________________
( २५ ) मंगळाचरण।
राग-( अब तोरे प्रभुजी ) सिंहानो कनरो-ताल दीपचंदी.
नमन करो जीन पार्श्व प्रभुने; अशरण शरण कृपाळु विभुने-नमन. निरमोही जगनाथ निरंजन; तारक तार संसार सिंधुने-अशरण-नमन. स्मर्ण करो शुभ कार्यारंभे; कहे टोकरशीह मंगळ सौने-अशरण-नमन.
कॉन्फरन्सनो हेतु, मि. ढढाने धन्यवाद, अने फतेह
माटे आशिर्वाद.
राग-(चंगरण रंग मंगळ हुवा अतिघणा) खडका, देशी ताल, जपक.
धन्य दिनं आज समाज जीन संघरों, उन्नतिकरण एकत्र मळीयु; धर्म व्यवहार आचार विचारमां, सार शोधी सुधाराए भळीयुं-धन्य. जीर्णोद्धार जीन चैत्य प्राचीनना, ज्ञानभंडारना लाभ लेवा-धन्य. सदविद्या नीति वधवा सुशिक्षण दया, अभयदानादि धर्मो भलेरा-धन्य. स्वामीवात्सल्यताये निराश्रित प्रते, भ्रातृभावे सदाचार पळवा;-धन्य. श्री सुखानंदनी वृद्धि सिद्धि करी, संप साफल्यता शीघ्र मळवा-धन्य. अंग उमंग जीन संघ ढहा खरे, जंग शुभ रंग अति तें जमाव्यु:-धन्य. कुशळ कळ केळवी प्रबळ दळ मेळवी बुद्धि बळ सुयश गुलाब वाव्युं-धन्य.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com