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________________ ( १५१ ) ..जैन स्त्रीओ, धणीने अने बच्चांओने गाळो देती सांभळी केळवणीनो दोष काढवानो नथी, पण बाळपणमां लीली माबापोनी शिक्षा अने संगतने दोष देवो घटे छे. } खोटा न्यातिबंधनना रिवाजने पण हानिकारक गणी दूर करवो जोईए. एकज न्यातमां पण कन्या लेवाय देवाय नहीं, अमुक गामनी कन्या लावीए पण दईए नहीं, अने अमुक सा बेसीने केम जमीए, वगेरे मिथ्याभिमानमां आपणे पडी कषाय करीए छीए. जैनोमां खरु जोतां तो एकज न्यात अने एकज धर्म छे, छतां रीतरिवाजो अने बीजां केटलांक कारणथी न्यातिनी भिन्नता थएली छे, तो ते जेम बने तेम ओछी थाय एवो उद्योग थवा जोईए. ओसवाळ, पोरवाड, श्रीमाली, अग्रवाल, पलीवाळ, भटेरा, नीमा, छाजेड, पांचा, खंडेळवाळ, लाडवा श्रीमाळी, साळवी, कणबी, भावसार वगेरे घणी न्यातो जोवामां आवे छे. ए न्यातोना बंधारणनुं स्वरुप वर्णवतां आपनो घणो समय जाय, तेथी एटलुंज कहेवानुं के एक गामनो ओसवाळ बीजा गामना ओसवाळनी कन्या लई अथवा दई शके नहीं, एवा खोटा रिवाजो दूर करवा पाटण वगेरे स्थळे वीसा ओसवाळ, पोरवाड अने वीसा श्रीमाळी एक एकमां लग्न करी शके छे, तेवो रीवाज बधे दाखल श्रवो जोईए. कोईकने कन्या मळती नथी, त्यारे कोईक न्यातमां कन्याओ उभराई जई ठेकाणां मळतां नथी. न्यातो आ सुधारो बहुज धीमे पगले करी शकरो, कारणके घणां वरसथी चालता आवेला रिवाजने बंध करवो ए मुशकेली मालुम पडे छे. जमणवारमां रस्तामां बेसी अशुद्ध भूमिपर जमनुं, पत्रावळी अने दडीआमां जमवु, जमतां एंठु मुकी सामानुं नुकसान करवुं, जमतां जमतां एंठे हाथे टोपलामांथी जमण लेवु, वधारे पीरसाई गयुं होय तो लईने मूळ जमणमां पालुं नांखवुं, भेगा बेसी जमवुं, पंगत वगर जमवुं, जमणवारमां अभक्ष वस्तुओं रांधवी, विदळनो विचार कर्या वगर भोजन आप, पाणी डुचकेथी पीवुं, वगेरे घणा कुरिवाजो जोवामां आवे छे, जे बनती त्वराए दूर करवा तरफ मंडं जोई. जैन शास्त्राधारे बंधायला वारसा अने दायभागना कायदाओ जे अर्हन् नीतिमां जोवाम 'आवे छे, ते रिवाजो दाखल करवा तरफ लक्ष दोडावनुं जोईए. एक स्त्री जीवती छतां बीजी स्त्री परणी पोतानो संसार बगाडवाना दाखला पण आपणा जोवामां आवे छे, माटे ए रिवाज पण दूर करवा लायक छे. i “शीयाळ खेंचे सीम भणी अने कुतरुं खेंचे गाम भणी" तेम बहुज जुना विचारना माणसो कहे छे, के घणा वखतथी चाल्यो आवेलो रिवाज शी रीते बंध करवो ? शुं रिवाज * दाखल करनारा घरडाओ पूर्ण मूर्ख हता ? नवा विचारवाला बधाज सुधाराओ एकदम दाखल करी देवा चहाय छे, ते केम बने ? घरडाओने बुद्धि वगरना कही केटलाक वगोववा तैयार थाय छे, पण याद राखवुं जोईए के घरडा वगर गाडी चालवानां नथी. कोई पण सुधारो आ.णे आपणा वृद्ध अने वडीलोने साथ रहीन करवा मांगीशुं तोज पार जशे तेओनी सलाह अने तेआना संपथीज आपणे जैन भाईओनी उन्नति करी शकी शुं. भ्रातृभाव. जैनोमां एकज विचार छे ते छतां, एक गामना संघमां चार फांटा, एक न्यातमांज जुदां ‘जुदां तड, सगो सगाने तोडवा मागे, भाई भाईथी मोंढे बोले नहीं, एका विवादो दूर करवा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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