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________________ १० १. तिलक ५. सहज ९. शीति १३. आनन्द १७. मण्डण २१. दर्शन २५. सोम २९. प्रिय ३३. जय ३७. धीर ४१. भद्र ४५. सूर ४९. विमल १. विजय ५. हर्ष ९. धर्म १३. सोम १७. कुशल २. विवेक ६. भूषण १०. प्रीति १४. नन्दि १८. नन्दन २२. प्रभ २६. संयम Jain Educationa International ३०. उदय ३४. विजय ३८. वीर ४२. समुद्र ४६. मंगल ५०. कमल ३. रुचि ७. कल्याण १०. हंस १४. रुचि १८. उदय ११. मूर्ति १५. साधु १९. वर्द्धन ५३. शिव ५४. यश ५७. हंस इत्यादि पदान्ता सहस्रशः । श्री हीरविजयसूरिजी के समुदाय की १८ शाखाएँ २. विमल ६. सौभाग्य २३. लाभ २७. हेम ३१. माणिक्य ३५. सुन्दर ३९. चारित्र ४३. शेखर ४७. शील ५१. विशाल ५५. कलश ३. सागर ७. सुन्दर ११. आनन्द १५. सार ४. राज ८. श्रुत १२. प्रमोद १६. रत्न २०. ज्ञान २४. धर्म २८. क्षम ३२. सत्य ३६. सार ४०. चन्द्र For Personal and Private Use Only ४४. सागर ४८. कुशल ५२. देव ५६. हर्ष ४. चन्द्र ८. रत्न १२ . वर्द्धन १६. राज ( ऐतिहासिक सञ्झाय माला पृ० ९० ) खरतरगच्छ की विशेष परिपाटियां : खरतरगच्छ में नन्दी नामान्त पद के सम्बन्ध की कतिपय विशेष परिपाटियां देखने-जानने में आई हैं, जिनसे अनेक महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है । अत: उनका विवरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है । www.jainelibrary.org
SR No.003814
Book TitleKhartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta, Vinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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