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________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १९३ १०. चन्द्र श्री (पानबाई, जन्म १६५६, दीक्षा २६८५) ११. धरणेन्द्रश्री, १२. दिव्य श्री (पतासीबाई, दी० १९६६, विद्यमान), १३. भानुश्रो, एवं १४. शान्तिश्री भी इनकी शिष्यायें हों? २. प्र० देवश्री-प्रवर्तिनी पद १६६७ माघ वदि १३, स्वर्ग० शायद २०१० । १०-११ शिष्यायें थीं, जिनमें से कुछ के नाम प्राप्त हैं १. दानश्री, २. हस्तिश्री, ३. सज्जनश्री, ४. कंचनश्री, ५. हीराश्री (स्व० २०१०) ६. मिलापश्री (वि०), ७. यशवन्तश्री, ८. चन्द्रकांताश्री, (वि०), ६. मनमोहनश्री (?) ३. प्र० प्रेमश्री-जन्म १९३८ शरदपूर्णिमा, नाम-धूलीबाई, दीक्षा १९५४ मि० व० १०, प्रवर्तिनी पद २०१० भा० सु० १५, स्व० २०१० आसोज वदि १३ फलौदी। १७ शिष्यायें थीं, जिन के नाम हैं १. शान्ति श्री, २. क्षमाश्री, ३. उमेदश्री, ४. यश श्री, ५. महिमाश्री, ६. चारित्रश्री, ७. तेज श्री, ८. अभय श्री, ६. जैन श्री, १०. अनुभव श्री, (गुलाबकुमारी, दी० १६७६,), ११. शुभ श्री, १२. वसन्त श्री, १३. पवित्र श्री, १४. सज्जन श्री, १५.विशाल श्री, १६. विकास श्री, ४. ज्ञानश्री-जन्म १६२८, जन्म नाम जड़ावबाई, दीक्षा १९६१ मि० सु०५, स्वर्ग० १६६६ वै० सु० १३ । १३ शिष्यायें थीं, जिनमें शायद गुप्तिश्री, विद्वान् श्री आपकी ही शिष्यायें हों। शेष के नाम प्राप्त नहीं हैं। ५.प्र० वल्लभश्री-जन्म १९५१ पोष वदि ७, जन्म नाम बरजूबाई, दीक्षा १६६१ मि० सु० ५, प्र० प० २०१० शरद पूर्णिमा, स्व० २०१८ फा० सु० १४ अमलनेर। अनेक शिष्यायें थीं। स्वर्गस्थ शिष्याओं के नाम प्राप्त नहीं हैं। विद्यमान शिष्यायें हैं-प्र० जिनश्री, हेमश्री, कुसुमश्री, कमलप्रभाश्री, रंजनाश्री कीर्तिश्री, तरुणप्रभाकी, निपुणाश्री, राजेशश्री आदि । ६. विमल श्री७. जयवन्त श्री-जेठीबाई, दीक्षा सं० १९६४ माघ सुदी ५ फलौदो। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003814
Book TitleKhartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta, Vinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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