अमुक मुदतमां जेटली खपशे ते उपर विचार करी मंडप बांधवानुं काम शरु करवामां आवशे. ५ मंडप बांधवानुं काम हजु शरु थयु नथी ते बदल “प्रेसीडन्सी एन्जीनीयर"ने अरज करतां तेमणे पोलीस कमीशनरनी परवानगी मळ्येथी जगा आपवान कहेवाथी हालमां महेरबान पोलीस कमीशनर साहेबने अरज करवामां आवी छे, तेनो खुलासो थतां मनीस्कुलना नाकानी अने एल्फीन्स्टन हाईस्कुल सामेनी जगा आपणने मळी शकशे. ६ कॉरस्पोन्डन्स कमीटीने माथे पत्रो लखवानो तथा विषयो नक्की करवा विगेरेनो घणो बोजो छे, परंतु कहेवाने आनंद थाय छे के ते पोतानुं काम पुरती काळजी अने बाहोशीथी करे छे. फंड कमीटीमां पण काम घणुं जोरमां चाले छे अने आज सुधीमां रु. ५६७६) भराई चूक्या छे अने तेमांथी रु. ३०३४) वसुल आव्याछे. बधुं काम नाणांथीज थनारछे तो जुदा जुदा साथवाळा गृहस्थो आ फंड कमीटीना काममां मदद करशे अने पोतपोताना साथमां नाणां भरावानी तजवीज करशे एवी आशा राखंछु. ७ थोडाज दिवसमा टीकीटोना वेचाणना रु. १४०) आव्याछे अने लोको पुष्कळ टीकीटो खरीद्या जायचे. ८ वोलंटीअर अने हेल्थ कमीटीमां पण काम ठीक चाले छे मि. परमारनी उलटथी • वोलंटीअरोनी पुष्कळ अरजीओ आवी छे. कई पण फी लीधा सिवाय आ वोलंटीअरोने मंडपमा दाखल करवामां आवशे, तथा तेमने सुशोभित ड्रेस (युनीफॉर्म ) पण आपवामां आवशे. ___ आ सघळां काम जोतां मारे आपने एक महत्वनी वात कहेवानी छे अने ते ए छे के, जो के दरेक कमीटीना मेम्बरो अने ओद्धेदारो बीजी कमीटीओ करतां पोतानुं काम सारूं अने संतोषकारक करवा पुरतो प्रयत्न करेछे, तोपण तेमनामांना कोईना मनमां ईर्षा नथी; बधा एक बीजा तरफ प्रेमनी नजरथी जुवेछे अने तेथी आपणी कॉन्फरन्स जरूर फतेहमंद नीवडशे एम हुं धारूं छु. आज सुधी रीसेप्शन कमीटीनी तमाम सबकमीटीओमां थई कुल्ले २७९ मेम्बरोनी नीमणुंक थई छे अने ते बधा कॉन्फरन्सना काममां संपूर्ण खंतथी भाग लेछे. जुदी जुदी कमीटीओनी केटली मीटींगो थई अने तेमां मेम्बरो केवा प्रमाणमां हाजरी आपता हता ते नीचेना पत्रक उपरथी सहज समजाई शकाशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नं. कमीटीनुं नाम. १ इन्टेलीजन्स, हेल्थ अने वोलंटियर कमीटी. २ उतारा कमीटी. ३ कॉरस्पॉन्डन्स कर्माटी. ४ फंड कमीटी. ५ भोजन कमीटी. ६ मंडप कमीटी. ७ हिसाब कमीटी. ( २४ ) आजसुध सरेरास कुल मेम्बरोनी संख्या. केटली बैठको थई. हाजरी. ३९ १६ १९ २३ १६२ १८ १२ ४ ४ रीमार्क ११+१५+२१ ७॥ ९+७+९+द् १४ १४+१७+११+१३ ० 8 ८+८+७ ६ O आ उपरथी आप साहेबोनी ध्यानमा आवशे के दरेक कमीटीना मेम्बर साहेबोए तेमज तेमना सेक्रेटरी साहेबोए पुरतो परिश्रम लीधो छे, अने हवे पछी पण तेज प्रमाणे तेओ परिश्रम लेशे एवी हुं आशा राखुं छं. आ प्रमाणे मारो रीपोर्ट बांची रह्या पछी दरेक सवकर्माओना सेक्रेटरीओए उपरना रीपोर्टने मळतीज पण वधु लंबाणधी पोतपोतानी कमीटीनी हकीकत सभा समक्ष रजु करी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat तमाम कर्म|टीओना सेक्रेटरीओनी हकीकत सांभळी रह्या पछी ठरावोनुं काम हाथ लेवामां आव्युं हतुं. शेठ अंबालाल बापुभाइए दरखास्त करीके " रीसेप्शन कमीटीनी आवती मीटींग भादरचा सुधी ६ ने दिवसे बोलाववी, अने त्यार पछी हंमेश दर पंदर दिवसे बोलाववी. ते उपरांत खास काम पडेतो वचमां पण बोलाववी. " आ दरखास्तने शेठ जगजीवन कल्याणजीएटेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. शेठ टोकरसी शामजीए दरखास्त करीके " कॉरस्पोन्डन्स कमीटीए जे सात प्रश्नो तैयार कर्या छे तेनी एक एक नकल रीसेप्शन कमीटीना दरेक मेम्बर साहेबने पहोंचाडी, तेनो बनती त्वराए जवाब मोकलवा विनंति करवी. " आ दरखास्तने शेठ रुपचंद रंगीलदासवाळा शा. कंकुचंद मूलचंदे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थएली जाहेर करवामां आवी हती. "" मी. अमरचंद पी. परमारे दरखास्त करीके " मात्र मुंबईना दरेक डेलीगेट पासेथी फी तरीके रुपीया पांच लेवा " आ दरखास्त विरुद्ध मी. मोहनलाल हेमचंदे एमेन्डमेन्ट (सुधारो) मुक्युं के “कोईपण डेलीगेट पासेथी फी लेवी नहीं पण मुंबईना डेलीगेटोनी संख्या मुकरर करवी. आ एमेन्डमन्टने मी. प्रेमचंद वीरपाळे टेको आप्यो हतो; अने मत लेतां एमेन्टमेन्टनी तरफेणमां वधारे मत पडवाथी ठराव करवामां आव्योके “ कोईपण डेलीगेटनी पासेथी फी नहीं देवीं पण मुंबईना जुदा जुदा मंडळ!ए केटला डेलीगेट मोकलवा तेनी संख्यानी हद बांधवी. " शेठ त्रीभोवनदास भाणजीए दरखास्त करीके " रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोए ओछामां ओछी रु. २, नी टीकीट खरीद करवी जोइए. " आ दरखास्तने टेको नहीं मळवाथी रद गइ हती; परंतु आज वखते रीसेप्शन कमीटीना मेम्बर साहेबोने फंडमां थयाशक्ति नाणां भरवामाटे भलामण करवामां आवी हती. www.umaragyanbhandar.com Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) शेठ रतनचंद खीमचंद मोतीचंदे जणान्युं के " चीफसेक्रेटरी तथा जुदी जुदी कमीटीना सेक्रेटरी साहेबोए अत्यार सुधीमां पोतानुं काम घणुं सारं अने संतोषकारक रीते बजान्युं छे, तेथी तेमनो उपकार मानवानी हुं दरखास्त मुकुंछु." आ दरखास्तने शेठ रतनलाल मगनलाले टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. उपर बताव्या प्रमाणे दरेक कमीटीए पोतानुं काम शरु कर्यु हतुं पण केटलीक कमीओमां प्रमुख नीमाया न होता, तेथी फंड कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद, भोजन कमीना शेठ बालचंद कनीराम, हिसाब कमीटीना शेठ टोकरशी शामजी अने सेक्रेटरी तरीके शेठ मुळचंद हीरजीनी नीमणुक करवा माटे शेठ कल्याणचंद सोभागचंदे दरखास्त करी अने तेने मी. नागजी मोतीचंदे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार थयेली जाहेर करवामां आवहती. मी. सांकळचंद महासुखराम तथा मो. जेठाभाई आनंदजीने कॉरस्पॉन्डन्स कमीटीमां मेम्बर तरीके दाखल करवा माटे मी. साकरचंद माणेकचंद घडीआळीए दरखास्त करी, आ दरखास्तने शेठ लल्लुभाई करमचंदे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. शेठ उत्तमचंद बालचंद, शेठ दलपतभाई प्रेमचंद, शेठ जेसींगभाई साराभाई, शेठ मुळचंद आशाराम, शेठ काळीदास मुळजी, शेठ हीराचंद वसनजी, शेठ काळीदास जगाभाई तथा शेठ वीरजी केशवजीने रीसेप्शन कमीटीमां दाखल करवा माटे मी. अमरचंद पी. परमारे दरखास्त करी अने तेने मी मोहनलाल हेमचंदे टेको आपतां ते सर्वानुमते पसार करवामां आवहती. कॉन्फरन्समां जुदी जुदी कमीटीओ मारफते जे खर्च थाय तेना उपर देखरेख राखवा तथा कोई कमीटीने मोटी रकमनो खर्च करवानो होय तो ते बदल तपास करी मंजुरी आपवा माटे शेठ कल्याणचंद सोभागचंद, शेठ टोकरशी शामजी, शेठ त्रीभोवनदास भाणजी तथा रावबहादूर शेठ माणेकचंद कपुरचंदनी एक कमीटी नीमवामां आवी हती. मी. प्रेमचंद वीरपाळनी भलामणथी प्रमुख साहेबे केटलीए बाबतोनी नीचे प्रमाणे व्यवस्था करवा दरेक कमीटीना अधिकारीओने सुचना करी खास भलामण करी के, ज्यारे प्रसंग आवे त्यारे बनता सुधी ए सुचनाओ उपर लक्ष आपवुं. मंडपनो खर्च ओछो थाय ते माटे महोमेडन कॉन्फरन्सना अधिकारीओने मळी ते संबंधी तेमनी सलाह लई ते सलाहनो योग्य वखते उपयोग करवानुं मंडप कमीटीना अधिकारीओए लक्षमां राखवुं. तेमज रीपोर्टरो बेसी शके तेटली जगानी गोठवण करवानुं, तथा यतिजी महाराजो माटे ईलायदी बेठको करवानुं ध्यानमा राखवुं. कॉन्फरन्समां पोताना रिपोर्टरो मोकलवा अत्रेना अंग्रेजी पत्रोने अने अत्रेना तेमज बहार - गामना रोजींदा अने अठवाडिक पत्रोने कॉरस्पोन्डन्स कमीटीए खबर आपवी, अने आपणी -कॉन्फरन्सना कामना रिपोर्टनी जेम बने तेम वधारे पत्रोने खबर आपवी. जुदा जुदा देशना प्रसिद्ध गृहस्थोने त्यां जुदा जुदा गामोनां नामो मेळववाने माणसो मोकलवां अने जुदी जुदी 'न्याताने आमंत्रण पत्रो न मोकलतां श्री संघनेज आमंत्रण पत्र मोकलवां. बळी जैन सिवायना •बीजी कोमना प्रतिष्ठित गृहस्थोने कॉन्फरन्समां पधारवा आमंत्रणपत्रो मोकलवां अने ते सा "तेमने कोम्प्लीमेन्टरी टीकीटो मोकलवानुं ध्यानमा राखवु. と Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६ ) ___ " सुपरवाईझींग सेक्रेटरी मी. माणेकलाल घेलाभाई बहारगाम गया छे, तेथी ते पाछा आवे त्यां सुधी एक्टींग सुपरवाईझींग सेक्रेटरी तरीके मी. अमरचंद पी. परमारे तेमनुं कामकाज करवू. वळी दरेक कमीटीना सेक्रेटरीओए पोताना कामनो रिपोर्ट दर शनीवारे चीफ सेक्रेटरीने मोकली आपवो अने हालमां हेड क्लार्क तरीके मी. पोपटलाल परशोतमने नीमवा." आ दरखास्त सर्वानुमते पसार थई हती. आ प्रमाणेनी दरखास्तो अने सुचनाओ करी प्रमुख साहेबनो उपकार मानी आ रीसेपशन कमीटीनी त्रीजी सभानु काम बरखास्त करवामां आव्यु हतुं. रीसेप्शन कमीटीनी चौथी सभा श्रावण शुद ६ ने शुक्रवारे ता. ८ मी ओगष्ट १९०३ ने रोज शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आइ. ई. ना प्रमुखपणा नीचे मळी हती. ता. २५ मीने दिवसे सरक्युलरने बदले आमंत्रण पत्रो काढवामां आव्यां हता, अने आ वखते पण जुदी जुदी कमीटीओना सेक्रेटरी साहेबो सिवाय बीजा घणा रसिप्शन कमा. मेम्बरो मीटींगमां पधार्या हता. सभानु काम बराबर आठ वागतां शरू टीनी चोथी सभा. " करवामां आव्युं हतुं. __शरुआतमां में मीटींग बोलाववान कारण कही संभळाव्यु, त्यार पछी पाछली मीटीगना रीपोर्टने संमति आपवामां आव्या बाद प्रमुखसाहेबनी आज्ञाथी में मारो रीपोर्ट वांचवो शरु को. मारा रीपोर्टमां मीटींगमां पधारनार गृहस्थोनो उपकार मान्या बाद मे जणाव्यु के " आपणे आगळ भेगा थया हता ते वखते रीसेप्शन कमीटीना सभासदोनी कुल संख्या २७९ नी हती पण ते वीने हालमा ३०१ नी थईछे. आ उपरथी जणाशे के कान्फरन्सना काममा उलटथी भाग लेवा लोकोमा केटलो उत्साह वध्योछे. रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरो भगा थशे के केम ते शंका हवे दूर थई छे. हवेतो चारे तरफथी आकामने मदद आपवानी लोकोनी इच्छा जणाई छे अने तेथीज मेम्बरोमां वधारो थयोछे. हवे रीसेप्शन कमीटीनुं गौरव साचबवा माटे खास कारण सिवाय आजथी रीसेप्शन कमीटीमां नवा मेम्बरो उमेरवान काम बंध करवानु उचित धारी आजे आ लीस्ट समाप्त करवामां आवेछे. ____ मंडपने माटे पोलीस कमीशनरे रजा आपीछे अने ते काम हवे शरु थशे, मंडपर्नु कंट्राक्ट आपवा मंडप कमीटीए जाहेरखबर द्वारा टेन्डरो मागेलां हतां अने तेमां त्रण टेन्डरो आवेलां हतां. ते पेकी रु. २००० वाटु मी. आणंदजी नारणजीन टेन्डर पसार करवामां आव्यंछे. ते संबंधी योग्य दस्तावेज विगेरे करवानुं काम मंडप कमीटीना सेक्रेटरी करेछे. खुरसीओने माटे पण टेन्डरो मागेलां, पण खुरसीओ वाळा बधा मळी गया होय तेम, तेमना हद करतां वधारे भावो आव्याथी समाजायुं छे, तेथी ते माटेनी व्यवस्था करवानुं हाल आगळ उपर मुलतवी राखवामां आव्युं छे. खुरसीओ रीतसर भावथी नहि मळशे तो आपणी कॉन्फरन्सना हितचिंतको पोताना खानगी कोचो, बांकडाओ अने खुरसीओ आपवा तैयार थयाछे. ___ फंड कमीटीना काम तरफ नजर करतां आज दिन सुधी रु. ९४४३ टीपमां भरायाछे अने रु. ५५५५, वसुल आल्याछे आ काममां फंड कमीटीना सेक्रेटरी मी. त्रिभोवनदास भाणजी, शेठ लल्लुभाई गुलाबचंद, मी. अमरचंद पी. परमार तथा शेठ मेघाजी मोतीजी घणी महेनत लेछे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७ ) कॉरस्पोन्डन्स कमीर्टाने गई काल सुधीमां १३२ गामना ७३४ डेलीगेटोनी चुंटणीनी खबर मळी चुकी छे, अने दिन प्रतिदिन वधारे पत्रो आवता जायछे, तेथी डेलीगेटो घणा आवशे एवं जणाय छे. आ पछी यति महाराज या साधु महाराज डेलीगेट थईने आवे तो तेमने डेलीगेटनी साथे बेसाडवा के केम ? तेमज वक्ताओ नक्की करवा, सुचना तैयार करवा, तथा वनस्पतिथी बनता पदार्थोनुं प्रदर्शन खोलवा अने तेने माटे रु. ५००) नी मंजुरी मेळवावा विगेरे कामोनो नीकाल करवा माटे में पधारेला गृहस्थोने विनंति करी, फरीथी मेम्बरो तथा सबकमीटीओना सेक्रेटरी साहेबोनो तेमना तरफथी मळती मददने माटे उपकार मानी में मारुं भाषण समाप्त कर्य हतं. त्यार पछी ठरावोनुं काम हाथमां लेवामां आव्युं तमाम ठरावो सर्वानुमते पसार थयेला होवाथी दरखास्त मुकनार तथा टेको आपनार गृहस्थोनां नाम न लखतां आ चोथी मीटींगमां थयेला ठरावोज अत्रे दाखल करूं छं. “ कॉन्फरन्सनुं काम तेरशथी शरू थनार छे तोपण भादवा सुदी ११ श्री अत्रे रसोडुं चालू करवा अने तेज दिवसथी बहारगामधी पधारनारा प्रतिनिधीओ माटे भोजन तथा उताराने वास्ते योग्य व्यवस्था करवी. " " जैन ग्रेज्युएटो तथा ब्रिटिश सरकारना तथा देशी राज्यना जैन अमलदारोने कॉम्लीमेन्टरी टीकीटो आपवी तथा डेलीगेटो तरीके तेमनी सरभरा करवी तथा डेलीगेटो तरीके तेमने मत आपवानो अधिकार आपवो. " “ स्थानकवासी गृहस्थोने कोईपण गामनो संघ डेलीगेट तरीके पसंद करीने मोकले तो तेमने डेलीगेट तरीके गणत्रा तथा डेलीगेटो तरीके तेमनी सर्व प्रकारनी सरभरा करवी. " " मुंबई शहेरना स्थानकवासी भाईओ वीझीटर्स तर के आवे तेनी कशी अडचण नथी." वखत थोडो होवाथी बनपस्ति पदार्थोनुं प्रदर्शन भरवानी व्यवस्था थई शके तेम नथी, ते कार्यने बदले मंडपना कंपाउंडमां केटलाक स्टॉल्स उभा करवा, अने जेमने पोतानी वस्तुओ बताववी होय तेमने तेवी वस्तुओ मुकवा माटे त्यां जगा आपवी. " 6: उपर जणावेला ठराबो करी प्रमुख साहेबनो उपकार मानी सभा विसर्जन थई हती. रीसेप्शन कमीटीनी पांचमी सभा ता. १३ मी सप्टेम्बर १९०३ ने रवीवारने रोज रीसेप्शन कमीटी - शेठ वीरचंद दीपचंद सी आइ. ई. ना प्रमुखपणा नीचे कॉन्फरन्सनी नी पांचमी सभा. ऑफिसमां मळी हती. आ मीटींग मेळवावा माटे नियमितरीते ऋण दीवस पहेलां आमंत्रण पत्रो काढवामां आव्या हता. प्रथमनी मीटींगोनी पेठे आ सभामां पण जुदी जुदी कमीटीना अधिकारीओ तथा मेम्बरो मोटी संख्यामां हाजर थया हता. शरुआतमां पाछली मीटींगनो रीपोर्ट बहाल करवामां आव्यो पछी मारा तरफथी मीटींग बोलाववानुं कारण कही संभळाव्या बाद, प्रमुख साहेबनी परवानगीथी मीटींगनुं काम शरु करवामां आव्यं हतुं. आ मीटींगमां पण प्रथमनी मीटींगनी पेठे जुदी जुदी कमीटीओना सेक्रेटरी साहेबोए अनुक्रमे पोतपोतानी कमीटीओमां थएला कामकाजनो हेवाल रजु कर्यो हतो. त्यार पछी ता. १२ मी सप्टेम्बरे जुदी जुदी कमीटीओना प्रमुख तथा रीसेप्शन कमीटीना उपप्रमुखो अने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८ ) सेक्रेटरी साहेबोनी सभा कॉन्फरन्सना काम विषे विचार करवा माटे बोलावी हती, ते वखते कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब राय बहादुर बद्रीदासजी काळकादासजी तथा मी. गुलाबचंदजी ढढ्ढा पधारे त्यारे तेमनुं सन्मान केवी रीते करयुं, ते बाबत थयेलो ठराव आ रीसेप्शन कमीटीनी मंजुरी मेळववा वांची संभळाववामां आव्यो हतो अने तेमां जणाव्या प्रमाणे व्यवस्था करवानुं सर्वानुमते ठराववामां आव्युं हतुं. त्यार पछी आ कॉन्फरन्समां केवी रीते कामकाज कखुं ते तथा सेक्रेटरी साहेबोनी मीटींगमां जे प्रोग्राम तैयार करवामां आव्यो आव्यो हतो. आ प्रोग्राम उपरथी त्रण दिवसमां कॉन्फरन्सनुं कामसमाप्त नहीं करी शकाय तेम मालुम पडवाथी प्रोग्राममां करेली सुचना प्रमाणे कॉन्फरन्सना काम माटे एक दिवस वधारवामां आव्यो, एटले के ता. १९ -२० अने २१ मीना दिवसोनी साथे तारीख २२ मीनो दिवस वधारवामां आव्यो. अने आ प्रमाणे एक दिवस वधारीने ता. १२ मीए तैयार करेलो प्रोग्राम सर्वानुमते पसार करवामां आव्यो हतो अने ते प्रमाणे लागता वळगताओने कामकाजनी व्यव - स्था करवानुं सुचवत्रामां आव्युं हतुं. जीवदयानां भाषणो. जैन भाईओ सिवायना केटलाएक दयानी लागणी बाळा गृहस्थो तरफथी आ कॉन्फरन्समां जीवदयाना प्रबोधक विषय अंगे भाषण आपवानी मागणीओ करवामां आवी हती. आ मागणीओने मान आपी कॉन्फरन्सनो चौथो मंगळवारनो दिवस आवा दयाळु वक्ताओने आपवानुं ठराववामां आव्युं हतुं. अने आ चोथे दिवसे कॉन्फरन्सनुं काम समाप्त थाय त्यार पछी तुरतज क्रमवार आ जीवदयाना विषय उपर भाषणो सांभळवा माटे ठराव करवामां आव्यो हतो. संबंधे, कमीटीओना प्रमुख हतो ते वांची संभळावामां यतिजी महाराजो तरफथी कॉन्फरन्समा भाषण आपवानी मागणी करवामां आवे तो ते बदल केम करवुं ए संबंधी प्रश्न माटे ठराव थयोके, आ सभा श्रावकोनी छे अने तेथी आव मीटींगमां तेओ साहेब तरफथी उपदेश रुपे भाषण करवानी मागणी स्विकारी शकाय तेम नथी. विक्टोरीआ मेमोरियल अंधाश्रमना विद्यार्थीओनो तेमज लेडी नॉर्थकोट हींदु ओर्फनेजना अनाथ बाळकोनो अभ्यास कॉन्फरन्समां बताववा माटे, ते खातां तरफधी करवामां आवेली मागणी स्विकारवामां आवी हती; अने चोथा दिवसनो अमुक भाग तेमने आपवा माटे ठराव करवामां आव्यो हतो. उपर जणावेला तथा बीजा केटलाएक परचुरण ठरावो पसार करी प्रमुख साहेबनो उपकार मानी, कॉन्फरन्स भराई ते अगाउनी आ सिप्शन कमीटीनी छेल्ली सभा विसर्जन थई हती. उपर रजु करवामां आवेली हकीकत उपरथी जणाशे जेके मुंबाईनी स्वागत कमीटीए केटली मुढ़केलीओ वच्चे पसार थई, मुंबई शहरेमा कॉन्फरन्स भरवानुं महान् कार्य फळीभूत करवा अर्धे शुं शुं कर्तुं हतुं, अने कॉन्फरन्स जेवा महा मंडळथी समस्त श्री संघने शुं शुं लाभ वया छे अने हवे पछी थवानो संभव छे, ए मजकुर कॉन्फरन्सना कामकाजना रिपोर्ट उपरथी जणाई आवशे, एटले ए संबंधी वधु लखवानी अत्रे जरूर जगाती नथी. पण आ समये आपणा भाईओमां जे असाधारण ऐक्यता, धर्मकार्य इतेहमंदी साथे पार पाडवानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २९ ) उत्तम जिज्ञासा अने तेवा कार्य माटे आनाकानी कर्या वगर म्होटुं मन राखी नाणांनी रकम काढी आपवा माटे बताववामां आवेली उदारता संबंधी योग्य शब्दोमां हर्ष प्रदर्शित करवा तेमज तेवा सद्गृहस्थोनो अंतःकरणपूर्वक आभार मान्या विना चाले तेम नथी. मुबईना श्री संघमां कॉन्फरन्सना कार्य प्रत्ये जे उत्साहनी लागणी ए वखते प्रवर्ती ___ रही हती, तेनुं वर्णन करवू खरेज अशक्य छे. आ प्रसरी रहेली प्रमुख साहेबनी लागणी अगाउथी चुंटी कढाएला कॉन्फरन्सना प्रमुख राय बद्रीदासजी कालीदासजी बहादुर, नामदार वाईसरॉय साहेबना मुक्कीम अने झवेरीनी तेमने आपवामां " अत्रे थयेली पधरामणी वखते पूर बहारमा उद्भवी नीकळवा साथे, आवेलुं असाधारण मान. ___ अन्य वर्गना लोको ऊपर पण बहुज सारी असर करी हती. रायसाहेब तारीख १८ मी सप्टेम्बरे पधार्या हता, अने जे दिवसे आपणी रीसेप्शन कमीटी तरफथी सुपरवाईझींग सेक्रेटरी मी. माणेकलाल घेलाभाईने रायसाहेबनी सामा लेवा माटे भायखले मोकलवामां आव्या हता. तेओए ट्रेन स्टेशन ऊपर आवतां रीसेप्शन कमीटी तरफथी तेमने हर्षभर्यो आवकार आप्यो हतो, तथा तेमनीसाथे ट्रेनमा बेसी अत्रेनी श्री संघे करली व्यवस्थाथी वाकेफ को हता. ट्रेन टाईमसर बोरीबंदरना स्टेशन ऊपर आवी पहोंचतां १५० वोलंटीअरो तथा सकळ संघे तेओ साहेबने हर्षनादो तथा फूलोथी वधावी लीधा हता. राय बद्रीनाथजी बहादुरने केतुं भव्य मान आपवामां आव्युं हतुं तथा तेम करवामां लोकोमां केवी उत्साह भरेली लागणी प्रसरी रही हती, तेनुं हुं मारी कलमे वर्णन करुं ते करतां अत्रेना मानवता "मुंबाई समाचार" पत्रना ता. १९ सप्टेंबरना अंकमां तेमनी पधरामणी अने आपवामां आवेला मान संबंधे जे हेवाल प्रसिद्ध थयो छे, ते अत्रे रजु करवा आज्ञा लईश. ___"अत्रे चालु अठवाडीआनी आखेरीए मेदान मध्येना मंडपमां भरानारी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सना प्रमुख राय बहादुर बद्रीदासजी काळीकादासजी मुक्कीम, जेओ नामदार वाईसरॉयना झवेरी छे, तेओ कलकत्तेथी गई काले सवारे सवा नव वागे विक्टोरिया टर्मीनस स्टेशने आवी उता हता, जे प्रसंगे तेमने मान आपवा माटे कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीना तथा जैन संघना आशरे बे हजार गृहस्थो हाजर थया हता, जेओमां मेशर्स वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. फकीरचंद प्रेमचंद, गोकळभाई मुळचंद, रतनचंद खीमचंद मोतीचंद, बाबु जीवणलालजी पनालालजी, मेशर्स भोगीलाल वीरचंद दीपचंद, दलसुखभाई वाडीलाल, अमृतलाल केवळदास, धरमचंद उदेचंद, ललुभाई धरमचंद, नगीनदास कपुरचंद, मोतीचंद रुपचंद, मोहनलाल मगनभाई, कल्याणचंद सोभागचंद, माणेकलाल घेलाभाई, मोहनलाल पुंजाभाई, अमुलख खुपचंद झवेरी, अंबालाल बापुभाई, गांडमल गुमानमल, जुहारमल समीरमल, गणेशलाल सोभागमल, बालचंद कनीराम विगेरे पण हता. राय बहादुर बद्रीदासजी स्टेशने उतरतां मि. अमरचंद पी. परमारनी सरदारी नीचे सफ समारी युनीफॉर्म डेसमां ध्वजा विगेरे साथे हाजर रहेला जैन वोलंटीयरोए जयध्वनिधी मान आप्यु हतं, जे पछी राय बहादुर संभावित गृहस्थो साथे हसते वदने मळीने तेमने माटे तैयार राखवामां आवेली चार घोडानी गाडीमा सवार थया हता. क्रॉफर्ड मार्केटथी कापड Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) बजारनो रस्तो, मोतीवजार, भूलेश्वर, लालबाग विगेरे वावटा तथा मोतीनां तोरणोथी शणगारवामां आव्या हता, अने आ रस्ताओ जैन भाईओथी चीकार भराई गया हता. विक्टोरिया टर्मीनस स्टेशनथी नीकळेला सरघसना प्रारंभमां वोलंटीयर फोर्सना प्रमुख तथा सेक्रेटरीनी गाडी पछवाडे चार घोडानी गाडीमां कॉन्फरन्सना प्रमुख राय बहादुर बद्रीदासजी मुंबईना संघपति शेठ रतनचंद खीमचंद मोतीचंद तथा चीफ सेक्रेटरी मि. फकीरचंद प्रेमचंद हता. ते पछीनी गाडीमां कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख मि. वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. राय साहेबना वडील पुत्र राय कुमारसिंगजी, ग्वालियरवाळा शेट नथमलजी तथा लश्करवाळा शेठ कुशळचंदजी हता अने ते पछीनी गाडीमां बाबु पनालालजीना चिरंजीवीओ साथे राय साहेबना बीजा पुत्र राजकुमारसिंगजी हता, अने तेनी पछवाडे बीजा जैन आगेवानोनी संख्याबंध गाडीओ हती. ___चंपागली पासे राय बहादुरनी गाडी आवी पहोंचतां श्री शुभेच्छक जैन मित्रमंडळना सभासदो तरफथी फूलना हार तथा तोरा आपवामां आव्या हता. त्यांथी आगळ वधतां जैन मित्रसमाजना सभासदो तरफथी फूलना हार तथा तोरा अर्पण करवामां आव्या हता, अने झवेरी बजारमां झवेरीओ तरफथी फूलना हार तथा तोरा भेट करवामां आव्या हता तथा हाजर रहेलां बॅन्डोए सलामी आपी हती. झवेरी बजारमा जैन वोलंटीयरो हारबंध पोताना युनीफोर्म ड्रेसमां उभा रह्या हता अने ते रस्ता उपर जैन मित्रसमाज तरफथी बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनो विजय, राय बद्रीदासजी बहादुरने मित्रसमाजनुं अभिनंदन, शुभेच्छक मित्रमंडळ तरफथी वेल्कम, स्टार ऑफ जैनीझम, भले पधाों, अवां लाल तोरणो टांगवामां आव्यां हतां. झवेरी बजारमाथी सरघस पसार थईने माधवबाग सामेना शेठ मुळजीभाईवाळा बंगलामां गयु हतुं, ज्यां राय बहादुरनो उतारो राखवामां आव्यो हतो. आ बंगलामां राय बहादुरने मान आपवा माटे मेशर्स त्रिभोवनदास वरजीवनदास माधवदास, मोतीचंद हरखचंद, उतारा कमीटीना प्रमुख शेठ कल्याणचंद सोभागचंद अने सेक्रेटरी अमृतलाल केवळदास हाजर रह्या हता. राय बहादुरे पोतानी बेठक लीधा पछी मी. अमरचंद पी. परमारे राय बहादुरनी पधरामणीथी मुंबईना जैन संघमां फेलाएली खुशाली तथा तेमणे जैन तीर्थोनी, पोतानी वृद्धावस्था होवा छतां बजावेली किंमती सेवा माटे विवेचन कयु हतुं. अने धर्मना अधिष्टायक देव तेमने वधारे रिद्धि सिद्धि अने लांबुं आयुष्य आपे, एवी प्रार्थना करी हती. राय बहादुर बद्रीदासजीए उत्तर आपतां जणाव्युं हतुं के मुंबईना श्री संघे मोटुं मान मने आपेलुं छे ते माटे उपकार मानुं छं. अने हिंद मध्येनो मोटो संघ जे रीते जयवंतो वर्तेछे अने धर्मनी विजय घजा फरकावी रह्योछे, ते काम सदाने माटे कायम रहे एवं अंतःकरणथी इच्छं छं." आ रीते प्रमुख साहेबनी पधरामणी थया पछी कॉन्फरन्सना स्थापक अने जनरल ___ सेक्रेटरी मी. गुलाबचंदजी ढहा, फलोदी तथा पंजाब तरफथी लगभग मी. गुलावचंद । । १५० गृहस्थो अने स्त्रीओ साथे आवी पहोंच्या हता. तेओ प्रातःकाळनी पेसेंजर ट्रेनमां पधारनार होवाथी, अगरजो ते वखत अगवड भरेलो हतो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३१ ) तेम छतां लोकोमा एटलो उत्साह फेलाई रह्यो हतो के, तेमने पण प्रमुख साहेबने आपवामां आवेला मानने धोरणे भव्यमान आपवामां आव्युं हतुं. तेमनी सामे स्त्रीवर्ग माटे पडदावाळी गाडीओ मोटी संख्यामां मोकली आपी हती, अने तमाम वोलंटीयरो हाजर रह्या हता जेओए अथाग श्रम लीधो हतो. कामकाजने माटे सवड पडे तेथी तेमनो उतारो शराफ बजारमा झवेरी धरमचंद उदेचंदने त्यां राखवामां आव्यो हतो. कॉन्फरन्सनो मंडप बांधता पहेलां घणाओना मनमा एम हतुं के मंडपनो घणो भाग . फाजल पडशे, त्यारे केटलाक ते पुरतो नहीं थाय एम पण धारता हता. कॉन्फरन्सना मंड. वरसादनं जोर अने तेथी पडती अगवडताथी मंडप सारो नहीं थाय एम पनी भव्यता. - घणाने कहेबानुं कारण मळ्यु हतुं. वरसादने लीधे मंडप उपरना छाजमांथी प्रथम पाणी पडवाथी बनती ताकीदे तेने वोटरप्रुफ बनाववामां मंडप कमीटीए खरेखरी काळजी बतावी हती, अने मंडप एवो तो भव्य अने देखावदार बनाव्यो के कॉन्फरन्सचें कामकाज जोवा माटे लोकोमा बहुज उत्साह उत्पन्न थयो अने वीझीटरो (प्रेक्षक )नी टीकीटो के जेनो भाव रुपीया त्रण राखवामां आव्यो हतो ते सपाटाबंध खपी जतां लोको एक एक टीकीटना रु. १० सद्धां आपवाने तैयार थया हता; अने स्त्रीवर्ग माटे एलायदी राखवामां आवेली जगा माटेनी टीकीटो तो शोधी पण मळी शकती न होती. कॉन्फरन्सना मंडपनी भव्यता संबंधे मारी कलमे लख्या करतां कॉन्फरन्सना कार्यमां उत्साहपूर्वक भाग लेनार एक बंधुए तेनुं जे वर्णन मारा उपर लखी मोकलाव्युं छे, ते तेमनाज शब्दोमां अत्रे उतारी लेवानी हुं रजा लउंछु. "अखिल भारतवर्षमां जाणे लक्ष्मीने रहेवानुं निवासस्थान होय, व्यापार- घर होय, वैभव- मुख्य मथक होय अने जगत्ना लोकना प्रदर्शननो सभा मंडप होय, एवी मुंबई पुरी जेने इंग्रेजी भाषामां बॉम्बे कहेछे तेनी रचना खरेज अलौकिक छे. आ दुनीआना तमाम लोको पोत पोताना धर्मनी क्रिया निर्विघ्नपणे करे तेने सारू दरेक धर्मना धर्मस्थानकोना धर्म ध्वज चारे तरफ फरकी रह्या छे. आर्यावर्तना पश्चिम किनारा उपर आवेली आ अनुपम नगरीमां जीनेश्वर भगवाननां मोटां दश चैत्यो दशे दिशामांथी जाणे जनसमुहने आकर्षी मोक्षने रस्ते पाडतां होय तेम पोतामा रहेली जीनेश्वरना जेवी जीन प्रतिमाओथी लोकोने शांत रसमां निमग्न करतां हतां. आवां रमणीय अने भव्य चैत्योथी नगरनी शोभामां अतिशय वधारो थयो हतो. ____ आ प्रवृत्ति स्थानमा पहेलां जनसमुहने निवृत्तिमार्गनो उपदेश करवा आ अवसरे शेठ मोतीशाना बनावेला लालबागना उपाश्रयमा मुनिमहाराज मोहन मुनिजी आदि मुनिओ पधारी, आ नगरीमाथी कोई जीनाज्ञा पाळनार अधोगतिमां न जाय तेने माटे उपदेशरुप आश्रय आपवानो प्रतिदिन प्रातःकाळे प्रयत्न करता हता. आ मुनि महाराजोनां व्याख्यान समये उपदेशामृतनुं पान करनार श्राद्ध समुहथी आ नगरी जाणे प्रातःकाळे शांत रसमय होय, एम लालबाग आगळ उभा रही जोनारने स्पष्ट मालूम पडतुं. सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राणी मोक्षमार्गः-आ तत्वार्थ सूत्रना भावने अनुसारे मंडपमां प्रवेश करवानां त्रणद्वारो राखवामां आव्यां हतां. आ मंडपनां त्रण द्वारोमा आजुबाजुनां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३२ ) बे द्वार न्हानां हतां, अने वचलं द्वार मोटुं हतुं, तेथी जोके दर्शनज्ञान अने चारित्रमा ज्ञानद्वार मुख्य हतुं तोपण त्रणेनुं आराधन करनार मोक्षमार्ग मेळवेछे, एम व्यंग्यार्थ सुचवी जाणे ज्ञान- विशेष प्रकारे आराधन करवानी सज्जनोने सुचना करतुं मंडप, मध्यद्वार मंडपनी शोभामां विशेष वधारो करतुं हतुं. ____ जीनेश्वर भगवान विचरे ते वखते धर्मचक्र माफक वृतपणाने सुचवनारा देव प्रतिहार्यो होय छे तेम भगवाननी आज्ञाना माननार भारतवर्षना श्री संघनो विजय सुचवनार अनेक ध्वजा पताका मंडपने मुख्य दरवाजे बांधवामां आव्यां हतां. मंडपद्वारमा प्रवेश करी जमणी तरफ नजर करतां " हवे प्राणीना शरीरमांथी बनता पदार्थो न वापरो अने दयामय ध्वज फरकावी अनेक प्रकारे जीवनी रक्षा जुदा जुदा स्टॉलो. करो अने एवं प्रेक्षकने साक्षात् कहेतुं होय तेम, प्राणीना शरीरजन्य पदार्थने बदले वनस्पतिजन्य पदार्थोना प्रदर्शननो एक स्टॉल उभो करवामां आव्यो हतो. ___आ स्टॉलमा युरोपथी आवता अनेक प्राणीनी हिंसा करी मेळवेली चरबीना साबुओने बदले वनस्पति तेलथी मि. वनमाळीदास लाधाभाईना बनावेला सुशोभित डब्बामां गोठवेला साबुओ, जाणे प्रेक्षकोने अस्पर्शनीय साबु नहि वापरतां आवा शुद्ध साबु वापरवा उपदेश करता होय तेम जणातुं हतुं. वळी चरबीथी बनती मीणबत्तीने बदले गुर्जेश्वरे पोताना राज्यमां वापरवा मंजुर करेली अमदावादवाळा ( हाल मुंबई, तारदेव ज्युबीली बाग ) मि. मोतीलाल कशळचंद शाहनी बनावेली मीणबत्तीओ नजरे पडती हती. ते शिवाय प्राणीजन्य दवाओ अने रंगोना जेवाज देखाव अने गुणवाळा अनेक पदार्थो आ स्टॉलनी शोभामां वधारो करता हता. विद्याकळा अने नवी शोधोथी जीवदयाना काममां कई पण परिश्रम विना केवी मदद मळे छे, ते साबीत करी आ स्टॉल जैनोने नवी शोधो करवा उस्केरणी करतो हतो. ____आ प्रदर्शननो स्टॉल मुकी आगळ चालतां जमणी बाजुए कन्याकुमारीथी बद्रीकेदारनाथ सुधी अने करांचीथी कलकत्ता अने ब्रह्मदेश सुधी जीनाज्ञा प्रवर्तावनार अने जैनोनी स्थीति, मुनीमहाराजोना विहार अने एवी अनेक धर्म चर्चा साथे मुलक मुलकनी खबरो प्रसिद्ध करनार, अमदावादी खास कॉन्फरन्स माटे अत्रे आवेला 'जैन' पत्रनी ऑफिस नजरे पडती हती. आ जैन पत्रमां कॉन्फरन्सनो तमाम हेवाल प्रगट थयो हतो. त्यांथी आगळ चालतां श्री मांगरोळ जैन सभामां वेचावा आवेलां रसालंकारयुक्त महापुरुषोनां चरित्र, तेमज जैन शासनना मुख्य आधाररूप द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग अने चर्णकर्णानुयोग अने कथानुयोगनां पुस्तकोनो समुह नजरे पडतो हतो. जोके ते देखावमां म्होटो हलो, तोपण तेमांनी जातवार चोपर्डाओनो विचार करतां हजु जैनो केळवणांनी बाबतमां, तेमज पोताना आचार्योना बनावेला ग्रंथोमाथी एक शतांश पण बहार पाडी शक्या नथी, तेवू जणावी ते कार्यमा प्रवृत्ति करवानो बोध करतुं गरीब स्थीति, मांगरोळ जैनसभानु पुस्तकोनु खातुं प्रेक्षकोनुं ध्यान खेंचतुं हतुं. त्यांथी आगळ चालतां मेशर्स घडीआलीबधों तरफथी "जैन धर्मनी प्राचीनता" वगेरे पुस्तको वेचवानो स्टॉल हतो. तेनी पासेज एक भव्यस्टॉलमां मुनिमहाराज आत्मारामजीना बनाचला तत्त्वनिर्णयप्रासाद ग्रंथो, तेमज मुनिहाराजोना अने आगेवान शेठीआओना उमदा फोटो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३३ ) आफो वेचवानी गोठवण मी. परमारे करी हती. बीजी कॉन्फरन्स प्रमुख राय बद्रीदासजी अने रीसेप्शन कमीटीना चेरमेन शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. पहेली कॉन्फरन्सना प्रमुख जोधपुरना मुताजी बखतावरमलजी कॉन्फरन्सने जन्म आपनार मी. गुलाबचंद ढढ्ढा एम. ए. ना फोटोग्राफो ग्रूपमां गोठवी तथा तेनी साथेज तेओना जन्म चरित्रो मी. परमारे मेळवी छापीने ते दिवसना मुंबई समाचारमा प्रगट कराव्यां हता. तेमज जाडा कागळपर ए फोटा अने चरित्रो छापी अडधे आने वेचवा मुक्यां हतां के जेनी हजारो न खपी गई हती. वळी एज स्टॉलमां कॉन्फरन्सना कामकाजनो तेज दिवसनो हेवाल मानवंता मुंबई समाचारपत्रे सांजना पांच वाग्या पहेलां अनेक मुश्केलीओमां छापी वधारा रुपे प्रगट करतुं हतुं ते पत्र एक एक पैसे वेचातुं हतुं ते खरीदवानी लोकोनी धमाल अने गीरदीनो पार न होतो. जाणे धर्म रणमांथी विजय करी पाछा फरता योद्धाओ आसाएशले तेम केसरीआ रंगमां सज थएला वोलंटीयरोने आराम लेवानो पण एज स्टॉल हतो. ए स्टोलनी पासे एक विशाळ ऑफीस इंटेलीजन्स हेल्थ एंड वोलंटीयरथी कमीटीनी हती तेना उपर जातजातनां पाटीयांओ लटकी रह्यां हतां. जेवां के इंटेलीजंस ऑफीस, मेडीकल ऑफीसरो, खबर माटे अहीं पुछवू, पोस्टनापत्रो, वॉलंटीयरोना सेक्रेटरी, चेरमेन विगेरे; वळी जुदी जुदी कमीटीना फूलना नमुना अने टीकीटोना नमुना पण अत्रे टांगवामां आव्या हता. नोटीसोनी जाहेरखबर बतावनाएं बोर्ड पण अत्रे जणातुं हतुं. अजाण्या माणसोने कोईपण जातनी खबर अत्रेथीज आपवामां आवती हती. आगळ चालतां स्वामीभाईओनी भक्ति करवामां निमग्न थयेला महाशयोने क्षुधा, तृषा तथा थाक निवृत्त करवा माटे एक जनरल ऑफीस राखवामां आवी हती. त्यार पछी खास मंडप कमीटीना कारभारीओ माटे गालीचा कबाट विगेरेथी सुशोभित करेली एक भभकादार ऑफीस नजरे पडती हती. ते पछी चीफ सेक्रेटरीनी ऑफीस राखेली हती. अने ते पछी ध्वजापताका अने खुरसी, टेबल, कबाट विगेरेथी दीपायमान करेली श्वेत अंतरपटवाळी अने जेनो नीचेनो भाग अंदर बेसनारना चर्णमां उष्णता आपे तेवा उनना गालीचाथी आच्छादन करायेली प्रमुख साहेबनी ऑफीस प्रक्षकोना मननुं आकर्षण करती हती. हवे त्रण द्वारमाथी पेसतां डाबी बाजुए नजर करीए. द्वारमा पेसतां डाबी बाजुए तांबुल विक्रिय करनारनी एक सुशोभित दुकान राखवामां आवी हती. आगळ चालतां मंडपमा बीराजेला गृहस्थोने माटे नास्ता विगेरेनी सगवड माटे मीठाई, भजआिं, पुरी विगैरेनी बे दुकानोनी गोठवण करवामां आवी हती. तेनी बाजुमा टीकीट ऑफीस राखवामां आवी हती. __ आ टीकीट ऑफीसनी साथे केटलाएक ब्राह्मणो अति विशाळ ठंडा जळ पात्रोमा राखेला गरम तेमज थंडा पाणीथी, वगर पैसे सभाजनोनी सेवा बजावता नजरे पडता हता. आ जगानी बाजुमां एक विशाळ गृह आवेलुं हतुं, जेनी अंदर चाह, काफी, दुध, आईसक्रीम विगेरे तैयार राखवामां आवेलां हतां, आ विश्रांतिगृह एटलं तो मोटुं हतुं के तेमां एकी वखते सेंकडो माणस बेसी शकता. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३४ ) आ स्थान पछी व्याख्यान श्रवण करनार भागनीओ माटे एक खानगी ओरडो (जेने इंग्रेजीमा लेडीझ चेंबर कहे छे ते) बनावेलो नजरे पडतो. आप्रमाणे मंडपनी बहारनी व्यवस्था राखवामां आवी हती, एटले के जेम कल्पवृक्ष पासे याचना करनार इच्छित वस्तुओ मेळवी शके छे तेमज आ महा सभास्थाननी बहार इच्छा करतांज दरेक वस्तु मळी शके तेम हतुं. मुख्य मंडपनी अंदर प्रवेश करवाने दश द्वारो राखवामां आव्यां हतां अने तेमांना दरेक द्वारपर स्वामीभाईओनी भक्ति करवाने तैयार थयेला वोलंटीयरोमांथी बेबे मजबूत वोलंटीयरो राखवामां आव्या हता. आ वोलंटीयरोनुं गौरव साचववा अने तेमनी आज्ञानुसार वर्तवामां कई विघ्न उत्पन्न न थाय तेने माटे एकेक अंगरक्षको राखवामां आव्या हता. मुळ द्वारउपर मंडप कमीटीना सभासदो पैकी केटलाएक माणसो पधारनार गृहस्थोने सन्मान आपवा उभा रहेता हता. मंडपमा प्रवेश करतां प्रेक्षकोने अलौकिक भास थयो हतो. मंडपनी तमाम रंगभूमि रंगबेरंगी उनना गालीचाथी आच्छादित करवामां आवी हती. मूळद्वारमा प्रवेश करतांज बन्ने बाजुए बीजा वर्गना प्रेक्षकोनी बेठको क्रमवार गोठववामां आवी हती. आ बेठकोनी वच्चे श्वेतवस्त्रना अंतरपट राखवामां आव्या हता. ____ आगळ चालतां पहेला वर्गना प्रेक्षकोनी पुष्कळ बेठको क्रमवार गोठवेली हती. हवे तुरतज वक्ताओने माटे तैयार करेलो रंगबेरंगी गालीचाथी सुशोभित करेलो मंचक (प्लॅटफॉर्म) नजरे पडतो. आ ठेकाणेथी मंडपनी भव्यता विशेष लागती हती, तेनी डाबी अने जमणी बाजुए अर्धचंद्राकारमां बहारगामथी पधारेला प्रतिनिधीओ माटे आसनो गोठववामां आव्यां हतां. जमणी बाजुऐ सुरत मुंबई तथा दक्षिणथी आवेला प्रतिनिधीओ माटेनी बेठको दर्शावतां बोर्डो नजरे पडतां हतां अने डावी बाजुए गुजरात, पंजाब, काठीआवाड विगेरे स्थळोना प्रतिनिधीओ माटे आसन गोठवेलां हता. आ प्रतिनिधीओनी बेठकोनी आगळ भारतवर्षना सकळ संघनी भक्ति करनार स्वागत कमीटीना मेम्बरोनी बेठक हती. त्यार पछी मुख्य मंचक ऊपर जवाना बे रस्ता हता.. मुख्य मंचकनी पासेज वर्तमानपत्रोना प्रतिनिधीओने बेसवानुं स्थान निर्माण करवामां आव्यू हतुं. आ तमाम प्रतिनिधीओनी आगळ श्वेत वस्त्राच्छादित टेबलो हतां अने तेनी सामे कॉन्फरन्सनो क्लार्क वर्ग आज्ञा थतां तत्क्षण अमल करतो हतो. आ मूळ मंचक ऊपर मखमल विगेरे सुंदर वस्त्रोथी जडेली आशरे ३०० खुरशीओ हती, जेना ऊपर विराजनार गृहस्थोना नामनी चीठीओ चोंटाडेली हती. आ बेठकोनी मध्यमां सोनेरी रंगनी प्रमुख साहेबनी बेठक हती. तेनी दक्षिण दिशाए संघपति शेठ. रतनचंद खीमचंदनुं आसन हतुं. तेनी बाजुमां राय कुमारसिंहजी तथा अमदावादवाळा शेठ चीमनभाई लालभाई विगेरे शेठीआओनी वेठको हती. प्रमुख साहेबनी आगळ किंमती जरीकामथी अलंकृत आच्छादन करेलु टेबल हतुं. तेनी बने बाजुओपर जनरल सेक्रेटरीओ मी. ढढा अने शेठ लालभाई नी बेठको हती. मुख्य मंचक ऊपर चढवाने गालीचाथी जडेली वे नानी निसरणीओ हती. अने मंचकनी डाबी बाजुए नजर करतां भगवाने पुरुषो समजी मानेली आशरे २५० श्रावि. काओने बिराजवानो चढउतर पगथीआंवाळो मंचक हतो, अने तेनी आसपास जाळीना कपडानो पडदो नांख्यो हतो. आ मंचकनी वच्चे प्रवेश मार्ग हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) जमणी बाजुए वोलंटीयरोनी बेठक हती. तेमने बेसवानो वखत नहीं मळतो अने तेओ केसरीया फेंटाथी शोभता हता. तेमनी पासे ग्रेज्युएटोनी बेठक हती. वळी यति महाराजो माटे पण सुंदर बेठक बनावी हती. तमाम स्तंभो, रंगबेरंगी कपडाथी सुशोभित करेला झुमरोथी शोभिता कटिसन लेम्प, कपडानां फूलोनी टोकरीओ अने आ भव्य मंडप प्रेक्षकोना मनने आनंद आपतो हतो. रंगबेरंगी पाघडीओ अने फरकता वावटाओ अजब चित्र रजु करतां हता. मंडपमां पधारेला ग्रहस्थोने केटलो उत्साह हतो ते आ कॉन्फरन्सनी प्रॉसीडींग बुक उपरथी सहज ध्यानमां आवशे के वगर मागे आसरे रु. १२५००० नी रकम भराई गई हती. आटलं जणावी हुं मंडपर्नु वर्णन समाप्त करूं छु. जुदी जुदी कोमना आगेवानो अने सरकारी ओद्धदारोने " कॉप्लीमेंटरी ” टीकीटो तमाम कोमना मोकली आमंत्रण करवामां आव्या हता. हिंदु, अंग्रेज, पारसी, महोमेडन प्रतिष्टित आगेवा. जेपानीझ वगेरे कोमना प्रतिष्ठित गृहस्थो, देशी राजाओ, अने मोटा नोनी हाजरी. सरकारी अमलदारोए जुदे जदे वखते हाजरी आपी आ कॉन्फरन्स प्रत्ये पोतानी दिलसोजी अने एकसंपी जाहेर करी हती. चोथे दिवसे जीवदयानां भाषणो थयां हता. वळी मि. जहांगीरजी बमनजी दिनशाजी विनोरिया पीटीटनी देखरेख नीचे चालती विक्टोरिया अंधशाळाना आंधळा धशाळा अने लेडी विद्यार्थीओए आवी वांचन, सीवण वगेरेना कामो करी बतावी कॉन्फनॉर्थकोट ऑर्फनेज रन्सने हेरत कर्या हता. लेडी नॉर्थकोट ऑर्फनेजनां बाळको अने बाळकीओए पण ए ऑर्फनेजना पिता मि. रतनसी मुळजी जे. पी. नी साथे आवी प्रेक्षकोनुं दिल आकर्षित कर्यु हतुं. महाराणांना फोटोग्राफर राजा दीनदयाळ एन्ड सन्स, रोयल फोटोग्राफीक कंपनी, दिल्ली फोटोग्राफो. अने भावनगरना फोटोग्राफरो वगेरेए जुदा जुदा भागोमांथी पधारेला डेलीगेटोना सर्कलवार तथा जुदी जुदी कमीटीओना फोटोग्राफो लीधा हता. आ फोटोग्राफोनी विगत सांकळीआ परथी मालूम पडशे. डेलीगेटो अने खास विझीटरो माटे पाछळथी एवो ठराव करवामां आव्यो हतो के अमुक गृहस्थो तरफथी जमण, नोतरं कबूल न राखतां, तमाम दिव___ भोजननी भक्ति करनारा गृहस्थो. के सोए जुदा जुदा उतारानां रसोडांमां डेलीगेटोना देशनी रीतभात " प्रमाणेज जमणो करवां अने तेनो तमाम खर्च अत्रेना उदार गृहस्थोए आपवा कबूल करी स्वामीभक्ति करी हती, तेओनां मुबारक नामो भोजन कमीटीना रिपोर्ट उपरथी मालूम पडशे. ( पुरवणी ए). ता. १९ मीने दिवसे कॉन्फरन्सना मंडपनी बहार बपोरना आशाएशनी वखते पाट . णना शेठ पुनमचंद करमचंद कोटावाळाए डेलीगेटो अने विझीटरोने खास रिफ्रेशमेंट. - * चाहा, काफी, आईसक्रीम, मिठाई वगेरे जमाडी परोणागत करी हती, तेमनो आ तके उपकार मानु छं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) रियो कमीदीना सब कमीटीना जुदी जुदी सबकमीटीओना विस्तारपूर्वक रिपोर्टोनी पुरवणी सांकळिया उपरथी मालुम पडशे. जैन कॉन्फरन्सना कार्यनो रीपोर्ट जुदा जुदा २४ न्युसपेपरवाळाओना रीपोर्टरोए आवी मंडपमां लीधो हतो, अने ते अत्रेनां तथा देशावरनां पत्रोमां प्रगट थतो __ रीपोटेरो मुंबई हतो. मुंबईना प्रसिद्ध रोजींदां पत्र मुंबई समाचारे वधाराओ बहार पाडी समाचार. तेज दिवसना रिपोर्ट सांजना सभा उठता पहेलां प्रसिद्ध कर्या हता. ते माटे तथा जैन खबरो माटे खास कोलमो खोलवा माटे, ते पत्रना मालीक अने एडीटरनो खास उपकार माननारो पत्र लखवामां आव्यो हतो. कोईपण डेलीगेट या वीझीटरने कईपण शारीरिक विघ्न नडयु नहोतुं. आ प्रसंगे ओनररी डॉकटरोए सारी मदत करी हती. डॉकटर नगीनदास माणकआनररा डॉक्टरा. लाल मोटो वखत दरदीओनी सारवारमा रोकायला रही, पोताना दवाखानामांथी मफत दवा आपता हता, तेओना उपकार माननारा पत्रो लखवामां आव्या हता: वळी आ तके फरी उपकार मार्नु छ. डॉकटर नगीनदासन तेमणे बजावेली सेवामाटे मुंबईना झवरी नगीनदास कपूरचंदे हीरानी किंमती वींटी प्रमुख साहेबने हाथे कॉन्फरन्सना मंडपमां भेट आपी हती. १८९ वोलंटीयरो अने तेमना सुप्रींटेन्डंटो वगेरेए अथाग महेनत · करी जैन नामने __दीपाव्यु हतुं तेओनो उपकार माननारो खास ठराव करवामां आव्यो वोलंटीयरो. • हतो, अने तेओने कच्छी दशा ओसवाळ ज्ञाति तरफथी चांदो तथा रिसेप्शन कमीटी तरफथी सर्टीफीकेटो आपवानो ठराव थयो हतो. मुंबई इलाकाना माजी एक्झीक्युटीव एन्जीनीयर मी. खंडुभाई गुलाबभाई देशाई एल. .. सी. ई. तथा तेमना पुत्र मी. बळवंतराय बी. एस. सी. एल. एल. बी. ए.आ जागाकॉन्फरन्सनो उमदा प्लान बनाववामां तथा तेनी देखरेख राखवामां कंईपण लवाजम लीधा वगर पूरा उत्साहथी मदद आपी हती. आ गृहस्थोनो आ तके उपकार मार्नु . कॉन्फरन्सना कार्य वखते ए गृहस्थोए बजावेली सेवाना किंचित् बदला तरीके अने तेमनी स्तुतिपात्र महेनतनी यादगीरी तरीके चांदीनो एक उमदा टीसेट भेट आपी जाहेर उपकार मानवामां आव्यो हतो. रिसेप्शन कमीटीनो आ तके हुं खास उपकार मार्नु छं. कारणेथी ते कमीटीमांधीज . बनेली जुदी जुदी सबकमीटीओए मने खरेखरी किंमती मदद आपी पशन का हती. ए कमीटीओना सेक्रेटरीओ मारा हाथपग हता. तेओनी मदद टीनो उपकार. "" वगर हुं कशें करी शक्यो होत नहीं. आ तके ए तमाम सेक्रेटरीओ उपरांत प्रमुखो तथा बीजा सर्वे गृहस्थो के जेओए मने खरेखरी मदद करी हती. तेओनो अंतःकरणपूर्वक उपकार मानी आ रीपोर्ट समाप्त करुं छं, अने मारी जे जे भूलो थई होय ते माटे सर्वेनी क्षमा चाहुं छं. फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री मुंबईमां भरायेळी बीजी श्री जैन ( श्वेतांबर) कॉन्फरन्स वखते नीमवामां आवेली रिसेप्शन (स्वागत) कमीटीना सभासदो अने तेना ओडेदारोनां नामोनुं लीष्ट. ( आ कमीटीने जुदी जुदी सबकमीटीओमां बहेंची नांखवामां आवेली, ते प्रमाणे सबकमीटीओवार तेनां नामो आपेलां छे, एटले सघळी सबकमीटीओ मळीने आखी रीसेप्शन कमीटी थाय छे.) भोद्धेदारो. शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. जे. पी. " गणेशमल सोभागमल. " ,” गुलाबचंद मोतीचंद दमणीया. बी. ए. एल. एल. बी. सोलीसीटर. गोकळ भाई मुळचंद. जेठा भाई नरशी. देवराज टोकरशी. नगीनदास झवेरचंद. "" "" " 27 "" ( ३७ ) पुरवणी ( अ ). 39 "" नेमचंद मेळापचंद. प्रेमचंद रायचंद. भीमाजी मोतीजी. मोतीचंद देवचंद. रतनजी जेचंद. "" " रतनचंद खीमचंद मोतीचंद. लल्लुभाई धरमचंद. 93 "" रा. सा. वसनजी श्रीकमजी. रा. सा. हीराचंद मोतीचंद. शेठ माणेकलाल घेला भाई. फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. प्रमुख. उपप्रमुख• A Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat " 99 "3 99 " " "" " , "" 39 " 19 : 29 खजानची. जनरल सुपरवाईझर. चीफ सेक्रेटरी. www.umaragyanbhandar.com Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३८ ) ईन्टेलीजन्स, हेल्थ अने वॉलंटियर कमीटी. , हीरालाल वसनजी ,, साराभाई दलसुखभाई -00:0:00 मी. अमरचंद पी. परमार शेठ अंबालाल बापुभाई __ सेक्रेटरी. प्रमुख. ,, अनोपचंद मेळापचंद बी. ए. उतारा कमीटी. , उमेदलाल वाघजी शेठ कल्याणचंद सोभागचंद , उत्तमचंद बालचंद ,, केशवलाल मोहनलाल प्रमुख. ,, केशवलाल टल्लुभाई ,, अमृतलाल मोहनलाल , चुनीलाल लहेरचंद ,, ककलभाई भाणजी , जगाभाई भोगीलाल , कल्याणजी खुशालं , जगाभाई मगनलाल कस्तुरभाई अमरचंद ,, जेसींगभाई साराभाई ,, चांपशीभाई परबत , झवरलाल माणेकचंद , जेवतभाई जेठा , डाह्याभाई मुळचंद , जेशंगाई झवेरचंद , दलपतभाई प्रेमचंद , नागजी मोतीचंद , दुल्लभ हरखचंद भोगीलाल वीरचंद , देवचंद भगवानजी बालचंद ईंद्रशा , धीरजलाल सरुपचंद , बालाभाई जेचंद ,, नानजीभाई जेठा , मणीलाल लहेरचंद , पानाचंद खुशाल , माणेकजी जेठाभाई वर्धमान , पोपटलाल लल्लुभाई ,, मुळजी नरशी केशवजी पोपटलाल त्रीकमलाल ,, मोतीचंद हरखचंद प्रभुलाल डाह्याभाई , रुपचंद रंगीलदास , पुनशी हीरजी मैशरी , वाडीलाल सांकळचंद वहोरा , फकीरभाई प्रतापचंद , अम्रतलाल केवळदास , फुलचंद वेलजी सेक्रेटरी. , भोळाभाई जेशंगभाई भोगीलाल सांकळचंद कॉरसपॉन्डन्स कमीटी. , माणेकचंद हंसराज शेठ लखमसी हीरजी बी. ए. एल. एल.बी. , मुळचंद आशाराम प्रमुख ., वीरजी केशवजी , अमुलख छोगमल , वेलजी आणंदजी , खीमजी हीरजी कायाणी , हरगोवन उत्तमचंद ,, चंदुलाल बालाभाई नानावटी बी. ए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ जेठाभाई आनंदजी झवेरचंद कल्याणजी 33 टोकरसी नेणसी " "" "" ,, प्रभुलाल मंछाचंद "" 99 "" "" " मनसुख कीरत्चंद 99 S 19 "" "" 33 " " "" 39 दुल्लभ कल्याण धनजी चत्रभुज फतेचंद कर्पूरचंद लालन भोळाभाई छगनलाल मकनजी जुठा हरखचंद रायचंद हेमचंद अमरचंद " मी. मोहनलाल पुंजाभाई " "" शेठ अखाजी हरताजी "" "" "" ,, मणीलाल मोहनलाल "" "" "" मंगळदास छगनलाल मोतीचंद गीरधर कापडीया बी. ए. मोहनलाल खोडीदास साकरचंद माणेकचंद घडीयाळी साराभाई मगनभाई मोदी बी. ए. सांकळचंद महासुखराम "" सेक्रेटरी फंड कमीटी.. अमरचंद केसरीचंद अमरचंद झवेरचंद अमरचंद तलकचंद अमरचंद बहेचर अमीचंद पवालाल अमुलख खुबचंद अमृतलाल परशोत्तम आनंदजी सवाजी ( ३९ ) उत्तमचंद मुळचंद उदेमलजी ढड्ढा उत्तमचंद जेठमल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat शेठ उमरशी नागजी उमरशी रायशी. ओखाजी गोवाजी "" 33 " "" "" "" 27 "": "3 "" "" "" "" " "" 23 ,, कूरपाळ हरशी कृष्णा रामजी "" कृष्णाजी वीरजी. 33 99 "" "" ओतमचंद हीरजी ओसाजी जेसाजी "" "" ककलभाई जेशंगभाई कस्तुरचंद कल्याणचंद कस्तुरभाई झवेरचंद कल्याणचंद नगीनदास कल्याणचंद मोनजी "" "" "" कंकुचंद मुळचंद कानाजी दूलचंदजी कीका भाई प्रेमचंद ܙܕ कूरपाळ डुंगरी खुमाजी लखाजी 17 ,, खुशालचंद प्रतापचंद तशी खीयसी गमनाजी भावाजी कृष्णाजी हकमाज़ी केवळ भाई जेचंद केसरीचंद भाणाभाई केसरीचंद सवाईचंद केसरीमल कर केशवजी देवजी केशवजी माणेक चंद , गुलाबचंद अमीचंद ,, गुलाबचंद - केशवजी " गुलाबचंद धरमचंद " गुलाबचंद भोजराज गुलाबचंद मलुकचंद "" गोकळ भाई दोलतराम गांडमल गुमानमल गीरधर मालाजी www.umaragyanbhandar.com Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ गोमाजी कवेदाशजी गोमाजी भीमाजी घेलाभाई गणेश घेलाभाई उत्तमचंद 39 "" "" "" " चंदुलाल दलसुखराम " चत्रभुज हीराचंद चुनीलाल सांकळचंद चेताजी नरसिंगजी A "" "" ,, छत्रपतिसिंगजी डुंगर 355 "" "" "" ܕ "" "" "" "" " "" "" "" 33 "" "" "" "" "" "" "" "" "" " "" चंदुलाल गोकळदास जवेरी बी. ए. "" जगत्पतिसिंगजी डुंगर गाभाई छोटा भाई जमनादास खीमचंद जसरुप सरदारमल जादवजी खोडीदास जादवजी वीरजी जीताजी सुरसंगजी जीवनचंद बालुभाई जीवनचंद धरमचंद जीवणलाल पन्नालाल जीवराज रतनजी दामजी जुठाभाई चांपसी जेठाजी भीमाजी जेठा भाई दामजी जेठा भाई वर्धमान जेताजी लखाजी जेसींगभाई फकीरचंद झवेरचंद ईन्दरजी टोकरशी देवशी टोकरशी मुळजी डाह्याभाई उत्तमचंद डाह्याभाई रतनचंद (80) तलकचंद झवेरचंद तलछाजी नाथाजी ताराजी अखाजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat शेठ त्रीकमचंद गेवल तेजपाळ जगसी तेजुकाया दयाळदास काळीदास दळीचंद भाईचंद दलीचंद मेघाजी "" " "" "1 "" ,, दुलमलजी फुलचंदजी देवचंद लालभाई देवजी लालजी पुनसी धरमचंद झवेरचंद "" " 31 19 39 "" "" 99 "" नगीनभाई घेलाभाई "" ,, नगीनभाई घेलाभाई नगीनभाई मंछुभाई न्यालचंद मानचंद न्यालचंद दयाळजी नरसी तेजसी नरोत्तम भाणजी नरोत्तमदास जगजीवन नरोत्तमदास मोतीचंद नवलाजी रतनाजी नाथाजी मनाजी नानकचंद पूनमचंद 59 99 29 "" . 91 १५ "" 19 , " नानचंद केशवजी "" " "3 "} धरमचंद मगनलाल धरमशी गोविंदजी धीरजलाल पानाचंद शराफ ध्रीपतसिंहजी डुंगर धोलमल अमुलखचंदजी नगीनदास कपुरचंदजी 39 " नानाभाई तकलचंद नेमचंद भीमजी पनाजी कलाजी पनाजी प्रेमाजी पनाजी भीमाजी पृथ्वीराजजी जीतमल प्रेमचंद केशवजी www.umaragyanbhandar.com Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) शेठ प्रेमचंद ओधवजी , पोपटभाई अमरचंद , पोपटभाई मावजी , पोमाजी खीमाजी , फकीरभाई घेलाभाई , फलाजी आणंदजी ,, फुलचंद कस्तुरचंद ,, फुलचंद मावजी , बालाजी कोलाजी बालाभाई सांकळचंद बालुभाई जीवणचंद .. भगवानलाल पनालाल ., भनाजी मासंगजी , भाईचंद कस्तुरचंद , भीमाजी कपुरचंदजी भीमाजी पदमाजी भूताजी खुशालजी भोगीलाल मोहनलाल मकनजी कानजी , मकनजी माधवजी मगनभाई नगीनदास , मगनभाई प्रतापचंद ,, मगनलाल धरमचंद , मगनलाल पुरुशोत्तम मणीलाल छगनभाई मनसुख लल्लुभाई मनसुखलाल कचराभाई , मानचंद लालभाई , मानाजी हेमजी मासाजी फताजी महासुखलाल परमानंददास , मुकुन्दचंदजी बालीआ ,, मेघजी जगजीवन ., मेधाजी दरजानु ,, मेधाजी मोतीजी , मोतीचंद खूबचंद शेठ मोतीचंद सरुपचंद , मोहनलाल मगनभाई , रतनलाल चुनीलाल , रतनलाल मगनलाल , रतनशी देवशी , खचंद उजमचंद , रवजी गांगजी नेणशी , रामचंद नथमलजी , रामचंद वीरचंदजी , रायचंद केसरीचंद , रायचंद खुशालचंद , रायचंद नानचंदजी , रायशी अमरचंद ,, रुपाजी शोभाजी , लखमीचंद पीतांबरदास , लखमीचंद माणेकचंद ,, लखमीचंदजी रामचंदजी , लल्लुभाई गुलाबचंद , लल्लुभाई नथुभाई ,, लालजी पुनसी , लालाभाई हजारीमल दील्हीवाळा , लालभाई त्रीकमलाल वाडीलाल ,, वल्लभदास ऊत्तमचंद , वार्डीलाल दलसुख ,, वालजी रणछोड , वेलजी गोबर , सखराज भाला ,, सरदारमल मोकमदास , सवचंद प्रेमजी , सांकळचंद नवलचंद , साराभाई वाडीलाल , शामजी जीवराज , शामजी ठाकरशी , सिद्धकरण रावनमल , सवाईचंद जीवणचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४२) शेठ सूरजमल भोजुभाई बी. ए. । शेठ काळीदास मुळजी , सोभाग्यचंद कपुरचंद , घेलाभाई त्रीभोवनदास ,, सोभाग्यचंद तलकचंद , चंदुलालजी खुशालजी , सोमचंद धारशी. , चुनीलाल वीरचंद ,, हकमानी लालाजी , छगनलाल शवचंद ,, हकमचंद नथुभाई ,, जुवारमल अमीरमल ,, हटाजी चेखाजी , तेजराज मोताजी , हटाजी लखमीचंद , देवजी वरसंग ,, हरकीसनदास रामजी माधवजी , पानाचंद ताराचंद , हरखचंद वर्धमान प्रेमचंद वीरपाळ ,, हरजीवन राघवजी , बालाभाई छगनलाल , हरीभाई अमीचंद , बापुलाल लल्लुभाई , हरीचंद मीठा. , मगललाल कंकुचंद , मगनलाल नरोत्तमदास , हंसराज लालजी मनसुखर , हाथीभाई मगनलाल ., रामलाल केशवलाल , हिन्दुजी अमर्रागंजी , लखमीचंद खेंगार , हीरजी घेलाभाई .. वनमाळी गंभीर हीरजी धारशी , वाडीलाल पुनमचंद हीराचंद खुशाल , सोभागचंद तलकचंद , हीराभाई घेलाभाई , हीरालाल बकोरभाई , हीराभाई नेमचंद मी. मोहनलाल हेमचंद , हीराभाई मनसुख , हीराभाई बापुभाई , हेमचंद मोतीचंद , हेमाजी हकमीचंदजी मंडप कमीटी. , त्रीभोवनदास भाणजी रा. बा. माणेकचंद कपुरचंद सेक्रेटरी. प्रमुख. शेठ अमीलाल जादक्जी भोजन कमीटी. , जेठाभाई दामजी शेठ बालचंद कनीराम , डाह्याभाई सरुपचंद ,, तलकचंद नवलचंद प्रमुख. देवजी खीमसी नामडा , कस्तुरभाई कशळचंद नरसी देवराज , काळीदास जगजीवन , लल्लुभाई करमचंद सेक्रेटरी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ वीठ्ठलदास वाडीलाल , हरीचंद थोभणभाई हीसाब कमीटी. शेठ टोकरसीभाई शामजी लोटालाल प्रेमजी । सेक्रेटरीओ. " देवकरण मुळजी । " गुलाबचंद नवलचंद , गेनाजी उकाजी मी. मुळचंद हीराजी सेक्रेटरी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४४) पुरवणी ( आ ). श्री मुंबईमा भरायेली बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीना फंडनी टीप. रुपीआ. १५१४ श्री मोटी मारवाडना संघ तरफथी हा. शेठ गणेशमल सोभागमलजी , ५०१ श्री आदीश्वरनी सभाना सभासदो तरफथी हा. शेठ कानाजी उकाजी. , ३०१ श्री गोलवाडना तड तरफथी हा. शेठ पनाजी भीमाजी. ३०१ शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई.ई. २५१ " गोकळभाई मुळचंद. २५१ " छोटालाल नगीनदासनी कुं०. २५१ " धरमचंद उदेचंद. २५१ " पनालाल पुनमचंद. २५१ " प्रेमचंद रायचंद. २५१ " माणेकचंद कपुरचंद. २५१ " वीरजी त्रीकमजी. २०१ " भीमजी शामजीनी कुं०. २०१ " मयाभाई अंबावीदास. " शामजीभाई जीवराज. " रतनजी जीवणदास तथा शेठ रतनजी वीरजी. " लक्ष्मीचंद माणेकचंद. २०१ " हीराचंद मोतीचंद झवेरी. १५१ " गुलाबचंद मोतीचंद सोलीसीटर. १५१ " झवेरचंद गुमानचंद. " नगीनदास कपुरचंद. १५१ " पोपटभाई अमरचंद. १५१ " रुपचंद रंगीलदास. १२५ श्री आबुना तड तरफथी शेठ भीमाजी नारणजी. १२५ शेठ गोकळभाई दोलतराम. १२५ बाबु चुनीलालजी पनालालजी. १११ शेठ भीमाजी मोतीजी. १.१ " अमरचंद तलकचंद. ॥ १.१ " अमुलख खुबचंद. * * 22 * Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपीआ १०१ शेठ उत्तमचंद हीरजी. " कानजी परबत. , "" "" "" "" "9 "2 "" "" "3 "9 "" 99 " · "" 19 "" 2 "" " "" ;" " 35 19 99 29 " 35 " ARARA "" १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०.१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ FA १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ १०१ ९१ ९१ ९१ ९१ ७५ ७५ ७१ ( ४५ ) ” केसरीचंद भाणाभाई. " कृष्णाजी हमकीचंदजी. " कृष्णाजी फूलचंदजी. "3 छगनलाल वहालचंद . " जसरूपजी सरदारमलजी. " जेठाभाई वर्धमान. " नेमचंद मेळापचंद. " बालुभाई मुळचंदनी कुं० " भीमाजी कपुरचंदजी, " भुताजी खुशालजी. " माणेकलाल घेलाभाई. " मेघाजी मोतीजी. " मोतीचंद देवचंद, " मंगळदास छगनलाल. " रायचंद खुशालचंद . " रायचंद नथमलजी. " रायसी अमरचंद. " रुपचंद लल्लुभाई. ܕ वाडीलाल सांकळचंद. " सांकळचंद नवलमलजी. " हटाजी चेलाजी. " हीरजी खेतसी. "" हींदुजी अमरंगजी. " कल्याणजी खुशाल. " गमनाजी भावाजी. " मोतीचंद लालचंद. " हटाजी लखमीचंदजी. ८१ " लालचंदजी सरदारजी. ७५ " कल्याणचंद वेलाभाई. ७५ ” जसवीर भूदर - बाई दीवाळी. " बाबु नानकचंद पुनमचंदजी. " भोरमल फूलचंद . " माणेकचंद जादवजी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपीआ ७१ शेठ रखचंद उजमचंद.. ७१ " शामजी खीमजी. ७१ " सोमचंद धारसी. ६१ " रायचंद नानचंद. ६१ " लल्लुभाई नथुभाई. ६१ " लल्लुभाई गुलाबचंद. ६१ " लल्लुभाई गोवनजी. ६१ " हाथीभाई मगनलालनी कुं० ५१ " अमीलाल जादवजी. ५१ " अनोपचंद खीमचंद. ५१ " उत्तमलाल नरोत्तमदास. ५१ " कल्याणचंद सोभागचंद. ५१ " कस्तुरभाई सवाईचंद. ५१ " खीमचंदभाई मोतीचंद. " गांगजीभाई नेणसी. ५१ "घेलाभाई उत्तमचंद. ५१ " चुनीलाल नहालचंद. ५१ " छगनलाल मगनलाल, ५१ " जगजीवन वालजी. ६१ जैन सोसाईटी तरफथी शेठ गुलाबचंद धरमचंद. ५१ शेठ जेठाभाई दामजी. ५१ " जेठाभाई कल्याणजी. ५१ " जीवराज रतनसी. ५१ " जेठाभाई झवेरसी. ५१ " झवेरचंद कल्याणजी. ५१ " टोकरसीभाई देवजी. ५१ " तलकचंद माणेकचंद. ५१ "त्रीकमदास ताराचंद. ५१ " थोभणभाई दामजी. ५१ " देवकरण मुळजी. ५१ " दलछाराम नानचंद. ५१ "देवजीभाई वरसंग. ५१ "धरमचंद मगनलाल. ५१ "धीरजलाल पानाचंद. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपीआ "" 25 35 99 99 99 99 99 39 95 99 99 "" "" 99 33 39 "" "" "" * " "" 39 535 "9 SS " " 95 19 99 " 39 35 ५१ शेठ नगीनदास फूलचंद . ५१ " नेमचंद भीमजी. ११ " पोपटभाई मावजी तथा शेठ नानाभाई मावजी. ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ४१ ४१ ४१ ४१ ४१ ४१ ३५ ३५ ३५ ३५ ३१ ३१ " प्रेमचंदभाई केशवजी. " मणीलाल लहेरचंद. ( ४७ ) " मेवजी जगजीवन. " मोतीचंद खुबचंद. " मोहनलाल टोकरसी. " रामचंदजी वीरचंदजी " लालभाई नथुशा. " सवाईचंद ताराचंद. " लीलाधर मोतीचंद. " वालजी हाथीभाई. " हरखचंद वर्धमान. " हेमाजी हकमीचंदजी. ܕܕ " ४५ ४१ श्री जैनमित्र समाज. ४१ शेठ टोकरसी कानजी, ४१ ४१ हरकीशनदास रामजी माधवजी. हालाभाई मगनचंद. " पुनमचंदजी नथमलजी. " दुलभभाई झवेरचंद. " देवजी नथु. " नगीनदास खीमचंद. " नगीनदास लल्लुभाई. " मनसुखभाई लल्लुभाई.. " मेघजीभाई चांपसी एडनवाळा. " लहेरचंद देवचंद. " लल्लुभाई हरखचंद. "" भगवानदास हीराचंद. " रणछोड़भाई माणेकचंद. " साराभाई मणीलाल.. " हरखचंद रायचंद. " अमरचंद झवेरचंद. " उत्तमचंद खीमचंद. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीआ " 19 99 27 " 99 99 "" "3 $9 "" - د. === 99 "" "" "" "" "" او "" "" "3 "" "" 57 ARRA "; "" "" 35 51 ( ४८ ) ३१ शेठ उत्तमलाल हरमोचनः " उत्तमलाल डाह्याभाई. "" कस्तुरभाई वीरचंद. " खुमाजी लखमीचंदजी. " गोकळभाई गुलाबचंद. ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ बा. सा. छत्रपतसींगजी. ३१ शेठ जेठाभाई नेमचंद. ३१ " जीवाभाई वाडीलाय. ३१ " डाह्याभाई वेलाभाई. ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ RUAR ܝܘ ܝܗ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ Y Y Y Y Y Y नस नस नस 222 ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ म त ३१ ३० ३० MO २५ २५ २५ २५ २५ " डाह्याभाई डोसाभाई. " त्रीकमभाई जेशंगभाई. " देवराज मावजी. " धरमसी गोविंदजी. " कीलाभाई उमेदभाई. मगनलाल रामचंद. महासुख गुलाबचंद. 12 " मंगळदास वीठ्ठलदास. " मदनजी प्रेमजी. " मोतीलाल हीरालाल . " मेघाजी गोमाजी. " रायचंद केसरीचंद. " रतनजी खीमजी. " लल्लुभाई हरजीवनदास, " सागरमल न्यालचंद . " सांकळचंद रतनचंद. " हीराचंद देवचंद. " हीरालाल नागरदास. " हरखचंद मुळजी. बाबु गुलाबचंद अमीचंद. शेठ लालजी पुनसी. " अमरसीभाई कचरा. " उमरसी रायसी. " कस्तुरभाई, कशळचंद. कस्तुरभाई, झवेरचंद. कुरपाल हीरसी. ܕܕ " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४९) रुपीआ २५ शेठ कुरपाल डुंगरसी. २५ " केवळभाई जेचंद. २५ " गुलाबचंद मलुकचंद, २५ " टोकरसी मुळजी. २५ " डाह्याभाई जेचंद. २५ " ठाकरसी हीरजी. २५ " तेजा काया. २५ " धरमचंद झवेरचंद. २५ " दामजीभाई अरजण. २५ " नरोत्तम जगजीवन. २५ " नरसीभाई तेजसी. २५ " प्रतापचंद रतनचंद. २५ " प्रेमचंद ओधवजी. २५ " बालचंद कनीराम. २५ "बकोरभाई उजमसी. " मकनजी कानजी, " मीठाचंद लधाभाई. " मोहनलाल मगनभाई. " मंछुभाई तलकचंद. " रावजीभाई मोतीचंद. " हीरजी धारसी. "हीरजी जेठा. "हेमचंद मोतीचंद. " लखमीचंद धनजी. " सोभागचंद तलकचंद. " ईच्छाचंद रंगीलदास. २१ "ककल भाणजी. २१ " कस्तुरभाई वीरचंद. २१ " कल्याणजी मोनसी. २१ " छोटालाल गभरुचंद. " चत्रभुज हीराचंद. " पनाजी हंसाजी. २१ , नानचंद केशवजी. २१ ,, मगनलाल कंकुचंद. २१ " मुळचंद कपुरचंद. ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५०) रुपीआ २१ शेठ वीरचंद खीमचंद. २१ "सुरचंद मोतीचंद. १५ " अमरचंद पी. परमार. १५ " अमृतलाल केवळदास. १५ " छगनलाल मंछाचंद. " छोटालाल प्रेमजी तथा सवचंद प्रेमजी. " जेशंगभाई झवेरचंद. " जेठाभाई डोसाभाई. १५ , जीवाभाई चतुरभाई. १५ , झवेरचंद अंदरजी. ', दयाळजी काळीदास. ,, डाह्याभाई सरुपचंद. ,, नवलचंद मोतीचंद. १५ ,, भोगीलाल चुनीलाल. , मेधजी लालजीभाई. १५ " रवचंद गुलाबचंद. १५ "शीवराज बालाभाई. " हीराचंद परशोत्तम. " हेमचंद वीरचंद. ११" केसरीचंद लल्लुभाई. ११ " गोपाळजी पुरुशोत्तम. ११ " गोरधन नथु. ११ "लाभाई अमरचंद. ११ " तलकचंद नवलचंद. " दलीचंद भाईचंद. ११ " नरोत्तम मोतीचंद. " परमानंद मुळचंद. " फकीरचंद नेमचंद. ११ " भाईचंद कल्याणजी. " मणीलाल प्रेमचंद. ११ " मोतीचंद हरखचंद. ११ " मोतीलाल मुळजी. ११ " मोतीलाल लल्लुभाई. ११ " लालचंद लीलाधर. ११ " वर्धमान कुंवरजी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुपीआ "3 27 "" ARRA 23 "" 93 "" 228 99 33 99 20 " 30 "" 22 22 22 34 25 99 225 "" "" او 19 " 35 " 99 12 " 99 12 " ११ शेठ वीट्ठल मोतीचंद. " शामजी वेलजी. ११ ११ ११ ११ ११ ११ १० १० १० १० 00 १० १० V ०० A 6 6 6 6 6 6 6 6 0 ५ ५ ५ ५ ५ ܕܕ "" " हरीभाई अमीचंद. " हीराचंद खुबचंद. " हेमचंद हीमचंद. " जेठाभाई गुलाबचंद. "" " नेमचंद ताराचंद गांधी. " मोहनलाल हेमचंद. " लखमसी हीरजी मैशरी. वसनजी मेघजी. सांकळचंद कपुरचंद. हीराचंद वसनजी. "" "" "2 " ARRAR "" "" ,, "" " 3999 "" 153 35 225 " "" 1:3 " "" "" (११.) "2 हरखचंद शीवराज. हरीचंद मीठा . 12 मोतीचंद रुपचंद. सवाईचंद जीवणचंद. आनंदचंद सवाईचंद. केसरी भाई बापुभाई. चुनीलाल वीरचंद. छगनलाल वीरजी. जसराज झवेरचंद. पोपटलाल लल्लुभाई. फूलचंद दयाळजी, वाडीलाल सांकळचंद वहोरा. ककलभाई जेशंगभाई. कल्याणचंद नगीनदास. केशवजी देवजी. खूबचंद नथुभाई. चंदुलाल बालाभाई. चुनीलाल लहेरचंद. जगाभाई छोटालाल. जगाभाई भोगीलाल, जगाभाई मगनलाल. जेठाभाई आनंदजी. जेशंगभाई साराभाई, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुपीआ 23 " "" "" "" "" 29 "" "0 "" "" 99 93 " " " " 99 29 93 19 99 "" " ( ११ ) ५ शेठ देवजीभाई खीयसी. ५ धनजी चत्रभुज. पानाचंद खुशाल. पानाचंद ताराचंद. बालाभाई जेचंद. भोगीलाल सांकळचंद वहोरा : भोळाभाई छगनलाल. ५ ५ ५ ५ ५ ५ ४ ३ २ "" "" "" 97 "" "" मकनजी जुठा. " ,, मनसुख कचरा. " मनसुख कीरत्चंद. मगनलाल परशोतम. "" " 99 "" " हरखचंद परशोत्तम, " हरजीवन राघवजी. " हीराभाई डाह्याभाई सोदागर " मानचंद सरुपचंद. " सरुपचंद अभेचंद. जीवाभाई कस्तुरचंद. कल्याणमलजी भडगतीआ. भीखालाल चुनीलाल. मगनलाल नहानचंद. रेवामलजी हीरालालजी. 33 ," 19 माणकचंद हंसराज. मुळचंद हीरजी. लल्लुभाई चुनीलाल. "" "" कुल रुपआ १६४७८. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५३ ) पुरवणी. (इ) बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी इन्टेलीजंस, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटीनो रीपोर्ट. बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स माटे नीमायली रीसेप्शन (स्वागत) कमीटीए ता. ५ मी जुलाई रविवारे पोतानी जाहेर सभामां, बीजी कमीटीओनी साथे “इन्टेलीजंस, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटी" पण नीमी हती, अने तेना प्रमुख तरीके मी. अंबालालं बापुभाई अने सेक्रेटरी तरीके मी. अमरचंद पी. परमारने नीमवामां आव्या हता. मेम्बरोनुं लीस्ट आ साथे जोडयुं छे. (जुओ पुरवणी अ.) ए कमीटीना मेम्बरो जुवान अने होंशीला हता अने तेमां केटलाक वधु उमरना पण दाखल थया हता. वळी मेम्बरोमांथी केटलाएकने जु, जुएं काम सोंपीने तेना विभाग पाडी नांखवामां आव्या हता. जुदां जुदां कामो बजाववाने दस १० जणाओनी, सेक्रेटरी मी. परमारना हाथ नीचे काम करवाने ए कमीटीए गोठवण करी हती, अने ते नीचे प्रमाणे हती:-- १. मी. पोपटलाल लल्लुभाई-इन्टेलीजंसने लगतुं काम करवाने एसीस्टंट. २. मी. हीराभाई बाह्याभाई सोदागर हेल्थ कमीटीना एसीस्टंट. ए काम उपरांत बीजी बने कमीटीने लगतुं काम तेओ होशथी करता रह्या हता. ३. मी. झवेरलाल माणेकचंद घडीयाली-बॉलंटियर कमीटीना एसीस्टंट. एकाम सिवाय बीजी पण मदद सारी रीते आपता रह्या हता.. ४. मी. वेलजी आणंदनी बी. ए.-वॉलंटियरोना चीफ सुप्रीन्टेंडट. ५. मी. पुनसी हीरजी मैशरी-चीफ मेडीकल ऑफीसर. मी. भोळाभाई जेशंगभाई-कॉरसपॉन्डंस करवाने एसीस्टंट. जगाभाई मगनलाल-टीकीटो अने फूलो आपवानुं खास काम. ८. मी. जेशंगभाई साराभाई-वॉलंटियरोमां कप्तानना ओध्धापर. ९. मी. जगाभाई भोगीलाल-कमीटीना प्रोवीझनल ट्रेझरर. १०. मी. शीवशंकर नारायणजी जोशी-ओनररी ड्रील मास्तर ( जैन नहीं ). कमीटीनी मीटींग दर शुक्रवार रातना मळती रही हती; अने ते उपरांत जरुर पडवे बीजा दीवसोए पण मळी हती. कमीटीनी कुल बेठक नव धई हती, अने ओद्धदारो बेरसे अने वॉलंटियरोनी बेठक आठ थई हती. जुदी जुदी कमीटीए करेला कामनी सुदी जुदी विगत निचे प्रमाणे छे: इन्टेलीजंस कमीटी. ऐ कमीटी माटे ता. २२-७-०३ ने दीने जे कामो करवाने सूचववामां आव्यां हतां तेनी नकल आ साथे जोडी छे. (पुरवणी १) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५४ ) (अ) जे जे कमीटी तरफथी जे जे विगत वस्तुनी किंमत पुछवामां आवी ते पुरी पाडी हती, अने तेम करवामां घणी वस्तुओना भाव आ कमीटी तरफथी ओछा मळवाथी बीजी कमीटीओने बहु फायदो थयो हतो. (आ) जे जे खबरो कोईना पण तरफथी अने खास डेलीगेटो तरफथी मागवामां आवती हती, ते पूरी पाडवामां आवी हती. आ काममाटे मंडपनी बहार पण इन्टेलीजंस कमीटींनी ऑफीसमां एक Inquiry office ( ईन्कायरी ऑफीस) खोलवामां आवी हती. (इ) डेलीगेटोना तारो कागळो, तेभोना उतारामां अने मंडपमां बहु झडपथी वहेंची देवामां आव्या हता. लोकोने जाणवालायक खबरो बीजी कमीटी पुरी पाडती, तेनी नोटीस बॉर्डपर लगावाती हती. जुदी जुदी कमीटीना, डेलीगेटोनां फूलोना आकार, टीकीटोना रंगविमेरे एक जुदाज बॉर्डपर लगावी लोकोने वाकेफ कर्या हता, जेनी विगत आगळ आवशे. (ङ) न्युसपेपरोने जाणवा लायक विगतो पूरी पाडती रही हती अने पेपरोमा झडपथी रीपोर्टो आवे तेवी गोठवण करी हती. मुंबई समाचारना पुरा रीपोर्टना वधारा रोज बहार पडे तेनी पण गोठवण करी हती. (ऊ) रेलवेना टाईम, तार, मनीऑर्डरफॉर्म विगेरे, तेमज सूचनानां अने छापेलां फार्मो ऑफीसमां तैयार राखी डेलीगेटोए मागतां, ते पूरा पाड्यां हतां. (ए) रीसेप्शन कमीटी अने डेलीगेटोने टीकीटो अने फूलो पुरां पाडवानुं अने डेलीगेटोनुं संपूर्ण लीस्ट (जे तैयार नहोतुं ) ते बनाववानुं अने टीकीटो अने फूलो आपवानुं अति विकट काम मी. जगाभाई मगनलाले पोतानी मददमां मंडप कमीटीमांथी मी. डाह्याभाई सरुपचंद, केप्टन मी. जेशंगभाई साराभाई अने वाणना एक उत्साही वोलंटियर मी. वल्लभजी छगनलाले रात दिवस मंड्या रही बहु संतोषकारक रीते बजान्युं हतुं. कुल डेलीगेटो १५९२ ने टीकीटो आपवामां आवी हती अने तेओ सात सर्कलमां वर्हेचायला हता. (पुरवणी २ . ) (ऐ) डेलीगेटो विगेरेनी खोवायली नानी मोटी चीजो जेवी के ट्रंक, रुमाल, छत्री, दुपटी, घडीआळ, चश्मो तेना माली कोने शोधीने खात्री करी स्वाधीन करवामां आव्यां हतां. (ओ) केटलाक डेलीगेटोनां नामो कोईपण कारणसर लीस्टमां दाखल थएलां नहीं होवाथी, सेओने टीकीटमाटे दुःखी थषानो वखत आव्यो हतो, पण संजोगथी खात्री करी तेओने दाखल करवामां आव्या हता. आ कमीटीने अंगे टीकीटो आपवानुं काम कठण थई पड्युं हतुं. गामोनुं अने डेलीगेटोनां नामोनुं जुदुं alphabetical list ( अक्षरना क्रमवार लीस्ट) प्रथमथीज धनुं जोईए अने तेनी बे नकलो करवी जोईए, भने डेलीगेटोने जे भरवानां फॉर्मो मोकलवामां आवे ते प्रथमथीज ड्युप्लीकेट मोकलवां जोईए, के जेमांथी एक भरीने ऑफीसमां मोकली दे, अने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीजं कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां टीकीट लेया जाय त्यारे रजु करे जेथी गरबड थाय नहीं. पण बीजी घणी मुश्केलीओ उभी थई हती, जे विगतवार आ साथे जोडेला रीपोर्टपरथी मालुम पडशे; तेमज उपयोगी सूचनाओ पण तेमां करवामां आवी छे. ( पुरवणी २) हेल्थ कमीटी. हेल्थ कमीटीए करवानां कामोनी सूचना आ साथे जोडेला कागळमां छे.( पुरवणी ३) ए कमीटीमां चीफ मेडीकल ऑफीसर तरीके मी. पुनसा हीरजी मैशरी के जेओ ग्रांटमेडीकल कॉलेजमां सीनीयर स्टुडंट छे, तेओने नीमवामां आव्या हता, अने तेओए सारं काम बजाव्युं हतुं. . ए कमीटीमां नीचे मुजब कामकाज थयुं हतुं. (१) उतारा, मंडप, विगैरेनी जग्या पसंद करी तनदुरस्तीने लगता फेरफार सुचववा, तथा दरेक उतारामां केटला डेलीगेटो राखवा ते जुदी जुदी कमीटीने सूचववामां आव्यु हतुं. मंडप प्रथम भायखले बांधवानुं नकी थयु हतुं, पण त्यांनी जग्या बहु सरदीवाळी होवाथी मंडप कोटमां लई जवानी भलामण करी हती. (२) नीचे लखेला डाक्टरो अने वैदोए डेलीगेटोनी मफत सारवार करवानी मागणी करी हती, ते बाबत तेओना आभार माननारा पत्रो चीफ सेक्रेटरीए मोकली आप्या हता; अने तेओने कॉम्प्लीमेंटरी टीकीटो पण मोकली आपवामां आवी हती. डाक्टर मगनलाल उमीयाशंकर भट्ट. एल. एम. एन्ड. एस. , रावजी श्रीपत. एल. एम. एन्ड. एस. (बहारगाम) नगीनदास माणेकलाल. , अमृतलाल जे. महेता. एल. एम. एन्ड. एस. (जरूर पडी हती नहीं.) मयाचंद मगनलाल एल. एम. एन्ड. एस. (वडोराथी आवी शक्या नहोता.) वैद्य मगनलाल लालचंद. १० दस दिवसमां बधा मळी १०६ दरदीओने दवा आपवामां आवी हती, अने दरदीओनी दररोजनी हाजरी ११ नी हती.. ए दरदीओमांनो मोटो भाग पंजाबनो हतो. तेनो विगतवार रीपॉर्ट तेओए रजु कर्यो हतो. बीमारोना रीपॉर्टो वखतोवखत चीफ सेक्रेटरीने करवामां आव्या हता. दरदीओ सर्वे सारा थया हता. डाक्टर नगीनदासे घणे मोटे भागे अने पांच केसोमां डा० मगनलाल भट्टे सारवार करी हती. डाक्टर नगीनदास माणेकलालने कॉन्फरन्सचें काम खलास थती वखते मुंबईना प्रसिद्ध झवेरी शेठ नगीनदास कपुरचंदे प्रमुख साहेबने हाथे, डेलीगेटोनी तेमणे बजावेली सेवाना बदलामां घटता शब्दोथी वखाण करी एक हीसनी वीटी भेट आपी हती. ___ए डाक्टरे पोतानां बीजां कामना भोगे डेलीगेटोने जोवानुं काम प्रथम हाथ धर्य हत. डाक्टरे पोतानां रीपॉर्टमां केटलीक अगत्यनी सूचना करेली छे. , मया " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वधाराना बंने डाक्टरोने उपकारपत्र मोकली आपवानी आ कमीटीए भलामण करी छे. दवानो खर्च तेमज वीझीट फी बहु मोटी थाय, पण ते मजकुर डाक्टरोए खुशीथी कॉन्फरन्सने मदद तरीके छोडी- दीधां हतां. वॉलंटियर कमीटी. . .. आ कमीटी माटे प्रथम सूचवेला कामनी विगतमी नकल आ साथे जोडी हे. (पुरवणी ४.) . . (क) जुदां जुदां कामोमां मदद करवाने जैन वॉलंटियरो मेळववा माटे मुंबई समाचार, टाईम्स ऑफ इंडिया, जामे जमशेद, अखबारे सोदागर, गुजराती अने जैन पत्रमा जाहेरखबर आपवामां आवी हती. ते सर्वे पेपरोए आ काम धर्मनुं समजी खास ओछा भावो लीधा हता; अने जैन पत्र तथा खेडावर्त्तमाने वगर मागणीए वगर दामे, ए जाहेरखबर लीघी हती माटे तेमनो उपकार मानवानो ठराव पसार करवामां आव्यो हतो. (ख) वॉलंटियरो थवानी कुल अरजी २७७ आवी हती, अने तेमांथी नामो घट वध करतां आखरे १७२ वॉलंटियरो रजीष्टर थया हता. तेओनू लीस्ट तेओना सुप्रीन्टेंडंटोनां नामो साथे आ साथे जोडयुछे. ( पुरवणी ५) बार वर्षनी उपरना अने पंदर वर्षनी अंदरना बॉलंटियरोनी संख्या ३० पचीस वर्षनी उपरना वॉलंटियरोनी संख्या. युवान उमरना वॉलंटियरोनी संख्या १२८ (ग) इन्टेलीजंस, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटीमाथी नीचे जणावेला गृहस्थोए वॉलंटि. यर थवानी इच्छा दर्शाववाथी तमने तेमां दाखल करवामां आव्या हता, अने तेओने नीचे जणावेला ओद्धाओ आपवामां आव्या हताःमी. वेलजी आणंदजी बी. ए. (चीफ सुप्रीन्टेंडंट.) मी. मुळचंद आशाराम. (सुप्रीन्टेंडंट,) मी. दलपतभाई प्रेमचंद. , मी. देवचंद भगवानजी शाह. , मी. केशवलाल लल्लुभाई. , मी. जेशंगाई साराभाई. (कैप्टन.) मी. फूलचंद वेलजी. (वॉलंटियर.) (घ) वॉलंटियरोना नीचे जणावेलां नामना जुदा जुदा डीवीझनो पाडीने जुदा जुदा सुप्रीन्टेंडंटो मुकरर करवामां आव्या हता, जेनी विगत नीचे प्रमाणे छे. अगरजो ए फरजो नक्की करवामां आवी हती ते छतां पण, खास संजोगोमां बीजां पण कामो वॉलंटियरोने करवां पडयां हतां. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५७) वोलंटियरोना डीवीझनोनी विगतः टीवीझन नं. सुप्रीन्टेन्डंटोनां नाम. . नी संख्या वॉलंटियरो नाम. ड्युटीनो प्रकार. युथ. युथ. मोफसील मीडल. युथ. युथ. एल्डरल ७ युथ. | ८ कच्छीयुथ. ९ यंगस्टर्स. १० युथ. ११ मी. कुंवरजी मुळचंद, .. स्टेशन, मंडप, प्रेसीडेंट विगैरेनी सामा. पी.केशवलाल लल्लुभाई, १३ स्टेशन, उतारा, मंडप, प्रेसीडेंट अने मी. ढहाने मी. चंदुलाल हीराचंद. ७ स्टेशन, मंडप. [लेवा जवा. मी. जमनादास मोतीचंद-एक्टींग १७ स्टेशन,मंडप,प्रेसीडेंट अने मी.ढहाने लेवा जवा. मी. सवचंद कचराभाई. मी. दलपतभाई प्रेमचंद | १३ स्टेशन, मंडप, उतारा, प्रेसीडेंट अने मी. दृढाने लेवा जवा. मो. देवचंद भगवानजी शाह. १० स्टेशन, मंडप. मी. धनजी लीलाधर. १४ स्टेशन, मंडप तथा कॅरेज. मी. फूलचंद उत्तमचंद पारेख. ___७ स्टेशन,मंडप,प्रेसीडेंट तथा मी.ढहाने लेवा जवा. मी. भवानजी जेठाभाई. १० स्टेशन, मंडप, प्रेसीडेंट विगेरेने लेवा जवा. मी. माधवजी कीरचंद. मी. मुळचंद आशाराम. ८ स्टेशन, मंडप, उतारा, प्रेसीडेंट अने मी. ढहाने लेवा जवा. मी. सोभागचंद केवळचंद. | १४ स्टेशन, मंडप. मी, शंभुप्रसादजी गांधी. | २. मॉर्डरली, प्रेसीडेंट तथा मी. ढढा साहेबने लेवा जवा. | १३ मंडपमा परचुरण काम. . १७२ यंगस्टर्स. १२ ऑर्डरली.१३ एक्स्ट्रा . १४ () वोलंटियरोने सुंप्रत करेला काममाथी:तेओ ता० १६ थी १९ सप्टेंबर सुधी रोजनी १४ गाडीपर सामा गया हता. (१) बोरीबंदर स्टेशनपर कुल ३१ डीविझनना ३८९ वोलंटियरो डेलीगेटोने लेवाने सामा गया हता. (२) ग्रांटरोड स्टेशनपर कुल ३४ डीवीझनना ४०० वोलंटियरो डेलीगेटोनी सामा लेवाने गया हता. (च) वोलंटियरो अने सुप्रीन्टेंडंटोने वर्तवाना संबंधमां आ साथे जोडेला कागळमां लख्या प्रमाणेनी सूचनाओ छेलामां छेल्ली आपवामां आपी हती. ( पुरवणी ६.) (छ) कॉन्फरन्सना मुकाममां उतरनारा डेलीगेटोनुं गाडी भाडं अने हेल मजुरी कॉन्फ रन्स फंडमांथी आपवानो ठराव थयेलो होवाथी, नीचे प्रमाणेनी गाडीओ विगेरे रोकवामां आवी हती. तबेलानी जोडीनी गाडी ९ वखत (तेमां ४ आखा दीवसनी.) , सींगल गाडी २ वखत, आखा दीवसनी, भाडुती विक्टोरिया १०६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) परचुरण रेंकडा, गाडां विगेरे ५१. ए सिवाय खानगी गृहस्थोनी पण गाडीओ हती. मंडपमा जवा विगैरेनु गाडीभाडु डेलीगेटो आपता हता. ट्रामवेनी सोईमाटे खास बंदोबस्त करवामां आव्यो हतो. दरेक मुकामपर भाई आपवानी, दरेक सुप्रीन्टेंडंटने हेल माटे पैसा भापवानी अने विकटोरीआना भाडा माटे भाडानी चीठी आपवानी चोपडीओ पुरी पाडवानी, वगेरे गोठवणी पुरीराते करयामां आवी हती. कुले गाडी भाडाना रु.१४९-९-० अने हेलना रु. ४२-०-० सीत्तोतेर गाडीओ तथा ६७० पोटलांओना थया हता. ___गाडी मेळववार्नु काम केरेज सुप्रीन्टेंडंट मी. धनजी लीलाधर जेओ एक मजबुत कच्छी छे, तेओ अने तेमना मोटी उमरना वेचे घणी रीते संतोषकारक बजाव्यु हतुं. तेओने खास मदद मी. माणेकचंद केशवजी अने मी. केवळचंद केशवजी, ए बे वॉलंटियरोए आपी हती. (ज) वोलंटियरोनुं मुकामपरथी मंडपपर जवा, स्टेशनपर जवानुं अने बीजी ड्युटीपर जवाआववान भाडु कॉन्फरन्स फंडमांथी आपवानो हुकम थएलो होवाथी तेओने ट्राम भाडाना कुल रु.१५७-१३-०अने नास्ताना रु २०-३-. आपवामां आव्या हता. सुप्रीन्टेंडंट मी० कुंवरजी मूळचंदे तथा एक्टींग सुप्रीन्टेंडंट मी. सवचंद कचराभाईए पोतानुं तथा पोताना वोलंटियरोनुं गाडी भाडु पोतानी गीरोथी आप्युं हतुं, जेमाटे तेओने मान घटे छे. (झ) मी. केशवलाल लल्लुभाई अने मी. दलपतभाई प्रेमचंदना डीवीझनने उतारा कमीटीने मदद करवानुं अने मी. मूळचंद आशारामना डीवीझनने बीजा त्रण वधाराना वोलंटियरो आपी, भोजन कमीटीने मदद करवानुं काम सुंप्रत करवामां आव्युं हतुं. ते काममां कुले ३६ वोलंटियरो रोकाया हता; तेओ जुदा जुदा उताराओ अने रसोडांओमां वहेंचाई गया हता अने डेलीगटोनुं हर प्रकारनुं काम बजावता हता. स्टेशनपर पण जता अने मंडपमां पण हाजर रहेता हता. आवा सजड रोकाणने लीधे तेओनी जमवानी गोठवण उताराओमां राखवामां आवी हती. मी. मूळचंद आशारामे पोताना बेचना मी. दामजी कल्याणजीना कामनां खास वखाण को छे; तेनी अत्रे नोंध लेवामां आवे छे. (अ) ऑर्डरली डीवीझन के जेनुं काम मान माटे गार्ड ऑफ ऑनर, वगेरे तरकि ___बजाववानुं हतुं, तेमां नीचे प्रमाणेनी नीमणुक करवामा आवी हती:प्रेसीडंट साहेब राय बद्रीदासजी. वॉलंटियर २ रीसेप्शन कमीटीना चेरमेन शेठ. वीरचंद दीपचंद. जनरल सेक्रेटरी मी• लालभाई दलपतभाई.. " मी. गुलाबचंद डा. चीफ सेक्रेटरी मी. फकीरचंद प्रेमचंद. जनरल सुपरवाईझर मी. माणेकलाल घेलाभाई. . .. २ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९) कमीटीना प्रेसीडेंट मी. अंबालाल बापुभाई. कमीटीना सेक्रेटरी मी. अमरचंद पी. परमार. चीफ सुप्रीन्टेंडंट मी. वेलजी आणंदजी. बी. ए. चीफ मेडीकल ओफीसर मी. पुनसी हीरजी मैशरी ऑर्डरली सुप्रीन्टेंडंट मी. शंभुप्रसाद. तमाम ऑर्डरलीओए. खावापीवानी परवा राख्या वगर खरेखलं हाडमारीनुं काम बजाव्युं हतुं. तेमांना घणाओए पोताना ऊपरीओनां वखाणवालायक सर्टीफीकेटो मेळव्यां छे. प्रेसीडंट साहेबना ऑर्डरली कोई- पण आकर्षण खेंचे एवा हता. गाडीभाडा वगेरे संबंधी पैसा आपले करी तेनो हिसाब राखवाk काम मी. जगाभाई भोगीलालने सोंपवामां आव्यु हतुं. ते तेओए संतोषकारक रीते बजाव्युं हतुं. तेमनो हिसाब कॉन्फरन्सना दफतरमां दाखल करवामां आव्यो छे. (ट) मंडपमां खुरसीओ ऊपर टीकीटो लगाडवानुं काम पण वॉलंटियरोने सोपवामां आव्यु हतुं, अने तेओए ते घणी संतोषकारक रीते बजाव्युं हतुं. (3) डेलीगेटोने लेवाने सवारना चार वाग्याथी उठीने बॉलंटियरो जता हता,तेमज डेली गेटो साथे सभ्यताथी वर्तता हता. डेलीगेटोने ऊतरतांज तेओ कये मुकामे जनारा छे. ते बाबतनां उतारानां सूचीपत्रो गुजराती अने हिंदी भाषामां वहेचवामां आवतां हता. ( पुरवणी ५) तेओनो सामान काढी मजुरोने मांथे मुकावी अथवा जाते पण ऊचकी गाडीमां मुकता हता. गाडी भाडे करी कोचमेननी पासे बेसी उतारे पहोंचाडता हता. दूर सुधी पगे चालीने जता एटलुज नहीं पण भूखे कलाकोना कलाको सुघी काम कर्यु हतुं. (ड) प्रमुख साहेब पधार्या त्यारे वॉलंटियरोनुं आऱ्या सैन्य, मी. ढहाना माना अडg सैन्य अने ता. २३ मी सप्टंबरे नीकळेला लालबागना वरघोडामां पोणुं सैन्य गयुं हतुं अने बहु सारं काम बजाव्युं हतुं, ऑर्डरली अने बीजा बेचौए प्रमुख साहेबनी गाडीनी आगळ चाली आखा सरघसने शोभावी आप्यु हतुं. ए सरघसमां सौथी आगळ गाडी वॉलंटियर कमीटीना प्रमुख, सेक्रेटरी. अने चीफ सुप्रिंन्टेंडंटनी हती. मारवाडी बजारमा अने मुक्कामपर पण टुकडीओ हाजर राखी हती. (ढ) कोईपण वोलंटियर बीमार पडयो नहोतो. सुप्रीन्टडेंट मी. जमनादास मोती चंदने प्रमुख साहेबने लेवा गया ते दिवसे घोडानी लात वागवाथी सखत वान्युं हतुं, पण तबीयत अडधी सारी थतां पोतानी ड्युटी उपर जोडाई जई पोतानु कर्त्तव्य बजाववा उपर बधुं लक्ष आप्यु हतुं. तेमना एक्टींग तरीके मी. सवचंद कमराभाईए तेमनु काम घणी संतोषकारक रीते बजाव्युं हतुं. (द) कॉन्फरन्सना मंडपमां बे प्लॅटफॉर्म होवाथी सेक्रेटरीओ अने बीजा मानवंता गृहस्थो वच्चेनो खानगी पत्रव्यवहार तथा फंड भरनाराओनी चीठीओ विगेरेनुं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काम, तथा प्रतिष्ठित प्रेक्षकोना सामा जवानुं तथा पहोंचाडवानुं कठण काम, ओर्डरली सुप्रीटेंडंट मी. शंभुमसादे सारीरीते बजाव्युं हतुं. () तमाम वोलंटियरोने ता. २३-९-०३ ए एक जाहेर जमण लालबागमां आपवामां आव्युं हतुं. डेस-डेस बाबत कमीटीनी जुदी जुदी बेठकमां जुदी जुदी सुचनाओ थई हती, तेमज हेड ऑफिसथी पण घणी सुचना थई हती; पण आखरे नीचे प्रमाणेना ड्रेस नकी करी आपवामां आव्या हता. ए डेसो किंमतमां बहुज सस्ता थया हता अने आखा शहरमां आकर्षित थई रह्या हता. ___ ऑफीस बेररो-अंगुरी फेंटा, सफेद कोट, रेशमी केसरी रंगनुं उतरासण, कमीटीनुं ब्ल्युरंगी फुल अने सुप्रीन्टेंडंट, गुलाबी फुल. सुप्रीन्टेंडंटो-बदामी फेंटा, सफेद कोट, रेशमी केसरी रंगनां उतरासण, गुलाबी रंगनुं दावडीनुं फुल अने लाल रेशमी बे पटी, तेपर बाळबोध सोनेरी अक्षरे छापेखें के, "बीजी जैन कॉन्फरन्स" वॉलंटियर सुप्रीन्टेंडंटोने एक लाकडी अने रेशमी पटीमां बांधेली गळामां वीस्ल ( सीसोटी). वॉलंटियरो-कपासी रंगना फेंटा, नानी उमरनाने केसरीआ मोगल केप (टोपी), ऑर्डरलीने माथे पोतानीज पाघडी, सफेद कोट, सुतराऊ केसरी उतरासण, आसमानी रंगनुं दावडीनुं फुल अने उपर प्रमाणे लाल बेवडी पटीमां सोनेरी अक्षरे बाळबोधमां “जैन कॉन्फ. रन्स" अने “वॉलंटियरो" ए मुजब छापेलु हतुं. ए तमाम ड्रेसो सर्वेने भेट दाखल आपी देवामां आव्या हता. मी. धनजी लीलाधरना ऑर्डरली बेचे पोताना पैसाथी ड्रेस पहेर्या हता, ते तेओने शोभा आपनारुं छे. ए सिवाय १२ नाना अने २ मोटा बेनर (वावटा) तैयार कराव्या हता, अने ते दरेक सरघस, विगेरे काममां उंचीने लई जवामां आवता हता. बेनरपर उपरांत विजय अने जैन कॉन्फरन्स शब्दो लखी, साथीनां चित्रो काढवामां आव्यां हतां. ड्रेसो माटे दरेकने माटे रु. ५ ना ड्रेसनी मंजूरी आपवामां आवी हती, पण वखत कम होवाथी अने रुपीआ ५ मां सारो ड्रेस न बनवाथी, ए मुजब ड्रेस को हतो, जेनी किंमत दरेक वॉलंटियर पछवाडे रु. १ नी अंदर थई हती. ए गोठवण माटे कमीटीए मुबारकबादी लेवी जोईए. डील-वॉलंटियरोने ड्रील आपवा माटे गोकळदास तेजपाळ स्कुलना एक मास्तर मी. शीवशंकर एन. जोशीए पोतानी खुशी बतावी हती. जैन नहीं छतां तओए प्रशंसापात्र सेवा बजावी हती. ए उपरांत वॉलंटियरोने फेंटा बांधवानुं काम पण शीखववामां आव्यु हतुं. कुले डील ६ अने एक प्रांड डील मळी सात डील क्लासमां शीखववामां आवी हती. हजु वधु वखत तालीमनी जरुर हती पण समय नहोतो. ड्रीलमां सलामो, जय जीनेंद्र, पग बराबर मुकवा, फरवु (डाबा जमणी) शीखववामां आव्युं हतु. तेमज ईसाराओथी अने सीटीओथी समजुती थाय एवी तालीम पण अपाई हती. डील मास्तरे एकंदरे घणुं संतोषकारक काम बजाव्यु हतुं. तेमने सर्टीफीकेट अने ईनाम आपवानी भलामण करी छे. वॉलंटियरो अने सुप्रीन्टेंडंटोना काम संबंधी चीफ सुप्रीन्टेंडंटनो रीपोर्ट आ साथे जोड्यो छे. (पुरवणी७) दरेक सुप्रीन्टेंडंट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोतानो रीपोर्ट जुदो जुदो चीफ सुप्रीन्टेंडंटने कर्यो हतो, ते रीपोर्ट लंबाण थवाना. भयथी आ साथे जोडवानी जरुर जणाती नथी. वॉलंटियरोए जे काम बजाव्युं ते माटे तेओनो जाहेर उपकार कॉन्फरन्स पुरी थत पहेलां, शेठ वीरचंद दीपचंदनी दरखास्तथी मानवामां आव्यो हतो. वळी एवो खास ठराव करवामां आव्यो हतो के तेओने कच्छी दशा ओसवाळ कोमे कॉन्फरन्सने भेट करेला चांदीना चांदो अने सौने 'सर्टीफीकेट ऑफ मेरीट' आपी, तेओए बजावेला कामनी कदर बुजवी. डाक्टर नगीनदासे पोताना रीपोर्टमां वॉलंटियरोए दरदीओनी करेली सारवारनां भारे वखाण कर्या छे, अने ते बनाव तेवा वॉलंटियरोने शोभा आपनारो छे. चीफ सुप्रीन्टेंडंट मी. वेलजी आणंदजी एक विद्वान् , उत्साही अने खडतळ कच्छी गृहस्थ छे. तेओनी परिक्षा होवा छतां धर्मसेवामां लक्ष राखी, बने तेटलो वखत बचावी स्तुतिपात्र काम कयु हतुं, अने सघळा वॉलंटियरो तेमनाथी राजी रह्या हता. इन्टेलीजंस, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटी, पोताना करेला कामकाजनो रीपोर्ट दर अठवाडीए हेड ऑफीसना हुकम प्रमाणे मोकलती रही हती, अने ते रीपोर्ट दरेक कमीटीना सेक्रेटरी अने प्रमुखने जाण माटे फेरववामां आवतो रह्यो हतो. ए कमीटी माटे नीचे मुजब साईनबोर्डो (नामनां पाटीआं) तैयार करवामां आव्यां हता: फुट. १. ईन्टेलीजन्स, हेल्थ एन्ड वॉलंटि- २. पोस्टके कागज, तार, फारम वगैरह. यर कमीटी माटे. ४४२ | २४१॥ ३. हेल्थ ऑफिसर. १x१४. ई. हे. ए. वो. कमीटीके सेक्रेटरी ओर. ए. सेक्रेटरी. २४१॥ ५. टीकीट और फुलोंकी ऑफिस. २४१॥ ६. मुंबई समाचारनो वधारो. २४०॥ ७. चीफ सुप्रीन्टेन्डंट-वॉलंटियर्स. २४१॥ ८. फुलो अने टीकीटोमाटे साईन बोर्ड.४४२॥ ९. नोटीसबोर्ड, लेधर क्लॉथनं. ४४२॥ १०. नोटीस बोर्ड, लाकडामुं. ४४३ ए कमीटीमां जे पत्रव्यवहार चाल्यो हतो तेमां मोकलेला कागळोनी संख्या आशरे १२५० नी अने आवेला तारो, पत्रो, अने पत्रोना शेरानी संख्या आशरे ८५० नी थई हती. तमाम पत्रो हेड ऑफिसमां मोकल्या छे अने कोईपण जैन भाईओने जोवा माटे खुल्ला छे. आ कमीटीए वगर क्लार्के काम चलावी ली, हतुं, पण कामनुं प्रमाण जोतां एक खास क्लार्क जोईए. ए कमीटीना पेटामां रीपोर्ट एटले वर्तमानपत्रो संबंधी कामकाजनो पण समावेश थायछे, अने तेवू केटलुक काम करवू पण पडयुं हतुं. पण खरु जोतां हवेनी कॉन्फरन्समां एक " रीपोर्ट कमीटी" नीमावी जोईए; अने तेनुं काम नीचे प्रमाणे रहे: (१) न्युसपेपरने मोकलवाना तमाम रीपोर्ट तेनी मारफत जाय. (२) रीपोर्टरो तेनी मारफत रीपोर्ट मेळवे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २) (३) कॉन्फरन्सना कामनो शरुआतथी रीपोर्ट ले अने सेशनमां पण बराबर एकठो करे, मात्र पेपरो उपर आधार राखे नहीं. (४) ईन्टेलीजन्स कमीटीने लोकोने जाणवालायक खबर आपती रहे. (१) पेपरवाळाओ साथे मळी खास वधारा बहार पडावे. (६) छापवानुं तमाम काम ए कमीटी मारफत थाय. (७) फारमो वहेंचाववानु, प्रोग्रामो अपाववानुं काम पण ते करे. (८) पेपरना रीपोर्टरोनी बेठक, तेमने लखेलां भाषणो पुरां पाडवां, पेपरवाळाओने टीकीटो मोकलवी, वगेरे व्यवस्था करे. (९) बहारगामना पेपरोने तारो, अने रीपोर्टो मोकले. (१०) कॉन्फरन्सनो वार्षिक रीपोर्ट तैयार करे. विगेरे कामो करे. कमीटीना मेंबरोमांथी विभाग पाडी स्टेशनपर डेलीगेटोने लेवा जता हता. रीसेप्शन कमीटीना मेंबरोने स्टेशनपर जवा खास पत्रो लखवा जोईए. वळी मेंबरोए मंडपमा फरवामां अने ओर्डर जाळववामां पण सारी मदद आपी हती. ईन्टेलीजन्स, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटीना निशान तरीके आसमानी रंगनी रेशमी. आठ पांदडीना वचमां पीळी मखमलनी पांदडीनां फुलो आपवामां आव्यां हतां. ए कमीटीना ग्रूपनो फोटो राजा दीनदयाळे लीधो छे अने ते रु. २. नी किंमतमां वेचाता मळे छे. सेक्रेटरी मी. अमरचंद पी. परमारनुं २० दिवस माटे बीमारीना कारणथी पुने जवानुं थएलं होवाथी, एक्टींग तरीके मी. हीराभाई डाह्याभाईए संतोषकारक काम बजाव्यु हतुं. ___अमारी कमीटीमाटे कमीटी वोलाववाना छापेला पत्रो उपरांत आ साथे जोडेलां फारमो छपाववामां आव्यां हतां. बजावेलुं बीजुं परचुरण कामकाज. (१) प्रमुख साहेबथी मांडीने नीचेनी विगतनां सर्वेनां निशानी-फुलो बनाववानुं काम पण अमने सोपवामां आव्युं हतुं, अने ते फुलो टेलर मी. कल्याण मोतीनी मारफत अमारी स्पेशीयल डीझाईन प्रमाणे बनाववामां आव्यां हतां. (अ) प्रमुख साहेब-३॥ ईंच डायामेटरनुं सिद्धचक्रना बाळबोधमां " असिआउसा" अने "ज्ञान, दर्शन चारित्र अने तप"ना प्रथम अक्षरो, अने "२ जैन कॉन्फरन्स" लखेलं सोनेरी जरीना कामनुं डार्कग्रीन, मखमलपर आसपास सूर्यनां कीरणोनी कांगरीनु फुल. (आ)रीसेप्शन कमीटीना चेरमेन-उपर प्रमाणेनुं पण ३। ईंचनु, अने सिद्धचक्रना अक्षर नहीं, रुपेरी कॉन्फरन्सना अक्षरोवाळु कांगरीवाळु फुल. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६३) (इ) जनरल सेक्रेटरीनां बे फुलो-सिद्धचक्रना अक्षरवाळां, गंगा जमना जरीकामनां ३ ईंच डायामेटरना, सूर्यनां कीरणो सहित. (ई) चीफ सेक्रेटरी-२॥ ईच, ८ पांदडीनु, त्रण सोनेरी जरीनी लटकणवाळु चळकनी धारीवालं, वचमां सर्वे कमीटीना फुलना रंग ८ पांदडीमां मुकवामां आव्या हता. (उ) जनरल सुपरवाईझर-२॥ ईंचनुं उपर माफकज. (ऊ) वाईसचेरमेनो (१४ ) नां फुलो-लीली मखमलपर जरीना स्टार जेवां, आठ पांद डीना कमळने आकारे वचमां x मुकीने अने ज्ञान, दर्शन, चारित्रनां त्रण झुमखा लटकाववामां आव्यां हतां. (ए) प्रॉवीन्शीएल सेक्रेटरीओ ( १५)नां फुलो-केसरी रंगनां १६ पांदडीनां २॥ ईचना रेशमी रीबीननां बनावी वचमां गुलाबी अने सफेद मखमलनां फुलो मुकी आसमानी बीड टांगवामां आव्यां हतां अने नीचे त्रण पटी लटकती हती. डेलीगेटोनां फलो (२,००० ) बनाववामां आव्यां हतां-केसरी, पीळा रंगन रेशमी रीबनना सिद्धचक्रनी ८ पांदडी अने बच्चे गुलाबी मखमलनुं फुल अने एक पटी लटकती राखवामां आवी हती. (ओ) सेिप्शन कमीटीनां फुलो-जुदी जुदी कमीटीओ माटे जुदा जुदा रंगनां हतां, जेनी विगत नीचे प्रमाणे छे:-- (क) कमीटीना प्रमुखनां फुलो-वच्चे बीड वधारे अनेत्रण पटी लांबी तेमां वच्चेनी पीळी, साईझ ईच २॥-१६ पांदडी वचमां जैननी निशानीनां केसरी मख मलनां फुल. (ख) सेक्रेटरीनां फुलो-उपर प्रमाणे पण बीड वगरनां अने टुंकी त्रण तेज रंगनी पटी, १६ पांदडी. (ग) मेंबरोनां फुलो-आठ पांदडीनां, टुंकी त्रण लटकणनां अने वचमां जैननी निशानी तरीके केसरी मखमलनां फुल टांग्यां हता. साईझ २ इंच. इ. हे. एंड वॉलंटियरनां ३६ फुलो. पेल ब्लु (आसमानी) उतारा कमीटी मरुन (लाल) कॉरस्पोन्डंस कमीटी २६ , लवंडर रंग फंड कमीटी २०० " पीक ( गुलाबी) भोजन कमीटी सीग्रीन ( फीको लीलो) मंडप कमीटी शामन पीक (फीको गुलाबी) हिसाब कमीटी बॉल ग्रीन ( लीलो) वॉलंटियरो १८६ " आशमानी गुलाबी दावडीनां नीचे बे पटी लाल, कॉन्फरन्स अने वोलंटियर नाम बाळबोधमां छापेलं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ए बधांनी पाछळ पीन लगाडवामां आवी हती. नोटीस वोर्ड वगेरे माटे मेंबरनी संख्या करतां केटलांक फुल वधारे बनाव्यां हतां. (२) गुजरातीमांथी हिंदुस्तानी भाषामां तरजुमो करवाने जे फारमो अथवा लखाण आवतुं, ते करी आपवामां आवतुं, तेमज प्रूफो पण सुधारवामां आव्यां हता.. (३) "मुंबई समाचार" साथे बंदोबस्त करी रीपोर्टरोने खास मदद आपवा, भाषणो वगैरेनी विगतो पुरी पाडी वधारा रोज बहार पाडी, एक एक पैसे वेचवानी गोठवण करी हती. (४) जे जे बाबतना डीझाईन मांगवामां आवता ते पण बनावीने मोकलवामां आव्या हता. (५) जुदी जुदी कमीटीना (भोजन, मंडप, कॉरसपोन्डेस, ईंटेलीजन्स है. एन्ड वोलंटियर्स ) डेलीगेटोना जुदा जुदा सर्कल जेवा के अमदावादना, दक्षीण, सुरत, सेंट्रल प्रोवी. न्सीस, पंजाब, रजपुताना, काठीआवाड, वोलंटियर एस्टाब्लीशमेंट, रीसेप्शन कमीटी, कॉन्फरन्सनी मीटींग, भविण्यनी कॉन्फरन्सना मददगारोना, एम जुदा जुदा फोटो लेवडाववानी गोठवण करवानुं काम पण सुंप्रत करवामां आव्युं तुं. राजा दीनदयाळ एंड सन्स ( नामदार महाराणी अने शहेनशाहना फोटोग्राफर ), लाला एम्. एस. सुगनचंद एन्ड को० (दील्लीना जैन फोटोग्राफर) तथा रॉयल फोटोग्राफीक कंपनी साथे बंदोबस्त करी, सर्वेना जुदा जुदा ग्रूपो लई शकाय एवी रीते जुदा जुदा वखतो गोठव्या हता. ए ग्रूपो एल्फीस्टन हाईस्कूलना प्रीन्सीपालनी रजा लईने घणा खरा ते कोम्पाऊंडमां अने रीसेप्शन कमीटी अने ई. हे. एंड. वो. कमीटीना ग्रूपो टाउनहॉलनी सीडीपर लेवामां आव्या हता. ए फोटोग्राफ बे रु० नाना अने अढी रु० मोटा एम खास भावे कॉपी वेचे, अने तेमांथी अमुक नफो कॉन्फरन्सना फंडमां आपे एवो बंदोबस्त कर्यो छे. वोलंटियरोने एक रुपीए कॉपी आपे अने आफीस माटे. मफत आपे. ए फोटा १५४१२ अने १२४१० ना साईझना छे अने तेमांना घणा ग्रूपो सारा उतर्या छे. २४ फोटोग्राफनी एक आल्बम रेशमी पुंठानी उपर बीजी कॉन्फरन्स, नाम छापीने पण तैयार करवा मांडी छे, अने तेनी किंमत रु. ५०) राखवामां आवी. छे. __ कॉन्फरन्सनो फोटो लेवडाववा माटे एक तार कपडवंजनां बाई जडावकोर शेठाणी तरफथी आव्यो हतो. (६) जुदा जुदा काममाटे नामोनां पाटीआं रंगाववानुं काम पण सोपवामां आव्यं हतुं, अने ते नामो नीचे प्रमाणे छे. ए पाटीआं नानां दरेक बार आने अने मोटां रु. १॥ लेखे बनाव्यां हतां. १. चीफ सेक्रेटरीकी ऑफिस २॥-१॥. २. मंडप कमीटीके सेक्रेटरी २-१॥. ३. जनरल ऑफिस, न० सुपरवाईझर ओर भोजन, उतारा, कॉरसपॉन्डस कमीटीके सेक्रेटरी ३-२ ४. Water पीनेका जल, पीवानुं पाणी २-१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 4 ) Ladies स्त्रीवर्ग, स्त्रीओंके लीये २॥ - १॥ ६. President प्रमुख साहेब २ - १॥ ७. ईन्टेलीजंस, हेल्थ, वॉलंटियर ऑफिस, कीसी बातकी दरीयाफत यहां करो Inquiry office (अंग्रेजी, बाळबोध ) ४-२ ८. पोस्टके कागज, तार, तारके फारम विगेरे २- १॥ ९. चीफ सुप्रीन्टेंडंट वॉलंटीयर्स २- १॥ १०. हेल्थ ऑफिसर १॥ - १ ११. टीकीट और फुलोंकी ऑफीस २ - १॥ १२. ईन्टेलीजंस, हेल्थ अने वॉलंटियर कमीटीके सेक्रेटरी और ए. सेक्रेटरीओक ऑफीस २-१॥ १३. Private खानगी, स्त्रीओंके लीये १॥ - १ १४. रीसेप्शन कमीटीके मेंबर ( अंग्रेजी बाळबोध ) ३-१ १५. यति मंडळ २-० १६. वॉलंटियर सर्कल, ग्रेज्युएट सर्कल, अमदावाद सर्कल, पंजाब, रजपूताना बंगाल, सेंट्रल प्रावीन्सीस, डॅकन, सुरत, काठींआवाड, कच्छ सर्कल, दरेकना बे पाटीआं, साईझ २-० ॥ ३८. प्राणीवधथी बनेला पदार्थोने बदले वनस्पतिना तेवाज पदार्थोनों स्टोल ( गुज़राती तथा बाळबोध ) ४–२ ३९. पुरुषोंके लीये For gentlemen १॥-१ मुंबई समाचारनो वधारो ४०. ४१. चेरमेन रीसेप्शन कमीटी २ - १ ए पाटीआं घणे भागे बाळबोध हिंदी अक्षरोमां लखान्यां हतां. ए सिवाय उतारानां अने बीजां पाटीओओ पण बीजी कमीटीए कराव्यां हता. (७) फंडकमीटीने मदद - केटलाएक सद्गृहस्थोने त्यां फंड भराववा जबानुं भने पोतानो लागवग वापरी सारी रकम मेळववानी कोशीश, रीसेप्शन कसीकीना दरेका मेंबस्वे करवानी हती, ते मुजब अमे अमाराथी बनतुं करी वखारना मारवाडी भाईओ ने बीजा केटलाको पासे बहु सारी रकम भराववानी गोठवण करी हत्ती. (८) ए काम सिवाय जे कंई परचुरण कामकाज बताववामां आब्युं हतुं ते कर्नै हर्तु. कॉन्फरन्सनी आ रीते नीमायली इं. हे. एन्ड वॉलंटियर कमीटीमा करेला कामकाजनी टुंक नोंध रजु करी छे, ते उपरथी आपे जोयुं हशे के अगरजा समय बहु कम हो अने ए कमीटीने करवानां कामो घणां हतां, तोपण पोतानाथी बनतुं करवाने अने ए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्मसेवा बजाववाने ए कमीटी चुकी नथी. हिंमतथी कही शकाय के पोताना उपर मुकवामां आवेला भरोसानो सदुपयोग तेणे कर्यो छे. जो कंई तेणे विशेष अथवा वधारे सारं कयु होय तो तेनो तोल करवानुं काम श्री संघनी मुनसफीपर छे. मारे अत्रे जणावयु जरुरनुं थई पडे छ के, जैन कॉन्फरन्स पूरेपूरी फतेहमंद उतरी तेनुं उंडे कारण कंईक हो, जोईए. ज्यारे कार्य थवानुं होय छे त्यारे तेना आसपासना संजोगो पण तेवा आवी मळे छे. जे सबकमीटीओ नीमाई हती तेमां ऑफीसबेरर्स अने मेंबरो होशीला नीमाया हता. तेओनुं जीगर धर्मथी द्रवीत थएवं हतुं, तेओनुं रोमरोम जाणे 'जय जय' बोलतुं होय एवं लागतुं हतुं. ( सौमां विशेष अमारी कमीटी तो बहुज होशीली हती, बलके एटलं कही शकाशे के ए कमीटीना तमाम मेंबरोनो उत्साह, मदद, युवानीजोश बहुज हतो.) जेवा जुवान मेंबरो हता तेवाज जुवान अने होशीला अमारा प्रमुख पण हता. तेओ होशथी दरेक मीटींगमां हाजर थई सारो भाग लेता हता. . मने अत्रे जणाव्या वगर चालतुं नथी के, मने मदद करवाने जे जे एसीस्टंट सेक्रेटरीमओ अने ऑफीस बेररो वखतोवखत मुकरर करवामां आव्या हता, तेओनी अने दरेक बाबतनी मंजुरी मळवामां अमारी कमीटीनी वखतसर अने संयुक्त मदद नहीं मळी होत, तो कशं करी शकात नहीं. कॉमन कॉझ-एकज आशय-माटे सर्वे महेनत करनारा हता अने कामनी धमाधमीमां कोईवार सख्ताईथी बोलवानो प्रसंग पण आव्यो हतो, तेने माटे हुं मारा तमाम मित्रोनी माफी चाहुं छं, तेओए कोईपण बाबत न गणतां पोताना कार्य तरफज लक्ष आप्यु हतुं. 'पोतानुं कर्तव्य पोतानो धर्म हतो' एज पाठ तेओ मात्र शीखेला हता. ___मात्र फरी एकवार ध्यान खेचुछ के, डेलीगेटोनुं लीस्ट वनाववानी पद्धतिमा सुधारो थवो जोईए, अथवा डेलीगेटोनी नीमणुक थईने पत्रो आव्या के तेज वखते टीकीटो अत्रेथी मोकली देवी जोईए, के डेलीगेटो जेओ मात्र सभाने दिवसे अथवा एकाद दिवस वहेला आवे छे, तेओनी धमालमां गरबड थवानो संभव न रहे अने कामनो हद उपरांतनो बोजो आवी पडे छे से आवी पडे नहीं. 'पुरवणी २' ना रीपोर्ट उपर खास ध्यान खेंचवानी फरीथी हुँ जरुर जोउँछु. वॉलंटियरना काम बाबत फरीथी जणाववानी मने जरुर जणायछे. खानदान, धनाढ्य, अने गृहस्थोना पुत्रो-आपणा वीररत्नो, जेओमांना घणा पोताने घेर मोजमजामा रहेला, गाडीघोडामां फरता, वखतसर जमता, किंमती पोषाको पेहरता, तेओज आ कॉन्फरन्स वखते, कोचमेनजी पासे बेसता, गाडी पाछळ उभा रहेता, डेलीगेटोनां पोटका उंचकी गाडीमां नांखता, अने माळे चढावता, गाडी लेवाने दोडता, अने चाह अने खावाना पण फाका पाडता, अदना आदमीनी पण बूम सांभळी " जी जी " कहीने दोडता, रातना बबे वाग्या सुधी काम करता, माथे किंमती पोषाकने बदले जे धर्मचिन्हना फेंटा तेमने आपवामां आव्या हता, तेने पोलानी मोतीनी टोपीओ करतां पण वधु वहाला गणता, एवी एवी अनेक सेवाओ बजावता जोई कोईपण धर्मानुरागीने सहेज पोतानी स्थितिनो ख्याल झट आवी जाय, के धन्य छे एओनी होशने ! धर्मर्नु झरण ए तमाम वॉलंटियरोमां एवं भारी हतुं के जे झरणो एकठां थई एवो मोटो चोमासानी नदीरुप जुस्सो मुंबईमां आवेलो जाहेर थतो हतो, के तेनुं वर्णन करवू कठण थई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६७) पडेछे. ए १७२ वॉलंटियरोए बजावेलु काम एक हजार पगारदार नोकर करतां विशेष हर्तु. पोताना पगारनी लालचे काम करनारा अने मात्र धर्मकार्यमाटे होशथी सेवा करनाराना कामना फळनो मुकाबलोज थई शके नहीं. ए वॉलंटियरोने जोईनेज डेलीगेटोनी जे होंश हती ते वधीने दस गणी थई गई हती, ए वॉलंटियरोए “ या होम " करीने जे धर्मरणभूमीमां झोकावी दीघु हतुं ते एक कायरने पण पानो चढावे एवं हतुं. धर्मरणमाटेज तेओए केसरी यां करी माथे केसरी पटका ( उतरासण ) नाख्यां हता. ए वीर युवानो-वीररत्ना भविष्यमां अमारा अनादि धर्मनी ढाल नीवडवानेज उत्पन्न थया छे. ए रजपूतनुं लोही धरावनारा अमारा युवान भाईओ धर्मनी उन्नति करनारा नीवडशेज, अने एज महावीरनां लघु बाळो उपर आपणां भविष्यनां घणां मोटां कामोनो आधार राखवो पडशे. ____ रात्रीना चार वागे बार वर्षनी उंमरना बे बाळकने झुंडीओ लई वगर गाडीए ग्रांटरोड स्टेशनपर दोडता जोई हुं सानंदाश्चर्यमां गरकाव थई गयो हतो. धन्य छे एधर्म झनुनने | धन्य छ ए श्री वीरशासनने ! हुं एम कहुं तेमां कई खोटुं नथी. कॉन्फरन्सनी फतेहना आधारोमांनो एक साराजेवो आधार ए वॉलंटियरोनी मदद उपर हतो; अने हुं एबुं अनुमान काढवा माटे माफी चाहुं छु, कारणके अमारां वखाण जाते करवा जेवू थायछे. वळी आवता वर्ष माटे वॉलंटियर थनाराओनी पण अरजीओ आववा मांडीछे, ते बतावे छे के एओर्नु धर्मझनुन नानुं नथी. कॉन्फरन्से फतेह करी छे, वाह वाह बोलाई छ. अगरजो उतावळने लीधे पहेला करवानां कामो छेल्ली घडी सुधी मुलतवी राखवां पड्यां छे, तोपण एकंदरे खंत अने एकदीलथी काम पार पडयुं छे. आ फतेह थवानो खरो आधार तो आपणा चीफ सेक्रेटरीपर छे. दरेक कमीटीने जे मोटामां मोटो लाभ थयो अने झट पोतानुं काम करी शकी, तेनुं मुख्य कारण चीफ सेक्रेटरी छे. कागळथी सेंकडो वातो पुछवामां आवती, तो तेनो तुरतज जवाब मळतो हतो. बधी कमीटीमां सरखी रीते विश्वास मुकवामां आव्यो हतो. चीफ सेक्रेटरी खानदान, अनुभवी अने हद उपरांत नम्र स्वभावना छे, ए नम्र स्वभावथी शांति जळवाई रही छे. बधाने एओ प्रत्ये एटलो बधो प्रेम छ के एमनो सखत बोल सहन करतां पण एमना प्रये अभाव उत्पन्न थायज नहीं (अगरजो सखत बोल तेओना मोंढामांथी नीकळवोज अशक्यछे ). धुंधी मानवंता सेक्रेटरीनी साथे बेसी घणा विकट सवालोनो निर्णय थई शक्यो छे. ___ वळी कोन्फरंसना सूत्रनी दोरी एक स्थळे बेसीने एवी सरस रीते तेओ चलावता रह्या हता के, ते बधार्नु फळ आपणी फतेहमां आव्युं छे. वळी एक बीजी बाबत पण आजग्याए भूली जवावी जोईती नथी, अने ते ए छे के बधी कमीटीओ जाणे हरीफाईमां उतरी पोतार्नु काम विशेष सारं बताववानी कोशीश करती हती ( न के कोई अदेखाई ), ए. पण आपणी फतेहनुं एक कारण छे. बहारथी आवेला आपणा एकेएक भाई कॉन्फरन्समांथी सारी असर लईने गया छे, उत्साह वधारीने गया छे; अने एनुं फळ थोडाज समयमां बहु सारं आवेलं आपणे जोईशं. राय बद्रीदास बहादुर जेवा प्रेसीडंट, मी. दहा अने मी. लालभाई जेवा ज. सेक्रेटरीमओ, शेठ वीरचंदशा जेवा चेरमेन, आपणा वाईस चेरमेनो अने जुदी जुदी कमीटीना प्रमुखो, दरेक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६८) यातना आगेवानो, आपणा लायक चीफ सेक्रेटरी अने बीजी कमीटीओना सेक्रेटरीओ, आपणा बहारगामना मीजबानो ( डेलीगेटो-वीशीटरो) आपणा ऑफीस वेररो, सुप्रीन्टेंडंटो अने वॉलंठियरो, ऑफीस स्टाफ अने सर्व जैन बंधुओ ए तमामना संयुक्त बळथी, एकसंपीथी अने अधिष्ठायक जननी कपाथी आपणे पार उतर्या छीए, अने ए मुजब भविष्यमां पण उतरता जईशुं. आ कमीटीना ऑफीस बेररो अने सुप्रीन्टेंडंटोनो हुं धन्यवाद मानुं छं के, तेओए बहुज सारी मदद करी हती. वळी आ लंबाण रीपोर्ट लखवामां मी. हीराभाई डाह्याभाई उपरांत मी. झंवेरीलाल माणेकलाल घडीआळीए लांबो वखत सुधी बेसी जे मदद आपी छे, 'ते माटे तेमनो उपकार मानवानी आ तक लऊ छु. आपणे सर्वे ईच्छीए छीए के आपणी कॉन्फरन्से जे जैन सुधारानो पायो नांख्यो छे, ते दीन प्रतिदीन मजबूत थाओ. जे पांच खाताओ माटे फंडनी रकम भराई छे अने भराती जाय छे, नो जलदी उपयोग थई तेनुं फळ नाणां मरनाराओने जलदी बतावq जोईए, के जेथी ओ बीजों नाणां आपै. आपणा नवा नीमायला चार जनरल सेक्रेटरीओ बहुज वगदार पण कमफुरसदवाळा होवाथी पेईड सेक्रेटरी राखवानो अखत्यारकरेलो मार्ग आपणा कामने फतेह आपशे. साधारण सुचनाओ घणी घणी छे, पण ते आपवानो आ रीपोर्ट नहीं होवाथी. हरेक कॉन्फरन्सनी फतेह ईच्छी आ रीपोर्ट बंध करवानी रजा लऊं छं. ना. ४ थी सप्टेंबर १९०३ दा. ता. अमरचंद पी. परमार. सेक्रेटरी. आ रीपोर्ट कमीटी आगळ रजु थई पसार करवामां आव्यो छे. अमरबंद पी. परमार. सेक्रेटरी. अंबालाल बापुभाई. प्रमुख. आ रीपोर्ट रजु करवाने अने कमीटीचें काम बंध करवाने ता. ४ अक्टोबर १९०३ ने दिवले आ कमीटींनी खास बेठक थई हती अने तेमां नीचे प्रमाणे ठरावो पसार करवामां भाग्या हता: १ आ संयुक्त कमीटीना कार्यमा जे जे ओफीस बेररो अने मेम्बरो अने सुप्रीटेंन्डेंटो __ अमे वालंटियरोए किंमती मदद आपी छे, तेमनो उपकार मानवो. २ आ कमीटीना ऊपरीओ, जेमके चेरमेन, वाईस चेरमेन, चीफ सेक्रेटरी विगैरे साहेबोए आपेली किंमती अने वळी वखतसरनी हीमायतो अने बतावेली सभ्यता अने मायानी लागणी माटे, तेमनो आ कमीटी खरा अंतःकरणपुर्वक आभार माने छे. ३ आ कमीटीना संबंधमां आवेली बीजी कमीटीओनी नेकी, सभ्यता अने तेमनी तरफ्थी आवेली वखतोषखतनी मदद माटे, आ कमीटी तेओनो खरा दीलथी भाभार माने छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६९) ४ जे जे न्युसपेपरोए आ कमीटीने लगती जाहेरखबरो ओछे दरे लीधी हती, तेमनो तथा "जैन” पत्रे अने "खडा वर्तमान"पत्रे वगर लवाजमे पोतानां पत्रमा दाखल करी हती, तेमनो पण आभार मानवामां आवे छे. ५ त्रीजी कॉन्फरन्स माटे वॉलंटियरो थवानी अरजीओ आवे, ते नामो नोंधीने जनरल सेक्रेटरीने मोकली आपवां, अने ते काम मी. झवेरीलाल माणेकलाल घडीयाळीने सोपवू. ६ आपणी कमीटीना प्रमुख शेठ अंबालाल बापुभाईए जे मदद आपणने आपी छे, ते माटे तेमनो उपकार मानवो. ए दरखास्त मुकनार सोदागर हीराभाई डाह्याभाई अने टेको आपनार मी. पोपटलाल लल्लुभाई. ते दरखास्त सर्वानुमते पसार थई. ७ सोदागर हीराभाई डाह्याभाईए दरखास्त मुकी के आपणी कमीटीना सेक्रेटरी मी. परमारे जे अथाग मेहेनत लीधी छे. अने आपणने मदद आपी छे, अने जे प्रयास रीपोर्ट घडवामां लीधो छ, तेने माटे तेवण साहेबनो उपकार मानवो. ते दरखास्तने मी. पोपटलाल लल्लुभाईए टेको आप्यो, अने ते सर्वानुमते पसार थई. ८ मी. अमरचंद परमारे छेवटे घणा प्रयासथी आपणी कमीटीनो रीपोर्ट बनावेलो ते वांची संभळाव्यो, अने ते सर्वानुमते पसार थयो. ( पुरवणी १.) ईन्टेलीजन्स कमीटी माटे प्रथमथी सुचववामां आवेला कामोनी विगत. १. कॉन्फरन्सनी कोईपण कमीटी अमुक खबर मागे, ते तपास करी पुरी पाडवी. २. डेलीगेटो जे विगत मागे ते पुरी पाडवी, जेमके पोताना मुकाम संबंधी, अमुक डेलीगेटो क्यां उतर्या छे ते संबंधी, टीकीटो अने भोजन संबंधी. ३. डेलीगेटोनो रखडतो सामान पोतानी ऑफीसमां राखी बराबर पहोंचाडे. ४. डेलीगेटोना कागळ, तार विगेरे पहोंचाडवा. ५. शहेरनी अमुक जग्याओ जोवा संबंधी विगेरे जे हकीकत मागे ते आपवी. कया डेलीगेटो कया अमुक मुकाममा उतरवाना छे, तेमनी जमवानी गोठवण क्यां छे; कोई खानगी मुकामपर उतरवाना होय अने तेनी विगत मळी होय, तो ते ए बाबतोने लगती कमीटीओ वखतोवखत आ कमीटीने पुरी पाडती रहेशे. डेलीगेटोनुं लीस्ट पण रहेशे. ७. आ कमीटीनी ऑफीस मंडपनी बहार रहेशे. त्यां तारनां तथा मनीओर्डरनां फोर्मों विगरे राखवामां आवशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७० ) (पुरवणी २). गीरगाम, मुंबई. ता. २ अक्टोबर १९०३. मी. अमरचंद पी. परमार, । सेक्रेटरी. ईन्टेलीजन्स, हेल्थ एन्ड वॉलंटीयर डीपार्टमेंट, बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स ऑफीस, पायधोनी-मुंबई. बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनो जे मेळावडोश्री मुंबई मध्ये थयो, तेनी अंदर डेलीगेटो तरीके जे साधर्मीभाईओ देशावरोथी भाग लेवाने आवनार हता, ते लोकोने मंडपमा दाखल थवानी डेलीगेटोने आपवानी टीकीटो तथा फूलो आपवानु, तथा रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोने टीकाटो तथा फूलो आपवानुं काम, मने ता. १४ मी सप्टेंबरे सोंपवामां आव्यु हतुं. रीसेप्सन कमीटीना मेम्बरोने टीकीटो आपवा संबंधमां, तेमज डेलीगेटोने टीकीटो आपवा संबंधमां मने घणीज अगवडो पडी छे; अने एटली बधी मुस्केली वच्चे काम लेवू पडयु छे के टीकीटो आपवा संबंधमां घोटाळो, तथा डेलीगेटो अने मेम्बरोमां असंतोष उभो थवानी दर पळे धास्ती रहेती हती, अने वखते टीकीटो संबंधमां घोटाळो पण थयो हशे, अने आ कॉन्फरन्सनी बेठकमां ते संबंधी डेलीगेटो विगेरेमा असंतोष पण थयो हशे; माटे भविष्यनी कॉन्फरन्सोमां एबुं न थाय तेने वास्ते मारी सूचनाओ घणी उपयोगी थई पडशे, एवं धारी हुं ते संक्षिप्तमा जणाववानी रजा लऊं छं. (१) रीसेप्शन कमीटीना मेन्वरोने टीकीटो आपवा संबंधमां मारी सूचना एटलीज छे, केते गृहस्थोने टीकीटो तथा फूलो कॉन्फरन्सनी बेठकनी पंदर दिवस अगाउ आपी देवां. रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोनी वेसवानी गोठवण हमेशां स्टेजनी पासेज आवे, एटले जेटला मेम्बरो होय तेटली खुरसीओनी गोठवण राखी टीकीट उपर चढतो नंबर आपी रीझर्ल्ड करी आपवी. जेटला मेम्बरो तेटलीज टीकीटो अने तेटलीज खुरसीओ उपर रीझर्ल्ड करी आपेला नंबरो, अगर बांधवानां का? रखवां, के जेथी कोईपण प्रकारनी अगवड पडवा संभव नथी. (२) डेलीगेटोने आपवानी टीकीटोना संबंधमां १. दरेक देशावरोनां गामोथी जे लीस्ट आवे, तेने लगती नोंध, दफतरो विगेरे राखवा एक खास सेक्रेटरी जुदो राखवो. कॉरस्पोन्डन्स कमीटीथी आ खातुं जुद्धं पाडी नाखवू. २. " ऑफीस फॉर डेलीगेट्स " ए आ खातानुं नाम आपवं. ३. आ खातामां एक सेक्रेटरी अने एक अगर बे कारकुन राखवा. ४. डेलीगेटोनां नामो नोंधवानी बुकोना प्रकार. A. जेम जेम डेलीगटानां नामो जुदां जुदां गामोथी देशावरथी चुंटा ईने आवे, तेम एक बुकनी अंदर दाखल करवां. आ बुक उपरथी चुंटाएला डेलीगेटोनी कुल संख्या मळी शके. तेनो प्रकार, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७१ ) रनींग नंबर. डेलीगेटनुं नाम. गामनुं नाम. जील्लो. कोना तरफनो डेलीगेट नात सभा | संघ B. उपरनी बुक उपरथी जे गामो तरफथी डेलीगेटो चुंटाईने आवे ते गामोनुं ( जील्लावार ) alphabetical order मां ते ते गामोना डेलीगेटोनां नामो सहित एक बीजी बुक बनाववी. आ बुक डेलीगेटोने टीकीटो आपवाना काममा उपयोगी थशे. अनुक्रम नंबर. | डेलीगेटनुं नाम. गामनुं नाम. रीमार्क. गामनुं नाम. जील्लो. सर्कल. तेनो प्रकार. रनींग नंबर. | डेलीगेटनुं नाम. | टीकीट नंबर. | टीकीट लई जनार धणीनुं नाम | रीमार्क. आ बुक उपरथी कयुं गाम कया जील्लामां आव्युं छे तेनी खबर पडशे, अने दरेक गाममांथी केटला केटला डेलीगेटो आव्या छे, तेनी पण पक्की नोंध रहेशे. वळी " जैन डीरेक्टरी " बनाववाना काममां घणीज उपयोगी थई पडशे. C. त्रीजी एक चोपडीमां कुल बधा डेलीगेटोनां नामोनी alphabetical order मां नोंध तैयार राखवानी खास जरुर छे. तेमां आ | जे गाममा कॉन्फरन्स होय | जील्लो. त्यां ते डेलीगेटे क्यां उतारो रीमार्क. राख्यो छे तेनुं ठेकाणुं. आ बुक कोई डेलीगेटने कागळपत्र, तार विगेरे पहोंचाडवो होय, तो ते काममां ईन्टेलीजन्स डीपार्टमेन्टवाळाने बहु उपयोगी थई पडशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat D. बीजी एक सूचना टीकीटो आपवा संबंधमां एवी छे के, जे जे गामना डेलीगेटो चुंटाईने आवे तेज वखते ते लोकोना उपर टपाल मारफते टीकोटोमां तेमनां नामो भरी, तथा तेना उपर योग्य सर्कलवार रनींग नंबर आपीने मोकलावी आपवी, के जेथी डेलीगेटोने टीकीटो मेळववा संबंध कॉन्फरन्समां आव्या पछी, जे तकलीफ तथा अगवड वेठवी पडी छे ते वेठवी न पडे. आ संबंधमां आटलं खास याद राखवानी जरूर छे के, नाना मोटा मर्कलनो विचार करीने पचासथी सो टीकीटो, सारा विद्वान् वक्ता अने प्रतिष्ठित गृहस्थो सारुं सर्कलदीठ रीझर्व्ह राखी मुकवी, अने तेवां नाेनी सूचना उपरथी तेवी सारी रीझर्ल्ड टीकीटो मोकली आपवी. डेलीगेटोना उपर जे ईन्वीटेशन लेटर मोकलवामां आवे, तेमांज प्रतिष्ठित, विद्वान् तथा वक्ताओनां नाम खास जणाववानी सूचना थवी जोईए. (३.) आ मुंबई मध्येनी “बीजी जैन (श्वेतांवर) कॉन्फरन्स" संबंधीना डेलीगेटोनुं में उपर जणान्युं छे तेवुं B कॉलमवालुं लीस्ट, टीकीटो आपत्रा संबंधमां मारे ताबडतोब बनाववुं पडयुं, के जे बनाववामां मने वढवाणवाळा एक वॉलंटियर भाई वल्लभजी छगनलाले घणीज स्तुतिपात्र मदद कीधी छे. www.umaragyanbhandar.com Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७२) (४.) टीकीटो आपवा संबंधमां जणाववायूँ के, ते काममां मने भाई डाह्याभाई सरुपचंद तथा शेठ जैसिंगभाई साराभाईए घणीज स्तुतिपात्र मदद कीधी छे. आटलं जणावी छेवटे हुं दरेक सर्कलवार आ कॉन्फरन्समां केटली टीकीटों डेलीगेटोने आपी, ते जणाववानी रजा लउं छु. सर्कलनुं नाम. केटली टीकीटो आपी. अमदावाद सर्कल ५४५ सुरत , २४९ काठीआवाड , ३२५ रजपुताना , ८५ पंजाब १२० डकन १८० सेन्ट्रल प्रोवीन्सीस ( बेंगॉल ) सर्कल. ८८ १५९२ शेठ फकीरभाई तरफथी कुल टीकीटो १७०० मळी, ते मध्येथी कुल टीकीटो उपर दर्शाव्या प्रमाणे १५९२ खपी. बाकीनी टीकीटो १०८ तथा फुलो जे वघेलां छे ते पाछां मोकल्यां छे. (६.) प्रोवीन्शीयल सेक्रेटरीने आपवानां जे फूलो मने आपेलां, ते पण वधेलां छे ते पाछां मोकल्यां छे. (७.) अत्रे खास जणाववानी जरुर छे के, जे प्रमाणे आ कॉन्फरन्समां सर्कलो पाडीने बधा डेलीगेटोने आगळ बेसवानो लाभ आप्यो हतो, तेथी कोईपण देशना डेलीगेटोना मनमा ओछु आव्यु नथी; अने बधाना मनमां एमज आव्युं छे के वधाने सरखा गणवामां आव्या छे; माटे आ रुढी चाल राखवी घणी उपयोगी अने सलाहभरेली थई पडशे. आटलं जणावी हुं मारो रीपोर्ट खतम करूं छु. एज. ली. सेवक जगाभाई मगनलाल, सही दा. पोते ठे. गीरगाम बॅकरोड, पोस्ट ऑफीस पासे ठा. रामजी लखमीदासना माळ मां पहेले माळे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७३ ) (पुरवणी ३). • हेल्थ कमीटी माटे प्रथमथी सुचववामां आवेलां कामोनी विगत. (१) ए कमीटीमां एक ऑनररी चीफ मेडीकल सुप्रीन्टेंडंट रहेशे. (२) जे डाक्टरो वैद्यो वगेरेए कॉन्फरन्सनी मफत सेवा बजाववान महेरबानीनी राहे कबुल्युं छे, तेमनी मदद जरुर पडवे लेवी. (३) डेलीगेटो माटे जे मंडप अथवा मुकामो पसंद करवामां आवे, तेनी सेनीटेशन बाबत केवी हालत छे, ते बाबत आ कमीटीनो प्रथम अभिप्राय लेवो. (४) कोई डेलीगेट बीमार थाय तो त्यां वॉलंटियर राखी डाक्टर दवानी पूरी मावजत, अंग्रेजी अथवा देशी उपचार प्रमाणे, जेम डेलीगेट कहे तेम करवी.. (५) तनदुरस्ती संबंधी रीपोर्ट रोज पोताना सेक्रेटरी मारफत चीफ सेक्रेटरीने करे. (६) सर्व कार्य माटे वॉलंटियरोनी मदद लेवी. (पुरवणी ४). वॉलंटियर कमीटीमाटे प्रथमथी सुचववामां आवेलां कामोनी विगत. (१) जाहेरखबर आपी, स्कुलो अने मंडळोमां लखी तथा खानगी गृहस्थोने कही सो वॉलंटियर मेळववा, पण तेओनी उमर बार वर्षथी नीचे न होवी जोईए. (२) ए वॉलंटियर उपर दस सुप्रीटेंडंट अने एक चीफ सुप्रीटेंडेंट राखवा. (३) ए बधाने जुदी रीतना शोभीता युनीफॉर्म साथे "बेज" अने सीसोटीओ आपवी. (४) मंडपमा बंदोबस्त राखवो, गरबड थवा न देवी, दरवाजापर टीकीटो तपासवी. लेवी या खूणा कापवा; जुदा जुदा ब्लॉकमां नंबर प्रमाणे सभासदोने खुरशीए बेसाडवा, मंडपने लगतुं सघळु काम करवू; डेलीगेटो आवे त्यारे तेमने लेवा जवानी अने पहोंचाडवानी गोठवण बंने रेलवेनां जुदां जुदां स्टेशनोपर प्रमाणमा राखवी; तेमना सामाननो कबजो लेवो अने तेमने मुकामपर पहोंचाडवा; तेओ माटे राखेली गाडीनी व्यवस्था करवी. (५) डेलीगेटोनी तनदुरस्तीने लगतुं काम पण वॉलंटियरो बजावशे. (६) डेलीगेटोने सरसामान-जणसभाव जरुरीआत होय, तो ते योग्य ठेकाणेथी लावी आपवां. (७) कोई खास कारणसर बीजी कोई कमीटीने वॉलंटियरोनी जरुर होय, तो सेक्रेटरीनी मारफत ते फाजल पाडी शकता हशे तो पूरा पाडशे. (८) पंदर दिवस पहेलां रीतसरनी कवायत आपवामां आवशे, तेमां ईसारा या सीसोटीओमां तुरत समजाय एवी बाबतनी कवायतपर वधु लक्ष आपवामां आवशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७४) (९) खास संजोगोमां मुंबईनी जोवालायक जग्याओ जोवा जवाने डेलीगेटो चहाताहोय ने तेमने वॉलंटियरोनी जरुर पडे, तो ते सेक्रेटरी बचावी शकता हशे तो पूरा पाडशे. (१०) डेलीगेटोना आववानी, उतरवानी विगेरे हीलचालने लगती खबरो आ कमी-- टीने बीजी कमीटी वखतोवखत पूरी पाडती रहेशे. (११) प्रेसीडंट या मरतबावाळा डेलीगेटोनी पासे हाजरी आपवानुं काम पण करशे. (१२) वॉलंटियरो सभ्यताथी वर्ते ते उपर खास लक्ष राखवामां आवशे. (१३) डेलीगेटोना कागळो, तार विगेरे पहोंचाडवानुं काम पण ईंटेलीजन्स कमीटीनी सुचना प्रमाणे करशे; तेमज डेलीगेटोनी चीठीओ पहोंचाडवा, पोस्ट करवा विगेरे काम पण करशे. (१४) कॉन्फरन्सना दरेक काममां सुगमता करी आपवाने तत्पर रहशे. (१५) जे वॉलंटियरो वखत नहीं बचावी शकता हशे, तेमनो जमवानो बंदोबस्त उताराओनां रसोडांमां रहेशे. (१६) रजीस्ट्रेशन, ईंटेलीजन्स ऑफीसमां पण तेओनी मदद लेवी. (पुरवणी ५). वॉलंटीयरोनां नामो. १. मी. कुंवरजी मूळचंद ) मी. चीमनलाल भोगीलाल सुप्रीन्टेंडंट. , चुनीलाल उजमचंद (१५यी २५ वर्ष सुधीनी उमरना.) ,, छोटालाल पुंजाचंद ,, छोटालाल मगनलाल मी. गुलाबचंद गफलभाई जेसंगभाई हेमचंद , घेलाभाई हंसराज , भोगीलाल भूदरदास ,, चत्रभूज लल्लुभाई ताराचंद वीरचंद भोळाभाई केशवलाल , त्रीकमजी रतनशी , मणीलाल मोकमचंद नानचंद माणेकचंद , मोहनलाल चुनीलाल नंदलाल लालचंद मंगळदास दलपतभाई , भाईचंद नरभेराम , शीवलाल मंछाचंद ,, मगनलाल वाघजी , रामजी लधा परमार ३. मी. चंदुलाल हीराभाई सुप्रीन्टेंट २. मी. केशवलाल लल्लुभाई (बहारगामना १५ थी २५ वर्ष सुधीनी उमरना.) मुनीन्टेंडंट. मी. अम्रतलाल बापालाल (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उमरना.) ,, फूलचंद रायचंद मी. काळीदास नानचंद , मनसुख सी. शेठ , केशवलाल हेमचंद ,, मंगळदास नथुभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी. वल्लभदास छगनलाल , हीराभाई ककलभाई " हीराभाई मोहनलाल मी. नगीनदास वीरचंद , नेमचंद माणेकचंद ,, प्रेमचंद प्रागजी ॥ भाणाभाई चतराजी , माणेकचंद वीरचंद हरगोवन कसनजी ४. मी. जमनादास मोतीचंद सुप्रीन्टेन्डंट, (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उमरना. ) मी. गुलाबचंद अमथालाल , चंदुलाल दलसुखराम , छोटालाल लल्लुभाई , छोटालाल हीरजी , देवीदास मकनजी , धनजी पुंजाभाई भोळाभाई मोहनलाल 1, मणीलाल ताराचंद , मणीलाल प्रेमचंद , मनमोहन पानाचंद , मोतीलाल लल्लुभाई लीलाधर नेमचंद , वाडीलाल मगनलाल शवचंद अमरचंद , शवचंद कचराभाई (एक्टिंग सुप्रीन्टेंडंट) हीरालाल लल्लुभाई , हंसराज वसनजी ६. मी. देवचंद भगवानजी शाह सुप्रीन्टेंडेंट, (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उमरना.) मी. अम्रतलाल डाह्याभाई ,, उमेदलाल वाघजी ,, काळीदास लल्लुभाई , चीमनलाल मंगळदास , देवजी झवेरचंद ,, मगनलाल सरुपचंद , मणीलाल चुनीलाल , मणीलाल न्यालचंद ,, मणीलाल वाडीलाल , मोतीलाल गुलाबचंद ५. मी. दलपतभाई प्रेमचंद सुभीन्टेंडंट. (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उमरना.) मी. अमरचंद फकीरचंद , केसरीचंद लखमीचंद ., गोकळदास लहेराभाई , चीमनलाल बालाभाई , चीमनलाल मंगळदास , जमनादास अमरचंद , त्रीभोवनदास तुळशीदास ७. मी. धनजी लीलाधर सुप्रीन्टेंडंट. ( पचीस वर्षनी उपरनी उमरना.) मी. आणंदजी आशारीआ , करशनजी हीरजी ,, केवळचंद केशवजी ,, चुनीलाल न्यालचंद ,, जीवराज मालशी , देवशी शामत , नारणजी अमरशी , पदमशी जेवत , फूलचंद वेलजी , माणेकचंद केशवजी , रणछोडदास लखमीचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७६ ) मी. रतनशी वीरघोर मी. गोविंदजी शीवजी , वजेचंद ताराचंद ,, जेठु करमशी , वेलचंद गोवर ,, नरशी वेलजी , पुरुषोत्तम झवेरचंद ८. मी. फूलचंद उत्तमचंद पारेख , माणेकजी केशवजी सुपीन्टेंडंट. , मालशी पासु (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उंमरना.) ,, मोणशी नथु मी, झवेरचंद जयाचंद ,, रतनचंद वाडीलाल , दुल्लभदास कुबेरदास ,, लखमशी रतनशी ,, नाथालाल झवेरचंद वीरजी गोवर ,, भूपतराय केशवलाल , वेलजी जीवराज ,, मगनलाल मेळापचंद शाह ,, शामजी देशर ,, मूळचंद उत्तमचंद पारेख ,, हरीलाल प्राणजीवन , मोहनलाल लवजी ११. मी. मूळचंद आशाराम ९. मी. भवानजी जेठाभाई सुप्रीन्टेंडंट. सुप्रीन्टेंडंट. (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उंमरना.) (१५ थी २५ वर्ष सुधीनी उंमरना.) मी. अम्रतलाल त्रीभोवन मी. खीमजी धारशी ,, अम्रतलाल बापालाल , खीमजी मादण ,, जगजीवन काशीदास , गोविंदजी खीमजी ,, जटाशंकर माणेकचंद ,, गोविंदजी वीशर , दामजी कल्याणजी , चत्रभोज खीयशी ,, नाथालाल छोटालाल , टोकरशी खीयराज ,, परशोतम बापालाल ,, नरशी कल्याणजी ,, बालाभाई हरीलाल , पुनशी घेलाभाई , भाईचंद केशवजी ,, वालजी हीरजी कायाणी , वीरपाळ वर्धमान , वेलजी जेठा १०. मी. माधवजी कीरचंद. मुभीन्टेंडेंट. (१२ थी १५ वर्ष सुधीनी उंमरना.) मी. अमरचंद नानचंद ,, उमरशी देशर , उमरशी माणेकजी १२. मी. शोभागचंद केवळचंद सुप्रीन्टेंडेंट. (१२ थी १५ वर्ष सुधीनी उमरना.) मी. अम्रतलाल आणंदजी ,, कपुरचंद साकरचंद ,, चंपालाल जवेरचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी. जगजीवन जसराज ,, देवीदास शवचंद " नाथालाल गोविंदजी ,, नानाभाई भाणाभाई ,, पानाचंद गोविंदजी ,, परमानंद रायचंद ( ७७ ) मी. पोपटलाल त्रीकमजी , मगनलाल मोहनलाल ,, मगनलाल वीरचंद ,, रणछोडदास अंदरजी ,, वीठ्ठलभाई झवेरचंद १३. मी. शंभुप्रसादजी गांधी. सुप्रीन्टेंडंट. १५ थी २५ वर्ष सुधीनी उंमरना. (ओर्डरलीझ.) मी. अम्रतलाल काळीदास ( मी. ढहा) " अंबालाल लहेरचंद ( मी. अंबालाल बापुाई) करशनदास गोविंदजी (प्रमुख साहेब ) गोपाळजी प्रागजी ( मी. माणेकलाल चलाभाई ) ,, घेलाभाई जेठा ( चीफ सुप्रीन्टेंडंट ) ,, चत्रभूज मोतीलाल ( मी. ढढ्ढा ) चुनीलाल भाईचंद ( चीफ मेडीकल सुप्रीन्टेंडंट ) , चुनीलाल लवजी ( मी. अमरचंद पी. परमार ) चंपकलाल खीमचंद (शेठ लालभाई दलपतभाई ) ,, जीवा कस्तुर (शेठ फकीरचंद प्रेमचंद) देशर नागशी (मी. माणेकलाल घेलाभाई) , नागरदास गोविंदजी ( प्रमुख साहेब ) भगवान गोकळ (मी. गांधी) भीखा चुनीलाल ( शेठ फकीरचंद प्रेमचंद ) भोजराज भाणजी ( चीफ सुप्रीन्टेंडंट) मणीलाल रतनचंद ( शेठ वीरचंद दीपचंद, चेरमेन ) मेघजी आशपाळ ( चीफ मेडीकल सुप्रीन्टेंडंट ) , वीरचंद रायचंद ( शेठ लालभाई दलपतभाई ) ,, हठीसंग जेठा ( मी. अंबालाल बापुभाई.) ,, हरीलाल लवजी ( मी. अमरचंद पी. परमार ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्स्ट्रा - बेच. १४. मी. बृजलाल भाईचंद. - सुप्रीन्टेंडेंट . ( नानी मोटी उमरना. ) मी. अम्रतआल वाडीलाल मास्तर कुंवरजी मी. चतुरभूज रतनशी " 29 ( ७८ ) छगनलाल शोकीन दलाल मारवाडी. जगाभाई भोगीलाल मी. त्रीकमलाल मगनलाल नानाभाई तलकचंद भवानजी कानजी 99 99 19 "" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 99 99 99 मगनलाल चुनीलाल मोहनलाल भोगीलाल मंगळदास दीपचंद टोपीवाळा रतनचंद रामचंद शांतिलाल मोहनलाल ( पुरवणी ६). (क) वॉलंटियरो तथा सुप्रीन्टेंडंटोने छेल्ली करवामां आवेली सुचनाओ. १. वॉलंटियरोए पोताना सुप्रीन्टेडंटना हुकममां रहेवुं. २. वॉलंटियरोने खास काम उपर राख्या होय तेओए ते बजाववुं, अने जेओनी तहेनातमां राख्या होय तेओना हुकम अने डेलीगेटोना पण हुकम बजाववा. ३. वॉलंटियरोए बहु सभ्यताथी वर्तवुं . ४. वॉलंटियरोए नीचेनां कामो बजाववानां छे: -- ( अ ) मंडपनी चोकशी राखवी अने मंडपनी अंदर बंदोबस्त राखवो. (आ) प्रेसीडेन्ट साहेब, चेरमेन, चीफ सेक्रेटरी, जनरल सेक्रेटरी, पोतानी कमीटीना सेक्रेटरी, अने चीफ सुप्रीन्टेंडंट विगेरेना जेमने ओर्डरली तरीके नीमवामां आवे, तेओना हुकममां बराबर रहेवु. (इ) डेलीगेटोनी सामा लेवा जवुं अने जाय त्यारे पहोंचाडवा जनुं . (ई) इन्टेलीजन्समां अने रजीस्ट्रेशन ऑफिसमां पण काम बजावतुं अने डेलीगेटोना कागळ तथा तार पहोंचाडवा . ( उ ) टीकीटो लेवा आपवा तथा चेक करवानुं काम करखूं. (ऊ) ए सिवाय बीजुं कंईपण काम सोपवामां आवे ते कर. ५. ड्रेस-माथे कपास रंगनो फेंटो, केसरी रंगनां उतरासण अने तेना उपर बे पटीनां फूल लगाडवां अने सफेद कोट पहेरवो. नानी उमरना माटे मोगल केप, उत्तरासण, बे पटीना साधे आसमानी फूल. वॉलंटियरोए ड्रील शीखवा जनुं तथा प्रेसीडेन्टनी पेशवाई विगेरेनुं काम पडे त्यारे उपयोग करवो. (ख) सुप्रीन्टेंडंटने करवामां आवेली छेली सुचनाओ १. दस अथवा वधता ओछा वॉलंटियरोना उपर एक एक सुप्रीन्टेंडंट रहेशे. २. वॉलंटियरोना बांधाना प्रमाणमां ते डीवीझनने तेवुं काम सोंपवामां आवशे. www.umaragyanbhandar.com Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७९ ) ३. ज्यां वॉलंटियरोनो बेच जाय त्यां सुप्रीन्टेंडंटोए साथै रहेवुं, अने जे काम तेओने सोप्युं होय ते बजाववुं. ४. सुप्रीन्टेन्डंटे पोताने सोंपेलां नाणांनो हिसाब राखवो. ५. गाडीओनी जरुर पडे तो केरेज सुप्रीन्टेन्डंट पासेथी लेवी अने जरुर पडे तो जाते पण गोठवण करी लेवी. ६. गाडीभाडुं डेलीगेटोए आपवानुं छे, पण मजुरोना पैसा कॉन्फरन्सना फंडमांथी आपवाना छे. ७. जे डेलीगेटो कॉन्फरन्सना मकाने उतरवाना होय, तेओने पहोंचाडवाने वॉलंटियरोने मोकलवा. वळी जे नामांकित डेलीगेटो तथा मीजबानो होय अने खानगी मुकामे उतरवाना होय, तेओने पहोंचाडवाने पण वॉलंटियरोने मोकलवा. ८. सुप्रीन्टेन्डंटोए फेंटा बांधतां शीखवं अने शीखबवुं. ड्रेस. ९. माथा उपर बदामी फेंटा, केसरी उत्तरासण, उपर बे लाल पटीनां गुलाबी फूल, गळामां सीटी, हाथमां लाकडी अने सफेद कोट पहेरखो. २. सुप्रीन्टेंडंटोए पोतपोतानी समजुतीथी कोई वॉलंटियरोनी फेरबदल करवी होय तो करी लेवी. ३. वॉलंटियरोना फोर्सना बे मोटा वावटा अने बार नाना वावटा राखवा. ( पुरवणी ७ ). इन्टेलीजेंस, हेल्थ एन्ड वालंटियर कमीटीना मानवंता प्रमुख साहेब, अने कमीटीना बीजा सभासदोनी सेवामांः- आ कॉन्फरन्स माटे बहार पडेला वॉलंटियरोए पोतानी फरजो केवी रीते अदा करी छे, तेनो हुं टुंक रीपोर्ट रजु करूं लुं. कॉन्फरन्स माटे हीलचाल शरु थतां, एक सो वॉलंटियरो भेगा करवानुं नक्की थयुं हतुं. शरुआतमां तो एकसो वालंटियरों भेगा करवानी पण चिंता थई पडी, पण जाहेरखबर बहार पडतांज सेंकडो अरजीओ आववा लागी अने मात्र एकज अठवाडीआनी मुदतमां दोढ सो अरजीओ आवी अने मंजूर करवामां आवी. केवी धर्मने माटे उमदा लागणी ! अरजीओ वधवा लागी अने छेवटे केटलीक पाछी मोकलवी पडी. रवीवारने दिवसे बपोरना लालबागमां वॉलंटियरोनी पहेली जनरल मीटींग मळी, पण पोरनो वखत होवाथी केटलाक वॉलंटियरो हाजरी आपी शक्या नहीं. हाजर रहेला वॉलंटियरोने मी. हीराभाई अने मी. झवेरलालनी किंमती मददथी, सात भागमां वहेंचवामां आव्या अने दरेक भाग एक सुप्रीन्टेन्डंटना हाथ नीचे मुकवामां आव्यो. बीजी वॉलंटियरोनी जनरल सभा कॉन्फरन्स ऑफिसना हॉलमां रात्रीना साडासात वागे मळी, अने ते वखते बीजा छ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८०) भाग नवा करवामां आव्या, अने तेमने छ नवा सुप्रीन्टेन्डंटोना हाथ नीचे मुकवामां आव्या. त्रीजी जनरल सभामां आर्डरली बेच २० जणानुं नक्की करी, तेने मी. शंभुप्रसादना हाथ नीचे मुकवामां आव्यं, अने तेज दीवसे वॉलंटियरोने तथा सुप्रीन्टेन्डंटोने फेंटा तथा पीछोडीओ वहेंची आपवामां आवी. मने अत्रे जणाव्या वगर चालतुं नथी के, कॉन्फरन्सनी बलीहारीथी तेमज मारा जोडीआ अधिकारीओनी पुरती मदद साथे, सुप्रीन्टेन्डंटोनी चुंटणी बहुज सरस नीवडी, अने ए सुप्रीन्टेन्डंटो तरफथी मने जे किंमती मदद मळी छे तेना माटे हुँ तेमनो घणोज आभार मानुं छु, अने तेमनी सहायता तथा ऐक्यपणाथीज अमने सोपवामां आवेल संघनी सेवा बजाववानी फरज अमो अदा करी शक्या छीए. मी. शंभुप्रसादना सर्वे ऑर्डरलीओए पोतानी फरजो पुरती रीते बजावी छे. भोजन कमीटीने मदद करवा माटे मी. मूळचंद आशारामनो बेच मोकलवामां आव्यो हतो, अने ते कमीटीना सेक्रेटरीने जाते बे त्रणवार पुछतां तेमना तरफथी मने संतोषकारक जवाब मळ्यो हतो. अत्रे हुं लखवाने दीलगीर छु के पाछळथी ए बेचना माटे भोजन कमीटीना सेक्रेटरीज बीजाओने मोंढे असंतोष जाहेर करता मालुम पड्या हता. आ बेचमां ता० १८ मीना दिवसे बीजा चार जणा वधारवा पड्या हता. उतारा कमीर्टाने मदद करवा माटे मी. केशवलालनो बेच मोकलवामां आव्यो हतो,अने तेमना माटे सर्वे तरफथी संतोषकारक जवाब मन्यो हतो. अत्रे मारे जणाववानी जरुर छे जे, भोजन कमीटी तथा उतारा कमीटीनी मदद माटे मोकलावेला वॉलंटियरोने जमवा बाबतमा जे कई कहेवामां आव्यु हतुं, ते खरेखरुं शोचनीय हतु. उतारा कमीटीना सक्रेटरी मी. अम्रतलालने जोके हुं मळी शक्यो नथी, तोपण उतारामां हुं बे चार वखत गयो हतो अने तपास करतां सर्वे तरफथी संतोषकारक जबाब मन्यो हतो. आ बेचमां पाछळथी ता० १८ मीए ३ वॉलंटियरो वधारवा पड्या हता, तेमज मी. दलपतभाईना आखा बेचने त्यां मदद माटे मुकवो पडयो हतो. केरेज सुप्रीन्टेंडंट तरीके मी. धनजीभाईने नीमवामां आव्या हस, अने मारा अनुभव उपरथी कही शकुं छं के, ए बहुज मुइकेल अने महेनत भरेलु काम हतुं. ए बेचमां बधा वालंटियरो मोटी उमरना होवाथी तेमणे पोतानुं काम घणीज वखाणालायक रीते पूर्ण कर्य हतुं. मुख्य करीने ए बेचना सुप्रीन्टेडंट मी. धनजीभाई, तेमज मी. माणेकचंद केशवजी अने मी. केवळचंद केशवजीए जे महेनत लीधी हती, तेना माटे तेमने एक बहुज, सारं सर्टीफीकेट मळवू जोईए, एवं मारुं धार छे. गुरुवार अने शुक्रवारने दिवसे गाडीओ माटे केवी अडचणो पडी हती, अने ते अडचणो आ बेचे केवी रीते टाळी हती, ते मात्र त्यां हाजर रहेला गृहस्थोज कळी शके. मी. कुंवरजी मुळचंदना बेचने पहेलां रीझडै तरीके मुकवान नक्की करवामां आव्यं हतुं, पण पाछळथी तेओने पण बीजाओना जेटलीज एक्टीव सर्वीस करवी पडी हती, अने तेमणे पण संतोषकारक रीते पोताने सोंपायलं काम कर्यु हतुं. मी. देवचंद भगवानजी शाह, तेमज मी. चंदुलाल हीराभाई, मी. जमनादास मोतीचंद, मी. भवानजी जेठाभाई, मी. फूलचंद उत्तमचंद पारेख, मी. शोभागचंद केवळचंद अने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८१ ) मी. माधवजी कीरचंदना बेचोए, मंडपमां तेमज स्टेशनोपर पोताने सोंपायलां कामो सारी रीते कर्यो हतां. छेला बे सुप्रीन्टेंडंटोना बेचो नानी उंमरना छोकराओना बनेला हता, ते छतां तेओए पोतानी शक्ति प्रमाणे बहुज सारुं काम कर्यु हतुं. अत्रे मारे मी. शवचंद कचराभाईनी नोंध लेवी जोईए, कारण के ज्यारे आपणा प्रमुख साहेब अत्रे पधार्या, त्यारे सरघसमां मी. जमनादासना पगने गंभीर ईजा थवाथी, तेमनुं बेच मी. शवचंदभाईए संभाळी लीधुं हतुं, जोके मी. जमनादास चालवाने शक्तिवान न होवा छतां पण वारंवार स्टेशनपर हाजर थता हता. आपणा मानवंना प्रमुख साहेब राय बहादुर बद्रीदासजी ता. १६ मीना दिवसे अत्रे पधार्या, अने ते दीवसे बोरीबंदर स्टेशनपर कुले ५१, शराफ बजारमा ५८, अने उतारा उपर ४६ वॉलंटियरो मुकवामां आव्या हता. सरघस चालु थतां सर्वे वॉलंटियरो प्रमुख साहेबनी गाडी आगळ सरघसना आकारमा चाल्या हता, अने केटलेक ठेकाणे तेमणे डील करी हती. ता. १७ मीथी वॉलंटियरोने दररोज ग्रांटरोडपर आवती चार अने बोरीबंदरपर आवती १० ट्रेनोपर जं पडतुं हतुं. ता. १७ मीए जुदी जुदी ट्रेनोपर जुदा जुदा वखते कुले मळीने १०० वॉलंटियरो, ता. १८ मीए १५२, अने ता. १९ मीए ४३ वॉलंटियरो हाजर रह्या हता; मात्र ता. १८ मीए आवेली जबलपुर पेसेन्जर ट्रेनपर कोई वॉलंटियर हाजर थयो नहोतो, तेनुं कारणके ते ट्रेन हंमेश करतां त्रण कलाक मोडी आवी हती. हाथनां पांच आंगळां सरखां होतां नथी, अने तेवीज रीते केटलाक वॉलंटियरोए असंतो षपणे पोतानी फरजो बजावी हती; पण तेमनां नाम आ रीपोर्टमां आपवानुं हुं व्याजबी धारतो थी. मंडपमा मारा वॉलंटियरोए पोताथी बनती मदद मंडप कमीटीने आपी हती, अने दरवाजाओ ऊपर उभा रही, टीकीटो तपासी, तेमज मंडपनी अंदरनो पण बंदोबस्त राख्यो हतो, अने आ कामो करती वखते चारथी पांच वॉलंटियरोने मार खावो पड्यो हतो अने मूंडा शब्द तो तेमने सांभळवाना हताज आटलं थया छतां पण वॉलंटियरोए पोताने सोपवामां आवेला कामने पडतुं मुक्थुं न होतुं . मंडपनी अंदर केटलीक वखत ओचींती चीजो मंगाववी पडती हती, तो ते माटे पण वॉलंटियरो तैयारज हता. पोतानी फरज बजावतां मारा वॉलंटियरो तरफथी, तेमज मारी तरफथी केटलाक सद्गृहस्थोने जे कहेवुं पड्युं हतुं, माटे हुं मनी अ क्षमा चाहुं छु. वॉलंटियरोनी एक्टीत्र फरजो ता. १६ मीथी शरू थई हती, अने ते वखते मारी पासे कुले १६१ वॉलंटियरो हता, अने तेमने १३ सुप्रीन्टेंडंटोना हाथमां सोंपवामां आव्या हता. ट्रेने पर जवानुं काम पुरुं थतां पाछळथी १२ बार बीजा वॉलंटियरो उमेरवामां आव्या हता, अने हुं अत्रे लखवानी रजा लऊं छं के आ पाछळश्री ऊमेरायला वॉलन्टियरोमांथी बेथ चार जणा सिवायना सर्वे नामना वॉलंटियरो हता. ता. १९ मीए कॉन्फरन्स शरू थई अने तेथी ते दिवसे बंदोबस्तनी शरूआत थई. इती, अने बाकीना त्रण दिवसोए सारो बंदीस्त रह्यो हतो. अत्रे मारे जणाववानी जरूर छे के कॉन्फरन्सना बीजा अधिकारीओना जुदा जुदा हुकमोथी केटलीक वखत घोटाळा थई जतो हतो, अने तेथी आवो घोटालो न थाय ते मांट आगळीज सावचेती राखनानी जरूर हती, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २) भने ते प्रमाणेनाज कायदाओ बांधवानी जरूर हती, श्वो मारो अभिप्राय छे. आवी वखते जो हुकमो आपनार एकज माणस होय, अने बीजा सर्वे अधिकारीओ एकज जणा मारफते जो हुकमो करे तो, आटलो घोटाळो थाय नहीं. छेवटे मने सोंपायला काममां मी. अमरचंद पी. परमार पासेथी उत्तम सलाह तथा सूचना अने मी. हीरालाल डाह्याभाई, मी. झवेरलाल घडीआळी अने ड्रीलमास्तर मी. जोशी तथा मारा सुप्रीन्टेन्डंटो अने बीजा भाईओ तरफथी मने जे किंमती मदद मळी हती, तेना माटे तेमनो अत्रे उपकार मानी हुँ मारो रीपोर्ट पुरो करुं छु, अने आ रीपोर्टमा कोई विषे कांई लखवामां आव्यु होय, तो तेमनी पासे हूं क्षमा मागु छु. ली. सेवक, ता. २७-९-१९०३. वेलजी आणंदजी मेशरी. पुरवणी (८). इन्टेलीजस, हेल्थ एन्ड वॉलंटियर कमीटीना कार्यमा वपरायेलां छापेला फॉर्मों, सुचना विगैरेनी नकल. वॉलंटियरनी अरजी- फॉर्म. मुंबई, ता. -०३. मे. चीफ सेक्रेटरी, रीसेप्शन कमीटी. बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स-मुंबई. प्यारा साहेब, कृपा करी मारुं नाम एक वॉलंटियर तरीके दाखल करशो. सही (पुरुं नाम) जात -उमर अभ्यास ठेकाj. चीफ सेक्रेटरी. सेक्रेटरी, ई. हे. एन्ड वॉलंटियर कमीटी. उंचाई फुट इंच बांधो____ चीफ सुप्रीन्टेंडेंट-वॉलंटियर्स Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८३ ) वॉलंटियर तरीके दाखल करवानो उत्तर. मुंबई पायधुणी, ता० - ० ३. श्री गोडीजीनी पाछळ, जैन कॉन्फरन्सनी ऑफिस. प्रिय जैनबंधु, ता० जय जीनेंद्र. आपणी धार्मिक, सामाजिक अने औद्योगिक उन्नति करावनारी बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्समां 'वॉलंटियर' तरीके काम करवानी ईच्छा दर्शावनारी तमारी - १९०३ नी अरजी आवी ते घणी खुशी साथे स्विकारवामां आवी छे. पोताना वखतनो भोग आपी स्वधर्म सेवा बजाववानुं जे आत्मार्पण तमे बतान्युं छे, ते खरेज अभिनंदनीय छे. बहारगामथी आवनारा आपणा प्रतिष्ठित श्रीमान्, विद्वान्, बुद्धिमान्, गुणवान् प्रति - निधीओने स्टेशनपर लेवा जवामां, तेओने मुकामपर पहोंचाडी हरेक सुगमता करवामां, टीकीटो माटे अने मंडपमा बंदोबस्त साचववा विगेरेमां तमारी मददनी खास जरुर छे, अने ए कामो कॉन्फरन्सना कार्यनो एक मोटो भाग गणी शकाय वॉलंटियर तरीके एक खरेखरुंज स्वधर्मो भाईओनी भक्तिनुं उत्तम कार्य तमारे बजाववानुं छे, ते बाबतो लक्षमां राखी एक जैन वीर युवान तरीकेनी तमारी पवित्र फरजो बजावी, आपणी कॉन्फरन्सने फतेहमंद बनाववामां योग्य हिस्सो आपशो. वॉलंटियरोनी मीटींगना वखत, तेमनी फरजो विगेरे बाबतो हमेशां जाहेर करता रहीशुं. तमारा फुरसदना वखतनी विगत जणावशो. वॉलंटियर थवानी बाबत तमारा मित्रोना ध्यानपर लावशो, के वीजा जैन युवानो आवी जवलेज मळती तकनो लाभ मेळवी शके. ए रातना ७|| वागे कॉन्फरन्सनी ऑफी वॉलंटियरोनी एक मीटींग ता. समां मळशे, ते वखते जरुर हाजर थशो. अंबालाल बापुभाई, प्रमुख • अमरचंद पी. परमार, सेक्रेटरी. वेलजी आनंदजी, (बी.ए.) चीफ सुप्रीटेंडेंट, झवेरलाल माणेकलाल, आ० सेक्रेटरी. ? ली. शुभेच्छको, इन्टेली जन्स, हेल्थ फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी. वगेरे वगेरे वगेरे. एन्ड वॉलंटि यर | कमीटी. वीरचंद दीपचंद, प्रमुख. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat रीसेप्शन कमीटी. www.umaragyanbhandar.com Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८४) टीकीट. NO. SECOND JAIN (SWETAMBER) CONFERENCE. (Not Transferable) बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. (VOLUNTEER) - वॉलंटियरनी टीकीटा मागे त्यारे बताववी. अंबालाल वापुभाई । । वीरचंद दीपचंद, । प्रमुख.! ई. हे. एन्ड ! फकीरचंद प्रेमचंद, रीसेपशन अमरचंद पी. परमार / वॉलंटियर कमीटी । चीफ सेक्रेटरी. कमीटी सेक्रेटरी. वगेरे वगेरे वगेरे. गाडीनी टीकीट. No. बीजी जैन कॉन्फरन्स. डेलीगेटो गाडी नंबर भाडे रु. आ. ता. -०३ * No. बीजी जैन (श्वेतांवर ) कॉन्फरन्स. * उतारा कमीटीना सेक्रेटरी साहेब जोग, उतारा डेलीगेटो गाम* गाडी नं. ना भाडाना रु. आपजो. ता *XXXXXXXXXXXXX ___ वॉ.-सु. ता. -१९०३ वॉलंटियर-सुप्रीन्टेंडंट. दुसरी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. डेलीगेटों (प्रतिनिधी) को सूचना. आप दूसरी जैन कॉन्फरन्सके लिये पधारे सो धन्य हे ! कॉन्फरन्स (श्री संव) की तरफसें कई भाईओंको और वॉलीटयरोको आपके सामने आपके लेनेके लिये भेजे हैं, सो गाडी मजुरका बंदोबस्त कर देंगे. गाडी मजुरीका दाम आप नहीं देवे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कॉन्फरन्सके मुकामपर ठहेरनेवालोंके लिये नीचे लिखे मकान मुकरर किये गये हैं. १ पंजाब मुकाम-गीरगाम, शेठ वीरचंद दीपचंदका मकान पोस्ट ऑफीसकी गली. २ पूरव हिंदुस्तान और कच्छ-माधवबागके सामने शेठ मुळजीभाईकी धर्मशाला. ३ काठीआवाड, गुजरात, सुरत-लालबाग, बाबु बुध्धसिंगजीकी धर्मशाला. ४ उत्तर रजपूताना-कावसजी पटेल तलाव, शेठ गंगादास ब्रीजभूखणदासकी वाडी. ५ दक्षिण रजपुताना और दक्षिणके मारवाडीभाई-पिंजरा पोल, दुसरी गली, फत्तेहपुरवालोंकी धर्मशालामें. ६ वख्त जरूरत दुसरे मुकाम दिये जाईगे. अपने दोस्त आडतीए और खानगी गृहस्थोंके वहां ठहरनेवाले साहेबोंको मजूर गाडीकी जो मदद चाहे सोभी बंदोबस्त हो जावेगा. ____ मुंबईमें अपना ठहरनेका ठीक पता वगेरह इन्टेलिजेंस कमीटीको लीख भेजे कि चिठी तार पहुंचाये जावे. बीजी जैन कोन्फरन्स माटे आप पधार्या छो, ते आपने धन्य छे! कोन्फरन्स तरफथी केटलाक गहस्थो अने वॉलंटियरो आपने लेवाने सामे आव्या छे. तेओ गाडी, मजूरोनो बंदोबस्त करी आपशे. गाडीभाडु, मजुरी आपशो नहीं. जे साहेबो कॉन्फरन्सना मुकामपर उतरवाना छे, तेमने माटे नीचे प्रमाणे मुकामो मुकरर थया छे, जे मुकामपर कहेशो त्यां लई जवामां आवशे. (१) पंजाब मुकाम-गीरगाम, शेठ वीरचंद दीपचंदनु नवु मकान, पोस्ट __ ऑफिसनी गलीमां. (२) पुर्व हिंदुस्तान अने कच्छ-माधवबागनी सामे, शेठ मुळजीभाईनी धर्मशाळा. (३) काठीआवाड, गुजरात, मुरत-लालबाग, बाबु बुद्धसिंगजीनी धर्मशाळा. (४) उत्तर रजपुताना-कावसजी पटेल तळाव, शेठ गंगादास बीजभुखणदासनीवाडी. (५) दक्षिण रजपुताना अने दक्षिणना मारवाडीभाईओ-पांजरापोळ, बीजी गली, फतेहपुरीआनी धर्मशाळा. (६) जरूर हशे तो बीजो मुकाम आपवामां आवशे. जे साहेबो पोताना दोस्तो, आडतीआओ विगेरे खानगी गृहस्थोने त्या उतरवाना होय, तेओने माटे पण गाडी, मजूरनो बंदोबस्त विगेरे मदद स्टेशनपर आपवामां आवशे मुंबईमा उतरवार्नु ठेका' " इन्टेलीजंस ऑफीस"ने लखी मोकलशो, के जेथी तमारा सार, कागळो बराबर पहोंचे. अमरचंद पी. परमार, सेक्रेटरी । वीरचंद दीपचंद, इंटेलीजन्स, हेल्थ और वॉलंटियर कमीटी | प्रमुख. ___पायधुणी, और मंडप. सेिप्शन कमीटी. फकीरचंद प्रेमचंद, अमृतलाल केवळदास, सेक्रेटरी, | चीफ सेक्रेटरी. उतारा कमीटी-लालबाग.j Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८६) सामान्य मूचनाओ. THE SECOND JAIN (SWETAMBER) CONFERENCE बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स. NOTICE. रीसेप्शन कमीटीना सभासदो प्रतिनिधीओ तथा कॉन्फरन्सना वीझीटरो (प्रेक्षको ) प्रत्ये जाहेरखबर ता० १९ मी सप्टेम्बर १९०३ ने शनिवारने माटे (१)-रीसेप्शन कमीटीना मानवंता सभासदोए कोटमां, मेदानमां आवेला मंडपमां, पोणा अगीआर वागे हाजर थ. (२)-सर्वे प्रतिनीधीओ तथा वीझीटरोए अगीभार वाग्यानी अंदर पधारी पोतानी जग्याए बेसी जq. (३)-रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख, शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. सवा अगीआर वागे अग्रेसर जैन गृहस्थोने स्टेज उपर बेसाडवानी गोठवण करशे. (४)-नामदार वाईसरायना झवेरी तथा कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब राय बहादुर बद्रीदासजी, उतारा कमीटीना प्रमुख झवेरी शेठ कल्याणंचद सोभागचंद साथे साडा अगीआर वागे मुख्य दरवाजे आवी पहोंचशे, जेमने आवकार देवा माटे रीसेप्शन कमीटीना उपप्रमुखो तथा जनरल सेक्रेटरी मी. गुलाबचंदजी ढहा एम्. ए. तथा रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे.पी. दरवाजा आगळ ऊभा रहेशे. (५)-वॉलंटियरोए बराबर लाईननां आ वखते ऊभा रहेg. (६)-रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख तथा जनरल सेक्रेटरी शेठ लालभाई दलपतभाई स्टेजना दादर आगळ उभा रहेशे. (७)-प्रमुख साहेब राय बहादुर बद्रीदासजी साथे ओर्डरलीओए चालवू. (८)-प्रमुख साहेब दाखल थाय त्यारथी बेसे त्यांसुधी सभाए उभुं रहेQ. (९)-पछी आ दिवसना प्रोग्रामने अनुसरी कॉन्फरन्सनुं कामकाज चालशे. ता. २० मी सप्टेम्बर १९०३ ने रविवारने माटे. (१)-प्रमुख साहेब राय बहादुर बद्रीदासजी सवारना साडा दस वागे उतारा कमीटींना प्रमुख साथे मंडपमां पधारशे, जे वखते तेमने आवकार देवा माटे रीसेप्शन कमीटीना उपप्रमुखो हाजर रहेशे; बीजा सर्वे गृहस्थोए पोतानी जग्याउपर बेसी जq. आ वखते रसेप्शन कमीटीना प्रमुख स्टेज आगळ उभा रहेशे. (२)-त्यार पछी प्रोग्राममां रजु करेला कामकाजनी बाबत हाथ धरवामां आवशे. ता० २१ मी सप्टेम्बर १९०३ ने सोमवारने माटे. (१)-आ दिवसे आगला दिवसनी माफक कामकाज शरु थशे, अने छेवटे प्रमुख साहेबनो उपकार मान्या बाद राजगीत गवाशे अने सभा विसर्जन थशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८७ ) ता० २१ मी सप्टेम्बर १९०३ सोमवार. (१) - रात्रिना साडासातथी दश वाग्या सुधी अरसपरसना समागमनो मेळावडो शेठ प्रेमचंद रायचंदनी वाडीए भायखलाउपर थशे, जे वखते फक्त प्रतिनिधीओए तथा रीसेप्शन कमीटीना सभासदोए पधारखं. ता० २२ मी सप्टेम्बर १९०३ ने मंगळवार. ( १ ) - जेने वास्ते साडा अगीयारवागे मीटींग बोलाववामां आवशे अने पोणाबार वागे काम शरु थशे, जेनुं प्रोग्राम तैयार थया मुजब कामकाज थशे. फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी. THE SECOND JAIN ( SWETAMBER) CONFERENCE. बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना प्रतिनिधि प्रत्ये सूचना. दरेक डेलीगेटने केसरी रंगनुं फुल अने मंडपमां दाखल थवानी टीकीट मळशे, जेना ऊपर डेलीगेटनी खुरशीनो नंबर हशे . ते प्रमाणे मंडपमां जगो लेवी... ( १ ) - उतारो, पलंग, बीछाना, लेम्प विगेरेने लगती कोई अडचण होय, तो उतारा कमीटीना सेक्रेटरी मी. अमृतलाल केवळदासने लालबागमां तेमनी ऑफीसमां खबर करवी. ( २ )–चाह, नास्ता, भोजन विगेरे जमवा संबंधी कांईपण कहेवानुं होय, तो ते बाबत भोजन कमीटीना सेक्रेटरी मी. मोहनलाल हेमचंदने लालबागमां तेमनी ऑफीसमां जणाववुं. ( ३ ) - भाषणो, ठरावो के विषयो संबंधी अथवा तेने लगती कांई सुचनाओ करवी होय, तो तेने माटे कोरस्पॉन्डन्स कमीटीना सेक्रेटरी मी, मोहनलाल पुंजाभाईने, मंडपमां तेमनी ओफीसमां अथवा गोडीज़ीना देरासरनी पाछळ कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां लखी जणाववुं. ( ४ ) - कागळपत्रों संबंधी खबर मेळववा तथा कोई ठेकाणे चीठी विगेरे पहोंचाडवा तथा नादुरस्त तबीयतने माटे वॉलंटियरोनी मददनी जरूर होय, तो वॉलंटियर कमीटीना सेक्रेटरी मी. अमरचंद पी. परमारने मंडपमां तेमनी ऑफीसमां खबर आपवी. ( ५ ) - कोईपण खाता तरफथी व्यवस्थामां कांई न्यूनता जणाय अथवा कांई खास काम होय, तो जनरल सुपरवाईझर मी. माणेकलाल घेलाभाईने अगर चीफ सेक्रेटरी मी. फकीरचंद प्रेमचंदने, तेमनी मंडपनी ऑफीसमां अथवा गोडीजीना देरासर पाछळ कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां खबर करवी. ( ६ ) - डेलीगेटो सिवाय बीजा कोई मंडपमां दाखल न थाय तेने माटे, तथा वॉलंटियरोधी अजाणपणे डेलीगेटो तरफ गैरवर्तणुक न थाय तेने माटे, डेलीगेटोने आपवामां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८८ ) आवेलुं फुल तेओ साहेबे कॉन्फरन्सना मंडपमां ( ज्यारे दाखल धाय त्यारे ) पोतानी छातीना डाबा भाग तरफ खोसवुं, अने मंडपमां दाखल थवानी टीकीट पण साथैज राखवी, जेथी वॉलंटियरो डेलीगेटोने पोतानी मुकरर करेली जगोए लई जई शके. कॉन्फरन्सना कोई ऑफीसर ते टीकीट जोवा मागे तो बताववानी महेरबानी करवी. ( ७ ) - कोईपण डेलीगेटने मंडपमां दाखल थवानी टीकीट अथवा फुल न मळेल होय, तो तारीख पंदरमी पछीथी तारीख ओगणीसमीना सवारना नव वागता सुधी कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां पोते अथवा मंडपमांथी मंगावी लेवानी तेवा डेलीगेटोए कृपा करवी. बनता सुधी तेवा डेलीगेटे पोते टीकीट तथा फूल लेवा पधारखं, अने कारणसर जाते न आवी शकाय तो कोई चोक्कस माणसने मोकलवो. ( ८ ) - कॉन्फरन्सना जे जे सर्क्यूलर अथवा नोटीस प्रसिद्ध थशे, ते मंडपना दरवाज़े अगर कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां तथा दरेक उतारे नोटीस बोर्ड उपर चोडवामां आवशे; तो तेवी खबर योग्य लागे ते ठेकाणेथी लेवी, सर्टीफिकेटनी नकल. Second Fain Swetamber GonferenceCERTIFICATE OF MERIT. फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी. BOMBAY. मुंबई. बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स. नाम ने, सन १९०३ ना सप्टेम्बर मासमां मुंबईमां भरायली मजकुर कॉन्फरन्सना कार्यमा एक तरीके उत्तम अने स्तुतिपात्र सेवा बजाववा माटे आ सर्टीफिकेट आपवामां आवे छे. चांदीनो एक चांद पण बक्ष्यो छे. मुंबई ता. १ नवेंबर १९०४. अंबालाल बापुभाई प्रमुख.) इंटेलीजंस, हेल्थ > एन्ड वॉलंटियर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat वीरचंद दीपचंद. ( सी. आई. ई.) चेरमेन. फकीरचंद प्रेमचंद. चीफ सेक्रेटरी. अमरचंद पी. परमार सेक्रेटरी. कमीटी. रीसेप्शन कमीटी, बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स, www.umaragyanbhandar.com Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८९ ) पुरवणी (ई ). बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी उतारा कमीटी रिपोर्ट. मुंबईमां बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी बेठक संवत १९५९ ना भादरवा वदी १३ – १४-०)), एटले ता. १९ - २०-२१ सप्टेंबर १९०३ ना दिवसोए करी हती. तेमां भाग लेवाने बहार देशावरोमांथी जैन सद्गृहस्थो डेलीगेट ( प्रतिनिधी ) तरीके पधारे, तेमने उतारा विगेरे सगवड करी आपवानुं काम, कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीमांथी केटलाक सभासदोनी 'उतारा कमीटी' बनावी, तेने सोपवामां आव्युं हतुं, अने तेना सेक्रेटरी तरीके काम करवाने मने नीमवामां आव्यो हतो. उतारा कमीटी १९ मेंबरोनी बनाववामां आवी हतीं, जेओनां नामो रीसेप्शन कमीटीना लीस्टम ( पुरवणी अ ) जोवामां आवशे, अने तेना प्रमुख तरीके शेठ कल्याणचंद सोभाग्यचंदने नीमवामां आव्या हता. शेठ कल्याणचंदे आ मानभरेला ओद्धानी फरजो छेवट सुधी, पोताना वेपार धंधाना अने अमुल्य वखतना भोगे खरा तन अने मनथी स्तुतिपात्र रीते बजावी हती. अमारी कमीटीनुं कामकाज ता. १८ मी जुलाई सने १९०३ थी शरु करवामां आव्युं हतुं, अने त्यारथी छेवट सुधीमां बधी मळीने नव मीटींगो भरवामां आवी हती, जेमां हाजर रहेला सभासदोनी एवरेज संख्या ८ नी हती. कॉन्फरन्सनो मंडप मेदानमां मनीस्कुल आगळ नाखवामां आवेलो होवाथी, प्रतिनिधीओने घणा लांबा छेटेथी अडचण वेठवी न पडे, तेमज देरासर विगेरेनो उत्तम लाभ सारीरी तेओने मळी शके एवा हेतुथी, तेओने वास्ते उतारानां मकान शेहेरना सारी सुखाकारी अने चोखी हवाबाळा नजीकना भागमां राखवानी गोठवण करवामां आवी हती, अने ते मुजब नीचे जणावेली जग्याओ पसंद करवामां आवी हती: १ लालबाग पासे आवेली फतेपुरीआ मारवाडीनी धर्मशाळा. २ मोतीशा शेठे श्री संघने अर्पण करेला लालबागनी अंदर बुद्धसिंगजी बाबुए बंधावेल विशाळ मकान, तथा लालबागनी जमणवारनी जगानी उपरनो भाग तथा बंगलो. ३ कावसजी पटेलना तळावनी सामे आवेली शेठ. मुळजीभाईनी धर्मशाळा. ४ कावसजी पटेलना तळावनी पासे आवेली शेठ. गंगादास व्रीजभुखणदासनी वाडी. ५ गीरगाम पोस्ट ऑफीसनी पासे आवेल्लं शेठ. वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. नुं नवुं मकान. ऊपर मुजबनी पांच जग्याओनी गोठवण करवामां आवी हती, अने ते मध्येथी बुद्धार्सगजी बाबुवाळा मकानने तथा लालबागने, खास रीपेर तथा धोळाववानी तथा रंग विगेरे कराव वानी जरुर जणायाथी, तेने धोळाववानुं तथा रंग विगेरेनुं काम सारी रीते करवामां आव्यु हतुं. सदरहु सर्वे जग्याओनी कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटी तरफथी नीमाएली " हेल्थ तथा ईन्टेलीजन्स कमीटी " तरफथी, हवा तथा सुखाकारीनी बाबतमां तपास करवामां आवी हती; अने अमने जणावतां धणी खुशी उपजे छे के, ते कमीटीए ते सर्वे जग्याओ प्रतिनिधीओना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९० ) उतारा माटे तदन अनुकुळ छे, एवो रिपोर्ट कीधो हतो. कदापि प्रतिनिधीओनी संख्या धारवा करतां वधु प्रमाणमां आवे, अने तेथी करीने तेओ सर्वेने ऊतारानी जग्या वास्ते छेक छेवदनी वखते नासीपास थर्बु न पडे तेने वास्ते, उपर जणावेली पांच जग्या सिवाय बीजी केटलीक जग्याओ पसंद करी राखवामां आवी हती, अने प्रसंग पडे तेनो तरत उपयोग थाय एवी सगवड राखवामां आवी हती. 0 डेलीगेटोना सुखने अर्थे दरेक उतारामां खाटला, गोदडां, चादरो, पलंग, टेबल, खुरसी, कोच तथा पत्रव्यवहार करवा सारुं स्टेशनरी विगेरे पुरती रीते पुरां पाडवामां आव्यां हतां, अने रातनी वखते दीवाबत्तीनी सारी गोठवण करी आपवामां आवी हती. सघळं फर्नीचर भाडे लाववामां आव्यु हतुं अने तेनो कंटाक्ट फर्नीचरवाळा खोजा दातुभाई हासमने आपवामां आव्यो हतो, जेओए दरेक चीज सारी सफाईदार अने उत्तम कारीगरीनी प्रसंगने अनुसरती पुरी पाडी हती. ___ दरेक भागमाथी आवनारा प्रतिनिधीओ पोतपोताना जील्लामांथी आवेला बीजा प्रतिनिधीओनी साथे रही शके एवा हेतुथी, उपर जणावेला पांच ऊताराओने जूदा जूदा विभागोवार वहेंची नाखवामां आव्या हता, अने तेमां ऊतरनार प्रतिनिधीओनो नीचे मुजब समावेश करवामां आव्यो हतो. १ फत्तेपुरीआनी धर्मशाळामां मारवाडी साथना प्रतिनिधीओने उतारवामां आव्या हता, जेओनी संख्या आशरे ५० नी हती. २ शेठ. मोतीशाना लालबागमां बुद्धसिंगजी वावुवाळा मकानमां गुजरात, सुरत, काठीआवाड तथा दक्षिण विगेरे बाजु तरफथी आवेला प्रतिनिधीओने उतारवामां आव्या हता, जेओनी संख्या आशरे ३५० नी हती. ३ शेठ मुळजीभाईनी धर्मशाळामां पूर्व तरफना प्रतिनिधीओने उतारवामां आव्या हता, जेओनी संख्या आशरे २०० नी हती. ४ शेठ गंगादास बीजभखणदासनी वाडीमां रजपूताना तरफथी आवेला प्रतिनिधीओने ऊतारवामां आव्या हता, जेओनी संख्या ७५ नी हती, तथा तेओनी साथे १२ स्त्रीओ पण हती. ५ शेठ वीरचंदभाईना मकानमां पंजाब विगेरे तरफथी आवेला प्रतिनिधीओने उता वामां आव्या हता, जेओनी संख्या आशरे १२० नी हती; अने ते उपरांत तेओनी साथे ४५ स्त्रीओ पण हती. ऊपर मुजब आशरे ६१५ प्रतिनिधी ओनी तथा ५७ स्त्रीओनी सगवड उपरना पांच उताराओमां करवामां आवी हती. प्रतिनिधीओनी सगवड ऊपर देखरेख राखवाने अने कोईपण जातनी अडचण जणावतां, तेनो तरतज बंदाबस्त करवाने बनी आवे एवा हेतुथी, दरेक उतारा उपर अमारी कमर्सिमांथी दररोज बेअथवा त्रण सभासदो त्यां पोतानी हाजरी आपे, एवी गोठवण करवामां आवी हती; जे मुजब दरेक सभासदे छेवटसुधी पोताने सोपवामां आवेलु काम सारीरीते वजाव्युं हतुं. आ प्रसंगे मने जणावतां अति हर्ष थाय छे के, ते सर्व सभासदोनी आवी भेगी मेहेनतथी मारा काममां मने बहुज सवळता थई हती, अने कोईपण प्रतिनिधी तरफी अगवड पड्यानी फरियाद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करवानो तेमने प्रसंग मळ्यो नहोतो; एटलुंज नहि पण हुं जणाववाने मगरुर छु, के डेलीगेटोए तेमनी राखवामां आवेल बरदासमाटे पोतानो संतोष जाहेर कर्यो हतो. उपर मुजबनी गोठवण करवानी साथे कॉन्फरन्सनी वॉलंटियर कमीटीए, पोतानी टुकडीमांथी वॉलंटियरोने तेओना सुप्रीटेंडंट साथे खास अमारी कमीटी हस्तक सोप्या हता, अने तेओ दरेकने प्रतिनिधीओनी संख्याना प्रमाणमां दरेक उतारे गोठवी देवामां आव्या हता. आ दरेक उलटमंद वॉलंटियरोए पोतानुं काम, सर्वे प्रतिनिधीओनी घणीज सरभरा करी पुर फतेहमंदी साथे पार उतार्यु हतुं, अने आखो वखत पोताना काममा घणीज चीवट अने खंतथी वळगी रह्या हता. ___मारी कमीटीनी दरेक मीटींगो वखते सभासदोए पोताथी बनी शकती हाजरी आपी, तथा दरेक सवालमां बराबर रीते उंडा उतरी, तेनो जलदीथी अने सेहेलाईभरेलो निकाल करी आपवाने जे स्तुतिपात्र मेहेनत लीधी हती, तेने माटे तेओ सर्वे साहेबोनो हुँ खरा अंतःकरणथी आभार मार्नु छ. अमारी कमीटीना प्रमुख शेठ. कल्याणचंद सोभाग्यचंदे घणी वखते मारी साथे हाजर रही मारा काममां जे अमुल्य मदद आपी हती, तेना माटे तेओ साहेबनो पण घणो उपकार मार्नु छं. आ प्रमाणे जो तेओए तथा कमीटीना सभासदोए, मने पोतानी किंमती सलाह तथा अमुल्य वखतनो लाभ न आष्यो होत, तो मारुं काम हुं आटलं सहेलाईथी कदीपण करी शकत नहीं, अने तेटला माटे हुं जे कांई थोडंघणुं करवाने शक्तिवान थयो हतो, ते सर्वे तेओ साहेबनी खंत अने सामटी मेहेनतने लीधे पार पाडी शक्यो हतो.. मारो आ टुंको रिपोर्ट पुरो करुं ते पहेलां मारे जणावतुं जोईए. के, उपर जणावेला पांच मकानोना मालीक तथा करता कारवताओए, पोताना हस्तकनी जग्या वगर भाडे अमारी कमीटीने दरेक रीते तेनो छुटथी उपयोग करवाने सुंप्रत कीधी हती. आवी तेमनी महेरबानी अने आपणी कॉन्फरन्सने दरेक रीते फतेहमंद बनाववानी काळजीने माटे, तेओने खरेखरो धन्यवाद घटेछे, अने हुं कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेबने तथा चीफ सेक्रेटरीने, तेओ दरेक साहेबने कॉन्फरन्स तरफथी उपकारनो पत्र लखी जणाववाने विनंती करुं छु. छेवटमां कॉन्फरन्सना रीसेप्सन कमीटीना प्रमुख साहेब तथा चीफ सेक्रेटरी तथा जनरल सुपरवाईझर, जेओए आ कॉन्फरन्सने पुरती फतेहमंद बनाववाने पोताथी बनतुं करवामां कांई कचाश राखी नथी, अने जाति मेहेनतथी तथा खरी उलटथी जे आगेवानी भर्यो भाग बजाव्यो छे तेओ मारा काममा हरेक प्रसंगे पोताथी बनती मदद घणी खुशी अने उत्साहथी आपता हता, अने तेथी हुँ तेमनी तरफ मान तथा उपकारनी लागणी प्रदर्शित करवानी तक लऊं छु. छेवटमा उपर जणावेली हकीकत मुजब माराथी जे कांई थयुं छे, ते में मारी फरजने अंगे बजावेलुं छेअने श्री समस्त जैन समुदायना देशावरोथी आवेला प्रतिनिधीओनी माराथी बनती आगतास्वागता करवाने, मने उतारा कमीटीना सेक्रेटरी तरीके नीमीने, रीसेप्शन कमीटीए मने जे मोटुं मान आप्युं छे, ते माटे रीसेप्शन कमीटीनो मारा खरा अंतःकरणथी आभार मानीने, हुं मारो रिपोर्ट समाप्त करुं छु. ता.१६-१०.०३. ली. शेवक, अम्रतलाल केवळदास, सेक्रेटरी, उतारा कमीटी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९२) (नकल) जत उपरनी कमीटीनी छेल्ली मीटींग ता. १६ मी अक्टोबर १९०३ ना दिवसे रातना साडासात वागे कॉन्फरन्सनी ऑफीसमां मळी हती. प्रथम सेक्रेटरीए मीटींग बोलाववानो सर्युलर वांची संभळाव्यो हतो, तथा गई वखते मळेली मीटींगनी मीनीट वांची संभळावी हती, जेना उपर प्रमुखे सही करी हती. त्यारबाद सेक्रेटरीए कमीटीना कामकाजने लगतो तैयार करेलो रिपोर्ट मीटींग हजुर वांची संभळाव्यो हतो, जेनी अंदर कॉन्फरन्समां हाजर थवाने आवनार डेलीगेटोने उतारखाने लगता कामकाजमां भाग लेनारा, रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख तथा चीफ सेक्रेटरी तथा जनरल सुपरवाईझर तथा उतारा कमीटीना प्रमुख तथा कमीटीना सर्वे सभासदोए पोताना अमुल्य वखतना भोगे सेक्रेटरीने, पोतानुं काम घणी सगवडता तथा सेहेलाईथी करवामां मदद आपी हती, तेना माटे तेमनो योग्य शब्दोमां उपकार मानवामां आव्यो हतो. रिपोर्ट वांची रह्या बाद कमीटीना प्रमुख शेठ कल्याणचंद शोभाग्यचंदे रिपोर्टना संबंधमां विवेचन करतां जणाव्युं के, आपणी बीजी जैन कॉन्फरन्समां हाजर थनार डेलीगेटोने उतरवा सारं मकानोनी गोठवण तथा तेने लगतो फर्नीचर, गादलां, पलंग, विगेरे सामान पुरो पाडवानी गोठवण करवामां आपणी कमीटीना सेक्रेटरी मी. अमृतलाल केवळदासे, पोताना किंमती वखतना भोगे खरा तन, मन ने धनथी आपणा स्वधर्म बंधुओनी सेवा बजावी छे, तेना माटे आपणे तेमने जेटलो धन्यवाद चाहीए तेटलो ओछो छे. आपणी कमीटीने लगतं कामकाज बजाववामां आपणने जे अणधारी फतेह मळी छे, ते तेमना खंतीला स्वभाव अने चीवटपणे काम करवानी तेमनी कुनेहने आभारी छे. आपणने जो तेवा सेक्रेटरी मळ्या नहीं होत, तो आपणी कमीटीने लगतुं कामकाज बजाववामां आपणने घणी मुश्केली पडत. वळी तेओ रातदिवस मेहेनत करीने अने पोताना गांठना पैसा खरचीने प्रतिनिधीओनी सगवड साचववामां तथा तेओने जोईतो सामान पुरो पाडवामां जे परिश्रम उठाव्यो छे तेना माटे फरीथी धन्यवाद आपीने रिपोर्ट पसार करवानी दरखास्त मुकुं छं. मी. वाडीलाल सांकळचंद तथा शेठ बालाभाई जेचंदे सेक्रेटरीना कामकाजना बाबतमां योग्य शब्दोमां स्तुति करीने आ दरखास्तने टेको आपतां, ते सर्वानुमते पसार थई हती. रिपोर्टनी नकल चीफ सेक्रेटरीने मोकलवाने सेक्रेटरीने सत्ता आपवामा आवी हती. सारबाद प्रमुखनो उपकार मानी सभा विसर्जन करवामां आवी हती. कल्याणचंद शोभाग्यचंद, प्रमुख. मुंबई, ता. २५-१०-१९०३. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३ ) पुरवणी. ( उ ) बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी कॉरेसपोन्डन्स (पत्रव्यवहार ) कमीटीनो रीपोर्ट.. आ कमीटीनी नीमणुक ता. ५ मी जुलाई १९०३ ना दिवसे मांडवी बंदर उपर आवेली श्री कच्छी वीशा ओसवाळ ज्ञातिनी वाडीमां, ते दिवसे बपोरन कॉरस्पोन्डन्स एक वागे मळेली बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीए कमीनी भीमक करी हती, अने आ कमीटीना हाथमां पत्रव्यवहार चलाववानुं काम सोंपवामां आव्युं हतुं. आ कमीटीमां एक प्रमुख, एक सेक्रेटरी अने बीजा २० सभासदोने प्रथम नीमवामां आव्या हता, अने पाछळथी तेमां बीजा त्रण सभासदोनां नामो वधारवामां आव्यां हतां, एटले के कुल्ले आ कमीटीमा २५ सभासदो हता. तेओनां ताम आ रीपोर्टमां आपवामां आवेल रीसेप्शन कमीटीना सभासदोना लीस्टमां ( पुरवणी अ ) आपेलां छे. ए तो सहज समजी शकाय तेम छे के, एक कॉन्फरन्स जेवा महामंडळ संबंधी पत्रव्यवहार चलाववानुं कामकाज पूर्ण रीते पार पाडवामाटे आ कमीटीने ओछामां कमीटीना कामनी ओछी छ मासनी मुदत जोईए; पण अमारे जणाववुं जोईए के ज्यारे आ शरुआत क्यारे कॉन्फरन्स भरवानुं श्री अमदावादमां नक्की थयुं, त्यारे आखं काम पूर्ण करवा माटे मुंबईना श्री संघने त्रण मासनीज मुदत आपवामां आवी हती. आ कमीटीए पोतानुं रीतसर कामकाज ता. २० मी जुलाईए हाथ धर्यु हतुं, अने कॉन्फरन्सनुं काम फतेहमंदीथी पार पाडवा माटे पोताथी बनतु कर्तुं हतुं. शरुआतमां दरेक देशावरनां नामो तथा त्यां कयां कयां मंडळो छे, तथा श्री संघना आगेवानोनां नामो विगेरे बाबतो मेळववानुं काम अमारे करवुं पड्युं हतुं; अने कामनी शरुआत. ते माटे नीचे प्रमाणे छ सवालनुं एक सर्क्युलर हिंदी तथा गुजराती भाषामां छपावी दरेक साधु मुनिराज उपर, जे जे शहेरो ध्यानमां हतां त्यांना अग्रेसरो उपर तेमज " जैन पत्र ", " जैन धर्मप्रकाश ", " आत्मानंद जैन पत्रिका " तथा " तत्वविवेचक" नामनां जैन मासिको मारफते तेमना ग्राहको उपर मोकलवामां आव्यं हं: H Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९४ ) THE SECOND JAIN (Swetamber) CONFERENCE बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉनफरन्स. दूसरी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. मुंबई, पायधुनी, तारीख १९०३. सनिवय नम्रतापूर्वक जणाववा रजा लउंछु के 'बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स' मुंबईमां तारीख १९, २० अने २१ मी सप्टेंबरना दिवसे, एटले आवता भादरवा वदी १३, १४ अने अमासने दिवसे मळनार छे; तेथी ते जैन समुदायनी महासभा मेळववानी गोठवण करवा माटे, तथा तेनी विशेष फत्तेह थवा सारुं देशदेशना संघना प्रतिनिधीओने बोलाववा माटे, नीचेना सवालो आपना उपर मोकलवामां आवे छे; तेनो जवाब जेम बने तेम सत्वर मोकली आपवा कृपा करशोजी. वखत बहुज टुंको रहेलो छ तेथी जरापण विलंब करशो नहीं; आपेली तस्दी माटे माफी चाहुं छु: १. आप जे शेहेरमां रहो छो, ते शेहेरना संघना शेठ तथा बीजा आगेवान गृहस्थोनां नामो लखी मोकलशो. २. आप जे शहेरमां रहो छो, ते शेहेरमां जैन सभा, मंडळी, अने पाठशाळाओ कयी कयी छे अने तेना अधिकारीओ कोण छे ? ३. आप जे शहरमां रहो छो, त्यां विद्वान् जैन वक्ताओ कोण कोण छे ? ४. आप आ कॉन्फरन्समां कया कया विषयो लेवा चाहो छो ? ५. आपनी आसपास कयां कयां शहेरो अने गामो छे, जेमां जैन संघनो समुदाय छे; अने तेना कोण अग्रेसरो छे ? ६. आप रहोछो, ते स्थळनी आसपासनां शहेरमां तथा गामोमां मंडळी, सभा के पाठशाळा कयी कयी छे, अने तेमां अधिकारी तथा वक्ता कोण छे? ७. उपला सवालोमांथी बनी शके तेटला जवाबो तरतज लखी मोकलशोजी. . लखितंग नम्र सेवक, · फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी, रीसेप्शन कमीटी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९५) ता. क.-मुनिमहाराजोने नम्र विनंती छे के, तेओए पोताना विहार दरम्यान जे जे बाबत उपला सवालो संबंधमां जाणी होय, ते विगतवार लखी मोकलवी; कारणके तेओ साहेब वधारे देशोना लीस्ट मोकली शकशे, एवी आशा छे. वळी " जैन पत्र " तथा जैन मासिकोने लखी मोकलवामां आव्यु हतुं के, तेओए कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीना खर्चे पोताना जुदा वधारा काढवा; अने तेमां " कॉन्फरन्स एटले शु? " तथा " ते मळवाथी शुं शुं फायदा थशे ? " ए विषय उपर असरकारक लखाणो प्रगट करवां. आ उपरथी काईपण खर्च लीधावगर 'जैन पत्र'ना मालीक मी. भगुभाई फतेहचंद कारभारी, तेमज उपर जणावेलां जैन मासिकोना अधिपतिओए आ विषयो खर्च लीधा वग- उपर लंबाणथी असरकारक विवेचनो वारंवार प्रगट कर्या हता, अने र जैन पत्र तथा जैन मासिकोए ब- भावनगरनी 'जैनधर्म प्रसारक सभा'ना मंत्री तथा जैनधर्म प्रकाशना अधिजावली जैन कोम- पति मी. अमरचंद घेलाभाईए तो चोपानीयाना रुपमा असरकारक लखानो प्रशंसापात्र त्र णोथी भरपुर एक जुदोज वधारो प्रगट को हतो. आ प्रमाणे 'जैन पत्र' सेवा. ___तथा जैन मासिकोना अधिपतिओए कॉन्फरन्सनी बीजी बेठक फतेहमंद नीवडे ते माटे, एक पण पाई लीधावगर पोताथी बनतुं कर्यु छे; अने तेम करी तेओए जैन कोमनी जे प्रशंसापात्र सेवा बजावी छे, तेने माटे तेओने खरेखर धन्यवाद घटे छे. वळी आ उपरांत 'जैन पत्र'ना मालीक मी. भगुभाई फतेहचंद कारभारीए पोताना ग्राहकोनुं सविस्तर छापेखें लीस्ट, अने 'भावनगर धर्मप्रसारक सभा'ना प्रमुख शेठ कुंवरजी आणंदजीए " जैनधर्मप्रकाश "ना ग्राहकोमांथी जुदां जुदा ३५० शहेरोना सद्गृहस्थोनां नामोनू लीस्ट, आ कमीटी उपर खानगी राखी काममा लेवा माटे मोकली आप्यां हतां, जेने माटे आ प्रसंगे आ कमीटी तेमनो खरा अंतःकरणथी आभार माने छे. उपर जणावेला छ सवालना सर्म्युलरपत्रो बहारगाम मोकल्या पछी, चीफ सेक्रेटरी उपर हमेशां सारी संख्यामां तेना जवाबो आववा लाग्या हता, अने रफते छ सवालोना सर्युलरथी दरेक रफते कॉन्फरन्स संबंधी जागृति आखा हिंदुस्तानमां थई चुकी हती. स्थळे थयेली ज्यां ज्यां छ सवाल- सर्म्युलर जतुं हतुं के ते पछी, एक नानुं गाम या मोट शहेर होय तोपण तेनो तरतज जवाब फरी वळतो हतो, अने ते माटे दरेक गाम तथा तेमना संघपतिओनो तथा मंडळना अधिकारीओनो, तेमज परोपकारी मुनिराजोनो आ तके कमीटी आभार माने छे. उपला छ सवालोना जवाबमां श्रीमंत मुनिराजोए तेमज जैन बंधुओए अनेक प्रकारनी । सुचनाओ लखी मोकली हती, अने तेमां नीचे प्रमाणे मुख्य मुख्य बाबआवेलापत्रोमांक तो हती:--१ जैनधर्मानुसार जैनोना रीतरिवाजो राखवाः २ जैन रवामां आवेली कॉन्फरन्सनी फरज; ३ जैनधर्मनो प्रचार केम करवो जोईए ? १ जैनोसुचनाओ. न्नति केम थाय ? ५ जैन मुनिमहाराजो केटलाएक देशोमां विचरता नथी, तेथी त्यां वसता जैनो जैनधर्मथी विमुख क्रियाओ आचरे छे, ते उपर ध्यान देवा; ६ जैनोना जागृति. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९६ ) राजकीय हक शुं छे अने ते केम सचवाय ? ७धर्म संबंधी फंडोनी व्यवस्था बराबर रहे, ते माटे बंधारण रचवा; ८ धार्मिक तथा व्यावहारिक केळवणीनो जैनोमां बहोळो फेलावो थवा माटे साधनो पुरां पाडवा; ९ जीर्ण मंदिरोद्धार करवा; १० जीर्ण पुस्तकोद्धार करवा; ११ साधु मुनीराजोए कया कया देशमा अवश्य विचरवू जोईए, अने तेमनी शुं फरजो छे? १२ जैन डीरेक्टरीनी आवश्यकता; १३ जैन पंचायत फंडनी स्थापना करवा; १४ जैन पाठशाळाओ, सभाओ तथा मंडळो कयां कयां स्थळे छे, तथा ते केवी रीते चाले छे ? १५ एक सारा पाया उपर हिंदी तथा गुजरातीमां जैन न्युसपेपर काढवा; १६ मोटा मोटां जैन तीर्थोनो कबजो हाथ लई, तेनो वहीवट करवा एक मोभादार सद्गृहस्थोनी मेनेजींग काटी नीमवा; विगेरे. उपर लख्या मुजब छ सवालना सर्युलरना जवाबो आवता हता, तेनी पहोंच छापेला आमंत्रण पत्रिका. कार्डथी अथवा लिखीत पत्रथी स्विकारवामां आवती हती; अने उपला " सर्म्युलरथी सारी संख्यामां दरेक शहेर अने गामना आगेवानोनां नामो, तेमज मंडळना सेक्रेटरीओनां नामोना लीस्टो तैयार थई चुक्यां हता; तेथी हवे कमीटीए तेमना उपर आमंत्रण पत्रिका लखवा सारुं ते पत्रिका तैयार करवानुं काम हाथ धयु हतुं. आ पत्रिका मोरबीवाळा मी. मनसुख कीरत्चंद महेताए तैयार करी हती, अने तेमां योग्य सुधारो वधारो करी नीचे प्रमाणेनी आमंत्रण पत्रिकाओ दरेक स्थळे हिंदी अने गुजराती भाषामा छपावी रखाना करवामां आवी हती: ॥ नमो तिथ्थस्स ॥ यः संसार निरास लालसमति मुक्त्यर्थमुत्तिष्ठते । यं तीर्थ कथयति पावनतया येनाऽस्ति नाऽन्यासमः ॥ यस्मै तीर्थपतिर्नमस्यति सतां यस्माच्छुभं जायते । स्फुर्तिर्यस्य परावसंति च गुणा यस्मिन्स संघोऽर्च्यतां ॥१॥ ॥ स्वस्ति श्री गोडिपार्श्वजीनं प्रणम्य ॥ श्री महाशुभस्थाने पूज्याराध्य, दृढधर्मवान् , सुश्रावक, पुण्य प्रभावक, देवगुरु भक्तिकारक, परमप्रीतिपात्रादि अनेक शुभगुणालंकृत धर्मस्नेही धर्मबंधु भाई श्री तथा श्रीसंघ समस्त योग. श्री मुंबई बंदरथी ला० संघ समस्तना जय जीनेंद्र अवधारशो. अत्र श्री देव-गुरुप्रसादे क्षेम-कुशळता वर्ते छे. आप श्री संघनी कुशळता चाहिये छोए... विशेष विनंति के चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवाननुं शासन सदा जयवंत छे. ए पवित्र शासन सदा जयवंत वर्ते, एम श्रीमन्महावीरस्वामीना उपासको ईच्छे छे. तेथी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९७ ) ज्यारे ज्यारे श्री जीन शासनमा व्यवहार के परमार्थ रुपे शीथीलता जणाई छे, त्यारे त्यारे शासनमा अग्रेसर आचार्य प्रमुखे सकळसंघे एकत्रं थई शासन- महात्म्य जळवाई रहे एवो प्रयास वखतोवखत कर्यो छे. बंधुओ। हाल समयमां पण आपणे एवी रीते एकत्र थई श्री जीन शासननी तेमज आपणी उन्नति अर्थे, यथाशक्ति प्रयास करवो घटे छे. आवा पुण्यकारक प्रयासनी शरुआत गये वर्षे " श्री फलोदी तीर्थोन्नति सभा" ए करी आपणने आभारी कर्या छे. ए वेळाए प्रथम जैन कॉन्फरंस श्री फलोदी तीर्थ क्षेत्रे एकत्र थई हनी, अने ते प्रमाणे बीजी जैन कॉन्फरंस मेळववा अमे ईच्छा राखी छे. ते कॉन्फरंस चालु वर्षना भाद्रपद वद १३१४-०)) (ता. १९-२०-२१ सप्टेंबर शनि, रवि, सोमवारे ) आ त्रण दिवसोमां अत्रे एकत्र थशे. __ श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामीना उपासको एकत्र थई स्वपरहितना विचार करे एवो प्रसंग दुर्लभ छे. एवो प्रसंग मेळववा अमे आ वेळा उत्कंठित थया छीए, तो आपना तरफथी प्रतिनिधिो ( डेलीगेट्स ) मोकली श्री संघनी भक्ति करवा उत्कंठित थएला अहींना संघने आभारी करशो. मुंबई प्रवृत्तिक्षेत्र छे; तथापि आपणा स्वधर्मी भाईओनो मोटो समुदाय अहीं वसे छ; अत्रे श्री जीनचैत्योनी यात्रानो लाभ छे; मुनि महाराजोनां दर्शननो पण प्रसंग छे. वळी समस्त हिंदुस्तानना संघना प्रतिनिधीओ अत्रे पधारशे; तेओनां दर्शन-समागमनो लाभ, तेमज आपणे बधा भेगा थई आपने जुदा पत्रमा जणाव्युं छे तेम, जेथी आपणने व्यवहारिकधार्मिक लाभ थशे एम, आ पवित्र धर्ममेळाथी अनेक लाभ छे; माटे सकळसंघ मेळवी प्रतिनिधीओ चुंटी काढी मोकलवा कृपा करशो. अत्रे आपनी सर्व प्रकारे भक्ति करवा संघ उजमाळ थई रह्यो छे. आपना तरफथी जे भाईयो पधारवाना होय, ते क्यारे पधारवाना छे तथा कोण कोण पधारवाना छे, ए वगेरेनी अमने आप आ पत्र मळ्ये एक अठवाडियामां खबर आपवा कृपा करशो. आ कॉन्फरंस बहु टुंका वखतमा मळवानी छे, तो आ पत्र मळे अमने प्रत्युत्तर आपी आभारी करशो, ने साथेनुं फॉर्म भरीने मोकलशो. आ पत्र संघ समस्त वांचे एम करशोजी. श्री तीर्थकर भगवाने संघने " नमो तिथ्थस्स” कही वंद्यो छे, वखाण्यो छे; एवो श्रीसंघ अत्रे भेगो थाय, ते आपण सर्वने बहु आनंदनुं कारण छे. ला. सकळ संघनी वती कॉन्फरंसनी रीसेप्शन ( स्वागत ) कमीटी तरफथी, नम्र सेवको वीरचंद दीपचंद ( प्रमुख ), फकीरचंद प्रेमचंद ( चीफ सेक्रेटरी) ना जय जीनेंद्र वांचशोजी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९८ ) प्रतिनिधीओनां नामो भरी मोकलवानुं फॉर्म. उपर प्रमाणे आमंत्रण पत्रिका साथे जे जे प्रतिनिधीओ मोकलवाना होय तेने माटे विगत साथे नामो भरी मोकलवा सारुं नीचे प्रमाणेनुं छापेलुं फॉर्म पण मोकलवामां आवतुं हतु:शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. चीफ सेक्रेटरी, रीसेशप्न कमीटी. बीजी जैन ( श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. श्री मुंबई, पायधुनी. प्रिय धर्म स्नेही बंधु, जोग श्री थी ली. ____ना जयजीनेंद्र वांचशो. विशेष विनंतीपूर्वक जणाववान के अत्रेना श्री ___ तरफथी नीचे जणावेला सद्गृहस्थोने कॉन्फरन्सनी सभामां भाग लेवा सारं प्रतिनिधी तरीके नीमवामां आव्या छे. जीला प्रतिनिधीनां नाम ज्ञाति । उमर धंधो । ठेकाj. मीति संवत १९५९ ना ____ ला० हवे प्रतिनिधीओनां नामो आववा लाग्यां हतां अने टुंक वखतमा तेमनी संख्या सारा प्रमाणमां नोधाई हती, जे जाणीने श्री मुंबईना संघनो उत्साह विषेश वधवा लाग्यो हतो. उतारा कमीटी, भोजन कमीटी, मंडप कमीटी, वॉलंटियर कमीटी वगेरेना सेक्रेटरीओ पोतानी कमीटीनी मीटींगो भरवा मंडी गया हता, अने कॉन्फरन्सनी ऑफिसमां रात दिवस धमाल मची रही हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९९ ) प्रतिनिधीओ माटे प्रतिनिधीओनी चुंटणीनुं पत्रक आवतां तरतज, तेमना उपर मोकलवामां आवेलुं सवालोर्नु पत्रक आ प्रमाणेनुं एक बीजुं सवालपत्रक मोकलवामां आव्यु हतुंःTHE SECOND JAIN ( Swetamber ) CONFERENCE. बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. हेड ऑफीस, पायधुनी, मुंबई. प्यारा साहेब, सविनय जणाववानुं के आपना तरफथी प्रतिनिधीओ (डेलीगेट्स ) चुंटी काढवामां आव्या छे; तेनो पत्र अमोने मळ्यो छे. महेरबानी करी तेओनी सही साथे नीचला सवालोनुं फॉर्म भरी मोकलशोजी. लीखितंग नम्र शेवक, ता० फकीरचंद प्रेमचंद, चीफ सेक्रेटरी. प्रतिनिधीओए भरी मोकलवानुं फॉर्म. शेठ फकीरचंद, प्रेमचंद जे. पी. चीफ सेक्रेटरी, रीसेप्शन कमीटी, बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. श्री मुंबई. जोग लीखितंग श्री थी जील्ला तेओ श्री संघे गोठवण करी छे त्यां उतरशे अने भोजन लेशे नंवर मुंबई पधारनारानुं नाम के बीजी जगोए उतरवा चाहे छ ? कये दिवसे कयी ट्रेनमां नीकळशे? अने टीकीट कया स्टेशननी लेशे? ) लीखितंग आपना शुभेच्छको, श्री संघना उतारा उपर जनारने ग्रांटरोड स्टेशन नजदीक पडशे. लखी तारीख, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०० ) उपरना सवालपत्रकना जवाबो घणे खरे ठेकाणेथी फरी वळ्या हता, अने तथी करी रीसेपशन कमीटीने सर्व प्रकारनी सवड करवामां सारी मदद सळी हती. जे जे स्थळे आमंत्रण पत्रिकाओ मोकलवामां आवी हती, पण जेमना तरफथी पंदर दिवस वीया छतां जवाबो फरीवळ्या नहोता तेमना उपर रीमाइन्डरो मोकआमंत्रण पत्रिकाओ मोकलेल स्थ : लवामां आवतां हतां, अने ते उपरांत केटलांक मुख्य अने मोटां शहरो ळोएथी जवाब फ- उपर तारपण करवामां आवता हता. आ स्थळे जणावतां घणोज आनंद रीन वळवाथी ल: पेदा थाय छे के, दरेक स्थळेथी कारणो साथना जवाबो तरतज फरी खवामां आवला वळता हता, अने छेवटे जे देशावरो दूर हता तथा जे स्थळोने प्रतिनिधीरीमाइन्डरो. ___ ओ मोकलवानुं काम अगवडभेरेलु हतु, ते सिवायनां बधां स्थळेथी प्रतिनिधीओनी चुंटणी थई आवी हती, अने जे देशमाथी प्रतिनिधी आवी शक्या नहोता ते देशावरोवाळाए कॉन्फरन्सनी पूर्ण फत्तेह ईच्छी हती, अने पोते भाग नहि लई शकवा माटे पोतानी दिलगीरी जाहेर करी हती. जैन ग्रेज्युएटो तथा जुदा जुदा मुलकोमां जैन बंधुओ, जेओ राज्यकारभारमा सारो ओधो धरावता होय, तेओने प्रतिनिधीओ तरीके खास आमंत्रण जैन ग्रेज्युएटो अने अमलटारीने करवा माटे आ कमीटीए रीसेप्शन कमीटीने सूचना करी हतीः अने प्रतिनिधी तरीके रीसेप्शन कमीटीए ते सूचना बहाल राखवाथी तेओने खास आमंत्रण गणवानो ठराव. करवामां आव्यां हतां. आ उपलां कामो चालतां हतां ते दरम्यान कॉन्फरन्समां कया कया विषयो लेवा ते काम पण आ कमीटीना हाथमां मुकवामां आव्युं हतुं, जेथी ता. २३, कॉन्फरन्समांकया । कया विषयो लेवा २८ अने ३० मी जुलाईना दिवसोए कोरस्पॉन्डन्स क ते माटे कमीटीए मीटींगो मळी हती; अने छेवटे नव विषयो जे कॉन्फरन्समां चर्चाया बजावलु कामः हता तथा जेने माटे ठरावो थया हता, ते मुकरर करवामां आव्या हता. वळी पसंद करेला नव विषयो उपर टुंक विवेचन लखी मोकलवाथी दरेक जणर्नु योग्य ध्यान खेंचाशे एq धारी, दरेक विषय उपर टुंक विवेचन लखी ते गुजरातीमां तथा हिंदीमा छपावी आमंत्रण पत्रिका साथे दरेक स्थळे मोकलवामां आव्यु हतुं. उपर जणावेल आमंत्रण पत्रिका तथा टुंक विवेचन साथना नव विषयो आपणा जैनपत्र, जैन मासिको, मुंबई समाचार, अखबारे सोदागर, सांज वर्तमान विगेरे पत्रोमां प्रगट थवाथी लोकोमां कॉन्फरन्स संबंधमां विशेष जागृति फेलाई हती. आपणी कॉन्फरन्सनी बेठक वखते कामकाज करवाना ठरावोनो खरडो तैयार कर. __ वार्नु काम आ कमीटी तरफथी बजाववामां आव्युं हतुं, अने तेने माटे अ. कॉन्फरन्सनी सबजेक्ट कमीटीमा र गष्ट मासनी ता. ११, २७ तथा २९ मीए कॉरस्पॉन्डन्स कमीटीनी मीटींजु करवा माटे तैयार करवामां आ गो मळी हती. छेवटे ए काम माटे नीमायेली सबकमीटी तथा प्रमुख वेला ठरावोनो विाना विगेरेनी परवानगीथी आ महत्व- काम यथाशक्ति में बजाव्यु हतुं. खरडो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०१) हवे आ कमीटीन काम वक्ताओनू लीस्ट करवा माटेनुं हतुं, अने तेने माटे एक पांच जणनी सबकमीटी नीमवामां आवी हती. आ संबधमां जुदा जुदा देशावक्ताओगें लीस्ट तैयार करवा मा स्ट वरोमां तथा मुंबईमां जेओ सारा वक्ताओ हता तेओना उपर पत्रो लख. टेनी गोठवण. " वामां आव्या हता, अने तेमना उपर ठरावोना खरडानी एकेक नकल मोकलवामां आवी हती. आगेवान वक्ताओने तैयार थई आववा माटे कागळो तथा तारथी खबरो आपवामां आवती हती. तेओए जुदा जुदा विषयो पोतानी मरजी मुजब पसंद कर्या हता, अने जे गोठवणथी छेवटे आपणे सारी फतेह पामवा शक्तिवान थया हता. आप सर्वे जाणो छो के आ आपणी जैनकोमनी बीजी कॉन्फरन्स हती, अने देशदेशा है वरना वक्ताओ पोतानी दलीलो भाषणद्वाराए केवी रीते मुकशे तेथी वक्ताओए कयी पता की बाबतो ध्या- आपणे अजाण्या हता. वळी ते साथे अमुक भाषणकार केटली शक्ति धरावे नमा राखी बोलवू छे अने कॉन्फरन्सनुं गौरव सचवाय तेवी रीते बोली शकशे के केम, विगेरे ते माटे नियमो. बाबतोथी आपणे अजाण हता तेने लीधे, दरेक वक्ता रीतसर बोले अने बोलती वखते नियममां रहे ते माटे आ कमीटी तरफथी थोडा एक नियमो घडवामां आव्या हता, अने तेनी नकलो नक्की करेला वक्ताओमां वहेंचवामां आवी हती. वळी कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब- भाषण आ कमीटीने सोपवामां आव्यु हतुं, जे छपाबवानुं काम पण पूर्ण उत्साहथी खरेखरी त्वरा करी अमे वखतसर पुरुं कर्यु हतुं. कॉन्फरन्सनी बेठक वखते सर्म्युलरो, रजु करवाना ठरावो, दररोजना प्रोगामी, तारे। र विगेरे घडवा तथा प्रगट करवानुं काम चीफ सेक्रेटरीए आ कमीटीने ठक वखते कमीटी- सोप्यु हतुं, अने तेथी वखतोवखत तेमना अभिप्राय प्रमाणे तैयार करी ए बजावेलु काम. तेमनी सही साथे आ कमीटी प्रगट करती हती. कॉन्फरन्सनी बेठको वखते रीपोर्ट लेवा माटे मुंबई, सुरत, वडोदरा, अमदावाद, पुना, कॉन्फरन्सनी बे. राजकोट विगेरे मोटां शहरोनां पत्रोना अधिपतिओ उपर, तेमना तरफथी ठक वखते जुदा सपोर्टरो मोकलवा माटे अगाऊथी लखी मोकलवामां आव्यु हतुं, अने जुदां मोटां शहरोमां पत्रोना रीपोर्ट- तेमने माटे जोईती गोठवण राखवामां आवी हती. लगभग २० पत्रोना रोबोलाववा माटे करवामां आवेली अधिपतिओए पोताना रीपोर्टरो मोकलवा महेरबानी करी हती, जेने माटे गोठवण. आ प्रसंगे अमे तेमनी आभार मानीए छीए. कॉन्फरन्सनी बेठकमां प्रतिनिधीओ अने प्रेक्षको उपरांत जाणीता विद्वानो अने . प्रतिष्टित वेपारीओने आमंत्रण करवामाठे खास सुशोभित आमंत्रणपत्रो कॉन्फरन्सनुं आगेवान शहेरी. छापवामां आव्या हतो, अने जे जे सदगृहस्थो उपर ते मोकलवामां भोने आमंत्रण. आव्यां इता, तेओमांना लगभग बधा सद्गृहस्थोए पधारीने आपणी कोमना आ शभ कार्यमा सारं उत्तेजन आप्युं हतुं, जेने माटे अत्रे तेमनो आभार मानीए लीए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार"पत्रे बजा- "" " " (१०२) अत्रे जणावतां घणोज आनंद थाय छे के, मुंबईना अग्रेसर गुजराती रोजींदा पत्र " मुंबई समाचार " ना मे. अधिपति साहेबे आपणा सुचव्या मुजब, मा कॉन्फरन्सनी बेठक वखते प्रत्येक दिवसनो हेवाल तेज सांजना प्रगट वेली वखाणवा. करी आपणी जैनकोमनी उत्तम सेवा बजावी हती, अने एक उंच लायक सेवा. पत्रकार तरीकेनी पोतानी फरज सारी रीते अदा करी हती, जेने माटे आपणे आ तके ते पत्रना अधिपति साहेब तथा मालीकनो खरा अंतःकरणथी आभार मानीए छीए. ___ छेवटे आ कमीटीना काममा जे जे सद्गृहस्थोए यथाशक्ति मदद करी हती ते सर्वेनो खरा अंतःकरणथी आभार मानीने आ रीपोर्ट पुरो करुं हुं. ली. सेवक, मोहनलाल पुंजाभाई, सेक्रेटरी. पुरवणी (ऊ). बीजी जैन ( श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी फंड कमीटीनो रीपोर्ट. १. फंड कमीटीना सेक्रेटरी तरीके अमारी कमीटीनो रीपोर्ट रजु करवानुं मने चीफ सेक्रेटरी तरफथी कहेवामां आवतां, आ कमीटीए कॉन्फरन्सने माटे नीमायेली रीसेप्शन कमीटीनी सत्ता नीचे जे काम तेनी शरुआतथी आजसुधी करेलुं छे, तेनो टुंक रीपोर्ट रजु करवानी रजा लडं छं. २. फंड कमीटीनी नीमगुंक रीसेपशन कमीटीना साथेज थई हती. ता. ५ जलाई १९०३ने रोज मळेली रीसेप्शन कमीटीनी पहेली मीटींगमा जे वखते जुदी जुदी सबकमीटीओ नीमवामां आधी हती, ते वखते फंड कमीटीना सेक्रेटरी तरीके मने नीमवामां आव्यो हतो. अमारी कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई.नी नीमगुंक जोके रीसेप्शन कमीटीनी त्रीजी मीटींग वखते पसार थएला छठा ठरावनी रुइए थएली हती छतां, शेठ वीरचंद दीपचंद रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख होवाथी एकज गृहस्थ बे कमीटीमां प्रमुख तरीके न रही शकवाने लीधे, एओ साहेबर्नु मुबारक नाम फंड कमीटीना प्रमुख तरीके फंड कमीटीना मेंवरोना लीस्टमां जोडी शकायुं नथी. रीसेप्शन कमीटीनी पहेली मीटींग वखते फंड कमीटीना मेंबरोनुं जुदी जुदी ज्ञातिओ-साथधारनुं एक लीस्ट जु, पाडवामां आव्यु हतुं, तथा तेमा जरुरना प्रसंगे नवा गृहस्थोने मेम्बर तरीके उमेरवामां आवता हता; अने तेथी मेम्बरोनी छल्ली Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०३) संख्या वधारेमां वधारे २२१ सुधी पहोंची हती. मेम्बरोना नामोनू लीस्ट एवडुं तो मोटु छ के, जो तेने आ रीपोर्ट साथे रजु करवामां आवे तो तेनुं कद जोईता प्रमाण करतां वधी जाय; तेथी तेम न करतां फंड कमीटीना मेम्बरोनां नामो माटे चीफ सेक्रेटरीना रीपोर्टने अंते आपेला सबकमीटीवारना रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोना लीस्टमां (पुरवणी अ) जोई लेवानी भलामण करवामां आवे छे. छतां पण मेम्बरोना साथवारनी संख्याला आंकडा नीचे मुजब छे: सेक्रेटरी. १ सुरती साथ ४० गोधारी साथ २१ मारवाडी साथ ६६ गुजराती साथ ४० छापरीया साथ १७ नगरी साथ ७ कच्छी साथ २९ कुल. २२१ रीसेप्शन कमीटीनी नीमणुंकनी तारीख २७ जुलाई तथा कॉन्फरन्स भरवानी तारीख १९ सप्टेंबर वच्चे रहेला लगभग अढी मासना टुंक अरसामां, फंड कमीटीने पोतानुं काम पुरुं करवान होवाथी, ते बाबतने उपर प्रमाणेनी मेम्बरोनी राखेली मोटी संख्या माटेना बचावना एक कारण तरीके रजु करी शकाय तेम छे. ३. ऊपर प्रमाणेनी फंड कमीटीना प्रमुख, सेक्रेटरी अने मेम्बरोनी संख्यानी हकीकत जणाव्या पछी, अमारी कमीटीने सोपेलं कामकाज अने ते माटेनी करेली गोठवण विषेनी हकीकत आपबी अवश्यनी छे. फंड कमीटीनुं काम ए हतुं के, जुदा जुदा ग्रहस्थोने मळीने कॉन्फरन्सने अंगे थनारा खर्च माटे उघाडेला फंडमां नाणां भराववां, भरेलां नाणांनी उघराणी कराववी अने आवेलां नाणां हिसाबकमीटीना कीलीदारने स्वाधीन करवां. जे तारीखे नाणां भरातां ते तारीखे तेनी नोंध लेवाती, अने तेनी ऊघराणी करीने पैसा ज्यारे वसुल थता ते वखते ते धणीने अमारी सही साथेनी पहोंच आपवामां आवती, अने नाणां कीलीदारने स्वाधीन करीने एक बुकमां तेनी नोंध राखवामां आवती. कीलीदार पासे आवेलुं भरणुं खजानची राव साहेब हीराचंद मोतीचंदनी पेढीए भरवामां आवतुं, अने ते काम कीलीदारने एटले हिसाबकमीटीने लगतुं होवाथी तेने माटे अहीं वधारे लखवानी जरुर रहेती नथी. फंडमां भरायेली रकमोनी उघराणी माटे एक दीपचंद मकनजी नामना उघराणीदारने राखवामां आव्यो हतो. कॉन्फरन्सना नजीकना दिवसोमां ज्यारे फंडनी उघराणीनुं काम जोसथी चलाववानी अमने फरज पडी हती, ते वखते कामना बोजाने पहोंची वळवाने बीजा बे माणसोने उघराणीना काम माटे चीफ सेक्रेटरीनी ऑफीसमाथी बोलाववानी जरुर पडी हती; पण पाछळथी ते माणसोने उतारा कमीटीना काममां रोका, पडवाथी उघराणीनुं काम एकला दीपचंदना हाथमां रयुं हतुं, जे ठेठ सुधी कायमज छे. मजकुर दीपचंदे उघराणीनुं काम बहुज चीवट राखी करेलुं छे, अने तेणे फंडनी उघराणी करीने मोटी रकमो वसुल करी लेवानी जे मेहेतन लीधी छे, तेने माटे हुं अने फंड कमीटी आ तके पोतानो संतोष जाहेर करीए छीए. ४. रीसेप्शन कमीटीनी ता. ५ मी जुलाईनी मीटींगमां मुंबईना जैन भाईओमां केटलो बधो आनंद अने उत्साह आवी गयो हतो के, तेज वखते केटलाएक उदार गृहस्थोओए मोटी रकमो भरी फंडनी शरुआत करी हती; अने त्यारपछी ज्यारे ज्यारे रीसेप्शन कमीटीनी मीटींगो मळी हती, ते ते वखते पधारेला गृहस्थो पोतानी राजीखुशीथी पोताना तरफनी रकमो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भरीने. बीजाओ पासेथी भराववान पोतानी मेळे माथे लेता हता. प्रथम केटलाएक गृहस्थो 'तरफथी एवी दलील रजु करवामां आवी हती के, कॉन्फरन्सने माटे जोईतां नाणां डेलीगेटो अने वीझीटरोनी मोटी फी राखीने ते मारफते उपजावी काढवा; परंतु आ वात मोटे भागे रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोने रुची नहीं, अने तेथी फंड चाल करी तेमां रकमो भराववानुं काम व्याजबीपणे हाथ धरवामां आव्यु हतुं. फंडमां नाणां भरवा माटे सहु कोईनी मरजी उपर मुकवामां आव्यु हतुं, अने ए नियमने वळगीनेज रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरोने यथाशक्ति बने तेज रकमो फंडमां भरवानुं सुचववामां आव्यु हतुं; परंतु कहेवाने खुशी उपजे छे के दरेक सबकमीटीना मेम्बरोए पोतानी रकमो पोतानी कमीटीना सेक्रेटरीओ मारफत भरी मोकलावी हती. ५. फंडनो मोटो हिस्सो मंडप अने भोजन खरचमां तणाई न जाय ते माटे, मंडपनी टीकीटो तथा भोजननी पांतीयो काढीने ते बंने खातांने पोतानी आवकउपर आधार राखनारां करवामां आव्यां हता; तेथी फंड खातानो मोटो हिस्सो तेवी रीते उपजावी काड्यो हतो. भोजन माटे जे जे ग्रहस्थोए राजीखुशीथी पांतीओ आपेली छे, ते तेमणे फंडमां पोतानी भरेली रकमो उपरांत आपेली छे; तेथी जेम तेओ साहेबनो फंडमां रकमो भरवाने माटे आभार मानवामां आवेछे, तेम ते करतां वळी वधारे तेओ साहेबोए भरेली पांतीओ माटे पण भोजन कमीटी तरफथी आभार मानवामां आवशे तेम धारी, आ ग्रहस्थोनां मुबारक नामो अत्रे आपवामां आव्यां नधी. ६ फंडमां रकमो भरवानुं काम रातदिवस जारी राखेल हतुं, अने अवारनवार दरेक साथमाथी रकमो भरावी शके तेवा ग्रहस्थोनां नामो मेळवीने तेमनी मुलाकात लेवामां आवती हती, अने ते रीते फंडनी रकमो भराई छे. मारवाडी, मुरती, गुजराती, छापरीया, गोघारी, कच्छी, नगरी विगेरे जे जे साथना गृहस्थो पासे रकमो भराववा अर्थे जq पडयुं हतुं, तेओ तरफथी वगरआनाकानीए के वगरआंचके पोतानी शक्ति अने नामने छाजे तेवी रीतनी रकमा भरी आपवामां आवी हती, अने तेवा उदार गृहस्थोनी किंमती मददथी फंड लगभग रु. १६००० नी रकम उपर आवी शक्युं छे. आवडी मोटी रकम थोडा वखतमां जमा थशे एम फंडकमीटीने ख्याल नहोतो, छतां जे थयुं छे ते फंडमां भरनारा अने काम करनारा गृहस्थोनी खंतने आभारी छे. फंड भराववामां जोके फंड कमीटीना अने रीसेपशन कमीटीना दरेक मेम्बरनी मददनो हिस्सो मळेलो हतो, तोपण ते उपरांत नीचेना गृहस्थो तरफथी रकमो भराक्वा माटे बहु जवरी लागवग अने जाती महेनत वापरवामां आवी हती:शेठ फकीरचंद प्रेमचंद. शेठ वीरचंद दीपचंद. ,, हीराचंद मोतीचंद. ,, लालचंदभाई. , मोहनलाल हेमचंद. ,, जेठाभाई नरशी केशवजी. .माणेकलाल घेलाभाई. , लल्लुभाई गुलाबचंद. नगीनभाई मंछुभाई. , लल्लुभाई नथु. , नानचंद केशवजी. , कल्याणचंद सोभागचंद. , अमरचंद पी. परमार. , दलीचंद भाईचंद. , डाह्याभाई सुरचंद, " सवाईचंद जीवणचंद, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०५) बीजा केटलाएक ग्रहस्थोए जुदी जुदी वखते सलाह अने मदद आपेली छे, तेओनां दरेकनां नाम आ रीपोर्टमां लंबाण थवाना भये दाखल थई शके तेम नथी; तेथी तेओ सर्व गृहस्थोनो आभार मानीने उपरना ग्रहस्थो माटे खास एटलं कहेवानुं छे के, तेओए तथा बीजा केटलाक साहेबोए पोतानो धंधो छोडीने फंड भराववा माटे रातदिवस सख्त महेनत लीधी हती, अने ते एटले सुधी के केटलाक वखते रात्रिना एकेक वाग्यासुधी पण तेओए पोतानुं फंड भराववानुं काम छोड्यु नहोतुं. उपर जणावेला ग्रहस्थोए पोताना साथमाथी घणा वणा ग्रहस्थो पासेथी रकमो भरावेली छे, अने एमना फंड भराववाना अथाग परिश्रमने लीधेज फंड पोतानी हालनी स्थितिए पहोंचवा पाम्युं छे, तेथी तेओ साहेबोनो जेटलो आभार मानवामां आवे तेटलो ओछो छे. ७. फंडनी अंदर नाणां भरनाराओनां मुबारक नामो तेओए भरेली रकमो साथे आ रिपोर्टनी पुरवणी (आ) मां जोवामां आवशे. ८. फंड भराववानुं काम कॉन्फरन्स पुरी थया पछी बंध करवामां आव्यु हतुं. ___९. चीफ सेक्रेटरी मी. फकीरचंद प्रेमचंदे पोताना किंमती वखतना भोगे, जे अणहद महेनत लई पोतानी हाजरीथी फंड कमीटीना कामने अमुल्य सहाय आपेली छे, ते माटे तेओ साहेबनो आ तके आभार मानवानी फंड कमीटी पोतानी फरज समजे छे. १०. फंड कमीटीन कार्य एवा प्रकारचें हतुं के, तेमां चीवटथी अने धीरजथी कार्य करवानी पुरेपुरी आवश्यकता हती. चीफ सेक्रेटरी साहेबे आ विषयमां संपूर्ण डहापणथी काम लई सर्व प्रकारनी सगवड करी आपी हती. फंड कमीटीने जे नहि धारेली फतेह मळी छे, ते आवी अनेक मददने लीधेज मळी छे. ली. सेवक त्रीभोवनदास भाणजी सेक्रेटरी, फंड कमीटी. पुरवणी (ए). बीजी जैन ( श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी भोजन कमीटीनो रीपोर्ट. श्री मुंबई शहरमां भरायेली बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीनी भोजन कमीटीनो नीचे प्रमाणे टुंक रीपोर्ट रजु करतां मने घणो आनंद थाय छे. ता. ५-७-१९०३ ने रोज मळेली रीसेप्शन कमीटीनी मीटींग वखते, बहारगामधी पधारनारा डेलीगेटोनी भोजन विगैरेनी गोठवण अने आगतास्वागता करवा माटे एक भोजन कमीटी नीमवामा आवी हती, जमां पाछळथी थयेला वधारा साथै प्रमुख सेक्रेटरी मळीने मेम्बरोनी कुल संख्या पचीसनी हती, जेओनां नामो नीचे प्रमाणे छे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ कस्तुरभाई कशळ चंद काळीदास जगजीवन "" " 39 ,, 39 ( १०६ ) शेठ बालचंद कनीराम --- प्रमुख : 99 " चंदुलाल खुशालजी ,, चुनीलाल वीरचंद छगनलाल रुपचंद 39 99 " काळीदास मुळजी घेलाभाई त्रीभोवनदास जुवारमल समीरमल तेजराज मोतीजी देवजी वरसंग पानाचंद ताराचंद प्रेमचंद वीरपाळ शेठ बापुलाल लल्लुभाई बालाभाई छगनलाल 99 मगनलाल नरोत्तमदास उतारा. (१) शेठ श्रीमचंदभाई मोतीचंदना लालबागमां. . (२) श्री फतेहपुर मारवाडीनी धर्मशाळा. (३) शेठ मुळजीभाईनी धर्मशाळा, मगनलाल कंकुचंद 99 ,, मनसुखराम भाईचंद रामलाल केशवलाल लखमीचंद खेंगार वनमाळी गंभीरमल वाडीलाल पुनमचंद सोभाग्यचंद तलकचंद मलबारी हीरालाल बोरभाई मोहनलाल हेमचंद - सेक्रेटरी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 99 ५ " 99 मारवाड. बंगाळा ;; भोजन कमीटीनी पहेलां चार मीटींगो थई हती, अने ते वखते परचुटण कामकाज संबंधी विचार करवामां आव्यो हतो; पण पाछळथी भादरवा वदी ४ ना दिवसथी हंमेशां भोजन संबंधी विचार करवा माटे थोडा घणा मेम्बरोने भेगा थवुं पडतुं हतुं मीटींगो वखते कंई अगत्यना ठरावो पसार करेला न होवाथी, अत्रे ते टांकी बताववानी जरुर रहेती नथी. " कॉन्फरन्समां पधारनारा डेलीगेटो पैकी जे साहेबो कॉन्फरन्सना रसोडे भोजन लेवाना हता, ते साहेबो तरफथी तेवी मतलबनी खबर कॉरसपोन्डन्स कमीटी मारफते डेलीगेटोना लीस्टमांथी मळी शकती हती, अने तेथी भोजन माटेनी व्यवस्थानो विचार करवामां घणीज साह्यता मळती हती. 99 आववाजवानी अगवड न पडे तेटला माटे, पधारनारा डेलीगेटोनी भोजननी गोठवण जे जे उतारामां तेओ साहेबोने उतारो आपवामां आव्यो हतो, त्यांज रसोडां खोली तथा रसोईआ विगेरे राखीने करवामां आवी हती. जुदा जुदा उतारामां नीचे प्रमाणे छ रसोडां खोलवामां आव्यां हतां अने जमनार गृहस्थोनी तथा स्त्रीओनी कुल संख्या ९०० नी हती, जे नीचेना कोठा उपरथी जणाशेः "" प्रांत. गुजरात, सुरत, काठीआवाड, दक्षिण. जमनारनी संख्या. आशरे ५५० " 22 ६.३ २३ www.umaragyanbhandar.com Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०७) रजपुताना तथा मध्यप्रांतो. (४) शेठ गंगादास वीजभुखण दासनी वाडी. (१) शेठ वीरचंद दीपचंदन घर, गीरगाम. " ८५ पंजाब. " १७५ कॉन्फरन्सनी बेठको मुंबई खाते संवत १९९९ना भादरवा वदी १३, १४, ०)) अने आसो सुदी, १ एटले ता. १९, २०, २१, २२ सप्टेंबर १९०३ना रोज हती; अने तेथी कॉन्फरन्सनुं रसोडुं भादरवा वदी १२थी आसो सुदी १ सुधी उघाडु राखवानुं ठराववामां आव्युं हतुं; पण ते दिवसथी अगाऊ आवनारा तथा कॉन्फरन्सनी बेठको खलास थया पछी मुंबई शहेर जोवानी ईच्छा राखनारा बहारगामना डेलीगेटोनी सवड खातर रसोडु भादरवा वदी १०थी खोलीने आसो सुदी ४ सुधी चालु राखवामां आव्युं हतुं. देशदेशना श्रावकभाईओना रसोईना जुदा जुदा खिाजोने अनुसरीने, तेओने मनपसंद रसोईनी सवड पुरी पाडवा माटे प्रांतवार जुदां जुदां रसोडां उघाडवार्नु उचित धारवामां आव्युं हतुं; अने मने जणावतां संतोष उपजे छे के, आपणा बहारगामना स्वधर्मीभाईओनी पोतपोताना रिवाजोने अनुसरीने आगतास्वागता करवामां भोजन कमीटीए पोताथी बनतुं करवामां कंईपण जातनी कचाश राखी नहोती. डेलीगेटोना भोजननुं खर्च श्री संघना नीचे जणावेला उदार दीलना गृहस्थो तरफथी तेमनां नाम आगळ लखेली पांती प्रमाणे उपाडी लेवामां आवनार हतुं, अने तेथी रीसेप्शन कमीटीने माथेथी एक जातनो बोजो ओछो थयो हतो, जे माटे ते गृहस्थोनो अंतःकरणथी उपकार मानुं हुं. पांतीनी संख्या. गृहस्थY नाम. १ पांतीना रुपीया. कुल रुपीयाः शेठ छोटालाल नगीनदासनी कुंपनी. १६६-१३-३ ६६७-५-० , जीवणचंद लल्लुभाईनी , ३३३-१०-६ , हीराचंद मोतीचंद. ३३३-१०-६ , देवकरण मुळजी. ३३३-१०-६ , प्रेमचंद रायचंद. ३३३-१०-६ , वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. ३३३-१०-६ , तलकचंद जेठाभाई. १६६-१३-३ , रतनजी जीवणदास. १६६-१३-३ , गोकळभाई मुळचंद. १६६-१३-३ जमनारनी संख्या तथा डेलीगेटोनी सगवडो तरफ भोजन कमीटीने आशरे रु.२८.०० नुं खर्च थयु हतुं, ते भोजन कमीटीए धार्या करतां घणुंज ओछु हतुं, जोके भोजन कमीटी तरफथी जमनार, मन रीझववामां कांईपण बाकी राखवामां आव्यु नहोतुं. भोजन कीटीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०८) कार्यमा सघळा मेंबरोए पूर्ण उत्साहथी भाग लीधो हतो, अने मुख्यत्वे करीने नीचे जणावेला गृहस्थोए मने जे किंमती मदद करी हती, तेने माटे तेओनो हुं उपकार मानुं हुं. शेठ. बालचंद कनीराम. प्रमुख. शा. कस्तुरचंद कशळचंद. , घेलाभाई त्रीभोवनदास. , चुनीलाल वीरचंद. , छगनलाल शवचंद. झवेरी पानाभाई ताराचंद. शा. मनसुखराम भाईचंद. , रामलाल केशवलाल. ,, वाडीलाल पुनमचंद, विगैरे. आ सिवाय उताराओमाटे नक्की करेला वॉलंटियरोए सारी रीते मदद आपी हती. भोजन कमीटीना वपराशमाटे श्री शांतिनाथजी महाराजना सागर गच्छना उपाश्रय तरफथी, तथा जे वाडीमा उतारो हतो ते वाडीनां वासणो विगेरे, तेमज श्री लालबाग, धी जैन क्लब, तथा श्री गोडीपार्श्वनाथजीना देरासरनां वासणो वापरवा मोट मळ्यां हता, तेथी ते खातांओना लागतावळगताओनो हुँ उपकार मार्नु छं. वळी आ ठेकाणे आपणी रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी स्वर्गवासी शेठ. फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी., के जेओ ते वखते कामर्नु अतिशय दबाण उतां, वखतोवखत मारी कमीटीना संबंधमा जे कई पुछवामां आवतुं हतुं तेना बराबर उत्तरो वाळता, ते माटे तथा तेमनी वखतोवखतनी किंमती सुचनाओ माटे तेमनो अंतःकरणथी उपकार मानवानी हुं मारी फरज समजुं हुं. छेवटे बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीए श्रीसंघनी शेवा बजाववानो प्रसंग आपीने मारा उपर जे उपकार कर्यो छे, तेनो अंतःकरणथी आभार मानी भोजन कमीटीनो आ रीपोर्ट समाप्त करं छं. ली. सेवक, मुंबई, ता. २-९-१९०१. मोहनलाल हेमचंद सेक्रेटरी. पुरवणी (ऐ). बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्सनी मंडप कमीटीनो रीपोर्ट. आ कमीटी रीसेप्शन कमीटीमांना १२ सभासदोनी बनेली हती, अने तेओनां नामो रीसेप्शन कमीटीना मेंबरोना लीस्टमा आ रीपोर्टनी पुरवणी (अ) मां आपवामां आवेलां छे. मत्यारसुधीमां मा कमीटीनी ९ मीटींगो भरवामां आवी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०९ ) आ टांकणे अमो शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. तथा शेठ. फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. नो खास आभार मानीए छीए, के तेओ साहेबीए अमारी दरेक मीटींगमां खास हाजरी आपी अमने कृतार्थ कीधा हता. अमारी कमीटीनुं खरं कामकाज ता. ९-८-१९०३ श्री शरु करवामां आव्युं हतुं, जे वखते मंडप बांधवा संबंधी टेन्डरो मागवा माटे सर्वे छापांओमां जाहेरखबर आपवामां आवी हती; अने ता. २१-८-१९०३ ने दीने टेन्डर मागवानो छेलो दिवस होवाथी ते दिवस सुधीमां जे टेन्डरो आवेल, तेमांथी मी. आणंदजी नारणजीनुं टेन्डर रु २००१ नुं सर्वेथी ओछु होवाथी अमारी कमीटीए स्त्रिकार्य हतुं. मंडप बांधवामाटेना प्लेन अडसट्टाओ विगेरे महेरबान एन्जिनीयर साहेब खंडुभाई गुलाबरायभाई देसाई तथा तेओना लायक पुत्र मी. बळवंतराये अमोने वगर लवाजमे तैयार करी आप्यां हतां, अने ते प्रमाणे मंडप बंधायो हतो अने सर्वेनी पसंदगीमां आव्यो हतो तेनुं खरं मान तेओने घटे छे, तेथी तेओनो आ तके कमीटी खास उपकार माने छे. टेन्डरो आव्या पछी मी. आणंदजी नारणजीनु टेन्डर कबुल करवाबाद मंडप बांधवानुं काम ता. २ - ९ - १९०३ थी शरु करवामां आव्युं हतुं मंडप बांधवामाटे तथा कॉन्फरन्स भरवा माटे सर्वे पहेलां पोलीस कमीशनरनी परवानगी मेळववामां आवी हती, बाद प्रेसीडन्सी एक्झीक्युटीव एन्जिनीयर ने एस्प्लेनेडना मेदानमां एल्फिन्स्टन हाईस्कूलना मकान मंडप बांधवा देवा माटे अरज करवामां आवी हती, जे अरज नीचेना दरथी बहाल राखवामां आवी हती; अने ते प्रमाणे दररोजनुं दर १०० चोरसवारे, कंपाउन्डवाळी जमीनमाटे रांम ० = भाडुं तथा खुल्ली जमीन माटे रांम ०1) भाडुं लेवुं, एम सरकारे ठराव्युं हतुं. उपर प्रमाणेनी सरतो आपणने आव्याथी अने आपणे ते कबुल कीधाथी, आपणे ते हिसाबे कवर्ड स्पेस २७०० चोरसवार तथा अन्कवर्ड स्पेस २५०० चोरसवार रोकी हती, जेना दिवस २९ ना आपणने रूपीआ ४७३ जमीनभाडाना आपवा पड्या हता. ट्र खुरशीओ, गालीचा विगेरे पुरुं पाडवानुं कामपण भापवामां आव्युं हतुं. जेमां मी. दातुभाई हासमे सादी खुरशी १२०० रोजना डझन १ ना भाडाना रु. १। न भावथी पुरी पाडी हती; तथा बेन्टवुड खुरसी २८०० त्रण रोजना डझन १९ ना रु. १३ ना भाडाथी पुरी पाडी हती, तथा मी. आणंदणी नार जीए सादी खुरसी तथा बेन्टवुड रोजना दस आने डझन १ ना भावधी पुरी पाडी हती, तथा मी. सीवजी नथुए Cushioned chairs डझन १ ना दररोजना रु. १॥ ना भावधी पुरी पाडी हती, तथा मी. दातुभाई हासमने जमीन उपर गालीचा विगेरे पाथरवाने रु. २००) मां ऊधडो कॉन्ट्रेक्ट आपवामां आव्यो हतो. उपरांत तेमनेज बहारनी ऑफीसोमां फर्नीचर बुरु पाडवा तथा कबाटो पुरां पाडवा विगेरे माटे रु. १२५ ) नी रकम आपवामां आवी हती. मी. आणंदजीनुं टेन्डर जोके रु. २,००१ नुं कबुल करवामां आव्युं हतुं, पण मंडपमां ते पछी स्टेज विगेरेमां तथा बीजा काममां बेवडी बल्के त्रेवडी ताडपत्रीओ वरसादथी बचाव करवा माटे नाखवामां आवतां, तेओने रु. १,२०० वधारे कॉन्ट्रेक्टनी सरतोथी बाहेर होवाथी आपवामां आव्या हता. टीकीटोना वेचाणथी नीचे प्रमाणे रुपौआ उपज्या हताः - वर्ग पहेलानी टीकीटो १,१०० छापवामां आवी हती, जेमांथी टीकीटो १४६९ दर रु. ३) थी खपी कुल रु.४४०७ J Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११० ) उपज्या हता; तथा वर्ग बीजानी टीकीट ३२८ दर रु. २) थी खपी रु. ६५६, तथा स्त्रीवर्गनी टीकीट २१४ दर रु. २ थी खपी रु.४२८, ते प्रमाणे कुल रु. १४९१ टीकीटोना वेचाणथी उपज्या हता, जे कमीटी धारे छे के बहुत संतोषकारक बेचाण कहेवाय. मंडप १८० फीट लांबो तथा १३५ फीट पहोळो बनाववामां आव्यो हतो, जेमां मंडपना एक भागना छेडा आगळ लगभग ६०x३० नुं स्टेज प्रसिद्ध ग्रहस्थोने बेसवा माटे बनाववामां आव्युं हतुं, तथा ते उपर आशरे ३०० ग्रहस्थो बेसी शके तेवी सगवड करवामां आवी हती. उपरांत स्त्रीओ माटे एक खास स्टेज चढउतर बेठकनुं ३०x३० नुं करवामां आव्युं हतुं, अने ते उपर लगभग २२५ स्त्रीओनो समावेश थाय तेवी गोठवण करवामां आवी हती, अने तेओनो मलाजो सचवाय तेमाटे तेओने मंडपमा दाखल थवानो दरवाजो तथा विश्रांति स्थळ विगेरे सर्वे जुदां करवामां आव्यां हतां. स्टेजनी तरतज नीचे अने आसपास रिपोर्टरोनां टेबल मुकवामां आव्यां हतां तथा शरुआतनो नजीकनो वीभाग जे गोळाकारे गोठववामां आव्यो हतो, त्यां रीसेप्शन कमीटीना १०० मेम्बर माटे तथा सेंट्रल प्रोवीन्सीसना डेलीगेटो माटे सगवड करवामां आवी हती. मंडपना लंबाणना मध्यभागमा छ फीटनो रस्तो खास राखवामां आव्यो हतो, अने तेथी करी मंडपनी बेठको जाणे के बे भागमां वहेंची नाखी हती. मंडपना एक विभागमां अमदावाद सर्कल, रजपुताना सर्कल अने पंजाब सर्कलना नजदीक ९०० डेलीगेटो माटे तथा तेनी सामेनी बाजुना विभागमां सुरत, काठीयावाड अने डेक्कन सर्कलो माटे नजदीक ९०० डेलीगेटनी रीझवर्ड बेठकोनी गोठवण करवामां आवी हती. बळी स्टेजनी बीजी बाजुए वॉलंटियर विगेरे माटे तथा बीजा केटलाक माणसो माटे सगवड करवामां आवी हती, ज्यां नजदीक ४०० खुरसीनो समावेश करवामां आव्यो हतो. डेलीगेटोनी बराबर पछवाडे बंने बाजु पहेला वर्गनी १५०० खुरसीनी रीझवर्ड बेठकोनी गोठवण करवामां आवी हती तथा तेनी बराबर पछवाडे नजदीक बीजा वर्गनी ५०० बेठकोनी गोठवण करवामां आवी हती. आ उपरांत मंडपनी बहार नीचे प्रमाणे ऑफीसो विगेरे तैयार करवामां आवी हती: - १. प्रेसीडंटनी रुम. २. चीफ सेक्रेटरीनी ऑफीस. ३. मंडप कमीटीना सेक्रेटरीनी ऑफीस. ४. इन्टेलीजंस, हेल्थ अने वॉलंटियर कमीटीनी ऑफीस. ५. जनरल ऑफीस, जेमां सुपरवाईझरनी ऑफीस, भोजन कमीटीना सेक्रेटरीनी ऑफस, उतारा कमीटीना सेक्रेटरीनी ऑफीस तथा कॉरसपोन्डंस कमीटीना सेक्रेटरीनी ऑफीस माटे गोठवण करवामां आवी हती. ६. 'जैन पत्र 'नी ऑफीस. ६. ( क ). मी. घडीआळी साकरचंद माणेकचंदनो खानगी स्टॉल. ७. मी. अमरचंद परमारनो प्राईव्हेट स्टॉल. ८. मणिबत्तीनां तथा साबुनां वे कारखानांना स्टॉलो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ते प्रमाणे गोठवण करवाबाद मोटा आर्कनी बीजी बाजुए जेपुरी मीठाईवाळाने एक स्टॉल रु. १०ना भाडाथी, तथा सुखडीआ गोविंदजी वसनजीने भजीआं, पुरी, घुघरा विगेरे वेचवा माटेनो एक स्टॉल रु. २१ना भाडाथी, तथा मी. लवचंद नेमचंदने टी--कॉफी माटेनो एक स्टॉल रु. ३०ना भाडाथी आपवामां आव्यो हतो. तेनी बराबर नजदीक पाणी पावामाटे ११ ब्राह्मणोने हमेशां रोकवामां आवता हता, जेओ सर्वेने पीवानुं पाणी पुरुं पाडता हता; तथा सर्वेने माटे उकाळेला पाणीनी पण गोठवण करवामां आवी हती. रातना मंडपमा कामकाजमाटे तथा कोट्सन लाईट पुरी पाडवा माटे मेशर्स जमशेदजी मंचेरजीने रु. १३० आपवामां आव्या हता. मंडप बांधवानुं काम ता. २-९-०३थी शरु थतां ता. १७-९-०३ए पुरुं करवामां आव्युं हतुं, तथा कॉन्फरन्स, काम ता. २२मी मंगळवारे पुरं थतां ता. २९ सुधीमा सर्वे सामान त्यांथी कॉन्ट्रेक्टरो तरफथी उपाडी जवामां आव्यो हतो. मी. आणंदजी नारणजी कॉन्ट्रेक्टर तरफथी स्पेसीफीकेशन शिवाय वधारे काम थएलु होवाथी तथा बे हजार खुरसीओनी छेवटनी घडीए जरुर पडवाथी, तेमने टेन्डर करता रु.१२०० वधारे एटले कुल रु. ३२०० आपवामां आव्या हता. मी. दातुभाई हासमर्नु बील रु. ११०१ नुं चुकववामां आव्युं हतुं. मंडप संबंधी गाडीभाडं तथा बीजो जे परचुरण खर्च थयो हतो, तेमां पाणी पुरुं पाडवा माटे हमेशां ११ ब्राह्मणो रोकी तेओने कुल रु.५३-१२-० आपवामां आव्या हता; तथा १४ दरवाजा जे मंडपमां दाखल करवा माटे बनाववामां आव्या हता, त्यां ओर्डर साचववा माटे जे १४ पारसीओ रोकवामां आव्या हता, तेओने कुल खर्चना रु. ११० आपवा पड्या हता. उपरांत गाडीभाई तथा जे परचुरण खर्च थयो हतो, ते हिसाब कमीटी तरफथी रजु करवामां आवतां आप साहेबोना ध्यानमा तरतज आवी जशे. मी. के. जी. देसाई तथा तेओना लायक पुत्र मी. बळवंतराय, जेओए मंडप बांधवाना काममां पोतानी सलाह वगर लवाजमे आपी हती, तेओने कॉन्फरन्सना काम दरम्यान राय बहादुर बद्रीदासजीना हाथथी एक रुपाना प्याला, रकाबी विगेरेनो सट नजदीक रु. २०० नी किंमतनो भेट आपवामां आव्यो हतो, जे अवश्य संतोषकारक बाबत लेखी शकाय. ___ अमारा हाथ नीचे मंडपर्नु काम संपूर्ण रीते फतेहमंद करवा माटे, खास बे आसीस्टंट नोकरो क्लार्क प्राणलाल मंगळजी तथा गोपाळराव द्वारकांराम देशपांडेने राखवामां आव्या हता, जेओए अमने अपोताना कामकाजथी दरेक रीते संतोष आप्यो छे. ____वळी आ तके अमारे खास जणाववानी जरुर पडे छे के, अमारी कमीटीना सर्वे साहेबोए अमने बहुज किंमती मदद अमारा कामकाजमां दरेक वखते कीधी हती. तेमा मुख्यत्वे करीने मी. अमीलाल जादवजी तथा मी. डाह्याभाई सरुपचंदे तो बहुज किंमती मदद कीधी हती, जे माटे तेओ बंने साहेबोनो अमे बहुज उपकार मानीए छीए, अने समजीए छीए के तेओनी मदद वगर अमे मंडपर्नु काम एटली बधी नहीं धारेली ते फतेहमंद उतारी शक्या होत नहीं. मंडपर्नु बांधकाम शरु थवा साधेज वरसादना दिवसोने लईने अमने तथा कॉन्ट्रोक्टरने जे अगवड खमवी पडी हती तथा कंटाळो उपज्यो हतो ते घणोज हतो; पण परम कृपाळु वीतराग भगवान्नी कृपाथी कॉन्फरन्सना कामकाज वखते वरसाद तद्दनज बंध पडी जई मुद्दल खलेल थई हती नहीं, ते पण एक धर्मना काममां धर्मनो प्रभाव खरो पड्यो तेम समजीए छीए. वळी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११२ ) आ तके जे वॉलंटियरोए मंडपना काममां तथा दरवाजाउपर मदद कीधी, तेओ सर्वेनो अमे बहु आभार मानीए छीए. बन्ळी देरेक बखते अमारा प्रत्ये शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. तथा शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी.ए पोतानी मायाळु वर्तणुक तथा किंमती सलाहथी अमने जे आभारी कीधा हता, ते माटे पण तेओ साहेबोनो आ तके खास उपकार मानीए छीए. हवे अमारो रीपोर्ट पुरो करतां तमो साहेवनी नजरमां अमारी कांईपण भुलथी दोष अविनय थयो होय, तथा अमारा काम प्रत्ये कंई समजफेरथी भुलथाप थई होय ते माटे आप माहेब पासे क्षमा चाहीए छीए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat टी. सेबको, छोटालाल प्रेमजी, देवकरण मुळजी, ऑनररी सेक्रेटरीओ, मंडप कमीटी www.umaragyanbhandar.com Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११३ ) पुरवणी [ ओ]. बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन कमीटीनो हिसाब अने सरवैयुं. १६५०८-०-० श्रीफंड खाते जमा. १०३-२-८ श्री गाडीभाडाना आप्या. कॉ५४९१-०-० श्रीमंडपनी टीकीटोना वे न्फरन्सना प्रेसीडेंट,सेक्रेटरीओ चाण खाते. तथारीसेप्शन कमीटीनासेक्रे१८-०-० डेलीगेटोनी टीकीट खाते टरीओ तथा नोकरो तथा बहार गामना डेलीगेटोना गाडीभाडा जमे. तथा ट्राम खर्चना. ११९-८-० शेठ फकीरचंद प्रेमचंदना .. - खाते जमे. . ४५-६-० तार खरचमा आप्या. २००-५-६ जैन कॉन्फरन्सनी ऑफीस १६१-१२-३ श्री स्टेशनरी खाते आप्या.काखाते जमे. गळ, कलम, शाही, चोपडीओ २२३३६-१३-६ विगेरे खर्चना. १८०-९-३ श्रीपोस्ट खर्च खाते आप्या. ९४३-१-० श्री छपामणी तथा जाहेरखब रना खर्चमां आप्या हा. मी. मोहनलाल पुंजाभाई. (२६-०-५ नोकरोना पगारमा आल्या. ६३-१४-६ नोकरोना युनिफॉर्मना खर्चमां आप्या. ३०४-१४-११ भोजन खर्चमा आप्या. हा. मी. मोहनलाल हेमचंद. ७२७-१२-६ श्री परचुरण खर्चमा आप्या. दीवाबत्ती, नोकरो तथा ओ नररी स्टाफनु परचुरण खर्च. १०२००-११-०सीटी इम्प्रूवमेंट बोन्ड खाते. सीटी इम्प्रुवमेंट बोन्ड नं. १० रु. १००००) ना, दरेक रु. १०००) नो, नंबर ५५०, ५५१, १५२, ५५३, ५५४, ५५५, ६५९, ६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११४) ६०, ६६१ अने ६६२, शेठ वीरचंद दीपचंद, शेठ फकीरचंद प्रेमचंद तथा शेठ हाराचंद मोतीचंदना नामना खरीद कर्या तेना. ( उपलां बोन्ड ट्रेझरर रावसाहेब हीरा चंद मोतीचंदने त्यां छे.) ३४२-९-० श्री वॉलंटियरना खर्चमा आ प्या. वॉलंटियरना युनीफॉर्म तथा परचुरण खर्चना हा.. मी. अमरचंद पी. परमार. १८१५-२-३ श्री उतारा खर्चमां आप्या. ५१६-१४-० चाकलेट, सफेदो, बेलतेल विगेरेना वोरा चांदाभाई राजाभाईनी कुं० ना बीलना रु. ११५). चाकलेट,सफेदो, बेलतेल विगेरेना वोरा अकबरअल्ली महमदअल्लीना बीलना रु. १६१. बेगारी, मजुरी, चुनाना लोखंडनां पीप विगेरेना बीलना शा. वेलचंद सोमचंदन रु. १८६॥ लोखंडना सामानना वोरा ई. ब्राहीम आदमभाइना बीलना रु. २६). काचना परचुरण सामानना बोरा अबदुलअल्ली नुरभाईना बीलना रु. २८). ५१६-१४-० १२-०-० रीपेर खर्चमां आप्या. ८-०-० परचुरण मजुरांना आप्या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११५) ज १४५१-४-० फर्नीचरना भाडाना बीलना मी. दातु हासमने आप्या. कुले रु. १९४४-१०-० खर्च ध्या, तेमांथी रु. १५९-७-९ परचुरण चीजोना वेचाणना वसुल आव्या, ते कापी बाकी रु. १८१५-२-३ उतारा खर्च खातामां आप्या. १८१५-२-३. ५३२२-५-९ श्रीमंडपना खर्च खातामां आप्या ते. ३३-०-० रामोशी चारना दि. २२ ना पगारना. २-१३-० राबीट नाखवा सारं रा खेला बे माणसोने आप्या. ४-७-० पावडा, टोपलीओ तथा परचुरण खर्चमा आप्या. ११०-०-० मंडपनी तपास राखवा माटे माणसो राखेला, तेमना पगारमा आप्या. १९५-२-० हेल, मजुरी तथा पाणी पानार ब्राह्मणो तथा गाडीभाडु विगेरे तथा पर चुरण नोकरोना पगार विगेरे खर्चमां आप्या. ३२००-०-० जोशी आणंदजी नार णजीने मंडप बांधवाना कंट्राक्टना आप्या. खोजा दातु हासमने खुरसीओ, गालीचा, तथा टेबलो तथा कबाटो विगेरेना भाडाना बीलमां आप्या. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११६ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat १३०-०-० लाईटवाळा जमशेदजी मंचेरजीने लाईटना भाडान बीलना आप्या. १-१०-० नेटनो ताको १. ४७३-०-० मेदाननी जग्याना भाडाना आप्या. १३२ - ५-९ मलमलना ता. ८५ लग. व्या तेना आप्या. ५३२२-५-९ ४४० - १५० श्रीभेट खाते आप्या ते उधार. २२३-४-० इंजनेर मी. खंडुभाईने चांदीनो टी-सेट, थाळी, कप, सोसर विगेरे बक्षीस आप्या तेना खर्चना. १७-११-० नोकरोने तथा सीपाईओने फोटोग्राफनी एक एक. कोपी आप तेना खर्चना १००-०-० धी वीक्टोरीआ मेमोरीअल स्कूल फोर धी ब्लाइन्डना फंडमां आप्या. १००-०-० लेडी नोर्थकोट ऑरफनेजनां फंडमां आप्या. ४४०-१५० १०- १३ - ९ श्रीमेळनी घटखातें हा. क्लार्क दीपचंद मकनजी. ६६-११-० मांडी वाळवा पड्या. १५-०-० क्लार्क फूलचंद कानजीना मेळमां घट्या, ते मां डी वाळ्या. मावजी कीरचंद. १० - ० - ० १३-१-९ श्रीमंडप कमीटीना सेक्रेटरी तरफथी हिसाब आव्योनथी. २०-३-० श्रीकोरस्पॉन्डन्स कमीटीना सेक्रेटरी तरफधी हिसाब आव्यो नथी. www.umaragyanbhandar.com Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११७) ८-६-३ श्रीभोजन कमीटीना सेके टरी तरफथी हिसाब आव्यो नथी. ६६-११-० ४८१-०-३ श्रीफर्नीचरखाते उधार. १०-८-. कॉन्फरन्सना नामनां पा टीआं नंग २. १३-८-० खुरसी नंग १६ सादी. २२-६-० खुरसी दा. १,पाकीट नंग २ तथा फानस नंग २. ६-.-. कॉन्फरन्सना नामर्नु पाटी यु १. ११-११-० शेतरंजी नंग ५. १७-१२-० रबरस्टेम्प नंग ३ तथा एक ब्लॉक तथा एक शाहीनी शीशी. ४३-१२-० वावटा तथा पाटीयांनां. १९६-६-३ जर्मन सीलवरना प्याला नंग २० तथा लोखंडनां ताळां नंग १२ तथा बालटी नंग १२ तथा सादडी नंग ५, लोखंडनी घोडी नंग १२, लोखंडना सळीआ नंग २५, तथा चादर नंग २५०, विगेरेना खर्चना. ३८-०-० स्टाईलो प्रेस नंग १. १६-८-. सीपाईओना बकल नंग ४, १२४-९-० परचुरण मानना. ४८१-०-३ २२३३६-१३-६. शा. त्रीभोवनदास भाणजी, शा. कल्याणचंद शोभागचंद, घोडीटरो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीजो भाग. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्स. बीजी वार्षिक बेठक. मुंबई. वीर संवत् २४२९ विक्रम संवत् १९५९ इसवी सन १९०३. प्रथम दिवस. ( गुजराती ) भाद्रपद वदि १३ शनिवार ता. १९ सप्टेंबर. कॉन्फरन्सनुं कामकाज शरु करवा पहेलां श्री जैन मंगळ गायन समाजे मंगळाचरण तथा कॉन्फरन्स, तेना प्रमुख अने डेलीगेटो अंगे नीचे प्रमाणे गायन साज साथे गायां हतां. मंगळाचरण. ___नारायणी-तमोने शंकर-ताल दीपचंदी. नमामि जीनवर पद पंकजे ॥ टेक ॥ पर्म अरहत धर्म कार्य सुकरण सरण ग्रहि प्रभु; पार्श्वनाथ दुहाथ जोडी स्तवि जय मंगळ क-न०॥ विघ्नवारक कमठहारक धरणीधर पद्मावति; शेषनायक देवसाह्यक, रक्षतिर्थ जीनेश्वरी-न०॥ जैन श्वेतांबरी संग समाज आज भली मळी; प्रार्थना परमेश तोरी प्रणमे लळी लळी वळी वळी-न०॥ मन्त्र श्री नवकार महा पद पंच परमेष्टि नमो; कहे टोकरशीह ध्यान धय शुभ रत्न त्रइ हृदये रमो-न० ॥ कॉन्फरन्सना प्रमुख तथा डेलीगेट अंगे. ___ दिंडी-मराठी चाल ताल-दादरो. जैन कॉन्फरन्सनी महा समाजे; महावीर शासने श्रीविजय काजे-जैन. शेठ बद्रीदासजी प्रमुख छाजे: भला छ सुश्राध जैन गृहस्थमा जे-जैन० . देश देशना अनेक गामना जे; श्री समस्त संघना मुखी बिराजे.-जैन. न्यायना सिद्धांते सुनीतिमता जे; दक्ष लक्ष साथ वक्तृत्वे वडा जे-जैन० ज्ञान ध्यान दानना विचारमा जे; दया धर्मनो प्रसार सर्वथा जे-जैन स्वामी भाईनी भलाई भणी दाजे; Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऐक्यताथी ठरावो करो भला जे-जैन. जे समाज भावथी कुसंप भाजे; जैन बंधु कॉन्फरन्सना सखा जे-जैन० विनोने निवारी वार एनी धाजे; जैन शासनना रक्षक देवा जे-जैन० अंग्रेजना स्वतंत्र सामराजे वीतराग अरिहंत धर्म गाजे-जैन० कहे टोकरसींह जयकार हर्ष जाजे जीतना सदैव नाद वाद वाजे-जैन० उपर प्रमाणे संगीत थया पछी रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. ए श्री मुंबईना श्री संघ तरफथी देशनां जुदां जुदां स्थळोए मोकलेली आमंत्रण पत्रिकाओ वांची संभळावी हती. ते पछी बहारगामथी आवेला तारो वांची संभळाव्या हता. आमंत्रण पत्रिका. ॥ नमो तिथ्यस्स ॥ यः संसार निराश लालसमति मुक्त्यर्थमुत्तिष्ठते । यं तीर्थ कथयन्ति पावनतया येनाऽस्ति नाऽन्यःसमः ॥ यस्मै तीर्थपति नमस्यति सतां यस्माच्छुभं जायते । स्फुर्तिर्यस्य परा वसन्ति च गुणा यस्मिन्स संघोऽर्च्यतां ॥१॥ स्वस्ति श्री गोडिपार्श्वजीनं प्रणम्य श्री महाशुभस्थाने पूज्याराध्य, दृढधर्मवान्, सुश्रावक, पुण्य प्रभावक, देवगुरु भक्तिकारक, परमप्रीतिपात्रादि अनेक शुभगुणालंकृत धर्मस्नेही धर्मबंधु भाई श्रीतथा श्री संघ समस्त योग. श्री मुंबई बंदरथी ली. संघ समस्तना जय जीनेंद्र अवधारशो. अत्र श्री देव-गुरु प्रसादे क्षेम-कुशळता वर्ते छे. आप श्रीसंघनी कुशळता चाहिये छीए. विशेष विनंति के चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवाननुं शासन सदा जयवंत छे. ए पवित्र शासन सदा जयवंत वर्ते एम श्रीमन्महावीरस्वामीना उपासको इच्छे छे. तेथी ज्यारे ज्यारे श्री जीन शासनमा व्यवहार के परमार्थ रुपे शीथीलता जणाई छे, त्यारे त्यारे शासनमां अग्रेसर आचार्य प्रमुख सकळ संधे एकत्र थई शासनन महात्म्य जळवाई रहे एवो प्रयास वखतो वखत कर्यो छे. ___ बंधुओ! हाल समयमां पण आपणे एवी रीते एकत्र थई श्री जीन शासननी तेमज आपणी उन्नति अर्थ, यथाशक्ति प्रयास करवो घटे छे. आवा पुण्यकारक प्रयासनी शरुआत गये वर्ष "श्री फलोदीतीर्थोन्नति सभा"ए करी आपणने आभारी कर्या छे. ए वेळाए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) प्रथम जैन कॉन्फरन्स श्री फलोदी तीर्थक्षेत्रे एकत्र थई हती अने ते प्रमाणे बीजी जैन कॉन्फरन्स मळववा अमे.इच्छा राखी छे. ते कॉन्फरन्स चालु वर्षना (भाद्रपद वद १३-१४-०). (ता० १९-२०-२१ सप्टेंबर शनि, रवि, सोमवार ) आ त्रण दिवसोमां अत्रे एकत्र थशे. श्रीमन् भगवान् श्री महावीरस्वामिना उपासको एकत्र थई स्वपरहितना विचार करे एवो प्रसंग दुर्लभ छे. एवो प्रसंग मेळववा अमे आ वेळा उत्कंठित थया छीए, तो आपना तरफी प्रतिनिधीओ ( डेलीगेट्स ) मोकली श्री संघनी भक्ति करवा उत्कंठित थएला अहींना संघने आभारी करशो. मुंबई प्रवृत्तिक्षेत्र छे; तथापि आपणा स्वधर्मी भाईओनो मोटो समुदाय अहीं वसे छे; अत्रे श्री जीनचेत्यांनी यात्रानो लाभ छे. मुनि महाराजोनां दर्शननो पण प्रसंग छे. वळी समस्त हिंदुस्तानना संवना प्रतिनिधीओ अत्रे पधारशे; तेओनां दर्शन-समागमनो लाभ, तेमज आपणे बधा भेगा थई आपने जूदा पत्रमा जणाव्युं छे, तेम जेथी आपणने व्यवहारिक-धार्मिक लाभ थशे, एम आ पवित्र धर्ममेळाथी अनेक लाभ छे. माटे सकळ संघ मेळवी प्रतिनिधीओ चुंटी काढी मोकलवा कृपा करशो. अत्रे आपनी सर्व प्रकारे भक्ति करवा संघ उजमाळ थई रह्यो छे. आपना तरफथी जे भाईयो पधारवाना होय ते क्यारे पधारवाना छे, तथा कोण कोण पधारवाना छे ए वगैरेनी अमने आप आ पत्र मळ्ये एक अठवाडियामां खबर आपवा कृपा करशो. आ कॉन्फरन्स बहु ढूंका वखतमां मळवानी छे, तो आ पत्र मळ्ये अमने प्रत्युत्तर आपी आभारी करशो ने साथेनुं फॉर्म भरीने मोकलशो. आ पत्र संघ समस्त वांचे एम करशोजी. श्री तीर्थकर भगवाने संघने “ नमो तिथ्यस्स" कहीं वंद्यो छे, वखाण्यो छे, एक श्रीसंघ अत्रे भेगो थाय, ते आपण सर्वने बहु आनंदन कारण छे. ली. सकळ संघनी वती, कॉन्फरन्सनी रीसेप्शन ( स्वागत ) कमीटी तरफथी, नम्र सेवको.. वीरचंद दीपचंद ( प्रमुख) फकीरचंद प्रेमचंद ( चीफ सेक्रेटरी ) ना जय जीनेंद्र वांचशोजी -:0: --- Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आमंत्रण पत्रिका वंचाई रह्या पछी आवकार देनारी कमीटीना प्रमुख शेठ वरिचंद दीपचंद सी. आई. ई. ए पुष्कळ ताळीओना हर्षनाद बच्चे उभा थइने पोतानुं नीचे प्रमाणेआवकार देनाएं भाषण वांची संभळाव्युं हतुं. शेठ. वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई.नु भाषण. मिय स्वधर्मी बंधुओ, बहेनो अने सद्गृहस्थो, आजे आ सभा मंडपमा समग्र हिंदुस्ताननी जैन कोमना प्रतिनिधीओने हर्ष भर्यो आवकार आपवानुं काम मुंबईना श्री सकळ संघ तरफथी नीमाएली रीसेप्शन कमीटीना प्रमख तरीके मने सोंपवामां आव्युं छे, तेने माटे हुं मकळ संघनो आ प्रसंगे मोटो उपकार मानुछु. आ महान् कार्य माटे मारा करतां बीजा कोई योग्य नररत्नने लाभ आप्यो होत तो ते वधारे आनंददायक थात छतां; ज्यारे आई मोटुं मान मनेज आपवामां आव्युं छे त्यारे हुं मने मोटो भाग्यशाळी मानुछु आ मेळावडामां मुंबईना श्री संघनी आमंत्रण पत्रिकाने मान आपी दक्षिण, बंगाळ, पंजाब, मारवाड, कच्छ, गुजरात, काठीआवाड आदि विविध स्थळोमांथी आपे प्रतिनिधी तरीके अत्रे पधारवानी तस्दी लीधी छे, तेने माटे आप साहेबोने अत्रेना संघ तरफथी खरा अंतःकरणपूर्वक दीलोजानी भर्यो आवकार आपुं छं. ____बंधुओ, आवा मेळावडा आगळ एक जुदीज पद्धति उपर आपणा जैन तीर्थोमां थता हता अने तेओ संघने नामे ओळखाता हता; ते जमानानां साधनो अने आजनां साधनो जुदा प्रकारनां छे. आजे रेलवे वीगेरेथी बहु सुगमता थई पडी छे अने सुधरेली ढब उपर सभाओ भरवामां साधनो अने रीतरिवाजो आजे उभा थया छे. तेनो लाभ लेवानो आजे जे शुभ प्रसंग मळयो छे ते खरेखर आनंद थवा जेवो छे. जे तीर्थ उपर जात्रा रुपे संघ एकठो थाय छे ते अमुक देशनो अथवा वर्गनो होय छे, पण बंधुओ, जेम एक मोटा दुधना जथामांथी सार रुपे माखण-धी काढवामां आवे छे, ते मुजब आखा हिंदुस्ताननी आपणी जैन वस्तीमांथी जुदां जुदां शेहेरो अने गामोमांथी आप सर्वे चुंटाईने आव्या छो, तो खरं जोतां अहीं बिराजला संख्याबंध प्रतिनिधीओ, जैनोनी पंदर लाख माणसनी वस्तीना प्रतिनिधी तरीके छो. सीत्तेर वर्षनी उमरनो तरुन हूं वद्ध थयो छं तेवे समये आटला मोटा समुदायनो सत्कार करवाने जे अमुल्य लाभ मळ्यो छे ते एवो छे के, तेने मारी आखी जींदगीमां एक मोटामां मोटं मान मळेलुं हुं समजुं छ. राज्य दरबारमां मोटो सत्कार मळे, इलकाबो अने चांदो मळे, सारुं धन अने वैभव मळे, ए आजना समयमा एक मोटो लाभ अने आनंदनो विषय समजवामां आवे छे ; ज्यारे आ पचरंगी पाघडी, फेंटा, कच्छी, पंजाबी, मारवाडी, दक्षणी, अने गुजराती पहेरीने बिराजेला, एक धर्म पाळनारा, आटला मोटा समुदायने आवकार आपकानी साथे तेनो तोल करवामां आवे छे त्यारे आ आनंद कोई दैविकज नजरे आवे छे अने हजार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणो वधी जाय छे. लाखो अने करोडपतिओ थई गया अने चाल्या गया, पण ते धन वडे जेओए धर्म सेवानां मोटां कार्यो कर्या छे तेओनां नामो आजे पण गवायछे. श्री संघने पचीसमो तिर्थकर कहेवामां आवे छे, जेने ( श्री संघने ) श्री अरिहंत जेवा समर्थ पण “ नमो तिथ्थस्स" कही नमे छे तेवा संघनां दर्शन करवानो अने तेमनी भक्ति करवानो वखत घेर बेठे गंगा आव्या जेवो अने ए वडे मोटुं पुन्थ उपार्जन करवानो समय अमोने मळ्यो छे. आप सर्वे भाईओनी धर्मभक्ति जोइने, आप जे परिश्रम वेठीने अने खर्च करीने तमारा अमुल्य वखतना भोगे दुर देशावरथी अत्रे पधार्या छो ते जोइने, आपनी एकसंप थवानी वृत्ति जोइने अने मोटामां मोटो उल्लास अने आनंद जोइने, मारी छाती आ वखते जे उभराई रही छे ते बताववाने मारी पासे कोई शब्दो नथी; पण बंधुओ, आप अत्रे तकलीफ उठावीने पधार्या छो तेने वास्ते फरीथी अत्रेना संघ तरफथी तमो सर्वेने खुशीभर्यो आवकार आपुं छं. आपे आ मंबईना श्री संघने मोटामां मोटुं मान आप्युं छे अने अमारा तरफथी आपनी खातर खरदाश थवामां जे जे खामीओ रही जाय, अने आपने जे जे परिश्रम उठाववो पडे ते सर्वे आप माफ करशो. एक सामान्य कार्य तरफ लक्ष राखवानो आपनो अने अमारो बन्नेनो हेतुछे, ते जोइ दरगुजर करी जे कामो आपणा आगळ करवानां छे तेना उपर लक्ष आपी अमो सर्वेने आभारी करशोजी. हिंदुस्तानना नामदार शहेनशाह सातमा एडवर्डना राज्यनी शीतळ छायामां आपणे आपणो पवित्र धर्म निर्विघ्नपणे आचरी शकीए छीए. प्रतापी ब्रीटीश राज्यना स्थापन थवा साथे धर्मसंकटना दीवसो हवे चाल्या गया छे, आ महान् शहेनशाहत आपण उपर चिरंकाळ तपो अने आपणे आपणो पवित्र धर्म पुरेपुरी रीते जाळवी शकीए, एवी आपण सर्वेनी खरा अंत:करणनी इच्छा छे. गया वर्षे आ समाजनी पहेली बेठक श्री फलोदी तिर्थक्षेत्रे मळी हती, तेमां जे अगत्यना ठरावो पसार करवामां आव्या हता ते प्रगट थयेला होवाथी तेनी महत्वता जागवानी आप साहेबोने तक मळी हशे. नि:स्वार्थपणे उंचा हेतुथी जैन समुदायना एकत्र भेगा थवाथी शुं शुं लाभ थाय छे, ते बाबत आपणा जेपुरनिवासी बंधु शेठ गुलाबचंदजी ढढा बहुज सारं जाणे छे अने तेथी आवा कामना समारंभमां आगळ पडतो भाग लई, रुडो साहस करी, तन मन अने धनना अर्पणे उत्तम लागणी बतावी तेमां जैन भाइओनुं हित समायलं छे एम मानीने अमदावाद मध्ये अग्रेसर जैनोनी एक खास सभा तेमणे मेळवी हती ते वखते मुंबई, वडोदरा, सुरत, भावनगर, भरुच, अने बीजां शेहेरोना जैन आगेवान गृहस्थो पधार्या हता. ए सभा समक्ष कॉन्फरन्स संबंधी विचार करतां ए समाज मुंबईमां भरवा विचार थयो हतो, अने तेनो अमल थएलो आप सर्वे आजे जुओ छो; ते माटे शेठ गुलाबचंदजी ढहाने एकी साथे धन्यवाद आपवामां मारी साथे आप बधा सामेल थशो, एवी हुं आशा राखं छु. आ साथे आपणी कॉन्फरन्सना बीजा जनरल सेक्रेटरी शेठ लालभाई दलपतभाई के जेओ अमदावादना सुप्रसिद्ध नगरशेठना कुटुंबना छे, अने जेओ आपणी जैनकोममा अग्रेसर गणाती शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीना प्रमुख छे, अने जेओ आ कॉन्फरन्समां घणो आगेवानी अने उत्साहभर्यो भाग लेछे, तेणे करीने तेओ भाईने पण धन्यवाद आपवा आप सर्वे मारी साथे सामेल थशो. आवा उत्साही अने आगेवानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भर्यो भाग लेनारा बने गृहस्थोनी बांहेधरी नीचे आपणी भविष्यनी कॉन्फरन्सो सारी फतेहमंद नीवडे एवी आपणा सर्वेनी खरा अंतःकरणनी इच्छा छे. हालना वीसमी सदीना विशाळ सुधाराना समयमां अनेक प्रकारना सुधारा थता जाय छे, तेनो लाभ जन मंडळ ले छे तेनुं मान आपणी मायाळु अने बळवान ब्रीटीश सरकारने घटे छे. आप साहेबना जाण्यामां छे के हालना समयमां घणे स्थळे महान् सभाओ मळे छे तेमां विविध विषयो उपर विद्वानो विवेचन करे छे, अने ते प्रत्ये मत लेतां विशेष मते ठरावो पसार थाय छे ते ठरावो संघना लाभना अने हितना अर्थे करायछ तेवा ठरावो करी तेओ बेशी रहेता नथी पण तेनो अमल करवाने बनतो प्रयास करे छे. ते वडे भविष्यना सुखनो संगीन पायो रचाय छे, ते वडे परम सुखनु साधन समजाय छे, घणी कोमो आवी रीते एकत्र थई पोतानुं हित जाळववानो प्रयास करवानो दावो धरावे छे; तेवाज व्यवहारे जैन कोमे स्वधर्मी बंधुओना हित माटे कंईपण योजनाओ करवी जोइए, एम मानीने पण आ मेळावडो अत्रे भरवानो विचार राख्यो छे. बंधुओ, आ प्रसंगे आपणे घj घणुं विचारवानुं छे; ते अगत्यनी बाबतो उपर हवे टुंकमां इसारो करवानी आप समक्ष रजा लडं छु. कॉन्फरन्स अथवा महान् सभानो हेतु एक संप थवानो छे. आपणे एक संप थई रणसंग्राममां जइ युद्ध करवानुं नथी. आपणे संप करीने कांई राज्य लेवू नथी पण एक दीलथी संप करीने आपणुं अने आपणा जैन भाई ओनुं भलं करवानो छे; पवित्र जैन धर्मनी उन्नति करवानो छे; ज्ञानभंडार तथा तीर्थोनुं रक्षण करवानो छे. धर्मना पवित्र नामने आपणा सद्वर्तनधी दीपाववानो छे; टुंकमां जेथी आपणु आ भव तथा परभवन हित थाय, जेथी आपणने मळेला अमुल्य मनुष्य देहर्नु सार्थक थाय तेवी योजना रची तेने अमलमां लाववानो छे. संप वस्तु घणी बळवान छे ते वडे मनुष्यो उत्तम प्रकारनां कार्यो करी शक्या छे; ते ऐतिहासिक प्रमाणसिद्ध वात छे, जे आप पण कबुल करशो के संपथी धारेला कार्यनो सर्वथा जय थाय छे माटे मारा बंधुओ, आपणे संप साथे जोडाई तेने वळगी रही चालीशं तो आपणां धारेलां कार्यो फतेहमंद थशे, अने तेथी आपणने तथा आपगी हवे पछीनी प्रजाने मोटो लाभ थशे. श्री वीरपरयात्याना शासनमां पांचमा गणधर सुधर्मा स्वामीनुं आ शासन वर्ते छे. तेमनी परंपरामां घणा आचार्यो थया छे, तेमां श्री भद्रवाह स्वामीजी जेओ सिद्धांतोउपर नियुक्तिना कर्ता छे, उमवाराती वाचकजी जेओ तत्त्वार्थ विगेरे ग्रंथोना कर्ता छ, श्री विक्रमादित्यना वखतमां श्री समितितकादि ग्रंथना कर्ता श्री सिद्धमेन दिवाकर सरि थयेला छ, श्री हरिभद्र सुरिजी जेओ चौदसो चुंमाळीस ग्रंथोना कर्ता छ, तथा श्री हेमचंद्राचार्यजी, श्री हीरविजय सुरि, उपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी विगेरेए अनेक ग्रंथोनी रचना करी छे, जे हाल मोजुद छ,-एकला हेमचंद्राचार्यजीए त्रण करोड श्लोकनी रचना करी छे. जैन शासनमा व्याकरण, कोश, काव्य, छंद, अलंकार, नीति, न्याय, निमित्त अने वैदक उपर उंचा प्रकारना ग्रंथो लखाएला छे. तेवा ग्रंथोनुं अध्ययन थ, तो रह्यं, पण तेओन दर्शन पण घणुं मुइकेल थई पडयुं छे ए घणीज अफसोसनी वात छे. आचार्योए पडतो काळ जोइने केटलेक स्थानके मोटा भंडारो स्थापी सर्व ग्रंथोनी शुद्ध प्रत्तोने ताडपत्र Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऊपर लखावी संग्रह कराव्यो छे, आवा मोटा भंडारो पण आपणा प्रमादथी नजरे देखाता नथी. अने हवे जे थोडा ग्रंथो आपणी पासे छेतेने माटे महा प्रयास करवानी जरूर छे. हजु पण जे ग्रंथो के ते देशकाळ प्रमाणे घणा छे अने तेओनी जाळवणी माटे बहु सारी महेनत लेवानी जरूर छे. तेमज तेवा ग्रंथोने प्रसिद्धिमा लाववानी आवश्यकता छे अने तेथी करीने आपणी हयाती खातर-आपणुं नामनिशान रहेवा खातर पण आ प्राचीन ग्रंथोनो उद्धार करवानी बहुज जरूर छे-एने माटे जेटलं कहेवामां आवे तेटलुं थोडुं छे अने आ सवाल दधारे अगत्यनो होवाथी आपना ऊपर वारंवार ठसाववानी जरूर रहे छे. बंधुओ, आ बाबतमां प्रमाद करीशुं तो भविष्यमां मोटी नुकशानी थशे, माटे जेम बने तेम जलदी प्रयास करी आपणा ग्रंथोनो बचाव सत्वर थवो जोइए. जैन शासनमां अचळ कीर्ति स्थापी सकळ दुनियाने आश्चर्यमां गरकाव करनार अने अनर्गळ दोलतने एक साथे खरचनार संप्रति राजा कुमारपाळ विगैरे महाराजाओ आबुपवर्तने दुनियानी अजायबीनुं स्थळ बनावनार विमळशाह, तेमज वस्तुपाळ तेजपाळ विगैरे मंत्रीश्वरोराणकपुरमां उंचा प्रकारनी कारीगीरीनो नादर नमुनो योजनार धनाशा अने शत्रुजय उपर अढळक द्रव्य खरचनार जावडशा बाहाड मंत्री तथा करमाशा विगेरे धन्यवान व्यापारीओनां नामो जैन कोममां मशहुर छे. तेओए तीर्थकर माहाराजनी भव्य प्रतिमाओने आकाश साथै वात करे तेवां महान् मंदीरोमां स्थापन करीने अनेक भव्य प्राणीओ उपर अवर्णनीय उपकार कीधो छे. ए मंदीरो जोइने युरोपना शील्पशास्त्रीओ विचारमां पडी जाय छे अने जैन कोमने अंतःकरणथी मान आपे छे. आवां महान् मंदीरोनो वारसो आपणने महा पुन्यना उदयथी मळयो छे; परंतु बंधुओ, दीलगीरी भरेलु ए छे जे, ए वारसाने आपणे जाळवी शक्या नथी अथवा वधारे स्पष्टरीते बोलीए तो आपणे जाळववा जोइए, तेवो यत्न कयों नथी. कळीकाळ सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचंद्राचार्यजी पोताना योगशास्त्रमा स्पष्ट रीत लखे छ के नवा देरासर बंधाववा करतां जीर्ण देरासरनी मरामत अने उद्धार करवामां आठ गणो वधारे लाभ पुण्यबंध छे. अत्यारे ३६००० देरासरो जुदे जुदे स्थानके छे अने तेओनी जाळवणी माटे महा प्रयास करवानी बहुज जरूर छे. ज्यारे मारवाड, बंगाळ, विगेरेमां आवेलां भव्य देरासरोनी स्थिति नजरे जोवामां आवे छे त्यारे अत्यंत खेद साथे आपणे निसासो मुकवो पडे छे के आपणे पुर्वजोनुं देवं आपी शक्या नथी. पांचमा आरामां ज्ञान-दर्शन अने चारित्र ए त्रणे आपणने आधारभूत छे, अने तेथी तेने माटे जे कंई करवू जोईए, ते सर्व प्रकारनो स्वार्पण करीने करवानी प्रत्येक जैननी प्रथम फरज छे. महान् आचार्यों वारंवार कही गया छे के सात क्षेत्रमा जे क्षेत्र वधारे नवळी स्थितीमां होय ते उपर प्रथम ध्यान आप, ते नियम प्रमाणे पण आपणे लांबी नजर करी आ बाबतमां उतावळे प्रयास करवो जाइए. मनुष्य मात्रे केळवणी लेवी जोईए छे, तेमांज तेना जीवनगें सार्थक समाएलं छे. अगाउ केळवणी लेवाने माटे घणी मुशीबत पडती हती. केळवणी मेळववा माटे देशमा हालना जेवां साधनो नहोता. एवं आपणने इतिहास उपरथी मालुम पडेछे. तेवा वखतमां केळवणी मोघा मुलनी हती तेम छतां केळवणी लेनाराओनी संख्या कंई थोडी न होती-पण काळे करीने तेमां घटाडो थतो गयो, ए घटाडानो डाघ भुसवा माटे नामदार बीटीश सरकारे जोइता सामग्री पुरी पाडी छे. न्यात जातमां तफावत विना सौने एक सरखी केळवणी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपवानी मेहेरबानी कीधी छे. केळवणीना रुडा प्रतापे अत्यारे विविध ज्ञातीओमां उंचा प्रकारनी केळवणीथी उंची डीग्रीओ मेळववाने घणाओ भाग्यशाळी थया छे-केळवणी अत्यारे पश्चिम देशमा घणी खीली नीकळी छे, तेथी ते भूमि अत्यारे उद्योगनी अने एवी बीजी दरेक बाबतमां आगळ पडतो भाग लेती थई छे. आजथी हजार वर्ष उपर इंग्लांड तदन अंधारानी स्थितिमां हतुं. आजथी एक सैका पुर्वे जापाननी पण एज स्थिति हती. कोलंबसे अमेरिका शोधे आजे लगभग चारसें वर्ष थयां छे, ते पूर्व अने ते पछीना थोडा वखत सुधी पण ए देश एवी स्थितिमा हतो; ज्यारे आ भारत देश सुधारानी अणी उपर हतुं, छतां हाल ए पुर्वे कहेला पश्चिम देशो उद्योगादिमां, शरीर संपत्तिमां, कळा कौशल्यमां, अग्रेसर भाग भोगवे छे, ते केळवणीना प्रचारने आभारी छे. जैन कोममां जमानाना बरनी जेटली केळवणीनो प्रसार थयो जोईए तेटलो थयो नथी. जैन कोममां बीन केळवायलो भाग घणो छे. ए वात घणी दीलगीरी भरेली छे. ते खामी दुर थवानी बहु अगत्य छे. आपणे केळवणीनो बहु प्रचार करखो घटे छे, तेने संगीन पाया उपर लाववा नाणानी बहु अगत्य छे. जैन कोममां श्रीमंतो छ, तेओ पोतानी पुंजीमांथी शक्ति मुजब रकम आपशे तो घणा जैन भाईओ केळवणीनां मीठां फळ चाखी आपणने उपयोगी थई पडशे-अत्रे जणाववानी जरूर छे के आखा हिंदमां समग्र वस्ती चोत्रीस करोड माणसनी छे. तेमां पारसीओनी नेवं हजारनी वस्ती छे. आटली नानी वस्तीमां केळवणीनो प्रचार घणो होवाथी ए कोम पैसेटके मातबर छे. वेपार, उद्योग, कळाकौशल्य अने राजकाजमां ए कोम आगळ पडतो भाग लेछे, ते कोमनी अंदर घणा धनाढ्य गृहस्थो हाल मालुम पडे छे, ए बधु केळवणीने आभारी छे. आपणामां पण केटलाक नररत्नो छे. मरहुम बाबु पनालाल पुनमचंदना नामथी दरेक जैन भाई जाणीता छे. ए सखी गृहस्थे रुपीआ आठ लाखनी एक बादशाही रकम जैन भाईओने केळवणी अने जैन धर्मनी उन्नति अर्थे भेट करी छे. ए आपणने ओछु हरखावनाएं अने उपकार- कारण नथी. बाल्यावस्थाथी व्यवहारिक केळवणी आपवामां आवे तो परिणामे नररत्नो नीकळी आवे, अने तेथी केळवणी पामेलो माणस धर्मनुं रहस्य बराबर समजे, ते घणुं आनंददायक मालुम पडशे. हालमां पाठशाळाओ, विद्याशाळाओ विगेरे घणे स्थाने स्थापवामां आवी छे अने त्यां धार्मिक केळवणी आपवामां आवे छे. वळी बनारसमां मुनी धर्म विजयजीना प्रयासथी संस्कृत पाठशाळा स्थापवामां आवी छे. ए सर्वे स्तुतिपात्र प्रयास छे. आवां खातांओने निभाववा माटे श्रीमंतोए सारी मदद आपवी जोइए. आ देशमा उद्योग जोईती हालतमां नथी तेने सारी स्थितिमां लाववाने घणी अगत्य छे, उद्योग सिवायनी कंगाळ स्थितिमा घणां माणसो पोतानी जींदगीमां पेटर्नु पुरं करी शके नहीं, तेवा लोको मागीने के कोईनी कृपाथी पोतानुं गुजरान चलावी शके छे, तेमां तेनुं अने तेनी प्रजानुं कई भलु थई शके नहीं. पोताना स्वधर्मी भाईओ भीख मागीने के एवा बीजा कंगाळ रस्ते गुजारो करे ए श्रीमंत जैनोने सारं लगाडनारुं नथी, माटे श्रीमंत भाईओनी फरज छे के पोताना एवा निराश्रित स्वधर्मीओने उद्योगमा लगाडी तेने गुजराननां साधनो पुरां पाडवां. उद्योग अने हुन्नर वगरनो वर्ग घणो मोहोटो जैनोमां जोवामां आवे छे. तेवो वर्ग अत्यारे पोतनुं गुजरान चलावी शकवाना संकटमां रोळायछे. तेवा वखतमां तेमनी दया आवे, परंतु बंधुओ, आपणे दया खाईने बेशी रहेQ जोईतुं नथी, आपणे तेओने माटे काईक पण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) संगीन काम करवू जोईए छ. हाल काळ कांईक कांईक विलक्षण रुप पकडतो जाय छे-सात सात वर्ष थयां मरकीनी आफत आवी पडीछे-ते साथे उपराउपरी दुकाळनुं जबरं वादळ आवी पड्युं छेतेनी असर आपणा जैन भाईओने थई छे. तेमां पण साधन रहित आपणा जैन बंधुओ बहु अधम स्थितिए पहोंच्या छे. आवक करतां खर्चनो बोजो विशेष थई गयो छ. एवा वखतमा उद्योग विनाना माणसने पोतानो काळ काढवो कठण थई पडे छे. कोई दया लावी तेओने पेट पुरतुं खावानी मदद आपे तो ते ठीक छ, पण तेथी तेनुं कांई सर्वथा भलु थाय नहीं. खाय पीए अने रखडे एथी तेनुं अने प्रजान कांई कल्याण थशे नहीं. तेवा लोकोने उद्योगे वळगाडवानी खास जरुर छे. श्रीमंत अने शक्तिवाळा गृहस्थोए तेमने उद्योगे चढाववानी योजनाओ योजवी जोईए छे. आपणा देशमा उद्योग हुन्नर- बोहोळु क्षेत्र छतां तेनी शोध करवामां अने तेने हम्तिमा लाववाने, ज्यां मुधी खंत राखवामां न आवे त्यां सुधी हुन्नर उद्योग कटाशे; माटे तेने सतेज करवा पाछळ आपणे श्रम लई जोईती सामग्री पुरी पाडवी घटे छे. जैनोमां उद्योगने चाहनारा अने हन्नरने उत्तेजन आपनारा गृहस्थो छे अने मोटो भाग वेपारी वर्गनो छे, तो तेवा गृहस्थो गरीब जैनोने उद्योगे लगाडशे एवी आपणे आशा राखी\ अहिंसा परमो धर्मः-ए जैन धर्मनो प्रथम सिद्धांत छे. दया ए जैन धर्मनो प्रथम पायो छे. मुगां प्राणीयोनो हालना समये बचाव करवानी जरुर छे. उपरनी बधी योजनाओ सारं एक मोटा फंडनी आवश्यकता छे, जे फंडना व्याजमांथी बधां खातांओने मदद थई शके. बीजं आपणा धर्मनां अने शुभ खातांओना अंगे मोटी रकमो घणे ठेकाणे पडी छे. घणा निःस्वार्थ माणसो तेवी बाबतमा ध्यान आपी पोताना वखतना भोगे उपजखरचनो आंकडो तयार राखे छे ते माटे तेओने धन्यवाद घटे छे. परंतु केटलेक ठेकाणे आ बाबतमां गोटाळो. थाय छे. तेवो गोटाळो न थाय ते बाबत योजनाओ करवानी खास जरुर छे. केटलेक ठेकाणे एवां शुभ खातांना हिसाबो बहार पडवा लाग्या छे, तेवी रीत अनुकरण करवा जेवी छे. वळी केटलेक ठेकाणे धर्मादा खातानां फंडो वगर वपराये जेमनां तेम पडयां रहे छे, जे खातानां ते फंडो होय तेज खातामां ते वपराय तेवी रीतनी व्यवस्था करवानी पण जरुर छे. आ बंने कामना माटे एक अनुभवी केळवायला सेक्रेटरीनी खास जरुर छ के जे आवां धर्मने लगतां फंडो उपर देखरेख राखे अने तेनी योग्य व्यवस्था करे. आपणा संसारिक रिवाजो केटलाक एवा छे, के वखतने अनुसरीने तेमां कांईक सुधारो थवानी जरुर छे, जेवा के बाळलग्न कन्याविक्रय, मरण पाछळ करवामां आवतो खर्च विगेरे. बाळलग्न करवाथी छोकरो शरीरे नबळो रहे छे अने तेनाथी थती प्रजा पण नबळी थाय छे. तेनो संसार मुखी थतो नथी अने गुजरानने माटे मुशीबतो पडे छे. तेवीज रीते मरण पाछळ करवामां आवतो जमणवार विगेरेनो खर्च तदन नकामो छे अने तेथी पाछळ रहेनारने दुःखदाई थई पडे छे. आवा केटलाक खराब रिवाजो दुर थाय तेना माटे प्रयास करवानी जरूर छे. वाजूं आपणी जैन कोमने लगती दरेक खबर पुरी पाडवा माटे एक डीरेक्टरीनी खास जरूर छ, तेनी अंदर तीर्थोनो, तेनी अंदरनी प्रतीमानो, पाठशाळानो, साधु साधीनो अने एवी वीजी धर्मने लगती बाबतनो समावेश थई शके. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) __बंधुओ, बोलीने बेशी रहेवानुं नथी, पण जे जे कांई कहेवाय तेने अमलमां मुकवामां आवे तैम थवामां आ मेळावडानुं सार्थक होई, ते केवी रीते अमलमां मुकी शकाय ते बाबत विचार करवाने हुं ईसारो करूं छु. बीजी जैन कॉन्फरन्सनी आजे पहेला दिवसनी बेठक छ, आवो मेळावडो मुंबईमां करवानी जे गोठवण करवामां आवी छे, तथा तेनी पाछळ जे सामग्री पुरी पाडवामां आवी छे, तेमा घणा गृहस्थोए पोतानो धंधो छोडी रात दिवस जात महेनत करी छे, तेवा भाईओनी उमदा लागणीथी आ मेळावडा, काम अमे हार पडेलु मानीये छीये. बंधुओ, मारे कहेवा में टुंकमां कर्तुं छे. आपणे आवी अगत्यनी बाबतोपर, आपणा आ भव तथा परभवना हितनी बाबतो ऊपर, आपणुं अने आपणी भविष्यनी ओलाद- हित थाय तेवी बाबतो ऊपर, आपणी कोम, आपणा देशनु अने परिणामे समग्र जन समुदायतुं हित थाय, तेवी अगत्यनी आ बाबतो ऊपर आपणे विचार करवानो छे, तेवा पुण्यरूप मेळवडामां आपे भाग लीधो छे तेथी फरीने अत्रेना संघ तरफथी आपने हुं हरखभर्यो आवकार आपुं छु. सद्गृहस्थो मुंबईमां अनेक अगवडोने लीधे आपनी सगवडो जाळववी मुस्केल पडे तेम छे, तेथी अमे जे करीये तेने आप "फुल नहीं तो फुलनी षांखडी" प्रमाणे गणशोजी, अने जे जे बाबतमा अमे पछात पडीये ते दर गुजर करशोजी. हवे बंधुओ, आपणा आ महान् मेळवडानुं काम निर्विघ्ने पार पाडे एवा नायक (आपणा प्रमुख ) योग्य रत्ननी चुंटणी करवाने भलामण करूं छु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) प्रमुखनी चुंटणी. दरखास्त करनार - शेठ रतनचंद खीमचंद मोतीचंद - मुंबई. टेको आपनार— नगरशेठ चीपनलाल लालभाई - अमदाबाद. अनुमोदन करनारा - शेठ जेठाभाई नरशी केशवजी - मुंबई. लाला गोपीचंदजी - अंबाला. मी. गुलाबचंदजी ढट्टा - जेपुर. दरखास्त –आ बीजी जैन कॉन्फरन्सना प्रमुख तरीके कलकचावाळा राय बहादुर बद्रीदासजी कालीकादासजीने नीमवा. आवकार आपनारूं भाषण वंचाई रह्या बाद, मुंबईना संवपति शेठ रतनचंद खीमचंद्र मोतीचंदे प्रेसीडेन्टनी चुंटणी करवानी दरखास्त करतां कहयुंके,— 46 भारतवर्षना संवो तरफथी पधारेला गृहस्थो, प्रेक्षक सभ्यजनो अने भगिनीओ— आ जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स, एटले आपणा जैन बंधुओनो समाज अथवा जो पवित्र नामथी ओळखावीए तो भारतवर्षना जैन बंधुओनो संघ, के जेनी स्तुति मोटा मोटा विद्वानो अन महात्माओए स्तोत्रो द्वाराए करेली छे, वळी जेनी सेवा करवाथी आपणे आपणा काममां साफल्य मेळवी शकीये छीए, अने जेने सर्वे वंदेछे, एवा आ आर्यावर्त्तना पवित्र श्वेतांबर जैन संघमां आजे मने वे शब्दो बोलवानो मांगळीक प्रसंग मळ्यो छे, तेने हुं मारा भाग्यो उदय समजुछु. संघना दर्शन मात्रधीज आनंद थाय छे तो पछी आवा संघनी सेवा करवा जने तक मळे तेने खरेखरो पुन्यशाळी समजवानो छे, तो आपणने मुंबईना वासीओने मळेला प्रसंगथी मारो आनंद उभराय एमां शुं आश्चर्य ! धाय ए तो स्पष्ट छे के जे काम एकसंपथी थाय छे तेनुं आयुष्य दीर्घ होय छे, जे छे ते घणुंज मजबूत अने डहापण भरेलुं थायछे अने तेमां आ संघ एकसंपनी मुर्ति छे एम कहीशुं तो ते जरा पण खोटुं नथी. आपणे सर्वे जैन धर्मनी उन्नति करवाने अत्रे मळेला छीये. हवे “इतं सैन्यम् नायक” एटले नायक विनानुं लश्कर नाश पामेछे, तेम आपणे कार्य करवाने एकठा थया छीये तो आपणे कोई सारा प्रौढ विचारना, बाहोश, होशियार, साहसिक, धार्मिक, बुद्धिवान प्रमुखनी जरुर छे; तेवी धर्म अने न्यायमुर्तिने पसंद करी आपणी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना प्रमुख नीमवाने मने स्वागत सभा तरफथी सोंपवामां आव्युं छे, त्यारे आ आपfी बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना प्रमुखनी पदवी कोने आपवी ए सवाल जोवानो छे. जेणे शिखरजी तीर्थना काममां त्यां चरबीनुं कारखानुं यतुं हतुं ते अटकाववा अने बीजा वखतोए पण पोताथी बनती मदद करी यश मेळव्यो हतो, वळी जेणे भगवान् श्री पार्श्वनाथजी स्वामीनुं देवालय शिखरजी उपर बंधाव्युं छे, वळी जे हाल ग्वालियरमां पण तेवांज कार्योमां तन, मन अने धनथी खास मदद करेछे, वळी जेणे कलकत्तामां सारुं जैन देवालय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंधावी पोतानुं नाम अमर कीधुं छे, तेमज जेणे धर्मादा कार्योमा पोतानो हाथ कदापि पण पाछो करेलो नथी एवा, अने जेओ मुंबईमा प्रथम जैन असोसीएशननी स्थापनामां पण मुरबी हता एवा बाहोश, होशीयार, धार्मिक, साहसिक, दयाळु, बुद्धिशाळी कलकत्ता निवासी राय बद्रीदासजी मुक्कीम बहादुरने आ आपणी बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स, प्रमुखस्थान आपवा हुं दरखास्त मुकुर्छ अने आशा राखंछु के, सर्वे जैनभाईओ आ मारा मतने अनुमोदन आपशो, अने आ मारी दरखास्तने ताळीओथी वधावी लेशो. तेओना गुणनी प्रसंशा करवी ए पिष्टपिषण जेवं छे, कारण आखा हिंदुस्तानमा तेओ प्रसिद्ध छे, तेमनां कार्योज तेमना गुणनो चितार आपणा आगळ खडो करेछे अने गुणनां दर्शन करावे छे. तेओए जे जे कामो हाथमां लीधां हतां ते तमाममां तेमणे यश मेळव्यो छे एटलुज नहि परंतु, आपणा जैनबंधुओनी उन्नतिमां दिन प्रतिदिन वधारो करवा जरापण पाछळ पगलुं भयु नथी. हुं आशा राखुंछु के जे कामने माटे आपणे सर्वे जैनबंधुओ अत्रे मळेला छीए ते काममां, आवा धार्मिक साहसिक, दयाळु, बुद्धिवान प्रमुखथी संपूर्ण विजय प्राप्त करवा समर्थ थई शकीशु. बीजा देशोना अने आ देशोना इतिहास जोवाथी आपणा ध्यानमां आवशे के मराठा सैन्य गमे तेटलं बळवान हतुं परंतु, तेमना नायक भाउसाहेब प्रौढ विचारना न होवाथी आखी प्रजानुं नुकशान थई आ देशमां बीजा लोको आव्या. आपणा राज्यकर्त्ता अंग्रेज लोकोमा पण लीबरल पक्षना मूळनायक मी. ग्लेड्स्टन जतां अने तेमने तेवो सारो मुकानी न मळतां घणां वर्षथी ते पक्षनुं प्रबळ घटी गयुं छे. आवी रीते सामाजिक बळ गमे तेवु होय पण तेने बरोबर व्यवस्थामां मुकनार न होय तो धार्यु काम पार पडतुं नथी. पुन्ययोगे आ अवसरे आपणा कार्य करता सेक्रेटरीओनी उलट प्रमाणे तेओना प्रमुख योग्य मळ्या छे अने तेथी हुं आशा राखुर्दा के आप बधा भाईओ मारी सूचनाते अनुमोदन आपशो तो आपणुं धारेलु काम पार पडशे." _ ऊपली दरखास्तने अमदाबादना नगरशेठ चीमनलाल लालभाईए नीचे प्रमाणेना भाषण साथे टेको आप्यो: “सद्गृहस्थो अने बानुओ, __ आजे जे दरखास्तने टेको आपवानुं मने मान मळ्युं छे ते आप सर्वे सारी रीते जाणो छो. बाबु राय बद्रीदासने ओळखाववानी जरूर रहेती नथी. तेओ जैनधर्मना प्रत्येक सवालमां भाग ले छे. जैन कोमनु, जैनधर्मीओनुं अने जैनधर्मनुं भलु केवी रीते थाय ते तेओना जीवननो मोटो उद्देश छे अने ते उद्देशने फळीभूत करवा माटे तेओ पोताना वखतनो, पैसानो अने शरीरनो पण भोग आपवा चूकता नथी. आपणे छेल्लामां छेल्लं तेओनुं काम जोईए त्यारे अति आनंद थाय छे. श्री मक्शीजीनी बाबतमा जे हिम्मत तेओए उठावी छे ते सर्वे जैनीओना हृदयमांथी एके अवाजे आभारनो उद्गार बहार कढावे छे. आ ऊपरांत तेओए समेत शिखरना केसमां पण तेवुज शौर्य वापरी चरबीन कारखानु काढी नखाव्यु हतुं अने हालमां श्री समेत शिखरना तीर्थपरनो आपणो हक स्थापन कराव्यो छे. बंगाळ प्रांतमा तेओए जे आगेवानी भरेलो भाग लीधो छे तेने माटे आपणे खरेखर धन्यवाद आपवो घटे छे. आ ऊपरांत जो तेओना जातिभोग संबंधी विचार जोईए तो तेवा वीर पुरुष आपणामां बहुज थोडा मळी आवशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) ढूंकामा अत्यार मुधी अनेक रीते तेओए पोतानी लायकात बतावी आपी छे. "अति उंच पुण्यनुं फळ अहींज मळे छे" ते नियम प्रमाणे तेओ पुण्यनुं फळ भोगववामां पण पुण्य बांधे छे. आवा सर्वे प्रकारना लायक गृहस्थ आपणी बीजी जैन श्वेतांबर कोन्फरन्सन प्रमुखपद लेवान स्विकारी आपणने आभारी करशे अने सर्वे गहस्थो श्री रतनचंद तरफथी तेओने प्रमुखपद आपवानी विनंति करवा माटेनी दरखास्त एके अवाजे वधावी लेशो एवी हुं आशा राखुं छं. ऊपली दरखास्तना टेकाने शेठ जेठाभाई नरसिंह केशवजीर नाचेप्रमाणे अनुमोदन आप्यु: मानवंता डेलीगेटो, मारा पिय जैनभाईओ अने बाईओ, आपणी सामे आपणा शेठ रतनचंदभाईए जे दरखास्त मूकी छे तेन शेठ चीमनलाल लालभाई टेको आपेलो तेने हुं अतंकरणथी अनुमोदन आपुंछ, राय बहादुर बद्रीदासजींनी आपणा समस्त श्वेतांबर जैन श्रीसंघ प्रत्येनी सेवाओ एटली बधी छे के एवा वीररत्न जैन गृहस्थनी गणना, प्राचीन काळे थयला वस्तुपाळ तेजपाल के जगडुशाह जेवा अनेक मोटा जैन श्रावको साथ हालना देशकाळ अनुसार कंईक दरजे करी शकाय. तन, मन, धनथी आपणां प्राचीन तार्थोना रक्षण माटे तेमणे लीधेलो प्रयास, धर्म प्रत्येनी तेमनी उत्तम श्रद्धा, तेमनी अनुपम नम्रता, सरळपणुं अने सादाई वगेरे गुणोनुं वर्णन करवू, ए सोनाना वासणने गीलीट चडववा जेवू छ, एटले मारे वधारे बोलवानी कांई जरूर पडती नथी. एवा गृहस्थ वर्तमान जनसंघम्नं वीरला छे अने तेमने आजनी आ महान् सभाना प्रमुखस्थाने बिराजवानी आ दरखास्त साथ तमो हर्षनाद साथै एकमत थशोज." ऊपली दरखास्तने अंबालावाळा लाला गोपीचंदजी बी. ए.ए पोतानुं वधु अनुमोदन आप्या बाद जयपुरवाळा मी. गुलाबचंद ढहा एम. ए.ए. ऊपली दरखास्तने अनुमोदन आपतां हिंदी भाषामां जणाव्यु के " आजनो दिवस घणोज आनंदनो छे, कारण के तमो हिंदुस्तानना तमाम प्रतिनिधीओ अत्रे पधार्या छो. कॉन्फरन्सना प्रमुख विषे मारी आगळना चार गृहस्थोए करेला विवेचनने तमोए ताळीओना अवाजोथी वधावी लीधुं छे तो हवे हुं तमोवे विनंति करूं छु के तमो फरी ताळीओना अवाज साथे तेओ साहेबने प्रमुखपदे बिराजवा अरज करशो." __ आ दरखास्तने ताळीओ हर्षनादना पोकारोथी वधाली लेवामां आवतां राय बद्रीदासजी बहादुर प्रमुखस्थाने बीराज्या हता जे वखते एक कुमारीकाए प्रमुख साहेबने फूलनो हार पहेराव्यो हतो. त्यार बाद राय बद्रीदासजी बहादुरे ताळीओना हर्षनाद बच्चे प्रमुखस्थानेथी नीचे प्रमाणेनुं पोतानु भाषण हिंदी भाषामां वांची संभळाव्यु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) प्रमुख साहेब, भाषण. प्रियबंधुओ, प्रतिनिधीओ, मेहरबान साहेबो तथा बहेनो. श्रीसंघसे अरज यह है कि मुजको इस कॉन्फरन्सका सभापति चुननेनी जो कृपा कीहैं इस लिये में आपका कृतज्ञ हूं. में जानता हूं की मुजसेभी अधिक योग्य पुरुष मौजूद होते हुवे आप साहेबोने एकत्र उत्साहसें मुजको इस पदपर नियुक्त किया, इसलिये आपको वारंवार धन्यवाद देके श्रीसंघकी आज्ञा सिर चडाता हूं. और इस महत् कार्यकी सफलता प्राप्त करनेके वास्ते श्री गुरुदेव महाराजसे अंतःकरणसे प्रार्थना करता हूं कि कॉन्फरन्सके सब कार्य निर्विघ्नपणे सिद्ध होवें और जीनशासनकी दिनपरदिन अधिक उन्नति होती रहे. और साधर्मी भाईयोमें यह संपकी वेल जो रोपित हुई हे सो प्रफुल्लितासे फैलती रहे. में अपने इस छोटेसे भाषणके आरंभमें परमेष्टिका स्मरण करके मंगलाचरण करता हूं.. मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमप्रभुः। मंगलं स्थूल भद्राद्याः जैन धर्मोस्तु मंगलं ॥ भाईओ! अपना जैन धर्म सनातन, अत्यंत पवित्र और अनादिसे चला आता है. इस भरतक्षेत्रमें हरेक ऊत्सर्पिणी अवसर्पिणीमें चोवीश चोवीश तीर्थकर होते हैं. इस वर्तमान अव. सर्पिणीमें असंख्यात वर्ष पहेले श्रीऋषभदेव भगवान हुये है. उन्होंने सर्व प्रकराके धर्म और व्यवहारादि बताये हैं. तबहीसें बराबर धर्म प्रवृत्ति चली आती है. वर्तमान समयमें चरम तीर्थकर श्री वीर परमात्माका शासन है. वो सर्वज्ञ परमात्मा अज्ञान, मिथ्यात्व, अविरति, राग, द्वेष, काम, हास्य, रति, अरति, भय, शोक, दुगंच्छा, निद्रा, दानांतराय, लाभांतराय, भोगांतराय, उपभोगांतराय और वीर्यातराय, यह अठराह दोषोसें रहित थे और शुद्ध सच्चिदानंद परमात्म स्वरूप थे. देवका स्वरूप. जितने प्रकारके दोष मनुष्यप्राणी मात्रमें देखे जाते हैं उनमें से इनमें लेशमात्र भी नहीं था. उन शुद्ध देवमें ज्ञानातिशय, वचनातिशय, पूजातिशय और अपायापगमातिशय आदि चार अतिशय और आठ प्रातिहार्य ये बारह गुण असाधारण रूपसे विद्यमान थे. ज्ञानातिशयके होनेसे वो सकल लोकालोकके जीवाजीवादिक समग्र पदार्थके भूत, भविष्यत् और वर्तमान समयके वाच्य और अवाच्य सब भावोंके वेत्ता थे. वचनातिशयके होनेसे उनकी वाणी स्वश्लाघ्य, परनिंदा, और वाणीकै सर्व दोषोंसे रहित और पैंतीस अतिशयसे युक्त थी इतनाही नहीं, बरन अतिशयके प्रभावसे उनके उपदेश सर्व प्राणी अपनी भाषामें समज लेते थे. पूजातिशयके होनेसे इंद्र नरेंद्र सब उनकी पूजा, सेवा, और भक्ति आदि मानपूर्वक करते थे... अपायापगमातिशयके प्रभावसे वे जहां २ बिहार करतेथे वहां २ की भूमिके आसपास सौ २ योजनतक अतिवृष्टि, अनावृष्टि, रोग, उपद्रव आदिका अभाव होजानेसे सब तरहकी शांति रहतीथी. और अनेक प्रकारके दोषोंका अभाव रहनेसे प्राणीके भाव अपायभी नष्ट होतेथे.. ऐसे सर्वज्ञ और शुद्ध परमात्मा अपने जैन धर्ममें देव स्वरूप माने जाते हैं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६ ) गुरूका स्वरूप. जो अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य . और अपरिग्रह ये पांच महाव्रत धारण करते हैं और उनका शुद्ध रूपसे पालन करते हैं, और ईस्से जो प्रतिकुळ पंच अब्रत करते नहीं, दूसरे किसीसे कराते नहीं, और करनेवालेको अनुमोदते नहीं, वे अपने जैन धर्ममें साधू गिने जाते हैं. अनेक भ्रांतिके संकटोंमें पड जाने परभी वे अपने महाब्रतमें किसी तरहका दोष नहीं आने देते हैं, बियालीस दोषोंसे रहित और माधुकरी वृत्तिसे भिक्षा लाकर शरीरके निर्वाहके लिये आहार करते हैं, धर्म साधनके खिलाफ इंद्रियोंके भोगके लिये ये किसी भी प्रकारका संग्रह नहीं करते है, वे रागद्वेषके परिणामसे रहित मध्यस्थ वृत्तिमें रहकर स्वयं मुमुक्षु होने के कारण मोक्षाभिलाषी जीवोंके उपकारके वास्ते सम्यग् ज्ञान, दर्शन, चरित्ररूप अरिहंत परमात्माका निर्माण किया हुआ और कहा हुआ धर्मोंका निरंतर उपदेश करते हैं. ज्योतिषशास्त्र, निमित्तशास्त्र, वैद्यकशास्त्र आदि द्रव्योपार्जन के शास्त्र तथा राज्य प्रपंचके विचार बनाकर धर्ममें विघ्न डालने वाले किसी प्रकार के उपदेश नहीं देते हैं; वे क्षमा, नम्रता, आर्जव, संतोष, तपश्चर्या संयम, अकिंचन, ब्रह्मचर्य, सत्य, और शौच इन दश प्रकार यतिधर्मोका निरंतर यथार्थ रूपसे पालन करते हैं; राजकथा, देशकथा, स्त्री कथा, और भोजन कथा ये चारों बिकथाओं कभी नहीं करते; परंतु अपना सारा समय धर्मकथा और आत्मसाधनहीमें व्यतीत करते हैं; क्षुधा, तृषा, शीत, उष्ण, मान, अपमान आदि वाईस प्रकारके परिषहों को सम्यक् रीतिसे सहन करते हैं, और चारित्र में कोई तरह की बाधा नहीं आने देते है, मनुष्य और तिर्यंचके किये हुए ऊपसर्गौौंको धैर्यसे सहन करते हैं, ऐसे साधुओंको जैनधर्ममें गुरु मानते हैं. धर्मका स्वरूप. श्री सर्वज्ञ भगवान सर्व विरति और देशविरति ये दो प्रकारके धर्म कहे हैं. सर्व विरति जो हैं वह मुनि महाराजका धर्म है. और देशविरति श्रावकों का धर्म है. पांचों इंद्रियों और मनको पुदगलिक स्त्रभाव में न जाने देकर उनको दबावमें रखना, और पांच प्रकारके स्थावर तथा त्रस इन छ प्रकारके जीवोंकी निरंतर रक्षा करना यह बारह प्रकारकी अविरति का त्याग करना यही सर्व विरति धर्म है. शुद्ध देव, गुरु, धर्मकी सम्यक् श्रद्धासहित बारह व्रतोंको पालन करना यह देशविरति धर्म कहा जाता है; स्थूल हिंसाका त्याग यह प्रथम ब्रत, पांच प्रकारके स्थूल असत्यका त्याग यह दूसरा व्रत; चोरी नहीं करना यह तीसरा स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत, अपनी स्त्रीमें संतोषकर परस्त्रीका त्याग यह चौथा स्थूल ब्रह्मचर्य व्रत, धनधान्यादि नव प्रकार के प्ररिग्रहकी इच्छाका परिमान अथवा जितना प्राप्त हो उसीमें संतोष रखना यह पांचवा स्थूल परिग्रह प्रमाण व्रत, दशों दिशाओंमें जाने आनेके प्रमाण यह छठा दिशि परिमाण व्रत, बाईस अभक्ष्य, बत्तीस अनंतकाय तथा रात्रीं भोजनका त्याग और पंद्रह प्रकारके कर्मादानका त्याग यह भोगोपभोगके परिमाण रूप सातवां व्रत, आर्तध्यान, रौद्रध्यान, पापोपदेश, जिससे हिंसा हो ऐसी वस्तु दूसरेको देना, और प्रमादाचरण इनका विरमण व्रत, रागद्वेषररित होकर मध्यस्थ वृत्तिसे सम्यक्ज्ञान, धर्ममें दो घडी स्थिर रहना यह नवमां सामायक व्रत, क्षेत्र मर्यादाका प्रतिबंध कर त्यागरूप आठवां अनर्थदंड दर्शन चारित्रका आराधनरूप Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) दश मुहूर्त पर्यंत धर्माराधन करना यह दसवां देशावकाशिक व्रत, चाया, आठ प्रहर तक आत्म स्वरूप को पुष्टि कर इस तरहसे धर्मका दृढ आराधन करना यह ग्यारहवां पोषधोपवास ब्रत, और पंचमहाबतधारी साधु साध्वीको आहारादिक देना यह बारहवा अतिथि संबिभागबन, इस तरहपर श्रावकोंके बारह ब्रत गिने जाते हैं. इस शिवाय दान, शील, तप और भाव ये चार प्रकारके धर्म भी बीतराग भगवानने कहे हैं. दानके अभयदान, सुपात्रदान, अनुकंपादान, उचितदान, और कीर्तिदान ये पांच प्रकार हैं, नव प्रकारकी गुप्तिसहित ब्रह्मचर्य पालन करना यह शील धर्म, छ प्रकारसे बाह्य और छ प्रकारसे अभ्यंतर इस तरहपर बारह प्रकारसे तपश्चर्या करना यह तप धर्म, और आत्मस्वरूपमें रमण करना यह भाव धर्म, इन चारों प्रकारके धर्मोका सम्यक् प्रकारसे आराधन करनेसे मोक्षपद संपादन होता है. ऐसे शुद्धदेव, शुद्धगुरु, और शुद्ध धर्मका आराधन करना सर्व जैनीमात्रका कर्तव्य है. इसके शिवाय गृहस्थ मनुष्योंको अपना द्रव्य मुमार्गमें खर्च करनेके श्री तीर्थकर भगवानने सात क्षेत्र कहे है; जीन चैतन्य, जीन प्रतिमा, ज्ञान, साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका ये सात क्षेत्र हैं; चरम तीर्थंकर श्री वीर भगवानको मोक्ष पधारे २४२९ वर्ष हुए है. उनके शासनमें उत्तरोत्तर होने वाले आचार्योंने इन सात क्षेत्रोंकी व्यवस्था श्रावकोंसे कराई है. वर्तमान समयमें उनमेंसे कई क्षेत्रोंकी अव्यवस्था दिखाई देती है. किसी क्षेत्रमें खूब धन व्यय किया जाता है, किसीमें बिलकुल नहीं, और किसी क्षेत्रमें द्रव्य व्यय होता है, परंतु रीतिसे नहीं. इसकी योग्य व्यवस्था कीजाय और जरूरतवाले क्षेत्रोंको अधिक पुष्टि मिले, इसवास्ते यह कॉन्फरन्स एकत्रित की गई है. हिंदुस्थानमें जैन श्वेतांबर समुदायमें विद्वान् , बुद्धिमान् , धनवान् महाशय हरेक नगर वा प्राममें जहां २ है वहांके समाजने जिनको प्रतिनिधी चुनकर भेजे है, उनहींका मंडल कॉन्फरन्स है. ___एक आदमी अपनी शक्तिसे सातों क्षेत्रोंका संरक्षण पूरी तौरसें नहीं कर सकता, यह कार्य समुदायसेंही हो सकता है. इसवास्ते इन कॉन्फरन्ससे अनेक लाभ होना संभव है. यरोप और अमेरिका जैसे देशोमें राज्य संबंधी व्यापार संबंधी अनेक कामोके लिये मंडळ एकत्र होते है और वो अपने विचारे हुए विषयमें जय प्राप्त करते हैं. हमारे देशमें उन लोगोंकी तरह उचित काय करनेके लिये यत्न किजाय तो भविष्यत्में हमारे देशके महाजन मंडळभी सुख संतोष: प्राप्त कर सकते हैं ऐसे विचारोंसें संसारिक तथा धार्मिक विषयोंका सुधारनेके लिये इस आर्यावर्तमें हरेक जातके समाज एकत्र होने लगे है. इसी तरह अपने जैन श्वेतांबर बंधुओनें अपने धार्मिक और संसारिक कार्योकी व्यवस्था उत्तम प्रकारसे करनेके लिये और स्थान २ में अपने जातके महामंडल एकत्र करनेके लिये प्रबंध किया है. इसलिये ऐसे महासमाजमें अपने धार्मिक विषयोंके संबंधमें तथा अपने संसारिक विषयोंके संबंधमें चर्चा चलाकर जरूरतके विषयोंके संबंधमें द्रढ ठहराव करके दिनोंदिन अपने लोगोंकी संसारिक और धार्मिक स्थिति उत्तम प्रकारपर होवे ऐसे यत्न करना ही इस कॉन्फरन्सका मुख्य उद्देश है. तदुपरांत जुदे २ नगर और ग्रामोंके विद्वान् , बुद्धिमान् तथाः धनवान् और सद्गुणी मनुष्योंका परस्पर मेल होनेसे आपसमें भ्रातृभाव और संपकी वृद्धि होना संभव है. एक मनुष्य कलकत्तेमें रहता हो और वैसीही स्थितिका दूसरा मनुष्य बंबईमें हो ते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८) ऐसेही साधनोंके द्वारा उनका परस्पर मिलाप होना संभव है. सिरफ इतनाही नहीं बलके अपने २ व्यापार उद्योग आदिमें भी परस्परके विचारके वास्ते इसतरह एकत्रित तथा एक मत होनेसे बडा लाभ पहुंच सकता है; जब तक इस देशमें रेल जैसा जुदे २ स्थानोंमें रहनेवाले लोगोंको एकत्र करनेका साधन नहीं था तबतक विद्वानोंकी बुद्धि तथा धनवानोंकी उदारताका परस्पर लाभ लेनेका मौका नहीं आता था; परंतु जब ऐसा साधन हरेक शहरके लोगोंके एकत्र होनेमें सहाईताभूत हुआ है, तब उस साधनसे लाभ उठाकर अपने जैन समुदायको सब प्रकारसे अपनी उन्नति करनेके साधनोंका योग मिलाना इस समयका मुख्य कर्तव्य है. हमारे जैन समुदायमें धार्मिक उच्चज्ञान प्राप्त करनेवाले मनुष्योंका भाग बहुतही कम है; इसीसे अपने पूर्वाचार्योंने जो २ आज्ञा शास्त्रमें दी है उस माफिक प्रवर्तनेका उद्यमें कम हो जाता है और इससे अकल मंदोंको अफसोस होता है, इसलिये शास्त्रविरुद्ध, लोकविरुद्ध जो २ प्रवत्तियें चलती हों और अज्ञान आदिके कारणसे और योग्य कार्योंके अनादरसे आजकाल नोकारसी विगेरेमें रुपीआ ज्यादा खर्च करते है और जीर्णऊद्धार विगेरे जरूरी कामोंमें कम खर्च करते है ईस कारणसें ईन क्षेत्रोंकी व्यवस्था ठीक नहीं रहेती है. ईसलिये इन सातो क्षेत्रोंमें यथायोग्य द्रव्य खर्च करके ईन सातों क्षेत्रोंको सुधारणेका विचार करना यह कॉन्फरन्सका उद्देश है. इस कॉन्फरन्समें जुदे २ नगरके संघ समुदायके मुख्य गृहस्थ तथा जुदी २ सभाओंके सभासदोंका मिलाप हुआ है; इससे परस्पर अपने २ विचारोंका प्रकाश करनेसे जो २ लाभ प्राप्त होंगे यदि उनकी तरफ दृष्टि दी जायतो ऐसे २ समुदाय एकत्र हुए बिना वैसे लाभोंका प्राप्त होना ही संभव नहीं है. ___यह कहनेसे आप लोगोंको मालूम होगया होगा कि ऐसे कॉन्फरन्स होनेसे अनेक प्रकारके लाभ हैं. कितनेही लोगोंका ऐसा विचार होगा कि इस रीतसे जुदे २ देशोंके लोगोंको एकत्र कर केवल तीन दिनतक भापण करके जुदे २ विचार प्रकट करनमें एक बडी रकम खर्चनी उचित नहीं है; परंतु ऐसे लोग जब दीर्घ दृष्टिसे विचार करेंगे तो उनको विदित हो जायगा कि प्राचीन काळमें भोजराजादिके राज्यमें ऐसा था कि केवळ एक शिक्षाके वाक्य मात्र के लिये धनाढ्य लोग लाखों रुपये व्यय कर देते थे और लाख २ रुपये देकर एक शिक्षा खरीदतेथे. यह बातें हमको पुरानी पुस्तकोंसे मालूम होती हैं जो इस विषयपर ध्यान देकर देखा जाय तो सब जैन समुदायके मुख्य पुरुषोंके लीये जहांपर ऐसे अनेक शिक्षाप्रद वाक्योंका उपदेश मिले उन महालाभोंको देखते हुए एक छोटी रकम व्यय कर देना किचिंत मात्र हे इतनाही नहीं, बरन जो ऐसा विचार करनेवालोंहीके संसारिक व्यवहारकी ओर देखते है तो स्पष्ट जान पडता है कि वेही जन केवल अपनी अल्पस्थायी कीर्ति वा मोजशोखके लिये निरर्थक कामामें हजारों लाखों रुपये खर्च डालते हैं. इस लिये ऐसे विचारवालोंकोभी जब इस समुदायमें भाग लेनेवाले मनुष्योंके विचारसे होनेवाले सुधारोंसे लाभ होता दष्टिगत होगा तो वेहि अपने ऐसे विचारोंको बदल देंगे, इसमें कुछ संदेह नहीं है. इसी हेतु और इन्ही विचारोंसे जैन धर्मके कई मुख्य भाईयोंके मनमें इस कॉन्फरन्सके करनेकी इच्छा हुई है. हमारे प्रसिद्ध नररत्न मि० ढहा ने गतवर्ष फलोदी तीर्थमें प्रथम जैन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९ ) कॉन्फरन्स करनेका यत्न कियाथा और उसकामको पार लगायाथा. तदनंतर इस प्रांत में अहमदाबाद, बंबई, सूरत, भावनगर, आदि नगरोके मुख्य २ लोगोंने अहमदाबादमें एकत्रित होकर दूसरी बार यहां बंबई में कॉन्फरन्स करनेका निश्चय कियाथा. उसी ठहरावके अनुसार हमारे बंबई निवासी जैन भाईयोंने बडे परिश्रम से बहुतसा द्रव्य और समय खर्चकर सब प्रकारकी व्यवस्था की, और हम सब लोगोंको एक बडे समुदायमें यहां एकत्र होनेका अबसर दिया, ऐसी बडी संख्या में आप लोग अपने धर्मकी उन्नति करनेके लिये यहां एकत्र हुए है यह देखकर मुझको अति आनंद होता है. और में आप सब साहेबोकों वन्यबाद देता हूं; मुजको आशा है कि आप सब भाई निरंतर एकमत और एकदिलसें काम करेंगे और परस्परके विचारोंसे जैन धर्मकी जय ध्वजा फरकाते रहेंगे. वीतराग परमात्मा के हम सब सेवक हैं उनकी आज्ञाके अनुसार हमको अपने सब काम करना और उनको सुधारना चाहिये. कोई भी ऐसा कार्य हमको नहीं करना चाहिये जिससे धर्ममें बाधा पडे. हमारी धार्मिक, संसारिक, और औद्योगिक उन्नत्ति के लिये हमको बहुत कार्य करने हैं. जिनमें से इससमय जिन जिनपर विचार करना है उनपर संक्षेपसे, अब विचार करना चाहिये... श्रीवीर परमात्माके शासनमें पांचवें गणधर श्रीसुधर्मास्वामीने प्रभूके मुखसे सुनी हुई आज्ञाओंके अनुसार भव्यजीवोंको जो उपदेश दिया है उस उपदेश रूपी वचनामृतोंका उत्तरोत्तर परंपरासे अध्ययन किया जाताथा. श्रीदेवधार्मिणी क्षमाश्रमणने भगवान् महावीर स्वामी के निर्वाण पीछे ९८० वर्ष अर्थात् विक्रम संवत् ५१० में उनवचनोंको ग्रंथाकार करने का विचार किया. कालानुसार स्मरणशक्ति कम होनेसे परमोपकारी देवार्धिगणि क्षमाश्रमणजीनें शासनकी रक्षा और भव्यजीवों के उपकारके लिये उस समय जो मुनिमंडल विद्यमान था उसको वल्लभीपूर ( वळा, जिल्ला काठीआवाड ) एकत्र कर परमात्मा के वचनामृतरूपी सिद्धांतोकों पुस्तकारूढ किया. इतिहासके अनुसार लगभग आगम एक करोड ग्रंथ लिखे गयेथे इसके उपरांत वीर परमात्माके वचनोंके अनुसार उनके शासन में हुये हुवे चौदह पूर्वधारी श्रीभद्रबाहु स्वामी, श्री उमास्पाती वाचक, श्रीसिद्धसेन दिवाकर, श्री अभयदेवसूरी, श्रीजीनेश्वरसूरी, श्री हरीभद्रसूरी, श्रीजीनभद्रगणी क्षमाश्रमण, श्रीजीन दत्तसूरी, श्रीहेमचंद्राचार्य, श्रीरत्नप्रभासूरी, श्रीमुनि सुंदरसूरी, श्रीहीरविजयसूरी, और श्री यशोविजय उपाध्याय आदि धुरंधर आचार्योंनें अनेक ग्रंथोकी रचना कीहै. ये सब सिद्धांत और ग्रंथोंकी अच्छी तरह रक्षा हो और जनमंडलको उनका निरंतर मिलता रहे इस हेतुसे उस समयके धनवान पुरुषोनें अपनें अनर्गल द्रव्यको व्यय करके अनेक पुस्तक भंडार बन येथें ; कालातिक्रमसै मुसलमानी राज्य होजानेसे कई एक बादशाहोंने आर्याबर्तके धर्मोका नाश करनेकी इच्छा से धर्म के बहुत साधनोंका नाश कर दियाथा. उस समयके बुद्धिशाली पुरुषों ने मुसलमानोंके आक्रमणोंसे बचे बचाये अमूल्य पुस्तकों की रक्षा करनेके लिये गुप्त भंडार बनाये थे और अब जो २ ग्रंथविद्यमान है उनके लिये हम उन पुरुषों के पूरे पूरे कृतज्ञ हैं. इस समय अंग्रजों के शांतिमय राज्य में सर्व धर्मवालको अपने अपने धर्मसंबंधी विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता मिली हुई है. और अबसे जो हम उनकी रक्षा करनेके लिये उचित प्रयत्न करें तो जो अमूल्य पुस्तक अबतक विद्यमान है उनका लाभ हमारी भविष्यत् समाजको मिलना संभव है. ऐसें भंडार, पाटन, जैसलमीर, खंबात आदि स्थानोंमे उस समय जहांपर जैनीप्रजा अधिक होने के कारण बनाये गयेथे, वह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०) कारण अब सर्व धर्मोका संरक्षण करनेवाला ब्रिटिश राज्य होजानेसे नहीं रहे तो भी अब जिन जैन माईयोंके हातमें वे भंडार है वे उनको खोलने नहीं देते है जिससे पुस्तकोंका उनमें पडे पडेही नाश होरहा है. इसका फल यह होता है कि जिन द्रव्यवान पुरुषोंने भविष्यत्की प्रजाका उपकार करनेके लिये जिन ग्रंथोकी रक्षा कीथी उन पुस्तकोंकी रक्षा होने के बदले अब नाश होता है और इसका कारण वे लोग बन रहे हैं. उनका नाश होना, अब किस प्रकारसे रूक सकता है, यह बात सब लोकोंके विचार करनेकी है. पूर्व कालमें ग्रंथ लिखनेवाले कुशल होनेके कारण ताडपत्रादिपर सुंदर अक्षरोंसे शुद्ध ग्रंथ लिखतेथे परंतु, अब वह लिखनेकी प्रणाली देखने में नहीं अत्ती. आज काल तो जो ग्रंथ लिखे जाते है उनका अधिक भाग अशुद्ध रीतिपर लिखा हुआ देखा जाता है, इस समय विद्वान्, साधु महाराजाओंकी संख्या थोडी होनेसे ऐसे अशुद्ध पुस्तकोंको शुद्ध करनेके लिये जितने प्रयासकी आवश्यकता है उतना नहीं होता, इस लिये ऐसे ग्रंथोसे भविष्यत्की समुदायको कई जगहमे लाभ होनेकी अपेक्षा हानि होना संभव है. हालमें ग्रंथ छपवानेका काम आरंभ हुआ है परंतु जो ग्रंथ छपाने योग्य हो उनको अच्छे अक्षरोंमें, उत्तम कागजपर, शुद्धतापूर्वक छपवानेमें किसी तरहकी आशातना नहो इस तरहसे, अपनी आजीविकाके लिये नहीं परंतु उनके संरक्षणके हेतुसे छपाना चाहिये, परंतु जीनप्रतिमाकी छबी तो बीलकुल न छपानी चाहिये. किसी तरहसे शुद्ध लिखे हुए और छपे हुए ग्रंथ जो अभीतक विद्यमान हैं वो एक स्थानपर एकत्र होना चाहिये. ज्ञानही मनुष्यका परमजीवन है, और ज्ञान बिना मनुष्यका जीना बिलकुल अंधकारमय है; शासनकी उन्नति और भव्य जीवोंके तरनेका उपाय ज्ञानही है, इसी लिये पूर्वपुरुषोंने उपकार बुद्धिसे जो अपूर्व ग्रंथोका हमको लाभ दिया है, उनको संपूर्ण रीतिसे रक्षा करना वे में इस कॉन्फरन्सका मुख्य कर्तव्य समजता हुं. जैसे ज्ञान धर्मकी उन्नतिका मुख्य साधन है, वैसही जीनेश्वर भगवानने जो ज्ञानका उपदेश किया है वह जीनेश्वर भगवानकी प्रतिमा और मंदिर धर्मकी उन्नति और प्राणियोंको संसारसागरसे पार लगानेका परम साधन है. क्योंकि हमपर उपदेशामृतका महा उपकार कर जाने वाले परमात्मा तीर्थकर भगवान् अब विद्यमान नहीं है, इस लिये उनकी प्रतिमा बनाकर उनकी भक्ति तन मन धनसे करना हमारा मुख्य कर्तव्य है, और संसारसागरसे पार होने के लिये परम साधन है. लाखों और क्रोडों रुपये खर्च कर जैसे पूर्व समयके धनाढ्य पुरुषोंने जीन मंदिर बनवाये है, वैसेही संप्रति महाराजा, कुमारपाल महाराजा, वस्तुपाल तेजपाल, विमलशाह, जावडशाह, धनाशाह, और कर्माशाह आदि बहुत उपकारी जनोंके अनर्गल द्रव्यके व्ययसे बंधाए हुए मंदिर आजतक हमारे देखनेमें आते है. उनमेंसे कितनेक जैन मंदिरोंका अभाव मुसलमानी राज्यमें होगया और कई स्थानोमें उन मंदिरोंके खंडहर देखनेमें आते है; और तीर्थादि भूमिपर मंदिर अभी जहां २ विद्यमान हैं उनमें कई तो जीर्णप्राय होगये है. कई जैन मंदिरोकी कारीगरी ऐसी उत्तमप्रकारकी है कि पश्चिमी इटाली आदि देशोंके उत्तम कारीगरभी उनको देखकर चकित हो जाते हैं और उनको देखनेके लिये बहुतसे अन्य धर्मी और अंग्रेज भी बारंबार आतेहै. ऐसे पुराने जैन मंदिरोंकी रक्षा करना हमारा खास कर्तव्य है। क्योंकि श्री हेमचंद्राचार्यजीने अपने बनाये दुए योगशास्त्र नामक प्रथमें लिखाहै कि नवीन जैन मंदीर बनानेकी अपेक्षा जीर्ण मंदिरके सुधरानेसे अठगुना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) पुन्यहै. हालमें अनेक स्थानकोंमें पृथ्वी से प्रतिमाजी निकलती है वह अपनी जैनीयोंहीकी स्थापित की हुई है। इसलिये ऐसी जमीनमेसे निकली हुई प्रतिमाओंके हमको तुरत मिलनेकी नामदार गवरमेंटको प्रार्थना करना चाहिये. पूर्व पुरुषोंने हमारे उपकारके लिये अपना असंख्य द्रव्य खर्च करके जो मंदिर बनवाये है और जिनमें अपूर्व प्रतिमाओंकी स्थापना की है, उनकी हमसे यदि रक्षाभी न हो सके तो इसमें हमारी कितनी भूल है यह हमलोगोंको विचारना चाहिये, और आगेके लिये प्रयत्न करना चाहिये; जिस तरहसे जीन प्रतिमा और जीन मंदिरकी रक्षा करना हमको उचित है इसी तरहपर जिस तीर्थभूमिपर शास्त्रविरुद्ध जो जो आशातना होती है उनको निवारण करनेके लिये इस कॉन्फरन्सको प्रयत्न करना चाहिये. संसारमें अपनी उन्नतिके लिये और व्यवहार चलानेके लिये मनुष्यको विद्या सीखनेकी आवश्यकता है; क्योंकि विद्या विना सन्मार्ग नहीं मिलता. विद्या पढानेके लिये प्रथमसे लेकर उच्च शिक्षातक सरकारकी तरफसे पाठशालायें स्थापित है, परंतु उनमें धार्मिक शिक्षा बिलकुल नहीं दी जाती, जिससे वहांपर पढनेवाले बालक और बालिकायें अपने धर्मके आचारविचारका पूरा पूरा खीयाल नहीं रहता है, इस लिये हमको ऐसा यत्न करना चाहिये जिससे अपनी संतान विद्या सीखनेके साथ २ धर्मानुरागी और व्यवहारोपयोगी बन सकें. श्री चिदानंदजी महाराजने अपने एक पदमें लिखाहै कि मनुष्यजन्म सिद्धांतके कथनानुसार बडा दुर्लभ है, इसलिये मनुष्यदेह प्राप्त करके खानपान भोजनमें तथा व्यवहारिक कार्योंमें प्रवृत्त होनेको सच्चा सुख मानें और धार्मिक आचारविचारसे दूर रहैं, तो कवों ( कागडेको ) उडानेके लिये सच्चे मणिरत्नोंको फैंक देनेवालेकी तरह मनुष्यदेहको व्यर्थ खो देना संभव है. इस कारण मनुष्यके लिये व्यवहारिक शिक्षा प्राप्त करनेके साथही धार्मिक शिक्षा लेनाभी अति आवश्यक है; इसके लिये प्रथम ही से अपने मनुष्यदेहकी दुर्लभता, उसमें करने योग्य काम, आदरणीय आचरण. और जानने योग्य तत्वोंको बालक तथा बालिकाओंके कोमल हृदयमें अंकित करनेका यत्न करना चाहिये. इन बातोंकी हमारे जैन समाजमें बडी कमी है. हालमें दो तीन जगे ऐसी पाठशाळा सामान्य तौरपर शरू होगई है, परंतु पुरा धर्मज्ञान मिलनेके लिये संगीन पायेपर चलानेकी आवश्यकता है. हालमें बंबईमें बाबू पन्नालालजीने शुभ कार्यके वास्ते आठ लाख रुपये निकाले हैं, उसमेंसें धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षा साथ देनेके लिये एक स्कूल स्थापन करनेको चार लाख रुपये नियत कीये हैं. इस स्कूलकी नीब डालदी गई है इसही तरहपर हरेक बडे २ नगरमें द्रढ पायेपर स्कूल खुलनेकी आवश्यकता है, और उसको चलानेके लिये नई धार्मिक पुस्तकों ( Text Books ) तयार करना चाहिये. आजकाल दुकाल और महामारीके कारण हमारे बहुतसे जैनभाई दुःखित स्थितिमें आगये हैं, उनको पूरी २ मदद देना हमारा कर्तव्य है. हमारे पास पूर्वके पुण्यसे द्रव्य संपादन करनेकी स्थिति बनी रही हो, अथवा प्रथमसेही द्रव्यसंपत्ति मिली हो, उससे हम तो अपने कुटुंबका भरणपोषण करें और मौज उडावें, और हमारे दुःखीभाई भूखके मारे मरे तो हमसे बढकर निर्दय और कौन हो सकता है. इसलिये इस कामके लिये एक फंड खोल कर ऐसे दुःखी जैन भाईयों और बहनोंको जुदे २ प्रकारसे उनको उद्यममें लगा कर उनकी सहायता कर सकें ऐसा यत्न हमको अवश्य करना चाहिये. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२ ) जैन धर्मका मुख्य सिद्धांत सर्व जीवों की रक्षा करनेका है; सिद्धांत के अनुसारही धर्मके अध्यक्ष लोग ऐसी प्रवृत्ति करते हैं; सर्व जैनीओका खास कर्तव्य है कि सब जीवोंकी यथाशक्ति रक्षा करै, इसी नियमके अनुसार बडे २ नगरोंमें पिंजरापोल स्थापित की हुई हैं, उनमे अच्छी तरेहसें बंदोबस्त होना चाहिये. और जहां २ पर पिंजरापोल नहीं हैं वहां २ पर कलकत्ता, बंबई, अहमदाबाद आदि नगरोंकी तरह पिंजरापोल स्थापित कर खर्च आदिका प्रबंध करना चाहिये. जिन ग्रामोंमें ऐसा यत्न न हो सके वहांपर जैनी भाईयोंको स्वयं पिंजरापोल खोलना चाहिये, और ऐसे सुकर्मोंमें अपना द्रव्य लगाना चाहिये. इसी तरह जीवदया आदिके लिये उपदेश देनेवालोंको योग्य सहायता दे कर इस कार्यकी प्रवृत्ति बढाना चाहिये. मनुष्य जातिकी अवनतिका सबसे बडा कारण हानिकारक रिवाजही हैं. हमारे देशमें बहुतसे हानिकारक रिवाज प्रचलित हो रहे है. मनुष्यके मरजानेपर रोनापीटना, कन्याविक्रय, वृद्धविवाह, बालविवाह, मृत्यु पीछे जिमनवार ( भोजन ), विवाह के समय उडाऊ खर्च, और धर्म विरुद्ध रीतियां तथा क्रिया आदि हानिकारक प्रथाओंसे धार्मिक, शारीरिक, और आर्थिक, अवनति होती है. इस लिये अपने देशके अनुसार ऐसे रिवाजोंको कम करने तथा उनको बिलकुल उठा देनेका यत्न करना हम लोगोंका मुख्य कर्तव्य है. ऐसा करनेसे हालमें होती हुई अवनतिके बदले उन्नति होगी. हम जैनी लोगोंमें साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविकाओंकी संख्या कितनी है इस बा तको जाननेके लिये हमारे पास कोई साधन नहीं है इतनाही नहीं, किंतु हिंदुस्थानके भिन्न भिन्न स्थानोंमें हमारे कितने मंदिर है, और उनमें कितनी प्रतिमा है और तीर्थ कहां २ पर हैं, इसको भी जाननेके लिये कोई संपूर्ण डीरेक्टरी हमारे पास नहीं है, और न पृथकपृथक विद्वानोकें बनाये हुए जैन ग्रंथोंहीकी फहरीस्त है. हम बहुत बातोंसे नावाकिफ है. और इसीलिये बहुत से विचारे हुए कार्योको करनेमें हम लोगोंकु मुश्किल पडती है. इस अभावको दूर करने के निमित्त एक डाईरेक्टरी बनानेका काम सत्वर शुरू करना चाहिये. इसकी बडीही आवश्यकता है, इसलिये यह काम सबसे प्रथम प्रारंभ करने रखे हमको यत्न करना चाहिये. देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य और साधारण द्रव्यसंबंधी जुदे जुदे जहां २ पर हिसाब रखे जाते है वहां २ पर जो अच्छी व्यवस्थासे न रहते हो तो उनमें अवश्य गडबड होना संभव है; इस लिये ऐसे सब खातोंके मुखियाओं को हिसाब जाचनेके लिये कमीटी नियत करने और हिसाब साफ रखनेका यत्न करना चाहिये. इस विषयमें एक बात अधिक ध्यान देनेकी है. वह यह कि और सब खातोंकी अपेक्षा साधारण खातेकी तरफ अधिक ध्यान देना चाहिये, जिससे उस खातेके द्रव्यकी वृद्धि हो, क्योंकि साधारण खाता ही सब खातोंका रक्षक है. उसके कमी रहनेसे ही लोगोंको दोषित बनना पडता है और उसका द्रढ पाया होनेसे सब खातें अच्छी तरहसे चलते है. इन उपर लिखी हुई बातोंके सिवाय बहुतसी ऐसी बातें है कि जिनपर ध्यान देने की हम लोगोंको आवश्यकता है, परंतु सब काम एक साथ नहीं हो सकते इस लिये उन विषयोंके लिये आपका समय नहीं लेना चाहता हूं केवल इतनाही कहना चाहता हूं की इन विचारे हुए कामोंको कैसे करना चाहिये इसका हम लोगोंको विचार करना आवश्यक है. इस विषयमें मेरी यह राय है कि अमुक स्थानमें अमुक कार्य करनेका विचार और व्यवस्था करने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) के लिये हमको एक वर्किंग ऑफिस नियत करना चाहिये. जिसमें आनरेरी सेक्रेटरी सिवाय मासिक तनखाह देकर सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी रखना चाहिये तथा जुदे २ स्थानोंमें ऐसी बेंच ऑफिस खोलना चाहिये, जो अपने अपने इलाकेसें काम करै और हेड ऑफिसको मदद देती रहै. उन ऑफिसोंके साथ एक एक कमीटी भी होना चाहिये, जो अपने वार्षिक कार्योकी रिपोर्ट किया करै और प्रत्येक वर्षे जब महासभा हो तो उसमें सबका हाल पेशहो. इस तरहपर हम जैनीयोंकी धार्मिक तथा संसारिक और आर्थिक उन्नति होनेके लिये जो जो बातें सांक्षप्त रूपसे आपके आगे कहीगई है उनपर अमल करनेके लिये ये सब भाईयोंको तयार होना चाहिये. हम लोगोंका काम केवल व्याख्यान देनाही नहीं है बरन कार्य सिद्ध करना है. पूर्वके पुण्योदयसे मिले हुए द्रव्यको हम संसारिक कार्योंमें केवल कीर्तिहीके लिये अनाप शनाप खर्च करते है, जो वास्तवमें व्यर्थ और क्षणिक है, इस लिये उसको व्यर्थ न उडाकर सुकार्योमें व्यय करना चाहिये. द्रव्यवान् पुरुषोंको अपने द्रव्यका और विद्वानको अपनी विद्याका तन मनसे उपयोग करना चाहिये. जब यह सब एकत्र होकर एकसंपसे ऐसे कार्य करना चाहंगे तो ऐसा काम कोई नहीं है जो हमसे न बन शके. ___ आप सब भाईयोने मेरे इस भाषणको ध्यानपूर्वक सुनाहै इसके लिये में आपको धन्य. बाद देताहूं. आप सब लोगोंको इस स्थानपर एकत्रित देखकर मेरा हृदय हर्षसे भरगया है. हम जैनी भाइयोंकी इस तरहपर निरंतर सभाए हुआ करै, हम लोगोंसे अच्छे २ कार्य हो और हम लोगोंके धर्मकी सदा जयध्वजा फरकती रहै, इस बातके लिये मैं परमात्मासे निवेदन करके अपने भाषणको समाप्त करताहूं. अंतमें इतना और कहना है कि इस सभामें जो २ कार्य करने है उनके विचार करनेको इस सभामें जो भिन्न २ देशोसे प्रतिनिधी पधारे है उनमें से प्रथक २ सर्कलके मुखियाओंकी एक सबजेक्ट कमीटी नियत की जाय. ___ छेवटमें और हम कुल जैन समुदायको हमारी ब्रिटिश गवर्मेन्टका धन्यवाद अदा करना ‘चाहिये के जिसके राज्यमें हम अपने धर्मकार्यको निर्विघ्नताके साथ कर रहे है. इस गवर्मेन्टके छत्रपति शहनशाह एडवर्ड सप्तम और महाराणी अलेक्झेंड्रा संपूर्ण सुखसंपत्तिके साथ चिरकालतक हमारे शिरपर तपते रहें ऐसी हमारी खवाहिश है, और हिंदके वाईसरॉय लार्ड कर्झनको जिनहूंने हिंदुस्थानकी बहबुदी चाही है उसको धन्यवाद देकर इस भाषणको 'खतम करताहूं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीजो दिवस. (गुजराती ) भाद्रपद वदी १४ रविवार ता. २० सप्टेंबर. कॉन्फरन्सना पहेला दिवसे वरसादने लीधे कॉन्फरन्समां भाग लेनाराओने केटलीक हेरानगति भोगववी पडी हती, पण आज रोज मेघराजाए सवारना आठ वाग्याथी उघाड आपवाथी तथा रविवार होवार्थी जैनभाईओने कॉन्फरन्समां भाग लेवाने घणीज सवड थई हती अने तेओ एटली तो मोटी संख्यामां हाजर थया हता के मंडपनी अंदर जग्या नहीं मळवाथी केटलाएकने बहार उभा रहे, पडयुं हतुं. ___कॉन्फरन्सनो मंडप घणोज विशाळ होवाने लीधे प्रमुख साहेबनी बेठकना तख्ता उपस्थी वक्ताओने कॉन्फरन्सना बीजे छेडे बेठेला गृहस्थो बराबर सांभळी शकता नहोता. पहेले दिवसे नडेली आ अगवडथी मंडप कमीटीना अधिकारीओए वक्ताओ तथा श्रोताजनोनी सवड खातर मंडपनी बराबर वच्चोवच वक्ताओने माटे एक खास तख्तो उभो कर्यो हतो जेथी श्रोताजनोने तेमज वक्ताओने घणुंज सवडभरेलु थई पडयुं हतुं. बराबर अग्यार वागे कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब राय बद्रीदासजी बहादुर मंडपमा आवी पहोंच्या हता, जेमने आखी सभाए पोतानी जग्या ऊपरथी उठीने मान आप्यु हतुं, जे मान प्रमुख साहेबे पोताना बंने हाथोथी नमीने हसते चहरे स्विकार्यु हतुं अने स्वागत् कमीटीना सभासदो साथै तख्ता ऊपर जईने पोतानी बेठक लीधी हती. ते प्रमाणे कॉन्फरन्सना स्तंभरूप मि. गुलावचंदजी ढहाने पण जेवा तेओ मंडपमां दाखल थया ते वखते बधी सभाए हर्षनादर्थी वधावी लीधा हता. सभा कार्य बराबर ठरावेला वखते शरू करवामां आव्यु हतुं. वारंवार पाडवामां आवती ताळीओने लीधे कॉन्फरन्सना कामकाजमां हरकत पडती होवाथी वक्ताओ माटे खास उभा करवामां आवेला तख्ता उपर चढीने रा.सा. हीराचंद मोतीचंद झवेरीए सर्वेने संभळाय तेवा मोटा अवाजे जणाव्यु के, आ जैन धर्मसभा छे अने तेथी तेना प्रारंभमां आपणी धर्म रुढी प्रमाणे "श्री जीनेंद्र भगवाननी जय"ना हर्षनाद आववा जोईए. तेने वदले ताळीओना जे वारंवार अवाजो करवामां आवेछे अने जेने लीधे बोलवामां आवतुं कांई संभळातुं नथी, तेथी ताळी न पाडतां " श्री जीनेंद्र भगवाननी जय " बोलशो. आ सुचनाने अनुसरीने श्री जीनेंद्र भगवाननी जय बोलाववामां आवती हती. पहेला दिवसनी माफक श्री जैन मंगळ गायन समाजे नीचे प्रमाणे मंगळाचरण तथा कॉन्करन्सनो हेतु, मि. ढवाने धन्यवाद अने फतेह माटे आशिर्वादरुपी गायन साज साथै गाई संभळाव्यां हतां. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५ ) मंगळाचरण। राग-( अब तोरे प्रभुजी ) सिंहानो कनरो-ताल दीपचंदी. नमन करो जीन पार्श्व प्रभुने; अशरण शरण कृपाळु विभुने-नमन. निरमोही जगनाथ निरंजन; तारक तार संसार सिंधुने-अशरण-नमन. स्मर्ण करो शुभ कार्यारंभे; कहे टोकरशीह मंगळ सौने-अशरण-नमन. कॉन्फरन्सनो हेतु, मि. ढढाने धन्यवाद, अने फतेह माटे आशिर्वाद. राग-(चंगरण रंग मंगळ हुवा अतिघणा) खडका, देशी ताल, जपक. धन्य दिनं आज समाज जीन संघरों, उन्नतिकरण एकत्र मळीयु; धर्म व्यवहार आचार विचारमां, सार शोधी सुधाराए भळीयुं-धन्य. जीर्णोद्धार जीन चैत्य प्राचीनना, ज्ञानभंडारना लाभ लेवा-धन्य. सदविद्या नीति वधवा सुशिक्षण दया, अभयदानादि धर्मो भलेरा-धन्य. स्वामीवात्सल्यताये निराश्रित प्रते, भ्रातृभावे सदाचार पळवा;-धन्य. श्री सुखानंदनी वृद्धि सिद्धि करी, संप साफल्यता शीघ्र मळवा-धन्य. अंग उमंग जीन संघ ढहा खरे, जंग शुभ रंग अति तें जमाव्यु:-धन्य. कुशळ कळ केळवी प्रबळ दळ मेळवी बुद्धि बळ सुयश गुलाब वाव्युं-धन्य. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६ ) पुष्प पमराट ते प्रसयु दश दिश विषे प्रेमनी नेम वत वळगी व्हाले-धन्य. वीर वर धीरथी खंत राखी खरे, नक्की निभावशे भविष्य काळे-धन्य. परम मंगळ थशे धर्म हृदय वसे, जैन कॉन्फरन्स चिर. समय रहेशे;-धन्यदास टोकरशी करे पार्श्व प्रभु प्रार्थना, कहो तथास्तु विजय नाद हरे-धन्य. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७) ठराव १ लो. " आपणां सात क्षेत्र (? जीन बिंब,२ जीन मंदिर, ३ ज्ञान, ४ साधु, ५साध्वी, ६ श्रावक, ७ श्राविका ) मांना दरेक क्षेत्रनी योग्य व्यवस्था थवा माटे एटले के आपणा जैन समुदायनी धार्मिक, सामाजिक अने नैतिक स्थितिनी ऐक्यपूर्वक देशकाळानुसार उन्नति करवा माटे देश देशना जैन संघना तथा मंडळोना प्रतिनिधीओने तथा विद्वान् वक्ताओने आमंत्रण करी समयोचित विवेचन तथा ठरावो करवा सारु आपणी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी पहेली बेठक जयपुरना डिस्ट्रिक मेजीस्ट्रेट आपणा विद्वान् जैन बंधु मी. गुलावचंदजी ढढा. एम. ए. ए बहुज प्रसंशा पात्र प्रयास लई श्री फलोदी तीर्थमां गये वर्ष आज मासमां मेळवी हती; तेथी ते जैन वीररत्न मी. ढढाना आ स्तुतिपात्र प्रयास माटे आ कॉन्फरन्स पोताना खरा अंतःकरणथी तेमने धन्यवाद आपे छे, तथा तेमने मोटा हर्ष साथे वधावी लेछे, अने पहेली कॉन्फरन्सनी बेठकमां ते वखते थयेला कामकाजनी आ कॉन्फरन्स मोटी खुशीथी नोंध ले छे." दरखास्त करनार-राय बद्रीदासजी बहादुर-कलकत्ता. टेको आपनार-वकील मुळचंद नथुभाई-भावनगर. गायन गवाई रह्या पछी प्रमुख साहेब तरफथी उपर प्रमाणे ठराव १ लो सभा समक्ष रजु करवामां आव्यो हतो जे ठराव तेमनी वती तेमना पुत्र बाबु राय कुमारसिंहे वांची बताव्यो हतो. उपरना ठरावने भावनगरवाळा वकील मुळचंद नथुभाईए टेको आप्यो हतो, अने तेम करतां आशा राखी हती के आ ठराव सर्वानुमते पसार करवामां आवशे. ते उपरथी सदई ठराव ताळीओना हर्षनाद बच्चे पसार करवामां आव्यो हतो. . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८ ) ठराव.२ जोः "आपणी उपर राज्य करती जे प्रतापी ब्रिटिश शहेनशाहतना उंचा अने निष्पक्षपात बंधारणने लीधे आपणे आजे शांतिथी आपणुं धर्मकार्य करवा एकत्र मळी शकया छीए ते शहेनशाहतना महाराजाधिराज सातमा एडवर्ड अने महाराणी अलेक्झेन्ड्रा सुखसंपत्ति, शांति तथा विजयने पामे, अने सदैव न्याययुक्त बंधारणो बांधी, तथा देशमां सुलेह-शांति तथा आबादी वधारी ते शहेनशाहतनुं राज्य आपणी ऊपर सदा काळ अमरपणे तपे, एवं आ कॉन्फरन्म आ शुभ प्रसंगे मोटी खुशी साथे इच्छे छे. ( आ बावत संबंधी तार शहेनशाह ऊपर करवो.)" प्रमुखस्थानेथी-राय बद्रीदासजी बहादुर. उपली दरखास्त प्रमुख साहेब तरफथी तेमना पुत्र बाबु राय कुमारसिंहे बांची संभळावी हती. ___ आ वखते मी. अमरचंद पी. परमारे जणाव्यु के "आ दरखास्त गुजराती भाषामा मुकवामां आवीछे परंतु हिंदी भाषा जाणनारा धणा भाईओ अत्रे हाजर छे तेथी हुं सुचना करुंछु के आ दरखास्त मी. गुलाबचंद डा. एम. ए. हिंदी भाषामां रजु करशे. आ ऊपरथी मी. गुलाबचंद ढहाए ऊपरनी दरखास्तनो हिंदी भाषामां तरजुमो करी वांची संभळाव्यो हतो. ताळीओना हर्षनाद बच्चे आ दरखास्त सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२९) ठराव ३ जो. जीर्ण पुस्तकोद्धार बाबत. गुजरात, मारवाड, दक्षिण आदि देशोमां जुदे जुदे स्थळे परमोपकारी महान् पुर्वाचार्योए रचेला शास्त्रग्रंथोना आपणा ज्ञान भंडारो छे, जे दिन प्रतिदिन जीर्णावस्थाने पामता जाय छे तेथी करी ते अनुपम शास्त्रग्रंथोनी थती आशातना दूर करवा माटे तथा तेमनां संरक्षणार्थे १. ते भंडारोना ग्रंथोनी टी. २. तथा तेनो जीर्णोद्धार बनती त्वराए करवानी आवश्यकता आ कॉन्फरन्स स्विकारे छे. दरखास्त करनार-शेठ. कुंवरजी आणंदजी-भावनगर. टेको आपनार--पंडित. फत्तेहचंद कपुरचंद लालन-मुंबई. अनुमोदन आपनार-पंडित. ताताराम-होशीआरपूर-पंजाब. वकील. मगनलाल हरीचदं-पाटण. मी. मोतीलाल कशळचंद शाह-अमदावाद. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) शेठ. कुंवरजी आणंदजीतुं भाषण. शेठ कुंवरजी आणंदजीए ईश्वरस्तुति कर्या बाद जणाव्यु के: मेहेरबान प्रेसीडेन्ट साहेब ! तस्दी लइने अत्रे पधारेला जैनवर्गना आगेवान बंधुओ ! डेलीगेटो! अने बेहेनो! आजे आपणे एक महान कार्य माटे भेळा थया छोए जेने माटे गई कालथी आपणे प्रारंभ करेलो छे. प्रमुख साहेबना भाषण उपरथी आप साहेबाने आपणे भेगा थवाना मुख्य कारणना संबंधमां शुं शुं करवानी आवश्यकता छ तेनुं भान थयेटु छे. अने तेना प्रारंभमां जीर्ण पुस्तकोद्धारना विषयपर चर्चा चलावी, ते संबंधी खास करवा योग्य होय ते करवान. सूचववामां आव्युं छे. ते साथे सब्जेक्ट कमीटी तरफथी प्रारंभना विषयपर मने बोलवान फरमान थयेलं छे. ते उपरथी मारी अल्प बुद्धि प्रमाणे ते संबंधमां आपणे जे कांई करवानी खास आवश्यकता छ, ते समजाववानुं मारुं काम छे. प्रथम तो अनेक देशोथी आवा आपणा जैन वर्गना आगेवान जैनबंधुओने अत्रे पधारला जोई मारुं हृदय हर्षवडे उभराई जाय छे, अने तेथी ते हर्ष बताव्या सिवाय हुं रही शकतो नथी. आवा मेळावडा माटे जे काई खर्च करवामां आवे ते आवा गुणवान, विद्वान्, बुद्धिमान् अने श्रीमान् जैनबंधुओना परस्परना मेळापना, सद्विचारोनी वेहेंचणना अने तेथी ववाता जैनबंधुओना लाभरुप वृक्षना बीजना प्रमाणमां कांई पण गणत्रीमां नथी एम मारु हृदय साक्षी पूरे छे. आशा राखंछु के आप साहेबो पण एक अवाजे ते बाबतमां सारा मतने मळता थशो. हवे मने आपेला विषय उपर हुं जाउंछु. बीजा बधा विषय करतां जीर्ण पुस्तको. द्धारना विषयने अग्रपद आपवामां आव्युं छे, तेनुं कारण ए छे के आ पंचम काळमां आपणे आधार मात्र जीन प्रतिमा अने जीनवाणीनो छे. ते जीनवाणी अनेक शास्त्रोमां अक्षर स्पे बिराजमान थयेली छे. तेना कहेनारा तरीके प्रथम पदे पूज्य श्री तीर्थकर महाराजा छे परंतु स्थापना निक्षेपा तरीके तेमनी प्रतिमाओ सर्वत्र सुलभ्य छे, जेथी सर्वत्र तेमनी भक्ति बनी शके छे. परंतु तेमनी वाणीने मागधी या संस्कृत भाषा रुपे पूर्वाचार्य महाराजाओए सूत्र, पंचांगी, तेमज अनेक ग्रंथो, प्रकरणोने चरित्रोमां गुंथेली छे अने जे वाणी ते तीर्थकर भगवान्ने ओळग्ववाने माटे परम साधनरुप छे, अने तेमना अपरिमित गुणोनुं भान करावनारी छे, ते वाणीने प्रदर्शित करनार अक्षर रुपे लखायेलां शास्त्रो आधुनिक समयमां अलभ्य थई पडयां छ; तथी तेनी शोध करीने तेनुं संरक्षण करवानी प्रथम पदे आवश्यकता आपणे सौ स्विकारीए छाए-तेज कारणथी आ विषयने प्रथम स्थान आपवामां आव्युं छे. हालमां श्री महावीर भगवान्नुं शासन वर्ते छे. तेमना गणवरोए तथा त्यार पछीना महा धुरंधर आचार्योए पण जे सिद्धांतो अने ग्रंथो रचेला छे, ते वांचवा जेटली शक्ति पण हालमां आपणे धरावता नथी. कळीकाळ सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य पोतानी ८४ वर्ष जेटली टुंकी जींदगीमां बीजां अनेक शासनोन्नतिना कार्यो करवा उपरांत साडात्रण क्रोड श्लोकनी रचना करी छे, तेमाथी हाल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३१ ) मात्र बे चार लाख श्लोक जेटला ग्रंथो पण पूरा लभ्य नथी. श्रीमान् हरिभद्रसरि महाराजा के जेमणे १४४४ ग्रंथो रचेला छे तेमांथी अत्यारे पूरा १०० ग्रंथो पण मळी शकता नथी, अने श्री उमास्वाति वाचक महाराजा के जेमणे ५०० ग्रंथो रचेला छे तेमांथी पूरा पांच ग्रंथो पण मळवा मुस्केल जणाय छे एटलुज नहीं, पण श्रीमान् यशोविजयजी उपाध्याय के जेओ सुमारे २०० वर्ष उपरज थई गया छे अने जेमणे न्यायना १०० ग्रंथो बनारसमां रचीने न्याय विशारदन उपनाम मेळवेलं छे, जेमणे ते सिवाय बीजा १०० ग्रंथो रचेला छे तेमांथी अत्यारे अर्धा पण मळी शकता नथी; आ थोडा खेदनी वात नथी. माबाप तरफनो वारसो मेळववाने माटे पुत्र अनेक प्रकारना प्रयास करे छे, तो आपणा धर्मपिता जे तीर्थकर गणधर तथा आचार्य महाराजाओ, तेमणे आपणने आपेलो अमूल्य वारसो के जे पूर्वोक्त वारसाना जेवो विनाशी तेमज अनर्थभूत-वळी इह लोकमांज कार्यसाधक नथी, पण आ लोक तथा. परलोकमां हितनो करनारो, अविश्वर, अने परम ऐश्वर्यभूत छे, तेनी संभाळने माटे, तेना रक्षणने माटे पण आपणे ज्यारे बेदरकार रहीए त्यारे आपणा जेवा कुपुत्र कोण ? आ वात खरेखर विचार करवा योग्य छे अने ते प्रश्न आपणे आपणा आत्मानेज पुछवा योग्य छे. आ. वारसो एटलो बधो अमूल्य छे के तेने माटे जेटलं करीए तेलुं थोडुं छे. हवेना वखतमां एवा. महापुरुषो थवानो संभव नथी, के जे आपणने पूर्वनी खोट पूरी पाडी शके. माटे आपणे गमे तेटला प्रयासे आपणा पुस्तकोरूप अमूल्य वारसाने संभाळी राखवाने तत्पर थ, जोईए. ___ अगाऊ मुसलमानी राज्यकर्ताओना वखतमां आपणी ए अपूर्व दोलत तेओ लूटी न जाय, विनाश करी न नांखे, तेटला माटे तेने एवी रीते गोठवी राखवामां आवती हती के जेनो पत्तो पण तेमने मळी शके नहीं. पण अत्यारे नामदार ब्रीटीश सरकारना इनसाफी राज्यमां सर्व धर्मवाळाओने सर छुटापणुं मळी शके छे, अने धर्म शास्त्रना संबंधमां आपणने बीलकुल फीकरमंद थवानुं कारण नी तेवा वखतमां पण, जो आपणे पूर्वे स्विकारेली रीतिनेज वळगी रहीशुं तो ते रीती हालतो आपणने खास नुकशानकर्ताज नीवडे तेम छे, कारणके: वर्णानां वर्षो सुधी गोंधी राखेलां पुस्तको शरदीना तेमज उधई विगेरे नाभोग थई पडीने तेना रक्षणनो मार्ग उलटो तेना भक्षणरूप थई पडशे. दरेक बाबतमां समयानुकुळ वर्तवं तेज मुज्ञजनोनुं लक्षण होय छे, तो आ समयने अनुकुळपणे वर्तवा माटे आपणे तेवा भंडारो जाहेरमा मुकी, तेवा भंडारोमा रहेलां पुस्तकोने सारा रक्षण साथे सारा पुस्तकालयोमा गोठवी, तेनी टीप. नोध या लीस्ट विस्तार साथे तैयार करावी, सर्वनी जाण माटे छपावीने प्रसिद्ध करवु जोईए. एवा एवा गुप्त भंडारोना तेमज जाहेरमां आवेला भंडारोना जेओ कबजेदार होय छे, तेओनी स्थिति अज्ञानतानी प्रबळताथी एवी थई पडी छे के तेओ तेने सारी स्थितिमां मुकी शकता नथी, अने तेमां रहेला अपूर्व ग्रंथो, जेना लखावनारे तेनो उपयोग करीने अनेक भव्यजीवो पोताना आत्मानो उद्धार करशे एम मानेलं, तेनी मान्यता बाजुपर रहीने तेने केदखानेज राखवामां आवे छे, आ तेओनी भूल आपणे तेमने समजाववी घटे छे. तेओ पोतानी समजण प्रमाणे काम करे छे तेथी तेमां तेमनी एटली भूल नथी, के जेटली आपणे ते भंडारोमा रहेलां अपूर्व पुस्तकोने केवी रीते उपयोगी करवां, विनाशमांथी बचाववां विगेरे जाणता छतां कांई पण न करीए तो तेनी भूल छ; अर्थात् तेमां आपणी भूलज वधारे गणाय तेम छे. आ बाब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३२ ) तमां एक नानुं सरखुं दृष्टांत आपनी पासे कही बतावुं हुं, जे ऊपरथी कोनी भूल गणाय तेनो आप साहेबोने ख्याल आवशे. बधारे एक भरवाडनी पासे एक वाणीआनो एक रुपीओ लेणो हतो. बहु वखत उघराणी कर्या छतां भरवाड तेनो रुपीओ आपतो नहीं. एक वखत उघराणीए आवतां वाणीआनी नजरे एक बकरीना गळामां बांधेलो चकचकित पथ्थर पडयो. वाणीआए बेचार आनामां जो आ पथ्थर आपे तो ते छोकराने रमवा थशे, अथवा तेनुं तोलुं थशे, एम विचारी तेनी मागणी करी. भरवाडे कह्युं के-तमारा रूपीआमां ए पथ्थर लई जाओ पछी मारे कई लवं देवु नहीं. वाणीआए पहेलां तो जीकर करी पण पछी जाण्युं, के अंते ज्यारे आ भरवाड कांई आपतोज नथी त्यारे जे मळ्युं ते खरूं एम धारी, पोताना रूपीआना बदलामां पेलो पथ्थर ते लई आव्यो. पछी दुकाने आवीने विचार्य के आ पथ्थर तोलदार छे, तेथी छोकराने रमतां बागी जशे माटे तेनुं तोलुं करवुं तेज ठीक छे. एम विचारी पोतानां लोढानां तोला साथे त्राज चांमां नांखी सरखाववा लाग्यो. तेवामां एक झवेरी त्यांथी नीकळ्यो, तेणे पेलो पथ्थर हीरो छे एम जाणी पेला वाणीआने कह्युं के आ पथ्थर वेचवो छे ? वाणीआए हा पाडतां, किंमत पुछी, वाणीआए कं एक रुपीओ बेठो छे, अने तेना बे लेवा छे. पेला झवेरीए कांईक ओछु देवानुं कयुं, एटले वाणीआए कांईक चेतीने कां के हवे तो पांच रूपीआ लेवा छे. पेलो झवेरी बे अढी रूपीआ लेवानुं कहेवा लाग्यो, एवामां कोई बीजो झवेरी नीकळ्यो, तेणे पेलो पथ्थर किंमती जाणी लेवा ईच्छा करी, पण एक घराक ऊपर जवुं ठीक नहीं एम जाणी, सामी दुकाने पेला झवेरीनी जवानी राह जोतो बेठो. प्रथमना झवेरीए विचार्य के जरा आधो जईश तो आ वाणीओ ओछामां आपी देशे, एम धारी जरा आधो गयो एटले बीजो झवेरी, जे सामी दुकाने बेठो हतो तेणे आवी वाणीआने पुछ्युं के शुं छे ? वाणीआए कहां के आ बेचवानो छे. ते पेलो शेठीओ बे अढी रुपीए मागेछे, मारे पांच लेवा है. बीजा झवेरीए तरतज पांच रुपीआ रोकडा आप्या, एटले पेले वाणीए पथरो आपी दीघो, अने ते झवेरी जरा पण त्यां न रोकातां रस्ते पडी गयो पहेलो झवेरी दूर गया छतां वाणीआए न बोलावबाथी पाछो वळ्यो, अने पेलो पथरो त्रण रूपीआ सुधी आपवा कयुं, वाणीओ बोल्यो के तम लीधो, लीधो. एतो पांच रुपीए लई गयो ! झवेरीए पुछयुं के - कोण लई गयो ? वाणीआए कह्युं के तमारो झवेरीज लई गयो. पेला झवेरीए कह्युं के अरे मुर्खा ! लाख रुपी आनो हीरो ते पांच रुपीआमां आपी दीधो. वाणीओ बोल्यो के मुर्ख ते तुं, के मुर्ख हुं ? लाख रुपआनी किंमत हुं तो जाणतो नहोतो. मारे तो एक रुपी आना पांच रुपीया ऊपजवाथी में तो आयो पण तुं लाख रुपीआनी किंमत जाणतो हतो छतां, अढी रुपीया अने पांच रूपीआना वांधामां लाखनो हीरो खोयो, माटे खरेखरो मुर्ख तो तुं छे. आ दृष्टांत ऊपरथी आपणे सार लेवानो ए छे के जेओ ए पुस्तक भंडारोना कबजेदार छे तेओ तो तेनुं मूल्यवानपणुं तेमज उपयोगीपणुं खरी रीते जाणता नथी, तेथी ते तो तेने छुपावे अथवा विनाश पामवा दे, पण आपणे तेनुं मूल्य अने उपयोगीपणुं जाणता छतां जो तेने मेळववा तेमज जाळववा माटे पूरतो प्रयत्न न करीए तो खरेखरा आपणे मुर्ख कहेवाइए. माटे ज्यां ज्यां एवा भंडारो होय त्यां त्यां खास माणसोने मोकलीने अथवा जाते जईने तेना कबजेदारोने समजावी, मोटा भाई करी, आजीजी करी, बगसग लगाडी, कोईपण प्रकारे तेमनां पुस्तको बहार कढाववां, तेनी नोंध करावची, नवो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३३) विनाश न थाय तेवी स्थितिमा मुकवां, तात्कालिक विनाश पामवानी स्थितिमा होय तेनी नकलो सारा लहीयाओ पासे करावी सारा पंडितो राखी शुद्ध करावीने, तेने जुदा जुदा भंडारोमां मुकवी; अने खास विशेष उपयोगी होवाथी वधारे नकलोनी जरूरवाळा व्याकरण, काव्य, कोश, अलंकार के न्याय विगेरेना ग्रंथो होय, ते योग्य सावचेतीथी छपाववा. __ छपाववाना संबंधमां जो के बे मत छे, तोपण खास उपयोगी ग्रंथो मूळ, टीका के भाषांतर सहीत खास विद्वान् साधुओनी पासे शुद्ध करावीने अथवा शुद्धतानुं सर्टीफीकेट मेळवीने, सारा टकाऊ कागळ उपर उंची जातनी शाहीथी-गुफ विगैरेनी आशातना न थाय तेवी रीते छपाववामां आवे अने तेने मजबुत बाईडौंगथी बंधाववामां आवे, तो छपाववानी विरुद्ध विचारवाळाओ पण तेमां संमत थई जाय. आ प्रमाणे दरेक जातनो प्रयत्न करवा माटे एक सारा फंडनी आवश्यकता छे, कारणके द्रव्यनी सहाय विना कोई पण काम बनी शकतुं नथी. आवा कार्यमां द्रव्यनो व्यय करवो एज खरेखर लाभकारक छे, माटे हुं आशा रा छं के आपणा श्रीमान् शेठीआओ आ विषय उपर पोतानुं लक्ष आपशे. जो आपणे आ कार्यमां बनतो प्रयत्न छती शक्तिए तन, मन, धनथी करवामां कसुर करीशुं तो आपणने वियोतरायनो बंध पडशे, ए खास ध्यानमा राखवायूँ छे. ते साथे ज्ञानद्रव्य ते खास ज्ञाननिमित्तनुं द्रव्यज नहीं पण तेना मूल्यवान पुस्तको ते पण ज्ञान द्रव्यज छे. तेथी जो तेनो विनाश थतां उपेक्षा करीशुं तो आपणने ज्ञानद्रव्यना भक्षित उपेक्षितरुप दर्शनाचार संबंधी दोष पण लागशे. ____ आ विषयमां कहेवार्नु घणुं छे, परंतु मने टाईम मात्र २० मिनिटनो आपवामां आवेलो होवाथी मने सोंपवामां आवेली दरखास्त आपसाहेब समीपे रजु करी मारुं भाषण समाप्त करवानी परवानगी मागुंछु. पंडित फत्तेहचंद कपुरचंदनुं भाषण. "श्री वीरपरमात्माना पुत्रो, पंडितो, बंधुओ अने बहेनो! आपणे मूळ एकज पिताना पुत्र होवाने लीधे सगा भाई अने बहेनो छीए. बंधुओ! टेको आपवो सहेलो छे. प्रकाशने प्रकाश कहेवो ते बाळक पण कही शकेछे. जैनधर्मप्रकाशने प्रकाश कहेवो ते सहेलो छे. महापुरुषोनुं वंदन जे वाणीमां बोले छे ते वाणीना जीवन उपर आपणे सघळां जीवीए छीए. वाणी हाल परमात्मा छे. वाणी हाल तीर्थकर रुपे बिराजे छे अने तेने नमन करीए छिए. बांधवो! ए वाणीने नमन करीने पूजा करीए छीए, ए वाणीनी पूजा करती वखते उत्तममां उत्तम द्रव्यालंकार चडावीए छीए. आपणे ज्ञाननी भक्ति करीए छीए, पण केवी रीते तेनुं दिग्दर्शन करवू जोईए ?" अत्रे पंडित लालने एक जीर्ण पार्नु देखाडी जणाव्यु के “आ पानानी केवी स्थिति थई छे! प्राचीन पुस्तकोनुं रक्षण थतुं नथी ते करवानी केटली जरुर छे, ते आ उपरथी जणाई आवशे. ___“जीर्ण देरानो कडिया, सुतारथी उद्धार करवामां आवे छे; गरीबोने पैसाथी अने रोगीनो औषधथी करवामां आवे छे; त्यारे तीर्थकरनी वाणीनो जीर्णोद्धार नहीं करवो जोईए ? जो जानवाणीनो नाश थशे तो श्री तीर्थकर सिवाय कोण उद्धार करी शकशे? तेवा उद्धारथी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३४ ) तीर्थकरगोत्र बांधवानुं छे. हजारो वर्ष थयां जीनवाणीनां पुस्तको अंधारामां रहे ए थोड़े दिलगीरी भरेलुं छे ? आपणे हीरा, मोती, झवेरना पारेख छीए; तो शुं कोहीनूर अने मणीरत्न जेवां शास्त्र सारी स्थितिमा राखवा माटे आपणे झवेरीओ नहीं मेळवी शकीए ? एक ज्ञानी श्वासोश्वासमां कर्मनो क्षय करी शके छे, तो ज्ञाननी रक्षा करवी ए आपणी खास फरज छे. दुकाळमाथी बचाववा माटे लाखो रुपिया खरचीए छीए. इंग्लांडे गुलामी धंधो बंध कराववा वीस लाख पौंड अर्थात् त्रण करोड रुपिया खरच्या छे. तो भवोभवनी गुलामगीरीमांथी आपणने छोडाववा माटे तीर्थकरनी वाणी छे, तेज आपणुं खरं द्रव्य छै; तो तेनी संभाळ माटे शा माटे उद्यमवंत नहि थ, जोईए ? पाटणथी मुनी महाराज कांतिविजयजी तथा पंडित श्री हंसविजयजीए जे जीर्ण पुस्तको मोकलेलां छे ते उपर ध्यान आपq जोइए. ज्यारे हुं चोकागो हतो त्यारे त्यांनी न्युनेरी लायब्रेरीमा पुस्तको जे स्थितिमां में जोयां तेथी हुं घणो विस्मय पाम्यो हतो. ___आपणे अत्रे कागळ उपर पुस्तको लखावीने ते ऊपर किंमती पुठां रूपा अने सोनानां चढावीए छीए; ज्यारे चीकागोनी न्युनेरी लायब्रेरीमा एकठां करेलां पुस्तको जे छ आंगळ लांबां अने त्रण आंगळ पहोळां हतां, ते तांबानां तथा रूपानां पत्रां उपर लखायलां अने ते ऊपर साटीननां कवर हतां. ___ अहीं ज्ञानपंचमीने दिवसे ज्ञाननां पुस्तको ऊपर किंमती पाठां पुठियां चडावबामां आवे छे, माटे न्युब्रेरी लायब्रेरीनो दाखलो लेयो जोईए छे. जे पुस्तकोथी मनुष्यभवनुं सार्थक थाय छे तेनो जीर्णोद्धार करवानी केटली आवश्यकता छे ते आ ऊपरथी जणाई आवशे. जेसलमेर, पाटण, अमदावाद, खंभात, अने जामनगर आदि पवित्र स्थळोमां जैन धर्मना जीवनभूत एवा भंडारोमांनां पुस्तको जो के नाशप्राये थवा आव्यां छे, छतां हजी पण ते बची रह्यां छे ए जाणीने मने तो घणोज हर्ष थाय छे; तथापि काळरुप राक्षस अने तेनी सहचारिणी उधईओ एनो पूर्ण नाश न करे माटे, ए पुस्तकोना जीर्णोद्धाररुप संजीवो औषधी आपणे उपयोगमा लेवी ए आपणी फरज छे. ___ ज्ञान तरफनुं मान जैनोने स्वाभाविक होय तेम जणाय छे. कारणके ज्ञानपंचमी आदि वृत्तोना उजमणा वखते ज्ञाननां उपकरणोमां हजारो रुपियानो उपयोग करवामां आवे छे. आधी ज्ञानभक्ति जोईने कोने हर्ष थयाविना रहेशे? तथापि आ प्रसगे कहे, पडे छे के एक मनुष्यने सुंदर वस्त्रोथी आच्छादित करेलं होय अने अलंकारोथी भूषित करेलं होय, पण तेना शरीरनी बीलकुल दरकार करवामां न आवे तो ए केवु बेहुदु (बेडोळ) लागे. तेम ज्ञाननां उपकरणोमां हजारोनो खर्च थाय अने ज्ञानना शरीररुप पुस्तकोने माटे उपेक्षा थाय ए केवु लागे! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) बरमा, सीलोन, चीन, जापान, मेंगोलिया, मंचुरीया, तुर्कस्थान, अने सैबिरिया, आदि घणाज मुलकमां फेलायला बुद्ध धर्मनां मूळ पुस्तको तांबा, रुपा अने रोळ गोल्ड (सुवर्णमय चांदीनां पत्र ) ना मजबुत पत्रां उपर लखायलां जोवामां आवे छे अने तेने साटीन अने मखमलना कवरमा राखवामां आवे छे, त्यारे आपणे अल्प वखतमां नाश पामे एवा कागळो उपर जैनधर्मनां आधारभूत पुस्तको लखावीए छीए, अने तेने उपर रुपानां सूवर्णनां, अने मोतीथी जडित पुठांओमां मुकीए छीए; तो हवे रुपा, सोना अने मोतीथी जडित पुठांओमां सोना रुपानां मजबुत पत्रां उपर लखेलां पुस्तको तेमां राखवामां आवे तो ज्ञाननी घणीज किंमती भक्ति थई एम लालन गणे छे. छेवटे जणाववानुं के प्राचीन जैन पुस्तकोनो उद्धार करवा माटे जैन भाईओए खास ध्यान आपवानी जरुर छे." होशीयारपुरवाळा पंडित तातारामनुं हिंदी भाषामां भाषण. आजे पंजाब, मारवाड, रजपुताना वगेरे देश देशांतरथी भेगा मळेला स्वधर्मी जैनोने जोईने मने घणी खुशाली उपजे छे; आपणे उत्तम राज्यमां वसीए छीए, तेथी आपणे पोतपोताना धर्मो पूर छटथी पाळी शकीए छीए. जैन धर्म दुनियानो सौथी प्राचीन धर्म छ अने तेमां महापुरुषो अनेक थई गया छे. दुनियामां घणा धर्मो छे अने घणा महापुरुषो थई गया छे, पण आपणा हेमचंद्र महाराजने तो दरेक धर्मवाळा वखाणे छे. तेमनां पुस्तकोना अंग्रेजी भाषामां पण तरजुमा थया छे. एवां आपणां प्राचीन धर्मनां महापुस्तको घणे ठेकाणे लगभग नाश पामवानी अणी उपर आव्यां छे, जेथी तेने बचाववानी घणी जरुर छे. (ताळीओ) आपणा घरमां ते पुस्तको फोकटनां पडी रह्यां छे, पण ते किंमती रत्नो केटलां मोंघां छे अने ते केवां उपयोगी छे, ते आपणे जाणता पण नथी. माटे जरुरनुं छे के आपणा भंडारमा पडेलां ए रत्नरूपी पुस्तकोमां शुं लखेलुं छे ते जाणवू अने आपणुं तारण करवू. -:0:-- वकील मगनलाल हरीचंद पाटणवाळानुं भाषण. महेरबान प्रेसीडन्ट साहेब अने मारा जैन बंधुओ अने बहेनो ! आ चालु विषय पुस्तकोद्धारनो छे, ते विषय घणो मोटो अने प्रौढ छे अने तेना संबंधे मारा पहेलां दरखास्त मुकनार कुंवरजीभाई अने ते पछी टेको आपनार पंडित लालने ते विवेचन कर्यु छे ते घणुं सारं अने ते मळेल टाईमना प्रमाणमां सारं चर्चायेलुं छे. मारे पण ए बदल कहेवानुं हतुं, पण मने जे टाईम मळेलो छे ते घणो थोडो एटले जूज पांच मीनीट छे, जेथी ते थोडा टाईममां मारे टुंकामां जे कांई कहेवानुं ते कहे, जोइये. हुँ आ विषय वधारे न चर्चावतां एटलु जणावीश के पुस्तकजीर्णोद्धार आ विषय आपणा धर्मनो मुख्य पायो छे. ते धर्मना महान् आचार्योए वीर भगवाननी वाणीरुपे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) प्रसिद्ध करेला अने ते पछी वखतोवखत महान् आचार्योए टीका करेली, एवा बहोळा ग्रंथो अमारा पोटणमां छे. पाटणमां आ प्रमाणे तेना १२ भंडारो छे: १. फोफळीआ पाडामां. १. पहेलो भंडार. तपागछनो वखतीनी शेरीमां. २. बीजो भंडार आगानी शेरीमा हालाभाईना ताबामां. ३. त्रीजो भंडार. लेरु वकीलना तावे. २. भाबाना पाडामां. विमळगछनो. ३. लींबडीना पाडामां. संघनी दुकाने. ४. साली वाडे. जतिना ताबामां. ५. ढंढेर वाडे. जतिना ताबे. ६. रणछोड भारद्वाज. नागरवाडे. ७. वाडी पार्श्वनाथनो भंडार. झवेरीवाडे खडतरगछनो. ८. खेतरवसीना पाडामां. गभरु वस्तानावाडे. ९. लाँका गछना अपाशरे. १०. संघीना पाडामां. छतां ते दरेक भंडारमा कया कया ग्रंथो छे ए बदल नामदार गायकवाड सरकार तरफथी मी. मणीभाई नभुभाई मारफत नोंध करावी ते बदलनुं पुस्तक मोटुं छपाएलं छे, अने ते पुस्तकनी एक प्रत पाटणमा सागरना अपाशरे हाल कमळविजय महाराजना पासे मारा जोवामां आवी छे. पाटणमा जे भंडारो छे तेमां त्रण चार महाराजना तावे छतां, बीजा केटलाक आपणा श्रावकोनी पासे छे अने एक बे तो नागर लोकोपासे छतां प्रसारमा नथी. सदर भंडारमा मुख्य संघवीना पाडाना भंडारमा ८४ बंधनोनां नानां नानां पोटकां छे, ते पुस्तको घणी जीर्ण स्थितिमा छे तेथी तेनो उद्धार करवो घणोज जरुरनो छे. वळी ए भंडारमा पुस्तको कागळ उपर तेमजताड पत्रउपर लखाएलां छे, तेमां ताडपत्र मोटा कदनां छतां घणा दीवसनां लखाएलां होवाथी ए तथा तेना कागळोनी स्थिति घणी जीर्ण हालतमां आवेली छे, अने ए बदल सागरना अपाशराथी कमळविजय महाराज तरफथी पण ते ग्रंथना ताद्रस्य चितार तरीके केटलीक प्रतो मोकलवामां आनेली छे अने ए बदल मारा पहेलां बोलनार पंडित लालन साहेबे ते पुस्तकोनो थतो नाश अने तेनो उद्धार करवा. संबंधीनो ताद्रस्य चितार आपनी रुबरु बतावेल छे. आपणा धर्मनां पुस्तकोनो उद्धार करवो खास जरूरनो छतां तेनो घणो जुनो जथो अमारा पाटणमा छतां ते कुमारपाळ जेवा जैनीराजाना वखतमां हेमाचार्य जेवा महा मोटा विद्वान् आचार्यना हाथे घणा सारा अने घणा उपयोगी ग्रंथो लखायेला छे अने तेने घणां वर्षो थवाथी ते वणीज जीर्णावस्थामां आवेला छे, अने तेनो जीर्णोद्धार करवो ए खास जरूरनुं छतां, ते उपरथीज आपणा धर्मनो पायो छतां ते जीर्ण, तेथी सर्व जैन बंधुओने वाकेफ थवानी खास जरूर छे. तेमज धर्मना मर्म समजवा, मोटा आचार्य अने विद्वानोना ग्रंथो समजवानी घणी जरूर छे; अने ज्ञानविना मोक्षपद मळतुं नथी अने ते ज्ञान प्रथमना महान् आचार्यनी भगवत्वाणी जाण्याविना प्राप्त थतुं नथी, माटे जीर्ण पुस्तकोद्धार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३७ ) करवानी खास जरूर छे; अने ते उद्धार करवानी मारी एवी सुचना छे के जेवुं जीन मंदीर बांधवामां आवे छे, तेवुं जे ठेकाणे सारा अने जुना वणा ग्रंथो होय त्यां मोटुं ज्ञान मंदीर थई तेमां सर्वे ठेकाणांना ग्रंथो एक ठेकाणे जुदा जुदा कबाटवार राखी तेमां जे जीर्ण थयेला ग्रंथो होय तेना नवा ग्रंथो सारा लखनार लहीआ पासे लखावी ते सारा विद्वान्पासे तपासावी छपावत्रा घटे तो छपाववा, अने जो छपाववानी जरूर न जणाय तो तेना कागळो घणा उंचा अने तेनी शाही पण घणी उंची होवी जोईए; पण बनतासुधी ग्रंथो लखाय तो सारं कारणके तेथी आसातना थोडी थतां ग्रंथनुं लखाण लांबो वखत रही शके छे. हवे मारी आ नम्र विनंति सर्वे साहेबोने जणावी मने मळेलो टाईम वधारे नहीं होवाथी आप साहेबनी पासे बेशी जवानी रजा लईश. "" धर्म पुस्तकोनो उद्धार करवा माटे फंड चालु करवानी सुचना. अत्रे मी. फतेहचंद कर्पुरचंद लालने जणाव्यं के:- “ मने जाहेर करतां वणी खुशी उपजे छे के धर्मपुस्तकोनो उद्धार करवा संबंधी हाल जे बोलायुं तेनी एटली तो सारी असर थई छे, के एक गृहस्थ तरफथी मने जाहेर करवानी फरमास करवामां आवे छे, के जो अत्रे धर्मपुस्तकोनो जीर्णोद्धार करवा माटेनुं फंड चालु करवामां आवे तो तेओ अमुक रकम ते फंडमा आपवा तैयार छे ( ताळीओ ). आ प्रमाणे धर्मपुस्तकोनो उद्धार करवा माटेना फंडने मदद करवा घणा तैयार हशे, तेथी हुं तेवा गृहस्थोने सुचना करीश के तेओए पोताथी बने ते मदत करवी अने ते रकम मी. अमरचंद तलकचंदने भरवी. " शाह. मोतीलाल कशळचंद अमदावादवाळानुं भाषण. “जीर्णपुस्तकोना उद्धारनी बाबतमां हमणां बोली गएला गृहस्थनी दरखास्तने अनुमोदन आपवाने मने घणो हर्ष थायछे. आ बाबत ते गृहस्थे केटलुंक विवेचन करेलुं छे, तेमज आ विषयनुं उपयोगीपणुं एटलुं तो साबीत अने खुल्लुं जणाई आवे छे के ते विषे वधारे बोली हु आपनो वखत रोकवा मागतो नथी. हुं जे कहीश ते मात्र आ उद्धार करवानी बाबतमां हालनी रसायणी विद्याओनी मददथी, आ काम केटलुं सेहेलाईथी, थोडा खर्चथी अने बीलकुल आशातनारहित क्रियाओ वडे प्राचीन पुस्तकोनो उद्धार करी शकाय अने जे मारा हाथे लांबों बखत अजमावेली छे अने जेना कायमपणाने माटे जमानाना मोटामा मोटा रशायणी खात्री आपेछे, ते क्रियाओ विषे थोडुं विवेचन करीश. दरेक धर्म संसारनी चीजोने अने देहने अनित्य माने छे अने तेमनी साथे फक्त चालु जींदगीनोज संबंध छे एम कबुल करेछे छतां ते चीजो उपर एटलो मोह होय छे, के तेने कायमने माटे भोगवी शके अथवा बीजा जमानाने माटे उपयोगमां आवे तेम राखवाने माटे बनतो प्रयास करेछे; तो पछी धर्म के जे घणी जींदगीओ साथै रही अंते मोक्षद्वारे पहोंचाडेछे तेनां साहित्योने कायम राखवाना प्रयत्ननी वधारे जरूर छे एम कोईथी ना कही शकाशे नहीं. दाखला तरीके आपणुं घर जीर्ण थएल होय तेने जो के आपणी जींदगानी साथेज संबंध छे अने आपणे ते भोगवीशुं के नहीं तेनी खात्री नथी, तोपण १० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३८ ) तेने समरावी सुशोभित करवाने माटे आपणे बनतो श्रम लईए छीए, तेम वडीलो विगेरेनी छबीओ राखी तेमना स्मरणने माटे पैसा खरचीए छीए तो पछी आपणा महान् पूर्वाचार्यो, जमणे पोताना कांईपण स्वार्थ विना केवळ परोपकार अर्थे अने भविष्यना जमानाना कल्याण माटे धर्मना रस्ता कायम राखवाना हेतुथी जे पुस्तकोरुपी प्रसाद आपणा माटे रची गया छे, अने जेनी प्रतो प्राचीनकाळना धर्मरागी पुरुषो अथाग द्रव्य अने मेहनतनो खर्च करी करावी गयाछे, तेनी जीर्ण व्यवस्था थशे. आपणे तेनी लायक संतति छीए एटलुं साबीत करवाने तेनो उद्धार करवामां पछात रहीए, ए शुं थोडं शरम भरेलुं छे ? जो तेवा ग्रंथोनी हयाती बंध थशे तो आपणने तेमज आपणी संततिने धर्मप्राप्तिनुं साधन न रहेतां, आ संसारमां अनंतकाळ सुधी भ्रमण करवा सिवाय बीजुं परिणाम आववानुं नथी. आपणा प्राचीन ग्रंथोनी हयाती देशना जुदा जुदा भागोमां श्रावकोनी पासे भंडारना आकारमां सांभळवा तेमज जोवामां आवेछे, परंतु काळना प्रभावने लीधे, नथी तेओ पोते तेनो उपयोग करता अथवा नथी कोईने आपता; अने घासनी गंजी उपरना कुतरानी माफक पोते राखी मुके छे एटलुंज नहीं, पण पोताना धर्म बंधुओने आपवाने बदले अन्य धर्मीओने पैसा लईने वेचे छे. आ हकीकत तेओने ओछी शरमभरेली छे! जैनोनी प्रजा देशना जुदा -जुदा भागोमां बेहेंचाई गएली छ, अने तेओए धर्मना उपदेशने माटे जुनां पुस्तकोना उद्धार करनार थई संख्याबंध नकलो साधु मुनिराजोने आपवी जोईए छे, के जेथी तेमनो अमूल्य उपदेश लेवाने आपणे भाग्यशाळी धई शकीए. आ उद्धार बे रीते धई शके तेवुं छे, एक तो छापवानी कळाथी अने बीजो जे क्रियानुं हुं विवेचन करवानो लुं तेनाथी. आपणे जैनो आपणां केटलांक पवित्र पुस्तको संसारी वांची शके नहि एम मानीए छीए अने तेम करवामां आशातनानो बाध गणीए छीए. छापवानी कळामां अशुद्धता आपवानी बीक उपरांत प्रुफ वगेरे रद जवामां जे आशातनानी बीक, तेमज सरेस वगेरेनो उपयोग ए शास्त्र विरुद्ध गणाय छे; तेम छतां, सूत्रो जेवा पवित्र अने थोडाओ समजी शके तेवानी छापवानी रीते वधारे नकलो लेवी पडे, तेनो बहोळो उपयोग न थवाथी ते पैसा नकामा रोकाई रहे, ते पण आ नवी तिथी बचे छे. आ रीत बे जातनी छे, एकने फेरो - टाईप अने बीजीने पोझीटीव सायनोटाईप रीत कहे छे. आ बन्ने क्रियामां प्रथम प्रत तैयार कर्याथी पछी ज्यारे जोईए त्यारे सूर्यना प्रकाशथी दर बे मीनीटे एक प्रत तैयार थई शके छे. वपराता पदार्थो आशातना रहित छे तेम सस्ता छे, अने गरम पाणीथी ते काम वधारे सा थाय छे. एक साधारण माणस मजुरोनी मददथी दररोज हजारो नकलो लई शकेछे. कोईपण जैन आपणा धर्मनां पुस्तकोना उद्धारने माटे आ रीत शीखवा मागशे अथवा कोई मंडळी आ काम उपाडवा मानशे, तो तेने हुं शीखवी देवामां खुशी थईश. आ रीतथी केटलांक पानां तैयार करेलां छे अने आ भाषणनो सार " जैन " पत्रना उत्साही एडीटर अने मारा मित्र मी. भगुभाई छापत्रा मागे छे, ते अरसामां पाटणना भंडारनी एक जुनी प्रतनी नकलो लेवानुं काम मी. भगुभईना प्रयासथी शरु थएलुं छे. आशा छे के आपणा जैन बंधुओ ने तवंगर गृहस्थो आ रीत उपयोगमां लई पोते ज्ञान मार्गे खरचवा धारेला पैसानो उपयोग, तेव जीर्ण पुस्तकोना उद्धारमां करी पोताने कृतार्थ करशे अने आवता जमानाने एक आशीर्वादरुप धर्मफळ वारसामां आपता जशे. आटलं बोली आ दरखास्तने अनुमोदन आपी हुं सी जवा रजा लउं छं." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३९ ) आवी रीते दरखास्त मुकाया पछी तेने टेका अने अनुमोदनो मळ्या पछी मत लेतां ते सर्वानुमते पसार थई हती. मी. गुलाबचंद ढड्ढा. बोलवा उठतां सभाजनोए तेमने पुष्कळ ताळीओना अवाजोथी धावी लीधा हता, अने तेथी मी. अमरचंद पी. परमार तथा मी. ढढ्ढाए बधा सांभळी शके तेटला माटे शांत रहेवाने सर्वने विनंती करी हती. नामदार हाइकोर्टना चीफ जस्टीस साहेबनो पत्र. मी. गुलाबचंदे प्रथम जणान्युं के "नामदार चीफ जस्टीस सर लॉरेन्स जेनकीन्सनो एक पत्र मी. शराफ उपर आव्यो छे. ( ताळीओ ) तेओ साहेब जणावे छे के आज रविवार होवाथी अने ते दिवसे कदीपण हुं बहार मेळावडामां जतो न होवाथी तेमज सोमवारे कोर्टमां जवानों होवाथी हुं तमारी कॉन्फरन्समां आवी शकुं तेम नथी, परंतु हुं कॉन्फरन्सने दरेक फतेह चाहुं छं. " (ताळीओ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी बाबत. " धर्म प्रमुख चारे पुरुषार्थो सिद्ध करवाने शक्तिमान थवा सारं स्त्री वर्ग अने पुरुष वर्गमां व्यवहारिक तथा धार्मिक उंची केळवणीनो प्रसार करवा माटे तथा प्राथमिक केळवणी पण केलेक स्थळे लेवामां नथी आवती तेने माटे ९. बनी शके तो फरज्यात प्राथमिक केळवणी दाखल करवा तथा तेने माटेनी स्कुलो, २. मोटां शहेरोमा हाइस्कुलो, ३. पोतानी गरीब स्थितिने लीधे उंचो अभ्यास करतां अटकी पड़ता जैन विद्यार्थिओ माटे बोर्डिंगो तथा योग्य स्कॉलरशीपो, ४. संस्कृत तथा मागधी पाठशाळाओ. ५. कन्या तथा श्राविका शाळाओ, ६. जैन लायब्रेरीओ, ७. वेपार संबंधी ज्ञान मेळववा माटे वर्गों तथा स्कुलो विगेरे खातां स्थापवा, अने ८. धार्मिक विषयोपर सस्तुं साहित्य तथा विद्वता भरेलां तेमज बोधदायक लखाणौवाळां जैन पत्रो तथा मासिको प्रगट करवा माटेनी, आ कॉन्फरन्स घणीज अगत्यता जुए छे. केटलेक स्थळे सारा पाया उपर पाठशाळाओ तथा स्कुलो स्थापवामां आवी छे तथा जैन पत्र अने मासिको प्रगट थाय छे, ते सांभळीने आ प्रसंगे तेने माटे पोतानो हर्ष आ कॉन्फरन्स जाहेर करे छे; अने आवां कार्योंनी सिद्धिनो धनाढ्य जैनोनी उदारता उपर मुख्य आधार होवाथी ओछा जरुरीभाती मार्गमां पैसा खरचवाने बदले विद्यादान जेवा पुण्यक्षेत्रमां पोताना पैसानो सदुपयोग करवाने, भाविक गृहस्थोने आ कॉन्फरन्स खास भलामण करे छे, तथा जुदे जुदे स्थळे मोठा पाया उपर आ बाबत संबंधी फंडो उघाडवानी आ कॉन्फरन्स घणीज आवश्यकता विचारे छे. (80) ठराव ४ थो दरखास्त करनार - मि. गुलाबचंदजी ढड्ढा, एम. ए. - जयपुर. टेको आपनार - मि. मोतीलाल कशळचंद शाह-अमदावाद. अनुमोदन आपनार - मि. फत्तेहचंद कर्पूरचंद लालन- मुंबई. "" 65 " " 29 - — मि. लखमसी हीरजी मैशरी. बी. ए. एल. एल. बी. - मुंबई. - शेठ नीमाणी बुद्धमल केवळचंद - नाशिक. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) अनुमोदन आपनार-लाला मुनशीराम-पंजाब. , , -लाला गोपीनाथ. बी. ए.-अंबाला. ,, , -शाह प्रेमचंद गुलाबचंद-अकलुझ. , -शाह नारणजी अमरशी-वढवाण. , -मि.जगजीवन मुळजी बनिया.बी. ए.बी.एस.सी.-जामनगर , -मी. दामोदर बापुशा.-एवला-दक्षिण. , , -झवेरी पानाचंद काळीदास-जामनगर. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४२ ) मी. गुलाबचंद दानुं भाषण. “ पुस्तकोद्धार करवाना संबंधमां आगळ ठराव मूकवामां आव्यो हतो, ते विषय उपस् अनेक विद्वान् वक्ताओ बोली चूक्या छे तेथी हुं विशेष बोलवा मागतो नथी. व्यवहारिक तथा धार्मिक बाबत ए मारी दरखास्तनो विषय छे. तेनो अर्थ शुं थाय छे ते तो आप सारी ते जाणोछोज. "" आगळ चालतां मी. ढड्ढाए जणान्युं के, "आपे समजवानुं छे के जीव शुं .छे, अर्थात् जे आत्मा आपणामां बोली रह्या छे अने प्रगट छे ते शुं छे. आपने जैन धर्मानुसार विदित हशे के आ आत्मा तथा आ जीव पहेलां क्यां हतो अने हवे क्यां जशे. तेनो विचार करवो आपणने श्रेय छे. सर्वे जीवनी उत्पत्तिस्थान " नीगोद " छे. नीगोदमांथी ते व्यवहार राशिमां जाय छै, अने पछी कर्मानुसार फळभोग करे छे. ते मुजब ते कदी देवता थाय छे, तिर्येच योनीमां जाय छे अथवा मनुष्यनो देह धारण करे छे. जीव एक छे परंतु तेनी क्रिया अनेक छे, ते चोराशी लक्ष योनीमां आंटी खाय छे. एक अंग्रेज कविए कह्युं छे के आ दुनियारुपी नाटकालयमां सर्व जीवरुप पात्रो पोतानो भाग भजवे छे. आ जीव ज्यारे निषंग रही थाय छे त्यारे स्वप्न उडी जाय छे, अने राजा प्रजा जेवो भेद रहेतो नथी. आ जीवनो धर्म है. अभव्य जीव विषे नहीं, परंतु भव्य जीव विषे हुं बोलुं छं. ते कर्मानुसार मोक्षने प्राप्त पण थाय छे. मोक्ष ए कांई ठट्ठा नथी. ते कांई मारा खीस्सामां पण नथी. हुं एक द्रष्टांत आपीश. पतासां खांडनी चासणी पाडवाथी वधु शुद्ध स्थितिमां आवी बने छे, तेज मुजब आ जीवने मेल लाग्यो छे; ते मेल उतारवो जोईए. घोडा अने मनुष्य बन्नेमां जीव छे, ते बन्ने सरखा छे, परंतु एकज भेद छे. ते ए के मनुष्य विद्या प्राप्त करवानी अपूर्व शक्ति राखे छे अने ते ते द्वारा मोक्षपद प्राप्त करे छे. जो तेटलो पण भेद नहीं होय तो मनुष्यमां अने पशुमां कशो फरक रहेतो नथी. मनुष्यना बे धर्म छे. एक धर्म ते उदरपोषणनो अने बीजो परलीकना संपादन माटे प्राप्ति ए छे. केळवणीनी आवश्यकता. जो आपणे प्रथम कर्म उपर ध्यान नहि आपीए तो तेथी भुखे मरीए. जो फक्त पहलाज उपर ध्यान आपीए तो आपणामां अने वनचरमां कांई भेद नथी. ते कारणथी उदरपोषण उपरांत मोक्षदाता ज्ञान पण आपणे प्राप्त करवुं जोईए. ( ताळओ ) जे वखते ८०० वर्ष उपर पाटण खाते हेमचंद्राचार्यजी आव्या, ते वखते एक हजार आठसो करोडपतिओ तेमने आबकार देवा गया हता. ( ताळीओ) परंतु अफसोस छेके तेवो एक पण करोडपति अत्रे हाल नथी. हाल आपणामां कांई शक्ति नथी. हेमाचार्यना समयमां जे करोडपतिओ हता तेओ पोताना द्रव्यनों उपयोग पण सारो करता हता. तारंगाजीनुं मोक्षतीर्थ, वगेरे अनेक तीर्थ तेज वखतमां थयां हतां. तेओ ते समये धार्मिक पण धनाढ्य जेटलाज हता. परंतु अफसोस छे के आज आपणामांथी धन पण गयुं अने धर्म पण गयो. बेशक धर्म तो एकनो एकज छे, परंतु आपणी लागणीमां परिवर्तन थई गयुं छे, ते अधोगतिमांथी उगवा माटेज प्रस्तुत दरखास्त में मूकी छे. में दरखास्त तो मूकी छे परंतु ते कांई रोटली नथी के ते तोडीने खाई जवाय. ते अमलमां मूकत्री घणी मुस्केल . आपणो धर्म छे के जे शहेरमां वने त्यां जैन शैली अनुसार आपणा पुत्रपुत्रीओने भणाववा माटे शाळा खोलवी. आपणे विवाहमां लाखो रुपियानुं सत्यानाश वाळीए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४३) छीये; आपणो धर्म छे के आपणे ते नाणांनो वधारे सारो उपयोग करी ते नाणां शाळा खोलवामां, तथा बोर्डिंग हाउस उभा करवामां वापरवा. सर्व पोताना पुत्रपुत्री माटे तो केळवणी आपेज छे, परतु बीजाने माटे पण तेनो प्रबंध वधारे शक्तिवाळाओए करवो जोईए. ___पुत्रीओनी केळवणी. आटलं तो जैन भाईओ माटे थयु. आपणा भाईओ तो भणे छे, परंतु आपणा घरनी स्त्रीओ हजारमाथी पांच पण भणेली होती नथी. अबळाओमां पठनपाठन जोवामांज आवतुं नथी. आपणी उन्नतिनो कुल आधार आपणी माता, आपणी भगिनी अने आपणी पुत्रीओनी उन्नति उपर छे. कहेवत छ के " तुखमे तासीर अने सोबते असर, " ते मुजब तो तमारी साथ शास्वत संबंध राखनारी पत्नी उत्तम नहीं होय, तो तेथी तमोने पण अराब असर आवशे. स्त्री भूमिरुप अने पुरुष बीजरुप छे. जो निकृष्ट भूमि उपर बीज वाव. मां आवशे तो ते बीज नकामुं जशे, माटे तमारे भूमिरूप स्त्रीने उत्तम स्थितिमां अने उन्नत राखवी जोईए. लॉर्ड मेकॉले जेणे हिंदनो फोजदारी कायदो अन्योनी मददथी लख्यो छे, तेनी महत्तानुं मुख्य कारण एक बानुज हती. तेनी आया घणी विद्वान् हती अने तेने तेणीए घणुंज सारूं पाठन कराव्युं हतुं, तेथीज सात वर्षनी उमरे तेने असाधारण ऐतिहासिक ज्ञान प्राप्त थयु हतुं. ते उपरथी साबित थाय छे के पुत्र करतां पण पुत्रीनी केळवणी वधारे आवश्यक छे. आपणा केटलाक भाईओ पण फुरसदमां धर्मनो अभ्यास करता नथी. जे जैन ग्रेज्युएट थईने पण ते धर्म नहीं जाणे अने ते रीते जैनधर्मना वृक्षने कुहाडाथी कापे, तो बहेतर छे के ते ग्रेज्युएट ना हो. ( ताळीओ) पण हुं आगळ वधीने कहीश के तेवी अज्ञानता माटे तेनी कसूर नथी. तेनां मातापिताए तेने धार्मिक शिक्षण नहि आप्यु होय तो तेने धार्मिक अभिमान क्यांथी होय ? हुं पोते प्रथम युवावस्थामा हतो त्यारे नास्तिक हतो हाल हवे आस्तिक छु, परंतु मारी माता विदुषी छे. (ताळीओ) ज्यारे हुं धर्म विरुद्ध बोलतो त्यारे तेणी मने खरे स्थाने मुकती अने छेक एम. ए. थयो त्यांसूधी मारामां कांईक नास्तिक वृत्ति रही हती, परंतु हवे ईश्वर कृपाथी मारा उपर जैनधर्मना पूर्ण उंडा संस्कार पड्या छे. में मारी शक्ति अनुसार तेनो अभ्यास कर्या छे." आगळ चालतां मी० ढहाए जैन फीलसुफीना असाधारणपणा विषे विवेचन करीने जणाव्युं के, “जो जैन ग्रेज्युएटो जैनधर्म अने जैनविज्ञाननो अभ्यास करशे तो तेओ केवळ धार्मिक अभ्यास करनाराओ करतां वधारे काम करी शकशे." आ पछी अमदावादमां प्रसिद्ध थता जैनपत्रना संबंधमां तेमणे कधु के, “ आप सर्व भाईओ सारीपेठे जाणता हशो के हालमां थोडो वखत थयां "जैन" नामे एक अठवाडिक पत्र नीकळवा मांडयुं छे. आ पत्रनी अंदर जे लेखो आवे छे ते घणाज विद्वत्ता भरेला छे. ते पत्रे आपणी कॉन्फरन्सनी अने जैन कोमनी घणीज सारी सेवा बजावी छे अने तेथी आ पत्रने आपणाथी बनती मदद करवानी खास जरूर छे. वळी आवा एक पत्रथी आपणी बधी जरूरीआतो पार पडे तेम नथी अने तेथी हुँ इच्छं छू के बीजां आवां जैनपत्रो आपणी कोममां नीकळे तो वधु सारं." (ताळीओ) --: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४४ ) अमि. मोतीलाल कशळचंद अमदावाद्वाळानुं भाषण. "गया प्रश्ननुं विवेचन कर्या पहेलां केटलाक विचार प्रस्तावनारूपे करवानी आवश्यकता छे; जेमके आ संसारमा जन्मीने मनुष्यमात्रनुं कर्तव्य शुं छे; अने ते जोया पछी जैनोनी प्रर्वनी तेमज हालनी स्थितिनुं अवलोकन कर पडशे, अने ते कर्या पछी पोतानो जन्म साफल्य करवा माटे हालनी स्थितीमां कांइ विपरीतपणुं मालुम पडे तो ते दूर करवा माटे शु उपायो योजवानी जरूर छे, ते जाणवा माटे बीजी प्रजाओमां केळवणीनी थती असर तपासी, आपणे तेनुं अनुकरण कवू किंवा बीजो रस्तो लेवो ए तपासवू पडशे. १. प्रथम प्रश्न एटले संसारमा मनुष्यनुं कर्तव्य ए ऊपर विचार करीए छीए तो मालुम पडे छे, के दरेक मनुष्ये आ संसारमा जन्मीने धर्म, अर्थ, काम, अने मोक्ष ए चार साधनो प्राप्त करवां अने तेम न करे तो एक विद्वाने कहेल छे, तेम ते प्राणीनु जीवतर वृथा जाय छे. कहेल छे के:- - धमार्थकाममोक्षाणाम् यस्यैकोऽपि न विद्यते । अजागलस्तनस्यैव तस्य जन्म निरर्थकम् ॥ अर्थात् जे माणसमां धर्म, अर्थ, काम अने मोक्ष ए चार साधन पैकी एक पण न जोवामां आवे, ते माणसनुं जीवq बकरीना गळानां आंचळनी पेठे वृथा छे. उपरना श्लोकमां धर्म ए शब्द पहेलो छे, एटले मनुष्ये प्रथम ते प्राप्त कर्या बाद बीजां साधनो मेळववा प्रयत्न करवो जोईए एम सिद्ध थाय छे; कारणके प्रथम धर्म प्राप्त कर्याथी संसारिक व्यवहारमा मनोवृत्तिओ योग्य रस्ते दोरवी शकाय छे. आम थवाथी नीतिमार्गे जींदगी गुजाराय छे, अने तेथी धर्मवृत्ति विशेष प्रबळ थई अंते छेवटनी गति प्राप्त करी शकाय छे; वळी उपरना अनुक्रम विना अर्थ एटले पेसानो व्यय सारे मार्गे थई शकतो नथी. आगळ उपर जोईशं के धर्म वावतना ज्ञान रहित केवळ संसारिक केळवणी आपवाथी दुनियामां केटलाक अनर्थो जीवामां आवे छे. एकली केळवणी मळवाथी जो के मनुष्य अर्थप्राप्ति, साधन मेळवी शके छे तोपण तेथी आगळनां पुरुषार्थनां साधनो मेळववामां ते पुरुष भाग्यशाळी थतो नथी. वळी केळवणीधी धर्मश्रद्धा ओछी थाय छे ए मत घणी वखते सांभळवामां आवेछे; तेनो अर्थ पण धर्मज्ञान विनानी केळवणीने लागु पडेछे; कारणके बन्ने केळवणी साथे आपवाथी धर्मश्रद्धा ओछी थवाने बदले उलटी वधे छे, अने धर्मना सिद्धांतो सारीरीते समजाई ते श्रद्धा दृढ थाय छे एटलुंज नहीं, पण संसारिक जींदगी पण तेने अनुसरीनेज गळाय छे. २. हवे जैन समुदायनी पूर्व स्थिति केवी हती ते तपासीए. जैन मत घणोज प्राचीन छ एम आपणे जैनीओज मानीए छीए एम नथी, परंतु पश्चिमनी प्रजाओ तेनी प्राचीनता विषे हालमां वधारे जाणीती थती जाय छे. प्राचीनकाळमां जैनोमां विद्याबळ विशेष हतुं, ते पूर्वना आचार्योए रचेला असंख्य ग्रंथो, तेमां समाएलां तत्वो, विद्याधरोनी अद्भुत शक्तिओनुं वर्णन विगेरे सांभळवाथी आपणने सेहेज जणाई आवे छे. तेओए जे जे कार्यो ते काळमां को छ * मि. मोतीलाल कशळचंदनो शरदीने लीधे अवाज बराबर न चालवाथी तेओ भाषण करी शक्या न होता, पण आ भाषण उपयोगी होवाथी ते अत्रे दाखल कर्यु छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४५ ) तेना दाखला ज्यारे आपणे हालमां मुनिमहाराजाओने मोढेथी सांभळीए छीए, त्यारे आपणे नाथी चकित थई जईए छीए. आम चकित थवानुं कारण एटलुंज छे के हालना काळमां ते विद्याओनुं किंचित् ज्ञान पण आपणने नथी, तेम ते क्रियाओ समजवानी आपणामां शक्ति पण नथी. दुनियानो सामान्य नियम छे के जेम जेम अज्ञानतानुं प्रबळ होय छे तेम तेम ज्ञानना दाखला आपणने विशेष चमत्कारवाळा जणाय छे, अथवा आपणे तेने कल्पित गणव मांडीए छीए. दाखला तरीके हालना समयमां विद्याकळाना विषयोनुं ज्ञान आपणामां धोडुं अथवा नहि जेवुं होवाथी, ज्यारे पश्चिम कळाना नमुना जोईए छीए अथवा तेनुं वर्णन सांभळीए छीए, त्यारे आपणी अज्ञानताने लीधे ते कळाने आपणे अद्भुत मानीए छीए, अने तेना कर्त्ताने दैवीशक्तिवाळा पुरुषो मानीए छीए. परंतु ज्यारे आपणे जोईए छीए के ते नमुनाना कर्त्ता आपणा जेवा माणसज छे अने वधारामां ज्यारे ते विद्याओनो आपणे अभ्यास करीए ए अथवा विवेचनथी विशेष जाणीए छीए, त्यारे कळाना नमुनाने अद्भुत कहेवाने बदले विद्याबळनुं परिणाम छे एम तरत मानीए छीए. वळी तेथी आगळ वधतां ते कळाना अभ्यास उपरांत ज्यारे आपणी पूर्वजोनी शक्तिओ विषे वांची ते बन्नेनो मुकाबलो करीए छी त्यारे जणाय छे के, जे नवी शोधा आपणने आश्चर्य पमाडे छे तेथी विशेष करी शकाय तेवी विद्याओ आपणा पूर्वाचार्यो पासे हती; परंतु केवळ प्रमाद अने जाणवानी बेदरकारीथी आपणे ते सर्व गुमावी बेठा छीए. आ बेदरकारीथी आपणने शुं नुकशान थयुं छे अने तेथी आपणी धर्मवृत्तिओ प्रफुल्लित करवानां केटलां साधनो तुटी पड्यां छे अने आपणे केटली अधम अवस्थाने प्राप्त थया छीए, तेनो कांईक ख्याल आववा माटे, तेमज आपणा पूर्वजो केटला विद्यापात्र अने धर्मनिष्ट हता ते जाणवा माटे, घणा प्राचीन नहीं परंतु श्रीमन् महावीरस्वामी भगवान्ना निर्वाण पछीना थोडा दाखला तपासीए. आ दाखला तपासवा पहेला एक बाबत सेहेज याद आवे छे. जैन धर्मनी तमाम विद्याओ १४ पूर्वमां समाएली हती अने एक पूर्वज्ञाननो विस्तार एक हाथी जेटली शाहीथी लखेला पुस्तक जेटलो सांभळीए छीए, त्यारे धर्मश्रद्धानी खामी अने केवळ पाश्चिम विचारथी दोरवाएला आपणे तेने कल्पित मानीए छीए. परंतु जो आपणे विचार करीए के हालना जमानामां पण एकज विषय उपर हजारो बलके लाखो पुस्तको लखाएलां जोवामां आवेछे तथापि ते विषय अपूर्ण कहेवायछे अने तेने पूर्ण करवाने विद्वानो नो परिश्रम हजु चालु रहेलो छे, तो पछी दरेक विषयनुं पूर्ण ज्ञान लखवाने पुस्तको विस्तार उपर जणाव्या मुजब होय, तो तेमां आश्चर्य पामत्रा जेवुं कांई नथी एम आपणने बीजीज क्षणे मालुम पडे छे. मानसिक केळवणी अने विचार करवानी अशक्तिने लीधे आवो तुच्छ विचार लावा ए योग्य नथी; माटे ते सुधारवाने प्रयत्न करवानी आवश्यकता छे एटलं जणाची उपर जावेला दाखला तपासीए. १. विद्वानो अने ग्रंथकारो. - - जेओ १४ पूर्वना ज्ञानना धारण करनार हता अने १. श्रीमन् भद्रबाहुस्वामीजेमणे आपणां सूत्रो उपर नियुक्तिओ रची छे. २. श्रीमन वज्र स्वामी, - १० पूर्वना ज्ञानी हता. ११ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४६) ३. श्रीमन् स्थूलीभद्र स्वामी,-१४ पूर्वधारी हता. आ नामनी साथे पण एक वात याद आवे छे के हालमां आपणे योग चमत्कारना सामान्य दाखला अथवा समाधि क्रिया कोई पुरुषमां जोईए छीए, त्यारे आपणे ते पुरुषने पूज्य मानीए छीए; परंतु जैनोमां योगज्ञान हतुं अने ते पूर्णताने पामेलु हतुं, तेम तेना साधको पण हता, ते आ महान् पुरुषे पोतानी बेन वंदवा आवतां सिंहस्वरूप धारण कर्यानी हकीकतथी साबीत थाय छे. ४. श्रीमन् सिद्धसेन दिवाकर, जेमणे न्याय उपर पुस्तको रच्यां. ५. श्रीमन् जीनभद्रसुरी क्षमाश्रमण,-जेमणे फक्त एक "करेमी भते " ऊपर विशेष आवश्यक नामर्नु ५ हजार गाथानु भाष्य रच्यु. ६. श्रीमन् हरीभद्रसुरी,--जेमणे फक्त प्रायश्चित रूपे १४४४ पुस्तको रच्या. ७. श्रीमन् हेमचंद्राचार्य,-जेमणे ॥ क्रोड श्लोक तमाम विषयो ऊपर लख्या. ८. श्रीमन् मलयगीरिजी,--जेमणे उपांग ऊपर टीकाओ रची. ९. श्रीमन् देवेन्द्र सुरीजी,--प्रकरण अने टीकाना कर्ता. १०. श्रीमन् यशोविजयजी उपाध्याय, न्यायना रचनार. २ पराक्रमी विद्वानो. १ श्रीमन् मल्लधारीजी-जेओ बौधोनी साथे वादमां जित्या अने जैनोनी जय पताका रडात्री बौधोने देश त्याग कराव्यो. आ वखत पछीथी बौध धर्म आ देशमाथी नाबुद थई, सीलोन (लंका ) अने चीन, ब्रह्मदेश विगैरे बहारना देशोमां फेलायो. २ श्रीमन हरीविजयसुरी--जेमणे अकबर बादशाहने प्रतिबोधी, चमत्कार बतावी जैनतीर्थोनी जग्यानी मालकी जैनोने पटारूपे करावी आपी अन जे आपणे अद्यापि पर्यंत भोगवाए छीए. ३ श्रीमन् कालीकाचार्य. ४ श्रीमन् जंघाचारण अने विद्याचारण मुनी. ५ श्रीमन मुनी श्री शांतिचंद्रजी. जैन राजाओ. १ श्रेणिक २ कुर्णिक ३ संप्रति ४ कुमारपाळ. श्रावको. १ वस्तुपाळ, तेजपाळ, जगडुशा, भीमशाह, जगत्शेठ, अने संग्रामसोनी जेणे सिद्धांतनी प्रतो सोनेरी अक्षरे लखावेली अद्यापि मोजुद छे. श्राविकाओ. मुलसा, चंदनबाळा, सुभद्रा, श्रीमती, चंपाबाई. ऊपर जे नामो आव्यां छे तेमनी कारकीर्दिथी जैनवर्ग एटलो बची जाणीतो छ के तेनुं विशेप विवेचन आ ठेकाणे करतो नथी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) ३. जैनोनी पूर्वनी स्थितिना ऊपर मुजब चित्रनी सामे जैनोनी आधुनिक स्थिति- चित्र मुकीशुं तो शुं आपणने खेद उत्पन्न थया विना रहे छ ? पूर्वजोथी वधारे अथवा तेटली कीर्ति मेळवी आपणे तेनी लायक संतति छीए एम बतावी आपवानी शक्ति एक बाजु मूकतां, तेनाथी एक करोडमे अंशे पण पराक्रम करवानी शक्ति आपणा हालना जैनोमां नी एम जो आपणने मालुम पडे, तो तेम थवानुं मोटुं गंभीर कारण होवू जोईए अने ते आपणे थोडी वारमा जोईशं. धर्मनुं विशेष ज्ञान मेळवq पण एक बाजु राखी थोडा ज्ञानथी आपणी संसारिक जींदगी ऊपर नीतिनी छाया पडे अने पापवृत्ति ओछी थाय, तेटलुं थोडुं ज्ञान पण आपणे धरावता नथी ए शुं थोडं शरम भरेलु छ ? केवळ जमानाना प्रवाहमा तणाई जतां आपणने आ जींदगीन भान नथी, तो हवे पछीनी जींदगीने माटे आपणे विचार करवा अवकाश मेळवीए ए बनवू मुइकेल छे. आम थवाथी आपणे दिवसे दिवसे वधारे अधम अवस्थाए. वधारे वधारे वेगवाळी गतिथी दोडता जईए छीए. __धर्मवृत्तिनी गेरहाजरीने लीधे आपणी संसारिक जींदगीनी शी दशा थई छे ते तपासीए. सारा नसीबे छेवटनां दुकाळनां वर्षोए आ स्थिति अवलोकन करवानां साधनो आपणी आंख पासे खुल्लां मूक्यां छे. सारा नसीबे एटला माटे के तेथी आपणा जैनबंधुओनी स्थिति तपासवा आपणने अवकाश न मळत ते साधनो, पोतानी मेळे आपणी आंख आगळ रजु थयां छे; अने ते थवाथी ते स्थितिनी उन्नति करवाना उपायोनी योजना करवा माटे आटली मोटी संख्यामां आपणे एकठा मळ्या छीए. एकंदर स्थिति जोतां मालुम पडे छे के मोटां शहेरोना केटलाक धनाढ्य पुरुषो जेमनी संख्या आंगळीना वेढा ऊपर गणी शकाय तेटली संख्या बाद करतां, बाकीनो जैनवर्ग गरीब अथवा देखीती सामान्य स्थिति भोगवे छे अने तेओमां धर्मनुं ज्ञान नथी. गरीबीतुं कारण पैसा मेळववानां साधन थोडां छे अथवा मोघां छे, अने धर्मज्ञान मेळवाने साधन, अवकाश अने वृत्ति ए त्रणे नथी. पैसा कमावानां साधनोनुं विशेष बारीकीथी अवलोकन करीए छीए तो जणाय छे, के आगळना वखतमां जींदगीनां साधनोनी संख्या थोडी हती अने ते देशमाथी थोडे खर्च अने प्रयासे मळी आवतां, अने बीजा प्रदेशोनी चीजोनो सहवास ओछो होवाथी ते मेळववानी इच्छा पण थोडी थती हती. आ उपरांत देशनो वेपार पण घणो खरो आपणा हाथमां होवाथी संपत्ति मेळववानां साधनो हमेशां अनुकुळ रहेतां. हालनी स्थिति तरफ वळीए छीए तो प्रदेशना सहवासथी जींदगीनां साधनोनी संख्यामां वधारो, ते मेळववानी वधती जती जिज्ञासा, मेळववानां साधनोनी अछत अने देशी वेपारनी पडती स्थिति ए नजरे आवे छे. वळी मूळथी जैनोमांथी विद्या धीमे धीमे नष्ट थती चाली हती अने ते मेळववानो विचार पण उत्पन्न थतो नहोतो, तेवी स्थितिमां “दुकाळमां अधिक मास" ए कहेवत प्रमाणे प्रदेशी वेपार अथवा नोकरीमा दाखल थवाने जे ज्ञाननी जरूर ते मेळवानी मुसीबत वधारानी आवी पडी. आ नवं ज्ञान मेळववामां हालनी केळवणीनी रीत मुजब पैसो जोईए ते तो प्रथमथीज चालवा मांड्यो हतो, एटले हालमां जणाई आवती विशेष निर्धन अवस्था अने अशक्ति मालुम पडती जाय छे. आवी वखते ज्यां मुधी हजु थोडो वखत छे त्यां सुधीमां धनाढ्य तेमज सुखी स्थितिनां माणसो आ. विषय उपर ध्यान वेळासर नहि आपे, तो काळे करीने तेओनी स्थिति आवाज संजोगो चालु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४८ ) रहेवाथी मदद करवा जेवी नहि रहेशे, तो पछी कोमनी उन्नतिनां साधन होवा छतां मेळववानो इलाज हाथमा रहेशे नहि. हत्रे आ बाबतमां पगलां भरवानी जरूर छे तो ते केवी रीते लेवां अने शुं लेवां ते नक्की करवानी स्वाभाविक फरज पण आपणे माथे आवी पडे छे. आ जाणवा माटे आपणे हालमां अपाती केळवणी, तेनाथी थती असर, तेनाथी धर्मवृत्ति वधे हे अथवा घटे छे अर्थात् आ जींदगी तेमज आवती सुधरवानी आशा रहे छे किंवा नहि, बीजा देशोनो सहवास विगेरे त्राबतो तपासत्री जोईए; कारणके सौथी मोडो उठे तेने पण एक जातनो लाभ मळेछे तेम जैन प्रजा मोडी उठी छे, तोपण बीजाओनुं अवलोकन करी तेनाथी पोताने जोईए तो वडो मेळवी शकशे, अने ते मेळव्या पछी आपणुं भविष्यनुं कर्तव्य केवी रीते गोठवतुं तेनो ख्याल बधारे सारो आवी शकशे. ऊपर मुजब बिचार्या बाद हवे आपणे कोमनी उन्नति केवा प्रकारनी जोईए छे ने जोवानुं छे. कोईपण प्रकारे जो उन्नति करवी छे तो ते हंमेशां खरी बाजु तरफ होवी जोईए. इतिहासनां पानां तरफ नजर करीए तो जुदाजुदा देशनी प्रजाओ आगळ वती जोवामां आवेछे, तेम कोई ठेकाणे उन्नति एकतरफी थती जणाय है. खरूं जोतां तो जे बडे आपणे संसारिक, मानसिक अने धार्मिक ए त्रणे दिशामां आगळ वधी शकीए तेनेज खरी उन्नतिनो रस्तो कही शकाशे घणा दाखलाओ एवा पण जोवामां आवे छे, के एक प्रजा एक बाजुथी आगळ चडती जायछे, त्यारे बीजी बाजुथी पाछळ पडती जायछे. दाखला तरीके ते एक जमानामां साहित्यना बिषयमा घणी आगळ वधती जायछे, त्यारे बीजी तरफथी स्वतंत्रवृत्ति, जातिअभिमान अने वेपारना संबंधमां पाछळ पडती जणाय छे; अने त्यांनो अमीरवर्ग पोतानी पछी भूली जई खुशामतियो थई जतो नजरे आवे छे. थोडा एवा पण दाखला मळी आवे छे के जेओ दोलत अथवा सत्ताबळथी पोते वणा आगळ वधे जायछे, त्यारे तेमनाज जातभाईओनी मोटी संख्या दुःख अने अज्ञानतामां डुवती जायछे; बीजा शब्दोमां एक तरफथी थोडाओनो मोजशोख अने दोलत अने बीजी तरफथी मोटी संख्यानी अज्ञानता, कंगाळीअत अने भूखमरानी स्थिति नजरे पडेछे. आपणने जे उन्नति जोईए छे ते आवी एकतरफी नहीं परंतु सामान्य कोम समस्तनी जोईए छे. तो पछी उन्नतिनी शरुआत क्यां करवी ? उन्नति करवामां शरुआत करी जोईए तेम तेनी भविष्यनी नेम पण होवी जोईए. माणसजाते पोतानी केळवणी क्यांथी शरु करी अने तेनी छेनी नेम क्यां हे ? दुनियांना इतिहासमां आ बाबतमां आपण अनुमान सिवाय कांई साधन मळी आवतुं नथी, परंतु आपणां जैन साहित्योमांधी प्रथमनी बाबत ऊपर केटलुंक अजवालुं पडेछे, एटले आपणा प्रथम तीर्थकर श्री रुषभदेव स्वामी आपणा धर्मना प्रथम स्थापक हता एटलुंज नहीं, पण ते उपरांत माणसजातनी विद्याकळाओनो पायो नांखनार पण तेओ पोतेज हता एम स्पष्ट वर्णवेल्लुं जोवामां आवेछे. पाश्चिम प्रजाओनो मत पण आ सिद्धांतने पुष्टि आपेछे. ते मत मुजब पण प्राथमिक मनुष्य प्राणी विद्या अने गुणमां संपन्न हतो अने तेनी कुदरती बुद्धि हालना उंचामां उंचा केळवाएला मगज करतां विशेष हती. रोबर्ट साउथ नामनो एक इंग्रेजी धर्मगुरु आ वाचत एटले सुधी वधीने कहे छे, के एक कबाट अने तेनी कूंचीनुं काणुं ए बेना महत्वमां जेटलो अंतर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४९ ) छेटलोज तफावत प्राथमिक मनुष्योनी अक्कल अने हालनी मोटामां मोटी शोध करनारनी शक्तिनी वचमां छे. वणी ते आगळ जतां कहेछे के माणसजातनी ते वखतनी भाषाशक्ति पाणीना प्रवाह जेटली कुदरती हती. ते काळतो मनुष्य बोलतां अचकातो नहीं, तेमज यादशक्ति ताजी करवाने माथु खंजवाळतो नहीं, तेम नवी शोध करवामां हालना जेटलां फांफां मारतो नहीं. एरीस्टोटल जेवो प्रसिद्ध फीलसुफ ते प्राथमिक मनुष्यने मुकाबले कचरो हतो अने ग्रीक लोकोनुं प्रख्यात अने सुशोभित शेहेर आथेन्स स्वर्गनी शोभानो एक अंशपण नहोतो. केळवणीनी शरुआत उपर मुजब जाण्या पछी हवे तेनी छेटनी नेम शुं होवी जोईए ते तपासीए. केटलाक एम कहेशे के केळवणी पामी छेवटे स्वतंत्र थवं ए अंतनी नेम छे, त्यारे केटलाकनो मत एवो थाय छे के दरेक माणस पोतानी कुदरती शक्तिनो यथेच्छ उपयोग करी शके तेवा थयुं, ए छेत्रट कर्त्तव्य छे; परंतु आपणे मनुष्य कर्त्तव्यनां धर्म, अर्थ, काम अने मोक्ष ए चार साधनो प्रथम वर्णवेलां छे, प्राप्त करवा माटे उपरनी बे शक्तिओनो उपयोग साधनरूप थई पडशे; परंतु तेओ पोते छेवटनुं फळ नथी माटे छेवटनी नेम— बुद्धि अने नीति संबंधी पूर्णताए पहोंचवानी होवी जोईए, एटले बीजा शब्दोमां ज्ञान अने नीति ए बे छेवटनां फळ होवां जोईए. केळवणीथी मानसिक शक्ति वधारवी अने नीतिना धोरणपरथी नीचे उतरखं एथी जो उन्नति मानीए, तो पुरुषार्थनां चार साधनो तेनाथी प्राप्त थवानां नथी. दुनियानुं अवलोकन करवाथी अने अनुभवथी पण साफ जणाई आवे छे, के एकज माणसमां बुद्धि अने केळवणीनी साथै सत्य ने परोपकारवृत्ति ए बे जोडाएलां क्वचितज जोवामां आवे छे. मूळथीज धर्मवृत्ति विनाना माणसने केळवणी आपवाथी ते माणस ते केळवणीने पोतानी बुरी वृत्तिओ पार पाडवामां हथियार तरीके वापरे छे. जो तेनी नेम स्वार्थी होय तो केळवणीथी तेनी नुकसान करवानी शक्ति वधे छे. सारा केळवा ला वर्गमां आपणने एवा दाखला पण मळी आवे छे के खराब पात्रो केळवणी पामी दगो करवानी शक्ति हद बहारनी प्राप्त करे छे. तेओ पोताना पाडोसीनुं प्रथम बुरुं करे छे, लोकोने ठगे छे अने बजा अज्ञानोने उइकेरी अवळे रस्ते दोरे छे. जो के उपर मुजब केळवणी खराब पात्रमां पडवाथी विरुद्ध परिणाम आवे छे तो पण तेथी एम मानवानुं नथी के केळवणीथी बुद्धि खीलती नथी. विद्यानुं कुदरती वलण मनुष्यने नीतिने रस्ते दोरवानुंज होय छे, जेमके सारी धर्मवृत्तिवाळा छोकराने जेम केळवणी मळती जाय छे, तेम तेम भणीने इंद्रिय सुखोन प्राप्त करवाने बदले उंच वृत्तिओ धारण करतो जाय छे, तेना विचारो दिन दिन प्रत्ये उंचा चडताज जायछे, तेनामां विशेष ज्ञान मेळवानी उत्कंठा प्रबळज रहे छे, तेनी वृत्तिओ हमेशां विद्या अने कळाना क्षेत्रमां जीत मेळववाना यत्नमांज तत्पर रहे छे; आवी रीते आखी कोमनी वृत्तिओ प्रथम धर्मज्ञानथी जागृत थया पछी, केळवणीथी ते कोमनुं परिणाम पण ऊपर मुजबज आवे ते स्वाभाविक छे, आवी रीते आगळ वधेली कोम पोताना बुद्धिबळधी, नवी शोधथी, कारीगरीथी अने वेपारथी जे द्रव्य संपादन करशे ते इंद्रिय सुखो भोगववानां साधनो एकठां करवामां वापरवाने बदले, ज्ञाननो वधारो पोतानी संतति अथवा जातभाई ओमां करवामां वापरे ए परिणाम पण पोतानी मेळेज आवे छे; बीजा शब्दोमां ते कोम परोपकार वृत्तिवाळी थाय छे. त्यारे हवे द्रव्यनो व्यय केवी रीते थशे तेनो आधार, ते संपादन करनारना मनमां अधम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५० ) मोजशोख अथवा बीजी उंच वृत्तिओ एमांथी जेनुं प्राबल्य विशेष होय तेनाऊपर रहे छे, अने तेथी ए तो निर्विवाद रीते कही शकाय के केळवणीनी सामान्य असर लाभकारी छे; कारण के जेना वडे उंच वृत्तिओ प्रफुल्लित थाय छे तेज शक्ति हलकी वृत्तिओने दाबी देवा समर्थ होय ते पण स्वाभाविक छे. फक्त बुद्धि वधावानां उत्पन्न करवाथी नीतिनो चधारो थशे के नहि ते शकमंद छे, तेथी खरी उन्नति माटे दरेक माणसना मनमां कोमनी तरफनी पोतानी फरज, नीति अने धर्मज्ञान ए प्राथमिक शीक्षणथीज दाखल थवां जरूरनां छे. धर्मनी केळवणी विना माणसो कळा अने साहित्यमां प्रवण होय तो तेओना विचारो साधारण रीते दुषित होय छे; तेओनी मानसिक जींदगीमां पोतनुंज भलुं करवानी अने द्रव्य संपादन करवानी वृत्तिओ प्रबल रहे छे, मोजशोखनो तेमनो उद्देश कायम होय छे; ऊपर कहेलुं परिणाम हालमां केटलीक प्रजाओमां जोत्रामां आवे छे तेवीज रीतनुं परिणाम तेवी केळवणीथी आपणी कोममां उत्पन्न करवुं होय, तो आजे आ विषय चर्चाविवानी मेहनत अफल थयेली गणाशे. एटला माटे, अमे फरीथी कहीशुं के माणस जातनी अंदर गुप्तरीते रहेली उंच मानसिक शक्तिओने खीलवी ते वृत्तिओ आखी कोमना बलके माणस जातना भलाने माटे उपयोगमां आवे तेवुं परिणाम लाववुं होय, तो सामान्य केळवणी अने धार्मिक केळवणी ए बन्ने साथेज फेलाववा प्रयत्न करवा जरूरना छे. माणसनी कुदरती शकितमनुं अवलोकन आ विचारने पुष्टि आपे छे. माणस जातना कुदरती बंधारण उपर नजर करीए छीए तो जणाय छे, के तेनी जींदगीने माटे वणी चीजोनी अगत्य छे के जे इच्छा थवानी साथै प्राप्त थती नथी, अने तेथी ते मेळववाने ते इच्छा उत्पन्न थतांज प्रयत्न जारी करवा पडे छे. माणस जातथी नीचां प्राणीओ भूख अथवा बीजी हाजतोथी दोराई पोताने जोईता पदार्थों मेळववा प्रयत्न करे छे अने तेम तेओ कुदरती प्रेरणा मुजबज वर्ते छे अने ते बुद्धि हद बहार केळवी शकाती नथी. बीजी तरफथी माणसने दरेक चीज माटे प्रयास करवो पडे छे अने ते प्रयत्नमांज तेनी बुद्धि धीमे धीमे खीलती जाय छे. बळी तेने वाचा अने विचारशकित होवाने लीधे एक इच्छा फळीभूत थया पछी तेने बीजी तेत्रा प्रकारनी मोटी इच्छा उत्पन्न थाय छे अने तेथी तेनी मानसिक शक्ति दरेक पळे सुधरती जाय छे. थोडे प्रयासे इच्छा पुरी पाडवा माटे तेने ज्ञाननी जरूर पडे छे अने दरेक फतेहनी साथै तेना अंतःकरण उपर आनंदनी छाप पडती जाय छे. आगळ जतां ते अंतःकरण तेने बीजी उंच वृत्तिओ जेवीके सत्य, न्याय, अने सामाजिक मैत्री तरफ दोरी जाय छे अने छेवटे परोपकारबुद्धि प्राप्त थई तेने पुरुषार्थना छेडा सुधी लई जवा पामे छे अने छेवटे मनुष्य प्राणी पोताना निर्मळ आत्माने ओळख पोताना जन्मने कृतार्थ करे छे. खरुं जोईए तो नानपणथीज प्राप्त थएला संस्कारो आ मानसिक केळवणीने लीधे तेने प्रजा वर्गमां एक उपयोगी अने दाखलारुप प्राणी बनावे छे. आ संस्कारो एक रीते तेने पोताना पूर्वजो तरफथी वारसा मां मळेछे. पाछलो जमानो पोतानी कारकीर्दनी छाप आगला जमाना माटे मुकी जायछे, एटले बचपणथीज दरेक मनुष्य पोताथी आगळ थई गएला मनुष्योना अनुभवनुं अवलोकन करतो जाय छे. पोताना जन्मकाळ धीमा प्रजाए जे डहापण. चातुर्य विगेरे मेळवेल होय तेना फायदा आ नवो प्राणी छे. पोतानां बचपणनां कपडां अने रमकडां अने घरना बीजा पदार्थो, कुटुंबनां माणसोनी चालचलण, तेनी केळवणी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५१ ) सोबतनी असर विगेरे ते वखतथीज एक रीते तेनी केळवणीनी शरुआत करेछे. अने मनुष्यप्राणी जिज्ञासु होवाने लीधे आ उमरमां जे ज्ञाननी शरुआत करेछे, ते तेनी बाह्य तेमज अंदरनी शक्तिओने कायमने माटे असर करेछे. आ उपरथी बचपणमां मानसिक वृत्तिओ केवी रीते केळववी ते उपर आ प्राणीनी भविष्यनी जींदगीनो आधार रहेछे ते सिद्ध थायछे. बचपनी आ केळवणी मळ्या बाद आगळ उपर धर्मज्ञानथी ते उपर शुं अमर थाय छे ते तपासीए. पूर्वभवमां आत्माना ज्ञान, दर्शन अने चारित्ररूप स्वाभाविक गुणो, जेटले अंशे कर्मबंधनथी मुक्त थया होय तेटला अंशथी मनुष्यप्राणी आ भवमां धार्मिक जींदगी शरु करे छे, अने तेने धर्म, धार्मिक क्रियाओ अने पूर्व थई गएला महान् पुरुषोनां चरित्रो दृढ करेछे. धर्म ए केळवणीनी असर सारी करवाने मुख्य पायो छे एटलुंज नहीं पण, खरुं जोईए तो कोईपण प्रजानी उन्नति बीजां तमाम साधना करतां "धर्मी वधारे सारी अने मजबुत थाय छे. धर्मवडेज बुद्धि आत्माने ओळखेछे, अंतःकरणने जाग्रत करी ऊंच वृत्तिओमां दोरेछे अने आवी रीते शरु थएली जींदगी जनमंडळने सुखदाई थई पडे छे. आ संसारना क्षणिक सुख करतां बीजी ऊंची जींदगी छे एम भान करावी ते प्राप्त करवाने सद्गुणी जींदगी गाळवी ए प्रेरणा पण धर्मवडेज थाय छे. पराक्रमवृत्ति पण धर्मवडेज उत्पन्न थाय छे. टुंकामां बाळपणथी प्रथम धर्मपरायणवृत्ति उत्पन्न करी पाछळथी उंचा प्रकारनी केळवणीथी प्रजाने केळववामां आवे तो कोईपण कोमनुं घणुं उज्वल भविष्य आणी शकाय एम कहेवुं ए अतिश्योक्ति गणाशे नहीं. बीजी रीते कहीए तो ऊपरना क्रमधी कोमनी केळवणी शरु करवामां आवे, तो परिणामे मानसिक, संसारिक अने धार्मिक पूर्णताए पहोंची शकाय, ए कल्पना जो के अत्यारे फक्त शब्दोमांज आनंददायक लागे छे तोपण ते असंभवित नथी एम साधारण समज पण कबूल करशे. परंतु आ उमदाफळ स्वार्पण अथवा आत्मभोग सिवाय मेळवी शकवुं दुर्लभ छे; केमकें कोममां लाखो प्राणीओ छे अने ऊपर कहेलुं भविष्य आपणने ते तरफ तेमने दोवाने ललचावे छे. आ संख्यामांथी सेंकडो मनुष्य आ संसारमां जन्मी जींदगीनुं कांईपण सार्थक कर्या सिवाय पोतानी दुःखी जींदगी पुरी करे छे, अने तेओनुं भलं करवाने शक्तिवाळा पुरुषो पोतानो भोग आप्या सिवाय कांई करी शकवाना नथी. आ भोग आपवामां आपणे केवळ नवुं साहस करवानुं नथी. सृष्टिनो नियम छे के एक जमानामां जे बीज ववाय छे तेनां फळ बीजो जमानो भोगवे छे, एटले एक जमानानां मनुष्यो जे परिणाम माटे मेहेनत करे छे ते ते पोते भोगववा भाग्यशाळी थता नथी. आपणे हाल जे सुख अथवा धर्मरुपी फळ भोगवीए छी ते आपणा पूर्वजोनी निःस्वार्थ अथाग मेहेनत अने दीर्घ दृष्टिनुं परिणाम छे. जो कोम ए शब्दथी आपणे जैन मात्रनो समावेश करीए तो तेमांना घणा उत्साही पुरुषो तेनुं कल्याण करवाने आखी जींदगी मच्या बाद पोते जे प्रयास करेलो होय छे, तेनुं परिणाम कोम उपर थतुं जोवाने पण तेओ पोतानुं आयुष्य राखी शक्या नथी, एवा घणा दाखला आपणे सांभळीए छीए. कोमनुं कल्याण असंख्य भोग आप्या विना थतुं नथी. एक जुनी कहेवत छे के धर्मना कामने असंख्य विघ्नो नडे छे परंतु पारमार्थिक वृत्तिना पुरुषो एकला होय, तोपण तेओ पोतानुं कर्त्तव्य ते विघ्नोनो नाश करी पूर्णताए पहोंचाड छे. एकज माणस शुं करी शके एम मानवुं भूलभरेलुं छे, ते आपणी कॉन्फरन्सनी हयातीज साबीत करी आपे छे. तेनी योजना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५२ ) एकज पुरुष एटले आपणा मानवंता जैन रत्न गुलाबचंदजी ढढाए करी छे अने पोतानी धारणा पार पाडवाने घणां विघ्नो नडशे एम जाण्या छतां तेमणे खरा अंतःकरणथी जैन कोम तरफनी पोतानी दिलसोजी पूर्णताए पहोंचाडवा शारीरिक, मानसिक अने द्रव्य संबंधी भोग आपी आ कॉन्फरन्सनुं बीज रोप्युं छे; अने ते झाडनुं पोषण करवाने जैन कोम केटली उत्सुक छे ते जोई आनंद पामवाने तेओ पोते अत्यारे आपणा मंडळमां बिराजे छे. हालना जमानामां वधारे नजर करीए छीए तो विद्वान् पुरुषो आखी जींदगी मच्या रही जे नवी शोधो करे तेनुं फळ पोते भोगवता नथी. तेओ ज्ञानना दरवाजा प्रजाने माटे खुल्ला करवामां पोताना दैहनो भोग आपे छे अने बीजाओ माटे रस्ता खुल्ला करी आवे छे. त्यारे शुं आ उपरथी एम सिद्ध थाय छे के जेओ केवळ परमार्थने माटे पोतानुं सर्वस्व अर्पण करे छे तेओने कांईज फळ मळतुं नथी ? जो एम गणीए तो आ जन्म पछी बीजो जन्म नथी अथवा इंद्रिय सुख सिवाय बीजुं सुख नथी एम कहेवाय. परंतु ज्ञानीओए बन्ने बाबतो जूठी पाडी छे, अने आ जन्ममां करेलां कर्मनुं सारुं अथवा नरतुं फळ अहीं तेमज आवती जींदगीमां भोगवाय एम सिद्ध करी आप्युं छे. त्यारे एम कहेवुं पडशे के जे महान् पुरुषो आखी कोमने माटे पोतानो भोग आपे छे जेओ पोतानो आवतो जन्म सुधारे छे एटलुंज नहि पण, आ जन्ममां पण पोताना आत्माने संतोष आपवानुं मोटुं सुख जे पैसा वडे पण मळी शकतुं नथी ते मेळवी शके छे. वळी बीजी रीते जेओ पोतानी जींदगीमां परमार्थ करी जाय छे तेमनीज संतति तेनुं सुख बे रीते भोगवे छे. एटले एक तो तेओ पोताना पूर्वजो ने पगले चालतां शीखे छे, अने बीजुं तेओ पोते वडीलोनी कीर्तिनुं फळ भोगवे छे. आ रीते धीमे धीमे एक माणसे करेलुं कृत्य आखी कोमने आशिर्वादरूप थई पडे छे. आ उपरथी सिद्ध थाय छे के कोमना दरेक माणसे पोतानी शक्ति मुजब कोमनी उन्नति माटे प्रयास करवानी फरज छे. जेमके शरीरना जूदा जूदा अवयवो जू दुं जू दुं काम करी शरीरनुं पोषण मेळवे है परंतु अंते लोही रूप दरेक अवयव ते पोपण पाहुं मेळवे छे, तेम कोमनी अंदर पण थोडाओर करेला कृत्यो आखी कोमने उपयोगी थई पडे छे एटले तेमां स्वार्थ अने परमार्थ बन्ने सिद्ध थाय छे. आ सिद्धांत पुर्व थई गएला महान् पुरुषोनां चरित्रोथी सिद्ध थाय छे. दुनियामां जेम बखतो वखत एक प्रजा बीजा करतां आगळ पडती थाय छे. तेम एक कोमनी अंदर पण केटलाक माणसो आगळ पडता जणाय छे. ऐतिहासिक महान् पुरुषो विषे पण तेमज होय छे. तेओनां कर्तव्यनी छाप आखी प्रजा उपर पडे छे. माणस जातना इतिहासमा ज्यारे ज्यारे मोटा फेरफार थवाना होय छे त्यारे ते करवा माटे महान् पुरुषो उत्पन्न थाय छे. संसारिक अने धार्मिक सुधाराना मुख्य उत्पादक महान् पुरुषो एकलाज होय छे. विद्या, कळा, साहित्य विगेरेना इतिहास साथे तेओनां नाम जोडाएलां होय छे. हालना जमानानी विद्या विषयनी शोधमां पण तेज अनुक्रम प्रसरतो जोवामां आवे छे. आपणा पूर्वाचार्योए आपणा धर्मनी उन्नति माटे असंख्य पुस्तको अने क्रियाना नियमो अथाग मेहेनत अने केवळ निःस्वार्थ बुद्धिधी रच्या न होत, तो आजे आपणी धर्म संबंधी स्थिति केवी होत अने केटला अज्ञानमां डुबेला पडया होत ! जे किंचित् ज्ञान आपणे हाल धरावीए छीए, ते पूर्व काळना विद्वानोनी परमार्थ वृत्तिनी निशानी छे माटे तेओ तरफ माननी नजरे जोवुं अने ते मुजब वर्तवा प्रयत्न करबो, ए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५३) आपणी फरज अथवा भक्ति छे. जे ज्ञानरूपी भंडार तेओ आपणा माटे मुकी गया छे, तेमां वधारो करवानी तो आपणामां किंचित् पण शक्ति नथी तो ते महान् पूर्वजोनी संतति तरीके आपणे एटलं पण अभिमान न राखq, के ते ज्ञान कायम राखी तेनो फेलावो आपणा जातभाईओमां करवो? जो तेम न करीए तो आपणा पूर्वजोने आपणे बीलकुल लायक नथी एम आपणने नहि लागशे अथवा कोई आपणने नहि कहेशे ? धर्मना विषय सिवाय जमानानी कळाना विषयो तरफ नजर करीए छीए, तो जणाई आवे छे के छापवानी कळा, वराळयंत्र, वीजळिक तार, के जेनाथी हालनो व्यवहार सेहेलाईर्थी चलावाय छे ते कळाओनी हयातीनी साथे तेना शोधकोनां नाम अमर थई गयलां अने मेदाननी सपाटी उपर उज्वळ शिखररूप देखाय छे. प्राचीन वखतथीज महान् पुरुषो अने तेमनां कर्तव्योने देवअंश आपवानी पद्धति पडेली जणाय छे. बीजी रीते कहीए तो जे महान् पुरुषो भविष्यनी प्रजाना हितने माटे पोतानो भोग आपी, दुनियानां सुखोनो त्याग करी जे ज्ञान आपणे माटे मुकी गया छे, तेमनी कीर्ति माणस जातना इतिहासमा चळकता ताराना आकारमा रहे तेमां कांई आश्चर्य नथी. वळी तेओनां घणां कर्तव्योनां फळ आपणने एवां सामान्य थई पड्यां छे के ते आपणे भोगवता छतां तेना पुरावा, इतिहासमां मळी आवता नथी; अने तेनुं कारण ए छे के ते वखतनो इतिहास आपणने लेखरूपे मळतो नथी, अथवा सामान्य होवाने लीधे ते बनावोनी इतिहासमां नोंध लेवाई नथी. आ सिद्धांत साबीत करवा माटे एक माणसनो दाखलो लईए कारण एक माणस पण प्रजानो एक अंश छे. जेओ विचार करता नथी तेओ साधारण रीते एम मानेछे, के बचपणनां पहेलां वर्षोमां बाळक कांई समी शकतुं नथी. तेओ एमज समजेछे के बचपणमां माणस खावु अने वधq ते सिवाय काई करतो नथी. आ कल्पना मोटी भूल भरेली छे. बारीक विचार करतां साफ जणाई आवे छे के बच्चु पोताना सहवासमा आवता पदार्थोनु कद, माप, अंतर, अने तेनु अवलोकन करवामां इंद्रिओनो उपयोग करवामां जे शक्तिओ वापरेछे तेथी तेना मननी चपळता ते वखतथीज प्रफुल्लित थवा पामेछ. आ रीते मेळवेल ज्ञान- महत्व आपणे समजता नथी तोपण ते आखी जींदगीमां मोटा खजानानी गरज सारेछे. आ शक्ति मेळववामां प्रथमना बे वर्षमा जे ज्ञान उत्पन्न थायछे ते आखी जींदगीना पछीना प्रयासथी मळी शकतुं नथी. आ क्रियाओ एवी सरळताथी काम करेछे के आपणे तेनी नोंध लेवानी अगत्य समजता नथी. दाखला तरीके देवतानो दाखलो लईए तो आपणे आ काळमां तेना उपयोगथी एटला बधा जाणीता थई गया छीए, के श्री ऋषभदेवस्वामीना वखतमां जुगलीआंने काचं अनाज न पची शकवाथी तेओने अग्नि उत्पन्न करवानी अने तेने वापरवानी युक्ति प्रथम शीखवी अने तेथी तेओ अनाज रांधीने वधारे स्वादिष्ट करीने खावा शीख्या. ते वखतनो तेमनो आनंद आपणी कल्पनामां पण अत्यारे घणा महत्वनो जणाई आवतो नथी, परंतु तेओने केटलं आश्चर्य अने नवाई लागी हशे अने तेथी केटलो आनंद थई गयो हशे, तेनो काईक ख्याल विचारशक्तिथी लावीए तो आपणने सामान्य दाखला पण घणा बोधकारक नीवडी शके. बीजो दाखलो धातुओनो लईए तो प्रथम तेनो घणोज सादो उपयोग थतो अने हाल ते केटला विस्तारमा अने विविध आकारमा आपणे वापरवा शीख्या छीए. भाषानो दाखलो लईए तो पण जणाय छे के प्रथम भाषा केटली सादी १२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५४ ) अने ते वखतनी माणसनी जरूरीआत जेवा शब्दोथी उत्पन्न थई हशे, पण जेम जेम एक बीजानो सहवास वधतो गयो तेम तेम तेनी अगत्य वधती गई अने हाल दरेक भापानो विस्तार करोडो शब्दोनी संख्याथी गणी शकायछे. खेतीवाडी तरफ जोईए छाए तो प्रथम घासरुपे देखाता छोडनां बीजने खोराक तरीके वापी हशे, अने पछीथी खप वधवार्थी विस्तारमा वाववानी अने थोडी जग्यामां मोटो जथो उत्पन्न करवा माटे खातर विगेरेनी शोध थई हशे. प्राणीओ पाळवामां पण ज्यारे मनुष्यबळ करतां वधारे बळनी जरूर पडी हशे अथवा तेमना वाळ विगेरेनो उपयोग मालुम पडयो हशे त्यारथी शरु थई, हाल ते केटली पुर्णताने पामी छे तेनो ख्याल आववो सेहेल नथी. आ रीते प्राचीन काळमां जे जे प्राथमिक शोधो थई हती तेनो हालनो इतिहास नोंध लेतो नथी पण तेनी कल्पना हालना विस्तार पामेला ज्ञानथी पण थई शकेले. आ उपरथी आपणने प्राचीन अने अर्वाचीन वखतनो मुकाबलो करवानी तक मळेछ; अने केळवणी आपवाना नवा बंधारणनी योजनामा हालनो जमानो केवी स्थितिनो छे ते जोवा माटे पण तेम करवानी अगत्य छे. प्राचीनकाळमां दुनियाना जुदा जुदा भागमां माणसो केटले अंतरे वसतां ते हाल एक बीजाथी नजीक अने एकत्र थयांछे. दुनियांना जुदा जुदा भागोनी शोध थई छ अने जुदा जुदा प्रदेशना माणसो एक बीजाथी जाणीता थयाछे. एवी कोई जात नथी के जे हालमां अजाणी रहेती होय. वखत अने अंतर ओर्छ करवाने केटलां साधनो तैयार छ ? हालनी रेलवेनी सडको जे जुदा देशो अने खंडोने जोडेछे अने देशमा जाळ माफक प्रसरेली छे तेथी तेनी साथे मुकाबलो करतां प्राचीन राजाओ पोताना राज्यमा रस्ता बांधता ते केटला नजीवा जणाय छे. मुंबईथी कलकत्ते दोढ दिवसमां जई शकाय एवी वात २०० वर्ष पहेला कोईने कही होत तो चमत्कार अथवा गप गणात ते आजे नजरे अनुभवीए छीए. जुदां जुदा शेहेरोनी वस्ती एक बीजाथी घणे अंतरे गणाती ते हवे एक बीजानी पाडोसी जेवी थई पडीछे. दुनियांनो व्यवहार केटलो घाडो थई गयो छे ते जोवाने एक न्युसपेपर हाथमां लेबु बस छे. तेमां जोईए छीए तो गई काले युरोप, अमेरिका अथवा आस्ट्रेलियामां शुं बनाव बन्याछे तेनुं वर्णन नजरे आवे छे, अने ते खबरो वीजळीनी झडपे अने वीजळीनी माफक तेज अहीं आवी छे. कोई ठेकाणे धरतीकंप, दुकाळ, कांई भयंकर अकस्मात, आग अथवा कांईपण जाणवालायक बनाव बन्या होय, पछी ते न्युयोर्क होय के लंडन होय के चीन होय तो तेना विगतवार समाचार अहीं बेठे आपणे अनुभवीए छीए. टंकामां बे देशनी प्रजाओ जे प्राचीन काळमां जुदा ग्रहनी वस्ती होय तेवी एक बीजाथी अजाणी हती ते हवे नजीकना पाडोसी माफक एक बीजानी हकीकतथी वाकेफ थई शकेछे. आ बधी बाबतो दुनिया वायुना वेगी विद्याकळामां दोडती चाली जाय छे एनुं भान करावे छे अने ते आपणी चालचलण अने बुद्धि उपर जबरी असर करे छे, आपणी जींदगीनी द्रष्टिमर्यादाने घणा विस्तारवाळी करे छे अने विचारशक्तिने असंख्यात विषयो मनन करवाने पुरा पाडेछे. आम थवाथी मनुष्य जातनो एक बीजा प्रत्येनो स्वार्थ अने मैत्री वधवानां चिन्हो हद बहार वधी पडेछे. प्राचीन अने अर्वाचीन काळना ऊपर मुजब फेरफारथी एक नवी बाबत आपणी नजरे आवे छे के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५५ ) विद्याकामां प्रवीण होय ते प्रजा सरसाई भोगवेछे. ज्यां जोईए छे त्यां एमजं देखाय छे के जे प्रजा विद्याकळामां आगळ वधेली होयछे तेज सर्वोपरी पद मेळवेछे अने भवित्र्यमां पण तेमज रहेशे एम अनुमान थायछे. प्राचीन काळमां पण तेम हतुं तेना पुरावा पण गेरहाजर नथी. जुना आर्यो कहो अथवा जुनी जैन प्रजा कहो ते आसपासना देश प्रदेशो ऊपर जे सरसाई भोगवती आपणे वांचीए छीए, ते पण तेमना बुद्धिबळनी उत्तम स्थितिज हती अने तेमनी संतति हाल केत्री दुर्दशाए पहोंची छे अने ते कया कारणथी ते आपणे सर्वे जाणीए छीए अने ते फरी कहेवानी जरूर नथी के विद्यानी खामीथी ! ! आपणे आ स्थितिमां पडी रहेवुं अने हाल छीए ते करतां पण दुनियामां पाछळ पडवुं, के दोडती दुनियांनी साथ घसडाई आगळ दोडवुं ए बन्नेमांथी शुं पसंद करवुं ए आपणी मरजी ऊपर के. पण आपणा बधानुं अहीं भेगा थवुं एज सुचत्रे छे के आपणे बेसी रहेवानो विचार करवाने नहीं परंतु बधाओनी साथे आगळ वधवानां पगलां भरवानो विचार धरावीए छीए. युरोपखंड एशिया करतां नानो छे अने तेनां संस्थानों सहितनी एकंदर वस्ती दुनियांनी वस्तनो एक नानो भाग थाय छे ते छतां आ नानी संख्या सर्वोपरी सत्ता भोगवेछे अने ते आपणे फरीथी. कही शुं के विद्याबळथी. वधारामां जोईए तो हालना काळमां प्रजामतनी शक्ति वधी छे. प्रजासमुहनी स्थितिनो विचार करतां आ नवी शक्ति पण आपणुं ध्यान खेंचेछे अने ते शक्ति प्रजामत छे. अगाऊ ज्यारे माणसो एक बीजानी साथै क्वचित प्रसंगमां आवता. अने एक बीजानो संबंध एटलो दुरनो हतो के अरसपरस विचार बदली शकता न होता त्यारे प्रजामत ए शब्दतुं महत्व कांईपण हिसाबमां न होतुं जो मत कहीए तो फक्त राज्यकर्तानो हुकम हतो के जेना उपर वादविवाद चालतो नहोतो. जो प्रजा विचार करती तो ते पण पोताना धर्मगुरु अथवा राजा अने विद्वानोना मतने अनुसरतोज करती. हालना समयमां दरेक माणस पोताना विचार स्वतंत्र रीते बतावी शके छे. प्रजासमुहनी बाबतना विचार होय तो ते प्रजामत धीमे धीमे एकठो थई छेवटे एवुं गंभीर रूप पकडे छे के तेना विरुद्ध धनारने हंफावे छे एटले सुधी के, राज्यकर्ताने पण प्रजामतने मान आपवानी फरज पडेछे. एवो कोई माणस नथी के श्रोते मनस्वीपणे वर्त्ते अथवा बीजाने नुकशान करे अथवा जुलम करे अने तेना जातभाईओ प्रजामतरुपे एकत्र थई धिक्कारी न काढे अथवा तेने हरावे नहीं. एक रीते प्रजामत ए प्रजानी मानसिक शक्तिनुं बळ छे. एवी कोई संस्था नथी पछी ते गमे तेवी प्राचीन होय अथवा कायदा अथवा सत्ताधी रक्षित होय के जे अन्यायी अथवा नुकशान कारक जणाय तो तेने प्रजामत कायमने माटे धिक्कारी शके अने पोते हठे नहीं. आवी हानिकारक संस्थानी आसपास आ प्रजामतरूपी पवन वधारे वधारे जोरथी चारे बाज़थी फूंकवा मांडेछे; अने जो ते सुधरे अथवा डगे नहि तो छेत्रटे वंटोळीआ रूपे तेने जडमूळथी उखेडी नांखे छे. ज्यारे देशना जुदा जुदा भागोमां संख्याबंध न्युसपेपरो अमुक कोमना अथवा गांवना अथवा प्रजाना मत दर्शाया माटे अथवा तेमांना खराब रिवाजो काढी नांखवा माटे उपायो दर्शाववा माटे नीकळतां हतां त्यारे गया व सुधी आ जैनवर्गनुं हित अहित दर्शावनार जाहेरपत्र नहोतुं परंतु जणाववाने खुशी उपजे छे, के जेम आखी को पोतानुं श्रेय करवा आ संस्था उभी करीछे त्यारे कोमना माणसो पण ते तरफ प्रयास करवा मंड्या छे अने मारा मित्र मि. भगुभाई फत्तेहचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५६ ) कारभारीए " जैन ” नामनुं सप्ताहिक वर्तमानपत्र खास जैनोना हितार्थे काढवा मांडयुं छे. अने ते पेपर पोतानुं नाम केटली सारी रीते दिपावळे तेथी अहीं भेगा थएला आपण मोट भागे जाणीए छीए. आशा छे के आ तेमज आवां बीजां स्वतंत्र लेखवाळां पेपरो हजु जैन कोमने दिपात्रत्राने प्रगट थाय अने दीर्घायु भोगवे. जेम साहित्यना साधनमां प्रजामतनी उपर मुजब स्थिति छे तेम हालना जमानामां शास्त्रीय विद्या अने कळा ज्ञान पण ओछी अगत्यता धरावतुं नथी. बुद्धिबळमां आगला जमानाओ उपर हालनो जमानो सरसाई भोगवतो होय तो ते आ शास्त्रीय ज्ञानने लीधे छे. शास्त्रीय विद्याओ ज्ञानने माटे खुली आंखे शोध करे छे. जे नियमोने तर्कशक्ति टेका न आपे अथवा तेनुं स्पष्टीकरण न करी शके तेने आ विद्या कबुल करती नथी. अमुक कल्पना आत्री होत्री जोईए अथवा छे एम मानवाथी खराब असर थती होय तो ते तेना तरफ शकनी नजरे जुवे छे. ते दरेक दंतकथाने पोता सामे धरीने तेनी खरी खोटी स्थिति तपास छे. ते ज्ञानने अवलोकन करी घणी खंतथी कुदरतने, माणसना मनने, इतिहासिक अने बीजां जे साधनो तपासने माटे जरूरनां होय तेने तपासे छे अने पोताना अवलोकनमां घणी सावचेती वापरे छे अने वहेम रूपी शक्तिओनी पण तपास करीने प्रजाना मन ऊपर ते शुं असर करे छे तेनी नोंध ले छे; गेरव्याजबी भूलो थती अटकावे छे अने पूरो पूरावा तपास्या बाद पोताना निर्णय ऊपर आवे छे. कयी चीज खरी छे, कर्याी संभवित छे, कयी शकदार छे अथवा नहीं जाणी शकाय तेवी छे ते सघळी नोंधीने तमांथी सार ग्रहण करे छे. आ रीते फीलसुफी अथवा मानसिक शास्त्र पण विद्याना विषयमां आवी जाय छे. तेनाथी कोई पण विषयनुं अनुमान अथवा स्पष्टीकरण करवानुं बनी शके छे. शास्त्रीय ज्ञानक् द्रव्य संपादन करवानी अने तेथी उपजतां बधां इंद्रियसुख भोगववानी शक्ति वधे छे माटेज ते मेळववा लायक छे एम अमारुं कहेतुं नथी; परंतु ते ज्ञानने लीधे मानसिक शक्ति खीली नीकळी खरे रस्ते माणस जातने दोरी जाय छे अने जनमंडळना कल्याणना रस्ता खुल्ला करी आपे छे ए जणाववानो अमारो हेतु छे. दाखला तरीके तेवा विचारो केळववाथी माणस मात्रमा अनुकंपाशक्ति द्रढ थाय छे. शास्त्रीय ज्ञानमां आगळ वधेला चालु जमानामा जोईए छीए तो निराश्रित अने दुःखीओना आश्रयने माटे खानगी तेमज सरकारी साहसो ठेकाणे ठेकाणे उत्पन्न थतां जोईए छीए, जेवांके दीवानाओ माटे तेमज आंधळां, बहेरां, मुगां माणसो माटे आश्रमो, दवाशाळाओ विगेरे. जो नीति अने भूतदया एबे वृत्तिओ हालना जमानामां विद्याना प्रसारने लीधे ठेकाणे ठेकाणे वृद्धि पामती जोईए छीए, तो विद्याथी प्रजानुं कल्याण थाय छे ए तो निःशंसय रीते कही शकाशे. उन्नतिनी बीजी निशानी मुंगां प्राणीओ ऊपर लेवानी संभाळमां पण नजरे आवे छे; कारणके जीवदया ए जैनधर्मनुं सिद्धांत छे. मांदा अने निर्बळ तेमज अपंग अने घरडां प्राणीओनी सावारने माटे पांजरापोळनी व्यवस्था थवा उपरांत आ जमानामां प्राणीओ उपर घातकीपणुं अटकाववा माटे सख्त धारा बांधेला छे एम जोवामां आवे छे. मांदां तेमज हद बहार बोजाथी लादेलां जानवरोंने रस्ता उपर अटकाव तेना मालीकोने शासन आपवामां आवे छे, ते पण विद्याबलथी थती अनुकंपावृत्तिनी एक जबरी निशानी छे. विद्या अने केळवणीनी सौथी उत्तम असर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५७ ) मासण मात्रनी उन्नति माटे उत्पन्न थती काळजी छे. आ फेरफार- अगत्यर्नु चिन्ह दरेक ठेकाणे केळवणीनो प्रसार करवानी वृतिमां जणाई आवे छे. आ उपरथी एम जणाय छे के आगळ पडेलो वर्ग पाछळ रहेलाने उचकी आगळ लाववाने बनतो प्रयास करे छे अने आ वृत्ति पण उंच मानसिक केळवणीनुं परिणाम छे. बच्चांओने मानसिक अज्ञानमां राखवां ए आपणी फरजमाथी चुकवा बराबर छ एम हाल आपणे समजवा शीख्या छीए अने तेनु कारण एज होवू जोईए. हालनां बच्चांनी मानसिक स्थिति पछी सारी के खराब ते उपर भविष्यनी उन्नतिनो आधार छ एम आपणे समजतां शीख्या छीए. उन्नत्तिनुं बीजुं चिन्ह चालु जमानामां वधती जती उद्योगिक संस्थाओ छे, प्रजावर्गनी स्थिति उद्योगनी वृद्धिनी साथे बदलाती चाली छे अने ओछा वधता रूपमा दरेक माणस अर्थ शास्त्रनो नियम समजवा शीख्यो छे अने एक बीजानी साथे कुसंप वधारवाने बदले जूदी जूदी जातोए एकत्र थई वेपार खीलवी दोलतमंद थq ए सामान्य नियम थइ पडयो छे, एटले बीजा शब्दोमां बुद्धि अने संसारिक स्थिति सुधारवा माटे दोलत जरूरनी छे एम सर्व कोई मानवा लाग्या छे. जे माणसो फक्त पोताना गुजरान जेटलुंज कमाई शके छे तेओ उपरना हेतुओ प्राप्त करवामां फक्त साधनरुपज थई पडे छे, माटे तेओने वधारे खंतीला करी तेमनामां वधारे ईच्छाओ उत्पन्न करी, वधारे उद्योग करवाने उस्केरवानी जरूर छे. आ वृत्तिओ उत्पन्न करी वधारे पैसा रळवाने माटे वधारे ज्ञान मेळववानी स्वाभाविक फरज उत्पन्न थाय छे अने तेम करवामां बुद्धि धीमे धीमे खीलती जाय छे अने स्वतंत्रता अने नीति तेनी साथे वधती जाय छे. वळी माणसजात पार अने उद्योगमा प्रवृत्त थवाथी बीजा मनोविकार दबाई जाय छे, कायदाने मान आपवानी बुद्धि उत्पन्न थाय छे, मिताहारी थवा साथे नीशो करवानी इच्छा थतीज नथी अने ते उपरांत मायाळूपणुं अने बीजाओ तरफ मैत्रीभाव राखतां शीखे छे अने तमाम माणसो आ प्रमाणे वर्तवाथी एकंदर कोमनी संसारिक स्थिति सुधरे छे. पण आ वृतिओ एटले दरजे वधवी न जोईए के तेथी पैसा माटे हदपार लोभ अने ते गमे ते द्वारे अने रीते मेळववानी ईच्छा थाय, कारणके पैसानो लोभ ए दरेक पापर्नु मूळ थाय छे एम कहेवाय छे; माणसजातमां कदी न होतो एटला जोरमां आ विचार हालमां प्रसरेलो छे; तोपण एटलं भूली जq जोईतुं नथी के पैसाथी पोतानी तेमज पारकी संसारिक स्थिति सुधारी शकाय छे अने योग्य रीते वापरवाथी नीतिना उंचा धोरण उपर जवाय छे. पैसा मेळवानी ईच्छा एटली हद बहार न जवी जोईए के बीजाओने नुकसान करीने अनीतिथी पण ते संपादन करवाने ललचाय ; कारणके लोभनुं हथियार दगो छे. पैसाना लोभथी दगो करवानी वृत्ति उत्पन्न थाय छे. स्वार्थी माणस पोतानो हेतु पार पाडवाने जोर अने दगो ए बे हथियार वापरे छे. खरु जोतां आ हथियार हलका जान वाळो वापरे छे. जे बहादुर अने मजबुत होय ते तो खुल्ला मेदानमांज लडे छे, जेमके सिंह मेदानमा पोतानो शिकार पकडे छे पण शिआळ लुच्चाईथी खोराक मेळवे छे. घणे ठेकाणे आवी वर्तणुक चलावनार एq उपनाम मेळवे छे अने तेओ आ नीच शक्तिवडे नबळाओने हरावे छे. केहेबत छे के जबरो जिते, पण ते मात्र पशुवर्गने लागु पडे छे. जो नीतिना अर्थमां लईए तो दुनियामां जितवाने वधारे दगाबाज अने सौथी वधारे दांभिकनी जरुर छे. आम छतां पण परिणाम नीतिवर्तननो जय थाय छे. आवा दाखलाओ छे तेथी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) आपणे निराश थवानुं नथी, कारणके तेओनी मूळ वृत्तिओ हलकी होवाने लीघे बीजा संसारी संजोगो तेवाज मळी आवी तेओ देखीतो जय मेळवे छ, परंतु हालना जमानामां पेसो मेळवी परोपकार करनारनी पण हवे संख्या वधती जाय छे. आवी वृत्तिना पुरुषोना हाथमां हद बहार दोलत आवे छे तेम तेओनी उदार वृत्ति पण हद बहारनी थती जाय छे. ते तेनो उपयोग मोजशोख अथवा मोटां मकानो बांधी इंद्रियसुखो भोगवामां करता नथी, परंतु लोकोपयोगी पुस्तकालयो स्थापवामां, गरीबोने माटे आश्रम बांधवामां अथवा अज्ञानाने केळवणी आपवानी योजनाओमां पोताना पैसानुं सार्थक थएलुं समजे छे. तेओ पोताना पैसाने एक सरोवर समजे छे के जेमांथी दरेक तंगीवाळो माणस पोतानी शक्ति मुजब पाणी पी शके. आवा दाखला आपणा देशमां थोडा नथी अने तेमां छेल्ला अने ताजा आपणा जैनधमना आगेवान मर्हम श्री पनालालजीनी एक देशी जैनकोमनी उन्नति माटेनी सखावत छे. तवंगर माणसो धीमे धीमे शीखता जायछे के पोतानी कोमनी शारीरिक, मानसिक, धार्मिक अने संसारिक स्थिति सुधारवाने पोताना पैसानो व्यय करवो एना जेवं योग्य कर्तव्य बीजुं एकपण नथी, अने आ मत जेम वधशे अने विस्तारमा फेलावो पामशे, तेम कोमना हितनां साधनो वधारे नजीक आवतां जणाशे एमां शक नथी. केटलाक एम पण कहे छे के . उन्नतिमार्गमां वधारे प्रवृत्ति थवाथी प्रजा फक्त क्षणिक सुखनी ईच्छावाळी थइ जशे. अलबत आ कहQ केटलेक अंशे खरुं छे. हालनी विद्याओ कुदरती शक्तिओने शोध करवामां अने तेने माणसजातना उपयोगमा लाववाने मेहनत करे छे, परंतु तेम करवामां तज विद्वानो तेज कुदरतना गुलाम थता जाय छे, एटले बीजा शब्दोमां तेना नियमोनुं महत्व समजी बीजी तरफथी धर्मश्रद्धावाळा थता जाय छे अने कुदरतनां साधनो माणसना भलामां वापरतां शीखे छे अने तेथी भातृभाव अने जीवदया उत्पन्न थाय छे अने आ रीते धर्मवृत्ति जागृत थई प्रथम कहेलां चार साधनो प्राप्त करवा शक्तिवान थाय छे. उपरना विस्तारवाळा विवेचनथी आपणे संसारिक केळवणीनी साथे धार्मिक कळवणीथी थता फायदा जोई शकया छीए. जे जे प्रजाओमां केळवणीर्था विपरीत परिणाम आव्यां छे तेमां धर्मनो अंश न होवाने लीधे, ते पण खुल्लुं थयु छे; तो हवे आपणा भाईओनी उन्नति माटे आपणे शुं करवु जरुरनुं छे ते तपासीए. संसारिक उन्नति माटे व्यवहारिक केळवणीनी जरुर छे परंतु ते मेळव्या पछी अर्थ संपादन करी तेनो सारे मार्गे व्यय करी बीजाओगें भलं कर, अने नीतिथी वर्तव॒ आ नियमो जींदगीना वर्तनमां दाखल थवा माटे जरुरना छे. जैनोनी संख्या हाल देशमां जुदा जुदा भागोमां वेहेंचाएली छे. अने दरेक ठेकाणे केळवणीनां साधन नथी. वळी जैन कोम प्राचीन काळथी वेपारने माटेज लायक गणाएली छे. प्रथमनो वेपार देशनी अंदर अने देशी चीजोनोज हतो, एटले तेमां थोडी केळवणीथी चालतुं. हाल प्रदेशी चीजोनो वेपार अने बीजा देशोनी साथेनो संबंध साचववा माटे इंग्रेजी केळवणी अने वेपारनी पद्धति शीखवानी खास जरूर छे. आ माटे ज्या ज्यां जैनोनी वस्ती होय त्यां केळवणीनां साधन होई शकवानो संभव नी, तेमज आपणी धार्मिक केळवणी साथे अपाती न होवार्थी विपरीत परिणाम आवे छे. तेनी पण सावचेती लेवानी जरुर छ के त्यां आवां कारणोने लीधे एक सारं फंड एकळं करी बनारस हिंदु कॉलेजनी माफक एक जैन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५९) इन्स्टीट्युशन स्थापवानी खास जरूर छे, के ज्यां साहित्यना विषय शिवाय वेपारी केळवणी जेवी के बुककीपींग (इंग्रेजी पद्धतिथी हिसाब राखवानी रीत) ऑडीटिंग विगैरे (हिसाब तपासवानी रीत) टाईपराईटींग विगेरे विषयो शीखववा जोईए, के जेथी जेओने थोडो अभ्यास करी केळवणी बंध करवी होय तेओ पण पोतानी आगळनी जींदगी हालनी माफक नोकरी माटे फांफां मारवाने बदले वेपारमांज गाळी शके. आवी योजनाथी बीजो फायदो ए पण थशे के जेआ निराश्रित हशे, ते पण योग्य केळवणी लई कमातां शीखशे अने हालनी माफक शीजाता श्रावकना फंडनो लाभ लेता अटकशे अने तेओनी वृत्तिओ उंची थती जशे. केळवी उपरांत उपर कहेलां खातामां हुन्नरनी केळवणी अने रसायणी शिक्षण आपवामां आवे तो तेथी देशने पण मोटो फायदो थशे, कारणके आपणो देश काचा पदार्थो उत्पन्न करवामां एटलो फळद्रुप छे के ते बीजा देशोने माल पुरो पाडी तेना नफानो मोटो भाग परदेशीओने आप छे, तेने बदले पोते भोगवशे; अने परिणामे जैन कोम संपत्तिवाळी थशे अने धार्मिक केळवी शरुआतीज साथे अपाती होवाथी ते संपत्तिनो आ दुनियांमां सारो उपयोग करी छेवटे शरुआतमां कहेलां चार साधनो अनुक्रमे मेळववा भाग्यशाळी थशे. पंडित फत्तेहचंद कपुरचंद लालन- भाषण. केळवणी आपवाना संबंधमां आपणा वाईसरॉय नामदार लोर्ड कर्झने पण जणावेलुं छे के ज्यांसुधी केळवणीना पायानो आधार धार्मिक केळवणी ऊपर प्रथमथीज रचवामां आवशे नहि. त्यांमुधी हिंदना जुवानियाओने केळवणी आपवानो प्रयास कदी पण फळीभूत थवानो नयी. आपणे केळवणीना सबंधमां जरापण दरकार करवाने बदले आपणा हमेशना धंधामांज अने संसारिक कामोमांज मशगुल रहीए छीए, ते कांई ओछु शरमावा जेवू नथी. मुंबईमां आगळ कोई पण जैनशाळा हती नहि. पण पाछळथी एक शाळा स्थापवामां आवी हती. पहेला तो ते सारी हालतमां नहि हती पण धीमे धीमे ते सारी हालतमां आवी छे अने ते वणुं सारं काम करे छे. बीजां प्राणीओ करतां मनुष्योने जे ज्ञाननी शक्ति मळेली छे तेनो उपयोग नहि करीए तो पछी पाणीओ अने मनुष्योमा शो फेर ? दिलसोनी बतावनारा वधु तारोअने पत्रो. ____ अत्रे शेठ फकीरचंद प्रेमचंदे कॉन्फरन्स तरफ दिलसोजी धरावनारा पण हाजर नहीं रही शकेला ऑ. मी. रेवश, मी. सैयद सरदार अलीखान, मी. जे. एन. टाटा, शेठाणी बाई जडाव, करांची खातेनी पार्श्वजीन मंडळी, जामनगर खातेना मुनीराज श्री चारित्र विजयजी, तरफथी आवेला मुबारकबादी विगेरेने लगता तारो तथा पत्रो वांची संभळाव्या हता. बाद चा पाणी लेवा सारं कॉन्फरन्स अडधा कलाक माटे उठयु ह]; पोणात्रण वागे कॉन्फरन्सचें कामकाज पार्छ शरु करवामां आव्युं हतुं. मी. लखमसी हिरजी मैशरी. बी. ए. एल. एल. बी. नुं भाषण. ___आ भव तथा परभवना श्रेयसुखनो आधार उत्तम प्रकारनी व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी ऊपर छे. धर्म, अर्थ काम अने मोक्ष ए चारे पुरुषार्थो ए. बंने प्रकारनी केळवणीधी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६०) थाय छे, तेमां व्यवहारिक उत्तम प्रकारनी केळवणीधी अर्थ अने काम नामनां बे पुरुषार्थ तत्काळ सिद्ध थाय छे अने धार्मिक उत्तम प्रकारनी केळवणीथी, धर्म अने मोक्ष नामनां बे पुरुषार्थ अंतर फळरुपे सिद्ध थाय छे, अने अर्थ तथा काम नामनां वे पुरुषार्थ परंपर फळरुपे सिद्ध थाय छे. आ बने प्रकारनी केळवणीमां हिंदुस्थान मध्ये वसनारी समग्र उंची कोममां आपणी जैन कोम बहुज पाछळ छे, तेथी आपणा जैन पुत्रो तथा पुत्रीओ पोलनां ऊपर जणात्रेलां चारे पुरुषार्थ उत्तम प्रकारे साधवाने शक्तिमान थाय प्रकारनी केळवणी जैन बाळको नानी वयथी केवी रीते प्राप्त करी शके, वानी ख़ास जरूर छे. एटला सारु ते बन्ने तेना उपायो योज केळवणी शुं छे ? केळवणी ए बुद्धिने साफ अने हृदयने स्वच्छ करवानो एकज उपाय है, बुद्धि ज्यांनुधी साफ न होय त्यांसुधी प्रतिमाना उंचा आसन उपर बेसीने देव वांछित पवित्र मुख नोगत्री शकातुं नथी, अने हृदय स्वच्छ न होय तो सर्व प्रकारनी साधुता अने सर्व प्रकारना निर्दोषपणाना मनोहर पोशाकमां अलंकृत थई शकातुं नथी. केळवणीना प्रभावथी जेनुं हृदय स्वच्छ श्रयुं नथी, जेनी बुद्धि साफ थई नथी अने जे विवेकनो मार्ग देखवामां आगळ बध्यो नथी, ते मानवंता पवित्र पदने योग्य नथी; कारणके जेनुं हृदय अज्ञानना अभेद घोर अधकारमां ढंकायलुं छे, ते केवळ पोतानी इंद्रियोज तृप्त थयाथी पोताने कृतार्थ समजे छें अने कुदरतना कारणना शोधमां पोतानुं कर्तव्य नक्की करवामां अने सूक्ष्म विचारमां तनुं मन लागतुं नथी; ते काचबानी पेठे पोतानी छती शक्तिने छुपावीने पोतानो जन्मारो पुरो करे छे, वृक्षनां फळ आदि खाईने तृप्त थाय छे, शरानुं पाणी पीने तृष्णानी शांति करे छे, अने आवां अनेक नाना प्रकारनां कार्यो करीने तेमांज अपार आनंद अनुभव करे . पोताना जीवननुं प्रयोजन तेनाथी पुरुं श्रुतुं नधी अने तेनी बुद्धि तथा वृत्ति निर्मळ मोक्षना सत् मार्गने पहोंची शकती नथी. ते अज्ञान अवस्थामा जन्मे हे अने अज्ञान अवस्थामांज काळ गाळीने आ लोकमांथी, आव्यो तेमज पाछो जाय छे. पण जेणे उंची केळवणीना आधारे सर्व श्रेष्ट गुणो संपादन कीधा छे ते पोतानी जींदगी पवित्रताथी अने कलंकरहित गुजारे छे अने नरलोकमां होवा छतां देवलोकना पवित्र चारित्र वळथी, गंभीर लांबी नजरनी सहायताथी अने विवेकबुद्धिना प्रभावथी ते पोतानुं कर्तव्य यथारीति संपादन करीने आ नाशवंत जगत्मां अमर कीर्तिस्थंभ संपादन करे छे, के जेवी रीते आ कॉन्फरन्सनी योजना शुरू कर वामां आपणा बंधु मी. गुलाबचंदजी ढढाए कीर्तिस्थंभ उभो करेलो छे. प्रिय बांधवो, विद्या एज अमूल्य धन छे. केळवणी लीधाधी हित अहित विगेरेनो पुरतो विचार करीने पोतानुं अने बीजानुं दुःख ओद्धुं अने सुखनी वृद्धि करी शकाय है. गमे तो सामान्य माणस होय के प्रसिद्ध होय, 'धनवान होय के निर्धन होय, बाळक होय के वृद्ध होय, स्त्री होय के पुरुष होय, तोपण ए. दरेके ज्ञाननुं सेवन करवुं जोईए. जैनोनी स्थिति केवी छे ? त्यारे उपर कह्या प्रमाणे केळवणीनी आवश्यकता स्त्रिकार्या पछी आपणे आपणी जैन कामना ते संबंधनी स्थिति शांत चित्त विचारतां, आपणा दर्शनमां ते केवो देखाव आपे छे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६१ ) चै उपर आपनुं लक्ष अत्रे खेंचवाने रजा लटं छं. केळवणी संबंधमां छेल्ला Census Rep ort परथी स्पष्ट रीते जणाय छे, के आपणी कोमनी केळवणी संबंधीनी स्थिति बहुज पछात छे. ते सरकारी रिपोर्टना आधारे आपणी कोमना जैन भाईओना २४१५३३ पुरुषांना प्रमाणमांथी फक्त २१६४६ अभ्यास करनाराओ अने फक्त ९४१०० बांची लखी जाणनाराओ अने बाकीना १२५७८७ पुरुषो, केळवणीनां मीठां फळो चाखवाथी संतर चेनसीब रहेल अने २०७३६४ स्त्रिओना प्रमाणमां फक्त, ६०१ बाळाओ अभ्यास करनारी अने फक्त १०७१ स्त्रीओ वांची लखी जाणनारी अने बाकीनी २०५६९२ तदन बीन केळवायली. आ उपर जणावेला आंकडाओ बीजी कोमोना आंकडाओ साधे सरखावतां, आपणी जैन कोम केळवणीनी बाबतमां वहज पछात मालुम पडे छे. ए प्रमाणे आपणी कोमनी केळवणीनी स्थिति तपास्या पछी, ते स्थिति सुधारवाने मारा मत मुजब शुं शुं उपायो लेवानी जरूर छे ते हुं आपनी समक्ष रजु करीश. प्रिय बांधवो, आप सर्व नि:शंकपणे मानता हशो के आवो मनुष्य भव पामवो ए कांई 'जेवीतेवी वात नथी ते साधे वळी आर्यदेश, उत्तम कुळ, आयुष्यवान् अने निरोगी शरीर, जीनप्रणीत धर्म पामवा सुगुरुनी जोगवाई, भयरहित ब्रीटीश राज्य छे. अरे भाईओ चेतो, चेतो! प्रिय बंधुओ चिंतामणी समान नरभव वृथा न गुमावो; अनंत संसार समुद्रमां भटकतां भटकतां किनारे आव्या छीए अने थोडाज काळमां फरी एज संसार समुद्रमां भ्रमण करवुं पडशे; तो त्यां सुत्री जे कांई आपणा पोताने माटे, आपणा कुटुंबाने माटे, आपणा स्नेहीओने माटे, आपणा साधर्मि भाईओ माटे अने आपणा देशने मांटे सुकृत्य बने ते करी ल्यो. आ अल्प आयुष्य चराथी बही जशे अने आपणे हाथ घसता घसता चाल्या जईशुं. प्रथम पायोज नथी. पण महा अफसोसनी वात छे के “खाटले मूळ खोड के प्रथम पायोज नथी " छ कंहवत प्रमाणे आपणामां " जैन " एटले शुं अने धर्म एटले शुं ? एटली समजण पण थोडाओनेज पुरती रीते हशे, तो जैन धर्मनुं तत्व शुं ते तो सर्वने क्यांथी समजवामां आवे ! अने ज्यांची धर्मतत्व याने बीजनी स्फुरणा अंत:करणमां उत्पन्न नथी धई त्यांसुधी आ मायारुपी संसारमांथी मुक्त थवानो खरो प्रयत्न क्यांथी मुझे ? मने घणीज दिलगीरी साधे कहेवुं पडे छे, जे कहतां आप मने माफ करशो के हाल तो आपणामांना घणाखरा मात्र एटलुंज जाणे छे के अमे श्रावक छीए; पण श्रावक एटले शुं ? श्रावकनां शां शां लक्षणो ? श्रावके शुं शुं जाणवु ? केवी रीते वर्तवुं ? इत्यादि अनेक वातो जे श्रावकने अवश्य जाणवानी जरुर छे ते विषे तो आपणने बीलकुल ज्ञानज नथी एटलुंज नहि, पण ज्ञान मेळववानां साधनोनो पण प्रयत्न करता नथी. आम होवाथी आपणे श्रावको आ उत्तम नरभव, आर्य क्षेत्र अने सर्वोत्तम जैनधर्मनुं • सार्थक शी रीते करी शकीए ? माटे अरे भाईओ, धर्मना जाणपणा विना जे काळ जाय छे, ते सर्व समजजो. वृथाज धोडुं पण जेणे धर्मनुं जाणपणुं मेळव्युं छे, तेनुंज तेटले दरज्जे जीवतर प्रमाण छे; तेज पाप १३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६२) पुन्यने ओळखे छे, ते जे जे कृत्यो करे छे तेनुं तेने शुं फळ प्राप्त थशे ते ते जाणे छे. अने तेथी ते ए कृत्यो करवाने डरे छे. प्रिय बांधवो, मोक्ष सुखनो दाता एवो जे श्री जीन, आगमनुं जाणपणुं अने ते मेळववानी सघळी जोगवाईओ छतां पण आपणामां केवी मोटी मूखाई छे. के फक्त आळस आदि विषयमां अने वर्गमां छती आंखे आंधळा थई, छती शक्तिए अशक्त बनी, धर्मने तदन भूल: गया छीए. भाईओ! विचार करो के, चलत प्राण लक्ष्मी अने, जीवतर आ मंदिर; चले सर्व संसारमा, धर्म एक छे स्थिर. वंधुओ, तमो सुखेथी वेपार धंधो करो, लक्ष्मी मेळवा घरसंसारनुं कुटुंबसुख भोगवो. पण ते सर्व साथे कांईक धर्मनुं जाणपणुं पण ग्रहण करो के जेथी, संसारिक खटपटनी लयलीनतामा जे जे पापो एक बाजुथी निरंतर बंधातां जाय, तेओनो क्षय थवानो पण बीर्ज वाजुथी कंईक रस्तो रहे, अने तेथी कोईक दहाडे पण संसारसमुद्र तरी जवानो संभव रहे. नीति शास्त्रमा का छे के: धर्म अर्थ शुभ कामने, मुक्ति रहित नर जेह; जन्म मरण ते नरतणुं, वृथा समज तेह. तेना माटे आठ बाबतो तमारी समक्ष रजु करवामां आवी छे तेनु टुंकमां विवेचन: ए माटे फंडंनी जरुर छे, " अरे, दोलत, दुनियां, माल खजानो, कुटुंब परिवार. मुख संपत्ति, अस्थिर तेर्थः स्वप्नवत् नकामां छे.” जैनोने धार्मिक केळवणी साथे व्यवहारिक केळवणी आपनारी हाईस्कूल स्थापवानी जरुर. आपणां बाळकोने एक बीजी मुइकेली छे, ते धार्मिक केळवणीने लगती छे. जैन बाळकोन बीजा धर्मोनी केळवणी आपनारी शाळाओमां शीखवा जवानी फरज पडेछे, कारणके. जैन धार्मिक केळवणी साथे व्यवहारिक केळवणी आपनारी कोई हाईस्कूल हस्तीमां नथी; एटला माटे जरुरनुं छे के जैन बाळको व्यवहारिक ज्ञान लेवा साथे पोताना धर्मने अनुसरतुं ज्ञान मेळवी शके तेवी शाळा तेमने माटे स्थापवी. हाल जैन छोकराओ जे शाळाओमां शीखवा जायछे त्यां तेमने ए, शीखववामां आवे छे के माणसने आत्मा छ, पण गायने नथी. आ शिक्षण बीजा धर्मने अनुसरतुं हशे, पण आपणा जैन धर्मने अनुसरतुं नथी. एथी आपणे एवी हाईस्कूल स्थापवी जोईए के ज्यां जैन बाळको मूळाज पोताना धर्मने लगतुं ज्ञान मेळवतां रहे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) निमाणी बुद्धमल केवळचंद नाशिकना स्पोशियल मेजिस्लेटर्नु __मारवाडी भाषामां भाषण. सिरदारहो, साम्पिभाईहो, सज्जन साहेबां, आपणा लोकांरी दर्सणने दुर्लभ ओर इसी मोटी परखदा देखने इसो कुण अभागी हे के जिणने खुशी नहीं हुवेला ? अलबत् हरएक सिरदारने घणी खुशी हुवेला इणमें बिलकुल संका नहीं. “शिक्षण" जिणने गुजराथी भाषामांय " केळवणी" केवे हे, तिण ऊपर दोय आखर आपने बिंबरासुं केणारी मन्नमें हे. ' हमो बहीखातो रुजनांवो लिख लेबां हां, सराफी चिठी बांच लेवां हां, जीवांरी रक्षा और जीवांरा अवगाहना आदिप्रकारसुं हमारा लोक जित्रा वाकबगार हे उत्रा वाकबगार पंडत दुनियामें बिरळाज हुसी; रुजगारबोपारने अच्छीतरे जाणां हां: ' इस्त्रे हुयने आप शिक्षणऊपर जादा काई केवोला इसो बेम आपरे घणाजिणारे दिलमें, आयो हुसी; पिण शिक्षणरा बारांमांय आपणाऊपर दूजी त-हेकी जोखम कित्री भारी हे उणबदले अपां हाल बिचार को नहीं; उणउपरीज दोय आखर केणारी म्हे रजा लेबुं हुं. सिरदारहो, जिस्त्रे अपां बीज बांवाला उशीत-हे अपांने आगे फळ मिळसी. आपणामांयला हरएक सखस ( व्यक्ति ) आच्छो निकळे इशी निगेदास्ती आपणाने राखणी चाइजे. थोडामें केणो हवे तो मिनख इण लब्जरो ऊंचो, उमदा ओर उत्तम अर्थ ध्यानमें लेने अस्सल राष्ट्रीय (national) स्वरुपरो पायो घालणारी हिम्मत रखणामांय अबारसुं उदम करणारी निहायत जरुरी हे. अपां हमेशा रोज सुणता आयां हां के हिंदुस्थानदेश आगे जावतां बहोत दीपसी.. खरोखर आपणो हिंदुस्थान देस हजारो बरसां पेली उत्तम कळासुं ओर श्रेष्ठ शास्त्रीय विद्यासुं चळचळाट करतो दीपतो हुतो ! पीछे करमजोगसुं ओछी दशा आई. घणाराजा इण देस ऊपर राज कीनो. हरएक राजा लायक नहीं जाणने आखर इंग्रज सरकारको राज कोई पुन्याईसु आपणाऊपर हुवो है ! इण संबंधसु खरोखर आपणो घणो कल्याण हे. साच पूछो तो हिंदुस्थानदेश भविष्य कालमांय ऊंची दशाने पोंचशी इणमें फरक नहीं. ओर आप जो मने पूछोलाके आपणा देसरी के आपणा ओसवाळांरी के आपणा सरब सामिभायांरी आगे हुवणहार ऊंची दशारा मालक कुण है, तो ह्ये जबाब देऊला के 'आपणा बाळक-अबार पोसाळमें भिणीज रह्या हे तिके बिद्यार्थी--आपणा बेटाबेटी, आपणा टाबरटुबर. वेईज भविष्यकालरा खरा ट्रस्टी हे ! अबाररे पिढीरा बिद्यार्थी आगली आवती पिढीरा. सिरदार-मालक-गाढा मारूजी हे.' इणवास्ते तुमो तुमारे न्यातरो आगे मोटापणो अगर बडापणो चावोला तो आगली आवती पिढीरा सिरदारांका हिरदामांय ह्ये बतावूला वे कल्पना,. वे तत्त्व, ओर वे गुण उतरसी इण रीतका शिक्षणरी अपेक्षा हे. ____ तो पछे, आपणा न्यातरी उन्नति जिणारे हाथमें हे वारे हिरदामें किशी कल्पना ( idea ) पेला रोपणी चाइजे? वा कल्पना ( idea ) आ हे के थारा शिक्षण-थारो भिणीजणोफगत थारो पेट भरणवास्ते अगर थांरा परवाररा सुखरे वास्ते सिरफ नहीं है. पिण शिक्षणरो-भिणीजणारो-हेतु घणो ऊंचो, घणो शिरे, ओर घणो सुद्ध है. तिण शिक्षणरो उद्देस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६४ ) इंग्लंडरा राजकवि ( Poet Laureate ) लॉर्ड टेनीसन् जिणनें 'जमानारी मंद पवनयुक्त निरोगी लढाई ( Healthy breezy battle of life ) केवे हे उणमांय जीत और जन मिळणारो हे. मिनखने छाजे, सोभे इस्त्रेकी हरएक बात करणारी हिम्मत जिणमुं आवे ऊईज शिक्षण टकामें केणो हुवे तो आपणे जातरा चोधरी, खरा आगेवान ओर मार्गदर्शक हुणारी लायकी जिणसं आवे ऊईज शिक्षण-ऊईज भिणी जणो. आपणा जातभायाकनामु थाथी कारत और शाबासकी मिळावणेरो कोड तथा हूंसआ साचा शिक्षणसुं जाती रेसी. ____लॉर्ड बेकनसाहेब केवे हे के, ज्ञान आ एक सक्ति है; ( Knowledge is power); ओर ग्यान आ सक्ति क्यू हे के ग्यानसुं ग्यानवाळो धणी दुनियामांय मारग बतावे ओर हुकमत चलावे. जठे ग्यानवाळो धणी आपरा पेटपुरतोईज विचार करे, जठे वो आपनेईज फगत आपरा बिचाररो मध्यबिंदु (centre) माने, उठे ग्यानरी सक्ति कमकम हुय बोकरे. कारण पशुपंखीमांय ओर इणारेमांय पीछे कुछ भेद वे नहीं. पशुपंखी पिय आपरो पेट किने भरणो ओर आपरो सुख किणमांय हे आ बात जाण लेवे. आदमीमांय ओर पशुमांय कांई भेद हे के, आदमी आपरा बुद्धिसुं ओर गुणांसुं दूजाने आपरोबिचे वत्तो सुखी करे, मानवी जातिरो ओर बिशंसकरने आपरा न्यातरी उन्नति कर सके. शेक्सपियर कवि पूछे हे के, - जिण आदमीरो मुख्य काम खाणो ओर मुवणो इत्रोईज हे ऊ आदमी केणो कांई ?' (What is man, if his chief work and market of his time be but to feed and sleep.) ज्या सिरदारांने आपरा पेटरा बारे कुछ निजर आवे नहीं वांने श्रीतीर्थकरांका चरित्र बांचणेसुं मालम हुसी के ओर इतिहासरा साधनसु पिण आ बात साबीत हे के मतलबी ओर फगत " हाय पैसो हाय पैसो" करणावाळा लोकांमुं दुनयारो फायदो ऊठणो मुस्कल है. "झे कांई खावांला, कांई पीवाला, कांई ओढांला ओ बिचार थे मन्नमांय मत लावो" ओ अमोलख उपदेस भिडक्योडा आदमीरो नहीं हे पिण एक धर्मसंस्थापकरो हे, मुं ध्यानमें लेने हिवडामांय राखणलायक हे. (Take no thought, saying, what shall we eat? or what shall we drink? or wherewithal shall we be clothed?) आ बात तो सही हे के जिकां आपरो बिचार थोडो कीनो पिण आपणा जातभायांरो जादा कीनो ओर आहा ! आपरा देसवास्ते जीवरी पण पर्वा राखी नहीं वासुंईज देसरी भरभराट तथा चळचळाट हुई है. तो पछे इसा मोटा लोकांरा उदाहरण आपणा टाबरांरी-आवती आगली पीढीरा सिरदारांरी-मालकांरी उमेद, उमंग तथा उत्साह बधावेला नहीं कांई ? उणारे आत्मामें निरमळ जोत लख लख जागसी नहीं कांई ? ओ जमानो, ओ संसार कर्तव्य कमरूप हे. ओ भव घणो दोहिलो मिळ्यो हे. एक कवि केवे हे के: “I slept and dreamt that life was beautyI woke and found that life was duty." साकी छंद(भावार्थ) स्वकृत. मुतो हुतो में सुपनो देव्यो, 'ओ भव घणो रसीलो'। जामो हुयने जाण्या ो के, 'ओ भव कर्तबलीलो'॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६५) खरेखर ओ भव कर्तव्यकर्मसु (duty) लीलो है. "दस दिवता मणुअ जम्मे." सिद्धांतरे विषं मनुष्यरो जन्म मिळणो दश दृष्टांतें दुल्लभ बखाण्यो . ओ भव कुछना कुछ करणासारं कमायो हे. कर्तव्य कर्मरी ऊंची कल्पना ( high ideal of duty ) आईज है ओर इणने जमानारी अगर सेंसाररी ऊंची कल्पना केवो तोबी मुलाजो नहीं. __ जमानारी अगर सेंसाररी ऊंची कल्पना ( high ideal of life ) इतरे मांय तीन अंतर्कल्पना समावे हे. तथा कायदारे भाषामांय केणो हुवे तो तीन पोट कल्पना समावे हे. जित्रे भूमिति शास्त्रमें (Geometry ) अनेक बिंदु मिळने एक रेव हुवे अगर सामान्य भाषामांय केणो हुवे तो अनेक पाणीरा बिंदूसु तळाव हुवे तिणमुजब म्हे अबे आपने बतायूंला वे तीन अंगभूत अंतर्कल्पना मिळने 'सेंसाररी एक ऊंची कल्पना ' (High ideal of life: high ideal of duty ) अगर ' कर्तव्यकर्मरी एक ऊंची कल्पना ' हुवे हे. पेली अंगभूत अंतर्कल्पना आ जाण लेणी चाइजे के तुमो फगत तुमारा वास्तेईज जनम लीनो नहीं है, तुमारा परवाररे वास्तेईज केवळ लीनो नहीं. तो तुमारा देसवास्ते पिण लीनो हे. भण्योडो आदमी 'मोटामाय छोटारो समावेश हुवे पण छोटामांय मोटारो हुवे नहीं' इण भूमिति शास्त्रराप्रत्यक्षप्रमाणनें (axiom) अच्छीतरे जाणे हे. उणने मालम हे के म्हारा जातभायांमांयलो म्हे एक हुं, ओर म्हे जो उणारी सेवाचाकरी करूंला तो म्हे म्हारी पोतारी सेवा कयामाफक हे. जठे आदमी आपरो ओर आपरे परवाररोईज बिचार तदन करे हे, उठे वा ओर किणरी सेवा करे नहीं. पण जठे आदमी आपणा देशभायांरी अगर साधम्मिभायारी सेवा करे हे उठे ऊ दूजारी, आपरी तथा आपरे परवाररी पिण सेवा करेज हे कारण पेलांमांय दूजा समावे हे.. 'संसाररी ऊंची कल्पना रे ( high ideal of life ) बारांमाय म्हे आपने तीन अंतर्कल्पनामांयली एक अंतकल्प अच्छीतरेसुं अबे बताय दीनी हे. दूजी अंतर्कल्पना काई हे के देसरी केवो के जातभायांरी केवो के साधमिभायांरी सेवा निष्कपट और बिना पेटा कीनी चाइजे. आ सेवा मुरखरे माफक अगर अंधेरेमाफक करणामें हांसत नहीं. एखादे आदमीरी सेवाचाकरी अपां किस्त्रे करां हां भलां ? जो उण आदमीरो साचो किल्याण करणारी आपणा मन्नमें उमंग हुसी तो तिण आदमीमांय ओगणतुस कित्रा हे तिणरो अपांने पेला बिचार करणो लाजम हे. 'हां स्सा हां स्सा, कांई सां, फलाणचंदजी सारी बांत्यांसुं पुरा वाकबी ओर मुरब्बी हे' इस्त्रे केने तिण आदमीरी झूटी ओर कामणगारी समज करोला कांई? नहीं. ओर झिकी बांत्यां एक सखनने लागु हे वे देसने अगर राष्ट्रने पिण लागु हे. कारण अनेक सखस-अनेक व्यक्ति ( individual )—मिळने एक देश हुवे ओर अनेक देस मिळने एक राष्ट्र ( nation) हुवे हे. एक फ्रेंच लेखक ( Rev. Father Didon ) केवे हे के "गरब ओर धेकसु मच्योडो ओछो स्वदेशाभिमान म्हने पसंत नाही. " कर्तव्यकर्मरी ऊंची धारणा (high conception of duty) कद हुवे हे के जद आपणान्यातरा तथा देसरा ओगणऊपर ओर नबळाईरा कारण ओर कार्यऊपर (cause and effect ) ध्यान देने देसरी के न्यातरी सेबा ठिंबराईसुं तथा अक्कलहुशारीसुं करणारी जोत ( flame ) लखलख झळझळाट करे! एक जर्मन साहेब नांवसुं इरमन्न जैकोबी श्रीआचारांग तथा कल्पसूत्ररो प्राकृतमांयासुं अंग्रेजीमें भाषांतर कीनो हे. इण पुस्तकरा प्रस्तावनामें या साबीत को हे के जैनधर्म बौद्धधर्ममायंसुं निसो नहीं हे. तिणमें ए जर्मन् सिरदार फुर्मावे हे के सिद्धार्थ ओ राजा करके नहीं हुतो तो एक मोटो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६६ ) जहागिरदार अगर ठाकर ( Baron ) हुतो; कारण कल्पसूत्रमें त्रिशलाने 'क्षत्रियाणी' ठिकठिकाणे कह्यो हे; 'देवी' इस्त्रे ठिकठिकाणे को नहीं. आ लिखी हुई बात म्हे म्हारा एक उजराथी दोस्तकने कीनी. ए दोस्त मम्मोईवाळा हे पिण दिन पंधरे पेला नासकमें मास देडमास रह्या हुता. हमारे नासकमें ए धर्ममें गाढा गिण्या गया और गाढाईज हे. वासु ऊपरकी मिद्धार्थ बदले बात करतां पाण वां झने कह्यो के, ओर हमारा घणा जाताई हमेशा इणीतरे फुर्मावे हे के गोरा लोकांने अपने उपदेस देणारो हक नहीं; कारण म्हे जद सुधायोडा हुता उणबेळा वे डीलऊपर रंग चढावता हुता. इणने म्हे आंधी ओर ओछी स्वदेशभक्ति केवं हं. कर्तव्यकर्मरी (duty ) ऊंची धारणा (conception ) आ निश्छे नहीं है. झिके आगे हुंशियार ओर भागवान था वे अबार दुबळा क्युं हे ओर झिके आगे दुबळा था, वे आज भागवान हुंशियार क्युं हे आ बात अपां हियामें सोचणाजोग हे. 'जेसो बाजे बायरो वेसी दीजे ओठ' इस्त्रे केवणवाळांरी हंसी करणी ओर साचसाच बोलने आपरे जातरा ओगण बोल बतावे उणारे बातांने चिपठ्यामें उड्डाय देवणी आई कर्तव्यकर्मरी ( duty ) कमसल धारणा (conception) हे. पखपाती निजर ओर फाजल श्रद्धा ( superstition ) राखणी ओर नहीं राखणवाळारी ठठा करने भलाई मिळावणी आ पिण कर्तव्यकर्मरी चोखी धारणा नहीं! सिरदारहो, 'संसाररी ऊंची कल्पना' रे बारांमाय म्हे आपने तीन अंतर्कल्पना मायली Embrideas) दोय अंतर्कल्पना कांई हे सुं के दिनी. पेली अंतर्कल्पना तो आ हे के अपां मिनखाभव पायो हे तिके न्यातरी अगर देसरी सेवा करणावास्ते पायो हे. 'संसाररी ऊंची कल्पना' रे बारांमाय दूजी अंतर्कल्पना कांई हे के वा सेवा निष्कपट, पेटाबिना ओर बिचारमुं राच्योडी चाइजे. सेंसाररी (life ) अगर कर्तव्यकर्मरी (duty ) ऊंची कल्पनारे (higl. ideal ) बारांमाय तीजी अंगभूत अंतर्कल्पना अबे आपने ह्ये केतुं हुं. जिस्त्रे आदमी देसरी अगर न्यातरी सेवा जी जी' करने करे पिण वा सेवा थोडी हे उणमुजब आदमी देसरी अगर न्यातरी सेवा निष्कपटाईसुं तथा बिना.पेटा करी तोबी वा सेवा वो एकज बाबतमाय करेलो; पिण जिणसुं आपणा न्यातरो ओर देसरो कल्याण ओर बढपण हुवे वां सारी सगळी बांत्यांमांय आपआपरे ताकद मुजब सेवा करणी आ ईज कर्तव्यकर्मरी ( duty ) अस्सल ओर ऊंची पारख हे. ओर इणमेंईज 'सेंसाररी ऊंची कल्पना'रे बारांमायली तीजी अंतर्कल्पना समावे हे. कर्तव्यकर्मरी ऊंचासुं ऊंची पारख अगर धारणा ( conception ) कद हुवे हे के जद राष्ट्ररी ( nation ) अगर देमरी नीति, सुख तथा बढपण आपणा राजऊपर, आपणा समाजऊपर (न्यातऊपर) ओर आपणा धमऊपर टेंको देने रह्या हे आ बात आदमीरो हिवडरो अंतरजामी रोमरोम पेछाण लेवे. भिणीजणारो अगर शिक्षणरो (education ) उमदा, शिरे ओर चोखो फळ तो ओईज हे. ओ पारखसूरज अगर धारणासूरज जठे ऊग्यो नहीं उठे भिणीजणो ( education) फोगट हुवो. हरएक आदमी आपरे राजारी एक प्रजा हे, समाजरो (न्यातरो) एक अंग अगर अवयव है, ओर कालाइल साहेब के तिणमुजब हरएक आदमी परमेष्टीरो एक सास हे. ( breath of heaven.) सरकारका कायदाकार्नु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ ) मुजब आदमरो स्वभाव, चलण ओर सुख समाजरा ( न्यातरा ) बंधन और रचनाऊपर जिस्त्रे टेंको देने रह्या हे उत्रे धर्मरा मतउपर पिण टेंको देने रह्या है. राजारो राज जठे हे अगर सरकार जठे हे ओर सरकाररी जरुरी जठे हे उठे हरएक आदमीरी फरज है के प्रजाधर्ममें गाढो "रेणो, ओर सिरकार अम्मलदारी न्यायसुं ओर रीतसुं कर रह्यो हे के नहीं सुं ध्यान देने देखो. न्यातरी अगर समाजरी चायना जठांतांई हे उठांतांई न्यातरा पंचारी फरज हे के न्यातरा बरताव, रीतांभातां तथा रहारसम इस्त्राजेरा हे के नहीं सुं परखणा चाइजे के जिणसुं नियत ओर हिम्मत बधे. जठांतांई अपां धर्मने श्रेष्ठ मान रह्यां हां उठांतांई न्यातमांय सिद्धांतरा बचन लीज रह्या हे के नहीं सुं देखणारी हरएक आदमीरी फरज है. ओछामें केणो हुवे तो राज, न्यातरा रहारसम और धर्मउपरसुं आदमीरी फरज है. ओछामें केणो हुवे तो राज, न्यातरा रहारसम ओर धर्मऊपरसुं आदमीरी अच्छीबुराई मालम हुवे हे. आदमी सुखी हुणासारुं गज, न्यातरी रीतांभातां और धर्म ए तिनोई उत्कृष्टा, उमदा और चोखा चाइचे. एक अस्सल ओर दूजो कमसल काम आवे नहीं . इशी देखो सा के सरकार थांनें बहोत उमदा तथा उत्कृष्टा राजरा हक दीना पिण तुमारे न्यातरी (समाजरी) रीतांभातां ओर रहारमम कमसल ओर नागाईरी हुवे तो वे हक कांई कामरा ? एक अंग्रेज केवे हे के “नमुनारो घर रेवणसारं दीनासुं आदमी नमुनाबाज हुवेला नहीं. घर ऊंचो हे तो आदमीने पिण ऊंचो करणो जोग हे; नहीं तो आदमी घर ने आपरे बराबर ढूकतो नीचे लावसी. ( You cannot make a model man by put ting him in a model house. You have got to elevate the man to the house or he will bring the house down to his level.) केसरबिलास पुस्तकरा कर्ता केवे हे के “दुनयामांहे कांई हो रह्यो छे, किशी रोशनी चमक रही छे, दिन दि दुनयाकी कांई उलटपालट हो रही छे, कांई फेरफार हो रह्या छे, जमानाको हाल, परसंग, ओर बरताव किणतऱ्हे छे सूं कोईने मालम नहीं." वेईज ओर कांई केवे हे सुं सुणो: दोहा. दिन दिन अपणा देसने, लावो बढपण मांय । कुळाचार कुळ रीतसुं, करो प्रभु मन लाय ॥ जीम्या बामण मोकळा, दिखणा दी भरपूर । काम न आयो पुन्न ओ, डूब्या अधबिच पूर ॥ ओसर मोसर व्यवमें, फोगट धनको नास । करो करावो कायने, संचय राखो पास ॥ कठेई शेवगांने पांचसो एक रुपया त्यागरा तो कठेई एक हजार एक. एक जिणारे आठे पांच पकानरो जिमण तो दूजारे घेत्ररफिणी सिवायमें. कोई ठिकाणे एकसो एक रुप्यासुं पगे लगाई तो कोई ठिकाणें तीनसो एक रुप्यासुं ! “ रात दिन लोहीको पाणी करने कमावण सुं इण बेहुदी रीतांमांहे गमात्रणो. " कोई आदमी समावे जरा आपणांमांय लुगायां पल्ला लेने आ रीत आपणा धर्मविरुद्ध हे तिसुं साफ मूर्खाईरी है. न्यातरी नागी ओर ओछी रीतांभातां बदले जादा केने आपरो अमोल बखत म्हे लेवूं नहीं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६८ ) अबे धर्मरे बारांमाय आपने तो जादा केणारी जरुरी नहीं. सिंदूरप्रकरणमांय धर्मरी महती बताई है. इंद्रवज्रा वृत्तम्. यः प्राप्य दुःप्राप्यमिदं नरत्वम्, धर्मे न यत्नेन करोति मूढः । क्लेशप्रबंधेन स लब्धमब्धौ, चिंतामणि पातयति प्रमादात् ॥ इणरो भावार्थ कांई हे के, ओ मिनखा भव मोटा मुस्कलसुं मिळन, जिको बेबकुफ धर्म करे नहीं ऊ मुस्कलसुं हाथ आयोडा चिंतामणि रत्नेन समंदरमें फेंक देवे हे. आदमीरा दिलमहिंसुं इण भवरी ओर परभवरी कल्पना दोड जावे तो न्यात ( समाज ) कंपायमान हुयने तिणरो चुरोचुरो कित्रो झटपट हुसी तिणरो पत्तो लागसी नहीं नास्तिकपणामुं राष्ट्ररी (nation) चळचळाट हुई नहीं और हुशी नहीं. कार्लाईल साहेब के है के 'श्रद्धा आ एक मोटी चीज है, जीव-प्राण देणावाळी हे' ( belief is great, life-giving ). पश्चिम फ्रान्समें एक बरस' इण नांवरा किताब में एडवर्डस साहेब लिखे हे के शिक्षणरी फेलावो, शास्त्र, वाङ्मय ओर कलारी प्रगति, आगगाडी, तारायंत्र वगैरे आधी (hali) सुधारणा है ओर हाथोहाथ धर्म, राज और श्रद्धारा संस्कारने पूज नहीं लागसी तोईज मुबीतो रेसीनशीब ऊपर भरोंसो ओर हवाला देने उदमने कम समजणो आ धर्मकल्पना न्यातरा जोरने घटावे हे. मिंदारमार्गी सम्मेगी इंडियारो धेक करणो लाजम नहीं. आ बात ध्यानमें लेणालायक हे के वेई आखर तो जेनीज बाजे हे. क्रिस्तानाबिचे तो घणाघणा सिरे है !! 'सेंसाररी ऊंची कल्पना'रे बारांमांय, सिरदारही, तीन अंगभूत अंतर्कल्पना कांई हे सुं अबे आप परख कर लीनी हे. पेली अंतर्कल्पना कांई हुयी के (१) तुमारो जनम तुमारे देसरा सेवावास्ते है; दूजी कांई हुईके (२) वा सेवा निष्कपट और पेटाबिनारी चाइज; र्ताजी कोई हुई के (३) वा सेवा राजकीय ( राजरा) सामाजिक (न्यातरा ) और धार्मिक यां तिनोई वाबतांमांय सिरीखी फेलाणी चाइजे. एक लारे और दूजी आगे कामरी नहीं. एक इटालियन ओठो हे के ‘झिको भिणीजे ऊ हुकमत चलावे. ( he who reads rules ); और भागवांन तथा ताकदवाळा मल्ल हुकमत चलावे आ बात तो खारज है. भिणीज्योडा आदमी 'सेंसार ऊंची कल्पना' जो चार्वाक आगे मत फेलायो हुतो तिण मुजब 'खावो पीवो मोज उडावो इस्त्रेको हुय जावे तो दूजारी पीछे कांई गिणती ? पिण सिरदारहो, भिणीज्योडा आदमीमांय 'सेंसाररी ऊंची कल्पना ' तो हे पि धीरज - नैतिक धीरज —— नेकीरो धीरज नहीं हुवे तो वा 'सेंसाररी ऊंची कल्पना' फोगटीज है. स्माइल्ससाहेब इण धीरजरो ( moral courage ) इण मुजब वखाण करे हे. “सांच कांई हे सुं पारखने साचो बोलणारी हिम्मत रखणी, मोहरे जंजाळसुं लंबो रेणो.” (The courage to seek and speak the truth; the courage to resist temptation. > अंदाजे तीनसो बरसां पेली इण चोखळामें तुकाराम करने एक मोटा साबु हुय गया. वे कांई केवे के: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६९ ) ऐसा हा लौकिक कदा राखवेना । पतितपावन देवराया ॥ १ ॥ संसार करितां ह्मणती हा दोषी । टाकितां आळसी पोटपोसा ॥ २ ॥ आचार करितां ह्मणती हा पसारा । न करितां नरा निंदिताती ॥ ३ ॥ संतसंग करितां ह्मणती हा उपदेशी । येरा अभाग्यासी ज्ञान नाहीं ॥ ४ ॥ धन नाहीं त्यासी ठायींचा करंटा * समर्थासि ताठा लाविताती ॥ ५ ॥ बहु बोलों जातां ह्मणति हा वाचाळ । न बोलतां सकळ ह्मणती गर्वी ॥ ६ ॥ भेटिसि नवजातां ह्मणती हा निष्ठुर । येतां जातां घर बुडविलें ॥ ७ ॥ लग्न करूं जातां ह्यणती हा मातला । न करितां जाला नपुंसक ॥ ८ ॥ निपुत्रिका ह्मणती पहा हो चांडाळ । पातकाचें मूळ पोरवडा ॥ ९॥ लोक जैसा ओक धरितां धरवेना । अभक्ता जिरेना संतसंग १० ॥ तुका ह्मणे आतां ऐकावें वचन । त्यजुनियां जन भक्ति करा ॥ ११ ॥ इणरो भावार्थ कांई हे के, थे जो धर्ममांय गाढा रेवो तो दुनया केंवें के मुरख है; थांरी जो धर्मऊपर सरधा नहीं हुवे तो केवे के नास्तिक, नादान है; तुमे जो घणा बोलोला तो केवे के बके हे; तुमे जो चिपचाप बेठोला तो केवे के अहंकारी है. साहेबहो, दुनया खरो - खर तुकाराम महाराज केवे तिण मुजब दुरंगी है. शिवपार्वती ओर नंदीरी बात आप शिरदार जाणताज हुसो. कविरा साथ अपां पिण केसां 'Give unto me, made lowly wise, “ The spirit of self-sacrifice, "L The confidence of Reason give, " And in the light of Truth Thy Bondman let me live. " मालिनीवृत्त ( भावार्थ ) स्वकृत. ८८ सबल अब भरोसां सद्विवेकांसु झारा उपकृति करूं सूं सात्रमें लीन प्यारा । बहु बिनयसुं राज्यो ग्यानरी भूख हो हे प्रभु बिनाते सुणो थे दास हूं आपरो म्हे ॥ तिणवास्ते दुनयारे बोलरी पर्वा राखणी ओ धीरज — नैतिक धीरज -- नेकीरो धीरज नहीं है. श्रीमहावीरस्वामी, तुकाराम ओर लुथरसाहेब इणां दुनयारी परवा कित्री किनी ? दुनयासुं डरोला तो पग रखणानेबी जगा मिळेला नहीं. ह्यारा प्यारां साहेबां, धीरजसुं गुंध्योडी 'सेंसाररी ऊंची कल्पना' कमावणसारुं आगली पिढी गाढा मारुजी - आगली पिढीरा सिरदार आगली पिढीरा मालकांने अंग्रेजी भिणावणारी म्हे हियारा हुल्लाससुं आज अठे भोळावण देऊं हुं. पेली तो प्राथमिक शिक्षणरो ( Primary Education) खूब जोरसुं फेलावो करो. 'सेंसाररी ऊंची कल्पना 'रो थोडो घणो अस्सल अंस हाईस्कूल तथा कॉलेजमें भिणी जणासुं हिरदामांय उतरसी इस्त्रे म्हे धारुं हुं, सुं अबे तो चेतो. इनेईज म्हें व्यावहारिक ऊंची केळवणी केवुं हूँ. अंग्रेजी भिणावणारा शिवायमें ओर तीन कारण है. वे इणभांत हे : ( १ ) अंग्रेजी आ अबार राजदरबाररी भाषा है. (२) हिंदुस्थानरो बेपार - परदेसरो बेपार - घणो तो बिलायतसुं है. ( ३ ) हिंदुस्थान में भिणिज्योडा सारा सिरदारांरी सम्माईक बोली दिनदिन अंग्रेजी रही है. १४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७० ) सिरदारहो, झारा परममित्र भाईश्री फकीरचंदजी प्रेमचंदजी ममोई. वाळा जे. पी. आपणे सभारा चीफ सेक्रेटरीसाहेब झने फुर्मायो थो के थाने इण बारांमांय कुछतोबी व्यावहारिक (practical ) सूचना करणी जोग है; पिण झारा समजमें हाल व्यावहारिक सूचनारो बखत आयो नहीं है, इण सबबसुं के अंग्रेजी विद्यासु निश्चे हुवणहार नवा ढंगरी पडछाया झारा चोखळामांय तो अबार संपूर्ण मुग्धावस्थामें हे. तिणमाय भविष्यकालरा भणकारारूप जोबनका उजासरो आरंभ हुय रह्यो है, ओर हाल तो मुग्धावस्थायोग्य काची जवानीरी बिरळी ओर मंद थंडी लेरांमाय आ भावी ढंगरी राजस ओर फूठरी पडछाया मोज मान रही हे !! पिण एक सूचना सारासं कऱ्या बिना रेइजे नहीं. “जेन पाठशाळा, जैन पाठशाळा" आ पुकार म्हे घणीवार घणा ठिकाणे सुणतो आयो हुँ; पण जिण भाषामें आपणा जैनशास्त्ररा द्वादशांग गूंपया हे उण बालभाषामें अच्छीतरे जाणणेवाळा बिलकुल थोडा हे. बालभाषारो कुछतोबी अस्सल ग्यान हुवा सिवाय जैनशास्त्ररो मर्म समजणो अशक्य हे. घणा जिणाने पडकमणो आवे पिण व्याकरणसुद्ध अर्थ जाणणावाळा आखा हिंदुस्थानमें कित्रा निसरसी ? बिनाअर्थ मूंडे पाट करणो मुनासब नहीं. एकवार उच्चार जिके मुंडे बेठ जावे वे निकळणा ओर सुधारणाने बडो कठण जावे. जिस्त्रे संस्कृत भाषा सरकारी कॉलेज तथा हाईस्कृलमें शिकावे उस्त्राजेईज आगे कॉलेजमांय बालभाषा शिकावणारी तजर्वाज कोई रीतसुं व्हे तो ठीक. सिरकार जो बालभाषा भिणावणारी जोखम आपरे ऊपर नहीं लेवे तो बी. ए. री परीक्षामें एक बालभाषारो कागद रखणाने तो नहीं केसी नहीं. सार मुद्दो तो ओ हे के कोई तिमु आपणा युनिव्हरसिटीमांय ( विश्वविद्यालय ) बालभाषारो प्रवेश हुणो चाइजे. इस्त्रे सुजणामें हे के 'झेंडाविस्ट' भाषारो एक कागद एम. ए. रे परीक्षारे बखत रखे हे. पार्शी लोकारो धर्म जिण भाषामें हे उण भाषाने जो इस्त्रेको उत्तेजन दियो हे तो पछे अपां सारा जिणा एकमन्ना हुयने सरकारने केसां तो हने पुरो भरोसो हे के सरकार कोई रीतसुं बालभाषाने उत्तेजन देवेला, बालभाषा लेने झिको विद्यार्थी परीक्षामांय पास हुसी उणवास्ते एक स्कालरशिप रखने भिणीजणावाळाने मोटो भारी टेंको दीनो चाइजे. आ बात तो पक्की ध्यानमें राखजो के बालभाषा आया सिवाय सिद्धांतरो रहस्य हिवडामें उतरणो मुस्कल हे. इण जमानारा साधुमुनिराजने बालभाषारो तो रह्यो पिण संस्कृत भाषारो ग्यान कित्रो रेवे हे सुं आप जाणोईज हो. भिणावणो भिणीजणाबिचे सोरो नहीं, बडो कठण हे. गुरुरा ग्यानरो आधो ग्यान हिवडामांय उतरणो मुस्कल है, इस्त्रे सर जोशुआ फिच्च एम्. ए. एल. एल. डी. केवे हे. ( The truth is that no one can teach the whole, or even the half of what he knows:) श्रीमहावीरस्वामीरे बखत श्रावकारे संपत्तिरो बरणन घणा ठिकाणे चाल्यो है. कोई श्रावक कन्ने एक गोकळ, कोई कने पांच, कोई कने दस. एक गोकळमें दस हजार गायां हुया करे हे. एक गायने रोजरो एक आनो खावणारो पकडियो तो एक गोकळने एक बरसरा सवादोय लाख रुप्या लागे; ओर इण जमानारा अमोलक भागवान मायारा बाबू लारला पैसावाळारा गायांरे चराइमें जावे, तोबी, सिरदारहो, हाल तो थारे पुंजीरी तंत ओर तरावट बारला पिण बखाणे हे, सुं अबे थांरी दानसूरता बिद्या भणावणमें, बिद्याने उत्तेजन देणामें, एखादे मोटे शेहेरमें एखादी तो आपणी हाईस्कूल तथा बोर्डिंगथांपणमाय बतावो. हारी व्यावहा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७१) रिक ( practical ) सूचना आ हे के आपणा जैनशास्त्ररी भाषा-बालभाषा-प्राकृतभाषा भिणावणवाळा प्रोफेसर (पंडत) मिळसी इस्त्रेकी गोठवण अपां बेगी करी चाइजे. अबे आपरो अमोल बखत घणो लीनो हे सुं छेली भोळावण बडी खुसीरे साथ ओर हियारा हुल्लाससुं देने आप सिरदारांरी रजा लेवु हुं. “फकत गाळगीत, गप्पासप्पा रसोई, चोकोबरतण, घणी फुरसत मिळी तो टांकोटेको" करणावळी बिणियाण्यां बीदने ब्यांवमें पीठी चड्डावे उण बखत कांई गावे हे के "तूं तो कर रायजादा ऊगटणो" (unguent). खरेखर, जिण दिन हर एक माता ओर पिता आगली आवती पिढीरा गाढा मारुजी-आगला पीढीरा सिरदार-भविष्यकालरा मोहणगारा मालकांरेडीलऊपर बिद्यारी सोनय्या पाकी पीठी चड्डासी ओर विद्यारूप सुगंधी ऊगटणो (uoguent) करावसी ऊ दिन भलो ऊगसी! आःहा, आज नहीं तो काले ऊग्या बिना तो खे नहीं. पीछे मारा ओसवाळ भायांरी चळचळाट आखी दुनयाभर हुसी ! धर्म, अर्थ, काम और मोक्षरां बारणां पीछे आपोआप खुलसी. सारे मनरी कामना जदेज फळसी. आप सारा एकमना हुयने चित्त देने म्हे अल्पमतिसु बिवरासुं कह्यो तिके सुण लीनो बदले आपरो घणो ओर पुरो पुरो आभारी हुं. पंजाबना प्रतिनिधी लाला मुनशीरामनुं हिंदी भाषामां भाषण (सार). " हालमा धार्मिक केळवणी आपनारी पाठशाळाओ विगेरेनी खामीने लीधेज आपणी कोम उतरती हालतमा आवती जाय छे. जे जैन कोम बीजाओने दान आपनारी कोम गणाती हती, तेज कोमनी हालत हालमां एवी थई पडी छे के ते कोमना केटलाक लोकोने भीख मागवी पडे छे." आगळ चालतां तेमणे कविताना आकारमा जैन कोमनी थई पडेली अफसोसकारक हालतना संबंधमां विवेचन कयु हतु. कविता पूरी थतां तेमणे जणाव्यु हतुं के पंजाबमां मुनी महाराज श्री आत्मारामजीने लीधे थोडो वखत थयां केटलीक सारी हीलचालो उभी थवा पामी छे. हालमां पण केटलीक पाठशाळाओ पंजाबमां उभी थई छे, परंतु तेनुं काम जेवू जोईए तेवू संतोषकारक नथी. बाद अगाऊनी जाहोजलाली, रमुजी विवेचन करी तेमणे पोतानुं भाषण समाप्त कर्यु हतुं. अंबालाना लाला गोपीनाथ बी. ए. नुं हिंदीमां भाषण. ॥ मंगलाचरण॥ यस्य निखिलाश्वदोषा नसंति सर्वे गुणाश्च विद्यन्ते । ब्रह्मा वा विष्णुर्वा हरो जीनो वा नमस्तस्मै ॥ १ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७२ ) अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानाञ्जन शलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ २ ॥ प्रमुख साहिब! डेलीगेटो! तथा अन्य जैन बन्धुओ! यह जो धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षाके फैलानेका ठराव यह कॉन्फरन्स करना चाहती है सो बहुत ठीक है; ठीकहि नहीं बल्कि निहायत जरूरी है. क्योंकि यह एक एसी वस्तु है कि जिसके जरियेसे इस संसार समुद्रसे पार उतर कर मोक्षको प्राप्त हो सकते हैं. शास्त्रकारका भी फरमाना है “ पढमं नाणं तउ दया" यानि पहले ज्ञान तो पीछे दया. मतलब कि पहले धर्मके स्वरुपको समझेगा तो धर्म करसकेगा और दयाही जैन धर्ममें मुख्य मानी गई है, इस लिये धार्मिक शिक्षाकी बहुत जरुरत है. धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षाके बहुतसे फायदे अभी कइ प्रिय जैन बन्धुओंने आपके रुबरु बयान कर दिये हैं. अब धार्मिक शिक्षाके अभावसे जो कुछ हालत हमारी जैनकौमकी हो गइ है, वह मैं अपनी तुच्छ बुद्धिके अनुसार आपको दिखलाता हुं. प्रिय जैन बन्धुओ! एक वह समय था कि यह जैनमत पूरी तरक्की पर था. इस जैनमतमें एसे एसे विद्वान पुरुष मोजूद थे, जिनकी धार्मिक शिक्षा निहायत उंचे दर्जेकी थी जिन्होंने अपनी विद्याके बलसे बडे बडे राजामहाराजाओंको वश किया और जैनमतकी पूरी परी तरक्की कर दिखलाई. जब हम प्राचीन जैन मन्दिरों और जैन भंडारोंको नजर गौरसे देखते हैं तो हमें अपने बुजुरगोंकी तरक्की मूर्तिमान होकर सामने दिखलाइ देती है. जरा श्री आबूजीके. मन्दिरोंकीऔर ध्यान दीजे कि जिनकी तारीफमें यूरोपियन विद्वान भी कहते हैं कि आबूजीके मन्दिरकी बराबर खूबसूरत इमारत तमाम दुनियामें किसीजगह नहींहै. अगर आप आंख मीटकर पीछले जमानेकी तरफ जरासा ध्यान दोगे तो आपको ऐसे ऐसे विद्वान पुरुष नजर पडेंगे जैसे श्री हेमचन्द्राचार्यजी महाराज जिन्होंने संस्कृत प्राकृतमें व्याकरण, न्याय, छंद, तर्क, योग आदिके सैंकडों शास्त्र रच दिये, जिनसे हजारों मनुष्य लाभ उठाते हैं और जिन्होंने अपनी विद्वताके बलसे अठारा देशोंके राजा कुमारपालको वश करके जैनमतकी बडी भारी तरक्की की और पाटनमें पुस्तकोंका बडा भारी भंडार कायम करवाया. यह वोहि हेमचंद्राचार्य है कि जिनकी तारीफ करते हुए यूरोपियन स्कॉलर डॉकटर पीटरसन साहब फरमाते हैं कि श्री हेमचचंद्राचार्यजीकी विद्वताकी स्तुति जबानस नहिं हो सकती. जिसे उनकी विद्वताका कुछक अंदाजा करना हो तो उनका रचा योगशास्त्र पढ देखो. इसी तरहसे श्री हीरविजयजी और उनके शिष्य श्री शान्तिसागर उपाध्यायजीने अपनी विद्या के बलसे मुसलमान बादशाह अकबर आदिको वश करके श्री सिद्धाचलजी आदि जैन तीर्थोपर जीव दयाका प्रचार कराया. यह मैने पिछले जमानेका कुछ थोडासा हाल आपके सामने बयान किया, जब कि इस जैनकोममें विद्याका बडा प्रचार था और इस जैनकौममें एसे एसे वीर नररत्न विद्वान पुरुष थे जिन्होंने अपनी विद्याके बलसे राजाओंको वश करके बडी भारी जैनमतकी तरक्की की. अब वर्तमान कालकी तर्फ ख्याल कीजिये कि एक सामान्य मनुष्यको भी जैनी नहीं बना सक्ते, इतनाहि नहिं वल्कि खुद जैनियोंकोहि जैनमतमें कायम रखना मुश्किल होगया, क्योंकि धार्मिक शिक्षाके अभावसे लोगोंको जैनमतकी पूरी पूरी खबर नहिं पडती. अविद्याके प्रभावसे जो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७३ ) जैनी लोगोंकी हालत होगई हैं, उसका फोटो श्री श्री श्री १००८ श्री आनन्दविजय - सूरि ( आत्माराजजी ) महाराजने “ अज्ञानतिमिरभास्कर" में अच्छी तरह से खैंचा है. महाराजजी साहिब फर्माते हैं कि " जैनमतके बहुतसे शास्त्र म्लेच्छराजाओंने जला दिये और जो कुछ बच रहे वह भंडारोंमें बन्ध पडे हैं, कोई उनकी सार संमाल नहीं लेता. बहुतसे शास्त्र पडे पडे गल गये हैं, और अगर यही हाल रहा तो बाकी दोसौ तीनसैौ वरसमें गल जायेंगे. जैसे जैनलोग. अन्य कामों में लाखों रुपया खर्चते हैं वैसे जीर्ण पुस्तकों का उद्धार करानेमें कुछ नहीं खर्चते और न कोइ जैनशाला बनाके अपने लडकोंको संस्कृत धर्मशास्त्र पढाते हैं और जैनी साधू भी प्राय: विद्या नहीं पढते हैं, क्योंकि उनको खानेको ताजा माल मिलता हैं वह पढकर क्या करे ? और कितने जती लोग इन्द्रियोंके भोग में पड रहे हैं सो विद्या क्योंकर पढ़ें ? विद्या न पढनेसे तो लोग इनको नास्तिक कहने लग गये हैं फिर भी जैन लोगोंको लज्जा नहीं आती ?" प्रिय जैन बन्धुओ ! महाराजजीका लेख बहुत दुरुस्त है, क्योंकि जब जैनलोग खुदही जैनमतकी प्राचीनता और महत्वतासे नावाकिक है ( धार्मिक शिक्षाके अभावके सबबसे ) तो फेर वोह और लोगों पर जैनमतकी प्राचीनता और महवता किस तरह जाहिर कर सकते हैं ? इसलिये संसारसमुद्रसे पार उतर कर मोक्षकी प्राप्तीके लिये और जैनकोमकी उन्नतीके लिये धार्मिक शिक्षाकी अतीव जरुरत है, यहि नहिं बल्कि उन तमाम कामोंको पूरा करनेके लिये जो इस कॉन्फरन्सने स्वीकार किये हैं और खुद कॉन्फरन्सकी तरक्की के लिये सबसे ज्यादा शिक्षाकी जरुरत है और इस धार्मिक शिक्षाके फैलाने के लिये एसे Institutions यानि हाइस्कूल और संस्कृत पाठशालाओंकी जरुरत हैं कि जहां सांसारिक शिक्षाके साथ साथ धार्मिक शिक्षा भी मिलती रहे. प्रिय भ्रातृगणो! अभी मेरे प्यारे भाई सेठ गुलाबचंदजी ढड्ढा एम. ए. ने फरमाया था कि आजकल के जैन ग्रेज्युएट प्रायः जैनमतको छोड बैठते हैं और जैनमतसे नफरत करने लगते हैं सो ठीक है इसमें उनका क्या कसूर है ? हमाराही कसूर है. क्योंकि उनको बचपनसेहि एसे Institutions में शिक्षा हासल करनी पडती है कि जहां यातो धार्मिक शिक्षा दीही नहीं जाती या जैनमतसे प्रतिकूल शिक्षा मिलती है. इसवास्ते ए मेरे प्यारे जैन बन्धुओ ! आपपर जाहिर हो गया होगा कि इस संसारसमुद्रसे पार उतरनेके लिये, जैनकौमकी उन्नती के लिये, कॉन्फरन्सकी तरक्की - के लिये, जैन ग्रेज्युएटको नास्तिक बननेसे रोकने के लिये सांसारिक शिक्षाके साथ साथ धार्मिक शिक्षा भी मिलनी चाहिये और इसलिये जगह जगह जैन हाइस्कूल और संस्कृत पाठशालायें चा लाइब्रेरी खोलनी चाहियें कि जिससे जैनकौम वा जैनमत फिर उसी अरुज पर पहुंच जावे कि जो इसने एक जमाने में हासिल किया था. अब च्यूंकि मेरे व्याख्यानका समय हो चुका है, इसलिये आखीरमें मै भगवत देवसे यही प्रार्थना करता हुं कि यह कॉन्फरन्स हमेशा कायम रहे और दिनपर दिन इसकी तरक्की हो. इन लफजोंके साथ मै अपना व्याख्यान खतम करनेके लिये सभासे आज्ञा मांगता हूं. ॐ ! शान्तिः ! शान्तिः ! शान्तिः ! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७४ ) मि. प्रेमचंद गुलाबचंद अकलुझवाळानुं भाषण. मंगळाचरण. अर्हतां परमं सिद्धमाचार्य पाठकं तथा । वंदेहं सर्व साधूंश्व कर्मघ्नं च गुणाकरम् ।। सद्गृहस्थो तथा बहेनो! आपणे बधी जातना सुधारामां अन्य जनो करतां पछात छीए अने जाग्रत धवानी बहुज जरुर छे. हवे सुधारानो मार्ग क्रमशः क्रमशः करवो जोईए. पहेला माळधी बीजे माळ जनुं होय तो सीडीना एक पगथीएथी बीजे पगथीए एम एक पछी एक चढवानी जरुर पडेछे, तेज प्रकारे धर्म तथा व्यवहारिक केळवणी मेळववी जोईए. कहेवत छे के - " कांकरे कांकरे पाळ बंधाय ने टीपे टीपे सरोवर भराय. 29 हवे मानवजन्म दुर्लभ छे अने ते पण क्षणभंगुर छे ए विषे कहेवानी विशेष जरूर नथी. धर्म मोक्षनुं नौकारुपी साधन छे अने धर्मज्ञान तथा व्यवहारिक ज्ञान तेनां बीजां साधनो छे, माटे आ बे प्रकारनुं ज्ञान अत्यंत आवश्यकता भरेलुं छे. धर्म लक्षण. दृष्टिज्ञानवतानि धर्म धर्मेश्वरा विदुः । यदीय प्रत्यनीकानि भवन्ति भवपद्धतिः ॥ धर्म=सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन अने सम्यक् चारित्र ए रत्नत्रय छे. धर्म केवो छे ? अहिंसा परमो धर्मो दशलक्षणसंयुतः । द्विधा जीनवाब्जात्संजातो मोक्षदायकः ॥ हवे आ संसारसमुद्र तरवानुं (मोक्ष मेळववानुं ) काम बहुज कठण छे. कवि कहेछे के— आशानाम नदी मनोरथजला तृष्णातरंगाकुला, रागग्राहवती वितर्कविहगा धैर्य द्रुमध्वंसिनी । मोहावर्त्तसुंदुस्तरा|तिगहना प्रोत्तुंग चिंतातटी, तस्माः पारगता विशुद्धमनसो नदन्ति योगीश्वरा ॥ बे ज्ञाननी जरूर. आहार निद्राभयमैथुनानि चत्वारि संज्ञानि वसंतिदेः । ज्ञानं नराणामधिको विशेषो, ज्ञानेनहीनाः पशुभिः समानाः ॥ ज्ञान एक प्रकारनी शक्तिज छे. एक ठेकाणे कहेलुं छे अण्णाणिकं खवदीओ भवसहस्स काडीण । तंणाणी तिहिजुतो खवेइउस्सास मत्तेण ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७५ ) भावार्थ-अज्ञानी मनुष्य कोव्यावधि जन्ममां केटला कलेश भोगवे छे ? बहुज भोगवे सारे कर्मनाश करे छे. तेटला कर्मनो नाश ज्ञानी उच्छास मात्रना काळमां करी नाखे छे. सिंह केटलुं उग्र प्राणी छे; परंतु मानवी तेने युक्ति प्रयुक्तिथी उग्रता विनानो करी नाखे छे. रेलवे तार वगैरेनो उंचा प्रकारनो लाभ पण उंची केळवणीनोज छे. प्राथमिक केळवणी बे प्रकारनी छे. एनो लाभ आपणी बहेनो अने माताओने न मळवाथी बच्चाओने जे न्हानपणमा लाभ मेळववानो तथा तेथी तेमना कुमळा मनपर सारी रीते पूर्ण असर थवानी ते थती नथी; माटे कन्याशाळाओनी केटली जरुरीयात छे एनो मारा कहेवा करतां आपज विचार करशो. मन उपर ज्ञाननी सारी पेठे असर थवाथी मन शुद्ध थाय छे, तथा धर्मग्रहण करवा पात्ररुप बने छे. ज्ञानवंत मनुष्य सद्वर्त्तनथी चाले छे, सद्बुद्धिने हमेशां जागृत राखे छे; एटलुंज नहि पण बीजाओने पण सद्वर्त्तनमा प्रवर्त्ताववा उद्योग करे छे. राजर्षि भर्तृहरिए कह्यं छे के "सत्संगतिः कथं न करोति पुंसाम्". सत् संगतिथी कया कया फायदा थता नथी ? अर्थात् तमाम प्रकारना फायदाज थाय छे! कोल्टन ग्रंथकारे कर्तुं छे के-खराब सोबत करतां कोईनी पण सोबत न होय ते वधारे सारं छे. हलका जनोनी सोबतथी बुद्धि पण हलका प्रकारनी थई जाय छे; ' सोबते असर' ए कहवतनी सर्व सुज्ञोने प्रतीति मळीज हशे. आ प्रमाणे मित्रतानी असर सोना जाणवा बहार नथी; माटे हमेशां संत समागम एटले भला साधु मुनिराजोनो संयोग अने तेमनी साथे ज्ञानगोष्ठी तथा तेनुं मनन करवू वगेरेनी खास जरूर छे. संतसमागमी बुद्धिनी शुद्धि वृद्धि थाय छे; मनुष्यमात्रने बुद्धि प्राप्त थयानुं फळ एज छे के उत्तम विचारणाओ करवी जोईए. कहुं छे के बुद्धेःफलं तत्त्वविचारणं च । देहस्य मारं व्रतधारणं च ॥ वित्तस्य सारं किल पात्रदानं । वाच फलं प्रीतिकरं जनानाम् ॥ माटे कहेवानुं एज के संत समागमधी सद्बुद्धि प्राप्त करी, ते वडे तत्व विचारणा करवी अने धर्मध्यानमां तत्पर रही जन्म सफळ करवो. शुभार्थमार्गेण महाव्रत भावना च । पंचेंद्रियोपशमतातिदयाभावः ॥ बंधप्रमोक्षगमनातितिहेतुचिंता । ध्यानंतु धर्ममितितत्ववदंति तज्ज्ञाः॥ शुभ चिंतवना करवी एज स्वाध्याय छे. अने जीवक बंध मोक्ष चतुर्गतिमा जवु आवq शा कारणोथी थाय छे तेनो पण विचार करवो ए पण धर्मध्यान छे. जैन लायब्रेरीओनी जरुरीआत. विशेष अगत्यनी ए वार्ता छे के, आपणां न्याय, नीति, वैद्यक, ज्योतिष, धर्म कर्म, अने ऐतिहासिक वगेरे पुस्तको वांचवानो आपणी कोमने पुरतो लाभ मळवा स्थळे स्थळे लायब्रेरीओ खोलवानी खास जरुर छे, अने तेम थवाथी प्राचीन अने अर्वाचीन ग्रन्थोना लेख Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७६ ) चगेरेनुं ज्ञान थवा संभव छे. विशेष ज्ञान प्राप्ति थवाथी धर्ममां लीन थवानो वखत मूर्तिमान थाय छे. अने जे धर्ममां लीन थाय छे ते— यो धर्म्मलीनो जितरागरोषो । विद्याविनीतो न परोपतापी ॥ स्वदारतुष्टः परदारवर्णी । न तस्य लोके भयमस्तिकिंचित् ॥ धर्ममां लीन थयेला मनुष्यो सरस रीते मान मेळवी शके छे. तेनी कमाणी सारा मार्ग - थी ने न्यायथी मेळवेली होवाथी सन्मार्गमां वापरवानी बुद्धि थाय छे. बुद्धिवंतनुं मन स्थिर होय छे. ज्ञानबळथी मननी निर्बळता जती रहे छे, स्माईल्स कहे छे के66 नबळा मनवाळा, स्वअंकुश विनाना अने अनियमित जुस्सावाळा मनुष्यना हाथमां रहेलो पैसो ते तेने अने महा अनर्थनुं कारण थाय छे." माटे सारा सारा विद्वान्, धनाढ्य अने भाविक गृहस्थोए पोतानो पैसो सारा कार्यमांज वपराय एवी योजना योजवी, विद्यादान देवामां वापरवो. सर्व दान करतां विद्यादान बहु फळदाता छे. जो के आ संबंधे बोलवाने बहु विचारणा थाय छे, पण विषय विशाळ होवाथी अहीं आटल्लुंज बोली विराम पामुं छं. जेम नाक वगर शरीर शोभतुं नथी तेम धर्म तथा व्यवहारिक केळवणी मेळव्या विना मानवनुं जीवित पण शोभतुं नथी. कहां छेके येषां न विद्या न तपो न दानं । ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ॥ भूलोके भूविभारभूता । मनुष्य रूपेण मृगाश्वरन्ति ॥ माटे आपणी कोमने दिन प्रतिदिन विशेष केळवणी मळे अने तेथी मनना मनोरथ फळे तेथी मक्कम पणे नभी शके तेवी योजना योजवा मारी पुनः पुनः प्रार्थना छे. हवे आप साहेबोनो अमूल्य काळ विशेष व्यतीत न करवा मारा भाषणाने समाप्त करी स्वस्थानके स्थित धवानी रजा चाहुं छं. शाह नारणजी अमरशी वढवाणवाळानुं भाषण. मेहेरबान मानवंता प्रमुख साहेब, वहाला डेलीगेट साहेबो अने मायाळु बहेनो ! शरुआतमां व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी संबंधे दरखास्त करनार साहेबे तथा मारी पहेलां आ दरखास्तने टेको आपनार साहेबोए आ दरखास्त उपर बहुज उमदा विवेचन करेल छे, जेथी मारा भागमां कांई वधारे विवेचन करवा जेवो भाग रहेल नथी. तेमज आ महद् विषय उपर व्याख्यान आपवाने तथा आ व्याख्यानने अंगे पुरतुं विवेचन करी घटतो इनसाफ आपी जनमंडळने जेवो जोईए तेवो संतोष आपवा जेवुं मारामां ज्ञान तथा शक्ति नथी. ए बधुं छतां चतुर्विध संघ के जेने तिर्थंकर प्रभुजी पण नमस्कार करेछे, एवो महान् दरज्जो धरावनार चतुर्विध संघ तरफथी मने सुप्रत करेल फरजने अदा करतां तथा आवा उत्तम कामनी दरखास्तने टेको आपतां मने अत्यंत हर्ष उपजे छे एटलुंज नहीं, पण हुं कृतार्थ थयो एम समजुंछु; तथा मारामां लायकात नहीं छतां आ काम मने सोंपायुं ते माटे विचार करतां, मने एक जातनुं मान मळ्यु एम समजी खरा जीगरथी आ कॉन्फरन्समा भाग लेता तमाम मंडळनो उपकार मानुंछु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७७ ) आ दरखास्तमां समाएल केळवणी जेवी उमदा बाबतने संबंध आप सर्वे भाईओ अने बहे - नोने हुं पुछवाने रजा मागुंछु के:- विनयवान, नीतिवान, धार्मिकवर्तनवाळां अने कुळदीप फरजंदो. कोने जोइतां नथी ? सर्वेने सद्वर्तनवाळां धार्मिक बाळको जोईए छे, एम आनो जवाब आववानो संभव छे. व्यवहारिक संबंधे मारुं जाणवा तथा मानवापेणुं तो ए छे के मानवजींदगीमां लायक फरजंदो मेळववां ए सर्वथी मोटुं सुख अने एक खरेखरो संतोष अने मोटामां मोटी अभिलाषा छे. दरेक समजु माबाप फरजंदोने केळवणी आपवाने खुशी होय छे एटलुंज नहीं पण अजड, मूर्ख अने अज्ञान बाळकोने जोई दुःखी थाय छे, हाय अफसोस करेछे. होळी रीते जोईए तो फरजंदो मेळववानी मानवजातिनी ईच्छा देखाय छे, तेथी पण अधिक ईच्छा मेळवेल फरजंदने केळवणी आपवानी होय छे. केळवणीथी पशु, प्राणीओ, अने पक्षीओने सुधारी शकाय छे, केळवणीथी शाक, पाक अने खावाना पदार्थो सारो स्वाद आपेछे, केळवणीथी दरेक कार्य मनपसंद थाय छे. ए बधां कारणोनुं अवलोकन करतां केळवणी वधारवानां साधनो वधे एवं करवामां घणो फायदो छे. साधारण बाळकोनो केळवणीनी कृतिथी कुळदीपक पुत्रो तथा पुत्रीओ बनावी शकाय छे; आ सांभळी अजब थशो नहीं. पोपटनां बे बच्चांनी दंतकथा स्पष्टरीते स्थापित करेछे के जेवुं शिक्षण मळे तेत्रो माणस तैयार थायछे, शिक्षणना योगे डहापण मळेछे. शिक्षणनी खामीवडे मूर्खपणुं प्राप्त थायछे, एटले के केळवणीथी मूर्खने डाह्यो माणस करी शकाय छे. बच्चुं ए मात्र एक खाली पेटी जेवुं छे मां केळवणीरुपी जेवो रंग भरो तेवुं ते थायछे. हवे हुं कहीश के ज्ञान, विद्या, केळवणी अने शिक्षण ए सर्वेने अरसपरस घणो संबंध छे. ज्ञान अने विद्या लगभग एक छे, उंडाणमां जोईए तो विद्याथी ज्ञान मळे छे. विद्या ए शिक्षण अने केळवणीथी प्राप्त थाय छे. आ केळवणी लेवानां घणां द्वार अने रस्ता छे, पण ए तमाम रस्ताना समूहमांथी सर्वथी निर्भय अने सहेलो रस्तो पाठशाळाओ अने पुस्तको छे; अने ए रस्ताथी अधिकारी बाळकोने विद्या मळेछे. आ विद्या ए एवी शक्ति छे के ते शक्ति कुपात्रने सुपात्र बनावे छे, सुपात्रने वधारे सुपात्र बनावे छे. विद्या ए एवी चीज छे के जेने चोर चोरी शकतो नथी, ए चीज जेम जैम खर्चीए एटले आपीए तेम तेम अमरवेली माफक वधती जाय छे, विद्याने अग्नि बाळी शकतो नथी, पवन विद्याने उडावी शकतो नथी, तेमज जळ एने डुबावी शकतुं नथी; एटले के पंचमहाभूतो तेनो नाश करवाने समर्थ नथी. विद्याने अग्नि, पवन, पाणी, वीजळी, गुरुत्वाकर्षणआदि सर्वे तत्वो वश थाय छे. विद्या मेळवनार शख्सो 'विद्या गमे तेटली मेळवे तोपण तेना समूहमांथी विद्या खूटी जती नथी; तेमज विद्या मेळवावा ईच्छनार कदी तेनो पार पामी शकतो नथी. विद्या लेनारने कदी ते लेतां अरुचि थती नथी. एटलुंज नहीं, पण विद्या वडे सिंह, वरु वाघ, विगेरे क्रूर जंगली प्राणीओ वश थाय छें. विद्या आगळ अशक्य चीजो शक्य थाय छे. अने ए आवी महिमावान विद्या लेवाने वृद्ध, जुवान, अने बाळको बधां अधिकारी छे. विद्या लेवाने राजा, श्रीमंत, गृहस्थ, गरीब अने भिक्षुक ए तमाम वर्ग आरजुमंद छे. आ दान ग्रहण करवामां कांई पण शरम के शंका नथी. विद्यादान ग्रहण करवानो सर्वेनो हक छे, दान लेनार व्यक्तिनी स्थिति अने कांति तेजस्वी थतां जाय छे. विद्याथी धर्म, अर्थ, काम अने मोक्ष ए पुरुषार्थ सिद्ध थई शके छे. आ विद्या आपवा माटे नामदार सरकारे दरेक जगोए १५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खातां उघाडयां छे अने ए काम माटे आ कॉन्फरन्स तरफथी खरा जीगरथी हुँ उपकार मानुं छु, अने ए कामने आप साहेबोए धन्यवादथी वधावी लीवू ते जोई मने वधारे आनंद थाय छे. आपणी सनमुख आवता दरेक सवाल माटे आसपासनो बहोळो विचार करवो जोईए छे. नामदार सरकारने पोतानी पंचभेळ प्रजाने केळववानी छे. नामदार सरकारनी रैयतमा जुदी जुदी ज्ञातिओ अने भिन्न भिन्न धर्म होवाथी, तेमनी मार्फत आपणे आपणा धर्मनी केळवणी मेळववाने अशक्त छीए. विद्याबळ गमे ते, होय पण तेमां धार्मिक तत्व न होय तो विवेक, नीति, नम्रता.अनुकंपा आदि महद् तत्वो केळवातां नथी. आ खामी विचारवंत डाह्या माणसोने जणातां जुदी जुदी रीते तेना उपायो योजवा लाग्या छे. मुसलमानोए अलीगढमां कोलेज स्थापी छे, हिंदुओ तरफथी बनारसमां सेंट्रल हिंदु कोलेज उघडी छे, क्रिश्चियनो माटे तो घणी कोलेजो छे; मात्र आपणी जैनधर्मनी केळवणी आपनार कोई कोलेज नथी; जाके हमणां थोडा वखत पहेलां आ गुलजार मुंबई नगरीमां आपणा धनाढ्य भाई बाबु पनालाल पुनमचंद तरफथी एक जैन हाईस्कूलनो पायो नंखायो छे, तेथी संतोष मानवामां आवे छे पण जमानाने ताबे थर्बु जोईए. बीजी प्रजा माफक आपणे वध, जोईए. राजदरबारनी भाषा, कळा हुन्नरनी भाषा, वेपार वधारवानी भाषा, एम सर्वे व्यवहारिक साधनो पुरां पाडनार भाषा जे इंग्रेजी छे, ते इंग्रेजी भाषा अने आपणो धर्म समजाववानी मोटी ग्रंथ समृद्धि धरावनार मागधी अने संस्कृत भाषाओ छे. ए भाषाओ जाणवा माटे तथा हालनां युनीवर्सीटीना धोरणने अनुकुळ थवाने एक जेन धार्मीक कोलेज उघाडवानी भारे मोटी आवश्यकता हुं समजूं छु; अने ते उघाडवाने भलामण तथा विनंती करूं छु. उंची केळवणी माटे ध्यान खेंची हुं शरुआतनी केळवणीने विसारी देवा मागतो नथी. जो आपणे मकाननो पायो पहेलाथीज मजबुत कर्यो होय तो ए मकान वधारे टकाउ बने छे. तेमज प्राथमिक केळवणी उपर जो आपणे वधारे ध्यान आपीए तो तेथी आपणी उंची केळवणी पण वधारे मजबूत थाय; ए शरुआतनी केळवणीमां पण धार्मिक तत्व उमरावानी खास जरूर छे, अने ए जरूर पुरी पाडवा माटे आपणा धर्मनां तत्व आपणा माथे ए संबंधी फरज ठरावे छे. विद्या संबंधी बहोळी हाजत अने उपयोगीपणानी व्याख्या ध्यानमा लेशो तो एम देखाई आवशे के कीर्तिनो स्तंभ उभो करवाने तथा चिरंकाळ नामना करवा, तेमज प्रजामां सुलेह शांति अने भाईचारो पाथरवाने अने व्यवहार वधारी उन्नति करवाने विद्या करतां बीजु कोई साधन मोटुं नथी; एटला माटेज ज्ञानदानने सर्वथी उत्तम दान ठराववामां आव्युं छे, एटले के विद्यादान- सवेथी मोटुं पुन्य छे. आ उत्तम प्रकारचें दान करवाने अने मोटु पुन्य हांसल करवाने बहोळे हाथे नाणुं खर्चावानी जरूर छे, अने आशा राखं छं के भाईओ तथा बहेनो आपना खीसामांथी नाणां खर्चवाने पछात रहेशो नहीं. बीजो खर्च करे तो खर्च करूं एवी राह नहीं जोतां वहेलो ते पहेलो एम धारीने भंडारो, तीजोरीओ, अने पटारा खुल्ला राखीने आ रुडा काम माटे बहोळे हाथे पैसा खर्चशो. हवे आपणा जैन वर्ग माटे विद्या वधारवा संबंधे केवां खातांओनी जरूर छे ए हकीकत समजावीश. आ स्थितिए सामान्य अवलोकन करतां मने हर्ष उपजे छे के आ हिंदनी बीजी प्रजाओ शरूआतनी केळवणी संबंधी कामकाजो आरंभे ते पहेलां आपणे घणी जगाए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७९) जैन शाळाओ स्थापी शक्या छीए. ए जैन शाळाओमां श्रावकश्राविकाओने सामान्य रीते धार्मिक शिक्षण अपाय छे. आ शिक्षण नियमसर अने योग्य पद्धतिथी अपाववा सारु नियमित पद्धति अनुसार जैन पाठशाळाओ माटे जैन पाठशाळानां पुस्तको देशी भाषाओमां तैयार कराववानी जरुर छे; तेमज आपणी जैन पाठशाळाओमां शिक्षण आपनार मेहताजीओ तथा महेतीजीओ तैयार करवा माटे तथा उपदेशक वर्ग तैयार करवा सारु एक ट्रेनींग कॉलेज स्थापवानी खास जरुर छे. एवी शाळाओमांथी तैयार थएल शिक्षक वर्गथी आपणां बाळकोने तथा आपणने नियमित अने सारुं शिक्षण मळशे. धार्मिक तथा व्यवहारिक केळवणी मेळववाने सारु खास आपणे आपणां स्वतंत्र खातां उभा करवां जोईए छे. केमके व्यवहारिक केळवणी सरकारी शाळाओमां लेवा जईए, अने धार्मिक केळवणी आपणां खातामां आपीए ते करतां बन्ने जातनी केळवणी एकज खाता मार्फत मळे एम करीए तो, बाळकोने बोजो घणो ओछो पडे अने सरळताथी शीखी शके. आवां खातां क्रिश्चियन लोको मीशन स्कूलोने नामे चलावे छे, अने एज नमुना उपर जो आपणे जैन मीशन स्कूलो उभी करीशुं तो तेमां नामदार सरकारनी मदद पण मळी शकवाना संभवो छे. अमुक सरतो पुरी पाडवाथी सरकार केळवणी आपनार खातांओने 'ग्रांट इन एड' नामथी मदद आपे छे; अने एवी मदद क्यारे, केवी रीते अने शुं सरतोए आपवी ते माटे सरकारे खास एक कायदो पसार करेल छे, एटले जो जरुर लागे अने अनुकुळता होय तो सरकारनी मदद लेवाने गोठवण करवी, एम हु तमाम भाईओने सूचना करुं छु. फरीथी कहुं छु के बनती रीते व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी आपवा माटे खातांओ स्थापवानी अगत्यता उपाडी लेवानी खास जरुर छे. आवां खातांओनी देखरेख राखवाने खास ( इन्स्पेक्शन) तपास करनार खातुं उभुं करवानी पण अगत्य छे. जो बराबर तपासणी थई शके तोज तमाम जैनशाळाओ एक सरखा धोरणे नियमित रीते चाली शके, अने तेना अगणित लाभो आपणने हांसल थाय. • हजु आगळ वधीने वधारे अवलोकन करतां तरुण मुनी महाराजोने उत्तम धार्मिक शिक्षण मेळववाने पुरतां साधनो नथी, एथी ए मुनी महाराजोने अन्य धर्मी शख्सो पासेथी शिक्षण मेळववा फरज पडे छे; परंतु जो आपणे सारा शिक्षको तैयार करवाने शक्तिवान थईए तो, ए स्वधर्मी शिक्षकोद्वारा तरुण मुनी महाराजोने धार्मिक शिक्षण वधारे सहेलाईथी मळी शके. एथी अगणित फायदा थवाना संभवो छे, ते भाईओ! आपणा जाणवा. बहार नथीज. ___ आपणो जैन वर्ग वेपारी होईने आ हिंदखें घणुं नाणुं बचावी राखवाने हजु सुधी शक्तिवान रह्यो छे. आ हिंदना विद्वान अने चंचळ वाईसरॉय नामदार कईन साहेबे आबु तरफ भाषण करतां जणाव्युं हतुं के आ हिंदनी त्रिजा भागनी दोलत जैन लोको धरावे छे, एटले के आ हिंदनी लग लग त्रीस करोड माणसनी वस्ती छे. तेमां आपणा जैन भाईओनी संख्यातो मात्र वीस लाखनी अंदर छे. ते छतां आ प्रमाणे दोलत धराववा माटे आपणो जैन वर्ग समर्थ रहेल छे अने एज कारणथी बीजी कोमो अने अन्य धर्मी भाईओ तरफ सारो लागवग राखी शकीए छीए. ए अन्य धर्मों भाईओ धणीक बाबतोमा आपणी आमन्या राखे छे, अने आपणने महाजन कहेछे अने केटलांएक सार्वजनिक खातांओनो वहीवट आपणाने स्वतंत्र रीते करवा दे छे. आपणे पांजरापोळोनो वहीवट करीए तथा चलावीए छीए, घणी जगोए दवाशाळाओ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (60) अने धर्मशाळाओ स्थापन करेल छे एटलुंज नहीं, पण जैन पाठशाळाओनो हालम बहोळो विस्तार आपणे उभो करेल छे. आ बधुं करवाने समर्थ धवानां कारणो आपणा धर्मना उत्तम सिद्धांतो छे. हवे ए सिद्धांतोनुं ज्ञान आपनार धार्मिक ग्रंथो अने पूज्य प्रताप मुनी महाराजो छे. आपणा मुनी महाराजोना उत्तम उपदेशनी असरथी आपणे आस्थितिए कामकाज करीए छीए. तेमनी स्थितितो तेओ समजे छे, छतां तेमने हरेक सगवडता आपत्रा माटे आपणे हरहंमेशां तैयार रहेवुं घटे छे. जे ग्रंथसमृद्धि भंडारोमां बंध रहेल छे, तेने कुथो खाया न देतां बनती रीते तेनो वधारे लाभ लेवाय एटला सारुं पुस्तकशाळाओ स्थापन करवानी खास जरुर े. जेम बने ते आपणा धार्मिक ग्रंथोनुं बहोळु वांचन श्रावक श्राविका वर्गने बधारे सहेलाईथी मळे एवी सगवडता कराववाने सर्वे भाईओ यत्न करवाने भूलशो नहीं, एम मारी प्रार्थना छे. हवे हुं छेवटमां जणावीश के आ आखी दरखास्तमां जणावेल तमाम क्रमवार पेटा विभागो घणाज अगत्यना छे एटला माटे दरेक भाग अमलमां आवे एम करवाने सर्वे भाईओ तथा बेनोने मारी अंत:करणपूर्वक विनंती छे. आ हकीकत रजु करी मारुं बोलवु पुरुं करुं हुं, अने जो मारा बोलवामां कांई दोष मालुम पडे तो एक तरुण बीन अनुभवी श्रावक भाई जाणीने क्षमा करशो, एम सर्वेने मारी प्रार्थना छे. .मी. जगजीवन मूळजी बनीआ, बी. ए., बी. एससी. कच्छवाळानुं भाषण. मे. प्रमुख साहेब, प्रिय डेलीगेटो, गृहस्थो अने बहेनो ! मी. लखमशीए केळवणीना विषयपर जे विवेचन कर्युछे, तेनी आपणी कोममां जे खामी बताछे अने ते विषे जे उपाय अने योजनाओ सूचवी छे ते बरोबरछे. हुं तेमनी बात ·मळतो थाउंछु अने तेमने टेको आपुंछु. एमणे एवं थोडुंज बाकी मूकयुंछे के जेना उपर हुं -मने मळेला टुंका वखतमां वधारे बोली शकुं, तोपण केळवणीनो विषय विस्तिर्ण छे, बहु अगत्यता बाळो छे अने तेना विषे जे बोलीए ते थोडुंछे, माटे हुं पण ते विषयना व्यवहारिक भागपर वे बोल बोलवानी तमो पासे रजा लउंछु. व्यवहारिक केळवणीमां आपणी कोम केटली पछात छे ते आप बधा जाणोछो अने एक करतां बधारे जणाए ते विषे इसारो करेल छे; तोपण तेना एक असरकारक दाखला तरीके मारे कहवुं जोड़ए के, मारो स्वदेश जे कच्छ छे तेमां लगभग वीशथी पचीश हजार जैनबंधुओ छे, पण तेटली मोटी संख्यामां तेओ फक्त बे के त्रण ग्रेज्युएट धरावेछे. जामनगरनुं राज्य के जे साथ हाल तरतमां मारे संबंध थएलोछे, त्यांना मारा जाणवा प्रमाणे लगभग ७००० जैनोमां फक्त एकज ग्रेज्युएट छे. बीजी जगोए कदी केळवणी आटली बधी ओछी नहीं होय तोपण एकंदरे आपणे केळवणीमां घणा पछात छीए, ए वात तो नि:संशय छे. आ प्रमाणे आपणा पछातपणानुं एक कारण तो ए छे के, आपणामांनो मोटो भाग केळवणीना सारा फायदाथी अज्ञानछे अने कदी जाणे छे तो चालता जमानानी केळवणी विरुद्ध Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८१ ) तेओना मनमा खराब विचार ठसी गयेला छे जे विचारो केळवायला वर्ग तेओमार्था दूर करी तेओने केळवणीना सारा फायदा बताववा जोईए. बीजं कारण मने ए लागेछे के आपणा जे जैनोपर परमेश्वरे महेरबान थई तेओने कोईपण प्रकारनी केळवणी माटे पूरेपूरी जोगवाई आपेली छे, त्यां केळवणी माटे उत्साह, उलट के होंस जोवामां आवतां नथी. अने जेओ आपणामां केळवणी माटे उत्सुक-इंतेजार-अभिलाषी छे तेओ साधनरहित छे. आ प्रमाणे आपणामांना बंने वर्गों सारी उंची केळवणीथी बेनसीब रहया छे. जमानो जे प्रमाणे फरतो जायछे ते प्रमाणे फरवामां आपणे घणी गफलत राखीए छीए. हवे वखत एवो आव्यो छे के जो लांबा वखत सूधी आपणी स्थिति आवी रही, तो आपणुं शु थशे ए कहेवातुं नथी. दरेक ठेकाणे हरीफाई एटली चाली रहीछे के हवे जो आपणे मंद अने सुस्त रहया, तो आपणे नबळा थई सबळाना भोग थई पडीशं; कारणके "survival of the fittest " ए कहेवत कहेछे के, सबळा अथवा लायकातवाळा माणसोने नबळा अथवा नालायक माणसने भोगे पुष्ठि मळेछे. ___ आगळना प्राचीन वखतमांज्यारे फक्त चारज वर्ण हती एम इतिहास कहेछे, ते समये आपणः वैश्य वर्ण वेपाररोजगार, राज्यकारभार, कळाकौशल्य, डहापण अने चतुराई माटे केवो पंकायलो हतो! आपणा धर्म पुस्तको वगेरे बीजी वातो परथी एम जणायछे के राज्यना मंत्रीओ, तंत्रीओ अने मोटा होदेदार वणीकज हता, पण हाल आपणा पंदर लाख जैनोमांथी केटला प्रधानपद उपर छे? कोई विरलोज. आनुं कारण शं? जवाब मात्र एटलोज छे के आपणे केळवणीमां पछात पडता गया छीए, अने आगळना जमानानी माफक अमुक वर्णनुं अमुक कर्त्तव्य एवं छेज नहीं. हालना जमानानी खूबीज ए छे के कोईपण वर्गनो कोईपण माणस गमे ते काम करी शकेछे,. माटे आपणे पण हवे जे धंधो आपणा बापदादा करता हता तेनेज वळगी नहीं रेहवं. जे धंधाने वास्ते आपणे आपणने वधारे लायक समजता होईए, जे धंधाने वास्ते आपणी पासे सारां साधन होय अने जे धंधामां आपणने वधारे फायदो मळे, एवो धंधो आपणे आदरवा; पण गमे ते धंधो हाथ धरो तेमां केळवणीनी खास जरुर छे. अमुक वेपार हालना जमाना प्रमाणे केम सारी रीते चाली शके, क्यां सारी रीते चाली शकशे, तेनुं रहस्य शुं छे अने तेमां फतेह केम मळे, तेने वास्ते हालना जमानानी केळवणीनी खास जरुर छे.. ___ अलबत आपणा लोकोनुं वेपारना विषयोमा ज्ञान सारं होय छे; गणित वगेरे वेपारने लगती बाबतोनुं सारं ज्ञान ए आपणी वणिक ज्ञातिमां घjकरीने कुदरती बक्षीसज होयछे. वेपारमा बाहोशीने लीधेज आपणी स्थिति कांईक सारी रहीछे. आपणामां मोटा धनाढ्य आशा-- माओ छे ते वेपारथीज थएला छे, पण ते वखत जूदो हतो. हाल वखत तद्दन बदलाई गयो छे, अने सारी केळवणी वगर हवे वेपारीओने पण फतेह मळवी मुइकेल छे. आपणी कुदरती सारी. वेपारी अक्कलनी साथे केळवणी जोडावी जोईए छे. जो एम थशे तो सोनुं अने सुगंध भेगां थये आपणी किंमत वधशे. आपणी स्थिति सारी हशे तोज आपणे आपणा गरजु सगावहालाओने जातभाईने के धर्मभाईने मदद करी शकीशु. संसारिक स्थिति सुधरशे त्यारेज आपणी धार्मिक स्थिति पण सुधरशे; कारणके दाखला तरीके एक कमावाने अशक्त माणस गमे तेवी धर्मनिवृत्ति वाळो होय, तोपण ज्यांसुधी ते संसारमा रही मोहपासथी बंधाएलो छे त्यां सुधी धर्मक्रिया करतां पण कोईक वखत पोतानु अने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८२) पोताना कुटुंबना गुजराननु आवती काले केम थशे, एवा विचारो तेना मनमां घसी आवेछे अने तेनुं मन डामाडोळ थई जायछे, अने एवो अशक्त माणस जो धार्मिक वृत्तिनो होतो नथी तो पोताना अने पोताना कुटुंबना गुजरान अर्थे ते कन्याविक्रय जेवां बीजां अनेक खोटां काम करे छे, पण जो तेनी संसारिक स्थिति सारी होय तो आq कशुं बनवानो संभव रहेतो नथी; माटे आपणी संसारिक स्थिति प्रथम सुधारवी ए घणुं अगत्यनुं छे. ___ माटे आपणी उन्नति माटे श्रीमंत तथा गरीब बन्नेए सारी केळवणी माटे प्रयास करवो वटेछे. श्रीमंत लोको तो ते बाबत निश्चय करे एटलीज वार छे केमके ते लोकोने साधन शोधवा जवानां नथी. पण सवाल जे छे ते साधारण लोको अने गरीब लोको माटे छे, माटे छेल्ला बे वर्गना छोकराओने केळवणी केम मळी शके तेना उपायो कॉन्फरन्से योजवाना छे. प्राथमिक शाळाओनी केळवणी तो लगभग बधा वर्गना छोकराओ सहेलाईथी लई शके. केमके तेमां झाझं खर्च लागतुं नथी. छतां ज्यां प्राथमिक केळवणीने माटे पण मददनी जरूर छे, त्यां जूदी जैननी प्राथमिक शाळा स्थापवा करतां गरीब जैन छोकराओने फी अने चोपडीओ अपाववी. ए रीते बचतो पैसो तेओने वास्ते उंची केळवणीमां खरचवो, के जे उंची केळवणीनीज खास जरूर छे अने जेने वास्ते तेओने मदद मुश्केल थई पडेछे. उंची केळवणीने माटे जैनहाईस्कूलो स्थापवानी दरखास्त थई छे अने तेवी एक स्कूल स्थापवानी शरुआत आपणा नामीचा उदार गृहस्थ बाबु पनालाल तरफथी थई पण चूकी छे. पण आपणी कोम आखा हिंदुस्तानमां पथराएली छे माटे एकाद हाईस्कूलथी बधा जैनोने लाभ मळी शकशे नहीं. दरेक ईलाकामांथी एक एक उदार जैनी धनाढ्य एवं परोपकारनुं काम पोताने माथे उपाडी लेशे तो आपणी कोमने घणो लाभ थशे. गहस्थो! एवी स्कूलो ओछी थाय तेनी फिकर नहीं. पण ज्यां थाय त्यां पाका पायाउपर सारी सगवड सहित थशे, तो ते कायमने माटे लाभकारी थशे. हाईस्कूलो भले ओछी थाय, चार दहाडा मोडी थाय, पण तेमां गरीबोने वास्ते पूरती सगवड थवी जोईए, एटले के दरेक स्कूलनी साथे बोर्डिंग स्कूल, सारी लायब्रेरी, सारी लेबोरेटरी, सारूं एपेरेटस, अने सारा शिक्षकोनी गोठवण थवी जोईए. ___आवी जैन हाईस्कूल ज्यां थाय त्यां बधा जैनोए पोताना छोकराओने तेज निशाळमां मोकलवा निश्चय करवो. तेमांना सारा समर्थ छोकराओ पासेथी पूरेपूरी फी लेवी अने गरीब जैनछोकराओने मफत केळवणी आपवी. सामान्य वर्गना छोकराओनी हाफ फ्री स्टुडन्टशीप आपवी एटले के तेओ पासेथी अडधी फी लेवी. स्कूल स्थापनार सिवाय बीजा मातबर जैन गृहस्थोए तेवी स्कूलना उत्तेजनार्थे स्कॉलरशीपो, ईनामो, डोनेशन्स वगेरे आपी स्कूलने सारा पायापर आणवी. ए पण वात ध्यानमा राखवी के जैनहाईस्कूलोने माटे ज्यांसुधी सारा केळवायला जैन शिक्षको मळी शके, त्यांसुधी पहेलां पसंदगी तेमने आपवी; केमके जेटलु जैन हाईस्कूलन अभिमान जैन शिक्षकने रहेशे तेटलुं बीजा शिक्षकने नहीं रहे, अने वळी आथी केळवायला जैनोने उत्तेजन मळशे. हाईस्कूलनी केळवणी पूरी थई रह्ये, गरीब अने लायकातवाळा जैनो वास्ते कोलेजनो अभ्यास सवळ थाय, एटला माटे तेओना वास्ते खास जैन स्कॉलरशीपो श्रीमंत जैनोए युनिवसीटीने सोपवी. एक एक जैन श्रीमंत गृहस्थ एक एक स्कॉलरशीप स्थापवानुं माथे ले तो, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक एक युनिवर्सीटीमा ओछामा ओछी आठ दश जैन स्कॉलरशीपो जैनो माटे सहेज स्थपाई जशे. हाईस्कूलनो अभ्यास पूरो कर्या पछी जे गरीब सारो जैन छोकरो कोई हुन्नर शीखवा मागे अने विक्टोरीआ जुबीली टेक्नीकल ईन्स्टीट्युट अथवा एवी बीजी कोई हुन्नरशाळामां शीखवा जाय, तेने स्कोलरशीपनो पहेलां चान्स आपबो, अथवा ते स्कोलरशीपोनो मोटो भाग हुन्नरकळा (Technical Education) माटे राखवो अने नानो भाग साहित्यनी केळवणी Jiterary Education माटे राखवो. टेक्नीकल केळवणी तरफ वधारे वलण राखवा- कारण ए के, आज काल हुनरनी बहु अगत्य छे. कोलेजमां दाखल थई चार पांच वर्ष पछी बी. ए. थई जे जुवानीआ दुनीआमां पडेछे तेने जे फतेह मळे छे तेना करतां जेओ सारो हुन्नर बेत्रण वर्ष शीखी बहार पडेछे, तेने वधारे फतेह मळेछे. गरीब लोको जेने वखतनो बहु बचाव करवो जोईए तेने माटे हाल टेक्नीकल केळवणी वधारे सारी छे. जेओने टाईम बाबतनी काई फिकर न होय तेओ माटे साहित्य वधारे सारं छे. तेओने हुन्नर शीखवा होंश होय तोपण साहित्यमां न्यूनता राखवी नहीं, केमके साहित्यमां पण सायन्सनो विषय आवेछे, जे सायन्स शीखवाथी पछी हुन्नर शीखवो बहु सुगम पडे. सायन्स अने हुन्नर ए शीखवू तो दरेकने माटे जरुरनुं छे; केमके सायन्सनी आजकाल बहु फतेह थई छे. सायन्से माणसोना ज्ञानमां, माणसोना साधनमां अने माणसोनी सगवडमां बहोळो वधारो करी आप्यो छे. रसायणशास्त्र, हस्तकृत वीजळी अने मेग्नेटीझमे आखी दुनियानुं ध्यान हाल खेंच्युछे, अने आखी दुनियाने नवुज रुप आप्युं छे. रसायणशास्त्रीओ कुदरतनी हरीफाई करेछे. आपणामांना घणा खरा जाणता हशे के गळी के जे आपणा देशमां कुदरती झाडमांथी थायछे, ते जर्मनीमा हाल अमुक पदार्थो रसायणशास्त्रना नियम प्रमाणे भेळा करी हाथे बनावेछे. तेवीज रीते एलीझेराईन एटले के मजीठनो रंग, जे पण अहीं भाजीपालामाथी थाय छे, ते पण ते लोकोए रसायणनी मददथी बनाववानुं शरु कये छे. आ बे शोधोए आपणा हिंदुस्तानना गळी अने मजीठना वेपार उपर घणी माठी असर करीछे, केमके हस्तकृत चीजो सोंधी पडेछे अने सारं काम करेछे, तो पछी कुदरती चीज कोण ले ? उपरांत रंग बनाववानो, रंग चडाववानो, रंग उतारवानो, साबु बनाववानो, काच बनाववानो, सीमेंट बनाववानो, दिवासळी बनाववानो, मीणबत्ती बनाववानो, कोलग्यास बनाववानो, दवा बनाववानो, दवानुं पृथक्करण करवानो अने ते सिवाय सेंकडो जातना हुनर रसायणशास्त्रनी मददथी शीखाय छे. वीजळी, मेग्नेटीझमथी, तार, टेलीफोन, इलेक्ट्रोटाईपींग, इलेक्ट्रोगील्डिंग, मोटरकार, इलेक्ट्रीक रोशनी वगेरे शीखी शकायछे. आवा आवा तथा वणवानो, कांतवानो तथा बीजा एवा हुन्नर जैन विद्यार्थीओने शीखत्रवा वधारे काळजी राखवा हुं आपणा श्रीमंत भाईओने अरज करुं छु. आवा हुन्नर शीखनारा साहसिक अने लायक जैनोने जापान जेवा देशमां खरच आपी मोकलवाथी बहु फायदो थशे. जो कोई खरच एम आपवा बहार न पडे तो प्रख्यात पारसी व्यापारी मि. तातानी स्कीमने पगले चालवू, एटले के आपणा गरजु पण साहसिक अने हुशिआर जेनोने अमुक मदद अमुक शरते आपी, अमुक शरते तेओ कमाता थाय त्यारे पाछा पैसा आपे एवु तेओ पासेथी बोन्ड लखावी लेवू, अने सारो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८४ ) धंधो शीखी आवेला कोई जैनबंधुने उत्तेजन अर्थे धंधानी शरुआत करवा काई पुंजी जोइए तो, ते पण अमुक सरते तेने पूरी पाडी तेने आगळ पडतो करवो. आवी शरुआत थशे त्यारेज आपणी कोमनी उन्नति थवानो संभव छे. आवी मददोमां आपणा जैनमां जूदी जूदी ज्ञातनो के जूदी जूदी जग्यानो तफावत नहीं राखतां, सर्व जैनोने तेवी मददनो सामान्य लाभ मळे, तेवी गोठवण करवी जोईए. ते माटे एक केळवणी सारु जनरल फंड स्थापवानी जरुर छे. एमां गृहस्थोए सांकडं मन न राखतुं जोइए, लायकात हमेशां वधारे जोवी. अलबत कहेवत छे के “Charity begins at home." एटले के घरनां छोकरां घंटी चाटे ने पाडोशीने आटो, एवु न कर. कुटुंबीओने पहेली मदद आपवी, पछी सगांवहालांओने अने पछी पोताना धर्मभाईने. दूर देशनो होवान! कारणसर के पोतानी जातनो न होवाना कारणसर जैनबंधुने वेगळो गणवो नहीं.. ___मोटां शहरोमां ज्यारे आ प्रमाणे हाईस्कूलो, बोर्डिंग स्कूलो वगेरे शरु करवा दरखास्त थाय छे त्यारे न्हाना शहेर अने गाम के ज्यांना जैनविद्यार्थी मोटा शहेरनी हाईस्कूलनो लाभ न लई शके. तेने मददनी जरुर होय तो तेना माटे शुं करवू ? ए सवाल उठे छे. एवी जगामां बनता सधी त्यांना सारा धनाढ्य गृहस्थ उपर तेवी मददनी फरज नाखवी. तेम न बने त्यारे केळवणीना जनरल फंडमांथी तेवाओने मदद करवी. स्त्री केळवणी बाबतमां मारे कहेवू जोईए के ज्यां पुरुषो वास्ते आपणी पासे पूरतां साधन नथी. त्यां स्त्रीओ माटे उंचा प्रकारनी केळवणीनी आशा हाल राखी शकाय तेम नथी: तोपण तेओने साधारण केळवणी एटले सारं वांचतां, लखतां, भरतां, गातां अने सारी रसोई बनावतां तथा नीति अने विवेक शीखववाने एकाद बे मोटी जगोए जैन ग्यर्लस्कूलो उघाडवी, अने ते, ज्यांसूधी बने त्यांसूधी तेओने पब्लीक सरकारी स्कूलोमां केळवणी आपवी. तेओमां एवी केळवणीनी खास जरूर छे; केमके बाळकनुं सारं के नरसुं थएनो धणो आधार तेनी मातानी केळवणी उपर रहे छे, तेम एक भरथारनुं पण सुख घणे मोटे भागे पोतानी स्त्रीनी केळवणी उपर रहेलुं छे. कहेवत छे के “जेनु शाक बगडयुं तेनो दिवस बगडयो जेन अथाबगडयुं तेनुं वरस बगडयु अने जेनी स्त्री बगडी तेनो अवतार बगडयो.” माटे आपणां सुख अने उन्नतिने अर्थे तेओने पण सारा पायापर लाववावी जरूर छे. गृहस्थो! कॉन्फरन्से मोटुं काम हाथ धर्यु छ, मोटा कामने करतां वखत वधारे लागशे, बधं काम एकदम सामटुं थई जतुं नथी. चार दहाडा मोडुं वहेलं कॉन्फरन्सनुं परिणाम आवे तेनाथी आपणे डरी पाछा हठवानुं नथी. आवीज खंत अने आवोज उत्साह जो आपणामां चाल रह्यो, तो तेनुं परिणाम सारुंज आवशे. हाल तो बी रोपाय छे, झाड उगतां वार लागशे. ते झाडने हमेशां खंत रूपी पाणी पाया करशुं तो ते झाडनी वृद्धि धीमे धीमे थतां थतां छेवटे ते फळ आपशे. मीठा झाडने फळ हमेशां मोडां आवे छे. माटे अमुक बाबतनुं परिणाम अमुक मुदतमां कांई न आव्यु, तेथी नाशीपास थई कोईए हिंमत हारी जवी नहीं. छवटे कॉन्फरन्सनी मतलबोने त्वराथी मोटी फतेह मळे एम इच्छी हुं बेसवानी रजा लडं . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८१ ) एवलावाळा मि. दामोदर बापुशानुं भाषण. प्रेसिडंट साहेब, सभ्य गृहस्थो अने सुशील बहेनो, व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी, आ विषय उपर वणा विद्वान वक्ताओए सारी रीते वेवेचन कर्यु छे अने ते बाबत बोलवु ए पीष्ट पेषण करवा जेवुं छे, तथापि शर्मावान प्रवीष्टव्यं वक्तव्यं वा संमंजस आ वाक्यने अनुसरीने हुं बे शब्द बोलवा इच्छं छं. मनुष्यप्राणी बीजां सर्व प्राणीओथी जे श्रेष्ठत्वने पाग्यो छे ते ज्ञानना लीज. एक ठेकाणे विद्वान् ग्रंथकारे एम कह्युं छे के:आहार निद्रा भयमैथुनानि समानि चेतानि नृणां पशुनां । ज्ञानं विशेषो ऽधीको नराणां ज्ञानेन हीनाः पशुभि मानाः ॥ एटले आहार निद्रा विगेरे प्रत्येक प्राणीने छे तेम मनुष्यने पण छे, परंतु मनुष्यने ज्ञानना लीवेज उच्चत्व प्राप्त थयुं छे. पुर्वकाळमां आपणी जैन कोम केळवणीमां सौथी आगळ वधी ही अने व्यवहार वाणिज्य आदिकमां प्रमुखत्व मेळवीने अत्युत्तम स्थितिमां हती; परंतु कालांतरे शिक्षणना अभावे हालना जमानामां आपणी कोम बीजा सुधरेला लोकोथी केळवणीमां aft छात छे, अने तेने लीधे आवी नष्ट स्थितिमां आवी पडी छे. प्राचीन काळमां जेम पुरुषोने शिक्षण मळतुं हतुं तेमज स्त्रीओने पण शिक्षण सारी संते आपवामां आवतुं हतुं. केटलाक लोको एम कहेछे के स्त्रीओने प्राचीन काळमां शिक्षण आपवामां आवतुं नहोतुं अने स्त्रीओने शिक्षण आपवामां बीलकुल फायदो नथी. एम कहना ओए जरा प्राचीन इतिहास अने ग्रंथ तरफ अवलोकन करवुं. आद्यधर्म संस्थापक श्रीरुषभदेव भगवाने प्रथम व्यवहार संबंधी कळा विगेरे लोकोने देखाडी, तेज वेळा लखन तथा वांचनकळा पोतानी बे पुत्रोओ ब्राह्मी अने सुंदरी ए बेउने अगोदर शीखवी हती. ब्राह्मीने जमणा हाथे तथा सुंदरीने डाबा हाथे लेखन कळा शीखवी हती; त्यारे प्रथम लेखन अने वांचन पर हक्क स्त्रीओनोज वधारे छे. वळी एक प्राचीन ग्रंथकार स्त्रीओने शिक्षण केवी रीतनुं आप अने तेने शुं शुं आवडवुं जोईए, ते बदल एम कहेछे केः स्त्रीयो रत्नान तो विद्या सत्य शोचं शुभाषितम् विविधानि च शील्पानो समादेयानि सर्वतः एटले स्त्रीओने विद्या, सारं भाषण, सत्य, सुशीलपणुं गृहकृत्यने जोईतुं सील्प एटले सीववानुं विगेरे काम, रत्ननी परिक्षा साधारणपणे, सर्व वातोमां जाणपणुं एटलं आवडवु जोईए. आटली वातो शिक्षण मळ्या वगर केवी रीते आवडे ? आ संसाररुपी एक गाल्लुंछे, तेनां स्त्री अने पुरुष आबे चक्र छे. हवे ते बे चक्र बराबर हशे तोज ते सदा सुखकररीते मार्गक्रमण करशे, परंतु एषां जो एक चक्र सारुं अने एक चक्र मार्गक्रमण करवाने असमर्थ तो ते ईष्ट ठेकाणे कवी रात पहांचा शके ? एटले पुरुष भणेलो अने स्त्रीओ अभण, त्यारे आ संसार केवी रीते सुखकर चाले ? जो आपणे आपणी सामाजिक स्थिति सुधारकानी ईच्छा होय तो प्रथम स्त्रीशिक्षण तरफ १६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८६ ) लक्ष आपबुं जोईए. आपणा धर्मनां तत्वो घणा उदार विचारनां छे, स्त्री अने पुरुषने समान हक्कनां गण्यां छे. तीर्थकर भगवाने चतुर्विध संघनी स्थापना करी छे, तेमां साधुसाध्वी श्रावकश्राविका एवो चतुर्विध संघ कह्यो छे. साधुसाध्वी अने श्रावक, एवा त्रण वर्गने शिक्षण अपाय छे अने फक्त श्राविकाने शिक्षण अपातुं नथी, त्यारे त्रिविध संघ थयो कारण स्त्रीओ अभण रहेवाथी मानने कमी पात्र थई, तेथी चतुर्विध संघर्नु एक अंग ओछु थयु. जो आपणे सर्वज्ञ प्रणीत चतुर्विध संघ मानता होईए, तो स्त्रीओने शिक्षण आपी अर्धागनाना पदने पात्र करो. ___ यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमते तत्र देवता । जे ठेकाणे स्त्रीओने मान रहे छे त्यां देवता रममाण थाय छे. देवता रममाण थवाधी बधी बाते मंगळ थाय छे. हवे विचार करोके स्त्रीओने मान केवी रीते अपाय ? मान तो फक्त ज्ञानवान होय तेनेज मळे छे अने स्त्रीओ तो अज्ञान, तेओने मान मळे नहीं, त्यारे जो आपणने निरंतर सुखशांतिनी ईच्छा होय तो स्त्रीओने सुशिक्षित करवी, ए आपणु कर्तव्य छे. कविश्रेष्ठ काळीदास स्त्रीने सचीव, सखी, मीथ एवी पदवी आपे छे, एटले आ गृहरुपी एक राष्ट, तेमा पुरुष ए राजा अने ते राजानो सचीव एटले मंत्री ते पुरुषनी स्त्री. जे राजानो मंत्री सारो भणेलो होय छे, तेनुं राज्य सारी रीते चाले छे अने जेनो मंत्री अभंण अगर अज्ञान होय छे, तेनुं राज्य कदापि पण सारी रीते चाली शकतुं नथी. सारांश ए के जे माणसनी स्त्री अभण छे, तेनी गृहव्यवस्था सारी रही शकती नथी गृहव्यवस्था उत्तम प्रकारे चलाववाने स्त्रीओने शिक्षण अवश्य जोईए, सुशिक्षित स्त्रीओनी संतति पण तेज प्रमाणे बुद्धिमान अने पराक्रमी नीवडे छे, कारणके अल्प वयथीज माताना सहवासथी बाळकोना कोमळ मगजपर तेनुं सारं परिणाम थाय छ; अने मोटी वयमां मळनार शिक्षण करतां पहेलेथीज जे माताना नित्य समागममां उत्तम प्रकारना शिक्षणनी थयेली असर घणी लाभदायक छ; वास्ते प्रत्येक माणसे स्त्रीशिक्षणना काममां आळस छोडी दई मदद करवी. पुरुष वर्गने हाल जे शिक्षण मळे छे ते एकदेशीय छे. हालना समयमां छोकगओने स्कूल तथा कालेजमां जे शिक्षण मळे छे ते आगदी एक देशीय मळे छे; कारणके तेमां धार्मिक तथा नैतिक बाबतपर बीलकुल लक्ष आपवामां आवतुं नथी. बाळकोनां कुमळां मगजपर धर्मशिक्षणनो आरंभथीज बीलकुल संस्कार न थवाने लीधे, आगळ जतां धर्माभिलाषा बीलकुल रहेती नथी अने तेने लीधे आपणा परमपूज्य धर्मनी आस्थापर औदासीन्य उत्पन्न थाय छे. इंग्लँड आदि देशोमां राज्याश्रयने लीधे, तेमना धर्मनुं शिक्षण स्कूलोमां तथा कॉलेजमा भापवामां आवेछे; परंतु आपणे परावलंबी थवाथी आपणा पवित्र धर्मनुं शिक्षण आपवानी सगवड आपणाथी बनी आवती नथी, ए बहु दिलगीरीनी वात छे. पाश्चात् राष्टोना लोकोनुं लक्ष बधं आधिभौतिक एटले आ लोकमां मळनारा सुख तरफ, तथा पोताना शरीरना पुदगळने वधारवा तथा सजाववा तरफ वधारे छे. परलोकनी तेमने कशी फिकर नथी, कारणके तेमना शास्त्रकारोए परलोक मान्योज नथी, तथी ते तरफ एमने जोवानुं प्रयोजन नथी; परंतु आपणा धर्मनां उंडां तत्वोमां परमार्थ तरफ घणो उंडो विचार करेलो छे; आधिभौतिक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८७ ) वातोपर आपणो बीलकुल मोह नथी, वास्ते धार्मिक शिक्षण नानी वयधी बाळकोने मळे तेवी योजना अवश्य करवी जोईए. आ विषय घणो लांबो छे; वखतना अभावे विवेचन करवामां आवतुं नथी, तेथी मारुं भाषण पुरुं करवानी रजा लउंछु; तेना अगाऊ आप साहेब पासे विनंति करीने माफी मागुंलुं के गुजराती भाषानो वाणीसंस्कार मने बराबर न होवाथी, भाषाशैलीमां जे अशुद्धता आवी हशे ते कृपा करीने माफ करवी; कारणके कळीकाळ सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्ये श्री वीतराग स्तवनमां कहां छे के, “तथापि श्रद्धा मुग्धोऽहंनोपलं स्खलनमपि ॥ विखापि वाग्वृत्तिश्रदध्यानस्य शोभते ॥ १ ॥” एटले जरी शृंखला रहित भाषण होय तोपण श्रद्धायुक्त होवाथी ते शोभे छे, ते प्रमाणे अंतःकरणनी लागणीथी करेलु मारुं अल्प भाषण आप मान्य करशो एवी आशा छे. झवेरी पानाचंद काळीदास जामनगरवाळानुं भाषण. ओंकार बिंदु संयुक्त । नित्य ध्यायंति योगिनः ॥ कामदं मोक्षदं चैव । औकाराय नमोनमः ॥ 1 सुर्यनां कीरणोनी पेठे संघने देदिप्यमान करनार प्रमुख साहेब, तथा शंघना उद्योत करनार डेलीगेटो, तथा संघना आगेवानो तथा मानवंता मारा बांधवो तथा मांगल्यकारी मारी बहेनो, आजनो मोटो मेळावडो जोई हुं खुश थयो छं; आज धर्मनी केळवणीना विषय विषे aja बोलाई गयुं छे. हवे शुं बोलवु ते कांई सुझतुं नथी. मारुं नाम वक्ता तरीके लख्युं होय तेनो हुं मोटो उपकार मानुंछं, पण हुं वक्ता नथी, एक साधारण विद्यार्थि साक्षर छु. मारा पहेलां घणां विवेचन थयां छे अने हुं पण तेज बोलुं छं, तो तेमां धता पुनरुक्ति दोषनी क्षमा मागुंछु. धर्मनी केळवणी बे भाषामां समायली छे, ते एक मागधि अने बीजी संस्कृत. आ संस्कृत भाषानो कांईक कांईक प्रचार छे, पण मागधि भाषानो कोई भाव पण पुछतुं नथी. धर्म एटले दुर्गतिमां पडताने धारण करे तेनुं नाम धर्म, अथवा धर्म एटले फरज - अमुक काम करवानो धर्म छे, एटले फरज छे. महापुण्यपण्येन कितेयंकायनौस्त्रया । पारं दुःखोदधेर्गन्तुं तरयावत्रभिद्यते ॥ जेम कोई माणम बजारमां पैसा लईने माल लेवा जाय अने मालनी खरीदी करे, तेम आपणे पण मोटा पुण्यां वेचाण करी, आ कायारुपी वहा खरीद करेलुं छे, ते आ कायारुपी वहाण ज्यांधी भाग्युं नथी, त्यांसुधी आ ससारसमुद्रमः तरवानुं छे. तरवान य छे, एक धर्मनी केळवगी अने बीतुं निबिंब छे; आज धर्मनी केळवणीनो दिर्म घणो दुर्लभ छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८) लभन्तिविमलाभोये लमन्तिसुरसंपया। लभन्तिपुत्रामित्रं च एगोधम्मोनलभइ ॥ आ संसारमा लक्ष्मी मळे छे, देवनी समृद्धि मळे छे, पुत्र, मित्र, ज्ञाति, सगासंबंधी, हेतु, संतोषी, सर्वे मळे छे पण धर्म मळतो नथी. आवा धर्मनी प्राप्ति केळवणी विना थती नथी, माटे केळवणीनी खास जरूर छे एटलं कही, वखत थई जवाने लीधे मारुं भाषण बंध करुं छं. _आ मुजब दरखास्त मूक्या पछी, तेने टेको अने वधु अनुमोदनो मळ्या पछी, प्रेसीडन्दे ते पसार करवानी सूचना करी, जे मत लेतां सर्वानुमते ताळीओना अवाज वच्चे पसार करवामां आवी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (6 ठराव ५ मो. ५ निराश्रित जैनोने आश्रय बाबत. केळवीना तथा आश्रयना अभावे गरीब अने अनाथ जैन बंधुओनी थती दुःखी अवस्था दुर करवाने माटे १. तेमने सारा उद्योगे लगाडवा, २. तेमने यथाशक्ति दरेक प्रकारनी मदद आपवा माटे, आ कॉन्फरन्स दरेक जैनबंधुने आग्रह करे छे, अने दरेक देशावरोना आगेवानो तरफथी आ बाबत उपर परंतु लक्ष आपवानी, आ कॉन्फरन्स बहुज जरूर जुवे छे. दरखास्त करनार-शेठ अमरचंद घेलाभाई-भावनगर. टेको आपनार-मी. टोकरशी नेणशी-मुंबई. अनुमोदन आपनार-शेठ सुजानमलजी सुलतानमलजी-हींगनघाट. , शेठ प्रेमचंद रायचंद-मुंबई. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९.) शेठ अमरचंद घेलामाईनु भाषण. आपणी कोमना निराश्रित एटले के लाचार अवस्थामां आवी पहेला जैनोने मदद करवानी केटली जरूर छे ते काई अजाण्यु नथी. तीर्थकरे जे क्षेत्रो जरूरनां जणावेलां छे, तेमां श्रावकश्रावीकाओनो पण समावेश थई जाय छे. संघो, स्वामीवात्सल्यो वगेरेन माटे आपणा जैनभाईओ छूटथी खर्च करे छे. बाहार पण एम बोलाय छे के जैनोमां लाडवा तरफ ध्यान वघारे आपवामां आवे छे; ज्यारे एक गृहस्थ नोकारसी जमाडवा पाछळ आजेज हजारो रुपियानो धूमाडो करे छे, पण बीजे दिवसे तेनी पासे कोई गरीब जैन मदद मागवा जशे त्यारे ते पछात रहेतो जणाय छे. संघो अने स्वामीवात्सल्यो जमाडवामां पुन्य छे खरूं, परंतु तेना करतां आपणा लाचार स्वधर्मीबंधुओने मदद आपवाथी वधारे पुन्य उपार्जन थाय छे. छेला दुकाळने लीधे जैन भाईओने केटलुं सहन कर पडयुं छे, ते कोईकथीज अजाण्यु हश. जेनशास्त्रोमां दान, शील, तप अने भाव, ए चार गुणो अग्रेसर गणवामां आव्या छे; तेमां पण अनुकंपादान सर्वथी मोटुं गणाय छे. ते दाननो लाभ आपणा स्वधर्मीभाईओने पण मळवो जोईए. अन्य धर्मना भीखारीओने आपणे मदद आपीए छीए तेथी जे पुन्य उपार्जन थाय छे, तेना करतां गरीब स्वधर्मी बंधुओने मदद आपवाथी वधारे पुन्य उपार्जन करी शकाय छे; ते माटे जुदा जुदा भागोमां गरीबोने मदद आपनारां खातांओ स्थापवां जोईए, अने तेमांथी सारी रीते मदद अपाववानी गोठवण करवी जोईए. ते खातांओने पोतानो खर्च चलावतां चोकस बचाव करनारा गृहस्थोए उदारताथी मदद करवी जोईए. ते मदद करवामां पण केवी जातनी मदद करवी, ए सवाल उपर खास ध्यान आपवानी जरूर छे. जो आपणी कोमना लाचार बंधुओने हमेशां अनाज वगेरे जींदगीनी हाजतो पूरी पाडया करीए, तो तेथी काई आपणे खरी मदद आपी एम कही शकाशेज नहि. आपणा निरुद्यमी बंधुओने केवी रीते कमाई खाता करवा, ए सवालज खास अगत्यनो छे अने ते उपर आपणे गंभीर ध्यान आपवान छ. लोकोने उद्योगे लगाडवानी जरूर. ए उपरांत जेओ मेहेनतुं अने काम करवाने राजी होय तेमने उद्यमे लगाडवा जोईए, तथा अनाथ विधवाओने भरवा, सीववा वगेरेना सारा उद्यमो शीखवीने, तेमने पोतानुं भरणपोपण करवानी स्थितिमां मेलवां जोईए. दुकाळना वखतमां आपणा गरीब बंधुओमां वणी विपत्ति अने संकट फेलायुं हतुं, अने तेमना प्रत्ये आपणे जेटली मदद करवी जोईए, तेटली थई हती नहि. पण मने कहेतां खुशी उपजे छे के, मुंबईए घणी सारी मदद करी हती. पण ते सघळु " आग लाग्या पछी कुवो खोदवा" जेवू हाँ; जेथी जो पेहलांथीज आपणे तेनुं फंड उभं करी एक खातुं राख्यु होय, तो पोताना गरीब बंधुओने मदद आपवाने बने. मारा बंधुओमां घणा एवा हशे, के जेओ गरीब होवा छतां तेमनामां पान खावानी, तंबाकु पीवानी के वीजी टेव हशे. एवी टेवोमांथी एकज टेव छोडी तेना पैसा जो फंडमां तमो आपो, तो तमारा बंधुओ, तमो घणुं भलं करी शकशो. (ताळीओ) ए उपरांत तवंगर लोकोनी पण ए फंडमां नाणां आपवानी फरज छे. लक्ष्मी बहु चपळ छे अने कोई ठेकाणे स्थिर रहती नधी, माटे तेवाओए तो बनी शके तम जलदीथी पोतानां नाणांनो सदुपयोग करवो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९१ ) मिं. टोकरशी नेणसी लोदायानुं भाषण. वरसाद छे ते आखी सृष्टिनुं जीवन छे, पण ए पाणी जेम जमीन ऊपर जाय छे तेम खारा पाणीना समुद्रमां पण जाय छे. हवे जो समुद्रमां पडेलुं पाणी जो जमीन ऊपर पडे तो केंटलो मोटो पाक थाय ? तेज रीते पैसामां पैसो पडे तेना करतां ज्यां तेनी बहु जरुर होय त्यां आपणे पैसो वापरवो जोईए छे, तेने बदले आपणे पैसा लोकोने जमाडवामां तथा बीजी अनेक रीते वापरीए छीए. तमो घणीवार तमारा मित्रने जमाडवा बोलावो छो, ने तेनुं पेट भरेलुं होय छे तो पण तमो तेने एक लाडु वधु जमवा आग्रह करो छो; पण तेज वेळा तमारा वणा जैनबंधुओ एक मुंठी अनाज माटे केवा टळवळे छे, ते तमो याद राखता नथी. पण गरीबोने याद करी तेमने मदद करवानी दरेक जैननी फरज छे. आपणी कोमना गरीबोने उद्योगे लगाडवा माटे “ जैन ईन्डस्ट्रीयल फंड " उभुं करवामां आव्युं हतुं, पण दिलगीरी भयै छे के तेने पुरती मदद नहीं मळवाथी ते काम सफळ थयुं नथी. तेने बदले नाच करवामां अने बीजां खरचोमां आपणा जैनभाईओ पैसा खरचे छे ते दिलगीरी भर्युं छे. :0: शेठ सुजानमलजी सुलतानमलजी भंडारीनुं हिंदीमां भाषण. प्रथम पंच परमेष्टी तथा देवगुरुने नमस्कार करीने, सभापति, तेमज चीफ सेक्रेटरी साहेब अने सर्व जैनबांधवोने प्रणाम करूं छं. आप साहेबोए मारा पर कृपा करीने जैन निराश्रित भाईओ तथा बहेनोने आश्रय आपवाना संबंधमां बे बोल बोलवानी मने रजा आपेल छे. आमने पहेलोज अवसर आवा महाजन मंडळमां भाषण करवाने मळेलो छे. मारा प्यारा भाईओ ! आ विषयनो अर्थ सर्व महाशयो समजे छे, तथापि ए विषय उपर हुं पण कांईक बोलवा माटे आपना थोडा समयने रोकवा चाहुंछु. निराश्रित जैनोने आश्रय आपवो ए आपणा लोकोनुं मुख्य कर्तव्य कर्म छे; केमके थी धर्म नथा ज्ञातिनी वृद्धि थशे. एवा लोकोने आश्रय न आपवाथी घणाक लोको दिन प्रतिदिन पडती हालते पहोंचता जशे, केमके आश्रय वगरना तेओ शुं करी शके ? संवत् १९५६ ना दुकाळमां कंईक लोको ख्रिस्ति थई गया ए सर्व निराश्रितनुंज फळ छे. जो ए वखते आश्रय आपवामां आव्यो होत तो खचित एवो बनाव बनतज नहि. जेओ उद्यम रोजगार करी शके तेवी स्थितिमां होय, तेवाओने धन तथा सलाहनो आश्रय देवो जोईए. अपंग- आंधळा वगेरे अनाथो के जेओने कोईनो आधार नथी, तेओने खावा पीवानो आश्रय देवो जोईए. पण सर्व निराश्रितोने खावापीवानो आश्रय आपवामां आवशे, तो ते सर्व आळसु बनी मात्र खावापीवा उपरज पड्यां रहेशे, जेवां के हाल पालिताणामां पडेलां मौजूद छे. एओमां केटलांक तन्दुरस्त अने उधम करी शके एवां छे, छतां पण वगर महेनते खावापीवा मळे तो उद्यम कोण करे ? जो एवां तन्दुरस्त मनुष्योने माटे पण आवीज रुढी राखवामां आवशे तो बीजाओ पण आळस थई जशे; ए माटे निराश्रितने आश्रय आपवानी खास फरज छे. मने समय थोडोज मळ्योछे ए वास्ते मारे कई विशेष कहेतुं हतुं, पण हाल माफी मागुंडं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९२ ) शेठ प्रेमचंद रायचंदे आपलं अनुमोदन तथा ते ओए निराश्रित फंडमां आपली रुपिया पांच हजारनी मदद• शेठ प्रेमचंद रायचंदे केटलाक असरकारक शब्दोमां ए दरखास्तने अनुमोदन आपत, निराश्रितोने मदद माटे रु. ५००० नी रकम आपवा पोते खुशी बतावी हती. अत्रे प्रमुख राय बद्रीदासजी बहादुरे सभामा जाहेर कर्य हतुं, के मुंबईना जाणीता जैन आगेवान गृहस्थ मी. प्रेमचंद्र रायचंदे निराश्रित फंडमां रुपिया पांच हजारनी रकम भेट आपवा जणाव्युं छे, जे आ कॉन्फरन्स उपकार साथै स्क्किारे छे. ( ताळीओ तथा हर्षनाद ). छेवटे निराश्रित जैनोने आश्रय आपवानी दरखास्त मतलेतां सर्वानुमते पसार थयेली प्रमुखे जाहेर करी हती. अत्रे मी. गुलाबचंद ढड्ढाए जणान्युं के "निराश्रितने आश्रय आपवानो सवाल एवो है, के मारुं गळु सारी हालतमां नथी छतां मारे कांईक ते विषे कहेतुं जोईए. जे बच्चांओनां मातापिता मरण पाम्यां होय छे, तेओ केवी दुःखी हालतमां होय छे तेनो विचार करी, प्रसिद्ध शेट प्रेमचंद रायचंदे (ताळीओ) पोतानी तरफधी पांच हजार रुपिया आप्या छे. तेमनी उदारता प्रशंसनीय अने अनुकरणीय छे. बनी शके त्यांसुधी आपणा भाईओए यथाशक्ति मदद आपत्री, एज मारी प्रार्थना छे. " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) ठराव ६ ठो. ६. जीवदया बाबत. अहिंसा परमो धर्मः-ए आपणा जैन धर्मनो मुळ सिद्धांत छे तेथी करी १. सर्वे जीवोनी रक्षा करवा, २. तेमनी हिंसा थती हाय ते योग्य प्रयास लई अटकाववा, ३. सारा बंधारणथी पांजरापाळ जेवां खातां दरेक स्थळे स्थापना तथा चाखवटथी चलाववा, ४. पशुओ उपर गुजरतुं घातकीपणुं अटकाववा माटे योग्य उपायो योजवा, ५. प्राणीओनां शरीरनां अवयवोधी बनती चीजो माटे प्राणीओ उपर जूदी जूदी गने घणीज क्रुरता गुजरे छे, तेथी करी ते बनावटनी चीजो उपयोगमा न लेवा, ६. तथा तेवा अनेक बीजा रस्ते जीवदया जेवा उत्तम कार्यने उत्तेजन आपत्राने माटे, आ कॉन्फरन्स दरेक जैन बंधओर्नु खास ध्यान खेंचे छे... ७. जीवदयाना संबंधमां जे राजाओए तथा अन्यदर्शनीय गृहस्थोए प्रशंसापात्र पगलां मरेलां होय, तेमनो तार अथवा पत्रद्वारा उपकार मानवो. दरखास्त करणार-मी. चिमनलाल लल्लूभाई. सब जज-सुरत. टको आपनार-डॉ. त्रिभोवनदास मोतीचंद शाह-एल. एम.-जुनागढ. अनुमोदन आफ्नार-डॉ. लाला हरखचंदजी बी. ए. एल. एम. एन्ड एस अजमेर. डॉ. हरखचंद अमुलख-अमदावाद. वैद्य मगनलाल लालचंद-सुरत. लाला ताराचंदजी-पंजाब. शेठ कुंवरजी आणंदजी-भावनगर. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९४) मी. चिमनलाल लल्लुभाईनुं भाषण. “ महेरबान प्रेसिडन्ट साहेब, जैन बंधुओ, सुज्ञ सद्गृहस्थो अने बानुओ! बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना आगेवान गृहस्थो तरफथी “ अहिंसा" ना विषय उपर विवेचन करवा मने आज्ञा थई छे. ए विषय एवो गहन, प्रौढ अने महत्ववाळो छे के, एना उपर यथेच्छ अने वास्तविक विवेचन करवा मारा जेवा अल्प बुद्धिना माणसने शक्ति न होय ते स्वाभाविक छे, अने तेथी करीने मारा करतां सारा अनुभवी अने विद्वान् वक्ताने ए विषय सोपवामां आव्यो होत, तो ते वधारे सारं विवेचन करी शकत. वळी तेनी साथे में आजे बावीश वर्षथी वक्तानो धंधो छोडी श्रोतानो धंधो स्विकारेलो छे; अने आपवामां आवेलो समय पण थोडो छे, तेथी सदरहु विषय उपर योग्य विवेचन हुं करी शकीश एम आशा नी, अने जे कहेवामां आवशे ते पण खामी भरेलु हशे; तोपण मारा उपर थयेली आज्ञा अनुसार हुं जे कहीश, तेमां जे कांई खामी मालुम पडे ते दरगुजर करवा कृपा करशो. ___'अहिंसा परमो धर्म:' ए जैनधर्मनो मुख्य सिद्धांत छे. ए सिद्धांत साबित करवा विशेष पुरावानी जरुर नथी, कारणके आ सृष्टिनी सपाटी उपर प्रवर्तता दरेक धर्ममां तेनो स्विकार थयेलो छे. दरेक धर्मावाळाए केवे केवे प्रकारे एनो अंगीकार करेलो छे, ए बाबत विवेचन करवा जेटलो आजे वखत नथी, तोपण एटलं कहेवू बस छे के सामान्य रीते दरेक धर्ममां एनो स्विकार थयेलो छ. योगकौस्तुभ नामना ग्रंथमां यमनियमना दश प्रकार बतावेला छे, तेम पातांजल सूत्रमा पण यमना पांच प्रकार अने नियमना पांच प्रकार ए प्रमाणे दश प्रकार बतावेला छे, तेमां अहिंसा मुख्य प्रकार गणेलो छे. जेवी रीते हस्तिना पगलामां बीजां प्राणीओनां पगलां अंतर्भूत थाय छे, ते प्रमाणे अहिंसाना प्रकारमा बीजा नव प्रकार अंतर्भूत थाय छे. अहिंसानी व्याख्या आपवानी जरुर नथी तोपण एटलु कहेवु जरुरनुं छे, के कोई पण प्राणीनो कोई पण प्रकारथी कोई पण काळमां द्रोह न करवो, एटले मन, वचन अने शरीरवडे कोई पण प्राणीने कोईपण प्रकारथी पीडा न करवी, ते अहिंसा कहेवाय छे. हिंसा त्रण प्रकारथी थाय छ एटले १ कृता (पोते करेली), २ कारीता (बीजा पासे करावेली), अने ३ अनुमोदिता (अनुमोदन कीधेली ), ए रीते त्रण प्रकारे हिंसा थाय छे. वणी एना बीजा पण प्रकार छ, एटले लोमथी-मांस चर्मादिनी लालचथी, क्रोधथी अने मोहथीएटले पशआदिना वधथी धर्म थशे, एवी समजथी पण हिंसा करवामां आवे छे. अहिंसानुं पालन करवाथी सर्व प्राणीओ साथे मैत्रीभाव थाय छे, अने तेथी अहिंसा ए अन्य यमनियमनुं मूळ गणाय छे. वणी आ सृष्टिमां अहिंसा जेवो बीजो धर्म नथी. कहुं छे के: शान्ति तुल्यं तपो नास्ति न संतोषात्परमं सुखम् । नास्ति तृष्णा परो न्याधिन च धर्मों दयापरः ॥ क्षमातुल्यं तपो नास्ति संतोषान परं सुखम् । न दयासदृशं ज्ञानं नास्ति माणसमं भयम् ॥ सत्येनोत्पद्यते धर्मः दया दानेन वर्धतेः । क्षमया स्थाप्यते धर्मः क्रोयो लोभाविनश्यति ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९५ ) अहिंसालक्षणो धर्मः अधर्म प्राणिनां वधः । तस्मात् धर्मार्थिभिर्लोकैः कर्तव्या माणीनां दया ॥ यो दद्यात् कांचनं मेरुं कृत्स्नां चैव वसुंधराम् । एकस्य जीवितं दद्यात् न च तुल्यं युधिष्ठिर ॥ वळी कृष्ण महाराजे युधिष्ठिरने कह्युं छे के, एक माणस एक जीवने जीवितदान आपे, तेनी बरोबरी जे माणस सोनाना मेरु पर्वतनुं तेमज आखी पृथ्वीनुं दान आपे, ते करी शकतो नथी. अभेद्य मध्ये कीटस्य सुरेन्द्रस्य सुरालये । समाना जीविताकांक्षा समं मृत्युभयं द्वयोः ॥ हवे अहिंसानी किंमत ए प्रमाणे वधु होवानुं कारण शुं छे, ते उपर विचार करीशुं तो मालुम पडशे के विष्टामां रहेला कीडाने अने स्वर्गमा रहेला इंद्रने जीववानी आकांक्षा मृत्युनो भय सरखो होय छे. कां छे के: - दान नथी. जीवानां रक्षणं श्रेष्ठं जीवा जीवितकांक्षिणः । तस्मात्समस्तदा नेभ्यो भयदानं प्रशस्यते ॥ दरेक प्राणीने जीववानी आकांक्षा होय छे, तेथी जीवितदान आपवुं एना जेवुं बीजुं वैरिणोपि हि मुच्यते प्राणान्ते तृणभक्षणात् । तृणाहाराः सदैवैते हन्यते पशवः कथम् ॥ राज्यरीति प्रमाणे लडाईमां पराजय पामेलो शत्रु मुखमां तृण ले छे, तो तेने छोडी मूकवामां आवे छे; तो पछी तृणना उपर सदैव निर्वाह चलावनारां प्राणीनो वध करवो कोई पण प्रकारे व्याजबी नथी. वळी अहिंसानुं पालन करवाथी घणा प्रकारना फायदा थाय छे. दीर्घमायुः परं रूपमारोग्यं श्लाघनीयता । अहिंसायाः फलं सर्वे किमन्यत्कामदेवता || सदरहु प्रमाणे कोईपण कारणसर कोईपण प्राणीनो नाश करवो व्याजबी नथी. यज्ञ करवानो कहेलो ते पण केवा प्रकारनो केहेलो छे, ते नीचेना श्लोक उपरथी जणाशे. सत्यंयूपं तपोह्यग्निः प्राणाश्च समिधो मम अहिंसामाहुतिं दद्यात् एष यज्ञः सनातनः ॥ इंद्रियाणि पशुन्कृत्वा बोंद कृत्वा तपोमयीः । अहिंसामाहुतिं कृत्वा आत्मयज्ञं यजाम्यहम् ॥ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९६ ) तुलसीदास कवि पण कही गया छे के:दया धर्मको मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोडीए, जबलग घटमें प्रान. शामळभट कवि पण दयानी बाबतमां नीचे प्रमाणे कहे छे: काजळथी काळो कपूत, तनधी वहाली लाज, दया दानथी उजळी, कुळ अजवाळण काज. सदरहु प्रमाणे अहिंसानी बावतमा जुदा जुदा वखते जुदा जुदा महात्माओए, अनेक थो रची एथी थता फायदा बतावी एनी प्रशंसा करेली छे, तो ए विष विशेष दाखला दृष्टांत न आपतां एना नीचे प्रमाणे विभाग करवा हुं इच्छा राखं छु. जीव दयाना मुख्य बे विभाग थई शके छे:१ द्रव्य दया. भाव दया. भावदयाना बे विभाग थई शके छ:--- १ स्वदया. २ पर दया. स्वदयाने माटे एटलंज कहेवानुं छे के दरेक प्राणी पोतानी करणी प्रमाणे फळ भोगवे छे, परंतु तेणे एटलो विचार करवानो छे के आ संसारमा पोतानी वस्तु शुं छे अने पारकी झुं छे, सगासंबंधीनो संबंध स्वार्थी छे के निःस्वार्थ छे, क्षणिक छे के स्थायी छे, अने देह अने आत्मानो धर्म शुं छे, ए बाबतो उपर विचार करी पोतानी इंद्रिओनो निग्रह करी, मनने अंकुशमां लावी पोताना आत्माने परभावमा रमतो खसेडी, स्वभावमां रमण करावq ए स्वदया छे. __ हवे परदयानी बाबतमां आपणा महा मुनिराज महाराजो उपदेश करता आव्या छे, अने दरेक प्राणीना उपर दयानु सिंचन करे छ, एटले ए विषे विशेष न बोलतां एटलुंज कहेवु बस छे, के कोईपण मनुष्य खोटी संगतने लीधे किंवा कर्मोदयने लीधे उन्मार्गे चालतो होय एटले अतिविरुद्ध वर्तणुक करतो होय, तो तेने सदुपदेश दई सुमार्गे चडाववो; अने कदाच तेम न बनी शके तो तेना उपर कोईपण प्रकारनो रोश न राखतां, ते पोतानां पुर्वकर्मनां फळ भोगवे छे एम समजी, तेना उपर दया राखवी. हवे द्रव्यदयाना मुख्य बे विभाग छ:१. मनुष्य प्राणी संबंधे दया. २. पशु पक्षी आदि प्राणीओ संबंधे दया. मनुष्य प्राणी संबंधे दयाना विभाग नीचे प्रमाणे थई शके छे:१. अशक्त मनुष्यपर दया. २. सशक्त मनुष्यपर दया. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९७ ) अशक्त मनुष्य एटले अपंग, पांगळा, लूला, कष्टी मनुष्योपर दया करवी, तेमज बाल्या. वस्थाना, मा बाप वगरना निराश्रित बाळकोपर दया करवी. अपंग, लूला, पांगळा, अने कष्टी मनुष्यो पोतानी अशक्तिने लीधे पोतानो उदरनिर्वाह चलाववा अशक्त होय छे,. तेमज मा बाप वगरना निराश्रित बाळको पण पोताना उदरनिर्वाह माटे धंधो करवा अशक्त. होय छे. एवां प्राणीओ उपर दरेक जैन बंधुए दया करी तेओने उदरनिर्वाहनां साधनो पूरा पाडवां जोईए छे एटलुंज नहीं, पण जेओ कांईपण हुनरकळा शीखी शके एवा हाय, तेओने ते शीखवी उद्यमे वळगाडवा जोईए, तेमज निराश्रित बाळकोने माटे निराश्रितगृह स्थापवां जोईए, तेमज तेओने विद्या आदि दान आपी सन्मार्गे चडाववां जोईए. हवे सशक्त मनुष्य प्राणी संबंधे दयानी बाबतमा प्रथम ए कहेवानुं छे, के जेओ आबरु-- दार कुटुंबना पण गरीब स्थितिना होय, अने जेओ कोईपण माणस पासे उघाडी रीते याचना करी मदद मागी शकता न होय अने भूखमराथी रीबाता होय, तेओने गुप्तरीते अन्नवस्त्रादिनी मदद करवानी दरेक जैनबंधुनी फरज छै; कारणके कीर्तिदान करतां गुप्तदान- फळ मोटुं छे. सशक्त प्राणीओने विश्रांति अने आसाएश मळे एवी योजना करवानी पण जरूर छे, जेवां के विश्रामस्थान, पाणीनी परबो, धर्म शाळाओ, नवाणो विगेरे. गरीब माबापनां छोकरांओ जेओ विद्या अभ्यास करवाने उत्साही होय, परंतु पोताना बापनी गरीब स्थितिने लीधे स्कूल फी विगेरे आपवा अशक्त होवाथी विद्याभ्यास करी शकता न होय, एवाओने स्कूल फी विगेरे आपी मदद करवी, ए आपणा श्रीमान् जैनबंधुओनी फरज छे. तेमज तेओने खोराकनी सोईने माटे बोर्डीग हाउस स्थापवानी जरूर छे. जे लोको विद्याभ्यास करी शके एवा न होय, पण कई हुन्नर शीखी शके एवा होय, तेओने हुन्नर शीखवा मदद आपी रोजीए वळगाडवानी जरुर छे. सदरहु बाबतो विषे व्यवहारिक अने धार्मिक केळवणीनी बाबत बोलनार सज्जनो तरफथी विशेष विवेचन करवामां आवेलं होवाथी मनुष्य प्राणी संबंधे दयानी बाबतमां मारुं बोलवू समाप्त करुं छु. हवे पशु पक्षी आदि प्राणीओ संबंधे दयानी बाबतमां नीचे प्रमाणेना विषयो उपर बोलवानुं छे: १. सर्वे जीवोनी रक्षा करवी, २. तेमनी हिंसा थती होय ते योग्य प्रयास लई अटकाववी, ३. सारा बंधारणनी पांजरापोळ जेवां खातां दरेक स्थळे स्थापवां तथा चलाववां, ४. पशुओ उपर गुजरतुं घातकीपणुं अटकाववा माटे योग्य उपाय योजवा, ५. प्राणीओनां शरीरना अवयवोथी बनती चीजो माटे प्राणीओ उपर जुदी जुदी अने ____घणीज क्रुरता गुजरे छे, तेथी करी ते बनावटनी चीजो उपयोगमां न लेवी, . ६. तथा तेवा अनेक बीजा रस्ते जीवदया जेवा उत्तम कार्यने उत्तेजन आपवाने माटे आ कॉन्फरन्स दरेक जैनबंधुओनुं खास ध्यान खेंचे छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९८) हवे सर्वे जीवोनी रक्षा करवामां प्राणीमात्रनो थतो नाश अटकाववो, तमज प्राणी. मात्रने बंधीखानामांथी मुक्त करवानो समास थाय छे. प्राणीमात्र उपर दया राखवी, तेओनी साथे मैत्रीभाव राखवो अने तेओनी रक्षा करवी, ए दरेक जैनबंधुनुं कर्त्तव्य छे, ए विषय उपर विवेचन करवामां आव्युं छे. दरेक वस्तुने बे बाजु होयछे अने ते दरेकमां न्यूनाधिकपणं होय छे, परंतु दया ए एवी वस्तु छ के जेनी बंने बाजु समतुल्य छे. ए विषे शेक्सपियर कवि ए प्रमाणे कहे छे के दयानो गुण एवो छ के, वगर दबाण करे धीमी वृष्टिनी माफक आसमानमांथी ते नीचे वृष्टि करे छे. दया जे शख्स करे छे तेने सुख थाय छे एटलुज नहीं, पण ते जेना उपर करवामां आवे छे तेने पण सुख थाय छे. ए सर्वमा बलीष्टथी बलीष्टथी छे, राजाना तख्त करतां पण ऊंची पदवी धरावे छे. राजानो राजदंड तेनी दुनियादारीनी सत्ता बतावे छ, जे राजदोर अने अमलथी राजनी भीति अने धास्ती उत्पन्न करे छे; परंतु दया ए राज्यसत्ताथी अधिक छे, ए राजाओना अंतःकरणमां वासो करे छे अने खुद परमात्मानो अंश छे, अने आ पृथ्वी उपरनी सत्ता परमात्माना अंशरुप त्यारे देखाय छे, के ज्यारे न्याय दया मिश्रीत होय छे त्यारे. सदरहु प्रमाणे शेक्सपियर कवि दया संबंधी कहे छे, ते केवळ योग्य छे अने तेथी प्राणीमात्रनी रक्षा करवी ए दरेक जैनबंधुनो धर्म छे. जैनबंधुओ! आपणा लोकोमा वखतोवखत फंडो उभा करी पशुपक्षी आदि प्राणीओने नाशथी बचाववा तथा तेमने बंधीखानेथी छोडववा यत्न थता आवे छे, थाय छे, ने थशे; एटले ए बाबत विषे विशेष बोलवानी आवश्यकता नथी, तोपण एटलं कहेवानी जरुर छे के पशुपक्षी आदि प्राणीओने बंधीखाने नाखनार शख्सोने कोई बीजे धंधे लगाडवा तजवीज थई शके तो वधारे सारं; कारणके आपणा लोको दयाना परिणामथी पशुपक्षी आदि प्राणीओने बंधीखानामांथी पैसा आपी मुक्त करावे छे; परंतु ए धंधो करनारने एक रीते पोताना धंधमां उत्तेजन मळी, फरी ते धंधो करवा तत्पर थाय छे, तेथी बनी शके तो एवा शख्सोने कोई बीजा उद्यममां वळगाडया ए मारा नम्र अभिप्राय प्रमाणे वधारे उचित छे. बीजो विभाग पशुओनी हिंसा थती होय ते योग्य प्रयास लई अटकाववा बाबतनो छे. एनो समास उपर कहेली हकीकतमा आवी जाय छे, तेथी ए विषे विशेष बोलवानी जरूर नथी. त्रीजो विभाग सारा बंधारणथी पांजरापोळ जेवां खातां दरेक स्थळे स्थापवा तथा चलाववा बाबतनो छे. पांजरापोळ याने खोडांढोर खातुं दरेक जैनबंधुनी जाणमां सारी पेठे होवू जोईए. पांजरापोळ स्थापवानो हेतु एवो छ के अशक्त जानवरो, ए जगाए पालनपोषण कर अने तेओनी दुःखी स्थिति निवारण करवं. ए पांजरापोळो माटे आपणा लोको तरफथी तेमज बीजा लोकानी मददथी, स्थळे स्थळे फंडो भेगां करवामां आवे छे, अने पांजरापोळनो कारोबार चलाववामां आवे छे, परंतु जे हेतुथी पांजरापोळ स्थापवामां आवे छे, ते हेतुनो बरोबर अमल थाय छे के नहि, ए दरेक जैनबंधुनी जोवानी फरज छे. पांजरापोळमां अशक्त प्राणीओने घास पूरु पाडवू तेथीज तेनुं संरक्षण थयेलं समजवायूँ नथी; दरदी प्राणीने दवा विगेरेनो बंदोबस्त बराबर थाय छ के नहीं, तेमज तमाम प्राणीओने रहेवानी जग्या सुघड, चोख्खी राखवामां आवे छे के नहि, तेओने आपवामां आवतुं घास किंवा दाणो सारो अपाय छे के नाहि, अने तेओने पीवा माटे पाणी स्वच्छ अने निर्मळ आपवामां आवे छे के गंदु पाणी आपवामां आवे छे, ए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९९ ) विषे जोवानी अने तपास राखवानी खास जरूर छे; कारणके ए बाबत तपास राखवामां न आवे, तो अशक्त प्राणीओने सुख आपवाना जे हेतुथी फंड उभुं करवामां आवे छे ते हेतु निष्फळ थवा जेवुं थाय छे. बळी दरेक पांजरापोळनो वहीवट करनार शख्से एटलं जेवानी खास जरूर छे, के पोताना वहीवटनी पांजरापोळमां जेटलां अशक्त जानवरोने सगवडताथी राखी शकाय तेना करतां वधु संख्या भोगी थवी जोईए नहि ; कारणके तेम थवाथी पांजरापोळमां रहेलां जानवरोने तेमज नवां आवेलां जानवरोने बेसवा उठवानी, तेमज हरवा फरवानी जोईती जग्या न होवाने लीधे, तेमज जोईती चोख्खी हवा न मळवाने लीधे असुख थाय छे एटलुंज नहि, पण प्रसंगे तेओ रोगना भोग थई पडे छे. वळी पांजरापोळमां आवतां जानवरोमां चेपी रोगनुं जानवर जणाय, तो तेने बीजां जानवरथी इलायदुं राखी तेनी सारवार करवानी जरूर छे; परंतु बीजां जानवरो साथे तेने राखवाथी बीजां जानवरोने पण एवाज प्रकारनो रोग लागु थई ते दुःखी थाय छे. वळी पांजरापोळ जेवा कारखानानी ऊपज तथा खरचनो हिसाब चोखवटथी राखवो जोईए, अने दरवर्षे ते छपावी जे गाममां ते पांजरापोळ होय, अने जेओनुं हित तेमां रहेलुं होय, तेओने ए छपायला हिसाबनी प्रत मोकली आपवी जोईए. पशुओ उपर गुजरतुं घातकीपणं अटकाववा माटे योग्य उपायो योजवा संबंधे कमीटीओ नीमवानी जरूर छे. केटलेक प्रसंगे आपणा जोवामां आवे छे, के जानवरो उपर तेओनी शक्ति उपरांत बोजो लादी के गाडी विगेरेमां भरी तेमनी पासे खेंचाववामां आवे छे तेमज केटलेक प्रसंगे अपंग अने दरदवाळां जानवरो पासे पण बोजो खेंचाववामां आवे छे, ते तेओनी उपर खरेखरुं घातकीपणुं छे. ए घापकीपणुं अटकाववा आपणा तरफथी फंड उभुं करी, गुनेहगारने नशियते पहोंचाडवानी जरूर छे. केटलेक ठेकाणे ए प्रमाणे घातकीपणुं गुजारनारने नशियते पहोंचाडवानी योजनाओ थयेली मालुम पडे छे; पण जे ठेकाणे तेवी योजना न होय त्यां ते थवानी जरूर छे. आपणा परम दयाळु अंग्रेज सरकारना राज्यमां पोलिस तरफथी पण, एवा माणसोपर फरियाद थई नशियत कराववामां आवे छे. प्राणीओना शरीरना अवयवोथी बनती चीजो माटे, प्राणीओ उपर जुदी जुदी अने घणीज क्रूरता गुजरे छे, तेथी करीने ते बनावटनी चीजो उपयोगमां न लेवी. सदरहु बाबत कहेवानुं ए छे, के बहारना देखावथी मोह पामी क्षणिक शोभाने माटे पोंछां विगेरेथी सुशोभित करेली टोपीओ उंची किंमत आपी आपणे खरीदिये छीए; परंतु जे पीछां विगेरेथी टोपीओने सुशोभित करवामां आवे छे ते जीवतां पक्षीओनो नाश करी मेळववामां आवे छे. एवी टोपीओ वापरवाथी दरेक जैनबंधुए दूर रहेवुं जोईए. जैनबंधुओ ! उपर कहेला तमाम विषयो उपर योग्य मनन करी, आप तन मन ने धनथी कोईपण प्राणीने कोईपण प्रकारथी कोईपण वखते थती पीडा दूर करी, तेओनी रक्षा करवा तत्पर रहेशो एवी आशा राखी, हुं मने सोंपेला विषय उपर मारुं बोलवुं समाप्त करूं छं. डॉ. त्रिभोवनदास मोतीचंद शाहनुं भाषण. प्रमुख साहेब, भाईओ अने बहेनो ! आ कॉन्फरन्से हाथ धरेला जूदा जूदा विषयम जीवदयानो एक छे, अने सर्वथी विशाळ छे. एना विषे मारा विद्वान् मित्रे विवेचन करेलुं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१००) छ अन तेमने अनुमोदन आपवान मारा प्रत्ये सोपेलं . आश्रममांधी छूटीने संवर धारण करवानुं आपणा धर्मनुं महा फरमान छे. आपणा धर्म सिवाय अन्य धर्मवाळा सांभळीन अजायब थशे, के आपणे बीजा जीवने हण्या सिवाय, हणाव्या सिवाय तथा बीजो कोई हणतो होय तेने अनुमोदन दीधा सिवाय पृथ्वीपर जे जे हिंसा थती होय अने घातकीपणुं गजरतुं होय, अगर अहरनिश जे वनस्पति आदिनो नाश थतो होय. तेना पापनो काईक अंश प्रत्येक मनुष्यनो जीव तेने वोसरावे नही त्यांसुधी भागीदार थाय छे. बहु उंडो अने महत्वना ए सिद्धांत छे, अने तेनुं यथार्थ तात्पर्य समजवामां न आवे त्यांमुधी बीजाने गळे ते सिद्धांत उतरवो मुस्केल छे; तथापि जैनधर्म जीव प्रत्ये दया पाळवामां केटलो उंडो उतरेल छे, ते तेमां मळी आवती आवी अनेक बीना बतावी आपे छे. ___मळमूत्रने लांबो वखत पडी न रहेवा देवां, पण तेने जेम बने तेम मुकी जमीनपर नांखी सूकावा देवां. तेम नहि थवाथी पाप बंधाय छे, अणसमजु माणसो आ वातने हसी काढे छे. मळमूत्रना पडी रहेवाथी गंधावा मांडे छे अने आ गधावानुं वास्तविक कारण समुमि जीव छे. हाल तेवा सूक्ष्म जीवोनो शोध सूक्ष्मदर्शक यंत्र वडे थयो छे. तेने germs bacilli, bacteria के microbs एवां एवां नामोथी ओळखाववामां आवे छे. दारु करवामां, सरको करवामां, अने झाडपालानों सडो थवामां आवा असंख्य जंतु उत्पन्न थाय छे, अने तेथी एदी चीजो वापरवानी आपणा धर्ममां मनाई छे. __ आपणो प्राचीन धर्म कहे छै, के तमाम पृथ्वी अने वायु जीवथी भरेलां छे. पचीस पचास वर्ष पहेलां आ वात आधुनिक कहेवाता सुधरेला माने एम नहोतुं; परंतु हवे आ वात सर्व मान्य थई पडी छे. घणा रोगनुं कारण समजवामां नहोतुं आवतुं, ते हवे वायुरुपे उडता अनंत सूक्ष्म जीवो अनेक रोगना वास्तविक कारण छे, एम डॉक्टरो अने दुनिया मानवा लागी छे. तेमांना घणाकनी पिछान आपसाहबोने नहि होय, पण एक अद्रश्य जंतुए पोतानुं अस्तित्व तमोने पण साबीत करी आप्युं छे. आखा हिंदुस्तानने तेणे तोबा पोकरावी छे, पृथ्वीना तमाम खंडाने तेणे चोंकावी दीधा छे. अने दुनियांना वैदिक वर्गने हंफाव्या छे, ते महा पलीत प्लेगनो जंतु छे. एवा अनेक असंख्य जातिना जंतु छ, के जेणे माणसनी बुद्धिने आज सुधी दाद आपी नथी. डॉक्टरोने तेवा जंतुआनो घणोज कडवो अनुभव थयो छे, तेमणे पोतानी आवा जंतु विषेनी अज्ञानताथी हजारो दरदीना प्राण खोया छे; पण गयां पचीस वरसमां जंतुओनी माहिती थवाथी अने तेमनाथी बचाववाना उपायो लेवाथी, शास्त्रवत्ताने यशनी प्राप्ति थवा लागी छे. ___सूक्ष्म जंतु सिवाय स्थूल जीवो प्रत्ये श्रावकोनी लागणीनो दाखला आखी आलमने लेवा जोग छे. मांसाहार करनार माणसो पण जनावरपर घातकीपणुं गुजारवानुं नापसंद करे छे, अने ते माटे सरकार पण कायदा बांधे छे. Societies for the prevention of cruelty to animals एवी मंडळीओ स्थपाई छे, अने तेना उत्तेजको अंग्रेज, मुसलमानो अने पारसी जोवामां आवे छे. प्राणीने ठार मारी नाखवु तेना करतां तेने दुःख आपत्रानो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०१) गुन्हो मोटोछे, एम मानवु ए पण काळनी बलिहारी छे. आपणामांना केटलाक जाणता हशे, पण घणाक नहि जाणता होय, माटे ते जाणीने खुशी थशो के युरोप अने अमेरिका खंडोमां Vegetarian Societies स्थपाई छे, एटले मांसनो आहार तजीने आपणो वनस्पतिनो आहार ग्रहण करे छे. तेओ पोते तेम करीने बेसी रहेता नथी. आपणामां अने युरोपियन लोकोनी वच्चे ए मोटो तफावत छे. ए तफावतने लीधे आपणा उपर तेओ राज्य करे छे. आपणे passive छोए अने तेओ active छे. आपणे आपणं घर पकडी बेसी रहीए छीए, पण तेओ उभा थईने पारका घरमां डोकीयां करे छे अने लाग आवे छे के ते पचावी पाडे छे. आपणे युरोप के अमेरिकाने श्रावक करवानो कदी विचार आण्यो नथी, पण तेओ तरफथी मोटे खरचे घणा पादरीओने आपणा धर्माओनो शिकार करवा मोकली आप्या छे. ए तेओनी चाल प्रमाणे जेओ त्यां मांस छोडी वनस्पति आहारिक थया छै, तेओ तेटलेथी संतोष नथी पाम्या; तेओ ए रणसंग्राम जारी राखीने पोतानी संख्यामां वधारो करता जाय छे. तेओनी पासेथी जीवदया संबंधी आपणे घणुं शीखवानुं मळी आवेछे." (अधुरु). अत्रे वखत थई जवाथी डॉ. त्रिभोवनदास मोतीचंदने पोताना भाषणनो बाकी रहेलो भाग बीजा दिवस उपर मुलतवी राखवाने सुचववामां आव्यु हतुं, जेथी तेमणे पोतानुं बाकी, भाषण बीजा दिवस उपर मुलतवी राख्यु हतुं. अजमेर तथा ग्वालियरना जैन श्रीमंतो तरफथी आपवामां आवेली रकमो. आ वखते जनरल सेक्रेटरी मि. गुलाबचंदजी ढहाए जाहेर कर्यु हतुं, के अजमेरवाळा शेठ सोभागमलजी ढढ्ढाए निराश्रित फंडमां रु. १००० नी भेट तथा ग्वालियरवाळा शेठ नथमलजी भागमलजीए जीर्ण पुस्तकोद्धार फंडमां रु. १००० नी भेट आपी छे, जे कॉन्फरन्से मान सहित स्विकारी छे. अत्रे फोटोग्राफ कामना व्यवस्थापक मि. अमरचंद पी. परमारे जुदा जुदा सर्कलो, कमीटीओ, वोलंटीयरो वगेरेना फोटोग्राफो, मंडपनी सामे आवेली एल्फीन्स्टन हाईस्कूलनी सीडी उपर लेवडाववाना जुदा जुदा वखतनी अने दिवसनी यादी वांची संभळावी हती, अने ते मुजब गृहस्थोने हाजर रहेवानुं जणाव्यु हतुं. बाद प्रमुख साहेबनो उपकार मानी तथा जीनेश्वर भगवाननी जय बोली, कॉन्फरन्स सांजना पांच वागे विसर्जन थई हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०२) त्रीजो दिवस. भाद्रपद वदी ०)) संवत १९५९, ता. २१ सप्टेंबर. आगले दिवसे जणाव्या प्रमाणे कॉन्फरन्स बराबर अग्यार वागे एकठी थई हती, अने प्रमुख साहेब तथा बीजा आगेवानो बराबर वखतसर आवी पोहोंच्या हता, जे वखते तेमने सर्व सभाजनोए हर्षनी ताळीओथी वधावी लीधा हता. शरुआतमा आगली बेठको माफक श्री जैन मंगळ गायन समाजे, नीचे प्रमाणे साजसाथे मंगलाचरण तथा स्तुति गाई संभळाव्यां हतां. मंगळाचरण। सारंग ताल-द्रुपद । प्रभु तूज कर सुखद धर दीन दयाळ शारे । शरणांगत प्रतिपाळ दयाळ दाता रे ॥ प्रभु ॥ शांत करण भ्रांत भवपांथ विमळ प्यारा । मंगळ-उद्धारी स्वामी आपो शिव शांता रे ॥ प्रभु ॥ ___(सारंग )-ताल-लावणी. मुंबइ शेहेरे मंगळ वरते घर घर श्रावक साथमां । श्री जीनवरनी धर्मध्वजा फरके छे सौना हाथमां ॥ कॉन्फरन्स श्वेतांबर संग तणी शोभा नहीं जाय वरणी। मंडप मोटो रचना छे घणी-मुं० देश देशतणा डेलीगेटो, साधी भाईनो बेटो । एतो आनंदित अती छ भेटो-मुं० नरनारी मंडपमा आवी, बैनोन्नतिना बीजो वावी । उल्लास हृदय कमले लावी-मुं० श्री जीनशासन धर्मो मर्मो, समजावे श्रावकना कर्मों। शुभ आचरणे नाशे भरमो-मुं. ज्ञानादि विविध विषय सारा विस्तारी विवेचन करनारा सूचवे सम्योचित्त सुधारा-मुं० जेथी जैनोन्नति कार्य सधे, सारासारे विचार वधे । तमे कोशिश जारी ए राखो बधे मुं० फळदाई फलोदी पार्श्व करी, आदि ने द्वितीय मुंबानगरी। मळशो एम वारंवार फरी-मुं० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०३) वर्धमान संवत ओगणत्रीसे, चोवीसमो भादरवे मासे । को कहे चोथो आरो भासे-मुं० . जीनधर्म सदा जयवंत रहो, मंगल वाणी टोकरशी कहो । सम भावे सौ सुख शान्ति लहो-मुं० स्तुति. (राग कल्याण )-त्रिताल. जय जय जय जय जीनराज नमो, अशरण शरण अचळ सुखदायक, रक्षो नकल जन पालक छो, ईश धीश शिषनामी स्तविये अमो-जय. करो प्रेरणा देश सुधारो थवा, अम अतःकरण सुविधा वर्धवा, तारी कृपाथीज बंधुओमां अम वधशे विद्याथीज, ज्ञान विचार सुमति उद्यमो-जीन०-जय. शुभ संप वधे अम देश बधे, वळी धर्म व्यवहार सुकीर्ति सधे, मुख मागुं आरे दु:ख दुर करी सुखने संघरी, वरते स्वधी जय श्री विभो-जीन०-जय. धन्य आज प्रसंग सुविधावतो, मळ्या काज लायक लक्षण संतो, जैन जगो वीर थाओ सदा धीर गुणमय गंभीर, कहे टोकरशी सजन समो-जीन०-जय. ।दोहरो। वंदी अविनाशी अमो मंगळमय उज्माळ; जैन बाळको आपने ईच्छीए रहो खुशाल. शहेनशाह माटे प्रभु प्रार्थना ( अंग्रेजी रागनी चाल )-ताल दादरो. हळी मळी लळी विभो ! सौ मागीए अमो ॥ करजो अचळ हिंदपर एडवर्ड सातमो ॥ जेना राज्य अमलमां छीए सुखीआ अमो ॥ शत्रु कुळ तेनुं ईश सर्वथा दमो-हळी० 15 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०४) अम देशनी आपद दळवा खळ वृंदोने संहरवा ॥ शक्ति तारी अर्पित तेना हृदयमा रमो-हळी० एनो प्रताप दिन दिन वधतो कोटी सूर्य समो जळहळतो॥ करजो कृपानाथ अने विघ्नने वमो ॥ तपे ज्यांसुधी शशिने तरणी धरे शेष ज्यांसुधी धरणी ॥ चकवो राज्य त्यांसुधी पामी प्रौढ प्राक्रमो-हळी० डॉ. त्रिभोवनदास मोतीचंद शाहनुं बाकी, भाषण. " सीलस्कीन नामर्नु चामडुं शीत कटीबंधमां मळी आवता सील नामनां जळचर प्राणीने करताथी मारीने मेळवाय छे, अने ते शीवडावीने सुशोभित कपडा तरीके वपराय छे, तेना प्रत्ये ए लोको तिरस्कारथी जोवा लाग्या छे. मडमो पीछांवाळी टोपीओ पहेरी शरीरने शणगारे छे, अने तेनो चेप आपणा लोकोमा लागेलो छे. निरपराधी पक्षीओने मारीने ए पीछां पहेरवामां आवे छे, ते घातकी शोभाने केटलांक युरोपियन मरद अने ओरत धिःकारवा लाग्यां छे. तेना जेवीज क्रुर बीना कचकडानी छे. कचकडो शुं चीज छे अने ते केम मेळवाय छे, ते मारा जाणवामां तो थोडी मुदत पहेलां आव्यु. ते पेहलां में पोते दीव जईने कचकडानी चीजो खरीद करी हती एटलुंज नहि, पण मने याद छे के साधुओने धातु खपती नथी. एक साधुना मोतीया उतार्या पछी तेमने चस्मांनी जरूर पडी. चस्मानु चोकळं धातुनुं थायछे तेथी ते साधुजीने खपे नहीं; एटले दीव तरफथी कचकडानु चोकळु मंगाववानी फरमाश थई. ते वखते मने कांई आश्चर्य लाग्युं नहोतुं, पण हवे कचकडाचें मूळ जाण्या पछी साधुओने ते पहेरवां के नहीं ते विषे मने शंका थाय छे; अने कचकडाना चोकठा करतां धातुनु चोकळं कदाचित् परिग्रहने बाधवाळु होय तोपण ठीक एम दीसे छे. एक वात मारा मनमा घणा वखतथी घोळाया करेछे, अने तेणे मने गुंचवाडामां मुकेलो छे. गुंचवाडामां एटला माटे के ते देखीती रीते अपवित्र होवा छतां पवित्र मनाय छे. अने पवित्र प्रमाणे तथा बीजी रीते तेनो बोहोळो उपयोग थाय छे. विद्यार्थी तरीके त्रीजी चोपडीमां पाठ वांचवामां आवे छे, के रेशमना कीडा थाय छ तेने उछेरवामां आवे छे, अने चोकस स्थितिए तेने उकळता पाणीमां नांखी मारी नांखी रेशम मेळववामां आवे छे. असलना काळमां हिंदुस्तान जेम हाल सुधी कचकडानी बाबतमां अजाण्यो हतो, तेम होय तो कोण जाणे, पण हालतो तमाम कोईना जाणवामां छे के असंख्याता जीवने हणीने रेशम मेळववामां आवे छे. पछी तेने सुशोभित बनावीने भाईओ कोट, जाकीट के पाधडी बांधे छे, बहेनो कांचळी अने साडी करी पहेरे छे. सूक्ष्म जंतुनी दया खानार श्रावकोनुं लक्ष आ स्थूल प्राणी उपर केम नथी खेंचायुं, ए ताजुबी भरेलं छे. पीछां अने कचकडा माटे गामे गाम सभा भरीने त्याग करवाना संदेशा जेम वर्तमानपत्रद्वारा फरी वळ्या, तेम आ सवाल प्रत्ये थवानुं मुश्केल छे; तोपण मने ए सवाल अजायबी पमाडनार थई पड्यो छे, तेथी आ कॉन्फरन्स आगळ मुकुं छु; ने तेनो यथार्थ विचार करवा विनंती करूं . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन, वचन अने कायाथी पुन्य के पाप थाय छे. करवं, कराव, अने अनुमोदq ए त्रण प्रकारे कर्म बंधाय छे, तेनाथी जेम बने तेम बचq ए आपणुं कर्तव्य छे. पांजरापोळादि धार्मिक काममां तन, मन अने धनथी मदद करवानी आपणी फरज छे, मुंगां प्राणीओने अभयदान आपवाने चूकवू नहीं जोईए. जीवदयानो विषय बहु विशाळ छे, एना माटे जेटलं विवेचन थाय तेटलु ओछु छे; पण जैनबंधुओ ते विषे बचपणथीज प्रेरीत थाय छे अने जीवो प्रत्ये दयानी खास लागणी धरावे छे, एटले आपनो अमूल्य वखत विशेष नहि रोकतां प्रार्थना पूर्वक एटलं कहीने समाप्त करं छु के तमाम प्राणी वर्ग प्रत्ये दया राखी, तेमने रक्षण आपो, तेमने अभयदान आपो अने तेमां तमारा तन, मन अने धननो खर्च करो." -::-- डॉक्टर. हरखचंद धारीवाल बी. ए., एल. एम. एंड एस. नुं भाषण. प्रेसिडेंट साहब, सर्व जैनी भाइयों और बहनो, बडी खुशीका समय है कि, आज इतने जैनीाई देशदेशांतरसे यहां जमा हुवे हैं. और बहुत खुशी इस बातकी कि, मुझ जैसे नाचीजको जीवदया बाबत कुछ कहनेको हुक्म मिला है. आप सब साहब जानते हैं कि जीवदया सब धर्मोमें उत्तम है और मुख्य है; और करीब सब मजहब इसे मानते भी हैं लेकिन जैनियों और अन्यमतियोंके जीवदया पालनेमें बडा फरक है. जैसे जैनी इस मुख्य धर्मको काममें लाते है, वैसे कोई दूसरा नहीं लाता है. और जो बारीकी जैनमतमें इसके बारेमें है वह किसी और मजहबमें नहीं है. देखो एक किताबमें लिखा था कि "हमारा मजहब सबसे उत्तम है क्योंकि, पापपुन्य इस मजहबके मुवाफिक करने सेही नहीं होते, बल्कि खयाल याने मनसे भी हो सकते है." अब जैन शास्त्रको इसके मुकाबलेमें देखिये कि क्या लिखा है. वो यह है कि कर्म सिर्फ करने ( काय ) और मनसेही नहीं होता, बल्कि बचनसे भी. सिर्फ यही नहीं. बल्कि करने कराने और करनेको भला जाननेमें भी होता है; यह सिर्फ छै ( ६ ) किस्म नहीं बल्कि इनके दो दो या तीन तीनके मिलानेसे ४९ तरहसे कर्म कहला सकते है. श्रावकको चाहिये कि इनमेंसे जितने तरह हो सके समझकर छोडे. आजकल युरोपियन सायन्स (Science) के जरियेसे सिद्ध हुवा है, कि बनस्पति कायमैं भी जीव है. यह तो जैनीयोंमें पहिलेहीसे मानते हैं, और काममें लाते हैं. इसी तरह जीवदया देखकर जैनीलोग शराबको सब लोगोंसे जियादः जोर देकर निषेध करते हैं; क्योंकि यह भी साबित हो गया है कि शराबके बननेमें असंख्यात जीवोंकी हानि है. इसी तरह कई बातें दिन बदिन साबित होती हैं, जो जैनीलोग पहिलेहीसे मानते हैं, और उनके मुवाकिफ काम करते हैं. जीव जितने हैं जहांतक होसके सबकी रक्षा करनी चाहिये. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वक्त कम है, और जीवदया सबको मंजूर नजर आती है, लेकिन उसके लिये कुछ करिये तो खूबी है. इस लिये एक अरज है कि इस मजलिसमें करीब चार या पांच हजार लोग है, हरेकके घरमें कमसे कम दो बहियें एसी होगी जिसपर चमडेका पूठा चढा दुवा है, याने करीब दस हजार बहियोंके लिये करीब एक हजार पंचैंद्री जीवोंका चमडा काममें आता है; अगर सब आयंदेको यह छोड़ दें तो कुछ फायदेकी उम्मेद पडती है. उम्मेद है कि यह कहना पसंद करके अमलमें लावेंगे. अमदावादवाळा डॉ. हरखचंद अमुलखचंद शाहनुं भाषण. " स्वामी भाईओ तथा गृहस्थो! आ बीजी जैन कॉन्फरन्सना मांगळीक कार्यना आरंभमां जे उत्साहां काम शरु कयु छे, ते दिन प्रतिदिन संगीन पाया उपर योग्य सुधारा करवाथी चोकस हमेशना माटे लाभकारक थशे. एम मारी तेमज सघळा हाजर थयेलानी पूर्ण मान्यता छे. - दरेक मोटां कार्य शरु थाय छे, तेनुं लांबे वखते सारं अगर खराब परिणाम मालुन पडे छे, पण तुरतमां तो जुदा जुदा मतो बंधाय छे. अत्यारे ते सामुं नहीं जोतां संगीन रीते आरंभेलु काम धीरजथी खंत राखी परिपूर्ण करवं, ते आपणी पहेली फरज छे. हालना वख तमां आपणा भिन्न भिन्न मतोने लीधे पडती दशा मालुम पडे छे, तेनुं कारण मोटी मोटी वातो करी बेसी रहेवार्थाज छे; पण तेनो अंत लाववानो आ प्रात:काळ शरु थयो छे. __ आ कॉन्फरन्से केटलाक विषयो जैन लोकोनां आचरण तथा स्थिति सुधारवा माटे पसंद करेला छे, ते मांहेना एक विषय जीवदया विषे मारो अभिप्राय आप साहेबो हजुर रजु करूं छं. पशु- पोषण केम करवू, पशुवध केवी रीते अटकाववो, अन केम तेमनां दुःख निवारण करवां, ए बाबतो उपर हुं बोलवा मागुंछु. पशुओ केवी रीते सुखी जींदगी भोगवी शके. दरेक केळवायेला तथा आर्यधर्मने माननारा माणसनी दरेक जीव प्रत्ये दयानी लागणी जन्मीज होय छे. कोईपण जीवने हेरान करवू मारवु अथवा घात करवी, ते पापरुपे गणे छे. जैनधर्ममां तीर्थकर महाराज तथा ज्ञानीओए सिद्ध करी आपेल छे, के जीवदया ए मोक्ष साधवानुं प्रथम पगीयु छ, अने 'अहिंसापरमोधर्मः' ते जैन धर्मनो प्रथम सिद्धांत छे. जीवना जैनधर्ममां पांच मोटा विभाग करेला छे. जेवा के: १ एकेन्द्रिय-एक इन्द्रिवाळा. २ वेइन्द्रिय—बे इन्द्रिवाळा. ३ त्रीइन्द्रिय-त्रण इन्द्रिवाळा. ४ चउरेन्द्रिय-चार इन्द्रिवाळा. ५ पंचेन्द्रिय-पांच इन्द्रिवाळा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०७ ) आ क्षणभंगुर दुनियामां शरीर साचववाना अंगे निरंतर पापनी प्रवृत्ति शरु रहेली छे पण जेम बने तेम समजीने तेनो अटकाव करवो ए जैनधर्ममां पहेली फरमास करेली छे. स्वामीभाव. स्वामीभाव ( brotherhood ) एटले आपणे दुनियाना सघळा जीवो साथै समान्तर दयाभाव राखो तथा समजवो, ते पहेली फरज आ असार संसार तरवानी छे. दाखला तरीके माणसजात तो उपर प्रमाणे वर्त्तवा बंधायेली छे; पण पशु जेवाना पण दाखला धर्मपुस्तकोमां मालुम पडे छे. ज्यारे मेघकुमारनो जीव हाथीना भवमां हतो, ते वखते वनमां अग्नि लाग्यो त्यारे पोतानो जीव बचाववाने पशुओ नासभाग करी रहेल हतां, ते वखते आ हाथीने तेना पग उपर खरज आववाथी ते पग उंचो करी बीजा पग साधे घसतो हतो, त्यारे एक ससलो तेनो पग मूकवानी जगा उपर वेसी गयो, ते जाणी हाथीए पग उंचो राख्यो. लगभग त्रण दिवसमां दावानळ शांत थयो त्यारे ससलो तथा बीजा जीवो विखराई गया अने ते हाथीए पोतानो पग नीचे मूकवानो प्रयत्न कर्यो, पण ते अकडाई जवाथी हाथी जमीन उपर पडयो, अने थोडा वखतमां मरण पामी देवलोक गयो. आ जीवे पशु अवस्थामां पण दयानी लागण जाणी पोताना आत्मानी दरकार नहीं करतां ससलाने बचाव्यो. आत्मभोग. आत्मभोग (Self-sacrifice ) एटले आत्माने दमवा सिवाय धर्म परिपूर्ण पाळी शकातो नथी. ‘No guins without pains '. आ संसारमां कूडकपट तथा मोहजाळ एटली बधी प्रबळ छे, के घणा लोको हजी तो धर्म तथा मोक्षनी शंकामां अथडाया करे छे. आ दयारुपी धर्म मानवानी शक्ति फक्त दुनियानां बीजां प्राणी करतां मनुष्यमां विशेष होय छे, अने मनुष्यभवमांज मोक्षनी साधना करी शकाय छे. पांजरापोळ, जीवदया पाळवाना घणां खातांमांनुं एक मुख्य खातुं पांजरापोळना नामथी ओळखाय छे, अने तेमां पशुपक्षी विगेरे घणी जातनां प्राणीओनुं रक्षण थाय छे. आ खातुं पंच एटले समुदायनी मददथी स्थापवामां आवेलुंछे. आ पद्धति घणी पसंद करवा जेवी छे, कारणके हंमेशां कोईनी पण एकसरखी स्थिति रहेती नथी; माटे 'पंचकी लकडी एकका बोज' तेवा बंधारणथी काम आ खातामां चाले छे, तेथी करी हंमेशने माटे आवां खातां नभी शके छे. आ खातानो वहीवट प्रथमथी शेठीआ अगर पैसादार वर्ग चलावे छे, अने तेनो हिसाबकिताब तेमना हाथमां होय छे. हालमां घणेखरे ठेकाणे पांजरापोळनी स्थिति नबळी जोवामां आवे छे, तेनुं मुख्य कारण वहीवट करना - रनी खामी होवी जोईए एम अनुमान थायछे; पण कोई कोई ठेकाणे पैसानी तंगीने लीधे माठां परिणाम जणाय छे. मोटां खातां चलाववा सारुं हाम, दाम ने ठामनी जरूर छे; तोपण एकदर नजर करीए छी त्यारे धणे ठेकाणे वहीवटनी खामी नजरे पडे छे, माटे आवा शुभ कार्यमां जेम बने ते आळस कमती करी सारा पायापर खातां चलाववां ए अवश्यनुं छे; कारणके आवां खातां जोईने हमणां थोडा वखतथी अंग्रेजीप्रजा पण आर्यलोकोनो धडो ले छे. हिंदुस्थान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०८) हालमा घणी पडती दशामां छे, तोपण तेनां प्राचीन खातां संपूर्ण जीवदयानी प्रवृत्तिनी टोच उपर दुनियाना बीजा देशो करतां छे, अने ते उपरथी ईग्लांड तथा अमेरिकामां आवां खाता खुलेलां छे, जेवां के " वेजिटेरियन सोसाईटी ", " सोसायटी फोर धी प्रिवेन्शन ओफ क्रुअल्टी टु एनीमल्स" वगेरे प्रसिद्ध छे. हिंदुस्तानमां आवां खातां महान् प्रतापी अशोक राजाना वखतमां हतां, ते लेखो जोवाथी साबित थाय छे अने ते पाया उपर पांजरापोळ चाले छे. माटे आपणी जैन कोमना अग्रेसरो के जेओना हाथमां आवां खातां अत्यारे चाले छे, तेओए पोताना हस्तकनो हमेशां चोखो वहीवट राखवो तेनी पूरी जरूर छे; अने शक्तिवाळा प्रमाणिक गृहस्थोनी संख्यानी आवश्यकता छे. आ मोटु खातुं करकसरथी चलावाय अने थोडे खरचे घणो लाभ थाय तोज आपणी धारेली नीमणुंक शुभ परिणामे आवे तथा निर्दोष प्राणीओ सुखी रहे. १. तेमने राखवानी जगा स्वच्छ अजवाळावाळी तथा छायावाळी पसंद करवी जोईए. २. हमेशां स्वच्छ पाणी वासणमां अगर हवाडामां पातुं अने दररोज सदर्ह साफ राखवां. ३. हमेशां जानवरना गजा प्रमाणे घास, दाणो, राब अथवा चारो विगेरे पाचन थई शके तेवां आपवां. ४. सारां जानवरोने चरवा जवा देवां, तथा मांदां जानवरोने हुंशियार माणसनी देखरेख नीचे अंत सूधी दवा तथा मावजत करवी.. ५. हमेशां जानवरनी संख्यानो हिसाब राखवो, तथा तेमांथी केटलां मरण पाम्यां तेनी नोंध राखी मरणY कारण शोधी काढवू. साधारण दरदथी मरेलुं छे, के चेपी दरदी मरेलुछे. ६. जो चेपी दरदथी मरेलु होय, तो तेना समागममां आवेलां जानवरोने एक एकथी ईलायदी जगामां दूर राखवां अने तेना उपर जुदा माणस राखी नोकरी कराववी. चेपी दरदवाळां जानवरनी नोकरी करनारा माणसे घास, दाणो विगेरे जुदां राखवां, तथा तेनां छाण अने कचरो वाळी नांखवो. ७. चेपी दरदनो प्रकार जाणीता माणसने अथवा दाक्तरने बतावी नकी करी, तेने दबाववाने अथवा मटाडवाने योग्य ईलाज लेवा. ८. नवां जानवरो केटलां अने क्याथी आन्यां, तेनी पण नोंध राखवी. ९. तनदुरस्त जानवरोनुं छाण तथा कचरो विगेरे हमेशां गाम बहार खातर तरीके वापर. १०. दर महीने तथा दर वर्षे जानवरोना जुदी जुदी संख्याना पत्रकवार आंकडा नोंधवा. ११. वर्षमां आवक केटली थई, मरी केटलां गयां, ने हालमां हयात केटलां छे, ते उपरथी खरच दरेक जानवर दीठ केटलु आवे छे ते मालुम पडशे, अने करकसर केम करवी ते पण मालम पडशे. १२. घास भरवानां मकान ने दाणा भरवाना कोठार सारी स्थितिमा राखवा जरूरना छे. आ उपरनी टुंक हकीकतथी सदरहु खातांओ दरेक ठेकाणे सारी स्थितिमा लावी शकाय. जानवरो उपर कुदरतनी ए बक्षीस छे के छेवटे मरी जाय छे, त्यारे ते पोतानुं करज चामडां तथा हाडकां अने शिंगडांनी किंमत पेटे वाळी आपे छे. गाय अने भेश दुध तथा घीने सारु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०९) माता तुल्य गणाय छे, अने देशनी अमूल्य सेवा बजावे छे. बळद अने पाडा खेतीवाडीना काममां आवे छे अने हिंदुस्ताननी खेतीनी मोटी विशाळ दोलत छे. हिंदुस्थाननी वस्तीनो पोणो भाग खेतीवाडी उपरज नभे छे, माटे आ जानवरो आपणी ने आपणा देशनी अमूल्य नोकरी बजावे छे; ने तेनो बदलो हिसाबमां लेईए तो आपणा स्वार्थना प्रमाणमां आपणे तेमनो प्रतिउपकार कदीपण वाळी शकताज नथी. माणसजात मोटाईना लोभमां खोटी फसायेली छे, पण खरं जोतां पशुओना तरफथी जे सुख मळे छे तेनो लेशमात्र पण बदलो आपणे आपता नथी. पशुवध केम अटकाववो. आज कालना अपूर्ण सुधरेला लोको मांसाहार करवो ए महत्वनी वात माने छे, तथा ते पुष्टि वधारे छे तथा शरीरने कौवत आपे छे, तेम केटलाक दाक्तरो तथा विद्वानो खुल्ली रीते जाहेर करे छ; पण जो तेओ दुरअंदेशीथी जोशे तो पूर्ण रीते साबित थाय छे, के माणसजातने मांसाहार बीलकुल उचित नथी. एक ज्ञानवंत कदी हाथ पण अडाडशे नहीं. माणसना शरीरना अवयवो जेवा के दांत, पेट, आंतरडां विगेरेनो बारीक तपास करीए छीए, त्यारे वनस्पति खोराक घणी सहेलाईथी पाचन थाय छे अने तेथी पूर्ण तनदुरस्ती सचवाय छे; मांसाहार घणा लांबा वखते थोडो घणो पाचन थाय छे अने तेना परिणाम रुप घणां दरद उत्पन्न थाय छे, एम मालुम पडे छे. जे लोको मांसाहारथी शक्ति वधे छे, एम माने छे तेमना करतां सादो खोराक खानारी दुनियानी प्रजाना सामान्य दाखला तपासएि, त्यारे वनस्पति खोराक तथा फळफळादि शीवाय बे तृतीयांश भाग शोखनी खातर बीजा पदार्थ खाय छे. आर्य महात्माओए वनस्पति खोराक शा माटे पसंद करेलो छे, तेनो ज्यारे तपास करीए छोए त्यारे परिपूर्ण साबीत थाय छे के मनोवृत्ति, शरीरबळ अने मननी स्थिरता, निर्विकारिक खाराक खावाथी नीति तथा सदाचरण हमेशने माटे सचवाय छे, तेथी ईश्वरभक्तिमां सहेलाईथी दोरी शकाय छे. “Habit is second to nature" 'जैसी करणी तैसी पार उतरणी.' आपणा अल्प सुखने सारु मांसाहारिक पदार्थ केवी रीते प्राप्त करीए छीए तेनो ज्यारे ख्याल करीए छीए त्यारे निरपराधी नबळां जानवरोने निर्दय रीते मारी नांखी, तेनुं सारं अथवा नरतुं मांस एक अज्ञान रसोईयाना हाथथी रंधाईने खावाना उपयोगमा लेवामां आवे छे; पण जो तेनो पूरेपूरो बारीक विचार उपयोग करनार करशे, तो 'एक वखत तो तेनुं मन आवो भ्रष्टाहार करवा कदी कबूल करशे नहीं. आजकाल आपणा हजारो हिंदुभाईओ तथा जैनो कॉड लविर ऑईल तथा बीफ ज्युस 'पोतानां दर्द तथा अशक्ति निवारण करवाने पीए छे, पण तेओ हजु मोहरुपी अघोर निद्रामां 'फसायेला छे; जेओ आ देह क्षणभंगुर छे, आ सुख अल्प छे तथा आ कृतिनुं परिणाम छेवटे शुं आवशे, ते जाणता छतां आवां कृत्यो करवामां मची रहे छे, ते कोई दिवस जैन अगर हिंदु कही शकाय नहीं. अमेरिका तथा विलायतमां हजारो माणस सुख तथा दुःखना वखते मांसाहार तो करता नथी, पण चामडाना जोडा पण पहेरता नथी; माटे साबित थाय छे के जेम जेम सायन्समां प्रोग्रेस करे छे, तेम तेम तेवी चीजो मेली निरपराधी जानवरोनी दयानी बूज जाणी, बीजी योजनाओ रची सुख तथा धर्म साधे छे. दुनियाना क्षणिक सुखमां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११०) आखी जींदगीने व्यर्थ गुमावीए छोए. ए. विपे तेनो जरा पण भविष्यना परिणामनो ख्याल करता नथी. "टोपे टीपे सरोवर भराय छे, ने कांकरे कांकर पाळ बंधाय छे." केटलाक माने छे के आपणी हालनी केळवणीनो दोष छे, पण तेम नथी; आपणी लांबा वखतनी खराब वर्तणुंक तथा कुछंदी लोकोनी सोबत, ते परिणाम छे. दाखला तरीके महोमेदन राजाओना वखतमां अकबर बादशाहना राजमां हीरविजयसूरी महाराजे, छ महिना सुधी तेना राज्यमा जे दया पाळवानां फरमान काढेलो, ते हजु सुधी पण पुरावा तरीके हयात छे.' (जोसभेर ताळीओ) वैद्य मगनलाल लालचंदनुं भाषण. मारा स्वामीभाईआ! आपणने सातसो वर्षे भेगो थवानो आजे प्रसंग मळ्यो छे ते खुशीनी वात छे. हेमचंद्राचार्य पछी हारविजयजीए विजय वावटो फरकाव्यो हतो, अन ते पछी आजनी कॉन्फरन्सनुं मान मी. ढहाए मेळवीने आपणने कृतार्थ करेला छे. आजनो विषय 'अहिंसापरमोधर्म:'नो छे. आपणुं कर्तव्य छे के हिंसा करवी नहीं. आ जगत् अनादि छे अने हमेशां चालु छे. आपणो आत्मा अने बीजानो आत्मा जुदो नथी. विश्वमा रहेला जीव अने देवताना जीवने जाववा मरवानी आशा एक सरखी छे, माटे प्रत्येक जीवनुं रक्षण करवू ए नवु शीखवानुं ना. अहिंसानो विषय गहन छे, अने वधारे हाल एटलुज कहेQ छे के पाश्चिमात्य सुधारानी जे केटलीक बदीओ आपणामां दाखल थई छे, ते काढी नाखवी जोईए. कॉड लीवर ऑईल ( माछलीना तेल ) नो उपयोग करीए छीए, ए शास्त्र विरुद्ध छे. जीवडानो आत्मा अने मनुष्यनो आत्मा एक सरखोज ले. आपणे कॉड लीवर ऑईल नामनी दवानो बिलकुल उपयोग नहीं करवो जोईए; अने अहिंसानो झुंडो नरम पडी गयो छे, छिनभिन्न थई गयो छे, तेनो पुनरोद्धार करवा माटे जरुर विचार करवो जोईए. आ कॉन्फरन्स तरफथी मोटा उपदेशको पेदा करवानी जरुर छे. आपणा प्राचीन मुनिओ अनार्य मुलकोमा जई जे प्रमाणे उपदेश करता हता, ते मुजब जीवदया माटे, उपदेशको राखी बोध कराववो जोईए छे. पंजाबवाळा लाला ताराचंदजी, हिंदी भाषामां भाषण. भाषण कर्ताए जैन मुनी महाराजो तरफथी दररोज जीवदया विगेरे गुणोना संबंधमा करवामां आवता उपदेशो ध्यानमा लई, तीर्थकरे परूपेलां शास्त्रोनां मुख्य फरमानो जेमां जीवदयाने खास समाववामां आवेली छे. ते उपर ध्यान राखी जीवदया तरफ तन, मन अने धनी ध्यान आपवा अरज करी हती, अने पंजाबना, मारवाडना अने गुजरातना जैनोने पोतानां वडीलोनां कर्त्तव्योनी नकल करवानी खास भलामण करी हती, अने छेवटे श्री आदीश्वर भगवाननी जय बोलावी पोतानुं बोलq खलास कयु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १११ ) जामनगरना महाराजा विगेरेनो उपकार. भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आनंदजीनुं विवेचन. बाद जीवदयाना संबंधमां जे दरखास्त मूकवामां आवी हती, तेना छला भागना संवधमां भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आनंदजीए जणाव्यं हतु के, जामनगरना महाराजा तेमज - बीजाओए पोतपोताना राज्योमां गौवध थतो अटकाववाना, तेमज जीवहिंसा अटकाववाना संबंधमां जे ठरावो करेला छे, तेने माटे ते नामदारोनो उपकार मानवामां आवे छे. बाद जीवदयानी दरखास्त मत लेतां सर्वानुमते पसार थयली जाहेर करवामां आवी हती. कॉन्फरंसना कार्य प्रत्ये शुभ लागणी दर्शावनारा वधु तारो तथा पत्रो. आ वखते कॉन्फरंस प्रत्ये दीलसोजी दर्शावनारा केटलाएक तारो तथा पत्रो नीच प्रमाणे वांची संभळाववामां आव्या हता, जे वखते श्रोताजनोए ताळीओना अवाजोथी पोतानी खुशाली प्रदर्शित करी हती. एलफीन्स्टन हाईस्कूलना प्रीन्सीपाले एक पत्र लखी जणान्युं हतुं, के तेओनाथी कॉन्फ रंसमां भाग लई शकायो नथी तेथी दीलगीर छे, अने कॉन्फरंसनी फतेह इच्छे छे. पाटणथी मुनीराज श्री उमेद विजयजी तरफथी कॉन्फरंसनी फतेह थाय, बादीनो तार मोकलवामां आव्यो हतो. तेवी मुबारक--- वढवाण खातेथी मुनीराज श्री भाईचंदजीए तारना संदेशा मार्फते जणाव्युं के कॉन्फरेस तरफथी जे कांई ठरावो पसार करवामां आवे, ते साधे हुं मारुं मळतापणुं जणावुं हुं, वगेरे. त्यारबाद डॉक्टर नगीनदास माणकलाले डेलीगेटो विगेरेनी जे सारी रीते सारवार करी हती, तेथी खुशी थईने मुंबईना झवेरी नगीनदास कपुरचंदे पोतानी तरफथी प्रमुख साहेब मार्फते तेमने हीरानी एक वींटी भेट आपी हती. ऊंचा प्रकारनी केळवणीना उत्तेजन माटे स्कॉलरशीपो. पुनाना नीचे जणावेला गृहस्थोए कॉलेजनी उंची केळवणी माटे दर वर्षे रु. २५० ) नी:: पांच वर्ष सुधीनी नीचली स्कॉलरशीपो जाहेर करी हती. रु. ५०० ) शा. राईसींगजी प्रेमाजी दर वर्षे रु० १००) प्रमाणे. रु. २५०) शा. मोतीजी गुलाबजी. ५०) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat "" "" www.umaragyanbhandar.com Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११२ ) रु. २५०) शा. मोतीचंद मेघाजी. दर वर्षे रु. ५०) प्रमाणे. रु. २५०) शा. भगवानजी लखमाजी., " " " कच्छी दशा ओसवाळ ज्ञात तरफी कॉन्फरन्मना वॉलंटियरोने चांदो भेट आपवानी थयली मागणी. मुंबईनी कच्छी दशा ओसवाळ ज्ञात तरफथी, आ कॉन्फरन्समां जैन युवानोए वोलंटियरो तरीके प्रतिनिधीओ तथा कॉन्फरन्सनी जे उमदा सेवा बजावी छे, तेना अल्प बदला तरीके रुपाना चांदो आपवानी मागणी थई हती, ते खुशीथी स्विकारवामां आवी हती. जीर्ण पुस्तकोदार, जीर्ण मंदीरोद्धार, व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी, निराश्रित जैनोने आश्रय तथा जीवदयाने लगतां पांच खावांओ तथा कॉन्फरन्सनिभाव फंडमां थयेली नाणांनी रेलचेल. कॉन्फरन्स प्रत्ये शुभ लागणी धरावनारा जैन आगेवानो तरफथी वगर मागणी थये, ताबडतोब लगभग रु० २०,०००) नी रकम कॉन्फरन्स निभाव फंडमां भरवामां आवी हती, जे रकमो शेठ कुंवरजी आणंदजीए वांची संभळावी हती. तेमज उपर बताववामां आवेलां जुदां जुदां पांच खातांओमां पण पोतानी राजीखुशीथी शक्ति अनुसार भरवा तेओए जाहेर कर्यु हतुं, जेथी ते खाताओमां पण जुदी जुदी रकमो भराई हती. सभामां जनरल सेक्रेटरी वगेरे तरफथी एवी पण दलील लाववामां आवीहती, के बधा प्रतिनिधीओने आपणे लखी चुक्या छीए के अमो कोईपण टीप करीशुं नहीं, माटे कोईपण नाणानी रकम अमाराथी लेवाय नही. ते छतां उत्साही जेनभाईओए कडं, के तमे टीप न करो पण अमे आपवा मागीए छीए ते तमारे लेवाज पडशे. टपाटप नामो बोलावा मांड्यां, पण तेमां गुंचवण थवाना भयथी ते माटेनी चीठीयो हाजर रहेलाओए, वोलंटियरोनी मार्फत वक्ताओ माटेना तख्ता उपर उभा रहेला शेठ कुंवरजी आणंदजी विगेरेने आपी हती; अने ते चीठीयो नाम तथा रकम साथे तेओ तरफथी मोटे अवाजे वांची बताववामां आवी हती. आ प्रमाणे नामो वंचातां होवाथी श्रोताजनो उपर तेनी वांजळीक असर थई हती, अने तेथी जे लोकोनां नामो वंचातां हतां तेओनी जाणे हरीफाई न थती होय, तेम बीजाओ पण पोताना तरफी चीठीयो आपवा लाग्या; भने तेथी आ प्रमाणे भरवामां आवती रकमोनी चीटीओनो वरसाद वरसवा लाग्यो. आ प्रमाणे चीठीयोनां नामो वांचवानुं काम लगभग बे कलाक सुधी चाल्यु, अने तेथी कॉन्फरन्सचं कामकाज सदंतर अटकी पडयु. जे जे गृहस्थोए आ वखते जुदां जुदां खातांओमां रकमो भरी हती तेनी विगतवार टीप ( पुरवणी क) मां आपवामां आवेली छे; जे उपरथी जोवामां आवशे के आपणा जैन भाईओए आ प्रसंगे केटली उदारता दावी हती. फंडमां भरेली रकमो मुंबईती शेठ मनसुखभाई भगुभाईनी दुकाने भरवाने जाहेर करवामां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११३) आव्युं हतुं. आ फंडमां एकठी थेएली रकमो माटे नीचेना गृहस्थोने ट्रस्टी ठराववामां आव्या हता: श्रेठ. फकीरचंद प्रेमचंद. जे. पी.-मुंबई. शेठ. लालभाई दलपतभाई.-अमदावाद. मी. गुलाबचंदजी ढहा. एम ए.-जयपुर. बाबु राय कुमारसींग.-कलकत्ता. वळी एम पण ठराववामां आव्यु हतुं, के आ फंड आ चार ट्रस्टीओनी संमति अनुसार: सरकारी जामीनगीरीओ, बेंको विगरेमां ज्यां तेओने योग्य लागे त्यां रोकवामां आवशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११४) ठराव ७ मो. कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवाना उपाय बाबत. जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्सनी योजना फत्तेहमंदीथी पार पाडवा माटे १. कोईपण मोटा शहरमां वर्किंग ऑफिस उघाडवा, २. कॉन्फरन्स संबंधी बधी देखरेख राखवा माटे एक विद्वान् पगारदार सेक्रेटरी नीमवा, ३. जुदां जुदां मोटां शहरोमां प्रोवीन्शियल सेक्रेटरीओने बदले जोईट सेक्रेटरीओ नीमवा तथा तेमनी देखरेख नीचे ते शहरोमां स्टेन्डींग कमीटीओ स्थापवा, ४. जुदां जुदां गामो तथा शहेरोमां कॉन्फरन्स संबंधी हीलचाल कायम राखवा माटे वोलंटरी सेक्रेटरीओ नीमवा, ५. स्टेन्डींग कमीटीए कॉन्फरन्सनी योजनाओ अमलमां मूकवा अने आसपासना गामोमां जाग्रति राखवा संबंधमां, खर्चनी व्यवस्था पोताना शहेरमांथी करी लेवा, ६. प्रत्येक वर्ष कॉन्फरन्सनी मीटींगनी एक मास अगाऊ जोईन्ट सेक्रेटरीओए लथा वोलंटरी सेक्रेटरीओए, कॉन्फरन्स संबंधमां थयेला कामकाजनो पोतानो रीपोर्ट जनरल सेक्रेटरीने नोकली आपवा, तथा तेना उपरथी तैयार करेलो रीपोर्ट जनरल सेक्रेटरीए प्रत्येक कॉन्फरन्स वखते वांची जवा, ___७. विगेरे बाबतो माटे उचुं बंधारण करवा माटे, चार विद्वान् प्रतिष्ठित जनरल सेक्रेटरीओ नीमवा आ कॉन्फरन्स घणीज आवश्यकता विचारे छे; तथा त्रीजी कॉन्फरन्स भरवा माटे स्थळ अने वखत नकी करवामां आवशे. दरखास्त करनारः-मि. गुलाबचंदजी ढहा एम. ए.-जयपुर. टेको आपनार:-पंडित फोहचंद कपुरचंद लालन-मुंबई. अनुमोदन आफ्नारः-शेठ कुंवरजी आणंदजी-भावनगर. मि. मोहनलाल पुंजाभाई-मुंबई. मि. हीराचंद शेशकरण कलकत्ता. डॉ. जमनादास प्रेमचंद एल. एम. एन्ड एस.-अमदावाद. मि. सांकळचंद नारणजी बी. ए.एल.,एल. बी.-जामनगर. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११५) मि. गुलाबचंदजी ढहा एम. ए. ना हिंदी भाषणनो सार. आजे त्रण दिवस थयां आपणुं काम सारं चाल्युं छे. सज्जनता बतावी आपे अत्रे उमंगी'पणाथी पधारी जैनधर्मनो पायो नाख्यो छे. आजे फंडमां स्वयमेव दिलथी नाणां भरी तमारी धर्माभिमानता तमोए बतावी आपी छे. ( ताळीओ ) अत्रे प्रथम उघराणुं नहीं भराववानुं जणाववामां आव्युं हाँ, परंतु तमोए तमारीज तरफथी ते भर्यु छे ते माटे तमने धन्यवाद घटे छे. ते उघराणुं तमारी दिलनी लागणीथी थयुं छे. उघराणुं करवाना विरोधीओए जाणवू जोईए के आपे केटली उदारता बतावी छे, परंतु कॉन्फरन्सजें काम फतेहमंद थाय अने उघराणानो योग्य व्यय थाय, ते माटे व्यवस्था करवानी जरुर छे. नाणांनी सर्वेमां जरुर पढ़े छे, तेथी करीने कॉन्फरन्सनो उद्योग बरोबर पार पडे ते सारं पैसानी जरूर छे. कॉन्फरन्सनुं जाथक फंड करवानी खास जरूर छे, कममा कम पांच वर्ष कॉन्फरन्स भराय अने तेनी कारवाईमां जे खर्च थाय तेनो ते फंडमांथी नभाव थवो जोईए, ते माटे कममां काम दरसाल रुपीआ त्रण हजारनी जरूर छे, एटले के पांच वर्षना रु. १५,००० कममां कम जोईए. जेम वखत जतो जाय तेम खर्च पण वधवो जोईए, तेथी रु. १५,००० ना खर्चनो नानामां नानो अडसट्टो छे. ते फंडमां आपणा शेठ शाहुकारोए एक एक हजार रुपीआ आप्या छे. (ताळीओ) ते रीते रु. २०,००० नुं फंड कॉन्फरन्सना निभाव माटे थई चूकयुं छे. (अत्रे ते फंडनी टीप वांची जवामां आवी हती, जे बाबत ताळीओना अवाजथी वधावी लेवामां आवी हती.) त्यार बाद मी. ढहाए जणाव्यु के:-आ फंडमां हजी पण पांच दश हजार रुपीआनी जरूर छे अने आशा छ के, आप आपनी शक्ति अनुसार तेमां नाणां भरशो. ते फंडनो वहीवट करवा माटे बे जनरल सेक्रेटरी हता, पण हवे तेमां बीजा बेनो उमेरो करवामां आव्यो छे जे चारनां नाम नीचे मुजब छ:-लालभाई दलपतभाई, मी. गुलाबचंद ढहा, मी. फकीरचंद प्रेमचंद, अने रा० बा० वद्रीदासजीना पुत्र मी० राय कुबरसींगजी. ते चारने सेक्रेटरीनो अखत्यार आपवामां आव्यो छे के तेओए विचार करी कोन्फरन्सनो वहीवट करवो. ___मी. ढहाए आगळ चालतां जणाव्युं के, जनरल सेक्रेटरीओ तो पोतानुं कार्य करशेज, परंतु लोकोए पण पोतानुं कार्य बजाववानुं छे. आवते वर्षे वडोदरामां कॉन्फरन्स भरवानो ठराव. दर वर्षे कॉन्फरन्स भरवा माटे जुदा जुदा शहेरना जैनोए तैयार थर्बु जोईए. हुं कहेवाने खुशी छु के वडोदराना जैनोए, वडोदरा खाते आवते वर्षे कॉन्फरन्स भरवा विनंती कीधी छे; तेथी आवते वर्षे कॉन्फरन्स त्यां भरवामां आवशे. कॉन्फरन्सना हेतु आदि प्रसिद्ध करवा एक वक्ता नीमवामां आवशे, जेनी फरज बधे शहेर फरी भाषण आपवानी थशे. ते उपरांत कॉन्फरन्स तरफनुं एक पत्र होवू जोईए, ते हिंदी . तथा गुजराती होवू जोईए, अने कममां कम चालीस पानानुं होवू जोईए. परंतु मुख्य सवाल ए छे के कॉन्फरन्सनुं काम उठावशे कोण? कॉन्फरन्सनी भुजारूप कोण बनशे? रावणने वीश भुजा हती, परंतु कॉन्फरन्सना चार जनरल सेक्रेटरीओनी तो हजारो भुजाओ होवी जोईए; तेथी हुं सूचना करूं छु के कममा कम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११६ ) पांचसो विद्वान् प्रेज्युएटो वगेरेए, तेओने पोताना वर्तनमा सहायता आपवा बहार पड, जोईए. दर वर्षे ज्यां कॉन्फरन्स भराय त्यां ते पांचसो गृहस्थोए अवश्य हाजर थ, जोईए. (ताळीओ) मी. ढहाए सर्वे गृहस्थोने सहायता आपवानो आग्रह करी पोतानुं भाषण समाप्त कीधुं हतुं. पंडित फत्तेहचंद कपुरचंद लालन- भाषण. "आ कॉन्फरन्सनी योजना पार पडवाथी केटलो फायदो थशे, तेना केटलांक चिन्हो अत्यारीज जणाय छे. पातंजली कहे छे के ज्यारे अहिंसानुं ज्ञान प्राप्त थाय छे, त्यारे गमे तवी दुश्मनावट धरावनाराओ पण मित्र थई जाय छे. जुदा जुदा गामना प्रतिनिधिओ हाजर रहेला होवाथी, हिंदुस्ताननी समस्त जैन कोमे अत्रे हाजरी आपी छे एम हुं गणुं छु. जाणे सघळा जैन भाईओ परस्परनी विरुद्धता भूली जई 'मिच्छामीदुकडं' कह्यं होय एम जणाय छे. सघळाओए पुरतो भ्रातभाव बतावेलो छे. हरकोई ईमारत बांधवा माटे पायो मजबूत नांखवो घटे छे. आ कॉन्फरन्स पण सकळ संघनो महेल छे अने तेनो पायो मजबूत नंखायलो हुं जोऊ छं. जाणे चारे मोटां शहरोमां चार वडी ऑफीसो स्थपाई छे, अने चारे जनरल सेकेटरीओ खंतथी काम करे छे, एम हुं अत्यारथी मारी नजरे जोऊ छं. ए चारे मोटां शहरोमां वसशे तोपण तेमना हाथ एटला लांबा होवा जोईए के, तेओ गमे तेटले दूर पडेला दुःखी जैनोने मदद आपी शके. हालमा जे तन, मन अने धनथी मदद आपवानी शरुआत थई छ, ते चालु राखीने तमो जे पायो नाख्यो छे तेना उपर पाकी ईमारत बांधवामां पण मदद करशो. जे गहस्थो पोताना सारा विचारोनो लाभ आपे छे, तेओ एक झळझळीत दिवाना करतां पण वधारे प्रकाशित छ एम हुं गणं छू; माटे जो तमा भाईआमांथी लायक गहस्थो पोतानो सारा विचाररुपी प्रसाद आपणने आपी शकशे, तो तेथी आ कामन घणो फायदो थशे. जुबीली वखते बंध करावेलां कसाईखानां. सने १८८० ना वर्षमा करवामां आवेली जुबीली वखते, मर्डम मी० तलकचंद माणेकचंद तरफथी जैन कोमना नामथी मरहुम नामदार महाराणी उपर मुबारकबादीनो जे तार मोकलवामां आव्यो हतो, तेमां बीजी खुशाली जाहेर करवा उपरांत जणाववामां आव्यु हतुं के, ए उमंगना दिवसे हिंदनां कसाईखानांओ जो बंध रखाववामां आवशे, तो तेथी जैन भाईओ घणा खुशी थशे. आ तारना परिणाममां हिंदनां सघळां कसाईखानांओ बंध रखाववामां आव्यां हतां एम मने याद छे. आ दाखलो आपवानो मारो हेतु एवो छे के, मात्र बळांज काई वळवानुं नथी पण जो बळनी साथे युक्ति पण वापरवामां आवे, तो तेथी घणो फायदो थवानी वक्की छे. एटला माटे हुं तमोने भलामण करुं छु के, जे भाईओ पोतपोतानां वतनोमां भाषणो आपी आ हीलचालने उत्तेजन आपवाना काममां मदद करी शके, तेवा पांचसो गृहस्थोए पोतानां नामो लखीने सेक्रेटरीओ उपर मोकली आपवां." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११७) शेठ कुंवरजी आणंदजी, भाषण. "आ कॉन्फरन्स पछवाडे मोटो खरच कर्यो तेनुं फळ शुं थशे, एवो सवाल घणाओ तरफथी पुछवामां आवे छे, अने तेनो जवाब हुं एटलोज आपुं छं के आपणे ते फळ आजेज बतावी शक्या छीए. गये वर्षे मी. ढहाए जे बीज वाव्यु हतुं, तेना उपर एक वर्षना अरसामां एक घणुं सारं झाड उग्युं छे. साधारण रीते गर्भ धारण थवा पछी बाळक नव महीने जन्मे छे, पण आ कॉन्फरन्स रुपी बाळकनो प्रसव एक वर्षे थयो छे. ते पुत्र घणोज स्वरुपवान अने तनदुरस्त छे, अने जो तेने माटे पुरती काळजी राखवामां आवशे, तो ते बाळक सारी रीते माटुं थशे अने भविष्यमा आपणुं काम संतोषकारक रीते चाल्या करशे, एवी खात्री छे." मी. मोहनलाल पुंजाभाई- भाषण. ___ " कॉन्फरन्स संबंधी जे उपलो ठराव मूक्यो छे, ते संबंधमां अनुमोदन आपी जणाद् छु के, चार जनरल सेक्रेटरीओ नीमावा उपरांत वर्कीग माटे जे पगारदार सेक्रेटरी नीमाया छे, ते उपरांत प्रांतिक तथा जोईन्टने बदले ऑनररी सेक्रेटरीओ पण नीमवानी गोठवण थई ते वोलंटियर सेक्रेटरीओए जनरल सेक्रेटरी उपर पोतानां नामो मोकली आपवां जोईए, अने तेओए कॉन्फरन्सने मजबूत करवा माटे उल्लासथी काम बजावq जोईए. स्टेन्डींग कमीटी जे जे शहेरमां थाय, तेना ऑनररी सेक्रेटरीओने जनरल सेक्रेटरी तरफथी नीमवामां आवशे, अने तेनो खर्च ते देशे चलाववो जोईए. जे चार जनरल सेक्रेटरी नीमवामां आव्या, तेओ ट्रेझरर तरीके पण ओळखाशे, कारणके नाणांने लगती व्यवस्था तेओना हाथमां मूकवामां आवी छे. हवे अग्यारमा ठरावने अंतःकरणथी टेको आपीने तथा श्री आनंदघनजीनो श्लोक याद करीने जणावू छु के, ग्रेज्युएटोए पोतानां नामो जनरल सेक्रेटरीओ उपर मोकली आपवां जोईए. जीर्ण पुस्तकोद्धारना संबंधमां जणावीश के, जे देशमां प्राचीन पुस्तको जीर्ण थई गयां होय तेनु, तेमज भंडार मध्येनां कुल पुस्तकोनुं लीस्ट तैयार करीने, जनरल सेक्रेटरीओने मोकली आपवामां आवशे, तो डीरेक्टरी बनाववा माटे जे गोठवण थई छे तेने घणो टेको मळशे; अने जे जे कामो थाय तेनो रीपोर्ट जनरल सेक्रेटरी उपर मोकली आपवो जोईए. दोढ लाख रुपीआ जेटली जे रकम एकठी थई चुकी छे, तेमाथी जे जे शहरोमा जे जे खातां माटे जरूर हशे, त्यां मोकलवानी गोठवण थशे. जीर्ण मंदिरोद्धारना संबंधमां जणाववायूँ के, तेना संबंधमां जे जे रीपोर्ट मोकलवामां आवशे ते उपर जनरल सेक्रेटरीओ ध्यान आपशे, माटे ते मोकली आपवानी गोठवण थवी जोईए. व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी माटे दरेक देशमां जरूर छे अने तेनो रीपोर्ट पण जनरल सेक्रेटरी उपर मोकलेथी ते बाबतनी योग्य व्यवस्था थशे. २० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११८) निराश्रितो तथा जीवदयाना संबंधमां पण योग्य व्यवस्था थशे, तेनी आप सर्वने हवे खात्री थई छे. छेवट जे श्रद्धाथी तमो जैनभाईओ पधार्या छो तेमां वधारो थाय, अने जनरल सेक्रेटरीने बरोबर लखाण करी योग्य सूचना करवामां आवे, एवी इच्छा राखुं छु." कलकत्तानिवासी मि. हीराचंदभाई शेशकरणभाईनुं भाषण. "वीररत्न महाराजाओ आपणा देशमां आवी जे सुधारो करे छे, तेमने प्रणाम करी आ कॉन्फरन्सना कामने टेको आपतां खुशाली उपजे छे. जेम वडना बीजनी अंदर आग्धं वृक्ष समायलुं छे, तेम आ नवमा विषयमां कॉन्फरन्सनी आखी योजनानो आधार रहलो छे. भाईओ! आ टाणे मने जे मोटो आनंद अने हर्ष थाय छे, ते ए के संघना बुद्धिशाळी विद्वान् गहस्थो दूर देशावरथी अत्रे पधारी, धर्म अने संघने जाहोजलालीमा लाववाने प्रयास करी रहया छे, ते माटे सौ भाईओने प्रणामपूर्वक धन्यवाद आपुं छु. शास्त्रमा छ रस कह्या छे, तेमांथी कोईने कोई पसंद पडे छे; पण वखोडवा लायक तो कोई नथी. तेम आ कॉन्फरन्सना संबंधमां पण छे, एम सौने एक सरखा गणशो एवी मारी विनंती छे. आनी अंदर आपणे आपणुं कार्य साधवानुं छे, माटे भाईओ! भिन्न भिन्न विचार बाजुए मेलो सर्वेए एकत्र थर्बु जोईए छे. केळवणीना संबंधमां वोलंटियरो थई काम बजाववा कयुं छे पण तेम थ, दुर्लभ छे, केमके एवी वीस जैनशाळाओ में तपासी छे, तेमांथी बे चार सिवाय बीजानी व्यवस्था हालहवाल छे; तेटला माटे शाळाओ उपर देखरेख राखवा कानुनो बांधवा वगेरे माटे, डेप्युटी ईन्स्पेक्टरो जेवा पगारदार उपरीओ राखी घटतो वहीवट चलाववाने आपणे व्यवस्था करवी जोईए छे. मारी ए सूचना छे अने कमीटी ते उपर योग्य ध्यान आपशे एवी आशा छे. पुस्तकोना संबंधमां मारी सूचना ए छे के, केटलाक मंत्राक्षरो सिवायनां उपयोगी पुस्तकोना संबंधमां टीप करवी, नहींतर अर्थना अनर्थ थशे." ( अत्रे आ गृहस्थ पोताना विषय बहार बोलवा लागवाथी, ते उपर तेमनुं ध्यान खेचवामां आव्युं हतुं, जेथी तेओए पोतानी बेठक लीधी हती.) अमदावादना डॉक्टर जमनादास प्रेमचंदनुं भाषण. "( १ ) जेमणे राग द्वेष, मिथ्यात्वादि तजी समकीतपणुं प्राप्त करेलु छे, (२) जीवदयाना प्रतिपालक तरीके सर्वे धर्मवाळाओ करतां, अधिक ओळखाएला छे, (३) जेओ असल वारथी धर्म, अर्थ, काम अने मोक्ष, जेम बीजा धर्मवाळा पोते मानेला धर्म साधी मेळववा मागे छे, तेम आ समकीतद्वाराए पामवा उमेदवारो पंचमगती साधवाथी सर्वे वानां भेळवी शके छे, (४) जेमनी असल वारेथी जाहोजलाली प्रमाणिकपणुं, सत्यता, अक्कल, हुंशियारी, साहसिकपणुं, दया, उदारता, परोपकार, गुप्तदान, लघुता अने संप ओळखाएलां छे, तेवा आर्यावर्तना आ जैनसभामां बिराजमान थएला प्रतिनिधीओ अने जैनबांधवो प्रत्ये अति नम्रतापूर्वक विदित करवा रजा लउंछु के: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११९) ज्यारे तीर्थकर महाराजना समोसरणमां एक वखते एकज स्थानमां वाघ, वरु, गाय, बकरी, बिलाडी, उंदर, नोळीओ, सर्पादि सरखां हिंसक अने क्रुर जातिनां तिर्यंच जनावरो पण, खार, कुसंप, मोटाई आदि तजी दई, लघुता, संप अने भ्रातृभाव आदि अंगीकार करी, जेम पोताना जन्मथीज रहेला परस्पर जाति संबंधीना वैरो छोडी दई, मननी एकाग्रता शान्तिपूर्वक प्राप्त करी तीर्थकर महाराजना उपदेश रुपी अमृतनुं पान करे छे, त्यारे ते तिर्यंचो थकी अति उत्तम गणाती मनुष्य जातिमा रहेला आपणे, तेज तीर्थकर महाराजना शासनमां प्रवर्तती वखते केटली बधी सलाह शांति अने संप साचववो जोईए ? जो तमे तीर्थकर महाराजे कहेली मैत्री आदि चार भावनाओमांनी पहेली जे मैत्री भावना छे, तेणे करी तमारं हृदय हमेशां प्रकाशित करशो, तो तमारी मेळेज तमने तेनाथी थता लाभनो अनुभव थशे. मारी अल्पमति प्रमाणे हवे आ महासभामां जे नव विषयो चर्चावाना छे, तेनी खरी फतेहनो मूळ पायो भने आधार, कहेवाती त्रण वस्तुओ उपर आधार राखे छे: १ दरेक वर्षे एकठा थता फंडनी व्याजबी व्यवस्था, अने ते व्यवस्था करवा नीमायेला प्रमाणिक, श्रद्धावान, धनाढ्य, परोपकारी अने धार्मिक लागणीवाळा सद्गृहस्थो तरफथी नीकळता वार्षिक रीपोर्ट छे. २ ढोंग वगरनो प्रमाणिक संप. ३ हमेशां एकसरखी रीते चालु रहेतुं फंड. गृहस्थो! दरेक कोम अने धर्मवाळा ज्यारे कोई पण कार्य देखादेखीए आरंभे छे, त्यारे तेमनो उत्साह पाणीना परपोटानी माफक घणोज उज्वळ देखातो होय छे, अने परपोटानी माफक थोडा वखतमां अदृश्य थतो देखाय छे; पण आपणा आरंभेलां कामोनां वावेलां बीजो सारी रीते उगी फळी फळ आपे, अने तेमनुं अन्य दर्शनीय अनुकरण करे अने धन्यवाद आपे. तेवां पगलां खरा संपथी, खानगी कजीआ अने खार, वैर होय तेनो बदलो अत्रे न लेतां, लेवानो इरादो पार पाडशे. ___'पंचकी लकडी और एकका बोज' ए कहेवतने ध्यानमा लई, खरा तन, मन, धनधी अने दया अने परोपकारबुद्धिए एकसंप करशो, तोज जे जे विषयो विचारवा अने पार पाडवा आपणे अत्रे एकठा थएला छीए, ते पार पाडशो. जेम शणना घणा झीणा तार- दोरडं करी, एक हाथी जेवा मोटा जानवरने एक नानो महावत बांधी शके छे, जेम एक रसी काष्टना भाराने बांधी राखे छे, जेम खरा प्रमाणिक अने विश्वासपात्र अने खरा अर्थमां लोकोनी हाजतोना हाकेम सर्व धर्मना लोकोने एकसंपी करी पोतानी खरी कथणी प्रमाणे रहेणीकरणीना दोरडाथी एकसंपी करी वश करे छे, तेम वगर डोळे, वगर ढोंगे अने खरा दिलथी संप राखी, आरंभेलां कार्यो एकदम पार पाडवाने न इच्छतां, रफते रफते एक पछी एकेक कापनो खरो पायो नांखी, ते मकान घणां वर्षो टके अने घणा वा वंटोळीआ आदिना तोफानो लागे तोपण लगार झुके अगर फाटे नहीं, तेवी वर्तणुकथी वर्त्तशो. जो 'एम करवाने तमे अशक्त हो तो बहेतर वात छे के, वधारे फजेतीमां उतरी अन्यदर्शनीयोनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२० ) नजरमां हलका पडी हंमेशनी टीकाने पात्र थशो नहीं, केमके भर्तृहरिए कहेलुं छे के 'बुद्धिशाळी पुरुषो कां तो कोई काम आरंभता नथी अने एक वखत आरंभे छे, तो तेनो छेडो लाबी सफळ करे छे'; तो ते प्रमाणे आपणे दरेक जणे वर्ततुं ए वधारे दुरस्त अने शोभामय न्छे. मारा दयाळु अने परोपकारी भाईओ ! आ वात तो निर्विवाद छे के दरेक आरंभेलां काम मात्र संपथी पार पडेलां छे, पार पडे छे अने पार पडशे; माटे खरो संप करी निराश न थतां तेवा संपरुपी वृक्षने जाथुकनी अल्प पण हंमेशां दरेक वर्षे दरेक माथादीठ अपाती रकमना जळधी सिंचन करवानी खास जरूर छे, अने आ जळरुपी अल्प रकमनी दरेक जैन खरी प्रतिज्ञाथी कबुलात आपे, तो कोईपण रीते तमारा काममां तमो पछाडी पडशो नहीं; अने धनाढ्य लोकोने वारेघडीए बधारे बोजारुप न थतां, वगर खलेले तमारा चर्चावेला वियो पार पाडी जैनोन्नति मेळवशो, अने अति चढीआती कोम तरीके ओळखायला छो, तेम ओळखाशो अने पुछाशो. अगाडीना काळना संप्रतिराजाना वखतना, तेमज विक्रमराजाना, तेमज जगडुशा शेठ, वस्तुपाळ, तेजपाळ, धनाशा, कुमारपाळ राजा, हरिभद्रसूरी अने छेलामां छेला उपाध्यायजी महाराजना वखतना श्रावकोनी जाहोजलाली, उदारता, जीवदया, समभाव, परोपकार, अने निराश्रित श्रावकोने पोताना जेवा धनाढ्य, दयावान अने परोपकारी करनारा श्रावको, हे भाईओ ! क्यां गया ? मात्र हाल तो तेमनां नामो रही गयां छे, मात्र हाल तो आपणे तेमना नामधी ओळखाईए छी. जेम नदीओ सुकाई सर्पाकारे रहेली छे, एम दुर्भाग्ये अने कर्मवशात् आजना श्रावकोनी स्थिति दरेक रीतिए जोतां, अति दयामणी अने निराधार थई पडेली छे; ते दूर करवा खरा तन, मन अने धनथी उपाडी देशो, के जेथी पुन्य उपार्जन करशो. हे बांधवो ! जैनोन्नति करवाने माटे खरा अल्पदाननी जरूर छे, आ अल्पदान कोईने पण भारे पडवानुं नथ, तेम पैसादार लोको पासे तमो, मागीने केटलं मागशो, अने आपशे तो तेओ केटली वखत आपशे अने ते क्यां सुधी चालशे, तेनो जरा ख्याल करो; अने तेत्रा आपनारा खरा सखी उदार दिल्वाळा धनाढ्य वगर माग्ये गुप्तदान तरीके, तेमज कीर्तिदान करनार तरीके केटला बहार पडशे, तेनो जरा धीरजथी ख्याल करो. जेओ मान तेमज नाम खातर बहार न पडतां खरा दिलथी जैनोत्कर्ष करवा चाहता होय, तेओ भले मोटी रकमोनी मदद करे. तेमने आपणे अंतःकरणथी धन्यवाद आपीशुं अने तेमनो ऊपकार मानीशुं; अने तेथी तेओ जरुर सारुं पुन्य उपार्जन करशे. आवी रीते एकठी थएली मोटी रकमोनुं पारसी कोमना फंडनी माफक, 'परोपकारी फंड ' नाम आपी एक फंड स्थापवुं अने तेनुं व्याज खर्चं. हवे आ अल्प रकम दरेक जप्प पुन्य माटे केवी रीते आपे, के जे कोईने पण भारे न पडे, तेनी योजना नीचे प्रणाणे छे: आखा भरतखंडमां वसता जैनभाईओ, ज्यां ज्यां वसता होय त्यांना एक बे विश्वासु, श्रद्धावान् प्रमाणिक अने आगेवान तरीके ओळखाता गृहस्थोए, आ काम जरा माथे उपाडी लई पार पाडवानुं छे. दरेक ईलाकावार, प्रांत, जिल्ला, तालुका शहेर अने गाम वार कमीटीओ स्थापी, त्यांना आगेवान गृहस्थो दर माणसदीठ अगर नोकरीवाळा दीठ, दरेक वर्षे एक. रुपीओ पुन्य अर्थे समस्त जैन सभाना आरंभेला कामो पार पाडवाना ईरादाथी, दरेक ईलाका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२१) मांथी आ रकम एकठी करी तेनी व्यवस्था सारी रीते थाय, ते माटे कायदासर नीमाएला संभावित गृहस्थोनी (डायरेक्टरोनी) एक बोर्ड स्थापी तेने मुंप्रत करवी, अने ते एकठी थएली रकम एक बे सरकारी बेन्कोमा जमे कराववी; अने जे जे विषय सारी रीते पार पडे, तेम तेम तेनी पाछळ रकमो ज्यां ज्यां जैनोनां मोटां स्थळो होय अने मोटो भाग तेनो लाभ लेई शकतो होय, त्यां त्यां आ खातांओ ऊघाडवाथी तेओ जरुर फतेह पामशे. शरूआतमा काम सराडे चढे तेने माटे महेनत अने थोडा पैसा खर्चवा पडशे, पण ते अगाडी जतां घणुं सुलभ थई पडशे, अने आवकना प्रमाणमा खर्च काई भारे पडवानुं नथी. छेल्ला वस्तीपत्रकना रीपोर्ट ऊपरथी एम मालुम पडे छे के, श्वेतांबर जैनो आशरे ८ लाख छ, अने तेमांथी छोकराओ बाद करतां जो दरेक जण दर वर्षे एक रुपीओ आपे, तो आ फंडमां जरुर दर वर्षे रुपीआ चार लाख थाय; अर्थात् कहेवान के दरेक माणसने दररोज अडधी पाई ऊपर जरा धर्म करवानुं पुन्य थाय, अने 'पंचकी लडकी ओर एकका बोज' ए कहेवत खरी पडे, अने अडधी पाईरुपी शणना रेसाओथी बनेलं दोरडु एक मोटा फंडरुप थाय, अने तेथी नि शंकपणे कोईने पण ताण कर्या वगर, कोईने पण नाराज कर्या वगर, कोईना पण तुच्छकार वगर, कोईने पण मननी मोटाईनी इर्षा पेदा कराव्या वगर, आ कॉन्फरन्से धारेला कामो पार पडे तेम छे अने आशा छे, के निरांते विचारी तेनो लाभ लेवा अने आपवा माटे एक अवाजे अने एकमते आ विचार पार पडे तेवो ठराव कराववा तत्पर थशो. धारेला आ विषयो पार पडवा एकाद मोटा फंड वगर घणुं मुस्केल छे ते जाणी निराश थवं नहीं जोईए. कारणके अडधी पाईना पुन्यथी मोटुं फंड थाय छे. आ प्रयास बरोबर २५ ) वर्ष चालु रहे, तो हमेशने माटे आ ठरावनां कामो बरोबर संगीन रीते पार पडे. पश्चिमना देशोमां धर्मनां कार्यो मात्र एक शीलींगना उघराणाथी शरु करे छे, ने तेमां लाखो रुपीआ आवी पडे छे. वळी हालना वखतमा मेहोमेडन कोमे केळवणी माटे एक रुपीआना उघराणानुं फंड शरु करी, लाखो रुपीआ उपजाव्या छे. आ वात अशक्य छ एम समजी, धनाढ्य, मध्यम अने कनिष्ट वर्गना लोको वगर विचार्ये आ विचार धिक्कारी काढशे नहीं, एवी मारी पूर्ण खात्री छे. जो आ ठराव हमेशने माटे अमलमां आवे, तोज आपणी आ महासभानी खरी फतेह अने जीत हमेशने माटे समजबी. आ अल्प पुन्यरुपी फंड थशे, तोज तमारो खरो पायो रोपायो समजजो. गृहस्थो! “Example is better than precept " 'कहेवा करतां करवं भलं,' ए इंग्रेजीमा एक कहेवत छे ते सघळा लोकोए सांभळी हशे. ए कहेवत प्रमाणे आपणे दरेक जणे पोताना घरनी कॉन्फरन्स करी, आ जे ठरावो सर्वानुमते कबुल करो छो तेमने पार पाडवा, खरा तन, मन अने धनथी यथाशक्तिए प्रयत्न करता जq जोईए; केमके नेपोलियन राजाना कहेवा प्रमाणे "अशक्य छे' एवा बोल मात्र कायरोना कोशमां मळे छे. ___ गया वर्षे फलोदीमां कॉन्फरन्स मळी हती, अने आजे मुंबईमां बीजी वखत मळी छे, तेने आज एक वर्ष वीती गयु, ते दरमीयानमा आखा भरतखंडना जैन शहेरोमांथी इलाकावार आ ठरावोमां आवी जतां कयां कयां कामो आरंभ्यां अने केटली स्थितिए अमलमां आव्यां, तेनो रीपोर्ट वहार पाडवानी खास जरुर छे; केमके एक रुपीआनी १६०० बदामो थाय, अने तेमांथी एक बदाम जेटलं पण काम अमलमां मूकायु होय, तो एम मानी शकाय के १६०० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२२) वर्षे पण आरंभेलां कामो पार पडशे. अत्रे मारा खरा दिलथी प्रार्थना छे के, आ ठरावो पार पाडवा भरतखंडमां अस्त थयेला शूरवीरो अन पुत्रो पाछा नवा उत्पन्न थाओ, अने अत्रे चर्चावेला विषयो पार पडो. आखर मारे कहे, पडे छे के, आ अल्पकाळस्थायी पदार्थोवाळी दुनियामां पैसो मेळवी तेनो उपयोग केवी रीते थाय छे, ते राजा भर्तृहरिना सन्मुख कविए कथलो छे, के जे श्लोक नीचे आपवामा आवे छे: दानं भोगो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥ अर्थात कहेवानु के. मेळवेला पैसानो उपयोग दान आपवाथी अथवा तो उपभोग भोगक्वाथी थाय छे, छतां बेमांथी एक उपयोगमां नहीं लेनार मनुष्यना पैसानी नाशरुप त्रीजी गति थाय छे. आ संबंधमां दानरुपी जे पैसानी पहेली गति कहेली छे, ते ग्रंथकारे बहज गंभीर ईरादाथी कहेली छे, केमके भोगमां वापरेला पैसाओथी आगामी काळमां कांईपण मुख मळतुं नथी, पण दानमां वापरेला पैसाथीज प्राणीनुं भविष्य सुधरे छे; माटे आ श्लोकमां दानरुपी गतिनो पहेलो व्यास करेलो छे. ___भाईओ अने वहेनो! हुं अत्रे एक धार्मीक उपदेशक तरीके डोळ घाली आपनी समक्ष धर्मोपदेश करतो नी, पण आ कॉन्फरन्सनी एकमेकनी दयादाझ जाणनार तरीके आपनो वखत झीधो छे; वास्ते आवत वर्षे आ ठरावो पाछा कागळोपर न जोतां केटलेक अंशे शरू थइ अमलमां आव्या छे, एवो रिपोर्ट बहार पडशे, एम मने आपनी तरफथी आशा अंने उमेद छे, एम कही आपनी रजा लउंछं. आ अति उपयोगी जोखमदार अने प्रौढ ठराव खरा दिलथी एके अवाजे वधावी लेशो, एवी मारी विनंती छे." --------- जामनगरवाळा मि. सांकळचंद नारणजी बी. ए. एल एल. बी. नुं भाषण. प्रमुख साहेब अने बंधुओ! हिंदुस्तानना दरेक भागमाथी आपणा धर्मवंधुआ अत्रे एकठा मळेला जोई मने अत्यानंद थाय छे, अने मारं हृदय हर्षथी उभराय छे. जैनलोकांनी ने जैनधर्मनी उन्नतिनो दिवस नजदीक छे. एम आजना मेळावडा उपरथी मने पूर्ण आशा थाय छे. आजे में जे विषय हाथ धर्यो छे ते जेन कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवा बावतनो छे. विषय बहुज महान् छे, अने सेिप्शन कमी-ए जे नव विषय पसंद करेला छे तेनो पण तमा समावेश थाय छे, एटले आ विषयनुं विवेचन करवाने घणो टाईम जोईए; तोपण जेटलो टाईम मने मळेलो छे ते दरमीयान मारी शक्ति प्रमाणे आप साहबो पासे ते विषय मूकीश. प्रथम जैन कॉन्फरन्सनो अ॒ उद्देश छे, ते आपणे रसेप्शन कमीटीना पत्र उपरथी वाकेफ थया छाए, के ते तथा जैनलोकोनी जैनधर्मनी उन्नति अने उद्धार करवानो छे. हवे जैनधर्मनी अने जैनोनी उन्नति केम थाय ए सवाल आपणी सन्मुख उभो छ. उन्नतिनो खरो आधार ऐक्यता छ जनसाधुओ अने श्रावकोमा ऐक्यतानी खास जरूर छ साधुओनी ऐक्यता थया सिवाय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२३) श्रावकोमा ऐक्यता ईच्छवी, ए रेती उपर मकान चणवा बराबर छे; माटे साधुओमां ऐक्यता अने संप वधारवानी खास जरूर छे. समुदायबल ए घणुं उत्तम बळ छे, ते आपणे सर्वे जाणीए छीए; "Union is strength" ए इंग्रेजी कहेवतनुं तात्पर्य पण एज छे. ऐक्यताथी बहारनी आफतोथी तेओ पोतानुं बळ जाळवी राखशे एटलुज नहीं, पण अंदरनी खटपट पण तेने असर करी शकशे नहीं. तेओमा ऐक्यता हशे तो श्रावकोमा ऐक्यता सहज आवशे, अने ऐक्यताथी महान् चमत्कारिक अने दैवी कार्यो थाय छे, ते आपणे सांभळीए छीए अने जोईए छीए; पछी साधुनी अने श्रावकोनी स्थिति सुधारवाने जे धाराओ घडशो, ते तरत अमलमा आवशे, अने आ कॉन्फरन्सनुं काम फतेहमंदीथी तरतज पार पडशे. जुओ, पालीताणामां साधु मुनिराज विषे कारखाना तरफथी केटलीवार धाराओ थया, पण ए अमलमां आव्या नहीं. पण जो साधुओमां ऐक्यता थाय, तो दरेक जातना धाराओ अमलमां आवी शके अने लांबा वखत सुधी टकी शके, माटे साधुओमां ऐक्यतानी खास जरुर छे. साधु मुनिराजोमां ऐक्यता अने संप करवानां घणां साधनो छे, तेमां तेओनी कॉन्फरन्स भरवी ए एक सारो उपाय नीवडशे. पालीताणा अने अमदावाद जेवां शहेरोमां तेओनी कॉन्फरन्स भरी शकाशे, अने तेथी तेओमा ऐक्यता अने संप पेदा थशे. हवे उन्नति माटे बीजां साधनो तरफ लक्ष फेरवीए. जैनधर्मनी अने जैन लोकोनी आगळनी अने हालनी स्थितिनी सरखामणी करी, अने हाल शुं शुं खामी छे, ते जाण्या पछी ते खामीओ दूर करवानां साधनो आपणे मेळवी शकीए. जैन लोकोनी स्थितिना वखतना में त्रण भाग पाड्या छे:-पूर्वकाळ, मध्यकाळ, अने हालनो काळ. 'श्रावक जैनोनो संघ' ए शब्दमां श्रावक, साधु अने साध्वीओनो समावेश थाय छे. आगला वखतमां एटले के तीर्थकरना वखतमा साधुओ अने श्रावकोनी शं स्थिति हती, ते उपर आपणे नजर फेरवीए. दाखला तरीके आपणा चरम तीर्थकर महावीरस्वामीना वखतमा साधुओ अने श्रावकोनी केवी स्थिति हती, ते उपरथी आपणने ते वखतनो ख्याल थशे. महावीरस्वामीना समयमा मुनिराजो पवित्र मनना, उंच विचारवाळा अने शुद्ध शास्त्रोक्त चारित्र पाळता हता; तेओ विद्वान्, सद्गुणी अने धर्ममां कुशळ हता, तेओ योग्य अधिकारीने दिक्षा आपता हता, ने योग्य अधिकारीने पदवी आपता हता, तेओ धर्माभ्यासमां, लोकोने बोध आपवामां, परमार्थमां, आत्मव्यवहारमा पोतानो काळ व्यतीत करता हता. हवे जुओ श्री महावीरस्वामीना चोथी पेढीए गणधरप्रभवा स्वामीना हजारो साधुओ शिष्यो हता, पण पोतानी गादी कोने सोंपवी तेनो विचार करतां एवा निश्चय उपर आव्या के, स्वयंभव करीने ब्राह्मण योग्य पुरुष छे एम धारी पोतानी पाटे तेने पदवी आपी. आ हकीकत शं सूचवे छे? धर्मनी उन्नति केम थाय, श्रावकोर्नु श्रेय केम थाय, साधुओर्नु कल्याण केम थाय, ते बाबत उपर मुख्य लक्ष राखी पोताना प्रिय, विनयी, गुणी, अने आज्ञांकित शिष्योने पोतानी गादी नहीं आपतां बीजो योग्य अधिकारी, के जे पोतानो शिष्य नहोतो तेने आपी; अने तेना शिष्योए मुंगे मोढे, पोताना गुरुनो हुकम माथे चडावी स्वयंभवने गुरु तरीके मान्या, अने तेनी आज्ञा पाळवा मंड्या. ते हकीकत उपरथी एम सिद्ध थाय छे के, तेओ सद्गुणी, विनयी, अने सुचारित्र पाळता; अने खटपटमां नहीं उतरतां पोताना आत्मकल्याणमां मच्या रहेता हता. हवे ते वखतना श्रावकोनी स्थिति शुं हती ते आपणे जोईए. आ स्थळे मारे कहे, जोईए के, साधुनी स्थितिनुं में प्रथम ब्यान कर्यु तेनुं मुख्य कारण ए छे के, जैनधर्मनी उन्न Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२४ ) तिनुं अने जैनोना धार्मिक अने व्यवहारिक उन्नतिनां बीजां कारणोमां साधुओनी स्थिति, साधुओर्नु वर्तन ए मुख्य कारण छे. जो साधुओ गुणी, सरळ, अने यथाविधि चारित्र पाळता होय, तो श्रावकोनी उन्नति थया विना कदी रहेज नहीं. ए बात तो बीन तकरारी छे के धर्मापदेशको पोताना श्रोताजनो उपर घणो काबु धरावे छे, अने जे सुधारो, जे उन्नति धर्मापदेशको एक पळवारमा सहेलाईथी करी शके छे, ते अन्य पुरुषो महा प्रयासे गमे तेवा विद्वान् , हुंशियार होय तोपण हजारो वर्ष सुधी करी शकता नथी. लोकोनी धर्म उपर एवी श्रद्धा होय छे अने धर्मगुरु तरफ एवं मान होय छे के, धर्मने खातर ने धर्मगुरुनी खातर पोतानुं तन, मन, अने धन अर्पण करे छे. प्राचीन अने अर्वाचीन इतिहास तरफ नजर करीए तो ते वातने पुष्टि मळे छे. रोमन केथोलीक धर्मने खातर अने पोपने खातर युरोपमा घणा लोकोए पोताना देहनो भोग आप्यो छे ए वात प्रसिद्ध छे. विलायतमां मेरी क्वीननो राज्य समय पण ए हकीकतने पुष्टि आपे छे. आपणा हिंदुस्तानमां वैष्णवना महाराजना लायबल केसथी आपणे जाणीए छीए के, महाराजो तरफ वैष्णवोनी केवी तीक्ष्ण ने डंडी लागणी होय छे, अने तेओनां वचन उपर पोतानुं सर्वस्व अर्पण करे छे. हवे हुँ तमने धर्मोपदेशकोनां वचनो उपर तेओना भक्तो अने श्रोताजनो, केटला वश ने आधीन होय छे, तेनो दाखलो आघु छु. मारा स्वदेशमा जामनगरमा जुवान पुरुषोना मृत्यु पाछळ खर्च न करवं, ते वाव्रतनी चर्चा उभी थई हती; अंने जुबानोना पाछळ जमवु ए लोहीना कोळीआ खाधा बराबर छे. विगेरे कारणो दर्शावी लोको पासे भाषणो करवामां आव्यां हता, पण तेनु कांई फळ आव्युं नहीं: पण ते समयमां पन्यासजी आनंदविजयजी त्यां पधार्या हता अने तेओना उपदेशथी त्रीस वर्षनानी अंदरनुं खर्च जमवा न जवू, एम घणाओए बंधी लीधी हती, जेथी धारेली नेम घणे दरज्जे अमलमां आवी. दाखला तो अनेक छे, पण आ बाबत तकरारी नथी एटले पुष्टिमां दाखलानी जरूर नथी. हुं आगळ कही गयो ते प्रमाणे महावीरस्वामीना वखतमां श्रावकोनी शुं स्थिति हती ते आपणे जोईए. तेओ धर्म अने व्यवहारमा कुशळ हता, जेना परिणाम तेओ राज्यमां, व्यापारमा अने दरेक बाबतमां अग्रेसर अने मुखी तथा संतोषी हता. आनंद श्रावक अने कामदेव श्रावकनी कथाी एम सिद्ध थाय छे, के तेओ शास्त्र प्रमाणे धर्म पाळता, तेओ सरल मनना अने गुरू प्रत्ये भक्तिवाळा हता, अने पोताना कुटुंबमां सलाहसंपथी वर्तता, तेओ पोताना बस चारसें माणसाना कुटुंब साथे रहेता, अने तेओ तेनुं घणी सारीरीत पोषण करता हता. बीजुं शास्त्रोमांथी जणाय छे के तेओ सार्थवाहनुं काम करता हता, एटले पोते मोटी मुसाफरी माटे जवाने तैयार थता, त्यारे सेंकडो वहाणो तैयार करावी पोताना धर्मबंधुओने पोताना काममा सामेल करी साथै लई जता अने मदद आपता; अने बीजाओने वगर नूरे या कमी नूरे प्रदेशमा धंधो करवा पोतानी जोडे तेडी जता, अने पोताथी बनती मदद करता हता; जेनुं परिणाम ए. आवतुं के लोकोमां आळस, अज्ञानता, कुसंप ने निर्धनताने बदले उद्योग, हुंशियारी, संप, अने समृद्धि वगेरे वधतां जतां हतां. साधुओनी पडती. आ वखत लांबा काळ सुधी चाल्यो, पण पाछळयी केटलाक कारणोने लीधे, साधुओ आचारथी भ्रष्ट थया, अने ज्ञानने बोजारूप गणी दुर्व्यसनमां गुंथाया. धर्मोपदेशकोनी दुर्दशाने जोईने श्रावको पोतानुं खटकर्म भूली गया अने पडती स्थितिमां आव्या. साधुओए पोतानो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२५) आचारविचार भूली जई, पोताना वेशनो लाभ लई, साधुपणाने एक धंधारुप बनाव्यो अने स्वार्थमा लुब्ध थई परमार्थ भूली गया, अने पोतानी सत्ता ने पोतानो परिवार केम वधे तेने माटे शास्त्र विरुद्ध हलका उपायो योजवा लाग्या, अने पोतानो परिवार वधारवाना हेतुथी, गरीब अने अज्ञान लोको पासेथी तेमनां बाळको गमे तेवी रीते लेवा लाग्या, अने धर्मनी आज्ञाओनुं उलंघन करी मंत्र, तंत्र, विगेरेमां लक्ष आपवा लाग्या, ने झाडाझपटो नाखवा लाग्या, अने गृहस्थनीज रीते वर्तवा लाग्या. आ ठेकाणे मारे जणावq जोईए के, जैनधर्मर्नु रहस्य एटलं बधुं सरस छे अने जैननी शैली एटली बधी सारी छे के, कोईपण विद्वान् जो निष्पक्षपातथी विचार करे तो आ धर्म अति उत्तम छे एम कह्या विना चालेज नहीं. आपणो जैनधर्म "एकस्ववीझीट" नथी, पण दरेक मनुष्य तेमां "ईनीशीयेट" थई शके छे ने तेनो लाभ लई शके छे. तेनां पुस्तकोना अभ्यास अने रटणथी माणसमां सहृदयता, सद्गुण, डहापण, भ्रातृभाव विगेरे गुणो आवे छे; पण कही गयेला मध्यमकाळना साधुओ तो ते पुस्तको वांचवाथी बेनसीब रह्या, एटले तेओनी तेवी स्थिति थई. ते वखतना साधुओ उपरथी आपणे श्रावकोनी स्थितिनी कल्पना करी शकवी सहेल छे. साधुओनो कुसंप तेओमां पेठो, साधुओ ज्यारे धर्मर्नु रहस्य भूली गया त्यारे तेओ धर्मरहित रहे, ए कांई नवाई नथी; कुसंप अने धर्मना अभावथी तेओनी स्थिति दुबळी थाय एमां कांई नवाई नथी. जे माणसमां धर्मबळ विशेष होय ते माणस आ दुनियामां जय पामे छे, ए महावाक्य खरेखरुं छे. नीतिरुपी नौकाथी वेनसीब माणस आ संसारसागर तरी शकतो नथी. आपणे अर्वाचीन ने प्राचीन इतिहास तरफ नजर करशं तो ए वात साची मालुम पडशे. ईजिप्तना राजा ज्यारे धर्मनेता अने राज्यनेता हता, त्यारे इजिप्तनु राज्य सारीरीते चालतुं हतुं, त्यारे प्रजा घणी धनवान, आवाद ने संतोषी हती. आरब लोकोए तेओना धर्मना जुस्साने लीधे घणा देश जीत्या, अने युरोपना केटलाक भागमां पण पोतानी सत्ता फेलावी हती. युनाईटेड स्टेट्स के जे हाल व्यापारमा, समृद्धिमां, केळवणीमां ने कारीगरीमा अग्रेसर छे, तेना स्थापनार धर्मना जुस्सावाळा अने पोताना धर्मनो बचाव करवा माटेज ते देश वसावनारा, थोडा घणा अंग्रेजोज छे. आ उपरथी एम जणाय छे के, जे माणसो पोतानो धर्म बराबर समजीने पाळे छे अने ते प्रमाणे वर्ते छे, तेओ आ दुनियामां जयने मेळवे छे, अने तेओ शं शं चमत्कारिक बाबत करी शकता नथी? हवे साधुओनी ने श्रावकोनी हालनी स्थिति तरफ नजर फेरवीए. सत्यविजय साधु. विक्रमनी सत्तरमी सदीमां सत्यविजय नामना साधु थया. साधुओनी अने जेने परिणामे श्रावकोनी दुर्दशा अने नबळी स्थिति जोई, साधुओने उंची स्थितिमा लाववा तेमणे महा प्रयास को. आचारहीन, स्वार्थी ने पैसाना लालचु साधुमांथी धर्ममां कुशळ, ज्ञानी, गुणी, अने सुचारित्र पाळवावाळा साधुओने ओळखवा माटे पीळां कपडां पहेरवानो धारो काढयो, अने आनी साथे साधुओनी स्थिति सुधारवा माटे घणा प्रशंसनीय प्रयत्न कर्या; पण चरित्र सुधारवा उपर तेस्रणे विशेष लक्ष आप्यु; कारणके ज्ञान ए शक्ति छे खरी, पण चारित्र वा सद्वर्तन ए विशेष शक्ति छे. ज्ञान होय पण हैयुं हेताळ न होय, हुंशियारी होय पण रुडां आचरण न होय, चतुराई होय पण बीजा तरफ सारी लागणी न होय, तो ते हुंशियारी, चतुराई, अने बुद्धि तेना सायना बीजा सद्गुण सिवाय जो के गमत आपे अने वखते बोधदायक थई पडे, तोपण २१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२६) त हजारो माणसनुं हृदय खेंची शकवाने समर्थ ना, अने तेमां भक्तिभाव पैदा करी शकतुं नथी. सत्यविजये खरेखर प्रशंसनीय प्रयास कर्यो, अने जेनुं फळ वणे दरजे सारं आव्यु. कुसंप तथा क्लेश, अने अज्ञानता के, जे दुर्दशानां मूळ हतां ते दाबी देवाने ते उपायो बरोवर समर्थ नहि होवाथी, साधुओनी स्थितिमां घणो सुधारो थयो, पण ते चिरंकाळ सुधी रहेशे एम कहेवाय नहि. हालना वखतमां मध्यम वखतना साधुओ अने श्रावकोनी स्थिति करतां कांईक सुधारो थयो छे, तेथी आपणे संतोष मानवानी जरूर नथी; पण घणा सुधारानी जरूर छे. जो के हाल केटलाक साधुओ, सरल हृदयना, पवित्र शास्त्रमा कुशळ,अने मुचारित्र पाळे छ, अने केटलाक श्रावको धर्ममां चुस्त, गुरु प्रत्ये अने स्वामीभाई प्रत्ये भक्तिवाळा, सद्गुणी, समद्धिवाळा, सुखी अने संतोपी छे, तेथी आपणे घणा मगरुर छीए; पण केटलाक साधुओ साधुनो वेश धारी उदरपुर्णा कर छे, जैन धर्म शुं छे ते समजता नथी, ममत्व राखीने मारूं तारुं गणे छे, ने शुद्ध चारित्र पाळता नथी ने धर्मने निंदारुप बनावे छे. केटलाक श्रावको पोतानो धर्माचार समजता नी, अन धर्ममां भ्रष्ट होय छे ने कुसंप कराववामां आनंद माने छे, अने जेने परिणाम तेओ गरीब स्थितिमां भटकी पोतानी जींदगीनो अंत लावे छे. हवे आ साध अने श्रावकोनी दुर्दशानुं कारण जाणी लईने तेनी खामीओ दूर करवी जोईए, के जे आ कॉन्फरन्सनो मुख्य हेतु छे. हवे मुख्य खामीओ नीचे प्रमाणे छे: १. हालना वखतमां केटलाक साधुओ पोतानो परिवार वधारवानी इच्छाथी, पोतानी वृद्धावस्थामां चाकरी करे तेवा इरादाथी कीशोर वयना बाळकने. जैनधर्मना मूळतत्व- काईपण ज्ञान छे के नहि तेनो तपास कर्या विना, साधुनुं काढण चारित्र पाळी शकवाने ते शक्तिवान ठे के नहि तेनी कसोटी कर्या सिवाय, अने संघनी अने थनार चेलानां माबाफ्नी परवानगी सिवाय उतावळथी दिक्षा आपी दे छे; जेनुं परिणाम ए आवे छे के ते माणस खांडाना वृतवाळु चारित्र पाळवाने असमर्थ होवाथी, साधुनो वेश उतारी संसारमा पडे छे अने धर्मनी निंदा करावे छे, अने जो की साधनो वेश राखे छे तो मात्र वेशधारीज रहे छे. ते शास्त्रनुं ज्ञान संपादन करी शकतो नथी ने साधुपणाने उदरपूर्णानुं साधन बनावे छे. आ अज्ञान अने वृतहीन वेशधारी साधुने केटलाक श्रावको अज्ञानताने लीधे वश थाय छे, जेने परिणामे अंदर अंदर श्रावकोमां पण क्लेश उत्पन्न थाय छे. २. पुस्तकोने माटे साधुओमां क्लेश थाय छे, जेथी साधुआनो संघाडामां भाग पडी जाय छे, जो के तेओ पैसा राखता नी, पण पैसा करतां पुस्तको तरफ विशेष ममत्व राखे छे. अने पोते वांचवाने समर्थ न होय, तेवां पुस्तको श्रावक पासे खरीद करावी पोते राखे छे, अने जोके ते पुस्तको उधई खाई जाय तोपण बीजा साधुओने वांचवा आपता नथी, ए खरेखर दिलगीरीनी वात छे. पोताना गुरुना मरण पारळ तेनां पुस्तको माटे तेना शिष्यो वढे छे, ते हकीकत एम बतावे, छे के, तेओ आपणा धर्मर्नु रहस्य समजता नथी, अन तेओ साधुनी दिक्षाने केवी रीते लायक.. थाय, ते आपणे समजी शकता नथी. साधुओ पुस्तकने नामे हालना वखतमां पैसा एकठा करे छ अने एक शराफने त्यां रखावे छे. ए पण वास्तविक नथी; एथी पण घणां माठां परिणाम नपिजे छे. साधुओ जोके तेओ त्यागी कहेवाय छे, माटे तेओए जोईतां उपकरणो राखवा जोईए, तेने बदले हालमां तेओ पोताथी उपडी न शके सेटलां बधां उपकरणो राखे छे. आव: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२७) साधुओ जेने पोतानी लालसा गई नथी, तेओ श्रावकनुं श्रेय शी रीते करी शके ? धर्मनी उन्नति शी रीते करी शके ? आ खामीओ दूर करवा माटे अमुक नियमोनी जरूर छे. दिक्षा आपवाने अधिकारी होय तोज दिक्षा आपवी. पंच प्रतिक्रमण, नवतत्व, दंडक, जीवविचार विगैरेनुं ते सारं ज्ञान धरावतो होय, तथा सुसाधु पासे छ मास सुधी रही साधुना व्रतनुं अनुकरण कर्यु होय, अने ते दिक्षा लेनारनां माबाप वा सगांवहालांए खुशीथी रजा आपी होय, अने संघे ते बाबतमां रजाआपी होय, अने पछी बडी धामधुमथी दिक्षा आपी होय, तो खरेखर धर्मनी उन्नति थाय अने निंदा करवानें कोईने कोई कारण मळे नहीं. दरेक गच्छना साधुओमां नायक १ थी २ जोईए, अने जो घणा नायक वा पन्यासजी होय छे, तो तेमांधी घणां माठां परिणाम आवे छे. योग्य, धर्ममां कुशळ, चारित्र पाळनार, ज्ञानी अने गुणी साधुने संघे पसंद करी तेने पन्यासपद आपवू, अने तेने ते बाबतनुं सर्टीफीकेट आप, जोईए, अने वेशधारी अने डोळघालु साधुओने दूर करवा माटे एवो बंदोबस्त थवो जोईए के, साधु धर्म रहस्य जाणे छ, सुचारित्र पाळे छे, त्यारेज तेने पन्यासजीए मोटी दिक्षा आपवी, अने ते बाबतनुं तेने सर्टीफीकेट आपवं. वेशधारी साधु धर्मनी निंदा करावे नहीं, माटे तेओने संतुष्ट राखवा, ए पण आपणी फरज छे. जेम कुमारपाळ राजाना वखतमां हेमाचार्ये लहिया अने लेखकोनुं काम तेओने सोप्यु हतुं, तेम ते प्रमाणे तेओने सोंपवू; अने वेशधारी सावुमां कोईपण साधु चारित्र पाळी शकतो न होय, पण सारं ज्ञान धरावतो होय, तो तेने जैनना बाळकोने धर्मोपदेश करवामां रोकवो. पुस्तकोनो संग्रह करवाथी जे साधुओमां क्लेश थाय छे, ते बहु नुकशानकारक छे, ते दूर करवानी खास जरूर छे. पुस्तको गृहस्थ पासे नहि रखावतां संघनी मालीकी ने संघना कबजामां होवाथी, तेने माटे तेना शिष्यो पाळी क्लेश करशे नहि. बनी शके तो आथी विशेष सारो उपाय ए छे के, दरेक मोटा शहरमां आपणा पुस्तकोनी लायब्रेरी राखवी, जेथी तेनो लाभ दरेक साधु लई शके. उपर प्रमाणे पुस्तकी थतो क्लेश एम सूचवे छे के, तेओ हजी धर्मर्नु रहस्य २रोबर समजता नथी, एटले तेओमां ममत्व होय छे अने तेओ धर्ममां गृहस्थथी वधारे चडेला होता नथी. पण में प्रथम जे उपाय साधुओने दिक्षा आपवामां अने तेओने सर्टीफीकेट आपवानी बताव्यो, तेनो बराबर अमल थाय, तोपछी आ खामीओ तेनी मेळेज दूर थई जाय. विशेषमा साधुओने भणवा माटे पालीताणा अने अमदावाद जेवां शहेरोमां शाळाओ स्थपाय, जेथी श्रावकोने पैसानो व्यय ओछो थाय अने साधुओने भणवानी सगवड थाय, अने थोडा वखतमां शास्त्रानु रहस्य जाणी शके, अने साधुना समुदायमा रहेवाथी सुचारित्र पाळी शके, अने समुदायथी जे लाभ थई शके ते मेळवी शके, एटले चर्चा करी धर्मर्नु रहस्य जाणी शके, विगेरे घणा फायदा साधुशाळा स्थापवाथी थशे. आ प्रमाणे साधुओनो उद्धार थशे तोज श्रावकोनी उन्नति थशे. साधुनी ऐक्यता एज श्रावकनी ऐक्यता. हालमां साधुओना कुसंपथीज श्रावकोमां कुसंप देखाय छे. जो साधुओ शास्त्रमा कुशळ, धर्ममां लीन, सद्गुणी अने सुचारित्रवाळा थशे, तो श्रावको धर्ममां रागवाळा, गुरु प्रत्ये भक्तिवाळा थशे जैने परिणामे व्यापारमा अने केळवणीमां अने सुख संपत्तिमां अग्रेसर थशे. आ सिवाय श्रावकोनी स्थिति सुधारवाना बीजा उपायोनो पण विचार करीए. गरीब अने अज्ञान श्रावको आपणने मालुम पडे छे, तेने विद्यादान देवं ए आपणी फरज छे, अने पैसाथी अने बीजी रीते मदद आपवी ए ठीक छे; पण पैसानी मदद आपवामां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२८ ) जोके आपणो सारो हेतु समायलो छे, पण लेनार माणसने विशेष हानिकारक थई पडे छे; कारणकं ते तेने आळसु अने निराधार बनावे छे, अने ते मागस जातमहेनत जे आपणा जीवननुं रहस्य छे, तेना फळ अने लाभधी बेनसीब रहे छे अने तेनामां स्वमान अने स्वतंत्रतानो नाश थाय छे. विद्यादान. माटे तेओने विद्यादान आपवुं एज अति उत्तम है, अने तेओने माटे मोटा शहरमां कळाभवनो स्थापत्रां जोईए, एटले तेओने गायनकळा, शील्पकळा, सुतारकाम, नेतरकाम, चित्रकळा, रंगवानुं काम, विगेरे शीखववां, जेथी तेओ स्वतंत्र बने ने पोताना कुटुंबनुं भरणपोपण करवाने शक्तिमान थाय; अने जे जैन श्रावको पोताना अभ्यासमां बहुज कुशळ मालुम पडे, तेना उत्तेजन माटे तेने स्कॉलरशीप आपवी. तेने उत्तेजन मळवाथी ते माणस बहु सारो प्रवास करी पोतानी तीव्र बुद्धिने तीव्रतर बनावशे, अने आबा स्कोलर्समांथी केटलाकने जैन साधुशाळाओमां, जैनशाळाओमां, जैन कन्याशाळा ओमां रोकवा, एटले डबल फायदो थाय. पोते श्रावक होईने, जैनधर्मना प्रीन्सीपल प्रमाणे धार्मिक अने व्यवहारिक केळवणी आपे, अने जैननो पैसो जैनमांज रहे. जे जैनो लूला, लंगडा, आंधळा अने वीजी रीते काम करवाने अशक्त होय, तेओने दरेक जैन श्रीमंते मदद आपत्री, ए तेनी फरज छे. श्रावकने मदद आपकी ए सुपात्रदान कहेवाय छे, माटे श्रीमंत जैनोए एक फंड करी तेओने मदद आपकी जोईए. समयने अनुसार दरेक श्रावके व्यवहारिक केळवणी देवी जोईए. हालना समयमां इंग्रेजी केळवणीनुं प्राबल्य तो इंग्रेजी केळवणी लेवी जोईए है. व्यवहारिक केळवणी ए धार्मिक केळवणीनुं पगथीयुं छे. व्यवहारिक केळवणीरुपी नीसरणीची आपणे धार्मिक केळवणीनी मेडीए चढी शकीए. माटे धर्मना हेतुथी पण खास जरुर है. धर्मना उद्धार माटे संपत्ति पण जरुर छे, अने ते संपत्ति व्यवहारिक केळवर्णाथी मळी शंक छे; माटे दरेक श्रावके व्यवहारिक केळवणी देवी अने वीजाने ते बातमां मदद आपकी, ते विषे उपर कहवाई गयुं छे. आजकाल जैनोमां केटलाक कारणने लइने धर्म विरुद्ध हानिकारक रीवाजो दाखल या छे, ते दूर करवानी जरुर छे. आपणा जैनोमां कन्याविक्रये क्यांक पेसारो कर्यो छे, ते रीवाज घणो हानिकारक छे, तेना फळ घणांज माठां छे. ते बाबतमां वधा सद्ग्रहस्थो मारी साथै मळता आवशो, कारणके ते काम एवं हलकुं छे के, पैसा लेनार माणसज चुपकीथी ले छे, ने जहेरातमां ना पांडे छे. ते हकीकत एम बतावे छे के ते रिवाज वणो हानिकारक छे ने तेना एटलां वधां माठां फळ छे, के जेने विपे कमां विवेचन आपीए. तोपण एक कलाक लागे; माटे दरेक समजु धर्मिष्ट जैने पोतानी सुकुमारं बाळाने पशु माफक बेचवी नहि, अने पैसाना लोभ माटे वृद्ध. रोगीष्ट, अयोग्य वरने आपदी नहि. हालमां जुवान वा वृद्धना मरण पछी खर्च करवानो रिवाज जैनोमां बहु वधी गयो छे, ते एटला सुधी के पैसा करजे कहाडी, घर गरिवी मेली आ हानिकारक रिवाजने वश थई कारज करे छे; जेनुं परिणाम ए आवे छे के, तेओ जींदगी सुधी दुर्बळ स्थितिमां रहेछे, माटे आ रिवाज बंध करो जोईए, अने श्रीमंतोए आवां नकामां खर्च नहि करतां, श्रावकोने विद्या - भ्यास कराववामां, स्कॉलरशीपो आपवामां पैसानो उपयोग करवो जोईए. बीजो हानिकारक रिवाज मरी गयेल माणस पाछळ बायडीओमां रङवाकूटवानो छे, ते आपणा शास्त्रथी विरुद्ध Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२९) छे. तेथी शरीरने नुकशान थाय छे, मनने खेद थाय छे, घणा नाना जीवोनो नाश थाय छे,. माटे धर्म उपर श्रद्धा राखी, आपणा धर्मनो रहस्य समजी श्रावकोए रडाकूट करवी जोईए नहि. जीर्णजैनमंदिरोद्धार करवो, ए दरेक श्रावकनी फरज छे. ए बावतमां बे मत थशे नहि, कारणके आपणा धर्म प्रमाणे नवा मंदिर करतां जीर्णउद्धार करवामां विशेष पुन्य छे. आपणा जैनमा केटलाक देरामां लाखो रुपीआ उछळे छे, तोपण केटलांक तो जीणस्थितिमां पडयां होय छे, ए खरेखर बेहद शोकजनक ने खेदकारक छे. जो के मंदिरो जुदां छे, पण वीतराग तो एकज छे, तो पछी एक देरानो पैसौ बीजा देरानो जीर्णोद्धार करवामां शा माटे वपरावो न जोईए, ते कई समजी शकातुं नथी. ते बाबतनो दोष देराना वहीवट करनार उपर मूकीए तो खोटुं नथी, माटे देराना उपरीओए जीर्णोद्धारमा पैसा आपवा तत्पर रहे, जोईए, अने ते बाततमां तेओए भोयणीजीनुं अनुकरण करवू जोईए. खरी दया ते शुं? "अहिंसा परमो धर्मः" ए आपणा धर्मनुं पवित्र अने महावाक्य छे. जैन धर्मने जीवदया धर्म एवं बीजुं नाम आपीए, तोपण चाली शके, माटे जीवदया पाळवी पळाववी ए खास जैनोनो धर्म छे. हालना वखतमां श्रावको घेटां, बकरी छोडाववामां लाखो रुपीआनो खरच करे छे ते घणुं प्रशंसनीय छे. आथी घणा फायदा छे, पण जीवदयाना काममां एक विघ्न आवे छे, ते ए के भरवाडो, कसाईओ, मोढे माग्या पैसा लेवाथी तेओने व्यापारमा मुडी थाय छे, अने बीजा जीवो खरीद करे छे; माटे सारो उपाय ए छे के आ बाबतमा हु आगळ कही गयो ते प्रमाणे, जैनवेशधारी साधुने तथा जैन स्कॉलरोने सारो पगार आपी, उपदेशको नीमी शहेरो अने देशेदेशमां ते विषे बोध आपवो, जेथी अन्य दर्शनीय लोको जीवहिंसा करतां अटके. आ बाबतमां मारे जणावq जोईए के, जामनगरना महाराजा जाम श्री जसाजी साहेब बहादुरे गादो उपर आवतांज धर्म प्रत्ये घणी सारी लागणी धरावी छे, अने एवो सरक्यलर काढ्यो छे के श्रावण मासमां, अने पजुसण पर्वमां, अने दरेक मासनी ११ अने अमासे एकला जामनगर शहेरमां नहि पण आखा जामनगर स्टेटमां पशुवध करवो नहीं अने घेटां वा बकरांने पानचरा थाय त्यांसुधी भरवाडे पाळवां, अने तेम न करे तो तेमने फोजदारी गुन्हा प्रमाणे तेओपर काम चलावी शिक्षा आपत्री; अने जामनगरनी हदमांथी कोईने गाय वेचाती आपवी नहि. माटे मारी नम्र अरज छे के जामसाहेबे जैन लोकोने घणी मदद करी छे. माटे आ हालनी जैन कॉन्फरन्से जामसाहेब उपर एक मानपत्र मोकलवू, अने जेमां तमे बधा गृहस्थो संमत थशो एवी आशा राखं छु. वळी आपणे भूली जq न जोईए के गोंडळ ठाकोरे पोताना राज्यमां पशुवध अटकावी आपणने आभारी कर्या छे, तेने पण मानपत्र आपq जोईए, एवी मारी खास भलामण छे. मास ऊपरना कहेबानो टुंक सार ए छे जे १. जैन धर्मनी अने जैनोनी उन्नति करवा माटे प्रथम साबुओनी ऐक्यता थवी जोईए अने तेओने माटे कॉन्फरन्स भराववी जोईए. २. दरेक गच्छमां एक वा बे पन्यासजी नीमवा जोईए ने तेओने सर्टीफीकेट मळवू जोईए. ३. साधुओनां पुस्तको संघनी पासे रहेवां जोईएअथवा तेने माटे लायब्रेरीओ थवी जोईए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३०) ४. श्रावको माटे जैन कळाभवनो खोलवां जोईए, अने लूला, लंगडा अने आंधळा माटे निराश्रित फंड थवां जोईए. ५. जीर्णोद्धार माटे बीजा पैसावाळां देराओमाथी पैसा वापरवा जोईए. ६. कन्याविक्रय, मरण पाछळ खर्च, रडवाकूटवाना चाल विगैरे बंध करवा जोईप. ७. जीवदया माटे उपदेशको नीमवा जोईए. में आ यथामति योजनाओ सूचवी छे, तेमां सुधारोवधारो करवानी जरूर छे, ते प्रमाणे मुधो करी अमलमां मूकाशे, तो आ जैन कॉन्फरन्सनो हेतु थोडा वखतमां सहेलथी पार पडशे. अने आपणा जैनोनी अने जैन धर्मनी थोडा वखतमां उन्नत स्थिति जोईशं." ऊपर प्रमाणे मी. सांकळचंदनुं अनुमोदन अपाई रह्या पछी, उपली दरखास्त मत लेता सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. उपली दरखास्तने लगता पसार करवामां आवेला परचुरण ठरावो. कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवाने लगती दरखास्तना संबंधमां, नीचे जणावेला वधु टरायो सर्वानुमते पसार करवामां आव्या हताः १ कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे मुंबई अथवा अमदावादमां जनरल सेक्रेटरी ओने अनुकुळ पडे त्यां हेड ऑफिस उघाडवी. २ जनरल सेक्रेटरीओ तरीके मी. गुलाबचंदजी ढवा. एम. ए. (जयपुर) तथा शेठ लालभाई दलपतभाई (अमदाबाद) उपरांत शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. (मुंबई) तथा बाबु राय कुमारासंग (कलकत्ता), एवी रीते चार गृहस्थोने मुकरर करवामां आवे छे. __३ जूदां जूदां मोटा शहेरोमां कॉन्फरन्स संबंधी हीलचाल शरु राखवा, तेमज तेना हेतुओ पार पाडवा माटे प्रोवीन्शीयल सेक्रेटरीओने वदले जरूर जणाय त्यां ऑनररी सेक्रेटरीओ नीमवानी सत्ता जनरल सेक्रेटरीओने आपवामां आवे छे. ४ हेड ऑफिसर्नु कामकाज चलाववामाटे पगारदार सेक्रेटरी विगेरे राखवा, तेमन कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे जे काई खर्च करवा योग्य जणाय, ते करवानी सत्ता जनरल सेक्रेटरीओने आपवामां आवे छे; तेमज कॉन्फरन्सनिभाव फंडमां थएली, तेमज हवे पछी थाय, ते रुपीआनी व्यवस्था करवानी संपूर्ण सत्ता तेमने आपवामां आवे छे.. ५ जनरल सेक्रेटरीओए जे जे कार्य करवा ते बहुमतीथी करवां अने कॉन्फरन्सनां हुदां जुदां खातांओ माटे थएलां फंडोनी मुडी, दरेक खाताना हेतुने अनुसरीने तेओए वापरबी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३१) तथा ते सघळां फंडोनी आवकजावकनो हिसाब आवती कॉन्फरन्स वखते तेओए कॉन्फरन्स समक्ष रजु करवो, एम ठराववामां आवे छे. ६. आवती त्रीजी कॉन्फरन्स श्री वडोदरामा भरवानु, त्यांना गृहस्थोना आमंत्रण उपरथी ठरावत्रामां आवे छे. ____७. कॉन्फरन्सनिभाव फंड जु९ राख, जोईए, अने तेना नियमो उपर प्रमाणे राखवा, तथा तेना ट्रस्टीओ तरीके जनरल सेक्रेटरीओने ठराववामां आवे छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३२) ठराव ८ मो. जैन डीरेक्टरी बाबत. १. आपणा जैन समुदायनी वस्ती केटली छे, २. जीन मंदिरो, ३. जीन प्रतिमा, ४. ज्ञान भंडारो, ५. पाठशाळाओ, ६. पूर्वाचायोप्रणीत ग्रंथो, ७. जैन सभा अन मंडळो केटलां छे, ते विगैरे आपणा जैन समुदाय संबंधी उपयोगी बाबतनी पुरती माहिती मेळववा माटे, तेवी विगतोथी भरपुर एक उपयोगी ग्रंथ (जैन डारेक्टरी) तैयार थवानी आ कॉन्फरन्स बहुज आवश्यकता विचारे छे. दरखास्त करनार-मि. भगुभाई फतेहचंद कारभारी.-अमदावाद. टेको आपनार-मि. माणेकचंदजी कोचर, बी. ए.-जबलपुर. अनुमोदन आपनार-शेठ सुजानमळजी ललवाणी.-जयपुर. मि. साकरचंद माणेकचंद घडीयाळी-मुंबई. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३३) अमदावादवाळा मी. भगुभाई फतेहचंद् कारभारीनुं भाषण. " प्रेसीडेन्ट, गृहस्थो अने सन्नारीओ! मारा हाथमा जे दरखास्त मूकवामां आवी छे, ते जैन डिरेक्टरीना संबंधमां छे. डीरेक्टरी शब्द अंग्रेजी भाषानो होवाथी, तेनो अर्थ आप पैकीना घणा खराओने कदाच मालुम नहीं होय. तेनो अर्थ वही जेवो थायछे. आपणे रोजना नामाने रोजवही कहीए छीए, हुंडीनी नोंधने हुंडीवही कहीए छीए, आवा जुदा जुदा चोपडाने अन्य वहीओथी ओळखीए छीए; तो आ डीरेक्टरीनो अर्थ नामवही जेवो थायछे. आपणे घेर ज्यारे कांई टाणुं आवेछे अगर एवो बीजो कोई प्रसंग आवेछे, त्यारे आपणे जुदे जुदे स्थळे कंकोत्रीओ लखीए छीए, अने आ कंकोत्रीओ क्यां लखवी तेनी नोंध, आपणा संबंधीओनी आपणे त्यां राखवामां आवती वही उपरथी मेळवीए छीए. आवीज रीते आपणे त्यां ज्यारे कांई धार्मिक कार्य, जेवू के देरासरमां प्रतिष्ठा, उजमणुं आदि होयछे, त्यारे आपणने जुदा जुदा गामना संघने कंकोत्रीओ लखवानी जरूर पडेछ; अने ते वखते क्या क्यां जैनलोक रहेछे, केटला जैनो छे, तेओ शुं धंधो करेछे, वगेरे जाणवानी आपणने जरूर पडेछे; पण आपणी पासे आवी खबर आपनार एक पण साधन नथी. वळी कोई कोईवार आपणने नवां देरासरोमां जैन प्रतिमानी प्रतिष्ठा करवा माटे प्रतिमाओनी पण जरूर पडेछे, अने तेनी खबर जाणवाना लोभमां एक स्थळेथी बीजे स्थळे आपणने भटक, पडेछे, अने ते माटे पुष्कळ खर्च करवो पडे छे. आवी कांईपण खबर आपनार नोंधनी गेरहाजरीमां आपणां जैनमंदिरो क्यां क्यों छे, ते कोणे बंधाव्यां, अने तेमां कया कया तीर्थकर भगवानोनी प्रतिमाओ कया वखतनी छे, तेवीं नोंधवाळा पुस्तकनी पण जरुर छे, अने तेनो समावेश आ डीरेक्टरीमा थवो जोईएछे. भाग्येज कोई गाम के शहेर एवं हशे के ज्यां ज्ञानखातुं नहीं होय. आवां ज्ञानखातांओ कोना ताबामां छे, ते क्यां छे, तेमां शुं शुं मुंडी छे, कयां कयां पुस्तको छे, वगेरे जाणवानी स्वाभाविक रीते दरेक जैनबंधु आकांक्षा राखे, अने तेथी आ डीरेक्टरीमां आपणा ज्ञानभंडारो संबंधीनी पण हकीकत दाखल थवानी जरूर छे. वळी हालना आपणा धर्मगुरुओना बोधथी अने बीजी अन्यकोमोनी देखादेखीथी आपणे ठेर ठेर पाठशाळाओ खोलीए छीए. आ पाठशाळाओ कोणे स्थापी, तेमां शुं फंड छे, फंड भरनारा कया कया गृहस्थो छे; पाठशाळामां कया कया मास्तरो छे, तेओ शी ज्ञातिना छे, तेमणे शी केळवणी लीधी छे, तेमने शो पगार मळेछे, तेमनी शुं उम्मर छे, निशाळमां केटला विद्यार्थीओ छे, तेमने शुं भणाववामां आवेछे, वगेरे पण जाणवानी जरुर छ; अने आवी खबर जो बीजाना जाणवामां होय, तो तेने नवी पाठशाळामां आवां धोरणो दाखल करवानुं सुगम पडे. तेमज कदाच कोईने कोई नवो मास्तर जोईए, तोपण आवी खबरपोथीथी मळी आवे; माटे पाठशाळाओ संबंधी तमाम हकीकत आमां दाखल करवानी खास जरुर छे. वळी हालमां छापकळा वधीछे. अगाऊ आपणा पूर्वाचार्यों ग्रंथ बनावता, पण मुद्रणकळानी गेरहाजरीमां आवा ग्रंथो लखाववामां आवता हता, अने मुसलमानी राज्यमा आवा ग्रंथोनो नाश थतो होवाथी आपणा अनेक ग्रंथोने भंडारी देवामां आव्या छे, तेमां केटलाक तो उधाईने वश थई नाश पाम्या छे; पण आपणा अनेक जैनबंधुओ काई गेरसमजथी, कांई अन्याडीपणाथी के बीजी काई वर्तणुकथी, आवा ग्रंथो आपता नथी, पण आवा ग्रंथोना २२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३४) भंडारो ज्यां ज्यां छे तेनी जो टीप थाय, तो आपणा ते ग्रंथो कया विषयना छे, केटला श्लोकना पुरना छे, तेना मूळ रचनार कोण छ, तेना उपर कोणे कोणे टीका करी छे, अने आवा ग्रंथोनी वध संख्या होय, तो ते ग्रंथ क्या क्यां छे ते पण आवी नोंधपोथीमां लखा, जोईए छे. वळी नवा जमानानी रीतभात जोई आपणे ठेर ठेर सभाओ अने मंडळो स्थापएि छीए, अने तेथी आवी सभाओ अने मंडळो क्या क्यां छे, तेना प्रेसीडन्टो कोण छे, तेना सेक्रेटरीओ कोण छे. तेमां केटला मेम्बरो छे, तेमां मेम्बरोना केटला वर्ग छे, दरेक वर्गवाळानी शी फी छे, अने आवा मंडळोना शा हेतु छे, ते बधु जाणवानी खास जरूर छे; अने तेथी आवी सभा अने मंडळोना हेवालनो पण आ पोथीमा समावेश थवानी जरूर छे. वळी आपणां ठेर ठेर धर्मादाखातां छे, आ खातांओना वहीवटदार कोण छे, आ खातांओना ताबामां कयां कयां फंडो छे, दरेक फंडनी मुंडी शुं छे, अने तेनी शी व्यवस्था थाय छे, ते हकीकत जाणवानी दरेक जैन बच्चानी फरज छे; अने तेथी आ जैनवहीमां आ बाबतनो पण समावेश थवानी जरुर छे. केटलाक एम पुछशे के आ केम थई शके ? पण ते करवामां जेम महेनत छे तेम थोडं खर्च पण छे. प्रथम तो आवी हकीकत मेळववा माटे ठामेठाम कागळो छपावी मोकलवा, अने तेमां आ तमाम बाबत संबंधी खुलासा मागवा; जेना जवाब आवी रह्या पछी आ तैयार करवा माटे एक अगर बे गृहस्थने अमुक पारितोषिक ठरावी काम सोपवू. आवं काम कमीटीने सोपवाथी कदी पार आववानो नथी. जे गृहस्थ के गहस्थोने आ काम सोंपवामां आवे तेनी साथे मुदत ठराववी, अने आम थवाथी आ कार्य पार पडशे. आ पोथीमां दरेकेदरेक गाममां वसता जैनोनां नाम लखवानी जरुर नथी, पण ते गाममां केटला जैन पुरुषो, स्त्रीओ, छोकराओ अने छोकरीओ छे?, तेमां केटला भणेला, भणता अने अभण, ते संख्याज आववी जोईए. तेमज मुख्य मुख्य आगेवान गृहस्थोनां तेमना धंधावार नामो तेमां दाखल करवा. आम थवाथी आपणी आ पोथी मोटी नहीं थाय, अने ते थोडा खर्चमां तैयार थशे. सिवाय जो ते दरवर्षे रु.१ के बेनी किम्मतमां बहार पाडवामां आवे, अने दरेक गामदीठ गामना प्रमाणमां तेनी प्रतो खरीदवामां आवे, तो आ नोंधपोथीनुं तमाम खर्च वसुल थवानो संभव छे. वळी केटलाक एम पण पूछशे के, आवी पोथीनो उपयोग शो ?, तो तेनो जवाब ए छे के आपणने आपणा जातभाईओनी तेथी खबर मळेछे; तेमां तेओनी स्थिति जाणवाथी आपणने कांई मदद करवानु मन थायछे, अने वळी विवाह आदिनी शोध माटे पुरतुं साधन मळेछे. टुंकामां आ पोथीनी किंमत एक खबर मळनाथी वळी जायछे. आवी डीरेकटरी तैयार करवा माटे अगाऊ मर्हम वीररत्न शेठ तलकचंद माणेकचंद जे. पी. तरफथी प्रयास थयो हतो. तेमणे केटलीक हकीकत एकठी करी हती, पण कमनसीबे एसोसिएशननी दुर्दशा थई, तेमज तेनो आत्मा गयो एटले काम एमने एम रह्यं. वळी हमणांज मारा मुरब्बी स्नेही श्री मोहनलाल मगनभाईए आ संबंधमां करेलो प्रयास मने बतान्यो छे, अने ते जोई मने एम लागे छे के, तेमनी महेनत जो डीरेक्टरी करवान ठरे तो कॉन्फरन्सने उपयोगी थई पडशे. आवी डीरेक्टरीनी जोके आपणी कोममा खोट छे, पण तळ मुंबईमाथी दर वर्षे पारसीओना संबंधमां झोरोस्टीयन केलेन्डर नीकळे छे. आ प्रयास जोके मि. जागोश नामना एक पारसी गृहस्थ करेछे, पण ते फतेहमंदीथी पार पड्योछे, अने एक रुपियानी किंमतमां दरेक पारसी गृहस्थ ते खरीदवा शक्तिवान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३५) थायछे. वळी टाईम्स ऑफ इन्डिया तरफथी जे डीरेक्टरी नोकळे छे, ते दश रुपियानी किंमतवाळी होवा छतां तेनी आ वर्षे बे आवृत्ति थई हती. तेमज बॉम्बे गेझेट ऑफीसमाथी 'मेकलीन्स गाईड टु बॉम्बे' नामनी पांच रुपियानी एक बुक पण दर वर्षे नीकळेछे. तेमज मद्रासमांथी लॉरेन्स एसायलम प्रेसमांथी आवीज एक छ रुपियानी बुक नीकळे छे. वळी कलकत्तामां बैंकर कंपनीमाथी दर वर्षे आखा हिंदुस्ताननी माहिती आपनार रु. २४ नी किम्मतनुं एक पुस्तक नीकळे छे. ज्यारे आम आवी मोटी किम्मतनां वार्षिक पुस्तको खपे छे, तो शुं आपणी डीरेक्टरी नहीं खपे? वळी हिंदुस्तानमांज आवां पोथां नीकळेछे तेम नथी, पण युरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलीआ, चाईना, जापान आदि देशोमां पण आवां पुस्तको नीकळे छे. तेमज धंधावार सेंकडो डीरेक्टरीओ नीकळे छे. त्यारे अफसोसनी बात छे के आपणी कोम तरफथी आवी कोईपण डीरेक्टरी नीकळती नथी. आथी हुं दरखास्त करुं छु केः-- १. आपणा जैन समुदायनी वस्ती केटली छे, २. जीन मंदिरो, ३. जीनप्रतिमा, ४. ज्ञानभंडारो, ५. पाठशाळाओ, ६. पूर्वाचार्योपणीत ग्रंथो, ७. जैन सभा अने मंडळो केटलां छे, ते विगैरे आपणा जैन समुदाय संबंधी उपयोगी बाबतनी पुरती माहिती मेळववा माटे, तेवी विगतोथी भरपुर एक उपयोगी ग्रंथ (डीरेक्टरी) तैयार थवानी आ कॉन्फरन्स बहुज आवश्यकता विचारे छे." जबलपुरवाळा मी. माणेकचंद कोचर बी. ए.र्नु हिंदी भाषामां भाषण. श्री वीतरागाय नमः "महरबान सभापति साहिब, प्रिय भाई और बहिनो! आप लोगोंके सन्मुख मेरे मित्र भगुभाई डायरैक्टरीके विषयपर कथन कर चुके हैं. मैं उन्हीके कथनको अनुमोदन कर ज्यादा बलिष्ट करनेके हेतु आप सज्जनोंकी सेवामें कुछ कहूंगा और आशा करता हूं कि आप ध्यानपूर्वक सुनेंगें. इस मंडपको विद्वानोंसे इस तरह शोभायमान देखके मुझे अतीही आनन्द होता है; और यह जानकर कि मुझे मंडपकी सेवा करनेके लिये अनुमति है, वह आनन्द बहुतही बढ़ गया है. मेरे लिये समय बहुतही थोडा है इस लिये मैं आप लोगोंको इसी आनन्दमें आनन्द करता और कराता छोड़के अपने विषयको लेता हूं. मेरा ख्याल है कि सभाके कुछ अग्रसर पुरुषोंके छोड़के बहुतसे भाई ऐसे होवेंगे और बहिनोंमें तो उनकी संख्या बहुत होगी, जिनको कि कॉनफरेन्समें आनेके पहिले सिर्फ यही ख्याल होगा कि जो कुछ स्वेताम्बर जैनी हैं वे सब हमारेही जातके है यानि गुजराती गुजरातियोंको और मारवाडी मारवाडियोंको समझते होवेंगे. फिर यदि हम इस बातको छोडके तीर्थस्थान और जैनधर्म पालनेवालोंकी संख्यापर आवे तो मालूम होगा कि इन बातोंके जाननेवाले पुरुष और स्त्रियोंकी संख्या घटती जाती है और यदि पढे लिखोंकी संख्या और उनके उद्योगके विषय पूछे तो जाननेवाले शायद औरही थोडे निकलेंगे और यदि और भी आगे बढे और मन्दिर व पाठशाला व पुस्तकालयके विषय प्रश्न करे तो शायद वह संख्या और भी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३६ ) न्यून हो जावेगी. और यदि फिर हम धर्मार्थ खातों के विषय पूंछें तो शायद कुछ संख्यामें और भी कमी पडेगी. आजकलकी हमारी दशा देखकर यह बिलकुल ठीक है. क्योंकि हम लोगोंमें नतो विद्याका जादा प्रचार है या न इन बातोंको जाननेका कोई जरिया है. पर मैं समझता हूं कि हम लोगोंको इस विद्याकी घोर निद्रामें सोते बहुत काल व्यतीत हो गया है और अब समय आगया है कि हम उठें. हमारे हिदुस्थान के सबही लोग जाग तो पडे हैं, कईएक हाथ मुंह धो रहे हैं और कई कपडे पाहरके तैयार है और कई सचमुच में खाना भी होगये हैं, तो क्या हम अभी तक सोतेही रहेंगे ? हरगिज नहीं यदि हम सबसे पीछे न रहना चाहे, क्योंकि यह समय ऐसा है कि जो पीछे रहा सो रहा ही, इस लिये भाइयो विद्याका प्रचार करो और एक ग्रंथ ऐसा तयार करो जिसमें कि अपने श्री महावीर वंशके पुरुषों स्त्रियों और बालकोंकी संख्या हो और उनमेंसे जो २ प्रसिद्ध २ सद्गृहस्थ होवें उनके नाम भी. हो. फिर प्रत्येक शहर व जिलेके जैन ग्रहस्थोंकी संख्या और उनमें जो प्रसिद्ध ग्रहस्थ हो उनमेंसे एक, दोके नाम भी रहें. उन शहरोंमें यदि मंदिर व पाठशाला व पुस्तकालय व धर्म फन्ड होवें वे भी दर्ज रहें. और फिर वहांपरके पढोंलिखोंकी संख्या और विद्यार्थियोंकी संख्या देना चाहिये. यदि वहां पर कोई प्रसिद्ध साधु व यति होवें तो उनका नाम भी दर्ज करना ठीक होगा. इन बातोंके अलावा तीर्थस्थान और उनको जानेका रास्ता और उनका मोका (Situation) भी देना चाहिये. यदि हो सके तो पुस्तकालयोंमें प्रसिद्ध पुस्तकें होवें, उनके नाम मय उनके रचने वालोंके नामके इस डायरेक्टरी में दर्ज किये जावे. ये सब कहदेना तो सहज मालुम पडता है, पर यह काम किस तरहसे किया जावें, यह तो सचमुच बडी कठिन बात है. मेरी समझ में यह बडी आसानी के साथ हो सकता है. यदि हम लोग अपने दिलसे कोशिश करें और अपने २ जिलेको कुल हाल जैसा कि दरकार है सभाको लिख भेजें या एक दूसरी रीतीसे याने सभाकी तरफसे जो सेक्रेटरी, प्राविन्शियल सेक्रेटरी, उनके असिटन्ट और वालन्टीयर सेक्रेटरी बनाये जावे वो लोग इन बातोंको सोधके सभाके मुख्य सेक्रेटरी को भेजें. अब यह सबतो हुबा पर कोई यह न कह बैठे कि यह सब तकलीफ उठानेका मतलब क्यों ? भाई इसमें बड़ा भारी मतलब है- पहिले तो अन्धकार का परदा दूर होवेगा. हम लोग अपने पूरे कुलको देख सकेंगें और सुधार और बढावकी युक्तियां भी निकाल सकेंगे. यानि हमारी उन्नति बहुत कुछ इसी बात पर मुनहसिर हैं, तो भला कहो यह कितने फायदे की बात है? मैं इसके बहुत से फायदों पर कुछ ज्यादा नहीं कहुंगा पर यह कहदेना बहुतही जरूर है कि इससे हम लोग जो कि हमारी अभी दशा है उसको अछी तरह से जान लेवेंगें और अपने बल, दल, और विद्यारत्नकी जो न्यूनता है उसको दूर करनेकी कोशिसें खोज निकालेंगे और यदि श्री वीतरागकी कृपा होवेगी तो जैनधर्म फिर उसी उच्च श्रेणिको प्राप्त होगा जैसे कि वह एक समयपर था. भाई और बहिनो ! इतना कहके मैं समाप्त करता हुं और इस विषयको आमलोगों के विचार के लिये छोडताहुं." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३७ ) जेपुरवाळा शेठ. सुजाणमलजीना हिंदी भाषणनो सार. हिंदनां जुदां जुदां मथको खाते केवी केवी जातना ज्ञानभंडारो छे, देवालयो छे, ते तेमज बीजी विगतो आपणी पासे होवानी घणी जरुर छे. तेवी विगतोनी गेरहाजरीमा हालमां केटलांक जैन मंदिरो तदन जीर्ण थई जई गरी पडेछे, तोपण तेनो कोई भाव पुछतुं नथी. जैन मंदिरोनी गमे तेटली गेरव्यवस्था थई जायछे, तोपण तेनी आपणने खबर पडती नथी, एटलंज नहीं पण तेवी गेरव्यवस्था वरसोनां वरसो सुधी चालुज रहेछे. आबा संजोगोने लीधे जैन डीरेकटरीनी घणीज जरूर छे. मि. साकरचंद माणेकचंद घडीयाळीनुं भाषण. “ महेरबान प्रमुख साहेब, जुदा जुदा संघो तरफना प्रतिनिधी साहेबो अने मारा सर्व जैन बांधवो! ___श्री जैन डीरेक्टरीना संबंधमां मि. भगुभाई फत्तेचंद तरफथी जे दरखास्त मुकवामां आवी छे, अने जे दरखास्तने जबलपुरवाळा मि. माणेकचंदजी बी. ए. तथा शेठ सुजाणमलजी ए टेको आप्यो छे, तेने अनुमोदन आपतां मने हर्ष उपजे छे. आ दरखास्त उपर एटलुं तो सारु विवेचन करवामां आव्युं छे, के वधु बोलवाने मारे माटे घणीज थोडी जग्या रही छे. बांधवो! श्री जैन डीरेकटरीना फायदा घणाज छे, ए आपणा ध्यानमां उतये हशे. आपणां पवित्र तीर्थोनी संख्या हिंदुस्तानमा केटली छे ते आपणे जाणता नथी, ए केटलु बधुं अफसोसकारक छे! घणीक जग्याओ एवी छे के ज्यां आपणां मंदिरो छतां, श्वेतांबर श्रावकोनी वस्ती त्यां न होवाथी, पूजा वगेरेमा घणीज अडचण पडे छे. घणांक मंदिरो एवी जग्याए छे के, जे जग्याओ जंगल जेवीज गणी शकाय, जोके जे वखते ते मंदिरो बंधाववामां आव्यां हशे, ते वखते तेमनी स्थिति घणीज आबाद हशे. एज रीते प्रतिमाओ तथा ज्ञानभंडारोनी हालत छे. आपणा शासननी उन्नतिना स्तंभ जेवां मंदिरो अने प्रतिमाओनी जो आ हालत छे, तो ते विषे शुं आपणे दोषित नथी? जो जैन डीरेक्टरी जेवू पुस्तक होय, तो आपणने खबर पडे के आ स्थळे आ रीतनो कारभार छे, अथवा तो कोई मंदिरनी व्यवस्था सारी रीते छ के केवी रीते छ, अथवा तो ते मंदिरना खर्च माटे शी व्यवस्था छे, वगेरे बाबतो आपणने मालुम पडवाथी, आपणी जाहोजलालीनां प्राचीन कामोने आपणे जाळवी शकीए अने आपणा धर्मनी उन्नति करी शकीए. तेज रीते ए जैन डीरेक्टरीमां अर्वाचीन वखतमां आपणा श्रावक, श्राविका, साधु, साध्वी, गोरजीओ, उपदेशको वगेरेनी केटली संख्या छे, ते पण दाखल करवाथी आपणा चतुर्विध संघनी नकी संख्या आपणा जाणवामां आवे; अने तेथी आपणी संख्या भूतकाळमां केटली वधी अथवा घटी छे, तेनुं तोल करी शकाय, अने भविष्यमां ते माटे योग्य उपायो योजी शकाय. ___वळी ए जैन डीरेक्टरीमा अर्वाचीन वखतमा आपणी पाठशाळाओ, जैन सभाओ, मंडळी विगैरेनी पण नोंध आपवामां आवे, तो तेनी माहितीथी पण घणां उत्तम कार्योमां आपणे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३८ ) अरसपरस मदद आपी शकीए. दरेक खातांओ केवी रीते चाले छे, तेनो दाखलो लई शकीए. ते खाताओ उपरथी आपणी वस्तीमां केळवणी केवी रीते वधेछे, अने तेमां केटलो वधारो करवानी जरूर छ, विगेरे बाबतो, के जेथी आपणी कोमनी अने धर्मनी उन्नति थई शके ते आपणने मालुम पडशे, अने भविष्यनी प्रजा माटे पण एक अमूल्य नोंध आपणे मुकी शकीशु. ____भाईओ। डीरेक्टरी बनाववानुं काम काई सहेर्नु नथी. ए काम पाछळ शरुआतमां तो मोटी रकम खर्चवानी जरुर पडशे; पण एक वखत ए काम शरु थया पछी, ते मुश्केल पडशे नहि. आटलां कारणोथी मी. भगुभाईए जे दरखास्त मुकीछे, तेने हुं वधु अनुमोदन आपुंछु अने आशा राख्छु के, तमो पण तेमां सामेल थशो." उपर प्रमाणे अनुमोदन मळ्या पछी, आ दरखास्त सर्वानुमते पसार थई हती, अने श्री जीनेंद्र भगवाननी जय बोलावी सभा आवती काल उपर मुलतवी राखी, सभाजनो विखरावा मांड्या हता. छपी लेवडाववा माटे प्रतिनिधीओने आमंत्रण. वीजे दिवसे सवारे साडा सात वागेथी अडधा अडधा कलाकने अंतरे, पंजाब, रजपु. ताना, मध्यहिंदुस्तान, काठीआवाड, दक्षिण अने सुरत अमदावादना प्रतिनिधीओने, फोटोग्राफ लेवडाववा सारं हाजर रहेवानुं जाहेर करवामां आव्यु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३९ ) चोथो दिवस. (गुजराती) आसो सुदी १ मंगलवार, ता. २२ सप्टेंबर. ठेरवेले वखते कान्फरन्सचें कार्य शरु करवामां आव्यु हतुं, अने ते थतां पहेलां नियमानुसार श्रीजैन मंगळ गायन समाजे नीचे प्रमाणे गायन साज साथे गायुं हतुंः बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स देवीनो विजय! (राग-धन्य धन्य दिन आज, धन्य तमारो-ताल दादरो.) विजय रंग! विजय रंग! देवी थाओ त्हारो, जग मही प्रसारी कीरती, अचळ नाम धारो. विजय-१ संप सुरभि द्यो वधारी, जनमन सुधारो, बुद्धिबळ कळ सकळ वाधे, नीकळे कुधारो. विजय-२ ऐक्य विण दुःख अब्धिमां, पडे. हजारो, हस्त ग्रही देवी सद्य, ते थकी उगारो. विजय-३ ऐक्य, धरम, करम, नीतिनो करे प्रसारो, अकल हीण मन न जाणे, शुं थतो लवारो. विजय-४ ऐक्यने प्रतापे पांडुना, विजय पोकारो, गाजी रह्या दशे दिश, कौरवनो संहारो. विजय-५ ताणतां तुटीज जाय, एक तंतु न्यारो, नव कदी तुटेज देवी, होय कदी भारो. विजय-६ जैन शासन द्रढता माटे, आज छे ईसारो, देवी! दैवी बळ दईने, अधगति उधारो. विजय-७ श्वेतांबरी जैनबंधु, हृदय क्लेश निवारो, आशिष दीयो मात जेथी, थाय अति वधारो. विजय-८ जीनवर करधर शिरपर, कष्टथी उगारो, देवदेवी रक्षा करी, शासन जय प्रसारो. विज य-९ कॉन्फरन्सना आगेवानोने विनंति ! (राह -एज) आज छे अतुल आनंद, श्वेतांबर जीन हारो. कॉन्फरन्स जयपताका, फरके आम भाळो. आज छे-१ राय बदादुर बद्रीदास, जैन कष्ट विदारो, वीर मुरति वीरचंदने उगारो. आज छे-२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आज छे-३ आज छे-४ आज छे–५ (१४०) शीखत्रो उद्योग जैनवाळने सुधारो, रंक स्थितिमांज तेनो, जाय छे जन्मारो. फकीरचंद फिकर राखो, बंधुता विचारो, कीरति शशीप्रभा समान, तेहने वधारो. जीनबंधुने दीयो तम, ज्ञान दान वारो, ईष्ट थाय द्रव्य मुक्ति, मळे श्रेयकारो. गुलाबपुष्प समान, सुगंधी प्रसारो, ढढा गुलाबचंदजी, ऐक्यखड्ग धारो. बखतावर सखी गृहस्थ, जीन सुखी विचारो, वखतावरमलजी मित्र, करो उदय पसारो. ऐक्यना प्रयासी पुर, अमर यशनो भारो, अमरचंद पी. परमार, परमार्थ गणो प्यारो. ऐक्य, दया, उत्तेजनना, ज्यहां नथी उपचारो, त्यहां सदा निवास करे, दरिद्रतानो भारो. महावीर श्री पार्श्वनाथ, तम उमंग वधारो, चिरायुष्यमान करी, जीनसमाज तारो. आज छे-६ आज छे-७ आज छे-८ आज छे-९ आज छे -१० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४१) ठराव ९ मो. हानिकारक रीतरिवाजो दूर करवा तथा भ्रातृभाव वधारवा बाबत. आधुनिक प्रचलित रीवाजो पैकी १. मरण पाछळ रडवू कुटवू, २. मरण पाछळ जमणवार, ३. बीजां खोटां फरज्यात खर्ची, ४. कन्याविक्रय, ५. अन्य शास्त्र प्रमाणे व्यवहारिक क्रिया करवामां आवे छे ते, ६. बाळलग्न अने वृद्धविवाह, ७. तथा आपणी कोमने अवनतिने रस्ते लई जनारा तेवा बीजा हानिकारक रीतरिवाजो, जे जे देशोमा चालता होय त्यां त्यां तेमने बनता प्रयासे सत्वर बंध करवा, तथा आपणा स्वधर्मी बंधुओमां वारंवार थतो कुसंप अटकावी, ऐक्य तथा विशेष भ्रातृभाव थाय तेवा संगीन उपायो योजवाने माटे, आ कॉन्फरन्स दरेक जैनबंधुनुं आ प्रसंगे विशेष ध्यान खेंचे छे. दरखास्त करनार-मी. अमरचंद पी. परमार.-मुंबई. टेको आपनार-मो. नथुभाई मछाचंद-महुवा-काठीआवाड. अनुमोदन आपनार-वकील छोटालाल कालीदास-अमदावाद. लाला छुन्नामलजी गुलेछा-सीवनी छापरा. वैद्य तलकचंद ताराचंद-सुरत. मी. दामोदर वापुसा-एवला. लाला सुभोमलजी-पंजाब. मी. मगनलाल गोविंदजी दलाल-अंबाच-सुरत. २३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४२) मि. अमरचंद पी. परमारनुं भाषण. गायन गवाई रह्या बाद मी. अमरचंद पी. परमारे हानिकारक रीतरिवाजो दूर करवा तथा भ्रातृ भाव वधारवा बाबत, नीचली दरखास्त रजु करी हती: आधुनिक प्रचलित रिवाजो पैकीः१. मरण पाछळ रड, कुटवू, २. मरण पाछळ जमणवार, ३. बीजां खोटां फरज्यात खर्ची, ४. कन्याविक्रय, ५. अन्य शास्त्र प्रमाणे व्यवहारिक क्रियाओ आदरवी, ६. बाळलग्न अने वृद्धविवाह. ७. तथा आपणी कोमने अवनतीने रस्ते लई जनारा तेवा बीजा हानिकारक रीतरिवाजो जे जे देशोमां चालता होय, त्यां त्यां तेमने बनता प्रयासे सत्वर बंध करवा, तथा आपणा स्वधर्मी बंधुओमां वारंवार थतो कुसंप अटकावीने, ऐक्य तथा विशेष भ्रातृभाव थाय तेवा संगिन उपायो योजवाने माटे, आ कॉन्फरन्स दरेक जैनबंधुनुं आ प्रसंगे विशेष ध्यान खेंचेछे. मी. अमरचंद पी. परमारे उपली दरखास्त छटादार हिंदुस्तानी भाषामां रजु करतां जणाव्युं केः 'जैनबंधुओ! आप जेवा सुज्ञ गृहस्थो आगळ मारा जेवो बाळक कंई कहे, ए मात्र एक मदोन्मत्त हाथीने सुतरना तांतणाथी बांधवा जेतुं छे. ___ एक जमानो एवो हतो के, ज्यारे आपणा पवित्र जैनधर्मना सिद्धांतोने अक्षरेअक्षर. मान अपाई ते मुजब वातुं हतुं, एक जमानो एवो हतो के, आपणा विद्वान् आचार्यों अने गुरुओंना बोलोने अमृत मानी आपणे वधावी लेता हता, एक जमानो एवो हतो के, श्री तीर्थकरोना वाक्य सिवाय सर्व मिथ्या मानवामां आवतुं हतुं, एक जमानो एवो हतो के ज्यारे एकज रीति, एकज रिवाज, अने धर्मनी आज्ञा प्रमाणेज ते रीति अने रिवाज बंधाई तेनुं वर्तन थतुं हतुं, अने एक जमानो एवो हतो के, प्रमाणिक, धार्मिक निष्टाथी वर्ती सर्वत्र भ्रातृभाव फेलाई दयामय सृष्टिज नजर आवती हती, त्यारे आजे जमानो एवो आव्यो छे के आपणे विद्याने अभावे, आपणा अनादि धर्मना उंडा सिद्धांतोने उंचा मुकी, अन्यदर्शनीयोनी सोबतमां मिथ्यात्वी बनी तेओना रीतरिवाजो प्रमाणे चालवा लाग्या छीए. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, आपणा गुरुओनी आज्ञा मानवाने बदले आपणी आज्ञा तेओ पासे मनावीए छीए. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, अश्रद्धारुपी अधंकारथी तीर्थकरोनी आज्ञानो अभाव थतो चाल्यो छे. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, ज्यां जोईए त्यां जुदी जुदी रीति तथा जुदा जुदा रिवाजो जोवामां आवे छे, अने कया धर्मने आधारे ते लई बेठा छे, तेनुं पण भान भूली बेठा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४३) छे; अने आजे जमानो एवो आव्यो छे के, प्रमाणिक निष्ठा नष्ट थई गई छे, अने भ्रातृभावने बदले ईर्षा, फिसीआरी, अभिमान, कुसंप अने स्वार्थ धारी बेठा छे. बंधुओ! ज्यारे आवो उलटोज जमानो आपणी दृष्टिगोचर थतो जोवामां आवे छे, त्यारेज आपणामां संसारिक. तेमज धार्मिक हानिकारक रीतरिवाजो, कांईक संगतिथी, काईक अज्ञानथी, कांईक प्रमादथी अने कांईक पोताना आराम माटे आपणे लई बेठा छीए. ए दुष्ट रिवाजो जुदी जुदी न्यातो अने जुदा जुदा देशोमां एटला जुदा जुदा छे के, जेनी संख्या- परिमाण थई शक नहीं; ए रिवाजो एटला बधा छे के देशदेशना जुदा, गामगामना जुदा, घर घरना जुदा, बलके एक एक मनुष्यना जुदा जुदा छे. हानिकारक धार्मिक रिवाजो. देखादेखी अने अज्ञानताथी आपणे मिथ्यात्व उपर उतरता चाल्या छीए. जैनधर्म प्रमाणे श्री वीतरागप्रणीत आज्ञा विना अन्य सर्व जंजाळ मानवामां आवी छे. सद्देव, सद्गुरु, अने सद्धर्मने अंगिकार करवानो जैनसिद्धान्त होवा छतां, अंरी हतनी भक्ती न करतां, खेतलाजी, भैरव, माता, शनीश्वरजी, शिवजी, पीरजी, विगेरे अनेक देवताओनी स्थापना अने श्रद्धापूर्वक पूजा करवामां आवे छे. दक्षिणमां बालाजीनी पूजा थाय छे, अने दर शुक्रवारे जैनोना घरोमां आरतीओ थई प्रसाद वहँचाय छे. पोताना घरमांज नहीं पण जैन मंदिरोमां तेओनी मूर्तिओ घुसाडी देवामां आवी छे, तप जप कराववा लाग्या छे, ब्रह्मभोजन मोक्षनु साधन मानवामां आवे छे, हाडकां अने राख गंगाजी लई जवामां आवे छे, पीरजीने मनाववाने बाधाओ लेवाय छे, अमुक देवनी आगळ बच्चांनी बाबरी उतराववानी बाधाओ रखाय छे. जैन देवताओने पण बाधा आखडीओ चढाववामां आवे छे. वळी होळी भूख्या रहे, बळेव पाळवी, ग्रहणसंबंधी पालन, शीळीपूजन, शनीवारो करी कथाओ सांभळवी, वगरे रिवाजो देखादेखी हजारोनी संख्यामां अज्ञान जैनोमां पाळवामां आवे छे. दोराओ कराववा, झाडुझपट नंखाववी, नजर बांधवी, मंत्रथी पुत्र थवानी ईच्छा राखवी,. भूतडाकणो मानवी, वगेरे कौतुको पण कंई ओछां जोवामां नथी आवतां. ए रिवाजो मरदो करतां स्त्रीवर्ग वधारे अज्ञान होवाथी, तेओमां वधारे प्रचलित जोवामां आवे छे, अने मरदोने स्त्री आगळ हाजी हा करवु पडे छे. ए रीवाजो शं छे, केवी रीते खोटा छे, ग्रहण शुं वस्तु छे, वगेरे विस्तारथी कहेतां बहु लंबाण थवाना भयथी कहेतो नथी. जैनोमां जैन शास्त्रनी विधी प्रमाणे सोळ संस्कार वर्णवेला छे. जेमके गर्भाधान, पुंसवन, जन्म, सूर्यचंद्र दर्शन, क्षीरासन, षष्टी पूजन, शूचिकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्णवेध, केशवपन, उपनयन, विद्यारंभ, विवाह, व्रतारोप, अने अंतकर्म. केटलाको एवो घमंड करे छे के जैनोमां संस्कार जेवू कशु नथी, अने तेओने वेद वगेरे उपरज आधार राखवो पडे छे. ए तो खरुं छे के जैनो ए सोळे संस्कार विसारी बेठा छे. सोळ संस्कारोनी शास्त्रोक्त. विधी छतां कोईपण संस्कार पूर्ण रीतिए करवामां आवतो नथी. क्यां छे सूर्यचंद्र दर्शन अने क्यां छे उपनयन? लग्ननी विधीमां तो बहुज अंधेर थई गयुं छे, ज्यां त्यां विप्र देवता मान्य थई रह्या छे. पहेला जमानामां श्री रुषभदेवना समयथी जैन विधिओ प्रचलित हती. मरहुम परम उपकारी मुनिराज श्री आत्मारामजी महाराजनो बनावेलो “तत्त्वनिर्णय प्रासाद" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४४) ग्रंथ जे में हमणांज प्रसिद्ध कर्यो छे, तेमां बहुज विस्तारथी जैनोना सोळ संस्कार, लग्ननी तमाम विधी तथा मंत्रो अने सूचना सहित लखवामां आव्या छे. वडोदराना मि. वैद्य, श्री शांति विजयजीए मानवधर्म संहितामां वगेरेए पण ते संस्कारो अने लग्न विधी विषे लख्युं छे. भावनगरना मि. कुंवरजी आणंदजी अने बीजाओए जैन विधीथी लग्न कराववा मांड्यां छे; अने देशकाळ अनुकुळ छे, तो आपणे अवश्य करीने ए सुधारो दाखल करवो जोईए. राजगोर तपोधन, रावळ आदि जैन ब्राह्मणो, भोजको, सेवको, कुळगुरु अने महात्माओ जेओना पोषणनो आधार मात्र जैनोपरज छे, तेओने ए विधीनुं शिक्षण आपी तेमांना मात्र पचीस जणने तैयार करो, तेओ बीजाओने तैयार करे, तेओने दस वीस.रुपीआनुं मुकरर ईनाम आपो. पास थयेलाओने सर्टीफीकेट आपी, तेओने अमुक लग्नना लागाओ बांधी आपो, तो आपणे सुधारीशुं. जैनविधी एक वार वांचवामां आवशे तो, दरेक धर्माध जैन अंगीकार को विना रहेशे नहीं. वळी बीजी पण क्रियाओ गणेशस्थापना आदिथी थाय छे. दिवाळीमां वहीपूजा, पंचमासी, दुकाननुं अने नवा घरनुं वास्तु वगेरे पण तमारा धर्मना फरमान विरुद्ध कराववामां आवेछे, अगरजो ए सर्वेनी विधीओ जेनशास्त्रमा छे. देखादेखी श्राद्ध करवू, सराव, नदीओमां नाही पवित्र थवू, वगेरे पण धर्मविरुद्धज आचरवामां आवे छे. आगळ कहेला, आ अने एवा बीजा अधार्मिक रिवाजोने सदंतर बंध पाडवा जोईए. मारूं कहे कोईपण अन्य दर्शनीयोनी गीला करवा माटे नथी, पण मात्र पोतानाज धर्मपर द्रढ थवाने आग्रह करवानुं छे, के जे सुज्ञ गृहस्थो अंगीकार करशे. (ताळीओ) संसारिक हानिकारक रिवाजो. जैनमत प्रमाणे धर्म शुद्ध रीते पळाई. आ लोक अने परलोक सुधरे एवी रीते संसारिक रीवाजो गोठवायला छे. धर्मनी पुष्टिने अर्थे संसार छे, नहीं के संसारनी पुष्टिने अर्थे धर्म, पोताना शोख अने गरजथी, ससंगतने अभावे अने अविद्याने लीधे, आपणामां रडकुंकुटवू, मरण पाछळ जमण, खोटां फरज्यात ख!, कन्याविक्रय, वाळलग्न, वृद्धविवाह, अने वीजा अनीतिने मार्गे दोरखनार अनेक हानिकारक रीवाजो घुसी गया छे. मरण पाछळ रड, कुटq. ए रीवाजे तो घर घाल्युं छे. मरण कर्मना उदयथी थाय छे. मृत्यु पाछळ कल्पांत करवाथी मरेलुं पाछु आवतुं नथी. पुरुषो मुडदूं लई जतां "राम बोलो भाई राम" कहे छे. ए कोई पण जैनशास्त्रमा छे ? मरदो बहार गामथी मृत्युनी पाछळ काण करवा अने रडवा आवे, त्यारे माथु कपडाथी ढांकी मोंढेथी नाहक "ओ ओ" करे छे. (अत्रे मि. परमारे पण माथे कपडूं नांखी "ओ ओ" करी बताव्यु, तेथी आखी कॉन्फरन्स हास्यमां पडी गई. ताळीओ) आंखमां आंसु न होवाथी मात्र ढोंगज करे छे; घर पहोंचतां पाणी लई खाली आंखे लगाडे छ, के बहु रोया. मरता पहेलांज रोगीने नवडावी, हजामत करावी, भीनी जमीनपर सुवाडी, अधमुओ करी नांखी, तेने आर्त ध्यानमा नांखी देवो ए कया जैन शास्त्रमा छे ? देखादेखी थता खोटा अनर्थोने छोडी, तमारा अनादि धर्मपर आवो. गुजरात, काठीआवाड वगेरे स्थळ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४५) स्त्रीओ जाहेर रस्ताओमां छडे चोक उभी रही, नहीं बताववानां अंगो खुल्ला राखी, कुटी कुटीने शरीरनी एटली खराबी करी नांखे छे, के घर गया पछी तेना धणीने शेक करवो पडे छे, अने, बाजे स्त्री मरण पामवाना अथवा क्षय थवाना दाखला घणा मळी आवे छे. स्त्रीने चोसठ कळामांथी गायननी एक कळा शीखवानी होय छे, ते कळा तेओ कुटवानी साथे राजीआ (मरशीआ)ना गायन गावामा पूर्ण करे छे. सो सो स्त्रीना टोळामां बे चार शूरवीर बनी, सामसामा हाथ उंचा करी तबलानी थाप छातीपर लई, जमीन धमधमावी नांखे छे, कपड़े कमरे बांधे छे, अने केटलीक काछडाओ पण वाळे छे. कुटवामां आगली सेंकडो वातोने याद अणावी, मृत्यु पामेलाना संबंधीओने दिलासो आपवाने बदले तेओना कारी घा ताजा करे छे.. पोताना पण मरी गएला सगाओने त्यां याद करी, दरेके दरेकने आगलां मृत्यु याद अणाववामां आवे छे. जे स्त्रीओ थोडुं कुटती होय तो शूरवीरो कहे छे के "आम शुं कुटो हाय हाय" कही जोरथी धबकारा मरावे छे. मारवाड वगेरे स्थळे रोवु अने विधवाए खुणामां बेसी रहेवानु, एकथी चार वर्ष सुधी पाळवामां आवे छे. काण महोकाणे जनारा एक वर्ष दीवस सुधी जाय छे, अने घरधणीओने काम धंधो छोडी घेरज रहे, पडे छे. गुजरातमां पण रोवाकुटवानुं एक वर्ष सुधी लंबाववामां आवे छे, ए रिवाज केटलो बधो धर्म विरुद्ध अने हानिकारक छ ? वळी स्त्रीओ रोज पाछली रातना चार वागे उठी मरेलाना पला लई उंचे स्वरे रुवेछे, के जेथी पाडपडोसीओ जागी उठी विक्राळता नजरे आवे छे, बलके काची छातीवाळा तो हबकी जई मरणनी चिंतामां पडेछे. मंदिर दर्शन करवा जवं, गुरु मुनिराज पासे धर्मश्रवण करवा जवानुं पण बबे वर्ष बंध करवामां आवेछे. जे स्त्रीयो ज्ञानमां समजवाथी रडवाकुटवामां भाग लेती नथी, तेनी ठेकडीओ करवामां आवे छे. आ बधा खोटा रिवाजो, नुं मूळ अज्ञानता छे. एवी अज्ञान स्त्रीओ कहे छे के अमारो नवराशनो वखत गाळवानो समय रडवाकुटवामां छे, ते पण तमो पुरुषो बंध कराववा निर्दयता वापरवा प्रयत्न करोछो. (ताळीओ) स्त्रीओमां रडवाकुटवानो प्रथमज पाठ आपवामां आवे छे. जे माता दीकरीने रडवानु अने कुटवानुं शीखवती नथी, तेने पुत्रीनी सासु तरफथी वगोवावु अने गाळो खावी पडेछे. पोते भणेली होय तो पुत्रीने सारं सारं शीखवी शके; पुत्री बिचारी माताना शिक्षण प्रमाणे वर्ती बाळकोने पण तेवू शिक्षणज आपे छे. एक पुरुष स्वच्छंदी हतो अने रोज वेश्याने त्यां जतो हतो; तेनी कुटेव छोडाववाने तेनी स्त्रीए ठपको आप्यो त्यारे पुरुषे खुल्ला दीलथी कही दीधुंके " ते वेश्या हावभाव करे छे, गायन गायछे अने वळी नाचे पण छे, अने तुं तो तेवू कशं करी मने रीझवती नथी." ते स्त्रीए का के "हुं पण तेम करीश, पण तमे बहार भटकवा जशो नहीं." ते स्त्रीये हावभाव करी गमे तेम रीझववानो रोज प्रयत्न करवा लागी. थोडाक दिवस पछी पुरुषे कह्यु के " तने कांई गातां अथवा नाचतां आवडतुं नथी, तेथी हुं तो जईश". ते स्त्रीए कह्यु के मारी माए मने गातां पण शीखव्युं छे, ते गाईने पण आपने तो राजी राखीश." पुरुषनो हुकम थवाथी ते स्त्रीए गावा मांडयु: तांबाकुंडी जले भरी मेली, नावणनी मस आवोरे, हाय राजवी हायरे हाय! ओम हाय हाय हाय. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४६ ) तेनी माता तेने एज शिक्षण प्रथमथी आप्युं हतुं. (आ कडी गाती वखते मी. परमारे भाव देखाडवाथी आखी सभा हर्ष घेली थई गई हती, अने ताळीओपर ताळीओ मारी शोर मची रह्यो . ) धन्य छे साधु मुनिराजोने, के तेओ पोताना विहारस्थानमां रडवा कुटवानो रिवाज बंध कराववा, अथवा अमुक दिवस सुधीज चालु रहे एवा सुधाराओ, पचखाण आपी बंध करवा लाग्या छे. वळी बीजा साधुओए पण आ वात जरुर लक्षमां लेवानी छे. केटलाक समजु जैन -गृहस्थी पोताने त्यां मरण नीपजतां, मळवा आवनाराना हाथमां माळाओ आपी देवानी जाहेर 'हिंमत बताववा लाग्या छे. सुधारो पोताना घरथीज शरु थत्रो जोईए. ज्यांसुधी न्यातवाळाओ अने आगेवानो -मनपर लेशे नहीं, त्यांसुधी कॉन्फरन्सना ठराव मात्र दफतरमांज रहेशे . अरे जैन बन्धुओ ! अज्ञानरुपी अंधकार दूर करो, तमारा धर्मना फरमानने मान आपो, अने आ लोक अने परलोकना बगाडाना बीजरूपी आ दुष्ट रिवाजने दूर करो . अत्रेथी सांभळीने जनारा डेलीगेटो पोताना गाममां जई ए सुधारो दाखल करो. एक मुश्केली ए नडशे के पुरुषोने स्त्रीयो आगळ लाचार बनवुं पडे छे, अने स्त्रीओना मगजमां ज्यांसुधी आ बाबत न उतरे, त्यांसुधी स्त्रीना संबंधनो आ सुधारो धवो जरा मुश्केल लागे छ; पण ज्यारे पुरुषो कॉन्फरन्स भरी आत्मकल्याण करवा तत्पर थाय छे, तो शुं स्त्रीओ एवी शूरवीर नथी के पोतानुं कल्याण न करे ? ( ताळीओ ) स्त्रीओमां शूरवीरता न होय तो तेओ साध्वी केम धाय ? तेओ धर्मध्यान केम करे छे? पुरुष करतां स्त्रीओ उपवास, वृत्त, नियम, दर्शन, प्रतिक्रमण वधारे करती जोवामां आवे छे; तो आपणी बेनोए आ सुधारो मरदोने पुछया वगरज दाखल करी, पोतानुं पोत बतावी आपवुं जोईए. कुटवानुं वर्षने बदले मास करो, मासने बदले १० दिवस, अने तेपरथी पण घटाडी एक दिवसनुं करी सदंतर काढी नांखो. एमज ए सुधारो धीमे पगे दाखल करवो जोईए, उतावळा बहु धवा करतां थोडे थोडे करी समजुतीथी दूर करवो. मरण पाछळ जमणवार. रडवाकुटवा करतां पण मृत्यु पामेलानी पाछळ मिष्टान्न उडाववां वळी वधु हानिकारक छे. कोई कुटुंबनो दस वीस वर्षनी उमरनो एकनो एक पुत्र तरत परणेली विधवाने मुकीने · मरी जाय, अने तेनी पाछळ बारमे दिवसे जमणवार कराववो, अने न्यातना आगेवान अने वृद्ध पुरुषोए कंठी ने कडां पहेरी हाथमां लोटा लई जमवा जनुं, ए बहुज हलकुं कार्य गणाय. अत्रे मारुं कहेवुं एम नथी के दरेक स्थळे आवो रिवाज होय छे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के मरणनी पाछळ त्रण टंक तो मिष्टान्न जमाडवुंज जोईए, पछी ते गमे तेटला दिवसमां करवामां आवे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के मुडदाने बाळवा जनारा खांधीआओने तो पहेलुं जमण आपकुंज पडे छे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के, मरी गयेलानी पाछळ जमण उपरांत बशेर बरफीनी टोपली घरदीठ वहेंचवी पडेछे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के केरीनी मोसममां मृत्युनी पाछळ पांच पांच केरी घरदीठ आपत्री पडे छे. वळी कोई स्थळे अजब जेवो रिवाज छे के मुडदा साथे जेने स्मशान पर लई जवामां आवे छे, त्यां मुडदु अडधुं वळी रह्या पछी लाडु, दाळभात, शाक वगेरेनी रसोई करी स्मशानमांज तेमने जमाडवा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४७ ) पडेछे. अफसोस ! मारवाडमां मरण पामेला संबंधीओने दिलासो आपवा दरेक गामथी मंडळो नीने जाय छे, तेने काण कछे. तेओने बेथी चार दिवस सुधी राखवामां आवे छे, अने रोटलीओ चोळीने अंदर शेर शेर बने शेर घी दरेकने रोजनुं खवडाववुं पडेछे. शियाळामां कोई मरेछे तो खुशी थायछे के शियाळानो खोराक थयो. बिचारा गरीब कुटुंबने पण एक मरण पाछळ आवा रडवा आवनाराओमांज सो सो रुपी आनुं घी खरच थई जायछे, अने न्याति जमण तो उभेलुंज होय छे. मारवाडीने कंजुस कहेवामां आवे छे, पण जो तेओ आखी जींदगी कर कसर न करे, तो मरणवखतना आवां खर्चे क्यांथी काढे ? बीजाओनी पेठे तेओने घरबार वेची करज काढी लाज राखवी पडे. मलीदा अने लाडु खाबा माटे त्यां एवो पण रिवाज प्रचलित थएलो जोवामां आवे छे, के कोईने त्यां लग्ननो प्रसंग आवे छे त्यारे न्यातीलाओने रजा आपवा माटे तेडवा पडे छे. ते न्यातीलाओ प्रथम मृत्यु पाछळनां चढेलां जमणो जमी अथवा ते माटे जामीनो लई, पछीज लग्ननी रजा आपे छे. मरणपाछळ जमण जमवा जवुं नहीं. काणे या रोवा जवुं तो पुरी हरकत वगर तेने त्यां `जमवुं नहीं. बार वृत्तधारीओ मरणनुं जमण केम जमता नथी ? कारणके तेम करवुं शास्त्रविरुद्ध छे. साधु मुनिराजोए पचखाण आपी अने न्यातवाळा ओए ठराव करी अने समजु जैनोए स्वयंमेव मरणपाछळ जमवुं अने जमाडवुं, ए रिवाज सदंतर बंध करावी धर्मभ्रष्टतामांथी बचाववा जोईए. बीजां खोटां फरज्यात खर्चा. " खोटां फरज्यात खर्चे-जेवांके अधरणी, बीजी जातनां जमणवारो, लग्ननी धामधुमनां अने -रौतरिवाजनां खर्चे, लग्नमां अमुक दिवसो तो न्यात जमाडवीज जोईए, वगेरे जे जे बाबतोमां जोईए त्यां. मलीदानीज वातो होय छे. मुनि श्री आत्मारामजी महाराजे ज्यारे भावनगर चोमासुं कर्यु, त्यारे अमुक गृहस्थने पर्युषण पर्व पुर्ण थतां पुउयु के कैम शुं हाल छे ! ते जवाब दीघो के " महाराज, शेरे शेर घीना लाडवानी वात नक्की करीने हमणांज आव्यां छं. आपणे जमणवारमां खुवार थता जईए छीए. दुष्काळना समयमां पण निराश्रित जैनो दुःखमां पीडाता होय, अने आपणे रोज न्यातमां माल उडावता होईए, ए बहुज अफसोसकारक छे. एक लग्न करवा जाय त्यां कन्याना बापने त्रणथी चार जमण करवां पडे, ए जुलमज कहेवाय. गरीब कुटुंबो ए खर्च सामे ज्यारे नभी शकता नथी, त्यारे कन्याना रुपीआ लेवानी तेओने फरज पडे छे. एक वार लीधा के फरी तेने टेव पडे छे. जो आपणे फरज्यात जमणो काढी नांखीए, तो घणा भाईओ तेथी सुखी थशे. मारवाड इलाकामां त्यांना दरबार अने महाराज सर प्रतापसिंगजीए कायदाओ बांधी फरज्यान जमणो बंध कर्या छे, अने वीस - माणसथी बधु जमाडवा ईच्छनारे दरबारनो परवानो मेळववो पडे छे. न्यातो ज्यांसुधी सारा धारा नहीं घडे, त्यांसुधी ए रिवाज बंध थवो कठिन छे. अघरणीनुं जमण जमवुं अने जमाडवु ए केयुं निर्लज छे. ए जमण जम्या पछी, ते स्त्री अने बाळक प्रसव वखते मरण पामतां आपणे सेंकडो दाखला जोईए छीए. वेशवाळ वखतनां, जुहार, मलणी वखतनां, सासरे पुत्रीने मोकलती वखतनां, वगेरे अनेक तरेहनां फरज्यात खर्चे काढी नांखवा जेवां छे. लग्नमां जबरीथी अने कीर्तिने खातर पण मारवाड वगेरे स्थळे भाटो अने सेवकोने हजारो रुपीआ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४८) आपवामां आवे छे, अगरजो विद्याफंड, निराश्रित फंड, जीर्णोद्धार वगेरे माटे एक पैसो पण जुदो काढवामां आवतो नथी. कन्याविक्रय. जैनोमां कन्याविक्रयनो रिवाज मोटा प्रमाणमां जोवामां आवतो नथी, पण केटलाएक गरीब गामोमां विशेष जोवामां आवे छे. बाप पोतानी पुत्रीने वेची तेना पैसा लेछ, अने कोईक स्थळे तो दसथी पंदर हजार रुपीआ लेवामां आवेछे. कसाई मांस वेचे या बकरुं वेचे, पण निर्दय माबापो तो पैसानी लालचे बेत्रण मणनो मनुण्यरुपी बकरो वेचेछे. कन्याविक्रय थवानुं मूळ कारण जोशो तो निर्धनता, अज्ञानता, देखारेखी करवू, अने ज्ञातोनां खोटां खर्ची छे. न्यातवाळा जमणो नहीं मागता होय, कंकुने कन्या देवा देता होय, दीकरीना पैसा खानार न्यातोमां बडेखांमां खपता बंध थाय अने तिरस्कार पामता होय, उपदेशो अपाता होय, अने समजु माणसो एवा अनीतिना पैसा लेवानुं बंध करे, तो कन्याविक्रय घणे दरजे बंध पडे. पण केटलीक जग्याए तो पुत्र जन्मतां दुःख समजवामां आवे छे, त्यारे कन्या पेदा थतां हुंडी आवेली मानवामां आवे छे. एक पुरुष पांचसो रुपीआ आपी परण्यो, तेने बे पुत्री थई, अने तेना रुपीआ पंदरसो खावाने लीधा. कोईक शख्से पुछयु के "भाई, धंधो केम चाले छे ?” पेलाए जवाव दीधो के "पांचसोको पंदरासो भयो, और माल अनामतको अनामत रह्यो,” मतलब मारी स्त्री तो हजु हयात छे. सुरत पासे एक गाममां हमणांज चाळीस हजार रुपीआ लई, एक जणे पोतानी पुत्री एक वृद्धने आपी छे. आपणी बाळाओने पैसानी लालचे ज्यां त्यां अपाती जोईए छीए. कहेवत छे के पुत्री अने गाय ज्यां आपे त्यां जाय. वर वृद्ध हो के काणो हो, बोखो हो के अणगढ हो, तोपण सुकुमार बाळाने तेनो हाथ पकडाववामां आवे छे, अने केटलीक वखत परण्या पछी एकाद महिनामां तेने विधवा थएली जोवामां आवे छे. माबापो कहे छे के "छोकरीनां नसीब, जुवान जोडे परणावी होत ने ते मरी जात, तो | करत ?" हाथे करी अंधारा कुवामां फेंकी देनारां माबापो! जरा मनुष्य देह अने परलोकनो विचार करो. पुत्रीओ कहे के अमने झेर केम आपता नथी? आवा खोटा अने दुष्ट चालथी अनीतिओ अने विधवाओ वधवानो बहु संभव रहे छे. केटलांएक देशी राज्यो तरफथी कन्याविक्रयने उत्तेजन आपवामां आवे छे. कारणके त्यां एवो कायदो होय छे, के दीकरीना पैसा खानारने लीधेली रकममांथी चोथाई राज्यमां आपवी पडे छे. वळी केटलीक न्यातोमां एवो अधम रिवाज छे, के गमे तेटलो धनवान होय तोपण वुआरने नामे अने मांडवा खर्चने नामे अमुक रकम वरवाळा पासेथी ले छे. कोई गरीब पण समजु माणस लेतो नथी, तो तेनी बुराईओ करवामां आवे छे, तेनी पासे वधारे जमणो मागवामां आवे छे, अने तेने हसीने फजेत करवामां आवे छे. लखपति पोतानी एकनी एक पुत्रीना लग्नमां सो बसो रुपीआ खावा न ले तो न चाले? पण खोटा रिवाजे घर घाली तेओने कलंकित कर्या छे. बाळलग्न. जैनोमां नानपणमा अने कोईकवार माना पेटमां होय छे, त्यारेज बाळकोनां वेशवाळ करवामां आवे छे. माबापोने एक प्रकारनी 'वेलछा आवे छे के आपणी प्रजानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४९) जोडायली नजरे जोईए. बजारमांथी एक हांडी खरीदवामां आवे छे, तो केटली चोकसी करवामां आवे छे, त्यारे जेनी साथे आखी जींदगीनी गांठ बांधवी होय छे, तेओ विषे कशी तपास करवामां आवती नथी; अने ए उतावळy फळ दंपतीना कजीआकंकासमां अने कुसंपमां आवतुं आपणा जोवामां आवे छे. बाळक ज्यारे परणे छे त्यारे लग्नने एक रमतगमत समजे छे. तेओ जाणता नथी के बंने बळदोए साथे जोडाईने संसाररुपा गाडूं सहीसलामत चलावी, धर्मना भागी बनी सद्गति रुपी स्थळे पहोंचवानुं छे. एक बळद नबळो होय तो गाडु सलामत पोहोंचे नहीं. बाळलग्नथी खरो स्नेह बंधातोज नथी. वळी वेशवाळ करती वखते वर अने वधुनी उमरमां कममां कम पांच छ वर्षनो फरक राखवो जोईए, ते न राखतां वर करतां वधुनी उमर बबे त्रण त्रण वर्ष जेटली वधारे जोवामां आवे छे. परणती वखते माबापोनी आंखो उघडे छे; ज्यारे कन्या उकरडा पेठे वधेली होय छे, अने वर ठीगुजी होय छे. आवां कजोडांओ आपणीज गफलतीथी थतां जोवामां आवे छे, अने तेथी अनीतिओ जन्म पामे छे. बाळलग्नथी आपणे कमजोर पड्या छीए. रजपुतो मटी मरकटीआ थया छे. धप्पो मार्यो तो धूळ उडी गई, वगैरे नबळाईनुं कारण बाळलग्न छे. अत्रे एम कह्या वगर चालतुं नथी, के जेम ब्राह्मणो अने बीजी न्यातोमां पांच पांच सात सात वर्षनी बाळाओने परणावी देवामां आवे छे, तेम जैनोमां थतुं नथी. कोई पण जैन अगीआर वर्षथी नानी उंमरनी बाळानां लग्न करता नथी, पण ए हद पण नानी गणाय. हालमां उलटी पद्धतिज जोवामां आवे छे. शहेर अने सुधरेला कुटुंबमां नानी उमरनी कन्याओने परणाववामां मान समजवामां आवे छे, त्यारे बिचारा गामडावाळा तेर वर्षनी उमरेज पोतानी पुत्रीओने परणावे छे. उंमरनी हद पुरुषनी अढार अने कन्यानी चौद होवी जोईए, अने ते जोडु सुखी थवा संभव होय छे. खरं बाळलग्न जैनोमां नथी; पण नानां लग्नो भविष्यमां थाय नहीं, नानी उंमरमां वेशवाळ करी कजोडांओ थाय छे ते थवा पामे नहीं, केळवणी सारी लई शके, वगेरे बाबतोनी आपणे संभाळ राखवी जोईए. वृद्धविवाह. वृद्धविवाहनो प्रचार वधवानुं मुख्य कारण कन्याविक्रय जोवामां आवे छे. जो कन्याओने पैसानी लालचे वेचवामां न आवे, तो माबापो स्वार्थरहित होवाथी पोतानी पुत्रीओ बुढाओने आपेज नहीं, अने बुढाओ हाथ घसताज रहे. मुछ अने वाळ काळा करी, हाथमां लाकडी लई, दांतोना चोकठां बेसाडी सीत्तेरथी एंसी वर्षनी उमरे परणता अने परणवानी होंस धरावता घणा मनुष्योने आपणे जोईए छीए. कन्याना पैसा कोई खावा लेतुं नथी, तो पुत्री धनवान थये, घरेणां गांठां पहेरशे, भीड पडे तेनो पैसो काम आवशे, एवा विचारथी पण बाळकीओने वृद्धो साथे आपवामां आवे छे. अज्ञानताने वश थवाथी तेओ एवं समजता नथी, के वरराजा तो स्मशाने जवानी तैयारी करी रह्या छे. सरखी उमर वगर संसार सुखी थतो नथी, अने एक बीजार्नु दील जोडाई खरो स्नेह बंधातो नथी. आपणा आगेवानोज वृद्धविवाहमां पडी बुढा काकाने परणावी पार उतारवामां, पोते मोटो वाघ मार्यो होय तेम वर्तता जोवामां आवछे. ___ चाळीस वर्षथी उपरनी उमरवाळाना लग्ननी रजा न्याते न आपवी. कन्याना पैसा लेवाय नहीं, अमुक उमरे लग्न करवां वगेरे रिवाजो न्यातोए बांधवा जोईए. चाळीस वर्षी २४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५०) वधु उमरना परणनारे मारवाडमां परवाना मेळववो पडे छे, तेम न्यातोना फरज्यात कायदा वगर आपणे आपणो संसार कदी सुधारी शकीशुं नहीं. बीजा हानिकारक रिवाजो. आगळ हुं जणावी गयो ते सिवाय पण बीजा घणा हानिकारक संसारिक रिवाजो जैनोमां प्रचलित छे, के जे सर्वथा बंध थवा जोईए; जेमके:-माबाप, सासुसासरा, भाई, स्वामी अने अन्य लोकोनी रुबरुमां भुंडां गीतो लग्न वखते गावामां आवेछे, जेने फटाणां कहछे. लाजने माटे तो घुमटो खेंचवामां आवे, अने तेज स्त्रीओना मुखमांथी अपशब्दो नीकळता जोई कयो नीतिमान पुरुष खेद नहीं करशे? स्त्रीओने पडदामां राखी आ दुनियाना संसर्ग अने धर्मकार्यथी दूर राखवानो रिवाज, अने हद उपरांत घुमटो कढाववानो रिवाज पण. आ जमानाने अनुसरीने बंध थवा जोईए. मुसलमानी राज्यना वखतमां गमे तेम हो पण जैनोमां एवा पडदा विषे कशुं छेज नहीं. अमुक धर्मक्रियाओ सजोडेज करवी, स्त्रीओए पूजा करवी, व्याख्यानमां जवं, धर्मक्रियाओमां जq वगेरे शुं बतावेछे ? मात्र एज के पडदानो रिवाज जैनोमां असलथी नथी. वळी ए रिवाज एटलो जोरमां चाले छे, के सासु अने नणंद साथे पण वहु मोंढे बोले नहीं, अने ईशारामांज वात करेछे एटलुज नहीं, पण पोताने पीएर पण आखी जींदगी सुधी जई शकती नथी. ___ एथी उलटुं स्वामी अने सासुससरानी वच्चे उघाडे माथे बेसी रही छडे चोक वातो करवी, के जेथी बेटीके वधु ओळखाय नहीं, ए रिवाज पण जैनोने अनुकुळ गणावो जाईए नहीं. __रसोईमां हरकोई वर्णनाने दाखल करवा, चामडाना पाणीनो उपयोग करवो, तमाम कपडां साथे जमवू, हिंसक वेपार करवा, कसाईने पैसा धीरवा, वगेरे खोटा रिवाजो जे जे स्थळे चालता होय, ते बंध करवा जोईए. ___ लग्नमां गजा उपरांत अथवा खोटी नामना माटे हद उपरांत खर्च करी मोटा मांडवा बांधवा, मोटा वरघोडाओ काढी पैसा उडाववा, लग्नमां अने दीवाळीमां धर्मशास्त्र विरुद्ध मानवामां आवेली हिंसक आतसबाजीओ फोडवी, खोटी रोशनी करवी, अने एवा एवा अवनतीने रस्ते लई जनारा घणा रिवाजो जोवामां आवे छे जेथी पैसानो धुमाडो उडे छे, अने धमेथी भ्रष्ट थवाय छे. __ लग्ननी अंदर पण अफीण गाळवां, भांग पीवी, साकर सोपारी वहेंची लढाईओ उभी करवी, बळदोने पराणी मारी लोहीलुहाण करी वरघोडाथी आगळ जवानी कोशीश करवी, सासुने गाडांपरथी उतारवां, एकी बेकी रमवी, कोरडा कोरडी मारवा वगेरे वाहीयात रिवाजो पण बंध थवा जोईए. मोटा मोटा घरनी स्त्रीओ लग्नमां हाथोना लटका करी, चालते वरघोडे चकले चकले नाची ढोलना ठेकापर पग उंचके छे, तेवा निर्लज रिवाज पण बंध थवा जोईए. ____वात वातमां स्त्रीओ छोकरीओने रांड कहे छ, मरदो स्त्रीओने गाळो दे छे, स्त्रीओ पण गाळो दे छे, ए अगरजो कोई बांबेला रिवाजो नथी पण देखादेखी साल घुसी गयु छ, अने तेवो दाखला बाळको शीखी मोटपणे गाळो देनाराज थाय छे. गुजराती सात चौपडी शीखेली Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५१ ) ..जैन स्त्रीओ, धणीने अने बच्चांओने गाळो देती सांभळी केळवणीनो दोष काढवानो नथी, पण बाळपणमां लीली माबापोनी शिक्षा अने संगतने दोष देवो घटे छे. } खोटा न्यातिबंधनना रिवाजने पण हानिकारक गणी दूर करवो जोईए. एकज न्यातमां पण कन्या लेवाय देवाय नहीं, अमुक गामनी कन्या लावीए पण दईए नहीं, अने अमुक सा बेसीने केम जमीए, वगेरे मिथ्याभिमानमां आपणे पडी कषाय करीए छीए. जैनोमां खरु जोतां तो एकज न्यात अने एकज धर्म छे, छतां रीतरिवाजो अने बीजां केटलांक कारणथी न्यातिनी भिन्नता थएली छे, तो ते जेम बने तेम ओछी थाय एवो उद्योग थवा जोईए. ओसवाळ, पोरवाड, श्रीमाली, अग्रवाल, पलीवाळ, भटेरा, नीमा, छाजेड, पांचा, खंडेळवाळ, लाडवा श्रीमाळी, साळवी, कणबी, भावसार वगेरे घणी न्यातो जोवामां आवे छे. ए न्यातोना बंधारणनुं स्वरुप वर्णवतां आपनो घणो समय जाय, तेथी एटलुंज कहेवानुं के एक गामनो ओसवाळ बीजा गामना ओसवाळनी कन्या लई अथवा दई शके नहीं, एवा खोटा रिवाजो दूर करवा पाटण वगेरे स्थळे वीसा ओसवाळ, पोरवाड अने वीसा श्रीमाळी एक एकमां लग्न करी शके छे, तेवो रीवाज बधे दाखल श्रवो जोईए. कोईकने कन्या मळती नथी, त्यारे कोईक न्यातमां कन्याओ उभराई जई ठेकाणां मळतां नथी. न्यातो आ सुधारो बहुज धीमे पगले करी शकरो, कारणके घणां वरसथी चालता आवेला रिवाजने बंध करवो ए मुशकेली मालुम पडे छे. जमणवारमां रस्तामां बेसी अशुद्ध भूमिपर जमनुं, पत्रावळी अने दडीआमां जमवु, जमतां एंठु मुकी सामानुं नुकसान करवुं, जमतां जमतां एंठे हाथे टोपलामांथी जमण लेवु, वधारे पीरसाई गयुं होय तो लईने मूळ जमणमां पालुं नांखवुं, भेगा बेसी जमवुं, पंगत वगर जमवुं, जमणवारमां अभक्ष वस्तुओं रांधवी, विदळनो विचार कर्या वगर भोजन आप, पाणी डुचकेथी पीवुं, वगेरे घणा कुरिवाजो जोवामां आवे छे, जे बनती त्वराए दूर करवा तरफ मंडं जोई. जैन शास्त्राधारे बंधायला वारसा अने दायभागना कायदाओ जे अर्हन् नीतिमां जोवाम 'आवे छे, ते रिवाजो दाखल करवा तरफ लक्ष दोडावनुं जोईए. एक स्त्री जीवती छतां बीजी स्त्री परणी पोतानो संसार बगाडवाना दाखला पण आपणा जोवामां आवे छे, माटे ए रिवाज पण दूर करवा लायक छे. i “शीयाळ खेंचे सीम भणी अने कुतरुं खेंचे गाम भणी" तेम बहुज जुना विचारना माणसो कहे छे, के घणा वखतथी चाल्यो आवेलो रिवाज शी रीते बंध करवो ? शुं रिवाज * दाखल करनारा घरडाओ पूर्ण मूर्ख हता ? नवा विचारवाला बधाज सुधाराओ एकदम दाखल करी देवा चहाय छे, ते केम बने ? घरडाओने बुद्धि वगरना कही केटलाक वगोववा तैयार थाय छे, पण याद राखवुं जोईए के घरडा वगर गाडी चालवानां नथी. कोई पण सुधारो आ.णे आपणा वृद्ध अने वडीलोने साथ रहीन करवा मांगीशुं तोज पार जशे तेओनी सलाह अने तेआना संपथीज आपणे जैन भाईओनी उन्नति करी शकी शुं. भ्रातृभाव. जैनोमां एकज विचार छे ते छतां, एक गामना संघमां चार फांटा, एक न्यातमांज जुदां ‘जुदां तड, सगो सगाने तोडवा मागे, भाई भाईथी मोंढे बोले नहीं, एका विवादो दूर करवा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५२) जोईए. फलाणा भाई बोल्या तेने तो तोडीज पाडवा, फलाणाने त्यांनो वरो बगड्यो नहीं, वगैरे आर्तध्यानमां बीजानुं बगाडवानेज तत्पर थई बेस, एभवोभव दुःखी थवानी निशानी छे. सुतरना एक तारथी कशुं वळतुं नथी, पण सो तार एकठा थाय तो आखी स्टीमर घसडी शके छे, तेवीज रीते तमो संप करशो तो तमारी जाति अने धर्मनी, अने ते रीते तमारी, तमारी प्रजानी अने तमारा आत्मानी पण उन्नति करी शकशो. जैन शास्त्र प्रमाणे सर्व प्राणी, सर्वे मनुष्य प्रत्ये पोतानुज कुटुंब समजी भ्रातृभाव राखवो जोईए, तेओने दुःखमां मदद करवी जोईए, हीनदीनने तमोए कीधेली सकमाईनो हिस्सो आपवो जोईए, तमारा पोताना जातिभाईओ धंधा वगर खडे छे, तेओने आश्रय आपो, विद्याना अभिलाषीओने विद्यादान आपो, रोगीओने औषध आपो, अने ए रीते भ्रातृभावनी लागणी प्रदर्शित करो. ____ आपणे ईच्छीशुं के में मारा भाषणमां जे कंई कयुं छे, तेनी सारी असर थएली तो त्यारेज गणाशे, के देशमां गया पछी डेलीगेटो श्री संघ एकठो करी ज्यारे कॉन्फरन्सनो हेवाल रजु करो त्यारे आपणामां चालता कुरिवाजोने, खोटां खर्चाने अने मृत्यु पाछळनां जमणोने दूर करवा माटे आग्रह करी, न्युसपेपरद्वारा तेमज कॉन्फरन्सने पत्रद्वारा ते बंध करवाना समाचार पहोंचाडबा कृपा करशो, तो कॉन्फरन्सनी पवित्र सेवा आपे बजावेली कहेवाशे. ए काममां ढील न राखतां जे पहेलो ते वहेलो ते प्रमाणे थर्बु जोईए. बंधुओ! अने बहेनो! आ कॉन्फरन्से जे शरुआत करी छे, अने ए उगता सूर्यने जे आनंदथी आप चार दिवसथी वधावतां आव्यां छो, ते मुजब तेनी प्रत्येनो प्रेम वधारतों रहो. कॉन्फरन्सनी सुचना ते हमारे माटे आज्ञारूप छे, कॉन्फरन्सनो ठराव ते अमारा आचार्योनी आज्ञा समान छे, कॉन्फरन्सपर जरा विघ्न आवे तो ते दूर करवाने, जेम आपणी बिमारी वखते डॉक्टरनी दोडादोडी करवामां आवेछे तेम करो, कॉन्फरन्सपर कटाक्ष करनार तमारो कट्टो शत्रु छे एम समजो, अन कॉन्फरन्स एज जैनोनुं जीवन, एज जैनोदयतुं पहेलं पगथीयुं, एज अंधकार दूर करनारु कीरण, एज संसारसमुद्र पार करनारी नौका, अने एज आपणुं तन, मन, धन, जान, माल सवस्व छे एम समजो, वरतो, वर्तावो, समजावो, रोमेरोम अंगेअंग प्रवर्तावो, खरा रंगथी रंगाओ, धर्मनाज निशामां अंधाधुंध थाओ, के जेथी आपणा पवित्र अनादि जैन धर्मनो डंको चार खुंट वागी, ए धर्मना तमाम अनुयायीनुं आ लोक अने परलोक पण सुधरी, यावत् मोसना भागी थाय! तथास्तु ! " ( ताळीओ चालु ) ( मी. परमारने बे वखत मळी आशरे बार मीनीट वधारे, आपवामां आवी हती, के जेमा तेओ पोतानो विषय संपूर्ण करे.) प्रो. नथु मंछाचंदनुं भाषण. " महेरबान प्रमुख साहेब, मारा व्हाला जैन भाईओ तथा नेक बहेनो! तमारी सामे मी. अमरचंड पी. परपरे रजु करेली दरखास्तने हुं कांई एकलोज टेको आपतो नथी, परंतु आखी जैन कोम तेने दीलोजानीथी टेको अपे छे. आपणी कोमर्नु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५३) भलं करवा जे जे सवालो तमारी समक्ष रजु करवामां आव्या छे, तेना करतां आ सवाल वधारे अगत्यतावाळो तथा गंभीर छे. संसारसुधारामां जे कोम पछात छे, ते कदी पण राजकीय सुधारावधारामां आगळ पडतो भाग लई शकती नथी. जे संसारी माठी राहरसमोए देश- सत्यानाश वाळ्यु छे, ते विषय उपर फक्त दस के पंदर मीनीट बोलवा छुट मळे ते बहुज ओछी छे. थोडीक बाबतो उपर हुं मुख्य बोलवा मागुं छु; जो जैनो जीव दयानो दावो करता होय, तो तेओनी समक्ष जे भयंकर पापो पसार थई जाय छे, ते जलदीथी दुर करवां जोइए छे. आपणे दुनियामां दयानो मोटो दावो करनाराओ दीकरीओने बजारमा वेचीए छीए. एक नव वर्षनी बाळकी जे भविष्यमां माता थनार छे, तेने एक जैन बाप बजार वच्चे लीलाम करी वधारे पैसा आपनारने स्वाधीन करे छे. दीकरीना हजारो रुपीआ लई आंधळा, लूला, लंगडा अथवा वरडा पुरुषने मरती वखते ते बापडी निर्दोष बाळकी साथे परणावी देवामां आवे छे. आ कमनसीब बाळाओ के जेना बदलामां तेणीना पिताने हजारो रुपीआ मळेला होय छे, ते ज्यारे आवी निराधार रंडायली स्थितिमा पोताने त्यां पाछी आवे छे, त्यारे तेज मातपिता तेणीनी तरफ तिरस्कारनी नजरथी जोय छे. पोताना कुटुंबमां कोईपण शुभ अवसर आवे छे, त्यारे ते कमनसीब पुत्री जरा पण भाग लई शकती नथी; एटलुज बस नथी परंतु पोताना भरणपोषणने भाटे दळणां दळीने ते बिचारीने पुरुं करवू पडे छे. आवां दयाहीन माबापोने जेटलो तिरस्कार आपवामां आवे तेटलो ओछो छे. छेली वस्तीपत्रकना रिपोर्ट उपरथी जणाय छे, के आखा हिंदुस्तानमां जैनोमां सौथी वधारे विधवाओ छे. पांजरापोळ विगेरे स्थापनारा मारा दयाळु जैनभाईओ! तमो जेम नानां पक्षीओ बचाक्वाने जीव आपो छो, तेम तमारी निर्दोष कुमारिकाओना भलाने माटे कांई भगीरथ प्रयत्न करो. भाईओ! खरा जीगरथी आपणे देरामां भावना करीए छीए; परंतु एक दयाहीनपणानुं आपणुं बीजं काम, आपणी वहु दीकरीओनी पासेथी तेना मरण पथारीए पडेला स्वामीनी हाजरीमां तेनां घरेणां उतरावी लेवानुं छे. तेनो वर कदाच आखा कुटुंबनुं भरणपोषण करतो होय, तोपण ते उपकारनी लागणी सदंतर भूली जई आईं अघोर पाप करतां आपणा केटलाक भाइओ डरता नथी. तेनी पेटीनी कुंची पण छीनवी लेवामां आवे छे, अने तेणीने निराधार करी मुकवामां आवे छे. आवी कमनसीब दया उपजावे तेवी स्त्रीओ माटे जो तमो दयानो खरो उपयोग नहि करो, तो पछी क्यारे करशो? बाळलग्ननो रिवाज घणो हानिकारक छे. जैनो! एक काचु शाक तमो खाता नधी, तेम छतां तमो काची वयनां तमारां बाळकोने परणावी दो छो; तो तमारा जेवा मूर्ख बीजा कोण कहेवाय ? काचुं नकामु छे एम तमो कहोछो, तो जे बाळकोए केळवणी नथी लीधी अने जे बधी वाते काचा छे, तेओने परणावीने तेनी भविष्यनी जींदगी तमो धूळ करो छो. जे बाळको तमारा खोळामां व्हालथी रमवा योग्य छे तेने नजीवा ल्हावाने माटे परणावी, तमारी संततिना सत्यानाशर्नु बी रोपो छो. जेम एक शाक खराब थवाथी आखो दिवस तमारो खराब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५४) जायछे, जेम आथ' मन पसंद नहीं थवाथी तमारुं आखं वर्ष बगडे छे; तेम अणगमत जोडांओने वगर विचार्ये एकदम परणावी देवाथी, तेओर्नु बधू पाप तमारे माथे छे एम हुँ हिंमतधी कहीश. संसारसुधारा तरफ चाह नहि धरावनाराओमां रडवाकुटवाना संबंधमां मरदो करता स्त्रीओ वधारे निर्लजपणुं बतावेछे. नेक बहेनो, तमो भरबजारमा वाघरणोनी माफक उघाडे छोगे कुटो छो, ते बहुज धिक्कारने पात्र छे. आपणा धर्मनां पवित्र फरमानोमां पण ते शास्त्र विरुद्ध जणावेलुं छे; तेम अमर्यादपणे कुटवाथी तमारा शरीरने तमो भारे नुकसान पहोंचाडो छो, अने हमेलवाळी स्त्रीओने तो सौथी विशेष दुःख सहन करवू पड़े छे. ____ चार दिवस अगाउ एक नाना पक्षीने माटे पायधुनी उपर एक जैन झवेरीए भारे रगझग करी तेने पांजरापोळमां छोडाव्यु हतुं, ते बहादुर पुरुष माटे मने मान छे; परंतु एक चौद वर्षनी निराधार बाळकी रांडे छे, त्यां बीजा हाथउपर मारा निर्दय श्रावकभाईओ लाडु उडावे छे; ए शुं ओछु शरमावनाएं छे ? जैन भाईओ! तमे दहाडो बंध करो. दहाडामां तमारु सत्यानाश गयुं छे. एक माणसने कोई सगुं नथी होतुं, तथा पैसा नथी होता, तोपण न्यातवाळाओ तेना उपर दबाण करे छे के “दहाडो कर, नहि तो तारं नाक कपाई जशे." तेनुं घर बार वेचावी, अगर कोई निराधार विधवा होय, ते तेनी भविष्यनी जींदगीनु साधन. कुचा तरीके गणाता एक बे दागीना होय ते वेचावी दहाडो कराववामां आवे छे. आवी स्थितिमा जो कोई युवान पोतानी नजीवी मीलकत उपर आधार राखी लग्न करी, संसारसुख भोगववानी आशा राखतो होय छे तो, तेनी जींदगी आखी रद जाय छे अने मरण पाछळ जमणवार करवा उकेरनार तेना सगाओ पासे जो ते मदद माटे जाय छे, तो तेओ पण एक पाई आपता नथी. सेंकडो जैनो आवा खर्चथी पायमाल थई गया छे, अने आपणी उजळी मातवर कोम दिवसे दिवसे अधम गतिने पहोंचे छे. साधारण रीते एक सबळो, नवळा साथे बेसवा ना पाडेछे. त्यारे एक कोमळ कन्याने वुट्टा साथे परणाववी ते शुं ओछु खेदकारक छ ? न्यातना आगेवानोने शरम छे, के तेवां कार्योमा हाजरी आपी हलका कामने उत्तेजन आपे छे. आवा जैनो शुं दयाळु कहेवाय ? बहादुर जैन योधा मरहुम मी. वीरचंद राघवजी गांधीए पोताना बापनो दहाडो कयों नहि हतो; अने रडवाकुटवा आवनार स्त्रीओने नवकार मंत्र गणवा सुचना करी हती. एवा वहादुर वीरलाओने खरेखर मान घटे छे; तेनीज माफक मारा आ मित्र लालने पण पोतानी मा पाछळ दहाडो नथी कर्यो. _ मरण पाछळ जमण करवामां धर्म माननारा अणसमजुओ! हवे ते वखत वही गयो ठे अने प्रकाशित जमानो आव्यो छे, माटे ते प्रमाणे वर्तवानी जरुर छे. जेओ आ कॉन्फरन्सने जीवती राखवा ईच्छता होय तेओए अत्रे सोगंद लेवा जोईए के. तेओ पोतानी बहेनो अने दीकरीओने वेचशे नहि, तेम मरण पाछळ जमणवार करशे नहिं अने एवां बीजां कार्योमां भाग लेशे नहि. आवा खोटा चालो दुर करवानी आपणने घणी जरुर छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५५) आपणी समक्ष बेठेला मी. काबराजी, जेओ संसारसुधाराना महान् हिमायती छे, तेओर्नु स्त्रीबोध नामनुं मासिक चोपानीयुं वांचवा, मारी नेक बेहेनो ! हुं तमने सुचना करुं छु. . छेवटमा लग्नो तेमज बीजा प्रसंगोए जेम बने तेम गेरवाजबी मोटां खर्चों ओछ करवा मारी सुचना छे. मने पहलेज बोलवामां बांधी लेवामां आवेल छे, अने तेथी टुंफमां एटलुज कहीश के आवा खोटा चालो दूर करवानी घणीज जरुर छे, अने ते प्रमाणे करशु तो सुखी थईशं, अने आपणा धर्म प्रमाणे चाल्या छीए एम कहेवडावीशं; माटे. धर्म प्रमाणे चालवू होय अने धर्मनी उन्नति करवी होय, तो हानिकारक संसारिक रिवाजो दुर करवा तत्पर थाओ." (प्रो. नथु मंछाचंदे तेमने आपवामां आवेलो वखत पुरो थवाथी, प्रमुख साहेब तरफथीं घंटडी वागतां पोतानुं भाषण समाप्त कयु; पण तेमना भाषणे श्रोताजनो उपर एटली तो असर करी हती, के तेओए ताळीओना चालु अवाजथी तेमने पांच मीनीट वधु आपवानी प्रमुख साहेबने अरज करी हती, जे तेओए मंजुर करी हती. ) अमदावादवाळा वकील छोटालाल काळीदास, भाषण. " प्रमुख साहेब, अने बीजा साधर्मीभाईओ तथा बहेनो! आ सवालना पहेलां जीर्ण पुस्तकोद्धार, जीर्णमंदिरोद्धार, जीवदया, कॉन्फरन्सनी योजना अमलमां लाववा, अने विद्यादान संबंधी विषयो चर्ची, ते विषे ठराव करवामां आवेला छे, ते विषयो अने हालना विषयमां घणो तफावत छे. ते विषयोमा पैसा खर्चवानी जरूर छे, परंतु हालना विषय संबंधे एटले खराब रिवाज काढी नांखवा बाबत कांई पैसा खर्चवानी जरूर नथी; पण उलटो पैसानो बचाव थाय तेम छे. प्रथम करेला ठरावो अमलमां आणवानो घणो आधार पुरुषो उपर छे, अने हालनो ठराव अमलमां मूकवानो जेटलो आधार पुरुषो उपर छे, तेटलोज बल्के तेथी वधारे स्त्रीओ उपर छे. ___खराब रिवाजो आपणी उपर आवी पडेला सापना जेवा छे. आपणा शरीर उपर साप आवी पडे तो, ते क्याथी आव्यो, केम आव्यो, केवी रीते आव्यो, तेनो विचार करवा बेसवु के तेने एकदम काढी नांखयो ? सर्वे माणसो एक अवाजे एमज कहेशे के ते काढी नांखवो; तो आ खराब रिवाजो आपणापर सापनी पेठे आवी पडेल छे, ते क्याथी आल्या, केम आव्या अने केवी रीते आव्या, तेनो विचार करवा नहीं बेसतां ते एकदम काढी नाखवा जोईए. बाळलग्न अने वृद्धलग्नथी आपणी स्थिति घणी खराब थयेली छे. बाळलग्नथी परणेलां वणां स्त्री पुरुषो टुंकुं आयुष्य भोगवी मरण पामेछे, तथा वृद्ध माणसनुं आयुष्य थोडुं बाकी होयछे, तेवाओ परण्या पछी थोडी मुदतमां मरी जायछे तेथी विधवाओनी संख्या वधी पडेछे. मुंबई इलाकानी ५३६००० माणसनी जैन वस्तीमां छोडीओ अने बायडीओ मळी २५६५०० छे, तमां ज्यारे १२६००० सधवाओ छे त्यारे ५६५०० विधवाओछे, एटले ९ सधवा स्त्रीएर ४ विधवाओ छे. आ रीते विधवाओनी संख्या घणी मोटी छे अने बैरी मरी जाय तो तेनो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५६) घणी फरी परणे छे, अने तेम धवाथी छोकराओना प्रमाणमां छोडीओनी संख्या घणी ओछी रहेछे. मुंबई इलाकामां ज्यारे १३३००० कुंवारा छोकरा छे, त्यारे ७७५०० कुंवारी छोडीओ छे. वळी २०५०० रांडेला छे, एटले कुंवारा अने रांडेला पैकी अडघोडधरण्या गर रहेवाना, अने तेम थाय तो आपणी वस्ती दिन प्रतिदिन ओछी थाय; वळी छोडीओनी संख्या ओछी एटले कन्याओनी अछतने लीधे कन्याविक्रय वधवा मांडेछे. जो बाळलग्न अने वृद्धलग्न बंध पाडवामां आवे, तो तेवां लग्नो करेला पुरुषो मरबाधी विधवाओनी संख्यामां वधारो थतो अटके, अने तेवां लग्नोवाळी स्त्रीओ मरवाथी तेमना घणी फरी परणे छे तेनो अटकाव थाय, अने तेथी कुंवारा छोकराओ वधारे मंडाय माटे उपरना आंकडापरथी तेम करवानी खास जरूर अणायछे. केटलाक धर्मथी तो अमुक उंमरमां छोडीने परणाववानी फरज छे एम कहेवामां आवेछे; तेथी ते धर्मवाळा कदाच बाळलग्न करता होय; परंतु आपणा धर्ममां तेम करवानी जरूर नथी. जेम वधारे ब्रह्मचर्य पळाय तेम सारुं एवं आपणे मानीए छीए, तेथी पण बाळलग्न बंध पाडीए, तो आपणे धर्मना रस्ते वधारे चालीए डीए एवं गणाय. आपणा खराब रिवाजोनी असर पुरुषो करतां स्त्रीओने बधारे भोगववी पंडेले, तेओ वधारे मरेछे. जूओ मुंबई इलाकामां, आपणा जैनोमां स्त्री. २९००० ३२५०० २९००० २१००० १५५००० १४३००० क्रे, ते जोवाथी जणाशे के पांच वर्षनी अंदर छोकरा छोडीओ थोडी वधारे छे, अने पांचधी १० वर्ष सुधीमां छोकरा थोडा वधारे छे; परंतु १० वर्ष उपरांत पुरुषो करतां स्त्रीओ घणी ओछी छे, एटले छोकरा छोडीओनो जन्म तो लगभग सरखो थाय छे, पण छोडीओ अगर "बैरीओ मरे छे वधारे. आपणा खराब रिवाजोनो ते बिचारीओने भोग धवुं पडे छे. ५ वर्षनी अंदरना. ५ श्री १० वर्ष सुधीना. १० थी १५ वर्ष सुधीना. १५ थी २० वर्ष सुधीना. २० वर्ष ऊपरना. पुरुष. २८००० ३३००० ३५००० २६००० लग्न करवामां छोडी करतां छोकरानी उंमर पांच वर्पनी वधारे राखवी जोईए. तेना कारणो घणां छे, अने ते आप सर्वेना जाणवा तथा मानवामां हशे बीजां कारणो बाजुपर मुकीए तोपण आपणामां छोकराओ वधारे छे ने छोडीओ ओछी छे, ने तेथी आवो तफावत राखीए तो पांच वर्षनी अंदरना २८००० छोकराओ हवे पछी जन्मती छोकरीओने परणे, तो तेटली छोकरीओ ते उंमर उपरांतनाने काम आवे, अने तेथी वांढानी संख्या ओछी धाय. आकारणी पण वरकन्यानी उंमरमां पांच वर्षनो अंतर राखवानी जरुर छे. आ विषयने माटे जेटलुं बोलीए तेटलुं ओछु छे; परंतु मने आपेलो पांच मीनीटनो वखत पूरो थयो छे, तेथी आ दरखास्तना टेकामां आटलुंज बोली, ते मंजुर करवा आपने विनंति करूं छं." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५७) 'जबलपुरवाळा लाला छुनमलजी गुलेछाना हिंदी भाषणनो सार. दोहा. नमो देव अरिहंतको, पुनि कीजे कछु काम; स्वतः सिद्धि सो होत है, कहां विघ्नको नाम. सवैया. आत्मज्ञान प्रकाश विना खद्योत समान भया टिमकारा, तापर मान कहा करना दिन चार गये फिर व्हे अधियारा; अतिवल्लभ प्राणप्रिया जगमें निज स्वारथका सबही संसारा, चित्त शांत बिना संतोष कहांकर शांत हहय सुख होय अपारा. आजे महा आनंद अने उत्सवनो दिवस छ, के जेनी शोभानुं हुं वर्णन करी शकतो नथी. घणाक जैनबांधवोए दूर दूरना देशांतरोथी पधारीने आ जैन श्वेतांबर महामंडळने मुशोभित करेल छे, अने श्री संवनी नठारी रीतिओ, जीर्णमंदिरोनो उद्धार, प्राचीन ग्रन्थोनो शोध, धर्मनी उन्नति, जीवदया अने आ मंडळ सदैव-हमेशां कायम रही शके, तेवा उपायो माटे तत्पर रहेल छे. भाईओ! हूं एक अज्ञान, अल्पबुद्धि, आप समस्त बांधवोनो सेवक छु, अने आ मारो पहेलोज दिवस छे के आप महाशयोनी सेवामां कई प्रार्थना करुं छं. आशा छे के कई पण अविनय अथवा कदाच भूल थाय, तो आप साहेबो क्षमा करशो. अमारे त्यां विशेषे करीने मारवाडी लोकोमा चाल छे, के छोकरा छोडीना विवाह प्रसं. गमां तमाम रीति अने देव पूजनादि, अन्यमतावलंबीओथी जारी छे, अने अन्यमतनाज ज्योतिष ग्रंथोथी मुहर्त वगैरे जोवामां आवे छे. ए महा शरम अने पश्चातापनो विषय छ, के आपणो जैनमत के जेना आशयथी अढार पुराणो, व्याकरण, ज्योतिष, न्याय अने विज्ञानना ग्रंथो अन्यमतावलंबीओए बनाव्या छे, अने आज सुधी तेओनाज आश्रय उपर चाली रहेल छे, ते छतां पण आपणे तेओना आश्रय उपर चालीए, अने कुदेव ( गणपति, क्षेत्रपाल, गोत्रजदेवी, अग्नि वगैरे) ने पूजीए, ए केटला शोच ने विचारनी वात छे. ते (ब्राह्मण ) लोको बीजा ( मिथ्यात्व ) मतना पाळवावाळा आपण लोकोथी एटले सुधी द्वेषभाव अने घृणा ( निंदा) करे, के ते आ नीचे लखेला पूर्वार्द्धथी प्रकट थाय छे:-' हस्तिना ताड्यमानोऽपि न गच्छेत् जैनमंदिरे'. भावार्थ ए के, हाथी मारवा पाछळ पडे ने प्राणनी हानि थाय तो भले, पण प्राणने बचाववा माटे पण जैनमंदिरमा पेसवु नहि ! हे स्वधर्मीभाईओ! आटलो बधो द्वेषभाव राखवा छतां पण आपणे फरी ते लोकोना पंडितोना उत्तम व्यवहार करीए, अने विवाह तथा बीजा संसारिक व्यवहारोमां आपणा देवोनी स्थापना न करतां, तेओना बतावेला कुदेवोनी स्थापना करीए अने पूज्यपणे मानीए छीए. जैनशास्त्रोमां अभयदान, सुपात्रदान अने अनुकंपादान कहेल छे, तेओने छोडीने बाकीनां जे दान छे, ते जैनीओने बीजा मतवाळाओने देवा माटे साफ मना करेल छे. २५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५८ ) विवाह तथा बीजां संसारिक कार्य पूर्ण करवाने माटे, गीतार्थ मुनिओथी शास्त्रानुसार तथा बीजा पण जैन विद्वान् समजवान अने अग्रशोची पुरुषोनी संमतिथी रीतिओ प्रचलित करवी जोईए. हाल पण घणुंकरीने कई शून्य स्थान नी; तेवाओनो शोध करवाथी हमणां पण घणांक स्थळोमां गीतार्थ मुनि अने विद्वान् पुरुष प्राप्त थशे. __आपणा लोकोमां लग्न प्रसंगे बहुज पैसो नकामो उडाववामां आवे छे, जेमके तायफानो नाच, भांडोनी नकल, फुलवाडी, दारुखानु, सेवकोर्नु-भोजक-पांडे वगेरेनुं बंधान, स्त्रीओनां अनुचित (फटाणानां) गायन-गीत अने ए सिवाय बीजा पण घणाक नठारा रिवाजो छे. उपरनी चार रीतिओ के जेओनां नाम उपर बतावेल छे, तेओ स्थापित रहेवाथी आपण लोको पापना भागीदार थईए छीए, तथा यौवनावस्थाना वाळको कुमळी वयना उछरती युवानीमां होवाथी नठारी चालना थई जाय छे, अने समजदार तथा बुद्धिमान् पुरुपो पण एवी नठारी रीतिओथी नामना राखवा करे छे. केटलाक भाईओने आवा उडाऊ खर्चने लीधे देवाना दास बनी विपत्ति उठाववी पडे छे. घणुंकरीने पश्चिमोत्तरदेश अने बंगाळामां आवां नकामां खर्च करवानो विशेष रिवाज छे, अने धर्मनी तरफ लोकोनुं ध्यान दिन प्रतिदिन घटतुं जाय छे. जुओ के आजकाल केटलाक अन्य जातिना लोकोए आपणा अहींआंनी नठारी रीतोने दूर करी सारा व्यवहारोनो प्रचार कर्यो छे, अने कायम राखवाने माटे न्यायपूर्वक पुस्तकोने उपयोगमा लावे छे. ए प्रमाणे आपणे पण विवाह तथा बीजां पण संसारिक कामोने माटे ते लोकोर्नु अनुकरण करवू घटे छे, तथा तेवा करेला ठरावो तोडनारनो दंड करवो योग्य छे. एक वात कहेवानो मने घणा दिवस थयां विचार हतो; परंतु एवो समय प्राप्त न थवाथी प्रकट करी शक्यो नथी. हवे श्री वीतराग देवनी कृपाथी समय हाथ लाग्यो छे, अने आप समस्त भाईओनां दर्शन थयां, एथी निवेदन करुं छं ते ध्यानपूर्वक श्रवण करशो, अने ते फळीभूत थवाना यत्न आदरशो. इंग्रेजी राज्यमां सर्व लोको एक सरखा समजवामां आवे छे, अने सांभळवामां पण आवे छे के वाघ बकरी एक आरे पाणी पीए छे. जेमके हिंदुओनो न्यायसंग्रह, मुसलमानोनो न्यायसंग्रह अने बीजा पण जुदा जुदा मतवाळाओना जुदा जुदा न्यायसंग्रहने, जोके तेओ लोकोना शास्त्रोना आश्रयथी बनाववामां आव्या छे. तेओने भारतवर्ष (हिंदुस्तान)नी राजसभा मानेछे, एज प्रमाणे आपण जैनीओनी तरफथी एक प्रार्थनापत्र स्टेट सेक्रेटरी टु धी गवरमेंट ऑफ इंडियाने अने लंडन शहरमां पार्लामेन्ट सभाने मोकलq घटे छे, के अमारा लोकोना जैन न्यायसंग्रह पण अर्हत् नीति तथा बीजां बीजां शास्त्रोना अनुसार स्विकार करो अने तेनो प्रचार थवा सावधान सहित यथोचित् परिश्रम करवो जोईए छ; केमके ब्यां धर्मानुसार कार्य करवामां आवे छे त्यांनी उन्नतिनुं शुं ठेकाणुं छे ? केमके: सवैयो. देव गुरु शास्त्रकी श्रद्धासे प्रीति करो यही सब सूत्र सिद्धांतोंका मूल है, इनमें जो संशय करै जन्म जन्म भ्रमन करे धिक् धिक् संसार कहै कैसी बड़ी भूल है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९९) आदर सत्कार नहि होय ऐसे जीवनका अपयसका पुंज बने शीश पडे धूल है, राज्यमै भी उनकी सुनवाई कहो कैसे होय धर्मसे प्रतिकूलताके दुनियां प्रतिकूल है. आटलुंज बोली हवे हुं मारुं भाषण समाप्त करी, आप सर्व बांधवोनी क्षमा मांगुं छं के, माराथी कोई प्रकारनो अविनय थयो होय किंवा भूल थई होय, तो क्षमा करशो." सुरतवाळा वैद्य तलकचंद ताराचंदनुं भाषण. " मेहरबान प्रमुख साहेब अने सद्ग्रहस्थो! वखत घणोज थोडो छ, अने विषय विस्तीर्ण होवाथी विषयनी प्रस्तावना नहीं लंबावतां, हुं मारा विषयनी शरुआत करुछु. ग्रहस्थो! श्लोक. यः प्राप्य दुःप्राप्य मिदं नरत्वं, धर्म न यत्नेन करोति मूढः। क्लेशप्रबद्धो मसलब्ध मब्धेः, चिंतामणि पायइतु प्रमादात् ॥१॥ अर्थात्-दुःप्राप्य एवो जे मनुष्यजन्म पामीने मूढ पुरुषो प्रमादथी जेम चिंतामणी रत्नने फेंकी दे छे, तेम धर्मने यत्नथी नहीं पाळनार पोताना जन्मने निरर्थक बनावी दे छे. वळी का छे के 'धर्मयौवहतो हंति धर्म रक्षति रक्षति' अर्थात् धर्मने जे हणे छे ते पोतेज हणाय छे; अने धर्मनं जे रक्षण करे छे ते पोतानुज रक्षण करे छे. मित्रो! हवे जे दरखास्त मी. परमारे मुकी छे, अने जेने प्रॉफेसर नथुए टेको आप्यो छे, तेने अनुमोदन आप, ए मारुं काम छे. ए दरखास्तमां जे सात कलम लखेली छे, ते साते कलम उपर एकज माणसथी विवेचन थई शके नहीं; परंतु जुदा जुदा बोलनारा तरफथी जुदां जुदां अनुमोदनमां विषयो चर्चाववा ए आपणो खास हेतु छे. जे वातने अनुसरीने आपणामां "विवाहादिक्रिया" करवामां आवे छे, तेने माटे कांईक कहेवानुं छे. संसारसमुद्रनी पार जवा माटे त्रण पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम ) सिद्ध करवामां सहायभूत एवी जे पुरुषने पनिरुप सहायक जेने नीतिवान पुरुषो धर्मपनिनु उपनाम आपी गया छे, ते धर्मपत्नि धर्मनी विधीथी जोडायली होवी जोईए; कारणके जे धर्मनी प्राप्तिने माटे पतिपत्निनो मेळाप योजवामां आवे छे, ते धर्मनां मूळतत्वो ते विधिमां समायलां होय, तोज ते मूळमांथी वृक्ष उत्पन्न थई, तेनी शाखाओ वधी, सुखरुप फळ फुलथी खीली, छेटे अखंडानंद जे मोक्ष तेना सुखने पामी शकाय छे. हवे विचार करवानो के आपणा लोको वचला काळी परचक्रने आधीन थवाथी, जैनी विधीने पडती मुकी ब्राह्मणी विधि प्रमाणे लग्न Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६० ) क्रिया करवा लाग्या छे; परंतु हालमां जे क्रियाओ करीए छोए ते ब्राह्मणी धर्म प्रमाणे तो शुं, पण हलका हिंदुओ जे शुद्रोने नामे ओळखाय छे, अने जेओने माटे “ शुद्रकमळाकर ” नामनो ग्रंथ लखायो छे, ते प्रमाणे पण आपणां लग्न थतां नथी ! आपणा जैनोमां जुदी जुदी न्यातो छे, अने ते जुदी जुदी न्यातोमां लग्ननी विधि तथा रुढीओ जुदी जुदी छे; एटले आपणी लग्ननी हालमां चालती रुढीओ कया धर्मशास्त्र प्रमाणे छे, ते नक्की करी शकातुं नथी. =यारे एवी कोईपण धर्मशास्त्रथी विरुद्ध मात्र रुढी प्रमाणे जोडी कहाडेली विधिथी, जे चधुवरनुं जोडुं बंधाय, तेओनां मन धर्म प्रमाणे ऐक्यतावाळां थाय, ए बनवुं घणुंज अशक्य छे. जैनधर्म अहिंसक छे, अने ब्राह्मणी ( वायीतांत्रिक) धर्म हिंसक छे. हालमां जे क्रिया आपणे करीए छीए, ते वाममार्गथी उद्धरेली मिश्रतांत्रिक क्रियाओ छे. ते पैकी दाखला नरीके एकज बतावीश के लग्न प्रसंगे मधुपर्कना समये, ब्राह्मणो विष्टर विष्टर विष्टरः करीने भणे छे, पछी गौर गौर गौर कहे छे, अने पछी मधुपर्कनी क्रिया करवामां आवे छे; अर्थात् बिष्टर एटले कन्यानो भाई पोताना बनेवी ( वर ) ने मधुपर्क आपे छे. मधुपर्कनी विधीमां लख्युं छे, के ‘मधुपर्के गवालंभ:' एटले मधुपर्कमा गायनुं आलंभन करवुं. ( हालना पंडितो आ चाक्यनो एवो अर्थ करे छे, के मधुपर्कमां गायनुं दान करवुं ); परंतु 'विना मांसौ मधुपर्को न भवति' अर्थात् मांस विना मधुपर्क थायज नहीं तो पछी, दाननो अर्थ करनारनी वात केली साची मनाय ? एवी रीते बीजी वणी क्रियाओ तांत्रिक ग्रंथोने आधारे प्रतिनिधीरुप वस्तुओ चलाववामां आवे छे, पण ते सघळानुं वर्णन करतां वखत घणो जोईए, माटे अहींथी अटकावी आगळ कहेवानुं के आपणां जैनशास्त्रमां लग्नादि विधिओ छे. जो ते प्रमाणे आपणे दरेक कार्य आपणा धर्म प्रमाणे करीए, तो आपणी उछरती प्रजाना मन उपर ते प्रमाणे छाप बेसाडी शकी; अने जो कोमळ अंतःकरण उपर व्यवहारिक धर्मनी छाप बेठेली होय, तो धर्म तरफ वळेलुं अंत:करण अधर्माचरण करेज नहीं, ए बात निर्विवाद छे. जेम जेमनानी वयनां बाळकोने नाना विधविध वृत नियमो माटे आपणे "पचखाण " करतां शीखवीए छीए, अने लीलां पचखाण प्राण जतां पण तेओ तोडता नथी, तेम आपणे तोडवा देता नथी; तेज प्रमाणे लग्न वखतनी प्रतिज्ञाओ एटले पचखाणो पण आपणा धर्मशास्त्राने अनुसरीने होय, तो ते तोडी शकाय नहीं अने ज्यारे लग्न विधि वखते लीलां पचखाण तोडी शकाय नहीं, एवी 'धर्मनी फरज बजाववानो आग्रह होय, तो कोईपण जोडुं शियळवृतथी चळीत थाय नहीं; तेम इर्पा, द्वेष, वैर अने वडीलोथी अमर्यादित थई हालमां जे अधर्मयुक्त अव्यवहार चालतो जोत्रामां आत्रे छे, अने तेना फळरुप ठामठाम कलह तथा फूट अने तुट जोवामां आवेछे, तेनो सदंतर नाश था. बाकी हालमां चालती अन्य धर्म प्रमाणेनी क्रियाथी आपणी दशा घणी दयाजनक थई गई छे. जेम - मनहर छंद संपतणो जंप गयो कुसंपनी लाह्य लागी, बागी हांक शोकनी अधाग थाक लागीओ; तुच्छ दाममाट हाटने विगाडी सेठीआओ, माया मस्त धयेल जणाय छे वैरागीओ; Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६१) धर्म कर्म त्यागी रागी थईनेज भीख मागी, धनना संग्रहमाट लढे साधु त्यागीओ; सहु सहुनुं संभाळे धर्म सामुं कोण भाळे, काळो केर वर्ते छे शुं जुवो सोभागीओ. ठाम ठाम फूट पडी तुट घरेघर मांही, मायबाप भ्रात भगनीने नथी फावतुं; लडाई कलह मांही सर्वको बडाई माने, गणे नहीं अवरने आंगणामां आवतुं; वृद्ध गुरु जनतणी वातने न माने कोई, करे मन धार्य आवे जेने जेम फावतुं; दोन हीन एवी दशा थई दुःखरुप तोये, खरो धर्म रक्षवानुं कोने नथी भावतुं. माटे ओ मारा प्यारा भाईओ, आपणे आपणा धर्मप्रमाणे आपणी संसारिक संस्कार क्रिया नहीं करवाथी धर्मने हणी नांख्यो छे, तेथी आपणे पोतेज हणाई गयेला हिणा देखाईए छीए. तेथी हुं आप साहेबोने आग्रहथी भलामण करुं छु, अने भार मुकीने जणावं छं के मी. अमरचंद पी. परमारे जे दरखास्तमां-रडवाकुटवा-जमणवारो-खोटां फरजीआत खर्ची, छोकरीना पैसा खावा लेवा, घरडा वरने नानी कन्या परणावी विधवानो वधारो करवो, अने. कन्यानी अछत करी वंशनो क्षय करवो वगेरे बाबतो बतावी छे, ते आपणा धर्मथी विरुद्ध छे, अने जो तेने वळगी रहीशं, तो आपणे आपणा धर्मने हणी नांखनार थईशं. विगेरे जेजें बाबतो आवी पडे तेने माटे आपणे तुरत विचार करवो जोईए, के आ कृत्य करीए छीए ते आपणा धर्म प्रमाणे छ के केम ? अने जो धर्म प्रमाणे होय तो कर अने धर्म प्रमाणे नहीं होय तो तेनो त्याग करवो, पछी तेमां गमे तेटलो लाभ के स्वार्थ रहेलो होय. एटलुं कही छल्ले नीतिशास्त्रनो एक श्लोक कही मारु भाषण पुरुं करीश. निंदन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवंतु, लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् । अद्यैव वा मरणमस्तु युगांतरे वा, न्याय्यात्पथः प्रविचलं ति पदं न धीराः॥ अर्थात् निंदा थाओ वा स्तुति थाओ, धन मळो अथवा जाओ, युग पर्यंत जीवाय वा. आजे. मरण भले थाओ, तोपण न्याय विरुद्ध एटले धर्मविरुद्ध एक पगलं पण धर्ममां धीर थएल. पुरुषो भरता नथी; माटे धर्म विरुद्ध कोईपण क्रिया करवी ए जैन नाम धरावनारने हींणु देखाडनारु छे, जे उपर आप साहेबो पुरतुं ध्यान आपी, सदासर्वदा धर्म ध्यानमा रत थई, कुगुरु. कुदेव अने कुधर्मनां फरमानोना जे जे बध ब-या होय, तेने तोडी स्वधर्ममां रुचिवान थई ते प्रमाणे वर्ती अमुल्य मनुष्य देहy साफल्य का शो, एटटुंज कही आपे मने जे लाभ आप्यो तेने माटे सभानो उपकार मानी बेसवांनी रजा लऊंटुं." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६२) शा. दामोदर बापुशा एवलावाळानुं भाषण. " प्रेडिन्ट साहेब, सद्गृहस्थो अने मुशील बहेनो, हानिकारक रिवाजो आ विषय पर घणा विद्वान् वक्ताओ बोली गया छे, अने ते बाबतपर वधारे बोलवा जे हवे काई रह्यं नथी, तोपण ते विषे बे शब्द बोलवा आपनी पासे रजा लडं . वहाला माणसना मरणथी तेना संबंधीओने दुःख उत्पन्न थाय, ए मनुष्य स्वभावने अनुसरतीज वात छे, परंतु प्रत्येक वातने नियमितपणुं छे, अने ते नियमना उपरांत थवाथी वणा गेरफायदा थाय छे. मरण पाछळ रडवाकुटवाना हानिकारक रिवाजोनो गुजरात काठीआवाड अने मारवाड आ देशोमां, भरतखंडना बीजा देशो करतां घणो वधारो थवाथी घणुं नुकसान थ! छे. __आ हानिकारक रिवाजधी आ लोकमां निंदा थाय छे, अने परलोकमां दुःख भोगवबुं पडे छे. एक विद्वान् ग्रंथकारे शोक बदल एवं कर्तुं छे के: ओमिति पंडिताः कुर्युरश्रुपातं च मध्यमानः । अधमाश्च शीरोधातः शोकधर्मविवेकिनः ॥ पंडित पुरुषो शोकमां एम समजे छे, के जे थवानुं छे ते थाय छे, माटे चिंता करवानी शी जरुर? मध्यम पुरुषो अश्रुपात करे छे अने अधम पुरुषो माथु कुटे छे, पण विवेकी पुरुषो तो शोकमां धर्मज करे छे. सद्गृहस्थो, आखा हिंदुस्तानमां तेमज बीजा कोईपण देशमां गुजरातनी स्त्रीओ जे अमर्याद रीते कुटे छे, अने रडे छे, तेवो रडवानो अने कुटवानो चाल आज पर्यंत क्याई पण जोवामां तेमज सांभळवामां आव्यो नथी. जो कोईपण चालने माटे आपणा गुजरातवासी बंधुओने शरमावानुं होय, अने बीजी सुधरेली कोमने आपणा रिवाजोनो धिक्कार होय, तो ते प्रथम मरण पाछळ रडवाकुटवाना नफट रिवाजनोज छ; अने कदाच कोई एम प्रश्न करे के लांबा वखतथी जड मूळ चालीने पायमाल करनारो कोईपण रिवाज हजी सुधी गुर्जरप्रजाने दुःखदायक हशे, तो ते रिवाज मरण पाछळ रडवाकुटवानोज छे. गुजरात तथा काठीआवाडनी स्त्रीओ हमेश बहार जवा वखते बहु शरम राखे छे, परंतु रडवाकुटवानी वखते शरम मर्यादा बधी बाजु मुकी दई, उघाडी छातीए लज्जारहित थई ताल सुरमा राजवण गाई कुटे छे. हालना जमानामां घणाएक भाषामां फेरफार थई साहित्यशास्त्रनी मददथी संगीतकळा वधी छे. बीजी भाषामां गावू संगीत कर्यु छे तो, अमारी गुजराती भाषामां रोवु संगीत कर्य छे. केवी शरमनी वात छे ! ए रडती वखते कुटवानो पण ताल बराबर पडवो जोईए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६३ ) कुटती वेळा हृदयना खरा शोक करतां वधारे विचार तो स्त्रीओने हालना वखतमाँ एज आवे छे, के आपणाथी बराबर कुटातुं हशे के नहीं, आपणने कोई मूर्ख तो नहीं कहे ! ए उपरथी खुल्लुं जणाय छे के हालनुं रडवुं अने कुटवुं फक्त लोकोने बताववा पुरतुंज छे. हवे शोक करवाना कारणथी परलोकसंबंधी कर्मबद्ध थई, तीर्थचादि गति प्राप्त थायछे ते बदल शास्त्रकार एम कहे छे के, अदम्माणं संसार वट्टणं तिरिय गई मूलं ॥ एटले आर्तध्यानथी जीवने कोईपण लाभ नहीं मळतां फोगट कर्मबंधन थाय छे, अने तेथी भवांतरे तिर्यचादि गति प्राप्त थाय छे; माटे आर्तध्याननो त्याग करवानी तजवीजमां प्रवर्तनुं एम शास्त्रकार कहे छे; अने शोक करवो ए आर्तध्याननीज प्रवृत्ति छे. पुरुषो करतां स्त्रीओज शोकमां बधारे प्रवृत्तमान थाये. चिंतामण रत्न जेवो अमुल्य मनुष्य जन्म पामी, परलोकनुं साधन करवा तप जप त्रतादिके करीने पुन्यनो संचय करवो, अने पछी आर्तध्यानमां लुब्ध थई महा प्रयत्नथी संचय करेली अत्युत्तम वस्तुनो नाश करवो, ए अमारी सुज्ञ अने सुशील बहेनोने बीलकुल योग्य नथी; कारणके स्त्रीओ उपवासादिक कठीन तपस्या करे छे, धार्मिक कार्यमां मोटो भाग ले छे, तो आवा निरर्थक शरीरने पीडादायक लोकमां निंदनीक अने अधोगति प्रत्ये प्राप्त करनार, एवो महा हानिकारक अने दुष्ट जे रडवाकुटवानो रिवाज, तेने वळगी न रहेतां अने रुढीना धिक्कारयुक्त शृंखलाथी बंध न थतां, तेमांथी मोकळा थई आ हानिकारक रिवाज जलदथी निर्मूळ करवा प्रयत्न करशे, एवी आशा छे. हवे हुं मारो मुख्य विषय, जे अन्य शास्त्रप्रमाणे व्यवहारिक क्रिया आदराववी, ते तरफ फरूं छं. हाल समये दुनियामां जे जे धर्मों प्रचलित छे ते हिंदू, मुसलमान, पारसी, क्रिश्चियन, बुध विगेरे तमाम धर्मना लोको पोतपोतानी संस्कारादि क्रिया पोताना शास्त्र मुजब करे छेआपणे मात्र परावलंबीपणाथी स्वशास्त्र तरफ दुर्लक्ष करीने, अन्यमतीओना मिथ्या मानेला शास्त्र प्रमाणे आपणी व्यवहारिक क्रिया करीए छीए, ए बहु दिलगीरीनी वात छे. आद्यधर्मसंस्थापक श्री रुषभदेव भगवाने ज्यारे व्यवहार धर्म प्ररुथ्यो, ते वेळाए मनुष्यने जन्मथी अंत्य सुधी सोळ प्रकारना संस्कार करवा कह्या छे, ते बदल श्री वर्धमानसुरीए 'आचार दीनकर ' ग्रंथमां सोळ प्रकारना संस्कारनुं वर्णन कर्तुं छे: सोळ संस्कारनां नाम. - गर्भाधानं पुंषवनं जन्म चंद्रादि दर्शनं । श्रीरासनं चैवेषष्ठी तथा च शुचीकर्म च ॥ १ ॥ तथा च नामकरण अन्नप्राशनमेव च । कर्णवेयो मुंडनंच तथोपनयनंपरं ॥ २ ॥ पाठो भो विवाह वृतागेपातकमस । एमि षोडश संस्कार ग्रहणां परिकीर्तत ॥ ३ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६४ ) उपर कहेला सोळ संस्कार श्री भगवानने तेमनां मातापिताए कर्या छे, अने पोते पण आचरयां छे. कां छे के: विवहारो बहु बलवं जं वंदई केवली वीछ उमत्थं अठ्ठाकम्मं भुंजई तो बीबहारं प्रमाणंतु ॥ १ ॥ एटले व्यवहार पण प्रमाण छे उपर कहेला सोळ संस्कार मध्ये मुख्य संस्कार हालन समयमां विवाहसंस्कार गणाय छे. जैन शास्त्रकारे विवाह बे प्रकारना कह्या छे: - एक आर्य अने बीजो अनार्य, आर्यना चार भेद - ब्राह्म, आर्ष, प्राजापत्य अने दैव. अनार्यना चार भेद - असुर, राक्षस, पैशाच अने गांधर्व, अनार्य विवाह अप्रमाण होवाथी शास्त्रकारे तेने क्रिया कही नथी. हवे रह्या बाकी आर्य विवाहना चार भेद; ते मध्येथी हालना काळमां त्रण प्रकारना विवाह बंध छे. वर्तमान समयमां फक्त प्राजापत्य विवाह चालु छे. मातापिताओ स्नानालंकृत करीने कन्यानुं दान करे छे, तेने प्राजापत्य विवाह कहे छे. कोईपण मंगलिक कार्यारंभ करती वखते प्रथम आपणा कुळदेवतानुं स्मरण तथा स्तुति, तथा आपणा आराध्य देवनुं चितवन करवुं जोईए छे. तेम जैन शास्त्रकारे प्रथम विवाहना आरंभ विमळवाहन चक्षुस्मान ईत्यादिक सत्य कुलकरनी स्थापना करी छे. कार्यारंभ करवामां पण अमो अमारा पवित्र शास्त्र ने एक बाजु मुकी दई पुराणने मान आपी, ते प्रमाणे प्रथम वक्रतु महाकाय सूर्यकोटी सममजा ईत्यादिक स्तुति करीने, गजानन महाराजनी स्थापना करीए छीए. हवे जरा आगळ जतां ते कार्यनो संकल्प आवे छे तेमां प्रथम एवं कहेलुं लागे छे के: विष्णो आज्ञा प्रर्वतमानस्य || एटले प्रथमथीज विष्णुनी विचार करो के जन्मथी तो जैन अने जीन आज्ञा प्रमाणे चाल्युं आटला पुरती मात्र जीन आज्ञा अमान्य अने विष्णुनी आज्ञा प्रमाण हवे विष्णुनी आज्ञा जो मान्य करी त्यारे जैनत्व क्यां गयुं; कारणके शास्त्रकारे कां छे के 'आणाथम्मं पणामसिद्ध' एटले आज्ञा मानवी एज धर्मनुं मुख्य लक्षण छे, अने विवाह जेवा मांगळिक कार्यमां तो वीतरागनी आज्ञा तो अमान्य थई. हवे कोई कहेशे के अमे तो बेउनी आज्ञा मान्य करीशुं, वीतरागनी अने विष्णुनी; परंतु विचार करो के एक सेवकपर वे मालेकनो हुकम चाली शकतो नथी, अगर एक देशनी प्रजापर बे राजानो अमल चालतो नथी, त्यारे बे धर्माध्यक्षनी आज्ञा केव रीते मनाय? हवे आगळ जतां तेज संकल्पमां आवे छे के:- मम आत्मानः पुराणोक्त शास्त्रोक्त फलमापत्यर्थम् । एटले मारा आत्माने पुराण तथा शास्त्रमां कह्या मुजब फळ प्राप्त थाओ. केवी आश्चर्यनी वात छे, के सर्वज्ञप्रणीत परम पवित्र आगमोनां फळ मेळवनारे पुराणना फळ तरफ ईच्छा राखवी, एटले चिंतामणी रत्न छोडीने काचना टुकडा ग्राह्य करवा जेवुं छे. आज्ञा मान्य करी. हवे एतो आद्य कर्तव्य; परंतु आपणे एकादुं नानुं अगर मोटुं व्रत या पचखाण लईए छीए ते वेळाए एम प्रतिज्ञा करीए छीए के, आव्रत हुं अरिहंतनी शाक्षीथी, सिद्धनी शाक्षीथी, साधुनी साक्षीथी लउंछु, एटले- अरीहंत शीख्खे सीद्ध शिख्खे, साहु शीखवे, एवी रीते पाठ उचारीए छीए; अने लग्न जेवो परम पवित्र अने जन्मपर्यंत रहेनारो, जेमां धर्म अर्थ काम विगेरे साध्य करवामां परस्पर स्त्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६५) पुरुषो एक बीजाने साह्य आपवानो, स्त्रीओने अर्धागीपद प्राप्त थवानो, जे पवित्र मानेलो करार था एकमेकनुं व्रत पाळवानो जे नेम ते कोनी साखे, तो ए ब्रह्मा विष्णु अग्नि द्विज आदिना साखे, कारण जे ग्रंथप्रमाणे हाल विवाहक्रिया करवामां आवे छे, ते मुक्तावळी ग्रंथमां सप्तपदी वेळाए नीचे कहेवा मुजब मंत्र उचारवामां आवे छे: इहार्थे साक्षिणो विष्णुरग्निरीशोद्विजस्तथा । उभयोमीती संभूतो कन्या सप्तपदं ब्रवीतः॥ जुओ! आ मंत्रमां जीनेश्वरना नामनो किंचित पण उल्लेख छ, के जेना शासनमा रहेg, जैना परम पवित्र नामथी पापर्नु क्षालन करवू, एवा परोपकारी अरिहंतना नामनो सुद्धा आ मंगळिक मानेला विवाहविधिमां उच्चार पण न करवो, ए केवी खेदकारक अने आपणी अज्ञानतानी वात छे? लग्न विधिमां वर अने वधू वच्चे एक बीजा साथे नीतिपूर्वक चालवाना पवित्र करार करवामां आवेछे, तेमां वधू वरथी करार करे छे के: ___ यज्ञादि धर्मकार्येषु भविष्यामि सहायिनी । एटले आ मंत्रमा वधु वरने कहे छे, के यज्ञादि कामोमां हुं तमोने सहाय करीश. सद्गृहस्थो, विचार करो के आपणे तो अहिंसावत पाळवावाळा, अने यज्ञयागमां तो हिंसा प्रधान होय छे. अने ते यज्ञ क्रिया करवानो करार करवो एज प्रथम धर्मविरुद्ध आचरण, अने बीजुं ए के जे करार कर्यो ते प्रमाणे न चालवं, एटले यज्ञादि कार्यो न करवां, आवा बेवडा प्रायश्चितमां उतरवु ए सुज्ञजनोने बीलकुल व्याजबी नथी. ___परस्पर विरोधी बाबत. एटले एक धर्ममां जन्म, सर्व आयुष्य, तथा धर्म कार्यो तेज धर्म मुजब, अने फक्त व्यवहारिक क्रियाओ बीजा धर्मशास्त्र प्रमाणे, आवो परस्पर विरोध क्याही पण जोवामां आववानो नहीं. ते आज दिन सुधी चालवानुं कारण आपणी गतानुगति के आपणुं सैथल्य, आपणी आळस अने आपणी स्वधर्म विषे अनास्ता एज छे. कोई कहेशे के जे रिवाज प्राचीन काळथी चालतो आव्यो छे, तेमां फेरफार करवानु कांईपण प्रयोजन नथी, परंतु ते साहेबो विचार करीने प्राचीन इतिहास तरफ अवलोकन करशे तो जणाई आवशे के, पुर्वकाळमां व्यवहारिक क्रियाओ तमाम जैनशास्त्र मुजब चालती हती. ते वेळाए जैन ब्राह्मणोनी संस्थाओ हती, परंतु चर्म तीर्थकर महावीरस्वामीना निर्वाण पछी केटलाक दिवस बाद बौद्ध अने वैदिक धर्मना विशेष प्रसार तथा गीतार्थ मुनीओनी आणसने लीवे, जैन धर्मपर संकट उत्पन्न थवाथी घणीएक बाबतोमा फेरफार थई गयो; अने ते लीये अन्यमतीओनो आपणामां प्रवेश थयो अने ते लीचे आवी स्थिति प्राप्त थई. मध्यंतरे कळीकाळ सर्वज्ञ श्री हेमाचार्ये धर्म उद्धार करीने, जैन जातिन महाकार्य कर्य अने जैनधर्मनी विजय पताका परमहीत कुमारपाळ राजाए फरकावी. शांतता अने स्वतंत्रता धर्मसंबंधी बाबतोनी छुट छे, रखे टेलीग्राफ आदि उत्तम सगवडो छे, अने प्रत्येक कोम पोतपोताना धार्मिक तथा सामाजिक सुधारा तरफ दोरवी रही छे, एवा वखते आपणे पण आपणी सामाजिक तथा धार्मिक स्थिति सुधारवानो प्रयत्न करतो, ए आपणुं मुख्य कर्तव्य छे: अने ते कर्तव्यने वजावी अन्य शास्त्र मुजब थनारी व्यवहारिक क्रिया बंध थई, जैन शास्त्राच Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६६ ) सारे क्रियाओ चालु धशे, एवी दृढ आशा छे. अस्तु ! वखत थोडो छे तेथी आ विषयपर बधारे विवेचन हाल करवामां आवतुं नथी; वास्ते आप साहेबोनी रजा लईने हुं मारुं भाषण पुरुं करुं छु; अने आशा राखुं हुं के मारा धर्मबंधुओ विवाहक्रिया जैन शास्त्र मुजब शरु करी, आपणी परावलंबी स्थिति सुधारशे.” (ताळीओ) पंजाबवाळा लाला सुभोमलजीना हिंदी भाषणनोसार. पंजाबना प्रतिनिधि लाला सुभोमलजीए मरण पछवाडे करवामां आवतां जमणारोना संबंधमां टीका करतां, लग्न वखते नाचना मेळावडाओ करवामां तथा आतशबाजी फोडवामां, जैनो पोताना धर्मनुं केटले दरज्जे उल्लंघन करे छे, तेनुं विवेचन कर्तुं हतुं. आगळ चालतां तेमणे जणान्युं हतुं के, मारवाड पंजाबमां मुनी महाराज आत्मारामजीना प्रयासने ली एवा हानिकारक रिवाजो आज त्रीस वर्ष थयां केटलेक दरजे दूर थवा पाम्या छे, अने तेथी हुंतो एमज मानुं हुं के अमारा विभागने जैनधर्मनुं खरुं ज्ञान आज त्रीस वर्ष थयांज प्राप्त युं छे. त्यार बाद तेओए मुनि आत्मारामजीए पंजाबपर करेला अनेक उपकारोनुं व्यान असरकारक रोते कर्यु हतुं. अंबाचवाळा मी. मगनलाल गोविंदजी दलालनुं भाषण. " मानवंता प्रेसीडंट साहेब, गृहस्थो, सुशील बेनो ! विद्वान् वक्ताओए आ विषयनां पोईन्टो उपर असरकारक विवेचन करी श्रोताजनो उपर सारी छाप बेसाडी छे. मारी डीसपोझले मने बहुज टुंक वखत होवाथी, हुं मात्र अमुक पाईन्टोज हाथपर लईश. आ विषयनी दरेक बाबतो उपयोगी तेमज अवश्य विवेचन करवाने योग्य छे. वळी हानिकारक दरेक रिवाजो दूर करवानी बावत अवश्य अमलमां मुकवा जेवी छे. रडकुंकुट मरण पाछळ रडवुंकुटवुं ए रिवाज हाल दरेक रथळे प्रचलित जोवामां आवे छे. स्त्रीओ पोताना ससरा जेठ विगेरेनो हंमेशां विनय साचवीने मर्यादापुर्वक तेओनी लाज काढे छे; तेमां वळी विशेषे करीने मारवाड, काठी आवाड आदि देशोमां तो लाज काढवानो अत्यंत रिवाज छे. घरनां वडीलोनी समक्ष पोताना पति साधे स्त्रीओ जरा भाषण करती नथी, तो बजारनी वच्चे रडवुं अने कुटवुं अने अमर्यादा बताववी, ते वखते स्त्रीओनी शरम क्यां संताई जाय छे ? कुटती वखते शरीरनां नहीं बताववा जेवां अंगो पण दृष्टिगोचर थाय छे, ते वेळा शरम क्यां जाय छे ? बळी नजीकना सगाना मृत्युथी जे दिलगीरी प्राप्त थाय छे, ते कांई कुटवाथीज प्रदशित यती नथी. जे लोकोमां रङवाकुटवानो बीलकुल चाल नयी अने पोताना नजदीकना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६७) सगाना मृत्यु वेळा, जेओ मात्र आंसुज पाडीने बेसी रहे छे, तेओने | दिलगीरी नहीं थती हशे, एम कही शकाय? स्त्रीओनां भूषणो जेवां के विनय, लज्जा, उंचे स्वरे बोलवू नहीं आदि, जे खरेवरा स्त्रीओना गुणो तरीके लेखाय छे, ते बधा रडबाकुटवाथी नष्ट थई जाय छे. आ रिवाजथी एक पण फायदो नथी, पण बल्के अनेक गेरफायदाओ छे. बाळलग्न. जो कोईपण रिवाजे आपणी उन्नति थवामां मोटामां मोटी हरकत करी होय, तो ते आ बाळलग्न छे. हुं कबुल करुं छं के ते सिवाय बीजा घणा खराब रिवाजोए आपणी उन्नति धवामां अटकाव नांख्यो छे, तोपण आ बाळलग्ने आपणी सुधारणानी जे खानाखराबी करी नांखी छे, तेनो खरेखरो चितार दोरवो अशक्य छे. आपणी प्राचीन स्थिति जोतां हालनी आपणी चालु स्थिति बहुज दयाजनक थई पडी छे. असलनु आपणुं केवु शूरवीरपणुं! अने हाल आपणुं केटलं बधुं निर्बळपणुं! परस्पर विरोध, ए बधुं मात्र बाळलग्नने लीधेज छे. असल आपणामां आवी रीते बाळलग्न हतां नहीं. युरोपीअनो तेमज बीजा लोकोनी शारीरिक शक्ति जोतां आपणे केटला बधा ते बाबतमां उतरता छीए ? वात साबीत करवाने दाखला तरीके एम धारो के, (जो के हुं कई एयु ईच्छतो नथी. May God forbid. ) दश पहेलवानो जो बुम पाडता अने मारामारी करता आ मंडपमा प्रवेश करे, तो बल्के आपणे छ हजार माणसो लगभग भेगा थया छीए तेमांथी केटला सामा थाय ? हुं तो धारुं छं के बधा तुरत दोडधाम करी मूके. लांबो विचार करी आप साहेबो जो एनुं कारण शोधशो, तो मालुम पडशे के आ बधी खराबी बाळलग्नथीज थई छे. बाळपणमां ज्यारे लग्न करवामां आवे छे, त्यारे परणनार जोडु "लग्न ए शुं छे?" एनो कांईपण अर्थ समजतुं नथी. कदाच काईपण अर्थ तरीके समजे, तो ते मात्र रमत. हवे लग्नना निकट संबंध उपर परणनार जोडानो जे आखी जींदगीनो आधार छे, अने जेमां तेनी आखी जींदगी- श्रेय समायलुं छे, तेना उपर बीलकुल विचार करवामां आवतो नथी. माबापो एम समजे छे के पुत्रो तथा पुत्रीओने परणावीने लावो लईए; परंतु ते वखते हुं धारं छु के बच्चांओनुं हीत नहीं विचारतां, तेओ मात्र दुश्मन रुपे थाय छे, ए वात तेओ भूली जाय छे. लावो लेवानी घेलछाईमां माबापो पोतानां बच्चांओने बाळलग्ननी सांकळथी जोडे छे, जेनुं परिणाम ए आवे छे के समजणां थया बाद पतिपत्नीमा जे सुलेहसंप जळवावो जोईए, ते नहीं जळवातां हमेशां कंकास अने कजीआओना तेओने भोग थर्बु पडे छ. नानी उंमरमां लग्न थवाथी पतिपत्नीने अरसपरस स्वभावनी खाबर होती नथी. युरोपीअन विगेरे लोकोमा बाळलग्न नहीं थतां मोटी उमरे पोतानी ईच्छानुसार पसंदगी करी परणवामां आवे छे, जेथी तेओ आ बाबतमां खास बहु सुखी देखाय छे, अने आपणामां तो घेरेघेर पतिपत्नीओ वच्चे कंकास वास करीने रहेलोज छे. आपणे कहीए छीए के आपणामां व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणी आपवानी जरुर छे, तेमज स्त्रीकेळवणीनी पण आवश्यकता छे; तो ते केळवणी आपणे यथास्थित लेवी होय, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६८) 'स्त्रीओने जो पुरेपुरी केळवणी आपवी होय, तो आ बाळलग्न पहेलांथी बंध थवां जोईए.. ज्यांसुधी बाळलग्न बंध थाय नहीं त्यां सुधी केळवणीनी नेममां न्यूनता रही जाय छे. टुंकामां बाळलग्न होवाने लीधे आपणा मोटामां मोटा धर्म, अर्थ, काम, अने मोक्ष जे चार पुरुषार्थो तेमांना एक पण हांसल थई शकतो नथी. मोटामां मोटा पुन्यना योगे मेळवेलो आ मनुष्यभव निरर्थक जाय छे, अने बीजां प्राणीओ जेवां के घोडा, कूतरा आदि जानवरो जन्मे छे अने मेरे छे, तेमज आपणे पण आ मनुष्यभवनुं सार्थक कर्या विना आ संसार छोडी चाल्या जवुं पडशे, तो बाळलग्ननो सत्वर अटकाव थवो जोईए. एतो निःसंशय अने निर्विवाद छे, के वाळलग्नथी आपणे नबळा, तो आपणी प्रजा पण नबळी. कन्याविक्रय अने वृद्ध विवाह. पोतानी वृद्धावस्थामां ज्यारे आ दुनियामां वधारे वर्ष जीवीने एशआराम भोगववानी साधारण रीते बहुज थोडी आशाओ होय छे, त्यारे पण केटलाक पुरुषो वरघोडा विगेरेमां हजारो रुपीआ उडावीने परणे ; छोकरीना बापने खावा माटे पण हजारो रुपीओ आपे छे. वृद्ध पुरुषो पोताना पैसानो आवी रीते खराब उपयोग करे छे, तेने बदले जो तेओ जीर्ण जैन मंदिरोद्धार, जीर्ण पुस्तकोद्धार, केळवणी विगेरेना फंडमां अमुक रकम आपे, तो तेओ मोटुं पुन्य उपार्जन करे अने विशेषमां जैनोनी उन्नति पण थाय. माबापो पोतानी छोकरीओने आवी रीते वेचीने रुपीआना लोभनी खातर निर्दोष बाळीकाओनो भव बगाड़े छे. ए केटलुं बधुं दयाजनक अने शोचनीय छे, के जेओ जन्म आपे छे, तेओज पाछा दुःखना दरियामां फेंकी देवा तैयार छे ! घणी वखत वृद्धविवाहनी बाबतमां एवं वने छे के, लग्न थया बाद ज्यारे छोकरीनी लायक उंमर थाय छे, ते वखते तेमना पति आ दुनियानो त्याग करी परलोकवासी थाय छे; बिचारी निर्दोष बाळीकाओने रंडापो भोगववो पडे छे. आवा प्रसंगे ते छोकरीनां माबापने पोतानी छोकरी रंडापो भोगवती जोईने कदाच कंईपण दिलगीरी धाय, तो ते पेला खावा लीधेला रुपीआनी थेलीथी तेओना मनने आनंद अने संतोष मळतो हशे, एम कहेवुं गैरवाजवी नथी. मरण पाछळ जमणवार ए बहु खोटो रिवाज छे. ज्यारे कुटुंबना एक पण माणसनुं मृत्यु थाय छे, ( खास करीने जुवाननुं ) ते वेळा बधा मेम्बरो दिलगीरीना आवेशमां विव्हळ बनी जाय छे; तो तेने त्यां ते पाछळ जमणवार अने लाडवा, दुधपाक विगेरेनुं मीष्टान्न लेवामां आवे, ए केटलुं बधुं खराव? केटलेक ठेकाणे मृत्यु धया बाद अगीआर, वार दिवसमां जमण आपवामां आवे छे; एनो अर्थ एवो के बारमुं अने तेरमुं करवुं जोईए. मरण पाउळ जमणवारनी बाबतमा पैसांदार तेज गरीब उपर सरखीज फरज होय छे, जेथी खास करीने गरीबोने विचाराने बहुज वेठवुं पडे छे. बीजुं जेओ पैसादार होय छे अने तेओ ज्यारे पोताना कर्मानुसार गरीब स्थितिमां आर्वा जाय छे, ( कारणके माणसनी स्थिति हमेशा संरखी रहेती. नथी ) त्यारे पण तेओए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोतानी आगली खानदानी उपर विचार करीने, मळे या न मळे तोपण खरच करवू पडे छे. हवे आ रिवाज जो तद्दन बंध करवामां आवे अने तेनी अंदर जेटला खर्चनो संभव रहेतो होय, तेटला रुपीआ जो दरेक गृहस्थ केळवणी विगेरेनां फंडमां आपे, तो आपणी उन्नतिमां केटलु बधुं वृद्धिरुप थई पडे ? अने तेओ पण महा पापी कार्यथी दूर थाय. पोताना विचारने मजबूत रीते वळगी रहेनाराओने जो आ खोटा रिवाजरुपी ताळाने कुंची देवा भलामण करीए, तो तेओना तरफथी एवो जवाब खचीत मळशे, के घणा वखतथी चाल्यो आवतो रिवाज हवे बंध करवो ? ए रिवाजो जेओना तरफथी प्रवर्त थया छे, तेओ शुं अक्कलमंद नहीं हता ? तेओ शुं गांडाघेला हता? तमे बधा सुधरेल थया अने इंग्रेजी भण्या ऐटले डाह्या, अने अमे बधा गांडा ? आवी रीते जवाबो मळे छे. रडवा कूटवाना पोईन्ट उपर ताजाकलम तरीके मारे आ जग्याए कहे जोईए के, जेओ खानदान कुटुंबनी स्त्रीओ होय तेओ ज्यारे बजारनी वचे रडे अने कुटे, त्यारे तेना कुटुंबना गृहस्थपणाने केटलुं मोटुं लांछन अने केटलो बधो बट्टो लागे! बोलवा हजु घणुं छे, विषयनां पोईन्टो पण घणां रही जाय छ, परंतु मने टाईम बहुज थोडो आपवामां आवेलो होवाने लीधे लाचार कुं. आपणे सधळाए एवा विचारपर आवq जोईए के, आजे छेलो दिवस छे जेथी कॉन्फरन्स समाप्त थाय छे, तेनी साथे आ खोटा रिवाजोने पण समाप्तिपर लाववा, अने हुँ पण मारुं भाषण हवे समाप्त करी वेसी जवानी आपनी पासे रजा लउं छं." ___बाद प्रमुख साहेबे मत लेतां उपलो ठराव ताळीओना अवाजो बच्चे सर्वानुमते पसार थएलो जाहेर करवामां आव्यो हतो. .. n Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७०) ठराव १० मो. फंडनी व्यवस्थाबाबत. "आ जैन कॉन्फरन्सने लगतां पांचे खातांना फंडोमां जे रकमो भराई छे, तेनी तमाम मुंडी एटले मूळ मुद्दल रकम तथा तेनुं व्याज पांचे खातांना संबंधमां वापरवा, व्यवस्था करवा तथा खर्च करवा, आ कॉन्फरन्सना चारे जनरल सेक्रेटरीओ तथा ट्रेझररो-(शेठ लालभाई दलपतभाई शेठ. फकीरचंद प्रेमचंद, बाबु राय कुमारसींहजी बद्रीदासजी अने मी. गुलाबचंद ढहाने तेमना चारेना एकमती अथवा तेओमांना त्रणना एकमतथी करवा, आ कॉन्फरन्स सत्ता आपे छे. दरखास्त करनार-शेठ कुंवरजी आणंदजी-भावनगर. टेको आपनार-सवेरी नगीनभाई मंछुभाई-मुंबई. मत लेतां ए दरखास्त सर्वानुमते पसार थई हती. आ वखते कॉन्फरन्सनां पांच खातांओ तथा निभाव फंडमां केटलीएक वधु रकमो भराएली शेठ कुंवरजी आणंदर्जाए जाहेर करी हती, जे (पुरवणी क अने ख) मां पहेलां भराएली बीजी रकमो साथे आपवामां आवेली छे. आ क्खते पालीताणावाळा कुमार श्री सामतासिंहजी, पोताना कुंवर श्री विजयसिंहजी साथे मंडपमां पधार्या हता, जे वखते सर्वे सभाजनोए तेमने ताळीओना हर्पनादी वधावी लीधा हता, अने प्रमुख साहेब राय बद्रीदासजी बहादुरे तेमने पोतानी जोड बेठक आपी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७१) ठराव ११ मो. जीर्ण जैन मंदिरोद्धार बाबत. श्री संप्रति महाराजाए, कुमारपाळ आदि प्रतिष्ठित राजाओए, तथा ते पेहेलां थयेला राजाओ, बहाडशा, विमळशा वस्तुपाळ, तेजपाळ विगेरे मंत्रीओए, धनाशा, जावडशा विगेरे शेठ शाहुकारोए श्री जैनधर्म ज्योतिना चिरंकाळ प्रकाशने माटे अढळक दोलतना व्यये, आ पंचमकाळमां आधारभूत एवां भव्य मंदिरो, तिर्थो तथा शिलालेखो अखिल भारतवर्षमां जगे जगे करावेलां छे, जेने आजे घणो लांबो बखत थई जवाथी तेमनो सत्वर जीर्णोद्धार करवा माटे १. जीर्ण थई गयेलां मंदिरो, तिर्थो अने पुरातन लेखोनु लीस्ट करवा, २. तथा जुदा जुदा विभागोमां सारा पाया उपर जीर्णोद्धार खातां उवाडवानी आ कॉन्फरन्स घणीज अगत्यता विचारे छे. दरखास्त करनार – शेठ. लालभाई दलपतभाई. – अमदावाद. टेको आपनार - पी. दोलतचंद पुरशोत्तम बरोडीया, बी. ए. – जुनागढ . अनुमोदन आपनार - शेठ मोहनलालभाई मगनभाई जवेरी. - मुंबई. मी. बालचंद हीराचंद मांदवडकर. - मालेगाम. शेठ वेणीचंद सुरचंद. - महेसाणा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७२) शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीना प्रमुख अमदावाद्वाळा शेठ लालभाई दलपतभाईर्नु भाषण. " मेहेरबान प्रेसिडेन्ट साहेब, प्रिय बंधुओ अने बहेनो ! तीर्थोद्धार संबंधी दरखास्त आपना आगळ मुकवानी हुं रजा लउंछु. सघळी तरफथी तैनी घणीज आवश्यकता कबुल करवामां आवे छे; पण तेनो अमल नथी थतो तेनां आपणी आळस अने भिन्नभाव एज कारणो छे. आ तीर्थोपरनां जुनां देवालयो आपणने शुं याद करावे छे ? एक तो आपणा पूर्वजो अति समृद्धिवान होवा जोईए, ते साथे मुव्यय केम करवो ते सजजता हता, ते साथे एटटुंज नहीं पण ते लोकोमा Sense of beauty अथवा शील्पनी खुबीओनुं सारं ज्ञान होऊं जोइए, ते आपणे तेमना शील्पकाम उपरथी जोई शकीए छीए. ते साथे ते लोकोनो राज्यमां पण सारो वगसग होवो जोईए, ते शिवाय आवां सुशोभित अने अमुल्य देवालयो बांधी शकत नहीं. आवां अमुल्य देवालयो के जे वारसोनी किंमत आपणाथी थाय नहीं ते आपणने मळेलो छे; ते वारसाने शी रीते जाळववो अने तेने नाश पामतां केवी रीते बचाववो, ते आपणुं कर्तव्य छे. साधारण नीतिमां पुत्रो पण त्रण जातना कहेला छे, तेमां जे सुपुत्रो कहेवाय छे ते पोताना पिताए मुकेली लक्ष्मी अने यशनो वधारो करे छे, अने मध्यम पंक्तिना पुत्रो जे मुकेली लक्ष्मी तथा यश होय छे तेनुं रक्षण करे छे, त्यारे त्रीजी पंक्तिना अधम पुत्रो ते बंने खोई वेसे छे; तो जो आपणे आपणां तीर्थोमां आवेलां जुनां देवालयोनी जाळवणी न करीए, तो आपणे कई पंक्तिमा आवीए तेनो विचार करशो, एटलुंज नहीं पण तेमांना केटलांक देवालयो अन्य दर्शनीयोनुं ध्यान खेंचनारां थई पड्यां छे. एक अंग्रेजी लेखक लखेछे, के आबुनां देवालयो शिवाय फक्त आखी दुनियामां सेंटपॉलनुं देवालय वधारे ध्यान खेचनाएं होय. आवी रीते अन्यमतीओनुं ध्यान खेंचनारां आपणां देवालयो फक्त आपणी बेदरकारीथी सुधरतां नथी, ते ओळु शोकजनक छे! वळी शास्त्र प्रमाणे नवां देवालयो बंधाववा करतां, जुनांने सुधारवां तेमां आठघणुं पुन्य कयुं छे, तो तेज आपणुं कर्तव्य छे. हाल गामे गाम नवां देवालयो बंधाववामां आवे छे, तेमां घणीवार अनेक चुक करवामां आवे छे. काम पैसाने अनुसार शरुं करवामां आवतुं नथी, ने हजारोनुं पाछळथी मोटूं काम उपाडी लई टीप करवानो घणो प्रयास करवामां आवे छे. तेवीज रीते आ तीर्थोद्धारना संबंधमां प्रयास करे, तो ते घणो स्तुत्य थाय. आ विषय बंध करता पहेलां वे अगत्यनां पोईंट कहेवानां छे, तेमांनुं एक ए छे के भिन्नभाव उपर में जे सुचना करी छे, तेनो दाखलो आपीश. एक प्रसिद्ध तीर्थ- देवालय रीपेर करवाने शेठ आणंदजी कल्याणजीने सूचववामां आव्यु हतुं, ने ते संबंधमां एक पुनाना गृहस्थे रजीष्टर नोटीस वटीक मोकली हती. मरामत शरु करवा सारं माणस पण मोकलवामां आव्यां हताः त्यारे बीजी तरफथी ते माणसोने त्यां ईच्छित काम शरुं करतां अटकाववामां आव्यां हतां. आ फक्त भिन्नभावनुज परिणाम देखाय छे. आ संबंधमां उपाय योजवानी जरूर छे; तो ते सवळां तीर्थोनो उद्धार एक स्थळेथी माणसो राखी जुदी जुदी दिशामा काम शरुं करवाथी ते पार पडवानुं नथी; कारणके जोईए तेना करतां वधारे Centralization थई जशे. पण आ बाबत ज्यारे ते ते जिल्लाना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७१) अथवा तालुकाना गृहस्थो मन उपर लेशे, तोज बनी शकवानुं छे. जेम शेर्बुजानुं गुजरातः तरफथी काम थाय छे, तेम शिखरजीनुं गुजरातनिवासीओथी थई शकवानुं नथी, अथवा शेजूंजानुं कलकत्तानिवासीओथी थई शकवानुं नथी. ते स्थानिक गृहस्थोथीज पार पडी शके छे; तेमां कोई मोटी बाबत होय तो अलबत कॉन्फरन्स अथवा मोटो समुह भेगो थयो होय त्यां निराकरण थई शके छे; पण तेवीज आवश्यकता तो कोईकज वखत नीकळी आवे छे. वधारे ध्यान खेंचनारो तो चालु वहीवट रहे छे. आ फक्त जैनसमाजनी स्थिति सुधरवा साथे थशे. खरं कहेतां जैनोद्धार थशे, त्यारेज बीजा उद्धारो तेनुं अनुकरण करशे. हवे बीजी एकज बाबत रही छे ते ए छे के, हाल कलकत्ता सरकार आगळ एक ऐतिहासिक जुना मकानना संबंधमां एक बील रजु थयेलं छे, तेनो खरडो में वांचेलो नथी, पण तेमां आपणां देवालयोनो समावेश न थाय ते जोवानुं छे. सरकारनी सारी भली लागणी छतां आपणी धर्मक्रियाओमां, तेमनी कोईपण जातनी सामेलगीरी आपणने अनुकुळ थवानी नथी; माटे तेमां आपणां देवालयोनो कोईपण प्रकारे समावेश थतो हशे, तो ते संबंधमां आपणे दरेक गामी विनयसिहत पण मक्कमपणे सरकारने दलीलो जाहेर करवानी जरुर रहेशे." जुनागढवाळा मी. दोलतचंद पुरशोत्तम बरोडिया बी. ए. नु भाषण. "महेरबान प्रमुख साहेब अने सद्गृस्थो, मारा भुरब्बी शेठ लालभाई दलपतभाईए जे दरखास्त करी छे, तेने टेको आपवाने माटे महेरबान प्रेसिडेन्ट साहेबे मने आज्ञा करी छे, तो ते विषे आप साहेबोनी हजुरमा जे बे बोल कहेवाना छे, ते कहेवानी रजा लडं छु. राजीमतिं यः प्रविहाय मोहं, स्थितिं चकारापुनरागमाय । सर्वेषु जीवेषु दयां दधानस्तं नेमिनाथं प्रणमामि नित्यम् ॥ जे बावीसमा तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान् राजीमति प्रत्येनो पोतानो मोह तजीने मोक्ष स्थितिने पाम्या, तथा जे नेमिनाथ भगवान् सर्व जीवउपर दया राखे छे, तेमने हुं हमेशां नमस्कार करुं छु. __ अहो प्रिय बांधवो! ज्यां ज्यां आपणा तीर्थकरोनां कल्याणिक थयां छे, एटले के ज्यां ज्यां तेमनो जन्म दिक्षा केवळ मोक्ष आदि थयां छे, ते ते स्थानोने तीर्थ मूर्तिओ कहे छे. चौत्रीस अतिशय विराजमान तथा पांत्रीस गुणयुक्त वाणीए शोभमान आ अवसर्पिणीना पहेला तीर्थकर श्री अष्टापद पर्वत उपर मोक्ष गया छे. चोवीसमा तीर्थकर श्री महावीर स्वामी अपापापुरी अथवा पावानगरीए मुक्तिपद पाम्या छे. बारमा अरिहंत श्री वासुपूज्य स्वामी चंपानगरीमां सिद्धिपद पाम्या छे, अने बावीसमा तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जुनागढनी पासे आवेला श्री गीरनार पर्वत उपर मोक्ष पाम्या छे, तथा बाकीना वीस तीर्थकरो बिहार प्रांतमां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७४ ) आत्रेल समेतशिखर पर्वत, जे पार्श्वनाथना नामथी ओळखाय हे त्यां मोक्ष पाम्या छे. श्री गीरनारजी उपर आपणा बावीसमा तीर्थकरनां त्रण कल्याणक थयां छे, एटले के दिक्षा केवळ ने मोक्ष ए त्रणे त्यां थवाथी, ते पर्वत घणोज पवित्र गणाय छे. आपणामां नीचे प्रमाणे हाल पांच तीर्थ श्रेष्ठ गणाय छे: -- आवु अष्टापद गिरनार, समेतशिखर शत्रुंजयसारः पंचतीर्थ ते उत्तम ठाम, सिद्धि गया तेने करूं प्रणाम. बळी श्री सकलार्हत नामना आपणा चैत्य वंदनमां नीचे प्रमाणे श्लोक छे, तेमां पण तीर्थोनां नाम छे: ख्यातोष्टापदपर्वतों गजपदः संमेत शैलाभिधः । श्रीमान् रैवतकः प्रसिद्धमहिमा शत्रुंजय मंडपः ॥ वैमारो विपुलोर्बुक्ष गिरिवरः श्रीचित्रकूटाचलः । तंभ श्री ऋषभादयो जिनवराः कुर्वन्तु वो मंगलम् || प्राचीनकाळमां आपणा महान् जैन राजा संप्रति, के जे अशोक राजाना पात्र थाय छे, तेमणे ९९००० जीर्ण मंदिरोनो उद्धार, तथा २६००० नवां मंदीर एटले कुल सवा लाख मंदिरो बनाव्यां छे. वस्तुपाळ, तेजपाळ जे गुजरातना राजा कुमारपाळना मंत्री हता तेमणे, विमळशाहे धनाशा वगेरे करोडपतिओ ने अबजपतिओए करोडो रुपिआ खर्ची पालीताणा, गीरनार, आबु ने राणकपुर वगेरे ठेकाणे मंदिरो बनाव्यां छे. एवा करोडपतिओ ने अबपतिओ हालमां नथी. तेमणे बनावेलां मंदिरोनो उद्धार करवामां पण, आपणे लाखो ने करोडो रुपीआ जोईए; पण आपणी पासे एटलुं द्रव्य तैयार नथी, तो ते एकटुं करवानी खास जरुर छे. आपणां तीर्थोमां केवी आशातनाओ थाय छे, ने केवी गेरव्यवस्था थाय छे, ते जेणे नजरे जोई हशे तेज जाणे छे. ते विषे हाल वधारे कहेवानी जरुर छे. वखत टुंको छे, ते विषे कहेवा बेसीए तो कलाकोना कलाको थाय, ते छतां पण ते विषय पूरो थाय तेम नथी. मात्र एटलुंज कहेवानी जरुर छे, के ते आशातनाओ तथा गेरव्यवस्था दूर करवामां आपणे तन मन ने धनथी प्रयास करवो जोईए. आपणां असंख्य देरासरो छे, पण आपणां पवित्र तीर्थो उपर तो आपणे खास लक्ष आपवानी आवश्यकता छे. आपणी कोममां सर्व प्रकारना उद्धारनी जरुर छे. आपणां साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका, एमनो पण उद्धार करवो जोईए, आपणी क्रियाओनो उद्धार, आपणां पुस्तकोनो उद्धार, अरे आपणां शरीरोनो पण उद्धार करवो जोईए. केळवणीनी बाबतमां आपणे फीझीकल एज्युकेशन आपवानी खास जरुर छे, ए प्रमाणे दरेक बाबतोनो उद्धार थवो जोई. हवे मारे आपणा शिलालेखो माटे कंईक कहेवानुं छे. जेम आपणे मागधीनो अभ्यास करवो जोईए, संस्कृतनो अभ्यास करवो जोईए, तेमज आपणे जुनी लीपीना अक्षरो जाणवा जोईए, जेना नमुना मारी पासे छे, ते आपने हुं बतावुं हुं; ते उपरथी आपनी खात्री थशे, के 'क' ने माटे अशोकना लेखमां मात्र चौकडीनुं चिन्ह छे. एवा अक्षरोनुं लीस्ट तथा शिलालेखनुं लस्ट में तैयार कर्यु छे, ते आपनी रुबरुमां बतावुंछु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७५) जे ब्रिटिश शेहेनशाहतमा रहीने आपणे अत्रे भेगा थवा शक्तिमान थया छीए, ते राज्य दरेक धर्मने मान आपे छे, ते घणीज आनंदनी वात छे; तो आपणे पण आपणो धर्म बराबर पाळी आपणी फरज अदा करवी जोईए." झवेरी मोहनलाल मगनभाई- भाषण. " मेहेरबान मानवंता प्रेसीडंट साहेब, डेलीगेटो, सद्ग्रहस्थो अने बानुओ, मारा प्रथमना बोलनार विद्वान् बंधुओए आ विषय उपर घणुं विवेचन कर्यु छे, तेथी तेज बाबत उपर वधारे नहीं बोलतां नीचेनी खास एटले जरुरनी बाबत तरफ आपनुं ध्यान खेचवानुं छे, ते उपर ध्यान आपशो एवी आशा राखं छु. आपना जाणवामां छे के आपणां मुख्य तीर्थ १ शत्रुजय एटले सिद्धगीरी, २ गीरनार, ३ समतशिखर, ४ अष्टापदजी अने ५ आबुजी, ते जगजाहेर छे ते आप जाणो छो; तेमज कल्याणक भूमिओ छे, एटले ते जगोए प्रभुना कल्याणकनां स्थळो छे, ते ठेकाणां तीर्थकर प्रभुना कल्याणक तीर्थोथी जाहेर छे. ते तीर्थोमां पगलां अगर देरासरजी आगळना विच्छेद गयेला छे, तेथी विच्छेद गएला तीर्थ तरीके ओळखाय छे; माटे तेना पुराणा पाया उपर उद्धार करी तीर्थ स्थापन करवानी खास जरुर छे. तेनां नाम आपने नीचे मुजब आपुं छु: भठीलपुर तीर्थमां शीतळनाथजी भगवाननां चार कल्याणक थयां छे. मिथिला नगरीमां मलीनाथजी अने नेमीनाथजी मळी आठ कल्याणक छे. पुरीमताल तीर्थ, प्रयाग अथवा अल्हाबाद तेमां प्रथम तीर्थकर जे रुषभदेवजी महाराज तेमनु केवल ज्ञान कल्याणक छे. कोसंबी नगरी, ते तीर्थमां पण प्रभुनां चार कल्याणक छे. सावथी नगरीमां संभवनाथ प्रभुनां चार कल्याणक छ. हवे आपने कहेवानी बीजी बाबत ए के मोटां तीर्थो जे करोडो बल्के अबजो रुपीआ खर्ची चैत्यो बंधावेलां ते जीर्ण थई गयेलां छे, ते आपनी आगळ जणाववानी रजा लऊं छु. अयोध्या नगरीमा १९ कल्याणक थयेलां छे, जेमके ३ रुषभदेवजी, ४ अजीतनाथजीना, ४ आभिनंदन स्वामीजीनां, ४ सुमतिनाथ स्वामीजीनां अने ४ अनंतनाथ स्वामीजीनां मळीने १९ कल्याणक छे. राणकपुर तीर्थ जे धनाशा शेठे करोड द्रव्य खरची करेलुं छे, जेमां १४८४ थांभला अने जेमां हजारो प्रतिमाना भंडारथी भरेलां बींबनां ८१ भोयरां छे, ने तेवा महान दहेरासरजीमांना पथ्थरना ३६ पाटडा तुटेला छे अथवा जीर्ण थयेला छे, तेमज एक तरफनी भीतने दुरस्त कराववानी खास जरुर छे. तेमा हाल खर्च करवाने चाळीस हजार, आशरे काम छे, तेटली रकम शेठ आणंदजी कल्याणजी तरफी खरचवाने तैयार छे; परंतु ते बाबत दीलगिरी साथे मारे जणावQ पडे छे, के सादडीना पंच जेमां ओसवाळ अने पोरवाडनां पंचो छ, तेना एक बीजाना अरसपरसना झगडाथी आणंदजी कल्याणजीए रु. ५००० खा छे. बाकी खा नथी; कारणके रु. २० ) हजार सादडी गाममा धीरेला छे, ते डुबी जवा जेवा छे. श्रावकोने दहेरासरना रुपिया धीरवा, ते तद्दन गेरव्याजबी छे. घणांक स्थळोए लाखो रुपीआ डुबे छे अने डुबशे, तेथी मारे एम कहेवानुं छे के देरासर छती Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७६ ) पुंजीए पण जीर्ण हालतमां आवे छे, माटे मजकुर तीर्थनो जीर्णोद्धार जेम बने तेम जलदीथी थाय, तेवी आपने अरज करूं छु.. __आबु तीर्थ के जे देहेरा, कोतरकाम आखी दुनियामां प्रसिद्ध छे, ते केटलीक जीर्ण अवस्थामां आवेलुं छे, जेनी आपणा नामदार गवरनर जनरल साहेबे, ते तीर्थे गई साल आवेला ते वखते खास तारीफ करी हती अने भलामण करी हती के, आ तीर्थने सारी हालतमा राखवू, अने जो जैनो पुरतो खर्च ना करे तो गवरमेन्ट खर्च करे अने कबजो संभाळी राखे; अने फक्त श्रावको सेवापूजा करे. आ उपरथी भाईओ धडो लेवानो छे के जुना तीर्थोनी आपणे रक्षा नहीं करीए, तो गवर्नमेंटे खास कायदो को छे तेनो लाभ लो; माटे ते उद्धार बाबत पण आपनुं ध्यान खेंचवानुं छे. _____ कुंभारीआ तीर्थनां देहेरां पण घणांज जीर्ण स्थितिमां आवी गएलां छे, तेनो जीर्णोद्धार जलदी थवानी खास जरुर छे. तेना वहीवटदारो रु. १५) हजार खरचवाने हाल परवानगी आपवा तैयार छे; परंतु तेनी हाल संभाळ आबरुदार गृहस्थ ले, तेवी खास जरुर छे. ते बाबत पालणपुरना गहस्थो के जेमना नजीक ते तीर्थ छ तेओ तेनी मेनेजमेंट माथे ले, तो ते उद्धार जलदी थवानी वक्की छे, अने ते बाबत पालणपुरना गृहस्थाचं ध्यान खेंचवा मागुं छं. शेजूंजा तीर्थमां पण खडतरवशीमां जीर्णोद्धार थवानी जरूर हती; परंतु गई सालमां सारी रकमनी टीप पण थई छे, तेथी करीने थोडी मुदतमा जीर्णोद्धार पुर्ण थएलो जोवाने भाग्यशाळी नीवडीशु. तेमज सदा सोमजीनी जे चोमुखनी टुंक, तेमां पण जीर्णोद्धार करवानी खास जरूर छे ते बाबत पण ध्यान खेंचवा मागुं छु. गीरनारजी तीर्थ जे जुनागढमां छे तेमां पण जीर्णोद्धारनी खास जरूर छे. आ सिवाय घणांक गामो अने शेहेरोमां पण जीर्णोद्धारनी जरूर छे, तेवी घणीक जगानां नाम अने तेनी हालत विषेनी हकीकत मारी पासे मोजुद छे; परंतु वखत थोडो छे माटे तेनुं वर्णन वधारे करी शकतो नथी. ___ हवे आपने जणाववानी जरूर छे के, देहेरासरोना जीर्णोद्धार जलदी नहीं थवानां कारण ए छे के, केटलांक स्थळोमां साधु साध्वी तेम धर्मोपदेशको एकनी एकज जगाए घणो वखत रहे छे, अने जे ठेकाणे विहार करवानी जरूर छे त्यां जई शकता नथी; तेथी करीने उपदेशकोना उपदेशनी खामीने लीधे घणो काळ बीती जाय छे, ते खामी दुर करवाने पगलां लेवानी जरूर छे. केटलांक शेहेरोमां एक देहेरासरमां सारी पुंजी होय छे, अने खर्च करतां पण घणी आवदानी होय छे, अने तेनी साथना देहेरासरमां पुरती मदद होती नथी. तो एकबीजां देहेरासर अरसपरस नाणां संबंधी मदद करतां नथी, ते दिलगीरीनी वात छे; माटे भिन्नभाव नहीं गणतां एकबीजां देहेरासरोमां मदद करे, तेवी खास जरूर छे.. आजकाल आपणा भाईओ पोतानी मोटाईनो लोभ देखाडी, वाहवाह कहेवडाववाने माटे तथा मोटाई मेळववाने माटे, जे गाममां मोटा मोटां देहेरासरो छे त्यां पण तेओ दरसाल नवां नवां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७७) करावतां जाय छे. ते तो ठीक, परंतु ते देरासरनुं खर्च नभाववानी कांईपण रकम मुकवी जोई. ए, परंतु ते मुकता नथी. तेमज केटलीक जगोए एवी जगामां देहेरां कराववामां आवे छे के, श्रावकोने पुरतो लाभ तो मळेज शानो ? उलटुं कोई वखते देहेरं संभाळवू पण मुश्केल पडे छे; माटे ते बाबत एटलुंज कहेवानुं छे के, जेओ नवु देहेरुं कराववाने समर्थ होय तेओए तेना खर्चने माटे आवकनी पण गोठवण करवी जोईए; अने देहेरं बांधती वखते आगळ उपर आ जगा उपर साचवणी रहेशे के नहीं, ते विषे पण ध्यान पहोंचाडवू • जोईए; परंतु मारे एटटुंज केहेवानुं छे के, नवां नवां देरासर नाम खातर कराववा करतां, ते रकम (जेमके अमदावादना एक ग्रहस्थ जेओ आपणी कॉन्फरन्समां बिराजेला छे, तेमज तेवाज बीजा जे ग्रहस्थो बिराजेला छे, तेओ पोतानी नामना करवानी दरकार नहीं करतां लाखो रुपीआ जीर्णोधारमा खा करे छे, ते माटे तमने धन्यवाद आपुं छु, अने तेवाज नरोना दाखला लई नामनानी लालच नहीं करतां) जीर्णोद्धारमा खर्च करवा तत्पर रहेशे, तेवी आशा छे. वळी केटलेक ठेकाणे घणी प्रतिमाजी पूजातां पण नथी अने अपूज्य रहे छे, छतां कोई लेवा जाय छ तो तवो नकरो आपवा छतां आपता नथी; माटे ज्यां उद्धार थतो होय त्यां आपवाने वांधो लेवो ते घणीज भूल छे, माटे ते वांधो लेवो जोईए नहीं अने खुशीथी आपवी जोईए. एक बे ठेकाणे आखा देहेरासरनी आवक पूजारीओने सोंपी दे छे, जेथी आगळ उपर पूजारीओ मालीक जेवा थई जाय छे, अने हजारो रुपीआनी देहेरानी मीलकत खाई जाय छे; माटे पूजारीओने लागा करी आपवा नहीं जोईए, परंतु पगारथी राखवा, जेथी भेगी थयेली मीलकतथी जीर्णोद्धार आगळ उपर करवाने अगवड पडे नहीं. केटलांक देहेरासरोमां वगर अंजनसलाका थयेली प्रतीमाजी बेसाडे छे ते दोष छे; कारण ते करतां तेटलाज पैसा जीर्णोद्धारमा खर्चे, तो घणुं पुन्यनुं काम छे. केटलांक देहेरासरोमां चांदीना अने पीतळना अष्टमंगळ वधी जाय, अने उजमणां करनारना घरमां अष्टमंगळो अपूज्य रहे छे, ते करतां एकज देहेरासरमां नहीं मुकतां ज्यां बीलकुल अष्ठ मंगळ होय नहीं, तेवां देहेरांमां मोकलवां, ते घणुं सारुं छे. आ उपरथी मारे टुंकामां एटलुंज कहेवानुं छे, के नवा देरासर करतां जीर्णोद्धार थवानी घणी जरूर छे; अने जे ग्रहस्थो नवो उद्धार करवा ईच्छता होय तेमने जर्णोिद्धार करवाने मारी भलामण छे, अने सर्वे ग्रहस्थोने कॉन्फरन्स तेम करवाने भलामण करशे, तेवी आशा राखुं छु. वखत थोडो छे तेथी मारुं बोलq बंध करी हुं रजा मांगुं छं." मी. बालचंद हिराचंद ( सत्यमित्रना अधिपति) मालेगामवाळानुं भाषण. "प्रमुख साहेब, मारा प्रिय जैन बांधवो अने मारी सुशील बेहेनो! जीर्ण जैनमंदिरोना उद्धार बाबत शेठ लालभाई दलपतभाई तथा मी. बरोडीआए विशेष विवेचन कर्यु छे, तेनेज विशेष पुष्टी आपतां मारे जणावq जोईए के, आपणामां सात क्षेत्र मानेलां छे, ते जैन धर्मनो आधार छे, तेज जैनधर्मनो पायो छे अने. जैनधर्मनी ख्याति तेमांज़ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७८) रहेली छे; अने तेमां पण जीनवींव अने जीनमंदिर ए मुकुटमणी सरखां शोभे छे. ते अत्युत्तम क्षेत्रनुं रक्षण करवुं, तेनी सारी संभाळ राखवी, तेने दीपाव ए आपणुं आद्य कर्तव्य छे. घणांएक एवां देरासरो छे, के ते तरफ जोतां हृदय कंपित थाय छे, त्यांनी आशातना जोई विलक्षण दुःख उत्पन्न धाय छे. जे ठेकाणे देवताओं नृत्य करता हता, जे ठेकाणे अप्स - राओ गायन करती हती, ते ठेकाणे पशुओ नृत्य क्रीडा करे अने कीटको इतस्ततः करे, ए. खरेखर आपणा माटे मोटुं शरमभरेलुं छे. घणा लोको नवां देरासरो बंधावे छे, तेमां पुण्य छे एमां संशय नथी; पण जीर्णोद्धा -- रमां तेथी आठघणुं पुण्य शास्त्रकारे बतावेलुं छे, ए लक्षमां राखवं जोईए. केटलांएक देरासरोना भंडारोमां लाखो रुपी शिल्लक छे, हजारो रुपिआनी उपज थती जाय छे, अने बीजी तरफ प्रभुने केसर पण न चढतुं होय, पूजा विगेरेनी कोई दरकार न राखतुं होय, ए कांई थोडुं शरमभरेलुं नथी ! एक भाई लाडवा जमतो होय, अने तेना जोडेज तेनो भाई भूखथी टळवळतो होय, ए खरेखर विस्मयकारक छे. एक देरासरमां सुवर्ण रत्नना मुकुट प्रभुने चडे, ने बीजा देरासरमां तद्दन अंधार होय, ए विशेष खेद उपजावनाएं छे; माटे मोटा भंडारोमांथी पण जीर्ण थएला देरासरोने मदद आपवानी खास जरुर छे. दक्षिण भागमां श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथनुं तीर्थ अति प्रभाविक अने प्रख्यात छे. त्यां प्रतिमाजी जमीनथी अद्धर छे; पण हालमां एक खुणे जरा जमीननो स्पर्श थयो छे, ते आपणा प्रमादनुं, आपणे करेली आशातनानुंज फळ छे एमां सदेह नथी. त्यांना गोठी लोको पोतेज मालेक थई बेठेला हता, पण अमारा केटला एक भाईओनी खटपटथी सरकारमां काम चाली, हवे आपणी संपूर्ण मालकी थई छे, अने पंचना लाभमां बधो निकाल थयेलो छे. त्यांनी आशातना दूर करवानी ख़ास जरुर छे, त्यां पण जीर्णोद्धारनी केटलीएक जरुर छे. माटे साहेबो! हवेथी झटपट जीर्णोद्धारनां स्वातांओ उघाडी आशातनाओ दूर करवी, अने जीर्ण मंदिरोनो उद्धार करवो, ए आपणी फरज छे. वखत बहु टुंको होवाने लीधे हुं मारुं भाषण अहींआज पुरुं करुछं. " मेहसाणावाळा मी. वेणीचंद सुरचंदनुं भाषण. “आ विषय उपर अगाऊ बोलाई गयुं छे तो पण हुं टुंकमां थोडुं बोलवा चाहुं छं. १. जैन मंदिरोनो जीर्णोद्धार ए पोताना आत्मानोज उद्धार छे. अनादि काळना कर्मरुपी रोगने मटाडवाने ते एक औषधी छे माटे ते खातामां तन, मन, धनथी सर्वे साहेबोए पोतानी शक्ति प्रमाणे मदद आपवानी जरुर छे; एटले के पैसावाळाए घननी, बुद्धिवानोए मननी अने गरीबोए पोतानी जातमहेनतनी मदद आपवानी जरुर छे. आवी रीते करवाथीज आवां महान् कार्यों बनी शके छे. २. आपणा वडीलोए लाखो अने करोडो रुपीओ खर्ची जे अमूल्य मंदिरो बंघाव्यां, ते स्वी जीर्ण स्थितिमां आवेलां छे के तेने तुरत समराववानी जरुर छे; अने जो आ काममां विलंब करवामां आवशे तो आगळ उपर वधारे खर्चमां उतरवुं पडशेज दिलगिरीनी वात एट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७९) लीज छे के, ज्यारे पोताना घरने वास्ते बराबर संभाळ, राखवामां आवे छे, त्यारे आ बाबत उपर बरोबर काळजी राखवामां आवती नथी. ३. आ बाबतने वास्ते दरेक शहेरमा कमीटीओ नीमवानी जरुर छे, अने एक कमीटी बधांनी उपरी तरीके पण नीमवानी जरुर छे; कारणके दरेक ठेकाणे कमीटीओ हशे तो ते कमीटी तेनी आसपासनां गामोनी संभाळ राखी शकशे, अने तेनो रीपोर्ट उपरीकमीटीने करी शकशे, जेथी ते बहार पाडी शकाशे. ४. केटलांक तीर्थो तथा देरासरो छते रुपीए, आगेवानोनुं लक्ष नहीं होवाथी जीर्ण स्थितिमां आव्यां छे; माटे दरेक शहेरना आगेवानोए, अथवा आपणे कमीटी नीमाशुं तो तेओए, आ बाबतमा पुरतुं लक्ष आपवानी जरुर छे. ५. हालमां सिद्धाचळजी तथा गीरनारजी जीर्णोद्धारनुं काम शरुं छे; परंतु श्री राणकपुरना जीर्णोद्धारना काममां त्यांना आगेवानोनी मददनी जरुर छे, आ अलौकिक मंदिर जीर्ण स्थितिमा आवेलुं छे, तेने माटे रु. २१०००) आशरे थएला छे, पण ते काम घणा रुपीआनुं छे, तेमां रु. ५०००) शेठ आणंदजी कल्याणजी तरफथी खर्चाएला छे. ६. श्री सिद्धाचळजीमां चोमुखजीनी टुंकमां पेसतां जमणी बाजुनो मोटो गढ जीर्ण थई गयेलो छे. हालमां श्रावण मासमां वचमांथी गाबडु नीकळी गयु छे, अने पाछळ केटलोक भाग नमी गयो छे, ते पण खास ताकीदे करवानी जरुर छे. ७. पुर्व तरफनां तीर्थो अयोध्या, विगेरे जीर्ण स्थितिमा आवी गयेलां छे, तेने वास्ते पण तुरत आरंभ करवानी जरुर छे. ८. दरेक जगोए, गामोगाममां, प्रतिमाजी महाराजने चक्षु, टीका, नवअंगनां तिलक जोईए, तेवां नहीं होवाथी केसरनी गरमीथी प्रतिमाजीना अंगमां खाडा पडी जाय छे, ते आशातना दुर करवाने हुंशियार माणसोने गामोगाम मोकली, टीका विगेरे चोडाववानी खास जरुर छे. ९. उपर प्रमाणे जणावेली बाबतो माटे, आप साहेबोनुं हुं खास ध्यान खेंचुं छु, अने आ बाबतमां कई दोष थयो होय तो क्षमा मागुं छु, अने मारुं भाषण पुरं करुं छं." बाद मत लेता ठराव सर्वानुमते पसार करवामां आव्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८० ) ठराव १२ मो. धार्मिक खातां तथा शुभ वातांना हिसाबो बराबर राखवा बाबत. अने १. आपणा जैन धर्मनां सार्वजनिक खातांओ, जेवां के देव द्रव्य, ज्ञान द्रव्य, साधारण द्रव्य संबंधी खातांओ बहुज चोखवटवाळां राखवा, २. चालु जमानाने अनुसरीने ते खातांओना आवकजावकना हिसाब अने सरवैयां प्रत्येक वर्षे बराबर तैयार करवा, ३. अने बनी शके तो ते खातां ओने । हिसाब प्रगट करवा माटे, दरेक शहेरना तथा गामना जैन आगेवानोने आ कॉन्फरन्स खास सूचना करे छे. दरखास्त करनार - शेठ अनुपचंद मलुकचंद - भरुच . टेको आपनार - लाला माठुमलजी - दील्ही. अनुमोदन आपनार - वकील हरजीवनदास दीपचंद - राधनपुर, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८१) भरुचवाळा शेठ अनुपचंद मलुकचंदनुं भाषण. " चर्म उपगारी श्री महावीरजीने प्रणाम. सभापति साहेबने प्रणाम करूं छु. आनंदकारी श्री संघने प्रणाम करूं छु. आजे आ मंडपमा श्री संघ मळेलो छे, तेने जोईने आनंदनो पार रहेतो नथी. मारी आखी जींदगीमां देशदेशना जैन आगेवाननो आवो मेळावडो मारा जोवामां आव्यो नथी, ते जोईने घणोज आनंद थाय छे. मने सभापति साहेब तरफथी जैन देरासर, तेमज ज्ञानखाताना, तेमज साधारण खाताना हिसाबो सारीरीते राखवा विषे बोलवानी आज्ञा मळी छे, ते आ श्री संघ आगळ निवेदन करुं छु. हे साहेबो। आपणां देरासर तथा ज्ञानखाताना तथा साधारण खाताना हिसाब राखवा, तेनी संभाळ राखवी, तेनुं नाणुं जाळवी राख,, आ कामनी तन मनथी महेनत करवाथी तीर्थकर नामकर्म उपार्जन करवानुं फळ शास्त्रमा प्रभुए दर्शाव्युं छे; माटे ए काम जे पुरुषो करे छे तेमने धन्य छे. एनुं अनुमोदन करे छे, ते पण महाफलने उपार्जन करे छे, माटे जे जे वहिवटदारो वहिवट करे छे, तेमनी पासे उपर जणावेल त्रण खातामाथी ते पेटानां खातां घणां थाय छे, तेमांथी कोईपण खातानो वहिवट करता होय, तेमणे महाफळ पामवानी आशाए ते हिसाबो चोख्खा राखवा जोईए. दर पचुसणनी संवत्सरीए कांईपण नामुं लखवानुं बाकी रहे एम न थर्बु जोईए. जे जे वखत जे नाणुं आवे ते जमे करवं; तेमज घी आंगीओ विगेरेना पैसा लेवाना थाय, तेनी तरतज नोंध करवी, तेमज ते पैसानी तरतज उघराणी करी लई लेवा;पण तेमां आळसुथर्बु न जोईए. आळस करवाथी जेने पैसा देवा छे ते देवें रही जाय छे, अने काळ करे तो दुर्गति थाय, माटे जेने देरासर विगेरेनुं काई दे, होय ते तरत आपq. उघराणीनी राह जोवी जोईए नहीं, तेमज कारभारीए मंगावी लेवानी पण जरुर तजवीज राखवी जोईए, अने प्रमाद करवो जोईए नहीं. देरासर विगेरेनुं नाणुं होय तेनुं व्याज उपजाववामां पण, जेम पोतानां नाणांनी फिकर राखीए छीए तेवीज रीते फिकर राखीने धीरवं. देरासरना दागीना विगेरे होय ते थोडी किंमतना या वधारे किंमतना होय, पण जेम पोतानां रत्नादिक जाळवीए छीए तेवी रीते जाळववा जोईए, तेमां पण प्रमाद न थवो जोईए. प्रमाद थवाथी देवादिक द्रव्य विनाश अफळ थाय छे. उपदेश पदमां हरिभद्रसुरी महाराजे देव द्रव्यनो विनाश करनार तथा देवद्रव्यनी उपेक्षा करनार, बोधबीज हारे अने दुर्गतिए जाय एम कर्दा छे; माटे देवादिक द्रव्यनुं रक्षण करवामां जरापण कसर राखवी नहीं जोईए; तेमज देव द्रव्यना, साधारण द्रव्यना तथा ज्ञान द्रव्यना पैसा श्रावकने धीरवा न जोईए; तेमज कारभारीए पोते पण व्याज आपीने पण देवू करवं जोईए नहीं; कारणजे देव द्रव्यनुं नाणुं लेवाथी काईपण फायदो थाय, काईपण पैसा बचे वा बीजानुं देवू न करवू थाय, तेथी आबरु वधे एवो कोईपण देव द्रव्यथी फायदो थाय, ते फायदो दुःखदाई छे. जुओ श्राद्धविधिने विषे शकाश श्रावकनी कथा. शकाश श्रावक देरासरनो कारभार करता हता, अने देरासरनुं द्रव्य साचवता हता, ते अवसरमां देरासरमां काम चालतुं हतुं, तेना मजुरो विगेरेने पैसा आपवा जोईए, ते पैसा बदल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८२) पोतानो माल अनाज, गोळ विगेरे मजुरने आपता अने पैसा पोते लेता; तेमां देरासरमां कांई नुकसान गयुं नधी, पण पोतानो माल खप्यो तेमां रुपिया एकनी एंसी काकनी थाय, तेवी एक हजार काकनीनी पेदाश थई; तेना प्रभावे नर्कमां साते नर्के घणीवार जनुं थयुं, तेमज एकेंद्रियादिकमां पण हजार हजार भव करवा पड्या छे; जे भवनो पार नहीं एटला भव रोळावुं थयुं. एम घणा भव भमी, पछी मनुष्य थया त्यारे पण जन्म धयो ने मातापिता मरी गयां, अने धन हतुं ते नाश पाम्युं. मामाने त्यां गया तो आग लागी, एम ज्यां जाय त्यां राखनारने नुकसान धाय अने कोई राखे नहीं. झाजमां बेसी द्वीपांतरे गया त्यारे मनमां आव्युं जे, आ वखत तो सहीसलामत पहोंचीशुं एटले तोफान जाग्युं अने डुब्या, पण पाटीयुं हाथमां आववाधी तेने बळगीने बहार नीकळ्या. त्यां पण घणां दुःख भोगव्यां एटलामां महामुनि महाराज मळ्या छे. तेमणे पाछला भवनुं देवद्रव्य भक्षणनुं स्वरुप तथा भव भ्रमणनुं स्वरूप दर्शाव्युं, तेथी वैराग्य पामी गुरुना फरमाव्या माफक देवद्रव्य आपवानो ठराव एत्रो कर्यो के, जे धंधो करूं तेमांथी खात्रा अने वस्त्र पहेरवा जोईए एटलुं वापरतुं, अने बाकी वधे ते देवद्रव्यना देवामां आपवुं. आवो निश्चय कर्यो त्यारथी पेदाश थवा मांडी, अने देवद्रव्यनुं देवं अदा कर्तुं त्यारबाद मोटा धनवान थया अने पूर्ण शुद्धताथी देवद्रव्यनुं रक्षण कर्यु, तेथी पालुं तीर्थकर गोत्र उपार्जन कर्यु. आ कथामां बे वातनो पुरावो छे. खाधाथी दुर्गतिनुं फळ अने रक्षणथी मोक्षप्राप्ति; माटे तेना उपर लक्ष दई कांईपण देवद्रव्यथी पोताने फायदो धाय ते काम करवुं नहीं. देरासरनुं घी विगेरेनुं देवुं होय ते सारुं देरानां माणसो धक्को खाधा करे अने तेने पैसा आपे नहीं, ए पण ओछ्रं पाप छे एम समजवुं नहीं; तेम कारभारीने सर्वे भाईओए बनती मदद करवी जोईए. मदद न करतां तेमनी निंदा करवी, अने कारभार करनारनुं मन काम करवाथी खशी जाय तेम करवुं ते पण महापापनुं निमित्त छे. दुनियामां भूल सौनी थायछे. आपणे पोताना काममां भूल खाईए छीए के नहीं ? तेम कारभारी पण भूल खाय, तो तेमने एकांतमां सभ्यताथी समजाबवा के फरी भूल न थाय. आ उचित करणी करवा जेवी छे; तेमज केटला एक कारभारी प्रमाद करता होय, अने सभ्यताथी कोईपण संघनां माणस कहे तेनी बात नहीं सांभळतां तेने उडाऊ जवाब देवो, ए पण उचित नथी. देरासर विगेरेनां नाणां तथा चोपडा कोईपण संघनुं माणस जोवा मागे तो वगर ढीले बताववां जोईए, अने जोवा न आवे तोपण दर वर्षे संघ एकठो करी संघ आगळ हिसाब रजु करवो जोईए; तेमां केटलेक ठेकाणे बोलाव्या छतां संघना गृहस्थो आवता नथी तेम पण थवुं जोईए नहीं. कारभारीए संघ आगळ हिसाब रजु करवो ने संघे जोवानो महावरो राखवो जोईए, एम करवाथी कारभारीने हिसाब चोखो राखवानी जागृति थाय छे. वळी देरासर विगेरेनुं देवुं होय तेनुं लीस्ट संघ वचे वंचाय, तेथी आबरुदार माणसो आबरु सारुं पण देरासरना पैसा आपी दे. वर्षमां एक वखत संघ आगळ हिसाब रजु करवानी जरुर छे, ते बहुज फायदानी वात छे. वळी केटलाक कारभारी तो एमज जाणे छे के, देरासरनो कारभार तो अमारा वारसामां आवेलो छे ते अमेज करीए. पोतानी शक्ति न होय. ते छतां बीजाने कारभार सोंपे नहीं, ने पोताथी काम थाय नहीं तेथी केटलाक प्रकारनी देवद्रव्यनी हानि थाय ने पोतानुं दुर्गतिमां जनुं थाय; माटे आग्रहथी कारभार राखवो, कोई जोवा मागे तो बताववो नहीं ए जीन शासननी मरजादथी उलटुं छे, अने ए शुभ कर्म मोक्ष उपार्जन करवानुं स्थानक छे; माटे बधा साहेबोए हिसाब सारीरीते राखत्रा, जे जोवा मागे तेने बताववा, कोई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८३) हिसाब छपाववा लायक होय तो छपाववा पण सर्वे काम लांबो विचार करी जेम देवद्रव्यनी वृद्धि थाय ते उपर लक्ष दई थर्बु जोईए. हालमां आपणा शेठ लालभाई दलपतभाईए पोते मने कडं जे, अमोए आणंदजी कल्याणजीना कारखानाना मुनीमने हुकम आप्यो छे के, कोई श्रावक हिसाब जोवा जणावे तो बताववो. तेमज बधे ठेकाणे थर्बु जोईए, ने जेम देवद्रव्यमा वृद्धि थाय एम करवं. वळी दरेक ठेकाणे एकनो एकज कारभारी हमेश काम कर्या करे छे, तेम थवाथी तेमनी पाछळनां माणसो शक्तिरहित थाय छे त्यारे कारभार करवो मुइकेल थई पडे छे; माटे दर वर्षे कारभारी जुदा जुदा थवा जोईए; ए वहीवट दरेक खातामां थवानी जरुर छे. कमीटी नीमी होय तेमांथी बदलाया करे तो हरकत नथी, पण तेम थवानी जरुर छे. हवे बोलवानो टाईम पुरो थयो छे, एटले बीजुं बोलवानुं बंध राखी हुं मारुं भाषण समाप्त करुं छु; पण उपरनी बातोने अनुसरता घणा दाखला शास्त्रमा छे, ते जोईने सावचेत रहेQ एज उत्तम छे." (ताळीओ) दिल्लीवाळा मी लाला मीठुमलजीना हिंदी भाषणनो सार. "आप साहेबो हजुर जे सवाल छे, ते धर्म खातांओनो हिसाब अच्छी तरेहथी राखवा विषेनो छे. हिसाब नहि राखवाथी नुकशान थयुं छे अने थाय छे, माटे ते अटकाववाना हेतुथी कॉन्फरन्से आ सवाल पेश कर्यो छे, अने ते रीते जैन भाईओर्नु हित साचव्युं छे. एवा हिसाबनी गेरहाजरीमां नवां खाता खोलनाराओ अटकी जाय छे, अने नवां फंड भरवा पहेलां तेओ हिसाबनो वांधो ले छ जे व्याजबी छे; तेपण जैन बंधुओना लाभ माटे अफसोसनी वात छे. नवं काम आरंभवा माटे नबुं खातुं खोलवू पडे ए देखीतुं छे, पण एक खातानी खराबीने लीधे दसने खम, पडे छे; तेथी तेज सुधारीने सारी स्थिति उपर लाववानी आपणी पहेली फरज छे. जे जे भाईओ पासे एवां खातांओ होय, तेओए तेनो बंदोबस्त करी आबरुवाळाओने ते उपर अंकुश आपवो जोईए, अने जेमनाथी तेवी व्यवस्था थई नहि शके, तेओए पोतानां खातां कॉन्फरन्सने सोंपी देवां जोईए." राधनपुरवाळा वकील हरजीवनदास दीपचंदनुं भाषण. "आ कॉन्फरन्सनो आ विषय “धार्मिक खातां तथा शुभखातांना हिसाबो बराबर राखवा" ए छ. आ विषय देखावमां तो आप साहेबोने गौण लागशे, परंतु तेनो तत्वार्थ जोईए तो ते घणोज प्रौढ छे; केमके तमाम खातांओर्नु रक्षण करनार आ विषय छे, अने तेथी तेनो पुरती रीते अमल करवामां न आवे, तो ते रक्षणने बदले भक्षण करे छे. जेमके जीर्णोद्धार, जीवदया अने एवांज बीजां खातांओ माटे गमे तेटलुं फंड थाय, गमे तेटलुं खर्च करी तेनी जाहोजलाली बताववा प्रयास करवामां आवे, तोपण जो तेनो हिसाब बराबर रीते राखवामां न आवे, तो ते खाताओ तुरत तुटी पडवानां. माटे आपणी फरज छे के दरेक धार्मिक तथा शुभखातांओना हिसाब बराबर रहेवा जोईए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८४) दुनियाना क्षणिक सुखने माटे नानाथी ते मोटा सुधी दरेक वेपारी, पोताना धंधामां केटलो नफो मेळव्यो अथवा शुं नुकसान थयु, अने पोतानी केटली पुंजीनी शी व्यवस्था थई ते जाणवा सारु, जेम हिसाबना चोपडा राखी तेमां बराबर हिसाब दाखल करवानी काळजी धरावे के तेम आवां खातांओ के जेने माटे आपणे धर्मनां फरमानोथी बंधाएला छीए,तेनो हिसाब बरावर राखवा आपणी मोटामां मोटी अने पहेलामां पहेली फरज छे. आकी फरज अदा करवामां जो आपणे कसुर करीए, तो आपणे धर्मना फरमानोनुं उल्लंघन करनार गणाईशं; एटलुंज नहीं पण तेवी कसुरथी एवां खातांओ अव्यवस्थित पाया उपर आवी पायमाल स्थितिमां आवी पडे, तेना माटे दोषित पण आपणेज गणाईशं; केमके आपणा महान् जैनशास्त्रोनुं जे पवित्र फरमान छे ते आपणी शक्ति छतां संभाळ राखवामां न आवे, तो आपण महा दूषणने पात्र थईए छीर. जेम नानाथी मोटा सुधीनो दरेक वेपारी पोताना धंधामां हिसाब बराबर राखवानी गफलत करे छे, तो आपणे जोईए छीए के तेनी पेहेडी एक देवाळानी स्थितिमां आवी पडेछे ते खल्लं छे, अने ते प्रमाणे केटलांक पुरातन तीर्थो तथा जैन मंदीरो पायमाल स्थितिमा आवी पडेलां आपणे नजरे जोईए छीए, अने तेनुं कारण आप तमाम साहेबोने हिसाबनी गेरव्यवस्थानुं जणाशे. नानां बालको माटे तेमनुं पालणपोषण करी उछेरवानी फरज जेम माबापनी छे, तेम आवां खातांओना हिसाब बराबर राखवानी फरज आपणा लोकोनी छे. माबाप पोतानी फरजथी उलटी रीते ते बालकना प्राणनो घात थाय तेम तेने फेंकी दे, तो जेम कायदो तेने शिक्षा करे छे, तेम आवां खातांओना बराबर न रहेवाथी ते पायमल स्थितिमां आवी पडे, तेना माटे दूषणने पात्र आपणेज थईए छीए. धर्मादा खातांनी एक पाई सरखी पण जो आपणा उपयोगमां आवे, तो आपणा महान् जैनशास्त्रोना फरमान प्रमाणे अनंताभव भ्रमण करवू पडेछे एटलुंज नहीं, पण जेम दुधपाकना भोजननी अंदर एक वाल जेटलुं विष नांखवामां आवे, तो तमाम भोजन विष समान थई पडे के तेम आपणा द्रव्यनी साथे धर्मादा खातांनी कांईपण रकम मिश्र थाय तो आपणुं द्रव्य पण नष्ट थवा वखत आवे छे, माटे तेम न थवा सारं पण आवां खातांओनो हिसाब बराबर राखवानी खास आवश्यकता छे. आवां खातांओना हिसाब बराबर रीते राखवामां नहीं आववाथी, ते खातांओना गुमाताओ विगेरेने गरबड करवानो लाग मळी शकशे, अने तेमां तेओ फतेहमंद नीवडशे एटलंज नहीं. पण तेवां खातांओमां केटली मीलकत छे अने शुं खर्च छे, ते पण नहीं समजातां केटलीक वखत मुडी करतां खर्च वधी जवाथी, ते खातां खराब स्थितिमां आवी पडवा बल्के तुटी पडवानो वधारे संभव छे; तेथी तेम न थवा अने तेवा द्रव्यनो खराब रीते व्यय न थवाने सारु, तेवां खाताओमां शुं मुडी छे, केटलु खर्च छे, ए विगेरेनो हिसाब बराबर रहेवो जोईए, ए खास करीने जरुरतुं छे. __ मारा अनुभव सिद्ध छे, के केटलेक ठेकाणे देव द्रव्य जमीनशरण छे, लगभग पोणोसो वर्षनी उम्मरे पहोंची गुजरनार गृहस्थोथी सांभळवामां आवतुं, के तेवु द्रव्य छे तो खरं, पण ते क्यां छे ते अमे जोएलं नथी. साहेबो ! जरा विचार करशो के तेवी उम्मरे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८५) पहोंची गुजरनार गृहस्थो, द्रव्य छे खरं एटलंज मात्र जाणी, ते जोया विना स्वधाम पहोंच्या; सारे तेमनी पछीना आपणे जे जाणीए ते एटलुंज के, आपणाथी वृद्ध गृहस्थो अमुक वात करता हता, त्यारे आपणे पण खात्री कीधा विना चाल्या जईशं, तो पछी आपणी पाछळ थनार माणसो अ॒ जाणी शकशे ? अने ज्यारे तेओ कई नहीं जाणी शके, तो जमीनशरण द्रव्य ज्यान त्यां रही तेनी काळे करीने शुं व्यवस्था थशे ? माटे जरुरनुं छे के तेवां धर्मादा खातांओनुं द्रव्य क्या क्या केटलं छे, तेनी शुं अने केवी रीते व्यवस्था थायछे, ए विगेरे तमाम प्रकारनो सांगोपांग हिसाब दरेक खातावाळाओए राखवो जोईए, अने तेनां सरवैयां तथा उपजखर्च प्रतिवर्ष बहार पाडवां जोईए. ____ आ प्रमाणे दरेक खातामां थाय छे के नहीं, तेनी देखरेख माटे दरेक मोटां शहरोमां एक कमीटी नीमावी जोईर, अने ते कमीटीए ते प्रमाणे हिसाब राखवा, अने सरवैयां अने उपजखर्च विगेरे बहार पाडवा बनतो प्रयास करी, ते प्रमाणे कर्यानो प्रतिवर्ष रिपोर्ट कॉन्फरन्सनी ओफीसने करवो. तेवो रिपोर्ट कोई शहेरमाथी न आवे, तो ते बाबत ते कमीटीने कॉन्फरन्स ऑफीसे सुचना आपी, ते प्रमाणे वर्तवा विनंति करवी." ____आ प्रमाणे अनुमोदन मळ्या पछी मत लेतां, आ दरखास्त सर्वानुमते हर्षनी ताळीओ च्चे पसार करवामां आवी हती. कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे उद्योग करनार वॉलंटियरोने आमंत्रण. ____ आ वखते कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे उद्योग करनार, ग्रॅज्युएट तथा अंडर अज्युएट जैन बंधुओने हवे पछीनी कॉन्फरन्स माटे वॉलंटियर तरीके नाम नोंधाववा माटे, बीजे दिवसे सवारना आठथी साडा आठ वागे मंडपमां पधारवानी मी. गुलाबचंद ढहाए अरज करी हती. ___बाद "पालीताणानी आशावना" बाबतनो नीचलो ठराव प्रमुख साहेब तरफी रजु करवामां आव्यो हतो, जे तेमना पुत्र बाबु राय कुमारसिंग मुक्कीमे वांची संभळाव्यो हतो, अने जे ताळीओना गंजावर हर्षनाद बच्चे पसार करवामां आव्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८६) ठराव १३ मो. आपणा पवित्र तीर्थ शत्रुजय उपर आ वर्षमां जे आशाताना पालीताणाना राज्य तरफथी थई छे, तेने माटे आ कॉन्फरन्स पोतानो अत्यंत खेद जाहेर करे छ; अने जेम ब्रिटिश शहेनशाहत कोईनी पण धर्मसंबंधी लागणी दुखावती नथी, तेम पालीताणाना राजासाहेब पण ते पगले चालशे, एवी आ कॉन्फरन्स पूर्ण आशा राखे छे; अने आ संबंधमां आपणी शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीना प्रतिनिधीओए जे प्रशंसा पात्र काम बजाव्युं छे, तेने एकमत थई आ शुभ प्रसंगे तेओने आ कॉन्फरन्स मोटो धन्यवाद आपे छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८७) ठराव १४ मो. عهع प्रतिनिधीओने धन्यवाद. जुदा जुदा देशमाथी प्रतिनिधीओए पधारीने पोताना धर्मकार्यमां जे उंडी लागणी बतावी छे, तेने वास्ते आ कॉन्फरन्स तेमना धर्माभिमान माटे तेमने धन्यवाद आपे छे, अने आशा राखे छे के एवीज रीते आवते वर्षे पण श्री वडोदरामां कॉन्फरन्स मळनार छे, त्यां अवश्य पधारवा तस्दी लेशे. दरखास्त करनार-राय बद्रीदासजी बहादुर-कलकत्ता. टेको आपनार-शेठ बापुभाई हीराभाई वैद्य-वडोदरा. बाद प्रमुख साहेब तरफथी प्रतिनिधीओने धन्यवाद आपनारो उपलो ठराव, तेमना पुत्र बाबु रायकुमारसिंग मुक्कीमे कॉन्फरन्स समक्ष रजु को हतो, अने तेने नीचे प्रमाणे टेको मन्या बाद ताळीओना अवाज साथे पसार करवामां आव्यो हतो. शेठ बापुभाई हीराभाई वैद्यनो टेको. उपला ठरावने वडोदरावाळा शेठ. बापुभाई हीराभाई वैद्ये नीचे प्रमाणे टेको आप्यो हतो. " मे. राय बहादुर प्रमुख साहेब अने भारतवर्षना समस्त श्री संघना प्रतिनिधी साहेबो, सद्गृहस्थो अने बेहेनो! हुँ अमारा वडोदराना श्री संघ तरफथी बे शब्दोमां विनंती करवानी रजा लउं छु. आ अपूर्व मेळावडाना दर्शनथी अमे पोताने भाग्यशाळी मानीए छीए, अने अहीं जे उत्साह अने एकविचारथी काम थयु छे, तेथी घणो संतोष मानीए छीए. __ आवती कॉन्फरन्स वडोदरामां भरवानुं अमारुं आमंत्रण स्विकारवानी जेवी रीते कृपा करी छे, तेवीज रीते कॉन्फरन्सनो वखत मुकरर थाय ते वखते, पधारवानी पण कृपा करी आभारी करशोजी. हिंदुस्तानमांनां बीजां मोटां शहेरोनी जैननी वस्तीआदिना प्रमाणमां वडोदरा कंईज हिसाबमां नथी, तोपण अमे अमारी आजुबाजुनां गामोना भाईओ साथे मळी, आप साहेबोनी यथाशक्ति सेवा बजाववा यत्न करीशुं. पण जे साहेबोना प्रयासथी आ कॉन्फरन्स पाका पायाउपर स्थापन थई छे, तेज साहेबोए ए कॉन्फरन्सना कामने पुष्टि करवानो प्रयत्न करवानो छे, तो आशा छे के तेओ साहेब पोताना स्थानके रहीने, अने यथाअवसर वडोदरे पधारीने शासननी उन्नति करवानी महेरबानी करशे." Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८८) ठराव १५ मो. रीसेप्शन ( स्वागत ) कमीटीनो आभार. मुंबईमां बीजी कॉन्फरन्स भरवा माटे, जे श्रम श्री मुंबईना सकळ संघनी वती नीमाएली रीसेप्शन कमीटीए लीधो छ, तेने माटे आ कॉन्फरन्स तेमने पोताना खरा अंतःकरणथी धन्यवाद आपे छे. बाद बीजी जैन ( श्वेतांबर ) कॉन्फरन्सनी स्वागत अथवा रीसेप्शन कमीटीनो आभार मानवा बाबतना, प्रमुख साहेबे रजु करेला उपला ठरावने चालु ताळीओना अवाजोथी वधावी लेवामां आव्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८९) ठराव १६. डेलीगेटो तरफथी रीसेप्शन कमीटीनो उपकार मानवा बाबत. "रीसेप्शन कमीटीए आपणा तरफ जे सेवा बजावी छे, ते माटे हिंदना जुदा जुदा भागोमांथी अत्रे आवेला सघळा डेलीगेटो तरफथी, ते कमीटीनो तेमज आ कॉन्फरन्सना चीफ सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंदनो उपकार मानवामां आवे छे." जुनागढवाळा मी. दोलतचंद पुरशोत्तम बरोडीया बी. ए. ए उपरनो ठराव रजु करतां जणाव्युं केः "मानवंता प्रमुख साहेब अने गृहस्थो, आ शुभ प्रसंगे बंगाळा, पंजाब, मारवाड, गुजरात, माळवा, खानदेश, दक्षिण विगेरे हिंदुस्तानना जुदा जुदा भागोमांथी, मुंबईनी कॉन्फरन्समां पधारेला सर्व प्रतिनिधीओ तरफथी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद, के जे हिंदुस्ताननी युनिवर्सिटीओने लाखो रुपियानी बक्षिस आपनार तथा जीर्णोद्धार तथा धर्मशाळाओमां तथा अन्य शुभकार्योमां लाखो रुपियानी सखावत करनार जगजाहेर शेठ प्रेमचंद रायचंद जेवा नररत्नना लायक पुत्ररत्न छे, तथा जेमणे पोताना शरीरनी पण दरकार नहीं करता, पोताना धंधानां तथा बीजां घरनां काम वेगळां मूकी, घणी रातोना उजागरा वेठी, आ कॉन्फरन्सने हरेक प्रकारे फतेहमंद करवामां तथा डेलीगेटोनी सघळी सगवडो पुरी पाडवामां, तेमज तेमने आवकार देवामां, तन, मन, अने धनथी तत्पर थई संघनी भक्ति करवामां कंईपण कचाश राखी नथी, तथा जे रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी छे तेमनो, तेमज रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख साहेब शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई., तथा रीसेप्शन कमीटीना मेम्बरो तथा वॉलंटियरो, जेमणे जैनभाईओनी अनुपम सेवा बजावी छे, ते सर्वनो खरा अंतःकरणथी अने पूर्णप्रेमथी उपकार मानवा तथा तेमने शाबाशी आपवा, आप साहेबोनी हजरमा हुँ उभो थयो छं, तो आप साहेबो मारी साथे एकत्र थई उपकारनी लागणी दर्शाववा महेरबानी करशो." ( ताळीओ अने त्रणवार हुररेना पोकार.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९०) ठराव १७ मो. -00-0 . सेिप्शन कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. नो मानवामां आवेलो उपकार. कलकत्तावाळा बाबु राय कुमारसींगे रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. नो उपकार मानवानी दरखास्त रजु करी, तेने एवलावाळा मी. दामोदर बापुसाए टेको आपतां नीचे मुजब भाषण कर्यु: ____ "सभ्य गृहस्थो, आपणा मानवंताशेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. रसेिप्शन कमीटीना प्रमुखनी, एओ साहेबे बजावेला कार्य बदल आभार मानवानी जे दरखास्त आप समक्ष मुकाई छे, तेने ९ घणा उमंगसाथे अनुमोदन आपीने कहुं छु के, ए मानवंता साहेबे जैनकामनी जे अमुल्य सेवा बजावी छे, तेथी आपणने ए साहेबे बहु आभारी कर्या छे, अने एवा नररत्न आपणी कोममां छे, तेथी आपणे घणा मगरूर छीए. एक कविए कहुं छे के: शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे । साधवो न हि सर्वत्रं चंदनं न वने वने ॥१॥ एटले, प्रत्येक हस्तिना मस्तकमां मोती रह्यां नथी, तथा दरेक पर्वतना सीरमां माणेक मळी आवतां नथी, तेमज हरेक वनांतरे चंदननां वृक्ष मळतां नथी, तेम साधु पण प्रत्येक जगे जगे मळता नथी; तेज प्रमाणे आवा मानवंत पुरुषो पण विरलाज होय छे अने एओनुं वर्तन साधु प्रमाणेज परोपकार करवानुं होय छे. कारणके 'परोपकाराय सतां विभूतयः' एटले साधु पुरुषो बीजा उपर उपकार करवामांज तत्पर होय छे; ते प्रमाणे आ आपना मानवंता राष्ट्रहैतेषी संते आपणापर उपकारामृत सिंचन करी, आखी जैनकोमने आभारी करी छे. पोतानी सीत्तेर वर्षनी वृद्धवये शांतता अने समाधानीथी वखतनो उपभोग लेवानो हक छोडीने, जैनकोमना सारा माटे ते माननीय पुरुषे, तरुण उमेदवारथी पण न बनी शके एवी अथाग मेहेनत तथा दूरदर्शित्वपणुं वापरीने जे कामगिरी बजावी छे, ते प्रत्येक माणसने दाखलो लेवा जोग थई पी छे. मुंबईमां मळेली आ बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स एटली फतेहमंद उतरी छे, के तेनी यादगीरी प्रत्येक माणसना हृदयमां सोनाना अक्षरोथी लखवा योग्य थई छ; अने आ अप्रतिम मेळावडानुं बहूतासीश्रय आपणा रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख साहेब तरफज छे. ए साहेवे तरुण माणसोए समाज तथा ज्ञात विषे केवी रीते महेनत लईने काम करवू, ए बदलनो सरळ अने उपयोगी धडो बधाओने देखाडी आप्यो छे. एओ साहेबे करेला अथाग श्रम अने महेनतनो बदलो वाळवाने आपणी पासे शब्द के साधनो वगरनुं बीजं कांईपण साधन नी, अने तेथी आपण आपणा पूर्ण उमंगथी अने उल्लासथी आनंद साथे एओनो आभार मानीए छीए; अने हुं वाबु साहेबे मुकेली दरखास्तने अत्यंत प्रेमपूर्वक अनुमोदन आपीने शेठ वीरचंदभाईनु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९१) हेतपूर्वक अभिनंदन करुंछु, जे ठराव आप सर्वे साहेबो ताळीओना हर्षनाद बच्चे वधावी लेई पोतानी अनुकुळता पूर्ण प्रगट करशो, एवी आशा राखुं छु." अत्रे शेठ फकीरचंद प्रेमचंदे जणाव्यु के, अमोए अमारी फरज बजाववा उपरांत काईपण वधु की, नथी. अमारी कमीटीओनी आप गृहस्थोए बुजेली कदर माटे आभार मानी चाहीए छीए के, अमारी तरफथी आगतास्वागता करवामां या बीजी कांई प्रकारनी भूल थई होय तो दरगुजर करशो. तमोए खरो उपकार मानेलो त्यारे गणाशे के, तमो सर्वे. तमारां गामोमां एकत्र थई शेठीआओनी सहायता साथे श्री शंघनी सेवा बजावशो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९२) ठराव १८ मो. मंडप बांधवामां मद्द आपनार ईजनेरनो आभार मानवा बाबत. " मंडप बंधावी आपनार मी. खंडुभाई गुलाबभाईए बनावेलो आ कुशादे मंडप, जैनभाईओनी सगवड साचवी आपनारो तेमज भभकादार बनेलो होवाथी, मी. खंडुभाईनो आ सभा उपकार माने छे." उपर मुजबनो आभार मानवानो ठराव प्रमुख साहेबे रजु को हतो, अने तेने सभाजनोए ताळीओना अवाज साथे पसार कर्याबाद, रीसेप्शन कमीटी तरफथी रुपानां वासणनो एक सट प्रमुख साहेबे मी. खंडुभाईने भेट कर्यो हतो, ते उपकार साथे स्विकारतां तेओए तेनो योग्य उत्तर आप्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९३) ठराव १९ मो. वॉलंटियरोनो उपकार मानवा बाबत. " जैन वॉलंटियरोए मी. अमरचंद पी. परमारनी सरदारी नीचे, खरा जैनोने जेब आप एवी रीते रातदिवस जे खरा अंतःकरणथी सेवा बजावी छे, ते माटे ते उत्साही युवानोनो आ कॉन्फरन्स आभार माने छे." शेठ वीरचंद दीपचंदे उपली दरखास्त रजु करतां, वोलंटियरोए खरा दिलथी बजावेली सेवानां भारी वखाण को हतां, अने जणाव्यु हतुं के कॉन्फरन्सनी फतेहनो मोटो आधार तेओनी स्तुतिपात्र सेवाज छे. आ दरखास्तने आखी कॉन्फरन्से ताळीओना चालु अवाजथी टेको आपतां पसार करी हती. वॉलंटियरो तरफथी वळतो जवाब आपतां मी. अमरचंद पी. परमारे हिंदी भाषामां जणाव्यु के तमाम वॉलंटियरोए जे कार्य बजाव्युं छे तेमां अमारो उपकार मानवा जेवू कशें नथी, अमे मात्र अमारी फरज बजावी छे. धर्मनी सेवा बजाववी एना जेवू अहोभाग्य बीजं शुं होय ? अमे ईच्छीए छीए के दरेक गृहस्थ एवीज रीते पोतानी फरज समजे. अमारी छाती हर्षथी उभराई जाय छे, अने अमारे माटे जे स्तुतिपात्र शब्दो उच्चारवामां आव्या छे, ते माटे आप सर्वेनो वळतो उपकार मानीए छीए, अने आप साहेबोनी सेवा :बजाववामां अमे नादान होवाथी जे खामी रही गई होय, ते माटे आपनी क्षमा चाहीए छीए. प्रमुख साहेबर्नु छेवटनुं भाषणं. (गुजराती भाषांतर.) त्यारबाद प्रमुख साहेबे पोता छेवटनुं भाषण नीचे प्रमाणे वांची संभळाव्यु हतुंः" महेरबान साधर्मी भाई साहेबो, डेलीगेटो, तथा वीझीटर साहेबो: आज आपणी द्वितिय जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनो मेळावडो खतम थाय छे. आप साहेबोए जे कृपा करीने चार दिन सुधी आ कारवाईने उत्तम रीते चलावी ते प्रशंसनीय छ, तथा आप साहेबोनी धर्ममा पुरी लागणी प्रगट करे छे. आ कॉन्फरन्समां खास करीने नव विषय उपर ठराव थया छे. प्रथम ठराव जीर्ण पुस्तकोद्धार संबंधी छे. के जे जैनधर्मनी उन्नतिने माटे बहु जरुरी छे. आपणी अपूर्व ज्ञाननी चोपडीओना उद्धारथी असंख्य फायदा थशे. प्रथम जे ज्ञान- व्यय थाय छे तेनी उन्नति मळशे. बीजुं साधु मुनिराजोने तथा श्रावको के जेओने हाल पूर्ण ज्ञान प्राप्त थई शकतुं नथी तेओने मदद मळशे. त्रीजुं आपणा ज्ञानभंडारनो उद्धार थवाथी अन्य मतानुयायीओने पण आपणी जैन फीलोसोफीनो फायदो पुगशे. आ जीर्ण पुस्तकोना उद्धारमां आप लोकोए आपनी उदारताथी जे मदद करी छे, ते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९४) अनुकरणीय छे, अने गई कॉन्फरन्सनी कारवाईमां आ वात थोडा वखतने लीधे सामेल करवामां आवी नहोती; परंतु आप साहेबोनी धर्म तरफनी साची लागणी प्रगट करीने जीर्ण प्रस्तको. द्धारमा आपे जे मदद कीधी छे, ते बहु स्तुतिपात्र छे. व्यवहारिक तथा धार्मिक केळवणीमां जे विचारपूर्वक ठराव करवामां आव्यो छे, अने स्त्री, कन्या तथा पुरुषने शिक्षण मेळववानी जरूर छ एम तेमां जणाववामां आव्युं छे,ते स्तुतिपात्र छे, कारणके कन्याने शिक्षा मळ्या विना आपणी यथावत उन्नति थई शके एम नथी. संसारी शिक्षा साथे धर्मनी शिक्षा बहु जरूरी छे तेथी कोमळ मगज उपर सारी असर पहोंचे छे; आ विद्यादानने माटे जे प्रबंध आप लोकोए कीयो छे ते बहु सारी वात छे; पण जेम जेम जमानो आगळ वधशे तेम तेम आपने आ वात उपर विशेष विचार करवानी जरूर पडशे. निराश्रित श्रावकोने माटे तथा अनाथ बच्चाओने माटे जे दीलसोजी आपे बतावी छे, ते आपनी पुरी दयालुता जाहेर करे छे, अने जोके आ माटे हाल पुरो प्रबंध थई शक्यो नथी, तोपण जे कांई थयुं छे ते ठीक छे. भविष्यमां पण आपणी लागणी आज प्रकारे रहेशे, तो निराश्रितोने पूर्ण मदद मळशे अने आपणने पुन्य प्रशंसानी प्राप्ति थशे. चोथो ठराव जीवदया उपर छे. आप लोको बराबर ध्यान ते उपर आपता आव्या छो; अने हाल पण ते तरफ आप जे ध्यान आपो छो, ते बाबत आपनी दया तथा धर्मनी लागणी पूरी रीते प्रगट करी रही छे. पांचमो ठराव जैन डीरेक्टरी संबंधी छे. आ वखत तेनी आपणने घणी जरुर छे. तेनो फायदो आपणने ए वखत मालुम पडशे के, ज्यारे एक डीरेक्टरी तैयार थई जशे. छठी बाबत कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवा विषे छे, ते बाबत घणी सारी छे. जे जाथुकनुं फंड आपे पांच साल सुधी कॉन्फरन्स, कामकाज चलाववाने माटे कायम की, छे, तेथी कॉन्फरन्सनो पायो आपे पक्को नांख्यो छे. जरुरी काम रुपीआनी तंगीने लीधे कदी पण पार पडी शकतुं नथी. आप साहेबोए दुरअंदेशी वापरीने आ फंडने कायम करीने कोन्फरन्स, घणुं हित चाहुं छे. सातमो ठराव धार्मिक तथा अन्य शुभ खातांनो हिसाब बराबर राखवा संबंधी छे. ते संबंधी जे सूचना करवामां आवी छे ते पूर्ण रीते स्तुतिपात्र छे, कारणके आपणा धर्मशास्त्रनी आज्ञानुसार आवां खातांनी एक पाईनी पण गरबड घणं पाप वधारे छे. हिसाब साफ रहे. वाथी आपणा समुदाय, कल्याण थाय तेम छे. __आठमो ठराव जीर्ण मंदिरना प्रबंध संबंधी छे. तेनो हमणां जे विचार करवामां आव्यो छे ते दुरस्त छे. लाखो करोडोनो खर्च करी जे मंदिर आपणा वृद्धोए बनाव्यां छे, तेनुं समारकाम सारी स्थितिमा राखवानी जरुर छे. नवमो ठराव जे हानिकारक रिवाज आपणामां फेलाया छे अने जेथी आपणा लोकोने तकलीफ पडे छे ते विषे छे, तेवा रिवाज बंध करचानी घणी जरुर छे. कहेवानुं तात्पर्य ए के आपणी कॉन्फरन्समां जे कारवाई उपर विचार थयो छे, ते बधी आपणा धर्म अने समाजनी उन्नतिने माटे छे, तथा जेनी आजकाल समयानुसार आ कॉन्फरन्समां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९५) बहुज जरूर हती. आप साहेबोए हिंदुस्तानना जुदा जुदा भागोमाथी पधारीने जे संप बताव्यो छे, ते खरेखर स्तुतिपात्र छे. संप होवाथी आपणा लोको बधुं करी शके छे, संप नहीं होवाथी कांईपण थई शकतुं नथी. ___ ब्रिटिश सरकारना राज्य नीचे आपणे बधा जे कारवाई स्वतंत्रतापूर्वक करीए छोए, तेने माटे जे जे धन्यवाद आपवामां आव्यो छे, ते ठीक तथा व्याजबी छे. ___आखरमां हुं आपने एक बखत एवी बीजी सूचना करुं छु के, आपणी कॉन्फरन्सनुं कर्त्तव्य बहारगाम तथा बीजां शहरोमां जैनीओने सारीरीते मालुम थाय, तेवो प्रबंध करवो उचित छे. __ आ कॉन्फरन्से विचारेला ठराव पार पडे ते माटे काईक लागवगनी जरूर छे, अने तेवो आधार आपनी मरजी अने योग्य विचार उपर हुं छोडूं छु, तमो मुंबईनी आवकार देनारी कमीटी तथा अन्य महाशयोए, जे प्रयास करीने आ कॉन्फरन्सन काम सारीरीते पार कीधुं छे, ते माटे तमने धन्यवाद आपुं छु, तथा वडोदरानिवासी सज्जनोने पण धन्यवाद आपुं छु, के जेओए आवती साल. माटे कॉन्फरन्स भरवानुं नोतरुं दी, छे. ___आप सर्व साहेबोने आपनी कृपा माटे धन्यवाद दईने आ कॉन्फरन्सर्नु काम समाप्त करुं छु, अने आ कॉन्फरन्सनी दिन प्रतिदिन वृद्धि थाय एवी ईच्छा राखं छु." अत्रे कॉन्फरन्स, चालु कार्य समाप्त थएवं जाहेर करवामां आव्युं हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९६ ) ठराव २० मो. प्रमुख साहेबनो उपकार मानवा बाबत. कॉन्फरन्सना प्रमुख शेठ राय साहेब बद्रीदासजी बहादुरे, श्री समेत शिखरजी, श्री मक्षीजी विगेरे तीर्थो माटे पोतानो जातिभोग आपी तथा अमूल्य वखत रोकी, पोतानां धर्म तीर्थनी जे स्तुतिपात्र सेवा बजावी छे, तथा आ कॉन्फरन्स प्रमुखपद लई आपणने वळी विशेष उपकारी कर्या छे, तेने माटे आ कॉन्फरन्स तेमनो खरा अंतःकरणथी आभार माने छे. उपलो ठराव अमदावादवाळा शेठ जेशंगभाई हठीसिंगे रजु कर्यो हतो, अने जेम कस्ता तेने हर्षनी ताळीओना गंजावर अवाजोथी वधावी लई पसार करवामां आव्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९७) ठराव २१ मो. देशी महाराजाओनो उपकार. "माळवामां आवेलुं श्री मक्षीजीनुं तीर्थ, जेना संबंधमां ग्वालियरना महाराजाए हालमां आपणने जे ईनसाफ आप्यो छे, ते माटे तेमनो आ कॉन्फरन्स आभार माने छे, अने ते माटे महाराजा उपर तार मुकवो योग्य धारे छे. ___वळी उदेपुरनुं राज्य, जेमां आपणुं जाणीतुं श्री केसरीयाजीनुं तीर्थ आवेलुं छे, त्यांनी व्यवस्था त्यांना महाराणा-तरफथी कमीटी मारफते सारी रीते राखवामां आवी छे, अने बीजी केटलीक योग्य व्यवस्था करवा माटे तेओने अरज करवामां आवनार छे, तेथी तेओ साहेब आपणी अरज ध्यानमा लेशे एवी आशा राखवामां आवे छे. आ. महाराजानो पण आ कॉन्फरन्स उपकार माने छे. वळी जामनगरना महाराजा जामसाहेब जसाजी बहादुर, जेओए आखो श्रावण मास, अधिकमास, पर्युषण, अगीयारश तथा अमासे पोताना आखा राज्यमां कोईपण जीवहिंसा करे नहीं, तेवो हुकम कहाड्यो छे; घेटां बकरांने नानी वयमां कोई रझळतां मुके, नहीं ते माटे बंदोबस्त करवामां आव्यो छे, अने खेतीने उपयोगी जानवरो गाय, भेंस, बळद विगेरेनो वध नहीं करवा माटे सख्त सरक्युलर कहाड्यो छे, ते महाराजा जामसाहेबनो आ जैन कॉन्फरन्स अंत:करणपूर्वक आभार माने छे. वळी दशेराना तहेवार उपर वडोदरा, भावनगर, मोरबी, लौंबडी अने धरमपुर विगेरेना महाराजाओए बकरा तथा पाडानो वध थतो बंध कर्यो छे; तेथी तेमनोआ कॉन्फरन्स खरा दिलथी उपकार माने छे. तेमज जे राज्योने पशुवध अटकाववा माटे अरज करवामां आवी छे, तेओ पण आपणी अरज स्विकारशे एवी आशा राखवामां आवे छे." दरखास्त करनार-शेठ. कुंवरजी आणंदजी-भावनगर. टेको आपनार-शेठ अमरचंद जसराज-भावनगर. आ दरखास्तने टेको मळ्या बाद ते सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९८) ठराव २२ मो. संवत्सरीना तहेवारनी रजा मळवा बाबत. "अंग्रेज सरकारना राज्यमां तथा देशी राज्योमा भादरवा शुद चोथना संवत्सरीना जैन तहेवारनी रजा नथी, तेथी तेओने अरज करवानुं आ कॉन्फरन्स योग्य धारे छे, जे उपर योग्य ध्यान आपवामां आवशे." आ दरखास्त मी. गुलाबचंद ढहाए घटता शब्दोमां रजु करी, अने तेने टेको मळतां सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. त्यार बाद प्रमुख साहेबे पोताना मानेला उपकारनो उत्तर आप्यो हतो, अने तेम करतां कह्यु हतुं के:-हुँ ईच्छु छु के आपणा सर्वोत्तम जैनधर्मनी दिन परदिन चढती याओ, आपणा जैनवर्गमां संप वृद्धिं पामो अने जैनधर्मनो सर्वदा जयजयकार थाओ" त्यारबाद सर्वे सभाजनो उभा थया हता, अने ते वखते जीनस्तुति तथा राजगीत गावामां आव्यां हता. अत्रे कॉन्फरन्स कामकाज समाप्त थएलु जाहेर करवामां आव्यु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रीजो भाग. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २ ) कॉन्फरन्सनुं कार्य खलास थया पछी चालेलुं कामकाज. “वी विक्टोरिया मॅमोरियल स्कूल फॉर धी ब्लाईन्ड " नां आंधळां बाळको. कॉन्फरन्सनुं कार्य समाप्त थतां अत्रेनी “धी विक्टोरिया मॅमोरियल स्कूल फॉर धी ब्लाईन्ड”नां आंधळां बाळकोने रजु करवामां आव्यां हतां, अने ते सघळांओए ईश्वरस्तुतिनां गायनो गाई तथा ड्रील (कवायत) करी बताव्या पछी, मी. जहांगीर बमनजी पीटी ए शाळामां बनाववामां आवती चीजो सघळाओने बतावी हती. मी. वीरचंद दीपचंदे ए शाळाना कारोबार माटे पोतानो संतोष जाहेर करतां जणान्युं हतुं के, रीसेप्शन कमीटी तरफथी ए शाळाना फंडमां रु. १००) आपवामां आवे छे, तथा राय बद्रीदासजी बहादुर ते विद्यार्थीओने ईनाम आपवा माटे रु. ५१) आपे छे. ते उपरांत केटलाएक गृहस्थो तरफथी रोकडा रुपिया मी. पीटीटना हाथमां आपवामां आव्या हता, जे. पछी ए विद्यार्थीओए रजा लीधी हती. घी लेडी नॉर्थकोट हिंदु ऑर्फनेज. ते पछी अत्रेनां ‘धी लेड़ी नॉर्थकोट हिंदु ऑर्फनेज 'नां अनाथ बाळकोने रजु करवामां आव्यां हतां, अने तेओमांनां चार बाळकोए पोतानी स्थितिनुं वर्णन कविताना आकारमा रजु कर्यु हतुं. आ वखते ए अनाथाश्रमना कारोबारीओ तरफथी नीचलुं विनंतिपत्र, कॉन्फरन्समां हाजर रहेलाओ समक्ष रजु करवामां आव्युं हतुंः “जैन कॉन्फरन्स (जैन महाजन मंडळ, ना मानवंता गृहस्थो ! नजीक अने दुरदेशथी आवेला हजारो जैनभाईओनुं अत्रे एकटुं धनुं शुं सुचवे छे ? पोताना धर्मनो खरो उत्साह. हिंदुस्तानना: वेपारनो मोटो भाग कोना हाथमां छे ? जैन वेपारीओना. लाखो ने करोडो रूपीआ खर्ची देवालयो, धर्मशाळाओ, विगेरे धर्मस्थानो सौथी वधारे कोणे बंघाव्यां छे ? जैन भाईओए. लाखो अ करोडो रुपीआ खर्ची ठेकाणे ठेकाणे पांजरापोळा स्थापी, मुंगां प्राणीओनुं दुःख निवारण करवानुं मुख्य मान कोने घटे छे? जैन बंधुओनेज. " जीवदया प्रतिपाळ " ए महान् उपनाम हिंदुस्ताननी कयी कोमे मेळवव्युं छे? जैन कोमे. आवी महान् कोममां धर्मनी उन्नति पहेली थाय एमां शी नवाई ! जे धर्मनो खरो पायो दया छे, दया एज जे कोमनुं जीवन छे, ए कोमने कोट्यावधी धन्यवाद छे. आप सर्व ग्रहस्थोना दीलमां दयाए वासो कर्यो छे. झीणा पोराथी. लई मनुष्य पर्यंत कोईपण प्राणीनुं रक्षण करवा आप तत्पर छो. जीवदयाने माटे तन, मन अने धन अर्पण करो छो; तो नीचे प्रमाणे एक नम्र अरज करवामां आवे छे, ते उपर दरेक धर्मरागी जैनबंधु परतुं लक्ष आपशे, एवी संपूर्ण खात्री छे: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३) छप्पनीआ जेवा दुष्ट दुकाळने अंते लाखो मनुष्यो लाचार बनी गया छे. दुकाळ अने राक्षसी मरकीने लीधे हजारो टळवळीने मरी गया छे, अने तेने योगे सेंकडो नानां बाळको माबाप विनानां रखडतां थई गयां छे, ते जोईने मुंबईना केटलाक दयाळु ग्रहस्थोना मनमां दयानो अंकुर उभो थयो, के कीडीथी लई तमाम मुंगां प्राणीओने माटे ठेर ठेर पांजरापोळो जोवामां आवे छे, अने मनुष्य जेवा उत्तम देहने माटे कंईज नहीं! मनुष्यदेह ए मुक्ति मेळचवानुं साधन छे, अने ते देह मेळववाने देवताओ पण उत्सुक छे, तेवा उपयोगी देहने माटे कांईपण साधन नहीं, ए केवी नवाईनी वात! मनुष्यप्राणांना निर्वाहने माटे साधन कर, ए आपणी पहेली फरज छे. मनुष्य जेवी उत्तम देह बचाववी, ए अति पुण्यन काम छे. परदेशी पादरी लोकोए मनुष्य माटेनी आवी पांजरापोळ, जेने अंग्रेजीमा ओर्फनेज कहे छे ते कोई कोई ठेकाणे स्थापेली छे; पण दिलगीरीनी साथ कहेवू पडे छे के, तेमां जवाथी बाळकोना जीव बचे छ तो खरा, पण पोतानो स्वधर्म तजी विदेशी ख्रिस्तीधर्म तेमने ग्रहण करवो पडे छे. हिंदु हिंदु मटी जाय छे; जे धर्मने माटे आपणे आटलं अभिमान धरावीए छीए, जे धर्मना रक्षण माटे आपणा देशना योद्धाओए पोताना लोही रेड्यां छे, ते धर्म तजी विदेशी मांसाहारीनो धर्म तेमने पाळवो पडे छ; अने एटला उपरथीज ते दयाळु ग्रहस्थोए मुंबईमां मारा पायाउपर एक अनाथाश्रम खोल्यो छे जे 'धी लेडी नार्थकोट हिंदुओर्फनेज' ना नामथी ओळखाय छे, त्यां हाल छोकराछोकरी मळीने आशरे सवा सो छे. ब्राह्मण, वाणीआ, जैन, लुवाणा विगेरे तमाम हिंद जातिनां बाळको त्यां छे. तेओने खान, पान अने वस्त्र मळे छे, विद्याभ्यास कराववामां आवे छे; धर्मनी केळवणी पण पोताना धर्मपरत्वे हमेशां आपवामां आवे छे, अने वेपार, रोजगार अगर हुन्नर काममा प्रवीण थया पछी पोतानुं गुजरान सारीरीते चलावी शके, त्यारेज तेमने त्यांथी मुक्त करवामां आवे छे. आवा एक उपयोगी खाताने एटले मनुष्यमी पांजरापोळने मदद करवी, ए दरेक जीवदया प्रतिपाळ जैननी धार्मिक फरज छे. खरा धर्मरागी जैन पोतानी श्रद्धा प्रमाणे आ खाताने मदद करवा ना नहीं पाडे, एवी आशाथी आ नम्र अरज करवामां आवी छे. आ खाताने मदद करनार माणसने जीवतदान, अन्नदान, वस्त्रदान, अने विद्यादानवें महत् पुण्य प्राप्त थाय छे, एथी विशेष पुण्य बीजुं कयुं ? गमे तेटली नानामां नानी बक्षीस तेमां कबुल करवामां आवे छे. अत्रे पधारेला दरेक संभावित ग्रहस्थने खास विज्ञप्ति करवामां आवे छे के, तेओए कृपा करीने आ खातानी मुलाकात लेवी, अने ते खाता विषे तमाम ग्रहस्थोने वाकेफ करी जेटली बने तेटली मदद आपवी अने अपाववी. ए खातानुं मकान ग्रांटरोड उपर पवन पुलनी पासेज छे." ते पछी रीसेप्शन कमीटी तरफथी रुपिया एक सो, बाबु राय बद्रीदास बहादुर तरफथी रुपिया पचीस अने मी. मनसुखभाई तलकचंद तरफथी रुपिया पचीस आपवा जाहेर करवामां आव्यु हतुं. ते उपरांत बीजाओ बोलवा जता हता, पण मी. परमार तथा मी. मोहनलाल पुंजाभाई तरफथी सुचना करवामां आवी हती के जेओने रुपिया आपवाना होय, तेमणे मी. हेमचंद अमरचंदने लखी मोकलवं. ते पछी ए बाळकोने बहार लई जवामां आव्यां हतां. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) मी. लाभशंकर लक्ष्मीदासन पशुयज्ञ विषेनुं भाषण. कॉन्फरन्सन काम खलास थया पछी, जैन भाईओने खास अनुकुळ थई पडे एव। विपयो उपर आपवामां आवेलां भाषणोमां मी. लाभशंकर लक्ष्मीदासे पशुयज्ञ विष नीचलं भाषण आप्यु हतुंः "दयाळु साहेबो, मात्र हिंदुस्तानमांज नहीं पण आखी दुनियानां करोडो दुःखी जनावरे माटे हुं आप आगळ अपील करवा आल्यो छु, अने आपनी जगप्रसिद्ध जीवदयानो ज्यारे हुं विचार करुं छु, त्यारे मारा मुगां असीलो उपर दररोज जे अनेक जातनो त्रासदायक जुलम गुजरे छे, ते जेम बने तेम अटकाववाने आप यत्न करशो एवी मारी खात्री थाय छे. वीवीसेक्शन, मांसाहार, शिकार, पशुपज्ञ, पीछांवाळी टोपीओ, कचकडानी वस्तुओ विगेरे विगैरे विगैरे माटे जे भयानक घातकीपणुं राक्षसरुपी माणसो, बिचारां वाचावगरनां निराधार पशुपक्षिओ उपर गुजारे छे, तेनो में अभ्यास करेलो छ, अने ते महापाप जेम बने तेम नाबुद. करवा, अने दयानुं ज्ञान जेम बने तेम फेलाववा में मारी जींदगी अर्पण करी छे, अने मारो ए हेतु पार पाडवा माटे हुं आपनी मदद मागुं छं. आजे पशुयज्ञना एकज महापाप तरफ आपनुं ध्यान रखेंचुं छु. सन १८९९ ना जुन मासना थीऑसोफिस्टमां नीचे प्रमाणे मारा वांचवामां आव्यु: "A Brahmin gentleman well-known in Madras writes to the Editor of the Mailras Mail.' as follows:- There is a class of Brahmins who annually offer animal sacrifices in the belief that, their scriptures require them. Such sacrifices have, of late, become very nuinerous. In offering goats they are killed by a slow process of excruciating torture, which is or should be revolting to human nature......At Kumbakonam, such a sacrifice is being performed now, and a Brabmin agent would be able to be present at the scene and furuish a correct report of what takes place there.” नामदार सरकारने अरजी. उपर प्रमाणे हकीकत वांचीने में नामदार हिंदुस्ताननी सरकारने ता. ११ मी जुन सन १८९९ ने रोज अरजी करी के, पशुयज्ञनुं महापाप बंध करवा महेरबानी करवी, अने ते तारीखी नामदार सरकार साथे मारे ए बाबत जे पत्रव्यवहार चाल्यो छे, ते एक चोपानीयाना आकारमा छपावी आजे आप सन्मुख रजु करुं छे. ते उपरथी आप जोशो के, हिंदुस्ताननी सरकारना सने १८९० ना ११ मा कायदानी ११ मी कलम प्रमाणे धर्मने नामे बिचारां मुंगां जनावरोने, गमे तेवी घातकी रीते रीबावी रीबावीने मारवानी कायदाथी छट छ; अने. ते छुटना लाभ लई जे राक्षसी कामो थाय छे, तेनो एक बीजो दाखलो रजु करुं छु. पशुयज्ञ केवी रीते थाय छे ? मी. प्रभाशंकर आणंदजी नामना जुनागढना एक ब्राह्मण गृहस्थे, गया जानेवारी मासमां बनारसमां पशुयज्ञ ययेलो तेनो लेखित रीपोर्ट मने आपेलो छे. तेमां तेओ लखे छ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के:-" हवे पशुमरणना विधियज्ञमा वसेल ब्राह्मणना कहेल हेवाल उपरथी नीचे प्रमाणे जणा, छुः___'प्रथम आ पशु- वेदिक मंत्रथी पूजन करी, तेना शरीरना दरेक अवयवमां देवतार्नु आवाहन करी, पछी तेने वध्य ओरडीमां मोकली, तेमां तेना चार पग बांधी, तेना मोढामां शाळ भरी ने पछी तेनुं मोढुं खुब शीकली, तेने शुद्र ब्राह्मणो पासे कणकनी पेठे खुब गुंदावी गतप्राण (लगभग मरेला) जेवू करी, पछी जरा हालतुं होय ते वखते तेना शरीरना नोखा नोखा अवयवोना कटका करी, बहार लावी होमनी क्रियाना उपयोगमा ले छे.' ___ ता. २१ माहे नवेंबर, सने १८९९ ना "Advocate of India" मां नीचे प्रमाणे छाप्यु छे: “RELIGION vs. BRUTALITY. "Eight Hindus of Bhovanipore were charged at Alipore with cruelty to a boar. It was stated that the accused on the last day of their Chota Pooja tied the four legs of a boar, and set a large number of bullocks to kill it by goring as it passed them. They believed that the man whose bullock killed the boar, would have a lucky year. As the affair was going on, the police informed the agents of the S. P. C. A., who arrested the accused. The men in defence stated that the practice was part of their religion, and that it had existed from time immemorial, They were fiued Rs. 25 each , in default one month's rigorous imprisonment each." ए केसनी हकीकत नामदार हिंदुस्ताननी सरकारने लखी मोकलतां में ता. ९ मी जानेवारी सने १९०० ने रोज जणाव्युं हतुं के:-"In my humble opinion the conviction was illegal under section 11 of the Anti-cruelty Act, which runs as under : Nothing in this Act shall render it an offence, to kill any animal in a manner required by the religion and religious rites and usages of any sect, tribe or class.' Nobody would have been more sorry than myself, had the wicked accused escaped without punishment; and my only object is to submit to Government, cases of horrible cruelty that may be committed with impunity under the said section." नामदार सरकारना दयाळु अमलदारो ११ मी कलमथी केवा लाचार बने छे, तेनो एक दाखलो ता. २१ मी मे सने १८९७ ना 'टाईम्स ऑफ इंडिया' मां नीचे प्रमाणे आप्यो छे: “ Owing to the cruelty exhibited in the sacrifice of large numbers of buffaloes at Toda funerals on the Nilgires, Mr. Treneheere, the Dis. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ trict Magistrate issued orders limiting the number, allowed to be killed at these funerals. Against this order, the Todas, through their advocate Mr. T. S. Sidney, appealed to Government, who has now ruled that the interpretation put upon the existing orders by the District Magistrate, is correct and that the number of animals to be sacrificed at any one funeral should be restricted to two, whatever may be the number of Todas in connection with whose decease the kedu is held.” आ उपरथी आप सेहेज जोई शकशो के सने १८९० मां प्राणीरक्षक धारानी ११ मी कलम मुजब टोडा लोको ते बे प्राणीने गमे तेवी त्रासदायक रीते रीबावी रीबावीने मारे, तोपण ते अटकाववाने नामदार सरकार अशक्त छे. दयाळु अमलदारो, बहु त्यारे वध थतां जनावरोनी संख्या ओछी करी शके; बाकी ते सिवाय तो धर्मने नामे बिचारां निर्दोष अने निराधार प्राणीओउपर गमे तेवो जुलम गुजारवामां आवे, तोपण ते अटकाववानी तेओने सत्ता नथी. लॉर्ड बेन्टिकनी राजनीति. — Rulers of India.' Series मां लॉर्ड विलियम बेन्टिकनुं जन्मचरित्र प्रसिद्ध थयु छे, तेमां नामदार इंग्रज सरकारनी नीचे प्रमाणेनी राजनीति जाहेर करी छ: "But a solemn and imperative duty rests upon us to put an end to cruel and brutalizing acts, wherever committed under our jurisdiction, and for these we cannot allow either religion or long usage to be an excuse or a safe-guard." सदरहु पॉलीसीनो अमल करी नामदार सरकारे सतिनी महा पातकी रिवाज बंध को छे; अने ते वखते हिंदु धर्मशास्त्रोमां पशुयज्ञ करवाने गमे तेटल्लू लखेलं होय, तोपण तेवा यज्ञोमां बिचारां जनावरो उपर जे त्रासदायक क्रूरता वापरवामां आवे छे, ते ध्यानमां लई तेवा यज्ञो कायदाथी बंध करवा नामदार हिंदुस्थाननी सरकारने आखी जैनकोम तरफथी अरजी थवानी केटली जरुर छे, ते विषे लंबाणथी विवेचन करवानी जरुर नथी. नामदार सरकारनी ए दयाळु पॉलीसीनो अमल एक रीते जनावरोना रक्षण माटे थई चुक्यो पण छे. सने १८९७ मां कलकत्तामा एक माछणे जीवतां करचलांना पगना पग खेंची काढया हता तथा तेमनी पीठ तोडी हती, ते माटे कलकत्ताना चीफ प्रेसीडन्सी माजीस्त्रेटे तेणीने रुपीआ २०) नो दंड कर्यो हतो. ते सामे हाईकोर्टने अपील करवामां आवी ही, तेनो ठराव आपतां नामदार जस्टीस वील्कीन्सने नीचली कोर्ट करेलो दंड बहाल राख्यो हतो, अने तेम करतां जणाव्यु हतुं के: "Then it has been urged before us that, if this conviction be opheld, the effect of it will be to put an end to a trade which has been in existe ance from time immemorial, and furnishes a means of existence to a large body of persons. I fear that this is a consideration which cannot be allowed to affect us' Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (0) ए प्रमाणे संख्याबंध लोकोना गुजराननुं साधन तुटी गयुं, तेनी पण दरकार नहीं - करतां जनावरे उपर थतुं घातकीपणुं अटकाववानी नामदार सरकारे पोतानी फरज विचारी - छे; अने तेथी जो आम पशुयज्ञनां भयंकर कामो नामदार सरकारने समजावशो तो जरुर आपनी अरजीमां फतेह पामशो; अने एवी अरजी करवाने आप तैयार थशो, त्यारे हजारो दयाळु युरोपियनो, पारसीओ, मुसलमानो, अने हिंदुओ एके अवाजे आपने धन्यवाद देशे तथा आपनी फतेह ईच्छशे, एवी मारी खात्री छे. गया जानेवारी मासमां बनारसमां जे पायज्ञ थयो हतो, तेमां मी. प्रभाशंकरना रीपोर्टमां जणाव्या प्रमाणे आशरे रु. १२०००) नो खर्च थयो हतो. दयाळु भाईओ ! एक आवुं काम करवाने ज्यारे एकज शख्से बार हजार रुपीआ खर्च्या छे, त्यारे तेवुं महा पाप स्थळे स्थळे ने वर्षे वर्षे थतुं अटकाववानुं महा पुन्य करवानुं माथे लेवा, डुं आपणामांथी कोई वीर पुरुष बहार पडी पोतानी जींदगीनुं सार्थक नहीं करशे ? कमीटी नीमवानी जरुर छे. आवती त्रीजी कॉन्फरन्स भराय ते पहेलां पशुयज्ञनुं महा पाप कायदाथी अटकाववा माटे आप एक खास कमीटी नीमशो. तेने माटे नामदार हिंदुस्ताननी सरकारने अरजी करवा तथा आपणे मागीए तेवो कायदो पसार थाय, त्यांसुधी आपणी वकीलात करवा एक नामीचा बारीष्टरने रोकशो. अंग्रेजी तेमज देशी छापामां पशुयज्ञनुं महापाप उघार्छु पाडवानी गोठवण करशो. नामदार वॉईसरॉय साहेब पासे रुबरु अरज करवा आपना आगेवान गृहस्थोनुं डेप्युटेशन मोकलशो. ठेकाणे ठेकाणे पशुयज्ञ विरुद्ध भाषणो करावी, ते महापाप सामी प्रजानी दयानी लागणी जागृत करशो, अने तेवा राक्षसी यज्ञो करवानी कायदाथी बंधी चाय त्यांसुधी तेना सामे अरज चालुज राखशो, आवी मारी आपने नम्रतापूर्वक विनंति छे. " आ स्थळे मि. मोतीलाल जमनादासे पण असरकारक विवेचन करी सभानुं दिलरंजन कर्यु हतुं. मी. बहेरामजी पांडेनुं भाषण. मी. बहेरामजी लीमजी पांडे नामना फळाहारी पारसी गृहस्थे बाद जणाव्युं के, "जीवदया संबंधी बोलवानी छुट आपे आपी ते माटे हुं आपनो उपकार मानुं छं. सृष्टिनी आदिमां मनुष्यनी साधे जानवरो तथा वनस्पति पण पेदा कीधी, तेनो हेतु अत्रे ए होई शके के तेओ एक बीजाने सहायता करे, नहीं के हनन करे . आप जैनोए पांजरापोळ उभी कीधी छे, अने ते पाछळ · तमोए हजारो रूपीआ भेगा कीधा छे; परंतु मने कहेवा देशो के तेनो जोईए तेटलो फायदो धयो नथी. पुरो फायदो करवा माटे तेनो वधु सारो वहीवट करवामां आवत्रो जोईए. वळी फळाहारनो प्रसार करवा माटे इंग्लंड खाते प्रगट थतां तेनी हिमायत करनारा पुस्तको तथा चोपानीयां मंगावत्रां जोईए, तथा तेनी लायब्रेरी उघाडवी जोईए. " आगळ चालतां मी. पांडेए `जणान्युं के "छेला दुकाळने लीधे लाखो जानवर मरण पामवाथी तेओनो भाव वधी गयो छे, तेथी खेडुतो पुरती संख्यामां ते खरीदी शकता नथी. तमो जीवदया करीने केलां पशुओनी ३१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संख्या बचावी शकशो? बहुज थोडी." श्रोताजनोने खोटं लागे तो ते माटे माफ मागी मी.. पांडेए जणावयु के " खरी जीवदया करवा माटे जैनोए पोतानी हालनी रीतिमां संगीन फेरफार करवा जोईए." बाई साकरबाई दीनशा पीटीटवाळी जानवरोनी होस्पीटल, मुंबईनी गौरक्षक मंडळनी बोरीवली खातेनी गौशाळा विगेरे खातांने जैनो तरफथी मदद मळी नथी, ते माट वक्ताए दिलगीरी बतावी हती अने जीवरक्षा संबंधी चौकस नियमो कॉन्फरन्सनी कमीटी घडी कहाडशे, एवी अंतमां मी. पांडेए आशा बतावी हती. मी. रेवाशंकर जगजीवन झवेरीनुं भाषण. "आ कॉन्फरन्सना बीजा दिवसनी बेठकमां जे ठरावो पसार करवाना हता, तेमां जीवदयाना संबंधना ठराव सर्वानुमते पसार थयेला छे, जेमां जीवदयाना संबंधमां योग्य व्यवस्था. करवानो ठराव छे, तेने अंगे हुं बे शब्दो बोलवा मागुं छू. “जीवदया" ए शब्दनो अर्थ जेननी भाषामां बहु बहोळा विस्तारवाळो छे. निराधार मनुष्योने जे जे प्रकारे आधार आपवो जोईए. ते ते प्रकारे आधार आपवो विगेरे बाबतो जीवदयामां समाई जाय छे, अनेतेना संबंधमां जे कांई बोलवू जोईए, ते बोलाई चूक्युं छे. हुं आ जगोए जे कहेवा मागुंछु ते एछे के, आपणा लोको जीवदयाना काममा हजारो अने लाखो रुपीआ खर्चे छे, कोईपण जीवनुं रक्षण करवू ते पोताना प्राण समान गणे छे, अने तेने माटे पोतानाथी जेटलो बने तेटलो प्रयत्न करे छे; पण हालना जमानाने बंध बेसता जे रस्ताओ छे, ते रस्ताओ बराबर ध्यानमां नहीं होवाथी, जेटलो पैसा खर्चाय छे. तेना प्रमाणमां जीव- रक्षण घणुंज ओछु थाय छे. जीवनुं रक्षण करवाना रस्ता. त्यारे आ जगोए ए सवाल उत्पन्न थाय छे के, खर्च ओछु थाय अने जीवनुं रक्षण विशेष थाय, तेवा शुं रस्ता छे ? आपणा देशमा मुख्यत्वे करीने गायो, भेशो, घेटां, बकरां विगैरे प्राणीओनां मोटा टोळाओ भरवाड रवारीना कबजामां होय छे. आ जात अहिंसक छ, एटले प्राणीओनी हिंसा करती नथी, अने मांसाहारी नथी, अन्नफळ खानारी छे. आ जातना लोकोनो मोटो भाग पोतानी जींदगी पोतानां जनावरोनी साथे जंगलमां गुजारे छ; अने तेओ जंगलमा रही लगभग जंगली स्थितिमां होय छे, अथवा बीजा शब्दोमा कहीए तो अज्ञान होय छे. वळी ते जातनो मोटो भाग गरीब स्थितिमां होय छे. आ लोकोने कसाईओ विगेरे हिंसक वर्ग तरफथी पैसानी मोटी रकमो मळवाथी, ते पोतानां अवाचक निर्दोष प्राणीओने पैसाना भोगे तेवा लोकोने हवाले करे छे. जैनो जीवदया प्रतिपाळ कहेवाय छे. ते लोकोना प्रतिनिधीओ मुंबईमां एकत्र थएला होवायी, ते अवाचक प्राणीओए पोताना तरफथी वगर आमंत्रणे गुजरात, काठीआवाड तरफथी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक प्रतिनिधी मोकल्यो छे. आ हकीकत जणावतां दरेकने एवी जिज्ञासा थशे के आ वातः झुं खरी छे ? अने ते कोण छे? प्रथम हुँ आप साहेबोने जणायूँ के, ते आवनार गृहस्थ तेनो प्रतिनिधी छे ए वात तो सत्य छे, जेने हुं आप गृहस्थना समक्ष रजु करुं छु. आ शख्स ते भरवाड रबारीनो धर्मगुरु छे. तेनी काठीआवाडमां गढडा पासे आवेला रोहीशाळा नामना गाममां धर्मशाळा छे, अने त्यां दरवर्षे भरवाड रबारीओ विगेरेनो मेळो भराय छे. आ माणसे पोतानी जींदगी आवां अवाचक प्राणीओनुं रक्षण करवामां अर्पण करेली छे. ते लगभग दस वर्षथी अन्नाहार लेता नथी, पण पोतानी जींदगी फळाहार उपर निभावे छे. एक वर्ष आ अवाचक प्राणीओना रक्षण अर्थे छाश उपर पोतानी जींदगी टकावेली, अने ते पछी भावनगर, गढडा विगेरेना महाजने तेने छाशने बदले फळाहार कराव्यो. आ भक्त अवाचक प्राणीओनुं रक्षण केवी रीते करे छे ? तेना सेवको मोटी किंमत लई कसाई विगेरेने जीवो आपता, तेने माटे तेमने धर्मनो बोध आप्यो; अने तेने लीधे पोणा बसों गामना भरवाड रबारीओए एवी प्रतिज्ञा करी के, हिंसा करनार तरफथी आपणने गमे तेटलो पैसो मळे, तोपण आपणे तेने. प्राणीओ वेचाण आपवां नहीं, अने तेना रक्षण करनाराओने जुज किंमते पण आपवा. आवी रीते थवाथी केटला जीवो हिंसकोना हाथमा जता अटक्या हशे, तेनो आप साहेबो विचार करशो. आ भक्तने आवा जीवोना रक्षणनी सहायता अमदावादवाळा शेठ मनसुखभाई तथा. भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आणंदजीए आपेली. हालमां आ भक्तना एक सेवक पासे आशरे चौदसें घेटां बकरांओ होवाथी तेने माटे "शेठ मनसुखभाई मुंबईमां छे, तेमनी पासे जई आनो बंदोबस्त करी आवं" एम धारी भक्त मुंबई आव्या. पछी तेमने मालुम पड्युं के शेठ मनसुखभाई अहीं नथी पण अमदावाद छे; तेथी निराश थई भक्त पाछा जवाने तैयार थया. दरमीआन तेमनु अनायासे मारी पेढी उपर पधारवानुं थयु, अने तेनी जींदगीनुं वृतांत सांभळी, आ जैन कॉन्फरन्समा अवाचक प्राणीओना प्रतिनिधीनी काई दाद संभळाशे एम धारी, में आ भक्तने अहीं रोक्या, जे आपणी समक्ष रजु छे. आ भक्तने आपनी समक्ष रजु करवानो अने आ हकीकत बताववानो हेतु ए छे के, में. आप नामदार साहेबोने प्रथम बताव्युं तेम, आपणा जैनभाईओ जीवदयाना काममा लाखो रुपिया खर्चे छे, पण तेना प्रमाणमां जीवदया बहुज ओछी थाय छे; माटे जो आवे रस्ते. जीवनुं रक्षण करवामां आवे, तो ओछे खर्चे वधारे जीवनुं रक्षण थई शके. ___ खर्चना प्रमाणमा लाभ केम मेळवाय ? घेटां, बकरां विगैरेनुं पालणपोषण करवानी बराबर व्यवस्था होय, तो तेना खर्चना. प्रमाणमा लाभ रहे छे. घेटां, बकरांना एक हजार अथवा पांचसेना टोळाने बे भरवाड संभाळी शके छे, ते वगडामा चरी खाय छे, अने दरेक घेटुं वर्ष दहाडे लगभग एक रुपीआनुं उन. आपे छे. आ रीते जोतां ओछा खर्चमां हजारो प्राणीओनुं रक्षण थई शके. आपणा देश- प्रथमनु बंधारण जोईए छीए, तो लोकोमा अभक्ष्यनो परिचय प्रमाणमां बहुज ओछो हतो; पण हालना काळमां आ हलका खोराकनी चीज मळवानी सहेलाई अने सस्ताई वधी पडी छे, तेथी ते चीज खानारा गरीब माणसोने पण अनाज अने फळादिकनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) सगवड छतां, तेवाना भोगे प्राणीओनो वध थाय छे. परंतु आपणा देशमा जे लोकोना हाथमां आ जीवोनो मोटो जथो छे, ते लोकोने पोताना यथार्थ मार्ग समजाव्या होय, तो हिंसकना हाथमां आवा जीवो प्रमाणमा ओछा जाय, अने तेने लीधे ते चीज मोंघी मळवाथी केटलाक गरीब लोको तेनो उपयोग करी शके नहीं, अने ते कारणथी अनाज उपर सेहेजे पोतानुं गुजरान करता थाय. एक माणस पोतानी जींदगीमां अभक्ष्य न खाय, तो तेने अर्थे तेनी जींदगी सुधीमां केटला जीवनो वध थतो अटके ? तो घणा गरीब माणसोने आ वस्तु मोंघी मळवाथी एकंदरे केटला जीवनुं रक्षण थाय; तेनो आप साहेबो ख्याल करशो. बंधारणनी खामी. आजे पण केटलाक अनार्य मुलकना वतनीओने गमे ते चीज मळे ते मुके नहीं, एवा मुलकोमां पण ते चीजो गरीबने नहीं मळवाथी पोतानुं गुजरान पटेटा विगेरे उपर चलावे छे; तो आपणा देशमा उपर बताव्यां तेवां साधनो आपणा हाथमा छतां आपणा बंधारणनी खामीने लीधे आपणे तेनो खरेखरो लाभ मेळवी शकता नथी. विलायतना लोकोमां अभक्ष्य खावानो प्रतिबंध नथी, पण त्यांना लोकोमा हालना जमानामां केटलाक एवा वीररत्नो नीकळ्या छे, के तेओने मांसाहार माणसाईना नियमथी उलटो लागवाथी तेनो त्याग करी, वेजीटेरियन एटले अन्नफळ खानार थया छे: अने एना संबंधमां केटलाक परोपकारी पुरुषोए पोताना लाखो रुपिया अर्पण कर्या छे. ए लोकोनी जीवरक्षण तरफ एटले सुधी लागणी छे के, जनावरमांथी पेदा थती कोईपण चीज, गाय- दुध, घी अने चामडाना जोडा सुद्धां पण नथी वापरता. मतलब जनावरनी कोईपण चीज माणसने वापरवा लायक नथी, एवी लागणी धरावे छे. आवा लोकोमा जे सोसाईटी विगैरे छे, तेनी साथे संबंध राखवो, तेथी वाकेफ थता रहेवू, अने तेना दाखलाओ आपणा देशमां लोकोने समजावी लोकोनुं वलण बदलावq. आवो प्रयास जो सतत् जारी होय, तो घणा जीवोनी वृत्तिओमां फेरफार थाय, अने तेने लीवे ते लोकोने भोगे हजारो प्राणीओ, रक्षण थाय. पारसीओनुं अन्नफळना खोराक तरफनुं वलण. मुंबईमा 'पारसी कोमना केटलाक परोपकारी ग्रहस्थोनुं वलण अन्नफळ तरफ वळेलं आपणे जोईए छीए. 'ऑलब्लेस बाग'मां थोडा रोज उपर पारसी वेजीटेरियनोनो एक मोटो मेळावडो थयो हतो, अने तेमां अन्नफळ तरफ पसंदगी अने मांसाहार तरफ सख्त विरुद्ध लागणी बतावी हती, ते जे साहेबोए छापां वांच्यां हशे तेमना जाणवामां होवू जोईए.जे लोको मांसाहारीछे, तेमांना केटलाक लोकोनी अंतरनी लागणी ते तरफ तिरस्कारवाळी होय छे, अने तेने लीधे ते मांसाहार छोडी दे छे; पण पाछळथी केटलीक जोगवाईनी खामीने लीधे, एटले के घरमां कोई रांधनार न मळे, तेवी चीजो रांधवानो महावरो नहीं, खोराक बराबर रंधाय नहीं, एवी मुइकेलीओथी अथवा कोई वखते अनियमितपणाथी तबीयत बगडे तेने लीधे, बिचारा अन्नफळ उपर दोष आपी पाछा लपटाई जाय छे. तो आवा लोकोनी साथे संबंध राखी जेजे मुस्केलीना रस्ताओ तेमने जणाता होय, तेने माटे आपणाथी जे रीतनी मदद कराती होय, ते रीते मदद करतां घणा लोकोनी वृत्ति अन्नफळाहार तरफ चोंटी रहेशे. हुं सांताक्रुझमां रहुं छु. एक वखत रेलवे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) ट्रेनमा एक पारसना मोबेदजी एटले धर्मगुरु मने मळ्या तेनी साथेनी वातचीतमा “हुं अमारा धर्मनी उंडो अभ्यासी छु, अमारा धर्मपुस्तकोमां कोईपण जगोए मांसाहार खावानुं लख्यु नथी; हुं जोके जन्मथी मांसाहारी हतो, पण ज्यारथी मारी खात्री थई के पारसीधर्ममां ते वात मुद्दल लखी नथी, ते वखतथी मारो मांसाहार तरफ तिरस्कार थयो अने अन्नफळ तरफ वत्ति बंधाई; पण मारे ए संबंधमां बहु मुश्केलीओ वेठवी पडेली. घरमां कोईने अन्नफळनो खोराक आवडे नहीं, घरनां तमाम माणसो विरुद्ध छतां रसोईन काम में जाते करी, मारी मुश्केलीओ वटावी, अने आजे मारां छोकरां छैयां अन्नाहार खातां थयां छे. अमारी नातमां मांसाहारनो परिचय वधारे होवाथी, अमे कोई सगा के दोस्तने त्यां जमवा न जईए तो नात बहार जेवा लागीए छीए." बीजा बे पारसी ग्रहस्थोए वातचीतमां जणाव्यु के, “अमो लोकोने जोके मांसाहार तरफ तिरस्कार छे, अने वेजीटेबल तरफ प्रीति छे, पण जो अमने अन्नफळाहारनी जोगवाई मळे तो अमारा घरमांथी ए चीज काढी नाखवाने अमे बहुज इंतेजार छीए." मारा एक हिंदु मित्रे तेने रसोईया पुरा पाडवानुं वचन आप्यु. आवी रीते ए लोकोनी अन्नफळ तरफ लागणी छतां, केटलाक संजोगोने लईने तेओ पोतानो खोराक छोडी शकता नथी. तेना संबंधमां ते लोकोने माटे सगवडवाळा रस्ताओ करवाथी, घणा माणसो मांसाहार तजी अन्नफळ खाता थशे, अने तेने लीधे हजारो अवाचक प्राणीओनुं रक्षण थशे, अने तमारा कर्तव्य प्रमाणे तेथी तमे मोटुं पुन्य मेळवशो. युरोपथी आवती जणशोना संबंधमां राखवानी तपास. हालना काळमां केटलीक चीजो युरोप विगैरे देशोमांथी आवे छे, ते जानवरने मारीने तेना अवयवोनी बनाववामां आवे छे. तेना संबंधमां आपणा लोकोनी पुरेपुरी माहिती नहीं होवाथी तेवी चीजो वापरे छे. हजारो पक्षीओना भोग बदल पीछाओनी टोपाओ बनाववामां आवे छे, कचकडा जेवी चीजो काचबा जेवा प्राणीने मारी बनाववामां आवे छे, रेशम जेवी चीज कोशेटा नामना जीवने गरम पाणीमां बोळी, तेमाथी रेशम काढी बनाववामां आवे छे, मीणबत्ती जेवी चीजो चरबीमाथी बनाववामां आवे छे, साबुओमां. चरबी नांखवामां आवे छे. आवी चीजो प्राणीना आंगोपांगनी बने छे, एम जो आपणा लोकोना समजवामां खरेखरं आवे तो, तेथी आपणा लोको एवी तीव्र लागणीवाळा छे के, तेनो एकदम त्याग करे. तेवा विषयोमां आपणा लोकोने पुरेपुरी माहिती रहे, तेवा उपायो योजवा. मारा मित्र मी. मोहनदास करमचंद गांधी जे साउथ आफ्रिकामां आपणा इंडियनोना प्रतिनिधी छे, अने जेणे आपणा इंडियनोना हितने माटे पोतानु तन, मन, धन अर्पण कर्यु छे, ते एक वखत कलकत्ता तरफ मुसाफरी करता, त्यारे एक रेशम बनाववा- कारखानुं जोवा गया. जीवता कीडाओने उकळता पाणीमां नांखी तेमाथी रेशम बनाववामां आवे छे, एवी क्रिया जोई तेमने एटलो बधो तिरस्कार छुट्यो के, तेमणे पोते तथा पोताना घरमां रेशमी चीजो वापरवानो त्याग कीधो. __एवी रीते ज्यारे आपणे आपणा लोकोने जीवहिंसा- खरं स्वरूप समजावीशु, त्यारे ते लोको पोतानी भेळे ए वस्तुओनो त्याग करशे,अने तेने लईने हजारो प्राणीओनुं रक्षण थशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) जे राजाओए पोताना राज्यमां अमुक जीवो मारवानुं बंध कर्यु छे, जे राजाओए पोताना राज्यमां अमुक वखते जीवो मारवानुं बंध कर्य छ, ते काममां तमाराथी बने तेटली सहायता तथा धन्यवाद आपो. जे राज्यमां जैन प्रजा वसे छे, ते राज्यने बीजा राज्यना दाखला बतावी, पोताना राज्यमा आवी रीते जीवन रक्षण करवाने तमाराथी बने तेटली वग वापरो. दशेरा जेवा दहाडामां घातकी रीते पशुवध थतो केटलाक दयालु राजाओए अटकाव्यो छे, अने केटलेक ठकाणे थाय छे; तेना तरफ तमाराथी बने तेटली वग चलावी, तेवा राजाने बीजा राजाओनो दाखलो देई, तेवी रीते घातकीपणुं अटकाववा प्रयत्न करो. जे लोकोए जीवदयाना काममां पोतानुं तन, मन, धन अर्पण कर्यु छे, जेवा के मी. करशनजी, मी. लाभशंकर, तेवाने तमाराथी जेटली बनी शके तेटली मदद आपो. जीवनु रक्षण केवा उपायो योजवाथी थई शके तथा ते थोडा खर्चमां थई शके, ए विषेना टुंक विचारो में मारी अल्पमति प्रमाणे बतावेल छे, ते फक्त भाषणना रुपमा बतावी देवाने बताव्या छ एम आप साहेबोए समजवानुं नथी; पण आवा भव्य मेळावडानी जे तक मळी छे तेनो सर्वे भाईओए लाभ लई, आ महान् कार्यनो पायो रोपवाने माटे उपरनी हकीकत बतावी छे. (१) मुंबईमा जीवरक्षाने माटे लाखो रुपीआ धर्मादामां नीकळे छे, अने ते छुटाछवाया हाथे खर्चाय छे, पण जो खरी लागणीवाळा परोपकारी गृहस्थोनी बनेली एकज मंडळीना हाथमा तेवी रकमो होय, तो थोडे खर्चे हजारो प्राणीओनुं रक्षण थई शके, अने तेवू मंडळ स्थापन थयु छे. (२) एवी धर्मादानी रकमो छुटाछवाया हाथे धर्मादा करवानी आपणी पद्धति छ, तेने बदले तेवी रकमो आपणी मंडळीने सुंप्रत करवानां धोरण बांधवां. (३) आवी रकमोथी आवी मंडळीने हाथे आवां जीवदयानां खातां चलाववां. (४) ते खातामां परोपकारी पगारदार सेक्रेटरी नीमवो. (१) अने आ पैसा केवी रीते खर्चवा तेनी व्यवस्था करवी. आ रीतनुं बंधारण थवाथी थोडा पैसामां हजारो प्राणीओनुं रक्षण थशे. आजे आप साहेब जुवो छो के, फक्त झवेरात तोळवानो धर्मादानो कांटो छे, तेमां सेंकडे पाटको तोळाईनो लेवामां आवे छे, तेमां आजे हजारोनी कमाणी छे अने ते पैसो जीवदयाना काममां वपराय छे; पण ते खाताना व्यवस्थापक साहेबोने एम खात्री थाय के ओछा खर्च हजारो प्राणीओन रक्षण थाय तेवू छे, तो तेओ साहेबो जेटली बने तेटली सहायता आपे, एवा तेना परोपकारी व्यवस्थापको छे. __आ मारु बोलबुं हुं पुरुं करी सर्व भाईओने एवो आग्रह करुंछ के, आ महान् मेळावडामां आप साहेमो पवाया छे, तो आ अपूर्व तकनो लाभ लई जरुर आ जीवदयाना अने बीजा फंडमा 'पोताना गजा संपत रकम आपशी. तमे एक घेटाना कसाईने चार रुपीआ आपो, तेने बदले भा खाताने ते रकम आपवाथी आठ जीवोनो बचाव थशे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हे मारा वहाला भाईओं | 'आ तकनो लाभ नहीं चुको, एवी हुं फरी फरी आग्रहपूर्वक विनंति करुं छु, ___ आ मारुं बोलवू पुरुं करी, मारा जेवा अदना माणस तरफथी नानी जैवी रु. २५०) (अढीसो)नी रकम आ खातांने आपुं छु." छेवटमां झवेरी. नगीनभाई मंजुभाईए चामडानां पुंठां तथा जीवोत्त्पतिवाळी पडसुदी वापरवा बाबत केटलुक विवेचन कर्यु हतुं, जे उपरथी एवां चामडानां पुंठाने बदल कपडानां बनावेलां मजबुत पुंठी वापरवा ठराववामा अव्यु हतुं. सारबाद प्रमुख साहेबने हारतोरा अपाया बाद, जयजीनेंद्रनी उद्घोषणा साथे मेळाबडो बरखास्त करवामां आव्यो हतो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) पुरवणी (क). श्री मुंबईमां भरायेली बीनी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स वखते श्री पुस्तकोदार, जार्ण मंदिरोदार, निराश्रित, जीवदया अने केळवणीनां खातांओमां भरायेला नाणांनी टीप. सुचनाः-ता. १५-१०-१९०४ सुधीमां जे जे गृहस्थो तरफथी तेओए भरेलां नाणां वसुल आव्यां नथी, ते गृहस्थोनां नामो आगळ x आ प्रमाणे निशानी मुकवामां आवी छे. • पुस्तकोद्धार नाम. जीवदया. जीर्णोद्धार. गाम. केळवणी. निराश्रित. ।। ५ । अजमेर. .: .. " अमदावाद. ० २५० | १५१ १२५ १२५ १२५ १२५ १२५ . शेठ सोभागमलजी ढवा. केसरीचंदजी लुणाआ. ,, गोकळभाई सुरचंद. , गोकळभाई हरखचंद. , करमचंद गोकळदास. , जगजीवन जेठामाई. दोलतराम जोईतादासपोचाभाई गोकळदास. रतनचंद छगनलाल. छगनलाल माणेकचंद. x,, मगनलाल जेठाभाई. , नेमचंद नानदास. मेघराज हीरालाल. ,, जेठामाई गुलाबचंद. शाह खाते. हा.हेमचंद नानदास. ,, लखमीचंद लल्लुभाई. शाहखाते. शाहसाते. ,, जेसिंगभाई ठाकरसी. ,, वीरचंद कस्तुरचंद. , वर्धमान लखमानी दुकानतरफयो x डोशी वीरजी भीमजा तथा शाह झझा गोविंदजी. x, भगवानदास कस्तुरचंद. । x, नारणजी पानाचंद. " जीवाभाई अमरचंद हा. वीरचंद. " डाह्याभाई देवसी. "त्रीकमचंद वीरचंद . ه ه ه ه ه ه ه ه ه م : : . م م ه ه ه ه ه و م ه ه ه هه یه به هم : هم مهم به به و به * FRAMMF न्ह लल्ल ..... ... ... अत्रामा. س अलाऊ. अमरेली. .. .. . ه به سه : م م م .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) नाम. जीर्णोद्धार. जीवदया. निराश्रित. केळवणी. गाम. १। २ । ३ । ४ । ५ । .-1 अगाशी. ' ' '' ' असारा. अहमदनगर. ' ' MIT अंकलजी. २५१ १७७ १०१ ' ' २५ १२५ आमलनेर. xx :::: .... ०7 नन्ज ::FFFF ' ' शेठ खीमचंद हीराचंद. x, फताजी अणदाजी हा. शा. प्रेमा डुंगरजी. ,, भगवानदास घेलाभाई. श्री असाराना संघ तरफथी हा. शेठ __गुलाबचंद रामजी. शेठ दलीचंद कनकमल. वोरा लखमीचंद लाधाभाई हा. शेठ रावजीभाई तथा गुलाबचंद. । शेठ रावजी लखमीचंद. , छगनलाल उगरचंद. वोरा भाईचंद हेमचंद. शेठ माणेकचंद गुलाबचंद. , मगनलाल लखमीचंद. ४ , भुखणदास वेलचंद. दगडुशा तीलोकचंद. , रुपचंद मोहनचंद. सोभागचंद रायचंद अमीचंद. कीशनदास रुगनाथदास. चुनीलाल डोसलचंद. करसनदास चांपसी. ,, पृथ्वीराज रतनलाल. , रतनसी शामजी. ,, हरजीवन झवेरचंद तरफथी शा. नेमचंद रायचंद. श्री ईडरना संघ तरफथी हा. शेठ भाईचंद पदमसीभाई. x शेठ लीलाचंद केशवजी. , हीराचंद सांकळचंद. , मोतीलाल माणेकलाल. , रामदास नानचंद. , फूलचंद मानभाई. x,, सोभागचंद फतेचंद. , रुपचंद रंगीलदास देवचंद. , लीलाचंद उत्तमचंद. छगनलाल वखतचंद. नानचंद कीकाशा. वल्लभदास आशाराम. चुर्नालाल रायचंद. दामोदर बापुसा. माणेकचंद वीरचंद. वेलचंद अंबावीदास. ::: ' ' : न ईडर, ' ' उझा. ' ' उज्जैन. उदवाडा. उमेटा. उमरावती. एवला. F FER x २५/ १२५ १२५/ १२५/ १२५/१५०१ ५० २५० २५/ १२५ २५ १२५ २०१.. १० ५१ १०. ५१ १० १०:५१ १० १० ५१ :: ___xxx :: : Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) - पुस्तकोद्वार जर्णोिद्धार. नाम. केळवगी. कुल. गाम. < जीवदया. || निराश्रित. ! एवला. , . * ی एडन. एवत. 2010 aurant * * " ه ت به سه ة ०२० २० २१ २० अंजार. अंबाच. . ة कलकत्ता. १०००१०००१००० . कंडोद. . . م ه م ه " कराडी. م :: .: - शेठ जगजीवन दुल्लभदास.. , बालचंद शामदास. , मेघजी चांपसी. शाह खाते. महेता अमरचंद उजमचंद. शेठ ताराचंद खेमचंद. " धनजी उगरचंद. ४, सोमचंद धारसी. ,, नरसी डाह्यानी. , चंद जेताजी. राय बद्रीदासजी काळीकादासजी. शेठ कनैयालाल माणेकचंद. , देवकरण वालजी. , देवजी राजाजी. , मोतीजी जगन्नाथजी. , दलाजी भगवानजी. लखाजी उकाजी.. , मोतीजी प्रेमाजी उकाजी. , रत्नाजी जेठाजी. x, मोहनलाल लखमीचंद. मास्तर लखमीचंद करमचंद. शेठ चुनीलाल जोईताराम. , कुबेर धरमचंद मोदी. , केवळदास मलुकचंद. , मोहनलाल प्रवेरदास. डोसी करमचंद त्रीकमजी. परी. बालाभाई देवचंद. . बाई जवेर,शा.जेचंद मोतीचंदनी स्त्री. 'परी. गरिधरलाल बालाभाई । - शेठ दलसुखभाई प्रेमचंद । बाई जमना, शा.बालाभाई दलसुखनी धणीआणी. x श्री कपडवंजनी बाईओ तरफथी. शेठ वीरचंद नहानचंद हरीचंद भूखण. मोतीचंद फतेहचंद. , झवेरभाई भगवानभाई. , रतनजी लाधाजी. " मोतीचंद फूलाजी. , झवेरचंद वधाजी. , प्रेमाजी फूलाजी. कठार. कठलाल. कडी. .. . .. . . . . . . . . . . ... . م ه ه ه ه ه ه कपडवंज. . . . . . . . .: PM • • • • • • ه و ما هم به .. ... . . कागळ. कावीठा. ' कालीआवाडी. 2. همه ی ما ' ... . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ राघवजी हीराजी हा. मुळजी लवजी. "" * X X " " X " در " " ,, हठीसंग डाह्याभाई. भगवान लवजी. 27 संघवी हरीचंद भाणा. x शेठ धनजी कानजी. در वीसन चंद ज्ञानचंद. छगनलाल कीशोरदास. " गांधी मेघजी गांगजी. शेठ नरोत्तमदास हरगोवन. श्री खेडाना नकरातड तरफथी. x शेठ सोमचंद पानाचंद. " नाथालाल अमीचंद. X वाडीलाल डाह्याभाई. " در " " मगनलाल गीरधर. मलुकचंद रघाजी. उमेदचंद नरसी. उमेदचंद लल्लुभाई. " श्री खंभातना डेलीगेटों तरफथी. शेठ दीपचंद फूलचंद . नथमलजी गुलेच्छा. देवराज टोकरी. " " دو नाम. 23 वलमचंद देवचंद. श्री गांगडना डेलीगेटो तरफधी. " काळीदास भाणजी. टोकरसी राघवजी. मेघजी तेजपाळ. बाई संतोक, वोरा नीमा चतुरनी विधवा शेठ चतुरदास गोकळभाई. X मोर्ताजी हरनाथजी. " हीरजी पुंजा. प्रागजी जेताजी. " " हीरजी राजपाळ. वेलजी हंसराज. "} " "" "" उमेदचंद खुबाजी. गोविंदजी मोतीजी. केवळचंद दोलतचंद. ह्रींमतमलजी प्रतापमलजी. ओधवजी करमचंद. नगीनदास अनोपचंद. ( १७ ) गाम. कुंडला. ( काठीआवाढ. ) " در " कोठारा. कोपरली. कोठ. कोलीआक. कोडाय. " खस. खामगाम. " खांधली. खुटवाडा. डा. " ور "; 29 " खेरलाव. " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ور खंभात. ور ग्वालियर. गढसीसा. गणदेवी. गांगड. " गुंदी. गोइमा. . " गोंडळ. घाणेरा घोघा. " चीतळ, चुडा. → पुस्तको द्धारा " जीर्णोद्वार. - निराश्रित. ● जीवदया. - केळवणी. ० ० O १० १ २५॥ २५ २५ १० १० २॥ २१ १० १ ६० ५ ३ ३ २५ २५ २ o १८ || ५ १ १ • ० ० ५० ० १० १ २५॥ ૪ २ १० १० ५ ૩ २॥ १ २० १० १ ६० ● O १२॥ ७ ॥ १ १ ७॥ १० १ २५ २५ ४ २ ११ | २० १० १ ६० प्रागजी बहेचर. मुळचंद वसराम. * आ गृहस्थ तरफथी जीर्णोद्धारना रु. ५०० शिवाय बीजा वसुल आव्या छे. ५ ७ ॥ ० ५ ७॥ १० १ ० ३ २५ २ २ २५ २५ ४ શ १० १० ૩ २॥ ५०० ५०० ५०० १००० ५०० २० २० २० २० २० 0 ० ६० ११॥ १ २० १० ป ६१ ० १२॥ ० ० १ ० .० १० १ ० १० १० ५१ ३| १५ २५ १२५ २ १० २ १० २५ १२५ २५. १२५ ४ २० २ २॥ १ कुल. २५ १५ १० १५ ५० १० ५१ ५१ २५ १५ १२ ५ २० १०१ १० ५० १ ५ ६० ३०१ २५ 000 १०० ६० ० ११ ०१८| || २५ २५ ५० २५१ १० ५ २५ www.umaragyanbhandar.com Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८) निराश्रित. • पुस्तकोद्धार - जीर्णोद्धार. जीवदया. केळवणी. नाम. कुल. गाम चंदरपुर. .... चंदा-सीटी. छाणी. ... . . . . . . . . . . ... जखा. जलालपुर. 333337FE FRE जबलपुर. . . १० २०१ २५/ १२५ २५ १२५ जयपुर, जलसण. जळगाम. २५ १२५ २० १०० . ६९ ३४८ शेठ आशकरण ईन्दरजी. , चुनीलाल लुणकरण खुबचंद. , गरबडदास लालचंद. ,, जमनादास हीराचंद. , नाथाभाई पुंजाभाई. भगवान शीवलाल. हरगोवन ईश्वरदास. हंसराज रतनसी. ,, फूलचंद रामाजी. भीखाजी भगवानजी. ,, चोयमल चांदमलजी. x बाई मुनीयाबाईनी वती शेठ गोडीदास श्रीमती. शेठ हंसराज प्रतापचंद. x, हीराचंद मानमल गुलेच्छा. x, गोडीदास छुनमुमदास गुलेच्छा. बाई राजकुंवर, मी. गुलाबचंदजी ढवानी माताजी. * शेठ राघवजी वस्ताजी. श्री जळगामना संघ तरफथी. x शेठ बादरमल मगनलाल. , देवसी बीसार. , भाईचंद खुशालचंद. महीकरण मगनीराम. केशवजी मुळजी. माणेकचंद जादवजी. जेठाभाई कल्याणजी. टोकरसी देवसी. " डोसामाई परशोत्तम , चत्रभुज गोविंदजी. * हेमराज मुळजी. बाई दिवाळी, शेठ गोरधनदास मोती चंदनी विधवा. मास्तर दोलतचंद परशोत्तम. • शेठ कस्तुरचंद वाघजी. मुत्ता कलराजजी. x श्री जंबुसरमा संघ तरफथी. शेठ खुबचंद पानाचंद. x, मोहनलाल दुल्लभदास. x,, हरखचंद न्यालचंद. , हरजीवन भाईचंद. , वीरजी मावजी. . . . . .... जालना. जामनगर EK २५१ २५१ १०/२५१ १२५ xx . . . . जुनागढ. जेकबाबाद. जोधपुर. जंबुसर. झणोर. 2 . . . . . . . . . . . . ....... टाणा. ५ . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तकोद्धार जीर्णोद्धार. निराश्रित. जीवदया. केळवणी. कुल. गाम. नाम. . ... . . ................. " . . ...... . . तेरा. थराद. ..... शेठ खुबचंद फूलचंद. डाछा. , नेमचंद कलाजी. डाभेल. सरुपचंद गोविंदजी. डुबेरा. वरसंग राणा. प्रेमचंद उमेदचंद. तळेगाम ढमढेरीया. ज्ञानचंद नहानचंद. सोमचंद केवळचंद. तळेगाम दभाडा. , नेमचंद नहानचंद. , जगजीवन ठाकरसी. त्रणसा. , विठ्ठल संघजी. त्रापज, परी. पानाचंद झवेर. शेठ हीराचंद हरजीवनदास. वोरा जसराज हरजी. शेठ हरखचंद गुलाबचंद. तील्हारा. बाई हीरबाई, शेठ पदमसी डुंगरसी नी दीकरी. पारेख मोतीचंद मेघाणी. शेठ सवाईचंद ताराचंद. x डोशी मुळचंद चतुर. संघवी कस्तुर हरजीवन. शेठ मेघराज जेठाजी. , पानाचंद बहेचर. , अनोपचंद खीमचंद. , नथुमल मोतीचंद. , खुबचंद करमचंद. श्रीदरापुराना डेलीगेटो तरफथी. दरापुरा. लाला नवलकीशोर खेरातीलाल. दील्ही. x लाला गुलाबसींग मामल. शेठ प्यारेलाल दलीसींग. , नाथाभाई जगजीवन. , वर्धमान नथु तथा रामजी वीरजी दीओर. , पासुभाई वाघजी तथा लालजी दुगापुर , शेठ मोतीचंद पदमाजी. , मकनजी जोराजी. प्रेमचंद प्रागजी. , वीजपाळ लाधाभाई. ,, माणेकचंद वेलसी. ध्रांगध्रा. गांधी नारण टोकर. शेठ कानजी सुंदरजी. धोराजी. , सखाराम दुल्लभदास. धुळीआ. x,, भाणणी देवजी. م ه م ه ه م م ع ه م م ع ه م م ه م ه ع م - ة م ه م ه ه م م م م م م ه م ئه مه به م مه سه بر همه مردم به م م ه ه م ه ه ه ه ه ه ه ه ه م م م م م ة .. . . . .......... . . दमण, " ... . दीएज. . ___ पुनसी. देगाम. देसलपुर. . .......... : . . . . . * * * * * * * * * ० . . १०० १.० ____० ० ० १०२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री डीसाना संघ तरफथी. शेठ जीवणजी प्रागजी. :3 XX "" " खूबचंद गोविंदजी. गलाल जोगाजी. "" बाई अंबा हा. लल्लुभाई मकनजी. बाई मोती हा. कपुरचंद पानाचंद. शेठ गोविंदजी नथुजी. " ", " लधा सामंत. हजारीमल खूबचंद. रामकरण हीरालाल. 31 X हेमचंद हरखचंद. " " X,, मेघराजजी छोगमलजी. प्रतापचंदजी छोगमलजी. दीपचंद जेचंद. X संतोकचंदजी हा. माणेकचंदजी. x श्री नरसंडाना डेलीगेटो तरफथी हा. चुनीलाल ताराचंद विगेरे. در 29 "" शेठ वहालचंद हकमचंद. अमरचंद पीतांबर. در او " पीतांबर खुशाल. " " हरजीवन खुशाल. तलकचंद करमचंद. "" X", وز "" "9 नाम. " " पानाचंद दुल्लभदास. अमरचंद लखमीचंद. " " फकीरचंद गोविंदजी. लुभाई गोविंदजी. " "9 ओतमचंद हीरजी. हरखचंद वर्धमान. सुरजी पनाजी. केसरीमलजी काठेर. केसरीमलजी नागोरी. चांदमलजी. अचळदासजी बालीआ तथा रखवदासजी भंडारी. मीठालालजी बालीआ. लालचंदजी धाडीवार. सहेसमल बस्तीमलजी . तेजमलजी पोरवाड. मोतीचंद खेतसी. केवळचंद रतनचंद. वेलुभाई घेली. " डोसी नहालचंद खेमचंद. ( २० ) गाम. डीसा. नवसारी. " " " "" " " "" "" "2 नळीआ. नरसींगपुर. नागपुर. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat " 99 " नापाड. नादेल. नरसंडा. नापाणी. नीकोरा. " " " प्रभासपाटण. " परीआ. पाली. " "" " "3 د. " " पालणपुर. 22 "" " • पुस्तकोद्धार जीर्णोद्धार. निराश्रित. जीवदया. केळवणी. १० ५० २० O بات २५ २ ११ ५१' २० 25995 २५ २५ २०० २०० २०० ४० २५ २० १० ५०. २० १ १२ २५ २५ १० १० २५ २०० ४० ४० ४० २५ २५ २० २० 55 ان ५१ ५० | २५१ २१ २० १०१ २५ २५ २५ १० १० १. १: بات ५० २५ २५ १२ १२ १२ २५/ १० ११ १०. १० ११ २१| ''... "-:: ގ ތ ގ ގ އެ १ कुल. १०० १२५ २०० १००० 905 ४१ २०१ २५ १२५ २० १०१ ५. २५ ५. २५ 50 ५ ५ २५० २५ १२५ १२८ ६१ १२५ १० ५१ १० १०/ ५१ 55 ३५ १० २५ २५ २५ ५ १० २५ २५ २५ २५ ५१ ५१ ५१ २५५ २५ २५ २५ २५| २५ १२५ २५. २५ २५ २५ २५ १२५ २६ ६॥ ६ ॥ ६ ६। ५१ www.umaragyanbhandar.com Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) पुस्तकोद्धार निराश्रित. केळवणी. नाम. | जीवदया. गाम. InlA पालणपुर. . ._ . . । ... • • 9 ° पाटण. xx २५० १२५ | १२५ | १२५ . : :: : . । १०१ • ' पाराला. . . . . . . . . . . . . . . ..... . . : पालेज. M ° : ' ' ' " पादरा. प्रांतीज. : महेता वेलचंद उत्तमचंद. शेठ बालाभाई गटाभाई. x ,, भीखमचंद वखतचंद. ,, खुशालचंद सुरचंद. x,, मीठाचंद लधाचंद. ,, मुळचंद खेमचंद. ,, लहेरचंद करमचंद. बाई समरत, शेठ सरुपचंद घेला भाईनी विधवा. शेठ छोटालाल गभरुचंद. , धरमचंद मानचंद. ,, मगनचंद भुराचंद. ,, घेलाभाई शीवजी. श्री संघ तरफथी. शेठ वसनजी अरजण. ,, मुळचंद सरुपचंद. , मगनलाल रणछोडदास. श्री पादराना डेलीगेटो तरफथी. शेठ मुढचंद नागरदास. ,, गोरधनदास कसढचंद. , हीमतलाल फूलचंद. , परशोतम हराभाई. रतनचंद पीपाडवाळा. , जुहारमल मोतीचंदजी. गगलचंद हाथीचंद. रायसिंहजी प्रेमाजी. मोतीजी गुलाबजी. मोतीचंद मेघाजी. मोतीचंद भगवानदास. भगवानजी लखमाजी. वीरचंद कृष्णाजी. कृष्णाजी लालाजी. वीरजी मोतीजी. , पानाचंद जेराम. , काळीदास देवचंद. शाह खाते. शेठ हठीसंग देवचंद. ,, जगजीवन वालजी. ,, कल्याणजी मोनजी. x ,, बाई केसर हा. हरखचंद कपुरचंद. शेठ हरजीवन बहेचर. " " " पीपाड. X F' ' पुना. X X X :: :: :: X . . . . ... ..... . .:. . . .. . . ..... : ....... . • • • ; १० २५० २५० X .:' ' ''' ''' ५० पोरबंदर १२५ १२५ २५ २५, २५ १२५ _ __ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२) पुस्तकोद्धार निराधित. "र्णोिद्धार गाम. जीवदया. केळवणी. नाम. कुल. | पोरयंदर. १५/ १५ १५ . पंचासर. पंजाब. फलोदी. ::: . १०० १०० २५१ २५१/१५०५ २० १०० १० ५० १० १० १० ५० बळेश्वर. बगवाडा. १० १० १० ११/ ५१॥ . " बाळापुर. भरुच. २५ | २०० २००. २०१ २०० २००१००१ ___२५ २५ १०० २०० ० ० ० १०० १०० । ५ ५ ५ ५ २५ | १०० १.० १.१ १०० ५०१ .. . भावनगर. x शेठ हरखचंद कपुरचंद तथा शेठ जेचंद कपुरचंद. वाई रंभा, शेठ वल्लभजी हीरजीनी धणीआणी. शेठ भूदरसी प्रतापसी श्री पंजाबना डेलीगेटो तरफथी. शेठ फूलचंदजी गुलेच्छा. ,, हरखचंद गुलेच्छा. , लखमाजी लालजी. , हंसराज शामजी. x ,, फकीरजी केसुरजी. , रुपाजी हेमाजी. वीरचंद राजाजी. , सुखलाल हरीलाल. , लखमीचंद मोहनलाल. अनोपचंद मलुकचंद. लखमीचंद पानाचंद. आणंदजी परशोतम. , बकोरदास उजमसी. , धरमचंद गांगजी. , वीरचंद आणंदजी. मीठा गीगा. मगनलाल ईश्वरदास विगेरे. भाईचद मोतीचंद. ,, प्रेमचंद कचरा. , टोकरसी मुळजी. x,, नरसीभाई तेजसी. , गोसर पदु. श्री महुधाना डेलीगेटो तरफथी. शेठ भाणजी आणंदजी. गांधी जेचंद मोतीचंद. शेठ तेजाजी नेमाजो. x ,, दामोदर अंदरजी. , प्रेमजी कानजी. , मकनजी कानजी. बाई पारवती, शेठ मदन हरीचंदनी विधवा. ,, कपुर, शेठ रामजी कल्याणजीनी विधवा. x शेठ छोटालाल तथा सवचंद प्रेमजी. बाई हरख, शेठ तळसीदास जगजी वननी माताजी. ११९ १० १० १० xxx ":" . ........... ...c.. ..... M भालेज. भादोल. भाणवड. भुज. . महुधा. महुवा. ... :..: . मलेकपुर. मांगरोळ. . . .. :: १० १० १० ५१ . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३ ) निराश्रित. • पुस्तकोद्धार - जीर्णोद्धार. जीवदया. केळवणी. नाम. कुल. गाम. माहरु. माणसा. ५६ ५ २८ م م م س ب ५) २५ . اممممم به به ی. ههه :: मांडवी. . .. म.यागाम. MME : • • " : . ه ی ::: . : : x शेठ रवजी धरमजी. श्री माणसाना डेलीगेटो तरफथी. शेठ मोतीचंद कल्याणजी. , मयाचंद सुजाणजी. , सरुपचंद रंगजी. , पीतांबरदास शांतिदास , माणेकचंद पानाचंद. ,, दलीचंद पीतांबर. , धरमचंद केवळदास. ,, मनसुख नीहालचंद. । लालचंद व्रजलाल. श्री मुळीना संघ तरफथी. शेठ प्रेमचंद रायचंद. x ,, छोटालाल नगीनदासनी कुं० गणेशमल सोभागमल. जीवणचंद लल्लुभाई. नगीनदास कपुरचंद. ,, रायचंद खुशालचंद. , वालुभाई नथुभाई चाहवाळा. , रतनजी वीरजी. , रुपचंद लल्लुभाई. x रा. सा. हीराचंद मोतीचंद. __ शेठ गोकळभाई दोलतराम. x, भुरामलजी जेपुरवाळा. ,, केसरीचंद भाणाभाई. ,, अमरचंद तलकचंद. x ,, मोटा वधाजी. x, मोतीचंद देवचंद. ___बाई डाही, शेठ वीरचंद दीपचं दनां घणीयाणी. x ,, दीवाळी, शेठ जसवीर भूदरनी _ विधवा. x शेठ नवलचंद मोतीचंद चौधरी. x ,, भगवानदास हीराचंद. x ,, हरीभाई काशीदास. ___ रुनी काची खांडीना पाटीआ तरफथी. x शेठ जेचंद मोतीचंदनी कुं. शेठ अमुलख छोगमल. ,, कस्तुरचंद झवेरचंद. ,, टोकरसी कानजी मेवावाळा. ,, देवजी नथुनी कुंपनी. , धरमसी शेशकरण पोरबंदरवाळा. ०५०० ०५००१ १०००१०००१०००१०००१०००५००० ६०० ७००४००० ५०० ५००, ५०० ५०१/ ५००२५०१ ५०१/२५०१ ५००२५.० २००१००१ २००१००१ ०० २००१००१ | २००१००१ | २०० २.० २००१००० ० १५० ७५० ०६०१ ५०१ ५०१ ० ५०१ :: X X : X १०० १०५० X :: ५०० १००/ १००/ १०० ५०० ०१.० १००१ ४०२ ४०२ :::::::::: २५१ २५१ | २५१ १० २५१ ५० २५१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४) नाम. गाम. MA- Mam- F केळवणी. | | निराश्रित. - जीवदया. " . : . : २५१ २५१ . °F xx x . .::::: .. २५० २५० २५० : " x शेठ नरसी केशवजी नायक. ,, भारमल मेघराज तरफथी शेठ । जेठाभाई दामजी. ,, मेघाजी मोतीजी. मंगळदास छगनलाल. लखमीचंद माणेकचंद. लवजी ठाकरसीनी कुं. अमरचंद तलकचंदनी स्त्रीतरफथी अमरचंद तलकचंदनी बेन तरफथी. कल्याणचंद सोभागचंद. थोभणभाई दामजी घेलाभाई उत्तमचंद झवेरी. , मंछुभाई तलकचंद. , रेवाशंकर जगजीवन. , चुनीलाल खुशालचंद. अमेरिकाना पाटीमा तरफथी शेठ ककलभाई भाणजी. शेठ कस्तुरचंद नानचंद. , मोहनलाल लहेरचंद. , जेठाभाई डोसाभाई. , अणदाजी सवाजी. ईच्छाचंद रंगीलदास. ,, उमरसी रायसी. कच्छी जैन मित्रमंडळ तरफथी शेठ खेमचंद. शेठ ककलभाई भाणजी. ,, चंदुलाल खुशालचंद. ,, त्रिभोवनदास अमरचंद तलकचंद. ,, देवराज टोकरसी. मोरबीवाळा शेठ पोपटभाई मावजी. 'शेठ फकीरचंद ताराचंद. " बाई फुलकोर, शेठ परशोतम ९९ माणेकचंदनी धणीमाणी. " शेठ बालचंद कनीराम. , मनसुखलाल लल्लुभाई. , मांडण भीमजी. , रतनजी वेलसी. चाई लाडकोर हा.शेठ नेमचंद भीमजी. शेठ शावकशा भरदेशर हा. शेठ महासुख गुलाबचंद. x,, सरुपचंद जेचंद. २० ४० २०० ३१ १५१ १५० १२५ १२५ २५/ २५ २५, १२५ ; ° ° F FEMARKETER REE FREE २५/ २५ २५ १२५ १२५ २५ २५/ १२५ २५१२५ . १२५ ५०५ २५/ १२५ १२५ ह १२५ १२५ . ___० १२५ २५/ २५ २५/ १२५ २० २० २१ १०१ २५, २५ २५ १२५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२९) पुस्तकोद्धार "जीणोद्धार. नाम. जीवदया. -निराश्रित. केळवणी. | . . . " . . . :: . . . ... १० १०१ . : .. :.:. ....... .".. :.. । १०१ | १०१ | १०० | १०० . : :: :: :: ... शेठ उत्तमलाल डाह्याभाई. x, धरमचंद हेमचंद हा. शेठ कल्या णचंद सोभागचंद. " नारणदास कल्याणजी. भाणजी देवजी. x ,, रतनचंद पानाचंद हा. शेठ | नेमचंद प्रेमचंद. मी. लालनना एक मित्र तरफथी बाई पानकोर हा.शेठ नेमचंद भीमजी. शेठ मगनलाल कंकुचंद. ,, मोहनलाल मगनभाई. ,, शामजी लालजी. ,, हरगोवन पुनमचंद. , प्रागजी भीमजी तरफथी वाई पानकोर. वेलजी मोनसी. बेन गुलाब, शेठ दयाचंद वरिचंदनी दीकरी. शेठ गोकळदास गुलाबचंद. , झवेरचंद धनजी लींबडीवाळा. x, दामजी भाणजी. x, दीवानचंद हरीराम. , बापुलाल लल्लुभाई दलाल. , रायचंद नानचंद. शाहखाते.हा.शेठ अमरचंद तलकचंद शेठ शीवराम कनीराम. , मोकमचंद वधुचंद पाटणवाळा. , अमरचंद कानजी. प्रेमाजी जसाजी. लालजी घेलाभाई. अमरचंद कानजी मांगरोळवाळा. भाणंदजी जेठा भावनगरवाळा. उत्तमलाल डाह्याभाई. उत्तमचंद भने झवेरचंद परमानंद मांगरोळवाळा. करसनजी हरखचंद जामनगरवाळा. केसरीचंद नगीनदास सुरतवाडा. x, घेलाभाई फूलचंद. जेठाभाई कानजी.. of नेमवेद वजेचंद कठोरवाळा. | ..पनाजी भीमाजी. . . :: :::: :.: :...: ....:: :: ..... . .. En . ... xxxxx . " ...५ , २५ } \.fs, si vi 8k iftpra N 5 miss २५ •HREEShe ini-1 ५ २५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६) पुस्तकोद्धार जीर्णोद्धार. निराश्रित. जीवदया. केळवणी. नाम. | . - . . . . . . . . . . م د د د د ده ه م م م م م * : * * * 377 . د م * . د م xx م ه م م م م . ............. .c .c . . د د د د د د د د م م م م م م م م * * * * * * * * * * * م م م ه . ه x शेठ पानाचंद मावजी सोनावाळा. x ,, प्रेमचंद ओधवजी कच्छवाळा. x,, प्रेमचंद मगनचंद. ,, फूलचंद नेमचंद. ,, मुळचंद कपुरचंद खांडना दलाल. मोहनलाल हेमचंद. वाई मोतीकोर, शेठ रुपचंद उमेदचं. दनी धणीआणी. x, मोतीकोर, शेठ केसरीचंद लल्लु भाईनी धणीआणी. शेठ पदमसी खेराज. , रतनचंद कुंवरजी कपासी , लल्लुभाई चुनीलाल सुरती. लालजी भारमलजी. ,, सोमचंद लालचंद अंक्लेश्वरवाळा. , हरगोवन गोपाळजी. , हरजीवन मुळजी मांगरोळवाळा. , हाथीभाई कल्याणचंद. x, हीराचंद खीमचंद सुरतवाळा. शाह खाते.हा.शेठ अमरचंद तलकचंद शाह खाते हा. शेठ अमरचंद तलकचंद. शेट पीतांबर उमेदराम. x बाई माणेक, शेठ मोनचंद रुपचंदनी स्त्री तरफा, शेट दामोदर ज. वेरचंद x बाई जेठी, शा. बहेचर पीतांबरनी दीकरी. ४ शेठ कृष्णाजी वीराजी हा. शेठ गुला बचंदजी हजारीमलजी. , नेमचंद जमनादास वेरावळवाळा शाहखाते हा. शेट पुंजाराम. वाडीलाल.. शेठ भीखाभाई हरीचंद दलाल. , भीखमसी पानाचंद ध्रोळवाळा. , गोवनी विठ्ठल. , हीरजी पुनसी. .. गुलाबचंद पीतांबर लोंबडीवाला x, घेलाभाई रतनचंद चोकसी. दलाल ताराचंद अने कुंवरजी. शेठ पानाचंद खुशालचंद भाव. नगरवाला. . م ه * د م ه * * ....... * ه * س * * س س س * س مه سه س سه به په له ن * * * * २ २ २ २ २ १० م به * Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७) पुस्तकोद्धार जीर्णोद्धार नाम. जीवदया. केळवणी. - निराश्रित. गाम. و به ه ه ه ه ه ه ه ه ه ه و به ب. ه ه م م م م م • • • و م : महेसाणा. ••• . ه ه ه ه ه . x शेठ मणीलाल परशोत्तम, जैनमित्र समाजना मेनेजर. मोहनलाल लल्लुभाई झवेरी. , मोहनलाल हरगोवन. ,, लहेरचंद झवेरचंद. , परमानंद लालाधर. x,, कल्याणजी मोनसी. , खीमचंद माणेकचंद. , डाह्याचंद उदेचंद दमणीआ. दलाल पदमसी लालजी रामजी. शेठ बापुलाल पुंजीराम. , मोतीचंद दामजी गढडावाळा. बाई हरकोर. शेठ कस्तुरचद वीरचंद. , रवचंद वजेचंद. , सवचंद कस्तुरचंद. , भीखाभाई ठाकरसी. ,, सुरचंद मोतीचंद. , लल्लुभाई त्रीभोवनदास. , रामचंद हरगोवन. , चीकाभाई नागरदास. x,, लखमीचंद पुनमचंद. संघवी सुंदरजी ओधवजी. x शेठ जीवाजी श्रीचंदजी, दा. शेठ भुरामलजी. श्री रतलामनी ज्ञानवर्धक सभा तरफथी. शेठ रतनचंद मुळचंद तथा वेलाजी मुळचंद तथा गुलाबचंद वुधमल. x बाई कीली, शा. हरगोवन पुनमचंदनी दीकरी. शेठ मोहनलाल टोकरसी. ,, शीरचंद नानचंद जेराम. x, करमचंद लल्लुभाई. , अमृतलाल नरपत. डाह्याभाई उत्तमचंद भणसाळी. डाह्याचंद वालजी पटवा. भवान वलभाभाई. दीपचंद देवकरण. , जमनालाल वलमसी. " नागरदास पुंजाभाई. , परधीलाल कचराभाई. • • • م م ه ه मोराबंदर. मोरवी. ه ه ه रतलाम. ه ه रहीमतपुर. ه ه • • P ه राधनपुर. • , ' ' ه م م M ه ه م م م م م سه به س م س بس ' ' २ २॥ २ २॥ २ २॥ १० २ १० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२८) कादारा जीर्णोद्धार. जीवदया. -निराश्रित. केळवणी. नाम. कल. गाम. राधनपुर. ....... राणपुर. ४० १० ه ه ه ه ه ه . ४० ४१ २०१ १० ११ ५१ ५ १२५ २५/ २५ १२५ २५, २५ १२५ ५० १०० . xx ماه مه هه هه هبه يم ه م . به به هم ه .... ه م م ه به م राईबंदर. राजपुर. राजपुरा. MITMM • " :.:..... م م ه ه ه م ه रोहीडा. राता. लखतर. लास-सीरोही. शेठ छोटालाल चतुरदास. , छोटालाल गुलाबचंद, x, लल्लु लवजी. , नागरदास परशोत्तमनी कुं० छगनलाल त्रीकमलाल मोदी. ताराचंद चुनीलाल. फकीरभाई अंबावीदास. लखमीचंद माणेकचंद. नवलचंद नीमचंद. खुबचंद कल्याणचंद. , दीपचंद भीमाजी. , प्राणजीवन परशोत्तम. श्री राजपुरना संघ तरफथी. वोरा आणंदजी झवेर. 'x शेट जेठा जीवा. , मोनजी झीणा. संघवी मेघराज ताराचंद. शेठ देवचंद जेचंद. संघवी फूलचंद कमळसी. श्री संघ समस्त. शेठ पनाजी रघाजी. , कस्तुरचंद केराजी. ,, चंदाजी केराजी. , भीखाजी कस्तुरचंद. , जेठाभाई गुलाबचंद ४ कोठारी रुघनाथ डुंगरसी. शेठ गोविंदजी नथुजी. x बाई अंबा, हा. शेठ प्रेमचंद वख्ताजी. शेठ गुलाबचंदजी ताराचंद. , हेमा कानजी. , कीशनचंद हीरालाल, ,, जेठीराम छबीलचंद. वकील गुलाबचंद वाघजी. शेठ तलकसी बहेचरदास. , मनसुख जादवजी. ,, ठाकरसी लालचंद. ,, गोविंदजी मकनजी. डोसी कानजी वलु. , गुलाबचंद नानजी. शेठ पीतांबरदास वृजलाल. वोरा कपुरचंद त्रीकमदास. शेठ हठीसंग रायचंद. م م . م ه م ه م م سه ه ه ه ه ه ه م س ३, १५ : an an aw م سه سد سه ه ه mmm २१ लाडोल. वलसाड, वर्धा. वडनेर. वटवाणकेम्प. م س س س ه ه ه ه م س ة و م م م م م م م م م م : ه م س ه م م م م م • . مم م. वढवाण .८ . ° ' م م م م م م T ५ ५/ २५ वणोद. .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२९) जीणोद्धार. जीवदया. केळवणी. नाम. गाम ..| निराश्रितः - । . | JI वडाला. तांझ. . : .... ... :.:.. 2 2204 ........ वाव. . वापी. विजापुर. : : शेठ खीमजी धनराज. , नानचंद लालजी. , जेठाभाई देवाजी तथा शेठ कपुरा खुशालजी. , हकमाजी फकीरचंदजी. " खुमाजी लखमाजी. " अमराजी सुरताजी. ,, जेठाजी भमराजी. श्री वावना संघ तरफथी. ४ शेठ खीमाजी वालजी. " लल्लुभाई जीवराज. , डुंगरसी धनजी तरफी शेठ नथुभाई मंछाचंद. नगीनदास जेठाचंद. रीखवदास अमुलख. जुमखराम वेलजी काळोदास सुरचंद जेसिंगभाई रवचंद दलसुखभाई मोतीचंद नथुभाई मंछाचंद , कल्याणजी खुशाल मानचंद लालचंद हीराचंद खीमचंद बहेचरदास खीमचंद है कीशोर वीरचंद , गुलाबचंद काळीदास ,, गोविंदजी राताजी , रतनचंद सरुपचंद श्री साणंदना संघ तरफथी शेठ डाह्याभाई हाथीचंद , पानाचंद नानचंद श्री शाहापुरना संघतरफथी शेठ तलकचंद रुपचंद ,, कुंवरजी मुळजी. है शामजी घेला. गणेशदास केसरीचंद. दला भूदरजी. खुशाल वधाजी. मुळचंद खेमचंद. चुनीलाल कोशोर. ,, लालचंद वीरचंद. ,, हेमचंद रायचंद. नतळ ५. .wor .: . . .www . . . . . . arms mms. x '' » M" " " " : " • ° °°:" " ° ° '' .nauns... ५ . .. सरधार. सरभोण. सांगली. साणंद, सादरा. साएण. शाहापुर. शीरशाळा. शीहोर. . सीवनी. सीसोदरा, ...... ....... :" :.::. " सेपुर. शीरपुर. ' .. .. ' ' Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) जीर्णोद्धार. •पुस्तकोद्धार निराश्रित. जीवदया. केळवणी. नाम. गाम. 7 : ५ ५ ५ १०. २ २ १ 1 .." GrNG- - .. - - - : १० ६०० xxx xxx xxx x शेठ कस्तुरचंद करमचंद. शीरपुर. , मोतीचंद मंछाचंद. , हीराचंद हेमचंद. , दीपचंद पानाचंद. ठाकरसी हरिजी रतनसी. हेमचंद भुलाशा. मगनलाल ताराचंद. मोतीचंद वेलचंद. परखत रुपासा. वेलचंद तलकचंद. , रामजी रवजी. , कोकाचंद हेमचंद. ,, खीमचंद छगन. x श्री सुईगामना संघ तरफी. सुईगाम. __ शेउ हेमचंद वखतचंद. सोलापुर. * श्री ओशवाळ पंच तरफथी. सोजत. x शेठ मलुरुचंद खोमचंद. सेंदुर-कोल्हापुर. " मगनलाल मलुकचंद. सुरत. मोहनलाल राजुभाई. उत्तमचंद मुळवंद. डाह्याभाई भाईचंद. केवळचंद गुलाबचंद. भगवानदास हीराचंद. , धरमचंद अभेचंद. , बेन नवलकोर, शेठ उत्तमचंद नवलचंदनी दीकरी. x शेठ कस्तुरचंद कशळचंद , कल्याणचंद हरखचंद. x,, घेलाभाई अमरचंद. बाई जसकोर, शेठ कस्तुरचंद । प्रेमचंदनी विधवा. शेठ पानाचंद ताराचंद. , मगनलाल मलुकचंदनी कुं० तर- . फथी शेठ गुलाबचंद मलुकचंद.. वमळचंद खोमचंद. हेमचंद वीरचंद. , घेलाभाई देवचंद. ,, चुनीलाल कस्तुरचंद चोकसी. , चुनीलाल बारमुकन. , चीमनलाल लल्लुभाई सबजज्ज. x,, छगनलाल भाईचंद. शाह खाते हा. शेठ चुनीलाल वमळवंद. ::::::..... :::::::....... २०० १०० १०१ १०० १०० १०० १०० १.० १०० १० :::::::: F १०० ५०१ १०१ ५०१ १०० ५०. ००/ ५०० . : : : : : : A | २०१ : ५. १२५ २५ . २५/ २५ १२५ २५, २५ २५ १२५ २५ २५ २५, २५ १२५ २ २५ २५ २५/ १२५ २५ २: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३१ नाम. जीर्णोद्धार. || निराश्रित. । केळवणी. गाम. ||जीवदया | | २५/ २५ ه ه ه . १२५ १२५ १०१ १०१ . .. .... .: ه ه ه ه ه ه ه که م م २१ . ک : n .. शेठ माणेकचंद वमळचंद x, मोतीचंद ताराचंद तोलाट. , वजेचंद देवचंद. , वनमाळीदास देवचंद. , सवाईचंद जीवणचंद. , जीवणचंद रतनचंद. , मगनभाई गुलाबचंद. , चुनीलाल लल्लुभाई. वेन धबली हा. शेठ सवाईचंद सुरती. शेठ मोतीलाल चुनीलाल चोकसी. , सरुपचंद अभेचंद. x,, मगनभाई रायचंद. बेन रतन, शेठ वमळचंद लखमीचंद. बाई उमीयाकोर, शेठ खीमचंद नीहा लचंदनी धणी माणी. शेठ कीकाभाई सकळचंद , धरमचंद रुपचंद. , नेमचंद नाथाभाई. प्रेमचंद जेचंद. प्रेमचंद कपुरचंद. मुरचंद झवेरचंद. ईच्छाचंद द्वारकादास. चुनीलाल मोतीजी. धनजीभाई नाथाभाई. , नानवंद भाईचंद कापडीआ. x,, भगवानदास फकीरभाई. , वजेचंद ताराचंद. __ श्री हळवदना संघ तरफथी. शेठ रायमलजी मगनमलजी. , हस्तीमलजी संखीमलजी. , सरदामल सुगनमल. x, दलीचंद मेघाजी. م م م م م م xxxx xx م م م س س م م م س سه ید به ه . ..nau.tu_ ... • Nuwan an ame No Nayau an ww... س . یہ بم به ه ه हळवद. हींगणघाट. हैद्राबाद. ه ه ة مر ००/१०. कडी. कुल रु. २०१६७॥ १७२८८।। २४७५८॥ १८७१६। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३२) पुरवणी (ख). श्री मुंबईमां भरायेली बीजी जैन (श्वेतांबर) कॉन्फरन्स वखते श्री कॉन्फरन्स निभावफंडमां भरायेला नाणांनी टीप. सूचना:-ता. १५-१०-१९०४ सुधीमां जे जे गृहस्थो तरफथी तेओए भरेला नाणां वसुल आव्यां नथी, ते गृहस्थीनां नामो आगळ + आ प्रमाणे निशानी मुकवामां आवी छे. नाम. गाम. रकम. अमदाबाद १००१ १००१ "0" आमलनेर उदेपुर शेठ दलपतभाई भगुभाई ,, मगनभाई करमचंद ,, मनसुखभाई भगुभाई , रखचंद नहानचंदना दीकरा भाई हीराचंदभाई , दलसुखभाई लल्लुभाई .. प्रेमचंद नहालचंद ,, मोहनलाल मगनलाल ,, मगनलाल सांकळचंद , चुनीलाल नहालचद श्री उदेपुरना संघ तरफी राय बहादुर बद्रीदासजी काळीकादासजी + बाबु साहेब हीरालालजी चुनीलाल शेठ जेठाभाइ जेचंद ., केसरीचंद रतनचंद श्री खंभातना डेलीगेटो तरफी शेठ देवराज टोकरसी , नथमलजी गुलेच्छा , महीकरण मगनीराम , हरखचंद गुलाबचंद + , पानाचंद उत्तमचंद कोटावाळा मणीलाल लहेरचंद कलकत्ता ५०१ २५१ + कामठी खंभात गढसी (कच्छ) ग्वालियर लश्कर. जालना तील्हारा पाटण २५ ७०१ २५० + १००१ +. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३३) नाम. गाम. रकम. २५ पंजाब. फलोदी भावनगर ७०१ २५१ २५१ ܐ ܘ ܘ ܐ ~ ० ~ ० ~ ० ~ ० ० ~ 6 ~ +,, मीठाचंद लद्धाचंद + ,, मगनलाल हरीचंद श्री पंजाबना संघ तरफथी शेठ फूलचंदजी गुलेच्छा , आणंदजी परशोतम + वोरा हठीसंग झवेर तथा वोरा अमरचंद जसराज + श्री कच्छी दशा ओसवाळ ज्ञातिना मानार्थे शेठ जेठाभाई नरसीभाई शेठ गणेशमल सोभागमल • ,, छोटालाल नगीनदासनी कुं. ,, जीवणचंद लल्लुभाईनी कुं. ,, वीरचंद दीपचंद , प्रेमचंद रायचंद , झवेरचंद गुमानचंद +, शामजीभाई जीवराज + ,, रतनजी वीरजी झवेरी हीराचंद मोतीचंदनी कुं. शेठ रायचंद खुशालचंद ,, अमरचंद तलकचंद + ,जेचंद मोतीचंदनी कुं. , हरगोवन पुनमचंद अमेरिकाना पाटीआ तरफथी शेठ ककल भाणजी + बेन गुलाब हा. दीपचंद उत्तमचंद शाह खाते हा. शेठ अमरचंद तलकचंद शेठ कमळसीभाई गुलावचंद + ,, छगनलाल भाईचंद ,, ठाकरसी हीरजी रतनसी लाला सरदारमल सुगनमल ६. र ~ २५१ २५१ २५० ~ ~ .. २५ राधनपुर सुरत शीरपुर हैद्राबाद ५०१ कुल रु. १८७४९ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३४) पुरवणी (ग). देशना जुदा जुदा संघो, सभाओ, मंडळो विगेरे तरफी श्री मुंबईमा भरायेली बीजी जैन (श्वेतांबर ) कॉन्फरन्समा डेलीगेटो तरीके बिराजेला गृहस्थोनां नाम, लीस्ट. डेलीगेटोना नाम. डेलीगेटोनां नाम अखीयाणा. शेठ डुंगरशी चत्रभुज अगत्राप. , शामजी लखमीचंद अजमेर. , केसरीचंदजी , धनराजजी , सोभागमलजी , हमीरमलजी , हरखचंदजी साहेब बी. ए. एल. एम. एंड. एस. अंजार. ,, नथुभाई मानसंग , सोमचंद धारशी , हीराचंद परशोत्तम अमदावाद. शेठ अचरतलाल महासुखराम ,, अनोपचंद सांकळचंद , अम्रतलाल चुनीलाल , अम्रतलाल वाडीलाल , अम्रतलाल रतनचंद , अम्रतलाल चुनीलाल , अंबालाल साराभाई शेठ करमचंद गोकळदास ,, कस्तुरभाई मणीभाई नगरशेठ , कस्तुरचंद प्रेमचंद , काळीदास उमाभाई , कीलाभाई उजमशी केवळदास परशोत्तम केशवलाल घेलाभाई केशवलाल बापुजी , केशवलाल त्रिभोवनदास ,, केशवलाल प्रेमचंद बी. ए. एल.एल.बी. केशवलाल मगनलाल ,, वीमचंद मगनलाल ,, खीमचंद वीरचंद खीमचंद दीपचंद , गटाभाई मोकमलाल , गिरधरलाल वाडीलाल , गोकळभाई अमधाराम , गोपाळदास न्यालचंद , गोकळदास अमथाशा वकील चिमनलाल परशोत्तम शेठ चिमनलाल नगीनदास , चिमनलाल लालभाई , चुनीलाल भगुभाई , चुनीलाल सांकळचंद ,, चुनीलाल पीतांबरदास " चुनीलाल वखतचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३५ ) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ छगनलाल लल्लुभाई छगनलाल बहेचरदास ,, छगनलाल कस्तुरचंद , छगनलाल व्रीजलाल छोटालाल लल्लुभाई झवेरी ,, छोटालाल काळीदास वकील छोटालाल मगनलाल , जगाभाई गोकळदास ,, जगाभाई मोहोलालाई , जगाभाई दलपतभाई जमनादास प्रेमचंद " जमनादास हीराचंद जमनादास प्रेमचंद एल.एम. एंड. एस. जमनादास भगुभाई जेसिंगभाई मोतीलाल जेसिंगभाई हठीसंग जेसिंगभाई मनसुखराम जेसिंगाई फुलचंद डाह्याभाई नथुभाई डाह्याभाई प्रेमचंद डाह्याभाई मनसुखराम डाह्याभाई गोकळ डाह्याभाई रणछोडलाल डाह्याभाई हीराचंद ,, डाह्याभाई हठीसंग , त्रीकमलाल आलमचंद , दलपतभाई मगनभाई ,, दलपतभाई पानाचंद ,, दलसुखभाई कस्तुरभाई ,, दलसुखभाई मानचंदभाई , दलसुखभाई लल्लुभाई , दलसुखभाई वाडीलाल वीरचंद शेठ दोलाभाई नगीनदास , धोळीदास डुंगरसी , नथुभाई दोलतराम , नाथाभाई परशोतम नाथालाल भगुभाई .. नाथालाल हरगोवनदास नानसा मनसुखराम नीमचंद नगीनदास , नीमचंद लल्लुभाई ,, परशोतम ईच्छाचंद ,, परशोतमभाई मगनभाई ., परशोतम मगनभाई हठीसंग ,, परशोतम अमीचंद दलाल ,, पीतांबरदास मगनलाल , पोपटलाल मनसुखराम वकील पोपटलाल अमथाशा शेठ पोपटलाल हेमचंद , पोपटलाल दोलतराम , पोपटलाल मगनलाल पोपटलाल लल्लुभाई ,, फतेचंद दोलतचंद ,, फुलचंद ककलभाई ,, बापालाल अमीचंद ,, बालाभाई मनसुखराम प्रेमचंद परशोतमदास ,, बालाभाई रायचंद ,, बालाभाई ककलभाई , बालाभाई फतेचंद शेठ ,, बालाभाई छगनलाल ,, बालाभाई गगलभाई ,, बालाभाई मंछाचंद , बहेचरदास कस्तुरदास Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) टेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेट भगुभाई हठीसंग , भगुभाई चुनीलाल ,, भगुभाई फतेचंद कारभारी , भाईचंद फुलचंद भीखाभाई रतनचंद ., भोगीलाल सांकळचंद भोगीलाल तलकचंद ,, भोगीलाल छोटालाल वखतचंद ,, भोगीलाल वीरचंद दीपचंद , मगनलाल रवचंद शेठ मगनलाल रतनचंद ,, मनमुखराम रवचंद मणीलाल बालाभाई ,, मणीलाल छगनलाल मनसुखभाई मोतीलाल ,, मणीलाल वाडीलाल , मगनलाल ठाकरशी मगनलाल दलपतराम , मनसुखराम छोटालाल , मणीलाल लल्लुभाई , मणीभाई जेसींगभाई , मणीलाल मोहनलाल , मणीलाल केशवलाल , मणीलाल चुनीलाल , मनसुखभाई भगुभाई , मणीलाल नथुभाई , मणीलाल मुळचंद , मनसुखराम मगनलाल ,, मफतलाल छोटालाल , मणीलाल गोकळदास , मनसुखराम नानचंद , मयाभाई नथुभाई शेठ मनसुख अनोपचंद ,, माणेकचंद प्रेमचंद ,, माणेकलाल जेठाभाई ,, महाशंकर नरशीदास , मुळचंद सांकळचंद ,, मोतीलाल उमाभाई ,, मोतीलाल नगीनदास ,, मोतीलाल दलशुखराम ,, मोतीलाल कशळचंद शाह , मोतीलाल वीरचंद ,, मोहनलाल चुनीलाल बी. ए. ,, मोहनलाल दोलतराम , मोहनलाल डाह्याभाई मोहनलाल गोकळदास बी. ए. एल. एल. बी. मोहनलाल ललुभाई ., मोहनलाल काळीदास ,, मोहनलाल मुळचंद मोहनलाल खीमचंद मोहनलाल मगनलाल ,, मोहनलाल अमथाराम ,, मंगळदास दोलतराम ,, मंगळदास ताराचंद ,, मंगळदास छगनलाल , रतनचंद जेठाशा , रतनचंद मुळचंद , रवचंदभाई छगनलाल , रतनचंद छगनलाल ,, रतनचंद छोटालाल , रवचंद दोलतचंद , लल्लुभाई सुरचंद ,, लखमीचंद लल्लुभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३७) डेलीगेटोनां नाम डेलीगेटोनां नाम. शेट लल्लुभाई रायचंद , लालभाई दलपतभाई , लालभाई मगनलाल , लालभाई त्रीकमलाल , लालभाई हीराचंद ,, लालभाई भोगीलाल लालचंद जेचंद ,, लालभाई चुनीलाल ,, लालभाई फकीरभाई , लालचंद मलुकचंद ,, वाडीलाल लल्लुभाई , वाडीलाल साराभाई , वाडीलाल नथुभाई ,, वाडीलाल वखतचंद ., वाडीलाल लल्लुभाई , वाडीलाल छगनलाल , वाडीलाल हरगोवनदास , वाडीलाल मुळचंद वाडीलाल ताराचंद ,, वाडीलाल जेठाभाई ,, सकरचंद लल्लुभाई ,, सकरचंद पानाचंद सकरचंद लल्लुभाई , शामलाल माणेकचंद ,, साराभाई मगनभाई हठीसंग ,, सांकळचंद पीतांबरदास सांकळचंद मोकमचंद साराभाई वाडीलाल , साराभाई मगनलाल , साराभाई छोटाभाई .., सांकळचंद बहेचरदास ., सांकळचंद मोहनलाल शेठ सांकळचंद नगीनदास , सुरजमल मंछाचंद ,, सोमचंद छोटालाल सोमाभाई रायचंद ,, सोमाभाई दोलतराम ,, हरीलाल मंछाचंद हरीलाल हकमचंद ,, हरखचंद अमुलख भदर ,, हठीसंग दामोदर ,, हरीलाल प्रेमाभाई , हरगोवनदास उत्तमदास ,, हरीलाल मंछाराम वकील ,, हालाभाई जगजीवनदास , हीराभाई हठीसंग , हीराचंद ककलभाई ,, हीराचंद ककलभाई , हीराचंद पीतांबरदास , हीरालाल मनसुखराम अमरेली. ,, नगीनदास करमचंद ,, नागरदास करमचंद , वीरचंद जीवाभाई ,, सुंदरजी डाह्याभाई अम्रतसर. ,, कस्तुरीआलजी , खजानवीमल लाला , चुनीलाल लाला , पनालालजी लाला , महाराजमल लाला Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३८) डेलीगेटोना नाम. डेलीगेटोनां नाम. अमरावती अंगारेश्वर. , अमीरमलजी फतेपुरीआ ,, मुकुनचंद डागा लाला. ,, सोभागचंद फतेचंद ,, तलकचंद पीतांबरदास ,, तलकचंद रुपचंद ,, दीपचंद कसळचंद , हरखचंद हरजीवनदास अंकलेश्वर. , डाह्या केसुरजी ,, ताराचंद पानाचंद ,, नाथा झवेरचंद ,, फोजमलजी माणेकचंदजी ,, माणेकचंद प्रेमचंद ,, सोमचंद लालचंद अंबाच. अहमदनगर. ,, अमथा रेवाजी ,, कनकमलजी दलीचंद , केसरीमलजी आनोनमलजी , जीवराजजी नेमीदासजी , जीवराजजी फोजीरामजी , ताराचंद पनालालजी , धनराजजी हमीरमलजी ,, नरसिंगदास जीवराजजी , नथुभाई दोलतराम , पुनमचंदजी जवलमलजी , पुंजाभाई अर्जुन , फोजमलजी सुरजमलजी ,, भगवानदासजी कीसनदासजी , भलुभाई नगीनदास ,, मोतीचंद रुपचंद , मोतीलाल मुळचंद , मोतीलाल नागोरी ,, मोतीलाल मगनमलजी ,, मोतीचंदजी रतनचंदजी रतनचंदजी पुनमचंदजी ,, राजमलजी गंभीरमलजी , लल्लुकरणजी मगनजी ,, लालचंद गुलाबचंद , लालचंद पुनमचंद , वीरचंद चुनीलाल ,, जेचंद जेताजी ,, मगनलाल गोविंदजी , मानचंद सांकळा , हीराचंद मनरुपजी अब्रामा. , डोसाभाई मोरारजी , वीरचंद नथुभाई असास. , गुलाब रामजी ,, मानचंद सांकळा अजाब. । , डाह्याभाई झीणाभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३९) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. आंट. अगाशीवंदर. ,, केवळभाई खीमचंद , भगवानदास घेलाभाई अंबाला. ,, कपुरचंद लालाजी , गोपीचंद बाबु बी. ए. , गंगाराम लाला ,, ठाकोरदास लाला , तीलोकचंद जैनी , बीसनमल लाला ,, मुक्तिलाल लाला ,, शीबुमल लाला आंबलीयारा. , रतनचंद हकमचंद , अंबालाल गीरधर आमलगाम. ,, भुखणदास वेलचंद आमलनेर. , चुनीलाल नीहालचंद , छगनलाल मगनदास. , रतनचंद दगडुशा , वेलचंद वल्लभदास ,, हीरजी नागसी आंकलुज. , गुलाबचंद लखमीचंद , प्रेमचंद गुलाबचंद ,, भाईचंद हेमचंद , रामचंद शवजी ,, वहालचंद मीयाचंद ,, कशन डाह्याजी ,, भीखा नागजी , रायचंद भगाजी आजमगंज. ,, कीरतचंदजी ,, बीजेसींगजी आकोला. ,, करसनदास चांपशी , कस्तुरचंद वेणीचंद , नागरशीभाई लालाभाई , नागशीभाई मघाभाई ,, पृथ्वीराजजी बख्तावरमली , रतनशी शामजी , शीवराजजी शीवचंदजी , हरगोवन वीठ्ठलदास आरवी. ,, दलीचंद शीवजी आबु. , जवानमलजी भीमराजजी ,, खचंद फुलचंद , काळीदास मोतीचंद ,, भगवानभाई पदमसी , भाईचंद पदमसी , वर्धमान रुपचंद हेमचंद छगनलाल इन्होल. , जालमसींगजी ३५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४० ) डेलीगेटोना नाम. डेलीगेटोना, नाम. , नाथुसींगजी , नानुरामजी , मानसींगजी उदेपुर. ,, मगनलाल पुंजावत उमेठा. , फुलचंदाई मगनभाई उज्जैन. ,, दीपचंद वछावन , पुखराज काया , माणेकचंद सुराना , मुजानमल आंचल उरमार. , जसवंतराय लाला , मुनशीराम मास्तर उंटडी. , झवेरचंद भगवानजी , प्रेमचंद मोतीचंद ,, फुलचंद पानाचंद , भूदर घेलाभाई ,, रणछोड केसु ___ झा. ,, केशवलाल हालचंद ,, नगीनदास छगनलाल , हरीचंद परशोचम , धनजी उगरचंद , हेमचंद सुरचंद एवला. , कल्याणचंद लालचंद ,, गुलाबचंद गोपाळदास गोपाळदास डुंगरदास , चुनीलाल रायचंद ,, दामोदर बापुशा , नानचंद कीकाशा ,, बालचंद चतुरदास , बालचंद लालचंद ,, माणेकलाल वीरचंद , सांकळचंद उत्तमचंद , ज्ञानचंद कीकाशा ओरपाड. ,, कस्तुरचंद मनजी , चुनीलाल नीहालचंद ,, जेठाभाई ईच्छाचंद ,, नानचंद भाणजी , नानचंद कपुरचंद , नोथाल लखमाजी ,, भाईचंद मोतीचंद ,, हकमा मेघाजी औरंगाबाद. , शीवलाल वल्लभदास कलकत्ता. ,, बनारशीदासजी सभापति बाबु " माणेकचंदजी , राय कुमारसिंह मुक्कीम बाबु ,, रामचंद जेठाभाई ,, लक्ष्मीचंदजी -- एवन. ., अमरचंद उजमचंद " कस्तुरचंद हकमचंद , ताराचंद खीमचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेठोनां नाम. , लाभचंदजी शेठ सभापति , वल्लभजी हीरजी , हीराचंदजी शेशकरण मास्तर करमाला. ,, कपुरचंद हीरालाल ,, खीमचंद चंद्रभाण ,, जवेर बादरजी ,, देवचंद गणेश ,, नानचंद फुलचंद , लालचंद देवचंद , वस्ताराम खेमचंद कामलेज. 1, अमृतलाल रायचंद , करसन वीरचंद , भाईचंद जेचंद करेली. , चांपशी नागरशी ,, छोगमलाल कोठारी , धनलाल गुलेच्छा करांची. "काळा गला ., खेतशी वेलशी , छगनलाल रायचंद ., भगुमल नथमल भेरवदास मनरुपदास माधवजी चतुरभूज कपडवंज. केशवलाल जेचंद ., जमनादास करमचंद 7 बालाभाई गीरधरलाल कठोर. मोहनलाल लखमीचंद , वजेचंद चुनीलाल कडोद. ,, देवचंद राजाजी ,, गुलाबचंद गोविंदचंद , देवचंद जगन्नाथ ,, मोतीचंद खेताजी ,, मोती जगनाजी ,, मोतीचंद भलाजी , रणछोडलाल भीखाजी करजण. ,, खीमचंद लखमीचंद ,, प्रेमचंद करसनदास कराडी. , देवचंद नानजी , नेमचंद रतनाजी , फुलचंद जीवणजी , मोतीचंद प्रेमाजी , रायचंद लखाजी कडी. , केवळदास मलुकचंद , चुनीलाल जोईतादास , नाथालाल दलसुख , सोभाग्यचंद मोहनलाल कठलाल. , लखमीचंद करमचंद कंदेली. , तखतमल , दगडुलाल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४२) डेलीगेटोंनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. " नानुराम , हजारीलाल कावीठा. , झवेरभाई भगवानदास , रतनचंद लाधाजी कालीआपडी. ,, केसुरजी प्रेमाजी ,, झवेरचंद वाघजी , फुलचंद चेलाजी ,, रायचंद दुल्लभ ,, बाउचंद जादवजी ,, देवचंद दामजी कुंडला. , अमीचंद गुलाबचंद ,. बहेचर ठाकरसी ,, काळीदास केशवजी , मुळजी लवजी जीवराज हंसराज वीरजी डाह्या ,, जेठा देवचंद , वनमाळीदास हंसराज कुरकवाडी. , प्रेमराज मोतीचंद , मुळजी नथु , मुलजी लवजी , रायमल हीरजी केरवाढा. ,, डाह्याभाई अमरचंद , रहीमचंद देवचंद कोटडा. ,, भीखाभाई प्रागजी कोगनोली. , दलुचंद झवेरचंद , देवचंद मोतीचंद ,, लालचंद वीरचंद कोठ. , उजमशी ठाकरशी , पोचालाल रघुजी , फुलचंद हेमचंद , भीखाभाई परशोत्तम , रघुभाई सांकळचंद ., लालचंद रतनचंद वल्लमभाई छगनभाई , शीवलाल हठीसंग , सुंदरजी लल्लुभाई ,, हठीसंग डाह्याभाई कोपरली.. प्रागजी जेताजी , भीखाभाई प्रागजी कोठारा. , कल्याणजी खेतशी खडकी. , दलपतराम व्रजलाल ,, भीखुदास देवचंद ,, मगनलाल दलीचंद , मगनलाल मुळचंद , मोकमचंद सांकळचंद खं . ,, लालजी शीवजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४३ ) डेलीगेंटोंनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. खंभात. शेठ दलपतभाई दीपचंद , दलसुख फुलचंद , दीपचंद फुलचंद , पोपटभाई अमरचंद , वखतचंद कुशळचंद , वाडीलाल छोटालाल , वीरचंद सुरचंद खंडीएर. , मथुरादास जैनी खाखर (कच्छ). , कोरसी केशवजी , खजी देवराज खाखरची ,, मंगळदास मोतीचंद , हरजीवन चतुरभुज खांदली. ,, छगनलाल कीशोरदास खामगाम. , धनजी कानजी , वीसनचंद ज्ञानचंद खांडीआ. , वीरजी गंगाजी खुंटवडा. , पानाचंद मेघजी " मुळचंद वेलजीभाई ,, मोतीचंद आणंदजीभाई , लखमीचंद कमळसी शेठ टोकरलाल छगनलाल खेरलाद. ,, उमेदचंद नरसंगजी ,, उमेदचंद लल्लुजी खेडा. , अमरतलाल नरोत्तमदास , गुलाबचंद चतुरदास , नाथालाल अमीचंद भाईलाल अमृतलाल ,, मगनलाल नरोत्तमदास ,, मगनलाल गीरधर , मणीलाल लल्लुभाई , मोहनलाल प्रभुदास ,, रायचंद केवळचंद ,, वाडीलाल डाह्याभाई , सुरचंद डायाभाई , सोमचंद पानाचंद गणदेवी. ,, आनोपचंद झवेरचंद , छगनलाल दीपचंद गढडा. ॥ चतुरभुज मोतीचंद , नरशी मोतीचंद , हरीचंद डुंगरदास गराडा. , त्रीकमचंद भालचंद ,, नवलमल शीवराज , नेमचंद पुंजाभाई , भगवानदास नानचंदजी , रणछोडभाई गुलाबचंद , रूपचंद धीरजलाल खेरालु. , खीमचंद वीरचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४४ ) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ हुकमचंद हरीचंद ग्वालियर. , नथमलजी गुलेछा. खजानची गाडरवाडा. , सुजानमलजी गांगड. , छगनलाल डुंगरसी , डाह्या झवेरचंद , दीपचंद हीराचंद , भीखालाल छगनलाल गुंजा ,, उत्तमचंद हरखचंद , रायचंद लल्लुभाई गुजरानवाळा. , कालशा लाला , नानकचंद लाला शेठ गोकळभाई लेराभाई , जेसींगभाई मानचंद ,, परशोत्तम डाह्याभाई , पीतांबर झवेरदास , प्रेमचंद मोतीचंद ,, भूराभाई त्रीभोवन , मोहनलाल सांकळचंद ,, हरगोवन मगनलाल गोंडळ. ,, केवळचंद दोलतचंद ,, प्रभुलाल वाघजी घोघा. , छोटमलाल ओधवजी करमचंद , छोटमलाल मगनलाल , नरशीदास करमचंद ,, मगनलाल मानचंद , लल्लुभाई गुलाबचंद , हरीभाई अमीचंद चंदरपुर. ,, आशकरण ईदरजी ,, लुणाकरजी खुबचंदजी चांदवड.. खीमचंद नानचंद , चुनीलाल राजपाळ , दामोदरदास वल्लभदास गुंदी. " चतुर गोकलभाई गेरीता. , कीलाभाई उमेदभाई , गोकळभाई मुळचंद , मंगळदास नानचंद सांकळचंद सुरचंद गोईमा. ,, उमेदचंद खुबा , गोविंदजी मोतीजी , झवेरचंद मोतीजी , भीखाजी मोतीजी गोधावी. ,, अम्रतलाल केवळदास चीतळ. , प्रागजी बेहेचर चीडावा. ,, वस्तीलालजी रामप्रसादजी चुडा. , देवसी कस्तुर | Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ लछमनदास मुलतानमल ,, लालमल अचनुमल , हीरालाल कपुरचंद जबलपुर. , चांदमलजी भुरा " छुनमुनलाल गुलेच्छा , घनराजजी नथमलजी " फुलचंद शेठ नानजी जेठाभाई ब्रजलाल मुळचंद छाणी. खीमचंद हरगोवन जमनादास हीराचंद , नगीनदास गरबड , नाथाभाई पुंजाभाई , हीमचंद शीवलाल छौंदवाडा. , अमीचंद गुमानजी , केसरीचंद कल्याणी ,, फुलचंद जेताजी , रायचंद मोतीजी जगडीआ. ईश्वरलाल अमथालाल , खुशालचंद कपुरचंद ,, नगीनदास वीरचंद जलंधर. , कालुमल लाला ,, खरीआ जेराम , नथुमल लाला "मुस्तकमल , लालाराम चौधरी जळगाम. कीसनजी प्रेमराय , धनराम पनालाल ,, प्रतापमल सुखराम प्रेमराय मगनीराम , बादरमल मगनमल ., मोतीलाल तुरंगादास , भीखणचंदजी , भेरुदासजी , माणेकचंद कोचर बी. ए. जंबुसर. , गोरधनदास बेहेचरदास जईजा. ., नथुमल लाला जलालपुर. , प्रेमचंद भीखाजी , फुलचंद रामाजी , मोती राजाजी जामनगर. ,, गोविंदजी डोसांभाई , चतुरभूज गोविंदजी जगजीवन मुळजीभाई , पानाचंद काळा भगवानजी ताराचंद वकील सांकळचंद नारणजी ,, हरखचंद डाह्याभाई ,, हीराचंद लीलाधर ,, हंसराज शामजी जुनेर. ,, कंकुचंद वेणीचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४६ ) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोना नाम. शेठ ताराचंद हरिचंद ,, तुळजाराम हरखचंद , पीतांबर हाथीचंद , बापुलाल लालचंद , बालुभाई मानचंद जुनागढ. , डाकतर त्रीभोवनदास मोतीचंद ,, दोलतचंद परशोतमदास बी. ए. , नथु लखमीचंद , मुळचंद हीरजी , लखमीविजयजी भगवनविजयजी जैनी | , वीरजी जेचंद , सोभाग्यचंद करसनजी जेतपुर, ,, आणंदजी मोरारजी , उत्तमचंद जेठाभाई , चतुरभूज नागजी , नागजी हंसराज ,, नागजी हेमराज , फुलचंद झीणा ,, फुलचंद मोतीचंद , बहेचर बावा , भीमजी मगाजी , हरखचंद मुळचंद जेसर. ,, जुठा नेमचंद ,, जेठा गोबर , मेघजी वेलजी , लालचंद काळा , हीराचंद नागजी जोधपुर. शेठ कसळराजजी , केसरीमलजी लाला , जवानमलजी कानमलजी , दीपचंदजी दुलेराजजी लाला , बख्तावरमलजी , लछमन राजजी , लखमी राजजी , लखमीचंदजी , लघुसालजी , लखमीचंदजी , शीवराजजी , सुरजराजजी , सेखराजजी रतनराजजी टाणा. , माधवजी वीरजी " रुगनाथ रांघजी डीसा. , फोजालाल नाथाभाई , लल्लुभाई रामचंद , वाडीलाल वीरचंद डेगवाडा. " मुखणदास मोहनचंद तलेगामदभाडा. , खीमचंद जेठीराम , मगन घेलादास , रणछोड जेठीदास , वाडीलाल देवचंद , हेमचंद परशोत्तम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. तणसा. शेठ जगजीवन ठाकरशी , देवचंद केशवजी " मीठा केशवजी , मेघजी खोडाभाई तहसीलदरग. ,, फोजमलजी तलेगाम ढमढेरीया. , चुनीलाल ज्ञानचंद , बालचंद शामचंद , मगनचंद मोहनचंद ,, वलभदास उमेदशा वेलचंद गणेश तासगाम. केशवलाल उमेद ,, सरुपचंद उमेद त्रापज. , जसराज हरजी , पानाचंद झवेरचंद रणछोड दयाल , वीठ्ठल संघजी हीराचंद हरजी तील्हारा. , हरखचंद गुलाबचंद थराद. ओतम उजम , छगन उजम देवचंद सवाई , नथु पानाचंद ,, मुळचंद चतुर , हठा वजा थानगढ. शेठ जेठालाल दलीचंद थाणा. , आशकरण धुळजी , हीरा हींदाजी दरापुर. , कीलाभाई जेठाभाई , खोडीदास माणेकचंद , जेठालाल प्रभुदास , झवेरभाई हीराभाई , नहालचंद काळीदास , बापुलाल मोतीलाल ,, भाईचंद जेठाभाई ,, मोतीलाल दलपतभाई दमण. , घेलाभाई खूबचंद ,, सरुपचंद धरमचंद दवाडी. , फूलचंद रुगराजजी दाग. , छगनलाल माणेकचंद , डुंगरसी परशोत्तम दावड. ,, दलपत सरुपचंद ,, मोहनलाल लल्लुभाई ,, लल्लुभाई हरीचंद दीओर. , माणेकचंद रामजी ___, वर्धमान नथुभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. दील्ही. शेठ उमरावसिंह टांक ,, खेरातीलाल लाला , दलीलसिंह , फूलचंद लाला , बनारशीदास लाला ,, मथमल लाला देगाम. , चुनीलाल नारणदास " महासुख गुलाबचंद , मोनचंद पदमाजी देवचराडी. , त्रीभोवन हंसराज , भूदर झवेर ,, मोहनलाल माणेकचंद मोनचंद वीरचंद धंधुका. डाह्याभाई हरखचंद , मगनलाल मुळचंद धांगध्रा. ,, उजमशी खीमचंद ,, सोमचंद राजपाळ , काळीदास गोकळभाई , हरीलाल जुठाभाई धुळीया. , भोभईया सगलजी ,, अंबाईदास शामळदास , नथु शवजी ,, भोगीलाल गुलाबचंद धोराजी. शेठ करसनजी रुपचंद , कानजी मुंदरजी ,, जादवजी खजी ,, नागजी मदनजी ,, माणेकचंद करसनजी वछराज अभेचंद धोल. , चत्रभुज अवचल ,, वीकमसी पानाचंद. धोलेरा. , जीवाभाई चंदुभाई ,, नरोतम भगवानदास , परशोतम नारण " मणीलाल मुलचंद धोळका. , वेलचंद उमेदचंद घोड. गुलाबचंद वेणीचंद , चतुरदास हाथीचंद ,, बालचंद पानाचंद , हीराचंद मानचंद धोंड नदी. , कंकुचंद चतुरभाई नानचंद सवचंद , भीरुमल हरीमल , रतनचंद मोतीलालजी , रामचंद दोलतराम नरसंडा. , दलपत मानचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४९) डेलीगेटोना नाम. डेलीगेदोनां नाम. शेठ मगनलाल वशराम , मथुरदास बापुजी नरोडा. ,, गोकळदास सांकळचंद ,, चुनीलाल ताराचंद नरसींगपुर. , हजारीमलजी नवसारी. ,, अमरचंद लखमीचंद , नगीनदास जीवजी लाला ,, नर्गानदास जीवणजी , फकीरचंद गोविंदजी ,, भाणाभाई मोतीचंद ,, सरुपचंद डाह्याभाई नाशिक. ,, बुघमल देवळचंद ,, माणेकचंद रीखवचंद नानाखाखर. ,, कचरा नथु नामपुर. , केसरीमलजी , छोगमलजी मोहनलाल बक्षीलाल ,, रुपचंद अमीरमल लालचंदजी ,, वगशीलालजी ., समीरमलजी , हीरालाल केसरीमल नागपुर. ,, देवचंद लाभचंद शेठ हीरालाल केसरीचंद नारायणपुर. , लघुभाई मणसी नाथनगर. , महेताबचंद बाबु लाला ,, महेतापचंद , सुखराजराय बाबु नाहोदर. , तुळसीराम लाला ,, माधवराम लाला नागोर. परशोत्तम डोसाभाई ,, मांडीलालजी लखमीचंद ,, मोतीलालजी लखमीचंद वसनजी लधा नींगाला. ,, जेमल चंदु ., नागरदास जसराम , बहेचर दीपचंद ,, रायचंद जीवराज नेपाणी. , देवचंद प्रेमचंद ,, वहालचंद हकमचंद पंचासर. ,, अम्रतलाल खुशाल , भूदरभाई प्रतापसी प्रभासपाटण. ,, उत्तमचंद हीरजी. ,, रणछोड झवेरचंद , हरखचंद वर्धमान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५०) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. परजव. शेट हीरजी वीरजी परीआगाम. ,, रायचंद केसुर प्रांतीज. ,, डाह्याभाई दलपत , परशोत्तमदास हरीभाई , पोचालाल डुंगरसी , बुलाखीदास हाथीभाई ,, मगनलाल गोरधनदास ,, मणीलाल त्रीकमदास ,, रणछोडलाल त्रीभोवनदास कोठारी ,, हिंमतलाल फुलचंदभाई पालेज. , छगनलाल वीजलाल ,, मगनलाल रणछोड पाला. , बसाखीराम लाला , केसरीमलजी , वल्लभ हीरजी पालडी. शेठ प्रेमचंद विठ्ठल ,, मोतीचंद वेलचंद ,, वेलचंद बछराम पालीताणा. ,, शिवजी देवसी .. शिवजीभाई लाधाभाई पालणपुर. ,, अमुलखभाई खूबचंद. , छगनलाल गुलावचंद. , नहालचंद खीमचंद. , प्रेमचंद केवळ. ,, बालाभाई गटाभाई. ,, मंगलजी ईश्वर. ,, रवचंद उजमचंद. , सोभाग्यचंद वेलुभाई. पादरा. ,, अमृतलाल वनमाळीदास. , कस्तुरचंद दीपचंद. , कीलाभाई मुळचंद. , चुनीलाल शीवलाल. छगनलाल नीहालचंद. छोटालाल नीहालचंद. , डाह्याभाई वनमाळीदास. , दलपतभाई लल्लुभाई. मोहनलाल हीमचंद. , हीरालाल लल्लुभाई. पाटण. ,, अमीचंद पन्नालालजी. ,, चुनीलाल सांकळचंद. ,, छगनलाल वहालचंद. , जेसींगलाल झवरचंद, पाली. , अचळदासजी , चांदमलजी , तेजमलजी , तुळसीदास जगजीवनदास भणसाळी , बख्तावरमलजी , मीठामलजी. , रीखवदासजी , लालचंदजी । , संतोकचंदजी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ पुनमचंद करमचंद. , वापुलाल लल्लुभाई. ,, मगनलाल हरीचंद. ,, मुळचंद लल्लुभाई. , लहेरचंद करमचंद. , लल्लुचंद नथुचंद. ,, न्हालाभाई मगनचंद. पीपळी. ओघड तेजपाळ. ,, झवेर नथुभाई. , नरशी धनजीभाई. , वाडीलाल गंगाभाई. , सुखलाल मुळजी. पीडवाडा. , फुलचंद जेताजी. ,, रायचंद मोतीचंद. पुना. ,, कंकुचंद रायचंद ,, कपुरचंद गुलाबचंद , कपुरचंद मगनीराम कीशनदास प्रेमचंद कीशनमल प्रेमचंद कीसनाजी वालाजी गगलचंद हाथीचंद चुनीलाल दलछाराम चुनीलाल नीहालचंद छगनलाल गणपतराम छगनलाल नानचंद छगनलाल वखतचंद जमनादास मोकमचंद त्रीकमदास बछराज शेठ नानचंद भगवानदास ,, नेमचंद हाथीभाई , पखीराज कनकचंदजी , बालचंद लाधाजी , बालुभाई पानाचंद बहेचरदास सीरचंद ,, भगवानजी वालजी भीखुभाई मुळचंद , भोगीलाल नगीनदास , मगनलाल खोडीदास , मगनलाल नानचंद मगनलाल रामचंद मगनलाल लखमीचंद मानचंद नगाजी ,, मोतीचंद छगनलाल मोतीचंद पीतांबरदास मोतीचंद प्रेमचंद मोतीचंद भगवानदास मोतीचंद हेमचंद मोहनलाल सोभागचंद ,, लखमीचंद नेमचंद लल्लुभाई गुलाबचंद लल्लुभाई नथुराम लल्लुभाई बुलाखीदास लल्लुभाई शोभाराम वजेचंद कांकाचंद वीरचंद कोसनाजी सरुपचंद दोलतचंद शीवराम कस्तुरचंद , हठीसंग झवेर पुलगाम. शेठ पुनमचंद जुहारमल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. पेटकाद. शेठ खीमचंद कीलाभाई ,, चतुरभूज खूबचंद ,, छगनलाल लखमीचंद ,, पानाचंद लालचंद , हकमचंद काळीदास पेथापुर. अमथालाल जुमखलाल ,, केशवलाल भगवानदास ., केशवलाल हठीसंग ,, चंदुलाल हठीसंग , चंदुलाल हाथीचंद जुमखराम उमेदराम डाह्याभाई हकमचंद नगीनदास पुनमचंद पुनमचंद रतनचंद प्रेमचंद रतनचंद मनसुखराम मुळचंद ,, मनसुखभाई रखचंद सांकळचंद काळीदास पोरबंदर. ,, तुळसीदास जगजीवन भणसळी ,, वल्लभजी हीरजी पोकरण. ., अनराजजी गुलराजंजी ,, करणीदानजी कानुगा , कुशळराजजी जेठमलजी वालर , झवेरचंदजी , धरमचंद जीभाई कोठारी " मुला कुशनराजजी शेठ रीखवचंद कोठारी " सरदारमलजी फूलचंद फणसा. , गंभीरमल जी जसरुपजी , पुनमचंद देवीचंद ,, मुळचंद मयारामजी फागवारा. देवीचंदजी लाला बलदाणा. , अमथालाल भाईचंद , चतुर नथु ,, जीवराज गगाभाई ,, तळशी केशवजी ,, शामजी देवशी वरवाळा. , उजमशी लालचंद ,, धनजी हीराचंद ,, नारण लल्लु ,, नारण नथु बदनुर. , सुरजमल सरुपचंद बगवाडा. , प्रेमचंद स्पाजी ,, मगनलाल गोविंदजी ,, राजाजी फकीरजी बदरखा. , वेलचंद उमेदचंद बापड. (कच्छ) ___, पासवीर पुंजागोचर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेठोना नाम. शेठ भीखाभाई मोतीजी. , रायचंद केसरीचंद. बुरानपुर. , कस्तुरचंद रूगनाथ. ,, केसरीचंद नेमचंद. ,, जीवराम आणंदजी. ,, दामजी शीवजी. माणेकचंद उत्तमचंद. बेनाडी. ,, खीमचंद नथुराम. , खंडु दलुचंद. ,, भाईचंद नीहालचंद. ,, रुपचंद मोतीचंद बोरसद. बारेजा. शेठ खीमचंद मंछाराम , छोटालाल उमेदचंद ,, तलकचंद लल्लुभाई 5, फकीरचंद केवळदास ,, वाडीलाल ओघड , वाडीलाल गोकळ बारडोली. ,, कस्तुरचंद लखमजी , जीवणजी देवाजी जीवण हराजी ,, झवेर भगाजी , देवचंद मोतीचंद , नरशीभाई हरजीभाई ., रुपाजी मोतीजी बालापुर. ईश्वरलाल अमरचंद ,, कनैयालाल हेमचंद , ठाकोरदास चुनीलाल देवलाल सुंदरलाल बसंतराय छबीलदास ,, लालचंद खुशाल ,, हीरालाल शीवलाल बामणोद. , ओकारचंद अमरचंद बांटवा. , हंसराज रुगनाथ बीलीमोरा. , फकीरचंद केसरीचंद. , भाणाभाई भूदराजी. ,, अमरचंद मोतीचंद , कीलाभाई जेठाभाई , छगनलाल गरबडदास छोटालाल बापुलाल , जीवाभाई प्रभुदास , जैसींगभाई ठाकरसी नगीनदास वेणीदास फुलचंद नाथाभाई , बालाभाई लखमीचंद ,, भोगीलाल गरबड. ,, भोगीलाल भाईलाल , मनसुख नीहालचंद ,, मगनलाल पीतांबर , मुळजी रामदास ,, रणछोड झवेरदास , लल्लुभाई गीरधरलाल ,, सुरचंद हरगोवन ,, हरगोवनदास धनरुपजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५४) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. बोटाद. शेठ छगनलाल मुळचंद , लल्लुभाई भाईचंद , लखमीचंद भगवानभाई , सवचंद पानाचंद बौधान. , गमणा खुशालजी , दुल्लभ जगाजी , प्रेमाजी कसनाजी , मुळचंद गोपाळजी , सेना नथुजी भालेज. केवळचंद गीरधरचंद , गोरधनदास मगनलाल , द्वारकादास वनमाळीदास , मगनलाल ईश्वरदास भादरण. ,, नरसीभाई नरोत्तमदास भागडा. , रामदास नानचंद भाळेड. , भूदरदास जीवराम , सांकळचंद हीराचंद भावनगर. , अमरचंद जसराज अम्रतलाल परशोत्तम , उजमशी माणेकचंद , कस्तुरचंद दीपचंद , कल्याणजी पदमशी , कुंवरजीभाई आणंदजी शेठ गीरधर गोरधनदास ., गीरधर आणंदजी ,, गुलावचंद आणंदजी , गोरधन हरखचंद , गोरधन रुगनाथ , चुनीलाल प्रभूदास ., चुनीलाल त्रिकमजी हरीचंद ,, छगनलाल देवचंद ., छगनलाल मेघजीभाई , जमनादास अमरचंद ., जगजीवन अमरचंद , जगजीवन मोतीचंद ., जसराज त्रीकमलाल ,, जीवराज ओधवजी ,, जीवराज रतनजी , जुठाभाई सांकळचंद , जुठाभाई ओघवर्जा , झवेरभाई भाईचंद , ठाकरशी पदमशी , डाह्याभाई हकमचंद ,, ताराचंद खोडीदास , दलीचंद ककलभाई , दामोदर हरजीवन दामोदर दयाळाई ,, दामोदर भाणजी दामोदर गोविंदजी , देवचंद परमानंददास , नहालचंद बहेचरदास , नथुभाई करसन ,, नानचंद कुंवरजी ,, परशोत्तम भीखाभाई ,, परशोतम मोतीचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५५) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोना नामः शेठ प्रभुदास मोतीलाल ,, पीतांबर हरीचंद , पोपट नेमचंद ,, फतेचंद झवेरभाई , फूलचंद मीठाभाई ,, बकोरभाई ककलभाई बकोर उजमशी ,, भगवानजी करसनजी , भीखाभाई मानचंद , भोगीलाल लल्लुभाई मगनलाल ओधवजी मगनलाल प्रभुदास मगनलाल मुळचंद मणीलाल हठीसंग मोतीचंद झवेरचंद , मोतीलाल जुठाभाई मोहनलाल बकोरदास मोतीचंद उजमशी रतनजीभाई वीरजीभाई , रतनजी हठीसंग रायचंद हीराचंद , लल्लुभाई कानजीभाई , लखमीचंद कल्याणजी वल्लभदास त्रीभोवनदास वीरचंद आणंदजी , हठीसंग झवेरभाई , हरगोवन मोतीलाल हरीचंद वजपाळ हठीसंग ओधवजी हरीचंद छगनलाल ,, हरजीवन भाईचंद हरजीवन दीपचंद भरुच. शेठ अनोपचंद मलुकचंद ,, अमरचंद जगजीवनदास , चुनीलाल वीरचंद , छगनलाल नानचंद , जुठाभाई सुंदरजी ,, झवेरचंद डाह्याभाई , डाह्याभाई दलपत ,, नहालचंद लखमीचंद , माणेकचंद लखमीचंद , मुळचंद जीवराज , रतनचंद सवाईचंद , रायचंद गुलाबचंद भोपाळ. , अमुलखचंदजी गोरीदासजी , प्रतापमलजी .. , रतनलाल , हीरालालजी भोजपुर. ,, करमसी कानजी , खजी गोसर महवा. , अभेचंद झवेरचंद , कपुरचंद झवेरचंद , गोपाळजी गुलाबचंद , गांडालाल आणंदजी , चतुरभूज हरजीवन , दुल्लभदास कल्याण " नथुभाई मंछाचंद , नगीनदास नाथाभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५६) डेलीगेटोनां नाम डेलीगेटोनां नाम. शेठ परमानंददास अभेचंद , परमानंद मुळचंद ,, पोपटभाई दयाळभाई , फुळचंद खुशाल , फुलचंद जीवण , भाणजी आणंदजी , महासुख परमानंद ,, मोहनलाल खोडीदास " शामजी कुरजी , हरगोवन जीवण महीज, ,, कचराभाई नाथाभाई , छोटालाल कुवरजी मलेकपुर. ,, तेजाजी नेमाजी ,, हंसराज शामजी मसुर. ,, परशोतम रतनजी , मलुकचंद खीमचंद , हीराचंद मनोर महुधा. , लल्लुभाई मगनलाल , लल्लुभाई जेचंदभाई , शंकरलाल पानालाल माणसा. केशवलाल सांकळचंद , गीरधर हेमचंद , गोपाळदास माणेकचंद , चकाभाई जेचंद , चुनीलाल अमरचंद शेठ जेठीदास हाथीभाई , ताराचंद जेचंद ,, नगीनदास गुलाबचंद ,, परशोत्तम हीराचंद ,, प्रतापचंद दुल्लभचंद ,, बुलाखीदास रुपचंद , बालाभाई अनोपचंद ,, मणीलाल गोपाळदास ,, मणीलाल रणछोड ,, मनसुखराम मुळचंद , माणेकलाल दीपचंद , लल्लुभाई जीवराम , वीरचंद वस्ताराम , सरुपचंद मयाचंद , सांकळचंद लल्लुभाई ,, हरगोवन जेचंद , हाथीभाई मुळचंद ____ मांगरोळ. ,, अमरचंद तलकचंद , अमरचंद कानजी ,, कचरा हरखचंद , चतुरभूज गोरधन , छोटालाल ईंदरजी , जमनादास मोरारजी , जीवराज कचराभाई ,, प्रेमजी कानजी ,, मोरारजी खीमी , लीलाधर प्रेमजी ,, वल्लभजी चतुरभूज. माळीआ. , अंदरजी फूलचंद , जादवजी धनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " शेठ कल्याणजी "" "" "" "" " 3 3 55 35 "" ܕܕ 35 95 99 " "5 " 39 " "9 परशोत्तम डोसा लीलाधर मनजी " 99 डेलीगेटोनां नाम. माणवड. मांडळ. केवळदास काळी दास केवळदास त्रीभोवन केवळ भाई भाईचंद खुशालभाई जीवराज चुनीलाल देवचंद जयचंद भाईचंद तलकशी पीतांबर ताराचंद चतुर बोघाभाई लखमीचंद मकनलाल परशोतम मोहनलाल त्रीकमजी मोहनलाल त्रीकमलाल 19 3 3 लखमीचंद छगनभाई वीरचंद रतनशी सवचंद धरमसी हठीसंग छगनलाल हीराचंद धरमसी माळरकोटला. कायलभल कलीराम कशोरीमल गोपमिल गोपीचंद खरदीया 39 ,, ताराचंद तिलकराम (५७) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat शेठ दीलाराम देवचंद नगीनचंद लाला नंदलाल पृथ्वीमल 59 19 19 39 पालरामल ,, पुरनचंद भोणमल 153 99 99 ,, चुनीराम लोटीआ लाला मंछाराम लश्करीमल वराय श्रावणमल 12 59 " 99 19 99 डेलीगेटोनां नाम. 59 ,, भूखणदास जेठाशा मगनदास माणेकचंद 59 रुपचंद भगवानदास " 33 माहरु. , डुंगरशी वालचंद माट. 99 " मालेगाम. 53 बालचंद हीराचंद भाऊसा मुळचंद रामजी रामचंद मीयागाम. धरमचंद केवळदास नेमचंद पीतांबरदास मुळी. जेचंद वेलशी भूदरभाई परशोतम www.umaragyanbhandar.com Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. * मुंबई. शेठ रतनलाल मगनलाल शेठ अमरचंद कल्याणचंद , रायशी उदेशी ,, केसरीभाई भाईचंद ,, लालजी वसनजी , केसरीभाई सवाईचंद , सवचंद जुठाभाई , केशवजी मकनजी ,, सांकळचंद हेमचंद , चुनीलाल बालुभाई भणसाळी ,, सांकळचंद सुरचंद , चुनीलाल लल्लुभाई ,, सांकळचंद हेमचंद , चुनीलाल छगनलाल , हीरजी वर्धमान छोटुभाई भगवानदास मेरवाडा. जीवणचंद उत्तमचंद महेताजी , काळीदास हरखचंद ,, जेसींगलाल मुळचंद महेसाणा. ,, ठाकरदास लाला ,, अमथालाल घेलाभाई दामजी वीरजी , उत्तमचंद प्रभुदास देवकरण प्रेमजी ,, कस्तुरचंद वीरचंद दोलतराम लाला , चुनीलाल रवचंद , धनराजजी , डाह्याभाई काळीदास , नारणजी अमरसी , डोसाभाई दलछाराम , नेमचंद माणेकचंद कपुरचंद ., दलीचंद हीराचंद , प्रेमचंद केसरीचंद ,, दलीचंद हीराचंद , प्रेमचंदजी लाला ,, दामोदर दयाळ , बळदेवचंदजी लाला ,, नगीनदास रायचंद ,, भाऊसाहेब सरदारमलजी गुजराती ,, परशोतमदास वस्ताराम ( उज्जेनवाळा) ,, परशोतमदास गोतमचंद , भीखमचंद वस्ताचंद ,, पानाचंद जेचंद , भुरीआभाई जीवणचंद ,, भीखालाल ठाकरसी , भोळाभाई वाडीलाल ,, मुळचंद हरगोवन , माणेकलाल चांपसीभाई ,, लल्लुभाई हरीचंद खचंद ,, मोहनभाई जेसींगभाई ,, लल्लुभाई कीशोरदास , मोतीचंद रुपचंद , लल्लुभाई हरचंद * मुंबई शहेरना डेलीगेटो थवाने लायकना आ सिवायना गृहस्थो कॉन्फरन्समां रीसेप्शन कमीटीना सभासदो तरीके हाजर रहेला, तेथी ते गृहस्थोनां नामो अत्रे आपवामां आव्यां नथी. ते नामो रीसेप्शन कमीटीना सभासदोना लीस्ट ( पुरवणी अ)मां आपवामां आवेलां छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६९) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोना नाम. शेठ वेणीचंद सुरचंद , सुरचंद मोतीचंद. मोरबी. , मनसुखलाल कीरत्चंद , वखतचंद सुंदरजी रघोलाभुतीया. , लल्लुभाई मोहनलाल ,, हकमचंद काळीदास रहिमतपुर. , गुलाबचंद बुधमलजी ,, परशोतम रतनजी , मुळचंद वेलाजी मारु रतलाम. केसरीमलजी मालचंद , खेमचंदजी मीश्रीमलजी , जीवाजी श्रीचंद चत्रुभूजजी ,, झवेरचंदजी वन्यायक घनराज लखमीचंद ,, नेमचंदजी रतीचंदजी ,, भगवानजी रवीमलजी , भागीरामजी लुणीदत भूदरजी झवेरचंद, ची. रतनलालजी ,, रामाजी केसरीमलजी , लालजी धारसीरामजी ,, हरखचंदजी कालुरामजी रातागाम. , देवचंद जेचंद राधनपुर. , कल्याणजी पदमशीभाई ,, कमळशीभाई गुलाबचंद ,, चुनीलाल वीरचंद शेठ छोटालाल चतुर , छोटमल गबल ,, जेसिंगभाई मोहनलाल , प्रेमचंद जेठाभाई ,, भीखालाल वालमजी भूदरदास वछराज भूदरचंद छगनचंद मनसुखलाल भाईचंद शिवलाल बादरचंद ,, शिरचंद नानचंद , हरजीवनदास दीपचंद ,, हरगोवनदास पुनमचंद ,, हरगोविंद उत्तमचंद ,, हीरालाल बकोरदास राजपुर. ,, आणंदजी झवेर , रणछोड जेठा राणपुर. , उजमशी परशोत्तम ,, छगनलाल त्रीकमदास ,, जगजीवन नेमचंद , वीरजी कुंवरजी रामनगर. , राधामलजी लाला राजकोट. गोरधनदास परशोत्तमदास ,, वनेचंद लखमीचंद ,, हेमचंद दोलतचंद रांधेजा. ,, चुनीलाल गोपाळदास ,, नहालचंद उमेदचंद ,, बुलाखीदास दीपचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोना नाम. शेठ लल्लुभाई सांकळचंद ,, हाथीभाई छगनलाल रांदेर. , खूबचंद माणेकचंद ,, छोटालाल नवलचंद ताराचंद चुनीलाल , घनलाल खुशालभाई ,, फकीरचंद अंबाईदास ,, लल्लुभाई हीराचंद ,, वीरचंद कल्याणचंद शेठ पुरनचंद ,, फगुलमल ,, भगतराम लाला , लश्करीमल , श्रीपा , हीरालाल लाला लानोली. ,जेचंद बहेचरदास लालपर. , काळीदास देवकरण ,, कानजी मेघा ,, काळीदास ., जादवजी पानाचंद ,, मेवा पेथराज , राजसी लाखाणी ,, वीरपाळ हीराचंद ,, संघजी कचराभाई लाठीदड. , परशोतम भूदर रूपर. लाडोल. , कपुरचंद लाला लश्कर (ग्वालियर). " खुशालचंद महेता ,, जाबगमल गुलेच्छा , बागमल गुलेच्छा , रीदराजजी घारीबाल लखतर. ,, नेणसीभाई फूलचंद ___ लाहोर. , अनंतराम , कस्तुरामल ,, काबलीमल ,, कालीमल ,, कीशोरमल , जशवंतराय जैनी ताराचंद , तीलकराम देवीचंद ,, नंदलाल , पृथ्वीमल सुनार , दलीचंद नीहालचंद ,, नथुभाई जेठाभाई लांच. ,, हठीसंग रतनचंद लींबडी. उमेदचंद नानचंद ., ओघड काळीदास , केशवलाल लालचंद , गुलावचंद पीतांबरदास ,, छगनलाल बहेचर , डोसनजी लालचंद , भूराभाई डाह्याभाई 1 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६१) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ माणेकचंद डोसाभाई ,, सुंदरजी हीराचंद , हीराचंद लालचंद लीस. ,, टेकचंद लाला लीलीआ , नरभेराम जादवजी लींबोदरा , छगनलाल हाथीभाई ,, प्रेमचंद त्रीभोवनदास , माणेकचंद उत्तमचंद , हालाभाई गुलाबचंद वसो. चीमनलाल करमचंद , चुनीलाल सांकळचंद भाईलाल छगनलाल वलसाड. ,, गुलाबचंद दीपचंद , गुलाबचंद , गांडाभाई गुलाबचंद ,, मोती गोविंदजी , रतनजी प्रागजी , रामचंद डाह्याभाई वळा. अनोपचंद कल्याणजी , गोरधन जीवराज , लालचंद मुळजी , वेलचंद फूलचंद , सुंदरजी हीराभाई बडनगर. , छोटालाल दौलतराम शेठ जोईताराम जीवराम , नगीनदास वर्धमान , फतेचंद सांकळचंद , भीखाभाई दोलतराम , लल्लुभाई हरजीवनदास वडाला. , डुंगरसी खीमजी , लधा जीवन वरल. , त्रीभोवनदास दामजी , मुळचंद करसनजी , संघजी हीरजी वर्धा. , कीसनचंदजी हीरालाल फतेपुरीआ " पुनमचंद जुवारमल , सोभागचंद फतेचंद वढवाणशहर. ओघडर्भाई ठाकरसी , कानजी वलु , ताराचंद नथुभाई , त्रीकम चांपसी " परशोत्तम नथुभाई , मुळचंद जसराज ,, मंगळजीभाई जसराज , मोतीचंद हंसराज , वखतचंद फूलचंद , सुखलाल कल्याण वडोदरा. , कल्याणभाई अमीचंद " गुलाबचंद काळीदास , गोविंदजी रामजी , गोकळभाई दुल्लभदास Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६२) डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेठ चनीलाल नरोत्तमदास ,, छोटालाल लालचंद , नेमचंद बहेचरदास , नंदलाल लल्लुभाई , बापुलाल हीरालाल , मगनलाल चुनीलाल , लीलाभाई रायचंद वणथळी. , प्रेमजी झीणाभाई , फुलचंद जादवजी वणोद. , हठीसंग रायचंद वांकानेर. ,, खोडीदास बावाभाई , नानचंद माणेकचंद , मणीलाल पदमशी वाटांवदर. , करसन त्रीकम ,, महादेव मनजी ,, मोतीचंद टोकरसी , रणछोड डाह्या वाडोदर. शेठ वामजी मुळजी , वीरजी वल्लभजी वापी. , मुळचंद सदाजी वाव. , जीतमल केशवजी ,, जीतमल हकम , जेचंद शीवजी " नथु डुंगर , मगन मोती महेता केवळ वीरवाडीआ वांसदा. वांझ. शेठ जुवारमल दोलाजी ,, प्रेमचंद झवेरचंद " बछराज बुधाजी वाधणी. बादरुमल चंदनमल बीरदीचंद श्रीमल , रतनचंद दोलतचंद " रतनचंद रामचंदर वीरमगाम. , कचराभाई कस्तुरचंद , छोटालाल त्रीकमदास , जसराज हरचंद , नथुभाई मोतीचंद , परशोत्तम लालचंद ,, पोपट केवळ , माणेकलाल खेतशी " रतनचंद मुळचंद , वाडीलाल हठीसंग "वाडीलाल परशोतम ,, कपुरा खुशालजी , खूमाजी लखमाजी , डाह्याभाई देवाजी , फकीरचंद नहालचंद , लखमीचंद जेठाजी , हकमचंद फकीरजी वासणानगीनदास अमुलख , माणेकलाल अमुलख Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ वाडीलाल तलकशी वेलशी हेमजी हरजीवन भगवानदास वीजापुर काळीदास सुरचंद नथुभाई चंद नगीनदास जेठा भाई " 19 "" ע " 39 13 31 در "" १, महासुख चुनीलाल "" "" "" " सुंदरलाल हठीसंग "" 27 "9 डेलीगेटोनां नाम. " रीखवदास अमुलख लल्लुभाई जीवराज वीसनगर. जमनादास चतुरदास नगीनदास केसरीसंग "" "" " मोहनलाल छगनलाल झवेरी वेरावळ. गोविंदजी खुशाल त्रीभोवनदास लहेरचंद दामोदर झवेरचंद देवचंद लखमीचंद मदनजी मंगळजी समौ. पुंजीराम हरीचंद " ,, मुळचंद मानचंद हीराचंद खीमचंद " बहे चरदास खीमचंद भाईचंद कीशोरदास सरभाण. कस्तुरचंद शामजी गोविंदजी रामजी पदमाजी नाथाजी ३८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ( ६३ ) शेठ मेघाजी मोतीजी ,, कस्तुरचंद शिरचंद जेपुर सवाई. गणेश लालाजी "" गुलाबचंदजी " ,,, गुलाबचंदजी जोरावर मलजी " " " , " 19 19 " सुगमचंदजी " सुजानमलजी ܕ ܙ "" "" " " 19 डेलीगेटोनां नाम. " , " चुनीलाल अम्रतलाल चुनीलाल काळीदास देवकरण अदेकरण देवचंद ठाकरसी मगनलाल हठीसंग सांधा " "" घनरुपमलजी फतेलालजी भेरुलालजी लखमीचंदजी शिवशंकरजी "" सखतरा. दिनानाथ प्रेमचंद लाला बेलीराम साणंद. उजमशी मुळचंद गुलाबचंद गगल चतुरभाई करसनभाई कुंवरजी भीमजी जीवराज आनंदजी फतेमलजी www.umaragyanbhandar.com Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादरा. शेठ चुनीलाल छगनलाल छोटालाल लल्लुभाई छोटालाल लल्लुभाई जेसिंग दोलतराम "" " 33 " "" , " " रुपचंद हाथीचंद हठीसंग गुलाबचंद हरजीवन हेमचंद सादडी (छोटी) केसरीमल पोरवाड 39 ,, गुलाबचंद डोशी छगनलाल घाणा "" जोरजी नायक नाथुरामजी मोरडा प्रताप दारा "D " " " ܕܕ 35 " " " "9 "9 39 "" .. डेलीगेटोनां नाम. 13 , डाह्याभाई हाथीचंद ढोलालाल लालभाई फतेचंद रामचंद रणछोडलाल छगनलाल मगनीरामजी नागोरी मेवराजजी नायक माणेकचंद नागोरी मेरूजी नायक मेघराजजी नायक मोडजी नमुलाल मोतीलालजी नागारी रायचंदजी डुंगरपार शकरण चंपालाल हमीरजी डुंगरपार सायला. भाई भाई डामर खेती " " नरशीभाई नथुभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ( ६४ ) सायण. शेठ डाह्याभाई अमरचंद ܕܪ " " "" " शाहापुर. " चुनीलाल हरखचंद ,, धरमचंद गोतम "" " रूपचंद अमधा " " 39 " डेलीगेटोनां नाम. "" "" शाहापुर. त्रीभोवन ईश्वरराम " " " हरखचंद ओशवाळ "" सांतलपुर. "1 फुलचंद टोकरशी सवचंद सांकळचंद सींचण. वलमचंद मलुकचंद हीराचंद राजाजी हेमचंद देवचंद सीवनी छापरा. बीरदीचंद ओवाळ लखमीचंद धोरीमल सीयाणी. गुलबा उमाजी नाथा खुशालजी माना विठाजी मोटा नाथा प्रेमजी सीकंदराबाद. जवाहिरलाल जैनी सीहोर. कुंवरजी मुळजी केसुरचंद वीरचंद केसुरचंद मानाजी www.umaragyanbhandar.com Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६५) डेलीगेटोना नाम. डेलीगेटोनां नाम. शेट जीवराज मोनजी देवचंद मावजी ,, नहिालचंद गोपाळजी , नीहालचंद दलीचंद , नेमचंद रामजी , प्रेमचंद गीगाभाई ,, बकोर सुंदरजी , भीमाजी नारण ,, विठ्ठल वालजी सीसोदरा. ,, कीकाभाई अमरचंद ,, नानचंद कल्याणजी , मंछाराम मावजी , मोतीचंद दमाजी सुदामडा छगनलाल काळीदास , मगनलाल जीवणलाल , मोहनलाल उजमशी सुरत. , अमीचंद मोतीभाई ,, आणंदजी लल्लुभाई , उत्तमचंद मुळचंद , उत्तमचंद पानाचंद ,, उत्तमचंद डाह्याभाई , उदेचंद रंगीलदास ,, कल्याणचंद सोभागचंद कस्तुरचंद कल्याणचंद ,, कस्तुरचंद हीराचंद काळीदास रतनचंद ,, कीकाभाई सांकळचंद , कीकाभाई मगनभाई शेठ कीलाभाई सुरचंद , केसरीचंद नगीनदास , केसरीभाई रुपचंद केसरीभाई कीकाभाई खीमचंद मेळापचंद खीमचंद मोतीचंद , खीमचंद लल्लुभाई , खीमचंद नगीनदास , खीमचंद उत्तमचंद , खुशालभाई फुलचंद , खुबचंद रायचंद , गफुलचंद तलकचंद ,, गुलाबचंद धरमचंद उदेचंद , गुलाबचंद मलुकचंद ,, घेलाभाई उत्तमचंद ,, घेलाभाई रुपचंद घेलाभाई फकीरचंद घेलाभाई देवचंद घेलाभाई वखतचंद घेलाभाई लालभाई चीमनलाल जेसींगभाई , चीमनलाल घेलाभाई चीमनलाल लल्लुभाई सबजन चुनीलाल छगनलाल , चुनीलाल डाह्याभाई , चुनीलाल डाह्याभाई ,, चुनीलाल माणेकलाल , चुनीलाल वखतचंद , चुनीलाल बालमुकनदास , चुनीलाल प्रेमचंद , चुनीलाल वमळचंद , चुनीलाल गुलाबचंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डेलीगेटोनां नाम. डेलीगेठोनां नाम. शेठ चुनीलाल मोतीलाल ,, चुनीलाल जेचंद , चंदुलाल छोटालाल , छबीलदास गुलाबचंद ,, छोटुभाई गुलावचंद , छोटालाल लालभाइ , छोटुभाई चीनुभाई झवेरचंद दयाचंद झवेरचंद गुलाबचंद ,, झवेरचंद माणेकचंद झीणाभाई गुलाबचंद ठाकोरदास मुळचंद , ठाकोरदास लल्लुभाई , ठाकोरदास शीवचंद ., डाह्याभाई सरुपचंद डाह्याभाई रायचंद ., तलकचंद ताराचंद तलकचंद कल्याणचंद तलकचंद मेळापचंद ताराचंद पानाचंद त्रीभोवनदास डाह्याभाई दयाळचंद चुनीलाल दीपचंद सुरचंद देवचंद लालभाई , देवचंद सुरचंद , धरमचंद उदेचंद धनजीभाई नाथाभाई , नगीनचंद कपुरचंद , नगीनभाई झवेरचंद ,, नगीनभाई मंछुभाई , नगीनदास फकीरचंद , नगीनदास छगनलाल शेट नगीनभाई चुनीलाल ,, नगीनदास हरखचंद ,, नवलचंद कपुरचंद ., नरोत्तमदास हाराचंद ,, नाथाभाई हरजीवनदास , नाथालाल मोतीलाल , नाथाभाई उदेचंद नानचंद ईच्छाचंद नानचंद भाईचंद ,, नेमचंद प्रेमचंद , नेमचंद नाथाभाई नेमचंद त्रीभोवनदास ,, परशोतम लालभाई ,, पानाचंद फुलचंद , पानाचंद वीरचंद प्रेमचंद प्राणलाल ... प्रेमचंद रायचंद , प्रेमचंद नानचंद प्रेमचंद आनंदचंद , प्रेमचंद वल्लभचंद , प्रेमचंद जेचंद ,, प्रेमचंद सरुपजी ,, प्रेमचंद दयाचंद ,, फकीरचंद घेलाभाई ,, फकीरचंद घेलाभाई , फकीरभाई नगीनदास ,, फकीरचंद डाह्याजी ,, फतेचंद नगीनदास ,, फुलचंद शवचंद ,, फुलचंद तलकचंद , फुलचंद शीवचंद , बालभाई कल्याणचंद्र Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ बालुभाई गुलाबचंद बालुभाई सरुपचंद 99 دو 99 "3 ,, " "" 99 59 99 "" ,, 30 39 "" 95 39 99 رو 39 131 " 39 99 "" "" "" "" " "9 डेलीगेटोनां नाम. " भगुभाई कस्तुरचंद भगुभाई कस्तुरचंद भगुभाई डाह्याभाई भगवान रुपजी भगवान फकीरचंद भाईचंद कस्तुरचंद भाईचंद खीमचंद भाईलाल छगनलाल भोगीलाल डाह्याभाई भोगीलाल डाह्याभाई मगनलाल हेमचंद मगनलाल लालचंद मगनलाल कस्तुरचंद मगनलाल परशोत्तमदास मगनलाल प्रेमचंद मगनलाल भाईचंद मगनलाल मलुकचंद मगनलाल मलुकचंद मगनलाल दीपचंद मगनलाल रायचंद मगनभाई प्रतापचंद मगनलाल नवलचंद मगनलाल नानचंद मगनभाई नगीनदांस मगनलाल मलुकचंद माणेकलाल घेलाभाई माणकचंद खीमचंद माणकचंद कृष्णाजी माणेकचंद, तलकचंद मेलापचंद आनंदचंद्र ( ६७ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat शेठ मंछुभाई कल्याणचंद मंछुभाई गुलाबचंद मंछुभाई चंद मोतीलाल ताराचंद 59 99 59 99 19 59 " ,, "" 99 "" " "" 19 99 39 99 39 "" "" " 19 99 " 99 59 99 99 39 99 99 डेलीगेटोनां नाम. "2 मोतीलाल चुनीलाल मोतीचंद नगीनदास मोतीचंद कस्तुरचंद मोहनलाल डाह्याभाई मोहनलाल राजुभाई रतनचंद खीमचंद रायचंद खुशालचंद रीखवलाल धरमलाल रीखवलाल जेचंद रुपचंद लल्लुभाई रंगीलदास धरमचंद लखमाजी जीवणजी लल्लुभाई धरमचंद लल्लुभाई वीरचंद लल्लुभाई गीरधरदास वनमाळीदास देवचंद वजेचंद सवाईचंद वलमचंद लखमीचंद वजेचंद हेमचंद बजे चंद घेाभाई सवना उकाजी सवाईचंद सुरचंद सवाई चंद दीपचंद साकरचंद सुरचंद सांकळचंद दीपचंद सांकळचंद सुरचंद सांकळचंद माणेकचंद सुरचंद परशोतम सोभागचंद्र नगीनचंद www.umaragyanbhandar.com Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेठ सोभागचंद नगीनचंद "" "" "3 "" "" " 33 "9 99 "" 15 "1 "" "" 36 " "" - - " ,, बादर पीतांबर मगन जेराज 99 93 डेलीगेटोन नाम. 93 "" हीराभाई नेमचंद मेळापचंद हीराभाई तलकचंद हीराचंद खीमचंद हीराचंद मोतीचंद हीराचंद माणेकचंद हीराचंद केवळजी हीराचंद जीवणजी हीराचंद चुनीलाल हीराचंद चुनीलाल हेमचंद दीपचंद हेमचंद दीपचंद हेमचंद अमरचंद हेमचंद अमरचंद हेमचंद पानाचंद सोजत्रा. लखमीचंद करमचंद हेडमास्तर सोईगाम. सोलापुर. जेसींगभाई लवजी डुंगरसींग बहादुरसींग त्रीभोवनदास छगनलाल दलसुखभाई वाडीलाल मणीलाल लखमीचंद मणीलाल मोहनलाल बाडीलाल हठीसंग (१८) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat हळवद. शेठ खेतशी पानाचंद ,, प्रभुदास महादेव 59 अगरचंद चंदनमल " ,, सुजानचंद " सुजानमल ओबार = 35 " "" 13 121 गुजरमल लाला "" " छनुमल लाला दतराम पंडित दोलतराम लाला " नथुमल लाला बसनमल लाल "" 3 "" "" ,, मुनीलाल ” लखुराम लाला लाजामल लाला "" डेलीगेटोनां नाम. 99 "" हिंगनघाट. " "" हुशियारपुर • अलीगराम लाला कानलामल लाला वसनमल लाला हरखचंद लाला हकमचंद लाला हीरालाल लाला हुबळी. मगनलाल मलुकचंद लखमीदास नेणशी सपाणी www.umaragyanbhandar.com Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहिंसा परमो धर्मः ॥ श्री गुजरात केन्डल फेक्टरी अने एस्बेस्टोस वर्कस, ज्युबिली बाग, तारदेव, मुंबई धर्मिष्ट जैन बंधुओ माटे खास !! चरबी अथवा बीजा प्राणीजन्य पदार्थों रहित - पवित्र मीणवत्ती आवी जातनुं कारखानुं हिंदुस्तानमा पहेलवहेलुंज छे अने तेमां साधारण बजारमां मळती परदेशी मीणबत्तीओमां चरबी विगेरे हिंसाना तेमज धर्म विरुद्ध पदार्थों आवे छे, तेवा कांईपण पदार्थों वापर्या विना शुद्ध वनस्पतिना तेलोमांथी वॉलसेट, गाडीनी, पेनसील जेवी, नकशीवाळी विगेरे मीणबत्तीओ दरेक कद, वजन अने रंगनी बनाववामां आवे छे, अने जेनी सरसाईने माटे वीजी बनावटनी मीणवत्तीओ साथेना मुकाबलामां जुदां जुदां प्रदर्शनमांथी ऋण सोनाना अने एक चांदीनो चांद मळवा उपरांत, नामांकित विद्वानो पासेथी सेंकडो उत्तम सर्टिफिकट मळेलां छे. भावमां पण बीजी बनावटो करतां सस्ती छे, अने आ मीणबत्तीओ कोईपण जातना हिंसक पदार्थों रहित होवाथी देरासरमां बापरखा माटे खास उपयोगी छे, अने तेथी आपणां देरासरोमां तेलनी रोशनी करवामां जे मेहनत अने माथाकुट पडे छे, ते अमारी मीणबत्तीओथी घणे दरज्जे ओछी थई जाय छे. वळी अमारा धार्मिक जैन बंधुओ के जेओ घर वपराश माटे चरबीवाळी मीणबत्तीओ वापरता नथी, तेओने पण आ मीणबत्तीओ खास उपयोगी थई पडशे, अने तेथी अमारा जैन बंधुओनुं अमारी मीणबत्तीओ तरफ खा खेचीए छए. 66 "" नाईट लाईट.' रात्रे सुवाना ओरडामां खुशनुमां अने थंडो प्रकाश आपे तेवी बताओ ( नाईट लाईट ) पण आ कारखानामां बने छे, जे कदमां घणीज नानी होवा छतां आठथी दस कलाक सुधी चाले छे. आ बत्तीओने रात्रिना वखते जोईतुं अजवाळु आपवा माटे आखी रात सळगती राखवामां कोईपण जातनुं जोखम रहेतुं नथी, अने तेज तेनी खास खुबी छे. "" पेटन्ट बदलवी न पड़े एवी बत्तीओ. "" देवालयोमां तेमज बीजा शुभ प्रसंगे रोशनी माटे, तथा साधारण घर वपराश सारुं ग्लासोमां बोयांमां घालीने रुनी बत्तीओ या दीवेटो वापरवामां आवे छे अने जे दररोज बदलवी पडेछे, तेने बदले कोई दिवस बदलवी न पडे, तेमज बोयांनी जरुर न पडे तेवी अने कोडीयां, दीर्वाओ अथवा समईओमां, तेमज अखंड दीवाओमां वापरी शकाय तेवी बर्त्ताओ अमे बनावाए छीए, जेने माटे अमे इंग्लँड अने हिंदुस्तानमां पहेलवहेलं पेटंट मेळव्युं छे. आ तरफ पण अमारा जैनबंधुओनुं खास ध्यान खेचवामां आवे छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ “वनस्पति चरबी." आजकाल मीलोमां कापड सुतरने आर देवा विगेरे काममा जथाबंध देशी तेमज परदेशी ची वपराय छे. आपणा देशमां मोटे भागे मीलोना मालीको या एजंटो जैनो अने बीजा उंच वर्गना हिंदु शेठीआओ छे. अमे फक्त वनस्पति तेलोमांथी गुण तेमज देखावमा आबेहुब चरबी जेवो पदार्थ बनावीए छोए, जेने अमे “वनस्पति चरबी " एवं नाम आपेलु छे. आ पदार्थ प्राणीनी चरबी पेठे वाम मारतो नथी अने वळी रंगमां पण बगडतो नथी. तेनी सरसाई माटे विलायत तेमज युरोपना विद्वानांना उत्तम अभिप्रायो मळवा उपरांत ते देशोमांथी जथाबंध मागणीओ आववा लागी छे. प्राणीनी चरवीना मुकाबले किंमत पण सस्ती छे अने वापरवामां पण चरबीना करतां बधी रीते चढीयाती तेमज फायदाकारक छे. आशा छे के आपणा धर्माभिमानी जैन शेठीआओगें ध्यान आ पदार्थ पोतानी मीलोमा बाररवा तरफ खेंचाशे, अने तेम करवाथी तेमना नाणांनो बचाव थवा उपरांत धर्म विरुद्ध पदार्थो वापरवामां लागतां प्रायश्चितना अधिकारी थता अटकशे. ऊपर जणावेली वस्तुओनी किंमत तथा माहिती माटे नीचेन सरनामे पत्रव्यवहार करवा, तेमज एक वखत अजमायश लेवा विनंति छे.. मोतीलाल कशळचंद शाह जी. एम. ए. सी. मेनेजरः-धी गुजरात केन्डल फेक्टरी अने एस्बेस्टोस वस. ___ ज्युबिलीबाग तारदेव-मुंबई. खरीदो! खरीदो !! नवो ग्रंथ छपाई बाहेर पड्यो छे. श्री आचार प्रदीप. ( श्री रत्नशेखर सुरीकृत. ) किंमत रु. १-४-० टपाल खर्च ०-३-० जुदु. आ अनुपम पुस्तक- अमोए गुर्जर भाषांतर करावी पाका पुंठा साथे बहार पाड्युं छे. तेमां ज्ञान संबंधी विवरण करवामां आव्युं छे, एटलुंज नहीं पण श्राद्धविधि ग्रंथना उपयोग करनाराओए आ अमुल्य अंथ अवश्य वांचवोज जोईए, केमके आ ग्रंथ पण तेज महान् सुरानो लखेलो छे, अने आ पहेलीज वार आखो बाहेर पड्यो छे. साधुओने उपयोगी पानाना रुपमा पाटली साये आ ग्रंथ जुदो तेज कीमते मळी शकशे. मळवा- ठेकाणु:शेठ सोमचंद पानाचंद जैनोदय सभाना सेक्रेटरी. शेठवाडा,-खेडा, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रसिद्ध आचार्य श्रीमद् विजयानंद सृरि ( आत्मारामजी ) महाराजनो बनावेलो अपूर्व ग्रंथ. तत्त्वनिर्णय प्रासाद (३६ स्तंभ. ) श्रीआत्मारामजी, श्रीबूटेरायजी, श्रीवृद्धिचंदजी, श्रीनीतिविजयजी, श्रीखांतिविजयजी, श्रीलक्ष्मीविजयजी (बडे शिष्य ), श्रीकमलविजयसूरि, श्रीवल्लभविजयजी, और शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई, राव बहादूर माणेकचंद, और मगनभाई कपुरचंद, राव बहादूर वसनजी त्रीकमजी, शेठ तलकचंद माणेकचंद, मी. वीरचंद राघवजी गांधी, वगैरहके अमेरिकामें बनें हुवे नीहायत उमदा फोटू और जन्म वृत्तांत रंगीन वंशवृक्ष, प्रस्तावना उपोदघात् ८४ पृष्टका श्री आत्मारामजीका संपूर्ण जीवनचरित्र. सुपररॉयल ८ पेजी, ८८० पृष्ट, ग्लेझ कागज, बडे अधार ( हिंदी ) पक्की जिल्द ( सुनहरी ) किंमत रु. ४. शीघ्रमंगाईये - थोडे पुस्तक रहे हैं. पचीस प्रकार से सृष्टिका ईस ग्रंथमें वेद और देव वर्णन - श्रीवीरद्वात्रिशिका, लोकतत्त्व निर्णय, स्वरूप - वेद के कथनकी विरोधता - वेद ईश्वरकृत नहीं - जैनाचार्योंकी बुद्धिके दृष्टांत - गायत्री - गर्भाधानादि १६ संस्कार–लग्नविधी– जैनमतकी प्राचीनता के नये मजबूत प्रमाण - वेदके पाठोंकी गरवड - मत-दिगंबरीमत—जैनकी बातोंके शंकाका उत्तर, शंकर स्वामि- सप्तभंगीका खंडन और मंडन - सप्तनय, वगैरह हजारों बातोंका वर्णन है—कहांतक लिखाजाय. - बौद्ध महाराज ईस ग्रंथ में अपना ज्ञानका अखूट खजाना छोड गये है. श्रीमाधवाचार्यप्रणीत. सर्वदर्शन संग्रह ग्रंथ. मी० मणीशंकर हरगोविंद भट्ट बी. ए. का किया अनुवाद ( तरजुमा ) पं० मणीलाल नभुभाई ह्रीवेदका विवरण उपोद्घात, चार्वाक, बौद्ध, आर्हत ( जैन ), रामानुज, पूर्ण प्रज्ञ, नकुलीश पाशुपत, शैव, प्रत्यभिज्ञ, रसेश्वर, औलुक्य, अक्षपाद, जैमिनि, पाणिनि, सांख्य और पातंजल दर्शनोंका विस्तार - पूर्वक वर्णन. किंमत रु. ५ जैन कॉन्फरन्सके शुभेच्छकको रु. ३-१२-० हजारों स्वामीभाईके दर्शन–फोटोग्राफ - राजा दीनदयालकेखींचे हुवे, दूसरी जैन कॉन्फरंसके पंजाब, रजपुताना, काठीआवाड, गुजरात, सुरत, दक्षिण, पूर्व और मध्य हिंदुस्थान, बंगाल वगैरह जगहके मुंबई में पधारे हुवे डेलीगेटों ( प्रतिनिधी ) के बडे फोटू - वॉलंटियरों और कमीटीके फोटू - किंमत रुपये दो. दूसरी कॉन्फरन्सके आगेवानके पांच फोटू और जन्मचरित्र, एक आना. श्रीमद् कमलविजय सूरी महाराज, तीसरी कॉन्फरन्सके प्रेसीडंट, चार जनरल सेक्रेटरी, चेरमेन, चीफ सेक्रेटरी, राय बहादूर शोभागमलजी ढड्ढाके फोटू और जन्मचरित्र, दो आना. अमदचंद पी० परमार. नं. ११२ पायधुणी, मुंबई. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनकी तारीख. जैन इतिहास नं० १ उरदू. इसमें जैन मतकी तारीख है, अकलंक देव, भद्रबाहु, हनुमानादिका पूराजीवनचरित्र है गोमटस्वामिका हाल और पहाडोंके कुतबोंका पूरा तरजुमा है जिससे जैन मतकी प्राचीनता साबित होती है. २१० बडो सुफॉपर उमदा छपी है कीमत३.१. जैन इतिहास न० २. अंग्रेजी. इसमै बानरवंसी खान्दान और हनुमानकाजीवन चरीत्र है और महाबीरस्वामीके बादकी जैनमतको बुला सा तारीखहै की। इन किताबोंकी बहुतसे अखबारातमै तारीफ लिखी है. - -. -- JAIN ITIHAS. Jain itihas.Yo. 1., a History of Jain Religion in Urdu, containing a Pattawali of Jain acharyas, full description of Gomat Swami situated at Sharavan Belgul in Hussan district of Mysore State, and a full and complete translation of the inscriptions on the mountains, is published on superior paper and is ready for sale. The book consists of 270 large pages (Price Rs. 1 only). Jain itibâs No. 2. Life of Hanuman, with an early History of the Kings of Bannar dynasty and brief history of Jainism after Mahabir Swami in English (Price only ? as.). ___Morning Post Delhi, Ahluwalia. Gazette, Bangbashi, Bharat Mitra, Paisa Akhbar, Akhbari-Am, Police Advocate, Ittifig Taraggi. Imperial fortnightly, Jain Patrika, Atmanand Jain Patrika, Jain Mira, Jain Samachar &c. &c. have reviewed the above books very highly. मिलनेका पनाः पिरभूदयाल जैन, अः तहसिलदार रिवाडी जिल्हा. गुडगाँव. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्हावा तथा घोवाना अनेक जातना पवित्र साबुओ. श्री होली सोप मेन्युफेक्चरिंग कंपनी, के जेना साबुओ घणा वखणाय छे, ते खास करीने वापरवा माटे लोकोने शामाटे आग्रह करवामां आवे छे ? ( १ ) आ साबुओ विलायती साबु साथे बनावट, देखाव अने किंमतमां हरीफाई करी शके ले. (२) फीण घणुं वळे छे अने घणा थोडा घसाय छे. ( ३ ) कपडां अने शरीरनो मेल जडपथी कापे छे. (४) एनी सुगंध मनोहर अने मधुर छे. ( ५ ) आ साबुओ केवळ पवित्र वस्तुओनी बनावटना छे. वळी आ एक देशी कारीगरी होवाथी तेने उत्तेजन आपवुं, ए देशी बांधवोनी खास फरज छे. मुंबई खाते भरायेली जैन कॉन्फरन्सना प्रमुख तरफथी, घणा वैद्य डाक्टरो तरफथी, देशना केट ब्लाक धर्माचार्यो अने आगेवान पुरुषो तरफथी आ साबुओ माटे उत्तम सर्टीफिकेटो मळ्यां छे. जथाबंध तथा छुटक मंगावनारे नीचेना सरनामे लखीने प्राईसलीस्ट मंगावी जोवानी तस्दी लेवी. धी होली सोप मेन्युफेक्चरींग कंपनी, तारदेव, ज्युत्रिलीबाग-मुंबई. खास स्त्रीओ माटे सुंदरी विलास हेर ऑईल. सुवासिक अने वाळने वधारनारुं आ तेल छे. आ तेलथी वाळ हमेशां काळा रेशम सरखा रहे छे. आ तेल बाळंने सफेद थता तथा खरता अटकावे छे. कीमत एक बाटलीना छ आना. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat बी. एल. गुप्त एन्ड सन्स, त्रांबाकांटा, पायधुनी मुंबई. www.umaragyanbhandar.com Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चिकागो प्रश्नोत्तर | कौन ऐसा होगा जो श्रीमन्महामुनिराज सूरीश्वर श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद ( श्री आत्माराम ) जी को न जानता हो ! उन्ही महात्माका रचा हुआ पूर्वोक्त नाम करके प्रश्नोत्तररूप भंडार हमने छपवाया है । इस ग्रंथकी विशेष प्रशंसा लिखनी व्यर्थ हैं, क्योंकि ग्रंथकर्ताकी विद्वत्ता और न्यायनिपुणताका डंका सर्वत्र बज रहा है, केवल इतनाही लिखा जाता है कि सन १८९३ में जब मीस्टर वीरचंद राववजी गांधी चिकागो (अमेरीका) की धर्म्मसमाजमें इन महात्मा के प्रतिनिधी होकर गये थे, तब समय भी गांधीके कहनेसे तथा चिकागो धर्म्मसमाजकी प्रेरणासे इन महात्माने तत्व पुंजरूप यह ग्रंथ निर्माण किया.. चिकागोनिमित्त और चिकागो के प्रश्नोंके उत्तर इसमें होनेसे ग्रंथकर्त्ताने इसका नाम 'चिकागो प्रश्नोत्तर' रग्ब्वा | इसमें ईश्वर कर्त्ताका खंडन, अन्य मताविलंबियोंने कैसा २ ईश्वर माना है, जैनी कैसा ईश्वर मानते हैं, कर्म्म क्या है, जीव कर्मका क्या संबंध है, आत्मामें ईश्वर होनेकी शक्ति है वा नहीं, जीव मोक्षपद पुनः संसारमें नहीं आता, पुनर्जन्मकी सिद्धि, ईश्वरकी भक्तिका फायदा, मृर्तिपूजन, मनुष्य और ईश्वरका क्या संबंध है, साधु और गृहस्थीका धर्म, धार्मिक और संसारिक जीवनके नीतिपूर्वक लक्षण, इत्यादि अनेक अतीव उपयोगी विषयोंका समावेश इसमें किया है. ग्रंथकर्ताकी फोटो भी इसमें हैं.. इतनी अपूर्वता होनेपर भी किंमत ३. १ है. हमारे यहांसे " श्रीआत्मानंद जैन पत्रिका " प्रतिभास हिंदुस्तानी भाषामें प्रकट होती है. वार्षिक मूल्य ३. १। है. जसवंतराय जैनी, लाहोर. दरेक जैन श्वेतांबर तथा दिगम्बरबेउने अवश्य रखवालायक. श्रीभक्तामर स्तोत्र तथा श्रीकल्याण मंदिर स्तोत्र. · श्रीमन्मानतुंगाचार्य विरचित भक्तामर स्तोत्र मूळ संस्कृत तथा ते नांचे गुजराती भाषामां कवि-तामां छे, अने तेनी नीचे हिंदुस्तानी गद्य भाषान्तर छे, तथा ते नांचे गुजराती सरळ नोट आपेली छे. बाळबोध मोटा टाईपथी जाडा कागळ उपर छपावीने पूंडु पाकुं छींटनुं सळंग नाखेलुं छे. हाल तेर्नी त्रीजी आवृत्ति बहार पडेली छे, ते तेना उपयोगीपणानो खास पुरावो छे. घणीज थोडी प्रत शीलक छे, ताकीदी मंगावो. किंमत चार आना, पोष्टेज जुदुं. उपरना जेवुंज कल्याणमंदिर स्तोत्रनुं पुस्तक पण तैयार छे. तेनी विजी आवृत्ति बहार पडेली छे. ते पण गुजराती कवितामां तथा गुजराती गद्य भाषान्तर अने नोट साथे बालबोध टाईपथी छपावेलुं छे.. किंमत चार आना, पोष्टेज जुदुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat उपरनां बेउ पुस्तको गुजरात उपरांत आखा हिंदुस्तानमां उपयोगमां आवे एवांछे, केम के ते बाळबोध ( देवनागरी ) लिपिमां छपावेलां है. प्रसिद्ध कर्त्ता हरजीवन रायचंद शाह. मु० आमोद, जि०भरुच, www.umaragyanbhandar.com Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन भाईओने खुश खबर. पूजा करवा सारुं नानी मोटी बरास - केसरनी वाडकीओ, केसर वगेरे राखवानी सादी तेमज नकशींनी दाबडीओ, श्री सिध्धचक्रजीना गड्डा, चमरनी डांडीओ, ठवणी अने नवकारवाळी सरवे हमारे त्यां बने छे, अने दरेक जातना चांदी, सोना अने झवेरातना मनपसंद घरेणां रु. ५ पांचथी रु. ५,०००) पांच हजारनी किंमत सुधीना तैयार रहे छे, तेमज टुंक वखतमां बनाववामां आवे छे. रामजी भगवान एन्ड ब्रधर्स, झवेरी ओ. मुळजी जेठा कापड मारकीट सामे नंबर २०९ शेख मेमणस्त्रीट, टेलीफोन नं. ५७४. चांदीनो सघळो सामान - सादो तेमज नकशीनो तथा बटन, छेडा, लाकीट, हाथ पगना दागीना, वर शणगारनी तेमज नवी नवाईनी हजारो चीजो तैयार राखीए छीए. भाव बहुज मध्यम छे. सघळु झवेरात-हीरा, मोती, माणेक, छुटक तेमज जथाबंध मळशे. चोखा सोनाना तेमज गीनीना सघळी जातना दागीना जेवाके, हाथनी बंगडी, कडां, ब्रेसलेट, सांकळां, काननी बुटी, एरींग, लविंगांयां, कंदोरा, पटा, गळानी कंठी, सांकळी, नॅकलेस, ब्रुच, बटन, चडीयाळना छेडा, लाकीट, चार्म, जातजातनी वींटीओ. अंग्रेजी कारीगरीना शोखीनो माटे बहुज उमदा अने झणझगती पालीसवाळां झवेरातनां बटन, नेकलेस, ब्रुच, धीन, लाकीट, चार्म, वीटी, चंगडी, छेडा, सांकळीओ, छबी मुकवाना ब्रुच इत्यादि. हजारो खात्री करी गया छे, नमो पण एक वखत अजमावी खात्री करो. चांदीना फ्लावरपॉट, चाहेना कप, रकाबी, टीसेट, मानपत्र मुकवाना दावडा, कुंडांओ, सीगारकैस, कार्ड केस, रमकडां, बकल, ग्लास, छर्बानी फ्रेम, लाकडीनी खोळीओ, पाननी पेटी, खडीआ, कलम, गुलाबदानी, सुरमादानी, प्राईझ कप पेटी वगेरे. बहार गामनो माल वी. पी. थी खाने करवामां आवे छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनग्रन्थरत्नाकर. इस नामका हमारे यहांसे मासिकपुस्तक प्रकाशित होता है. प्रत्येक अंकमें८०अथवा १२८ पृष्ठ रहते है. जिसमें प्रथमानुयोग, कारणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोगके सिवाय नाटक, चंपू, काव्य, अलं-. कारादि प्राचीन जैनग्रन्थ मूल सटीक तथा हिन्दीभाषान्तरसहित क्रमसे छपानेकी योजना की है. वर्तमानमें इसके ६ अंकोमें ब्रह्मविलास, दौलतविलास, आतपरीक्षा, आप्तमीमांसा, स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा संस्कृत छाया और हिंदीभापासहित तथा रत्नकरंडश्रावकाचार सान्वयार्थ छपा है. सातवेंमें आतनिर्णय, अकलंकस्तोत्र, ८ वें और नवमेंमें बनारसीविलास छप रहा है; तत्पश्चात् ज्ञानार्णव ( योगार्णव) आदि सर्व प्रकारके प्राचीन जैनग्रन्थरूपी रत्नप्रकाशित होते रहेंगे. मूल्य १२ अंकोंका ४) रु. डांक खर्च ।।।] है. जैनपाठशाला, जैनलायब्रेरी. जैनसभा व जैनीमात्रको ५१ रु. वर्षके खर्च करके यह अभूतपूर्व पुस्तक अवश्य ही मगाना चाहिये. नमूना देखना होतो दो अंकोंका २०४ पृष्ठका पुठ्ठाबंध स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा मगाकर देखलें. हिंदीभाषा वा भाषासहित जैनग्रन्थ. संस्कृत और संस्कृत टीकासहित जैनग्रन्थ. ब्रह्मविलास ६७ ग्रंथोंका संग्रह ।। न्यायदीपिका संस्कृतगद्य पुठासहित दौलतविलास छहढाला, पद भजनादि ॥ | सर्वार्थसिद्धितत्त्वार्थसूत्रका टीका पूज्य पादस्वामीकृत ... स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा सं. छाया भा. टी. ... ... ...२॥ | प्रमेयरत्नमाला परीक्षामुखकी लघुटीका रत्नकरंडश्रावकाचार अन्वय अर्थ सह | यशस्तिलकचम्पू श्रुतसागरी टीकासद्रव्यसंग्रह अन्वय ह्दिी मराठी सहित हित प्रथम भाग ... ... उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला हिंदीमराठी टी. | यशस्तिलकचम्पू द्वितीय भाग भाषाजिनसहस्रनाम बनारसीदासकृत। | द्विसंधानमहाकाव्य सटीक धनंजयकृत सूक्तमुक्तावली (सिंदूरप्रकर ) सं भा. दोनों ) धर्मशाभ्युदय महाकाव्य हरिश्चन्द्रकृत वनारसीविलास, छपता है चन्द्रप्रभचरित महाकाव्य वीरनंदिकृत जैनवालबोधक प्रथम भाग | सुभाषितरत्नसंदोह अमितगत्याचार्यवि. बालबोध सं• व्याकरण हिंदीमें प्र० भा० । वाग्भट्टालंकार सटीक वाग्भट्टकृत काव्यानुशासन , दम्पतिसुखसाधन प्रथम भाग " मोक्षमार्गप्रकाश भाषा टोडरमलजीकृत नेमनिर्वाणकाव्य मूल , काव्यानुशासनसटीक हेमचन्द्राचार्यकृत आत्मानुशासन भाषासहित , तिलकमंजरी गद्यमय धनपालकविकृत पाचपुराणभाषाकविता भूदरदासकृत गद्यचिन्तामणि वादीभसिंहसूरिविरचित जिनदनचरित्र चौपईबंध क्षत्रचूडामणिकाव्य चचीशतक भापाटीकासहित १७ काव्यमालासतमगुच्छक २३ स्तो० सं० पद्मपुराणजी ( जैनरामायण ) बहुत बडा | नीतिवाक्यामृत सोमदेवकृत श्रीपालचरित्र चौपईबंध | जैननित्यपाठसंग्रह-भक्तामर, सूत्रादि विवाहपद्धति भाषार्टीकासहित । १६ पाठका रेशमी गुटका | वर्षप्रबोध (जैनाचार्यकृत ज्योतिष ) भा. टी. 1) सप्तभंगितरंगिणी मूल ॥ भाषाटी० स०१) धर्मपरिक्षा भाषाटीकासहित | स्याद्वादमंजरीसटीक हेमचन्द्राचार्यकृत जैनधर्मामृतसार दूसरा भाग. । ताजिकसारज्योतिषसटीक, हरिभद्रसूरिकृत । पन्नालाल जैन. मालिक-जैनग्रन्थरत्नाकरकार्यालय. पो. गिरगांव, बम्बई. 12222PER2220222 ccleECEEEEEEE ce E Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com