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खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची जिनहर्ष, कल्याणहर्ष, थिरहर्ष, सौभाग्यहर्ष को तथा सं० १६८४ बै० शु० ३ को 'सोम' नंदि में रत्नसोम (जिनरत्नसूरि), हर्षसोम, मतिसोम, अभयसोम आदि को दीक्षा दी थी। और भी इन नंदियों में प्रचुर दीक्षाएं दी होंगी, पर सूची न मिलने से नाम, समय आदि कुछ भी बतलाना अशक्य है।
__ जिनराजसूरि जी के बड़े शिष्यों में उपाध्याय 'रंगविजय थे, पर अंतिम समय पाटण में जिनरत्नसूरि जी को पट्टधर बनाने से जिनरंगसूरि शाखा अलग हो गई । श्री जिनमाणिक्यसूरि जी के शिष्य उनके आज्ञानुवर्ती हो गये।
___ श्री जिनरंगसूरि शाखा में उनके सहदीक्षित रामविजय थे। श्री जिनरंगसूरि आज्ञानुवर्ती उ० रामविजय जी की परम्परा के नाम यहां दिये जाते हैं जिनमें योगिराज प्रथम चिदानंद जी और ज्ञानानंद जी हुए हैं।
जिनराजसरि
उ० रामविजय उ० पद्म हर्ष वा० सुखनंदन वा० कनकसागन उ० महिमातिलक चित्र लब्धिकुमार उ० नवनिधि (नढाजी)
जिनरंगसूरि जिनचंद्रसूरि जिनविमलसूरि जिनललितसूरि
जिनअक्षयसूरि जिननंदिवर्द्धनसूरि
भाग्यनंदि . चारित्रनंदि
जिनजयशेखरसूरि (चुन्नीजी)
जिनकल्याणसूरि
जिनचंद्रसूरि
जिनरलसूरि कल्याण चरित्र प्रेमचरित्र (स्व० ११६२ वै० कृ० ५) (चिदानंद) (ज्ञानानंद)
श्रीजिनरंगसूरि जी की प्रथम दीक्षित रंग नंदी थी जिसमें प्रीतिरंग का नाम पाया जाता है।
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