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________________ ( १९५) बहुज जरूर हती. आप साहेबोए हिंदुस्तानना जुदा जुदा भागोमाथी पधारीने जे संप बताव्यो छे, ते खरेखर स्तुतिपात्र छे. संप होवाथी आपणा लोको बधुं करी शके छे, संप नहीं होवाथी कांईपण थई शकतुं नथी. ___ ब्रिटिश सरकारना राज्य नीचे आपणे बधा जे कारवाई स्वतंत्रतापूर्वक करीए छोए, तेने माटे जे जे धन्यवाद आपवामां आव्यो छे, ते ठीक तथा व्याजबी छे. ___आखरमां हुं आपने एक बखत एवी बीजी सूचना करुं छु के, आपणी कॉन्फरन्सनुं कर्त्तव्य बहारगाम तथा बीजां शहरोमां जैनीओने सारीरीते मालुम थाय, तेवो प्रबंध करवो उचित छे. __ आ कॉन्फरन्से विचारेला ठराव पार पडे ते माटे काईक लागवगनी जरूर छे, अने तेवो आधार आपनी मरजी अने योग्य विचार उपर हुं छोडूं छु, तमो मुंबईनी आवकार देनारी कमीटी तथा अन्य महाशयोए, जे प्रयास करीने आ कॉन्फरन्सन काम सारीरीते पार कीधुं छे, ते माटे तमने धन्यवाद आपुं छु, तथा वडोदरानिवासी सज्जनोने पण धन्यवाद आपुं छु, के जेओए आवती साल. माटे कॉन्फरन्स भरवानुं नोतरुं दी, छे. ___आप सर्व साहेबोने आपनी कृपा माटे धन्यवाद दईने आ कॉन्फरन्सर्नु काम समाप्त करुं छु, अने आ कॉन्फरन्सनी दिन प्रतिदिन वृद्धि थाय एवी ईच्छा राखं छु." अत्रे कॉन्फरन्स, चालु कार्य समाप्त थएवं जाहेर करवामां आव्युं हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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