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खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची
द्वारा चन्द्रतिलकोपाध्याय, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय, वाचनाचार्य पद्मदेव गणि आदि की उपस्थिति में इनकी आचार्य पद पर स्थापना हुई।
___ सं० १३३१ फाल्गुन शुक्ला ५ को स्थिरकीत्ति भुवनकीत्ति दो मुनियों तथा केवलप्रभा, हर्षप्रभा, जयप्रभा, यशःप्रभा साध्वियों को दीक्षा दी।
___ सं० १३३२ ज्येष्ठ बदि ह के दिन विमलप्रज्ञ को उपाध्याय पद व राजतिलक को वाचनाचार्य पद प्रदान किया । मिती ज्येष्ठ सुदि ३ के दिन गच्छकीति, चारित्रकीति, क्षेमकीत्ति मुनियों और लब्धिमाला, पुण्यमाला साध्वियों को जावालिपुर में दीक्षित किया ।
सं० १३३३ माघ बदि १३ को जावालिपुर में कुशलश्री गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया गया।
सं० १३३४ मार्ग शिर बदि १३ को रत्नवृष्टि गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया। तदनंतर भीमपल्ली नगरी में वैशाख बदिह को मंगलकलश साध को दीक्षित किया।
. सं० १३३४ जेठ बदि ७ को शत्रुजय महातीर्थ पर जीवानंद साधु तथा पुष्पमाला, यशोमाला, धर्ममाला, लक्ष्मीमाला साध्वियों को दीक्षा दी।
सं० १३३५ मार्गशीर्ष बदि ४ के दिन पद्मकीर्ति, सुधाकलश,तिलककीति, लक्ष्मीकलश, नेमिप्रभ, हेमतिलक, नेमितिलक को मुनि दीक्षा दी।
सं० १३३५ वै० बदि ७ को मोहविजय, मुनिवल्लभ को दीक्षा दी तथा हेमप्रभ गणि को वाचनाचार्य पद दिया।
सं० १३३६ ज्येष्ठ सुदि ६ को जिनप्रबोधसूरि जी के पिता सेठ श्रीचंद (बोथरा) का अन्त समय ज्ञात कर, चित्तौड़ से शीघ्र पालनपुर जाकर उन्हें दीक्षित किया। उनका नाम श्रीकलश रखा गया। सेठ के द्रव्य को सात क्षेत्र में बाँट दिया गया तथा दीन-अनाथों का भी मनोरथ पूर्ण किया गया।
सं० १३३७ ज्येष्ठ बदि १२ को बीजापुर में आनंदमूर्ति व पुण्यमूत्ति को दीक्षित किया।
सं० १३३६ मिती ज्येष्ठ बदि ४ को जगच्चन्द्र मुनि और कुमुदलक्ष्मी,
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