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________________ (१०) सगवड छतां, तेवाना भोगे प्राणीओनो वध थाय छे. परंतु आपणा देशमा जे लोकोना हाथमां आ जीवोनो मोटो जथो छे, ते लोकोने पोताना यथार्थ मार्ग समजाव्या होय, तो हिंसकना हाथमां आवा जीवो प्रमाणमा ओछा जाय, अने तेने लीधे ते चीज मोंघी मळवाथी केटलाक गरीब लोको तेनो उपयोग करी शके नहीं, अने ते कारणथी अनाज उपर सेहेजे पोतानुं गुजरान करता थाय. एक माणस पोतानी जींदगीमां अभक्ष्य न खाय, तो तेने अर्थे तेनी जींदगी सुधीमां केटला जीवनो वध थतो अटके ? तो घणा गरीब माणसोने आ वस्तु मोंघी मळवाथी एकंदरे केटला जीवनुं रक्षण थाय; तेनो आप साहेबो ख्याल करशो. बंधारणनी खामी. आजे पण केटलाक अनार्य मुलकना वतनीओने गमे ते चीज मळे ते मुके नहीं, एवा मुलकोमां पण ते चीजो गरीबने नहीं मळवाथी पोतानुं गुजरान पटेटा विगेरे उपर चलावे छे; तो आपणा देशमा उपर बताव्यां तेवां साधनो आपणा हाथमा छतां आपणा बंधारणनी खामीने लीधे आपणे तेनो खरेखरो लाभ मेळवी शकता नथी. विलायतना लोकोमां अभक्ष्य खावानो प्रतिबंध नथी, पण त्यांना लोकोमा हालना जमानामां केटलाक एवा वीररत्नो नीकळ्या छे, के तेओने मांसाहार माणसाईना नियमथी उलटो लागवाथी तेनो त्याग करी, वेजीटेरियन एटले अन्नफळ खानार थया छे: अने एना संबंधमां केटलाक परोपकारी पुरुषोए पोताना लाखो रुपिया अर्पण कर्या छे. ए लोकोनी जीवरक्षण तरफ एटले सुधी लागणी छे के, जनावरमांथी पेदा थती कोईपण चीज, गाय- दुध, घी अने चामडाना जोडा सुद्धां पण नथी वापरता. मतलब जनावरनी कोईपण चीज माणसने वापरवा लायक नथी, एवी लागणी धरावे छे. आवा लोकोमा जे सोसाईटी विगैरे छे, तेनी साथे संबंध राखवो, तेथी वाकेफ थता रहेवू, अने तेना दाखलाओ आपणा देशमां लोकोने समजावी लोकोनुं वलण बदलावq. आवो प्रयास जो सतत् जारी होय, तो घणा जीवोनी वृत्तिओमां फेरफार थाय, अने तेने लीवे ते लोकोने भोगे हजारो प्राणीओ, रक्षण थाय. पारसीओनुं अन्नफळना खोराक तरफनुं वलण. मुंबईमा 'पारसी कोमना केटलाक परोपकारी ग्रहस्थोनुं वलण अन्नफळ तरफ वळेलं आपणे जोईए छीए. 'ऑलब्लेस बाग'मां थोडा रोज उपर पारसी वेजीटेरियनोनो एक मोटो मेळावडो थयो हतो, अने तेमां अन्नफळ तरफ पसंदगी अने मांसाहार तरफ सख्त विरुद्ध लागणी बतावी हती, ते जे साहेबोए छापां वांच्यां हशे तेमना जाणवामां होवू जोईए.जे लोको मांसाहारीछे, तेमांना केटलाक लोकोनी अंतरनी लागणी ते तरफ तिरस्कारवाळी होय छे, अने तेने लीधे ते मांसाहार छोडी दे छे; पण पाछळथी केटलीक जोगवाईनी खामीने लीधे, एटले के घरमां कोई रांधनार न मळे, तेवी चीजो रांधवानो महावरो नहीं, खोराक बराबर रंधाय नहीं, एवी मुइकेलीओथी अथवा कोई वखते अनियमितपणाथी तबीयत बगडे तेने लीधे, बिचारा अन्नफळ उपर दोष आपी पाछा लपटाई जाय छे. तो आवा लोकोनी साथे संबंध राखी जेजे मुस्केलीना रस्ताओ तेमने जणाता होय, तेने माटे आपणाथी जे रीतनी मदद कराती होय, ते रीते मदद करतां घणा लोकोनी वृत्ति अन्नफळाहार तरफ चोंटी रहेशे. हुं सांताक्रुझमां रहुं छु. एक वखत रेलवे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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