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खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची
१७ के पुत्र सेठ सीहा कारित महोत्सव पूर्वक वीरचन्द्र, उदयचन्द्र, अमृतचन्द्र, साधु व जयसुन्दरी साध्वी की दीक्षा हुई।
__ सं० १३५७ मार्गसिर सुदि के दिन जैसलमेर में सेठ लखम और भंडारी गज के जयहंस और पद्महंस नाम के दो पुत्रों का दीक्षा महोत्सव समारोह पूर्वक हुआ।
सं० १३६१ वैशाख बदि १० के दिन जावालिपुर प्रतिष्ठा महोत्सब में सवा लाख मनुष्यों की उपस्थिति में पं० लक्ष्मीनिवास गणि व पं० हेमभूषण गणि को वाचनाचार्य पद से अलंकृत किया।
सं० १३६४ वैशाख बदि १४ को जावालिपुर में राजगृहादि अनेक तर्थों को यात्रा कर पुण्य संचय करने वाले वाचनाचार्य राजशेखर गणि को आचार्य पद से सम्मानित किया गया।
सं० १३६७ में भीमपल्ली पधारकर फागुन सुदि १ को ३ क्षुल्लक और दो क्षुल्लिकाओं को दीक्षा दी। उनके नाम रखे १ परमकीति, २ वरकीर्ति, ३ रामकीर्ति, व पद्मश्री, व्रतश्री। पं० सोमसुन्दर गणि को वाचनाचार्य पद दिया।
सं० १३६८ में भीमपल्ली में प्रतापकोति आदि क्षुल्लकों को बड़ी दीक्षा तथा तरुणकीर्ति, तेजकीत्ति, व्रतधर्मा तथा दृढधर्मा-क्षुल्लक, क्षुल्लिकाओं को महोत्सव पूर्वक दीक्षा दी। उसी दिन ठाकुर हाँसिल के पुत्ररत्न देहड़ के छोटे भाई स्थिरदेव की पुत्री रत्नमंजरी गणिनी को पूज्य श्री ने महत्तरा पद प्रदान कर जयदि महत्तरा नाम रखा तथा प्रियदर्शना गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया।
सं० १३६६ मार्गशिर बदि ६ के दिन पाटण नगर में चन्दनमूर्ति, भुवनमूर्ति, सारमूत्ति और हरिमूत्ति-चार छोटे साधु बनाये तथा केवलप्रभा गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया।
सं० १३७० मिती माघ शु. ११ को पाटण में मुनि (लब्धिनिधान), ज्ञाननिधान को एवं यशोनिधि, महानिधि दो साध्वियों को दीक्षा दी।
सं० १३७१ फा० सुदि ११ को भीमपल्ली में त्रिभुवनकीर्ति मुनि तथा प्रियधर्मा, यशोलक्ष्मी, धर्मलक्ष्मी साध्वियों को दीक्षित किया।
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