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________________ ( १४६ ) तेनी माता तेने एज शिक्षण प्रथमथी आप्युं हतुं. (आ कडी गाती वखते मी. परमारे भाव देखाडवाथी आखी सभा हर्ष घेली थई गई हती, अने ताळीओपर ताळीओ मारी शोर मची रह्यो . ) धन्य छे साधु मुनिराजोने, के तेओ पोताना विहारस्थानमां रडवा कुटवानो रिवाज बंध कराववा, अथवा अमुक दिवस सुधीज चालु रहे एवा सुधाराओ, पचखाण आपी बंध करवा लाग्या छे. वळी बीजा साधुओए पण आ वात जरुर लक्षमां लेवानी छे. केटलाक समजु जैन -गृहस्थी पोताने त्यां मरण नीपजतां, मळवा आवनाराना हाथमां माळाओ आपी देवानी जाहेर 'हिंमत बताववा लाग्या छे. सुधारो पोताना घरथीज शरु थत्रो जोईए. ज्यांसुधी न्यातवाळाओ अने आगेवानो -मनपर लेशे नहीं, त्यांसुधी कॉन्फरन्सना ठराव मात्र दफतरमांज रहेशे . अरे जैन बन्धुओ ! अज्ञानरुपी अंधकार दूर करो, तमारा धर्मना फरमानने मान आपो, अने आ लोक अने परलोकना बगाडाना बीजरूपी आ दुष्ट रिवाजने दूर करो . अत्रेथी सांभळीने जनारा डेलीगेटो पोताना गाममां जई ए सुधारो दाखल करो. एक मुश्केली ए नडशे के पुरुषोने स्त्रीयो आगळ लाचार बनवुं पडे छे, अने स्त्रीओना मगजमां ज्यांसुधी आ बाबत न उतरे, त्यांसुधी स्त्रीना संबंधनो आ सुधारो धवो जरा मुश्केल लागे छ; पण ज्यारे पुरुषो कॉन्फरन्स भरी आत्मकल्याण करवा तत्पर थाय छे, तो शुं स्त्रीओ एवी शूरवीर नथी के पोतानुं कल्याण न करे ? ( ताळीओ ) स्त्रीओमां शूरवीरता न होय तो तेओ साध्वी केम धाय ? तेओ धर्मध्यान केम करे छे? पुरुष करतां स्त्रीओ उपवास, वृत्त, नियम, दर्शन, प्रतिक्रमण वधारे करती जोवामां आवे छे; तो आपणी बेनोए आ सुधारो मरदोने पुछया वगरज दाखल करी, पोतानुं पोत बतावी आपवुं जोईए. कुटवानुं वर्षने बदले मास करो, मासने बदले १० दिवस, अने तेपरथी पण घटाडी एक दिवसनुं करी सदंतर काढी नांखो. एमज ए सुधारो धीमे पगे दाखल करवो जोईए, उतावळा बहु धवा करतां थोडे थोडे करी समजुतीथी दूर करवो. मरण पाछळ जमणवार. रडवाकुटवा करतां पण मृत्यु पामेलानी पाछळ मिष्टान्न उडाववां वळी वधु हानिकारक छे. कोई कुटुंबनो दस वीस वर्षनी उमरनो एकनो एक पुत्र तरत परणेली विधवाने मुकीने · मरी जाय, अने तेनी पाछळ बारमे दिवसे जमणवार कराववो, अने न्यातना आगेवान अने वृद्ध पुरुषोए कंठी ने कडां पहेरी हाथमां लोटा लई जमवा जनुं, ए बहुज हलकुं कार्य गणाय. अत्रे मारुं कहेवुं एम नथी के दरेक स्थळे आवो रिवाज होय छे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के मरणनी पाछळ त्रण टंक तो मिष्टान्न जमाडवुंज जोईए, पछी ते गमे तेटला दिवसमां करवामां आवे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के मुडदाने बाळवा जनारा खांधीआओने तो पहेलुं जमण आपकुंज पडे छे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के, मरी गयेलानी पाछळ जमण उपरांत बशेर बरफीनी टोपली घरदीठ वहेंचवी पडेछे. कोईक स्थळे एवो रिवाज छे के केरीनी मोसममां मृत्युनी पाछळ पांच पांच केरी घरदीठ आपत्री पडे छे. वळी कोई स्थळे अजब जेवो रिवाज छे के मुडदा साथे जेने स्मशान पर लई जवामां आवे छे, त्यां मुडदु अडधुं वळी रह्या पछी लाडु, दाळभात, शाक वगेरेनी रसोई करी स्मशानमांज तेमने जमाडवा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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