Book Title: Khartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Author(s): Bhanvarlal Nahta, Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
Catalog link: https://jainqq.org/explore/003814/1

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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत भारती पुष्प-६७ झाझाझाझा झा खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची सम्पादक भँवरलाल नाहटा म० विनयसागर Educationa प्रधान सम्पादक म० विनय सागर श्री ज्ञानी झा हा हा प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर श्वे० पंचायती मन्दिर, कलकत्ता ersonal a Use Only jagenbrary org Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधान सम्पादक म० विनयसागर प्राकृत भारती पुष्प-६७ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सम्पादक भँवरलाल नाहटा म० विनयसागर प्रकाशक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर जैन श्वे० पंचायती मन्दिर, कलकत्ता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक: देवेन्द्रराज मेहता, सचिव, प्राकृत भारती अकादमी, ३८२६, यति श्यामलाल जी का उपाश्रय मोतीसिंह भोमियों का रास्ता जयपुर-३०२००३ (राज.) नरेन्द्रसिंह वैद, मन्त्री श्री जैन श्वेताम्बर पंचायती मन्दि बड़ा बाजार, कलकत्ता-७००००७ प्रथम संस्करण, जून १६६० मल्य : रु. ५०, मुद्रक. अजन्ता प्रिन्टर्स. जयपुर. अमर कम्पोजिंग एजेन्स: दिल्ली-५३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय प्राकृत भारती के पुष्प ६७ को प्राकृत भारती अकादमी और श्री जैन श्वेताम्बर पंचायती मंदिर, कलकत्ता के संयुक्त प्रकाशन के रूप में "खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची' पुस्तक प्रकाशित करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता है। यह पुस्तक वस्तुत: महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है। इसके आधार पर खरतरगच्छ के तत् तत्कालीन मुनियों/यतियों, साहित्यकारों का समय निर्धारण सहजभाव से किया जा सकता है। न केवल काल निर्धारण ही अपितु उनका जन्म नाम, दीक्षा नाम, गुरु का नाम, दीक्षा संवत, दीक्षा प्रदाता का नाम और किस शाखा या उपशाखा में हए हैं आदि का निर्णय भी स्वतः हो जाता है। जैसे क्षमाकल्याणोपाध्याय के सम्बन्ध में हमें जानकारी प्राप्त करनी हो तो देखिये पृष्ठ ५८ : __इनका जन्म नाम खुस्यालो था, इनका दीक्षा नाम क्षमाकल्याण रखा गया। इनके गुरु का नाम पं० अमृतधर्म मुनि था और वे जिन भक्तिसूरि की शाखा में हुए तथा इनको सं० १८१५ आषाढ़ वदि २ को जैसलमेर में श्री जिनलाभसूरि ने दीक्षा प्रदान की, जानकारी उपलब्ध हो जाती है। वस्तुतः यह सूची भी अपूर्ण है। जो दी गई है वह भी सं० १७०७ से तथा खरतर-गच्छ की मात्र दो शाखाओं का ही प्रतिनिधित्व करती है । सम्पादकों के निरन्तर शोध और अथक प्रयास करने पर भी खरतरगच्छ के प्रारंभ से लेकर १७०६ तक और इसी गच्छ की अन्य १० शाखाओं की भी नन्दी सूची उपलब्ध न हो सकी। साथ ही इसी प्रकार जैन श्वेतांबर परंपरा के अन्य गच्छों की भी दीक्षा नन्दी सूचियां प्राप्त न हो सकी। अतः जो प्राप्त है, उसी को विज्ञों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ___ इस सूची से एक तथ्य और स्पष्ट होता है कि एक-एक आचार्य ने अपने कार्यकाल में कितनी दीक्षायें प्रदान की। उदाहरण के तौर पर जिनचन्द्रसूरि का देखिये । इनका आचार्य काल १७११ से १७६२ है । इस काल में उन्होंने ३६ नन्दियां स्थापित की और ६१६ व्यक्तियों को दीक्षा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (iv ) प्रदान की। यह तथ्य वास्तव में आश्चर्यजनक है । इसके साथ ही इस तथ्य की भी पुष्टि होती है कि दीक्षा आचार्य/गच्छनायक ही प्रदान करता था और गुरु का नाम शिष्य को अभिलाषानुसार उसके गुरु की अनुमति से रखा जाता था। संपादकों ने इस पुस्तक को तीन खंडों में विभक्त किया है। प्रारम्भ में योजनानुसार इसका केवल द्वितीय खंड ही प्रकाशित किया जा रहा था, जो कि प्रामाणिक होते हए भी आद्यन्त के बिना अपूर्ण-सा प्रतीत हो रहा था । फलतः इसकी पूर्ति के रूप में संपादकों ने प्रथम खंड में गुर्वावलियों, अभिलेखों और प्रशस्तियों के आधार से वि० सं० १७०७ से पूर्व का इतिहास लिखकर एवं तृतीय खंड में वर्तमान संविग्न पक्षीय तीनों समुदायों के साधु-साध्वियों की दीक्षा सूची संलग्न कर इसको पूर्णता प्रदान करने का यथा-साध्य प्रयत्न किया है। इस पुस्तक के सम्पादक हैं श्री भंवरलालजी नाहटा एवं महोपाध्याय विनयसागरजी । श्री भंवरलालजी नाहटा जैन साहित्य, राजस्थानी साहित्य एवं प्राचीन लिपियों के विशिष्ट विद्वान हैं और साहित्य जगत में वे सुपरिचित हैं। ८० साल के लगभग अवस्था होने पर भी साहित्य-सेवा में सक्रिय हैं। महोपाध्याय विनयसागरजी जैन साहित्य के प्रमुख विद्वान् हैं और वर्तमान में प्राकृत भारती अकादमी के निदेशक एवं भोगीलाल लहरचंद शोध संस्थान, दिल्ली के कार्यवाहक निदेशक पद पर कार्यरत हैं । अतः हम दोनों के प्रति कृतज्ञ हैं और हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। यह लिखते हुए अत्यन्त आह्लाद हो रहा है कि इसी वर्ष श्वेताम्बर पंचायती मन्दिर, कलकत्ता का "अर्जन हेम हीरक जयन्ति" के रूप में १७५ वां वर्ष मनाया जा रहा है और इसी पावन स्मृति को अक्षुण्ण रखने हेतु यह पुस्तक संयुक्त प्रकाशन के रूप में प्रकाशित की जा रही है। देवेन्द्रराज मेहता नरेन्द्रसिंह वेद सचिव मन्त्री प्राकृत भारती अकादमी जैन श्वेताम्बर पंचायती मंदिर जयपुर कलकत्ता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका भूमिका १-१६ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १-२०४ प्रथम खण्ड (पूर्व इतिहास) १-३० पूर्व इतिहास (२), वर्द्धमानसूरि (४), जिनेश्वरसूरि (४), जिनदत्तसूरि (५), मणिधारी जिनचन्द्रसूरि (५), जिनपतिसूरि (६), जिनेश्वरसूरि (८), जिनप्रबोधसूरि (१३), जिनचन्द्रसूरि (१५), जिनकुशलसूरि (१८), जिनपद्मसूरि, जिनलब्धिसूरि (२०), जिनचन्द्रसूरि, जिनोदयसूरि (२१), जिनराजसूरि, जिनभद्रसूरि, जिनसमुद्रसूरि (२३), जिनचन्द्रसूरि (२४), जिनहंससूरि जिनमाणिक्यसूरि (२५), यु० जिनचन्द्रसूरि (२६), जिनसिंहसूरि, जिनराजसूरि द्वि० (२८), जिनरंगसूरि (२९), उ० रामविजय, जिनरंगसूरि (३०). द्वितीय खण्ड (वि० सं० १७०७ से) १-१६८ जिनरत्नसूरि- (सं० १७०७ से १७०८) लाभ (१), विशाल (२). जिनचन्द्रसूरि- (१७११ से १७६२), चन्द्र (२), कुशल (४), वर्धन (४), माणिक्य (५), नन्दन (६), सागर (७), प्रधान, समुद्र (८), विमल (९), सेन (१०), सौभाग्य, तिलक (११), आनन्द, सिंह, रुचि (१२), शेखर, शील, सुन्दर (१३) प्रिय, हंस (१६), कल्याण, धर्म, धीर (१७), दत्त, राज (१६), विनय (२०), कमल, कीर्ति, मूर्ति (२१), भद्र (२३), प्रभ (२४), सोम, विजय (२५), रंग (२७), उदय, हेम (२८), सार, सिन्धुर (२६), प्रमोद (३०) जिनसुखसूरि-(१७६५-१७३६) सुख, (३०), जय (३१), निधान (३२), रत्न (३३), मेरु, कुशल (३४), वल्लभ (३६), कल्लोल (३८), विशाल (३६), क्षेम (४०). जिनभक्तिसूरि-(१७७९-१८०२) भक्ति (४०), हर्ष (४१), वर्धन (४२), नन्दन, समुद्र (४३), सागर (४४), तिलक, विमल (४५), सौभाग्य; माणिक्य (४६), लाभ, विलास (४७), सेन, कलश (४८), आनन्द (४६). Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (vi) जिनलाभसूरि-(१८०४-१८३३), धर्म (४६), शील (५१), दत्त (५२), विनय, रुचि (५३) राज (२४), शेखर, कमल (५५), सुन्दर (५६), कल्याण (५७), कुमार (५८), धीर (५९), उदय (६०), हेम (६१), सार, प्रिय (६२), कीर्ति (६३), प्रभ (६४), मूर्ति, सोम (६५), जय (६७).. जिनचन्द्रसूरि-(१८३५-१८५४), चन्द्र, विजय (६७), प्रमोद (६६), निधान, सिन्धुर (७०), रंग (७१), कुशल (७३), मेरु (७४), समुद्र (७५), नन्दन (७६), रत्न, हंस (७७), वर्द्धन (७८), भद्र (७६), हर्ष (८०), वल्लभ (८१) जिनहर्षसूरि--(१८५६-१८९०), आनन्द (८१), सौभाग्य, सागर (८२), कल्लोल (८४), भक्ति (८५), विलास (८६), विमल (८८), मन्दिर (८६), कलश (६२), धर्म (६३), लाभ (६४), सिंह, तिलक (६५), विनय (६७), शेखर (१००), शेन, रुचि (१०१), शील (१०२), माणिक्य (१०३), राज, प्रिय (१०४), जिनमहेन्द्रसूरि-(१८६२-१९०७), पुरन्दर (१०५), उदय (१०६), सुन्दर (१०८), कीर्ति (११०), कल्याण (१११). जिनमुक्तिसूरि-(१९१५-१९५५). सुख ((११३), प्रधान (११४), रत्न (११६), आनन्द (११८), राज (११६). जिनचन्द्रसूरि- (१९५७- ) विमल (१२०), रत्न (१२१). जिनधरणेन्द्रसूरि-(२००३- ). सुन्दर (१२२). भाव चारित्र धारक-सूची- (१२२). साध्वी दीक्षा नन्दी सूची-(१९८३-१६२८) १२३-१२७. बीकानेर शाखा--- जिनसौभाग्यसूरि-(१८६२-१९१६). कीर्ति, धीर (१२८), सुन्दर, प्रधान (१२६), सोम (१३०), निधान (१३१), लब्धि (१३२), वल्लभ (१३३), मण्डन, जय (१३४), रंग (१३५). जिनहंससूरि-(१९१७-१९३४). कमल (१३५), अमृत (१३६), सार (१३७), उदय (१३८), वर्द्धन (१३६). जिनचन्द्रसूरि- (१९३५-१६५४). पद्म, दत्त (१४०), भद्र (१४१), कुशल (१४२). Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (vii) जिनकीतिसूरि-(१९५६-१९६३). सौभाग्य (१४२), रुचि, सुन्दर (१४३) जिनचारित्रसूरि-(१९६७-१९६०). चारित्र, लाभ (१४४), जय, सागर (१४५), पाल (१४६). जिनविजयेन्द्रसूरि-(१९९८- ) निधि, निधान, सुन्दर (१४७),सुन्दर (१४८). जिनचन्द्रसूरि आचार्य शाखा विलास, विमल, सिन्धुर (१४६), सोम, सुन्दर, हर्ष, रत्न, शील, (१५०), सिंह (१५१). जिनकीतिसूरि-(१७६७-१८१८). कीर्ति माला, राज, वल्लभ, भक्ति (१५१), सुन्दर, समुद्र, निधान, सार (१५२), नन्दन (१५३), जिनयुक्तिसूरि-(१८२२- ). माणिक्य (१५३). जिनचन्द्रसूरि-(१८२४-१८७२). चन्द्र, मूर्ति (१५३), सागर, सौभाग्य, वर्द्धन, नन्दी, सोम, विलास (१५४), कुशल, कुमार, धीर (१५५), हंस, हीर, विमल, तिलक (१५६), रत्न, शील, राज (१५७), कलश, मन्दिर, रंग (१५८). जिनोदयसूरि-(१८७७-१८६१). उदय, शील, समुद्र, रुचि (१५६). जिनहेमसूरि-(१८९७-१९४२), हेम, सागर, धीर, तिलक, रत्न (१६०), सुन्दर, धर्म, हर्ष, सार, सागर (१६१), तिलक, शेखर, वर्द्धन (१६२), विमल, सौभाग्य, कुमार, सुन्दर (१६३), रंग, सागर (१६४). जिनसिद्धिसूरि--(१९४३-१९८४). कमल, विशाल, कल्लोल, दत्त (१६४), हंस, राज, सिंह, सार, भंडार, निधान (१६५). जिनचन्द्रसूरि- (१९८६- ). सकल (१६६). जिनसोमप्रभसूरि—(२०१०).धर (१६६). जिनरंगसूरि शाखाजिनविमलसूरि-(१७८६- जिनाक्षयसूरि-(१८१७- ) विमल (१६७). ) कुमार (१६८). Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (viii) तृतीय खण्ड -: - संविग्न साधु-साध्वीवर्ग १. महो० क्षमाकल्याण- परम्परा, सुखसागर जी म समुदाय - साधु दीक्षा नन्दी सूची सुखसागर जी म० के साध्वी समुदाय की दीक्षा सूची 2. श्री मोहनलाल जी म० के समुदाय की साधु-सूची ३. श्री जिनकृपाचन्द्रसूरि परम्परा की साधु-सूची (क) प्र० पुण्यश्री साध्वी समुदाय की दीक्षा सूची (स्वर्गस्थ ) (ख) पुण्य-मण्डल की विद्यमान साध्वी दीक्षा सूची (ग) प्र० शिवश्री साध्वी मण्डल की दीक्षा सूची (स्वर्गस्थ ) १६२-१९४ (घ) शिव - मण्डल की विद्यमान साध्वी दीक्षा सूची १६५-१६६ Jain Educationa International ००० १६६-२०४ १७१-१७६ For Personal and Private Use Only १७७-१६६ १७८ - १८६ १८७- १६१ २००-२०२ २०३-२०४ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका । अनन्त चतुष्टय विराजित आत्मा अपने विशुद्ध रूप से अरूपी और अनामी है, परन्तु देहधारी होने से उसकी पहचान के लिए नामस्थापन जनिवार्य है । चार प्रकार के निक्षेपों में नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव है । ये अकाट्य सत्य माने गये हैं । अनादि काल से नाम रखने की परिपाटी चली आ रही है । भगवान ऋषभदेव की माता ने उनके गर्भ में आने पर वृषभ स्वप्न के अनुसार उनका नामकरण किया, क्योंकि चतुर्दश महास्वप्नों में प्रथम वृषभ का स्वप्न ही मरुदेवी माता ने देखा था । तीर्थंकरों के नाम भी घटनाओं के परिवेशों में रखे गये थे, जैसे महामारी शांत होने से शान्तिनाथ, ऋद्धि-सम्पदा में वृद्धि होने से वर्द्धमान इत्यादि । कुछ नाम प्रकृति से, कुछ संस्कृति से, कुछ घटना विशेष से एवं कुछ परम्परागत देशप्रथा आदि से सम्बन्धित होते थे जन्म समय के ग्रहनक्षत्रों की अवस्थिति भी इसमें प्राधान्य रखती थी । पाणिनी ने अष्टाध्यायी में नाम व पद आदि के सम्बन्ध में विशद विवेचन किया है । अपने-अपने देश की भाषा, धर्म और जातिगत प्रथा, कालानुरूप संघप्रणाली देखते हुए आर्य, मुनि, स्थविर, गणि आदि उपाधि - सम्बोधन होता था। पहले जो प्राकृत भाषा के नामरूप थे वे उनके संस्कृत रूपों में प्रयुक्त होने लगे । फिर जब अपभ्रंश काल आया तो शब्दों में तदनुरूप परिवर्तन आ गया । व्यक्तियों के नामों में नागभट्ट को बोलचाल की भाषा में नाहड़, देवभट्ट को देहड़, वाग्भट्ट -बाहड़, त्यागभट - चाहड़, क्षेमंधरखींवड, पृथ्वीधर - पेथड़, जसहड़ आदि में उत्तरार्थ लुप्त होकर ड़' और 'ण' प्रत्यय लग गये, जैसे- जाल्हण, कर्मण, आह्लादन का आल्हण, प्रह्लादन का पाल्हण आदि संख्याबद्ध उदाहरण दिये जा सकते हैं । आचार्यों के नाम भी वक्कसूरि, नन्नसूरि, जज्जिगसूरि आदि भी अपभ्रंश काल की देन है । आज के परिवेश में नाम के आदि पद उपर्युक्त प्रथा के साथ-साथ नामान्त में जैसे राजस्थान में लाल, चन्द, राज, मल्ल, दान, सिंह, करण, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुमार आदि प्रचलित हैं उसी प्रकार गूर्जर देश का भी समझना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल में दोनों भाषाएं एक ही थीं। अब तो अनेक नाम प्रान्तीय सीमाओं का उल्लंघन कर सर्वत्र प्रचलित हो गए हैं। पूर्वकाल में वेश-भूषा और नामों से देश व जाति की पहचान हो जाती थी किन्तु वह भेद अाजकल गौण होता जा रहा है, अस्तु । - तीर्थंकर महावीर के काल में प्रवजित हो जाने पर नाम-परिवर्तन की अनिवार्यता नहीं देखी जाती। इतिहास साक्षी है कि सभी श्रमणादि अपने गृहस्थ नाम से ही पहचाने जाते थे। तब प्रश्न होता है कि गृहस्थावस्था त्यागकर मुनि होने पर उनका नाम परिवर्तन कर नवीन नामकरण कब से और क्यों किया जाने लगा? इस पर विचार करने से लगता है कि चैत्यवास के युग से यह प्रथा आरम्भ हुई होगी, पर इसका कारण यही लगता है कि गृहत्याग के पश्चात् मुनिजीवन एक तरह से नया जन्म हो जाता है। गृह-सम्बन्ध विच्छेद के लिए वेश-परिवर्तन की भांति गृहस्थ सम्बन्धी रिश्ते, स्मृतिजन्य भावनाओं का त्याग, मोहपरिहार और वैराग्य-वृद्धि के लिए इस प्रथा की उपयोगिता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। श्री आत्मारामजी म० ने 'सम्यक्त्वशल्योद्धार' के पृष्ठ १३ में बतलाया है कि 'पंचवस्तु' नामक ग्रन्थ में इस प्रथा का उल्लेख पाया जाता है। नाम परिवर्तन की प्रथा श्वेताम्बर और दिगम्बर सम्प्रदाय में प्रचलित है जो स्थानकवासी, तेरापंथी, लोंका, कडुआमती के अतिरिक्त मूर्तिपूजक सम्प्रदाय में तो है ही, परन्तु वे लोग स्वामी, ऋषि, मुनि आदि विशेषण मात्र लगा देते हैं। आजकल तो तेरापंथी समाज में भी नाम परिवर्तन करने की प्रथा कथंचित प्रचलित हो गई है। दिगम्बर सम्प्रदाय में सागर भूषण, की ति प्रादि नामान्त पद प्रचलित हैं । यतः--शांतिसागर, देशभूषण, महावीर कीर्ति तथा प्रानन्द नन्दी भी विद्यानन्द, सहजानन्द आदि के साथ-साथ चन्द्र और सेन भी गण-संघ की परिपाटी में प्रचलित है। वर्तमान काल में श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय के तपागच्छ में सागर, विजय विमल और मूनि एवं खरतरगच्छ में भी सागर व मुनि नाम प्रचलित हैं। पायचन्दगच्छ में चन्द्र और अंचलगच्छ में सागर नामान्त Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद पाये जाते हैं। जबकि प्राचीन इतिहास में इनके अतिरिक्त बहुसंख्यक नामान्त पद व्यवहृत देखने में आते हैं। हमें इस निबन्ध में इन न मान्त पद जिन्हें नन्दी कहा जाता है उस पर विस्तार से विचार करना है। ____ इस प्रकार के नाम परिवर्तन की प्रथा भारत और यूरोप आदि देशों के राज्यतन्त्र में भी पायी जाती है, पर दीक्षान्तर नाम परिवर्तन की प्रथा वैदिक सम्प्रदाय में भी प्राप्त है। 'दर्शनप्रकाश' नामक ग्रन्थ में संन्यासियों के दस प्रकार के नामों का उल्लेख संप्राप्त है। यतः १. गिरि-सदाशिव, २. पर्वत-पुरुष, ३. सागर-शक्ति, ४. वन-रुद्र, ५. अरिण-ॐकार ६. तीर्थ-ब्रह्म ७. आगम-विष्ण, ८. मठ-शिव, ९. पुरी-अक्षर, १०. भारती-परब्रह्म ।। 'भारत का धार्मिक इतिहास' ग्रन्थ के पृष्ठ १८० में दस नामान्त. पद इस प्रकार बतलाये हैं १. गिरि २. पुरी ३ भारतो ४. सागर ५. आश्रम ६. पर्वत ७. तीर्थ ८. सरस्वती ९. व्रत १०. आचार्य । श्वेताम्बर जैन ग्रन्थों में नामकरण विधि का सबसे प्राचीन विशद और स्पष्ट उल्लेख खरतरगच्छ की रुद्रपल्लीय शाखा के आचार्य श्री वर्धमानसूरिजी रचित 'आचारदिनकर' नामक ग्रन्थ में विस्तार के साथ मिलता है जो वि० सं० १४६८ कार्तिक शुक्ल १५ को जालंधर देश (पंजाब) के नन्दवनपुर (नांदौन) में विरचित है। इस नाम परिवर्तन का कारण बतलाते हुए लिखा है कि - पूर्वं हि जैन साधुत्वे सूरित्वेऽपि समागते। न नाम्ना परिवर्तोभून्मुनीनां मोक्षगामिनाम् ॥६॥ साम्प्रतं गच्छ संयोगः क्रियते वृद्धिहेतवे । महास्नेहायायुषे च लाभाय गुरुशिष्ययोः ॥ ७ ॥ ततस्तेन कारणेन नाम राश्यनुसारितः। गुरुः प्रधानतां नीत्वा विनयेनानुकीर्तयेत् ।। ८ ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्दी नाम के पूर्व पद के सम्बन्ध में पृष्ठ ३८६ में लिखा है कि "तथा योनि १, वर्ग २, लभ्यालभ्य ३, गण ४, राशि भेद ५, शुद्ध नामं दद्यात् नाम स्यात्पूर्वतः साधोः शुभो देवगुणागमैः । जिन-कीर्ति-रमा-चन्द्र-शीलोदय-धनैरपि ॥२०॥ विद्या-विनय-कल्याणीव-मेघ-दिवाकरः । मुनि-त्रिभुवनां-भोजैः सुधा-तेजो-महानृपः ॥२१॥ दया-भाव-क्षमा-सूरैः सुवर्ण-मणि-कर्मभिः । आनन्दानन्त-धर्मैश्च जय-देवेन्द्र-सागरैः ।। २२ ।। सिद्धि-शान्ति-लब्धि-बुद्धि-सहज-ज्ञान-दर्शनैः । चारित्र-वीर-विजय-चारु-राम-मृगाधिपः ।। २३ ।। मही-विशाल-विबुध-विनयैनंय-संयुतैः । सर्व-प्रबोध-रूपैश्च गण-मेरु-वरैरपि ॥२४ ।। जयन्त-योग-ताराभिः कला-पृथ्वी-हरि-प्रियः । एतत्-प्रभृतिभिः पूर्व-पदैः स्यादभिधा पुनः ॥ २५ ॥ मुनि नामान्द पद : शशाङ्क-कुम्भ-शैलाब्धि-कुमार-प्रभ-वल्लभः । सिंह-कुञ्जर-देवैश्च-दत्त-कोति-प्रियैरपि ॥ २६ ॥ प्रवरानन्द-निधिभी राज-सुन्दर-शेखरः । वर्धनाकर-हंसैश्च रत्न-मेरु-समूत्तिभिः ॥ २७ ॥ सार-भूषण-धर्मैश्च-केतु-पुङ्गव-पुण्ड्रकैः । ज्ञान-दर्शन-वीरैश्च पदंरेभिस्तथोतरैः ॥२८ ।। जायन्ते साधुनामानि स्थितः पूर्व पदात्परैः । अन्यानि यानि सहज नामानि विदितानि च ॥ २९ ।। नृणां तान्युत्तमपदभूषा यज्ञतदानतः । एवं विदध्य त्सुगुरु: साधूनां नामकीर्तनम् ॥ ३० ॥ एतेष्वेव परं सूरिपदं स्यात्तत्पशगमे । गच्छस्वभाव-संज्ञासु न विभेदोऽभिधानतः ।। ३१ ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपाध्याय-वाचनार्य नामानि खलु साधुवत् । व्रतिनीनां तु नामानि यतिवत्पूर्वगैः पदैः ।। ३२ ॥ साध्वी नामान्त पद : स्युरुत्तरपदैरेभिरनन्तरसमीरितः । मतिश्चूला-प्रभा-देवी-लब्धि-सिद्धिवतीमुखैः ।। ३३ ।। प्रवर्तिनीनामप्येवं नामानि परिकीर्तयेत। महत्तराणां तैः पूर्वैः सर्वैः पूर्वपदैरपि ।। ३४ ।। श्रीरुत्तरपदे कार्या नान्यासु व्रतिनीषु च । मुनि नामानि सर्वाणि स्त्रियामादादियोजनात् ॥३५।। जायन्ते वतिनी संज्ञाः श्रान्तः कैश्चिन्महत्तरा। विशेषान्नदि-सेनान्ता: संज्ञास्युजिनकल्पिनाम् ।। ३६ ।। शेषनामानि तुल्यान्युभयोरपि सर्वदा। विप्राणामपि नामानि बुद्धार्ह द्विष्णुवेधसाम् ।। ३७ ॥ गणेश-कात्तिकेयार्कश्चन्द्र शङ्करधीमताम् । विद्याधर-समुद्रादि-कल्पद्रु-जययोगिनाम् ॥ ३८ ।। समानान्युत्तमानां च नामानि परिकल्पयेत् । ब्रह्मचारि-क्षुल्लकयोन नाम्नां परिवर्तनम् ॥ ३९ ॥ (इसके बाद क्षत्रिय वैश्यादि के नामकरण का उल्लेख सर्व गा० ४९ तक है।) सारांश-प्राचीन काल में साधु एवं सूरिपद के समय नाम परिवर्तन नहीं होते थे, पर वर्तमान में गच्छसंयोग वृद्धि के हेतु ऐसा किया जाता है। १. योनि, २. वर्ग, ३. लभ्यालभ्य, ४. गण और ५. राशिभेद को ध्यान में रखते हए शुद्ध नाम देना चाहिए । नाम में पूर्व-पद एवं उत्तर-पद इस प्रकार दो पद होते हैं। उनमें मुनियों के नामों में पूर्वपद निम्नोक्त रक्खे जा सकते हैं १. शुभ, ५. जिन, २. देव, ६. कीर्ति, ३. गुण, ७. रमा (लक्ष्मी ), ४. आगम, ८. चन्द्र, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९. शील, १०. उदय, ११. धन, १३. विमल, १४. कल्याण, १५. जीव, १७. दिवाकर, १८. मुनि, १९. त्रिभुवन, २१. सुधा, २२. तेज, २३. महा, २५. दया, २६. भाव, २७. क्षमा, २९. सूवर्ण, ३०. मणि, ३१. कर्म, ३३. अनन्त, ३४. धर्म, ३५. जय, ३७. सागर, ३८. सिद्धि, ३९. शान्ति, ४१. बुद्धि, ४२. सहज ४३. ज्ञान, ४५. चारित्र, ४६. वीर, ४७. विजय, ४९. राम, ५०.सिंह(मृगाधिप)५१. मही, ५३. विबुध, ५४. विनय, ५५. नय, ५७. प्रबोध, ५८. रूप, ५६. गण, ६१. वर, ६२. जयन्त, ६३. योग, ६५. कला, ६६. पृथ्वी, ६७. हरि, १२. विद्या, १६. मेघ, २०. अंभोज (कमल), २४. नृप, २८. सूर, ३२. आनन्द, ३६. देवेन्द्र, ४०. लब्धि , ४४. दर्शन, ४८. चारु, ५२. विशाल, ५६. सर्व, ६०. मेरु, ६४. तारा ६८. प्रिय। मुनियों के नाम के अन्त्य पद ये हैं १. शशांक (चन्द्र), २. कुम्भ, ३. शैल, ४. लब्धि , ५. कूमार, ६. प्रभ, ७. वल्लभ, ८. सिंह, ९. कुंजर १०. देव, ११. दत्त, १२. कोति, १३. प्रिय, १४. प्रवर, १५. आनन्द, १६. निधि, १७. राज, १८. सुन्दर, १९. शेखर, २०. वर्द्धन, २१. आकर, २२. हंस, . २३. रत्न, २४. मेरु, २५. मूर्ति, २६. सार, २७. भूषण, २८. धर्म, २९. केतु (ध्वज), ३०. पुण्डक(कमल),३१. पुङ्गव, ३२. ज्ञान, ३३. दर्शन, ३४. वीर इत्यादि । सूरि, उपाध्याय, वाचनाचार्यों के नाम भी साधुवत् समझे । साध्वियों के नाम में पूर्व पद तो मुनियों के समान ही समझे । उत्तर पद इस प्रकार हैं-- Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. मती, २. चूला, ३, प्रभा, ४, देवी, ५. लब्धि, ६. सिद्धि ७. वती। प्रवर्तिनी के नाम भी इसी प्रकार हैं। महत्तरा के नामों में उत्तरपद "श्री" रखना चाहिए । जिनकल्पी का नामान्त पद 'सेन' इतना विशेष समझना चाहिए। आगे ब्राह्मण एवं क्षत्रियों के नामों के पद भी बतलाये हैं। विशेष जानने के लिए मूल ग्रन्थ का ८० वां उदय (पृ० ३८६-३८९) दृष्टव्य है। खरतरगच्छ में इन नामान्त पदों को वर्तमान में 'नांदि' या 'नंदी' कहते हैं और इनकी संख्या ८४ (चौरासी) बतलायो है जबकि ऊपर नाम ६८ ही दिये हैं। विशेष खोज करने पर हमें बीकानेर में खरतरगच्छीय श्रीपूज्य श्री जिनचारित्रसूरिजी के दफ्तर एवं अनेक फुटकर पत्रों में ऐसी ८४ नामान्त पद सूची उपलब्ध हुई, पर उन सब में पुनरुक्ति रूप में पाये नामों को बाद देने पर जब ७८ रह गये तो खरतरगच्छ गुर्वावलो आदि में प्रयुक्त नामों का अन्वेषण करने पर जो नये नाम उपलब्ध हुए उन सब को अक्षरानुक्रम सूची यहां प्रस्तुत को जा रही है१. अमृत २. पाकर ३. आनन्द ४. इन्द्र ५. उदय ६. कमल ७. कल्याण ८. कलश. ९. कल्लोन १०. कीर्ति ११. कुमार १२. कुशल १३. कुंजर १४. गणि १५. चन्द्र १६. चारित्र १७, चित्र १८. जय १९. णाग २०. तिलक २१. दर्शन २२. दत्त २३. देव २४. धर्म २५. ध्वज २६. धीर २७. निधि २८. निधान २९. निवास ३०. नंदन ३१. नन्दि ३२. पद्म ३३. पति ३४. पल ३५. प्रिय ३६. प्रबोध ३७. प्रमोद ३८. प्रधान ३९. प्रभ ४०. भद्र ४१ भक्त ४२. भक्ति ४३. भूषण ४४. भण्डार ४५. माणिक्य ४६. मुनि ४७. मूर्ति ४८. मेरु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९. मण्डण ५०. मन्दिर ५१. युक्ति ५२. रथ ५३. रत्न ५४. रक्षित ५५. राज ५६. रुचि ५७. रंग ५८. लब्धि ५९. लाभ ६०. वर्द्धन ६१. वल्लभ ६२. विजय ६३. विनय ६४. वमल ६५. विलास ६६. विशाल ६७. शील ६८. शेखर ६९. समुद्र ७०. सत्य ७१. सागर ७२. सार ७३. सिन्धुर ७४. सिंह ७५. सुख ७६. सुन्दर ७७. सेन ७८. सोम ७९. सौभाग्य ८०. सयम ८१. हर्ष ८२. हित ८३. हेम ८४. हंस निम्नोक्त नामान्त पदों का भी उल्लेख मात्र मिलता है, पर व्यवहृत होते नहीं देखे गये . कनक, पर्वत, चरित्र, ललित, प्राज्ञ, मुक्ति, दास, गिरि, नंद, मान, प्रीति, छत्र, फण, प्रभद्र, तिय, हिंस, गज, लक्ष्य, वर, धर, सूर, सुकाल, मोह, क्षेम, वीर (खरतरगच्छ में नहीं), तुंग (अंचलगच्छ) । इनमें से कोई पद नाम के पूर्व पद रूप में अवश्य व्यवहृत हैं। इसी प्रकार साध्वियों की नदियां (नामान्त पद) भी ८४ ही कही जाती है, पर उनकी सूची अद्यावधि कहीं भी हमारे अवलोकन में नहीं आई। हमने प्राचीन ग्रन्थों, पत्रों, टिप्पणकों आदि से जो कुछ नामान्त पद प्राप्त किये वे ये हैं १. श्री ५. मती ९. सिद्धि १३. वृष्टि १७. देवी २१. ऋद्धि २५. शीला २. माला ६. प्रभा १०. निधि १४. दर्शना १८. श्रिया २२. सेना २६. विजया ३. चूला ७. लक्ष्मी ११. वृद्धि १५. धर्मा १९. शोभा २३. शिक्षा २७. महिमा ४. वती ८. सुन्दरी १२. समृद्धि १६. मंजरी २०. वल्लो २४. रुचि २८. चन्द्रिका Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अब दिगम्बर सम्प्रदाय एवं खरतरगच्छ के अतिरिक्त श्वेताम्बरीय गच्छों में भी जितने मुनि-नामान्त पदों का उल्लेख देखने में आया है उनका विवरण भी यहां प्रस्तुत किया जा रहा है । दिगम्बर - नन्दि, चन्द्र, कीर्ति, भूषण - ये प्रायः नन्दि संघ के मुनियों के नामान्त पद हैं । सेन, भद्र, राज, वीर्य - ये प्रायः सेन संघ के मुनि नामान्त पद हैं । ( 'विद्वद् रत्नमाला' पृष्ठ १८ ) उपकेश गच्छ की २२ शाखाएँ : १. सुन्दर २. प्रभ ५. सार ६. चन्द्र ९. तिलक १०. कलश १३. कल्लोल १४. रंग १७. राज २१. आदित्य १८. कुमार २२. कुंभ ३. कनक ७. सागर ११. रत्न १५. शेखर १९. देव Jain Educationa International ४. मेरु हंस ८. ( ' उपकेशगच्छ पट्टावली', जन साहित्य संशोधक ) उपर्युक्त नन्दी सूचियों से स्पष्ट है कि कहीं-कहीं दिगम्बर विद्वान् यह समझने की भूल कर बैठते हैं कि भूषण, सेन, कीर्ति आदि नामान्त पद दिगम्बर मुनियों के ही हैं वह ठीक नहीं है । इन सभी नामान्त पदों का व्यवहार श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भी होता रहा है । १२. समुद्र १६. विशाल २०. आनन्द नाम परिवर्तन में प्रायः यथाशक्य यह ध्यान भी रखा जाता है कि मुनि की राशि उसके पूर्व नाम की रहे । बहुत स्थानों में प्रथमाक्षर भी वही रक्खा जाता है । जैसे सुखलाल का दीक्षित नाम सुखलाभ, राजमल का राजसुन्दर, रत्नसुन्दर आदि । For Personal and Private Use Only तपागच्छ : श्री लक्ष्मीसागरसूरि (सं० १५०८ - १७ ) के मुनियों के नामान्त पद सोमचारित्र कृत 'गुरुगुगरत्नाकर' काव्य के द्वितीय सर्ग में इस प्रकार लिखे हैं Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० १. तिलक ५. सहज ९. शीति १३. आनन्द १७. मण्डण २१. दर्शन २५. सोम २९. प्रिय ३३. जय ३७. धीर ४१. भद्र ४५. सूर ४९. विमल १. विजय ५. हर्ष ९. धर्म १३. सोम १७. कुशल २. विवेक ६. भूषण १०. प्रीति १४. नन्दि १८. नन्दन २२. प्रभ २६. संयम Jain Educationa International ३०. उदय ३४. विजय ३८. वीर ४२. समुद्र ४६. मंगल ५०. कमल ३. रुचि ७. कल्याण १०. हंस १४. रुचि १८. उदय ११. मूर्ति १५. साधु १९. वर्द्धन ५३. शिव ५४. यश ५७. हंस इत्यादि पदान्ता सहस्रशः । श्री हीरविजयसूरिजी के समुदाय की १८ शाखाएँ २. विमल ६. सौभाग्य २३. लाभ २७. हेम ३१. माणिक्य ३५. सुन्दर ३९. चारित्र ४३. शेखर ४७. शील ५१. विशाल ५५. कलश ३. सागर ७. सुन्दर ११. आनन्द १५. सार ४. राज ८. श्रुत १२. प्रमोद १६. रत्न २०. ज्ञान २४. धर्म २८. क्षम ३२. सत्य ३६. सार ४०. चन्द्र For Personal and Private Use Only ४४. सागर ४८. कुशल ५२. देव ५६. हर्ष ४. चन्द्र ८. रत्न १२ . वर्द्धन १६. राज ( ऐतिहासिक सञ्झाय माला पृ० ९० ) खरतरगच्छ की विशेष परिपाटियां : खरतरगच्छ में नन्दी नामान्त पद के सम्बन्ध की कतिपय विशेष परिपाटियां देखने-जानने में आई हैं, जिनसे अनेक महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है । अत: उनका विवरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है । Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११ - १. खरतरगच्छ के आदि पुरुष श्री वर्द्धमानसूरिजी के शिष्य श्री जिनेश्वरसरिजी के पट्टधर आचार्यों के नाम का पूर्वपद 'जिन' रूढ़ हो गया है। इसी प्रकार इनके शिष्य सुप्रसिद्ध संवेगरंगशाला-निर्माता श्री जिनचन्द्रसूरिजी से चतुर्थ पट्टधर का यही नाम रखे जाने की प्रणाली रूढ़ हो गई है। २. युगप्रधानाचार्य गुर्वावली से स्पष्ट है कि उस समय सामान्य आचार्यपद के समय, इसी प्रकार उपाध्याय, वाचनाचार्य पदों के एवं साध्वियों के महत्तरा पद प्रदान के समय भी कभी-कभी नाम परिवर्तन अर्थात् नवीन नामकरण होता था। ३. तपागच्छादि में गुरु-शिष्य का नामान्त पद एक ही देखा जाता है, परन्तु खरतरगच्छ में यह परिपाटी नहीं है। गुरु का जो नामान्त पद होगा, वही पद शिष्य के लिए नहीं रखे जाने की एक विशेष परिपाटी है। इसमें क्वचित् शांतिहर्ष के शिष्य जिनहर्ष गणि का नाम अपवाद रूप में कहा जा सकता है । भिन्न नन्दि प्रथा अर्थात् गुरु के नामान्त पद से भिन्न होने वाले मुनि ने अपने ग्रन्थादि में यदि गच्छ का उल्लेख नहीं किया हो तो उसके खरतरगच्छीय होने की विशेष सम्भावना की जा सकती है। ४. साध्वियों के नामान्त पद के लिए नं. ३ वाली बात न होकर गुरु-शिष्या का नामान्त पद एक ही देखा गया है । ५. सब मुनियों की दीक्षा पट्टधर गच्छनायक आचार्य के हाथ से ही होती थी। क्वचित् दूरदेश आदि में स्थित होने आदि विशेष कारण से अन्य आचार्य महाराज, उपाध्यायों आदि विशिष्ट पद-स्थित गीतार्थों को आज्ञा देते या वासक्षेप प्रेषण करते, तब अन्य भी दीक्षा दे सकते थे। नव दीक्षित मुनियों का नामकरण गच्छनायक आचार्य द्वारा स्थापित नन्दि (नामान्त पद) के अनुसार ही होता था। . उपरिवणित खरतरगच्छ की ८४ नन्दियों में सर्वाधिक नन्दियों को स्थापना अकबर प्रति बोधक युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिजी महाराज ने की थी। उनके द्वारा स्थापित ४४ नन्दियों की सूची हमने अपने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ 1 'युगप्रधान श्री जिन चन्द्रसूरि' ग्रन्थ के पृष्ठ २५९-६१ में प्रकाशित को है । यह सूचो हमें उनके दो विहार-पत्रों में जिसमें संवतानुक्रम से चातुर्मास और विशिष्ट घटनाओं के संक्षिप्त उल्लेख सहित उपलब्ध हुई थी दीक्षा समय एक साथ जितने भी मुनियों की दोक्षा हो, उन सब का नामान्त पद एक साथ ही रक्खा जाय, यह परिपाटी बहुत ही महत्वपूर्ण है । इतः पूर्व यह अनिवार्य नहीं हो रहा होगा । इस महत्वपूर्ण प्रथा से उस समय के अधिकांश मुनियों की दीक्षा का अनुक्रम नन्दी अनुक्रम से प्राप्त हो जाने से हमें तत्कालीन विद्वानों व शिष्यों का इस वैज्ञानिक पद्धति से सम्पादन करने में बड़ी सुविधा हो गई थी। जैसे गुणविनय और समयसुन्दर दोनों समकालीन मूर्धन्य विद्वान् थे, पर दीक्षा पर्याय में कौन छोटा-बड़ा था ? यह जानने के लिए नन्दी अनुक्रम का सहारा परम उपयोगी सिद्ध हुआ । इसके अनुसार हम कह सकते हैं कि गुणविनय की दीक्षा प्रथम हुई थी क्योंकि उनको विनय नन्दी का क्रमांक ८ वां है और सुन्दर नन्दी का क्रमांक २० वां है । उपर्युक्त नन्दी प्रथा से आकृष्ट होकर हमने विकीर्ण पत्रों में, पृष्ठे-टिप्पणिका, हर्ष-टिप्पणिका आदि में इसकी विशेष शोध की । श्रीपूज्यों के दफ्तर तो इसके विशेष आकर हैं । पीछे के दफ्तरों को देखने से पता चलता है कि एक नन्दि ( नामान्त - पद ) एक साथ दीक्षत मुनियों के लिए एक ही बार व्यवहृत न होकर कई बार दीक्षाएँ दिये जाने पर भी चलती रहती थी अर्थात् 'चन्द्र' नन्दी चालु की और उसमें अधिक दीक्षाएँ नहीं हुई तो एक दो वर्ष चल सकती है अथवा निधन जैसी दुर्घटना या दीक्षा नाम स्थापन में गुरु-शिष्य के नाम, मुहूर्त - राशि आदि प्रतिकूल बैठ जाने से नन्दि बदली जाती थी, अन्यथा गच्छनायक की इच्छा और लाभालाभ के हिसाब से लम्बे समय तक भी चल सकती थी । ६. युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिजी से अब तक तो खरतरगच्छ में एक और विशेष प्रणाली देखी जाती है कि पट्टधर आचार्य का नामान्त पद जो होगा, सर्वप्रथम वही नन्दी स्थापन की जायगी। जैसे जिनचन्द्रसूरि जी जब पहले-पहल मुनियों को दीक्षा देंगे तो उनका नामान्त पद भी अपने नामान्त पदानुसार 'चन्द्र' ही रखेंगे । उनके प्रथम शिष्य सकलचन्द्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणि थे। इसी प्रकार जिनसुखसूरि पहले 'सुख' नन्दि, जिनलाभसूरिजी 'लाभ' नन्दि, जिनभक्तिसूरिजी 'भक्ति' नन्दि ही सर्वप्रथम रखेंगे । अर्थात् नव दीक्षित मुनियों का नामान्त पद सर्व प्रथम अनिवार्य रूप से बही रखा जायगा 1 १३ ७. खरतरगच्छ में समाचारी मर्यादा प्रवर्तक आचार्य श्री जिनपति सूरिजी ने दफ्तर - इतिहास या डायरी रखने की बहुत ही सुन्दर और उपयोगी परिपाटी प्रचलित की थी। ऐसी दफ्तर बही में जिस संवत् मिती में जिन्हें दीक्षित किया एवं सूरिपद, उपाध्यायपदादि दिये उसकी पूरी नामावली लिख लेते थे। जहां-जहां विचरते थे वहां की प्रतिष्ठा, संघ-यात्रा आदि महत्पूर्ण कार्यों एवं घटनाओं का उल्लेख उसमें अवश्य किया जाता एवं विशिष्ट श्रावकों के नाम, परिचय, भक्तिकार्यादि का विवरण लिखा जाता रहा । जैसलमेर भण्डार की प्राचीन सूची में एक ऐसी ३५० पत्रों की प्रति होने का उल्लेख देखा था पर वह अनुपलब्ध है । खरतरगच्छ अनेक शाखाओं में विभक्त हो गया और वे शाखाएँ नाम शेष हो गईं एवं जो सामग्री थी, नष्ट हो गई । यदि वह सामग्री उपलब्ध होती तो खरतरगच्छ का ऐसा सर्वांगपूर्ण व्यवस्थित इतिहास तैयार होता, जैसा शायद ही किसी गच्छ का हो । भारतीय इतिहास में ये दफ्तर- इतिहास, गुर्वावली, ख्यात आदि अत्यन्त मूल्यवान सामग्री है । हमें सर्व प्रथम दफ्तर जिसका नाम 'युगप्रधान चाय गुर्वावली' है, सं० १३९३ तक का उसमें विवरण उपलब्ध है । इसके बाद सं० १७०७ से वर्तमान तक का परवर्ती दफ्तर संप्राप्त है । मध्यकालीन जिनभद्रसूरिजी और यु० श्री जिनचन्द्रसूरिजी के समप्र के ३०० वर्षों का दफ्तर मिल जाता तो सर्वांगपूर्ण इतिहास तैयार करने में हम सक्षम होते । यदि किसी ज्ञान भण्डार में, बिना सूची के अटाले में सौभाग्यवश मिल जाय तो उसकी पूर्णतया शोध होना आवश्यक है । सं० ० १७०७ से वर्तमान तक का एक दफ्तर जयपुर गद्दी के श्री पूज्य श्री जिनधरणेंद्रसूरिजी तक का उपलब्ध है जिसमें अनेकशः पुराने दफ्तर से उद्धृत करने का जिक्र है । यद्यपि वह इतना व्यवस्थित नहीं है फिर भी उसमें राजस्थान, गुजरात के सैकड़ों गांवों और वहां के श्रावकों का उल्लेख है जो मूल्यवान सामग्री है। इसी प्रकार खरतर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ गच्छ को अन्यान्य शाखाओं के दफ्तर मिल जाए तो कितना उत्तम हो । वीकानेर श्रीपूज्यों की गद्दी का दफ्तर देखा है एवं आचार्य शाखा की कुछ दोक्षानन्दी सूचियां मिली हैं । अन्य सभी शाखाओं की सामग्री खो गईं, नष्ट हो गई है । परन्तु प्राप्त दफ्तर में जो यति / मुनियों को नामावली दी है वह मूल पुस्तक के अग्र भाग में दा गई है। इस नामावली में दी गई दीक्षाएं केवल एक वर्ष में और एक ही नन्दी में हुई हैं। श्री जिनरत्न सूरिजी श्रीपूज्य आचार्य थे जो त्यागी, पंच व्रतधारी थे । उस जमाने में सभो गच्छों में गच्छनायक श्रीपूज्य कहलाते और उन्हें यति कहा जाता था । साधु, यति, ऋषि, मुनि, श्रमण, निर्ग्रन्थ, भिक्षु, मुण्ड श्रादि १० पर्यायवाची शब्द हैं । सं० १७०७ से पूर्व श्री जिनरलसूरिजी या उनके पूर्ववर्ती आचार्यों ने दीक्षाएँ दीं, उनकी सूची अप्राप्त है । इस सूची से वे कहां-कहां विचरे, कहां किसे और किस संवत् मिती, स्थान में दीक्षा दी, गुरु का नाम, गृहस्थावस्था का नाम, दीक्षानाम, शाखा आदि अनेक बातों का पता चल जाता है। एक-एक नन्दी में, बीस, पचास, सत्तर तक दीक्षाएँ हुईं जिनका प्रामाणिक विवरण ऐसे दफ्तरों में मिलता है । यदि इतिहासकारों के पास ऐसे 'हुमूल्य दस्तावेज हों तो उनकी अनेक समस्याएं हल हो सकती हैं । प्रामाणिक विवरण प्राप्त करने का परिश्रम और समय की बचत हो सकती है । रास, चौपाई, तीर्थमाला, शिलालेख, प्रशस्तियों प्रादि सन्दर्भ समर्थित प्रामाणिक इतिहास लिखा जा सकता है । नन्दी या नामान्त पद सम्बन्धी जिन-जिन मर्यादाओं, विधानों का ऊपर उल्लेख किया गया है वह सब खरतरगच्छ की श्री जिनभद्रसूरि परम्परा - बृहत्शाखा के दृष्टिकोण से यथाज्ञात लिखा है । सम्भव है इस विशाल गच्छ की अनेक शाखात्रों की परिपाटी में भिन्नता भी आ गई हो । यह शोध का विषय सामग्री की उपलब्धि पर निर्भर है । वर्तमान में उपर्युक्त परिपाटी केवल यति समाज में ही है। जहां परम्परा में हजारों यतिजन थे वे क्रमशः आचारहीन होते गये, क्रिया उद्धार करने वाले मुनिजनों से उनका सम्बन्ध विच्छेद होता गया । कुछ आवारात विद्वानों के अतिरिक्त यतिजन भी गृहस्थवत् हो गये. मर्यादाएँ मरणोन्मुख होती जाने से अब दफ्तर लेखन प्रणाली भी नामशेष 1 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हो रही है। खरतरगच्छीय मुनियों में अभी एक शताब्दी से उन प्राचीन परिपाटियों/प्रणालियों का व्यवहार बन्द हो गया है। अब उनमें केवल 'सागर' नन्दी और श्री मोहनलालजी महाराज के समुदाय में 'मुनि' एवं साध्वियों में "श्री" नामान्त पद ही रूढ़ हो गया है। गुरु-शिष्यों का एक ही नामान्त पद हो जाने से उतना सौष्ठव नहीं रहा। साध्वियों के नाम व दीक्षा आदि का विवरण जेयपुर श्रीपूज्य जी के दफ्तर में सं० १७८३ से उपलब्ध है । त्याग-वैराग्यमय परम्परा शिथिल होते, यतिनी-साध्वी परम्परा का नामशेष होना अनिवार्य था। संवेगी परम्परा में वे परिपाटियां तो शेष हो गईं पर जिन शासन की उन्नति एवं शासन-प्रभावना में चार चांद लग गये। हमारे ऐतिहासिक परिशीलन में गत पचास वर्षों में खरतरगच्छीय दृष्टिकोण से जो देखा, अनुभव किया वही ऊपर लिखा गया है। इसी प्रकार अन्य विद्वानों को अन्य गन्था के नामान्त पद सम्बन्धी विशेष परिपाटियों का अनुसन्धान कर उन पर प्रकाश डालना अपेक्षित है। आशा है इस ओर विद्वद्गण ध्यान देकर इतिहास के बन्द पृष्ठों को खोलने का प्रयास करेंगे। खम्भात में आयोजित श्री महावीर विद्यालय, बम्बई द्वारा जन साहित्य समारोह के छठे अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण के रूप में प्रस्तुत निबन्ध पढ़ा गया था जा प्रस्तुत ग्रन्थ की भूमिका स्वरूप था। वस्तुतः यह विषय अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आत्मा के उत्थान/ऊर्वीकरण हेतु संयम मार्ग में दीक्षित होना अनिवार्य है। यह आत्मोत्थान की नींव है, आस्म साधना. साहित्य-निर्माण, तीर्थ-मन्दिरों की प्रतिष्ठा, तपश्चरण, सघ-यात्रा एवं जानतिक जीवन को ऊंचा उठाने, धर्म मार्ग में लगाने आदि समस्त सत्कार्यों की स्व-पर-कल्याण कर्तृ संयम माग का प्रवेश द्वार दीक्षा है। गत एक हजार वर्षों में जो चेत्यवास को निरसन कर आध्यात्मिक क्रान्ति आयी और सुविहित माग/खरतरगच्छ मे दीक्षित हुए उनका आंशिक लेखा-जोखा इस ग्रंथ में संगृहीत किया गया है। खरतरगच्छ एक महान गच्छ है जिसकी बारह शाखाओं का इतिहास लुप्त है, शाखाएँ नाम शेष हो गई उनके क्रमिक इतिहास के दफ्तर भो अप्राप्त हैं। वर्तमान में जितना भी उपलब्ध है, इस ग्रन्थ में Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ संगृहीत है । यह सम्पूर्णतया नहीं पर खण्ड खण्ड में उपलब्ध है । प्रथम खण्ड गणधर सार्द्ध शतक वृत्ति के आधार पर श्री वर्द्धमानसूरि से जिनदत्तसूरि तक है। उस समय हजारों दीक्षाएँ सम्पन्न हुई थीं पर थोड़े से नाम उपलब्ध हुए। दूसरा खण्ड जिनपालोपाध्याय द्वारा सं० १३०५ में दिल्ली निवासो सेठ साहुनी सुन हेमा की अभ्यर्थना से रवित है । बाद में सं० १३९३ तक पुगप्रधान गच्छनायकों के साथ वाले प्रामाणिक मुनियों द्वारा दैनंदिनी की भांति संकलित है। युगप्रधानाचार्य गुर्वावलो ही एतद्विषयक विश्व साहित्य का अजोड़ ग्रन्थ है । बाद को दीक्षाएँ विज्ञप्ति महालेख और रास- चौपई आदि के आधार से व पट्टावलियों में प्राप्त सामग्री पर प्रावृत है। अकबर प्रतिबोधक चतुर्थ दादा श्री जिनचन्द्रसूरि जी ने जिनका साधु संघ दो हजार के लगभग था, ४४ नन्दियों में दीक्षा दी थी । नन्दी शब्द महाकल्याणकारी है, भगवान के चौमुख समवशरण के सम्मुख दीक्षा, व्रत- ग्रहण आदि क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं इसी से नामान्त पद को नन्दी कहते हैं । समवशरण त्रिगड़े पर 'नन्दी मण्डाण' कहलाता है । गुजरात में बिचरते खरतरगच्छ के ४० आचार्यों को संघ यात्रा से पाटण लौटने पर वस्त्र द्वारा सम्मानित करने का उल्लेख मिलता है । जिनकुशलसूरि पट्टाभिषेक रास में ७०० साधु और २४०० साध्वियां होने का उल्लेख है । जिनदत्तसरिजी ने जहां हजारों दीक्षाएँ दीं और लक्षाधिक नव्य जैन बनाये । जैसलमेर भण्डार में ३५० पत्रों का इतिहास था जो अप्राप्त है । खरतरगच्छीय विद्वानों द्वारा साहित्य निर्माण बहुत बड़ी संख्या में हुआ । सरक्षण न मिलने से बहुत साहित्य अप्राप्त हो गया । गन्थों की पुष्पिकाओं और प्रशस्तियों व अभिलेखों का संग्रह किया जाय तो उसमें बहुत सा इतिहास उपलब्ध हो सकता है । पर्वाचार्य सभी पंच महाव्रतधारी और परिग्रह त्यागो थे, इधर १५०-२०० वर्षों में आचार - शैथिल्य बढ़ा और क्रमशः नामशेष हो रहे हैं। बीकानेर और जयपुर के अतिरिक्त ३५० वर्ष से प्राचीन इतिहास तो सर्वथा अनुपलब्ध है । श्री जिनधरणेन्द्रसूरिजी के प्राप्त दफ्तर से सं० १७०७ से दीक्षा नदी सूची प्राप्त हुई जो दूसरे खण्ड में दे दी गई है । - भँवरलाल नाहटा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची [पूर्व इतिहास] प्रथम खण्ड Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूर्व इतिहास भगवान महावीर का शासन चढ़ती-पड़ती १३ उदयों के बावजूद भी इकोस हजार वर्ष तक अखण्ड रहेगा, इन आप्त-वचनों के अनुसार आचार-शैथिल्य और चैत्यवास के अन्धकार युग की अनुभूति श्री हरिभद्रसरि जैसे महान् आचार्य ने अपने शिरःशल के रूप में सम्बोध प्रकरण में अभिव्यक्त की है। उनके समय में चैत्यवास के उन्मूलन का काल परिपक्व नहीं हुआ था, फिर भी सुविहित साधु-वर्ग का सर्वथा दुष्काल नहीं था। तिमिरावसान का समय आया और चेत्यवास के अस्तंगत होने के हेतु उदय काल का प्रादुर्भाव हुआ तथा आगम-सम्मत आचारसम्पन्न मह पुरुषों का तेज प्रसरित होने लगा; जिसके प्रभाव से बौद्धधर्म को भांति भारत से लुप्त होते-होते जैन धर्म बच गया, तीर्थंकर-वाणी सत्य हो गई। बौद्धधर्म तो अपनी सुविधावादी नीति से विदेशों में भी पर्याप्त खप गया, पर जैन धर्म अपने चुस्त आचार-विचारों के कारण विदेशों में कथंचित विस्तार पाकर भी स्थायित्व प्राप्त करने में अक्षम रहा। शिथिलाचार प्रवाहित चैत्यवासियों में आध्यात्मिक चेतना वाले त्यागवैराग्य सम्पन्न सन्त-महात्मा शुद्ध मार्ग को ओर उन्मुख हुए, श्रावकगण भी उनके प्रभाव से मुक्त होकर विधि-मार्ग की ओर आकृष्ट हुए। जैनाचार्यों ने क्षत्रिय, ब्राह्मण, कायस्थ और वैश्यादि जातियों के नये खून से नव्य प्रतिबोधित जातियों से जैन प्रजा में नव चेतना का संचार किया और धर्म को सुव्यवस्थित रूप दिया। इस विषय के महत्वपूर्ण कार्य सर्जक दादा जिनदत्तसरि और उनके पूर्व व पश्चात्वर्ती ज्योतिर्धरों के नाम उल्लेख योग्य हैं। स्वर्गीय दादा जिनदत्तसूरिजी ने गुरुदेव श्री सहजानन्दजी महाराज से यह रहस्य बतलाया था कि हमारे समय में जो योग्यता जैनेतरों में थी वह आज जैनों में भी नहीं है। तभी उस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची समय जैनतेर लोग वीतराग मार्ग से प्रभावित होकर शासनोद्धार में सहयोगी बने तथा मठवासी, चैत्यवासो लोग भी अपनी शुद्धि कर, सुविहित उप-सम्पदा ग्रहण कर स्व-पर-कल्याण पथ के पथिक बने। वर्द्धमानसूरि : अभोहर देश के चौरासी चैत्यों के अधिपति जिनचन्द्र के शिष्य वर्द्धमान ने सुविहित आचार्य उद्य तनसूरिजी के पास अ कर त्याग वैराग्य पूर्वक उप-सम्पदा ग्रहण की और वद्धमा सरि बने। उनके पास महान् प्रतिभा सम्पन्न जिनेश्वर और बुद्धिसागर भ्राताओं और कल्याणमति बहिन ने दीक्षा लो। वर्द्धमानसूरि जब पाटण पधारे तब उनके साथ १८ ठाणा अर्थात् १७ शिष्य थे, जिनके नाम अन्वेषणीय हैं। वद्धमानसूरि ने जिनेश्वर और बुद्धिसागर को आचार्य पद दिया । चंत्य नासियों पर विजय प्राप्ति स्वरूप खरतर-विरुद प्रसिद्ध हुआ और यहीं से सुविहित विधि-मार्ग, कोटिक गण चन्द्र कुल वज्रशाखा में खरतरगच्छ कहलाने लगा। जिनेश्वरसूरि : श्री जिनेश्वरसूरिजी महाराज के जिनचन्द्रसूरि, अभयदेवसूरि, धनेश्वरसरि, हरिभद्रसूरि, प्रसन्नचन्द्रसूरि आदि आचार्य एवं धर्मदेव, सुमति, विमल आदि अनेक शिष्य उपाध्याय हुए। धर्मदेवोपाध्याय और सहदेव दोनों भाई थे। धर्मदेवोपाध्याय ने हरिसिंह व सर्वदेव भ्राताओं तथा सोमचन्द्र को शिष्य बनाया। सहदेव गणि ने अशोकचन्द्र को अपना शिष्य बनाया जिसे जिन चन्द्रसूरि ने सुशिक्षित कर आचार्य पदारूढ़ किया। इन्होंने अपने स्थान पर हरिसिंहाचार्य को स्थापित किया। प्रसन्नचन्द्र और देवभद्र नामक दा सरि और थे । देवभद्रसूरि सुमति उपाध्याय के शिष्य थे । प्रसन्न चन्द्र आदि चार शिष्यों को अभय देवसरिजी ने न्याय शास्त्रादि पढ़ाये-१. प्रसन्नचंद्र, २. वर्द्धमान, ३. हरिभद्र, ४. देवभद्र । डिडियाणा में प्रवत्तिनी मरुदेवी ने ४० दिन का संथारा लिया हुआ था उसे संलेखना कराई। उन ग थाओं में 'तुम्ह गच्छम्मि' लिखा है। इनके सिवाय विस्तृत मुनि मण्डल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची होगा। पर यहां तक साधु-साध्वियों के दीक्षा-संवतादिका इतिहास सोमचन्द्र (जिनदत्तसूरि) के अतिरिक्त अप्राप्त है। श्री अभयदेवसूरि जो के प्रिय तेजस्वी शिष्य जिनवल्ल भसूरि का भी दीक्षा समय अज्ञात है। जिनदत्तसूरि : इन्होंने बागड़ देश में अनेक साधु-साध्वियों को दीक्षा दी । जिनशेखर को उपाध्याय पद देकर मुनियों के साथ रुद्रपल्ली भेजा। जयदेवाचार्य, जिनप्रभाचार्य, गुणचन्द्र, विमलचन्द्र, जिनरक्षित, शीलभद्र को अपनी मां के साथ, जयदत्त, रामचन्द्र, जीवानन्द, ब्रह्मचन्द्र, जिनरक्षित, शीलभद्र, वरदत्त, श्रीमती, जिनमती, पूर्णश्री को अध्ययनार्थ धारा नगरी भेजा। अध्ययन कर वापस आने पर श्री जिनदत्तसरिजी ने स्वदीक्षित जीवदेवाचार्य को प्राचार्य पद दिया। जिनचन्द्रगण, वा० शीलभद्रगणि, वा० स्थिरचन्द्र गणि, ब्रह्मचन्द्र गणि, वा० विमलचन्द्र गणि, वा० वरदत्त गणि, वा० भुवनचन्द्र गणि, वरनाग गणि, वा० रामचन्द्र गणि, वा० मणि चन्द्रगणि एव श्रीमती, जिनमति, पूर्णश्री, ज्ञानश्री, जिनश्री पांचों साध्वियों को महत्तरा पद से विभूषित किया। हरिसिंहाचार्य के शिष्य मुनिचन्द्र को उपाध्याय पद, उनके शिष्य वा० जयसिंह को चित्तौड़ में प्राचार्य पद, उसके शिष्य जयचन्द को पाटण में समवशरण में प्राचार्य पद दिया। जोवानन्द को उपाध्याय पद दिया। गुर्वावली में लिखा है कि यदि इनका पूरा विवरण लिखें तो एक बड़ा ग्रन्थ हो जाय । मणिधारी जिनचन्द्रसूरि : ___ इनकी दीक्षा श्री जिनदत्तसूरि जी के करकमलों से सं० १२०३ फा० सु० १ को अजमेर में हुई और सं० १२०५ वै० सु० ६ को पट्टधर प्राचार्य बनाया। इन्होंने सं० १२१४ त्रिभुवन गिरि (तहनगढ़) में प्रतिष्ठा व हेमदेवी को प्रवर्तिनी पद देकर सं० १३१७ में फाल्गुन सुदि १० को मथुरा में पूर्णदेव, जिनरथ, वीरभद्र, वीरजय, जगहित, जयशील, जिनभद्रादि सहित जिनपतिसूरि को दीक्षा दी। श्रे० क्षेमंधर को प्रतिबोध दिया। उसी वर्ष वैसाख सु० १० को मरुकोट में चन्द्रप्रभ विधि चैत्य में स्वर्ण कलश-ध्वज दण्डारोहण किया। गोल्लक सेठ तथा क्षेमंधर ने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ५०० द्रम से माला ग्रहण की। सं० १२१८ उच्चानगरी में ऋषभदत्त, विनयचन्द्र, विनयशील, गुणवर्द्धन, मानचन्द्र ५ साधुनों, जगश्री, सरस्वती, गुणश्री आदि साध्वियों को दीक्षा दी । देवभद्र की पत्नी को भी दीक्षित किया । प्रांशिका में मुनि नागदत्त को वाचनाचार्य पद दिया । जिनपतिसूरि : इनका जन्म सं० १२१० में विक्कमपुर में, दीक्षा सं० १२१७ फा०सु० १०, पदारोहण सं० १२२३ का० सु० १३ को हुआ | वाचनाचार्य पद धारक जिनभद्राचार्य को आचार्य पद देकर द्वितीय श्रेणी का आचार्य बनाया । पद्मचन्द्र, पूर्णचन्द्र को दीक्षित किया । सं० १२२४ में विक्रमपुर में गणधर, गुणशील, पूर्णरथ, पूर्णसागर, वीरचन्द्र, वीरदेव को क्रमशः ३ नन्दियां स्थापित कर दीक्षा दी | जिनप्रिय मुनि को उपाध्याय पद दिया । सं० १२२५ पुष्करणी में सपत्नीक जिनसागर, जिनाकर, जिनबन्धु, जिनपाल, जिनधर्म, जिनशिष्य व जिनमित्र को दीक्षा दी। विक्रमपुर ग्राकर जिनदेवगण को दीक्षा दी । सं० १२२७ में उच्चा नगरी पधारकर धर्मसागर, धर्मचन्द्र, धर्मपाल, धर्मशील, धनशील, धर्ममित्र एव साथ ही धर्मशील की माता को भी दीक्षित किया । जिनहित मुनि को वाचनाचार्य पद दिया । श्री जिनपतिसूरि ने मरुकोट पधारकर शीलसागर, विनयसागर और उनकी बहिन अजितश्री को संयम व्रत दिया । सं० १२२८ में सागरपाडा पधारे । सं० १२२६ सागरपाड़ा में मणिभद्र के पट्ट पर विनयभद्र को वाचनाचार्य पद दिया । सं० १२३० में विक्रमपुर से विहार कर स्थिरदेव, यशोधर, श्रीचन्द्र, अभयमति, प्रासमति, श्री देवी को दीक्षा दी । सं० १२३२ में पुनः विक्रमपुर ग्राकर भाण्डागारिक गुणचन्द्र गणि के स्तूप की प्रतिष्ठा की । फिर प्रासिका पधारे तो उस समय साथ में ८० साधु थे । धर्मसागर, धर्मरुचि को दीक्षा दी । व्याघ्रपुर में पार्श्वदेव गणि को दीक्षित किया । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १२३४ में फलवद्धिका में प्रतिष्ठा कर श्रीजिनमत गणि को उपाध्याय पद दिया। सूरिजी उन्हें प्राचार्य पद देते थे पर उन्होंने अस्वीकार. कर दिया। गुणश्री साध्वी को महत्तरा पद दिया। वहीं पर सर्वदेवाचार्य और जयदेवी साध्वी की दीक्षा सम्पन्न हुई। वहां से अजमेर जाकर सं० १२३५ का चातुर्मास किया और जिनदत्तसूरि स्तूपोद्धार करवाया। देवप्रभ तथा उसकी मां चरणमति को दीक्षा दी। सं० १२४१ में फलौदी आकर जिणनाग, अजित, पद्मदेव, गणदेव, यमचन्द्र, धर्मश्री व धर्मदेवी साधु-साध्वियों को दीक्षित किया। सं० १२४४ में संघयात्रा व प्रद्युम्नाचार्य से शास्त्रार्थ के पश्चात् अर्णाहलपुर पाटण में पधारे और गच्छ के आचार्यों को वस्त्र देकर सम्मानित किया। __ लवणखेड़ा में पूर्णदेव गणि, मानचन्द्र गणि, गुणभद्र गणि को वाचनाचार्य पद दिया। पुष्करिणी नगरी (पोकरण) में सं० १२४५ फाल्गुन मास में धर्मदेव, कुलचन्द्र, सहदेव, सोमप्रभ, सूरप्रभ, कीर्तिचन्द्र, सिद्धसेन, रामदेव और चन्द्रप्रभ आदि मुनियों तथा संयमश्री, शान्तमति, रत्नमति आदि साध्वियों को दीक्षा दी। सं० १२४७-४८ में लवणखेड़ा में रहकर मुनि जिनहित को उपाध्याय पद दिया । सं० १२४६ में पुष्करिणी आकर मलयचन्द्र को दीक्षा दी। सं० १२५० में विक्रमपुर पाकर पद्मप्रभ को प्राचार्य पद दिया और उन्हें सर्वदेवसूरि नाम से प्रसिद्ध किया। सं० १२५१ में कुहियप गांव में जिनपाल गणि को वाचनाचार्य पद दिया । सं० १२५२ में विनयानन्द गणि को दीक्षित किया। सं० १२५३ में सुप्रसिद्ध विद्वान् भण्डारी, नेमिचन्द्र को प्रतिबोध दिया। सं० १२५४ में श्री धारा नगरी में साध्वी रत्नश्री को दीक्षा दी। सं० १२५६ चैत्र बदि ५ को नेमिचन्द्र, देवचन्द्र, धर्मकीत्ति और देवेन्द्र को लवणखेटक में दीक्षा दी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १२५८ चैत्र बदि २ को वीरप्रभ, देवकीत्ति श्रावकों को दीक्षा दी । इनको बड़ी दीक्षा सं० १२६० में आषाढ़ बदि ६ को हुई । साथ ही सुमति गणि व पूर्णभद्र गणि को दीक्षा दी, आनन्दश्री को महत्तरा पद दिया । ५ सं० १२६३ फाल्गुन बदि ४ को लवणखेड़ा में महावीर प्रतिमा स्थापना के अवसर पर नरचन्द्र, रामचन्द्र, पूर्णचन्द्र, विवेकश्री, मंगलमती, कल्याणश्री, जिनश्री आदि साधु-साध्वियों को दीक्षा दी तथा धर्मदेवी को प्रवत्तनी पद से विभूषित किया । सं० १२६५ लवणखेड़ा में मुनिचन्द्र, मानचन्द्र, सुन्दरमति व समति को दीक्षा दी । सं० १२६६ में भावदेव, जिनभद्र, विजयचन्द्र को दीक्षा दी । गुणशील को वाचनाचार्य बनाया एव ज्ञानश्री को साध्वी बनाया । सं० १२६६ में जावालिपुर में जिनपाल गणि को उपाध्याय पद दिया | धर्मदेवी प्रवत्तिनी को महत्तरा पद देकर नामान्तर 'प्रभावती' प्रसिद्ध किया । महेन्द्र, गुणकीति, मानदेव, चन्द्रश्री, केवलश्री - पांचों को दीक्षित किया । सं० १२७४ में वृहद्वार में शास्त्रार्थ से लौटते हुए मार्ग में भावदेव को मुनि दीक्षा दी । सं० १२७५ में जाबालिपुर में जेठ सुदि १२ को भुवनश्री गणिनी, जगमती, मंगलश्री एवं विमलचन्द्र गणि, पद्मदेव गणि को दीक्षा दी । सं० १२७७ पालनपुर में श्री जिनपतिसूरि श्राषाढ़ सुदि १० को स्वर्गवासी हुए । जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) : श्री जिनेश्वरसूरि का जन्म मरोट में भण्डारी नेमिचन्द्र की पत्नी लक्ष्मणी की कोख से स० १२४५ मार्गशीर्ष शुक्ल ११ को हुआ था । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची इनका जन्म नाम अम्बड़ था। सं० १२५८ में जिनपतिसूरि जी द्वारा पीरप्रभ नाम से खेड़ नगर में दीक्षित हुए। सूरि पद सं० १२७८ मा० सु०६ में हुआ, पट्टधर बने । सं० १२७८ माघ सुदि ६ को जावालिपुर में ७ शिष्यों को दीक्षाएं दी यशकलश गणि, विनयरुचि गणि, बुद्धिसागर गणि, रत्नकीर्ति गणि, तत्त्वप्रभ गणि, रत्नप्रभ गणि, अमरकीर्ति गणि। सं० १२७६ जेठ सुदि १२ को श्रीमालपुर में निम्नोक्त दीक्षाएं दी, इनमें साधुओं का नामान्त पद एक बिजय और दूसरा प्रभ था और साध्वियों का 'माला' था, नाम निम्नोक्त हैं : श्रीविजय, हेमप्रभ, तिलकप्रभ, विवेकप्रभ साधु तथा चारित्रमाला गणिनी, ज्ञानमाला, और सत्यमाला गणिनी-तीन साध्वियाँ। सं० १२७६ माघ सुदि ५ को जावालिपुर में हुई दीक्षाएं___ अर्हद्दत गणि, विवेकश्री गणिनी, शीलमाला गणिनी, चन्द्रमाला गणिनी, विनयमाला गणिनी। सं० १२८० माघ सुदि १२ को पुनः श्रीमालपुर में प्रतिष्ठा और ध्वजारोपणादि के पश्चात् फाल्गुन कृष्ण १ के दिन ४ दीक्षाएं सम्पन्न हुई। यतः कुमुदचन्द्र, कनकचन्द्र तथा पूर्णश्री गणिनी व हेमश्री गणिनी। सं० १२८१ वैसाख सुदि ५ को जाबालिपुर में निम्नोक्त ४ साधु और साध्वियों की दीक्षाएं हुईं :-विजयकीति, उदयकीति, गुणसागर, परमानन्द साधु और कमलश्री, कुमुद श्री साध्वियाँ । सं० १२८३ माघ बदि ६ को बाड़मेर में सूरप्रभ को उपाध्याय पद भौर मंगलमति गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया गया। वीरकलश गणि, नन्दिवर्द्धन गणि और विजयवर्द्धन गणि को दीक्षा दी। सं० १२८४ में बीजापुर पधारकर श्रीवासुपूज्य स्वामी की स्थापना की और आषाढ़ सुदि २ अमृतकीर्ति गणि, सिद्धिकीति गणि एवं चारित्रसुन्दरी, धर्मसुन्दरी गणिनी को दीक्षा दी। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ___ सं० १२८५ ज्येष्ठ सु।द २ को कीर्तिकलश गणि, पूर्णकलश गणि व उदयश्री गणिनी को बीजापुर में ही दीक्षित किया। और, वहीं ज्येष्ठ सुदि ह को न्यायचन्द्र, विद्याचन्द्र एवं अभयचन्द्र गणि को दीक्षा दी। सं० १२८७ फाल्गुन बदि ५ को पालनपुर में जयसेन, देवसेन, प्रबोधचन्द्र, अशोकचन्द्र गणि और कुलश्री गणिनी, प्रमोदश्री गणिनी को दीक्षा देकर उपकृत किया। सं० १२८८ पौष सुदि ११ को जालोर में निम्नोक्त दीक्षाएं दीं १ कल्याणकलश, २ प्रसन्नचन्द्र, ३ लक्ष्मीतिलक, ४ वीरतिलक, ५ रत्नतिलक पाँच मुनि तथा धर्ममति, विनयमति, विद्यामति, चारित्रमति चार साध्वियों को दीक्षित किया। सं० १२८८ ज्येष्ठ शुक्ला १२ को चित्तौड़ में अजितसेन, गुणसेन, अमृतमूर्ति, धर्ममूर्ति, राजीमति, हेमावलो, रत्नावली गणिनी तथा मुक्तावली गणिनी की दीक्षाएं हुईं। ___ सं० १२९१ में वैसाख सुदि १० को जाबालिपुर में श्री जिनेश्वरसरिजी महाराज ने १ यतिकलश, २ क्षमाचन्द्र, ३ शीलरत्न, ४ धर्मरत्न, ५ चारित्ररत्न, ६ मेघकुमार गणि, ७ अभयतिलक, ८ श्रीकुमार मुनि एवं शीलसुन्दरी तथा चन्दनसुन्दरी साध्वियों को दीक्षा दी। मिती ज्येष्ठ बदि २ के दिन मूल नक्षत्र में श्री विजयदेवसूरि को आचार्य पद से विभूषित किया। सं० १२९४ में श्रीसंघहित मुनि को उपाध्याय पद दिया। सं० १२६६ में पालनपुर पधार कर फाल्गुन बदी ५ को प्रमोदमत्ति, प्रबोधमूत्ति, देवमूर्ति गणि-तीनों को दीक्षा प्रदान की। सं० १२९७ मिती चैत्र सुदि १४ के दिन पालनपुर में देवतिलक व धर्मतिलक को दीक्षा दी। सं० १२६६ के प्रथम आश्विन मास की द्वितीया के दिन प्रगाढ वैराग्य के वशोभूत छाजहड महामंत्री कुलधर को दीक्षा देकर कुलतिलक मुनि नाम रखा। सं० १३०४ वै० शु० १४ को विजयवर्द्धन गणि को आचार्य पद से Jain Educationa International For Personal and Private Use Only ___ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची । विभूषित कर उनका नाम बदलकर जिनरत्नाचार्य रखा एवं निम्नलिखित साधओं को दीक्षा प्रदान की : १ त्रिलोकहित, २ जीवहित, ३ धर्माकर, ४ हर्षदत्त, ५ संघप्रमोद ६ विवेकसमुद्र, ७ देवगुरुभक्त, ८ चारित्रगिरि, ९ सर्वज्ञभक्त; १० त्रिलोकानंद। सं० १३०६ माघ शुक्ल १२ को पालनपुर में श्री जिनेश्वररि जी महाराज ने समाधिशेखर, गुणशेखर, देवशेखर, साधुभक्त, वीरवल्लभ मुनि तथा मुक्तिसुन्दरी साध्वी को दीक्षित किया। उसी वर्ष माघ सुदि १० को नगरकोट आदि अनेक स्थानों में प्रतिष्ठापनार्थ अनेक प्रतिमाओं की अंजनशलाका-प्रतिष्ठादि सम्पन्न हुईं। सं० १३१० वैशाख सुदि ११ को जाबालिपुर (जालोर) में चारित्रवल्लभ, हेमपर्वत, अचलचित्त, लाभनिधि, मोदमन्दिर, गजकीति, रत्नाकर, गतमोह, देवप्रमोद, वीरानन्द, विगतदोष, राजललित, बहुचरित्र, विमलप्रज्ञ और रत्ननिधि-इन पन्द्रह साधुओं को प्रव्रज्या धारण कराई। इन पन्द्रह में चारित्रवल्लभ और विमलप्रज्ञ पिता-पुत्र थे। इसी वर्ष वैशाख सदि त्रयोदशी शनिवार स्वाति नक्षत्र में श्री महावीर स्वामी के विधिचैत्य में राजा उदयसिंह जी आदि अनेक राजाओं की उपस्थिति में राजमान्य महामंत्री श्री जैत्रसिंह जी के तत्वावधान में अनेक धनी-मानी सज्जनों द्वारा विपुल द्रव्य व्यय कर प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी, जिसके लिए खरतर गच्छ का इतिहास द्रष्टव्य है। इस अवसर पर प्रमोदश्री गणिनी को महत्तरा पद देकर लक्ष्मोनिधि नाम दिया गया और ज्ञानमाला गणिनी को प्रत्तिनी पद दिया गया। सं० १३११ वैशाख सुदि ६ को पालनपुर में प्रतिष्ठा महोत्सव के पश्चात खरतर गच्छ को नौका के कर्णधार संस्कृत के प्रौढ विदान श्रीजिनपालोपाध्याय जी समाधिपूर्वक स्वर्ग सिधार गये। सं० १३१२ वैशाख सुदि पूर्णिमा के दिन चन्द्रकीति गणि को उपाध्याय पद प्रदान किया, उनका चन्द्रतिलकोपाध्याय नया नामकरण किया। इसी अवसर पर प्रबोधचन्द्र गणि और लक्ष्मीतिलक गणि को वाचनाचार्य पद से सम्मानित किया गया। इसके बाद ज्येष्ठ बदि को उपशमचित्त, पवित्रचित्त, आचारनिधि और त्रिलोकनिधि को दीक्षा दी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३१३ फाल्गुन सुदि ४ को जालोर में स्वर्णगिरि स्थित वाहित्रिक उद्धरण श्रावक कारित शान्तिनाथ मूर्ति की स्थापना की। चैत्र सुदि १४ को कनककीति, त्रिदशकीर्ति, विबुधराज, राजशेखर, गुणशेखर तथा जयलक्ष्मी, कल्याणनिधि, प्रमोदलक्ष्मी और गच्छवृद्धि की दीक्षा हुई। ____ सं० १३१३ आषाढ़ सुदि १० को पालनपुर में भावनातिलक, भरतकीति को दीक्षा दी। . सं० १३१४ या १५ आषाढ़ सुदि १० को पालनपुर में सकलहित और राजदर्शन मुनि एवं बुद्धिसमृद्धि, ऋद्धिसुन्दरी और रत्नवृष्टि साध्वी त्रय की दीक्षा सम्पन्न हुई। सं० १३१६ माघ सुदि १४ को जालोर में धर्मसुन्दरी गणिनी को प्रवर्तिनी पद से विभूषित किया तथा माघ सुदि ६ को पूर्णशेखर, कनककलश को प्रवजित किया। सं० १३१७ माघ सुदि १२ को लक्ष्मीतिलक गणि को उपाध्याय पद पद से विभूषित किया तथा पद्माकर नामक व्यक्ति को दीक्षा दी गई। जिन प्रतिमादि के बड़े भारी प्रतिष्ठा महोत्सव के पश्चात् वैशाख सुदि द्वादशी के दिन सौम्यमूर्ति तथा न्यायलक्ष्मी नामक साध्वियों को दीक्षा बड़े धूमधाम से करवाई गई। सं० १३१८ पौष सुदि तृतीया के दिन संघभक्त को दीक्षा और धर्ममूत्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया गया। सं० १३१६ मिगसर सुदि ७ दिन अभयतिलक गणि को उपाध्याय पद दिया गया। इसी वर्ष उपाध्याय जी ने पं० देवमूर्ति आदि साधुओं के साथ उज्जैन पधारकर तपागच्छीय पं० विद्यानंद को शास्त्रार्थ में जीतकर जय-पत्र प्राप्त किया। सं० १३१६ माह बदि ५ को विजयसिद्धि साध्वी की दीक्षा हुई। सं० ३१२१ फागुन सुदि २ गुरुवार को चित्रसमाधि और शांतिनिधि साध्वी द्वय की दीक्षा हुई। सं १३२१ ज्येष्ठ सुदि १५ को चारित्रशेखर, लक्ष्मीनिवास और रत्नावतार साधुत्रय को दीक्षा दी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ___सं० १३२२ माघ सुदि १४ को विक्रमपुर में त्रिदशानंद, शान्तमूत्ति, त्रिभुवनानंद, कीर्तिमंडल, सुबद्धिराज, सर्वराज, वीरप्रिय, जयवल्लभ, लक्ष्मीराज और हेमसेन मुनियों को तथा मुक्तिवल्लभा, नेमिभक्ति, मंगलनिधि, प्रियदर्शना को तथा विक्रमपुर में ही वैशाख सुदि ६ को वोरसुन्दरी को दीक्षित किया। ___ सं० १३२३ मार्गशीर्ष बदि ५ को नेमिध्वज व विनयसिद्धि, आगमसिद्धि को दीक्षा दी। सं० १३२३ वैशाख सुदि १३ के दिन देवमूत्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया गया । ज्येष्ठ सुदि १० को जेसलमेर में विवेकसमुद्र गणि को वाचनाचार्य पद दिया । आषाढ़ बदि १ को हीराकरको दोक्षित किया। ___ सं० १३२४ मिति मार्गशीर्ष कृष्णा २ शनि को कुलभूषण, हेमभूषण दो मुनि तथा अनन्तलक्ष्मी, व्रतलक्ष्मी, एकलक्ष्मी, प्रधानलक्ष्मी साध्वी चार का महोत्सव के साथ जालोर में दोक्षा महोत्सव हुआ। सं० १३२५ वैशाख सु० १० को जावालिपुर में राजेन्द्रबल साधु तथा पद्मावती साध्वी को दीक्षा दी। वैशाख सुदि १४ को धर्मतिलक गणि को वाचनाचार्य पद दिया। सं० १३२७ मिति ज्येष्ठ बदि में श्री गिरनार तीर्थ पर श्री नेमिनाथ भगवान के समक्ष १ प्रबोधसमुद्र और २ विनयसमुद्र को दीक्षा दी। सं० १३२८ जेठ बदि ४ हेमप्रभा साध्वी को जालोर में दीक्षा दी।। सं० १३३० मिति वैशाख बदि६ को प्रबोधमूर्ति गणि को वाचनाचार्य पद एवं कल्याणऋद्धि गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया। सं० १३३१ आश्विन बदी ५ को वाचनाचार्य प्रबोधमूर्ति गणि को अपने पद पर स्थापित किया। ये श्रीचन्द्र बोथरा के पुत्र (बच्छावतों के पूर्वज) थे। आश्विन बदि ६ को रात्रि में श्रीजिनेश्वरसूरि जी स्वर्गवासी हुए। जिनप्रबोधसूरि इनका जन्म बच्छावतों के पूर्वज सेठ श्रीचंद-श्रीयादेवी के यहां सं० १२८५ में हुआ। जन्म नाम मोहन था। दीक्षा सं०१२१६ पालनपुर में हुई, प्रबोधमूर्ति नाम रखा गया। सं०१३३१ फाल्गुन बदि ८ को जिनरत्नसूरिजी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची द्वारा चन्द्रतिलकोपाध्याय, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय, वाचनाचार्य पद्मदेव गणि आदि की उपस्थिति में इनकी आचार्य पद पर स्थापना हुई। ___ सं० १३३१ फाल्गुन शुक्ला ५ को स्थिरकीत्ति भुवनकीत्ति दो मुनियों तथा केवलप्रभा, हर्षप्रभा, जयप्रभा, यशःप्रभा साध्वियों को दीक्षा दी। ___ सं० १३३२ ज्येष्ठ बदि ह के दिन विमलप्रज्ञ को उपाध्याय पद व राजतिलक को वाचनाचार्य पद प्रदान किया । मिती ज्येष्ठ सुदि ३ के दिन गच्छकीति, चारित्रकीति, क्षेमकीत्ति मुनियों और लब्धिमाला, पुण्यमाला साध्वियों को जावालिपुर में दीक्षित किया । सं० १३३३ माघ बदि १३ को जावालिपुर में कुशलश्री गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया गया। सं० १३३४ मार्ग शिर बदि १३ को रत्नवृष्टि गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया। तदनंतर भीमपल्ली नगरी में वैशाख बदिह को मंगलकलश साध को दीक्षित किया। . सं० १३३४ जेठ बदि ७ को शत्रुजय महातीर्थ पर जीवानंद साधु तथा पुष्पमाला, यशोमाला, धर्ममाला, लक्ष्मीमाला साध्वियों को दीक्षा दी। सं० १३३५ मार्गशीर्ष बदि ४ के दिन पद्मकीर्ति, सुधाकलश,तिलककीति, लक्ष्मीकलश, नेमिप्रभ, हेमतिलक, नेमितिलक को मुनि दीक्षा दी। सं० १३३५ वै० बदि ७ को मोहविजय, मुनिवल्लभ को दीक्षा दी तथा हेमप्रभ गणि को वाचनाचार्य पद दिया। सं० १३३६ ज्येष्ठ सुदि ६ को जिनप्रबोधसूरि जी के पिता सेठ श्रीचंद (बोथरा) का अन्त समय ज्ञात कर, चित्तौड़ से शीघ्र पालनपुर जाकर उन्हें दीक्षित किया। उनका नाम श्रीकलश रखा गया। सेठ के द्रव्य को सात क्षेत्र में बाँट दिया गया तथा दीन-अनाथों का भी मनोरथ पूर्ण किया गया। सं० १३३७ ज्येष्ठ बदि १२ को बीजापुर में आनंदमूर्ति व पुण्यमूत्ति को दीक्षित किया। सं० १३३६ मिती ज्येष्ठ बदि ४ को जगच्चन्द्र मुनि और कुमुदलक्ष्मी, Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची १५ भुवनलक्ष्मी साध्वी को दीक्षा दी । चंदनसुन्दरी गणिनी को महत्तरा पद देकर चन्दनश्री नाम प्रसिद्ध किया। ___ सं० १३४० मिती ज्येष्ठ सुदि ४ के दिन जैसलमेर में जिनप्रबोधसूरि जी ने निम्नोक्त दीक्षाएं दीं-१ मेरुकलश, धर्मकलश, लब्धिकलश मुनि एवं पुण्यसुन्दरी, रत्नसुन्दरी, भुवनसुन्दरी, हर्षसुन्दरी साध्वी। सं० १३४१ फाल्गुन कृष्णा ११ को बिक्रमपुर में विनयसुन्दर सोमसुन्दर, लब्धिसुन्दर, चन्द्रमूत्ति, मेघसुन्दर साधु एवं धर्मप्रभा, देवप्रभा साध्वियों को दीक्षित किया। सं० १३४१ में जावालिपुर पधार कर मिती वैशाख सुदि ३ को अपने पाट पर श्रीजिनचन्द्रसूरि को अभिषिक्त किया और उसी दिन राजशेखर गणि को वाचनाचार्य पद दिया। वैशाख सुदि ८ को सकल संघ को एकत्र कर मिथ्यादुःकृत दिया और वैशाख सुदि ११ को स्वर्ग सिधारे । जिनचन्द्रसूरि (कलिकाल केवली) ये समियाणा (गढसिवाणा) के मंत्री देवराज की धर्मपत्नी कोमलदेवी के पुत्र थे। इनका जन्म नाम खंभराय था। इनका जन्म सं० १३२४ मार्गशीर्ष सुदि ४ को हुआ था। सं० १३३२ ज्येष्ठ सुदि ३ को जिन प्रबोधसूरि से दीक्षित हुए, क्षेमकीत्ति नाम प्रसिद्ध हुआ। जेसलमेर नरेश कर्णदेव, जैत्रसिंह और सिवाणा के समरसिंह व शीतलदेव आपके भक्त थे। सम्राट कुतुबुद्दीन को अपने सद्गुणों से चमत्कृत किया था। सं० १३४२ वैशाख सुदि १० को जावालिपुर में प्रीतिचंद्र, सुखकीति, जयमंदिर साधु और रत्नमंजरी, शीलमंजरी साध्वियों को दीक्षित किया। वाचनाचार्य विवेकसमुद्र गणि को उपाध्याय पद, सर्वराज गणि को वाचनाचायं पद, बुद्धिसमद्धि गणिनी को प्रत्तिनी पद से अलंकृत किया। मिती जेठ बदि ११ को वा देवमूत्ति को अभिषेक (उपाध्याय) पदाधिष्ठित किया। सं० १३४४ मार्गशीर्ष शुक्ल १० को जालोर ‘में पं० स्थिरकीति गणि को आचार्य पद देकर उनका नाम दिवाकराचार्य प्रसिद्ध किया। सं० १३४५ मिती आषाढ़ सुदि ३ को मतिचन्द्र, धर्मकीति आदि को दीक्षा दी । मिती वैशाख बदि १ को पुण्यतिलक, भुवनतिलक मुनि तथा चारित्रलक्ष्मी साध्वी को दीक्षित किया। राजदर्शन गणि को वाचनाचार्य पद से विभूषित किया। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३४६ माह बदि १ के दिन स्वर्णगिरि पर देववल्लभ, चारित्र तिलक, कुशलकीत्ति साधुओं व रत्नश्री साध्वी को दीक्षा दी। ___ सं० १३४६ ज्येष्ठ बदि ७ को पालनपुर में नर वंद्र, राजचंद्र, मुनिचंद, पुण्यचंद्र साधु एवं मुक्तिलक्ष्मी, युक्तिलक्ष्मी साध्वियों को दीक्षित किया। सं० १३४७ मार्गशिर सुदि ६ को पालनपुर में सुमतिकोति को दीक्षा तथा नरचंद्र आदि साधु-साध्वियों की बड़ी दीक्षा एवं मालारोपणादि सम्पन्न हुए। सं० १३४७ मिति चैत्र बदि ६ को अमररत्न, पद्मरत्न, विजयरत्न साधु और मुक्तिचन्द्रिका साध्वी को दीक्षा दी। सं० १३४८ मिती वैशाख सुदि ३ को पालनपुर में वीरशेखर साधु और अमृत श्री साध्वी को दीक्षा दी। त्रिदशकीर्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया । उसी वर्ष सुधाकलश, मुनिवल्लभ आदि साधुओं सहित पूज्यश्री ने गणियोग तप किया। सं० १३४६ मिती भादवा बदि ८ के दिन सह-धर्मियों को सदावत देने वाले संघपति अभयचन्द्र सेठ का अन्त समय जानवर उनको संस्तारक दीक्षा दी गई। उनका नाम अभयशेखर रखा गया। वहां पर मार्गशिर बदि २ को यशःकोति को दीक्षा दी गई। ___ सं० १३५० मिती वैशाख सुदि ६ को करहेटक, आबू तीर्थों की यात्रा कर, जन्म सफल करके बरडियानगर के मुख्य श्रावक नोलखा वंश भूषण भां० झांझण को स्वपक्ष-परपक्ष सभी को आश्चर्यकारी संस्तारक दीक्षा दी गई तथा नरतिलक राजर्षि नाम दिया गया। ___सं०१३५१ मिती माघ वदि ५ को विश्वकीर्ति साधु व हेमलक्ष्मी साध्वी को दीक्षा दी। यह दीक्षाएं पालनपुर में मंत्री तिहुण के प्रतिष्ठा महोत्सव के विस्तृत आयोजन में हुईं। ___ सं० १३५३ का चातुर्मास बीजापुर में कर मार्गसिर वदि ५ के दिन श्री वासुपूज्य जिनालय में मुनिसिंह, तपसिंह तथा जयसिंह साधुओं को दीक्षा दी। सं० १३५४ मिती जेठ बदि १० को जावालिपुर में साह सलखण जी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १७ के पुत्र सेठ सीहा कारित महोत्सव पूर्वक वीरचन्द्र, उदयचन्द्र, अमृतचन्द्र, साधु व जयसुन्दरी साध्वी की दीक्षा हुई। __ सं० १३५७ मार्गसिर सुदि के दिन जैसलमेर में सेठ लखम और भंडारी गज के जयहंस और पद्महंस नाम के दो पुत्रों का दीक्षा महोत्सव समारोह पूर्वक हुआ। सं० १३६१ वैशाख बदि १० के दिन जावालिपुर प्रतिष्ठा महोत्सब में सवा लाख मनुष्यों की उपस्थिति में पं० लक्ष्मीनिवास गणि व पं० हेमभूषण गणि को वाचनाचार्य पद से अलंकृत किया। सं० १३६४ वैशाख बदि १४ को जावालिपुर में राजगृहादि अनेक तर्थों को यात्रा कर पुण्य संचय करने वाले वाचनाचार्य राजशेखर गणि को आचार्य पद से सम्मानित किया गया। सं० १३६७ में भीमपल्ली पधारकर फागुन सुदि १ को ३ क्षुल्लक और दो क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी। उनके नाम रखे १ परमकीति, २ वरकीर्ति, ३ रामकीर्ति, व पद्मश्री, व्रतश्री। पं० सोमसुन्दर गणि को वाचनाचार्य पद दिया। सं० १३६८ में भीमपल्ली में प्रतापकोति आदि क्षुल्लकों को बड़ी दीक्षा तथा तरुणकीर्ति, तेजकीत्ति, व्रतधर्मा तथा दृढधर्मा-क्षुल्लक, क्षुल्लिकाओं को महोत्सव पूर्वक दीक्षा दी। उसी दिन ठाकुर हाँसिल के पुत्ररत्न देहड़ के छोटे भाई स्थिरदेव की पुत्री रत्नमंजरी गणिनी को पूज्य श्री ने महत्तरा पद प्रदान कर जयदि महत्तरा नाम रखा तथा प्रियदर्शना गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया। सं० १३६६ मार्गशिर बदि ६ के दिन पाटण नगर में चन्दनमूर्ति, भुवनमूर्ति, सारमूत्ति और हरिमूत्ति-चार छोटे साधु बनाये तथा केवलप्रभा गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया। सं० १३७० मिती माघ शु. ११ को पाटण में मुनि (लब्धिनिधान), ज्ञाननिधान को एवं यशोनिधि, महानिधि दो साध्वियों को दीक्षा दी। सं० १३७१ फा० सुदि ११ को भीमपल्ली में त्रिभुवनकीर्ति मुनि तथा प्रियधर्मा, यशोलक्ष्मी, धर्मलक्ष्मी साध्वियों को दीक्षित किया। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३७१ ज्येष्ठ वदि १० को जाबालिपुर में देवेन्द्रदत्त, पुण्यदत्त, ज्ञानदत्त, चारुदत्त मनि व पुण्यलक्ष्मी, कमललक्ष्मी, ज्ञानलक्ष्मी तथा मतिलक्ष्मी को दीक्षा दी। सं० १३७३ में पाटण से उपाध्याय विवेकसमुद्र के पास अध्ययनरत मुनि राजचन्द्र को पुण्यकीत्ति के साथ सिन्ध-देवराजपुर (देराउर) बुलाकर. आचार्य पद से विभूषित कर श्री राजेन्द्र चन्द्राचार्य नाम रखा। ललितप्रभ, नरेन्द्रप्रभ, धर्मप्रभ, पुण्यप्रभ तथा अमरप्रभ नाम के साधुओं को दीक्षित किया । __ सं० १३७४ फागुन बदि ६ को दर्शनहित, भुवनहित मुनियों को दीक्षा दी। ___ सं० १३७५ मिति माघ शुक्ल १२ को फलौदी पार्श्वनाथ पधार कर नागौर संघ की प्रार्थना से अनेक देश-नगर के संघ की उपस्थिति में अनेक महोत्सव संपन्न हुए। सोमचंद्र साधु एवं शीलसमृद्धि, दुर्लभसमृद्धि, भुवनसमृद्धि साध्वियों को दीक्षा दी । पं० जगच्चंद्र गणि को उपाध्याय पद दिया। गृहस्थावस्था में अपने भ्रातुष्पुत्र तथा शिष्यरूप में दीक्षित होने वाले उभय प्रकार से सन्तान, अपने पट्ट योग्य महान् विद्वान पं० कुशलकीत्ति को वाचनाचार्य पद प्रदान कर सम्मानित किया। धर्ममाला गणिनी और पण्य सुन्दरी गणिनी को प्रत्तिनी पद से अलंकृत किया। सं० १३७६ मिती आषाढ सुदि ६ को कोसवाणा में डेढ प्रहर रात्रि गये ६५ वर्ष की आयु में वाचनाचार्य कुशलकीत्ति गणि को अपने पट्ट पर बैठाने की आज्ञा प्रसारित कर श्रीजिनचन्द्रसूरि जी स्वर्गवासी हुए। जिनकुशलसूरि श्री जिनकुशलसूरि जी प्रगट प्रभावी और तृतीय दादा साहब हुए हैं। इनका जन्म छाजहड़ मंत्री जेसल (जिल्हागर) की धर्म पत्नी जयतश्री के कोख से सं० १३३७ मिती मार्गसिर बदि३ के दिन गढसिवाणा में हुआ था । कलिकाल केवली श्री जिनचन्द्र सूरि जी आपके पितृव्य (चाचा) थे; जिनके पास सं० १३४६ माघ बदि १ के दिन स्वर्णगिरि (जालोर) में इनकी दीक्षा हुई। इनका जन्म नाम करमण था, दीक्षा नाम कुशलकोत्ति किया। सं० १३७५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची माघ शु० १२ को फलौधी पार्श्वनाथ तीर्थ में इनको वाचनाचार्य पद जिनचन्द्रसूरि ने अलंकृत किया । सं० ० १३७७ जेठ वदि ११ को पाटण में श्री राजेन्द्र चन्द्राचार्य ने तेजपाल रुद्रपाल कारित महोत्सव पूर्वक श्री जिनचन्द्रसूरि जी के पट्ट पर इनको स्थापित कर जिनकुशलसूरि नाम प्रसिद्ध किया । १६ सं० १३७८ माघ सुदि ३ को भीमपल्ली में आपने देवप्रभ मुनि को दीक्षा दी । वाचनाचार्य हेमभूषण गणि को उपाध्याय पद और पं० मुनिचन्द्र गणि को वाचनाचार्य पद दिया । सं० १३८१ मिति आषाढ बदि ६ को शत्रुञ्जय तीर्थ पर देवभद्र, यशोभद्र को दीक्षित किया। पाटण आकर वैशाख बदि ६ को इन देवभद्र, यशोभद्र को बड़ी दीक्षा दी । एवं सुमतिसार, उदयसार, जयसार मुनि और धर्मसुन्दरी, चारित्रसुन्दरी को दीक्षित किया । जयधर्म गणि को उपाध्याय पद दिया गया । सं०१३८२ वैशाख सुदि ५ को विनयप्रभ, मतिप्रभ, सोमप्रभ, हरिप्रभ ललितप्रभ मुनि एवं दो क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी । $ सं० १३८३ फागुण बदि ६ से १५ दिन तक उत्सवों के साथ छः दीक्षाएँ सम्पन्न हुई - न्यायकीत्ति, ललितकीर्ति, सोमकीत्ति, अमरकीत्ति, ज्ञानकीर्ति, एवं देवकीर्ति । सं० १३८६ माह सुदि ५ को देवराजपुर (देरावर) में 8 क्षुल्लक ३ क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी : For Personal and Private Use Only १. भावमूर्ति, २. मोहमूर्ति, ३. उदयमूर्ति, ४. विजयमूर्ति, ५. हेममूर्ति, ६. भद्रमति, ७. मेघमूर्ति, ८. पद्ममूर्ति, हर्षमूर्ति क्षुल्लक एवं कुलधर्मा, विनयधर्मा, शीलधर्मा क्ष ुल्लिकाएं। इस समय ७७ श्रावक-श्राविकाओं ने विविध व्रत धारण किए थे। इन वर्षों में श्री जिनकुशल सूरिजी सिन्ध के अनेक स्थानों में विचरे थे । सं० १३८५ फाल्गुन सुदि ४ को पदस्थापना, क्षुल्लक क्षुल्लिकाओं को दीक्षादि दी । कमलाकर गणि को वाचनाचार्य पद दिया । 1 Jain Educationa International Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३८८ मिगसर सुदि १० को विद्वशिरोमणि श्री तरुणकीर्ति गणि को आचार्य पद से अलंकृत किया एवं श्री लब्धिनिधान गणि को उपाध्याय पद दिया । जयप्रिय और पुण्यप्रिय नामक दो क्षुल्लक व जयश्री, धर्मश्री दो क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी। सं० १३८६ मिती फाल्गुन वदि ५ को तीसरे प्रहर संघ को एकत्र कर अपने पद पर पद्ममूति नामक पन्द्रह वर्षीय शिष्य को अभिषिक्त करने के लिए तरुणप्रभाचार्य और महोपाध्याय लब्धिनिधान को आदेश देकर स्वर्ग सिधारे। निजपद्मसूरि ये सेठ लक्ष्मीधर के पुत्र, अंबदेव सेठ की पुत्री कीकी के नंदन सं० १३८३ में माघ सुदि ५ को देरावर में दीक्षित हुए, पद्ममूत्ति दीक्षा नाम था। सं० १३६० ज्येष्ठ सुदि ६ को मिथुन लग्न में पट्टाभिषिक्त हुए थे। उस समय तरुणप्रभाचार्य, जयधर्म महोपाध्याय एवं लब्धिनिधान महोपाध्याय आदि ३६ मुनि व अनेक साध्वियों की उपस्थिति थी। श्री जिन 'पद्मसूरि नाम रखा गया। ___ सं० १३६० ज्येष्ठ सुदि १० सोमवार के दिन जिनपद्मसूरि ने १ जयचंद्र, २ शुभचंद्र, ३ हर्षचंद्र मुनि और महाश्री, कनकधी दो क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी। पं० अमृतचंद्र को वाचनाचार्य पद दिया। सं० १३६१ जेसलमेर में लक्ष्मीमाला गणिनी को प्रतिनी पद दिया। सं० १३६२ माघ सुदि ६ को साचोर में मुनि नयसागर और अभयसागर को दीक्षित किया और मार्गशीर्ष बदि ६ को पाटण में दोनों क्षुल्लकों को बड़ी दीक्षा दी। युगप्रधानाचार्य गुर्वावली में सं० १३९३ तक का ही वर्णन संप्राप्त है। सं० १४०० मिती वैशाख सुदि १४ की श्री जिन पद्मसूरि जी स्वर्गवासी जिनलब्धिसूरि ये जेसलमेर के थे। सं० १३६० मिती मार्गशीर्ष शुक्ल १२ को अपने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ननिहाल सांचोर में जन्मे । इनके पिता नवलखा धसिंह और माता का नाम खेताही था। इनका जन्म नाम लक्खणसीह था। सं० १३७० माघ शुक्ल ११ को पाटण में श्रीजिनचंद्रसूरि जी से दीक्षित हुए। सं० १३८८ में श्रीजिन कुशलसूरि जी से उपाध्याय पद प्राप्त हुआ। सं० १४०० मिती आषाढ वदि १ को पाटण में श्री तरुणप्रभाचार्य द्वारा श्री जिन पद्मसूरि जी के पट्ट पर आचार्य पदाधिष्ठित हुए। ___ इन्होंने ४ उपाध्याय, ८ शिष्य साधु और दो आर्याएं दीक्षित की; जिनके नाम सम्वतादि नहीं मिलते । सं० १४०४ मिती आश्विन शुक्ल १२ को नागोर में समाधिपूर्वक स्वर्गवासी हुए। अंतिम समय में अपने पट्ट पर यशोभद्र मुनि को स्थापित करने की शिक्षा दे गए थे। जिनचन्द्रसूरि आपका जन्म मारवाड़ के कुसुमाण गाँव में मंत्री केल्हा की धर्मपत्नी सरस्वती की कोख से हुआ था । आपका नाम पातालकुमार था । दिल्ली के संघपति रयपति के शत्रुञ्जयादि यात्री संघ के सं० १३८० में कुसुमाण आने पर पिता मंत्री केल्हा भी सपरिवार सम्मिलित हो गए। युगादिदेव के समक्ष समर्पित पातालकूमार की दीक्षा मिती आषाढ बदि ६ को हई और यशोभद्र नाम रखा गया। सं० १३८१ मिती वैशाख बदि ६ को पाटण में बड़ी दीक्षा हुई और अमृतचंद्र गणि से विद्याध्ययन किया।श्री जिन लब्धिसरि की आज्ञानुसार सं० १४०६ माघ सुदि १० को जेसलमेर में तरुणप्रभसरि द्वारा गच्छनायक पद प्राप्त किया। सं० १४१४ आषाढ बदि १३ को स्तंभतीर्थ में स्वर्गवासी हुए। इनके द्वारा दीक्षा और पद प्रदान करने का इतिहास अप्राप्त है। . जिनोदयसूरि आपका जन्म पालनपुर निवासी माल्हू गोत्रीय रुद्रपाल की धर्मपत्नी धारलदेवी की कोख से सं० १३७५ में हुआ था और जन्म नाम समरकुमार था । सं० १३८२ में वैशाख सुदि ५ को भीमपल्ली में बहिन कोल्हू के साथ आचार्य प्रवर श्रीजिनकुशलसूरि जी के करकमलों से आपकी दीक्षा सम्पन्न हुई। सोमप्रभ नाम रखा गया। सं० १४०६ में जैसलमेर में श्रीजिनचन्द्रसूरि जी ने इन्हें वाचनाचार्य पद प्रदान किया था। सं० १४१५ ज्येष्ठ कृष्णा १३ को खंभात में अजितनाथ विधि चैत्य में लूणिया जेसलसाह Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची कृत नन्दि महोत्सवपूर्वक श्री तरुणप्रभाचार्य ने आपकी पद स्थापना की थी। आपने २४ शिष्य और १४ शिष्याओं को दीक्षित किया। अनेकों को संघपति पद, आचार्य, उपाध्याय, वाचनाचार्य, महत्तरा आदि पदों से अलंकृत किया, जिनका नाम संवतादि इतिहास अप्राप्त है। सं० १४३२ मिती भाद्रपद वदि ११ को लोकहिताचार्य जी को अन्तिम शिक्षा देकर स्वर्गवासी हुए। विज्ञप्ति महालेख में इनके शिष्य मेरुनंदन गणि द्वारा लिखित अयोध्या में विराजित श्री लोकहिताचार्य को प्रेषित पत्र से ज्ञानकलश मुनि, ज्ञाननंदन मुनि, सागरचंद्र मुनि के नाम अध्ययन रत होने के पाये जाते हैं। इनके अतिरिक्त तेजकीत्ति गणि, हर्षचंद्र गणि, भद्रशील मुनि, धर्मचंद्र मुनि, मुनितिलक मुनि के नाम तथा अयोध्या में लोकहिताचार्य के पास रत्नसमुद्र मुनि, राजमेरु मुनि (जो आगे चलकर जिनराजसूरि हुए), स्वर्णमेरु मुनि पुण्यप्रधान गणि आदि विद्यमान थे। सं० १४३१ मिती मार्गशीर्ष की प्रथम छठ के दिन करहेड़ा तीर्थ में जो भागवती दीक्षाएं सम्पन्न हुई उनकी सूची इस प्रकार है :. पूर्व नाम दीक्षा नाम १. चौरासी गाँवों में अमारि घोषणा कराने से प्रसिद्ध मंत्रीश्वर अरसिंह की संतान बोथरा कल्याणविलास मुनि गोत्रीय लाखा का पुत्र धीणाक मंत्री २. काणोड़ा गोत्रीय राणा का पुत्र जेहड़ कीर्तिविलास मुनि ३. छाहड़ वंशी खेता का पुत्र भीमड़ श्रावक कुशलविलास मुनि ४. भूतपूर्व देश सचिव माल्हू शाखीय डूंगर मतिसुन्दरी साध्वी सिंह की पुत्री उमा ५. व्यावहारिक वंशी महीपति की पुत्री हाँसू हर्षसुन्दरी साध्वी देवपत्तनपुर में निम्नलिखित दीक्षोत्सव हुआ:१. सीहाकुल के मंत्रीश्वर दाहू के पुत्र खेमसिंह क्षेममूत्ति मुनि माल्हू चांपा के पुत्र पद्मसिंह पुण्यमूर्ति मुनि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा गन्दी सूची जिनराजसूरि (प्रथम) ___इनका दीक्षा नाम राजमेरु मुनि था । सं० १४३२ फाल्गुन कृष्ण ६ को श्री लोकहिताचार्य जी ने पाटण में जिनोदयसू रिजी के पट्ट पर अभिषिक्त किया। बोथरा तेजपाल (बच्छावतों के पूर्वज) के सुपुत्र कडुआ, धरणा ने बड़े समारोह पूर्वक पट्टोत्सव किया । इन्होंने सुवर्णप्रभ, भुवनरत्न और सागरचंद्र को आचार्य पद दिया। देउलपुर के छाजहड़ धीणिग के पुत्र रामणकुमार को सं० १४६१ में दीक्षित कर कीत्तिसागर नाम रखा; जो आगे चलकर सुप्रसिद्ध जिनभद्रसूरि हुए। श्री जिनराजसूरि जी का सं० १४६१ में देवलवाड़ा में स्वर्गवास हुआ। उनके पट्ट पर श्री जिनवर्द्धनसूरि को स्थापित किया जो १४ वर्ष तक गच्छनायक रहे, बाद में १४७५ में देवी प्रकोप से जिनभद्ररि को स्थापित किया। आबू खरतरवसही के निर्माता दरडा वंशीय मंडलिक के भ्राता जयसागर जी आपके शिष्य थे। सागर चंद्रसूरि के पट्टधर भावप्रभसूरि माल्हू शाखा के लूणिग कुल में सव्वड साह की भार्या राजलदे के पुत्र थे। जिनभद्रसूरि ये देउलपुर निवासी छाजहड़ धीणिग की धर्मपत्नी खेतलदेवी की कोख से सं० १४८६ चै० सुदि ६ को जन्मे। इनका जन्म नाम रामणकुमार था । सं० १४६१ में श्रीजिन राजसूरि के पास दीक्षित हुए। सं० १४७५ में इन्हें (कीत्तिसागर मुनि को) श्री सांगरचन्द्रसूरि जी ने आचार्य पद देकर श्री जिनभद्रसूरि नाम प्रसिद्ध किया। ... विज्ञप्तित्रिवेणी के अनुसार इनका चातुर्मास सं० १४८४ में अणहिलपुर पाटण में था। उस समय इसके साथ पं० पुण्यमूर्ति, मतिविशाल गणि, वा० लब्धिविशाल गणि, वा० रत्नमूति गणि, पं० मतिराज गणि, वा० मुनिराज गणि, पं० सिद्धान्तरुचि गणि, पं० सहजशील मुनि, पं० पद्ममेरु मुनि, पं० सुमतिसेन गणि, विवेकतिलक मुनि, क्रियातिलक मुनि, भानुप्रभ मुनि आदि थे। इन सबकी दीक्षा कब हुई? इसका उल्लेख नहीं मिलता। मलिक वाहनपुर से जयसागरोपाध्याय ने विज्ञप्तित्रिवेणी पत्र भेजा, तदनुसार उनके साथ मेघराज गणि, सत्यरुचि गणि, पं० मतिशील गणि, हेमकुंजर मुनि, पं० समयकुंजर मुनि, कुलकेशर मुनि, अजितकेशरि मुनि, स्थिरसंयम मुनि, रत्नचन्द्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची क्षल्लक थे । सारे भारत में खरतर गच्छ के हजारों साधु विचरण करते थे जिनका इतिवृत्त अप्राप्त है। श्री जिनराजसूरि जी के शिष्य जयसागर जी को आपने ही उपाध्याय पद दिया था एवं कीर्तिराज को भी आपने उपाध्याय पद और बाद में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया था। कीर्तिरत्नसूरि जी के ५१ शिष्य हुए। श्रीभावप्रभाचार्य को भी आपने ही आचार्य पद दिया था। सं० १५१४ मार्गशिर बदि २ को कुंभलमेर में आपका स्वर्गवास हुआ। जिनचन्द्रसूरि ___ इनका जन्म सं० १४८७ में जेसलमेर में चम्म गोत्रीय शाह बच्छराज के यहां धर्मपत्नी बाल्हादेबी की कोख से हुआ। सं० १४६२ में दीक्षा हुई और कनकध्वज नाम रखा गया। सं० १५१५ ज्येष्ठ बदि २ को कुंभलमेर में श्री कीतिरत्नसूरि जी ने इन्हें आचार्य पद देकर श्री जिनभद्रसूरि के पद पर स्थापित किया। इन्होंने धर्मरत्नसूरि आदि अनेक मुनियों को आचार्य, उपाध्यायादि पद दिए । सं० १५३० में जेसलमेर में स्वर्गवासी हुए। श्री सोमध्वज के शिष्य क्षेमराज जो छाजहड़ लीला, पत्नी लीला देवी के पुत्र थे, को सं० १५१६ में श्री जिनचंद्रसूरि ने दीक्षा दी थी। क्षेमराजोपाध्याय के शिष्य दयातिलक बच्छा साह-बाह्लादेवी के पुत्र थे। जिनसमुद्रसूरि ये बाहड़मेर निवासी पारख देको साह के पुत्र थे। इनकी माता का नाम देवल देवी था । सं० १५०६ में जन्म और सं० १५२१ मुंजपुर में दीक्षा संपन्न हुई। कुलवर्द्धन नाम रखा गया। सं० १५३३ माघ सुदि १३ को जेसलमेर में श्री जिनचंद्रसूरि जी ने स्वयं इन्हें आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया। सं० १५५५ मिगसर बदि १४ को अहमदाबाद में स्वर्गवासी हुए। इन्होंने सागरचंद्रसूरि परम्परा के देवतिलकोपाध्याय को सं० १५४१ में दीक्षा दी थी जो भणशाली करमचंद-सोहण देवी के पुत्र थे और जो सं० १५३३ में जन्में थे। सं० १५६२ में जिनहंसूरि ने इनको उपाध्याय पद दिया था और सं० १६०३ मार्ग सु० ५ को स्वर्गवासी हुए। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची २५ जिनहंससूरि ___ आप सेत्रावा निवासी चोपड़ा मेघराज के पुत्र और श्री जिनसमुद्रसूरि जी की बहिन कमलादेवी की कोख से उत्पन्न हुए थे। सं० १५२४ में इनका जन्म हुआ था और धनराज इनका नाम था । सं० १५३५ में विक्रमपुर में दीक्षित हुए, दीक्षा नाम धर्मरंग था। सं० १५५५ अहमदाबाद में आपकी आचार्य पद पर स्थापना हुई। जिसका उत्सव बीकानेर में सं० १५५६ जेष्ठ सुदि ६ को बोहिथरा कर्मसी मंत्री ने पीरोजी लाख रुपया व्यय करके किया था। श्रीशान्तिसागराचार्य ने आपको सूरिमंत्र प्रदान किया था। सं० १५८२ में पाटण नगर में तीन दिन के अनशनपूर्वक आप स्वर्गवासी हुए। सं० १५६२ में सागरचंद्र सूरि परंपरा के देवतिलक को उपाध्याय पद दिया था। श्रीजिनहंससूरि जी के शिष्य सुप्रसिद्ध गीतार्थ पुण्यसागर महोपाध्याय . उदयसिंह की भार्या उत्तम देवी के पुत्र थे। ये सं० १६५० तक विद्यमान थे, विशेष जानने के लिए हमारी युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि पुस्तक देखना चाहिए। सं० १५६० में आपने सारंगकुमार जो ११ वर्षीय थे, दीक्षित किया,, जिन्हें आपने स्वयं सं० १५८२ में पाटण में आचार्य पद भाद्रपद बदि १३ को देकर अपने पद पर स्थापित किया था। जिनमाणिक्यसूरि आपका जन्म सं० १५४६ में कूकड़ चोपड़ा साह राउलदेव की धर्म पत्नी रयणादे की कोख से हुआ था। जन्म नाम सारंग था। सं० १५६० में बीकानेर में ग्यारह वर्ष की अल्पायु में श्री जिनहंससूरि जी ने इन्हें दीक्षित किया था और सं० १५८२ माघ सुदि ५ को बालाहिक देवराज कृत नन्दी महोत्सव द्वारा आपका पट्टाभिषेक हुआ। सं० १६०४ में खेतसर के रीहड श्रीवंत-श्रियादे के पुत्र सुलतान कुमार को दीक्षा दी, सुमतिधीर नाम रखा जो इनके पट्टधर अकबर प्रतिबोधक श्रीजिनचंद्रसूरि जी के नाम से प्रसिद्ध हुए। श्री जिनमाणिक्यसूरि जी देरावर-दादा जिनकुशलसूरि जी की यात्राकर लौटते हुए मार्ग में पिपासा परिषह में अनशन पूर्वक स्वर्गस्थ हुए। इन्होंने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची एक ही नंदि में ६४ साधु दीक्षित किए थे ! १२ मुनियों को उपाध्याय पद से अलंकृत किया था । श्री जिन माणिक्यसूरिजी ने जो अनेक दीक्षाएं दी उनके नामादि पूरे नहीं मिले । कवि कनक, विनयसोम, जयसोम, कनकसोम, अमरमाणिक्य, साधुकीर्ति, विनयसमुद्र, भुवनधीर, कल्याणधीर, क्षेमरंग, सुमतिधीर आदि नाम पाये जाते हैं। इनमें अमर माणिक्य संभवतः सं० १५८२ के बाद जब जिनमाणिक्यसूरि आचार्य पदारूढ़ हुए उसी के आसपास दीक्षित हुए हों । श्रीपुण्यसागर महोपाध्याय तो जिनहंस सूरि द्वारा दीक्षित होने से सबसे बड़े थे। जयसोम, कनकसोमतो सम्राट अकबर के दरबार में गये थे । साधुकीति उपाध्याय सुती वस्तिग-खोमल के पुत्र थे और सं० १६४६ जालोर में स्वर्गवासी हुए थे । विनयसमुद्र के शिष्य ने जिनचंद्रसूरि जी के पास दीक्षा ली थी; जिनका नाम हर्ष विशाल था और जिनकी नन्दी नं० १६ है । गुणरत्न (नंदि नं० १३ ) शिष्य उपाध्याय ज्ञानसमुद्र (नंदि नं० ३४ ), उनके शिष्य ज्ञानराज के शिष्य लब्धोदय थे जिनकी पद्मिनी चोपाई आदि कई रचनाएं उपलब्ध हैं । भुवनधीर भी जिन माणिक्यसूरि के शिष्य थे । कल्याणधीर भी माणिक्यसूरि के शिष्य थे जिनके शिष्य कल्याणलाभ थे (नंदि नं २९ ), कमलकति ( नं० ४० ) और धर्मरत्न ( नं० १३ में) दीक्षित हैं । श्रोजिन माणिक्यसूरि क े शिष्य क्षेमरंग के शिष्य विनयप्रमोद का ( नं० १८ ) और उनके शिष्य महिमसेन (नंदि नं ० ४२ ) थे । यह ज्ञातव्य है कि जिनमाणिक्यसूरि जी के सभी शिष्य जिनराजसूरि जी के शिष्य जिनरत्नसूरि और जिनरंगसूरि के अलग होने पर जिन रंगसूरि शाखा में आज्ञानुवर्ती रहे थे। ऊपर वर्णित हस्तदीक्षितों के लिए नहीं, यह बात स्वकीय शिष्यों के लिए है । 1 समयरंग और नयरंग श्री जिनमाणिक्यसूरि द्वारा दीक्षित होने चाहिए, क्योंकि 'रंग' नंदि जिनचंद्रसूरिजी की ४४ नंदियों में नहीं है । सं० १६१८ की नयरंग कृत सतरहभेदी पूजा मिलती है और १६२१-२४-२५ की अन्यकृतियां भी संप्राप्त हैं । युगप्रधान जिनचंद्रसूरि ये खेतसर के रीहङ गोत्रीय श्रीवंत श्रियादेवी के पुत्र थे । ये सं० १५६५ चैत्र कृ० १२ को जन्मे और सं० १६०४ में श्रीजिन माणिक्यसूरि दीक्षित हुए। सुमतिधीर नाम रखा गया । सं० १६१२ में जैसलमेर के रावल मालदेव कारित नन्दी महोत्सव पूर्वक खरतर बेगड़ शाखा के आचार्य श्री गुणप्रभसूरि जी द्वारा भाद्रपद शु० ६ को सूरिमंत्र प्राप्त कर श्री जिनमाणिक्यसूरि जी के पद पर प्रतिष्ठित हुए। उन दिनों गच्छ में शिथिलाचार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची २७ फैला था, जिसे सामूहिक क्रियोद्धार द्वारा दूर करने के लिये श्री जिनचन्द्र सूरि जी कृत संकल्प थे। बीकानेर के मंत्रीश्वर संग्रामसिंह वच्छावत की प्रबल वीनति से बीकानेर पधार कर उनकी अश्वशाला में ठहरे; जिसे मंत्रीश्वर ने अपनी माता की स्मति में पौषधशाला-बड़ा उपाश्रय घोषित कर दिया। तीन सौ यतिजन जो शिथिलाचारी थे उनमें से १६ शिष्य बने। अवशिष्ट को यतिवेश त्याग कर, मस्तक पर पगड़ी बांधकर (मत्थे-रिणमहात्मा) बनने को मजबर किया। श्री सकलचंद्र गणि प्रथम शिष्य 'चंद्र' नंदि में स्थापित हुए। अवशिष्ट शिष्यों के नाम अज्ञात हैं। इत : पूर्व संवत् १६०६ में बीकानेर में उ० कनकतिलक, वाचक भावहर्ष, वा० शुभवर्द्धन ने क्रियोद्धार किया था, शद्ध साध्वाचार के नियम बनाये थे । पर, यह सामूहिक शिथिलाचार परिष्कार का महत्वपूर्ण प्रयोग हुआ। ये श्री जिनचंद्रसूरि जी अकबर एवं जहांगीर बादशाह को प्रतिबोध देने वाले चतुर्थ दादा साहब थे। इनका जीवन चरित्र हमने ५५ वर्ष पूर्व सप्रमाण विस्तार पूर्वक लिखा था जिसका गुजराती अनुवाद गणिवर्य बुद्धिमुनि जी द्वारा तथा संस्कृत काव्य' उपाध्याय लब्धिमुनि जी द्वारा रचित प्रकाशित है। श्री जिनचंद्रसूरि द्वारा गच्छ की बड़ी उन्नति हुई । त्याग प्रधान संयम मार्ग का प्रभाव था जिससे गच्छ में दो हजार से ऊपर साधु हो गए। आपने विम्नोक्त ४४ नंदियों में दीक्षा दी थी : १. चंद्र १२ निधान २३ मन्दिर ३४ समुद्र २. मंडण १३. रत्न २४. कल्लोल ३५. कुंजर ३. विलास १४. विजय २५. धरम । ३६. दत्त ४. मेरु १५. तिलक २६. वल्लभ ३७. पति ५. विमल १६. सिंह २७. नंदन ३८. कल्याण ६. कमल १७. हर्ष २८. प्रधान ३६. शेखर ७. कुशल १८. प्रमोद २६. लाभ ४०. कीर्ति . विनय १६. विशाल ३०. वर्द्धन ४१. मेरु ९. हेम २०. सुन्दर ३१. जय ४२. सेन १०. राज २१. नन्दि ३२. प्रभ ४३. सिंह ११. आनंद २२. सिंधुर ३३. सागर ४४. कलश इनमें प्रथम चंद्र नंदि में सकलचंद्र तथा अंतिम कलश नंदि में पुण्यकलश, लालकलश आदि मुनि जन दीक्षित थे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची श्री जिनचन्द्रसूरिजी का स्वर्गवास सं० १६७० बिलाड़ा-बेनातट में हुआ था। मिती अश्विन वदि २ “दादा दूज" नाम से गुजरात आदि में सर्वत्र प्रसिद्ध है। विशेष जानने के लिए हमारी युगप्रधान जिनचंद्रसूरि पुस्तक देखना चाहिए। जिनसिंहसूरि इनका जन्म खेतासर निवासी चोपड़ा चांपसी-चांपलदे के यहां मार्गशीर्ष सुदि १५ को हुआ था। इनका जन्म नाम मानसिंह प्रसिद्धि में रहा।सं० १६२३ बीकानेर में श्री जिनचंद्रसूरि जी से आपने भागवती दीक्षा स्वीकार की। नाम महिमराज रखा गया। दसवीं नंदि में इन्हें तथा समयराज को दीक्षित किया था। हवी हेम नंदि थी जिसमें श्री पद्महेम दीक्षित थे, जो ३७ वर्ष संयम पाल कर सं. १६६१ बालसीसर में स्वर्गवासी हुए। कमल नंदि नं. ६ थी जिसमें तिलककमल दीक्षित थे और नंदि नं० ७ कुशल नंदि थी जिसमें कनकसोम के शिष्य रंगकुशल और यशकुशल दीक्षित थे। इस प्रकार शोध करने से दीक्षा पर्याय का पता लग सकता है। कनकसोम के शिष्य लक्ष्मीप्रभ और कनकप्रभ की प्रभ नंदि ३३ नंबर में है। साधसुन्दरोपाध्याय शिष्य विमलकीति की नंदि ४० वीं है जो सं० १६५४ में दीक्षित हए थे। श्री महिमराज जी को सं० १६४० माघ सुदि ५ को जैसलमेर में बाचक पद और सं० १६४६ फा० शु० २ को लाहोर में आचार्य पद प्राप्त हुआ था। इनके शिष्य १ हेममंदिर, २ हीरनंदन, ३ राजसमुद्र, ४ पद्मकीर्ति, ५ सिद्धसेन, ६ जीवरंग आदि जिनकी दीक्षा श्री जिनचन्द्रसरि जी के करकमलों से हुई थी। उनका स्वर्गवास सं० १६७० में होने पर आप युगप्रधान हुए और जो दीक्षाएं दीं, वे जिनसिंह सूरि नाम होने से 'सिंह' नंदि में दीं। दीपावली के दिन १ कनकसिंह, २ मतिसिंह, ३ महिमासिंह, ४ मानसिंह को दीक्षित कर इन्हें शिवनिधान जी के शिष्य बनाये । राजसिंह विमलविनय के शिष्य थे जिनकी विद्याविलासरास सं० १६७६ चंपावती में तथा आराम शोभा चौपाई सं० १६८७ में रचित उपलब्ध है। श्री जिनसिंहसूरि सं० १६७४ में बीकानेर थे तब जहांगीर बादशाह ने मुकरबखान नवाब से फरमान पत्र लिखाकर बुलाया। आप विहार कर पधारे, पर मेड़ता से आगे जाने पर अस्वस्थ हो जाने से वापस मेड़ता पधारे और पोष सुदि १३ के दिन आप स्वर्गवासी हो गए। जिनराजसरि (द्वितीय) आप बोहित्थरा गोत्रीय धर्मसी-धारलदे के पुत्र थे। सं० १६४७ वैशाख सुदि ७ को आपका जन्म हुआ था। अपने ७ भाइयों में ये तीसरे खेत Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची २६ सी थे। सं० १६५६ मिगसर सुदि १३ को श्री जिनसिंहसूरि जी के पास 'राजसिंह' नाम से दीक्षित हुए। बड़ी दीक्षा श्रीजिनचन्द्रसूरि ने दी, राजसमुद्र नाम रखा गया। श्रीजिनचन्द्रसूरि जी ने इन्हें आसाउली में वाचनाचार्य पद दिया था। सं० १६७४ मिती फाल्गुन सुदि७ को मेड़ता में आसकरण चोपड़ा कारित नान्द महोत्सव से पूर्णिमापक्षीय हेमाचार्य प्रदत्त सूरिमंत्र से अपने गुरु भ्राता सिद्धसेन के साथ आप भट्टारक श्री जिनराजसूरि और सिद्धसेन आचार्य श्रीजिनसागरसूरि बने । बारह वर्ष इनकी आज्ञा में रह कर श्रीजिनसागरसूरि से लघु आचार्य शाखा अलग हुई। आपने ६मुनियों को उपाध्याय पद, ४१ को वाचक पद एवं एक साध्वी को प्रवर्तिनी पद से विभूषित किया था। सं० १६७८ में फाल्गुन कृष्ण ७ को रंगविजय जी को दीक्षित किया और उन्हें उपाध्याय पद से भी विभूषित आपने ही किया था। सं० १७०० के चातुर्मास हेतु पाटण पधारे और जिनरत्नसूरि को अपने पट्ट पर स्थापित कर आषाढ़ सुदि ६ को स्वर्ग सिधारे। श्री जिनचंद्रसूरि के अधिकांश शिष्य जिनसागरसूरि जी के आज्ञानुवर्ती रहे। जिनरत्नसूरि ये सेरुणा निवासी लूणिया गोत्रीय तिलोकसी-तारादेवी के पुत्र थेरतनसी और सं. १६७० में जन्मे तेजलदे के पुत्र रूपचंद । पिता का देहान्त होजाने पर १६ वर्षीय रतनसी के साथ बीकानेर में माता ने दीक्षा ली । रूपचंद्र उस समय आठ वर्ष के थे, श्रीविमलकीर्ति गणि के पास विद्याध्ययन कर १४ वर्ष की अवस्था में दीक्षित हुए अर्थात् सं० १६८४ वै० सु० ३ को दीक्षा ली। श्री जिनराजसूरि जी ने बड़ी दीक्षा देकर रत्नसोम नाम प्रसिद्ध किया। बाद में अहमदाबाद में बुलाकर उपाध्याय पद दिया। सं० १७०० आषाढ़ सुदि ७ को अपने पट्ट पर स्थापित किया । संघआग्रह से सं. १७०४ से १७०७ तक जैसलमेर विराजे । फिर तीन चातुर्मास आगरा में किये। सं० १७११ श्रावण वदि ७ को अपने पट्ट पर 'हर्षलाभ' को अभिषिक्त करने की आज्ञा दे स्वर्ग सिधारे। ____ सं० १७०७ बैशाख सुदि ३ जैसलमेर से 'लाभ नंदि' में जो दीक्षाएं दी, सूची उपलब्ध है जो प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रकाशित की जा रही है। जिनराजसरि जी ने 'विजय' नंदी में रंगविजय जी को सं० १६७८ फाल्गुन कृ० ६ को दीक्षित किया था। उसी नंदि में मानविजय, रामविजय, राजविजय, कल्याणविजय, चारित्रविजय, आदि कोभी। 'हर्ष' नंदि में शांतिहर्ष, साधुहर्ष, सहजहर्ष, मतिहर्ष, ज्ञानहर्ष, राजहर्ष, उदयहर्ष, विवेकहर्ष, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची जिनहर्ष, कल्याणहर्ष, थिरहर्ष, सौभाग्यहर्ष को तथा सं० १६८४ बै० शु० ३ को 'सोम' नंदि में रत्नसोम (जिनरत्नसूरि), हर्षसोम, मतिसोम, अभयसोम आदि को दीक्षा दी थी। और भी इन नंदियों में प्रचुर दीक्षाएं दी होंगी, पर सूची न मिलने से नाम, समय आदि कुछ भी बतलाना अशक्य है। __ जिनराजसूरि जी के बड़े शिष्यों में उपाध्याय 'रंगविजय थे, पर अंतिम समय पाटण में जिनरत्नसूरि जी को पट्टधर बनाने से जिनरंगसूरि शाखा अलग हो गई । श्री जिनमाणिक्यसूरि जी के शिष्य उनके आज्ञानुवर्ती हो गये। ___ श्री जिनरंगसूरि शाखा में उनके सहदीक्षित रामविजय थे। श्री जिनरंगसूरि आज्ञानुवर्ती उ० रामविजय जी की परम्परा के नाम यहां दिये जाते हैं जिनमें योगिराज प्रथम चिदानंद जी और ज्ञानानंद जी हुए हैं। जिनराजसरि उ० रामविजय उ० पद्म हर्ष वा० सुखनंदन वा० कनकसागन उ० महिमातिलक चित्र लब्धिकुमार उ० नवनिधि (नढाजी) जिनरंगसूरि जिनचंद्रसूरि जिनविमलसूरि जिनललितसूरि जिनअक्षयसूरि जिननंदिवर्द्धनसूरि भाग्यनंदि . चारित्रनंदि जिनजयशेखरसूरि (चुन्नीजी) जिनकल्याणसूरि जिनचंद्रसूरि जिनरलसूरि कल्याण चरित्र प्रेमचरित्र (स्व० ११६२ वै० कृ० ५) (चिदानंद) (ज्ञानानंद) श्रीजिनरंगसूरि जी की प्रथम दीक्षित रंग नंदी थी जिसमें प्रीतिरंग का नाम पाया जाता है। - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची [वि० सं० १७०७ से द्वितीय खण्ड Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची वि० सं० १७०७ से ॥ श्री जिनकुशलसूरिजी सदा सहाय छे || संवत् १७०७ वर्षे वैशाख सुदि ३ दिने श्रीजेशलमेरु मध्ये भट्टारक श्रीजिनरत्नसूरिभिः 'लाभ' नन्दी कृता । [गृहस्थ नाम ] मोहण केशव डाहा हेमराज वस्तौ खेतसी वीदा अमीचन्द भूपति ठाकुरसी संतोषी खेतसी सांवल लद्धौ Jain Educationa International [दीक्षा नाम ] महिमालाभ कनकलाभ ।। मगसिर सुदि १२ जेशलमेरु मध्ये || आपरै आपरे दयालाभ हर्षलाभ विद्यालाभ क्षमालाभ विजयलाभ उदयलाभ [गुरु नाम] उ० राजविजय गणेः पद्मरंग रौ सुमतिलाभ कुशललाभ सुखलाभ लक्ष्मीलाभ आपरइ आपरे आपरे सुमतिधर्म ॥ श्रीमेड़ता मध्ये फागुण वदि १ दिने || भक्तिलाभ शान्ति लाभ कुशलधीर रौ शान्तिहर्ष रौ साधुहर्ष रौ कुशलधीर रौ For Personal and Private Use Only सुमतिरंग रौ सहज हर्ष रौ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ।। श्रीजयतारण मध्ये फागुरण सुदि ५ दिने । कचरा तोडर भावसिंघ उदयचन्द रायसिंघ खेतो कर्पूरलाभ ज्ञानलाभ भुवनलाभ आणंदलाभ राजलाभ नयनलाभ उदयहर्ष रौ ज्ञानमूर्ति रौ मतिहर्ष रौ ज्ञानमूर्ति रौ राजहर्ष रौ ज्ञानहर्ष रौ ।। आगरा मध्ये वैशाख सुदि ३ दिने ॥ जेसिंघ योधौ कर्मचन्द बालचन्द यशोलाभ जयलाभ कान्तिलाभ विनयलाभ गुणसेन महिमाकुमार कल्याण विजय विनयप्रमोद ॥ संवत् १७०८ वर्षे माह सुदि १३ दिने श्री आगरा मध्ये 'विशाल' नन्दी कृता ॥ पं. कानौ कनकविशाल जसवंत पं. भवानी भक्तिविशाल उदयहर्ष पं. भगवान भाग्यविशाल ताराचन्द ॥ भट्टारक श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः प्रथम 'चन्द्र' नन्दी कृता संवत् १७११ वर्षे मितो मगसिर बदि १३ श्री अहमदाबाद नगरे ।। पं. देदा उदयचन्द्र कमलसिंह पं.माधा मतिचन्द्र कमलसिंह पं. माना माहिमाचन्द्र हर्षसोम पं. कृष्णा कनकचन्द्र हीररत्न १. पूवालिया ग्रामे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥ संवत् १७११ चैत्र सुदि १० श्री राजनगरे । पं. माना विजयचन्द्र पं. मेहाजल सोमचन्द्र तेजपाल पं. मेघराज समयचन्द्र समयहर्ष पं. करमसी कल्याणचन्द्र थोभण पं. पत्ता पूर्णचन्द्र थोभण पं. हरषा हर्षचन्द्र राजविजय पं. देवसी दयाचन्द्र माना रौ पं. देवराज रत्नचन्द्र समयहर्ष पं. नयणसी नयनचन्द्र थोभण पं. मानौ कमलचन्द्र कनकनिधान पं. रामजी पद्मचन्द्र पद्मरंग रौ पं. कुंअरपाल कुशलचन्द्र विवेकहर्ष रौ पं. धरमसी धर्मचन्द्र समयहर्ष रौ पं. जट्टा जयचन्द्र श्री राजविजय रौ पं. लाला लब्धिचन्द्र करमसो रौ पं. आणंद अमरचन्द्र लाधा रौ पं. गोइंद . . गुणचन्द्र क्षेमहर्ष रौ पं. लाला लक्ष्मीचन्द्र रत्नजय रौ ॥ सं० १७११ चैत्र सुदि १५ दिने श्री राजनगरे । पं. रामचंद रामचन्द्र नाथा रौ पं. देवकरण दानचन्द्र कमलरत्न पं. वस्ता विनयचन्द्र नाथा रौ पं. गंगाराम ज्ञानचन्द्र कमल रत्न [ जेठ मध्ये ] पं. कल्लो सकलचन्द्र पुण्यकलस पं. चांपौ चारित्रचन्द्र पुण्यकलस पं. ताल्हा तिलकचन्द्र पुण्यकलस पं. गोदा सुगुणचन्द्र पुण्यकलस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥संवत् १७१२ वर्षे श्री राजनगर मध्ये मगसिर सुदि ५ दिने । भ. श्री जिनचन्द्रसूरिभिः द्वितीया 'कुशल' नंदि कृता । पं. मनोहर महिमाकुशल चारित्रविजय पं. ऊदा उदयकुशल हर्षोदय पं. सुन्दर सुमतिकुशल सुमतिधर्म रौ पं. लाला लावण्यकुशल हर्षोदय पं. योधा जयकुशल सुमतिरंग पं. लाला लालकुशल ज्ञाननिधान पं. सादा शान्तिकुशल पुण्य हर्ष रौ पं. मानसिंघ मतिकुशल मतिवल्लभ पं. पांचा पद्मकुशल सुमतिशेखर रौ पं. नरसिंह नयनकुशल पं. देवा विद्याकुशल गुणनिधान पं. कृष्णा लब्धिकुशल पं. गोदा राजकुशल राजहर्ष पं. आसा अभयकुशल पुण्यहर्ष लालकीति ॥ संवत् १७१३ वर्षे मगसिर मासे नवानगर मध्ये । श्री जिनचन्द्रसूरिभि स्तृतीया 'वर्द्धन' नन्दिः कृता ॥ माह बदि ११ जणा २ . पं. शेषौ श्रीवर्द्धन सहजकीति रौ पं. नग्गी नयनवर्द्धन कनककुमार रौ पं. गोदौ ज्ञानवर्द्धन हेमसी रौ पं. खीमौ क्षमावर्द्धन हेमनिधान पं. प्रेमौ प्रीतिवर्द्धन मतिसोम रौ पं. सामल विनयवर्द्धन थिरहर्ष रौ पं. हरराम हर्षवर्द्धन कनकोदय पं.हीरौ हीरवर्द्धन कनकनिधान पं. परमाणंद पुण्यवर्द्धन सुगुणकीत्ति Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. गिरधर पं. मानौ पं. रामचन्द्र पं. शोभौ [माह सुदि ३ जणा १७ दीक्षा] राजवर्द्धन राजकीत्ति रौ .. महिमावर्द्धन मतिसोम रौ रंगवर्द्धन मानहर्ष रौ शान्तिवर्द्धन राजकीत्ति रौ पं. गोपाल पं. जग्गौ पं. धरमसो पं. न्यानजी चैत बदि ६ श्री साचोर मध्ये विजयवर्द्धन विजयहर्ष रौ यशोवर्द्धन सुगुणकीत्ति धर्मवर्द्धन विजैहर्ष रौ नयवर्द्धन हीरोदय रौ ॥ संवत् १७१३ वर्षे वैशाख सुदि ३ श्री सीरोही मध्ये ॥ पं. सांगौ सौभाग्यवर्द्धन शान्तिहर्ष पं. सुरताण शिववर्द्धन लक्ष्मोवल्लभ पं. जोधौ जयवद्धन रत्नजय रौ पं. चोलो चारित्रवर्द्धन राजहर्ष रो पं. ईसर अमृतवर्द्धन सुमतिरंग पं. लालो लाभवद्धन शान्तिहर्ष पं. भगवान भाग्यवर्द्धन रत्नजय रौ पं. रायचंद्र रत्नवर्द्धन रत्नजय रौ पं. लाधौ लावण्यवर्द्धन सोमहर्ष रौ पं. मनोहर माणिक्यवर्द्धन ज्ञाननिधान पं. जइतौ सकलवर्द्धन सुमतिरंग पं. सभाचंद जिनहर्ष रौ पं. लषमण लक्ष्मीवर्द्धन नयनप्रमोद रौ . ॥संवत् १७१४ वर्षे मिगसर बदि २ दिने श्री सावोर मध्ये 'माणिक्य' नंदि ४ कृता । पं. माधव मुनिमाणिक्य नेमिहर्ष रौ पं. मानौ मतिमाणिक्य प्रेमहर्ष रौ सुखवर्द्धन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. कानजी पं. चतुरौ पं. मानसिंह पं. ठाकुर पं. अमरसी पं. समरथ पं. कर्मचन्द कीत्तिमाणिक्य चारित्रमाणिक्य महिमामाणिक्य थिरमाणिक्य अभयमाणिक्य समयमाणिक्य राजमाणिक्य कल्याणहर्ष वा० लाभोदय मतिहर्ष रौ मानविजय हेमहर्ष रौ सीहा नौ रूपहर्ष नौ मिती जेठ सुदि १३ श्री पाली मध्ये - पं. भगवान भवनमाणिक्य प्रेमहर्ष रौ पं. भगवान भक्तिमाणिक्य ज्ञानसुन्दर पं. केसव कल्याणमाणिक्य कल्याणहर्ष पं. गौड़ीदास गुणमाणिक्य वा० भाग्यसमुद्र पं. कभी कुशलमाणिक्य वा० लाभोदय नौ पं. कपूर कर्पूरमाणिक्य राजप्रमोद पं. चेतन चतुरमाणिक्य सीहा नौ पं. सांवल शान्तिमाणिक्य थिरहर्ष नौ पं. तुलछौ कमलमाणिक्य क कोदय पं. कानूजी कनकमाणिक्य पुण्यरत्न नौ ॥संवत् १७१५ वर्षे माह बदि ५ श्री बोलाड़ा मध्ये 'नन्दन' नांदि ५ मी कृता । पं. राजा राजनन्दन कुशलधीर नौ पं. रामा रत्ननन्दन हेमहर्ष नौ पं. सामा समयनन्दन सुमतिरंग नौ पं. देवीदास दयानन्दन कमलनिधान । पं. करमचन्द कमलनन्दन इलानिधान पं. जयराम जयनन्दन कुशलधीर नौ १. सुदि ४ बुधे बोलाड़ा मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. राजा रंगनन्दन सौभाग्यहर्ष पं. सोमचन्दा सोमनन्दन उदयहर्ष पं. सामाचन्द शिवनन्दन गुणसेन पं. नरसिंघ ज्ञाननन्दन ज्ञाननिधान पं. आसा अमरनन्दन राजसुन्दर पं. पद्मसी पद्मनन्दन कुशलधीर नौ ॥संवत १७१८ वर्षे माह बदि ७ श्री बीकानेर मध्ये 'सागर' नंदी ६ प्रारब्धा।। पं. लषमीचन्द पं. कर्मचन्द पं. माधव पं, रासा पं. देदा पं. गरीबा पं. देवीदास पं. कान्हा पं. किसना पं. कुंयरपाल पं. कान्हा पं. केसा पं. चौथ पं. देवराज पं. दामोदर लक्ष्मीसागर कल्याणसागर महिमासागर राजसागर दयासागर गुणसागर मतिसागर कमलसागर भावसागर कीत्तिसागर कनकसागर कुशलसागर चारित्रसागर दानसागर महिमासागर सूरदास महिमामेरु राजसार नौ भुवनसोम मानविजय सुमतिसिन्धुर मतिसोमः भुवनकुमार भावप्रमोद आपरै कनककुमार लावण्यरत्न मानविजय लब्धिनिधान महिमाचंद १. माघ सुदि ५ बीलाड़ा मध्ये २. फा. ब. ११ झूठा मध्ये ३. वै. सु. २ गुढा मध्ये ४. फा. ब. ६ दिने देसणोक मध्ये ५. वै. ब. ९ जालोर मध्ये ६-७. जे. सु. १ दि. जालोर मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदो सूची पं. डूंगर उदयसागर आपरै पं. नरहरदास ज्ञानसागर क्षमालाभ ॥सं० १७१६ वर्षे जेठ बदि १ दिने सूरत मध्ये ।। पं. धरमसी धर्मसागर कुशलधीर पं. रतनसी रत्नसागर कुशलधीर पं. थोभण धीरसागर कुशलधीर ॥सं० १७२० वर्षे मगसिर बदि ११ दिने। श्री अहम्मदपुर मध्ये ७ मी (प्रधान) ॥ पं. थानसिंह मुनिप्रधान महिमाकल्लोल ॥ सं० १७२१ वर्षे चै । व । ३ श्री खंभाइत मध्ये 'समुद्र' नन्दी कृता ८ मो॥ पं. करमसी कीतिसमुद्र युक्तिरंग पं. राघवजी रत्नसमुद्र समयहर्ष ॥ वै० ५० १० दिने श्री गौड़ी ग्राम मध्ये ।। पं. परमाणंद पुण्यसमुद्र कनकोदय पं. रामजी रंगसमुद्र अभयसोम पं. रोहितास अभयसमुद्र अभयसोम पं. भूपति भीमसमुद्र रत्नजय पं. भीमजी भुवनसमुद्र हीरोदय पं. तुलछी तिलकसमुद्र अभय (सोम) श्री हणाद्रा मध्ये। ॥ सं० १७२१ वर्षे जे० सु० ८ दिने पाली मध्ये ।। पं. रामचन्द्र लाभसमुद्र रत्नजय पं. सुरताण शान्तिसमुद्र रत्नजय १-२. सं. १७१९ पो. ब. १३ दिने सूरत मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची बीलाड़ा मध्ये प्राषाढ़ बदि १ पं. लाला लक्ष्मीसमुद्र सोमहर्ष पं. रूपा सहजसमुद्र सहजहर्ष पं. लड़जी लावण्यसमुद्र आपरै पं. खीमा क्षमासमुद्र आपरै पं. हीरजी हर्षसमुद्र लक्ष्मीवल्लभ पं. केसा कनकसमुद्र सहजहर्ष पं. जीवण जयसमुद्र सुमतिसिंधुर पं. लक्ष्मण ललितसमुद्र हीररत्न ॥संवत् १७२२ वर्षे पोष सुदि ४ श्रीमालपुरा मध्ये 'विमल' नन्दी ९ कता ॥ पं. रूपा रत्नविमल चारित्र (विजय) पं. नारायण नयनविमल ज्ञानमूत्ति पं. रामा रंगविमल हेमप्रमोद पं. रायचंद राजविमल ज्ञानमूत्ति पं. भल्ला भक्तिविमल कल्याणहर्ष पं. वीरा विद्याविमल ज्ञाननिधान पं. हरिचंद हर्षविमल विनयराज पं. सभाचंद सौभाग्यविमल सुमतिधर्म पं. भागचंद विनयविमल विनयराज पं. गंगाराम ज्ञानविमल ज्ञानमूत्ति पं. गोवर्द्धन गुणविमल गुणनिधान पं. भवानी भाग्यविमल राजप्रमोद पं. मानसिंघ महिमाविमल चारित्रविजय पं. सूजा सुमतिविमल विनयप्रमोद पौत्र पं. खीमा क्षमाविमल योधा रै पो । सु।११ पं. लखमा लक्ष्मोविमल राजहर्ष १. लोटोदरी मध्ये आषाढ़ बदी ४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रतनसी पं. जयचंद रिद्धिविमल जयविमल सुमतिधर्म विनयराज [॥ सं० १७२२ माह बदि २ शुक्र श्रीमालपुरा मध्ये ।। ] पं. धनजी धर्मविमल पद्मरत्न रौ पं. राघव यशोविमल सुगुणकोत्ति पं. दामोदर दानविमल कमलरत्न पं. खेतसी क्षमाविमल उदयहर्ष पं. केसव कनकविमल पं. तारा तिलकविमल प्रेमहर्ष सुगुणकीत्ति ॥ सं० १७२३ वर्षे जे । सु । १३ अागरामध्ये ।। पं. मोहण मतिविमल उदयहर्ष रै पं. वधावा वृद्धिविमल सुमतिविजय ॥ सं० १७२३ वर्षे माह बदि २ दिने ॥ श्री प्रागरा मध्ये । ___'सेन' नन्दी १० कृता [भ० श्री जिनचन्द्रसूरिभिः] पं. हरजी लक्ष्मी लक्ष्मीसमुद्र पं. केसा कीत्तिसेन हर्षोदय पं. मूला महिमासेन पद्मरंग पं. धनजी धर्मसेन सोमहर्ष पं. देवजी दयासेन विद्यालाभ पं. मयाचन्द मतिसेन समयमूत्ति रै १. श्रीदन्तवास मध्ये जेठ बदि ४ दिने २. शीकर फतपुर मध्ये ३. चाटसू मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची ।। सं० १७२४ वर्षे फागुण बदि २ दिने श्रीमालपुरा मध्ये 'सौभाग्य' नन्दी ११ मो कृता ।। पं. जयता पं. देवकरण 1 पं. पदमसी पं. केसा पं. गोपाल पं. कर्मचंद पं. मुकुंद पं. अमरा पं. जेठा पं. माना पं. खेतसी १. २. पं. आनंद पं. नाथा [ ।। संवत् १७२५ वर्षे प्रथम प्राषाढ़ बदि ५ श्रीरिणी मध्ये ॥ ] मुनिसौभाग्य उदय सौभाग्य पं. ऊदा पं. गोपाल पं. पोमा पं. देवा पं. बच्छराज पं. रामौ पं. जैराज जितसौभाग्य देवसौभाग्य पुण्यसौभाग्य कीर्तिसौभाग्य ज्ञानसौभाग्य कमलसौभाग्य Jain Educationa International जयसौभाग्य मतिसौभाग्य क्षेम सौभाग्य ।। संवत् १७२६ वर्षे वैशाख वदि ११ दिने 'तिलक' नन्दी १२ कृता । चिरकाना मध्ये || अभय तिलक ज्ञानतिलक उदय तिलक गुणतिलक पुण्यतिलक दयातिलक विनयतिलक मा० भावनिधान भावनिधान पं. खीमा रै राजतिलक जयतिलक वै. सु. ७ सांगानेर में । महाजन मध्ये जेठ बदि १ कनककुमार कनककुमार साधुनिधान जय रंग समय हर्ष जय रंग रै विजयहर्ष For Personal and Private Use Only पीथा रै विजयहर्ष आपरे महिमाकुमार ऊदा रै रत्नजय र सुमतिनिधान तुलछी रै ११ सं. १७२७ वै. Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. गंगाराम पं. जगो पं. परमाणंद पं. पदमसी कोत्तितिलक जयतिलक पद्मतिलक प्रेमतिलक सुमति सिन्धुर पदमसी रै कल्याणहर्ष पद्मनिधान संवत् १७२८ वर्षे पोष वदि ७ दिने 'आनन्द' नन्दी १३ कृता बीकानेर मध्ये पं. सामल सदानन्द साधुहर्ष पं. सुखा सुखानन्द सुगुणकीत्ति पं. गौड़ोदास गजानन्द सुमतिरंग पं. नेता नयनानन्द कमलरत्न रै पं. सुन्दर महिमानन्द समयमूत्ति पं. जसवन्त युक्तानन्द सुमतिरंग संवत् १७२९ वर्षे वैशाख सुदि ५ नागौर मध्ये 'सिंह' नन्दी १४ कृता॥ पं. डांबर दयासिंह शान्तिहर्ष रे पं. रायचन्द लक्ष्मीसिंह लक्ष्मीवर्द्धन पं. रायमल्ल रत्नसिंह वा० रत्नसिंह पं. वीदा विजयसिंह ज्ञाननिधान सं० १७३३ वर्षे ज्येष्ठ वदि ७ श्री पाटण मध्ये १५ 'रुचि' नन्दी कता पं. वेणौ विनयरुचि वा० सहजहर्ष पं. तिलोकसी तिलकरुचि श्रीजिताम् पं. अमीचन्द अभयरुचि वा० कल्याणनिधानर पं. हेमसी हेमरुचि श्रीजिताम् पं. गणेश ज्ञानरुचि वा० सुमतिनिधान १. सं. १७२८ वै. व. ३ बीकानेर मध्ये । २. बीलाड़ा मध्ये माह सुदि ४ ३. वैशाख वदि ४ दिने ४. मा० सु. १० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची सं० १७३६ वर्षे मिती पोह सुदि १३ दिने श्री पाटण मध्ये "शेखर" नन्दी १६ कृता पं. रामचन्द ' पं. कपूरचन्द पं. अमरसी पं. रिषभा पं. चौथ पं. ताराचन्द पं. भागचन्द पं. सतीदास पं. जैतसी 4 पं. राघव ऋषि खीमो पं. वीरचन्द पं. जसा पं. सूजा पं. धरमसी " पं. राजसी २. ३. ४. ५. ६. सं० १७४० वर्षे प्राषाढ़ वदि २ शुक्रे श्री अंजार मध्ये १७वीं 'शील' नन्दी कृता । रत्नशेखर भावशेखर अमरशेखर रिद्धिशेखर विजय शेखर त्रिभुवनशेखर भाग्यशेखर सत्यशील जयशील रत्नशील क्षमाशील लब्धिशील Jain Educationa International जशः शील सुमतिशील धर्मशील रत्नसुन्दर सं० १७३७ रा. मि. सु. ९ शनी पाटण मध्ये सं० १७३७ राजे । सु० १३ दिने भुज्ज मध्ये | सं० १७३७ रा फा० सु० १ दिने अंजार मध्ये | सं० १७४- रामा । सु २१ शुक्रे पाटण मध्ये | फा० सु० ० ९ फा० ब० ११ रवौ । वा० पुण्य रत्न श्री भावप्रमोद रै ।। संवत् १७४१ पोष सुदि ७ गुरौ श्री साचोर मध्ये 'सुन्दर' नन्दी १८ कृता ।। For Personal and Private Use Only वा० कल्याणहर्ष श्रीजी रे विजयलाभ ₹ श्रीजी रै वा० कनकनिधान ₹ समयहर्ष ₹ उ० क्षमालाभ रै पं. सुगुणचन्द्र नौ aro सुमतिनिधान आपरइ उ० क्षमालाभ पं० चारित्रचन्द्र पं० सुभलाभ रै सहज हर्षस्य १३ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. लषमीचन्द पं. साजण पं. कुशला पं. हरजी पं. सद्दा पं. धन्नौ पं. डाहा पं. जीवण पं. सादूल पं. देवा पं. कानजी पं. जैता पं. तेजसी पं. विजयचन्द पं. भागचन्द पं. हर्षचन्द्र पं. टीला पं. सांमल पं. मोहण पं. मेघा पं. खीमा पं. केशव पं. आसौ पं. नाथौ पं. हीरा पं. गोवर्द्धन पं. नाथा लक्ष्मीसुन्दर सौभाग्यसुन्दर कुशलसुन्दर हर्षसुन्दर सुखसुन्दर धर्मसुन्दर देवसुन्दर जयसुन्दर सुमतिसुन्दर दानसुन्दर कीत्तिसुन्दर जिनसुन्दर तेजसुन्दर विजयसुन्दर राजसुन्दर हेमसुन्दर त्रैलोक्यसुन्दर सत्यसुन्दर माणिक्यसुन्दर मतिसुन्दर क्षमासुन्दर कमलसुन्दर अमरसुन्दर नयसुन्दर हितसुन्दर गुणसुन्दर नेमिसुन्दर वा० लावण्यरत्न आपरइ पं. भक्तिविमल वा० पद्मरंग रै वा० पद्मरंग रै वा० पद्मतिलक वा० कनककुमार वा० विजय रै उ० विनय उ० विनय वा० विजय पं० पुण्यवल्लभ वा० मतिहर्षस्य वा० मतिहर्ष पं. राजलाभरै वा० मतिहर्ष पं. क्षेमविमल वा० कनकोदय पं० हीरोदय वा० प्रेमहर्षनौ पं० कल्याण तौ पं० कनकमाणिक्य वा० मानविजय वा० कान्हजी वा० पांचा कान्हजी महो० भुवनसोमानाम् आपरइ १. सं० १७४१ फा० ब० रवी ७ श्री आम्बिला मध्ये । २. वै० व० ५ सोमे सिणधरी मध्ये दीक्षा । ३. वै० सु० ९ श्री बाहड़मेरु मध्ये । ४. पो० सु० १० सोम श्री साचौर मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १५ पं. भल्ला पं. नाथा पं. खेता पं. आणन्द पं. लद्धा पं. दत्ता पं. लषमण पं. रामचन्द पं. रामचन्द पं. मेघा पं. खेतसी पं. तिलोकसी पं. महिमचन्द पं. फतैचन्द पं. दीपचन्द पं. सुक्खा पं. दीपौर पं. हेमा पं. टीलो पं. राजसी पं. जैता पं. धन्नौ पं. देवसी भक्तिसुन्दर ज्ञानसुन्दर क्षेमसुन्दर अभयसुन्दर लब्धिसुन्दर दयासुन्दर लाभसुन्दर रूपसुन्दर रंगसुन्दर महिमासुन्दर दयासुन्दर तिलकसुन्दर महिमसुन्दर पुण्यसुन्दर दीपसुन्दर सुगुणसुन्दर कुशलसुन्दर हीरसन्दर तत्त्वसुन्दर ऋद्धिसुन्दर युक्तिसुन्दर धनसुन्दर दर्शनसुन्दर वा० रूपहर्ष रै वा० चारित्रविजय वा० चारित्रविजय पं० भक्तिविमल वा० कनककुमार वा० कनककुमार वा० विजय पं० पीथा रौ उ० विनय प्र० वा० विजय पं० दयावल्लभस्य वा० राजहर्ष कैरीया वा० मतिहर्ष पं० मतिविमल रै वा० मतिहर्ष रै वा० कनकोदय वा० कुशललाभ रै वा० कुशललाभ पं० उदयसौभाग्य नौ वा० हेमहर्ष पं० यशोलाभ पं० अमरनन्दन गणेः पं० समयनन्दन रै १. मा० सु० ५ साचौर २. फा० ब० ११ ३. चै० सु० ५ राइधरु मध्ये । ४. चै० सु० ७ सिणधरी मध्ये । ५. वै० सु० ७ सिणधरी मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची || सं० १७४२ माह सुदि ११ सोमे श्री बाहड़मेरु मध्ये 'प्रिय' १९वीं नन्दी कृता ॥ पं. विजयराम पं. बिहारी पं. जइतो पं. करमचन्द पं. कपूर पं. मयाचन्द पं. हीरा पं. जोगा पं. सहसा पं. मानौ .. पं. तिलोको पं. दयाराम पं. रूपा पं. केसर पं. रूपा पं. देवा पं. जीवण पं. जगसी पं. रूपौ पं. कल्लो पं. वीरजी पं. चतुरा पं. राजसी पं. जींदउ विद्याप्रिय विनयप्रिय Jain Educationa International जयप्रिय कनकप्रिय कर्पूरप्रिय मतिप्रिय हेमप्रिय योगप्रिय सुमतिप्रिय महिमा प्रिय तिलकप्रिय दयाप्रिय रूपप्रिय कीर्त्तप्रिय रंगप्रिय देवहंस जयहंस जिनहंस रूपहंस कल्याणहंस ।। सं० १७४२ वर्षे चैत्र सुदि १५ दिने श्री कोटड़ा मध्ये 'हंस' २० नन्दी कृता ।। विद्याहंस चारित्रहंस राजहंस मुक्तिस वा० दयासेन उ० लक्ष्मीवल्लभ पं० सकलहर्ष रै पं० सोमहर्ष रै पं० सोमहर्ष ₹ For Personal and Private Use Only वा० अभयसोम पं० सलकहर्ष रो महो० भुवनसम रे वा० अभयसौभाग्य पं० महिमा कल्लोल उ० लक्ष्मीवल्लभ उ० लक्ष्मीवल्लभ उ० भावप्रमोद पं० धर्मसी रो पं० हीरोदय रो वा० हेमनिधान रौ उ० रूपहर्ष रो वा० सुखलाभ रै वा० कनकनिधान पं० उदय तिलक वा० रत्नजय रो उ० रूपहर्ष रो वा० सुखलाभ रे पं० क्षमासमुद्र रो Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १७ ॥ सं० १७४३ वैशाख सुदि ५ बुधे श्री जेसलमेर मध्ये 'कल्याण' २१ नन्दी कृता । पं. हीरो हर्षकल्याण वा० हेमनिधान रो पं. माणिकचन्द मुनिकल्याण पं० पद्मचन्द रो पं. धारसी धर्मकल्याण - वा० कनककुमार पं. मेघा महिमाकल्याण वा० यशोरंग रै पं. जैतसी जयकल्याण पं० पदमचंद रो ॥ सं० १७४४ वैशाख सुदि १० सोमे। श्री जेसलमेरु मध्ये 'धर्म' (२२) नंदिः कृता ॥ पं. आणंद अभयधर्म पं० महिमासार पं. रूपौ मतिधर्म वा० नेमहर्ष रो. पं. श्रीमल समयधर्म वा० मतिरत्न रो पं. धन्नौ दयाधर्म वा० कमलरत्न रो पं. केसव कीतिधर्म पं० उदयतिलक पं. राजौ राजधर्म वा० मतिरत्न रो पं. रामौ रंगधर्म वा० धर्मविमल रो पं. देवचंद देवधर्म पं० श्रीजीरइ पं. प्रेमजी प्रीतिधर्म पं० उदयतिलकस्य ।। सं० १७४६ माह सुदि ११ शनौ श्री बीकानेर मध्ये 'धीर' (२३) नंदिः कता॥ पं. दल्लौ दयाधीर उ० सुमतिसिन्धुर पं. धरमसी धर्मधीर पं० राजकुशल पं. लखमी लखमा लक्ष्मोधीर श्रीजी रौ पं. सुखौ सौरभधीर वा० शान्तिहर्ष . पं. मोहण महिमाधीर वा० रत्नजय रै १. सं० १७१४ रा फा. सु. २ बुधे २. सं० १७४ मा । ब० ५ गुरी जेसलमेरी ३. सु० ११.दिने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. ऊदौ पं. अमृत पं. कान्हौ पं. जैतसी पं. आसौ पं. करमचंद पं. जयचंद पं. राजौ पं. दीपौ पं. मानसिंघ पं. तेजसी पं. मानो पं. कपूर पं. कानजी पं. जैतो पं. धरमसी पं. मनोहर पं. क्षेतो पं. डांवर पं. हरचंद पं. लद्धौ पं. देवौ पं. हेमो पं. हरौ पं. खेतो पं जगौ पं. रेखौ पं. नंदौ पं. सुरताण उदयधीर आनन्दधीर कीत्तिधीर जिनधीर अभयधीर कान्तिधीर युक्तिधीर रत्नधीर दीपधीर कमलधीर तिलकधीर मतिधीर कर्पूरधीर कनकधीर जयधीर ध्यानधीर माणिक्यधीर क्षमाधीर कलशधीर हीरधीर लब्धिधीर देवधीर हेमधीर रंगधीर क्षेमधीर यशोधीर ऋषिधीर ज्ञानधीर समयधोर उ० सुमतिसिन्धुर वा० ज्ञाननिधान पं० दयावल्लभ पं० प्रेमतिलक रो उ० सुमतिसिन्धुर वा० थिरहर्ष महिमामाणिक्य वा० थिरहर्ष वा० रत्नजय पं० जीवरत्न श्रीजी रो पं० भाग्यवर्द्धन वा० रत्नजय रो पं० राजकुशल रै पं० जयनंदन रौ उ० सुमतिसिन्धुर पं० साधुनिवान पं० राजलाभ रे वा० कुशललाभ महिमामाणिक्य वा० मानविजयजी वा० ज्ञाननिधान पं० गुणविमल रो पं० रंगवर्द्धन रो पं० जयविमल वा० सोमहर्ष वा० हेमप्रमोद रै पं० ज्ञानचन्द्र रो पं० कनकमाणिक्य १. फा. सु. १२ शुक्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. किसनौ पं. श्रीचंद पं. मयाचंद पं. भगतौ पं. प्रेमौ पं. अमीचन्द ।। सं० १७४७ रा जेठ वदि ४ शनौ || श्री बीकानेर मध्ये 'दत्त' (२४) नंदी कृता ॥ पं. खेत पं. देवौ पं. सदारंग पं. लखमौ पं. जीव पं. रतनौ पं. मनोहर पं. स्यामौ पं. सुन्दर पं. बीठल पं. भागचन्द्र पं. सुक्खा 2 पं. देवा पं. सौ पं. प्रेम पं. चतुरौ १. कलाधीर सत्यधीर माणिक्यदत्त भक्तिदत्त Jain Educationa International पुण्यदत्त अमरदत्त क्षमादत्त दयादत्त सोमदत्त लक्ष्मीदत्त जयदत्त रूपदत्त मुक्तिदत्त ।। सं० १७४७ फागण बदि ७ सोमे श्री बीकानेर मध्ये '२५' राज नंदी कृता ॥ सोमराज शिवराज विद्याराज भुवनराज शान्तिराज देवराज पं० अभयकुमार पं० श्यामा रो अभयराज प्रोतिराज चरणराज पं० राजचंद्र वा० राजप्रमोद पं० कनकचंद रौ पं० रत्नसिंह रो For Personal and Private Use Only वio राजप्रमोद पं० पद्मनन्दन पं० आणंदलाभ पं० ज्ञानलाभ पं० पूर्णचन्द्रस्य वा० कनकमाणिक्य पं० क्षमाविमल रो शान्तिहर्ष रे वा० पं० चारित्रचन्द्र वा० शान्तिहर्ष वा० विजयलाभ वा० अभयसोम पं० वीदा जे० ब० ३ बीकानेर मध्ये । जेठ सुदि ९ गुरौ बीकानेर मध्ये । फा०सु० ३ शनौ ३. जे० व ७ दिने पं० मतिसेन रो पं० भक्तिविशाल पं० जयविमल १९ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० पं. वाधौ पं. खीमौ पं. कान्हौ पं० गिरधर पं. लालचन्द पं. पोथा पं. खीमौ पं. कर्मचन्द पं. भागचन्द पं. रामौ पं. लखमौ पं. डूंगर पं. चतुरौ पं. गौड़ीदास पं. रामौ ।। सं० १७४८ वर्षे माह सुदि ५ दिने । श्री बीकानेर मध्ये (२६) 'विनय' नन्दो कृता ॥ रत्नविनय पं. गोइंद पं. गोवर्द्धन पं. हरराम पं. भागचन्द पं. वाघौ पं. खेत 14 पं. कुशलौ पं. ऊदौ पं. भागचन्द १. ५. विद्याराज क्षेमराज कीर्तिराज ज्ञानराज लब्धिराज प्रेमराज क्षमाराज कनकराज भक्तिराज Jain Educationa International लक्ष्मीविनय दयाविनय चारित्रविनय ज्ञानविनय रंगविनय गंगविनय गुणविनय हर्षविनय भाग्यविनय विद्याविनय खेमविनय कुशलविनय उदयविनय भक्तिविनय वै० ब० विने ६ फा० ब० ४ आसा. ब. ७ बीकानेर खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची श्रीजी र शिष्य पं० कीर्त्तिसागर रौ · पं सुगुणचन्द्र रौ वा० सकलहर्ष वा० तिलोकचन्द्र पं० भावसागर पं० वीरा रै पं० कनककुमार पं० परमानंद श्रीजी रो पं० अमरसी रो पं० अभयमणिक्य पं० रत्ननन्दन रो पं० तिलकप्रमोद पं० रत्नवल्लभ पं० मतिकुशल For Personal and Private Use Only पं० रत्नवल्लभ वा० सुखलाभ रो पं० चारित्रवर्द्धन रौ वा० मतिरत्न रौ वा० महर्ष रौ पं० विद्याकुशल पं० रत्नवल्लभ पं० रत्नवल्लभ वा० सुखलाल २. आषाढ़ सुदि १० गुरो ४. फा. ब. १३ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची २१ || सं० १७४९ फागुण बदि ३ सोमे । रवरणीया मध्ये (२७) 'कमल' नन्दी कृता ॥ पं. डूंगर पं. लालो पं. फते चन्द पं. लालचन्द पं. लालौ पं. मौजौ पं. हेमौ पं. केस पं. सुखौजी' पं. नारायण पं. तुलछौ पं. साऊ पं. चतुरौजी पं. भारमल पं. सुन्दर पं. मोहण दयाकमल लब्धिकमल प्रीतिकमल ५. लाभकमल लक्ष्मी कमल महिमा कमल पं. जसवन्त पं. महिमराज पं. भूधर ।। सं० १७५२ फागुण बदि ५ गुरौ । बीकानेर मध्ये (२८) नंदी कृता ॥ हेमकमल कीर्तिकमल जयकमल पद्मकमल भक्तिकमल Jain Educationa International सुखकीर्त्ति ज्ञानकीर्त्ति तिलककीति समयकीर्त्ति चारित्रकीति भावकीत सत्य कीत्ति भागचन्द पं० दयासागर रौ वा० लावण्यरत्न श्रीजी रो मोहनमूर्ति फा. ब. कालू मध्ये फा. ब. १ आहडसर भट्टारक थथा वा० विनयलाभ पं० कनकप्रिय वा० सोमहर्ष लालजी रौ पं० विद्याकुशल रौ ।। १७५३ वर्षे | माह बदि ११ दिने । श्री बीकानेर मध्ये 'मूर्ति' (२९) नन्दी कृता ॥ पं० कुशलचन्द वा० कनकोदय वा० कनकोदय वा० कमलमाणिक्य जिनचन्द्रसूरि सौभाग्यसुन्दर र उ० धर्मवर्द्धन वा० शान्तिहर्ष श्रीजी ₹ उ० धर्मवर्द्धन वा० शान्तिहर्ष वा० कनकविलास २. सं. १७५१ वै. ब ७ नवहर मध्ये ४. फा. ब. १३ कालू मध्ये ६. फा. सु. २ बीकानेर म. For Personal and Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ पं. लालौ पं. रतनौ पं. सांवल पं. नाथौ पं. रामौ पं. उत्तम पं. मनोहर पं. जीवण पं. मोटौ पं. रुघौ पं. रूपौ पं. टीलो पं. सौ पं. खेतौ पं. आसौ पं. उत्तम पं. नरसिंघ पं. मेघौ पं. दी पं. वैणौ पं. नैणौ पं. सुखी पं. विज्जो पं. कान्हजी पं. मलू पं. पूरौ पं. किसनौ ३. लब्धिमूर्ति रत्नमूर्ति Jain Educationa International शिवमूर्ति नयमूर्ति रंगमूत्ति अमरमृत्ति मतिमूर्ति जीवमूर्ति मुनिमूर्ति राजमत्ति रूपमत्ति जयमूर्ति कुशलमूर्ति क्षमामूर्ति अभयमूर्ति उदयमूर्ति नेममूर्ति महिमामूर्ति दयामूर्ति विद्यामूर्ति नयन मूर्ति सकल मूर्ति विजयमूर्ति कनकमूर्ति माणिक्यमूर्ति प्रेममूर्ति कल्याणमूर्ति खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं० रंगविमल रौ पं० विद्याविलास वा० कनकमाणिक्य वा० रंगवर्द्धन रौ वा० विजयहर्ष रौ पं० विद्याविलास वा० कनकमाणिक्य वा० सुखलाभ पं० गजानन्द रौ For Personal and Private Use Only पं० राजसी रौ वा० कुशललाभ रौ पं० जयनन्दन रौ वा० विनयलाभ वा० कनकविलास पं० समयचन्द्र रौ श्रीजी ₹ पं० नेमसुन्दर रो पं० रंगविमल aro कनकमाणिक्य पं० कमल सौभाग्य पं० विद्याविलास To कान्हजी रौ पं० कीर्तिसौभाग्य वा० सुखलाभ पं० गजानन्द मा. सु १३ दिने २. फा. सु. १५ बीकानेरं सं. १७५३ रा माहवदि १३ दिने ४. मा. सु. ६ दिने फा. ब. ३ दिने पं० जगसी रौ वा० कनकविलास रो पं० धर्मविमल Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. प्रेमी पं. गिरधर पं. हरकिसन पं. समरथ पं. हृदयराम पं. ऊदौ पं. मनोहर पं. खेत पं. सोभौ पं. नेतसी पं. रामचन्द्र पं. रतनौ पं. कम्मो पं. मानौ ? पं. भीमौ पं. रूपौ पं. लखमौ पं. जयतौ पं. नरसिंह पं. दीपौ || सं० १७५४ मिगसर सुदि ३ शनौ । श्री फलवधी मध्ये 'भद्र' (३०) नन्दी कृता ॥ पं. सुखो पं. नेतौ पं. नैणसी १. ३. ४. ५. ७. पुण्यमूर्ति गुणमूर्ति हर्षमूर्ति साधुमूर्ति Jain Educationa International हर्षभद्र उदयभद्र मुनिभद्र क्षमाभद्र सदाभद्र नित्यभद्र रंगभद्र रत्नभद्र कीर्तिभद्र मानभद्र भक्तिभद्र रूपभद्र लक्ष्मीभद्र जयभद्र नयभद्र दयाभद्र समयभद्र नेमिभद्र ज्ञानभद्र फा. ब. १० दिने आषाढ बदि ६ सोमे फलवद्धी मध्ये मिगसर सुदि ११ रवी फलवद्धी मध्ये पो. ब. १ फलवद्धी मध्ये फा. ब. ११ गुरौ लोहीयावट मध्ये वा० विनयलाभ रौ वा० विनयलाभ पं० पद्मनन्दन पं० तिलकविमल पं० मतिसुन्दर रौ पं० रंगसमुद्र रौ उ० श्रीदेवधर्म रौ पं० क्षमासुन्दर रौ वा० राजकुशल रो उ० क्षमालाभ रो वा० जयविमल वा० जयविमल रौ वा० राजलाभ रौ २. फा. सु. १ गुरो For Personal and Private Use Only २३ वा० भावसागर पं० उदयसौभाग्य पं० भक्तिविशाल रौ पं० विनयविमल पं० मतिमन्दिर पं० कुशलचन्द्र रौ पं० रंगसमुद्र रौ वा० राजकुशल रौ पं० रूपहंस रौ उ० क्षमालाभ रौ ६. मा. ब. १३ फलवद्धी मध्ये Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. राजौ राजभद्र वा० जयविमल रौ पं. प्रेमौ प्रीतिभद्र पं० जयनन्दन रौ पं. गोइंद गुणभद्र वा० राजलाभ रौ. पं. नेमो नोतिभद्र पं० उदयसौभाग्य रौ पं. सीचौ सत्यभद्र पं० भक्तिविमल पं. नाथौ नयनभद्र पं० सोमनन्दन रौ ॥ सं० १७५४ फागुण सुदि २ बुधे श्री मेवरा ग्राम मध्ये 'प्रभ' (३१) नन्दी कृता ।। पं. वाघौ विनयप्रभ वा० कोत्तिविलास रौ पं. लखमौ लक्ष्मीप्रभ वा० कीर्तिविलास रौ पं. नाथी. .... ज्ञानप्रभ - पं० दयासागर रौ पं. खीमो लक्ष्मीप्रभ पं० रंगसमूद्र रौ पं. पूरो पूरणप्रभ पं० शान्तिकुशल रौ पं. जगनाथ जयप्रभ पं० भुवनसमुद्र रो पं. लालो लालप्रभ वा० अभयकुशल रौ पं. भानौ मतिप्रभ पं० राजसागर रौ . पं. सांवल शिवप्रभ पं० नयवर्द्धन रौ पं. दामौ . . . दयाप्रभ वा० कात्तिविलास पं. जीवौ3 जयप्रभ वा० महिमाकल्लोल पं. जीवण जिनप्रभ .. वा० मतिमन्दिर रौ पं. रूपौ रत्नप्रभ वा० जयलाभ रौ .. पं. अमीचन्द अमृतप्रभ पं० शान्तिकुशल रौ पं. वाल्हजी विद्याप्रभ .: पं० भुवनसमुद्र रौ । पं. जिनदास जीवप्रभ पं० राजसागर रौ पं. वीरचन्द विमलप्रभ पं० राजसागर पं. रूपौ • राजप्रभ पं० नयवर्द्धन रौ १. द्वितीय ज्येष्ठ वदि ३ बुधे । महेवा नगरे २. द्वि जे. सु. ५ पाडलाऊ मध्ये... .. ३. फा. सु. ७ दिने मंडोवर मध्ये ४. प्रथम ज्येष्ठ सुदि ६ आसोतरा मध्ये Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ।। सं० १७५४ वर्षे श्राषाढ बदि १० गुरौ । श्री पाली मध्ये । 'सोम' नंदिः कृता ॥ (३२) पं. क्षेतौ पं. राजसी पं. प्रेमौ पं. प्रेमौ पं. गोवर्द्धन पं. मौ पं. लाखणसी 1 पं. श्यामा पं. अमीचन्द पं. जेसौ पं. ईसर पं. सामंत पं. भगवान पं. पिरागौ पं. रतनसी पं. हरिनाथ पं. रामौ पं. गोइंद पं. सुन्दर पं. दे १. २. पं. नाथौ पं. श्यामजी पं. मनीराम क्षेमसोभ राजसोम पद्मसोम प्रीतिसोम ज्ञान सोम हेमसोम लक्ष्मीसोम शान्तिसोम अमृतसोम यशः सोम Jain Educationa International उदयसोम शिवसोम भाग्यसोम पुण्य सोम राजसोम हंससोम ।। सं० १७५५ माघ बदि ६ दिने । श्री सादड़ी मध्ये 'विजय' नंदी कृता ।। ( ३३ ) रूपविजय गुणविजय सत्य विजय देवविजय ज्ञानविजय सोमविजय मुक्तिविजय सं० १७५५ का. सु. १२ पाली मध्ये आ. मा० सु० १ घांणोरा मध्ये A For Personal and Private Use Only वा० रत्नवल्लभ रौ पं० लालजी रौ पं० लक्ष्मीसमुद्र पं० ज्ञानलाभ रौ वा० रत्नवल्लभ वा० रत्नवल्लभ रौ पं० देवधर्म रो उ० धर्मवर्द्धन २५ वा० आणंदलाभ पं० लक्ष्मीसमुद्र रौ पं० लक्ष्मीसमुद्र रो वा० रत्नवल्लभ रो वा० रत्नवल्लभ पं० पद्मतिलक रो पं० तिलकधीर रो उ० धर्मवर्द्धन रो वा० कमलमाणिक्य पं० कुशलचन्द पं० भुवनसमुद्र पं० पूर्णचन्द्र नौ पं० ज्ञाननिधन पं० मुनि कल्याण पं० मुनिकल्याण Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ पं. गोवरधन पं. चांपसी पं. न्यानजी पं. हरदास पं. गदौ पं. अमरौ पं. सामल पं. रूपौ पं. मनोहर पं. वीरौ पं. कुशलौ पं. हरजी पं. चतुरो' पं. धनजी पं. रूपौ पं. राजाराम पं. आसकरण पं. ऊदौ 6 पं. हरचन्द पं. जगौ पं. नागजी पं. कान्हजी पं. दीपौ पं. श्री चन्द १. ५. ८. गजविजय चरणविजय नित्यविजय हंस विजय Jain Educationa International गंगविजय अमरविजय शान्तिविजय रामविजय महिमाविजय वीरविजय कुशलविजय हर्ष विजय चतुर विजय धर्मविजय रत्न विजय रिद्धिविजय अमृतविजय उदयविजय हेमविजय जय विजय नयविजय कीर्त्तिविजय दीपविजय सिद्धिविजय बं० ब ० १ बील्हावास मध्ये वै. सु. ११ सोझित मध्ये चं. सु. १३ वील्हावास मध्ये दीक्षा वै. व. ९ वील्हावास मध्ये आसाढ बदि १२ सोझित मध्ये २. वै. खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची वा० विजयवर्द्धन पं० जिनसुन्दर रो पं० दयातिलक वा० चारित्रचन्द्र पं० ज्ञानराज रो उ० उदय तिलक उ० उदय तिलक पं० दयासिंह रौ वा० यशोलाभ रौ जिनसौभाग्य नौ पं० ० कुशलचन्द पं० भुवनसमुद्र रौ वा० जयलाभ रौ For Personal and Private Use Only पं० पद्मचन्द्र रौ पं० विजयहंस नौ पं० जयकल्याण पं० सुखसुन्दर रो वा० महिमा कुशल पं० सुगुणचन्द्र रौ वा० चारित्रचन्द्र नौ पं० राजसागर नौ उ० उदयतिलक वा० विजयलाभ रौ पं० महिमामाणिक्य सु. २ वील्हावास मध्ये ४. माह सुदि ९ देवसूरी मध्ये ७. वै. सु. ३ वील्हावास मध्ये Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥ संवत् १७५६ माह सुदि ५ सोमे। श्री सोझित मध्ये । 'रंग' नंदी (३४) कृता । पं. रतनौ रत्नरंग वा० भक्तिविशाल पं. राघव ऋद्धिरंग पं० जयतिलक रौ पं. बालचन्दा विनयरंग पं० मुनिसौभाग्य पं. नगौ नयनरंगः वा० राजलाभ पं. रिषभौ राजरंग वा० अमरनन्दन रौ पं. कर्मचन्द कल्याण रग वा० श्रीवर्द्धन पं. चतुरौ चारित्ररंग वा० अमरनन्दन रौ पं. नन्दौ आणंदरंग पं० तत्त्वसुन्दर रौ पं. रिषभौ रूपरंग पं० लाभसमुद्र रौ पं. करमचन्द कीतिरंग पं० धर्मसागर पं. ठाकुर थिररंग वा० जय विमल रौ पं. नायौ नित्यरंग वा० सुगुणचन्द्र रौ पौत्र राधा रौ पं. वीरौ विद्या रंग पं० दयासागर नौ पं. भलौ भावरंग पं० सुमतिप्रिय रौ ऋषि सारंग सहजरंग आपरै पं. घासीराम ज्ञानरंग पं० कनकराज रौ पं. सुन्दर समय रंग पं. जयतिलक रो पं. अमरौ उदयरंग पं० तिलकप्रमोद पं. आणंद भाग्यरंग पं० भाग्य निधान रो पं. नंदी नेमरंग पं० रत्नसुन्दर रो पं. मयाचन्द महिमरंग वा० अमरनन्दन रो पं. कर्मचन्द कनकरंग प० मतिसुन्दर रो पं. रामचन्द कुशलरंग वा० लावण्यरत्न रो पं. केसौ कमलरंग प० लाभसमुद्र रौ १. सं. १७५६ फा. सु. १ सोझित मध्ये । २. वै. ब. ७ श्री रायपुर मध्ये ३. जे. व. ५ जैतारण मध्ये। ४. सं. १७५७ मा. व. ११ श्री मेड़ता मध्ये ५. फा. सु. १३ सोझित मध्ये । ६. सं. १७५६ फा. सु. ७ सोझित मध्ये ५. चं. सु. ५ गुरौ वच्छराज रा गुढा मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. धन्नौ पं. हेमौ पं. नाथौ पं. दीपौ पं. मेहो पं. ऋषि रामचन्द धर्मरंग हेमरंग दानरंग दयारंग मुनिरंग रामरंग उ० क्षमालाभ रौ पं० सिवनन्दन मुनि पं० दानसागर नौ वा० कनकविलास वा० कनकविलास वा० विनयलाभ रौ । संवत १७५७ वर्षे पोष सुदि १३ श्री मेड़ता मध्ये ॥ 'उदय' नंदी कृता (३५) पं. स्यामौ शुभोदय पं० सौभाग्यवर्द्धन रौ पं. रामचन्द रत्नोदय पं० गुणविमल रौ पं. गांगो ज्ञानोदय पं० सुमतिप्रिय रौ पं. रूपौ रंगोदय वा० राजचन्द्र रौ पं. नारायण तिलकोदय पं० तिलकप्रिय पं. अखौ अभयोदय प० लाभसमुद्र रो पं. पदमसी पूण्योदय पं० दयाविनय रौ पं. भूधर भावोदय पं० अभयसुन्दर रौ पं. नाढौ नयनोदय वा० राजचन्द्र रौ पं. भागचन्द भक्तोदय वा० राजचन्द्र रौ पं. शीतल सत्योदय पं० दयाप्रिय रौ ॥संवत् १७५८ वर्षे मिगसर सुदि ६ दिने गुरुवारे "हेम" (३६) नंदी कृता ॥ बीलाड़ा नगरे । पं. केसर कुशलहेम वा० जयलाभगणि रो पं. तिलकचन्द सिल कहेम वा० लावण्य रत्न रो पं. सुखौ सुखहेम वा० ज्ञाननिधान रो १. जे. सु. ३ जयतारण मध्ये २. फा. सु. ६ लांबीयां मध्ये ३. वै. ब. १० रूपनगर मध्ये ४. माह सुदि १ मेड़ता मध्ये ५. चै. ब. १३ कठमहुर मध्ये ६. चे. सु. १ कठमहुर मध्ये ७. बै. ब. १३ गुरो रूपनगर मध्ये ८. बीलाड़ा मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची २९ पं. हरखौ हंसहेम पं० कल्याणसागर रो पं. सूजौ सत्यहेम वा० नेमिहर्ष रो पं. अमीचन्द अभयहेम पं० जिनसौभाग्य पं. देदौ दत्तहेम पं० विनयविमल रौ प्रपौत्र पं. खेतो सुमतिहेम वा० विनयलाभ रौ पं. कुशलौ कल्याणहेम पं० माणिक्यसुन्दर पं. देवचन्द दयाहेम वा० लावण्यरत्न रौ पं. लालौ लक्ष्मोहेम पं० कीत्तिसौभाग्य पं. जीवण जयहेम वा० अभयकुशल रौ पं. सुखौ समयहेम वा० नेमिहर्ष गणि पं. पदमौ पदमहेम पं० निलकप्रिय रो पं. मयाचन्द माणिक्यहेम वा० सुगुणचन्द पं. धन्नौ धर्महेम पं० क्षमाविनय रौ ॥ संवत् १७५९ वर्षे मिगसर बदि १३ तिथौ गुरुवारे (३७) 'सार' नंदी कृता । श्री जयतारण मध्ये ॥ प. मानौ मुनिसार वा० लाभवर्द्धन गणि रो पं. भोजौ भक्तिसार पं० अभयमाणिक्य रो पं. जैतौ जयसार पं० जयहंस रो पं. जीवण जिनसार पं० रत्न समुद्रस्य पं. देवी दयासार पं० लाभवर्द्धन रौ पं. पदमसी पण्यसार पं० मतिविमल पं. समरथ? समयसार वा० सौभाग्यसुन्दर ॥ संवत १७६० वर्षे माह बदि १४ सोमे मेवाड़ देसे दारू ग्राम मध्ये "सिन्धुर' (३८) नंदी कृता । पं. अजौ अभयसिन्धुर वा० भावसागर गणि रो १. बै. व. ११ बीलाडा मध्ये २ आसा. ब. ३ गलणीया मध्ये ३. चैत्र सुदि १२ बीलाड़ा मध्ये ४. बे. सु. १ खारीया मध्ये ५. मा. सु. ४ जयतारण मध्ये ६. मा. सु. १५ श्री जयतारण मध्ये ७. फा. ब. ११ श्री जयतारण मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० पं. सारंग पं. श्रीचन्द पं. सूजो पं. सिवराम पं. ईसर पं. सभाचन्द्रः पं. रूपौ पं. रामचन्द पं. पेमो पं. राजौ पं. खेमौ पं. वीरौ पं. नाथौ पं. वधौ पं. वछौं पं. लालौ पं. नारायण पं. जैराम पं. कुशली ।। सं० १७६२ वर्षे माह सुदि १ शुक्रे । श्री थांगला मध्ये । 'प्रमोद' नदी कृता ( ३९ ) ॥ १. ३. ४. समय सिन्धुर सुखसिन्धुर शान्तिसिन्धुर शक्तिसिन्धुर इला सिन्धुर गुणसन्धुर रूपसिन्धुर रत्न सिन्धुर ५. पुण्य प्रमोद रंगप्रमोद क्षमाप्रमोद वृद्धिप्रमाद ज्ञानप्रमोद Jain Educationa International विद्याप्रमोद विवेकप्रमोद खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं० क्षेमविमल गणि पं० सदानन्द गणि रौ पं० ज्ञानसौभाग रे नयनसुख जीवसुख कुशल सुख पं० सोमराज रो पं० मतिविमल रौ श्री जिनसुखसूरि ।। संवत् १७६५ वर्षे मिती फागुन बदि २ दिने भट्टारक श्री जिनसुख सूरिभि: प्रथम ( १ ) सुख नंदी कृता खंभाइत मध्ये ॥ लक्ष्मी सुख पं० सदानन्द ग० पं० लब्धिचन्द्रस्य वा० भक्तिविशाल वा० सुखलाभगणेः वा० कनकविलास गणे: For Personal and Private Use Only पं० रत्नसमुद्रस्य पं० मुनिसौभाग्य नौ वा० सुखलाभ ग० पं० कीत्तिधर्मस्य पं० कुशलसुन्दर पं० रत्नशेखर रै पं० रत्नशेखर रै पं० सांगा रो उ० धर्मवर्द्धन रो २. सं. १७६१ मा. ब. ६ रतलाम मध्ये मा. सु. १२ रतलाम म० मा. सु. ५ श्री रतलाम मध्ये चैतबदि १ दिने । उज्जयिनी नगर्यां बेगमपुरा मध्ये । श्री थांणला मध्ये आषाढ बदि १ दिने । फा. सु. ५ श्री सारंगी मध्ये । ६. प्रथम वै. सु. १ । ७. मा. सु. १ दिने Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. वीरो विद्यासुख पं० अभयमूत्ति पं. सभाचन्द सुमतिसुख पं० पुण्यदत्त पं. जीवन जयसुख पं० मतिसौभाग्य पं. गोदौ। ज्ञानसुख पं. रूपसुन्दर रो पं. विज्जो विजयसुख वा० महिमाकूशल पं. हेमचन्द हेमसुख श्रीजिताम् पं. लालौ लाभसुख पं० दयादत्त रो पं. महानंद महिमासुख पं० विद्यावियल पं. वर्द्धमान विनयसुख पं० सत्यशील पं. जैतौ जैतसुख पं० लब्धिकुशल रो पं. ताराचन्द त्रिभुवनसुख पं० महिमाकल्याण पं. मांडण मदनसुख पं० लक्ष्मीकुशल पं. रत्नपाल राजसुख पं० रूपसुन्दर रो पं. सुखौ सदामुख पं० दर्शनसून्दर रो ॥ सं० १७६८ माह सुदि १ दिने पालणपुरे मध्ये । श्री जिनसुखसूरिभिः (२) 'जय' नंदी कृता । पं. खीमो क्षेमजय पं० देवहंस रौ पं. सूजौ सत्यजय पं० विनयरंग रो पं. जालप? यशोजय पं० महिमासुन्दर पं. रिषभदास ऋद्धिजय वा० यश वर्द्धन पं. जयराम जगज्जय पं० जिनजय रो पं. लखमो लक्ष्मीजय पं० भाग्यविशाल पं. अमरसी अमृतजय पं० भागचन्द रै पं. मोहन महिमाजय पं० भागचन्द रै पं. दुलीचन्द धर्मजय वा० अमरनन्दन रो १. ४. ६. ७. ब. सु. ११ दिने २. जे. ब. १२ रवौ ३. प्र. व. सु. १३ सं. १७६६ रा वै. व. ५ पाटण ५. सं. १७६७ रा सं. १७६७ जे. ब. ३ पाटण एवं सुख नंदिना जणा १८ थया गुजराति मध्ये सं. १७६८ चं. सु. ४ साचोर मध्ये ८.वै. ब. ४ राइधरा मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. राधाकृष्ण पं. गोपी पं. लालौ पं. अमरा पं. लालचन्द पं. जीवण पं. रामौर पं. स्यामजी पं. नन्दलाल पं. रतनौ पं. करमचन्द? पं. प्रीतम ऋद्धिजय ज्ञानजय लावण्य जय अमृतजय लाभजय जिनजय राजजय सुमतिजय ज्ञानजय चारित्रजय कीत्तिजय प्रीतिजय वा० दयातिलक वा० दयातिलक रो पं० दयाविनय रो पं० यशोधीरस्य पं० महिमसुन्दर पं० हर्षविमल रौ वा० विजयशेखर रो पं० भागचन्द रे पं० भागचन्द रै वा० अमरनन्दन पं० दयासार वा० दयातिलक रो ।। सं० १७७१ वर्षे पो० सु० ६ शुक्रे । श्री जेसलमेरु मध्ये। श्री जिन सुखसूरिभिः (३) निधान नंदी कृता ।। पं. लीलापति लक्ष्मीनिधान वा० भावसागर पं. सदानन्द सुखनिधान वा० भक्तिविनय पं. ऋषभौ ऋद्धिनिधान पं० मूनिमूतः पं. बालकृष्ण बुद्धिनिधान पं० रत्नवद्धन पं. गंगाराम लालनिधान पं० लाभोदय पं. वेलजी विद्यानिधान श्रीजी रे पं. चतुरो चारित्रनिधान उ० राजसागरस्य पं. गांगजी गुणनिधान . वा० दयातिलक पं. मोटो महिमानिधान पं० समयधीर १. सं. १७७० वै. ब. ५ पाटोधी मध्ये २. फा. ब. १२ श्री साचोर मध्ये ३. चं. सु. ५ साचोर मध्ये ४. जे. ब. ८ साचौर मध्ये ५. जे. ब. २ सिणधरी मध्ये ६. सं. १७७० मा. सु. १२ श्री जालोर मध्ये 4. सं. १७७० च. सु. ८ थोभ मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ३३ ॥ सं० १७७१ वर्षे पो० सु० ६ शुक्र । श्री जेसलमेरु मध्ये । श्री जिनसुख सूरिभिः (३) निधान नंदी कृता । पं. लीलापति लक्ष्मीनिधान वा० भावसागर पं. सदानन्द सुखनिधान वा० भक्तिविनय पं. ऋषभौ ऋद्धिनिधान पं० मुनिमूर्तेः पं. बालकृष्ण बुद्धि निधान पं० रत्नवर्द्धन पं. गंगाराम लालनिधान पं० लाभोदय पं. वेलजी विद्यानिधान श्रीजी रै पं.चतुरो चारित्रनिधान उ० राजसागरस्य पं. गांगजी गुणनिधान वा० दयातिलक पं. मोटो महिमानिधान पं० समयधीर ॥ सं० १७७१ वर्षे माघ सुदि ५ शनौ । जेसलमेरु मध्ये । श्री जिनसुख सूरिभिः (४) रत्न नन्दी कृता ॥ पं. हेमो हस्तिरत्न वा० रत्नशेखरस्य पं. लालो लब्धिरत्न पं० भक्तिविनय पं. खुस्यालो क्षमारत्न पं० चारित्रकोत्ति पं. गुलालो गुणरत्न उ० श्रीधर्मवर्द्धन पं. राजसी राजरत्न उ० श्रीधर्मवर्द्धन पं. साहिबराय सुखरत्न उ० राजसागर पं. माधव महिमारत्न उ० सुखलाभ रै पं. गंगाराम गजरत्न महो० क्षमालाभ पं. अभैराज अभयरत्न उ० सुखलाभ पं. रामचन्द ऋद्धिरत्न पं० अमरदत्त ग० पं. ऋषभौ ऋषिरत्न वा० रत्नशेखरस्य पं. लखमो लाभरत्न वा० भागचन्द्रस्य पं. कान्हजी कनकरत्न श्रीजीरै १. २. ३. सं० १७७३ मा. सु. ९ श्री जेसलमेरु मध्ये सं० १७७३ मा. सु. ११ दिने श्री जेसलमेरु मध्ये सं० १७७३ आ.सा. सु. ३ जेसलमेरु मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. ज्ञानचन्द ज्ञानरत्न श्रीजी रै पं. सभाचन्द सभारत्न उ० श्री धर्मवर्द्धन पं. देवौ देवरत्न पं० भाग्यरंग रै पं. वद्धौर विद्यारत्न उ० श्रीनेमिसुन्दर ग० पं. भगवती भक्तिरत्न पं० आणंदधीर रो पं. रूपचन्द रूपरत्न उ० सुखलाभ पं. कपूरौ कर्पूररत्न पं० कुशलसुन्दर पं. मोटौ मानरत्न पं० पूर्णप्रभस्य पं. ज्ञानचन्द गुणरत्न वा० जिनहंस ग० ॥ सं० १७७३ वर्षे जे० व १० श्री पहकरण मध्ये । भ । श्री जिनसूख सूरिभिः (५) मेरु नन्दी कृता ।। पं. भारमल्ल भानुमेरु वा० मोहन ग० पं. भागचन्द भक्तिमेरु वा० लाभसुन्दर पं. हरचन्द हर्षमेरु पं० हितसुन्दर ग० पं. हरचन्द लाभमेरु वा० लाभसुन्दर पं. खुस्यालो क्षमामेरु उ० श्रीलाभवद्धन ग० पं. नाथा नित्यमेरु वा० मोहन गणेः पं. मनोहर मुनिमेरु वा० तत्त्वसुन्दर पं. कान्हजी कनकमेरु पं० राजप्रभ रै पं. जीवण जयमेरु वा० तत्त्वसुन्दर गणे: ॥ सं० १७७४ रा पोष सुदि १० श्री उदयरामसर मध्ये भ० श्री जिनसुखसूरिभिः (६) कुशल नन्दी कृता ।। पं. लालौ लाभकुशल वा० दयातिलक पं. रूपौ ऋद्धिकुशल वा० रंगविमल पं. धन्नौ धनकुशल पं० चारित्रकीत्ति १. मा. सु. १५। २. सं० १७७३ चै. ब. १० जेसलमेरु मध्ये ३. सं० १७७३ वै. सु. ११ जालोड़ा मध्ये । ४. सं० १७७४ म. सु. ३ लोहीयावट मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. केसरीचन्द पं. मेघौ पं. गौडीदास पं. विमलसी पं. थाहरू पं. वद्धौ पं. कान्हौ पं. दलौ पं. सूजौ पं. जीवण पं. दौलौ पं. दीपौ पं. श्रीचन्द पं. साहिब पं. पासू पं. वीरचन्द पं. ऊदौ पं. ऋषभौ पं. सुक्खौ पं. मनरूप पं. खोमौ पं. वर्द्धमान पं. लखमौ १. २. ३. ५. ७. कनककुशल महिमाकुशल ज्ञानकुशल विवेककुशल Jain Educationa International थिरकुशल वृद्धिकुशल कीर्तिकुशल दान कुशल सत्यकुशल जगतकुशल दयाकुशल दानकुशल सदाकुशल सहजकुशल पद्मकुशल विनयकुशल उदयकुशल रत्नकुशल सकलकुशल मुनिकुशल क्षेमकुशल वृद्धिकुशल लाभकुशल सं० १७७४ फा. सु. ७ जे. सु. २ बीकानेर मध्ये जे. सु. १३ आसा. ब. ९ सं० १७७४ चं. सु. १३ बीकानेर मध्ये पं० कनकमूर्तेः पं० राजमूत्तिः For Personal and Private Use Only उ० राजसागर वा० सुमतिसुन्दर पं० मुनिकल्याण पं० दत्तहेम रो पं० रत्नोदय रो पं० चारित्रवर्द्धन ग०. श्री राजसागर ग० पं० प्रीतिधर्म रो वा० दर्शन सुन्दर पं० ज्ञानकीति पं० जीवमूर्तेः ३५ पं० मुनिमूर्ति पं० पुण्योदय पं० भक्तिविशाल पं० जिनजय रौ पं० भावकीर्ति रो पं० दत्तम रौ पं० रत्नोदय रौ पं० धर्मधीर गणेः पं० हर्ष समुद्र पं० अमरसी रो ४. आसा. ब. २ बीकानेर मध्ये ६. सं० १७७४ मग. व. ४ श्री बीकानेर मध्ये Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥ सं० १७७६ वर्षे श्री बीकानेर मध्ये । पो० सु० ५ दिने श्री जिनसुख सूरिभिः (७) वल्लभ नन्दी कृता ॥ पं. लक्ष्मीचन्द पं. सदारंग पं. सबलौ पं. लखमण पं. दौलौ पं. गौड़ीदास पं. मोहण पं. रतनौ पं. गंगाराम पं. पूरण पं. हरचन्द पं. जीवण पं. रामचन्द्र पं. खस्यालो पं. ताराचन्द पं. अमरौ पं. गोवर्द्धन पं. रूपचन्द पं. आसौ पं. लखमण पं. ऊदौ पं. दीपौ पं. भीमो पं. केसर पं. अखौ पं. कुशलौ ललितवल्लभ सत्यवल्लभ सदावल्लभ लब्धिवल्लभ देववल्लभ ज्ञानवल्लभ माणिक्यवल्लभ रिद्धिवल्लभ ज्ञानवल्लभ प्रतापवल्लभ हर्षवल्लभ जयवल्लभ रंगवल्लभ क्षमावल्लभ तत्त्ववल्लभ अमृतवल्लभ गणिवल्लभ राजवल्लभ उदयवल्लभ लाभवल्लभ आणंदवल्लभ दानवल्लभ भक्तिवल्लभ कीत्तिवल्लभ अभयवल्लभ कुशलवल्लभ पं० लीला रौ पं० कल्याणहंस गणेः पं० ज्ञानकोत्ति वा० धर्मसुन्दर रो वा० देवधीर गणेः पं० क्षमाप्रमोद श्रीजी रै वा० अभयमाणिक्य उ० धर्मवर्द्धन गणेः उ० देवधर्म रो उ० देवधर्म गणेः पं० चारित्रकीत्ति वा० कर्पूरप्रिय पं० रत्नसुन्दर वा० कर्पूरप्रिय पं० वेणीदास वा० रंगविमल उ० राजसागर रो पं० कल्याणहंस रो वा० भुवनलाभ रो वा० महिमसून्दर ग० वा० मतिसौभाग्य पं० क्षमामुन्दर वा० धर्मधीर गणेः वा० अभयमाणिक्य पं० जयहेम रो १. पो. सु. १० शनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. वच्छराज पं. रामचन्द पं. बलू पं. चतुरौ पं. चन्दौ पं. देवचन्द पं. जीवण पं. मयाचन्द पं. रतनौ पं. गिरधर पं. लखमौ पं. कुशलौ पं. खेमौन पं. माणिकचन्द पं. सामल पं. हेमौ पं. कपूर पं. गौड़ीदास पं. सुन्दर पं. नाथौ पं. ऊदौ पं. नेणौ पं. अमरौ पं. सिवचन्द पं. नन्दौ पं. महासिंघ पं. जवाहर पं. रघुनाथ पं. मयाचन्द विद्यावल्लभ रामवल्लभ मुनिवल्लभ चारित्रवल्लभ चन्द्रवल्लभ दर्शनवल्लभ जगवल्लभ महिमावल्लभ लाभवल्लभ गजवल्लभ लावण्यवल्लभ कमलवल्लभ क्षेमवल्लभ मित्रवल्लभ समयवल्लभ सुमतिवल्लभ क्रियावल्लभ गीतवल्लभ सुन्दरवल्लभ नित्यवल्लभ आदित्यवल्लभ नेमिवल्लभ इलावल्लभ सकलवल्लभ न्यायवल्लभ मयावल्लभ यशोवल्लभ रूपवल्लभ मनोवल्लभ श्रीजी रै पं० भक्तिराज ग० उ० देवधर्म रो उ० विद्याविलास पं० रामविजय ग. वा० कर्पूरप्रिय पं० सत्यकीत्ति वा० रंगविमल वा० रंगविमल पं० उत्तम रो वा० त्रैलोक्यसुन्दर वा० क्षमासुन्दर वा० महिमाकल्याण वा० युक्तिसुन्दर वा० अमरनन्दन पं० सुमतिहेम रै पं० उदयधीर रै पं० अभयसुन्दर उ० नेमसुन्दर वा० जयशील ग० उ० नेमसुन्दर वा० क्षमासुन्दर ग० वा० माणिक्यदत्त उ० सुमतिप्रिय पं० सुमतिहेम ग० उ० श्री राजसागर वा० त्रैलोक्यसुन्दर श्रीजी रै वा० युक्तिसुन्दर १. मा. सु. २ दिने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रामकृष्ण रामवल्लभ वा० समयधीर ग० पं. मनसौ मयावल्लभ वा० समयधीर ग० पं. तिलोको त्रैलोक्यवल्लभ वा० अमरनन्दन पं. भूपति भाववल्लभ पं० विनयप्रभु-वाघउ पं. अमरौ आर्यवल्लभ पं० धरमधीर रो पं. ऊदौ अतिवल्लभ पं० अभयसुन्दर रौ पं. लच्छौ लोकवल्लभ उ० नेमसुन्दर ग० पं. सभी सौभाग्य वल्लभ वा० जयशील ग० पं. हेमौर हीरवल्लभ वा० माणिक्यदत्त ग० पं. दीपचन्द दीपवल्लभ उ० राजसागर पं. हरखौ हरिवल्लभ वा० लाभसुन्दर ग० ॥ सं० १७७६ वैशाख वदि १३ रवौ श्री जिनसुखसरिभिः (८) कल्लोल नन्दी कृताः ॥ पं. विज्जो विद्याकल्लोल पं० रत्नशीलमुनि पं. यशौ युक्तिकल्लोल वा० महिमाप्रिय पं. गंगाराम ज्ञानकल्लोल वा० रत्नशेखर पं. दीपौ दयाकल्लोल वा० दर्शनसुन्दर पं. मनरूप समयकल्लोल पं० समयसार पं. किसनौ कनककल्लोल वा० जिनहंस पं. जीवण जयकल्लोल वा० महिमसुन्दर पं. लखमौ लक्ष्मीकल्लोल वा० जयविमल पं. हरराज हेमकल्लोल पं० रत्नसिन्धुर पं. भोजौ भक्तिकल्लोल पं० उदय विनय पं. गिरधर गुणकल्लोल पं० पूर्णप्रभ पं. गुलालौ गीतकल्लोल वा० राजसुन्दर पं. वखतू विवेककल्लोल वा० शान्तिराज रै पं. कर्मचन्द कोत्तिकल्लोल वा० विजयशेखर १. ३. फा. ब. २। सं० १७७८ मा. व. १० श्री बीकानेर मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ३१ पं. मईयो पं. मयाचन्द पं. हरजी पं. हरौ पं. वीरौ पं. जयचन्द पं. खीमौर पं. देवचन्द पं. रूपौर पं. जयराज पं. सुक्खौ मयाकल्लोल मुनिकल्लोल हरेकल्लोल हितकल्लोल विनयकल्लोल यश:कल्लोल क्षमाकल्लोल दानकल्लोल रत्नकल्लोल जगत्कल्लोल सदाकल्लोल श्रीजी रै वा० रत्नशेखर पं० लब्धिशील ग. वा० क्षेमराज ग. वा० महिमसुन्दर वा० क्षेमराज ग० पं० रूपभद्रस्य पं० रत्नरंगस्य पं० अमीचन्द रौ वा० राजसून्दर रै कमलरंग रो ॥ सं० १७७८ मा० सु० ६ दिने श्री बीकानेर मध्ये श्री जिनसुखसूरिभिः (९) विशाल नन्दी कृता । पं. छ अभयविशाल वा० मतिसेन ग० पं. ऊदौ उदयविशाल श्रीजी रै अमरदत्त ग० पं. देवचन्द दयाविशाल पं० जिनजय पं. मयाचन्द महिमाविशाल पं० अमरमूत्ति ग० पं. गुलौ ज्ञानविशाल पं० सामा रौ पं. चतुरौ चारित्रविशाल पं० क्षमासुन्दर पं. देवचन्द दानविशाल वा० श्रीवर्द्धन पौत्र पं. जीवण जगद्विशाल वा० मतिसेन ग० पं. हीरौ हेमविशाल वा० मतिसेन ग० पं. हरनाथ हर्षविशाल वा० पुण्यदत्त ग० पं. लालौ लब्धिविशाल पं० रंगप्रिय ग० पं. भवानी भुवनविशाल वा० आणंदधीर पं. वस्तौ विद्याविशाल वा० हितसुन्दर १. ३. ५. फा. सु. ३ दिने २. सं० १७७७ बै. बीकानेर मध्ये जे. सु. ११ बीकानेर । ४. सं० १७७८ मा. सु. ३ बीकानेर मध्ये घड़सीसर मध्ये ज्ये. सु. ३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. करमचन्द पं. ईसर पं. प्रतापसी कमलविशाल अमरविशाल पूर्णविशाल वा० धर्मसुन्दर वा० दर्शनसुन्दर वा० यशःशील ॥ सं० १७७६ वष श्री नवहर मध्ये मि० व० ३ भ० श्री जिनसुखसरिभिः (१०) क्षेम नन्दी कृता ॥ पं. कर्मचन्द कुशलक्षेम वा० कीत्तिसौभाग्य पौत्र पं. रामचन्द रंगक्षेम वा० विद्याविमल ग० पं. जयवन्त जगत्क्षेम वा० राजहंस गणेः पं. मोतीराम मुनिक्षेम उ० दयातिलक ग० पौत्र पं. मेघौ मतिक्षेम वा० विद्याविमल पं. भीमराज भक्तिक्षेम श्रीजिताम् श्री जिनभक्तिसूरि ।। सं० १७७९ वर्षे भ० श्री जिनभक्तिसरिभिः प्रथमं भक्ति नन्दी (१) कृता श्री रिणी मध्ये ॥ पं. शीतल शुभभक्ति उ० भक्तिविनय पं. गुलाल गुरुभक्ति उ० भक्तिविनय पं. दीपौ दानभक्ति पं० विजयमत्ति ग० पं. सुन्दर सदाभक्ति वा० यशःशील पं. फतचन्द पुण्यभक्ति श्रीजिताम् पं. देवचन्द देवभक्ति वा० कुशलसुन्दर पं. सामौ शान्तिभक्ति वा० रत्नकुशल पं. ऋषभौ ऋषभभक्ति पं० कुशलमूर्ति पं. जैतसी जयभक्ति पं० पुण्यमूर्ति ग० पं. हरदेव हरिभक्ति वा० महिमासुन्दर १. ३. ५. सं० १७७९ आसा. सु. नवहर मध्ये । २. भट्टारक पदम् सं० १७८० मा. सु. १३ ४. सं० १७८० फा. व. १३ सं० १७८१ वै. व. ३ बीकानेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सुन्दर पं. हरजी पं. देवचन्द पं. दलो पं. उदयचन्द पं. कुशलो पं. हरचन्द पं. गौड़ो पं. पेमौ पं. यादव पं. सुखौ पं. अखौ वस्तौ पं. वालो पं. नैणसी पं. शिवराज पं. हरखौ पं. जीवराम पं. कानौ पं. थानौ सत्यभक्ति हर्षभक्ति दयाभक्ति दर्शनभक्ति उदयभक्ति कुशलभक्ति हेमभक्ति ज्ञानभक्ति पद्मभक्ति युक्तिभक्ति सुखभक्ति अमरभक्ति विनयभक्ति वल्लभभक्ति नित्यभक्ति शान्तिभक्ति हितभक्ति जीवभक्ति कनकभक्ति थिवरभक्ति पं० सत्यशीलस्य दयाधीर ग० वा० महिमसुन्दर पं० हेमकमल पं० शिवराजस्य पं० सुमतिहेम वा० धर्मसागर रौ वा. दयादत्तस्य पं० तिलकहेम पं० तिलकहेम वा० सदानन्दस्य उ० तत्त्वसुन्दर उ० तत्त्वसुन्दर पं० इलासिन्धुर पं० पुण्यसार वा० रामविमल उ० दयातिलक उ० दयातिलक पं० राजभद्रस्य उ० शिवनन्दन ॥सं० १७८२ मि० सु० ५ दिने श्री बीकानेरे भ० श्री जिनभक्ति सूरिभिः (२) 'हर्ष' नन्दी कृता । पं. रायचन्द रंगहर्ष उ० भक्तिविनय ग० पं. रूपौ रत्नहर्ष वा० राजहंसस्य पं. नित्यानन्द ज्ञानहर्ष उ० भक्तिविनय पं. चोखौ चतुरहर्ष वा० देवधीर गणेः पं. रतनौ कीतिहर्ष वा० कल्याणहंस १. सं० १७८१ ब. सु. ६ बीकानेर। २. सं० १७८१ जे. ब. १० बीकानेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. कुशलौ कुशलहर्ष वा० ज्ञानसौभाग्य पं. गोकल चारित्रहर्ष पं० चतुरा रौ पं. गोवर्द्धन गुणहर्ष वा० ज्ञानसौभाग्य पं. भवानी भावनहर्ष वा० जिनहंस पं. लद्धौ। लावण्यहर्ष वा० रंगविमल पं. फत्तौ प्रीतिहर्ष पं० अमृतविजयस्य पं. भीमौ भाग्यहर्ष वा० राजहंस पं. तिलोको तिलकहर्ष वा० जीवमूत्ति पं. खुस्यालो क्षमाहर्ष वा० राजसुन्दर पं. वर्द्धमान समयहर्ष वा० ज्ञानसौभाग्य पं. सिंघौ श्रीहर्ष पं० मुनिमूत्ति गणेः पं. दुरगौ दयाहर्ष वा० ज्ञानसौभाग्य पं. महिरचन्द मूर्तिहर्ष वा० जिनहंस ग० पं. जयराम जयहर्ष वा० जिनहंस ग० ॥सं० १७८३ मिग० सु० १२ भ० श्री जिनभक्तिसूरिभिः (३) 'वर्द्धन' नन्दी कृता उदेरामसर मध्ये ॥ पं. खुस्यालो क्षेमवर्द्धन पं० यशःसोम रै पं. लखमौ ललितवर्द्धन पं० तिलकप्रिय पं. नेमौ नित्यवर्द्धन पं० ज्ञानप्रभ ग० पं. टेको तिलकवर्द्धन पं० तिलकप्रिय पं. कर्मचन्द कोत्तिवर्द्धन श्रीजिताम् पं. नन्दौ नेमिवर्द्धन वा० भावरंग रै पं. दीपौ दत्तवर्द्धन पं० जयदत्तस्य पं. ऋषभौ ऋद्धिवर्द्धन वा० माणिक्यदत्त पं. जैतो जयवर्द्धन पं० सत्यशीलस्य पं. देवचन्द देववर्द्धन उ० राजसागर १. सं० १७८३ मि. ब. १० सोमे। २. बावड़ी मध्ये ३ दिने ३. सं० १७८३ वै. ब ७ करू मध्ये । ४. स० १७८३ आषा. सु ५ फलोदी मध्ये ५. सं. १७८४ मा. सु. ५ फलवृद्धि ग्रामे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. गौड़ीदास गुणवर्द्धन वा० अभयमाणिक्य पं. गुलाल ज्ञानवर्द्धन पं० अमरविजय रौ पं. दोपौर देववर्द्धन पं० देवहंस रौ पं. शिवौ शिववर्द्धन पं० जीवसुख रौ पं. दीपौर देववर्द्धन वा० क्षमाधीरस्य पं. नगौ नीतिवर्द्धन वा० धर्मधीरस्य पं. वीरचन्द विद्यावर्द्धन पं० सुमतिसुख ॥सं० १७८४ वर्षे चै० ब० ११ भ० भी जिनभक्तिसरिभिः (४) 'नन्दन' नन्दी कृता श्री जेसलमेरु दुर्गे।। पं. फतौ पद्मनन्दन वा० विजयशेखर पं. हीरो हितनन्दन पं० नयनभद्रस्य पं. शिवराज श्रीनन्दन पं० लक्ष्मीनिधान पं. सत्तौ सत्यनन्दन वा० देवधीरस्य पं. खेतो क्षमानन्दन पं० मुनिरंग गणेः पं. प्रेमी प्रभनन्दन पं० उदयधीर पं. नयणौ ज्ञाननन्दन पं० मुनिरंग गणेः पं. मनोहर माणिक्यनन्दन वा० दयाधीर गणेः पं. मनरूप मतिनन्दन पं० गंगविनय रै पं. मयाचन्द महिमानन्दन पं० गंगाविनय पं. अगरौ अमरनन्दन वा० कुशलविनय । सं० १७८६ माह बदि १३ भ० श्री जिनमक्तिसूरिभिः (५) 'समुद्र' नन्दी कृता श्री जैसलमेरो॥ पं. रूपौ पं० लाभोदयस्य पं. जसवन्त जयसमुद्र उ० शान्तिविजय ग० पं. नणौ ज्ञानसमुद्र पं० जिनजय मुनेः रंगसमुद्र १. पो. ब. १ फलोधी मध्ये २. सं० १७८४ भा. सु. २ फलवधी मध्ये १. सं० १७८५ पो. सु. ११ ४. मा. सु. १ ५. सं० १७८५ जे. सु. १ जेसलमेरो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची प. भगवान पं. जीवो. पं. रिणछोड़ भाग्यससुद्र भारणसमद युक्तिसमुद्र ऋद्धिसमुद्र उ० धर्मवर्द्धनस्य उ० यशःशील रै वा० इलासिन्धुर ॥ सं० १७८८ माघ ब० १३ श्री सिणधाँ भ० श्री जिनभक्तिसूरिभिः (६) 'सागर' नन्दी कृता ॥ पं. जीवौ यूक्तिसागर पं० विवेकप्रमोद पं. अमीचन्द आणंदसागर पं० विवेकप्रमोद पं. नरसिंह नयसागर वा० शान्तिकुशल पं. केसरौ कनकसागर पं० धर्मकल्याण पं. जोइतौ जीवसागर उ० त्रिलोकसुन्दर पं. शिवचन्द शीलसागर पं० कुशलहेम रै पं. वल्लभ विनयसागर उ० यशःशील पं. वीरचन्द विवेकसागर उ० नेममत्ति ग० पं. कल्याण कुशलसागर उ० यशःशील रे पं. लखमण लक्ष्मीसागर वा० नेमत्ति पं. सुखौ सत्यसागर पं० नयनभद्र पं. गोइंद गुणसागर वा० गुणसुन्दर पं. माईदास मतिसागर वा० गुणसुन्दर पं. बखतौ विनीतसागर पं० ज्ञानप्रमोद 'पं. सरूपौ सुखसागर सदासुख पं. कर्मचन्द कमलसागर उ० गुणसुन्दर पं. माणको माणिक्यसागर श्रीजिताम् पं. प्रेमचन्द प्रोतिसागर श्रीजिताम् पं. रूपौ रत्नसागर वा० क्षमाप्रमोद गणेः पं. नरपाल नयनसागर वा० राजसुन्दर गणेः २. सं० १७८९ च. ब. ४ साचोर मध्ये १. सं० १७८९ च. व. ३ साचौर ३. मंगलवास मध्ये वै. सुदि १ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ४५ ॥ स० १७९० मिगसर सुदि ३ बुधे श्री सोभित मध्ये (७) 'तिलक' नन्दी कृता॥ पं. रतनौ राजतिलक पं० क्षेमसुन्दर रौ पं. ऋषभौ ऋद्धितिलक वा० धर्मधीर गणेः पं. जोगौ यूक्तितिलक पं० ज्ञानसोम रौ पं. जैराम जयतिलक वा० ज्ञानविनय पं. कपूरौ कीतितिलक पं० प्रीतिसोम पं. लालचन्द लब्धितिलक पं० ज्ञानसोम मुनेः पं. खुस्यालो क्षेमतिलक पं० हंससोम पं. हीरो हेमतिलक वा० ज्ञानविनय गणेः पं. कल्याण कान्तितिलक पं० प्रीतिसोम पं. कम्मो कनकतिलक उ० भक्तिविनय पं. लखमौ लक्ष्मीतिलक उ० भक्तिविनय प. दीपौर दानतिलक पं० अभयसोम मुनेः पं. मंगल महिमातिलक पं० विनयप्रभ पं. रूपौ4 रत्नतिलक उ० जिनप्रभ गणेः पं. फत्तौ पद्मतिलक उ० जिनप्रभ गणेः पं. सोमचन्द्र सौम्यतिलक पं० सुगुणसिन्धुर पं. भवानी भाग्यतिलक पं० चन्द्रविजय पं. कर्मचन्द कुशलतिलक उ० अमृतवल्लभ ॥सं० १७६१ वैशाख बदि १० रवौ पाली मध्ये भ० श्री जिनभक्ति सूरिभि (८) 'विमल' नन्दी कृता॥ पं. रतनौ रत्नविमल पं० धर्मकल्याण रो पं. जयचन्द युक्तिविमल वा० ज्ञानप्रभ रौ पं. देवी देवविमल वा० ज्ञानप्रभ गणेः १. सं० १७९० फा. सु. १ सोझित मध्ये २. १७९० आसा. ब. १२ देहरिया ग्रामे ३. सं० १७९१ मि. सु. ४ ४. सं०:१७९१ फा. सु.७ ५. वै. ब. ४ पाली मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. अजबों अमरविमल पं० माणिक्यमूत्ति पं. लखमौ लक्ष्मीविमल पं० हर्षमेरु रो पं. कुशलौन कुशलविमल वा० समयधीर पं. रतनौ लब्धिविमल वा० सत्यकीत्ति ग० पं. खुस्याल क्षमाविमल पं० नित्यरंगस्य पं. खस्यालौ खुश्यालविमल वा० महिमाकल्याण ॥ सं० १७९३ पो० सु० १५ बुधे जालोर दुर्गे भ। श्री जिनभक्ति सूरिभिः (६) 'सौभाग्य' नन्दी कृता ।। पं. कुशलौ कुशलसौभाग्य वा० अमरमूत्ति पं. कानौ कनकसौभाग्य पं० हेमविजय पं. हीरौ हितसौभाग्य पं० जयसुख पं. जयकरण जगत्सौभाग्य पं० अभयराज पं. यशौ युक्तिसौभाग्य पं० अभयराज पं. हेमौ हर्षसौभाग्य पं० चारित्रहंस पं. लालो लक्ष्मीसौभाग्य उ० क्षमाप्रमोद पं. जिणदास जयसौभाग्य पं० नयसागर पं. आत्माराम अभयसौभाग्य पं० अभयसुन्दर पं० देवी देवसौभाग्य पं० नित्यरंग ॥सं० १७९४ वर्षे माह बदि १० बुधे बीकानेर मध्ये (१०) 'माणिक्य' नन्दी कृता ॥ पं. जीवौ जयमाणिक्य पं० जिनजय पं. गोइन्द ज्ञानमाणिक्य वा० दर्शनसुन्दर पं. खुस्यालो क्षमामाणिक्य पं० जिनजय पं. देवचन्द देवमाणिक्य वा० क्षमासुन्दर पं. कर्मचन्द कीतिमाणिक्य वा० दर्शनसुन्दर १. ३. सं. १७९२ प्र. जे. ब. १० जे. सु. ५ आगोलाई मध्ये २. भा. सु. २ ४. फा. ब. १ बीकानेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. योधौ युक्तिमाणिक्य वा० दर्शनसुन्दर पं. जीवण जीवमाणिक्य वा० उदयमूर्ति पं. देवचन्द दयामाणिक्य पं० भावकीत्ति पं. केसरौ कमलमाणिक्य श्रीजिताम । पं. पेमौ पद्ममाणिक्य उ० रामविजय पं. खेमो क्षेममाणिक्य उ० नेममूर्ति ग० क्षेमशाखा सं० १७६५ माह सुदि १३ श्री बीकानेर मध्ये (११) 'लाभ' नन्दी कृता । पं. सूजौ सुमतिलाभ वा० ज्ञानप्रमोद ग० पं. सुखी समयलाभ वा० दीपधीर ग० पं. कृपाराम कनकलाभ वा० दीपधीर ग० पं. दीपचन्द दर्शनलाभ वा० पुण्योदय पं. दयाराम दयालाभ वा० पुण्योदय पं. मयाचन्द मतिलाभ पं० ऋद्धिवल्लभ पं. लालचन्दजी लक्ष्मीलाभ श्रीजिताम् [भट्टारक पदम् ] पं. न्यानचन्द ज्ञानलाभ श्रीजिताम् सं० १७६६ माह सुदि १३ श्री जेसलमेरौ (१२) "विलास' नन्दी कृता ।। पं. हीरौ ज्ञानविलास पं० ज्ञानविजय पं. स्वरूपौ सुखविलास वा० आणंदधीर प. गंगाराम गुणविलास वा० पाणंदधीर क्षेमौ क्षमाविलास उ० कपरप्रिय पं. फत्तो पद्मविलास पं० शिवराज मुनि पं. गलौ गंगविलास पं० शिवराज मुनि पं. भारमल्ल भाग्य विलास उ० कपरप्रिय पं. बालचन्द विनयविलास पं० पद्मसोम १. ३. सं० १७९५ जे. ब. ५ बीकानेर । २. आषाढ बदि २ बीकानेर आषाढ सुदि ६ बीकानेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. जीवण ... पं. महिमचन्द पं. खेतौ पं. फतौ जगद्विलास मतिविलास क्षेमविलास प्रीतिविलास वा० यश:सोम श्रीजिताम् श्रीजिताम् .. उ० कर्पूरप्रिय ॥सं० १७९७ फा० सु० ३ शनी श्री जेसलमेरौ भ । श्री जिनभक्तिसूरिभिः (१३) 'सेन' नन्दी कृता । पं. परमाणन्द पद्मसेन वा० रत्नोदय ग० पं. श्रीचन्द सत्यसेन वा० रत्नोदय ग० पं. पूरण पुण्यसेन उ० कर्पूरप्रिय पं. जीवण युक्तिसेन पं० महिमामूत्ति पं. हरचन्द हर्षसेन वा० आणंदधीर पं. गोरधन ज्ञानसेन वा० देवधीर पं. श्रीचन्द समयसेन पं० भाववल्लभ पं. दुलीचन्द दयासेन वा० ज्ञानप्रभ गणि पं. दयालो दानसेन उ० नेममूर्ति पं. केशरौ कनकसेन वा० आणंदधीर ग० पं. अनोपो आणंदसेन वा० विद्यारत्न पं. ज्ञानौ गजसेन श्री कर्पूरप्रिय ग० पं. रामौ राजसेन वा० देवधीर गणेः पं. वखतौ विद्यासेन वा० पुण्यसार ग० ॥सं० १८०० फा० सु० ७ गुरौ पानला ग्रामे भ० श्री जिनभक्तिसूरिभिः (१४) 'कलश' नन्दी कृता ॥ पं. हरखौ हर्षकलश पं० नेमरंग गणेः पं. रामौर राजकलश उ० त्रैलोक्यसुन्दर पं. किशनौ कमलकलश वा० केशरी पं. राजौ रत्नकलश पं० शिवसोम. १. ३. सं. १८०० मा. ब. १२ सिणधर्याम् । २. चैत बदी ८ श्रीनगर मध्ये श्री जूनागढ मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. किशोरौ पं. मुकनी पं. अखौ1 पं. सिद्धराज पं. हीरौ पं. खुश्याल पं. ॥ सं० १८०२ वर्षे वैशाख बदि ४ बुधवासरे भट्टारक श्री जिनभक्तिसूरिभि: (१५) 'आनन्द' नन्दी कृता श्री मज्जीर्ण दुर्गे ॥ पं. नरसिंह पं. माणिकौ पं. हरषौ पं. गौड़ीदास पं. हेमौ पं. ज्ञानौ पं. हीरौ पं. गुलालो पं. हरषौ कनककलश माणिक्य कलश अमृतकलश पं. ईशर पं. मेघौ सहजानन्द हर्षानन्द क्षमानन्द दयानन्द श्री जिनेश्वरो जयतु ।। नगर मध्ये भट्टारक प्रभ श्री Jain Educationa International ज्ञानानन्द महिमानन्द सुखानन्द पं० नयविजय उ० जिनप्रभ उ० कर्पूरप्रिय ग० गुणधर्म हेमध ज्ञानधर्म हितध गजधर्म्म हर्षधर्म पं० सुखनिधान वा० तिलकम पं० सुखनिधान वा० देवधीर गणेः श्री जिनलाभसूरि सं० १८०४ वर्षे फाल्गुन सुदि १ दिने श्री भुज्ज १०५ श्री जिनलाभसूरिभिः (१) 'धर्म' नन्दी कृता ॥ पं० सुखनिधान पं० सुखनिधान पं० सुखनिधान ४९ पं० गजवल्लभस्य वा० नेमिरंग गणे: वा० नेमिरंग गणे: पं० शिवसोम मुनेः वा० नित्यभद्र गणे: पौत्र उ० श्री क्षमाप्रमोद ग० पं० कीर्तिवर्द्धन मुनेः पुण्यभक्ति गणेः वा० इलाध मानधर्म्म पं. हरषचन्द हीरधम्मं श्रीजिताम पं. तेजसी तत्त्वधर्म वा० माणिक्यसागर ग० १. श्री धाडूआ मध्ये । २. श्री जिनभद्रसूरि शाखा । ३. श्री जिनभक्तिसूरि शा० For Personal and Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. मोतीचन्द महिमाधर्म श्रीजिताम् पं. देवसी दानधर्म उ० श्रीसुखहेम गणेः पं. अर्जन अमृतधर्म पं० प्रीतिसागर गणः पं. राजसी राजधर्म श्रोजिताम् पं. कुशलौ कीर्तिधर्म उ० श्रीक्षमाप्रमोद ग० ॥सं० १८०५ वर्षे पौष बदि १ श्री मांडवी बिदर मध्ये ।। पं. साकर सौभाग्यधम वा० सुगुणसिन्धुर ग० पं. मेघौ मेरुधर्म वा० सुगुणसिन्धुर ग० पं. तेजपाल तिलकधर्म उ० क्षमाप्रमोद गणेः पं. अमीचन्द आणंदधर्म उ० नेमिमूति ग० पौत्र पं. जैतौर जयधर्म उ० श्रीनेममूर्ति गणेः ॥ फागुण सुदि ७ चीतलवारणा मध्ये ॥ रत्नधर्म वा० पुण्योदय गणेः पं. केसरौ कनकधर्म वा० उदयमूर्ति गणेः ॥ फागुण बदि ६ कैरीया मध्ये ॥ पं. पासदत्त पुण्यधर्म वा० भक्तिभद्र गणेः पं. वाल्हौ विवेकधर्म वा० नीतिभद्र गणेः पं. वसतौ विद्याधर्म वा० ज्ञानप्रमोद गणेः पं. गंगौ गीतधर्म पं० कीत्तिवल्लभ मुनेः पं. प्रेमौ प्रीतिधर्म पं० कात्तिवल्लभ मुनेः पं. वाल्हौ विनयधर्म उ० श्री नेममूत्ति गणेः ॥ संवत् १८०६ वर्षे वैशाख बदि ६ श्री देवीकोट मध्ये ॥ पं. जयचन्द युक्तिधर्म पं० क्षमावर्द्धन मुनेः पं. खेमौ क्षमाधर्म उ० धर्मकल्याण गणेः पं. गोवर्द्धन गुप्तिधर्म उ० श्रीधर्मकल्याण ग० पं. राजू १. श्री जिनभक्तिसूरि शाखा २. श्री जिनभद्रसूरि शा० - ३. क्षेम शाखा । ४. क्षेम शाखायां। ५. जिनचन्द्रसूरि शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ५१ पं. मीठौ पं. जीवणी पं. सन्तोषौ पं. सिच्चौ पं. दुरगौ पं. आसौ पं. पव्वौ पं. खीमौ पं. कान्हौ पं. अखौ पं. अनोपो पं. मलूको मतिधर्म वा० शान्तिविजय ग० जगद्धर्म वा० शान्तिविजय ग० मिती वैशाख सुदि १ श्री जेसलमेरु मध्ये सत्यधर्म पं० अमृतवल्लभ गणे सुमतिधर्म पं० सुमतिवल्लभ मुनेः दयाधर्म वा० ज्ञानप्रभ गणेः अमरधर्म पं० अमृतवल्लभ गणेः पूर्णधर्म पं० अमृतवल्लभ गणेः क्षेमधर्म वा० ज्ञानप्रभ गणेः कमलधर्म वा० नित्यभद्र गणेः अभयधर्म पं० जयवर्द्धन मुनेः उदयधर्म उ० श्रीक्षमाप्रमोद गणेः माणिक्यधर्म पं० जयकल्लोल रौ ॥ सं० १८०६ वर्षे माघ बदि ७ श्री जेसलमेरौ भ० श्री जिनलाभ सूरिभिः (२) 'शील' नन्दी कृता ।। पं. गोपालौ दानशील पं० सत्यवल्लभ मुनेः पं. सदौ सदाशील पं० नयनमूत्ति मुनेः पं. फतौ लाभशील वा० लाभोदय गणेः पं. ईशर आनन्दशील वा० धर्मसुन्दर गणेः पं. पदमो पुण्यशील वा० रामविजय गणेः पं. चांपो चारित्रशील पं० कुशलभक्ति गणेः पं. जय राम जयशील पं० सत्यसागर मुनेः पं. रामौ रूपशील पं० देवमाणिक्य मुनेः पं. वस्तौ विद्याशील वा० रामविजय गणेः पं. वखतो विनयशील पं० क्षमामेरु मुने: पं. पदमौ पद्मशील वा० सत्यकीत्ति गणेः १. श्री जिनचन्द्रसूरि शाखा. ३. क्षेम शाखा २. श्री जिनभद्रसूरि शा० ४. क्षेम शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥ सं० १८०७ मार्गशीर्ष सुदि ७ श्री जेसलमेरु मध्ये ॥ पं. रतनौ रत्नशील पं० सुखनिधान गणेः पं. ऊदौ उदयशील पं० सुखनिधान गणेः पं. भागू भक्तिशील पं० शिवराज मुनेः पं. दौलौ दर्शनशील पं० क्षमानन्द मुनेः पं. कल्याणौ कनकशील पं० क्षमाकुशल मुनेः पं. मानौ महिमाशील वा० धर्मकल्याण गणेः पं. जैकू युक्तिशील वा० माणिक्यमत्ति ग० ॥ संवत् १८०८ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ श्री जेसलमेरु मध्ये भट्टारक प्रभु श्री जिनलाभसूरिभिः (३) 'दत्त' नन्दी कृता । पं. खेतो क्षमादत्त पं० महिमासुख मुनेः पं. फत्तौ पूर्णदत्त पं० त्रिभवनसूख गणेः पं. रतनौर रत्नदत्त श्री कर्पूरप्रिय गणेः पं. जेठौ जयदत्त श्री कर्पूरप्रिय गणेः पं. देवौ देवदत्त श्री कर्पूरप्रिय गणः पं. नरसिंह नेमिदत्त श्री नेमिरंग गणेः पं. मलूको महिमादत्त वा० महिमाविजय ग० पं. भगवानौ भक्तिदत्त पं० ज्ञानविजय मुनेः पं. महियो माणिक्यदत्त पं० भाग्यहर्ष मुनेः पं. लखौ लक्ष्मीदत्त पं० ऋद्धितिलक मुनेः पं. वन्नौ विनयदत्त वा० महिमसुन्दर गणेः पं. हीरौ हेमदत्त वा० महिमसुन्दर गणेः पं. सद्दौ सत्यदत्त वा० महिमसुन्दर गणेः पं. देवो दयादत्त वा० इलासिन्धुर गणे: पं. रूपौ रंगदत्त वा० महिमसुन्दर ग० पं. जगनाथ जीवदत्त वा० इलासिन्धुर ग० पं. वखतौ विद्यादत्त वा० महिमसुन्दर ग० १. क्षेमशाखायाम् २. क्षेमशाखायाम् ३. क्षेमशाखायाम् Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ५३ ॥ संवत् १८०९ वर्षे पोष सुदि १३ श्री जेसलमेरु मध्ये भट्टारक प्रभ श्री जिनलाभसूरिभि (४) "विनय' नन्दी कृता । पं. धन्नौ धर्मविनय पं० माणिक्यहेम मुनेः पं. रूपौ रंगविनय पं० माणिक्यहेम मुनेः पं. गोकल ज्ञानविनय पं० मयावल्लभ मुनेः, जिनभद्रसूरिशाखा ॥मिती माघ सुदि १० दिने । देवीकोट मध्ये ।। पं. जगमाल जगद्विनय वा० नित्यरंग ग० पं. हरनाथ हेमविनय वा० नित्यरंग ग० पं. पीथौ पुण्यविनय वा० नित्यरंग ग० पं. सोभौ सौभाग्यविनय पं० कमलकलश मुनेः पं. रिणछोड़ रत्नविनय श्री नेममूर्ति ग०, क्षेमशाखायां ॥ संवत् १८१० वर्षे मिती वैशाख बदि १३ जूना बहिलवा मध्ये ॥ पं. पदमौ प्रीतिविनय पं० क्षमावर्द्धन मुनेः पं. श्रीचन्द सत्यविनय पं० दानकुशल मुनेः पं. रूपौ ऋद्धिविनय वा० मुनिरंग ग० पं. चन्दौ चारित्रविनय वा० मुनिरंग ग० पं. रामौ राजविनय पं० लोकवल्लभ ग० पं. हीरौ हंसविनय पं० जयवल्लभ मुनेः पं. उत्तमौ उत्तमविनय ___वा० मुनिरंग ग० पं. केसरौ कनकविनय पं० इलावल्लभ मुनेः पं. फतौ प्रमोदविनय पं० भुवनविशाल ग० पं. देवौ दर्शनविनय पं० इलावल्लभ मुनेः पं. गिरधर गजविनय पं० क्षमामेरु मुनेः पं. पोमौ नेमविनय पं० जगद्वल्लभ मुनेः पं. विज्जौ विद्याविनय वा० मुनिरंग ग० ॥ सं० १८१० वर्षे वैशाख सुदि २ नवा बहिलवा मध्ये भट्टारक प्रभु श्री जिनलाभसूरिभिः (५) 'रुचि' नन्दो कृता ॥ पं. रिणछोड़ रत्नरुचि पं० मानरत्न मुनेः पं. रूघौ राजरुचि पं० आर्यवल्लभ मुनेः Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ पं. हरीदास हर्षरुचि पं. नेतौ पं. ईश्वर पं. खुश्याल पं. प्रेमौ पं. जगतौ पं. रुघौ पं. हीरो पं. हीरौ पं. रामौ पं. मेघौ नित्यरुचि इलारुचि क्षमारुचि प्रेमरुचि जगरुचि रंगरुचि हेमरुचि पं. महानन्द पं. देव पं. माणकौ पं. जग्गू पं. नारायण पं. सुन्दर पं. ऊदौ पं. पुनसी पं. लखमौ पं. देवचन्द पं. जैतौ पं. हीरौ पं. भवानी Jain Educationa International ।। सं० १८१० भाषा । व० १० भ० श्री जिनलाभसूरिभि: ( ६ ) 'राज' नन्दी कृता बीकानेरे ॥ पं रूपौ रूपराज पं. जैतौ युक्तिराज पं. रायचन्द रत्नराज पं. देवी दयाराज महिमाराज देवराज माणिक्यराज जगद्राज नेमिराज हस्तरुचि रामरुचि महिमारुचि वा० सदासुख गणे सत्यराज उदयराज पं० आर्यवल्लभ मुनेः पं० आर्यवल्लभ मुनेः पुण्यराज लक्ष्मीराज दर्शनराज जयराज हेमराज भीमराज पं० पद्मतिलक मुनेः पं० गजवल्लभ मुनेः वा० महिमसुन्दर ग०, पो० जिनचन्द्रसूरिशा० खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची वा० महिमसुन्दर ग०, पौ० दयाभक्ति शि० पं० भाववल्लभ मुनेः पं० भाववल्लभ मुनेः पं० सुमतिवल्लभ मुनेः पं० सुमतिवल्लभ मुनेः पं० नयरंग गणे: पं० नयरंग ग० श्रीजिताम् वा० ज्ञानप्रमोद ग० पं० ऋद्धिरत्न मुनेः पं० विद्याविशाल मुनेः वा० रूपवल्लभ मुनेः वा० सदासुख गणेः पं० नयविजय गणेः पं० जिनजय गणे पं० मित्रवल्लभ मुने श्रीजिताम् पं० मतिविलास मुनेः पं० क्षमासुन्दर मुनेः पं० हेमविशाल रौ पं० मयाकल्लोल रौ पं० मयाकल्लोल मुने: For Personal and Private Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रायचन्द शिवराज पं. खेतौ क्षेमराज || सं० १८१० फाल्गुन बदि ३ श्री बीकानेर मध्ये ( ७ ) 'शेखर ' नन्दी कृता ॥ पं. दौलौ दयाशेखर पं. चतुरी पं. रूपौ पं. हरचन्द पं. आणंदौ पं. दीपौ पं. चैनसुख पं. सर्वसुख पं. जसू पं. मानौ पं. हेमौ प. कल्याण पं. प्रेम पं. हेमौ पं. नेमौ ॥ सं० १८११ वर्षे श्राषाढादि के श्री बीकानेर मध्ये || पं. सामा पं. रतनौ पं. सगतौ पं. जीवण १. पं० कमलसागर मुनेः चारित्रशेखर उ० श्री धर्मकल्याण गणेः राजशेखर उ० श्री धर्मकल्याण गणे: हर्षशेखर उ० श्री नेमिरंग गणे: पं० राजसोम गणेः पं० राजसोम गणेः, क्षेम शाखा दर्शनशेखर लाभशेखर सुगुणशेखर जयशेखर अमरशेखर उ० अमृतवल्लभ गणेः उ० श्री ज्ञानप्रभ गणेः मानशेखर हितशेखर कनकशेखर प्रेमशेखर वा० रामवल्लभ गणः पं० सदाभक्ति मुनेः हस्तिशेखर पं० विनयसागर मुनेः नयशेखर पं० कीर्तिवर्द्धन मुनेः सत्यशेखर रत्नशेखर सुमतिशेखर युक्तिशेखर ज्येष्ठ बदि १० Jain Educationa International उ० श्री लाभोदय गणे: उ० श्री लाभोदय गणे पं० कनकराज मुनेः वा० पुण्यसागर गणेः पं० कीर्तिवल्लभ मुनेः ।। सं० १८१२ फा० सु० २ श्री जिनलाभसूरिभिः (८) 'कमल' नन्दी कृता श्री बीकानेरे ॥ पं. गोविन्द ज्ञानकमल पं० रत्नसागर मुनेः पं० जयप्रभ मुनेः पं० ज्ञानविजय मुनेः वा० सुगुणसिन्धुर गणे ५५ For Personal and Private Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रूपचन्द रत्नकमल वा० नीतिभद्र गणे: पं. दुलीचन्द दानकमल पं० विनयभक्ति गणेः पं. मोहन मानकमल पं० जयमेरु गणेः पं. सुन्दर सत्यकमल वा० ज्ञानप्रमोद गणेः पं. लालौ ललितकमल पं० रत्नविजय मुनेः पं. लखौ लब्धिकमल पं० दानधर्म मुनेः पं. अभी अभय कमल वा० ज्ञानवल्लभ गणेः जिनभद्रसूरि शाखा पं. पन्नौ पूण्यकमल उ० श्रीक्षमाप्रमोद गणेः जिनभद्रसूरि शा० पं. देवचन्द्र दयाकमल वा० ऋद्धिवल्लभ गणे: पं. लच्छौ लक्ष्मीकमल वा० अमरनन्दन गणेः पं. अनोपौ अमृतकमल उ० श्री नेमिरंग गणेः पं. खूबौ क्षमाकमल वा० दानविशाल गणेः पं. लालौ लावण्यकमल' उ० श्री रत्नकुशल गणे: पं. ऊदौ उदयकमल उ० श्री रत्नकुशल गणेः पं. नैणो नित्यकमल उ० श्री रत्नकुशल गणे: पं. गुलाबी गुणकमल उ० श्री रत्नकुशल गणेः पं. रायचन्द रत्नकमल उ० श्री नेमिरंग गणेः ॥ सं० १८१३ माघ बदि ८ गुरुवारे श्री बीकानेर मध्ये (९) 'सुन्दर' __नन्दी कृता ॥ पं. सवाई सत्यसुन्दर पं० हर्षमेरु मुनेः पं. डूंगर दयासुन्दर पं० हर्षमेरु मुनेः पं. कुशलौ कीतिसुन्दर पं० देवधीर गणेः पं. अमरु अमृतसुन्दर उ० श्रीमाणिक्यमूत्ति ग., पौ. कीतिरत्न शा. पं. अमी अानन्दसुन्दर उ० श्रीमाणिक्यमूत्ति ग०, कीतिरत्न शा० पं. ताराचन्द तिलकसुन्दर उ० श्री रत्नकुशल गणेः पं. केशरौ कमलसुन्दर उ० श्री रत्नकुशल गणे: पं. गुलालौ गजसुन्दर पं० शीलसागर पं. भाणौ भानुसुन्दर वा० सौभाग्यवल्लभ गणेः पं. धन्नौ धनसुन्दर वा० सौभाग्यवल्लभ गणेः Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सालगौ सौभाग्यसुन्दर उ० श्री रत्नकुशल गणेः पं. राजौ रत्नसुन्दर उ० श्री रत्नकुशल गणे: पं. माहौ मतिसुन्दर पं० लाभकुशल पं. मोहण माणिक्यसुन्दर वा० सत्यकीति गणे: पं. देवौ दीपसुन्दर पं० माणिक्यवल्लभ गणे: पं. मानौ मयासुन्दर पं० दीपविजय गणेः पं. प्रेमौ प्रीतिसुन्दर वा० भुवनविशाल गणे: पं. जगमाल जयसुन्दर पं० शिववर्द्धन मनेः पं. सौ समयसुन्दर उ० रामविजय गणेः, क्षेमशा० (सदानन्द) पं. राजसी रंगसुन्दर वा० विनयभक्ति गणेः पं. वृद्धौ विद्यासुन्दर वा० नीतिभद्र गणेः पं. धरमौ धर्मसुन्दर पं० प्रीतिविलास गणेः, क्षेम शा० (उ० श्री राजसोम गणे:) प. हरषौ हर्षसून्दर पं० भाग्यविलास गणेः, क्षेम शाखा पं. निहालौ न्यायसुन्दर उ० श्री क्षमाप्रमोद गणेः, जिनभद्र शा० पं. चोखो चारित्रसुन्दर पं० सत्यसागर मुनेः पं. खस्यालौ क्षमासुन्दर पं० सत्यसागर मुनेः पं. बिरधौ विनीतसुन्दर पं० कीत्तिवर्द्धन मुनेः, जिनसुखसूरि शा० पं. हीरौ हितसुन्दर पं० दानकल्लोल मुनेः, (सत्यसागर मुनेः) पं. वखतौ विनयसून्दर उ० श्री सदासुख गणेः पं. श्रीचन्द सौभाग्यसुन्दर पं० मयावल्लभ मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. आसौ अमृतसुन्दर पं० मयावल्लभ मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० ॥ सं० १८१५ मिगसर बदि ५ श्री नाथूसर मध्ये भ । श्री जिनलाभ सूरिभिः (१०) 'कल्याण' नन्दी कृता । पं. गंगाराम ज्ञानकल्याण पं० सत्यसागर मुनेः पं. सामन्त शिवकल्याण वा० अमरविजय गणेः, जिनचन्द्र शा० पं. कपूरौ कत्तिकल्याण वा० अमरविजय गणे: पं. कुशलौ कुशलकल्याण वा० अमरविजय गणेः पं. डाहो दयाकल्याण ऋद्धि वल्लभ गणेः Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. मोती महिमाकल्याण वा० विद्याविशाल गणेः, क्षेमशा० पं. तेजो तत्त्वकल्याण वा० विद्याविशाल गणेः, क्षेमशा० ॥ सं० १८१५ चैत्र बदि १ दिने कातर मध्ये ।। पं. जयचन्द जयकल्याण वा० भुवनविशाल गणेः पं. लालौ लक्ष्मीकल्याण पं० रूपशील मुनेः पं. धरमौ धीरकल्याण वा० भुवन विशाल गणे: पं. ज्ञानौ गुणकल्याण वा० भुवनविशाल गणेः पं. भागू भाग्यकल्याण पं० सत्यसागरस्य पं. भगवानौ। भक्तिकल्याण उ० नेममूत्ति गणेः, क्षेम शा० ॥ प्राषाढ बदि २ श्री जेसलमेरु दुर्गे॥ पं. देवी देवकल्याण वा० शान्तिविजय गणेः पं. मोटौ मुनिकल्याण वा० शान्तिविजय गणेः पं. तुलछौ तिलककल्याण वा० शान्तिविजय गणेः पं. मानौ मतिकल्याण वा० शान्तिविजय गणेः पं. जग्गू जगत्कल्याण पं० मुनिकल्लोल मुनेः पं. खुस्यालौ क्षेमकल्याण पं० सत्यभक्ति मूने: पं. रुघौ रत्नकल्याण उ० श्री क्षमाप्रमोद गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. वीरौ विवेककल्याण श्रीजिताम् पं. खश्यालचन्द क्षमाकल्याण पं० अमृतधर्म मुनेः, जिनभक्ति शा० पं. कर्मचन्द कीतिकल्याण उ० श्री विनयसागर गणेः पं. अभौ आनन्दकल्याण उ० श्री विनयसागर गणेः पं. धरमौ धर्मकल्याण पं० भाग्यतिलक मुनेः पं. सूजौ सत्यकल्याण महो० सत्यकोत्ति गणेः पं. मयाचन्द मयाकल्याण पं० चारित्रवल्लभ मुनेः ॥सं० १८१६ वर्षे मिती फाल्गुन सुदि ३ दिने भट्टारक प्रभु श्री जिन__ लाभसूरिभिः (११) 'कुमार' नन्दी कृता श्री जेसलमेरु मध्ये ॥ पं. थानौ देवकुमार ऋ० वर्द्धमान मुनेः १. वै. ब. ३ फलोधी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. तेजौ तत्त्वकूमार वा० पद्मकुशल मुनेः पं. देवौ दयाकूमार पं० शीलसागर मुनेः पं. नरसिंह ज्ञानकुमार उ० श्री विनयसागर गणे: पं. कुशलौ कीत्तिकूमार उ० श्री विनयसागर गणेः पं. गौड़ीदास गुणकुमार पं० त्रिभुवनसुख गणेः पं. रायसिंह रत्नकुमार पं० त्रिभवनसुख गणेः पं. जसू जयकुमार पं० देववल्लभ मुनेः पं. तेजी तिलककुमार पं. देववल्लभ मुनेः पं. आणंदौ अभयकुमार पं० चतुरहर्ष गणेः, सागरचन्द्रशा० पं. रूपी राजकुमार पं० चतुरहर्ष गणेः, सागरचन्द्रशा० पं. अनोपौ उदयकुमार पं० रत्नकुशल मुनेः पं. माणको माणिक्यकुमार पं० मुनिमेरु मुनेः पं. ऋषभौ ऋद्धिकुमार पं० विनयतिलक मुनेः पं. पृथ्वीचन्द्र पुण्यकुमार पं० सुमतिसुख मुनेः पं. सागरचन्द्र सुमतिकुमार पं० सुमतिसुख मुनेः ॥सं० १८१८ माह सुदि ४ दिने श्री जेसलमेरु दुर्गे द्वादशमी 'धीर' (१२) नन्दी कृता ।। पं. रामकृष्ण रत्नधीर पं० ललितकुमार मनेः पं. देवचन्द्र दयाधीर पं० आणंदसेन मुनेः पं. सरूपौ सुखधीर पं० आणंदसेन मुनेः पं. हीरौ हर्षधीर पं० आणंदसेन मुनेः पं. डाहौ दानधीर वा० लोकवल्लभस्य पं. जैतौ युक्तिधीर वा० हस्तरत्न गणे: पं. बालकचन्द विवेकधीर पं० दानकुशल मूनेः पं. खुस्यालो क्षमाधीर वा० कनकसागर गणेः ॥ सं० १८१६ वै० ब० १३ बाहड़मेरु ॥ पं. रूपौ रूपधीर पं० कुशलभक्ति मुनेः, जिनचन्द्रशाखा पं. धरमौ धर्मधीर पं० मुनिकल्लोल मुनेः पं. जेठी जयधीर पं० हीराकस्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सुरतौ सुमतिधीर पं० ज्ञानविलास मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. देवचन्द दत्तधीर पं० ज्ञानविलास मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. जोधौ युक्तिधीर पं० ज्ञानविलास मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. सदानन्द सुगुणधीर पं० ज्ञानविलास मुनेः, सागरचन्द्र शा० ॥ वीरावाव मध्ये मिती ज्येष्ठ बदि ३ दिने । पं. छत्तौ सौभाग्यधीर पं० क्षमानन्द मुनेः पं. हरखौ हितधीर पं० कुशलभक्ति मूने:, जिनचन्द्र शा० पं. केसरौ कत्तिधीर पं० कमलसागर मुनेः पं. पूनसी पूण्यधीर वा० पद्मकुशल गणेः पौत्र पं. मुहकमौ महिमाधीर उ० श्री सदासुख गणेः पौत्र पं. सिरदारौ सदाधीर उ० श्री सदासुख गणेः पौत्र पं. भवानी भाग्यधीर पं० दर्शनराज गणेः पं. खेतौ सत्यधीर पं० सत्यभक्ति मुनेः । सं० १८१६ वर्षे प्रथमाषाढ बहुल चतुर्सा ४ सोमवासरे भट्टारक प्रभ श्री जिनलाभसरिभिः (१३) 'उदय' नन्दी कृता डभाल ग्रामे ॥ पं. धन्नौ धर्मोदय पं० रत्नकलश मुनेः पं. गिरधारी ज्ञानोदय पं० रत्नकलश मूनेः पं. देवौ दानोदय पं० त्रिभुवन सुख गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. चन्दौ चारित्रोदय पं० जयसौभाग्य मुनेः पं. वखतौ विवेकोदय पं० त्रिभुवनसुख गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. जयकरणौ युक्तोदय पं० युक्तिधर्म मुनेः पं. तेजौ तिलकोदय वा० लावण्यहर्ष गणेः पौत्र, क्षेम शाखायां पं. खेतौ क्षमा उदय वा० लावण्यहर्ष गणेः पौत्र, क्षेम शाखायां पं. गोड़ीदास गुणोदय पं० मानरत्न मूनेः पं मानौ माणिक्योदय पं० जयसौभाग्य मुनेः पं. अमौ अमृतोदय वा० मुनिमेरु गणेः पौत्र १. कारोला मध्ये जणा ७ प्र० आषाढ बदी १० २. गुढा मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ।। सं० १८२० वर्षे मिति माघ शुक्ल पञ्चम्यां ५ भौमे भ० श्री जिनलाभसूरिभिः श्री राड़द्रहा नगरे (१४) 'हेम' नन्दी कृता ॥ वा० धर्मसुन्दर गणेः पौत्र लक्ष्मीहेम ज्ञानहेम पं० गजवल्लभ मुनेः गुणहेम उ० श्रीमाणिक्यमूत्ति गणेः पौत्र, कोतिरत्न शा० उदयहेम उ० श्रीमाणिक्यमूर्ति गणेः प्रपौत्र, कीर्त्तिरत्न शा० वा० लोकवल्लभ गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. लाधौ पं. गंगाराम पं. गुलालो पं. ऊदौ पं. खुश्यालो पं श्रीचन्दौ पं. अनोपौ पं माणकौ पं. भीमौ पं. माणको पं. जैरौ पं सोमौ पं. खुश्यालौ पं. उत्तम पं. प्रेमौ १. ३. क्षमाहेम सुगुणहेम भाग्यम माणिक्यहेम युक्तिम पं. खुश्यालो खुश्यालहेम पं. महासिंघ पं. वखतौ पं. विज्जौ पं. तोगौ पं. श्रीचन्द पं. फत्तौ ।। सं० १८२० वर्षे मिती चेत सुदि ६ दिने ॥ उ० माणिक्यमूर्ति गणेः उ० माणिक्यमूर्ति गणेः पं० सत्यभद्र मुनेः अमरहेम महिमाहेम Jain Educationa International मूर्तिहेम विद्याहेम विनयहेम तिलकहेम सत्यहेम पद्मम सुखहेम क्षान्ति हेम पं० ० सत्यसागर मुनेः कीर्त्तिरत्न शा० अमृतहेम पुण्यहेम पं० त्रिभुवनसुख गणेः पौत्र, जिनभद्र शा ० पं० त्रिभुवनसुख गणेः, जिनभद्र शा० पं० दानभक्ति मुनेः पं० त्रिभुवनसुख गणेः, जिनभद्र शा० पं० क्षमामाणिक्य मुनेः, कीर्तिरत्न शा० पं० लाभकुशल गणेः पं० पुण्यसोम गणेः चैत्र सुदि ५ सोमे ज्येष्ठ स. ५ पचषदरा म. पं० अभय सौभाग्य मुनेः पं० कमलकलश मुनेः पं० क्षमाविमल मुनेः जिनभद्र शा० पं० कमलकलश मुनेः पं० विवेकसागर मुनेः, क्षेमशाखायां पं० विवेकसागर मुनेः, क्षेमशाखायां २. तलवाड़ा मध्ये ज्ये. ब. ८ ४. बालोतरा मध्ये ६१ For Personal and Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥सं० १८२१ माह सुदि ८ सिद्ध योगे श्री पादरू ग्रामे (१५) 'सार' नन्दी कृता । पं. श्रीचन्द सत्यसार पं० मयावल्लभ मुनेः प. मोतीचन्द मतिसार पं० मयावल्लभ मुनेः पं. गुलाबौ ज्ञानसार वा० गजवल्लभ गणेः पौत्र पं. रुघौ रत्नसार पं० शिववर्द्धन मनेः पं. गोमो गुणसार पं० दयाभक्ति मुनेः, श्री जिनचन्द्र शा० पं. जैतो युक्तिसार पं० युक्तिविमलस्य पं. मलो महिमासार पं० दयाभक्ति मुनेः, श्री जिनचन्द्र शा० पं. नितौ नित्यसार पं० दयाभक्ति मुनेः पं. कभी कत्तिसार वा० महिमानिधान गणेः पौत्र पं. अनोपौ। उदयसार श्रीजिताम पं. नरायण ज्ञानसार श्रीजिताम् पश्चात् रत्नराजस्य शिष्यः कृतः पं. गौड़ीदत्त गजसार उ० रामविजय पौत्र, क्षेमशाखायां ॥ सं० १८२२ माह सुदि १३ रोहीठ मध्ये ॥ पं. सुन्दरौ समयसार वा० लोकवल्लभ गणेः पौत्र पं. जयचन्द जयसार वा० हस्तरत्न गणेः पौत्र पं. विज्जो विद्यासार पं० ऋद्धिरत्न मुनेः पं. देवदत्त दयासार पं० माणिक्यदत्त मुनेः पं. सिरदारौ सुखसार पं० माणिक्यदत्त मुनेः ॥ सं० १८२२ वर्षे फागुण बदि ११ मण्डोवर नगरे (१६) 'प्रिय' नन्दी कृता श्री जिनलाभसूरिभिः पं. चतुरौ चारित्रप्रिय पं० सकलवल्लभस्य पं. वस्ती विद्याप्रिय पं० जयमाणिक्य मुनेः पं. जुगतौ युक्तिप्रिय पं० क्षमानन्दनस्य पं. अजवौ आणंदप्रिय पं० लाभमेरु मुनेः १. उदयसार - गुढा मध्ये पद स्थापना सं० १८३४ माघ बदि १३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सुखौ सुमतिप्रिय पं० सुमतिधर्म मुने: जिनचन्द्र शा० पं. श्रीधर सत्यप्रिय वा० ज्ञानप्रमोदस्य पं. श्रीकरण सदाप्रिय वा० ज्ञानप्रमोदस्य पं. रामौ रंगप्रिय पं० हंसविनय मुनेः ॥सं० १८२२ वैशाख सुदि ५ बुधवारे मेड़ता मध्ये ।। पं. अमरू अमरप्रिय वा० जगद्विशाल गणेः पं. रुघौ राजप्रिय वा० माणिक्यसागर गणे: पं. कर्मचन्द कनकप्रिय पं० लाभजय मुनेः पं. रामौ रत्नप्रिय वा० जगविशाल गणे: पं. फतौ पुण्य प्रिय पं० अमरधर्म मुनेः पं. गुमानौ ज्ञानप्रिय वा० गजवल्लभस्य पं. चैनौ चतुरप्रिय वा० गजवल्लभ गणे: पौत्र पं. हररूपा हर्षप्रिय उ० श्री सदासुख गणेः पौत्र पं. सुरतौ सुगुणप्रिय वा० जगद्विशालस्य पौत्र पं. वद्धौ विवेकप्रिय वा० जगद्विशालस्य पौत्र पं. दीपो दर्शनप्रिय पं० जयमाणिक्य मुनेः पं. हररूप हस्तप्रिय पं० दयाभक्ति मुनेः पौत्र पं. वीरभाण विनयप्रिय पं० आणंदसागरस्य ।। सं० १८२३ वर्ष मिति मार्गशीर्ष बदि ७ रविवारे श्री मेडतानगर मध्ये भट्टारक प्रभु श्रीजिनलाभसूरिभिः (१७) 'कोत्ति' नन्दी कृता॥ पं. तिलोको तिलककीत्ति पं० नयशेखरस्य पं. गुलाबो ज्ञानकीत्ति पं० ज्ञानकल्लोल मुनेः पं. जीवौ जय कीत्ति महो० श्रीमाणिक्य मत्ति गणेः कोतिरत्न शा० पं. वखतौ लाभकीत्ति पं० लाभनिधानस्य पौत्र ॥ सं० १८२३ चैत्र बदि ४ श्री जयपुर मध्ये ॥ पं. खेमौ खुश्यालकीत्ति पं० सौम पं. कुशलदत्त कुशलकीत्ति पं० लाभनिधानस्य १. सं० १८२३ ज्ये. सुदि ५ गुरौ मेड़ता नगरे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. माणको माणिक्यकीत्ति पं० लाभनिधानस्य पौत्र पं. किसनौ कनककीत्ति पं० लाभनिधानस्य पौत्र पं. खुस्यालौ क्षमाकीत्ति पं० लाभनिधानस्य पौत्र पं. अमरदत्त अमृतकीत्ति श्रीजिताम् ॥सं० १८२४ मिती पोह बदि ३ श्री जयपुर नगरे । पं. सहजराम सुन्दरकीत्ति पं० लाभकुशल गणेः पं. भागचन्द भक्तिकीत्ति पं० विनीतसुन्दरस्य पं. रामकृष्ण रत्नकीत्ति पं० कुशलसागरस्य ॥सं० १८२४ वर्षे मिती पोह बदि ६ शुक्रवारे । श्री जयपुर मध्ये भट्टारक श्री जिनलाभसरिभिः (१८) 'प्रभ' नन्दी कृता ।। पं. भैरवी भाग्यप्रभ पं० ज्ञानवल्लभ मुनेः पं. चंदौ चारित्रप्रभ पं० भाग्यसमुद्र मुनेः पं. शीतलौ सदाप्रभ पं० भाग्यसमुद्र मुनेः पं. दीपौ दानप्रभ पं० विनयभक्ति गणेः पं. चतुरौ चतुरप्रभ पं० विनयभक्ति गणेः ॥सं० १८२४ वर्षे शाके १६९० वैशाख सुदि ३ उदयपुरे ॥ पं. हरषौ हितप्रभ पं० प्रभनन्दनस्य पं. मनरूप मतिप्रभ पं० दत्तवर्द्धनस्य पं. जगनाथ जयप्रभ पं० दत्तवर्द्धनस्य पं. हीराचन्द हर्षप्रभ पं० रत्नकल्लोलस्य ॥ सं० १८२५ मि । मिगसर बदि द्वितीय १२ दिने श्री पाली मध्ये ॥ पं. लखौ लक्ष्मीप्रभ पं० तत्त्वधर्म मुनेः, जिनभक्ति शा० पं. अर्जन आनन्दप्रभ वा० जयमाणिक्य गणे: पौत्र ॥सं० १८२५ माह सुदि १० बुधे जूठा मध्ये ॥ पं० वखतौ विवेकप्रभ प० नयसागर मुनेः पं० रूपौ रत्नप्रभ वा० रामवल्लभ गणेः १. चण्डावल मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥ संवत् १८२५ वर्षे मिती माह सुदि १२ झूठा नगरे । पं. गोकल गुणप्रभ उ० श्री सदासुख गणेः प्रपौत्र पं. हिमतौ हेमप्रभ उ० श्री सदासुख गणः प्रपौत्र पं. नन्दी नयप्रभ उ० श्री नयनसागर मुनेः पं. मनछौ माणिक्यप्रभ उ० नयनसागर मुने: ।। संवत् १८२५ माघ सुदि १५ दिने श्रीरायपुर मध्ये ।। प. अजवौ अमृतप्रभ म० श्रीशान्तिविजयगणेः पौत्र पं. खुस्यालौ क्षमाप्रभ म० श्रीशान्तिविजय गणेः पौत्र, भद्र० शा० ॥ संवत् १८२५ फागुण बदि १३ सोमे छिपीया मध्ये अपरनाम खुश्यालपुर मध्ये ॥ भट्टारक प्रभु श्रीजिनलाभसरिभिरेकोन विशतितमा १६ 'मूति' नन्दिः कृता ।। पं. खुश्यालौ क्षेममूत्ति पं० जयकल्लोल मुनेः पं. जसौ जयमूत्ति पं० लाभजय मुनेः । पं. सरूपो सत्यमूत्ति पं० मतिविलास गणेः, जिनभद्र शा० ॥ सं० १८२५ वैशाख बदि १० दहीपुड़ा मध्ये ।। पं. मरूपी सदामत्ति पं० जयकल्लोल मुनेः पौत्र पं. अखौ अभयमूर्ति पं० कीतिकल्लोल मुनेः ॥ संवत् १८२६ वर्षे माह बदि ५ दिने साचोर मध्ये ॥ पं. वाल्ही विवेकमूत्ति सत्यभक्ति मुनेः पं. चंदौ चारित्रमूत्ति पं० देववल्लभस्य पं. भगवान भाग्यमत्ति प० देववल्लभस्य पं. रूपी राजमत्ति वा० पद्मकुशल गणेः पौत्र ॥ संवत् १८२६ शा० १६६४ चैत सुदि १३ सूरेत मध्ये विशतितमी २० सोम' नन्दिः कृता ।। पं. वीरचंद्र विद्यासोम उ० दानविशाल गणेः १. वै. ब. ३ धूड़ा ग्रामे। २. सं० १०२७ वै० सु० ३ सुरते मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रामौ रत्नसोम पं० त्रैलोक्य वल्लभ मुनेः क्षेमशा० पं. दीपो दर्शनसौम उ० रूपवल्लभ गणेः पं. मुकनौ महिमासोम वा० पुण्यभक्ति गणेः पौत्रः ॥ सं० १८३० वर्षे शाके १६९५ चैत्र बदि ४ दिने श्री जूनागढ़ मध्ये ।। पं. लखमसी लक्ष्मीसोम पं० युक्तिभक्ति मुनेः, जिनभद्र शा० पं. नैणसी , नित्यसोम पं० युक्तिभक्ति, मुनेः, जिन भद्र शा० पं. नारण ज्ञानसोम पं० युक्तिभक्ति मुनेः, जिन भद्र शा० पं. देवराज दत्तसोम पं० युक्तिभक्ति मुनेः, जिनभद्र शा० पं. कल्याण कोत्तिसोम पं० युक्तिभक्ति मुनेः, जिनभद्र शा० पं. देशल . दानसोम पं० युक्तिभक्ति मुनेः, जिनभद्र शा० ।। सं० १८३० वर्षे शाके १६९५ चैत्र बदि ११ दिने श्रीजूनागढ मध्ये ॥ पं. रायचंद रंगसोम पं. रतनचंद ऋद्धिसोम पं. देवकरण दयासोम पं. चतुरौ चारित्रसोम ॥सं० १८३० द्वि० वै० सु० ४ कालावल मध्ये ।। पं. सरूपौ सुमतिसोम पं० सदाभक्ति मुनेः जिनरत्नसूरि शा० ॥सं० १८३२ वै० सु० १२ श्रीभुज्ज मध्ये २१ 'जय' नदिः कृता भ० श्री जिनलाभसूरिभिः ।। पं. पूर्णचंद्र पुण्यजय ५० दर्शनराज गणेः पौत्र पं. जैतौ युक्तिजय वा० जयसौभाग्य गणेः पौत्र, कोत्तिशा० ॥सं० १८३३ मिते प्राषाढ बदि १ दिने श्री गुढा मध्ये ॥ पं. मयाराम महिमाजय अतिवल्लभ मुनेः अ० प्र० जिनचन्द्र शा० पं. अमौ अमृतजय सत्यविनय मुनेः रत्न० जिनचन्द्र शा० १, सं० १८३३ मिती माघ सु० ९ अंजार म० । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. वाल्हो' विवेकजय प० उदयभक्ति गणेः जिनभद्र शा० पं. माणकौ2 माणिक्यजय पं० तिलककुमार मुनेः सागर० शा० श्रीजिनचन्द्रसूरिः ॥ संवत् १८३५ वर्षे शाके १७०० प्रवर्तमाने वैशाख सुदि ३ दिने । . भट्टारक श्री जिनचन्द्रसूरिभिः प्रथमा "चन्द्र" नन्दिः कृता। श्री बालोतरा नगरे । पं. धन्नो धर्मचन्द्र पं० दयावर्द्धन गणे: जिनभद्र शा० पं. भीमौ भक्तिचन्द्र पं० जिनप्रभ गणे: जिनभद्र शा० पं. अनोपौ उदयचन्द्र उ० रत्नविमल गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. मोती मयाचन्द्र पं० प्रभनन्दन गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. वांको वीरचन्द्र । पं० मयावल्लभ गणे: क्षेम शा० पं. गणेशो गुणचन्द्र उ० श्रीदानविशाल गणेः पौत्र, क्षेम शा०.. पं. लच्छो लक्ष्मीचन्द्र उ० श्रीदानविशाल गणे: पौत्र, क्षेम शा० पं. सुखौ अमृतचन्द्र वा० हर्षकलश गणे: पौत्र, क्षेम शा० प. शम्भू शिवचन्द्र वा० पुण्यशील गणे: पौत्र, क्षेम शा० पं. देवौ दयाचन्द्र पं० अमरशेखर गणेः जिनराज शा० पं. देपो दीपचन्द्र पं० सुमतिसोम मुनेः जिनरत्न शा० ॥सं० १८३५ वर्षे मिती माघ बदि ९ दिने करू मध्ये ॥ पं. अमी अमरचन्द्र पं० गजविनय मुनेः क्षेभ शा० पं. लच्छौ लब्धिचन्द्र पं० सत्य कल्याण मुनेः क्षेम शा० पं. नग्गी नेमिचन्द्र गजवल्लभ गणेः प्रपौत्र, राज० शा० पं. वखतो विजयचन्द्र पं० सुखधीर मूने:, जिनचन्द्र शा० पं. रतनौ रामचन्द्र वा० मतिविलास गणेः प्रपौत्र ॥ सं० १८३५ वर्षे शाके १७०० प्रमिते फाल्गुन कृष्णकादश्यां ११ । भट्टारक प्रभु श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः द्वितीया 'विजय' नन्दिः कृता ।। पं० जुगतो जीतविजय पं० विद्यावर्द्धन मुनेः जिनभद्र शा० पं० कुशलौ कोत्तिविजय पं० हर्षसेन मुनेः सागरचन्द्र शा० १. आषाढ ब० ६ गुढा मध्ये । २. आषा० सु० ८ गुढा मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. केशरी कमलविजय वा० दर्शनलाभ गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. विनचन्द विनयविजय वा० ज्ञानसेन मुनेः पौत्र, सागर० शा० पं. मानचन्द मानविजय पं० रत्नधर्म मूने: मयाचन्द महिमाविजय श्रीजिताम् पं. कस्तूरो कल्याणविजय वा० अमृतधर्म गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. ज्ञानौ गंगविजय वा० राजधर्म गणेः पौत्र पं. भोजी भक्तिविजय वा० मतिविलास गणेः प्रपौत्र पं. रतनौ रंगविजय पं० मेरुधर्म मुनेः शिष्य क्षेम शा० . पं. विज्जो वल्लभविजय पं० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. भागचन्द भाणविजय ५० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. वद्ध बुद्धिविजय पं० गुणकल्याण मूने:, सागरचन्द्र शा० पं. दौलो . दीपविजय पं० लक्ष्मीकमल मुनेः क्षेम शा० पं. गुणी ज्ञानविजय उ० अमरविमल गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. हरिचन्द्र हर्षविजय उ० अमरविमल गणेः प्रपौत्र, कीत्ति० शा० पं. श्रीधर श्रीविजय पं० विनोतसागर मुनेः कीत्तिरत्न शा० पं. श्रीकरण शांतिविजय पं० विनीतसागर मुनेः पं. परसौ प्रीतिविजय पं० मयावल्लभ पौत्र, जिनभद्र शा० पं. भागचन्द भाग्यविजय पं० ज्ञानोदय मुनेः, क्षेमशा० पं. नवलौ नेमिविजय पं० महिमाधम गणेः, जिनलाभ शा० पं. निहालौ नीतिविजय पं० विवेककल्याण गणेः, जिनलाभ शा० पं. हरिसुख हितविजय पं० ज्ञानसार मुनेः, जिनलाभ शा० पं. कुशलो कनकविजय वा० हीरधर्म गणेः, जिनलाभ शा० पं. अणदौ आणंदविजय पं० दानोदय मुनेः, जिनभद्र शा० पं. उमेदौ __ अमरविजय पं० विवेककल्याण गणेः, जिनलाभ शा० पं. रूपौ रामविजय पं० माणिक्यहेम मुनेः, जिनभद्र शा० पं. गुमानौ गुणविजय पं० कनकधर्म मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. चैनौ चारित्रविजय पं० अभयकुमार मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. पीथौ. प्रेमविजय वा० विवेकसागर गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. पासदत पुण्यविजय कुशलभक्ति गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा. Illinoiltebilihittiilit १. सं० १८३५ वै. सु. ९ मोरसी मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नदी सूची पं. भगवानौ भीमविजय पं० सुमतिधर्म मुनेः, जिनचन्द्र शा. पं. मोतीलाल मेरुविजय ५० ज्ञानवर्द्धन गणेः, पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. भीमौ भावविजय वा० जयमाणिक्य गणेः, पौत्र कीत्ति० शा० पं. विज्जौ विवेकविजय वा० अमृतधर्म गणेः, पौत्र पं. चन्दौ चन्द्रविजय पं० जयराज मुनेः, सागरचन्द्र शा० गं. लालौ लाभविजय उ० श्री जगद्विशाल गणेः प्रपौत्र सागर० शा० पं. ऊदौ उत्तमविजय उ० श्री जगद्विशाल गणेः, सागर० शा० पं. जसौ जयविजय वा० जयमाणिक्य गणेः, प्रपौत्र कीत्ति० शा० पं. दौलौ देवविजय वा० जयमाणिक्य गणेः, प्रपौत्र कीत्ति० शा० ॥ सं० १८३७ वर्षे शाके १७०२ प्रवर्तमाने मिते चैत्र सुदि ९ दिने भट्टारक प्रभु श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः तृतीया 'प्रमोद' नन्दी कृता। श्री जेसलमेरु मध्ये ॥ पं. चतरु चारित्रप्रमोद पं० कनकराज मुनिः, सागरचन्द्र शा० पं. किशनौ कमलप्रमोद पं० जयराज मुनेः, पौत्र सागरचन्द्र शा० पं. रामौ रत्नप्रमोद पं० सौभाग्यसुन्दर मुनेः, जिनभद्र शा० पं. जगमाल जयप्रमोद पं० चारित्रमूत्ति मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. कुशलौ कीतिप्रमोद वा० जगत्सौभाग्य गणे: पौत्र, सागर० शा. पं. रूपौ राजप्रमोद वा० जगत्सौभाग्य गणेः पौत्र, सागर. शा० पं. गुलाबौ गुणप्रमोद वा० जयराज गणेः, पौत्र पं. श्रीचन्द सुमतिप्रमोद उ० लोकवल्लभ गणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. मोती मयाप्रमोद वा० क्षमामाणिक्य गणेः पौत्र, कोत्ति० शा० पं. खबौ क्षमाप्रमोद वा० क्षमामाणिक्य गणेः पौत्र, कीत्ति० शा० पं. रतनौ रंगप्रमोद पं० आणंदप्रिय मुनेः, जिनभद्र शा० पं. निहालौ ज्ञानप्रमोद पं० रत्नविमल गणः पौत्र, क्षेमशा० पं. हुकमौ हितप्रमोद पं० रत्नविमल गणेः, क्षेमशा० पं. मयाचन्द मुनिप्रमोद पं० रत्नविमल गणेः पौत्र, क्षमशा० पं. ईदौ उदयप्रमोद पं० प्रोतिविलास गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. कृपाराम नमप्रमोद वा० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. सुमेरुचन्द्र समयप्रमोद वा० लावण्य कमल गणेः पौत्र, जिनचन्द्रमा पं. गोवर्द्धन गुणप्रमोद वा० भाग्यतिलक गणे: पौत्र, क्षेमशा०' Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ه فا प. लालौ पं. नैणसी पं. सुखो पं. जैतौ पं. मयाचन्द पं. तिलोकौ पं. गौडीदास || सं० १८३६ प्राषाढ सुदी ९ भ० श्री जिनचन्द्रसूरिभिः ४ 'निधान' नन्दी कृता जेसलमेरौ ॥ पं. शिवौ श्रीनिधान पं. नित्यानन्द ज्ञाननिधान पं. रूपौ रत्ननिधान पं. हरीदास पं. सगतौ हर्षनिधान पं. रायचन्द पं. खुश्यालो पं. गौड़ीदत्त पं. खूबौ पं. सुरतौ पं. उत्तमौ पं. तिलोकौ पं. चैतौ पं. खूबौ पं. रामकरण पं. गौडीदास खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची लक्ष्मीप्रमोद वा० भाग्यतिलक गणेः पौत्र, क्षेमशा० नेमिप्रमोद वा० सुखसागर गणेः, कीर्त्तिरत्न शा० सुगुणप्रमोद : लाभकुशल गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० जीतप्रमोद उ० अमरविमल गणेः पौत्र, कीर्ति० शा ० महिमाप्रमोद उ० अमरविमल गणेः पौत्र, कीर्ति० शा० तिलकप्रमोद पं० क्षमाप्रभ मुनेः, जिनचन्द्र शा० गंगप्रमोद वा० कनकधर्म गणेः, जिनचन्द्र शा० " पं. कर्मचन्द्र पं. चतुरौ Jain Educationa International पं० मयाकल्याण, जिनराज शा० उ० श्रीजय माणिक्य गणेः पौत्र, कीर्ति ० उ० श्रीजय माणिक्य गणेः पौत्र, कीर्ति ० पं० दोपसुन्दर, क्षेमशा० वा० युक्तिसेन गणि पौत्र, क्षेम शा० सुगुणनिधान रंगनिधान क्षमानिधान क्षमानिधान वा० दर्शनलाभ गणेः, सागरचन्द्र शा० पं० सत्यसार मुनेः, जिनभद्र शा० गंगनिधान पं० सत्यसागर मुनेः प्रपौत्र, कीर्ति० शा ० क्षेमनिधान ।। सं० १८४० चैत्र ब० ४ भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभि: ५ 'सिन्धुर' नन्दि: कृता । जेसलमेरौ ॥ सुमतिनिधान पं० पुण्यराज गणे: जिनलाभ शा० उदयनिधान वा० कुशलभक्ति गणेः पौत्र, जिनचन्द्र० तिलकनिधान वा० कुशलभक्ति गणेः पौत्र, जिनचन्द्र ० चतुरनिधान पं० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० विद्यानिधान गजवल्लभ गणेः प्रपौत्र, राज शा० ऋद्धिनिधान उ० जयमाणिक्य गणेः प्रपौत्र, कीर्ति० शा ० गुणनिधान पं हितसुन्दर मुनिः शिष्य कीर्तिसिन्धुर पं० कुशलविमल गणेः पौत्र, क्षेम शा चारित्र सिन्धुर पं० विद्यासेन गणेः, कीतिरत्न शा० For Personal and Private Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ७१ पं. मोती माणिक्यसिन्धुर पं० दयादत्त मुनेः, कीत्ति० शा० पं. माणको महिमासिन्धुर पं० दयादन मुनेः, कीत्ति० शा० पं. देवचन्द्र दयासिन्धुर वा० मेरुधम्म गणे, क्षम शा० पं. धरमचन्द्र धर्मसिन्धुर वा० मेरुधर्म गणेः, क्षेम शा० पं. अमरौ अमृतसिन्धुर वा० ज्ञानकमल गणेः, क्षेम शा० पं. रूपचन्द रत्नसिन्धुर पं. जयधीर मुनेः, क्षेम शा० पं.ज्ञानचन्द्र ज्ञानसिन्धर पं० रामवल्लभ गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. लालो लक्ष्मीसिन्धुर पं० रामवल्ल गणे: पौत्र, क्षेम शा० पं. चतुरौ चारित्रसिन्धुर पं० मतिवल्लभ गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. मनरूपौ मानसिन्धुर पं० सुगुणहेम मुनेः, कीतिरत्न० शा० पं. गौड़ीदत्त गुणसिन्धुर वा० युक्तिसेन गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. अमरौ अमरसिन्धुर वा० युक्ति सेन गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. कानौ कनकसिन्धुर उ० जयसौभाग्य गणेः पौत्र, कोत्ति० पं. भगवानौ भक्तिसिन्धुर उ० जयसौभाग्य गणे: पौत्र, कीत्ति० पं. मौजो मुक्तिसिन्धुर उ० जयसौभाग्य गणेः पौत्र, कीत्ति० पं. पासदत्त पद्मसिन्धुर वा० कमलसागर गणेः, जिनभद्र शा० पं. चेतो चित्तसिन्धुर वा० कमलसागर गणे: पौत्र, जिनभद्र० पं. गुलाबौ गीतसिन्धुर वा० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र, जिन भक्ति. पं. हरिचन्द हितसिन्धुर वा० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र, जिनभक्ति० ॥ सं० १८४१ वर्षे शाके १७०६ प्रमिते फाल्गुन सुदि ७ दिने भट्टारक श्री जिनचन्द्रसूरिभिः ६ 'रंग' नन्दी कृता श्री जैसलमेरो ।। पं. खश्यालौ क्षमारंग पं० जीवदत्तमुनेः, शिष्य कीत्ति० शा० पं. शिवौ सुमतिरंग पं० अभयधर्म मुनेः, शिष्य जिनभद्र शा० ।। सं० १८३१ ग्राम पडियाल मध्ये ॥ पं. ज्ञानौ ज्ञानरंग पं. पोमौ पद्मरंग पं. लालौ लक्ष्मीरंग पं. सुक्खौ सदारंग वा० ज्ञानविनय गणेः, जिनभद्र शा० वा० उदयधर्म गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० वा० उदयधर्म गणे: पौत्र, जिनभद्र शा० पं० राजविनय मुनेः, जिनचन्द्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. जीवो जीतरंग श्रीजिताम् पं. इन्द्रभाण उदयरंग श्रीजिताम पं. हीरौ हितरंग श्रीजिताम् पं. गुणचन्द्र गजरंग पं० सुमतिसोम मुनेः, जिनरत्न शा० पं. रतनचन्द रत्नरंग पं० अभयमूत्ति मुनेः, जिनरत्न शा० पं. रायचन्द राजरंग वा० ज्ञानकल्लोल गणे: पौत्र, क्षेमशा० पं. ज्ञानचन्द्र गीतरंग पं० विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा० पं. अर्जुन अमृतरंग पं० कोतिकुमार, जिनरत्न शा० पं. मनसुख मुक्तिरंग पं० जयदत्त मुनेः, क्षेमशा० पं. भूधर भक्तिरंग पं० जयदत्त मुनेः, क्षेमशा० पं. अमरौ आणंदरंग पं० ज्ञानविनय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. सवाई. सुगुणरंग वा० सुखसागर गणे: पौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. बुद्धौ विद्यारंग उ० जयमाणिक्य गणेः प्रपौत्र, कोत्ति० शा० पं. नथमल नीतिरंग उ० जयमाणिक्य गणेः प्रपौत्र, कोत्ति० शा० पं. जगरूप जयरंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. तिलोको तिलकरंग उ० ज्ञानविलास गणे: पौत्र, सागर० शा० पं. खेमचन्द क्षान्तिरंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. चतुरौ चारित्ररंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. बुद्धौ विजयरंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. माणकौ माणिक्यरंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. ऊदो उदयरंग उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागर० शा० पं. विज्जौ विनयरंग वा० हीरधर्म गणः, जिनलाभ शा० पं. अभौ अमृतरंग वा० हीरधर्म गणेः, जिनलाभ शा० पं. चन्दौ चतुररंग वा० महिमाधम गणेः, जिनलाभ शा० पं. शिवदान सहजरंग पं० रत्नधर्म मुनेः, पौत्र सागरचन्द्र शा० पं. गुमानौ गुणरंग वा० युक्तिसेन गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. मोतीचन्द महिमारंग वा० लावण्यकमल गणेः पौत्र, जिनचन्द्र पं. जगतचन्द जयरंग वा० लावण्य कमल गणेः प्रपौत्र,जिनचन्द्र पं. दयाचन्द देवरंग वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र १. सं० १८५५ जे. सु. १५ सूरत मध्ये पदस्थापना थई । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. महिरचन्द मुनिरंग पं. नंदू नयरंग पं. सवाई पं. जीवराज पं. गुमानौ पं. गंगाराम || सं० १८४२ प्राषाढ सु २ दिने भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिजी बीकानेर पधार्या । शीतला रे दरवाजे जाल रे कनै तम्बू खड़ी कियो, सूँ वाजा बजावतां श्राया । उठा ।। सं० १८४३ ज्येष्ट वदि ५ भ० श्री जिनचन्द्रसूरि ७ 'कुशल' नंदि कृता श्री बीकानेरे ॥ पं. सरूपी पं. वखती पं. सुखौ पं. माणकौ शीलरंग युक्तिरंग गुप्तिरंग गेयरंग सुगुणकुशल पं० महिमा कल्याण मुनेः क्षेम शा० विनयकुशल पं० तत्त्वकल्याण, क्षेम शा० विद्याविशाल गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० सदाकुशल माणिक्यकुशल पं० दयासोम मुनेः क्षेम शा० पं. राजाराम रत्नकुशल पं० जगत्कल्याण मुनेः क्षेम शा० लावण्यकुशल पं० पाणिक्यदत्त मुनेः कीर्ति शा० आणंदकुशल श्री जिताम् मुनेः कीर्ति शा० पं. लखमौ ज्ञानकुशल पुण्य कुशल नीतिकुशल हेमकुशल हर्षकुशल जयकुशल पं. उदेभाण पं. गुमानौ पं. प्रभुदत्त पं. नथमल पं. हरचन्द पं. हरलाल पं. जीवौ पं० वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र, चन्द्र शा० ० जयदत्त मुनेः शिष्य, क्षेम शा० पं० दयाराज मुनेः क्षेम शा० वा० रत्नसुन्दर मुनेः जिनचन्द्र शा० वा० रत्नसुन्दर मुने: जिनचन्द्र शा० वा० रत्नसुन्दर मुनेः जिनचन्द्र शा० पं. महासिंघ मयाकुशल हितकुशल पं. हरचन्द पं. गौड़ीदास गुणकुशल पं. वर्द्धमान पं. कपूरौ Jain Educationa International विजयकुशल कीर्तिकुशल उ० अमरविमल गणे प्रपौत्र, कीर्ति शा० वा० दयासार गणेः शिष्य, कीर्ति शा० पं० सुमतिसोम मुनेः जिनरत्न शा० पं० सुमतिसोम मुनेः जिनरत्न शा० पं० सुमतिसोम मुनेः जिनरत्न शा० पद्मकुशलगणे प्रपौत्र, सागरचंद्र शा० पं० क्षमाधर्म मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० पं० सौभाग्य सुन्दर मुनेः जिनभद्र शा० पं० शिवराज मुनेः क्षेम शा० पं० हर्षसुन्दर मुनेः क्षेम शा० म० गजवल्लभ गणे: जिनराज शा० For Personal and Private Use Only ७३ Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. माणको मूत्तिकुशल वा० कुरालसौभाग्य गणे: पौत्र, राज शा० पं. देवी देवकूराल वा० कनकधर्म गणे: जिनचंद्र शा० पं. मुहकमौ मुनिकुशाल वा० कन धर्म गणेः जिनचंद्र शा० पं. फतौ पूर्णकुशल' पं० माणिक्यदत्त मुनेः कोतिरत्न० पं. मनसुख मुक्तिकुशल पं० सुखधीर मुने: जिनचन्द्र शा० पं. मौजीराम मेरुकुशल वा० प्रीतिविलास गणेः पौत्र क्षेम शा० पं. मूकनौ मतिकुशल उ० जयसौभाग्य गणेः, पौत्र कीत्ति शा० ॥सं० १८४३ फा० सु० ११ भ० श्री जिनचन्द्रसूरिभिः ८ 'मेरु' नन्दी कृता श्री बीकानेरे॥ पं. किरपाराम कीतिमेरु ५० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. खश्यालौ क्षमामेरु ५० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा. पं. गौड़ीदत्त ज्ञानमेरु ५० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. कनीराम कनकमेरु ५० कनकसेन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. विज्जो विद्यामेरु वा० कुशलभक्ति गणे: पौत्र, चन्द्र शा० पं. नेतौ नयमेरु पं० विवेकजय मुनेः, जिनभद्र शा० पं. आसौ अमृतमेरु पं० रत्नसार मुनेः, क्षेमशाखा पं. कानौ कमलमेरु वा० युक्तिभक्ति गणेः पौत्र, जिन शा० पं. प्रेमचन्द पूण्यमेरु वा० यूक्तिभक्ति गणेः पौत्र, जिन शा० पं. जयचन्द जयमेरु पं० विनयतिलक मुनेः, क्षेक्षशाखा पं. मनसुख मूत्तिमेरु पं० चारित्रप्रमोद मुनेः, सागर शा० पं. लच्छौ लक्ष्मी मेरु ५० कमलप्रमोद मुनेः, सागर शा० पं. चैनो चारित्रमेरु पं० खुश्यालहेम मुनेः, कीत्ति शा० पं. जोवी युक्तिमेरु पं० विजय मुनेः, कीत्ति शा० । पं. देवी दानमेरु पं० खुश्यालहेम मुनेः, कीति शा० पं. सरतौ सुमतिमेरु पं० खुश्यालहेम मुनेः, कोत्ति शा० पं. ठाकुरौ गुणमेरु पं० विद्याशील मुनेः पौत्र, पं. ऊदौ उदयमेरु पं० आनन्दप्रिय मुनेः, भद्र शा० पं. ईदौ इन्द्रमेरु ५० अमरप्रिय मुनेः, सागर शा० पं. उदौ उत्तममेरु पं० अमरप्रिय मुनेः, सागर शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. दौलौ दयामेरु वा० कुशलकल्याण गणेः, जिनचन्द्र शा. पं. रूपौ रत्नमेरु पं० सुगुणहेम मुनेः, कीतिरत्न शा० पं. शिवी शिवमेरु पं० विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा० पं. लाली लक्ष्मीमेरु पं० विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा. पं. थिरौ थिरमेरु पं० विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा. पं. खेतो क्षमामेरु पं० विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा. पं. गुमानौ गुणमेरु पं० रूपराज मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. सरूपौ सत्यमेरु पं० गुणमेरु मुनेः पं. जीवौ यूक्तिमेरु पं० रूपराज मुनेः पं. नेतो नित्यमेरु पं० रूपराज मुनेः पं. कुशलौ कनकमेरु वा० युक्तिमाणिक्य गणेः पौत्र, कीत्ति शा. पं. गुमानौ गजमेरु वा० युक्तिमाणिक्य गणेः पौत्र, कीत्ति शा० ॥ सं० १८४४ माघ बदि ४ तिथौ शनिवारे भट्टारक श्रीजिनचन्द्र सरिभिः नवमी 'समुद्र' नन्दो कृता । महाजन ग्राम मध्ये ॥ प. चिमनौ चारित्रसमुद्र वा० लाभशेखर गणेः पं. वसती विद्यासमुद्र वा० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र पं. हुकमौ हितसमुद्र वा० कोतिधर्म गणेः, जिनभद्र शा० पं. खूबौ क्षमासमुद्र पं० अभयकमल मुने:, जिनभद्र शा० पं. कुशलौ कोत्तिसमुद्र वा० जयराज गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा. पं. हकमौ हेमसमुद्र वा० जयराज गण पौत्र, सागरचन्द्र शा. पं. सहिजो सुगुणसमुद्र उ० मतिविलास गणेः प्रपौत्र पं. जेठौ जयसमुद्र पं० रूपवल्लभ गणेः पौत्र पं. बगसौ : विनयसमुद्र उ० मतिविलास गणेः प्रपौत्र पं. गुमानौ उ० पूण्यभक्ति गणे: पौत्र पं. हिमतौ हरिसमुद्र उ० लाकवल्लभ गणेः प्रपौत्र पं. पदमौ पुण्यसमुद्र वा० कनकधर्म गणेः पौत्र, क्षेमशाखा पं. अजवौ अमृत समुद्र वा० प्रीतिविलास गणेः पौत्र, क्षेमशाखा पं. लाखण लाभसमुद्र वा० प्रीति विलास गणेः पौत्र, क्षेमशाखा पं. हरौ हीरसमुद्र पं० लाभकीत्ति मुनेः, जिनभद्र शा० पं. अणदौ आणंदसमुद्र पं० चारित्रप्रमोद मुनेः, सागरचन्द्र शा० ingan Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सदासुख सत्यसमुद्र वा० ज्ञानविनय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. सरूपो शान्तिसमुद्र म० रूपवल्लभ गणे: पौत्र, क्षेमशा० ॥सं० १८४५ मिगसर बदि ७ गुरौ दशमी 'नन्दन' नन्दी कृता । श्री बीकानेरे ॥ पं. गुलालौ ज्ञाननन्दन वा० ज्ञानविनय गणेः, जिनभद्र शा० पं. रामलौ रत्ननन्दन वा० मुनिकल्लोल गणेः, क्षेक्षशा० पं. दयाचन्द दयानन्दन उ० ज्ञानविलास गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. कस्तूरी कमलनन्दन पं० युक्तिधर्म मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. मनरूपौ माणिक्यनन्दन पं० युक्तिधर्म मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. दौलो देवनन्दन वा० युक्तिसौभाग्य मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. जग्गू युक्तिनन्दन उ० ज्ञानविलास गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. गमानौ गणनन्दन उ० ज्ञानविलास गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. श्रीपाल सत्यनन्दन उ० ज्ञानविलास गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. नेमौ न्यायनन्दन उ. ज्ञानविलास गणः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. भैरौ भक्तिनन्दन उ० ज्ञानविलास गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. चैनौ चारित्रनन्दन वा० युक्तिमाणिक्य गणेः पौत्र, कोतिरत्न शा० पं. हेमो हर्षनन्दन पं० रत्नसोम मूने: पं. चैनो चित्रनन्दन पं० रत्नसोम मुनेः पं. देवौ दत्तनन्दन वा० राजधर्म गणेः पौत्र पं. खूबौ क्षमानन्दन पं० ज्ञानसार मुने: जिनलाभ शा. पं. नयणौ नयनन्दन पं० विवेककल्याण गणे: जिनलाभ शा० पं. चेनो चारित्रनन्दन पं० तत्त्वकुमार मुनेः सागरचन्द्र शा० पं. सुखौ सदानन्दन पं० तत्त्वकुमार मुनेः सागरचन्द्र शा० पं. सरूपौ सत्यनंदन पं० चारित्र मुनेः पं. सुजाणौ शीलनन्दन वा. लालशील गणेः पौत्र पं. हरखो हेमनन्दन पं. विनयदेव मुनेः पं. विनयचन्द्र विद्यानन्दन वा० अमृतधर्म गणेः प्रपौत्र पं. कानौ कनकनन्दन वा० युक्तिभक्ति गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. प्रेमचन्द पुष्पनन्दन वा० युक्तिभक्ति गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥ सं० १८४८ मिग० सु० १३ गुरौ भ० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः ११ रत्न' नंदिः कृता । लखनेउ मध्ये ॥ पं. रतनो रामरत्न पं. क्षेमकोत्ति मुनेः जिनभद्र शा० पं. शिवलाल सत्यरत्न श्रीजिताम् 'पं. जादु जयरत्न श्रीजिताम् पं. सुखौ समयरत्न पं० तिलकधर्म मुनेः, जिनभद्र शा. पं. राजौ रंगरत्न पं० न्यायसुन्दर मुनेः पं. खुश्यालो क्षमारत्न पं. रत्नसुन्दर गणेः पौत्रः, जिनचन्द्र शा० पं. पुनसी पुण्यरत्न पं. जयमाणिक्य गणेः पौत्र कीतिरत्न शा० पं. शिवाराम सुगुणरत्न पु० सदानन्दन गणेः पौत्र पं. मानौ महिमारत्न वा० युक्तिसेन गणेः क्षेम शा. पं. कुशलो कनकरत्न वा० युक्तिसेन गणेः क्षेम शा. पं. अगरौ अमररत्न अमरविमल गणेः पौत्र,कीतिरत्न शा० पं. कुशलौ कान्तिरत्न अमरविमल गणे: पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. अखौ उदयरत्न वा. माणिक्य गणेः प्रपौत्र, कोतिरत्न शा० पं. साहिबो सिद्धरत्न पं. राजकुमार मुनेः सागरचन्द्र शा० पं. उदयचन्द आनन्दरत्न श्रीजिताम, पं. श्रीचन्द श्रीरत्न पं. अभयकुमार मुनेः पौत्र, सागरचंद्र शा. पं. जोवसुख जीवरत्न वा० युक्तिसौभाग्य गणेः पौत्र, सागरचंद्र शा० पं. जयचन्द जीतरत्न पं. चारित्रप्रमोद मुनेः सागरचन्द्र शा० पं. श्रीचन्द सुखरत्न वा. जयराज गणे: प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. रामचन्द ऋद्धिरत्न पं० पुण्यराज गणेः जिनलाभ शा० पं. सदानन्द शिवरत्न पं. शिवराज मुनेः क्षेम शा० पं. खेतसी क्षमारत्न पं० हर्षसुन्दर मूने: क्षेम शा. पं. खेमो शान्तिरत्न उ० जयमाणिक्य गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्न शा० पं. उदो अमृतरत्न उ९ जयमाणिक्य गणेः प्रपौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं पदमौ पद्मरत्न पं. विवेककल्याण गणे: पौत्र, जिनलाभ शा० । सं० १८५० ज्येष्ठ व०८ शनौ भ० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः १२ 'हंस' नन्दी कृता। जयपुरे ॥ पं. विजैदत्त विनयहंस वा० दयासागर गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. जगरूप जयहंस पं0 दीपसुन्दर मुने: पौत्रः, क्षेम शा० प. मूकनौ माणिक्यहंस वा० क्षमाविमल गणेः पौत्र, भद्र० शा० पं. किसनौ कीतिहंस वा० क्षमाविमल गणेः पोत्र, भद्र० शा० पं. गणेशौ राजहंस वा० पूण्यप्रिय गणेः जिनराज शा० पं. पासदत्त पद्महंस वा० पुण्यप्रिय गणेः जिनराज० शा० पं. माणको माणिक्य हंस वा० पूण्यप्रिय गणेः जिनराज० शा० पं. मोतीचन्द मानहंस पं० गजहंस मुनेः जिनराज० शा० पं. लालचन्द लक्ष्मीहंस पं० पद्महंस मुनेः जिनराज० शा० पं. खूबौ क्षमाहंस पं० हीरसुन्दर मुने : पौत्र, क्षेम शा० पं० सारंगधर सौभाग्य हंस वा० मेरुधर्म गणेः क्षेम शा० ॥सं० १८५० भा० सु०१ पुड़ी भेजी जयपुर में। पं० टोकरसी तिलकहंस पं० खश्यालकोत्ति मुनेः, क्षेम शा० पं० ऋषभौ ऋद्धिहंस पं० चारित्रोदय मुनेः, कीत्तिरत्न शा० पं० लक्ष्मीचन्द लाभहंस पं० दानसेनमुनेः शिष्य पं० पदमौ पद्महंस वा. ज्ञानवल्लभ गणे: पौत्र, जिनभद्र शा० पं. मगनौ महिमाहंस पं० युक्तिधीर, सागरचन्द्र शा० पं० भूधर . भक्तिहंस वा० धर्मचन्द्र गणे:, जिनभद्र शा० प० खुश्याल क्षेमहंस पं० हेमप्रभ मुनेः, कीतिरत्नसूरि शा० पं. हीरौ हर्षहंस वा० महिमा रुचि, कीतिरत्न शा० ।। सं० १८५१ वै० म०३ भृगौ भ० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः १३ 'वर्द्धन' नंदि कृता । होहिणी मध्ये ।। पं. वन्नौ विनयवर्द्धन पं० ज्ञान कीत्ति मुनेः, क्षेम शा. पं. गुमानौ गुणवर्द्धन पं० विवेकप्रिय मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. रामौ रत्नवर्द्धन पं० विवेकप्रिय मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. चैनौ चारित्रवर्द्धन पं० अभयमूत्ति मुनेः, जिनरत्न शा० . पं. वेलौ विद्यावर्द्धन पं० दानप्रभ मुनेः, जिनभद्र शा० । पं. लखमो लक्ष्मोबर्द्धन पं० सुमतिसोम मुनेः, जिनरत्न शा० पं. सालगौ सुमतिवर्द्धन पं. विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा० पं. रामकृष्ण रंगवर्द्धन पं. सदाधीर मुनेः, कोतिरत्न शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. अमरौ आनंदवर्द्धन प. महिमाकल्याण मुनेः, क्षेम शा० पं. डूंगर दयावर्द्धन वा० महिमरूचि गणः, कीतिरत्न शा० पं. दौलौ देवर्द्धन पं. दयाकमल मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. सेवौ सदावर्द्धन पं. क्षमाप्रभ मुनेः पौत्र, जिनमाणिक्य शा० पं. मोती मानवर्द्धन वा० हस्तिशेखर गणेः, जिनलाभ शा० पं. अमरौ अमृतवर्द्धन पं० श्रीतत्त्वधर्म गणेः, पौत्र, जिनलाभ ॥सं० १८५१ मा। सु । १ भ० श्रीजिनचन्द्र सरिभिः १४ 'भद्र' नंदिः कृता । श्रीपालीनगरे ।। पं. नेतौ नित्यभद्र पं० रत्नधीर मुनेः, कीतिरत्न शा० पं. वखतौ विनयभद्र पं० क्षेममाणिक्य मुनेः, क्षेम शा० पं. गुलाबौ ज्ञानभद्र पं० बिवेकोदय, जिनभद्र शा० पं. सागर सत्यभद्र पं० गजविनय मुनेः, क्षेम शा० पं. देवौ दयाभद्र पं. रत्नकमल, जिनभद्र शा० पं. पीथौ प्रीतिभद्र पं० भक्तिकल्याण, क्षेम शा० पं. लखमौ लक्ष्मीभद्र पं. जयसुन्दर, क्षेम शा० पं. माणको मानभद्र पं० धर्मोदय मुनेः, क्षेम शा० पं. कपूरौ कर्पूरभद्र पं० सत्यविनय मुनेः, जिनचन्द्र शा. पं. गोर्द्धन गंगभद्र पं० नित्यरुचि मुनेः, क्षेमकीत्ति शा० पं. ईसर इलाभद्र पं० सत्यदत्त मुनेः जिनचन्द्र शा० पं. अमरौ अमरभद्र पं० क्षेममूति मुनेः जिनचन्द्र शा० पं. वर्द्धमान विजयभद्र पं० कीतिकूमार मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. रूपौ रंगभद्र पं० कीत्तिकुमार मुनेः जिनचन्द्र शा० पं. भैरौ भाग्यभद्र पं० कन्चशील, क्षेमकीति पं. श्रीचंद श्रीभद्र पं० चतुरनिधान मने:, सागरचन्द्र त शा० पं. रामौ राजभद्र पं० सुखसार मुनेः, कीत्तिरत्न शा० पं. वखतौ वीरभद्र पं० गुणकल्याण मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. शंभु सुगुणभद्र पं० मत्तिहेम मुनेः, जिनभद्र शा० । पं. केशर कनकभद्र पं० नित्यरुचि मुनेः, क्षेमकीत्ति शा० पं. खुश्यालो क्षेमभद्र वा. विवेकसागर गणे: पौत्र पं. गौड़ीदत्त गुणभद्र · पं० रंगदत्त मुनेः, जिनचन्द्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. मानौ माणिक्यभद्र पं० मतिप्रभमुनेः पं. गोविन्द गजभद्र पं० धनसुन्दर मुनेः, जिनरत्न शा० पं. भाग्य चन्द्र भीमभद्र पं. गजधर गणेः, जिनरत्न शा० पं. अमियौ अभयभद्र पं० जितविजय मुनेः (जाबग्रामे)जिनभद्र शा० पं. हेमौ हर्षभद्रः वा० रंगभद्र मुनेः, जिनभद्र शा० पं. जयचन्द्र यूक्तिभद्र वा० गजधर गणेः, जिनरत्न शा० पं. रतनौ रत्नभद्र पं० मुनिकल्याण मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. अमरौ उदयभद्र पं० कनकभद्र मुनेः, क्षेमकीत्ति शा० पं. श्यामजी सुमतिभद्र वा० युक्तिभक्ति गणेः पौत्र, (जूनागढे) पं. माहलजी मेरुभद्र वा० युक्तिभक्ति गणे: पौत्र (जूनागढे) पं. टीकम तिलकभद्रः वा० युक्तिभक्ति गणे: पौत्र (जूनागढे) पं. खीमौ क्षांतिभद्र वा० युक्तिभक्ति गणेः पौत्र (जनागढे) पं. रतनौ ऋद्धिभद्र वा० कमलकलश गणेः पौत्र, जिन चन्द्र शा० पं. जसवंत जयभद्र पं० कनकशेखर मुनेः, क्षेमशाखा पं. भीमो भुवन भद्र पं० भाग्यमूत्ति गणे: पौत्र, सागरचन्द्र शा० ॥ सं० १८५२ पोह सुदि ११ भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिजी १५ ‘हर्ष' नन्दी कृता पाटण नगरे । (सं० १८५२ श्री जिनचन्द्रसूरिजी राधनपुरे चातुर्मास कर्यो) पं. शोभौ सुगुणहर्ष ५० प्रभनन्दन मुनेः, क्षेमशा. पं. दुलीचन्द देवहर्ष पं० भानुचन्द्र मुनेः, जिनरत्न शा० पं. लक्ष्मीचन्द लाभहर्ष पं० हितप्रभ मुनेः, क्षेमशा० पं. खबौ क्षमाहर्ष पं० हितप्रभ मूने:, क्षेम शा० पं. सरूपौ सुमतिहर्ष पं० धर्मकल्याण मुनेः क्षेम शा. पं. श्रीचन्द सौभाग्यहर्ष पं० जयमाणक्य गणेः प्रपौत्र । पं. ऊदी आणंदहर्ष वा० कमलकलश गणेः, जिनचन्द्र शा० पं. लालो लब्धिहर्ष पं० विनयभद्र मुनेः, क्षेम शा० पं. बखतौ विनयहर्ष पं० देवकुमार मुनेः, क्षम शा० पं. खुश्याली क्षान्तिहर्ष उ० ज्ञानविनय गणेः, जिनभद्र शा० पं. धरमो धर्महर्ष वा० पुण्यशील गणेः प्रपौत्र, क्षेम शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. फतौ पं. अभौ पं. माणकौ पं. देवौ पं. खूबौ पं. मोती पं. उमेदी ।। सं० १८५४ फा० सु० ५ श्री जिनचन्द्रसूरिभिः १६ 'वल्लभ' नन्दी कृता अहमदावाद नगरे | पं. हरचन्द पं. हिमौ पं. डूंगर पं. उत्तमौ कीर्ति रत्नशा० पुण्य हर्ष वा० विजय गणेः, अभयहर्ष पं० जयरंग मुनेः, जिनचन्द्रशा० पं. रतनौ पं. गोविन्द पं. ज्ञानौ श्री जिनहर्षसूरि ।। सं० १८५६ वर्षे शाके १७३१ प्रमिते माह मासे शुभ धवल दले १३ मृगौ भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरिभिः १ 'प्रानन्द' नन्दी कृता श्रीसूरतनगरे ॥ पं० क्षमाकमल मुनेः, क्षेम शा० पं० क्षमारुचि मुनेः, जिनराज शा० पं० ज्ञानप्रिय मुनेः पं० गजविनय मुनेः, क्षेमकी ति शा० पं० उदयहेम मुनेः पौत्र, जिनराज शा० वा० क्षमाकल्याण गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० वा० क्षमाकल्याण गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं० कीर्त्तिसार मुनेः, क्षेमकीर्ति शा० पं० महिमाधर्मं गणेः, जिनलाभ शा० पं० मयासुन्दर मुनेः, जिनरत्न शा० उ० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० उ० तत्त्वधर्म गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा पं० सदावर्द्धन मुनेः, जिनमाणिक्य शा० पं० विनयदत्त मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० शोभनन्द मुनेः, जिनभद्र शा० पं० चारित्रप्रिय मुनेः, जिनमाणिक्य शा० पं. सरूपौ पं सुखौ पं. वीरौ पं. अमरौ पं. खुश्याली पं. देवौ माणक्यवल्लभ वा० रत्नसोम गणेः पौत्र, देववल्लभ वा० रत्नसोम गणेः पौत्र, वा० रत्नसोम गणेः पौत्र, क्षमावल्लभ महिमावल्लभ पं० भाग्यहेम मुनेः, जिनचन्द्रशा० आणंदवल्लभ वा० लक्ष्मीराज गणेः प्रपौत्र, जिनभक्ति शा० हेमानन्द भाग्यानन्द दयानन्द उदयानन्द रत्नानन्द गुणानन्द ज्ञानानन्द पं. रतनौ राजानन्द पं. खुश्यालो क्षमानन्द पं. अमरौ अभयानन्द लाभानन्द सहजानन्द विद्यानन्द अमृतानन्द क्षेमानन्द दर्शनानन्द 59 Jain Educationa International क्षेमशा० क्षेमशा ० क्षेमशा० For Personal and Private Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. गिरधर गजानन्द पं० विनीत मुनेः, जिनसुख० शा० पं. वीको विजयानन्द वा० सुमतिधीर गणे: पौत्र, सागरचन्द्र० शा० पं. माणको महिमानन्द पं० सत्यविनय मुनेः, जिनचन्द्र० शा० पं. गिरधर ज्ञानानन्द पं० चारित्रप्रमोद गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. सरूपी सुगणानन्द पं० हंस मुनेः, जिनचन्द्र० शा० पं. भैरो भाग्यानन्द पं० अमरशेखर मुनेः, जिनराज० शा० पं. कानी कमलानन्द पं० जीवदत्त मुनेः, कीतिरत्न० शा० पं. निहालौ नित्यानन्द पं० दीपसून्दर मूने: पौत्र, क्षेम शा० पं. जैतो जयानन्द पं० जयमूर्ति मुनेः, जिनचन्द्र० शा० पं० खुस्यालौ क्षेमानन्द पं० लब्धिकमल मुनेः, जिन सुख० शा० ॥ संवत् १८५७ मा. व. १३ चन्द्रे श्री जिनहर्षसूरिभिः २ 'सौभाग्य' नन्दी कृता सोभित मध्ये ॥ पं. उदौ अमरसौभाग्य वा० मतिधर्म गणेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० पं. लालो लक्ष्मीसौभाग्य पं० कीत्तिविजय मुनेः, सागरचन्द्र० शा० पं. श्यामो सत्यसौभाग्य वा० रत्नधर्म गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र० शा० पं. माहीदास मत्तिसौभाग्य वा० रत्नसार गणेः पौत्र पं. उमेदो उदयसौभाग्य पं० विनयहंस मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० पं. फतौ प्रतापसौभाग्य वा० अमृतसुन्दर गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. चैनौ चारित्रसौभाग्य पं० दानकमलमूनेः प्रपौत्र, जिनभद्र० शा० पं. फतौ प्रीतिसौभाग्य वा० मतिधर्म गणेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० पं. दीपो दानसौभाग्य पं० हितशेखर मुनेः पं. गुलाबी ज्ञानसौभाग्य श्रीजिताम् पं. मनरूप महिमासौभाग्य पं० अमृतप्रभ, जिनचन्द्र० शा० पं. जयचन्द जयसौभाग्य पं० तिलककोत्ति मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० पं. रूपो रत्नसौभाग्य पं० कनककुशल मुनेः पं. नाथो नीतिसौभाग्य पं० गुणभद्र मुनेः, जिनचन्द्र० शा० ॥सं० १८६१ वर्षे मिती चैत्र सुदि १० विजयदशम्यां गुरुवारे भट्टारक श्री जिनहर्षसूरिभिः तृतीय ३ 'सागर' नन्दी कृता श्री सिणधरी मध्ये ।। पं. लाली लक्ष्मीसागर वा० कुशलसौभाग्य गणेः प्रपौ० जिनराजशा० पं. हुकमी हर्षसागर . उ० श्रीगुणकुमार गणेः प्रपौ० जिनभद्र ०शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर मच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. पं. सदानन्द सत्यसागर पं० ऋद्धिरत्न मुनेः, जिनलाभ० शा० पं. सुखौ समयसागर वा० विद्याप्रिय गणेः पौत्र, कीतिरत्न० शा० • पं. मगनौ मतिसागर बा० कनकधर्म गणेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० ॥मिती जेठ बदि ११ सोमवारे श्री पादरू मध्ये ।। पं. रूपौ रत्नसागर पं० क्षेमभद्रमुनेः, क्षेम० शा० ॥मिती मिगसर सुदि २ दिने जांणीया मध्ये ॥ पं. कपूरौ कर्पूरसागर उ० हीरधर्म गणेः पौत्र, जिनलाभ० शा० पं. रतनौ __रंगसागर उ० उदयधर्म गणेः प्रपौत्र, जिन भद्र० शा० अमृतसागर वा० ज्ञानवल्लभ गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. रूपो राजसागर उ० होरधर्म गणेः पौत्र, जिनलाभ० शा० पं. मेघौ महिमासागर पं० मयासुन्दर मुनेः, पं. रुघौ रूपसागर पं० मयाकल्याण मुनेः पं. पेमौ पद्मसागर , पं० रत्नधीर मुने: पं. मगनौ मूक्तिसागर । पं० युक्तिसार मुनेः, जिनराज० शा० पं. जसौ युक्तिसागर पं० आनन्दप्रिय पौत्र, जिनभद्र० शा० पं. फरसौ प्रमोदसागर पं० प्रीतिहर्ष मुनेः, जिनसिंह० शा० पं. उतमौ उदयसागर पं. शिवौं शिवसागर पं. कस्तूरौ कल्याणसागर वा० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्नशा० पं. नाथू नयसागर जिनभद्र० शा० कृता [तपागच्छादत्रे आगतः] पं. रतनौ रंगसागर पं० भक्तिकल्याण मुनेः प्रपौत्र, क्षेम शा० पं. भीमो भक्तिसागर पं० हर्षसुन्दर मुनेः, जिनसिंह० शा० पं. रामौ लाभसागर पं० सत्यधीर मुनेः, जिनभद्र० शा० पं. गुलाबौ ज्ञानसागर पं० विवेकमति मुनेः, जिनभद्र० शा० पं. खुश्यालो कीत्तिसागर वा० महिमाकल्याण गणेः पौत्र, क्षेम० शा० पं. रावत ऋद्धिसागर वा० दयाराज गणेः, क्षेम शा० प. नथ न्यासागर पं० तत्त्वकल्याण मूने: पौत्र, क्षेम शा० पं. मगौ ज्ञानसागर पं० विवेकजय मुनेः पौत्र १. सं० १८६३ आषा. ब. १२ साहिला मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ पं. तखतौ पं. सदासुख पं. कुशली पं. अमरौ पं. रतनौ पं. जोरो पं. मनरूप पं. माणको पं. ही पं. विज्जौ पं. देवी पं. खेमौ पं. हीरो पं. कस्तूरी पं. चतुरौ पं. बच्छौ पं. ऋषभौ रामसागर पं. गिरधारी ज्ञानसागर दानसागर पं. दौलौ पं. दयाचन्द पं. दौलो पं. भीमौ पं. वछौ पं. माणकौ तिलकसागर सुखसागर कनकसागर अमृतसागर राजसागर जयसागर मानसागर मुक्तिसागर हर्षसागर १. २. क्षमासागर हेमसागर पं० विनीतसुन्दर मुनेः पौत्र, जिनसुख शा० वा० विद्याप्रिय गणेः, कीर्तिरत्न शा० विनयसागर पं० सत्यराज गणः प्रपौत्र, कीर्तिग्न शा० पं० सत्यराज गणेः प्रपौत्र, कीर्त्तिरत्न शा० पं० कीर्त्तिविजय मुनेः, सागरचन्द्र शा० वा० लक्ष्मीप्रभ गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० वा० लक्ष्मीप्रभ गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं० अभयमूर्ति गणेः पौत्र, जिनरत्न शा० कीत्तिसागर पं० अभयमूर्ति गणेः पौत्र, जिनरत्न शा० चारित्रसागर पं० रत्नमार मुनेः पौत्र, क्षेम शा० विवेकसागर पं० आनंदराज गणेः, जिनचन्द्र शा० दिनेन्द्रसागर वा० हितधीर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० जिनभद्र शा० खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची श्रीजिताम् पं० प्र. ज्ञानसार मुनेः, जिनलाभ शा० वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शा० पं० विनीतसागर मुनेः प्रपौत्र, जिनसुख शा० वा० पुण्यशील गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० ।। सं० १७६४ मृगशिर बदि ५ म० श्रीजिनहषसूरिभिः ४ 'कल्लोल' नन्दी कृता ॥ पं० विद्याशील मुनेः पौत्र पं० प्राणन्दप्रिय मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० दयासागर दिनेन्द्रसागर पं० अमृतहेम मुनेः पौत्र, क्षेम शा ० भक्तिसागर पं० नित्यरुचि गणेः पौत्र, क्षम शा० Jain Educationa International विनयकल्लोल पं० सौभाग्यसुन्दर मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० मानकल्लोल वा० लावण्यकमल गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० सं० १८६३ आषा. सु. १० भाव सुं दीक्षा लोधी संखवाल गोत्रे । वासी गुढा ना जालौर मध्ये ॥ सं. १८६३ पौष बदी ३ ३. कुण्डल ग्रामे For Personal and Private Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नदी सूची पं. रायचन्द रायकल्लोल महा० श्री कीत्तिधर्म गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. रतनो रंगकल्लोल पं० सुगुण प्रमोद मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. वाली विवेककल्लोल वा० पुण्यप्रिय गणेः पौत्र, जिनराज शा० पं. गुमानौ ज्ञानकल्लोल पं० विवेककल्याण गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. शिवो सदाकल्लोल पं० सत्यहेम मुनेः जिनचन्द्र शा० पं. पदमौ प्रीतिकल्लोल वा० पुण्यधर्म गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. हुकमो. हर्षकल्लोल वा० रूपधीर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० . पं. मेहरौ महिमाकल्लोल पं० लक्ष्मीराज गणेः प्रपौत्र, जिनभक्ति शा० पं. किसनी कोत्तिकल्लोल पं० सत्यमत्ति मुनेः प्रपौत्र, जिनभक्ति शा० पं. ज्ञानी गजकल्लोल पं० धर्मोदय मुनेः, क्षेमशा० पं. ऊदी आणदकल्लोल पं० गजविनय मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. चैनौ चारित्रकल्लोल पं० लब्धिचन्द्र मुनेः पौत्र, क्षेमशा० ॥ सं० १८६५ मा० सु० १० भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः ५ 'भक्ति' नन्दी कृता सीरोही मध्ये ॥ पं. ऊदो उदयभक्ति वा० चारित्रप्रमोद गणः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. जीवौ जयभक्ति वा० माणिक्यराज गणेः पौत्र, जिनसंख शा० पं. रूपौ रंगभक्ति वा० माणिक्यराज गणेः पौत्र, जिनसुख शा० पं. प्रेमौ प्रीतिभक्ति वा० क्षमाहेम गणे:, जिनचन्द्र शा० पं. भवानी भाग्यभक्ति पं० मुक्तिरंग मुनेः क्षेम शा० पं. वद्धिचन्द्र विनयभक्ति पं० जयदत्त गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. भोजौ भुवनभक्ति वा० प्रीतिविलास गणेः प्रपौत्र, क्षेम शा० पं. खुश्याल क्षमाभक्ति वा० भाग्यविलास गणेः प्रपौत्र, क्षेम शा० प. खुश्याल क्षेमभक्ति पं० रत्ननन्दन मुनेः प्रपौत्र, क्षेम शा० पं. खुश्याल क्षांतिभक्ति पं० गुणभद्र मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. पीथौ पुण्यभक्ति पं० गुणभद्र मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. सांवत - सत्यभक्ति पं० गुणभद्र मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. मोती महिमाभक्ति उ० क्षमाकल्याण गणेः प्रपौत्र, जिनभक्तिशा० १. २. ३. समदड़ी मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. देवानन्द दयाभक्ति उ० श्री उदयधर्म गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. ज्ञानी ज्ञानभक्ति · उ० श्री उदयधर्म गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. मनरूप . सुमतिभक्ति पं० भीमविजय मुनेः, जिनचन्द्र शा." वा० सुमतिधर्म पौत्र पं. सदासुख सदाभक्ति . वा० भावविजय गणेः, कोत्तिरत्न शा० . पं. फत्तौ पुण्यभक्ति पं० ज्ञाननिधान, कोतिरत्न शा० । पं. रूपौ राजभक्तिः । वा० गजधर्म गणेः प्रपौत्र, जिनरत्न शा०. पं० जयभद्र शि० पं. गुलाबी ज्ञानभक्ति पं० चारित्रविनय, क्षेम शा० ॥ सं० १८६७ चैत्र सुदि ८ दिने ६ श्रीजिनहर्षसूरिभिः 'विलास' नन्दी कृता श्री जीर्णदुर्ग मध्ये ॥ .. पं. रूपौ' रंगविलास वा० लक्ष्मीसोम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. प्रेमौर प्रीतिविलास वा० लक्ष्मीसोम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. खश्यालौ क्षेमविलास पं० कीत्तिसोम मुनेः, जिनभद्र शा० पं. जीवराज जीतविलास पं० कीत्तिसोम मुनेः, जिनभद्र शा० .. पं. भैरौ३ भक्तिविलास पं० रामविजय मुनेः शिष्य, जिनभद्र शाक पं. जसौजीतविलास पं० ज्ञानभद्र मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० पं. उमेदौ । उदयविलास पं० ज्ञानभद्र मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० .. पं. जीवौ युक्तिविलास पं० विद्याशील मुनेः पौत्र, क्षेम शा० .... पं. रतनौ . रत्नविलास... पं० रत्नधीर मुनेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. धरमौ . धमविलास उ० श्री चारित्रोदय गणेः पौत्र, कीत्ति० शा० पं. प्रेमौ. प्रेमविलास वा० जयसार गणेः पौत्र, क्षेमशाल पं. देवी दयाविलास वा० कनकशेखर गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. ऊदौ अमृतविलास वा० कनकधर्म गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. हंसराज हंसविलास : श्रीजिताम .. पं. रामौ रत्नविलास वा० पुण्यशील गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं. संतोषौ सत्यविलास वा० क्षेमहेम गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० . । १. २. जूनागढे ३. ४. पालीताणा मध्ये .. . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. रतनौ रंगविलास पं० रत्नप्रभ मुनेः पौत्र, क्षेम शा० पं. वीरचन्द विद्याविलास वा० कनकशेखर गणेः पौत्र, क्षेम शा० . पं. मगनौ मेरुविलास वा० सुगुणहेम गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. गुणीयौ ज्ञानविलास वा० सुगुणहेम गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. अणदौ आणंदविलास वा० सुगुणहेम गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. हीरौ हिम्मतविलास वा. दयाकमल गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. सदासुख सुखविलास उ० श्री रत्नसुन्दर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. भग्गौ भाग्यविलास पं० मानभद्र मुनेः, क्षेम शा० पं. मनरूप मानविलास वा० रत्नधर्म गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. रूपौ रूपविलास उ० अमरविमल गणेः प्रपौत्र, कीतिशा० पं. साहिबौ सदाविलास वा० अमृतसून्दर गणेः प्रपौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. अमीयौ अभयविलास वा० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. कपूरौ कनकविलास वा० अमृतसुन्दर गणेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. रामौ राजविलास उ० अमरविमल गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्नशा० पं. हरखीयौ हेमविलास पं० ज्ञानकोत्ति मुनेः, क्षेमशा० पं. देवराज दानविलास पं० कीत्तिसार मुनेः पौत्र, क्षेमशा० । पं. कमलो कीत्तिविलास उ० उदयधर्म गणः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. मनरूप मौजविलास पं० उदयहेम मुनेः पौत्र, जिनराज शा० पं. हर्षचन्द हर्षविलास पं० हंसविनय मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. भानौ भवनविलास वा० ज्ञानहेम गणेः, जिनराज शा० पं. गुलाबौ गुणविलास वा० सुमतिधीर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. लच्छौ लक्ष्मीविलास वा० सुमतिधीर गणः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. रुघौ ऋद्धिविलास वा० सुमतिधीर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० ऋद्धिविलास वा सानिधी पं. शिवौ सुमतिविलास पं० दत्तधोर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. पदमौ पद्मविलास पं० दत्तधार गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. रतनौ ऋद्धिविलास वा० जयधीर गणेः क्षेमशा० पं. मूलौ मतिबिलास पं० धनसुन्दर मुनेः, जिनरत्न शा० पं. गौड़ो गजविलास वा० ज्ञानकमल गणे:, क्षमशा० पं. लखौ लब्धिविलास वा० विद्याहेम गणेः, कोत्तिरत्न शा० प. रतनौ रामविलास वा० विद्याहम गणेः, कीत्तिरत्न शा० पं. धनसुख... धर्मविलास पं० दर्शनप्रिय मुनेः, कीत्तिरत्न शा० shitich lilinlitt littiEU Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. चन्दौ चारित्रविलास पं० दर्शनप्रिय मुनेः, कोतिरत्न शा० पं. परतापौ पुण्यविलास वा० विद्याहेम गणेः, कीतिरत्न शा० पं. बालो . विवेकविलास पं० भानुसुन्दर मुनेः, कच्छदेशीय पं. वखतौ वखतविलास पं० पुण्य राज मुनेः पौत्र पं. रूपी ऋद्धिविलास वा० जससार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. तेजो तत्त्वविलास पं० प्र. युक्तिधीर मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा. पं. वल्लभौ' विजयविलास वा० महिमाधर्म गणेः पौत्र, पं. खेतौ क्षमाविलास वा० सुखहेम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० .. । सं० १८६७ वर्षे शाके १७३३ प्रमिते मिती पौष शुक्लेकादश्यां " भट्टारक श्री जिनहर्षसूरिभि. ७ "विमल' नन्दी कृता खारीया ग्रामे ।। Flilulu di stiluilal पं. खूबो..... क्षमाविमल पं० गुणसार मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. चन्दौ । चारित्रविमल पं० हस्तप्रिय मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. हकमौ हेमविमल. वा० सुखहेम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. विनयचन्द विवेकविमल उ० रत्नसुन्दर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. आसौ . आनन्दविमल वा० महिमाधर्म गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. खश्यालौः क्षेमविमल पं० सत्यविनय मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. ऊदौ... उदयविमल वा० हितधीर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. बालौ ... विजयविमल पं० धर्मसुन्दर मुनेः पौत्र, क्षेम शा० पं.विनीयो, विनयविमल पं० मानहंस मूनेः, जिनराज शा० पं.प्रेमौ । प्रीतिविमल पं० रंगसोम मुनेः पं. रूपलो राजविमल पं० रंगसोम मुनेः ॥सं० १८६८ मिती वैशाख सुदि २ देशणोक ग्रामे उगमणेवास चउमास करयौ ॥ पं. राह ..रंगविमल ... वा० महिमारुचिः गणेः पौत्र, कीत्ति० शा० पं. खेमौकीत्तिविमल वा० महिमारुचि गणेः पौत्र, कीत्ति० शा० पं. हरसुख । हर्षविमल : पं० जयरत्न गणेः, जिनचन्द्र शा० १. श्रीजी चतुरंग कु बग़सीस कर्यो। २. प्रसिद्ध नाम कस्तूरो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. खेमौ पं. जीवण पं. ज्ञानौ पं. हेमौ पं. खुस्यालो पं. लालौ पं. वखतो पं. शिवौ पं. रूपौ प. रुधौ पं. खेतौ पं. नेणौ पं. नवलौ पं. दौलौ पं. मगनौ ।। संवत् १८६८ मिति मिगसर सुदि १० दिने शीतला रे दरवाजे मांहि तंबू जाल कनै खड़ो कोयौ, उठा सु बाजा बजावता उपाश्रय श्राया || पं. रामौ पं. दलौ रामविमल दयाविमल पं. बालकृष्ण बुद्धिविमल पं. देवचन्द्र दयाविमल ज्ञानविमल खुश्यालविमल पं० जयरत्न गणेः, जिनचन्द्र शा० युक्तिविमल पं० तत्त्वकुमार मुने पौत्र, सागर० शा० पं० चारित्रमेरु मुनेः, वा० खुश्यालहेम पौत्र पं० सौभाग्यसुन्दर मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० क्षान्तिविमल पं० चित्तसिन्धुर मुनेः, जिनभद्र शा० पं० अमृतसुन्दर मुनेः पोत्र, हंसविमल लक्ष्मीविमल विद्याविमल पं० भाग्यमूर्ति मुनेः पौत्र, जिनसागर शा० सौभाग्यविमल वा० धर्म्मचन्द्र गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० रूप त्रिमल वा० युक्तिधीर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा रत्नविमल वा० चारित्रमूर्ति गणेः क्षांतिविमल पं० गुणकल्याण मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० नित्यविमल पं० प्रातिसुन्दर मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० न्यायविमल पं० प्रीतिसुन्दर मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० दानविमल उ० श्री ज्ञानविनय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० माणिक्यविमल वा० राजप्रिय गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० १. ८९ ।। सं० १८६८ मा० सुदि १० गुरौ || श्री जिनहषंसूरिभिः ८ 'मन्दिर' नन्दी कृता बीकानेरे || पं. खुस्यालौ खुश्यालमन्त्रि प० हर्षप्रिय मुनेः, कोर्त्तिरत्न शा० पं. तखतौ तोर्थमन्दिर पं० आनंदवल्लभ गणः पौत्र, जिनचन्द्र शा० न्याय मंन्दिर वा० आणंदप्रिय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा पं. नवलौ पो० व०८ उ० श्रीरत्नसुन्दर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं० श्रीरत्नमुनेः सागरचन्द्रशा० पं० कनकमेरु मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं० वीरभद्र मुन:, सागरचन्द्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. फत्तौ प्रतापमन्दिर वा० अमरप्रिय गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. पेमौ प्रीतिमन्दिर पं० सगुणप्रिय मूनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. पेमौ प्रीतिमन्दिर पं० रामरत्न मुनेः (कोट रहै छै) जिनभद्र शा० पं. चैतौ चारित्रमन्दिर पं० सगुणधीर मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. देवराज देवमन्दिर पं० हर्षहंस मुनेः, कोतिरत्न शा० ॥सं० १८६६ प्रथम वैशाख सुदी ७ श्री बीकानेरे ।। पं. रूपौ रूपमन्दिर उ० ज्ञानविनय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. अखौ अभयमन्दिर पं० आणंदरत्न गणे: शिष्य, जिनचन्द्र शा० पं. रामौ रत्नमन्दिर पं० माणिक्यजय मूनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. हरखौ . हर्षमन्दिर पं० महिमासोम मुनेः शिष्य, जिनभक्ति शा० पं. प्रेमौ पूण्यमन्दिर वा० ज्ञानवल्लभ गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पं. गुणचन्द्र ज्ञानमन्दिर वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र पं. सरूपौ सुखमन्दिर वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र पं. रामचन्द रंगमन्दिर वा० लावण्य कमल गणेः प्रपौत्र पं. गणेश ज्ञानमन्दिर पं० कोत्तिविजय मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. चिमनौ चित्रमन्दिर वा० युक्तिधीर गणेः पौत्र पं. आणंदी आणंदमन्दिर वा० जयसार गणे: पौत्र, क्षेमशा० ॥सं० १८६६ मि । मिगसर बदि ६ बीकानेरे ॥ पं. लालौ । लक्ष्मीमन्दिर उ० श्री विद्याहेम गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. हेमौ हर्षमन्दिर पं० प्र. ज्ञाननिधान मुनेः पं. कानौ कल्याणमन्दिर वा० सुमतिसोम गणेः पौत्र पं. गुलाबौ गणमन्दिर पं० चतुरनिधान गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. डंगर राजमन्दिर पं० प्र. जीतरंग गणेः पं. गुणीयौ गुणमन्दिर प० प्र. जीतरंग गणेः पं. दानो दयामन्दिर पं० प्र. जयरत्न गणेः पं. जसौ जयमन्दिर वा० सुमतिसोम गणेः पौत्र पं. अमी अखयमन्दिर वा० सुमतिसोम गणेः प्रपौत्र पं. खुश्यालौ खुस्यालमन्दिर वा० सुमतिधीर गणेः पौत्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. चन्दौ चित्रमन्दिर पं० तिलककोत्ति गणेः पौत्र पं. गुलाबौ गजमन्दिर वा० महिमाकल्याण गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. धनो सुमतिमन्दिर पं० सुमतिभक्ति मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. हंसौ. हर्षमन्दिर पं० सुमतिभक्ति मुनेः, जिन चन्द्र शा० पं. केवल कुशलमन्दिर श्रीजिताम् । सं० १८६६ मा० सु० १० भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः ९ "विशाल" ... नन्दी कृता बीकानेरै ॥ पं. हेमौ. हर्षविशाल श्रीजिताम् पं. सुरतौ । सौभाग्य विशाल श्रीजिताम् पं. शिवलाल सुखविशाल .. पं० गुणप्रभ मुनेः, कीतिरत्न शा० पं. विनचन्द विजयविशाल पं० रत्ननन्दन मुनेः, क्षेम शा० . पं. सामंत सुमतिविशाल उ० अमृतसुन्दर गणेः पौत्र, कीतिरत्न शा० पं. चतुरौ चन्द्रविशाल पं० प्र. ज्ञानसार गणे: पौत्र, जिनलाभ शा० पं. जयचन्द जगतावशाल पं० ज्ञाननिधान गणः, कीत्तिरत्न शा० पं. सरूपौ सौभाग्य विशाल वा० भावविजय गणेः पौत्र पं. अभौ. अमृतविशाल वा० भावविजय गणेः पौत्र पं. श्रीपाल श्रीविशाल वा० भावविजय गणेः पौत्र पं. हुकमौ हर्षविशाल पं० ज्ञाननिधान मुनेः पौत्र पं. कस्तूरौ कीत्तिविशाल वा० लब्धिकमल गणेः पौत्र पं. देवौ दानविशाल - वा० लब्धिकमल गणेः पौत्र पं. नन्दौ. नेत्रविशाल पं० शान्तिसमुद्र गणेः पं. जगमाल जीतविशाल पं० शान्तिसमुद्र गणेः पं. मोहण मोहनविशाल वा० राजप्रिय गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. ज्ञानौ ज्ञान विशाल वा० चारित्रसमुद्र गणेः पं. पदमौ प्रीतिविशाल पं० हीरसमुद्र मुनेः . पं. अमरौ आणंदविशाल पं० होरसमुद्र मुनेः १. सं० १८६९ फा. सु. ७ श्रीरतनगढे । २. सं० १८६९ चैत्र बदि ११ चूरू मध्ये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ पं. हेमौ पं. खुस्यालो पं. जयचन्द पं. पदमौ पं. लखमौ पं. मोती पं. मनसुख पं. परमानन्द पं. धरमौ पं. मोती पं. करमौ ।। सं० १८७० ज्येष्ठ बदि १ दिने सीकर मध्ये ॥ हर्षविशाल ।। स० १८७० वर्षे शाके १७३५ मिते जेठ बदि ६ जयनगरे चातुर्मास कृता ।। पं. देवी पं. तिलोकौ पं. रुधौ पं. गोर्द्धन पं. सरूपौ पं. जोवौ पं. महरचन्द प. भवानी पं. विनो पं. सागर पं. भूधर पं. किशनौ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची सुखविशाल जगद्विशाल मेरुविशाल Jain Educationa International वा० भावविजय गणेः पौत्र, कीर्त्तिरत्न शा० क्षमाविशाल पं० कमलप्रमोद मुने: पौत्र, सागरचन्द्र शा० जगद्विशाल वा० ज्ञानवल्लभ गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र शा० पुण्य विशाल पं० गुणप्रमोद मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० लक्ष्मीविशाल पं० कमलप्रमोद मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० महिमाविशाल पं० शिवचन्द्र गणः पौत्र, क्षेम शा० माणिक्य विशाल पं० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेम शा० पद्मविशाल पं० गजविनय मुनेः पौत्र, क्षेम शा० धर्म्मविशाल उ० श्री क्षमाकल्याण गणेः पौत्र, जिनभक्ति० मुक्तिविशाल उ० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्न ० कनकविशाल उ० अमृतसुन्दर गणेः प्रपोत्र, कीर्तितरत्न ० दानविशाल उ० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीर्तिरत्न ० त्रैलोक्यविशाल महो० कीर्त्तिधर्म गणेः पौत्र, जिनभद्र ० राज्यविशाल वा० युक्तिहेम गणेः, जिनभद्र शा० ज्ञानविशाल पं० शिवचन्द्र गणेः, क्षेम शा० पं० अमृतमेरु मुनेः, क्षेम शा० पं० प्र. विवेककल्याण गणेः पौत्र, जिनलाभ ० उ० श्री हीरधर्म्म गणेः पौत्र, जिनलाभ० भाग्यविशाल वा० कुशल कल्याण गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० विद्याविशाल पं० विनय हेम गणेः, जिनचन्द्र शा० सौभाग्यविशाल वा० भाग्यधीर गणेः, जिनचन्द्र शा० भाग्यविशाल वा० भाग्यधीर गणेः, जिनचन्द्र शा० ।। सं० १८७१ श्राषाढ सु० ५ श्री अजीमगंज नगरे १० 'कलश' नन्दी कृता ।। पं० शिवकल्याण, जिनचन्द्र शा० कमलकलश For Personal and Private Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १९३ पं. छज्जू छत्रकलश पं० प्र. मानधर्म गणेः पौत्र पं. कपूरी कर्पूरकलश उ० श्रीचारित्रमन्दिर, कीतिरत्न शा० पं. पेमौ पूर्णकलश वा० महिमाधर्म, जिनलाभ शा० पं. पूनमचन्द पुण्यकलश पं० महिमासोम, जिनभक्ति शा० पं. उमेदौ अमृतकलश वा० चारित्रमूर्ति गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० ॥ सं० १८७२ वर्षे मिती मार्गशीर्ष कृष्ण ४ भ० श्रीजिनहर्षसूरिभिः ११ "धर्म" नन्दी कृता। श्री पूर्वदेशे बालचर नगरे । पं. लालो लक्ष्मीधर्म वा० कुशलकल्याण गणेः पौत्र, जिन चन्द्र शा० पं. मयाचन्द मेरुधम्म उ० क्षमाकल्याण गणेः प्रपौत्र, जिनभक्ति शा० पं. मनरूपौ माणिक्यधर्म उ० शिवचन्द्र गणेः प्रपौत्र, क्षेम शा० पं. लालौ लाभधर्म उ० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्न शा० पं. धरमो धीरधर्म उ० अमृतसुन्दर गणेः प्रपौत्र, कीतिरत्न शा० पं केवल कीत्तिधर्म पं० हर्षविजय मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. हिमती हर्षधर्म उ० जयमाणिक्य गणे: प्रपौत्र, कोत्तिशा० पं. हंसौ हेमधर्म उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. सालगौ सौभाग्यधर्म पं० तत्त्वकुमार मुनिः पौत्र, सागरचन्द्र शा० । सं० १८७३ वर्षे मिती माह वदी ५ दिने श्री अजीमगंज नगरे । पं. कपूरौ कनकधर्म वा० सुमतिधीर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. जेठो जीतधर्म वा० युक्तिधीर गणेः पं. जैतौ युक्तिधर्म पं० गुणकल्याण मुनेः ॥सं० १९७४ वर्षे मिती माघ वदि ६ दिने श्री अजीमगंज नगरे । पं. परमानन्द पूण्यधर्म पं. रूपो रत्नधर्म पं. माणको मानधर्म पं. ज्ञानौ गीतधर्म पं० न्यायनन्दन मुनेः सागरचन्द्र शा० पं० न्यायनन्दन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं० भक्तिनन्दन मुनेः, सागरचन्द्र शा० . गरचन्द्र शा. . १. पश्चाच्छिष्यः कृतः २. पश्चाच्छिष्यः कृतः Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥सं० १८७५ वर्षे मार्गशीर्ष शुक्ल १४ कोत्तिबाग मध्ये ॥ पं. सुगालौ सौभाग्यधर्म वा० लावण्यकमल गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. लालीयो लावण्यधर्म पं० तत्त्वकुमार मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. गंगाराम ज्ञानधर्म. उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. रायचन्द रत्नधर्म उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. मयाचन्द मानधर्म पं० जयहंस मुने: शिष्य, क्षम शा० पं. नगराज न्यायधर्म पं० जयहंस मूने: शिष्य, क्षेम शा० पं. रामचन्द रंगधर्म पं० जयहंस मुनेः शिष्य, क्षेम शा० पं. शिवचन्द्र श्रीधर्म पं० अमृतकीति मुनेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. विनीयौ विनयधर्म पं० आनन्दरत्न गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० । सं० १८७६ वर्षे मिती ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदिने भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः १२ 'लाभ' नन्दिः कृता श्री मिरजापुर नगरे । पं. कुन्दनलाल कनकलाभ पं० सत्यरत्न गणेः, जिनचन्द्र शा० ... पं. सागर सदालाभ वा० रामचन्द्र गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. रूपो रत्नलाभ वा० रामचन्द्र गणे: पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. मलौ मुनिलाभ वा० रामचन्द्र गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. बुद्धौ विनयलाभ वा० रामचन्द्र गणे: पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. ऊदौ अमतलाभ वा० रामचन्द्र गणे: पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. नेणचन्द नीतिलाभ वा० रामचन्द्र गणे: पौत्र, जिनभक्ति शा० ॥ सं० १८७६ वर्षे मितो माघ बदि ५ श्री फरक्काबादे ॥ पं. हरसुख हर्षलाभ पं० जसविजय गणेः, कीतिरत्न शा० पं. मंगल मुक्तिलाभ पं० जसविजय गणेः, कोत्तिरत्न शा० पं. गुलाबो ज्ञानलाभ पं. देवी दयालाभ उ० रत्नविमल गणे: पौत्र, क्षेम शा० १. सं० १८७८ चैत्र बुदि ३ उदयपुरे । वर्तमान नांद तो 'तिलक' री- हुती पिण कृपाकर 'धर्म' री नांद री पुड़ी दीवी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ।। सं० १८७६ वर्षे मिती माघ शुक्ला १२ बुधवारे भ० श्री जिनहर्ष सूरिभिः १३ 'सिंह' नन्दि कृता श्री ग्वालेर नगर मध्ये ॥ प. भैरौ भक्तिसिंह वा० राजप्रिय गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. रतनौ रत्नसिंह वा० क्षमाहेम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा०. पं. आसौ अमरसिंह वा० सुमतिसोम गणः, जिनरत्न शा० पं. इंदौ ईशरीसिंह पं० चतुरनिधान मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. मानौ मानसिंह पं० देवदत्त मूने: पौत्र, क्षेम शा० पं. मगनी मनिसिंह पं० धर्मसुन्दर मुनेः पौत्र, क्षेम शा० पं. धरमौ धनसिंह पं० उदयरंग गणेः, जिनचन्द्र शा० पं. हीरौ हिमतसिंह पं० समयरत्न शिष्य, पं० तिलकधर्म पौत्र पं. चैनीयो चारित्रसिंह वा० राजप्रिय गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. आणंदीयौ अभयसिंह वा० लक्ष्मीप्रभ गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. दौलीयौ दानसिंह वा० लक्ष्मीप्रभ गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं. मयाचन्द मानसिंह वा० सुगुणहेम गणेः पौत्र, कीत्तिरत्न शां० (प्रसिद्ध नाम मिसरियौ) पं० रत्नमेरु शिष्य पं. नेमौ नरसिंह पं० रत्न मेरु मूने: पौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. भैरोयौ भक्तिसिंह पं० प्र. ज्ञानसार गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० ।। सं० १८७७ माघ बदि ११ सोमवासरे श्री उज्जयण नगरे निकटस्थ भैरूगढ़ मध्ये भट्टारक श्रो जिनहर्षसूरिभिः १४ "तिलक" नन्दि कृता । पं. निहालौ। न्यायतिलक उ० श्रीदानविशाल गणे: पौत्र, क्षेम शा० पं. लखमो लक्ष्मोतिलक वा० लक्ष्मीकल्याण गणेः, क्षेम शा० ... पं. टेको तत्त्वतिलक पं० अमरप्रिय मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० ॥सं० १८७७ माघ सुदि १२ दिने भ० श्री जिनहर्षसूरि इन्दौर नगर पधार्या, तिहां भगवानदास ढूंढिया ने उपदेश देकर सर्व पालोयरणा दे सर्व क्षेत्र प्रमुख त्याग कराय के संघ समक्ष ढूंढियापणे रो मार्ग छोड़ाय यति पणौ ग्रहण करायौ । बड़ी दीक्षा दीवी, खरतर गच्छ में जिनभद्रसरि शाखा रौ यति कोयौ ॥ १. उज्जैन खाचरोद दिशि रा छ। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची प. भगवानदास भक्तितिलक श्रीजीनामुपदेशात् श्री जिनभद्र शा० .. पं. कीर्तिचन्द्र कर्पूरतिलक पं० मुनिकुशल गणेः, जिनचन्द्र शा० ॥ सं० १८७८ वर्षे मिती वैशाख सुदि ४ दिने श्री जिनहर्षसूरि मालवा देशे तखतगढ ग्रामे समागताः । तत्र दिन १३ रह्या, तत्र साधुनां दीक्षा जाता। पं. हीराचन्दा हीरतिलक पं० कीत्तितिलक मुनेः पौत्र, क्षेम शा० पं. लक्ष्मीचन्द लक्ष्मीतिलक पं० कन कविनय मुनेः पौत्र, क्षेम शा० पं. छजमल छत्रतिलक पं० विद्यासोम मुनेः, क्षेम शा० पं. कपूरचन्द करतिलक पं० गुणचन्द्र मुनेः, क्षेम शा० । पं. मयाचन्द मुनितिलक पं० कीतितिलक मुनेः, क्षेम शा० पं. खुश्यालौ क्षमातिलक पं० गंगविनय पौत्र, क्षेम शा० .. पं. अमरचन्द' अमरतिलक पं० फतचन्द. जिनचन्द्र शा० पं. लक्ष्मीचन्द लावण्यतिलक पं० क्षमाधीर मुनेः, क्षेम शा० पं. उदैचन्द उदयतिलक पं० फतैचन्द मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. वस्तौ विनयतिलक पं० क्षमाधीर शिष्यः भावचारित्रीय, क्षेम शा० पं. माणको महिमातिलक पं० मुनिप्रमोद मुनेः, क्षेम शा० पं. लदमोचन्द्र लाभतिलक पं० रूपजी पौत्र, क्षम शा० पं. हरिजी10 हेमतिलक पं० कल्याणजी क्षेम शा० । सं० १८७८ मिती प्राषाढ सुदी २ दिने श्री प्रतापगढ नगरे भ० श्री जिनहर्षसूरिभिश्चतुर्मासी कृता, तत्र दीक्षा नामानि ॥ पं. रूपचन्द रत्नतिलक पं० अभयमूत्ति मुनेः पौत्र, जनरत्न शा० पं. पेमचन्द पुण्य तिलक पं० रत्नसोम गणेः पौत्र, क्षम शा० पं. नारायण नीतितिलक पं० रत्नसोम गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. वस्तपाल विद्यातिलक प० रत्नसोम गणेः पौत्र, क्षेम शा० पं. चन्द्रदत्त चन्द्रतिलक पं० मानवर्द्धन गणेः पौत्र, जिनरत्न शा० पं. आदिदत्त अमरतिलक पं० मानवर्द्धन गणेः पौत्र, जिनरत्न शा० १. रतलाम २. वखतगढ ३. सुखेड़ ४. बड़ौद ५. रूणीजै ६. खाचरौद ७. जावरै ८. बरदाबड़ी मालवै ९. सिलाणे रा १०. वरडीया ग्राम रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची नंदि तौ 'विनय' री थी पिण कृपा कर तिलक' री दीवी । पाली में सं० १८७९ वै. सु. ३। संवत् १८७८ मिग० सु० ७ श्री प्रतापगढ थी श्री रतलाम पधार्या बड़े देहरै ऊतर्या, दिन ३९ रह्या, ठाणे ५५ सामल था, सामले दोनुं तड़ वाला भोजो भगवान प्रमुख बड़ी चाकरी कीवी । रतलाम मे कटारिया खरतर गच्छ का है। ॥ सं० १८७८ माघ बदि ८ भौमे भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः १५ विनय' नन्दि कृता । रतलाम ।। पं. गुलाबौर ज्ञानविनय पं० लक्ष्मीतिलक शि०, क्षेमशा० पं० कनकविजय प्रपौत्र पं. कस्तूरौ कल्याणविनय पं० हीरतिलक, कीतितिलक प्रपौत्र पं. खूबौ क्षमाविनय पं० हीरतिलक कीत्तितिलक पौत्र पं. अमरौ अमरविनय पं० अमृतमेरु मुनेः पौत्र, क्षमशा० । ॥ सं० १८७८ माघ वदि १२ भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः उदयपुर गरे पधार्या ।। पं. जीवण युक्तिविनय विनीतसुन्दर मुनेः, जिनसुख शा० पं. गमानौ गणविनय विनीतसुन्दर मुनेः, पौत्र, जिनसू । शा. पं. खेतसी क्षेमविनय पं० पद्महंस मुनेः, जिनभद्र शा० पं. केसरौ कनकविनय पं० विनीतसुन्दर मुनेः पौत्र, जिनसुख शा० पं. रामौ रत्नविनय पं० सदावर्द्धन मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. चन्द्रदत्त चारित्रविनय वा० दयासार गणेः प्रपौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. मोती महिमाविनय पं० प्रीतिमन्दिर मुनेः, जिनभद्र शा० पं. कुशलौ कमलविनय पं० अभयमूत्ति मुनेः पौत्र, जिनरत् । शा० पं. पासदत्त प्रेमविनय वा० दयासार गणेः पौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. शिवलाल सत्यविनय पं० क्षमाहर्ष मुनेः, क्षेमशा० पं. रतनौ राजविनय पं० लाभहर्ष मुनेः, क्षेमशा० १. वखतगढ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. तुलछीदास तीर्थविनय पं० यशविजय मुनेः, संविग्न पक्षीय पं. गोपालौ ज्ञानविनय पं० क्षांतिरत्न मुनेः, संविग्न पक्षीय ॥ सं० १८७९ वैशाख बदि ५ भ० श्री जिनहर्षसूरि सादड़ी पधार्या ।। पं. दयाचन्द देवविनय वा० रूपधीर गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. खूबौ . खुश्यालविनय उ० श्री रत्नविमल गणेः पौत्र, क्षेमशा० ॥सं० १८७६ मिती वैशाख सुदि १ दिने श्री उदयपुर थी घाणेराव पंचतीर्थो कर भ० श्री जिनहर्षसूरि पाली पधार्या, तत्र दीक्षा नामानि । पं. वृद्धिचन्द विद्याविनय पं० मतिप्रभ मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. कस्तूरी कीर्तिविनय पं० सत्यकल्याण मुनेः पौत्र, क्षमशा० पं. दयाचन्द दयाविनय पं० गजविनय मुनेः पौ०, क्षेमशा० पं. मयाचन्द मतिविनय पं० गजविनय मुनेः पौ०, क्षेमशा० पं. उमेदौ अमृतविनय पं० नयमेरु मुनेः पौ०, जिनभद्र शा० पं. जयचन्द जीतविनय पं० कर्पूरभद्र मुनेः, क्षेमशा० पं. जसरूप जशविनय पं० युक्तिजयमुनेः पौ०, कीतिरन्न शा० पं. गिरधारी गंगविनय पं० विजयभद्र मुनेः, जिनरत्न शा० । पं. अमरौ . उदयविनय उ० श्री कीर्तिधर्म गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. साहिबौ सत्यविनय पं० पुण्यकमल मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. मालो मानविनय पं० नेमिचन्द्र मुनेः, जिनराज शा० पं. नेमौ न्याय विनय पं० नेमिचन्द्र मुनेः पौत्र, जिनराज शा० आसौ ___ आनन्दविनय पं० सत्यसौभाग्य मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. धम्मो धर्मविनय पं० मानविजय मूने: पौत्र, सागरचन्द्र शा० अखौ अमृतविनय पं० जीतविजय मुनेः, जिनभद्र शा० पं. वरधौ वृद्धविनय पं० जीतविजय मुनेः, जिनभद्र शा० पं. मोती मेरु'वनय वा० चारित्रप्रमोद गणेः प्रपौ०, सागरचन्द्र० पं. नाथी नित्य विनय वा० नित्यरुचि गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. पुरषो प्रेमविनय वा० नित्यरुचि गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. कांनी कुशलविनय पं० लब्धिहर्ष मुनेः, क्षेमशा० पं. फत्तौ प्रीतिविनय पं० विनीतसुन्दर मुनेः पौत्र, जिनसुख शा० १. सं० १८७९ आषा० ब० ४ नागौर । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. सिनौ कल्याणविनय पं० तिलकोदय मुनेः, क्षेमशा० पं. चिमनी चारित्रविनय पं० विनीतसुन्दर मुनेः पौ०, जिनसुख० पं. हुकमौ हर्षविनय पं० विनीतसुन्दर मुनेः पौ०, जिनसुख० ॥ संवत् १८७९ मिती प्राषाढ सुदि ४ दिने भ० श्री जिनहर्षसूरिजी श्री बीकानेर पधार्या । सामेलो शोतला रै दरवाजे सूं हुवो। उठं सूं गाजा वाजा वजावतां उपासरै प्राया । प्रोलां ४ हुई। कंवला कूड़ो कजीयौ करता था सो राजाजीयै कड़ा किया। सामेलौ पारख जोतमलजी ये कर्यो, बड़ौँ महोत्सव हुवौ ॥ पं. रुघौ रंगविनय पं० चारित्रसोम मुनिः, क्षेमशा० पं. गणेशौ गजविनय पं० अमररत्न मुनेः, कीतिरत्नशा० पं. मघौ मनिविनय वा० जयदत्त गणेः पौ०, क्षेमशा० पं. माणको माणिक्यविनय वा० जयदत्त गणेः पौ०, क्षेमशा० पं. गुमानौ ज्ञानविनय वा० चारित्रमोद गणेः पौ०, सागर चन्द्रशा० ॥संवत् १८७९ वर्षे मृगशिर बदि १३ बीकानेरे ।। पं. जयकरण जीतविनय पं० शान्तिविजय मुनेः, कीतिरत्न पं. खुश्याल खुश्यालविनय पं० विवेकप्रिय मुनेः पौ०, सागरचन्द्र० पं. गुलाबी गुरुविनय पं० विवेकप्रिय मुनेः पौ०, सागरचन्द्रशा० पं. गुलालौ गीतविनय पं० चारित्रमेरु मुनेः, कीनिरत्न पं. मलको मुक्तिविनय पं० पद्महंस मुनेः, जिनराजशा० पं. रतनौ रूपविनय पं० मानहंस मुनेः, कृष्णगढे पं. भैरौ भाग्यविनय उ० श्री ज्ञानविनय गणेः, पं. दुलीचन्द दानविनय वा० अमृतसुन्दर गणेः पं. गुमानौ गुप्तिविनय वा० अमृतसुन्दर गणेः, पौ० पं. जीवौ जयविनय वा० अमतसुन्दर गणेः पौ० पं. देवौ देवविनय पं० मतिसार मुनेः पं. गुलाबौ गौतमविनय पं० मतिसार मुनेः १. २. सिंधी, ३. सिंधी-उतराधी, ४. ५. सिंधी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥ संवत् १८७६ फा० ब० ८ भ० श्री जिनहर्ष सूरिभिः १६ 'शेखर' नन्दी कृता बीकानेरे ॥ पं. सुगालौ सुमतिशेखर वा० राजविनयगणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. नैणसुख न्यायशेखर पं० युक्तिमेरु मुनेः, कीत्तिरत्नशा० पं. राजू रत्नशेखर पं० पुण्यहर्षमुनेः, कीतिरत्नशा० पं. चोखो चारित्रशेखर वा० ज्ञाननिधान गणेः पौत्र०, कीत्तिरत्न पं. कस्तूरौ कनकशेखर वा० ज्ञाननिधान गणे: पौ०, कीत्तिरत्न पं. दुरगौ दानशेखर वा० पद्मरंग गणेः पौ०, जिनभद्रशा० पं. आसौ अमरशेखर वा० भावविजय गणेः, कीत्तिरत्न पं. धरमो धर्मशेखर वा० भावविजय गणेः, कोत्तिरत्न पं. पदमौ . प्रीतिशेखर वा० भावविजय गणेः, कीत्तिरत्न पं. गंगाराम गुणशेखर पं० गुणप्रमोद मुनेः, सागरचन्द्रशा० पं. सरूपौ3 सौभाग्यशेखर पं० सत्यविनय मुने: पौ०, जिन चन्द्रशा० पं. कुशलौ कनकशेखर पं० माणिक्यहंस मुनेः, जिनभद्रशा० पं. मोती महिमाशेखर पं० दयाप्रभ पौ०, जिनभद्रशा० पं. लखौ लावण्यशेखर पं० दयाप्रभ पौ०, जिनभद्रशा० पं. वर्द्धमान वृद्धिशेखर वा० मयाप्रमोद गणेः पौ०, कीतिरत्नशा० पं. दुलीचन्द दानशेखर वा० मयाप्रमोद गणेः पौ०, कीतिरत्नशा० पं. मोती महिमाशेखर पं० मुनिकल्याणमुनेः, जिनचन्द्र ० पं. हर्षचन्द्र हस्तशेखर पं० महिमासौभाग्य मुनेः. जिनचन्द्र० पं. जीवो जीतशेखर पं० मतिकल्याणमुनेः, जिनचन्द्र० पं. राज रंगशेखर पं० रंगवर्द्धनमुनेः, कीत्तिरत्नशा० पं. रूपौ ऋद्धिशेखर पं० विनीतसुन्दरमुनेः पौ० जिनसुख० लक्ष्मोशेखर पं० ज्ञानसार गणेः पौ०, जिनलाभ पं. राजौ रूपशेखर पं० चारित्रसोममूनेः, क्षेमशा. पं. पन्नो पद्मशेखर पं० भाग्यमूर्तिमुनेः प्रपौ०, सागरचन्द्र० पं. लाली लक्ष्मीशेखर पं० गुणप्रमोदमुनेः पौ०, सागरचन्द्र० पं. रामो राजशेखर पं० गुणप्रमोदमुनेः पौ०, सागरचन्द्र० पं. शम्भू सत्यशेखर पं० कीत्तिसमुद्रमुनेः, सागरचन्द्र ० १. पंजाबी २. हांसी रा वास्तव्य ३. सं० १८८० सु० ४ बीकानेरे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १०१ पं. लालौ लाभशेखर पं० हर्षहंसमुनेः पौ०, कीत्तिरत्नशा० पं. गुलाबौ ज्ञानशेखर वा० आनन्दप्रिय गणेः, जिनभद्र शा० पं. गुमानौ गजशेखर पं० देववर्द्धन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. मानौ मतिशेखर पं० गुणनन्दन मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. जसराज जयशेखर पं० सुमतिभक्ति मुनेः, जिनचन्द्रशा० वर्तमान नन्दि तौ 'माणिक्य' री हुंती पिरण कृपा कर 'शेखर' री नन्दि दीधी सं० १८८? मा. सु. ५ पं मोती' माणिक्यशेखर पं० भीमभद्र मुनेः शिष्य, जिनरत्न शा० ॥ सं० १८८० पो० सु० १३ भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः १७ 'शेन' नन्दी कृता, बीकानेरे । पं. रतनौ रत्नशेन पं० सुगुणानन्द मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. उदयभाण उदयशेन पं० चारित्रसोम मुनेः, जिनभद्र शा० पं. धरमौ धर्मशेन पं० चारित्रसौभाग्य मुनेः, जिनभद्र शा० पं. श्रीचन्द सुमतिशेन पं० दयाभद्र मूने: पं. शम्भू सुमतिशेन पं० उत्तमविजय मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. कस्तूरौ कनकशेन पं० सुमतिधीर गणेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. सद्दौ सुमतिशेन पं० शान्तिसमुद्र मुनेः पं. डूंगर दयाशेन पं० शान्तिसमुद्र मुनेः पं. जेसौ युनि.शेन पं० सत्यनन्द मुनेः, सागरचन्द्र शा० पं. कुशलौ कीत्तिशेन पं० उदयरग मुनः, सागरचन्द्र शा० पं. फत्तौ पुण्यशेन उ० श्री ज्ञानावनय गणेः पौत्र पं. तेजो तीथशेन पं. धरमौ धर्मशेन पं. सरूमौ सुखशेन पं० मानविजय मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० ॥सं० १८८१ माघ शुक्ल ५ दिने भट्टारक प्रभु श्री जिनहर्षसूरिजिद्धिः १८ 'रुचि' नन्दी कृता श्री बीकानेर नगरे । श्रीभू यादहनि २ ॥ पं. गिरधर ज्ञानरुचि वा० महिमाकल्याण गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० १. मांडवी . . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. अखौ अक्षयरुचि पं. मोती महिमारुचि पं वृद्धिवन्त विवेकचि पं. पेमौ पद्यरुचि पं. अमरौ आणंदरुचि पं जगरूप जोतरुचि पं. गमौ रामरुचि । पं. पन्नौ प्रेमरुचि पं. अमरी अमतरुचि पं. विज्जो विद्यारुचि पं. चेनौ चारित्ररुचि पं. सालगौ सुपतिरुचि पं. हकमो हर्षरुचि पं. जानौ गुणरुचि पं. गणेशो ज्ञानरुचि पं. मगनौ महिमारुचि पं. धन्नौ धर्मरुचि पं० आनन्दहर्ष मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. जीवविजय मुनि, जिनभद्र शा० वा० सुखहेम गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० वा० कनकशेखर गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं० नित्यसार मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० क्षेममत्ति मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० नित्यसार मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० लक्ष्मोरंग मुनेः, जिनभद्र शा० पं० मयाकुशल मुनेः, जिनभद्र शा० पं० क्षेमानन्द मुनेः, जिनसुख शा० पं० तिलकनिधान मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० शान्तिसमुद्र मुनेः पौत्र पं० गुणसमुद्र मुनेः पौत्र, जिनभक्ति शा० पं० मेरुविजय मुनेः, जिनचन्द्र शा० वा० सौभाग्यसुन्दर गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० वा० नेमविजय गणे: पौत्र, जिनलाभ शा० पं० क्षमामेरु मुनेः, जिनसुख शा० ॥सं. १८८३ मृगशिर बदि २ दिने भ० श्री जिनहर्षसूरिभिः १६ _ 'शील' नन्दि कृता, बीकानेरे ॥ पं. रतनौ रत्नशील पं. केशरी कनकशील पं. सवाई सुखशील पं. धन्नौ धर्मशील पं. गुमानौ गुणशील पं. वीरचन्द विनयशील पं. मनसुख महिमाशील पं. उत्तमौ अमृतशील प. शिवौ सुमतिशील पं० भाग्यमूर्ति मुनेः प्रपौत्र वा० अमृतसिन्धुर गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं० मुक्तिसिन्धुर मुनेः, कीतिरत्न शा० पं० लब्धिहर्ष मुनेः, क्षेमकीति शा० पं० ऋद्धिभद्र मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं० हर्षभद्र मुनेः, जिनभद्र शा० पं० देवविजय मुनेः पौत्र, कोतिरत्न शा० पं० मयाकुशल मुनेः पौत्र, क्षेमशा० वा० आनन्दप्रिय गणेः पौत्र, जिनभद्र शा० Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १०३ पं. मनरूपी मुक्तिशील पं० मुक्तिसागर मुनेः, जिनसुख शा० पं. मनसुख महिमाशील पं० सुगुणप्रमोद मुनेः, जिनचन्द्र शा० पं. मोती मेरुशील पं० क्षमामेरु मुनेः, जिनसुख शा० ॥सं० १८८४ वर्षे मार्गशीर्ष ५ दिने भट्टारक प्रभु श्री जिनहर्षसूरिभिः २० 'माणिक्य' नन्दि कृता, श्री बीकानेरे ॥ पं. सागर सत्यमाणिक्य पं० जयमूत्ति मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. खेतसी क्षेममाणिक्य पं० ज्ञाननिधान मुनेः पौत्र, कोत्तरत्न पं. लालौ लक्ष्मीमाणिक्य वा० भावविजय गणेः, कीतिरत्न० पं. तेजसी तत्वमाणिक्य वा० भावविजय गणेः प्रपौत्र कात्तिरत्न पं० विद्यारंग पौत्र पं. माणको मुक्तिमाणिक्य पं० कनकमेरु मुनेः, क्षेमशा० . पं. जीवौ जयमाणिक्य वा० चारित्रसमुद्र गणेः पं. अखौ अभयमाणिक्य वा० ऋद्धिरत्न गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. विनीयौ विवेकमाणिक्य पं० हंसविलास गणेः, जिनहर्ष शा० पं. अखौ अमृतमाणिक्य पं० विनयसमुद्र मुनेः, जिन चन्द्र शा० पं. भैरौ भक्तिमाणिक्य पं० जीतरंग गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. कचरौ कनकमाणिक्य पं० क्षेमरत्न मुनेः, क्षेमशा० पं. केशरौ कमलमाणिक्य पं० ज्ञानप्रिय मुनेः, जिनराज शा० १. सं० १८८८ मिते प्रथम वैशाख सुदि ३ दिन घड़ी ६ चढ्यां मुक्तिशील मुनि ने श्रीजी स्वशिष्य कीयो । बीकानेर सुं पं० मेरुकुशल मुनि पं. उदयरत्न मुनि प्रमुख ठाणा १७ साधु च्यार शाखा रा नागोर मेलनै तत्र रा सर्व साधु समुदाय ठाणा २७ एवं साधु ४४ ठाणे मिल आया, मुक्तिसागर नै दुसालो दियो । आगला पांचू शिष्यां री फारगती कराई । खास रुक्को मुक्तिसार ने कर दियौ । मनरूप नै पदस्थापन री पकावट कीवी सर्व साधु वर्ग समक्ष। सं० १८९२ मिगसर बदि ११ चन्द्र मण्डोवर दुर्गे नन्दी महोत्सवे आचार्य पद स्थापना संजातं साधु ५०१ समझे। २. वर्तमान नन्दी तो 'राज' री हुती पिण कृपा कर 'माणिक्य' री नन्दि दीवी सं० १८८७ मिगसर बदी ९ दिने । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ पं. उमेदौ उदयमाणिक्य पं० ज्ञानप्रमोद मुनेः, क्षेमशा० पं ऊदो अमरमाणिक्य पं० लक्ष्मीमाद मुनेः, क्षेमशा० पं. नारायण' नोतिमाणिक्य पं० गुणनिधान मुनेः पं. उत्तम अमृतमाणिक्य पं० रंगनिधान मुनेः, जिनभद्र शा० ॥ मं० १८८६ वर्षे माघ शुक्ल ५ भट्टारक श्री जिनहर्ष सूरिभिः २१ 'राज' नन्दी कृता । श्री बीकानेरे विजय मुहूर्त्ते ॥ पं. कुरीयो दयाराज हकीमराज पं. हुकमी पं. ऊदौ पं. अमरौ अभयराज उदयराज पं. हरचन्द हिमतराज पं. ऋषभो ऋद्धिराज प. सूजौ सत्यराज पं. सरूपौ सुर्मातराज पं. तिलोको तोर्थराज पं. सुमेरचन्द्र शिवराज पं. गोर्द्धन गजराज ऋषिराज पं. रुघौ पं. जीवण यशराज पं. उत्तमी उदयराज पं. अखौ अखयराज पं. खुश्याली क्षेमराज प. ऋषभो रूपराज पं. धरमौ धर्मराज खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची १. Jain Educationa International पं० ज्ञानानन्द मुनेः, जिनभक्ति शा० पं० विनयसमुद्र मुनेः, जिनभक्ति शा० पं० रत्नविलास मुनेः, क्षेमशा० पं० पद्महंस मुनेः, जिनराज शा० पं० मानहंस मुनेः, जिनराज शा० पं० मानहंस मुनेः, जिनराज शा० पं० मेरुकुशल मुनेः पौत्र, क्षेमशा० वा० हितत्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं० मुक्तिमाणिक्य मुनेः, क्षेमशा० पं० अमृतरंग मुनेः पौत्र, जिनलाभशा० पं० ऋद्धिसागर मुनेः, क्षेमशा० पं० शीलरंग मुनेः, क्षेमशा० उ० चारित्रप्रमोद गणेः प्रपौत्र, सागरचंद्रशा० पं. राजाराम रत्नराज सं० १८६० वर्षे शाके १७५५ प्रमिते मिती वैशाख बदि ८ भृगुवारे भट्टारक श्री जिनहर्षसूरिभि. २२ 'प्रिय' नन्दी कृता बीकानेरं ॥ पाटण रहे २. वेलाउत रहै पं० सौभाग्यहर्ष मुनेः, कीतिरत्न शा० पं० जीतविनय मुनेः, कीर्त्तिरत्न शा० महो० युक्तिधीर गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्रशा० वा० रूपधीर गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्र शां० पं० दयामेरु मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं० भाग्यविशाल शि. पं० धमविशाल मुनेः, जिनभक्ति शा० For Personal and Private Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. हुकमौ हर्षप्रिय पं० ज्ञानविलास, कीतिरत्न शा० पं० रत्नमेरु मुनेः पौत्र पं. इन्दरौ अमरप्रिय पं० क्षमानन्द मुनेः, जिनलाभशा० पं. माणको मेरुप्रिय . पं० पुण्यभक्ति मुनेः, कीतिरत्नशा० पं. पदमौ पुण्य प्रिय पं० दशनानन्द मुनेः, जिनमाणिक्यशा० पं. हरू हेमप्रिय पं० लब्धिहर्ष मुनेः पौत्र, क्षेम शा० धर्मशील शिष्य पं. चिमनौ चारित्रप्रिय पं० देवनन्दन मुनेः, सागरचन्द्रशा० पं. माणको मुक्तिप्रिय पं० इन्द्रमेरु मुनेः, सागरचन्द्रशा० पं. रावत राजप्रिय पं० अभय विलास मुनेः, कीत्तिरत्नशा० पं. नन्दौ नीतिप्रिय पं० सुखसागर मुनेः, जिनभद्रशा० ज्ञानसार गणेः पौत्र पं. लछमण लक्ष्मीप्रिय पं० ज्ञानानन्द मूने: पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. हीरौ हिम्मतप्रिय पं० दयाविलास मुनेः, क्षेम शा० श्री जिनमहेन्द्रसूरि संवत् १८९२ वर्षे शाके १७५७ प्रमिते मिती मार्गशीर्ष कृष्णा ११ चन्द्रवारे श्री सूर्योदयादिष्ट गत घट्यः १० पलानि १५ समये श्री मण्डोवर महादुर्गे बाफणा श्री सवाईरामजी मगनीरामजी जोरावरमल्लजी प्रतापचन्दजी दानमल्लजिद्धिः कृतनन्दिमहोत्सवेन जंगम-युग-प्रधान भट्टारक श्रीजिनमहेन्द्रसरीणां पट्टाभिषेको बभूव, तत्समये श्रीमद्भिः प्रथमा 'पुरन्दर' नन्दी कृता ॥१॥ पं. मोती मतिपुरन्दर पं० हेमविलास मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. खुसालौ क्षमापुन्दर पं० सुगुणभद्र मुनः शिष्य, जिनभद्र शा० पं. लखमौ लक्ष्मोपुरन्दर पं० कर्पूरभद्र मुनेः शिष्य, जिनचन्द्र शा० पं. तारौ तिलकपुरन्दर पं० हितसमुद्र मुनेः, जिनभद्र शा० पं. दौलो दयापुरन्दर पं० हेमविमल मुनेः, जिनभद्र शा० पं. सिरदारो सौभाग्यपुरन्दर पं० विद्यावद्धन मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. खूबौ क्षेमपुरन्दर पं० हीरतिलक मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. खेतसी क्षांतिपुरन्दर पं० क्षमाधीर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. वीरचंद। विवेकपुरन्दर पं० रंगविलास मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० पं. जयचन्द युक्तिपुरन्दर पं० रंगविलास मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. रूपौ ऋद्धिपुरन्दर पं० प्रीतिमन्दिर मुनेः शि०, जिनभद्रशा० पं. वछीयो सुमतिपुरन्दर पं० सुमतिभक्ति मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. पदमचन्द पुण्यपुरन्दर जिनभद्रसूरि शाखायां उदयपुर पं. सीताराम सत्यपुरन्दर जिनभद्रसूरिशा० ॥सं० १८९३ वर्षे शाके १७५८ प्रवर्त्तमाने ज्येष्ठ बदि ६ चन्द्रवारे शतभिषा नक्षत्रे विजय मुहूर्ते श्री पालीताणा महानगरे श्री सिद्धगिरि शाश्वत तीर्थे जंगम युग प्रधान भट्टारक श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः द्वितीया 'उदय' नन्दि कृता २॥ संघ मध्ये ॥ पं. अमरौ अमरोदय ५० क्षमाविलास मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. माणको माणिक्योदय उ० भीमभद्र गणः शिष्य, जिनरत्नशा० १. जूनागढे २. कोटै रा ३. सं० १८९९ वर्षे आ. सु. ५ कुजवारे भ० श्री जिनमहेन्द्रसूरिजी उदयपुर नगरे, तत्र पाली वास्तव्य चन्द्र गच्छीय पं० ताराचन्दजी तत्शिष्य पं० पदमचन्द ने श्री जी उपदेशात् खरतर भट्टारक गच्छ माहे आयो, आगे सं समाचारी आज्ञा आदेश श्री जिन महेन्द्रसूरिजी रो प्रमाण करसी । इणरी शाखा श्री जिनभद्रसूरि में स्थापन कीयो॥ ४. ॥सं० १८९९ रा ज्येष्ठ सुदि १ दिने श्री धुलेवा नगरे श्री केशरियानाथजी अग्रे जं० यु० भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरिजी पार्श्वे माधोपुर वास्तव्य पचांण आचार्य गच्छे पं० सीताराम पं० गेनचन्द अमरचन्द सिरी किसनादि श्रीजी उपदेशात् सपरिवार सहितेन वृहत्खरतर गच्छ माहे आया। बड़ी दीक्षा लीनी । वासक्षेप श्रीजी कनै लीनौ । आगे सुवृहत्खरतर गच्छ रा साधु छ। श्री जिनमहेन्द्रसूरिजी री आज्ञा प्रमाण करसी, हुकम राखसी । इणां री साखा जिनभद्रसूरि छै। सही, ॥ दसकत पं० सीताराम ज्ञानचन्द का छै, ऊपर लिख्यौ सो सही छै॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. लखमौ लावण्योदय वा० माणिक्यशेखर गणेः, जिनरत्नशा० पं. नैणसी नयनोदय वा० माणिक्यशेखर गणेः जिनरत्नशा० पं. माणकौ! महिमाउदय पं० प्र० जीतरंग गणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. नेमौ ज्ञानोदय पं० लक्ष्मीसिंधुर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. मोती मुक्तिउदय पं० पद्मरुचि मुनेः शिष्य, क्षेमशा० भावनगरे पं. मानौ मानोदय । पं० हिम्मतप्रिय मुनेः शिष्य, क्षेमशा० , पं. जीवौ यूक्तिउदय पं० तिलकहस मुनः शिष्य, क्षेमशा० , पं. लखमौ लाभोदय पं० तिलकहस मुनेः शिष्य, क्षेमशा० , पं. दीपचन्द ज्ञानोदय पं० लक्ष्मीसिंधुर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. रतनौ रत्नोदय पं० लक्ष्मीसिधुर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. सुखौ सत्योदय वा० अमरसिन्धुर गणः पौत्र, क्षमशा० पं. धनौ धर्मोदय पं० राजानन्द मुनिः शिष्य, पालीताणी पं. गोर्द्धन ज्ञानोदय पं० राजानन्द मुनिः शिष्य, पं. अमरौ आन-दोदय जिनभद्रशा० पं. कनीराम कनकोदय वा० चारित्रविजय गणिः पौत्र, सागरचन्द्रशा० प. भाईचन्द भक्तोदय पं० ज्ञानसिन्धुर मुनेः शिष्य, क्षेमकीत्तिशा० पं. हेमराज हर्षोदय पं० गुणमेरु मुनेः शिष्य, जिनचन्द्र० शा० पं. सकलचन्द शान्ति उदय वा० सत्यभद्र गणिः शिष्य, क्षेमशा० पं. जीणदास युक्तोदय वा० सत्यभद्र गणिः शिष्य, क्षेमशा० पं. चन्द्रमाण चारित्रोदय पं० नयमेरु मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० न्यायसागर शिष्य चि. हरखौ? हिमतोदय पं० गजानन्द मुनेः पौत्र, जिनसुख० शा० चि. रतनौ रंगोदय पं० गजानन्द मुनेः पौत्र, जिनसुख० शा० चि. बलदेवौ वर्द्धनोदय पं० क्षमामेरु मूनेः पौत्र, जिनसख० शा० पं. मोहण!0 मानोदय पं० लक्ष्मोमेरु मुनेः पौत्र, जिनसुख० शा० पं. नैणौ। ज्ञानोदय पं० मुक्तिसागर मुनेः पौत्र, जिनसुख०शा० घाणेराव रौ श्रावक सांमावत भाव सुदीक्षा लीवी, भावनगर मध्ये बड़ी __ दीक्षा हुई। २. सूरतबिंदरे ३. अहमदाबाद ४. मन्दसौर सं० १९०० ज्येष्ठ सुदि १३ ५. ६. पाली मध्ये ७.६. ९. १०.११. नागौर मध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ खरतर गच्छ दीक्षा नदी सूची पं. भीमौ! भाग्योदय उ० क्षमाकल्याण संतानीय संवेगो पं० राजसागर मुनेः शि० पं. आणंदराम अमृतोदय पं० धनसुन्दर मुनेः प्रपौत्र, क्षेमशा० ॥सं० १८९७ वर्षे शाके १७६२ प्रमिते मिती ज्येष्ठ सुदि ५ गुरुवासरे जं० यु० भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः तृतीय 'सुन्दर' नन्दिः ३ कृता श्रीमज्जेशलमेरु नगरे । प. मीठियौ माणिक्यसुन्दर पं० तीर्थमन्दिर मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. अमोलख अमृतसुन्दर पं० ज्ञानविलास मुनेः शिष्य, क्षेमशा० उ० शिवचन्द गणेः पौत्र पं. फतीयो प्रीतसुन्दर पं० विवेकमत्ति मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. गणेश गुणसुन्दर पं० जीतरग गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. गिरधारी ज्ञेयसुन्दर पं० जीतरंग गणः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. देवराज' दयासुन्दर वा० माणिक्यहंस गणेः प्रपौत्र, जिनभद्र ०शा० कस्तूरचन्द कनकसुन्दर उ० राजसागर गणेः पौत्र, क्षेमधाड़ शा० पं. गुलाबो ज्ञानसून्दर उ० राजसागर गणेः प्रपौत्र, क्षेमधाडशा० पं. पूनमौ प्रेमसुन्दर उ० राजसागर गणेः पौत्र, क्षेमधाडशा० पं. विज्जौ10 विवेकसुन्दर उ० आणंदरत्न गणेः पौत्र, जिनचन्द्र० शा० पं. अगरौ11 अमरसुन्दर पं० पद्महंस गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. फत्तौ। प्रेमसुन्दर वा० माणिक्यहंस गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. नन्दी13 नयसुन्दर पं० लक्ष्मीवर्द्धन मुनेः पौत्र, जिनरत्नशा० देवकिसन4 दानसुन्दर पं० लक्ष्मोवर्द्धन मुनेः पौत्र, जिनरत्नशा० पं. रामौ15 रंगसुन्दर पं० लक्ष्मीवद्धंन मूने: पौत्र, जिनरत्नशा० पं. हरदेव हषसुन्दर पं० लक्ष्मीवर्द्धन मुनेः पौत्र, जिनरत्नशा० १. पाली मध्ये २. सीतामऊ ३. सं० १८९७ फा. सु. ७ ४. जेसलमेरु मध्ये ५. ६. सं० १८९८ वै. सु. २ जेसलमेरु मध्ये । ७. ८. ९. सं० १८९८ आ. सु. फलौदी मध्ये १०. फलौदी मध्ये ११. मि. ब. ९ फलौदी मध्ये १२. खीचुंद मध्ये । १३. १४. १५. १६. सं० १८९९ वै. व. ११ मडोवर दुर्गे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १०९ पं. जीतू जैतसुन्दर वा० अमृतमेरु गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं, रीधौ। रंगसुन्दर उ० क्षमाकल्याण गणेः, प्रपौत्र, जिनभक्ति० पं. रामौ राजसुन्दर पं० पुण्यपुरन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. ग्येनौ गृणसून्दर पं० सत्यपुरन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा. पं. मानौ महिमासुन्दर पं० हर्षकुशल मुनेः पौत्र, जिनरत्नसूरिशा० पं. ओटौ आनन्दसुन्दर पं० सुमतिवर्द्धन पौत्र, जिनसुखसूरि शा० पं. दीपौ० दानसुन्दर श्रीजिताम् भाव दीक्षित, पं. फरसौ' पेमसुन्दर श्रीजिताम् । पं. दोलो दयासुन्दर पं० अमृतउदय मुने: शिष्य, क्षेमशा० पं. खूबचन्द क्षमासुन्दर पं० अमरतिलक पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं० मानसिंह शिष्य पं. रामचन्द्र रंगसुन्दर पं० क्षमानिलक शिष्य, क्षेमशा० पं. वेणीचन्द11 विवेकसृन्दर पं० लाभतिलक मुनेः शिष्य पं. सदासुखार सुगुणसुन्दर पं० गुणभद्र मूने: पौत्र, जिनभद्रशा० पं. गुलाबी13 गुप्तसुन्दर पं० लाभतिलक मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. हेमराज हर्षसुन्दर पं० लाभतिलक मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. ताराचन्द15 त्रैलोक्यसुन्दर वा० पुण्यधर्म गणेः प्रपौत्र, जिनभद्रशा० पं. हंसराज18 हर्षसुन्दर पं० गुणमेरु मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. माणकौ17 माणिक्यसुन्दर पं० छत्रतिलक मुनेः शिष्य पं. चीमनौ8 चारित्रसुन्दर उ० विद्यासमुद्र गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. हीरौ19 हितसुन्दर वा० विद्यावर्द्धन गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० १. पाली मध्ये २. उदयपुरे ३. माधवपुरे ४. ५. सं० १८९९ मि. सु. ४ उदयपुरे ६. उदयपुरे सं० १८९९ मि. सु. १० ७. मन्दसोर मध्ये सं० १८९९ जे सु. १३ ८. सीतामऊ ९. जावर १०. खाचरोद सं० १९०० ज्ये. सु १३ मन्दसौर मध्ये ११. शिलाण क्षेमशोखा आ. सु. १४ खाचरोद १२. खाचरोद मध्ये सं० १९०० मि ब. ६ १३. श्रीरतलाम मध्ये सलाण रा सं० १९०० १४. सं० १९०१ फा ब. १ १५. शिवाणची जाबरै दीक्षा हुई सं० १९०० माघ सुदि १६. मन्दसौरवासी १७. सुखेड़ा रा १८. सं० १९०५ चै. सु १५ मन्दसौर १९. नांद 'कीत्ति' री कृपा से सुन्दर री दीवी सं० १९०६ चैत सुदि ५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥सं० १९०० रा वर्षे शाके १७६५ प्रमिते मिती प्राषाढ सुदि ११ भगुवासरे जं० यु० भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः चतुर्थी 'कोत्ति' नन्दिः कृता । श्री खाचरोद नगरे । पं. गुलाबो ज्ञानकीति वा० अमरभद्र गणेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. देवराज दयाकीति श्रीजिताम् । पं. भगवानौ भुवनकी ति पं० क्षमातिलक मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. सुगालो सुगणकीत्ति पं० सुमतिभक्ति मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. शिवचन्द सौभाग्यकोत्ति वा० मुनिप्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. मांणो महिमाकीत्ति पं० प्र. सत्यधीर मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. जमरूपौ जयकीत्ति पं० सुगणानन्द मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. ज्ञानो' गुणकीति पं० हेमविलाश मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. भीमो भाग्यकत्ति पं० प्र. रत्नधीर मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. मयालो' मानकीत्ति पं० विवेकसुन्दर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. सरूपौ० सुख कीनि ५० लक्ष्मीतिलक मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. रायचन्द रत्नकीत्ति पं० रूपराज मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. बालचन्द12 विवेककीत्ति पं० कनकविजय गणेः पौत्र, जिनलाभशा० पं. शोभाचन्दसुम्बकीत्ति पं० हितप्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. श्रीचन्द सदाकीत्ति पं० हितप्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. विरधौ15 विनयकीत्ति पं० हितप्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. माणौ महिमाकीत्ति पं० विवेकसुन्दर शिष्य, क्षेमशा० पं. मोती माणिक्यकोत्ति पं० लावण्यतिलक मुनेः शिष्य १. २. खाचरोद मध्ये ३. सं० १९०० आ. सु. ११ ४. श्रीखाचरोद मध्ये ५. खाचरोद मध्ये सं० १९०० रा मि. ब. ५ हाथी वाला ६. ७. रतलाम मध्ये सं० १९०१ ८. रतलाम ९. सलाण सं० १९०१ का. ब. १ १०. वखतगढ ११. इन्दौर मध्ये १२. काशीनगर १३. १४. जालौर १५. सं० १९०३ पो. ब. ६ भोपाल १६. सलाण रा वासी १७. खाचरोद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १११ पं. गंगी गुणकीति उ० विद्यासमृद्र गणेः पौत्र, जिनभक्ति० संतानी पं. रामो राजकीत्ति वा० मुक्तिसिन्धुर गणेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. कस्तूरो' कनककीर्ति वा० मुक्तिसिन्धुर गणेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. नवलौ न्यायकत्ति पं० गुप्तसुन्दर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. परतापौर पदमकीत्ति पं० पुण्यपुरन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. कल्याणी कुमुदकीत्ति उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. चिमनी चारित्रकीत्ति पं० मुक्तिसागर पौत्र, जिनसुखसूरि संतानीय पं. हीरीयो हर्षकीति पं० अमरतिलक मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. प्यारीयो पदमकीत्ति पं० क्षमातिलक मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. गम्भीरौ गुणकोत्ति पं० अमृतउदय मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. रामौ राजकीत्ति पं० ऋद्धिहंस मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. रामचन्द राजकीत्ति पं० अमृतकलश मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं० इन्द्रभाण मुनेः शिष्य पं. हेमराज' हर्षकीत्ति पं० दयानन्द मुनेः शिष्य, जिनराजसूरि शा० पं. मनसुख० महिमाकीत्ति पं० नयनन्दन मुनेः पौत्र, जिनलाभसूरिशा० पं. इन्द्रचन्द। उदयकीत्ति पं० दानसुन्दर गणिः, जिनमहेन्द्रसूरि पं. ऋषभौ ऋद्धिकीत्ति उ० आनन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. मेघराज! महिमाकीत्ति श्रीजिताम्, वाराणस्यां मध्ये पद स्थापना हुई ॥सं० १९०६ मि० वैशाख बदि ७ रविवारे जं० यु०प्र० भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः ५ 'कल्याण' नन्दिः कृता श्री भोलाड़ा मध्ये ॥ पं. मोती महिमाकल्याण पं० दयानन्द मुनेः पौत्र, जिनराजशा० पं० हर्षकोत्ति शिष्य १. मालवै सं० १९०४ २. पिपलौदे ३. पाली ४. जावरा ५. खाचरौद ६. सं० १९०४ सीतामऊ ७. उदयपुर ८. श्री भाणपुरा मध्ये सुणेलवास्तव्य सं० १९०५ मि. व. ७ भगी ९. चित्तौड़ मध्ये १०. मोहनपुरा आरामे ११. सं० १९०७ आषा. सु. १ १२. सं० १९१५ मि.द्वि. ज्येष्ठ सुदि १० चन्द्र काशीनगरे नन्दिमहोत्सवेनाचार्य पदस्थापनं संजातं भट्टारक थया। वर्तमान नांद 'कल्याण' री थी पिण कृपा कर 'कीति' री नांद दीवी मि० ज्ये० सुदि ५............११ काश्यां........... .........."सम्मेत शैले मिती फाल्गुन सुदि १ सं० १९०७ वर्षे जाता। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. हीरौ हर्षकल्याण पं० प्रीतिमन्दिर मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं० महिमाविनय शिष्य पं. रामौ रंगकल्याण पं० सुगुणभद्र मुनेः पौत्र, जिन भद्रशा० पं. रामौ रत्नकल्याण पं० प्रीति मन्दिर मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं० ऋद्धिपूरन्दर शिष्य । पं. माणौ महिमाकल्याण पं० महिमाविनय मूने : पौत्र, जिनभद्रशा० पं. अमरो अभय कल्याण पं० सत्यपुरन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. मोती4 मेरुकल्याण पं० सालभद्र मुने: पौत्र, जिनभद्रशा० पं० परमसुख मुनेः 'शष्य पं. मनसुख मेस्कल्याण पं० ज्ञानकल्लोल मुनेः शिष्य, जिनलाभशा० पं. रामौ. रत्नकल्याण वा० ज्ञानप्रमोद गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. जशो . जय कल्याण पं० राजमन्दिर मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. गंगू गुणकल्याण पं० गुणभद्र मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. गोपाल ज्ञानकल्याण पं० युक्तिमेरु मुनेः पौत्र, पंजाबी कीत्तिरत्न पं. दोलौर सुमतिकल्याण महो० सुमतिभक्ति गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० ॥भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिजिद्भिः कृपया 'कल्याण' नन्दिता परं वर्तमान नन्दिस्सुखस्येति ज्ञातव्यं, मिती चंत दि ३ मधुवन शिखरे । पं गुलाबचन्द ज्ञानकल्याण वा० ज्ञानप्रमोद गणिः पौत्र, क्षेमशा० ॥सं० १९०७ मि० द्वि० वैशाख सुदि ४ बुधे दिने श्री जयनगर मध्ये जं० यु० भ० श्री जिनमहेन्द्रसूरिजी पार्वे राधोगढ वाला वृहत् खरतर भट्टारक गच्छ रा पं० प्र० परमसुखजी रे नावें उणां री प्राजीविका ऊपर विज गछ रो साधु पं० मोतीचन्द नै उणारे चेलो कीधा, बड़ी दीक्षा दीधी सो हमें वृहत्खरतर भट्टारक गच्छ री मर्यादा साचवसी। इणां री शाखा श्रीजिनभद्रसूरि, बजरंगगढ़ ॥ ५. शिखरगिरि मधुवने १. २. ३. कोटा रामपुरा में .. ४. माधुपुर ६ काशी मध्ये सं० १९११ ज्येष्ठ सुदि ५ गुरु पुष्य । ७. श्री वाराणस्यां सं० १९१८ मि० का० सु. ५ ८. सं० १९०७ व । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ११३ ॐ श्री जिनमुक्तिसूरि के ॥श्री गौतमस्वामिने नमः ॥ श्रीजिनकुशलसूरिसद्गुरुभ्यो नमः ॥ सं० १९१५ वर्षे श के १७८० प्रमिते मिति द्वितीय ज्येष्ठ सुदि १० तिथौ चन्द्रवासरे श्री सर्योदयादिष्ट घटयः १६ पल ३० समये श्री वणारस नगरे लखणेउ वास्तव्य राजा बछराज जी हजारीमल्लजी नाहटा तथा श्री वणारस श्रीसंघ, श्रीमिरजापुर श्रीसंघ, लखणउ गांधी गुलाबचन्दजी छोट्टनलालजी कृत नन्दी महोच्छवेन जंगम युगप्रधान भट्टारक श्रीजिनमुक्तिसूरीणां पट्टाभिषेको बभूव, तत्समये प्रथमः श्रीमद्भिः 'सुख' नन्दी कृता ।। पं. केशरीचन्द कनकसुख वा० रत्नशेन गणेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. सुखलाल सुमतिसूख वा० मानहंस गणेः पौत्र, जिनराज शा० पं. किशनौ कमलसुख पं० सत्यमाणिक्य मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. संतोषौ सदासुख पं० सत्यमाणिक्य मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. ग्यानचन्द ग्यानसुख उ० राजसागर गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. गूणचन्द गुणसूख उ० राजसागर गणेः पौत्र, जिनलाभ शा० पं. दलीचन्द दानसुख पं० गुणसार मुने: पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं० क्षमाविमल शिष्य पं. कस्तूरचन्द कीत्तिसुख पं० हस्तप्रिय मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. देवीचन्द दयासुख पं० आनन्दहर्ष पौत्र, जिनचन्द्र शा० पं. पुनिमचन्द प्रेमसुख पं० ऋद्धिशेखर मुनेः पौत्र, जिनसुख शा० पं. शोभाचन्द सौभाग्यसुख पं० अगरचन्द मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० पं. मयाचन्द मनसुख पं० जीतविजय मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. धर्मचन्द धनसुख पं० क्षमासमुद्र मुनेः पौत्र, जिनभद्र शा० पं. खूबचन्द क्षमासुख पं० विजयभद्र मुनेः पौत्र, जिनरत्न शा० पं. रूपचन्द राजसुख पं० सत्य पुरन्दर मुनेः पौत्र पं. सकलचन्द सुमतिसुख पं० जयशेखर मुनेः पौत्र, जिनचन्द्र शा० १. २. वणारस मध्ये ३. लखणेउ मध्ये सं० १९१९ चै. ब ६ ४. कोटा रामपुरा मध्ये १९२० मि. पो. सु. ८ ५. सवाई माधोपुर मध्ये Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. दीपचन्द दयासुख पं० ज्ञानविशाल मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. विनयचन्द विनयसुख पं० ज्ञानविशाल मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. छोगमल्ल छत्रसुख वा० सुखशील गणेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. धनराज धर्मसुख प० हर्षकल्याण मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. हरचन्द हर्षसुख पं० अभयकल्याण मूने:: पौत्र, जिनभद्रशा० पं. सुगुणचन्द शांतिसुख पं. पुग्मिचन्द पद्म सुख पं० जीतविजय गणेः प्रपौत्र पं. सरूपचन्द सर्वसुख पं० वृद्धिविनय मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. चुन्नीलाल चारित्रसुख वा० सुखशील गणे: पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. रामचन्द रत्नमुख वा० मानहस गणेः पौत्र, जिनराजशा० पं. रामचन्द राजसुख वा० सत्यमाणिक्य गणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. गम्भीरो गेयसुख वा० रत्न शेन गणेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. धनसुख धर्मसुख उ० आनन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जनक्तिशा० पं. सांवतसी सत्यसुख उ० आनन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. पूनमो पुण्यसुख पं० कीतिसागर शिष्य, क्षेमशा० ॥ सं० १९२० वर्षे शाके १७८५ प्रवर्तमाने मासोत्तम मासे फाल्गुनि मासे शुभे शुक्ल पक्षे ३ तिथौ गुरुवासरे जं० यु० भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः द्वितीया 'प्रधान' नन्दी कृता बून्दी मध्ये ॥ पं. प्रतापचन्द पुण्यप्रधान पं० प्रीतिविनय पौत्र, जिनसुखशा० पं. मुनीराज मतिप्रधान पं० कल्याणमन्दिर मुनेः शिष्य, जिनरत्नशा० पं. बालचन्द विवेकप्रधान पं० अक्षय मन्दिर मुने: शिप्य, जिनरत्नशा० पं. केशरीचन्द कनकप्रधान पं० अमरविनय मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. कस्तूरचन्द कीत्तिप्रधान पं० अमरविनय मुनेः शिष्य, क्षमशा० पं. रामचन्द' कीत्तिप्रधान पं० चन्द्र तिलक मुनेः शिष्य, जिनरत्नशा० १. बून्दी मध्ये २. अजमेर सं० १९२१ वै. सु. १० ३. १९२२ मिगसर सुदि ७ विजय योगे ४. नागौर सं० १९२१ मि. ज्ये. सु. ५ गु. ५६ जोधपुर मध्ये ज्ये. सु ११ गु. ७. आ. ब. ४ . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. बलदेव 1 विनयप्रधान पं. नथमल नयप्रधान पं. सुखो सुखप्रधान पं. दीपौ दयाप्रधान थानप्रधान दानप्रधान सोमप्रधान पं. थान पं. देवी पं. सोभाग पं. कर्मचन्द कुशलप्रधान पं. केशरीचन्द' कमलप्रधान पं. धनो 10 पं. लाधो 11 धर्मप्रधान लब्धिप्रधान प. कुनणमल 12 कुशलप्रधान पं. दलीचन्द 1 3 दयाप्रधान पं. रतनु 14 रत्नप्रधान पं. ज्ञानानन्द 15 ज्ञेय प्रधान पं. चिमनौ पं. तिलोकौ पं. मेघो 16 पं. पन्नो17 पुण्यप्रधान पं. डाल्यो 18 राजप्रधान पं. वगतौ 18 उ० मानवर्द्धन पौत्र, जिनरत्नशा० उ० मानवर्द्धन पौत्र, जिनरत्नशा० Jain Educationa International पं० रत्नराज मुनेः शिष्य, जिनभक्ति शा० पं० रत्नराज मुनेः शिष्य, जिनभक्ति शा० पं० रत्नराज मुनेः शिष्य, जिनभक्ति शा० उ० हर्षकल्याण गणेः पौत्र, जिनदत्तशा० जिनदत्तशा० पं० ऋद्धिपुरन्दर मुनेः पौत्र, पं० विनयलाभ मुनेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं० नित्यभद्र मुने: पौत्र, कीतिरत्नशा० पं० चारित्रसागर मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं० युक्तिपुरन्दर शिष्य, जिन भद्रशा० श्रीजिताम्, भावदीक्षितः पं० कीर्तिसागर मुनेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं० पुण्यसुख मुनेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं० क्षान्तिभक्ति मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० उ० कल्याणमन्दिर गणेः पौत्र चारित्रप्रधान तिलकप्रधान उ० कनकविजय गणेः पौत्र, जिनसुखशा ० महिमाप्रधान पं० पद्महंस मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं० पद्महंस मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० श्रीजिताम् विवेकप्रधान पं० राजमन्दिर मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० १. जोधपुर ४. ५. आ. ब. ७ जोधपुर ९. सं० १९२१ ज्ये. ब. १४ १०. श्री योधपुरे, बीलाड़ा वास्तव्य, सं० १९२८ आषाढ सु. २ ११. जूनागढे सं० १९२८ प्र. भा. सु. १५ १२. जेसलमेर मध्ये सं० १९२८ पो. सु. ११ १४. श्री दुर्गे सं० १९३० ज्ये. सु. ३ १६. १७. श्री दुर्गे सं० १९३० मि. ब. १३ १९. सं० १९३० मि. ब. १३ ११५ २. १९२१ आ. ब. ४ ६. ७. कोटे रा ३. आषाढ ब. ७ ८. जयपुर For Personal and Private Use Only १३. खीचन्द वा ० १५. सं० १९३० असो० सु० १० १८. सं० १९३० मि. ब. १३ Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. करणीयौ कनकप्रधान पं० अभयमाणिक्य मुनेः शिष्य, जिनलाभशा० पं. लालो लक्ष्मीप्रधान पं० दयाभद्र मुने: पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. मोहणीयो' माणिक्यप्रधान पं० भक्तिमाणिक्य मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. सभीयो सत्यप्रधान पं. भक्तिमाणिक्य मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. इन्द्रचन्द इन्दुप्रधान पं० मनसुख मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. इन्द्रचन्द इन्द्रप्रधान पं० पनेचन्द वा० दयासुख गणेः पौत्र ॥सं० १९३२ रा वर्षे शाके १७९७ प्रवर्तमाने मासोत्तम मासे वैशाख मामे शुभे शुक्ल पक्षे ३ तिथौ शनिवासरे जं० यु० प्र० भ० श्रीजिन मुक्तिसरिभिः तृतीया 'रत्न' नामि नन्दी कृता, श्री जेसलमेरु मध्ये । पं. दुग्र्गो दयारत्न पं० विवेकरुचि मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. चोथीयो चैनरत्न पं० प्रेमसुन्दर मूनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. विनचन्द विनयरत्न पं० अखयरुचि पौत्र, जिन चन्द्र शा० पं. विनचन्द विवेकरत्न वा० क्षमाविलास गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. गुलागे10 ज्ञेयरत्न पं. जयरत्न गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. वगतो- विमलरत्न पं० धनसुख मुनेः शिष्य पं बधौ विबुधरत्न पं. चारित्रविमल शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. सोभागो। सौभाग्यरत्न श्रीजिताम् पं. शिवौ शान्तिरत्न श्रीजिताम् पं. मेघराज15 महिमारत्न पं० जेतसुन्दर मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. खीमो क्षमारत्न पं० लाभसागर मुनेः, जिनभद्रशा० पं० महिमाकीत्ति शिष्य पं. वेनीयो" ज्ञानरत्न वा० धनसुख शिष्य, जिनभद्रशा० नोट :-यहाँ तक की नन्दियें दफ्तर में रखे एक पत्र में 'कुजर' नन्दि लिखा है। १. सं० १९३० जेसलसेरु २. ३. सं० १९३१ मा. सु. १० श्री दुर्गे ४. यशोल ५. वासथोभ ६. ७. सेत्राव ८. फलोधी सं० १९३४ थोभ में ९. सिवाणची सं० १९३३ रा १०. श्रीदुर्गे सं० १९३३ रा ११. श्रीदुर्गे सिवाणची १२. पंचपदरा मध्ये सं० १९३१३. १४. श्री कोटड़ा मध्ये सं० १९३५ रा चैत्र १५. बीलाड़े वा० १६. गुढ़ा म० हाडेनो वा० १७. काणाणो चवाणची वा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. सवाई सुखरत्न पं० धर्मशेन मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. वनौ विशालरत्न उ० प्रेमविनय गणेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. वरधो वृद्धिरत्न पं० पद्महंस मुने: पौत्र, जिनभद्रशा० पं० सत्यविनय शिष्य पं. जगतचन्द्र जयरत्न पं० क्षेमविनय पौत्र, जिनभद्रशा० पं० अमरसुन्दर शिष्य पं. कर्पूरचन्द्र कनकरत्न पं० लब्धिप्रधान शिष्य जिन भद्रशा० पं० युक्तिपुरन्दर पौत्र पं. हुकमचन्द' हर्षरत्न पं० तिलकहंस पौत्र पं. मोतीचन्द मुक्तिरत्न पं० कुशलचन्द शिष्य, मेरुधर्म प्रपौत्र, पं० सारंग मुनेः पौत्र पं. कल्याणशिव' कनकरत्न पं० रंगजी पौत्र, ज्ञानकमल मुनेः प्रपौत्र पं. जगतचन्द जयरत्न उ० हर्षकल्याण गणेः पौत्र, पं० महिमाकल्याण शिष्य पं. शिवचन्द' शान्तिरत्न उ० हर्षकल्याण गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० म० जिनदत्तसूरि सतानीय, पं. मयाचन्द10 मेरुरत्न पं० क्षमासुन्दर पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं० हर्षकीत्ति शिष्य पं. नेमिचन्द नयरत्न पं० लाभतिलक पौत्र, क्षेमशा० पं० विवेकसुन्दर शि० पं. रतीचन्द12 राजरत्न पं० क्षमासुन्दर मुनेः पौत्र, जिन चन्द्र शा० पं० हर्षकोत्त शि० पं. रामलाल ऋद्धिरत्न जिनभद्रसूार शा० उपदेशात् श्रीमुखात् पं. किशनचन्द13 कल्याणरत्न उ० विवेककीत्ति शि० रूपचन्द पौत्र १. जयपुर मध्ये सणधरी वा० सं० १९३६ रा २. ३. चाणोदवा० जयपुर मध्ये १. जूगगढ सं० १९३६ फा. ब. ६ जयपुर मध्ये ५. सं० १९४० जयपुर मध्ये ६, मुदरा ग्रामे कच्छ देशे ७. ग्राम कपाया कच्छदेश सं० १९४० जयपुर ८. अजमेर मध्ये ९. कोटा वा० १०. जावरा ११. सल्लाणा वास्तव्य १२. जयपुर मध्ये १३. वणारस वास्तव्य सं० १९४२ रा प्रा. सु. १. रविवासरे जयपुरमध्ये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥ सं० १९४३ वर्षे शाके १८०८ प्रमिते मिती पाश्विन शुक्ल विजयदशम्यां तिथौ गुरुवासरे जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः चतुर्थी 'प्रानन्द' नन्दी कृता श्री सवाई जयपुर मध्ये ॥ पं. मीठालाल महिमानन्द वा० रंगसुन्दर पौत्र, क्षेमशा० पं. किशनचन्द कृष्णानन्द पं० दयासुन्दर पौत्र, जिनभद्रशा० पं. रतनसिंह रत्नानन्द पं० रूपचन्द शिष्य, जिनभद्र शा० पं० जयचन्द पौत्र, जिनरत्न संतानीय पं. गिरवाणचन्द ज्ञानानन्द पं० महिमाकीति पौत्र, क्षेमशा० पं० विवेकसून्दर शि० पं. हीराचन्द पं० माणिक्योदय शि०, जिनरत्न० संतानीय उ० भीमभद्र प्रपौत्र पं. प्रेमराज पं० माणिक्योदय शि०, जिनरत्न० संतानीय उ० भीमभद्र प्रपौत्र पं. कृष्णौ पं० माणिक्योदय शि०, जिनरत्न० संतानीय उ० भीमभद्र प्रपौत्र,जिनभद्रशा० पूनमचन्द पं० धर्मोदय मुनेः शिष्य, पं० राजानन्द मुनेः पौत्र पं. पूनमचन्द पूर्णानन्द उ० देवीचन्द पौत्र, सदाकीत्ति शि०, क्षेमशा० पं. गम्भीरो? गजानन्द । पं० कनककीत्ति मुनेः शि०, कीतिरत्नशा० पं० सुखशील गणेः पौत्र, (पं० कनककीत्ति मुनि के कहने से) पं० चारित्रसुख गणेः पौत्र प. सरूपचन्द सदानन्द वा० विनयविमल गणेः पौत्र, पं० सुमतिसुख शि०, पं. रामचन्द्र रामानन्द उ० हर्षकल्याण गणेः प्रपौत्र, जिनभद्रशा० पं० महिमाकल्याण पौत्र, ज्ञेयसुख शि०, १. खाचरोद २. सेत्रावै ३. आ. ब. ४ सवाई जयपुर मांडवी वास्तव्य ४. सल्लाणी ५. कच्छ देशे मांडवी वास्तव्य सं० १९४४ रा आ. सु. ८ जयपुर मध्ये ६. जालोर वा० सं० १९४५ जयपुर ७. सं० १९४६ जयपुर ८. सं० १९५२ माह बदि १२ रतलाम मध्ये श्री हजूर रैवास अजमेर ९. सं० १९५२ माघ बदि १२ रेवास कोटै Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ११९ पं. दयाचन्दा देवानन्द वा० हीराचन्द पौत्र, क्षेमकीर्तिशा० पं० खूबचन्द शिष्य पं. कस्तूरो कनकानन्द वा० रामचन्द पौत्र, क्षेमशा० पं० भुवनकीत्ति मुनेः शिष्य पं. देवीचन्द दयानन्द पं० इंद्रभाण पौत्र, शिष्य गजकोत्ति मनः पं. सागर सत्यानन्द पं० हेमराज पौत्र, क्षेमशा० पं० हर्षकीत्ति शि० पं. खेमो क्षमानन्द पं० गुणमेरु मुनेः प्रपौत्र, जिनचन्द्रशा० पं० हर्षसुन्दर शि० पं. मोतीचन्द मेघानन्द पं० अमृतादय मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं० दयासुन्दर शि० ।। सं० १९५५ वर्षे शाके १८२० प्रमिते मिति फाल्गुन कुष्ण ५ तिथी गुरुवासरे जं० यु० प्र० म० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः पंचमी 'राज' मन्दी कृता श्री आहोर नगरे, श्रीरस्तु, कल्याणमस्तु । पं. सरूपौ' सत्यराज पं० चारित्रविमल मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. मिलापौ माणिक्यराज उ० हर्षसुन्दर गणेः शि०, जिनसुख० संतानीय पं. रतनो रत्नराज उ० हषसुन्दर गणेः शि०, जिनसुख० सतानीय पं. पूनमौ पूण्यराज उ० दयालाभ गणेः पौत्र, क्षमशा० पं. रतनौ रत्नराज पं० तीर्थराज मुनेः शि०, क्षेमशा० पं. इंद्रचन्द पं. अमोलख अमृतसुन्दर १. सं० १९५ माघ सुदि ५ सोमवारे रतलाम नगरे । २. सं० १९५२ रा माघ सुदि ५ सोमे खाचरोद रे वासी रतलाम मध्ये । ३. सं० १९५२ माघ सुदि ५ सोमे रतलाम मध्ये सुणेल वास्तव्य ।। ४. सं० १९५२ माघ सुदि ५ सोमे रतलाम मध्ये पीपलोद वास्तव्य । ५. सं० १९५२ माघ सुदि ५ सोमे मन्दसौर वास्तव्य रतलाम मध्ये। ६. सं० १९५२ माघ सुदि ७ रतलाम मध्ये सीतामऊ वास्तव्य । ७. आहोर मध्ये दुदां रै वाडै वास्तव्य ८. नागोरी संधाड़ा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० पं. कल्याणो पं. हंसराज पं० कुमुदकीति पं० हेमधर्म मुनेः || महोपाध्याय बालचन्द गणेः उ० विवेककीर्ति गणेः शिष्य वाचक पं० प्र० गुणचन्द्र गणेः गुणसुख मुनेः ॥ पं. अमरो पं. सुगणचन्द पं. कुनण मल पं. फरसराम साध्वी चन्द्ररिद्धि साध्वी चारित्ररिद्धि खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची ७. पं० अभय कल्याण पं० शांतिसुख पं० कुशलप्रधान मुनेः श्री पं. हुकमचन्द पं० पन्नालाल रा चेला ठाणू ३ रोहिणी नागौर परगने रा मंडाय नं वासक्षेप लीनौ इत्यलभ् शुभम् पं. करणीदान रो चेलो वासक्षेप री पुड़ी लेनं नाम मण्डायो पं. चुन्नीलाल पं. गुलाबचन्द ' शिष्य विनेचन्द रासीसजी बड़ी दीक्षा नाम ज्ञानकल्याण मुनेः * श्री जिनचन्द्रसूरि ॥ सं० १९५७ शाके १८२२ मिती चेत बदि १२ श्री जयपुर नगरे जं० यु० भ० श्री १००८ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः प्रथमा 'विमल' नन्दी कृता ॥ पं. पन्नो विनयविमल पं० ज्ञेय रत्न मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. चुनीयो' चारित्रविमल पं० कनकप्रधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० जिनलाभ संतानीय Jain Educationa International हजूर सायबां रे शिष्य ॥ सं० १९६३ रा वर्षे शाके १८२८ प्रमिते मिती पौष कृष्ण १४ तिथौ भृगुवासरे जं० यु० प्र० वृ० ख० भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः १ 'विमल' नन्दी कृता सवाई जयपुर नगरे || पं. नेमिचन्द्र 10 नेमिविमल वास पाली २. माधोपुर वास थोब ८. जीझणीयाली महो० विवेककीत्ति गणेः, जिनलाभशा० पं० कनकविजय गणेः प्रपौत्र ३. हालां ४. ५. मेड़ते ६. वास चोहटण ९. चोहटण १०. वणारस नगर निवासी For Personal and Private Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १२१ ।। सं० १ ७२ वर्षे शाके १८३७ प्रमिते मिती जेठ सुदि १ वार रवि थोब सं पंचपदरे आयने भेट कीनी, नाम दर्ज करायो । वृहत्खरतर गच्छाधीश्वर श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः || पं. वीरचन्द विनयविमल पं० विनैचन्द शिष्य, वृद्ध दीक्षा प्रदत्ता ।। सं० १६७२ वर्षे शाके १८३७ प्रमिते मिती मागशिर कृष्ण १ तिथौ चन्द्रवासरे जं० यु० प्र० बृ० भट्टारक श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः द्वितीय 'रत्न' नन्दी कृता बाडमेर नगरे, श्री रस्तु । कल्याणमस्तु ॥ ॥ सं० १९७७ रा वर्षे शाके जं० यु० प्र० वृ० ख० भट्टारक दुर्गे खरतरगण शुभम् । पं. वीरौ विवेकरत्न १. ३. पं. विरो पं. गेनो पं. वेलो 4 पं. भीम भानुरत्न पं. तिलोकचन्द त्रैलोक्य रत्न पं० लब्धिप्रधान शि०, जिनभद्रशा० श्रीचन्द मुनेः शि०, जिनचन्द्रशा० विजय गच्छ समाचारी त्यक्त्वा श्री खरतर गच्छ समाचारी अंगी कृता जयपत्तन मध्ये मि० माघ कृष्ण ३ गुरुवारे सं० १९७३ रा । ।। सं० १९७६ मिती मार्गशिर शुक्ल पक्ष ४ श्री जयनगरे ॥ पं. वृद्धिचन्द विवेकरत्न पं० दयासुन्दर मुनेः पौत्र, क्षेमशा ० पं० मेघानन्द मुनेः शि०, विनय रत्न ज्ञेय रत्न विमलरत्न ५. Jain Educationa International प्रपौत्र दानसुख थोब ग्रामे वास्तव्य चोहटण नया गुढा में फा. सु. ३ पं० सत्यराज मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं० कनकप्रधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० जिनलाभ संतानीय पं० कनकप्रधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० जिनलाभ संतानीय १८४२ प्रमिते चैत्र कृष्ण ६ शुक्रवासरे श्रीजिनचन्द्रसूरि विजय राज्ये श्री जालोर पं० पुण्यराज शि०, क्षेमशा० पं० उदयलाभ गणेः पौत्र २. बाडमेर मध्ये, दुधारे वाडे वास्तव्य ४. पो. सु. ११ चन्द्र े, वास्तव्य चोहटण ६. रैवास सीतामऊ For Personal and Private Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नदी सूची * श्री जिनधरणेन्द्रसूरि के ॥सं० २००३ मिती ज्येष्ठ कृष्णा १३ बुधवासरे जं० यु० प्र० ३० भ० श्रीजिनधरणेन्द्रसूरिभिः प्रथम 'चन्द्र' नन्दी कृता श्री सवाई जयपुर मध्ये ।। पं. अरुण प्रेमसुन्दर पं० रायचन्द्र पौत्र, क्षेमशा०, अरुणचन्द्र वृहत दीक्षा जयपुर में "गादी की आज्ञानुसार कार्य करता रहूंगा, आज से आपश्री की खरतर गच्छो गादो की आम्नाय आज्ञा पालन करता रहूंगा। द. यति अरुणचन्द्र मुनेः सही. द. पोते सं० २००३ ज्ये. कृ. १३ बुध । -०-० भाव चारित्र प्रादरयां री विगत सं० १८८८ वैशाख सुदि ३ मेड़ता वास्तव्य सोलंकी रतनचन्दजी पुत्र पीरचन्दजी भार्या सिरूपां, सुमतिवर्द्धनस्य शिष्यणी, पं० चारित्रविनय मुनेरुपदेशात् संजाता 'सिद्धश्री' इति दीक्षा नाम प्रदत्तं । सं० १८८८ पोष बदि २ नागोर वास्तव्य छजनानी वृद्धिचन्दजी कस्य भार्या गुमानी पं० सुमतिवर्द्धनस्यैव शिष्यणी जाता ज्ञानश्रीति नाम कृतं । तदनु-पुहकरण वास्तव्य लूणीया चैनजी भार्या रूपां। सं० १८९३ ज्ये० बदि १० सिद्धगिरौ सिद्धश्रिया उपदेशेन चारित्रं गृहीतं तस्या एवांतेवासिनी संजाता, आभिः सर्वाभिः श्रीविमलाद्रौ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिन महेन्द्रसूरि मुख्यानां निकटे वासो गृहीतः संघवी बाहदरमल्लजित्संघमध्ये चतुर्विध संघ समक्षम् ॥ पश्चात् सं० १८६४ वर्षे आषाढ सुदि १० दिने पाली वास्तव्य धारीवाल खूबचन्दजी पुत्र रुघजी भार्या लाछां कया सिद्ध श्री उपदेशात श्रीसूरिशिरोमणि ज० यु० भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरीणां समीपे पाली नगरे चविध संघ समक्षं महदाडंबरेण भावन संसारानित्यतां विज्ञाय चारित्रं गृहीत्वा सिद्धश्रियाः शिष्यणी जाता श्रीजिद्भिर्लक्ष्मीश्रीति दीक्षा नाम प्रतिष्ठितम् । -०-० १. फलोधी मध्ये दफ्तरी पदारूढ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची सा. मानां सा. वखतू सा. लक्ष्मी ।। सं० १७८३ वर्षे फाल्गुन शुदि ५ भ० श्रोजिनभक्तिसूरिभिः साध्वीनां दीक्षा दत्ता, तनामान्येवम् ॥ सा. भागां सा. मलूकां सा. रतनां सा. लालां सा. फाछू सा. रुक्मिणी सा. माहो सा. वखती ॥ सं० १८०५ वैशाख सुदि ५ श्री जेसलमेरु मध्ये भ० श्रीजिनलाभसूरिभिः ।। सा. जस सा. राई सा. फत्तू सा. अजबां १. ३. साध्वी दीक्षा नन्दी सा. सरूपां सा. अणदो मानसिद्धि विनय सिद्धि लक्ष्मी सिद्धि ।। सं० १८१० मिती मार्गशीर्ष बदि ५ श्री बीकानेर नगरे || सा० जीवसिद्धि री. सा० लावण्यसिद्धि री सा० नैणसिद्धि री सा० रत्नसिद्ध री भक्तिसिद्धि मलूकसिद्धि Jain Educationa International 1001 रत्नसिद्धि लालसिद्धि फर्तसिद्धि रुक्मसिद्धि महासिद्धि विवेकसिद्धि सा० जीवसिद्धि री सा० भामां री सा० जीवा री जयचूला रत्नचुला फूलसिद्धि अमृतलक्ष्मी ।। सं० १८२४ वर्षे वंशाख सुदि ३ उदयपुर नगरे |: सरूपसिद्धि अमृतसिद्धि सा० भावसिद्धि री सा० नेणसिद्धि री. सा० मलूकसिद्धि री सा० विनयसिद्धि री सा० वीरचूलायाः सा० वीरचूलायाः सा० राजसिद्धि री सा० रूपलक्ष्मी रो सं० १८१० जेठ सुदि १५ श्री देशनोक मध्ये सं० १८२१ वैशाख सुदि ३ तलवाड़े ४ सं० १२३ २. दशवाणीयै रे खण री १८२५ पुड़ी ३ साथे दीधी For Personal and Private Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सा. फूलां। पुष्पशोभा सा० दीपशोभा री सा. वखती विनयसिद्धि सा० रत्नसिद्धि री ॥सं० १८२५ बर्षे मिती पोष सुदि ७ भूभा दड़ा ग्राम मध्ये ॥ सा. अख अक्षय सिद्धि सा० लावण्यसिद्धि सा. कुशली कुशललक्ष्मी सा० रूपलक्ष्मी री सा. जीवी जयसिद्धि सरूपसिद्धि री ॥ सं० १८३० फाल्गन कृष्णा द्वितीयायां श्री पालीतारणा मध्ये श्री जिनलाभसूरिभिः ॥ सा. फूलां फूलसिद्धि सा० रत्नसिद्धि री पौत्री सा. अखू . अमृतसिद्धि सा० रत्नसिद्धि री पौत्री अमरसिद्धि सा० विनय सिद्धि री चेली सा. रूपां रंगचूला सा० रत्नचूलाया दुर्गस्था सा. अजीया अमृतचूला ।। श्राविका स्वभावेन आत्मनिस्तरणार्थं दीक्षा गृहीता वा० कुशलभक्ति गणेः पावें ॥ . ॥सं० १८४३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १ श्री बीकानेर मध्ये म० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः । सा. चन्दू चारित्रसिद्धि सा० फूलसिद्धि री चेली सा. खुश्याली क्षमासिद्धि सा० अखयसिद्धि री सा. जक जयमाला सा० फतमाला री सा. लाछां लक्ष्मी सिद्धि सा० रत्नसिद्धि री पौत्री सा. फूंदां फूंदमाला सा० मानमाला री सा. फत्तू फर्तमाला सा० फूंदमाला री सा. रूपां रत्नशोभा स० पूष्पशोभा री सा. वरजू विजयमाला सा० फतैमाला री सा. लाडू लक्ष्मीसिद्धि सा० अमृतसिद्धि री १. नाहटां रै खण री २. सं० १८४१ वर्षे मिती फाल्गुन सुदि ७ फलवद्धिक वास्तव्य । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १२५ सा. जसू जयलक्ष्मी सा० अमृतलक्ष्मी री पौत्री सा. गुमानी ज्ञानसिद्धि सा० अषयसिद्धि री सा. विज्ज विनय सिद्धि सा० फूलसिद्धि री चेली सा. मानूडी मानशोभा सा० पुष्पशोभा रो पौत्री ॥ सं० १८६८ ज्येष्ठ बदि १ श्री देशनोक मध्ये भ० श्रीजिनहर्षसूरिभिः ।। सा. मगनाई मुक्तिशोभा सा० मानशोभा री चेली ॥ सं० १८६७ वर्षे प्राषाढ सुदि ६ दिने पाली मध्ये ॥ सा. उमेदी आनन्दमाला सा० जयमाला री चेली सा. अमेदी आनन्दसिद्धि सा० जयसिद्धि री चेली सा. उमेदी अमृतमिद्धि सा० विनयसिद्धि री चेली सा. रतना राजसिद्धि सा० लक्ष्मी सिद्धि री चेली सा. हस्तूड़ी हस्त सिद्धि सा० चारित्रसिद्धि री चेली ॥सं. १८६९ श्री बीकानेर मिगसर बदि १३ ॥ सा. जीतूड़ी जीतलक्ष्मी सा० जयलक्ष्मी री चेली सा. पन्नूड़ी प्रीतलक्ष्मी सा० जोतलक्ष्मी री चेली ॥सं० १८७६ वर्षे प्राषाढ सुदि १० बीकानेरे ॥ सा. शम्भड़ी श्रीशोभा सा० रत्नशोभा री पौत्री सा. शिरदारी' सत्यशोभा सा० श्रीशोभा री चेली सा. लछमाई लब्धिसिद्धि सा० राजसिद्धि री चेली सा. सिणगारी स्वर्णसिद्धि सा० ज्ञानसिद्धि री चेली सा. नवली10 नीतिसिद्धि सा० स्वर्णसिद्धि री चेली सा. रतना ऋद्धिचला सा० रंगचूलाया शिष्यणी सा. धन्नाई धर्ममाला सा० सा. सेराई12 सौभाग्यसिद्धि सा० विनय सिद्धि री पोत्री १. सं० १८४५ मिगसर बदि ७ २. सं० १८५१ मि. ब. ११ बीकानेरे ३. नाहटां रे खण री ४. सुभटपुरस्था जिनराजसूरि ५. सूजाई-देशनोक ६. ७. नाहटां रै खण री ८. पारखां रै खण री ९. १०. खजानचियां रै खणरी ११. दुर्ग १२. दशवाणी खण री . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ सा. चूनी 1 सा. मोत सा. धर्मली सा. खुश्याली क्षेमचूला चित्रसिद्धि मानसिद्धि धर्मलक्ष्मी सा. राधा रत्नसिद्धि सा. उमा आनन्दसिद्धि सा. लिछमा' लावण्यसिद्धि सा. सन्तोषा ? सत्यसिद्धि ॥ सं० १६०८ प्रमिते मार्गशीर्ष शुक्ल एकादश्यां तिथौ गुरुवारे श्री कलकत्ता बिंदर मध्ये ॥ सा. गुमानी ज्ञानसिद्धि श्री आनन्दरत्न गणेः शिष्यणी दादरी वास्तव्य दुधोड़िया गोत्रे बाई गुमानां राधा दिल्ली मध्ये उ० श्री आनन्दरत्न गणेः पार्श्वे स्वात्मसिद्धयर्थं दीक्षा गृहीता सं० १९०३ रामि . माघ सु. १३ तिथौ । सा. रूपां 10 सा. ऊदां सा. तीर्थां सा. प्रतापां सा. चनणां सा. चम्पा श्री चारित्रसिद्धि १. २. ३. ४. ६. पद्मसिद्धि चन्द्रसिद्धि Jain Educationa International खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची सा० लक्ष्मीसिद्धि री प्रपौत्री सा० चारित्रसिद्धि री पौत्रो सा० जीतलक्ष्म्या पौत्री सा० रंगचूला री पौत्री राजसिद्धि उदयसिद्धि तीर्थसिद्धि पारखां रे खण री सं० सांवखांरेखण री सं० कोठारियां रे खण री सं० सं० १८९७ माह ब८ दुर्गमध्ये पारखां रे खण री जोधपुर मध्ये सं० १९२१ ज्ये. ब. ८, मेड़ता मध्ये १०. जोधपुर नगरे सं० १९२१ आषाढ बदि ७ ८. सा० ज्ञानसिद्धि री चेली सा० ज्ञानसिद्धि री चेली सा० चित्रसिद्धि री पौत्री सा० सिद्धश्री शिष्यणी, जिनसुखशा० चारित्रविनय मुनेः सा० सत्यसिद्धि री शिष्यणी, सा० पद्मसिद्धि री शिष्यणी, जिनसुखशा० सा० चन्द्रसिद्धि री शष्यणी पं० सुमतिवर्द्धन मुनेः पं० रत्नराज मुनेः शिष्यणी पं० रत्नराज मुनेः शि०, जिनभक्ति संता० पं० रत्नराज मुनेः शि०, जिनभक्ति संता० १८८८ मा. सु. ५ बीकानेरे । १६८९ मा. सु. ४ भृगी । १८९० वै. २ ५. बून्दी मध्ये सं० १९२० फा. ब. ५ ७. सं० १९२ - आषाढ बदि ४ ९. मेड़ता मध्ये For Personal and Private Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १२७ सा. रम्भा रत्नसिद्धि पं० रत्नराज मुनेः शि०, जिन भक्ति संता० सा. सिरदारा सुमतिसिद्धि पं० रत्नराज मुने: शि०, जिन भक्ति संता. सा. वल्लभश्री विवेकसिद्धि सा० ज्ञानसिद्धि शि०, जिनसुखशा० सा. जड़ावश्री जयसिद्धि सा० ज्ञानसिद्धि पौत्री शि०, संवेगण सा. महताब मानसिद्धि सा० गुलाबसिद्धि री शिष्यणी मा. रतनसिरि राजसिद्धि सा० गुलाब सिद्धि री शिष्यणी ॥ सं० १९२८ प्रमिते मासोत्तम मासे माधव मेचकस्य गुणमितायां कर्मवाटयां रविजयुतायां श्री अजमेर नगर मध्ये भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः वृहद् दीक्षा कृता श्रीजिनभद्रसूरि शाषायां जिनभक्तिसूरि सतानीय श्रीसुमतिवर्द्धन मुनेः तच्छिष्य चारित्रसागर मुन्युपदेशात् साध्व्यः संजातास्तासां नामानि ॥ सा. सोभागश्री सत्यसिद्धि पं० चारित्रसागर मुनेः शिष्यणी सा. सत्वसिद्धि ससिद्धि सा. निधानश्री निधानसिद्धि सा० सत्य सिद्धि शिष्यणी सा. रतनश्री रत्नसिद्धि सा० सत्वसिद्धि शिष्यणी सा. फूलश्री पुष्पसिद्धि सा० सत्वसिद्धि शिष्यणी सा. जड़ावश्री जानसिद्धि सा० विद्यासिद्धि शिष्यणी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीकानेर शाखा श्रीजिनसौभाग्यसूरि ॥ सं० १८६२ माघ शु० दशम्यां तिथौ भ० जं० यु० प्र० श्रीजिन सौभाग्यसूरिजित् 'कीत्ति' नन्दी कृता ॥ पं. मनमुख पं. भीखौ पं. ईसर पं. खेमौ पं. देवानन्द पं. वखतावर विनयकीर्ति हर्षकति पं. होरी पं. परमानन्द पुण्यकीर्त्ति पं. जीतू जयकीर्त्ति कीर्ति सहजकीति पं. हुकमी पं. सुरतो मानकीर्ति महो० भावविजय गणेः प्रपौत्र, कीर्त्तिरत्नशा० भुवनकीर्ति वा० राजप्रिय गणेः पौत्र, जिनभक्ति शा० आणन्दकीति पं० हंसविलास गणेः शिष्य, जिनहर्षशा ० क्षेमकोति पं० चारित्रवर्द्धन मुनेः पौत्र, जिनरत्नशा० दिनेन्द्रकीति पं० हीरसमुद्र मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० क्षान्तिरंग मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० दयाविलास मुनेः शिष्य, क्षेमशा ० पं० जयविजय शिष्य, जिन भद्रशा० पं० दानसागर मुनेः शिष्य, जिनभक्तिशा० पं० चारित्रविलास मुनेः शि०, कीर्ति रत्नशा ० महो० भावविजय गणेः प्रपौत्र, कीत्तिरत्नशा ० ।। सं० १८९४ माघ कृष्ण ८ सूरिभि: 'धीर' नन्दी कृता ॥ पं. भवानी पं. अमी पं. इन्दौ पं. तिलोकौ पं. जीवण पं. कानो पं. पुनौ पं. हीरौ पं. केसरो पं. लाभू पं. हीरौ भाग्यधीर अमृतधीर उधर तिलकधीर जयधीर कनकधीर पुण्यधीर हितधीर कीत्तिधीर लक्ष्मीधीर हर्षधीर Jain Educationa International तिथौ भ० जं० यु० प्र० श्रीजिनसौभाग्य उ० हीरसमुद्र गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० उ० रत्ननिधान गणेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं० रत्न विलास मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं० रत्नविलास मुन: पौत्र, क्षमशा० पं० मानसिन्धुर मुनेः पं० गेयरंग मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं० प्रतापसौभाग्य मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं० सदारंग मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० वा० नेमविजय गणे: पौत्र, जिनलाभशा० पं० सत्य सौभाग्य मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० जय रंग मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० For Personal and Private Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १२९ पं. गम्भीरौ ज्ञानधीर पं० चारित्रसोम मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. गुलाबी गुप्तिधीर उ० आणन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. महिमाधीर पं० पद्मरुचि मुनेः शिष्य, क्षेमशा० ॥ सं० १८९७ ज्येष्ठ शुक्ल ५ भ० ज० यु० प्र० श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः २ 'सुन्दर' नन्दी कृता ॥ पं. सांवत सत्यसुन्दर उ० आणन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. पृथ्वीराज प्रीतिसुन्दर पं० हर्षविशाल गणेः शिष्य, जिनहर्षशा० पं. केसरो कीतिसुन्दर श्री जिनहर्षसूरि पौत्र, पं० कुशलसिंह पं. गुणो ज्ञानसुन्दर उ० आनन्दवल्लभ गणेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. नेमो नीतिसून्दर उ० आनन्दवल्लभ गणः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. जीतू जयसुन्दर पं० भक्तिनन्दन मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. जीवराम युक्तिसुन्दर पं० पुण्यभक्ति मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. हर्षचन्द्र हेमसुन्दर पं० भक्तिनन्दन मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. लछमण लक्ष्मीसुन्दर पं० विनयसमुद्र मुनेः पौत्र पं. तनसुख तत्त्वसुन्दर उ० चारित्रप्रमोद गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र शा० पं० जीतरंग पौत्र, पं० उदयभक्ति शिष्य पं. किसनौ कनकसुन्दर पं० पुण्यहर्ष मुने: पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. निहालचन्द नित्यसुन्दर जिनभद्रशा० पं. मोतीचन्द माणिक्यसुन्दर पं० भक्तितिलक शिष्य, जिनभद्रशा० ॥सं० १८९७ रा मिती फाल्गुन शु. ५ शुक्ले भ० ज० यु० प्र० श्रीजिन सौभाग्यसरिभिः ३ 'प्रधान' नन्दी कृता॥ पं. रतनचन्द रत्नप्रधान पं० भक्तितिलक पौत्र, जिनभद्रशा० पं. लछमण लक्ष्मीप्रधान पं० विद्याविशाल मुनेः शिष्य पं. वखतावर विनयप्रधान पं० महिमासेन मुनेः शिष्य पं. रामौ रंगप्रधान उ० लक्ष्मीरंग गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. मानौ महिमाप्रधान उ० लक्ष्मीरंग गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० १. अजीमगंज Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. शम्भू सत्यप्रधान पं० ज्ञेयरंग मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. माधो मयाप्रधान पं० क्षमाभक्ति मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. कस्तुरौ कत्तिप्रधान पं० नित्यसुन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. दयाचन्द दानप्रधान पं० विजयविमल मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. बालचन्द विद्याप्रधान हर्षमन्दिर मूनेः शिष्य, जिनभक्तिशा० पं. चन्दो चारित्रप्रधान हर्षमन्दिर मूने: शिष्य, जिनभक्तिशा० पं. रतनो राजप्रधान पं० चारित्रसोम मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. तनसुख तत्त्वप्रधान वा० लाभसमुद्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. हरषो हितप्रधान पं० प्रतापसौभाग्य पौत्र, कीत्तिरत्नशा पं. वीरभाण विवेकप्रधान पं० जयरंग पौत्र, कीत्तिरत्नशा० millohl i llmulti linial! ॥संवत् १८९८ मि० पोष सुदि २ गुरौ भ० ज० यु. प्र. श्रीजिनसौभाग्य सूरिभिः 'सोम' ४ नन्दो कृता ॥ पं. सुखरूप सुमतिसोम पं० गजमन्दिर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. शिवचन्द्र सत्यसोमपं० महिमाभक्ति मुनेः शिष्य पं. चन्दौ चारित्रसोम पं० क्षान्तिरत्न मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. हरषो हितसोम पं० क्षान्तिरत्न मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा चन्द्रसोम पं० भीमचन्द्र मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. मलूको महिमासोम पं० क्षेमरत्न मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. मूलो माणिक्यसोम पं० रूपशेखर मुनेः, क्षेमशा० पं. नारायण जीतसोम पं० शांतिसमुद्र गणेः पौत्र, जिनसुखशा० पं. कपूरो कीत्तिसोम पं० शांतिसमुद्र गणेः पौत्र, जिनसुखशा० पं. शिवलाल सहजसोम पं० अभयभद्र मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० रंगमन्दिर शिष्य पं. महणो मुक्तिसोम पं० आनन्दशेषर मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा पं. नवलो न्यायसोम पं० मेरुकुशल गणेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं. रूपौ राजसोम पं० गुणरुचि मुनेः शिष्य, जिन चन्द्रशा० पं. लखमौ लक्ष्मीसोम पं. चांदी चित्तसोम पं० दानसागर मुनेः पौत्र, जिनभक्तिशा० पं. रामानन्द रत्नसोम उ० पद्मरंग गणेः पौत्र पं. रत्नानन्द रंगसोम उ. पद्मरंग गणेः पौत्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १३१ पं. मुहणौ मुनिसोम उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. नेमो नयसोम उ० शिवचन्द्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. शिवलाल सुक्खसोम पं० क्षेमरत्न मूने: पौत्र, क्षेमशा० पं. बुद्ध विनयसोम पं० दयानन्द गणेः, सागरचन्द्रशा० पं. रिछपाल ऋद्धिसोम पं० राज मुनेः शिष्य पं. दुलू दयासोम वा० गुणनन्दन गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. परमसुख पद्मसोम वा० गुणनन्दन गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० मतिशेखर शिष्य पं. हेमो हेमसोम पं० हर्षकीति मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. ईसर आणन्दसोम पं० गुणप्रमोद पात्र, सागरचन्द्रशा० पं० राजशेखर शिष्य पं. रतनौ राजसोम पं० लाभशेखर शिष्य पं. सेढ़ समुद्रसोम पं० प्रतापसौभाग्य पौत्र, कीत्तिरत्न शा० पं. लालौ लावण्यसोम पं० क्षेमभक्ति मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. जीवण जयसोम पं० क्षमानन्द गणेः पौत्र, जिनसुखसरि पं. गुलाबो गुणसोम पं० सत्यनन्दन मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० ॥ सं० १९०३ मिती वैशाख कृष्ण ५ दिने श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः ५ 'निधान' नन्दी कृता ॥ पं. मोहन महिमानिधान पं० भावविजय गणेः पौत्र, कोत्तिरत्नशा० पं. गोपाल गुणनिधान पं० सौभाग्य विशाल मुनेः छत्रनिधान पं. लालो लक्ष्मीनिधान पं० ज्ञानसागर गणेः, जिनलाभशा० पं. गंगाराम गंगानिधान पं० कमलकल्याण शिष्य पं. केसरो कीत्तिनिधान पं० मुक्तिरंग मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. आत्माराम आनन्दनिधान पं० भक्तिरंग मुनेः, क्षेमशा० पं. मोहन मूक्तिनिधान पं० क्षेमभक्ति मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. करमो कुशलनिधान पं० धर्मशील मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. केशरो कल्याणनिधान पं० लब्धिविलास मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. राजरूप रत्ननिधान पं० गुप्तिधीर मुने: शिष्य पं. जोधराज जयनिधान पं० रत्नलाभ मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ खरतर गच्छं दीक्षा नंन्दी सूची पं. नन्दी नीतिनिधान पं० ज्ञानानन्द मुनेः पौत्र पं. चतुरो चारित्रनिधान वा० सत्यसौभाग्य गणेः पौत्र पं० आनन्दविनय शिष्य पं. प्रेमचन्द प्रीतिनिधान संवेगी साधु पं. लक्ष्मीचन्द लावण्यनिधान पं० रत्नविलास मुनेः प्रपौत्र, क्षेमशा० पं. केशरीचन्द कनकनिधान पं० रत्नविलास मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. जीवण जीतनिधान उ० आनन्दवल्लभ गणेः प्रपौत्र प. नेमचन्द पुण्यनिधान पं० जीतविनय मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा पं. शिवलाल सुखनिधान पं० रत्नविलास मुनेः पौत्र, क्षेमशा० जयपुर के ॥ सं० १९०५ मि० फाल्गुन कृ० १० दिने जं० यु० प्र० भ० श्रीजिन सौभाग्यसूरिभिः ६ 'लब्धि' नन्दी कृता विक्रमपुरे ॥ पं. बलदेव विनयलब्धि पं० क्षेमराज मुनेः शिष्य पं. भादर विद्यालधि पं० विनयसमुद्र मुनेः प्रपौत्र पं. जोरौ जयलब्धि पं० क्षमानन्द मुनेः पौत्र पं. ऊदौ उदयलब्धि पं० रत्नविमल मुनेः शिष्य पं. रामसुख रत्नलब्धि वा० क्षेमानन्द गणेः पौत्र पं. सूरजमल सत्यलब्धि पं० जीतरंग मुनेः पौत्र पं. रामसुख रंगलब्धि उ० उदयभक्ति गणेः पौत्र पं. विसनौ विवेकलब्धि पं० विवेकमाणिक्य मुनेः शिष्य, जिनहर्षशा० पं. भवानी भक्तिलब्धि पं० सहिजानन्द मुनेः पौत्र पं. गुलाबो ज्ञानलब्धि पं० क्षेमरत्न मुनेः पं. हुकमी हर्षलब्धि उ० हीरसमुद्र गणेः पौत्र पं. परमानन्द प्रीतलब्धि उ० हीरसमुद्र गणेः पौत्र __ पं० दिनेन्द्रकीत्ति शिष्य पं. गोपाल गुणलब्धि पं० गुणरुचि मुनेः शिष्य पं. रेखचन्द राजलब्धि वा० सत्यसौभाग्य गणेः पौत्र पं. करमो कल्याणलब्धि पं० भाग्यविलास मुनेः पं. हीरौ हेमलब्धि पं० विजयविमल मुनेः शिष्य पं. मानो महिमालब्धि पं० सुमतिविशाल पौत्र, पं० समुद्रसोम मुनेः शिष्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १३३ पं. परमु पुण्यलब्धि वा० सौभाग्यहर्ष गणेः पौत्र पं० चारित्रशेखर शिष्य ॥ सं० १९०६ रा पौष सुदि १३ दिने जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनसौभाग्य सूरिभिः ७ 'वल्लभ' नन्दी कुता ॥ पं. विज्जो विवेकवल्लभ पं० नरसिंह मुनेः शिष्य, कात्तिरत्नशा० पं. हरियो हर्षवल्लभ पं० कनकधीर मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. शिवचन्द्र सत्यवल्लभ पं० कनकधीर मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. बोलचन्द विनयवल्लभ पं० सत्यप्रधान मूने: शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. सुखलाल शीलवल्लभ पं० रत्नराज मुनेः पौत्र, पं० ऋद्धिसोम शिष्य पं. विजयरोम विद्यावल्लभ पं० रत्नराज मुनेः पौत्र, पं० ऋद्धिसोम शिष्य पं. लच्छीराम लक्ष्मीवल्लभ पं० मेरुविशाल शिष्य पं० शान्तिरत्न पौत्र पं. बच्छराज विवेकवल्लभं पं० दयावर्द्धन पौत्र, __पं० कीतिविमल शिष्य पं. सगुण सत्यवल्लभे पं० ज्ञानसौभाग्य गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. मनराज महिमावल्लभ पं० विवेकसागर मूने: पौत्र पं. गोड़ीदास गुणीवल्लभ पं० शीलरंग मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. धरमो धर्मवल्लभ पं० गजमन्दिर मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. मेघो महिमावल्लभ वा० सत्यानन्द गणेः पौत्र पं० ऋद्धिविलास शिष्य पं. मनसुख मानवल्लभ वा० सत्यनन्दन गणेः पौत्र पं० युक्तिसेन मुनेः शिष्य पं. केसरो कैन कवल्लभ वा० क्षमानन्द गणेः पौत्र पं. विनयो विवेकवल्लभ उ० शान्तिसमुद्र पौत्र पं. महिरचन्द मुनिवल्लभं पं० पुण्यनिधान मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० पं. कनिराम कीर्तिवल्लभ पं० ऋद्धिसागर मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. हिमतू हितवल्लभ पं० दानसागर मुनेः पौत्र, जिन भद्रशर० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. धनसुख धर्मवल्लभ पं० हंसविलास गणेः पौत्र, पं० आनन्दकीत्ति शिष्य पं. हिमतू श्रीजिताम् ॥सं० १९१२ रा मि० द्वि० प्राषाढ शु० १ श्रीजिनसौभाग्यसरिभिः 'मण्डन' ८ नन्दी कृता । पं. मोती महिमामण्डन पं० मानधर्म मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. केशरो कुशलमण्डन कीत्तिरत्नशा० पं. सगुन सुमतिमण्डन पं० धर्मविशाल मुनेः शिष्य, [संवेगी साधु] पं. सुख प्रेममण्डन पं० धर्मविलास मुनेः प्रपौत्र, कीतिरत्नशा० प्रीतिमण्डन शिष्य, क्षान्तिरत्न पौत्र पं. रचन्द हर्ष मण्डन उ० उदयरंग गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. अमरचन्द अमृतमण्डन उ० उदयरंग गणे: पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. सुखियौ सत्यमण्डन पं० प्रतापसौभाग्य मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं० दानविशाल शिष्य पं. कानियो कल्याणमण्डन वा० रत्ननिधान गणेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. रतनो रत्नमण्डन पं० जसराज पौत्र, सागरचन्द्र शा० पं. कस्तुरौ कीत्तिमण्डन वा० देवानन्द गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. अजून आनन्दमण्डन पं० चित्तमन्दिर शिष्य, क्षेमशा० पं० गुणसिन्धुर पौत्र पं. भगै भाग्यमण्डन उ० उदय भक्ति गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. खेमौ खेममण्डन वा० गुणत्रमोद गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. रिषभौ ऋद्धिमण्डन उ० उदयभक्ति गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. वींझी विद्यामण्डन उ० शान्तिसमृद्र गणेः पौत्र, पं. शिवलो सदामण्डन उ० विजय विमल गणेः शिष्य, क्षेमशा० ॥ सं० १६१४ मार्गशीर्ष कृष्ण ५ दिने श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः ६ 'जय' नन्दी कृता॥ पं. भैरौ भक्तिजय वा० सत्यसौभाग्य गणेः पौत्र पं. ज्ञानौ ज्ञानजय पं० मतिविलास मुनेः शिष्य पं. भोमौ भाग्यजय पं० इन्द्र मेरु मुनेः पौत्र, सागरचन्द्र शा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. शिवजी सुमतिजय पं० सुमतिविशाल मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. सुगुन सुशीलजय पं० रंगसोम मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. कस्तूरी कनकजय पं० आनन्दमन्दिर शिष्य, क्षेमशा० पं. माणक मुक्तिजय पं० गौतमविनय मुनेः शिष्य, जिनभद्र शा० पं. गोरधन प्रीतजय पं० हंसविमल शिष्य, जिनभद्र शा० पं. गणेश ज्ञानजय पं० रत्नशेखर मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. गुलाव गुप्तजय पं० राजसागर गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं० ज्ञानधर्म शिष्य पं. पन्नी पूण्य जय ५० रत्नवर्द्धन मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. मोती महिमाजय उ० उदयरंग गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. वाघो विद्याजय बा० दयानन्द गणेः पौत्र ॥ सं० १६१६ मिती फाल्गुन कृ० ८ दिने श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः 'रंग १० नन्दी कृता । पं. लछोराम लक्ष्मीरंग पं० चारित्रशेखर मुनेः शिष्य पं. अबीरो अमृतरंग वा० लोभसमुद्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. हुकमो हितरंग वा० देवनन्दन गणेः पौत्र, पं. किशन कीत्तिरंग वा० देवनन्दन गणेः पौत्र पं गुमान ज्ञानरंग पं० अमृतकलशं मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. लखमो लावण्यरंग पं० विद्याविमल मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. गुलाबौ गुणरंग वा० जीतरंग गणेः पौत्र, कीतिरत्नशा० 3 श्रीजिनहंससूरि * ॥सं० १९१७ रा मिती फाल्गुन कृष्ण ११ दिने भ० ज० यु० प्र० श्रीजिनसौभाग्यसरिभिः 'कमल' १ नन्दी कृता॥ पं. लछमण लक्ष्मीकमल बृहत् श्रीजिताम् प. दयानन्द दानकमल पं० पेमचन्दजी सुशिष्य, संवेगी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. सदासुख सदाकमल पं० मोतीविलास मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. रामचन्द्र रत्नकमल पं० चारित्रविलास मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. हिमतू हितकमल पं० धर्मधीर मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. गणेशो ज्ञानकमल पं० मानसिंह मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. धर्मो धीरकमल वा० सदालाभ गणे: शिष्य, जिनभक्तिशा० पं. कन्हैयालाल कनककमल उ० आनन्दवल्लभ गणे:, जिनभक्तिशा० पं. धनसुख धर्मकमल उ० आनन्दवल्लभ गणे:, जिनभक्तिशा० पं. मुहणो मुक्तिकमल पं० लक्ष्मीप्रधान मुनेः शिष्य, जिनहर्षशा० पं. नत्थू न्यायकमल पं० गुलाबचन्द मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. सदासुख सत्यकमल पं० अभयविलास मुनेः शिष्य, कोत्तिरत्नशा० पं. सुगणानन्द सौभाग्यकमल पं० कीत्तिविलास मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. रुघो ऋद्धिकमल पं० दानविशाल मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. डूंगर राजकमल पं० जसराज मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० आनन्दसोम मुनेः शिष्य पं. चिमनो चारित्रकमल पं० जसराज मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० (खोले विनय) पं. सुगनो सुमतिकमल पं० सुमतिविशाल पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. दानौ दानकमल हषविशाल गणेः पौत्र, जिनहर्ष शा० पं. कुशलौ कुशलकमल पं० हंसविलास पौत्र ॥ स० १९२० रा मि० माघ शु० ५ दिने भ० ज० यु० प्र० श्रीजिनहस सूरिभिः 'अमृत' २ नन्दी कृता । पं. भोजो भक्तिअमृत पं० नयरंग मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. हकमो हर्षअमृत पं० नयरंग मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. चतुरभुज चारित्रअमृत उ० सूमतिशेखर गणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. भीयो भावअमृत पं० महिमासेन मुनेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० प. भीमो भाग्यअमृत उ० सुमतिशेखर गणेः पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. ऋद्धिअमृत पं० राजसोम मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० १. मालासर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १३७ पं. रामचन्द्र रंगअमृत पं० राजसोम मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. रामचन्द्र रत्नअमृत पं० राजसोम मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. माणक मुक्तिअमृत क्षेमभक्ति मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. रायचन्द्र रत्नअमृत पं० उदयराज मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. माणको महिमाअमृत वा० लक्ष्मीविलास गणेः शिष्य, सागरचन्द्र० पं. वींझौ विवेकअमृत पं० पद्मशेखर मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. तनसुख तत्वअमृत महो० सत्यसौभाग्य गणेः प्रपौत्र, सागरचन्द्र० पं. जोरो युक्तिअमृत पं० सुमतिविशाल पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. हरसूख हीरअमृत महो० सत्यसौभाग्य गणेः पौत्र, सागरचन्द्र० पं. परतापी प्रेमअमृत उ० उदयभक्ति गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. मुलतानी महिमाअमत वा० नेत्रविशाल गणे: पौत्र, जिनभद्रशा० पं. विनयचन्द विद्याअमृत संवेगी पं० प्र. मोहन शिष्य, पं. लाधू लक्ष्मीअमृत जयसोम मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. शिवलाल शीलअमृत पं० कल्याणसागर मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. मोहन महिमाअमृत पं० धीरधर्म मुनेः पौत्र, कीत्तिरत्नशा० पं. परमसुख प्रीतिअमृत पं० गंगभद्र मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. बुलाकी विवेकअमृत पं० लक्ष्मीकमल मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. सुगनो सत्यअमृत पं० लक्ष्मीकमल मूने: शिष्य, जिन भद्रशा० पं. पतियो प्रेमअमृत पं० लक्ष्मीकमल मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. सिरदारो सदाअमृत पं० दयाविलास शिष्य, जिनभद्रशा० पं. रामचन्द्र रत्नअमृत बृहत् श्रीजिताम् पं. लखमो लक्ष्मीअमृत बृहत् श्रीजिताम् ॥ सं० १९२५ रा मि० चैत्र कृ० ३ दिने जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनहंस सूरिभिः 'सार' ३ नन्दी कृता । मु. फूलचन्द फतेसार पं० मयाप्रधान मुनेः शिष्य, क्षेमशा० मु. रामलाल ऋद्धिसार पं० धर्मशील मुने: पौत्र, क्षेमशा० मू. सदानन्द सत्यसार पं० दयाभक्ति मुनेः प्रशिष्य, जिनभद्रशा० पं० दानशेषर शिष्य १. २. जयपुर ३. गिरनार ४. कुण्डल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ चि. चुन्नीलाल चारित्रसार चि. रामदयाल रत्नसार चि. किरपाचन्द कीर्त्तिसार चि. पूनमचन्द पुण्यसार चि. अनोपचन्द अमृतसार पं. सुमेरदत्त सत्यसार पं. करमानन्द कनकसार पं. माणक महिमासार पं. महताब पं. विनैचन्द मुक्तिसार विनयसार नीतिसार पं. नत्थू पं. अमरू पं. पूरण पं. कपूरचन्द कुशलसार पं. हरलाल हर्षसार पं. नवलो नयसार पं. हस्तू पं. समिरो पं. नत्थू पं. खेतसी पं. खूमो पं. हरलो आनन्दसार प्रीतिसार पं. धनु पं. रत्नो ।। सं० १६३० रा मिती वशाख कृष्ण ५ दिने भ० श्रीजिनहंससूरिभिः 'उदय' ४ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये || Jain Educationa International हर्ष उदय सत्यउदय नेत्रउदय कृपा उदय क्षांतिउदय हितउदय धीरउदय रत्नउदय १. २. ३. पालीताणा खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची पं० जयसोम मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० समुद्रसोम मुनेः पौत्र, कीतिरत्नशा० पं० समुद्रसोम प्रपौत्र, कीतिरत्नशा० पं० युक्तिअमृत शिष्य पं० सागरचन्द्रशा ० पं० दानविमल पौत्र, कीर्तिरत्नशा० पं० मानवल्लभ मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० सत्यनन्दन गणेः पौत्र पं० हेमसोम शिष्य, क्षमशा० पं० हर्षिकीत्ति पौत्र, क्षेमशा० पं० प्रेमरुचि मुनेः, जिनभद्रशा० पं० हेमसोम मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० जसराज मुनेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० राजशेखर पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं० आनन्दसोम पौत्र, सागरचन्द्रशा० प० रत्नतिलक गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० युक्तिअमृत मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा ० पं० लावण्यसोम मुनेः शिष्य, क्षेमशा ० उ० श्रानन्दविनय गणेः पौत्र, सागरचन्द्रशा० उ० आनन्दविनय गणेः पीत्र, सागरचन्द्रशा० पं० लक्ष्मी सुन्दर मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० गंगानिधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० लक्ष्मीप्रधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० लक्ष्मीप्रधान मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० विद्यारुचि मुनेः शिष्य, जिनसुखशा० पं० जयसोम मुनेः शिष्य, जिनसुख शा० For Personal and Private Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १३९ पद्मउदय पं. जुहारियो युक्तउदय पं० पुण्यलब्धि शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. प्रेमसुख प्रीतउदय पं० कनकशेखर पौत्र, कीतिरत्नशा० पं. नराण नीतउदय पं० मुक्तिजय मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. इन्दरचन्द आनन्द उदय बहत् श्रीजिताम् पं. करमो कीत्तिउदय पं० चारित्रप्रिय मनेः प्रपौत्र पं. धरमो धीरउदय पं० महिमाभक्ति मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० महिमाभक्ति मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. परतापो प्रीतउदय वा० युक्तिसेन गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. गणेशो ज्ञानउदय वा० युक्तिसेन गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. चिमनो चित्तउदय वा० युक्तिसेन गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. पुनमियो प्रेमउदय पं० न्यायविमल मुनेः शिष्य पं. रामलाल ऋद्धिउदय पं० गुणवल्लभ मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. किशनो कनकउदय पं० आनन्दमण्डन मुनेः पं. भैरियो भक्तिउदय पं० महिमामृत मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं० पद्मसेन मुनेः रै खोले पं. आणं दियौ आणन्दउदय पं० विनयसोम मुनेः, सागरचन्द्रशा० पं. मोती मुक्तिउदय पं० हेमकीत्ति मुनेः शिष्य, कोत्तिरत्नशा० पं. जगरामो जयउदय पं० लक्ष्मीप्रधान पौत्र, जिनचन्द्रशा० पं. रावत रंगउदय पं० लक्ष्मीप्रधान पौत्र, जिनचन्द्रशा० । सं० १९३४ रा मिती द्वि० ज्येष्ठ सु० ९ ० यु० प्र० भ० श्रीजिनहंस . सूरिभिः श्री बीकानेर मध्ये ५ 'वर्द्धन' नन्दी कृता । पं. जुहारियो युक्तिवर्द्धन पं० ज्ञानधीर मुनेः शिष्य, श्रीजिताम् पं. वाघू विवेकवर्द्धन उ० दानसागर गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. श्रीचन्द शीलवर्द्धन पं० सुखसोम शिष्य, क्षेमशा० पं. मानो मुक्तिवर्द्धन पं० सुखसोम शिष्य, पं. हेमलो हितवर्द्धन पं० सौभाग्यकमल मुनेः शिष्य पं. जस जयवर्द्धन पं० आणन्दसोम मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० 00 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॐ श्री जिनचन्द्रसूरि * ॥ सं० १९३५ मिती माघ कृ. ११ दिने भ० ज० यु० प्र० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'पद्म' १ नन्दी कृता बीकानेर नगर मध्ये ॥ (श्रीजी गद्दी नशीन हुए उसी दिन यह नन्दी की)। , पं. गोपाल गुणपद्म पं० कल्याणनिधान मुनेः शिष्य, जिनहर्षशा० पं. महताब मुक्तिपद्म पं० नीतिनिधान शिष्य, जिनभद्रशा० . पं. उदो उदयपद्म उ० सुमतिशेखर गणेः प्रपौत्र पं. महरो महिमपद्म पं० लक्ष्मीविलास पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. गजानन्द ज्ञानपद्म वा० प्रीतिलब्धि गणेः, जिनभद्रशा० पं. भैरूं . . भाग्यपद्म वा० प्रीतिलब्धि गणे:, जिनभद्रशा० पं. रामकुमार रंगपद्म वा० प्रीतिलब्धि गणेः, जिनभद्रशा० पं. रामरतन राजपा उ० तत्वप्रधान गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. श्यामलाल सुमतिपद्म उ० तिलकधीर गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. सुन्दरलाल सौभाग्यपद्म उ० नयसोम गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. रुघौ रत्नपद्म पं० मुक्तिसोम मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं.रिध ऋद्धिपद्म श्रीजिताम जिनभद्रशा० पं. माणक माणिक्यपद्म पं० रामचन्द्र गणेः शिष्य, श्रीहंससूरिशा० पं. जयचन्द जयपद्म पं० धर्मवल्लभ मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. चम्पालाल चारित्रपद्म पं० विवेकवल्लभ मुनेः शिष्य, कात्तिरत्नशा० लश्कर रहै पं. मूलचन्द मुक्तिपद्म पं० विवेकवल्लभ मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. कपूरो कनकपद्म पं० लक्ष्मीअमृत मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. धनसुख धीरपद्म .. पं० कीत्तिसोम गणेः शिष्य, जिनसुखशा० पं. चतरू चतुरपद्म पं० कीत्तिसोम गणेः शिष्य, जिनसुखशा० ॥ सं० १९४१ रा मिती वैशाख शुदि ३ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचन्द्र सूरिभिः 'दत्त' २ नन्दी कृता बालूचरे ॥ पं. कुशलो कनकदत्त पं० वेणीदत्त शिष्य, क्षेमशा० १. २. जयपुर ३. गिरनार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. आसू पं. मयाचन्द अमरदत्त पं. आसू पं. बालचन्द विनयदत्त पं. ज्ञानदत्त चन्द न्यायदत्त जयदत्त धर्मदत्त चारित्रदत्त गंगदत्त मगनदत्त ।। सं० १९४४ फा० कृ० ८ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः ॥ पं० कीर्तिनिधान शिष्य, क्षेमशा० पं० कीसिनिधान शिष्य, क्षेमशा० पं. पं. जुहारो पं. पं. चिमनो पं. पं. मगनो आनन्ददत्त महिमादत्त पं. प्रतापचन्द पद्मदत्त पं. वृद्धिचन्द विनयदत्त पं. रूपचन्द रत्नदत्त पं. लिखमो लक्ष्मीदत्त प. अखचन्द आनन्दभद्र पं. कल्याणचन्द कीर्तिभद्र पं. माणकचन्द महिमाभद्र पं. कुनण कुशलभद्र पं. बालचन्द विनयभद्र पं. रामरत्न रंगभद्र पं. कपूरचन्द कपूरभद्र पं. रामधन रंगभद्र पं. मंगलचन्द मंगलभद्र पं. ऋद्धकरण रत्नभद्र : पं. नित्यानन्द नित्यभद्र पं. नेमो नीतभद्र ॥ सं० १९४७ मिती ज्येष्ठ कृ० ८ सोमवार जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'भद्र' ३ नन्दी कृता बीकानेर नगरे ॥ Jain Educationa International पं० हेमलब्धि मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० सुशीलजय मुनेः शिष्य, जिनचन्द्रशा० जिनचन्द्रशा० उ० लक्ष्मीप्रधान गणेः पौत्र, पं० विवेकप्रधान मुनेः शिष्य, कीर्तिरत्नशा० उ० नयसोम गणे: पौत्र १४१ ) पं० नयसार मुनेः शिष्य, क्षेमशा० उ० सुमतिमण्डन गणे: (संवेगी शा० पं० चतुरभुजजी शिष्य छोले बाले पं० विशनजी शिष्य, जिनहर्ष ० से जिनभद्रशा० पं० अभयसिंह मुनेः शिष्य पं० राजसोम, कीतिरत्नशा० पं० की त्तिनिधान शिष्य, क्षेमशा ० पं० कोत्तिनिधान शिष्य, क्षेमशा० पं० कुशल निधान, क्षेमशा० पं० लक्ष्मीप्रधान गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं० विनयप्रधान मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० उ० नयसोम गणे: पौत्र पं० मुनिसोम शिष्य, क्षेमशा० पं० गुणवल्लभ मुनेः शिष्य, कीर्ति रत्नशा पं० महिमाअमृत मुनेः, कोनिरत्नशा० पं० महिमाअत मुनेः, कीतिरत्नशा० पं० आनन्दमण्डन मुनेः शिष्य पं० प्रीतसार मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० वा० प्रीतलब्धि गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० कल्याणसागर पौत्र, कीतिरत्नशा० For Personal and Private Use Only O Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ पं. जीवण पं. मुरली पं. नाथू पं. तिलोकचन्द तिलकभद्र नयभद्र पं. रामलाल राजभद्र पं. तेज तत्वभद्र पं. शिवराज शिवभद्र पं. मुनालाल पुण्यभद्र पं. गणेशो पं. हुकमो पं. माणको जीतभद्र महिमाभद्र ज्ञानभद्र हितभद्र महिमाभद्र पं. खीमो क्षमाकुशल पं. जोधराज जयकुशल पं. हरियो हितकुशल पं. श्रीपाल पं. रामचन्द्र पं. जीवण पं. पेमलो पं. खेमो पं. जीवलो पं. शिवनाथ ॥ सं० १६५४ रा कात्तिक सुदि १३ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः बीकानेरे 'कुशल' ४ नन्दी कृता ॥ खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची प० रंगविनय मुनेः पौत्र, क्षेमशा० वा० हितरंग गणेः शिष्य पं० हेमकीर्ति मुनेः पौत्र, कीर्तिरत्नशा० संवेगी० कीर्त्तिसार मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं० रामसोम शिष्य, कीतिरत्नशा० पं० रामसोम शिष्य, कीतिरत्नशा० पं० ऋद्धिसार शिष्य, क्षेमशा० पं० उदयपद्म मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं० कीर्तिउदय मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं० ऋद्धिसार मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० अमृतरंग मुनेः शिष्य, क्षेमशा० ** * श्रीजिनकीत्तिसूरि ।। सं० १९५६ कात्तिक कृष्ण ५ भ० श्रीजिनकीत्तिसूरिभिः 'सौभाग्य' १ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये ॥ Jain Educationa International वा० हितरंग गणेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० वा० हितरंग गणेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० उ० सुमतिमण्डन गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० शील सौभाग्य पं० विवेकलब्धि मुनेः शिष्य, जिन भद्रशा० राजसौभाग्य पं० सुमतिमण्डन गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० जीतसौभाग्य महो० लक्ष्मीप्रधान गणेः प्रपौत्र, जिनभद्रशा० प्रीत सौभाग्य पं० ऋद्धिसार मुनेः शिष्य, क्षेमशा० क्षमासौभाग्य पं० ऋद्धिसार मुनेः शिष्य, क्षेमशा० जय सौभाग्य पं० दानशेखर मुनेः शिष्य, कीर्त्तिरत्नशा० शिवसौभाग्य पं० पेममन्डन मुनेः शिष्य, कीर्त्तिरत्नशा० For Personal and Private Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची. १४३ पं. जस्सू युक्तिसौभाग्य श्रीजिताम् पं. ज्ञानचन्द गुणसौभाग्य पं० अमृतसार मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० पं. अमरचन्द अमतसौभाग्य उ० ऋद्धिसार गणेः शिष्य, क्षेमशा० पं. फूलचन्द फतेसौभाग्य उ० ऋद्धिसार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. विजयचन्द विनयसौभाग्य उ० ऋद्धिसार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. गणेश ज्ञानसौभाग्य पं० दानशेखर शिष्य, कोतिरत्नशा० पं. सहस्रकिरण कान्ति सौभाग्य पं० युक्तिवर्द्धन मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. चांदियो चन्द्रसौभाग्य पं० अमरचन्द शिष्य, महाजन रेवै। पं. पन्नालाल पुण्यसौभाग्य पं० शान्ति उदय मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० ॥ सं० १९६० मि० फा० शु० १ दिने श्रीजिनकोत्तिसूरिभिः 'रुचि' २ नन्दी कृता बालूचरे ॥ पं. गोपीचन्द ज्ञानरुचि पं० धनसुख मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पूर्णिया रहै पं. केशरीचन्द कीतिरुचि हुकमचन्द मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० ॥ सं० १९६३ अक्षय तृतीया श्रीजिनकोत्तिसूरिभिः 'सुन्दर' ३ गन्दी कृता । पं. चुन्नीलाल चारित्रसुन्दर श्रीजिताम् (जिनचारित्रसूरि हुए) पं. अमरू अमृतसुन्दर उ० रामलाल गणेः, क्षमशा० पं. रामलाल राजसुन्दर ५० शिवलाल गणेः पौत्र, क्षेमशा० ५० श्यामलाल शिष्य । पं. ऋद्धिकरण ऋद्धिसुन्दर प० लब्धिचन्द्र मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. लक्ष्मीचन्द्र लावण्यसुन्दर पं० कनकसार शिष्य । पं. जी जयसुन्दर पं० राजभद्र मुनेः शिष्य पं. रत्नसुन्दर उ० सुमतिमण्डन गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं. बलदेव वल्लभसुन्दर श्रीजिताम् पं. मुन्नीलाल मुनिसुन्दर उ० मोहनजी गणेः पौत्र, जिनभद्रशा० १. पालीताना 00 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची * श्रीजिनचारित्रसूरि ॥सं० १९६७ माघ कृष्ण ६ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः _ 'चारित्र' १ नन्दी कृता विक्रमपुरे ॥ महिमाचारित्र पं० रत्न अमृत मुनेः शिष्य, क्षेमशा० फतैचारित्र पं० रामचन्द्र बंगले वाले का शिष्य पं. चम्पो चारुचारित्र श्रीजी रो (पर वृहत् श्रीजी का शिष्य) पं. गेवर ज्ञानचारित्र पं० पूनमचन्द पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. टीकू टीकमचारित्र पं० पूनमचन्द पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. राम रत्नचारित्र पं० पूनमचन्द पौत्र, सागरचन्द्रशा० पं. बालचन्द! विनयचारित्र पं० विनयदत्त मने: शिष्य कीतिचारित्र पं० गणेशचन्द्र मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. वेलचन्द विवेकचारित्र पं० कनकप्रधान शिष्य, जिनभद्रशा० कनकचारित्र पं० भाग्यजय मने: शिष्य, सागरचन्द्रशा० ॥ सं० १९६६ आश्विन शु० १४ श्रीजिनचारित्रसरिभिः 'लाभ' २ नन्दी कृता ॥ पं. पालोराम प्रियलाभ श्रीजिताम पं. पन्नालाल पूण्यलाभ श्रीजिताम पं. प्यारेलाल प्रीतिलाभ श्रीजिताम पं. पूर्णचन्द्र पूर्णलाभ. श्रीजिताम् पं. विमलो विजयलाभ पं० बालचन्द मुनेः शिष्य, (मि. ८ मंगल) पं. जतनलाल जयलाभ पं० विवेकवर्द्धन शिष्यः .. पं. दुलीचन्द दयालाभ पं० रत्नपद्म (रुघजी) शिष्य, कीत्तिरत्नशा० पं. लाभचन्द लक्ष्मीलाभ महो० चारित्रप्रिय गणेः पौत्र पं. वींझराज विनयलाभ प० केशरीचन्द मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० १. नागपुर २. चोहटण ३. सं० १९६७ चैत्र सुदि १५ ४. सुजानगढ़ ५. सं० १९६७ माघ सुदि ६ सुजानगढे दीक्षा। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १४५ पं. वद्धिचन्द विजयलाभ पं० मंगलभद्र शिष्य, क्षेमशा० पं. सोहनलाल सौभाग्यलाभ पं० विजयलाभ मुनेः शिष्य, पं. रामेश्वर रत्नलाभ पं० रंगपद्म मुनेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. रामचन्द्र ऋद्धिलाभ श्रीजिताम् ॥ सं० १९७३ रा मिती ज्येष्ठ कृ. ३ भ० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः 'जय' ३ नन्दी कृता बीकानेरे ।। पं. मोती महिमाजय ५० अमृतरंग मुनेः पौत्र, क्षेमशा० प. पेमो पुण्यजय उ० चतुरभुज गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. दयाचन्द दानजय श्रीजिताम् पं. हेमचन्द हर्षजय पं० हेमप्रिय मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं. नगीनचन्द न्यायजय पं० गोपजी मुनेः पौत्र, क्षेमशा० पं. चांदू चरणजय श्रीजिताम् पं. बाल विवेकजय पं० ऋद्धिसार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. प्यारेलाल प्रीतजय पं० अमृतसार मुनेः शिष्य, कीत्तिरत्नशा० पं० दानविशाल प्रपोत्र पं. ३ चारित्रजय पं० धीरउदय मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. दुरगो दयाजय पं० ऋद्धिकरण मुनेः शिष्य पं. गोपाल ज्ञानजय वा० जीवण गणेः शिष्य, क्षेमशा० पं. आनन्दीलाल अमृतजय पं० गणेशचन्द्र मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० ॥सं. १९८३ प्राषाढ सुदि १५ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचारित्र सूरिभिः 'सागर' ४ नन्दी कृता बीकानेरे ॥ पं. गोपाल? गुणसागर पं० ज्ञानोदय मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. मनीलाल मणिसागर पं० रचन्द्रशा० पं. आणंदमल आणंदसागर उ० चतुरभुज गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. जयकरण जयसागर वा० पद्मोदय गणेः, जिनभद्रशा० १. फा. कृ. १० सं० १९७० २. रामगढ ३. लाडनू ४. चूरू ५. हिंगणघाट ६. बीदासर ७. कालूगांव ८. बीदासर ९. मुकनजी बाबा रे खोले Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ पं. सिरेमल पं. मोती सुखसागर मुक्तिसागर ऋद्धिसागर पं. ऋद्ध पं. लक्ष्मीचन्द लक्ष्मीसागर पं. पन्नालाल पुण्य सागर पं. साकलचन्द शान्तिसागर पं. सन्तराम सुमतिसागर पं. नेमचन्द पं. पूनमचन्द प्रीतिसागर पं. ज्ञानचन्द ज्ञानसागर पं० प्रीतिउदय शिष्य नीतिसागर पं. माणकौ पं. पुखराज पं. माणक पूर्णसागर मुनिसागर पं. रतनलाल 4 राजपाल पं. जोधो जयपाल पं. गण गुणपाल पं. 7 ज्ञानपाल पं. विजयलाल विनयपाल पं. सदासुख सत्यपाल पं. मोहन १. फतेपुर चूरू माणिक्यसागर पं० चारुचारित्र शिष्य, जिनभद्रशा० पं० महिमाउदय मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० पं० वल्लभसुन्दर गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० ॥ सं० १९९० कात्तिक सुदि ५ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः 'पाल' ५ नन्दी कृता बीकानेरे ॥ Jain Educationa International पं. लालजी पं. प्यारचन्द पुण्यपाल पं. लक्ष्मीचन्द लक्ष्मीपाल मूर्तिपाल लावण्यपाल पं० सुमतिपद्म मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० हितभद्र गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं० भैरुदान मुनेः पौत्र, जिनभद्रशा० क्षेमशा० २. गिरनार खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ७. राजगढ श्रीजिताम् पं० नित्यभद्र शिष्य, जिनभद्रशा० पं० शान्तिसौभाग्य शिष्य, क्षेमशा ० पं० लक्ष्मीप्रमृत शिष्य, कीतिरत्नशा० पं० चारित्रजय शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं० ऋद्धिकरण शिष्य पं० ऋद्धिकरण शिष्य पं० विजयलाभ मुनेः शिष्य, क्षेमशा० पं० सुमतिपद्म मुनेः शिष्य, क्षेमशा० (श्रीजिनविजयेन्द्रसूरि हुए) पं० जयकुशल शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं० प्रीतसागर मुनेः पं० पुण्यलाभ मुनेः शिष्य, जिनकी त्तिशा० श्रीजिताम्, जिनभद्रशा० श्रीजिताम्, जिनभद्रशा० ३. रतनगढ ८. देशनोक ४. लाडनूं ९. जूनागढ For Personal and Private Use Only ५. चूरू Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १४७ * श्रीजिनविजयेन्द्रसूरि के ॥ सं० १९९८ मिती माघ सुदि १० ज० यु० प्र० भ० श्रीजिनविजयेन्द्र सूरिभिः 'निधि' १ नन्दी कृता बीकानेरे ॥ पं. देवीचन्द दयानिधि पं० पूण्यपाल गणे: शिष्य, जिनभद्रशा० पं. अम्बो आनन्दनिधि पं० पन्नालाल गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. मोहन मोहननिधि पं० अमृतजय मुनेः शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. पालचन्द पूण्यनिधि उ० जयोदय गणे: शिष्य, जिनभद्रशा० पं. गोरधना गुणनिधि पं० जयकुशल मुने: शिष्य, सागरचन्द्रशा० पं. बालचन्द विवेकनिधि उ० विष्णदयाल गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. विजय चन्द विनयनिधि उ० विष्णुदयाल गणेः शिष्य, जिनभद्रशा० पं. जयचन्द जयनिधि श्रीजिताम् (हटा दिया) ॥ सं० २००१ मिती माघ सुदि ६ तिथौ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनविजयेन्द्रसरिभिः 'निधान' २ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये ।। पं. सकतमल सत्यनिधान श्रीजिताम् पं. बुद्धिप्रकाश बुद्धिनिधान महो० ऋद्धिसार गणे: पौत्र, क्षेमशा० पं. रूपचन्द रूपनिधान महो० ऋद्धिसार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं. हनुमान हर्षनिधान श्रीजिताम ॥ सं० २००७ मार्गशीर्ष सुदि १ तिथौ भ० श्रीजिनविजयेन्द्रसूरिभिः 'सुन्दर' ३ नन्दी कृता॥ पं. रवीन्द्र रवीन्द्रसुन्दर श्रीजिताम् पं. भैरु भैरवसुन्दर महो० ऋद्धिसार गणेः पौत्र, क्षेमशा० पं० बालचन्द शिष्य १. नोखा २. ३. फतहपुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૪૬ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची .. ... . n ॥ श्रीजिनविजयेन्द्रसूरिजी का स्वर्गवास काती सुदि १ सं० ..... प्रभु निर्वाण समय में हुअा ॥ पं. मृगेन्द्र मृगेन्द्रजयसुन्दर श्रीजिताम् पं. केशरीचन्द कुशलोदयसुन्दर श्रीजिताम् पं. देवेन्द्र चन्द्रोदयसुन्दर श्रीजिताम् ॥ सं० २०२७ ज्ये० सु० ६ बुधवार सुबोध कालेज जौहरी बाजार जयपुर में प्रातः ७.३० में देवेन्द्र की दीक्षा हुई॥ ॥सं० २०२८ वै. सु. २ मध्यान्ह ११ बजे रविवार ॥ पं. नमिसागर रूपसुन्दर पं० तिलकभद्र मुनेः शिष्य, कीतिरत्नशा० १.२. ३. स्वर्गवास के बाद शिष्य बनाये गये । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य शाखा श्री खरतर गच्छे प्राचार्य शाखा को यथा-प्राप्त दीक्षा नन्दी सूची . . ... . ... .... .. . . ... . .. .. .. .. . .. . .....। 'बिलास' नन्दी कृता । पं. माना पं० सुमतिविलास पं. त्रीकम पं० महिमाविलास पं. भीमा ५० भक्तिविलास पं. शांति पं० सिद्धिविलास पं. गोकल पं० गुणविलास पं. रतना पं० रंगविलास ॥सं० १७५६ रा मिती कात्तिक बदि ५ दिने श्रीमहम्मदाबादे 'विमल' नन्दी कृता । पं. रतना पं० ज्ञानविमल पं. करणा पं० कीतिविमल पं. आसा पं० सौभाग्यविमल पं. नेता पं० हर्षविमल पं. जसा पं० सुमतिविमल पं. गंगाराम पं० कनकविमल पं. देवचन्द पं० राजविमल पं. आसा पं० अमरविमल पं. दुरगा पं० विनयविमल पं. राजाराम पं० जयविमल पं. मयाचन्द पं० मतिविमल ॥ सं० १७६१ रा मिती वैशाख सुदि १३ वार शनौ श्रीपत्तनमध्ये 'सिन्धुर' नन्दी कृता ॥ पं. अमरा पं० दयासिन्धुर पं. हीरा पं० समयसिन्धुर पं. कुम्भा पं० आणंदसिन्धुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. लाला पं० लक्ष्मीसिन्धुर पं. सारंग पं० महिमासिन्धुर ॥संवत् १७६२ रा मिती माह सुद १ श्री पत्तने । पं. गुल्ला पं० धर्मसोम ॥मिती प्राषाढ सुदि १ पुष्या श्री बीकानेरे ॥ पं. रामा ५० ज्ञानसोम पं. गौडीदास पं० गुणसोम ॥सं० १७६६ रा मिती माघ बदि १ पुष्या 'सुन्दर' नन्दी कृता श्रीमरोट्टकोट्टे ॥ पं. खेमा पं० रंगसुन्दर पं. अमीपाल पं० कनकसुन्दर पं. रामा पं० राजसुन्दर ॥ सं० १७६९ रा मिती जेठ बदि ५ दिने मन्दिर' नन्दी कृता श्रीबीकानेरे ।। पं. अमीचन्द पं० विनयमन्दिर ॥ सं० १७७१ रा मिती मिगसर बदि १२ दिने जेसलमेरौ 'हर्ष' नन्दो कृता ।। पं. रूपा पं० राजहर्ष पं. खीमा पं० समयहर्ष ॥ सं० १७७३ रा मिती वैशाख बदि ४ दिने श्री फलवद्धिकायां 'रत्न' नन्दी कृता ॥ पं. हीरा पं० आनन्दरत्न पं. जोगा पं० योगरत्न, श्री बेनातटे पं. ठाकुरसी पं० रूपरत्न पं. मनजी प० मतिरत्न ॥ सं० १७७४ रा पोह सुदि १३ दिने श्री जालोरे 'शील' नन्दी कृता । पं. जग्गा पं० विनयशील Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. हरषा पं० की तिशील, श्रीपत्तने पं. माना पं० पूण्यशील पं. धन्ना पं० रंगशील पं. तेजा पं० तेजशील ॥ सं० १७७६ रा ज्येष्ठ सुदि ५ दिने श्री राजनगरे 'सिंह' नन्दी कृता ।। पं. पीथा पं० धर्मसिंह पं. अमरा पं० हपसिंह पं. देवा पं० दयासिंह पं. सभा पं० विजैसिंह ॥ सं० १७९७ वर्षे शाके १६६२ प्र० आषाढ सुदि ५ रात्रौ लघु वृद्ध दीक्षा श्री जेसलमेर नगरे भ० श्री जिनकोत्तिसूरिभिः ‘कोत्ति' नन्दी कृता ॥ साध्वी 'माला' नन्दी कृता ।। पं. किशोरचन्द पं० रंगकोत्ति पं. माणकचन्द पं० सिद्धकीत्ति ....................."सा० कनकमाला .......................सा० किसनमाला .... ............"सा० रूपमाला ॥सं० १८०५ फागुन बदि ५ गुरौ भ० श्रीजिनकोत्तिसूरिभिः 'राज' नन्दी कृता श्री विक्रमपुरे ॥ पं. सरूपा पं० पुण्यराज ॥ सं० १८०६ मिती फागुन बदि ५ श्री विक्रमपुरे श्रीजिनकीतिसूरिभिः 'वल्लभ' नन्दी कृता ॥ पं. वीरा पं० उदयवल्लभ पं. रामकृष्ण पं० आणन्दवल्लभ पं. भीमराज पं० रंगवल्लभ ॥सं० १८०८ चैत्र बदि ३ श्रीविक्रमपुरे श्रीजिनकोत्तिसूरिभिः 'भक्ति' नन्दी कृता ॥ पं. मलूका पं० मूत्तिभक्ति पं. फत्ता पं० कुशलभक्ति Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची पं. मूला पं० मतिभक्ति पं. खुश्याला पं० क्षमाभक्ति पं. केसरचन्द पं० कनकभक्ति पं. बाला पं० लक्ष्मीभक्ति पं. नाथा पं० कत्तिभक्ति पं. आलम पं० विमलभक्ति ॥ सं० १८०९ वैशाख सुदि १३ श्रीजिनकीतिसूरिभिः 'सुन्दर' नन्दी कृता श्री बीलाड़ा मध्ये ॥ पं. ईसर पं० कीत्तिसुन्दर पं. भगवान पं० प्रतापसुन्दर पं. गणेश पं० भवनसुन्दर पं. दुलीचन्द पं० विनयसुन्दर पं. कपूरा पं० तिलकसुन्दर पं. सामन्त प० प्रमोदसून्दर पं. आणन्द पं० कल्याणसुन्दर ॥ सं० १८११ ज्येष्ठ सुदि १० श्री बोलाड़ा मध्ये श्रीजिनकीतिरिभिः 'समुद्र' नन्दी कृता । पं. लाधा पं० मतिसमुद्र पं. नाराण पं० हर्षसमूद्र पं. रूपा पं० रूपसमुद्र पं. पूंजा पं० राजसमुद्र ।। सं० १८१२ माह बदि ३ 'निधान' नन्दी कृता श्रीजिनकीतिसूरिभिः ।। पं. फत्ता पं० रंगनिधान पं. बोधा पं० भक्तिनिधान ॥ सं० १८१६ फागुण सुदि ३ श्रीजिनकोत्तिसरिभिः 'सार' नन्दी कृता श्रीमकसुदाबाद मध्ये ॥ पं. हजारी पं० भक्तिसार पं. अमरा पं० अखेसार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १५३ पं. पेमा पं० क्षमासार पं. डाहा ५० उदेसार पं. पीथा पं० धर्मसार पं. रूपा पं० आनन्दसार पं. हेमा पं० हर्षसार ॥ सं० १८१८ मिगसर सुदि ११ दिने 'नन्दन' नन्दी कता भ० श्रीजिन कोत्तिसरिभिः श्रीमकसुदाबाद मध्ये ॥ पं. खुस्याल पं० भक्तिनन्दन पं. लाला पं० लब्धिनन्दन * जिनयुक्तिसूरि के ॥ सं० १८२२ मिती वैशाख सुदि ३ श्री जेसलमेरुमध्ये भ० श्रीजिन युक्तिसूरिभिः 'माणिक्य' नन्दी कता॥ पं. लच्छीराम पं० लक्ष्मीमाणिक्य पं. अणदा पं० आनन्दमाणिक्य पं. साहिबा पं० सौभाग्यमाणिक्य पं. नाथा पं० नयमाणिक्य पं. दौला पं० दौलतमाणिक्य * जिनचन्द्रसूरि * ॥ सं० १८२४ माघ सुदि ३ भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'चन्द्र' १ नन्दी कृता श्री जेसलमेर मध्ये ॥ पं. वेणा (वेणीराम) पं० विनयचन्द्र पं. मलूकचन्द पं० मित्रचन्द्र (मतिचन्द) पं. ठाकुरसी पं० आनन्दचन्द्र ॥सं० १८२५ चैत्र बदि २ दिने 'मूत्ति' २ नन्दी कता श्रीजिनचन्द्र सरिभिः श्रीजेसलमेर मध्ये ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. डूंगरसी पं० रत्नमत्ति पं. रामचन्द्र पं० सुमतिमूर्ति ॥ सं० १८२७ वैशाख सुदि २ 'सागर' ३ नन्दी कृता ॥ पं. रुघौ पं० रत्नसागर पं. कनीराम पं० कान्तिसागर ॥ सं० १८३० चैत्र सुदि ७ भ० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः 'सौभाग्य' ४ नन्दी कृता॥ पं. धन्नौ पं० भुवनसौभाग्य पं. लछौ पं० लक्ष्मीसौभाग्य ॥सं० १८३१ वैशाख सुदि ३ दिने 'वर्द्धन' ५ नन्दी कृता । पं. ऊदा पं० उदैवर्द्धन ॥ सं० १८३२ माघ सुदि ५ श्री बीकानेर मध्ये भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'नन्दी' ६ नन्दी कृता ॥ पं. चतुरा पं० चातुर्यनन्दी पं. पदमा पं० पद्मनन्दी ।। सं० १८३५ मिगसर सुदि १० बीलाड़ा मध्ये 'सोम' ७ नन्दी कृता श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः ॥ पं. अनोपचन्द पं० अभयसोम पं. रायचन्द पं० राजसोम पं. हेमा पं० हर्षसोम (पत्र १ श्रीभद्रमुनिजी से प्राप्त) ॥ सं० १८३७ मिगसर बदि ५ जेसलमेर मध्ये 'विलास' ८ नन्दी कृता श्रीजिनचन्द्रसरिभिः ॥ पं. ऋषभौ पं० ऋद्धिविलास पं. अजबो ५० अमरविलास पं. रतनचन्द पं० राजविलास Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १५५ पं. भवानीराम पं० भक्तिविलास पं. भगौतीदास पं० भाग्यविलास ॥ सं० १८३८ मिगसर बदि ५ 'कुशल' ६ नन्दी कृता श्री जेसलमेर मध्ये __ भ० श्रीजिनचन्द्रसरिभिः ।। पं. अमरा पं० अमृतकुशल पं. रामा पं० रामकुशल पं. सिरीचन्द पं० शिवकुशल पं. लालौ पं० लाभकुशल ॥ सं० १८४० वैशाख सुदि ३ दिने भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'कुमार' १० नन्दी कृता ॥ पं. भाईचन्द पं० भक्तिकुमार पं. जयचन्द पं० जयकुमार पं. मयाचन्द पं० महेन्द्रकुमार पं. वृद्धौ पं० विद्याकुमार ......"साध्वी मतिमाला ............"साध्वी चन्द्रमाला ॥ सं० १८४२ जेठ सुदि ८ 'धीर' ११ नन्दी कृता श्री साहापर (?) मध्ये॥ पं. शिवचन्द पं० शिवधीर पं. प्रेमा पं० प्रीतिधीर (संग्रहस्थ पत्र से) पं. अजबौ पं० अमृतधीर पं. चन्दौ पं० चन्द्रधीर पं. दुलीचन्द पं० द्युतिधीर पं. लक्ष्मीचन्द पं० लक्ष्मीधीर पं. सूरतो पं० शुभधीर पं. लालचन्द पं० लाभधीर पं. मयाचन्द पं० मतिधीर पं. उदौ पं० उदयधीर पं. हीरो पं० हर्षधीर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ॥सं० १८४३ मि० आषाढ सुदि ९ 'हंस' १२ नन्दी कृता श्री इन्दौर मध्ये ॥ पं. मनिराम पं० मतिहंस पं. मेघो पं० महिमाहंस पं. अजबो पं० अचलहंस, (फत्तेजी रो) ॥सं० १८४५ फागुण सुदि ७ दिने 'हीर' १३ नन्दी कृता नौलाई मध्ये श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः । पं. सन्तोषौ पं० सुखहीर पं. माणकचन्द पं० माणिक्यहीर पं. अर्जुन पं० अभयहीर पं. गिरधारी पं. गंगहीर पं. गिरधर पं० ज्ञानहीर पं. रामो पं० रत्नहीर पं. अमरदत्त पं० अचलहीर ।। सं० १८५१ माघ सुदि १३ खम्भायत मध्ये 'विमल' १४ नन्दी कृता श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः, साध्वी 'माला' नन्दी ।। पं. माणचन्द पं० मतिविमल पं. श्रीचन्द पं० श्रीविमल पं. गौड़ीदत्त पं० गुणविमल पं. केसरीचन्द पं० कांतिविमल पं. प्रश्नचन्द पं० प्रज्ञाविमल पं. मेघो पं० मतिविमल ."सा० फंदमाला .................. सा० चेनमाला "सा० धनमाला .................सा० अखेमाला .................. सा० राजमाला . .. ... ... . . ... . .. .. . . ॥सं० १८५४ रा प्राषाढ सुदि ५ श्री बीकानेर मध्ये श्रीजिनचन्द्रसरिभिः 'तिलक' १५ नन्दी कृता । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १५७ पं. गुमान पं० गुमानतिलक पं. खुश्याल पं० क्षमातिलक पं. मनरूप पं० मतितिलक पं. चेनो पं० चैत्यतिलक पं. अमरो पं० अमृततिलक पं. खश्यालचन्द पं० शांतितिलक, चतरेजी रो पं. बालचन्द पं० वल्लभतिलक पं. चिमनलाल पं० चैतन्यतिलक पं. पेमो ५० प्रेमतिलक, मेघराज रो पं. सोभाचन्द पं० सुखतिलक ॥ सं० १८६२ मि० माघ सुदि ५ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'रत्न' १६ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये, साध्वी 'श्री' नन्दी ।। पं. गम्भीरचन्द पं० गुणरत्न पं. जीवराज पं० जयरत्न पं. वस्तपाल लाभरत्न पं. मनसुख मतिरत्न पं. हळू हर्षरत्न सा० फूंदा सा० पुण्यश्री .................."सा० गुमानश्री ................... सा० रतनश्री .................."सा० जयश्री ॥सं० १८६५ रा जेठ बदि १० 'शील' १७ नन्दी कृता श्री बोकानेर मध्ये ॥ पं. परमसुख प्रेमशील पं. श्रीचन्द सुमतिशील ॥सं० १८६६ माघ बदि ३ 'राज' १८ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. देवचन्द देवराज पं. हीरा हर्षराज ॥सं० १८६८ रा जेठ सुदि १३ 'कलश' १९ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये॥ पं. ज्ञानचन्द ज्ञानकलश पं. वीरचन्द विनयकलश पं. मनसुख महिमाकलश पं. मोती मतिकलश पं. दुलीचन्द देवकलश ॥ सं० १८६६ रे माघ सुदि १५ सोमे 'मन्दिर' २० नन्दी कृता बीकानेर मध्ये ॥ पं. रूपचन्द रत्नमन्दिर पं. मेहरचन्द मतिमन्दिर पं. करमचन्द कनकमन्दिर पं. चेनो चतुरमन्दिर """""सा० जयतश्री .................."सा० ज्ञानश्री .................."सा० रूपश्री ॥ सं० १८७२ मिगसर सुदि ४ सोमे 'रंग' २१ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः ।। पं. हर्षचन्द हर्षरंग पं० लालचन्द रो पं. मोतीचन्द मतिरंग पं० अनोपचन्द रो पं. हीरचन्द हिरण्यरंग पं० मयाचन्द रो पं. गुलाबचन्द गुणरंग पं० चतुरभुज रो पं. दीपचन्द द्युतिरंग पं० केसरीचन्द रो पं. भेरचन्द भाग्यरंग पं० केसरीचन्द रौ पं. गौड़ीदास ज्ञानरंग प० पदमचन्द रो पं. रतनचन्द राजरंग पं० रायचन्द रो . .. .... .. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १५९ पं. सरूपचन्द सौभाग्यरंग पं. कस्तूरचन्द कांतिरंग पं. वखतो वल्लभरंग पं० सोभाचन्द रो पं० भवानीराम रो पं० उदचन्द रो * जिनोदयसूरि * ॥ सं० १८७७ मि० वैसाख सुदि ३ दिने श्रीजिनउदयसूरिभिः 'उदय' १ नन्दी कता श्री जेसलमेर मध्ये ॥ पं. गुलाबचन्द गुणउदय पं० पदमचन्द रो पं. जीवराज जीवउदय पं० बालचन्द रौ पं. जीतमल जीतउदय पं० अजबचन्द रो पं. लक्ष्मीचन्द लक्ष्मीउदय पं० रतनचन्द रो ॥सं० १८८३ मिती वैशाख सुदि ३ श्रीजिनउदयसूरिभिः 'शील' २ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. हिमतराम हिरण्यशील पं. गोडीचन्द ज्ञानशील पं. मदनचन्द महिमाशील पं. उमेदचन्द उदयशील ॥ सं० १८८८ बैशाख सुदि १५ दिने श्रीजिनउदयसूरिभिः 'समुद्र' ३ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. विजेचन्द विजैसमुद्र पं. रूपचन्द राजसमुद्र पं० सोभाचन्द रो ॥ सं० १८९१ मिती वैशाख सुदि ३ दिने श्रीजिनउदयसरिभिः 'रुचि' ४ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. भगवानदास भाग्यरुचि पं. वखतो वल्लभरुचि पं. ताराचन्द ताररुचि पं. धर्मचन्द धर्मरुचि पं. सदासुख सदारुचि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० खरतर गच् छदीक्षा नन्दी सूची * जिनहेमसूरि * ॥ सं० १८९७ मिती जेठ सुदि ७ दिने भ० श्रीजिनहेमसूरिभिः 'हेम' १ नन्दी कता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. हुकमो हर्षहेम पं. हंसीयो हंसहेम पं. बालु वल्लभहेम पं. अमरो अमृतहेम पं. परमानन्द प्रीतहेम पं. खेतो क्षांतहेम (सागर) पं० रूपचन्द रो ॥ सं० १८६७ वैशाख सुदि ३ दिने श्रीजिनहेमसूरिभिः 'सागर' २ नन्दी कृता श्री कामठी मध्ये ॥ पं. मगनीराम मतिसागर पं. हर्षचन्द हर्षसागर ॥ सं० १९६० (१, १९००) मि० जेठ सुदि ५ दिने श्रीजिनहेमसूरिभिः ३ 'धीर' नन्दी कृता श्री कामठी मध्ये ।। पं. रायचन्द राजधीर पं. खूबचन्द क्षमाधीर पं. रामदयाल रत्नधीर ॥ सं० १६०२ मि० मिगसर बदि १३ बीकानेर मध्ये भ० श्रीजिनहेम सरिभिः 'तिलक' ४ नन्दी कृता । पं. रुघौ रत्नतिलक ॥ सं० १९०३ मि० वैशाख सुदि ३ धुलेवा मध्ये श्रीजिनहेमसूरिभिः 'रत्न' नन्दी ५ कता ॥ पं. हीरचन्द हर्षरत्न पं. भगवानो भाग्यरत्न ॥सं० १९०३ मिती फागुण बदि ५ 'रत्न' ५ नन्दी कृता जेपर मध्ये ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १६१ ॥ फागण पं. पन्नालाल प्रेमरत्न पं. तनसुख ताररत्न ॥ सं० १९०६ जेठ सुदि १२ श्री पोहकर्ण मध्ये भ० श्री जिनहेमसूरिभिः ___ 'सुन्दर' ६ नन्दि कृता॥ पं. आसो आणन्दसुन्दर ॥ फागण बदि ५॥ सा. सारां सा० स्थिरश्री ॥सं० १९०७ मिती मिगसर बदि १३ श्री जेसलमेर मध्ये भ० श्री जिनहेमसूरिभिः ७ 'धर्म' नन्दी कृता । पं. चुनीलाल चारित्रधर्म पं. मेघो मतिधर्म ॥सं० १९०८ मिती वैशाख सुदि ३ दिने श्री जिनहेमसूरिभिः 'हर्ष' ८ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. माणकचन्द माणक्यहर्ष पं. बच्छराज वल्लभहर्ष पं. सदासुख सदाहर्ष पं. कपूरचन्द्र क्रांतिहर्ष सा. गुणमाला ने बड़ी दीक्षा दीनी नहीं नै नांव लिख्यो छ । ॥सं० १९१३ मिती मिगसर बदि १० भ० श्री जिनहेमसरिभिः 'सार' ९ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये ॥ पं. जगतचन्द जयसार पं. फरसराम फतैसार पं. सुखलाल सुमतसार सा. नवली सा० न्यानश्री (चनणां री चेली) ॥सं० १९१७ मिती माघ सुदि ५ दिने भ० श्री जिनहेमसूरिभिः 'सागर' १० नन्दी कृता बीकानेर मध्ये ॥ पं. जीवण जयसागर गुलाबचन्द रो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची पं. विरधो वृद्धिसागर मेहरचन्द रो पं. बच्छराज विनसागर ताराचन्द रो ॥ सं० १९२० मिती वैशाख सुदि २ सोमवासरे श्री विक्रमपुर मध्ये 'तिलक' ११ नन्दी कृता भ० श्री जिनहेमसरिभिः ।। पं. रामानन्द राजतिलक पं० रामदयाल रो पं. धर्मचन्द धर्मतिलक पं० रायचन्द रो पं. हर्ष चन्द्र हर्षतिलक पं० राय चन्द रो पं. जेठीयो जयतिलक सा. सिणगारी सिणगारमाला (नवली रो चेली) सा. सुगनी सत्यमाला ॥ सं० १९२० रा मिती मिगसर सुदि २ दिने 'तिलक' १२ नन्दी कृता श्री निनहेमसरिभिः बीकानेर मध्ये ।। गंगाराम! ज्ञानतिलक पं० रामदयाल रो ॥सं० १९२१ मिती माघ सुदि ५ भट्टारक श्रीजिनहेमसरिभिः बीकानेर मध्ये 'शेखर' १३ नन्दी कृता ।। पं. फरसराम फतशेखर पं० गौडीचन्द रो ॥ सं० १९२४ रा मिती आषाढ सुदि ३ दिने श्रीजिनहेमसूरिभिः बीकानेर मध्ये साध्वी दीक्षा दीनी ॥ पं. गुणेशी ज्ञानशेखर सा. कस्तूरी सा० कनकमालाचंनणा री ॥ सं० १९२४ मि० माघ सुदि १० श्रीजिनहेमसूरिभिः 'वर्द्धन' १४ नन्दी कृता बीकानेर मध्ये । नागपुर ने पुड़ी भेजी ॥ पं. रामचन्द राजवर्द्धन वा० रायचन्द रो 1. स्याही फेरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची १६३ ।। सं० १९२५ मि० वैशाख सुदि ७ श्रीजिनहेमसूरिभिः 'विमल' १५ नन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये || सौभाग्यविमल पं० जगतचन्द रो पं. सोभाग ॥ सं० १६२५ रा मिती माघ सुदि ५ भ० श्रीजिनहेमसूरिभिः 'सौभाग्य' १६ मन्दी कृता श्री बीकानेर मध्ये || पं. अखेचन्द पं. सुगनो पं. तनसुख पं. हीरो पं. हजारी हंसराज रो वच्छराज रो तिलक सौभाग्य माणक रो हर्षसौभाग्य वच्छराज रो हीरसौभाग्य खेतसी रो ।। सं० १६२६ रा मिती फागुण सुदी ७ बड़ी दीक्षा ॥ रत्नमाला अमृतसौभाग्य सुमतसौभाग्य सा. रूपा ॥ सं० १६३० रा मिती वैशाख बदि २ भ० श्री जिनहेमसूरिभिः 'कुमार' १७ नन्दी कृता बीकानेर सुं पुडी दीनी ॥ पं० हर्षचन्द रो हर्षकुमार पं. हंसराज ॥ सं० १९३० रा मिती श्रासोज सुदि ५ म० श्री जिनहेमसूरिभिः श्री बीकानेर मध्ये 'कुमार' नन्दी कृता || पं. सुखलाल सुखकुमार पं० बखते रो पं. जालमचन्द जयकुमार गणेः पं० गोड़ीचन्द रा आउ वाले रो ।। सं० १९३१ रा मिती जेठ बदि ५ बुधे श्री बीकानेर मध्ये भ० श्रीजिनहेमसूरिभिः 'सुन्दर' १८ नन्दी कृता ॥ पं. गंगाराम ज्ञानसुन्दर पं. अमरचन्द आनन्दसुन्दर पं. वखतावर विनयसुन्दर पं० जगतचन्द रो पं० जगतचन्द रो पं. प्रेमचन्द प्रेमसुन्दर पं० खूबे रो, पुड़ी दीना पं. दौलतराम दानसागर ( १ सुन्दर ) पं० रामदयाल रो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ खरतर गच्छ दीक्षा नंदी सूची ॥सं० १९४१ मिती वैशाख सुदि ३ 'रंग' १९ नन्दी कृता ।। पं. ज्ञानचन्द ज्ञानरंग (स्याही फेरी) सा. सिरदारी सुमतश्री कस्तूरी री ॥सं० १९४२ रा मिती फागुण बदि ९ म० श्री जिनहेमसूरिभिः 'सागर' · २० नन्दी कृता बीकानेर मध्ये ॥ पं. रुघनाथ रतनसागर पं० चुनीलाल रो पं. दौलतराम दानसागर पं० तनसुख रो पं. चुनीलाल चतुरसागर पं० तनसुख रो पं. पांचुलाल पुण्यसागर पं. सिरदारो सुमतसागर पं. सहसकरण संघसागर पं. दोलतराम दानसागर पं० रामदयाल रो * जिनसिद्धिसूरि * ॥सं० १९४३ वर्षे शाके १८०८ मिती जेठ वदी १२ जं० यु० प्र०म० श्रीजिनसिद्धिसूरिभिः 'कमल' १ नन्दी कुता बीकानेर मध्ये ॥ पं. नवलचन्द नन्दिकमल पं० सुखलाल रो ॥ सं० १९४८ वर्षे शाके १८१३ मिती चैत सुदि १० ज० यु० म० श्रीजिनसिद्धिसूरिभिः 'विशाल' २ नन्दि कृता श्रीफलवद्धिनयर मध्ये ॥ पं. चुनीलाल चेनविशाल पं० मूलचन्द रो ॥ सं० १९४८ मि० काती बदि ८ भ० श्रीजिन सिद्धिसूरिभिः 'कल्लोल' ३ नन्दी कृता बाहड़मेर मध्ये ॥ पं. शिवलाल शिवकल्लोल पं० विजयचन्द रो ॥ सं० १९४८ कार्तिक कृष्ण पक्ष ८ रवि० भ० श्रीजिनसिद्धिसूरिभिः 'दत्त' ४ नन्दि कृता बाहड़मेर मध्ये ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दो सूची १६१ पं. वखताचरचन्द वल्लभदत्त उ० शिवलाल रो ॥ सं० १९५० का मि० वैशाख बदि २ सोमे भ. श्रीजिनसिद्धिसूरिभिः 'हंस' नन्दि ५ कृता सचाई जेपर मध्ये ।। पं. ज्ञानचन्द ज्ञानहंस पं० हीरालाल से ॥ सं० १९५३ फागुण बदि ६ सोमे भ० श्रीजिनसिदिसूरिभिः 'राज' ६ नन्दि कृता नागपुर मध्ये ।। पं. देवचन्द देवराज पं० गोडीचन्द रो ॥ सं० १९५१ मिती माघ सुदि ५ श्रीजिनसिद्धिसूरिभिः 'सिंह' ७ नन्दि ता बीकानेर मध्ये ॥ पं. लालचन्द लक्ष्मीसिंह उ० वखतावरचन्द रो पं. पेमराज पद्मसिंह श्रीजी रो पं. केशरीचन्द कनकसिंह श्रीजो रो पं. राजमल राजसिंह हंसराज रो सा. रतनी रतनमाला सा० नवला री ॥ सं० १९६८ वैशाख सुदि १ भ० श्रीजिनसिद्धिसरिभिः 'सार' ८ नन्दी कृता विक्रमपुर मध्ये ।। पं. रामचन्द रामरिद्धिसार विरधीचन्द रो ॥ सं० १९६६ मिती ज्येष्ठ सुबि १३ भ० श्रीजिनसिद्धिसरिभिः 'भण्डार' नन्दी कुता विक्रमपुर मध्ये ॥ पं. दुलोचन्द दौलतभण्डार पं. चुन्नीलाल चनभण्डार पं० शोभाचन्द रो पं. तेजु तेजश्री नवलश्री री ॥सं० १९८४ मि० वैशाख कृष्ण १२ गुरौ श्रीजिनसिद्धिसरिभिः १० 'निधान' नन्दी कृता विक्रमपुर मध्ये ॥ पं. आसकरण अक्षयनिधान श्रीजी रो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची * जिनचन्द्रसूरि ॐ ॥सं० १९८६ पासोज सुदि १० गुरुवारे श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः 'सकल' १ नन्दी कृता हैदराबाद नगर मध्ये ॥ (सु) भागचन्द सौभाग्यसकल श्रीजी रो ॥ सं० २००८ मिती माघ सुदि ६ शुक्रवार भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः विक्रमपुर मध्ये॥ पं. सौभाग्यसकल सोमप्रभसूरि * जिनसोमप्रभसूरि के ॥ सं० २०१० मिती जेठ सुदि १० बुधवारे भ० श्रीजिनसोमप्रभसरिभिः 'घर' १ नन्दी कृता बम्बई नगर मध्ये ॥ पं. प्रतापचन्द प्रतापधर श्रीजी रो पं. रतनचन्द रतनधर श्रीजी रो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | বিলাসুমী ছায়া कतिपय दीक्षा नन्दी सूची के उल्लेख - जंगम युगप्रधान सकल भट्टारक शिरोमणि श्री जिनदत्तसूरि श्रीजिनकुश नसरि चरण कमलेभ्यो नमः ।। संवत् १७८६ वर्षे शाके १५६४ प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मार्गशिर मास शुक्ल पक्षे दशम्यां १० तिथौ गुरुवासरे उत्तरा भाद्रपद नाम नक्षत्र सिद्धियोगे भ० श्री जिनविमलसूरिभिः प्रथम नन्दी विमल इति स्थापिता शुभभूयात् श्रीरस्तु॥ ॥ वा० अक्षयकल्याण शिष्य पं० कीर्तिसागर तच्छिष्य देवेन्द्र तच्छिय पं० तुलाराम बृहदीक्षा नाम तत्त्वविमल इति । द्वितीय शिष्य पं० जीवन तन्नाम जयविमल उ० श्री भुवननन्दन गणिपं० अभयकीत्ति तच्छिष्य पं० पद्मतिलक तच्छिष्य रामजी तन्नाम रत्नविमल इति । उ० श्री पुण्यचन्द्र गणि सत्क शिष्य देवदत्त तन्नाम देवविमल इति प्रतिष्ठित एते दत्ता नाम दयाविमल । पं० भुवनचन्द्र तच्छिष्य भवानी तन्नाम भानुविमलः, द्वितीय शिष्य रूपचन्द तन्नाम रूपविमलः । पं० नयकुशल शिष्य पं. दयाराम तच्छिष्य गरीबदास तन्नाम गुणविमलः । वा० महिमतिलक शिष्य सन्तोषी तन्नाम सत्त्वविमल इति । वा० जयनन्दन शिष्य लब्धिसागर तत्शिष्य अ........समुद्र ततशिष्य लीलापति......... ललितविमलेति प्रतिष्ठितम् ।। वा० भुवनचन्द्र तच्छिष्य प्रेमचन्द वृहद्दीक्षा नाम प्रेमविमल, द्वितीय शिष्य पूर्णमल तन्नाम पर्णविमल...... Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची वा० हर्षकुशल गणि शिष्य पुरुसोत्तम तन्नाम पुण्यविमल पं० हर्षचंद्र शिष्य उदोसिंध तन्नाम विमल । पं० रत्नधीर तत्शिष्य कुबेरचंद तन्नाम कीर्तिविमल । संवत् १८१७ वर्षे वैसाख सुदि ३ दिने श्रीपूज्यजी श्रीजिन श्रक्षयसूरिजी बृहद्दीक्षा रजपुरा मध्ये श्रपिता । श्रीपूज्य जी शिष्य सांवत वृहद्दीक्षा तन्नाम सर्वकुमार । उ० महिमतिलक' जी शिष्य चेता तन्नाम चित्रकुमार, द्वितीय शिष्य लच्छो तन्नाम लब्धिकुमार ॥ १. संवत् १८१७ वर्षे माघ शुक्ल दशम्यां शनो हरिदुर्ग मध्ये पं० सुगुणतिलक शिष्य अमृतधीर तत् शिष्य सीहमल्ल तन्नाम सुमतिकुमार, द्वितीय सदानंद तन्नाम सम्पत्ति' (कुमार) । पं० प्रेमधीर शिष्य सगता तन्नाम सिद्धिकुमार । पं० प्रेमघोर शिष्य जयकुमार तत् हरिचंद्र तन्नाम हर्षकुमार । पं. अमृतधीर शिष्य सुमतिकुमार तच्छिष्य संतीदास तन्नाम संतकुमार | संवत् १८१८ वर्षे वैशाख सुदि तृतीया दिने । पं० प्रीतिसमुद्र शिष्य प्रभुकुमार तच्छिप्य पद्मा तन्नाम वृहद्दीक्षा पद्मकुमार || - Jain Educationa International चिदानन्दजी के पूर्वज थे, चित्रकुमार और लब्धिकुमार दोनों गुरु भाई थे, एक नहीं । For Personal and Private Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची [संविग्न साधु-साध्वी वर्ग] तृतीय खण्ड Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. महो० क्षमाकल्याण परम्परा सुखसागर जी म० का समुदाय साधु दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुनाम दीक्षा संवत् खुशालचन्द धरमो क्षमाकल्याण धर्मानन्द १८१५ आ. व. २ अमृतधर्म क्षमाकल्याण धर्मानन्द धर्मानन्द राजसागर राजसागर राजसागर ऋद्धिसागर राजसागर ऋद्धिसागर गुणवन्तसागर पद्मसागर स्थानसागर सुखसागर स्व० १९५२ स्व० १९४२ सुखलाल १९०६ भा. सु. ५ ......... इन्हीं से सुखसागरजी म० का समुदाय कहलाया भगवानदास भगवानसागर सुखसागर १९२५ चिदानन्द सुखसागर कल्याणसागर सुखसागर रत्नसागर सुखसागर १. स्व० १८७२ पौ० व० १४ २. स्व० १९४२ मा० ५० ४ फलौदी ३. स्व० १९५७ ज्जेष्ठ व० १४ फलौदी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुनाम दीक्षा संवत् छोगमल १९४२ वै. सु.१० सुजाणमल १९४४ वै. शु.८ क्षमासागर सुखसागर छगनसागर स्थानसागर चैतन्यसागर भगवानसागर म० सुमतिसागर गुमानसागर धनसागर पूर्णसागर छगनसागर तेजसागर भगवानसागर ग० त्रैलोक्यसागर भगवानसागर ......... ........... ......... चुन्नीलाल १९५२ प्र. ज्ये० सु०७ १६५७ आ० व० ! हरिसिंह .......... हरिसागर' भगवानसागर (जिनहरिसागरसूरि) कीर्तिसागर सुमतिसागर लब्धिसागर कीर्तिसागर भावसागर कीर्तिसागर मणिसागर सुमतिसागर (जिनमणिसागरसूरि) ........... मनजी १९६० ४. स्व० १९६६ द्वि० श्रा० ६ लोहावट ५. महोपाध्याय पद १९७६ इन्दोर, स्व० १९८४ पो० सु० ६ कोटा ६. गणनायक १९६६, स्व० १६७४ श्रा० सु० १५ लोहावट ७. आचार्य पद १६६२, स्व० २००६ पो० व० ६ मेडता रोड ८. पंन्यास पद १९७६ इन्दोर, आचार्यपद २००० पो० ब०१ बीकानेर, स्व. २००७ मा० २०१५ मालवाडा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुनाम दीक्षा संवत् नवनिधिसागर पूर्णसागर क्षेमसागर पूर्णसागर रत्नसागर त्रैलोक्यसागर रूपसागर त्रैलोक्यसागर मणिसागर रूपसागर वी. आनंदसागर' त्रैलोक्यसागर १९६८ वै. शु. १२ (जिनानन्दसागरसूरि) कल्याणसागर त्रैलोक्यसागर वल्लभसागर क्षेमसागर भक्तिसागर त्रैलोक्यसागर कवीन्द्रसागर जिनहरिसागरसूरि १६७६ फा.व. ५ (जिनकवीन्द्रसागरसूरि) महेन्द्रसागर जिनानंदसागरसूरि हेमेन्द्रसागर जिनहरिसागरसूरि मंगलसागर जिनानन्दसागरसूरि १९८८ मा. सु. ५ (जिनोदयसागरसूरि)* कान्तिसागर जिनहरिसागरसूरि १९८६ ज्ये.शु.१३ (जिनकान्तिसागरसूरि) देवराज उदयसागर तोलाराम ६. आचार्य पद २००६, स्व० २०१७ पो० सु० १० १०. आचार्य पद २०१७, स्व० २०१७ फा० सु० ५, ११. आचार्य पद १३ जून १९८२ १२. आचार्य पद १३ जून १९८२, स्व० २०४२ मि० २०७ *चिन्हांकित विद्यमान हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ · जन्म नाम ******... रामजीवन बस्तीचंद रामपाल रामपाल अमरचन्द मंदनलाल चतुरभुज चौथमल नवीनचन्द Jain Educationa International दीक्षा नाम गुरुनाम कुसुमसागर ( प्रभाकरसागर) प्रेमसागर दर्शनसागर प्रभाकरसागर भक्तिचन्द गौतमचन्द ( गौतमसागर) गुणचन्द तीर्थसागर नेमिचन्द अस्थिरमुनि कल्याणसागर* विमलसागर चन्द्रसागर विजयसागर हंससागर करुणासागर जिनहरिसागरसूरि १९६६ मा. सु. ३ महो. विनयसागर जिनमणिसागरसूरि जिनकवीन्द्रसागरसूरि जिनानन्दसागरसूरि जिनानन्दसागरसूरि खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूच 11 11 नवनिधिसागर जिनहरिसागरसूरि २००२ जिन उदयसागरसूरि जिनमणिसागरसूरि २००४ २००४ दीक्षा संबत् " २००४ जिनहरिसागरसूरि २००३ २००६ "" 13 गुणचन्द गौतमसागर जिनकवीन्द्रसूरि २००६ मि.व. ५ For Personal and Private Use Only 33 उ. महोदयसागर जिनउदयसागरसूरि २०१५ ज्ये. शु. १० सूर्य सागर Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १७५ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुनाम दीक्षा संवत् सम्पतराज ......... .... मीठालाल सिंघमल प्रतापमल मिश्रीमल चम्पालाल .......... मुकेशकुमार सूर्यकान्त मिलापचन्द ललितकुमार पुखराज कैलाशसागर जिनकवीन्द्रसूरि २०१५ आ.शु. १० कीर्तिसागर* कल्याणसागर . ग.मणिप्रभासागर* कान्तिसागरसूरि २०३० आ.व. ७ धर्मसागर विमलसागर २०३० बै. शु. ११ प्रतापसागर* - कान्तिसूरि २०३० मि. व. २ मनोज्ञसागर* , २०३० मि. व. २ पूर्णानन्दसागर* उदयसागरसूरि २०३० मा. सु. ५ प्रकाशसागर कान्तिसागरसूरि २०३२ आ. सु. ६ मुक्तिप्रभासागर* २०३२ फा. सु. ३ सुयशप्रभासागर* २०३५ मि. सु. ५ ग. महिमाप्रभसागर* २०३५ ज्ये. सु. ११ ललितप्रभसागर* २०३५ ग्जे. सु.११ चन्द्रप्रभसागर* २०३७ बै. सु. १० शशिप्रभसागर २०३८ २६.६.८१ विमलप्रभसागर* २०४१ का. व. २ पीयूषसागर* उदयसा गरसूरि २०४१ फा. सु. २ मनीषप्रभसागर* मणिप्रभसागर २०४५ ज्ये. शु. १० चन्द्रभान बसन्तकुमार प्रदीपकुमार मौतीलाल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची अन्य प्राप्त कतिचित् प्राचीन नाम शिवजीराम स्व० मुक्तिसागर मोतीलालजी स्व० २००२ का.व. १२ चारित्रमुनि प्रेमसागर मेघराज भैरूलाल प्रेमसुख Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीसुखसागरजी म. के साध्वी समुदाय की दीक्षा सूची उद्योत श्री-जन्म नाम-नानीबाई, श्री राजसागरजी की शिष्या रूपश्रीजी के पास सं० १९१८ माघ सुदि ५ को दीक्षा। सं० १९३२ में सुखसागरजी के सानिध्य में क्रियोद्धार। प्रमुख शिष्याये-१. धनश्री, २. लक्ष्मीश्री। लक्ष्मी श्री-जन्म नाम-लक्ष्मीबाई । दीक्षा १९२४ मिगसर वदि १० । प्रमुख शिष्याये - १. पुण्यश्री' २. शिवश्री (सिंहश्री) ३. मगनश्री इन्हीं प्रवर्तिनी पुण्यश्री और प्रवर्तिनी शिवश्री का शिष्या समुदाय विशाल होने से साध्वी समुदाय भी पुण्य-मंडल अथवा प्र० पुण्यश्री परम्परा एवं शिव-मण्डल अथवा प्र० शिवश्री परम्परा समुदाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। प्र.पुण्यश्री-जन्म नाम पन्नीबाई, जन्म सं० १९१५ वै० सु० ६ । दीक्षा १६३१ बैशाख सुदि ११ । स्वर्गवास १६७६ फागुन सुदि १० जयपुर। प्र०शिवश्री-जन्म १९१२, जन्म नाम-शेरू । दीक्षा १९३२ वैशाख सुदि ३ । स्वर्गवास १९६५ पौष सुदि १२ अजमेर। प्रवर्तिनी पुण्यश्री समुदाय/पुण्य-मण्डल के साध्वीसमुदाय की दीक्षा सूची व्यवस्थित रूप से "पुण्य जीवन ज्योति" एवं “परिचय पुस्तिका" में प्राप्त होती है। इन्हीं को आधार मानकर सूची प्रस्तुत की जा रही है। १. सुख चरित्र पृ० २०७ के अनुसार पुण्यश्रीजी लक्ष्मीश्रीजी की प्रशिष्या थी। २. प्र० सज्जनश्री लिखित ३. साध्वी विद्युत्प्रभाश्री लिखित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. (क) प्र० पुण्यश्री साध्वी-समुदाय की दीक्षा सूची (स्वर्गस्थ) जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् १६१८ मा० सु०५ १६२४ मि० व० १० १६३१ बै० सु० ११ १६३० मि० व० २ १६३६ आषाढ १६३६ मि० व०२ नानीबाई उद्योतश्री रूपश्री लक्ष्मीबाई लक्ष्मीश्री उद्योतश्री पन्नाकुमारी प्र० पुण्यश्री लक्ष्मीश्रीजी मगनश्री , उमरावकुंवर अमरश्री पुण्यश्री सारीबाई शृंगारश्री सिरियाबाई सिरदारश्री कसूबीबाई केशरश्री शृंगारश्री भीमश्री घेवरश्री चम्पाश्री चुनीबाई चाँदश्री तेजश्री बाधुबाई विवेकश्री गुलाबबाई गुलाबश्री सुन्दरबाई प्र० सवर्णश्री केसरश्री १६४१ ज्ये० व० १२ " , १३ १६४१ माघ सु० १६४३ वै० सु० १० १९४३ वै० सु० ११ १९४५ मि० व० १९४६ मि० व० ५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १७६ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् I पुण्यश्री १९४७ चैत्र सु०५ १६४८ चैत्र सु० ५ . १९४८ आ० सु०३ १६४८ मि० सु० २ १९५० जेठ व० १३ १९५१ आ० सु०७ १६५१ मि० सु० १५ १६५२ जेठ सु० ७ . १६५३ जेठ सु०२ रतनबाई रत्नश्री विवेकश्री लाभूबाई लाभश्री शृंगारश्री भाणीबाई कनकश्री फूलीबाई धनश्री फते कंबर फतेश्री महताबबाई मेताबश्री धूलीबाई उज्ज्वलश्री सोभागबाई प्रेमश्रीजी शृंगारश्री हरीबाई हर्षश्रीजी पुण्यश्री टीकमश्रीजी फूलीबाई विद्याश्रीजी शृंगारश्री सोनीबाई सोभाग्यश्रीजी पुण्यश्री गियाबाई प्र. ज्ञानश्रीजी* गोरजाबाई गौतमश्रीजी वीरांबाई विजयश्रीजी बाधुबाई हुलासश्रीजी माडूबाई माणकश्रीजी माडूबाई हीर श्रीजी माडूबाई पद्मश्रीजी मृगाबाई मोहनश्रीजी जीवी बाई दयाश्रीजी विवेकश्री गलकीबाई जीवणश्रीजी पुण्यश्री १९५५ जेठ सुदि २ ___ , पो० सु०६ ___ १९५६ वै० सुदि ६ १९५६ चैत्र सुदि १३ १६५६ माघ सु० ५ *प्रवर्तिनी पद वि०सं ० १९६६, स्व० २०२३ चैत्र व०१० जयपुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची W जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् पुण्यश्री १९५६ मा० सु० ५ सुवर्णश्री शृंगारश्री पुण्यश्री रत्नश्री स्वर्णश्री १६५७ , १६५८ मि० वदि १२ १६५८ मि० वदि ११ १९५८ फागण वदि ३ १९५८ फा०व०२ लाभ श्री धन्नीबाई कमलश्री राजीबाई रेवन्तश्री दीपीबाई दीप श्री नानीबाई नवलश्री मृगीबाई प्रेमश्री जडावबाई ज्योतिश्री चन्दनबाई देवश्री सौभाग्य कुंवर चन्दनश्री भाऊ बाई भक्तिश्री मगनीबाई मेघश्री ठमलीबाई चेतनश्री छगनबाई हितश्री गोरजाबाई गुणश्री माणकबाई माणकश्री उमरावकुंवर उमंगश्री जीवाबाई जयश्री सुगनबाई मुक्तिश्री चांदाबाई म चम्पाश्री वीरांबाई विनयश्री चम्पाबाई वल्लभश्री लाधुबाई लब्धिश्री मूलीबाई मोतीश्री १६५६ माघ वदि ७ १६६० वै० सुदि०७ कनकश्री कनकश्री सुवर्णश्री पुण्यश्री , १६६० ज्ये० सुदि ५ १६६० आ० सुदि १० १९६० माघ सुदि ७ १६६१ वै० सुदि १० १९६१ मि० सुदि ५ १९६१ पोष सुदि १२ १९६१ पोष सुदि १५ १९६१ चैत्र सुदि १३ १९६२ आ० सुदि ७ विवेकश्री पुण्यश्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only : Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सची १८१ गुरुवर्या नाम सुवर्णश्री दीक्षा संवत् १९६२ मि० सुदि ६ लाभश्री स्वर्णश्री पुण्यश्री १६६३ वै० सुदि ७ __ " १६६३ वै० सुदि ६ सुवर्णश्री लाभश्री पुण्यश्री जन्म नाम दीक्षा नाम अचरजबाई अमृतश्री केसरबाई कल्याणश्री जीवाबाई जीतश्री ......... हगामश्री सोनीबाई सत्यश्री चतुरश्री कंकुबाई कुंकुमश्री चिमनश्री रमकूबाई रेवंतश्री नन्दकुंवर मणिश्री मोहनबाई मोहनश्री गंगाबाई गंगाश्री चम्पाबाई ___कञ्चनश्री माडूबाई यमुनाश्री जतनबाई जतनश्री सूरतबाई सूरजश्री फूलश्री धन्नीबाई धनश्री सोभागबाई शुभश्री इचरजबाई शांतिश्री ज्ञानीबाई गंभीरश्री १६६३ वै० सुदि १० ६६३ पोष वदि ७ लाभश्री पुण्यश्री विवेकश्री पुण्यश्री सुवर्णश्री " " १९६४ वै० सुदि ११ १९६४ ज्ये० सुदी ५ १९६४ मि० वदि० ५ गुणश्री पुण्यश्री __, मि. सु. ५ कनकश्री रतनश्री १६६४ माघ सुदि ५ १९६५ आ० वदि ३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् पुण्यश्री १६६५ आ० व० १२ १९६६ माघ सुदि ६ शृंगारश्री पुण्यश्री १९६७ वै० सुदि ११ लाभश्री लाडबाई ___लालश्री पानबाई प्रधानश्री चीडीबाई चन्द्रश्री माडूबाई ताराश्री प्राणकंवर प्रसन्नश्री बबुबाई विजयश्री आरामश्री अमोलकरी कस्तूरश्री प्रमोदश्री केसरकुमारी सिद्धिश्री अजीतश्री सन्तोषश्री कीर्तिश्री जडावबाई सुमतिश्री गोमीबाई गुमानश्री चरित्रश्री इन्द्रबाई इन्द्रश्री चन्द्रबाई चरणश्री मनोहरबाई मनोहरश्री नोजीबाई नीतिश्री १९६८ १९६८ १९६६ माघ वदि १३ १६६८ ज्ये० सुदि ५ १९६९ ज्ये० सुदि६ १६६६ पुण्यश्री शृंगारश्री सुवर्णश्री १६६६ पुण्यश्री १९६६ १६७१ अक्षय तृतीया १६७१ माघ सुदि ५ १९७२ द्वि०वै० सु० १० पद्मश्री सौभाग्यश्रीजी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम मैनाश्री अनोपकंवर बसन्तश्री पार्वतीबाई दत्तश्री बालाबाई भुवनश्री पार्वतीबाई प्रीतिश्री सूरजबाई केसरबाई राय कंवर तेजबाई हर कंवर जोरावरश्री समरथश्री उपयोग श्री सुजानश्री दर्शनश्री सिद्धार्थ श्री गजीबाई गीतार्थश्री इचरजबाई अनुपमश्री धापूबाई धर्मश्री राजबाई रतिश्री सिरहकंवरबाई उत्तमश्री पानबाई प्रकाशश्री पवित्रश्री रविश्री Jain Educationa International जसकंवर यशवंतश्री छगनबाई इचरजबाई सुव्रतश्री देवेन्द्र गुरुवर्या नाम सौभाग्यश्री सुवर्णश्री चन्दनश्री दीपश्री रत्नश्री पुण्यश्री 22 " कनकश्री 37 पुण्यश्री रत्नश्री 17 " सुवर्णश्री हीरश्री हीरश्री 13 11 रत्नश्री 36 " " For Personal and Private Use Only दीक्षा संवत् १९७२ वै० सुदि १० १६७२ ज्ये० वदि ५ १६७३ १६७३ १९७२ मि० सुदि ५ 17 १६७३ १६७४ माघ सुदि १३ १६७५ वै० सुदि १० १६७४ मा० सुदि १३ " 11 "1 11 31 १९७४ १६७५ १६७५ १९७६ आ० शु० २ १६७६ फा० सु० ७ १९७९ फा० सुदि ७ , 37 १८३ 21 " १९८० माघ सुदि ३ " n Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् कनकश्री चेतनश्री १९७६ मि० सुदि ५ सुवर्णश्री १६८० ज्येष्ठ सुदि ५ कनगश्री दयाश्री उल्लासश्री १९८० सुगनश्री जैनश्री जिनेन्द्रश्री रूपकंवर प्र. विज्ञानश्री द्राक्षाकुमारी विचक्षणश्री* सुगनबाई समताश्री उमरावबाई बुद्धिश्री सरदारबाई सुमनश्री सारीबाई सुव्रतश्री अमरकुंवर अभयश्री हुल्लासकुंवर यशश्री सुन्दरबाई सम्पतश्री मकुबाई , विनोदश्री सिनगारीबाई शीतलश्री धापूबाई ध्यानश्री नाथीबाई नीतिश्री सुनन्दाश्री रतनबाई राजश्री सोनीबाई जीवनश्री देवकाबाई कुशलश्री ज्ञानश्री चन्दनश्री चेतनश्री विद्याश्री सुवर्णश्री कनकधी धनश्री मोतीश्री लालश्री ज्ञानश्री कल्याणश्री ६८१ मेरु तेरस १९८१ माघ सुदि १५ १९८१ वै० सुदि ११ १९८२ माघ सुदि ५ १९८६ फा० सुदि १ १९८६ ज्ये० वदि १२ १९८८ माघ सुदि ५ *स्व१ २०३७ वै० शु० जयपुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८५ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संचत पात्रा कोयलबाई कुमुदश्री प्रेमश्री १९८८ फा० सुदि ३ तीजांबाई वर्द्धनश्री चेतनश्री १६८८ ज्ये० सुदि. ३ रतनबाई हीराधी रत्नश्री १९८८ इचरजबाई विचित्रश्री विनयश्री १६६१ वै० सुदि ५ सोहनबाई विशालश्री , इचरजबाई वीरश्री सूरजबाई अशोकश्री जतनश्री __१९६१ वै० सुदि १० तेजबाई त्रिभुवनश्री उमंगश्री १६६३ मि० वदि ७ रतनबाई रणजीतश्री प्रसन्नश्री १६६६ वै० सुदि ७ माडूबाई रंभाश्री रतिश्री १६६७ ज्ये० सुदि ११ सज्जनबाई प्र. सज्जनश्री ज्ञानश्री १६६६ आ० सुदि २ चोथीबाई विबुधश्री वसन्तश्री शान्ताकुमारी पुष्पाश्री अनुपमश्री १६६६ माघ वदि ६ धापूबाई चितरंजनश्री जैनश्री १६६६ फा० सुदि २ अधिकारबाई प्रभाश्री विज्ञानश्री १६६६ माघ वदि ६ प्यारीबाई प्रकाशश्री प्रीतिश्री १९६६ इन्दिराकुमारी राजेन्द्रश्री उपयोगश्री २००१ वै० सुदि६ बाधूबाई जिनेन्द्रश्री ज्ञानश्री २००३ मि० सुदि ५ चम्पादेवी प्रवीणश्री जतनश्री २००१ वै० सुदि १२ छोटीबाई विजयेन्द्रश्री । विचक्षणश्री २००२ ज्ये० सुदि १५ संपतबाई देवेन्द्रश्री दत्तधी २००२ आ० सुदि २ पतासीबाई हीराश्री यशश्री २००१ आ० सुदि २ २. प्रवर्तिनी पद २०३६ मिगसर वदि ३, स्वर्गवास २०४६ मि. सुदी ११ For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची मन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् उमंगश्री लालश्री उमंगश्री मूलीबाई इचराबाई गोरांबाई फूलबाई सुमित्रा संतोष हसुकुमारी हाराश्री विकासश्री रूपश्री गुणवानश्री माणकश्री सूर्यप्रभाश्री सन्तोषश्री हंसप्रभाश्री ज्योतिप्रभाश्री विचक्षणधी वर्धनश्री विचक्षणश्री २००३ मि० सुदि६ २००२ २००८ मि० सुदि ५ २००६ ज्ये० वदि ७ २०११ मि० सुदि ११ २०११ फा० सुदि २ २०१७ वै० सुदि १३ २०२० वै० सुदि १३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. (ख) पुण्य-मण्डल की विद्यमान साध्वी दीक्षा सूची १० जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् धापू कुमारी धर्मश्री हीरश्री १९७६ फा०व०६ चम्पाकुमारी चंचलश्री कनकश्री १९८० फा० शु०५ वेदप्रभाकुमारी मुक्तिश्री सत्यश्री १९८३ मा० शु०५ ......... देवेन्द्रश्री प्रसन्नश्री १९८० गंगाकुमारी सुरेन्द्र श्री कंचनश्री १९८२ आ० व० ८ आशाकुमारी अविचलश्री प्र० विचणक्षश्री १९६१ प्र. ज्ये. व. ५ (प्रधानजी) कल्याणीकुमारी कमलाश्री कनकश्री १६६४ मा० सु० ५ जड़ावकुमारी हेमश्री पवित्रश्री १९६६ आ० सु०३ लीलावती कु० निपुणाश्री प्र० विचक्षणश्री १६६६ मि० सु० ५ ताराकुमारी तिलकश्री , १६६६ फा० व० २ विद्याकुमारी विनीताश्री , हुकमाकुमारी जितेन्द्रश्रीप्र० चम्पाश्री २००३ मि. सु. ५ दाखाकुमारी विनयश्री मुक्तिश्री २००५ मा० सु० २ चन्द्राकुमारी दिव्यप्रभाश्री पवित्रश्री २००६ मि० सु० ११ लाजवन्तीकु० चन्द्रकलाश्री प्र० विचक्षणश्री २००६ फा० सु० ५ मोहिनीकुमारी चन्द्रप्रभाश्री , २००६ फा० सु० १२ कमलाकुमारी कमलप्रभाश्री लालश्री २०१० जे० सु० ११ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् 1 मधुकान्ताकु० मनोहरश्री प्र० विचक्षणश्री २०११ मि० सु० ११ सरलाकुमारी सुलोचनाश्री २०१२ वै० सु०७ सत्यवन्तीकु० सुदर्शनाश्री रमाकुमारी सुरंजनाश्री २०१२ आ० सु० १० मधुकुमारी मंजुलाश्री मुन्नाकुमारी मणिप्रभाश्री २०१३ फा० सु० १० किरणकुमारी शशिप्रभाश्री प्र० सज्जनश्री २०१४ मि० व० ६ लूणीकुमारी मदनश्री प्र० चम्पाश्री २०१५ आ० सु० ६ मूलीकुमारी वीरप्रभाश्री पवित्रश्री २०१५ पो० सु० १२ हसुमतिकु० मुक्तिप्रभाश्री प्र० विचक्षणश्री २०१६ वै० सु० १३ चांदकुमारी जयप्रभाश्री चेतनश्री २०१८ मि० व० ५ भंवरीकुमारी निर्मलाश्री प्र० विचक्षणश्री , मि. सु. ७ पतासीकुमारी पुष्पाश्री . रतिश्री २०१६ फा० सु० २ पिस्ताकुमारी पद्माश्री धर्मश्री २०१६ मि० सु० ५ जतनकुमारी विजयप्रभाश्री रंभाश्री २०१६ मा० सु०५ रतनकुमारी विशालप्रभाश्री पवित्रश्री जयाकुमारी मंजुलाश्री प्र०विचक्षणश्री २०२० वै० सु० १३ मिश्रीकुमारी विनोदश्री विकासश्री २०२० रूक्मिणीकुमारी दक्षगुणाश्री दिव्यप्रभाश्री २०२२ वै० सु०७ किरणकुमारी प्रियदर्शनाश्री प्र० सज्जनश्री २०२४ आ० सु० ६ सुशीलाकुमारी सूर्यप्रभाश्री चम्पाश्री . २०२२ मि० सु० १० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १८६ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् मात्रा भारतीकुमारी भाग्ययशाश्री प्र०विचक्षणश्री २०२४ मा० सु० २ चन्द्रकलाकुमारी विजयप्रभाश्री , २०२६ ज्ये० सु० ५ निर्मलाकुमारी निरंजनाश्री तेजकुमारी जयश्री प्र० सज्जनश्री २०२५ वै० ब० १० धापूकुमारी वर्धमानश्री प्र० विचक्षणश्री २०२८ ज्ये० सु० ५ मृदुलाकुमारी मयणरेखाश्री दिव्यप्रभाधी २०२६ वै० शु० ५ कलावतीकुमारी काव्यप्रभाश्री प्र० विचक्षणश्री २०२६ द्वि. वै. सु १३ दक्षाकुमारी दिव्यगुणाश्री नीलाकुमारी नयप्रभाश्री निर्मलाकुमारी दिव्यदर्शनाश्री प्र० सज्जनश्री २०३० मा० सु० ५ हीरामणिकुमारी तत्वदर्शनाश्री , कमलेशकुमारी सम्यग्दर्शनाश्री , विजयलक्ष्मी विश्वप्रज्ञाश्री प्र० विचक्षणश्री २०३२ मा० सु० ५ सुशीलाकुमारी संयमपूर्णाश्री उदयकुमारी चन्दनवालाश्री हसुमतीकुमारी हर्षयशाश्री , २०३३ ॥ कोकिलाकुमारी विनीतयशाश्री भाग्यवतीकुमारी पूर्णप्रभाश्री चम्पाश्री २०३२ ज्ये० सु० १० नारंगीकुमारी विमलप्रभाश्री , २०३३ मा० सु० ११ सुधाकुमारी सुरेखाश्री प्र० विचक्षणश्री २०३२ वै० सु०३ प्रेमलता पद्मयशाश्री ॥ २०३२ मा० सु० १२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवण पुष्पाकुमारी पूर्णयशाश्री प्र० विचक्षणश्री २०३२ मा० सु० १२ वीणाकुमारी विद्युत्प्रभाश्री , २०३३ फा० सु० ३ विमलाकुमारी विमलयशाश्री , २०३२ वै० सु० १३ हेमलता(हीरा) हेमप्रज्ञाश्री २०३६ मि० सु० १३ लीलाकुमारी शुभदर्शनाश्री प्र० सज्जनश्री २०३७ पो० सु० १० जेठीकुमारी जीतयशाश्री प्र०विचक्षणश्री २०३७ मा० सु० ५ सरलाकुमारी सुयशाश्री , २०३६ मि० सु० १३ किरणकुमारी कुशलप्रज्ञाश्री चन्द्रप्रभाश्री २०३७ ज्ये० सु० ५ चन्द्रकान्ताकु० प्रभंजनाश्री , २०३६ मा०व०६ मंजुकुमारी मुदितप्रज्ञाश्री प्र० सज्जनश्री २०३८ वै० व० ६ मधुमालती कु० मधुस्मिताश्री मनोहरश्री २०३८ ज्पे० व० ६ सरलाकुमारी सभ्यरेखाश्री तिलकश्री . २०३८ वै० सु० ६ मृगेशकुमारी मृदुलाश्री अविचलश्री २०३८ चै० व०२ सुमित्राकुमारी हेमरत्नश्री चम्पाश्री २०४० वै० सु०६ मंजुकुमारी हर्षप्रज्ञाश्री , विमलाकुमारी हर्षपूर्णाश्री । नारंगी (निशा) सौम्यगुणाश्री नारंगी (नीता) शीलगुणाश्री प्र० सज्जनश्री प्रगुणश्री अविचलश्री , शकुन्तला स्मितप्रज्ञाश्री अविचलश्री २०४१ वै० व० ५ सरस्वती सिद्धांजनाश्री २०४१ मा० सु० १३ ललिताकुमारी जयरल्नाश्री चम्पाश्री विजयलक्ष्मी विश्वमित्राश्री २०४१ फा० सु०३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १६१ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् विमलाकुमारी विश्वरत्नाश्री चम्पाश्री २०४२ वै० सु० ३ लक्ष्मीकुमारी चारित्रनिधिश्री दिव्यप्रभाश्री २०४० मा० सु० १३ अलकाकुमारी अनन्तयशाश्री तिलकश्री २०४० मा० सु० ३ प्रकणकुमारी विरागज्योतिश्री दिव्यप्रभाश्री २०४२ वै० सु० ३ मीनाकुमारी विश्वज्योतिश्री , हुलासकुमारी हर्षप्रभाश्री धर्मश्री २०४२ वै० सु० ७ भंवरीकुमारी कनकप्रभाश्री सज्जनश्री २०४२ मि० व ३ . सुमनकुमारी श्रुतदर्शनाश्री प्र० सज्जनश्री २०४२ आ० व०२ कान्ताकुमारी कैवल्यप्रभाश्री चन्द्रप्रभाश्री १३-२-८६ .. सन्तोषकुमारी सुज्येष्ठाश्री २०४२ जे. कृष्णाकुमारी सुव्रताश्री अनिताकुमारी अरुणप्रभाश्री सुनीताकुमारी शासनप्रभाश्री बेलाकुमारी संयमज्योतिश्री जयश्री २०४६ मा० सु०२ अनिताकुमारी संयमगुणाश्री संगीताकुमारी स्वर्णयशाश्री तिलकश्री २०४६ मा० सु० ५ चन्दनबाला संयमप्रज्ञाश्री शशिप्रभाश्री २०४७ वै० शु० १३ . . . अकलकुमारी अकलश्री विचक्षणश्री ,, , सूर्यप्रभाश्री कंचनकुमारी कमलश्री चन्दनश्री विमलाकुमारी विमलप्रभाश्री कमलश्री २००० वै० सु० १० २०२१ फा० सु० ११ २००२ वै० व०३ २०२६ वै० व० १३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. (ग) प्र० शिवश्रीजी का साध्वो-मण्डल प्र० शिवश्री जी (सिंहश्री जी) की अनेक शिष्यायें थीं, जिनमें से केवल ६ के ही नाम प्राप्त होते हैं-१.प्रतापश्री, २. देवश्री, ३.प्रेम श्री, ४. ज्ञानश्री, ५. बल्लभश्री, ६. विमलश्री, ७. जयवन्तश्री, ८. प्रमोदश्री ह. घेवरश्री। इनमें से क्रमांक १, २, ३, ५ एवं ८ क्रमशः प्रवर्तिनी पद से विभूषित भी हुई। इस मंडल/समुदाय की वर्तमान समय में विद्यमान साध्वीगण की दीक्षा-सूची तो 'परिचय पुस्तिका' में व्यवस्थित रूप में प्राप्त है, किन्तु इससे भी अधिक प्राचीन स्वर्गस्थ साध्वियों की सूची प्राप्त नहीं है। फिर भी प्राप्त उल्लेखों एवं स्मृति के अनुसार उनका यत्किचित् उल्लेख किया जा रहा है। इस सूची में छोटेबड़े का उल्लेख गलत भी हो सकता है। और, अंकित नाम उनकी शिष्याओं के हैं या प्रशिष्याओं के हैं ? इसमें असावधानी भी हो सकती है। साधन और सहयोग के अभाव में ऐसी त्रुटियां होना सरल हैं और विद्वज्जनों द्वारा क्षन्तव्य भी। अब शिवश्री जी की ६ शिष्याओं और प्रशिष्याओं आदि के क्रमशः नामोल्लेख प्रस्तुत किये जा रहे हैं १. प्र० प्रताप श्री-जन्म सं० १९२५ पौष सुदि १० फलोदी, जन्म नाम-आसीबाई । दीक्षा सं० १९४७ मिगसर वदि १०, स्वर्गवास १९६७ फलौदी। १२ शिष्यायें थीं, जिनके नाम निम्न हैं १. सोभागश्री, ३. पद्मश्री, ३. विनयश्री, ४. चैतन्यश्री (नाथीबाई, जन्म १९५६, दीक्षा १९६७, सं० १९८३) ५. दर्शनश्री, ६. ऋद्धिश्री, ७. लब्धिश्री, ८. निर्मलश्री, ६. ललितश्री, For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १९३ १०. चन्द्र श्री (पानबाई, जन्म १६५६, दीक्षा २६८५) ११. धरणेन्द्रश्री, १२. दिव्य श्री (पतासीबाई, दी० १९६६, विद्यमान), १३. भानुश्रो, एवं १४. शान्तिश्री भी इनकी शिष्यायें हों? २. प्र० देवश्री-प्रवर्तिनी पद १६६७ माघ वदि १३, स्वर्ग० शायद २०१० । १०-११ शिष्यायें थीं, जिनमें से कुछ के नाम प्राप्त हैं १. दानश्री, २. हस्तिश्री, ३. सज्जनश्री, ४. कंचनश्री, ५. हीराश्री (स्व० २०१०) ६. मिलापश्री (वि०), ७. यशवन्तश्री, ८. चन्द्रकांताश्री, (वि०), ६. मनमोहनश्री (?) ३. प्र० प्रेमश्री-जन्म १९३८ शरदपूर्णिमा, नाम-धूलीबाई, दीक्षा १९५४ मि० व० १०, प्रवर्तिनी पद २०१० भा० सु० १५, स्व० २०१० आसोज वदि १३ फलौदी। १७ शिष्यायें थीं, जिन के नाम हैं १. शान्ति श्री, २. क्षमाश्री, ३. उमेदश्री, ४. यश श्री, ५. महिमाश्री, ६. चारित्रश्री, ७. तेज श्री, ८. अभय श्री, ६. जैन श्री, १०. अनुभव श्री, (गुलाबकुमारी, दी० १६७६,), ११. शुभ श्री, १२. वसन्त श्री, १३. पवित्र श्री, १४. सज्जन श्री, १५.विशाल श्री, १६. विकास श्री, ४. ज्ञानश्री-जन्म १६२८, जन्म नाम जड़ावबाई, दीक्षा १९६१ मि० सु०५, स्वर्ग० १६६६ वै० सु० १३ । १३ शिष्यायें थीं, जिनमें शायद गुप्तिश्री, विद्वान् श्री आपकी ही शिष्यायें हों। शेष के नाम प्राप्त नहीं हैं। ५.प्र० वल्लभश्री-जन्म १९५१ पोष वदि ७, जन्म नाम बरजूबाई, दीक्षा १६६१ मि० सु० ५, प्र० प० २०१० शरद पूर्णिमा, स्व० २०१८ फा० सु० १४ अमलनेर। अनेक शिष्यायें थीं। स्वर्गस्थ शिष्याओं के नाम प्राप्त नहीं हैं। विद्यमान शिष्यायें हैं-प्र० जिनश्री, हेमश्री, कुसुमश्री, कमलप्रभाश्री, रंजनाश्री कीर्तिश्री, तरुणप्रभाकी, निपुणाश्री, राजेशश्री आदि । ६. विमल श्री७. जयवन्त श्री-जेठीबाई, दीक्षा सं० १९६४ माघ सुदी ५ फलौदो। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ८. प्र. प्रमोद श्री-जन्म १९५५ कार्तिक सुदि ५, नाम लक्ष्मी। दीक्षा सं० १९६४ माघ सुदि ५, प्र०प० २०१६ (?), स्व० २०३६ पौष वदि १० बाडमेर। शिष्यायें १३-१४ थीं, जिनमें से राजेन्द्रश्री, चन्द्रयशाश्री, चन्द्रोदयश्री, चम्पकश्री आदि एवं विद्यमान सूची में कई शिष्या-प्रशिष्याओं के नाम प्राप्त ६. घेवर श्री-जन्म,-१६३६, रणेसर। दीक्षा-१९५५ पोस सुदि ७, स्वर्गवास २०१३ जेठ वदि ३ फलौदी। इनकी कतिपय शिष्य-प्रशिष्याओं के नाम विद्यमान सूची में उपलब्ब हैं। १०. प्र० जिन श्री–विद्यमान हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. (घ) प्र० शिव-मण्डल की विद्यमान साध्वी दीक्षा सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् जेठीकुमारी प्र० जिनश्री प्र. वल्लभश्री १९७६ मा. सु. ५ कोलाकुमारी हेमश्री १६८० जे. सु. ५ गुलाबकुमारी अनुभवश्री प्र. प्रेमश्री १९७६ चै. सु. १० चम्पाकुमारी मोहनश्री घेवरश्री १९७८ आ. सु. ५ नाथीकुमारी राजेन्द्रश्री प्र. प्रमोदश्री १९८४ जे. सु. ११ मदनकुमारी मिलापश्री प्र. देवश्री १६६५ आ. सु. ३ बिदामीकुमारी विद्वानश्री ज्ञानश्री १९६२ आ. सु. ३ हंसाकुमारी प्रकाशश्री . प्र. प्रमोदश्री १६६४ मि. सु. १३ पार्वतीकुमारी मनोहरश्री गुप्तिश्री १९६१ मा. सु. १३. विमलाकुमारी विकासश्री प्र. प्रेमश्री २००० वै. सु. ३ ........... विचारश्री यशवन्तकुमारी विनोदश्री अनुभवश्री २००० आ. व. १३ शान्ताकुमारी चन्द्रकान्ताश्री प्र. देवश्री २००३ मा. सु. ५ पदमावतीकु० कुसुमश्री प्र. वल्लभश्री १६६६ वै. सु. ६ कंचनकुमारी कमलप्रभाश्री २००० वै. सु. ६ सविताकुमारी रंजनाश्री २००० फा. व. ८ १. प्रवर्तिनी पद २०४० वै० सु० २ अमलमेर, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची ------ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् पांची कुमारी किरणश्री मोहनश्री चान्दकुमारी प्रियदर्शनाश्री अनुभवश्री बरजकुमारी चरणप्रभाश्री गुप्तिश्री कचरीकुमारी कोमलश्री प्र. प्रमोदश्री कमलाकुमारी विजयेन्द्रश्री , इन्दिराकुमारी हेमप्रभाश्री अनुभवश्री जेठीकुमारी पूर्णप्रभाश्री भंवरीकुमारी कमलाश्री शुभश्री कुसूमबहिन कीर्तिश्री प्र. वल्लभश्री जयाबहिन तरुणप्रभाश्री , रतनकुमारी निर्मलाश्री विकासश्री मगीकुमारी हेमलताश्री मोहनश्री हसाबहिन निपुणाश्री प्र. वल्लभश्री शारदाकुमारी राजेशश्री . चन्दनकुमारी सुलोननाश्री तेजश्री जवरकुमारी विनयप्रभाश्री अनुभवश्री मदनकुमारी मनोरंजनाश्री मनोहरश्री आशाकुमारी सुलक्षणाश्री , जयाकुमारी जयरेखाश्री प्र. जिनश्री जतनकुमारी विनयश्री , सुलोचनाकुमारी सद्गुणाश्री मनोहरश्री अर्चनाकुमारी सुमंगलाश्री , illilililil il २००४ वै० सु. ५ २००४ ज्ये. सु. १० २००६ मि. सु. ११ २००८ मा. सु. १३ २००६ मा. सु. ११ २०१२ वै. सु. ७ २०१३ मा. व. ५ फा. व. ७ , , फा .सु. ६ २०१३ फा. व. ७ २०१५ वै. सु. ७ २०१२ आ. सु. १३ २०१४ २०१८ आ. व. ६ २०१८ फा. सु. ७ २०२० वै. व. ६ २०२० प्र. चै.सु.१० २०२० वै. सु. १३ २०२१ मा. सु. १३ २०२३ मा. सु. ५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूचो १९७ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् सायरकुमारी हसप्रभाश्री राजेन्द्रश्री २०२३ वै. सु. ३ मदनकुमारी स्वयंप्रभाश्री चन्द्रोदयश्री २०२१ मा. सु. ३ रंजनाकुमारी सुभद्राश्री. मनोहरश्री २०२५ मा. सु. ११ शान्तिकुमारी सुमित्राश्री अणचीकुमारी सुनन्दाश्री गुप्तिश्री शान्तिकुमारी मनोज्ञाश्री प्र. जिनश्री २०२७ चै. सु. १० सुशीलाकुमारी सुलक्षणाश्री सुलोचनाश्री २०२८ फा. सु. ३ रोहिणीकुमारी रतनमालाश्री प्र० प्रमोदश्री २०३० आ० व० ७ विमलाकुमारी विद्युत्प्रभाश्री , २०३० आ. सु. १० भारतीकुमारी प्रियमित्राश्री मनोहरश्री २०३० पो. व. ३ शोभाकुमारी प्रियंकराश्री सुशीलाकुमारी मंजुलाश्री प्र. जिनश्री २०२७ चै. सु. १० रसीलाकुमारी नंयप्रज्ञाश्री , २०३१ वै. सु. २ प्रेमकुमारी प्रज्ञाश्री २०२७ चै. सु. १० संतोषकुमारी शुभंकराश्री मनोहरश्री २०३१ फा. व. ११ खमाकुमारी खांतिश्री मोहनश्री २०३३ मा. सु. १३ कुसुमलता कल्पलताश्री अनुभवश्री । २०३२ मा. सु. ११ कुंजबाला दक्षाश्री प्र. जिनश्री २०३१ वै. सु. ३ सुरेखाकुमारी सुप्रज्ञाश्री , २०३४ फा. सु. ४ ताराकुमारी शासनप्रभाश्री प्र. प्रमोदश्री २०३६ वै. सु. ३ लक्ष्मीकुमारी लयस्मिताश्री मनोहरश्री २०३५ मा. सु. १० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् मालतीकुमारी मधुस्मिताश्री मनोहरश्री २०३५ मा. सु. १० चन्द्रिकाकुमारी मृगावतीश्री २०३६ मि. सु. ६ किरणकुमारी प्रियंवदाश्री अनुभवश्री २०३७ मा. सु. ४ सुशीलाकुमारी प्रीतिसुधाश्री सुलोचनाश्री सुशीलाकुमारी प्रीतियशाश्री , , , ललिताकुमारी अमितयशाश्री अनुभवश्री २०३८ जे. सु. १० गुणवतीकुमारी गुणरंजनाश्री राजेन्द्रश्री २०३६ आ. सु. ४ सरलाकुमारी प्रियस्मिताश्री सुलोचनाश्री २०४० फा. सु. ४ चन्द्राकुमारी प्रियलताश्री , मंजुकुमारी प्रियवंदनाश्री , संजूकुमारी प्रियकल्पनाश्री सुचिताकुमारी सौम्ययशाश्री प्र. जिनश्री २०४० आ. सु. १ मंजुकुमारी मृदुयशाश्री , प्रेमलताकुमारी विनीतयशाश्री अनुभवश्री २०४१ वै. सु. २ मीनाकमारी विनीतप्रज्ञाश्री , . .. तनुजाकुमारी प्रगुणाश्री प्र. जिनश्री २०४० मा. व. १ राजकुमारी प्रियरंजनाश्री सुलोचनाश्री २०४२ ज्ये, सु. १३ शान्ताकुमारी शुद्धांजनाश्री अनुभवश्री २०४३ मा. व. १ हेमलता शुभ्रांजनाश्री , ललिताकुमारी संघमित्राश्री मनोहरश्री २०४३ मा. सु. १० रेणुकुमारी सुरप्रियाश्री २०४४ फा. व. ३ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १६६ जन्म नाम दीक्षा नाम गुरुवर्या नाम दीक्षा संवत् सरिताकुमारी श्रुतप्रियाश्री मनोहरश्री २०४४ फा. व. ३ ।। बिन्दुकुमारी योगांजनाश्री हेमप्रभाश्री २०४४ मा. सु. १० निर्मलाकुमारी नीलांजनाश्री विद्युत् प्रभाधी , शोभाकुमारी शीलांजनाश्री हेमप्रभाश्री २०४५ मा. व. ७ रूपलता वसुन्धराश्री मनोहरश्री २०४६ वै. सु. १२ पुष्पाकुमारी प्रज्ञाजयाश्री विद्युत्प्रभाश्री २०४७ वै. शु. ३ काव्यश्री निपुणाश्री निरंजनाश्री दि. बोहरों को सेरी-उपाश्रय में सत्यश्री उदयश्री तेजश्री भक्तिश्री मुक्तिश्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २. श्री मोहनलालजी म. के समुदाय की साधु-सूची श्री मोहनलालजी म० जन्म-१८८७ वैशाख सुदि ६ चांदपुर, जन्म नाम मोहनकुमार। जिनसुखसूरि की शिष्य परम्परा-कर्मचन्द, ईश्वरदास, वृद्धिचन्द, लालचन्द, यति रूपचन्दजी के पास नागोर में रहे। सं० १६०३ मक्षी में जिनमहेन्द्रसूरि से यति दीक्षा । १६३० अजमेर में संघ समक्ष क्रियोद्धार कर संविग्नपक्षी बने और स्वयं को जिनसुखसूरि के शिष्य के रूप में घोषित किया। स्वर्गवास १६६३ चैत्र वदि १२ सूरत । महाप्रभाविक, बंबई और सूरत पर असीम उपकार, विशाल शिष्य समुदाय । स्वयं ग्यारह शिष्यों, चौबीस प्रशिष्यों तथा ३ साध्वियों को स्वहस्त से दीक्षा दी थी। परम समता भाव के धारक होने के कारण एवं गच्छ-व्यामोह/कदाग्रह न होने के कारण इनकी शिष्य-परम्परा खरतरगच्छ और तपागच्छ में समान रूप से विभाजित हुई। स्वयं के ग्यारह शिष्य और उनकी शिष्य-परम्परा की सूची निम्न १. आनन्द मुनि-जन्म नाम आलमचन्द, दीक्षा १६३८ आषाढ़ सुदि १० । इनके दो शिष्य थे--दयाल मुनि, मेघ मुनि। २. जिन यशः सूरि–जन्म १६१२ जोधपुर, नाम-जेठमल । दीक्षा १६४१ जेठ सुदि ५ जोधपुर । पन्यास पद १६५३, आचार्य पद-१९६६ जेठ सुदि ६, स्वर्गवास १६७० मिगसर सुदि ३ पावापुरी। ५ शिष्य-गंभीर मुनि, गुणमुनि, अमर मुनि, ऋद्धिमुनि, प्रताप मुनि। गंभीर मुनि के शिष्य सौभाग्य मुनि, प्रशिष्य गजमुनि । अमर मुनि के २ शिष्य-केवल मुनि, भक्ति मुनि। जिनऋद्धिसूरि–जन्म नाम रामकुमार । चूरू के यतिवर्य चिमनीराम के शिष्य थे। साधु दीक्षा १६४१ आषाढ़ सुदि ६, दीक्षा नाम ऋद्धिमुनि । पन्यास पद १६६६ मिगसर सुदि ३। आचार्य पद १६६५ बंबई, स्वर्गवास २००८ ज्येष्ठ सुदि ३, बंबई। इनके ७ शिष्य थे-हीरमुनि, राजेन्द्रमुनि, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची महोदय मुनि, नीतिमुनि, गयवर मुनि, गुलाबमुनि, मनहर मुनि । गुलाब मुनि के शिष्य थे-रत्नाकर मुनि । प्रताप मुनि-तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे, अतः उनकी शिष्य-परम्परा यहां नहीं दी जा रही है। ३. कान्तिमुनि-जन्म नाम बादरमल, पालनपुर के। बड़ी दीक्षा १९४३ मिगसर वदि २ जोधपुर। इनके दो शिष्य थे-नयमुनि, जीवन मुनि । किस गच्छ की क्रिया करते थे ? अज्ञात है। ४. पं० हर्ष मुनि-दीक्षा-१९४४ चैत्र सुदि ८, पंन्यास पद १९५८ जिनयशसूरि द्वारा। शिष्य-परम्परा विशाल । तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे। ५. उद्योत मुनि-जन्म नाम उजम भाई, महेसाणा के । दीक्षा १९४६ जेठ वदि ११ सूरत । शिष्य परम्परा विशाल । तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे। ६. राजमुनि-जन्म नाम राजमल, महीदपुर के । दीक्षा १६४६ जेठ वदि ११ सूरत। इनके तीन शिष्य थे-उपाध्याय लब्धिमुनि, छगनमुनि, जिनरत्नसूरि । उपाध्याय लब्धिमुनि (जन्म १९३५, जन्म नाम लधाभाई, दीक्षा १९५८ चैत्र वदि ३)के शिष्य थे--मेघ मुनि (जन्म नाम-वेलजीभाई, मोटी खाखर के, दीक्षा १६६-मा० सु० १०) है । एक महेन्द्रमुनि जी भी थे जो उ० लब्धिमुनिजी के भ्राता थे। इनका नाम भानजी भाई था। दीक्षा १९८८ पो० सु० १० और स्वर्गवास १९६२ चैत्र सु० २ । किनके शिष्य थे? अन्वेषणीय है। जिनरत्नसरि-जन्म नाम देवजी भाई, लायजा के। दीक्षा १९५८ चैत्र वदि ३ । आचार्य पद १६६७ बंबई, स्वर्गवास २०११ माघ सुदि १ अंजार । इनके ३ शिष्य थे-गणि प्रेममुनि, दर्शनमुनि, भद्रमुनि। गणि प्रेममुनि की दीक्षा १९६६ बंबई में हुई थी। इनका शिष्य था-मुक्तिमुनि (बड़ी दीक्षा १९८६ वै० शुक्ल ११)। भद्रमुनि (दीक्षा १६६२ वै० सु० ८) ही स्वतन्त्र साधक बनकर योगीराज सहजानन्दजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। ७. देवमुनि-जन्म नाम छगनलाल मातर के । दीक्षा १६४६ सूरत । इनके ५ शिष्य थे-गणि भावमुनि (स्व० २००५ कोटा), भानुमुनि, कर्पूर मुनि, सुमति मुनि, लक्ष्मीमुनि । सुमति मुनि के शिष्य थे-तारा मुनि। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ८. गुमान मुनि-डभोई निवासी, दीक्षा १९४७ बंबई। बड़ी दीक्षा १६४८ मि० सु० ५ सूरत । इनके शिष्य क्षमामुनि और प्रशिष्य विनयमुनि थे। ६. सुमति मुनि-सांकलचंद भाई अहमदाबाद के। दीक्षा १९४७ बंबई, बड़ी दीक्षा १६४८ मि. सु. ५ सूरत । इनका शिष्य था सौभाग्यमुनि । .. क्रमांक ८-९ गुमानमुनि एवं सुमति मुनि किस गच्छ की क्रिया करते थे ? अन्वेषणीय है। १०. हेममनि-जन्म नाम हरगोविन्द, बडनगर के। लघु दीक्षा १६४७ बंबई, बड़ी दीक्षा १६४८ मि० सु० ५ सूरत । इनके दो शिष्य थेकेशर मुनि, तारख मुनि। पंकेशर मुनि-जन्म नाम केशवजी, चूडा के। दीक्षा १६५२ या १६५३; इनके चार शिष्य थे—गजमुनि, पूर्णानन्द मुनि, देवेन्द्र मुनि, बुद्धिमुनि। गणि बुद्धिमुनि-जन्म नाम-नवल, जन्म सं० १९५४, बिलारे के। दीक्षा सं०, गणिपद सं० १९६५, स्व० २०१८ श्रा० सु० ८ । इनके ३ शिष्य-साम्यानन्द मुनि, रैवतमुनि, जयानन्द मुनि। जयानन्द मुनि-जन्म १६६०, मुंद्रा के, जन्म नाम जयसुख, दीक्षा २११६, विद्यमान हैं। इनके शिष्य कुशल मुनि (दीक्षा १६ मई १९७६) है। ११. कमल मुनि-दीक्षा १९५६-५८ के बीच। इनका शिष्य चिमन मनि था। १. पं० हर्षमुनि, उद्योतमुनि आदि की विशाल शिष्य परम्परा आज भी विद्यमान है, किंतु उनकी तपागच्छ की मान्यता होने के कारण यहां उल्लेख नहीं किया गया है। २. श्री मोहनलालजी म० के समुदाय में खरतरगच्छीय परम्परा में आज केवल ३ साधु विद्यमान हैं, वे हैं १. राजेन्द्र मुनिजी, २. जयानन्द मुनिजी (गणि बुद्धिमुनिजी के शिष्य) और ३. इनके शिष्य कुशलमुनि । ३. इस समुदाय की १-२ साध्वियां ही आज विद्यमान हैं किंतु सहयोग और साधनाभाव के कारण उनकी सूची यहां देने में हम असमर्थ हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. श्री जिनकृपाचन्द्रसूरि परम्परा की साधु-सूची १. श्रीजिनकृपाचन्द्रसूरि–जन्म १६१३ चातु गांव (जोधपुर)। जन्म नाम-किरपाचन्द ; यति दीक्षा १९२५ चैत्र वदि ३ जिनहंससूरि से । गुरु नाम-कीतिरत्नसूरि संतानीय युक्ति अमृत गणि, बीकानेर । क्रियोद्धार १६३६ । आचार्य पद १६७२ बंबई। स्वर्गवास १६६४ माघ सुदि ११ पालीताणा। आपकी उपस्थिति में ३४ साधुओं का समुदाय था और आपके स्वर्गवास के समय आपका साधु-साध्वी समुदाय ७० के लगभग था । साधनाभाव से सभी के नाम प्राप्त नहीं हैं । जो नाम प्राप्त हैं, वे निम्न हैं १. तिलकभद्र (दीक्षा १९४७), २. जिनजयसागरसूरि, ३. आनन्दमुनि, ४. उपाध्याय सुखसागर, ५. राजसागर (वाचक पद १९७३), ६. विवेकसागर, ७. मंगलसागर (दीक्षा १६७४ माघ सुदि १० सूरत), ८. वर्धनसागर, ६. मतिसागर, १०. कीर्तिसागर, ११. मगनसागर, १२. चतुरसागर, १३. रामसागर, १४. तिलकसागर, १५. हर्षसागर, १६. माणकसागर । त्रिलोक मुनि, पन्नालाल, पालीराम आदि यति हो गए। २. जिनजयसागरसूरि-जन्म १९४३, दीक्षा १६५६, उपाध्याय पद १६७३, आचार्य पद १९६० पालीताणा, स्वर्गवास २००२ बीकानेर। राजसागर आप के भाई थे और हेतश्री आपकी बहिन थी। ३. उपाध्याय सुखसागर--इन्दोर के मराठा थे। प्रवर्तक पद १६७३, उपाध्याय पद १९६२ पालीताणा, स्वर्गवास २०२४ वैशाख सुदि ह पालीताणा । इनके शिष्य थे इतिहासवेत्ता मुनि कान्तिसागर। ___ ४. मुनि कान्तिसागर-जामनगर के थे। दीक्षा १९६२ पालीताणा। स्वर्गवास २८ सितंबर सन् १६६६ जयपुर । १. आज इस परम्परा में एक भी साधु विद्यमान नहीं है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची २. प्रमोद श्री, महेन्द्रश्री कमलश्री, विमलप्रभाश्री, मंगलश्री, महेन्द्रप्रभाश्री, लक्ष्यपूर्णाश्री, विनोदश्रो, जसवन्तश्री, मदनश्री, पुष्पाश्री, मेघश्री आदि १५-२० साध्वियां आज भो विद्यमान हैं। साधनाभाव से इनकी परिचय सूचो नहों दो जा रहो है। ये साध्वियां वर्तमान समय में श्री मोहनलालजी म० की परम्परा के श्री जयानन्दमुनि जी की निश्रा में विचरण कर रही हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत भारती, अकादमी जयपुर, प्रकाशन सूची लेखक/सम्पादक . मूल्य म० विनयसागर २००.०० सं० म० विनय सागर आदि ५०.०० डा० प्रेम सुमन जैन १५.०० डा० हरिराम आचार्य अ० मोहन मुनि १५.०० डा० मुनि नगराज २०.०० उ० महेन्द्र मुनि ४.०० १०.०० क्र० कृति नाम १. कल्पसूत्र सचित्र २. राजस्थान का जैन साहित्य ३. प्राकृत स्वयं शिक्षक ४. आगम तीर्थ ५. स्मरण कला ६. जैनागम दिग्दर्शन ७. जैन कहानियाँ ८. जाति स्मरण ज्ञान ६. हाफ ए टैल (अर्धकथानक) १०. गणधरवाद ११. जैन इन्सक्रिप्सन्स आफ राजस्थान १२. बेसिक मेथेमेटिक्स १३. प्राकृत काव्य मञ्जरी १४. महावीर का जीवन सन्देश १५. जैन पोलिटिकल थोट १६. स्टडीज् आफ जैनिज्म १७. जैन, बौद्ध और गीता का साधना मार्ग डा० मुकुन्द लाठ सं० म० विनयसागर रामवल्लभ सोमानी १५०.०० ५०.०० ७०.०० २०.०० प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन १५.०० डा० प्रेम सुमन जैन १६.०० काका कालेलकर डा० जी० सी० पांडे ४०.०० डा० टी० जी० कलघटगी १००.०० डा० सागरमल जैन २०.०० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति नाम १८. जैन, बौद्ध और गीता का समाज दर्शन 。 १६ – जैन, बौद्ध और गीता के २०. आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन भाग १, २ २१. जैन कर्म सिद्धान्त का तुलनात्मक अध्ययन २२. हेम-प्राकृत व्याकरण शिक्षक २३. आचारांग चयनिका २४. वाक्पतिराज की लोकानुभूति २५. प्राकृत गद्य सोपान २६. अपभ्रंश और हिन्दी २७. नीलाञ्जना २८. चन्दनमूर्ति २६. एस्ट्रोनोमी एण्ड कास्मोलोजी ३०. नोट फार फ्राम द रीवर ३१ - उपमिति-भव - प्रपंच कथा, ३२. भाग १, २ ३३. समणसुत्तं चयनिका ३४. मिले मन भीतर भगवान ३५. जैन धर्म और दर्शन ३६. जैनिज्म ३७. दशवैकालिक चयनिका Jain Educationa International लेखक/सम्पादक डॉ० सागरमल जैन "1 डा० सागरमल जैन 17 डा० उदयचन्द जैन डा० के० सी० सोगानी 23 "" " डा० प्रेम सुमन जैन डा० देवेन्द्र कुमार जैन गणेश ललवानी "" प्रो० एल० सी० जैन डेविड रे म० विनय सागर ० के० सी० सोगानी बिजयकलापूर्णसूरि गणेश ललवानी List of o मालवणिया डा० के० सी० सोगानी For Personal and Private Use Only मूल्य १६.०० १४०.०० १४.०० १६.०० २५.०० १२.०० १६.०० ३०.०० १२.०० २०.०० १५.०० ५०.०० १५०.०० १६.०० ३०.०० ε.00 ३०.०० १२.०० Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्र० कृति नाम लेखक/सम्पादक मूल्य - - - १५.०० १०.०० १५.०० ३०.०० १०.०० १६.०० . १००.०० ३०.०० ३८. रसरत्न समुच्चय । ठा० जे० सी० सिकदर ३६. नीतिवाक्यामृत डा० एस० के० गुप्ता ४०. सामायिक धर्म एक पूर्ण योग विजयकलापूर्ण सूरि ४१. गौतमरासः एक परिशीलन म० विनयसागर ४२. अष्ट पाहुड चयनिका डा० के० सी० सोगानी ४३. अहिंसा सुरेन्द्र बोथरा ४४. वज्जालग्ग में जीवन मूल्य डा० के० सी सोगानी ४५. गीता चयनिका ४६. ऋषिभाषित सूत्र म. विनयसागर ४७- नाडी विज्ञान एवं नाडी डा० जे० सी० सिकदर ४८. प्रकाश ४६. ऋषिभाषित : एक अध्ययन डा० सागरमल जैन ५०. उववाइय सुत्तम् सं० गणेश ललवानी ५१. उत्तराध्ययन चयनिका डा० के० सी० सोगानी ५२. समयसार चयनिका डॉ० के० सी० सोगाणी ५३. परमात्मप्रकाश एवं योगसार चयनिका ५४. ऋषिभाषित : ए स्टेडी डा० सागरमल जैन ५५. अर्हत् वन्दना म० चंद्रप्रभसागर ५६. राजस्थान में स्वामी विवेकानंद पं० झाबरमल शर्मा ५७. आनन्दघन चौवीसी भंवरलाल नाहटा ५८. देवचन्द्र चौवीसी प्र० सज्जन श्री ५६. सर्वज्ञ कथित परम विजयकलापूर्णसूरि सामायिक धर्म ३०.०० १००.०० १२.०० १६.०० १०.०० ३०.०० ३.०० ७५.०० ३०.०० 9 mr ro ६०.०० ४०.०० Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्र० कृति नाम लेखक/सम्पादक मूल्ल ६०. दुःख मुक्ति : सुख प्राप्ति कन्हैयालाल लोढा ३०.०० ६१. गाथा सप्तशती डा० हरिराम आचार्य १००.०० ६२. त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र गणेश ललवानी १००.०० प्रथम पर्व ६३. योग शास्त्र सं० सुरेन्द्र बोथरा १००.०० ६४. जिन भक्ति अ० भद्र करविजय गणि ३०.०० ६५. सहजानन्दघनचरियम् भंवरलाल नाहटा २०.०० ६६. आगम युग का जैन दर्शन डी० डी० मालवणिया ६७. खरतर गच्छ दीक्षा नन्दी सूची भंवरलाल नाहटा ; ५०.०० म० विनयसागर ६८. आयार सुत्तं म० चन्द्रप्रभसागर ४०.०० ६६. सूयगड सुत्तं मुनि ललितप्रभसागर ३०.०० ७०. प्राकृत धम्मपद डॉ० भागचन्द जैन १००.०० ७१. नालाडियार . सं० म० विनयसागर १००.०० ७२. नन्दीश्वर द्वीप पूजा म० विनयसागर १०.०० पुस्तक प्राप्ति स्थान १. प्राकृत भारती अकादमी, ३८२६, रास्ता एम० एस० बी०, जयपुर-३०२००३. २. जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ पोस्ट : मेवा नगर, स्टेशन : बालोतरा-३४४०२५, जिला बाड़मेर. ३. आगम अहिंसा समता और प्राकृत संस्थान, पद्मिनी मार्ग, उदयपुर-३१३००१. ४. सरस्वती पुस्तक भंडार, ११२ हाथीखाना, रत्नपोल, __ अहमदाबाद--३८०००१. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | ಎಸ ಎH / www.alinelonery or