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आज छे-३
आज छे-४
आज छे–५
(१४०) शीखत्रो उद्योग जैनवाळने सुधारो, रंक स्थितिमांज तेनो, जाय छे जन्मारो. फकीरचंद फिकर राखो, बंधुता विचारो, कीरति शशीप्रभा समान, तेहने वधारो. जीनबंधुने दीयो तम, ज्ञान दान वारो, ईष्ट थाय द्रव्य मुक्ति, मळे श्रेयकारो. गुलाबपुष्प समान, सुगंधी प्रसारो, ढढा गुलाबचंदजी, ऐक्यखड्ग धारो. बखतावर सखी गृहस्थ, जीन सुखी विचारो, वखतावरमलजी मित्र, करो उदय पसारो. ऐक्यना प्रयासी पुर, अमर यशनो भारो, अमरचंद पी. परमार, परमार्थ गणो प्यारो. ऐक्य, दया, उत्तेजनना, ज्यहां नथी उपचारो, त्यहां सदा निवास करे, दरिद्रतानो भारो. महावीर श्री पार्श्वनाथ, तम उमंग वधारो, चिरायुष्यमान करी, जीनसमाज तारो.
आज छे-६
आज छे-७
आज छे-८
आज छे-९
आज छे -१०
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