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खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची कृत नन्दि महोत्सवपूर्वक श्री तरुणप्रभाचार्य ने आपकी पद स्थापना की थी। आपने २४ शिष्य और १४ शिष्याओं को दीक्षित किया। अनेकों को संघपति पद, आचार्य, उपाध्याय, वाचनाचार्य, महत्तरा आदि पदों से अलंकृत किया, जिनका नाम संवतादि इतिहास अप्राप्त है। सं० १४३२ मिती भाद्रपद वदि ११ को लोकहिताचार्य जी को अन्तिम शिक्षा देकर स्वर्गवासी
हुए।
विज्ञप्ति महालेख में इनके शिष्य मेरुनंदन गणि द्वारा लिखित अयोध्या में विराजित श्री लोकहिताचार्य को प्रेषित पत्र से ज्ञानकलश मुनि, ज्ञाननंदन मुनि, सागरचंद्र मुनि के नाम अध्ययन रत होने के पाये जाते हैं। इनके अतिरिक्त तेजकीत्ति गणि, हर्षचंद्र गणि, भद्रशील मुनि, धर्मचंद्र मुनि, मुनितिलक मुनि के नाम तथा अयोध्या में लोकहिताचार्य के पास रत्नसमुद्र मुनि, राजमेरु मुनि (जो आगे चलकर जिनराजसूरि हुए), स्वर्णमेरु मुनि पुण्यप्रधान गणि आदि विद्यमान थे।
सं० १४३१ मिती मार्गशीर्ष की प्रथम छठ के दिन करहेड़ा तीर्थ में जो भागवती दीक्षाएं सम्पन्न हुई उनकी सूची इस प्रकार है :. पूर्व नाम
दीक्षा नाम १. चौरासी गाँवों में अमारि घोषणा कराने से प्रसिद्ध मंत्रीश्वर अरसिंह की संतान बोथरा कल्याणविलास मुनि गोत्रीय लाखा का पुत्र धीणाक मंत्री २. काणोड़ा गोत्रीय राणा का पुत्र जेहड़ कीर्तिविलास मुनि ३. छाहड़ वंशी खेता का पुत्र भीमड़ श्रावक कुशलविलास मुनि ४. भूतपूर्व देश सचिव माल्हू शाखीय डूंगर मतिसुन्दरी साध्वी
सिंह की पुत्री उमा ५. व्यावहारिक वंशी महीपति की पुत्री हाँसू हर्षसुन्दरी साध्वी
देवपत्तनपुर में निम्नलिखित दीक्षोत्सव हुआ:१. सीहाकुल के मंत्रीश्वर दाहू के पुत्र खेमसिंह क्षेममूत्ति मुनि माल्हू चांपा के पुत्र पद्मसिंह
पुण्यमूर्ति मुनि
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