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खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची
सं० १२५८ चैत्र बदि २ को वीरप्रभ, देवकीत्ति श्रावकों को दीक्षा दी । इनको बड़ी दीक्षा सं० १२६० में आषाढ़ बदि ६ को हुई । साथ ही सुमति गणि व पूर्णभद्र गणि को दीक्षा दी, आनन्दश्री को महत्तरा पद दिया ।
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सं० १२६३ फाल्गुन बदि ४ को लवणखेड़ा में महावीर प्रतिमा स्थापना के अवसर पर नरचन्द्र, रामचन्द्र, पूर्णचन्द्र, विवेकश्री, मंगलमती, कल्याणश्री, जिनश्री आदि साधु-साध्वियों को दीक्षा दी तथा धर्मदेवी को प्रवत्तनी पद से विभूषित किया ।
सं० १२६५ लवणखेड़ा में मुनिचन्द्र, मानचन्द्र, सुन्दरमति व समति को दीक्षा दी ।
सं० १२६६ में भावदेव, जिनभद्र, विजयचन्द्र को दीक्षा दी । गुणशील को वाचनाचार्य बनाया एव ज्ञानश्री को साध्वी बनाया ।
सं० १२६६ में जावालिपुर में जिनपाल गणि को उपाध्याय पद दिया | धर्मदेवी प्रवत्तिनी को महत्तरा पद देकर नामान्तर 'प्रभावती' प्रसिद्ध किया । महेन्द्र, गुणकीति, मानदेव, चन्द्रश्री, केवलश्री - पांचों को दीक्षित किया ।
सं० १२७४ में वृहद्वार में शास्त्रार्थ से लौटते हुए मार्ग में भावदेव को मुनि दीक्षा दी ।
सं० १२७५ में जाबालिपुर में जेठ सुदि १२ को भुवनश्री गणिनी, जगमती, मंगलश्री एवं विमलचन्द्र गणि, पद्मदेव गणि को दीक्षा दी ।
सं० १२७७ पालनपुर में श्री जिनपतिसूरि श्राषाढ़ सुदि १० को स्वर्गवासी हुए ।
जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) :
श्री जिनेश्वरसूरि का जन्म मरोट में भण्डारी नेमिचन्द्र की पत्नी लक्ष्मणी की कोख से स० १२४५ मार्गशीर्ष शुक्ल ११ को हुआ था ।
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