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( १६८)
'स्त्रीओने जो पुरेपुरी केळवणी आपवी होय, तो आ बाळलग्न पहेलांथी बंध थवां जोईए.. ज्यांसुधी बाळलग्न बंध थाय नहीं त्यां सुधी केळवणीनी नेममां न्यूनता रही जाय छे. टुंकामां बाळलग्न होवाने लीधे आपणा मोटामां मोटा धर्म, अर्थ, काम, अने मोक्ष जे चार पुरुषार्थो तेमांना एक पण हांसल थई शकतो नथी. मोटामां मोटा पुन्यना योगे मेळवेलो आ मनुष्यभव निरर्थक जाय छे, अने बीजां प्राणीओ जेवां के घोडा, कूतरा आदि जानवरो जन्मे छे अने मेरे छे, तेमज आपणे पण आ मनुष्यभवनुं सार्थक कर्या विना आ संसार छोडी चाल्या जवुं पडशे, तो बाळलग्ननो सत्वर अटकाव थवो जोईए.
एतो निःसंशय अने निर्विवाद छे, के वाळलग्नथी आपणे नबळा, तो आपणी प्रजा पण नबळी.
कन्याविक्रय अने वृद्ध विवाह.
पोतानी वृद्धावस्थामां ज्यारे आ दुनियामां वधारे वर्ष जीवीने एशआराम भोगववानी साधारण रीते बहुज थोडी आशाओ होय छे, त्यारे पण केटलाक पुरुषो वरघोडा विगेरेमां हजारो रुपीआ उडावीने परणे ; छोकरीना बापने खावा माटे पण हजारो रुपीओ आपे छे. वृद्ध पुरुषो पोताना पैसानो आवी रीते खराब उपयोग करे छे, तेने बदले जो तेओ जीर्ण जैन मंदिरोद्धार, जीर्ण पुस्तकोद्धार, केळवणी विगेरेना फंडमां अमुक रकम आपे, तो तेओ मोटुं पुन्य उपार्जन करे अने विशेषमां जैनोनी उन्नति पण थाय. माबापो पोतानी छोकरीओने आवी रीते वेचीने रुपीआना लोभनी खातर निर्दोष बाळीकाओनो भव बगाड़े छे. ए केटलुं बधुं दयाजनक अने शोचनीय छे, के जेओ जन्म आपे छे, तेओज पाछा दुःखना दरियामां फेंकी देवा तैयार छे !
घणी वखत वृद्धविवाहनी बाबतमां एवं वने छे के, लग्न थया बाद ज्यारे छोकरीनी लायक उंमर थाय छे, ते वखते तेमना पति आ दुनियानो त्याग करी परलोकवासी थाय छे; बिचारी निर्दोष बाळीकाओने रंडापो भोगववो पडे छे. आवा प्रसंगे ते छोकरीनां माबापने पोतानी छोकरी रंडापो भोगवती जोईने कदाच कंईपण दिलगीरी धाय, तो ते पेला खावा लीधेला रुपीआनी थेलीथी तेओना मनने आनंद अने संतोष मळतो हशे, एम कहेवुं गैरवाजवी नथी.
मरण पाछळ जमणवार
ए बहु खोटो रिवाज छे. ज्यारे कुटुंबना एक पण माणसनुं मृत्यु थाय छे, ( खास करीने जुवाननुं ) ते वेळा बधा मेम्बरो दिलगीरीना आवेशमां विव्हळ बनी जाय छे; तो तेने त्यां ते पाछळ जमणवार अने लाडवा, दुधपाक विगेरेनुं मीष्टान्न लेवामां आवे, ए केटलुं बधुं खराव? केटलेक ठेकाणे मृत्यु धया बाद अगीआर, वार दिवसमां जमण आपवामां आवे छे; एनो अर्थ एवो के बारमुं अने तेरमुं करवुं जोईए. मरण पाउळ जमणवारनी बाबतमा पैसांदार तेज गरीब उपर सरखीज फरज होय छे, जेथी खास करीने गरीबोने विचाराने बहुज वेठवुं पडे छे.
बीजुं जेओ पैसादार होय छे अने तेओ ज्यारे पोताना कर्मानुसार गरीब स्थितिमां आर्वा जाय छे, ( कारणके माणसनी स्थिति हमेशा संरखी रहेती. नथी ) त्यारे पण तेओए
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