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राजकीय हक शुं छे अने ते केम सचवाय ? ७धर्म संबंधी फंडोनी व्यवस्था बराबर रहे, ते माटे बंधारण रचवा; ८ धार्मिक तथा व्यावहारिक केळवणीनो जैनोमां बहोळो फेलावो थवा माटे साधनो पुरां पाडवा; ९ जीर्ण मंदिरोद्धार करवा; १० जीर्ण पुस्तकोद्धार करवा; ११ साधु मुनीराजोए कया कया देशमा अवश्य विचरवू जोईए, अने तेमनी शुं फरजो छे? १२ जैन डीरेक्टरीनी आवश्यकता; १३ जैन पंचायत फंडनी स्थापना करवा; १४ जैन पाठशाळाओ, सभाओ तथा मंडळो कयां कयां स्थळे छे, तथा ते केवी रीते चाले छे ? १५ एक सारा पाया उपर हिंदी तथा गुजरातीमां जैन न्युसपेपर काढवा; १६ मोटा मोटां जैन तीर्थोनो कबजो हाथ लई, तेनो वहीवट करवा एक मोभादार सद्गृहस्थोनी मेनेजींग काटी नीमवा; विगेरे.
उपर लख्या मुजब छ सवालना सर्युलरना जवाबो आवता हता, तेनी पहोंच छापेला आमंत्रण पत्रिका.
कार्डथी अथवा लिखीत पत्रथी स्विकारवामां आवती हती; अने उपला
" सर्म्युलरथी सारी संख्यामां दरेक शहेर अने गामना आगेवानोनां नामो, तेमज मंडळना सेक्रेटरीओनां नामोना लीस्टो तैयार थई चुक्यां हता; तेथी हवे कमीटीए तेमना उपर आमंत्रण पत्रिका लखवा सारुं ते पत्रिका तैयार करवानुं काम हाथ धयु हतुं. आ पत्रिका मोरबीवाळा मी. मनसुख कीरत्चंद महेताए तैयार करी हती, अने तेमां योग्य सुधारो वधारो करी नीचे प्रमाणेनी आमंत्रण पत्रिकाओ दरेक स्थळे हिंदी अने गुजराती भाषामा छपावी रखाना करवामां आवी हती:
॥ नमो तिथ्थस्स ॥ यः संसार निरास लालसमति मुक्त्यर्थमुत्तिष्ठते । यं तीर्थ कथयति पावनतया येनाऽस्ति नाऽन्यासमः ॥ यस्मै तीर्थपतिर्नमस्यति सतां यस्माच्छुभं जायते ।
स्फुर्तिर्यस्य परावसंति च गुणा यस्मिन्स संघोऽर्च्यतां ॥१॥ ॥ स्वस्ति श्री गोडिपार्श्वजीनं प्रणम्य ॥ श्री
महाशुभस्थाने पूज्याराध्य, दृढधर्मवान् , सुश्रावक, पुण्य प्रभावक, देवगुरु भक्तिकारक, परमप्रीतिपात्रादि अनेक शुभगुणालंकृत धर्मस्नेही धर्मबंधु भाई श्री
तथा श्रीसंघ समस्त योग. श्री मुंबई बंदरथी ला० संघ समस्तना जय जीनेंद्र अवधारशो. अत्र श्री देव-गुरुप्रसादे क्षेम-कुशळता वर्ते छे. आप श्री संघनी कुशळता चाहिये छोए...
विशेष विनंति के चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवाननुं शासन सदा जयवंत छे. ए पवित्र शासन सदा जयवंत वर्ते, एम श्रीमन्महावीरस्वामीना उपासको ईच्छे छे. तेथी
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