SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४२ ) मी. गुलाबचंद दानुं भाषण. “ पुस्तकोद्धार करवाना संबंधमां आगळ ठराव मूकवामां आव्यो हतो, ते विषय उपस् अनेक विद्वान् वक्ताओ बोली चूक्या छे तेथी हुं विशेष बोलवा मागतो नथी. व्यवहारिक तथा धार्मिक बाबत ए मारी दरखास्तनो विषय छे. तेनो अर्थ शुं थाय छे ते तो आप सारी ते जाणोछोज. "" आगळ चालतां मी. ढड्ढाए जणान्युं के, "आपे समजवानुं छे के जीव शुं .छे, अर्थात् जे आत्मा आपणामां बोली रह्या छे अने प्रगट छे ते शुं छे. आपने जैन धर्मानुसार विदित हशे के आ आत्मा तथा आ जीव पहेलां क्यां हतो अने हवे क्यां जशे. तेनो विचार करवो आपणने श्रेय छे. सर्वे जीवनी उत्पत्तिस्थान " नीगोद " छे. नीगोदमांथी ते व्यवहार राशिमां जाय छै, अने पछी कर्मानुसार फळभोग करे छे. ते मुजब ते कदी देवता थाय छे, तिर्येच योनीमां जाय छे अथवा मनुष्यनो देह धारण करे छे. जीव एक छे परंतु तेनी क्रिया अनेक छे, ते चोराशी लक्ष योनीमां आंटी खाय छे. एक अंग्रेज कविए कह्युं छे के आ दुनियारुपी नाटकालयमां सर्व जीवरुप पात्रो पोतानो भाग भजवे छे. आ जीव ज्यारे निषंग रही थाय छे त्यारे स्वप्न उडी जाय छे, अने राजा प्रजा जेवो भेद रहेतो नथी. आ जीवनो धर्म है. अभव्य जीव विषे नहीं, परंतु भव्य जीव विषे हुं बोलुं छं. ते कर्मानुसार मोक्षने प्राप्त पण थाय छे. मोक्ष ए कांई ठट्ठा नथी. ते कांई मारा खीस्सामां पण नथी. हुं एक द्रष्टांत आपीश. पतासां खांडनी चासणी पाडवाथी वधु शुद्ध स्थितिमां आवी बने छे, तेज मुजब आ जीवने मेल लाग्यो छे; ते मेल उतारवो जोईए. घोडा अने मनुष्य बन्नेमां जीव छे, ते बन्ने सरखा छे, परंतु एकज भेद छे. ते ए के मनुष्य विद्या प्राप्त करवानी अपूर्व शक्ति राखे छे अने ते ते द्वारा मोक्षपद प्राप्त करे छे. जो तेटलो पण भेद नहीं होय तो मनुष्यमां अने पशुमां कशो फरक रहेतो नथी. मनुष्यना बे धर्म छे. एक धर्म ते उदरपोषणनो अने बीजो परलीकना संपादन माटे प्राप्ति ए छे. केळवणीनी आवश्यकता. जो आपणे प्रथम कर्म उपर ध्यान नहि आपीए तो तेथी भुखे मरीए. जो फक्त पहलाज उपर ध्यान आपीए तो आपणामां अने वनचरमां कांई भेद नथी. ते कारणथी उदरपोषण उपरांत मोक्षदाता ज्ञान पण आपणे प्राप्त करवुं जोईए. ( ताळओ ) जे वखते ८०० वर्ष उपर पाटण खाते हेमचंद्राचार्यजी आव्या, ते वखते एक हजार आठसो करोडपतिओ तेमने आबकार देवा गया हता. ( ताळीओ) परंतु अफसोस छेके तेवो एक पण करोडपति अत्रे हाल नथी. हाल आपणामां कांई शक्ति नथी. हेमाचार्यना समयमां जे करोडपतिओ हता तेओ पोताना द्रव्यनों उपयोग पण सारो करता हता. तारंगाजीनुं मोक्षतीर्थ, वगेरे अनेक तीर्थ तेज वखतमां थयां हतां. तेओ ते समये धार्मिक पण धनाढ्य जेटलाज हता. परंतु अफसोस छे के आज आपणामांथी धन पण गयुं अने धर्म पण गयो. बेशक धर्म तो एकनो एकज छे, परंतु आपणी लागणीमां परिवर्तन थई गयुं छे, ते अधोगतिमांथी उगवा माटेज प्रस्तुत दरखास्त में मूकी छे. में दरखास्त तो मूकी छे परंतु ते कांई रोटली नथी के ते तोडीने खाई जवाय. ते अमलमां मूकत्री घणी मुस्केल . आपणो धर्म छे के जे शहेरमां वने त्यां जैन शैली अनुसार आपणा पुत्रपुत्रीओने भणाववा माटे शाळा खोलवी. आपणे विवाहमां लाखो रुपियानुं सत्यानाश वाळीए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy