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९. शील, १०. उदय, ११. धन, १३. विमल, १४. कल्याण, १५. जीव, १७. दिवाकर, १८. मुनि, १९. त्रिभुवन, २१. सुधा, २२. तेज, २३. महा, २५. दया, २६. भाव, २७. क्षमा, २९. सूवर्ण, ३०. मणि, ३१. कर्म, ३३. अनन्त, ३४. धर्म, ३५. जय, ३७. सागर, ३८. सिद्धि, ३९. शान्ति, ४१. बुद्धि, ४२. सहज ४३. ज्ञान, ४५. चारित्र, ४६. वीर, ४७. विजय, ४९. राम, ५०.सिंह(मृगाधिप)५१. मही, ५३. विबुध, ५४. विनय, ५५. नय, ५७. प्रबोध, ५८. रूप, ५६. गण, ६१. वर, ६२. जयन्त, ६३. योग, ६५. कला, ६६. पृथ्वी, ६७. हरि,
१२. विद्या, १६. मेघ, २०. अंभोज (कमल), २४. नृप, २८. सूर, ३२. आनन्द, ३६. देवेन्द्र, ४०. लब्धि , ४४. दर्शन, ४८. चारु, ५२. विशाल, ५६. सर्व, ६०. मेरु, ६४. तारा ६८. प्रिय।
मुनियों के नाम के अन्त्य पद ये हैं
१. शशांक (चन्द्र), २. कुम्भ, ३. शैल, ४. लब्धि , ५. कूमार, ६. प्रभ, ७. वल्लभ, ८. सिंह, ९. कुंजर १०. देव, ११. दत्त, १२. कोति, १३. प्रिय, १४. प्रवर, १५. आनन्द, १६. निधि, १७. राज, १८. सुन्दर, १९. शेखर, २०. वर्द्धन, २१. आकर, २२. हंस, . २३. रत्न, २४. मेरु, २५. मूर्ति, २६. सार, २७. भूषण, २८. धर्म, २९. केतु (ध्वज), ३०. पुण्डक(कमल),३१. पुङ्गव, ३२. ज्ञान, ३३. दर्शन, ३४. वीर इत्यादि ।
सूरि, उपाध्याय, वाचनाचार्यों के नाम भी साधुवत् समझे । साध्वियों के नाम में पूर्व पद तो मुनियों के समान ही समझे । उत्तर पद इस प्रकार हैं--
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