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खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३४६ माह बदि १ के दिन स्वर्णगिरि पर देववल्लभ, चारित्र तिलक, कुशलकीत्ति साधुओं व रत्नश्री साध्वी को दीक्षा दी।
___ सं० १३४६ ज्येष्ठ बदि ७ को पालनपुर में नर वंद्र, राजचंद्र, मुनिचंद, पुण्यचंद्र साधु एवं मुक्तिलक्ष्मी, युक्तिलक्ष्मी साध्वियों को दीक्षित किया।
सं० १३४७ मार्गशिर सुदि ६ को पालनपुर में सुमतिकोति को दीक्षा तथा नरचंद्र आदि साधु-साध्वियों की बड़ी दीक्षा एवं मालारोपणादि सम्पन्न हुए।
सं० १३४७ मिति चैत्र बदि ६ को अमररत्न, पद्मरत्न, विजयरत्न साधु और मुक्तिचन्द्रिका साध्वी को दीक्षा दी।
सं० १३४८ मिती वैशाख सुदि ३ को पालनपुर में वीरशेखर साधु और अमृत श्री साध्वी को दीक्षा दी। त्रिदशकीर्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया । उसी वर्ष सुधाकलश, मुनिवल्लभ आदि साधुओं सहित पूज्यश्री ने गणियोग तप किया।
सं० १३४६ मिती भादवा बदि ८ के दिन सह-धर्मियों को सदावत देने वाले संघपति अभयचन्द्र सेठ का अन्त समय जानवर उनको संस्तारक दीक्षा दी गई। उनका नाम अभयशेखर रखा गया। वहां पर मार्गशिर बदि २ को यशःकोति को दीक्षा दी गई।
___ सं० १३५० मिती वैशाख सुदि ६ को करहेटक, आबू तीर्थों की यात्रा कर, जन्म सफल करके बरडियानगर के मुख्य श्रावक नोलखा वंश भूषण भां० झांझण को स्वपक्ष-परपक्ष सभी को आश्चर्यकारी संस्तारक दीक्षा दी गई तथा नरतिलक राजर्षि नाम दिया गया।
___सं०१३५१ मिती माघ वदि ५ को विश्वकीर्ति साधु व हेमलक्ष्मी साध्वी को दीक्षा दी। यह दीक्षाएं पालनपुर में मंत्री तिहुण के प्रतिष्ठा महोत्सव के विस्तृत आयोजन में हुईं।
___ सं० १३५३ का चातुर्मास बीजापुर में कर मार्गसिर वदि ५ के दिन श्री वासुपूज्य जिनालय में मुनिसिंह, तपसिंह तथा जयसिंह साधुओं को दीक्षा दी।
सं० १३५४ मिती जेठ बदि १० को जावालिपुर में साह सलखण जी
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