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ऐक्यताथी ठरावो करो भला जे-जैन. जे समाज भावथी कुसंप भाजे; जैन बंधु कॉन्फरन्सना सखा जे-जैन० विनोने निवारी वार एनी धाजे; जैन शासनना रक्षक देवा जे-जैन० अंग्रेजना स्वतंत्र सामराजे वीतराग अरिहंत धर्म गाजे-जैन० कहे टोकरसींह जयकार हर्ष जाजे
जीतना सदैव नाद वाद वाजे-जैन० उपर प्रमाणे संगीत थया पछी रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. ए श्री मुंबईना श्री संघ तरफथी देशनां जुदां जुदां स्थळोए मोकलेली आमंत्रण पत्रिकाओ वांची संभळावी हती. ते पछी बहारगामथी आवेला तारो वांची संभळाव्या हता.
आमंत्रण पत्रिका.
॥ नमो तिथ्यस्स ॥ यः संसार निराश लालसमति मुक्त्यर्थमुत्तिष्ठते । यं तीर्थ कथयन्ति पावनतया येनाऽस्ति नाऽन्यःसमः ॥
यस्मै तीर्थपति नमस्यति सतां यस्माच्छुभं जायते । स्फुर्तिर्यस्य परा वसन्ति च गुणा यस्मिन्स संघोऽर्च्यतां ॥१॥ स्वस्ति श्री गोडिपार्श्वजीनं प्रणम्य श्री
महाशुभस्थाने पूज्याराध्य, दृढधर्मवान्, सुश्रावक, पुण्य प्रभावक, देवगुरु भक्तिकारक, परमप्रीतिपात्रादि अनेक शुभगुणालंकृत धर्मस्नेही धर्मबंधु भाई श्रीतथा श्री संघ समस्त योग.
श्री मुंबई बंदरथी ली. संघ समस्तना जय जीनेंद्र अवधारशो. अत्र श्री देव-गुरु प्रसादे क्षेम-कुशळता वर्ते छे. आप श्रीसंघनी कुशळता चाहिये छीए.
विशेष विनंति के चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवाननुं शासन सदा जयवंत छे. ए पवित्र शासन सदा जयवंत वर्ते एम श्रीमन्महावीरस्वामीना उपासको इच्छे छे. तेथी ज्यारे ज्यारे श्री जीन शासनमा व्यवहार के परमार्थ रुपे शीथीलता जणाई छे, त्यारे त्यारे शासनमां अग्रेसर आचार्य प्रमुख सकळ संधे एकत्र थई शासनन महात्म्य जळवाई रहे एवो प्रयास वखतो वखत कर्यो छे.
___ बंधुओ! हाल समयमां पण आपणे एवी रीते एकत्र थई श्री जीन शासननी तेमज आपणी उन्नति अर्थ, यथाशक्ति प्रयास करवो घटे छे. आवा पुण्यकारक प्रयासनी शरुआत गये वर्ष "श्री फलोदीतीर्थोन्नति सभा"ए करी आपणने आभारी कर्या छे. ए वेळाए
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