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________________ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची सं० १३७१ ज्येष्ठ वदि १० को जाबालिपुर में देवेन्द्रदत्त, पुण्यदत्त, ज्ञानदत्त, चारुदत्त मनि व पुण्यलक्ष्मी, कमललक्ष्मी, ज्ञानलक्ष्मी तथा मतिलक्ष्मी को दीक्षा दी। सं० १३७३ में पाटण से उपाध्याय विवेकसमुद्र के पास अध्ययनरत मुनि राजचन्द्र को पुण्यकीत्ति के साथ सिन्ध-देवराजपुर (देराउर) बुलाकर. आचार्य पद से विभूषित कर श्री राजेन्द्र चन्द्राचार्य नाम रखा। ललितप्रभ, नरेन्द्रप्रभ, धर्मप्रभ, पुण्यप्रभ तथा अमरप्रभ नाम के साधुओं को दीक्षित किया । __ सं० १३७४ फागुन बदि ६ को दर्शनहित, भुवनहित मुनियों को दीक्षा दी। ___ सं० १३७५ मिति माघ शुक्ल १२ को फलौदी पार्श्वनाथ पधार कर नागौर संघ की प्रार्थना से अनेक देश-नगर के संघ की उपस्थिति में अनेक महोत्सव संपन्न हुए। सोमचंद्र साधु एवं शीलसमृद्धि, दुर्लभसमृद्धि, भुवनसमृद्धि साध्वियों को दीक्षा दी । पं० जगच्चंद्र गणि को उपाध्याय पद दिया। गृहस्थावस्था में अपने भ्रातुष्पुत्र तथा शिष्यरूप में दीक्षित होने वाले उभय प्रकार से सन्तान, अपने पट्ट योग्य महान् विद्वान पं० कुशलकीत्ति को वाचनाचार्य पद प्रदान कर सम्मानित किया। धर्ममाला गणिनी और पण्य सुन्दरी गणिनी को प्रत्तिनी पद से अलंकृत किया। सं० १३७६ मिती आषाढ सुदि ६ को कोसवाणा में डेढ प्रहर रात्रि गये ६५ वर्ष की आयु में वाचनाचार्य कुशलकीत्ति गणि को अपने पट्ट पर बैठाने की आज्ञा प्रसारित कर श्रीजिनचन्द्रसूरि जी स्वर्गवासी हुए। जिनकुशलसूरि श्री जिनकुशलसूरि जी प्रगट प्रभावी और तृतीय दादा साहब हुए हैं। इनका जन्म छाजहड़ मंत्री जेसल (जिल्हागर) की धर्म पत्नी जयतश्री के कोख से सं० १३३७ मिती मार्गसिर बदि३ के दिन गढसिवाणा में हुआ था । कलिकाल केवली श्री जिनचन्द्र सूरि जी आपके पितृव्य (चाचा) थे; जिनके पास सं० १३४६ माघ बदि १ के दिन स्वर्णगिरि (जालोर) में इनकी दीक्षा हुई। इनका जन्म नाम करमण था, दीक्षा नाम कुशलकोत्ति किया। सं० १३७५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003814
Book TitleKhartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta, Vinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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