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कारभारीए " जैन ” नामनुं सप्ताहिक वर्तमानपत्र खास जैनोना हितार्थे काढवा मांडयुं छे. अने ते पेपर पोतानुं नाम केटली सारी रीते दिपावळे तेथी अहीं भेगा थएला आपण मोट भागे जाणीए छीए. आशा छे के आ तेमज आवां बीजां स्वतंत्र लेखवाळां पेपरो हजु जैन कोमने दिपात्रत्राने प्रगट थाय अने दीर्घायु भोगवे. जेम साहित्यना साधनमां प्रजामतनी उपर मुजब स्थिति छे तेम हालना जमानामां
शास्त्रीय विद्या अने कळा ज्ञान पण ओछी अगत्यता धरावतुं नथी. बुद्धिबळमां आगला जमानाओ उपर हालनो जमानो सरसाई भोगवतो होय तो ते आ शास्त्रीय ज्ञानने लीधे छे. शास्त्रीय विद्याओ ज्ञानने माटे खुली आंखे शोध करे छे. जे नियमोने तर्कशक्ति टेका न आपे अथवा तेनुं स्पष्टीकरण न करी शके तेने आ विद्या कबुल करती नथी. अमुक कल्पना आत्री होत्री जोईए अथवा छे एम मानवाथी खराब असर थती होय तो ते तेना तरफ शकनी नजरे जुवे छे. ते दरेक दंतकथाने पोता सामे धरीने तेनी खरी खोटी स्थिति तपास छे. ते ज्ञानने अवलोकन करी घणी खंतथी कुदरतने, माणसना मनने, इतिहासिक अने बीजां जे साधनो तपासने माटे जरूरनां होय तेने तपासे छे अने पोताना अवलोकनमां घणी सावचेती वापरे छे अने वहेम रूपी शक्तिओनी पण तपास करीने प्रजाना मन ऊपर ते शुं असर करे छे तेनी नोंध ले छे; गेरव्याजबी भूलो थती अटकावे छे अने पूरो पूरावा तपास्या बाद पोताना निर्णय ऊपर आवे छे. कयी चीज खरी छे, कर्याी संभवित छे, कयी शकदार छे अथवा नहीं जाणी शकाय तेवी छे ते सघळी नोंधीने तमांथी सार ग्रहण करे छे. आ रीते फीलसुफी अथवा मानसिक शास्त्र पण विद्याना विषयमां आवी जाय छे. तेनाथी कोई पण विषयनुं अनुमान अथवा स्पष्टीकरण करवानुं बनी शके छे. शास्त्रीय ज्ञानक् द्रव्य संपादन करवानी अने तेथी उपजतां बधां इंद्रियसुख भोगववानी शक्ति वधे छे माटेज ते मेळववा लायक छे एम अमारुं कहेतुं नथी; परंतु ते ज्ञानने लीधे मानसिक शक्ति खीली नीकळी खरे रस्ते माणस जातने दोरी जाय छे अने जनमंडळना कल्याणना रस्ता खुल्ला करी आपे छे ए जणाववानो अमारो हेतु छे. दाखला तरीके तेवा विचारो केळववाथी माणस मात्रमा
अनुकंपाशक्ति द्रढ थाय छे. शास्त्रीय ज्ञानमां आगळ वधेला चालु जमानामा जोईए छीए तो निराश्रित अने दुःखीओना आश्रयने माटे खानगी तेमज सरकारी साहसो ठेकाणे ठेकाणे उत्पन्न थतां जोईए छीए, जेवांके दीवानाओ माटे तेमज आंधळां, बहेरां, मुगां माणसो माटे आश्रमो, दवाशाळाओ विगेरे. जो नीति अने भूतदया एबे वृत्तिओ हालना जमानामां विद्याना प्रसारने लीधे ठेकाणे ठेकाणे वृद्धि पामती जोईए छीए, तो विद्याथी प्रजानुं कल्याण थाय छे ए तो निःशंसय रीते कही शकाशे. उन्नतिनी बीजी निशानी मुंगां प्राणीओ ऊपर लेवानी संभाळमां पण नजरे आवे छे; कारणके जीवदया ए जैनधर्मनुं सिद्धांत छे. मांदा अने निर्बळ तेमज अपंग अने घरडां प्राणीओनी सावारने माटे पांजरापोळनी व्यवस्था थवा उपरांत आ जमानामां प्राणीओ उपर घातकीपणुं अटकाववा माटे सख्त धारा बांधेला छे एम जोवामां आवे छे. मांदां तेमज हद बहार बोजाथी लादेलां जानवरोंने रस्ता उपर अटकाव तेना मालीकोने शासन आपवामां आवे छे, ते पण विद्याबलथी थती अनुकंपावृत्तिनी एक जबरी निशानी छे. विद्या अने केळवणीनी सौथी उत्तम असर
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